Monday 31 December 2018

एक्सीडेंटल प्रधानमंत्री ने ही देश को दिया सूचना अधिकार का कानून

सूचना का अधिकार के कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सूचना अधिकार प्रशिक्षण शिबिर में कहा कि जिस प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को एक्सीडेंटल प्रधानमंत्री के तौर पर  पेश किया जा रहा हैं उसी एक्सीडेंटल प्रधानमंत्री ने देश को सूचना का अधिकार देने का काम किया हैं। इसलिए आम लोगों को सड़क पर काम करनेवाले कर्मचारियों से लेकर प्रधानमंत्री को सवाल पूछने का अधिकार प्राप्त हुआ हैं।

घाटकोपर प्रगती मंच इस ग्रुप द्वारा सूचना अधिकार प्रशिक्षण शिबीर का आयोजन घाटकोपर पश्चिम भटवाडी स्थित क्रांती क्रीडा मंडल के सभागार में किया गया था।  सूचना अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मार्गदर्शन करते हुए चिंता जताई कि 125 करोड़ के देश में सिर्फ 10 लाख भारतीय यह सालाना सूचना का अधिकार कानून का इस्तेमाल कर रहा हैं। केंद्र सरकार, राज्य सरकार और मुंबई महानगरपालिका में सूचना का अधिकार का इस्तेमाल कहां और किसलिए करे इसपर विस्तृत मार्गदर्शन गलगली ने किया। 

प्रसिद्ध अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी को कौड़ियों के दाम पर भूखंड वितरित करने की जानकारी कैसे सार्वजनिक की गई, इसकी जानकारी अनिल गलगली ने दी और उसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 1983 का सरकारी निर्णय रद्द करने का निर्णय लिया जो सूचना का अधिकार कानून की जीत होने की बात कही। रिलायन्स बिजली  कंपनी ने जनता की जेब से लुटे हुए पैसों की जानकारी आरटीआई से सामने आई और 2640 करोड़ रुपए सरकारी सरकारी तिजोरी में जमा हुए। ऐसे कई उदाहरण गलगली ने दी।

मुंबई में अधर में लटकी झोपु योजना को लेकर बड़े पैमाने पर सवाल नागरिकों की ओर से आए। जनप्रतिनिधियों के काम का जायजा, शौचालय की समस्या को लेकर आरटीआई का इस्तेमाल कैसे करे, इसका मार्गदर्शन गलगली ने किया। आरटीआई के साथ दफ्तर विलंब कानून पर आवेदन करने की प्रक्रिया पर भी मार्गदर्शन किया।

कार्यक्रम की जानकारी प्रशांत बढ़े ने दी। इस कार्यक्रम में मनपा  प्रभाग समिती सदस्य किरण लांडगे, अजित तांबे, विक्रम कसबे, संगीता वरपे उपस्थित थी।

अकॅसिडेंटल पंतप्रधानानी देशाला दिला माहितीचा अधिकार

माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी माहिती अधिकार प्रशिक्षण शिबिरात करत प्रतिपादन केले की ज्या पंतप्रधान डॉ मनमोहन सिंह यांस अकॅसिडेंटल पंतप्रधान म्हणून हिणवण्याचा प्रयत्न केला जात आहे त्याच अकॅसिडेंटल पंतप्रधानानी देशाला दिला माहितीचा अधिकार दिला आहे आणि त्यामुळेच सर्वसामान्य जनतेला रस्त्यांवर काम करणाऱ्या कर्मचाऱ्यांपासून थेट पंतप्रधान यांस प्रश्न विचारण्याचा अधिकार प्राप्त झाला आहे.

घाटकोपर प्रगती मंच या घाटकोपर मधील नागरिकांच्या व्हाट्सअप ग्रूपतर्फे माहिती अधिकार प्रशिक्षण शिबीराचे आयोजन घाटकोपर पश्चिम भटवाडी येथील क्रांती क्रीडा मंडळाच्या सभागृहात करण्यात आले होते. घाटकोपरमधील विविध सामाजिक विषयांवर भाष्य करून,जनआंदोलन करणे, अनेक धार्मिक, सामाजिक उपक्रम घाटकोपर प्रगती मंच या व्हाट्सअप ग्रुपतर्फे घेण्यात येतात. माहिती अधिकार कायदा बाबत नागरिकांमध्ये जनजागृती व्हावी, तसेच या कायदाचा नागरिकांनी जास्तीत जास्त वापर करावा या उद्देशाने हा अनिल गलगली यांच्या मार्गदर्शनाखाली हा उपक्रम आयोजित करण्यात आला.

माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मोलाचे मार्गदर्शन करत खंत व्यक्त केली की 125 कोटींच्या देशात फक्त 10 लाख भारतीय हे वर्षाला माहिती अधिकार कायदाचा वापर करत आहे. केंद्र शासन, राज्य शासन आणि मुंबई पालिका यामध्ये आपण माहिती अधिकार कायदाचा वापर कुठे आणि कश्यासाठी करावा याचे सविस्तर मार्गदर्शन गलगली यांनी केले.

प्रसिद्ध अभिनेत्री आणि खासदार हेमा मालिनी यांस कवडीमोल दराने दिला जाणाऱ्या भूखंड वितरण बाबत माहिती कश्या पद्धतीने बाहेर आणली याची माहिती अनिल गलगली यांनी दिली आणि त्यानंतर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी 1983 चा शासकीय निर्णय रद्दबातल करण्याचा निर्णय घेतला हा माहिती अधिकार कायदाचा विजय असल्याचे सांगितले. रिलायन्स वीज कंपनीने जनतेचा लुटलेल्या पैश्यांची माहिती अधिकार कायदामुळे समोर आली आणि 2640 कोटी सरकारी तिजोरीत जमा झाले.अशी कैक उदाहरणे गलगली यांनी दिली.

मुंबई मधील रखडलेल्या झोपु योजनांबाबत मोठ्या प्रमाणात प्रश्न या वेळी नागरिकांकडून आले तसेच लोकप्रतिनिधींचा कामांचा आढावा, शौचालय प्रश्न इत्यादींबाबत माहिती अधिकार कसे वापरावे याची देखील उत्तम मार्गदर्शन अनिल गलगली यांनी केले. माहिती अधिकार कायदासोबत दफ्तर दिरंगाई कायदा या बाबत अर्ज करण्याबाबत मार्गदर्शन केले.

या कार्यक्रमात ग्रुपचे सदस्य आणि पालिका एल प्रभाग समिती सदस्य किरण लांडगे देखील उपस्थित होते. त्यांनी देखील या उपक्रमाचे तसेच ग्रुप च्या विविध कार्याचे कौतुक केले. प्रस्तावना प्रशांत बढे मांडत ग्रुपची सविस्तर माहिती दिली. यावेळी ग्रुपचे सदस्य दिगंम्बर गुरव यांनी अनिल गलगली यांचा तर अजित तांबे यांनी किरण लांडगे यांचा सत्कार केला. उपस्थितांचे आभार विक्रम कसबे यांनी मानले तर कार्यक्रमाचे सूत्रसंचालन संगीता वरपे यांनी केले. हा कार्यक्रम यशस्वी करण्यासाठी या व्हाट्स अपग्रूप च्या सर्वच सदस्यांनी मोठी मेहनत केली.


Tuesday 25 December 2018

मुंबई विद्यापीठ के अधिसभा चुनाव पर 7.44 लाख का खर्च

मुंबई विद्यापीठ के अधिसभा पर जानेवाले 10 पंजीकृत स्नातकों के चुनाव में मुंबई विद्यापीठ ने 7.44 लाख रुपए खर्च करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई विद्यापीठ ने दी हैं। इसमें सबसे ज्यादा 5.65 लाख रुपए का खर्च यह यात्रा और विज्ञापनों पर किया गया हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई विद्यापीठ से दिनांक 27 मार्च 2018 को जानकारी मांगी थी कि मुंबई विद्यापीठ के अधिसभा पर जानेवाले 10 पंजीकृत चुनाव में सभी प्रकार के खर्च का ब्यौरा दे। अनिल गलगली की आरटीआई को करीब 9 महीनों के बाद मुंबई विद्यापीठ ने जबाब दिया हैं।

मुंबई विद्यापीठ के वित्त व लेखा विभाग के उप कुलसचिव राजेंद्र आंबवडे ने अनिल गलगली को जानकारी दी हैं कि मुंबई विद्यापीठ के अधिसभा पर जानेवाले 10 पंजीकृत स्नातकों के चुनाव में 7 लाख 44 हजार 499 रुपए खर्च हुए हैं। इस खर्च में सबसे अधिक खर्च यह यात्रा पर किया गया हैं। कुल रकम  3 लाख 22 हजार 89 रुपए खर्च की गई हैं वहीं विज्ञापन पर  2 लाख 43 हजार 232 रुपए खर्च हुआ हैं। सॉफ्टवेअर के लिए 68 हजार 810 रुपए, टोनर रीफिल्लिंग के लिए 16 हजार 638 रुपए, डेकोरेशन पर 20 हजार 500 रुपए, ट्रेनिंग वोट काऊटिंग पर 3 हजार 330 रुपए और 69 हजार 900 रुपए हॉस्पिटैलिटी पर खर्च किए गए हैं।

अनिल गलगली के अनुसार अधिसभा चुनाव का खर्च और इसकी पूरी जानकारी को मुंबई विद्यापीठ ने वेबसाइट पर अपलोड करने की आवश्यकता हैं। इस बारे में गलगली ने राज्यपाल विद्यासागर राव और मुंबई विद्यापीठ के वाईस चांसलर डॉ सुहास पेडणेकर को भेजे हुए पत्र में मांग की हैं।

मुंबई विद्यापीठ अधिसभा निवडणुकीवर 7.44 लाखांचा खर्च

मुंबई विद्यापीठाच्या अधिसभेवर जाणाऱ्या 10 नोंदणीकृत पदवीधारकांच्या निवडणुकीत मुंबई विद्यापीठाने 7.44 लाख रुपये खर्च झाल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई विद्यापीठाने दिली आहे. यात सर्वाधिक 5.65 लाख रुपयांचा खर्च हा प्रवास आणि जाहिरातींवर करण्यात आला आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई विद्यापीठाकडे दिनांक 27 मार्च 2018 रोजी माहिती मागितली होती की मुंबई विद्यापीठाच्या अधिसभेवर जाणाऱ्या 10 नोंदणीकृत पदवीधारकांच्या निवडणुकीत सर्वप्रकारच्या झालेल्या निवडणूक खर्चाची माहिती देण्यात यावी. अनिल गलगली यांच्या अर्जाला तब्बल 9 महिन्यानंतर मुंबई विद्यापीठाने उत्तर देत माहिती दिली. 

मुंबई विद्यापीठाच्या वित्त व लेखा विभागाचे उप कुलसचिव राजेंद्र आंबवडे यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की मुंबई विद्यापीठाच्या अधिसभेवर जाणाऱ्या 10 नोंदणीकृत पदवीधारकांच्या निवडणुकीत 7 लाख 44 हजार 499 रुपये खर्च झाले आहेत. या खर्चात सर्वाधिक खर्च हा प्रवास यावर झाला असून त्याची एकूण रक्कम 3 लाख 22 हजार 89 रुपये आहे तर त्यानंतर जाहिरातीवर 2 लाख 43 हजार 232 रुपये खर्च झाले आहे. सॉफ्टवेअरसाठी 68 हजार 810 रुपये, टोनर रीफिल्लिंगसाठी 16 हजार 638 रुपये, डेकोरेशनसाठी 20 हजार 500 रुपये, ट्रेनिंग वोट काऊटिंगसाठी 3 हजार 330 रुपये तसेच 69 हजार 900 रुपये हे हॉस्पिटलिटीवर खर्च करण्यात आले आहे.

अनिल गलगली यांच्या मते अधिसभा निवडणूकीचा खर्च आणि त्याची संपूर्ण माहिती मुंबई विद्यापीठाने संकेतस्थळावर प्रदर्शित करणे आवश्यक आहे. याबाबतीत गलगली यांनी राज्यपाल विद्यासागर राव तसेच मुंबई विद्यापीठाचे कुलगुरु डॉ सुहास पेडणेकर यांस पाठविलेल्या लेखी पत्रात तशी मागणी केली आहे.


Mumbai University Spends Rupees 7.44 lacs on Senate Election

Mumbai University has spent Rupees 7.44 lacs on election of 10 registered graduate candidates for Senate body election as per information provided to RTI activist Anil Galgali. Of this Rupees 5.65 lacs has been shown as expenses towards travel and advertisement.

Anil Galgali by his RTI application dated 27 March, 2018, had asked Mumbai University to provide details of all expenses incurred towards election of 10 registered graduates for its Senate committee. It has taken almost nine months to get a reply to his query.

Rajendra Ambawade Deputy Vice Chancellor of the Finance and Accounts department of Mumbai University has informed Anil Galgali that election of 10 registered graduates to Senate Committee has cost 7 lac 44 thousand 499 rupees. Out if this maximum amount of Rupees 3 lac 22 thousand 89 has been spent on travel. Rupees 2 lac 43 thousand  232  has been spent on advertising. Rupees 68 thousand 810 for software, refilling of toner cost 16 thousand 638 rupees, decorations cost 20 thousand 500 rupees, training and vote counting costed  3 thousand 330 rupees and 69 thousand 990 rupees hospitality respectively.

Anil Galgali has demanded that expenses incurred on Senate committee elections should be made public on the University website and he has written a letter demanding the same to Chancellor of the University Shri Vidyasagar Rao and Vice Chancellor Dr. Suhas Pednekar

Monday 24 December 2018

लोकतंत्र को मजबूती देनेवाला कानून हैं आरटीआई 

लोकतंत्र को और मजबूती देनेवाला सूचना का अधिकार 2005 यानी आरटीआई को लेकर जनजागरण करनेवाला  संवादात्मक कार्यक्रम बदलापूर में 'सुहृद: एक कलांगण' ने आयोजित किया था। सूचना का अधिकार अभियान के कार्यकर्ता अनिल गलगली और  प्रा. सुभाष आठवले ने आरटीआई की व्यापकता, सूचना प्राप्त करने की प्रक्रिया पर मार्गदर्शन किया। प्रा. नितीन आरेकर ने इन दोनों से संवाद साधकर आरटीआई की विस्तृतता उपस्थितीजनों के समक्ष सरल भाषा में रखी।

आम नागरिकों को इस कानून के तौर पर एक प्रभावी शस्त्र प्राप्त हुआ हैं, उसका इस्तेमाल सकारात्मक करने की जिम्मेदारी हर एक नागरिक की होने की बात कहते हुए अनिल गलगली ने कहा कि कार्यकर्ताओं का लगातार प्रयास से व्यवस्था में बदलाव हो रहा हैं। अपने आसपास की घटनाओं की ओर एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर समस्याओं को नजरअंदाज किये बिना जिगर से नागरिकों की समस्याओं को सुलझाया जा सकता हैं। 

आरटीआई से ही जुड़ा दफ्तर दिरंगाई प्रतिबंध कानून और  अभिलेख व्यवस्थापन कानून पर जोर देते हुए प्रो. सुभाष आठवले ने कहा कि हम सिर्फ सुशिक्षित यानी साक्षर होना उपयोगी नहीं हैं। बल्कि सरकारी साक्षरता यानी सरकारी काम को लेकर सजग रहना , नागरिक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी और अधिकार को समझना उतना ही महत्वपूर्ण हैं। नागरिक जिम्मेदारी को अच्छी तरीके से इस्तेमाल करेंगे तो सुशासन आएगा।

लोकशाहीला अधिक बळकटी देणाऱ्या कायदा म्हणजे माहिती अधिकार 

लोकशाहीला अधिक बळकटी देणाऱ्या माहिती अधिकार 2005 ह्या संबंधी जनजागृती करणारा आगळावेगळा संवादात्मक कार्यक्रम बदलापूर येथील 'सुहृद: एक कलांगण' ने आयोजित केला होता. माहिती अधिकार चळवळीतले कार्यकर्ते अनिल गलगली आणि  प्रा. सुभाष आठवले ह्यांनी माहितीच्या अधिकाराची व्याप्ती, माहिती मागण्याची प्रक्रिया ह्याविषयी मार्गदर्शन केले. प्रा. नितीन आरेकर ह्यांनी तज्ज्ञांशी संवाद साधत माहिती अधिकाराच्या कायद्याचा विस्तृत पट उपस्थितांसमोर साध्या सोप्या भाषेत उलगडला.


सामान्य नागरिकांना ह्या कायद्याच्या रूपाने एक प्रभावी शस्त्र मिळाले आहे, त्याचा जाणतेपणाने वापर करणे ही आपल्या प्रत्येकाची जबाबदारी आहे. कार्यकर्त्यांच्या सातत्यपूर्ण प्रयत्नांतून व्यवस्थेमध्ये बदल यशस्वीपणे घडून येऊ शकतात हे अनेक उदाहरणातून तज्ज्ञांनी मांडले. आपल्या आसपास घडणाऱ्या घटनांकडे, नागरिक म्हणून आपल्याला येणाऱ्या अडचणींकडे आपण डोळेझाक न करता चिकाटीने आणि धाडसाने आपले आणि इतर नागरिकांचे प्रश्न सोडवू शकतो ही दृष्टी कार्यक्रमाने दिली.


माहितीच्या अधिकाराला पूरक असणाऱ्या दप्तर दिरंगाई प्रतिबंध कायदा आणि अभिलेख व्यवस्थापन कायदा ह्या दोन कायद्याविषयी फारशी माहिती सामान्य जनतेला नाही. त्याचाही परिचय तज्ज्ञांतर्फे झाला. आपण फ़क्त सुशिक्षित ह्या अर्थी साक्षर असून उपयोग नाही तर शासकीय साक्षरता म्हणजेच सरकारी कामांविषयी सजग असणं, नागरिक म्हणून आपल्या जबाबदाऱ्या आणि हक्काचं भान असणं तितकंच गरजेचं आहे. नागरिक जबाबदार आणि प्रगल्भ असतील तरच उत्तम प्रशासन निर्माण होऊ शकेल,यावर चर्चासत्रेत एकमत झाले.

RTI Act to strengthen the democracy

Srud Eak Kalangan an NGO from Badlapur organised discussion on  Provisions of RTI Act 2005 to spread awareness of the Act and it's different provisions. RTI Activist Anil Galgali and Prof. Subhash Athavale explained the depth, provisions  and how information can be sought through RTI Act. Prof. Nitin Arekar put forward the questions which made activists to give clear insight of the Act.

Anil Galgali gave good examples about how this can be effective and how fraud can be detected and curbed. He also explained the responsibility of the citizens and how they can solve the problems. The stress was on consistency in following up the issue.

Information on delay in discharge of duty Act 2006, citizen charter and many such issues were discussed which were still unknown to citizens. Athavale stressed on necessity to understood the policy and resolution which issue by Government  to solve the problems. If citizens are alert then no babu can dare to cheat the society at large.


Wednesday 19 December 2018

मनपा मुख्यालय की मरम्मत और नवीनीकरण पर पूरे 120 करोड़ हुए खर्च

देश में अपनी अमीरी को लेकर विख्यात ऐसे मुंबई महानगरपालिका प्रशासन के पास बेशुमार धन हैं और खर्च भी होगा, इसमें संदेह नहीं हैं।  मुंबई महानगरपालिका का मुख्यालय की मरम्मत और नवीनीकरण पर पूरे 120 करोड़ खर्च होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने दी हैं। 4 अलग अलग ठेका बहाल करते हुए मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने पानी की तरह पैसा खर्च किया हैं।

मुंबई महानगरपालिका मुख्यालय में हमेशा मरम्मत और नवीनीकरण होता आ रहा हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई महानगरपालिका प्रशासन से विभिन्न विविध विकास काम की जानकारी मांगी थी। मुंबई महानगरपालिका के इमारत निर्माण विभाग ने बताया कि वर्ष 2008 से वर्ष 2012 इन 5 वर्ष के दौरान महापालिका का मुख्यालय की मरम्मत और नवीनीकरण पर 120 करोड़ 61 लाख 41 हजार 932 रुपये खर्च किया गया हैं। इसमें से 111 करोड़ 73 लाख 82 हजार 561 रुपये यह मेसर्स कॅन्स्ट्कॅशन टेक्निक, मेसर्स ग्लास सेन्सेशन, मेसर्स स्कायवे इन्फ्राप्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड आणि मेसर्स शानदार इंटिरिअर प्राइवेट लिमिटेड इन 4 ठेकेदारों को अदा किया गया। इसमें  8 करोड़  87 लाख 59 हजार 370 रुपये यह ठेकेदारों को देना शेष हैं।

मुख्य इमारत के प्रथम चरण के काम के लिए मेसर्स आभा नारायण लांबा असोसिएटस, मेसर्स एस जे के आर्किटेक्टस और मेसर्स शशी प्रभू एड असोसिएटस इनके संयुक्त उपक्रम तैयार किये गए काम की सूची में पत्थर की दीवारों की पुर्नस्थापना, पैसेज, सीढ़ियों का जतन एवं मजबूतीकरण, छत की मरम्मत का शुमार था। यह काम मेसर्स कॅन्स्ट्कॅशन टेक्निक इस ठेकेदार को 7 करोड़ 31 लाख 17 हजार 805 रुपये इतनी रकम को मई 2008 में दिया गया।

मुंबई महानगरपालिका मुख्यालय स्थित मुख्य इमारत की रंगीन काचों की पुर्नस्थापना करने का काम अगस्त 2010 में मंजूर करते हुए मेसर्स ग्लास सेन्सेशन इस ठेकेदार को 82 लाख 52 हजार 909 रुपये में दिया गया। अक्टूबर 2011 को मेसर्स शानदार इंटिरिअर प्राइवेट लिमिटेड इस ठेकेदार को  68.77 करोड़ रुपये दिये गये। मुंबई महानगरपालिका मुख्यालय स्थित विस्तारित इमारत का नवीनीकरण काम का इसमें शुमार हैं। वहीं मुंबई महानगरपालिका मुख्यालय स्थित मुख्य इमारत का नवीनीकरण काम पर 43 करोड़ 70 लाख 71 हजार 218 रुपये का ठेका मेसर्स स्कायवे इन्फ्राप्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड इस ठेकेदार को जून 2012 में दिया गया। इसके अलावा सलाहकार और आर्किटेक्ट को दिये गये पैसों की जानकारी गुलदस्ते में हैं।

अनिल गलगली के अनुसार नवीनीकरण और मरम्मत जरुरी हैं लेकिन नवीनीकरण और मरम्मत पर 120 करोड़ जिस लिहाज से खर्च किये गये हैं वह अधिक हैं। इससे कम किंमत में नवीनीकरण और मरम्मत का काम किया जा सकता था। अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर 120 करोड़ का आंकड़ा दिखाकर जो काम किये गये हैं उन कामों की जांच करने की मांग की हैं क्योंकि आंकड़े बढ़ा चढ़ाकर दिखाने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता हैं।


मुंबई महापालिकेच्या मुख्यालयाच्या दुरुस्ती आणि नूतनीकरणावर तब्बल 120 कोटी केले खर्च

देशातील श्रीमंत अशी नावाजलेल्या मुंबई महानगरपालिका प्रशासनाकडे गडगंज पैसा आहे आणि तो खर्च केलाही जाणार, यात शंका नाही. मुंबई महापालिकेच्या मुख्यालयाच्या दुरुस्ती आणि नूतनीकरणावर तब्बल 120 कोटी खर्च झाल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई महानगरपालिका प्रशासनाने दिली आहे. 4 वेगवेगळे कंत्राट बहाल करत मुंबई महानगरपालिकेने पाण्यासारखा पैसा खर्च केला आहे.

मुंबई महानगरपालिका मुख्यालयात नेहमीच दुरुस्ती आणि नूतनीकरण होत राहिले आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई महानगरपालिका प्रशासनाकडे विविध विकास कामाची माहिती मागितली असता इमारत बांधकाम खात्याने कळविले की वर्ष 2008 पासून वर्ष 2012 या 5 वर्षाच्या कालावधीत महापालिकेच्या मुख्यालयाच्या दुरुस्ती आणि नूतनीकरणावर 120 कोटी 61 लाख 41 हजार 932 रुपये खर्च करण्यात आले आहे. यापैकी 111 कोटी 73 लाख 82 हजार 561 रुपये हे मेसर्स कॅन्स्ट्कॅशन टेक्निक, मेसर्स ग्लास सेन्सेशन, मेसर्स स्कायवे इन्फ्राप्रोजेक्ट्स प्रायव्हेट लिमिटेड आणि मेसर्स शानदार इंटिरिअर प्रायव्हेट लिमिटेड या 4 कंत्राटदारांना अदा करण्यात आले असून 8 कोटी 87 लाख 59 हजार 370 रुपये हे अजून देण्यात आले नाही.

मुख्य इमारतीच्या पहिल्या टप्प्यातील कामासाठी मेसर्स आभा नारायण लांबा असोसिएटस, मेसर्स एस जे के आर्किटेक्टस आणि मेसर्स शशी प्रभू एड असोसिएटस यांच्या संयुक्त उपक्रमातर्फे तयार करण्यात आलेल्या कामांच्या यादीमध्ये दगडी भिंतीची पुनर्स्थापना, व्हरांडा व जिन्यातील लाकडी सांध्यांचे संरचनात्मक जतन व मजबुतीकरण, छताची दुरुस्ती याचा समावेश होता. सदर काम हे मेसर्स कॅन्स्ट्कॅशन टेक्निक या कंत्राटदारास 7 कोटी 31 लाख 17 हजार 805 रुपये इतक्या रक्कमेस मे 2008 रोजी देण्यात आले.

मुंबई महानगरपालिका मुख्यालय येथील मुख्य इमारतीच्या रंगीत काचांची पुनर्स्थापना करण्याचे काम ऑगस्ट 2010 मध्ये मंजूर करत मेसर्स ग्लास सेन्सेशन या कंत्राटदार कंपनीला 82 लाख 52 हजार 909 रुपयांत देण्यात आले. ऑक्टोबर 2011 रोजी मेसर्स शानदार इंटिरिअर प्रायव्हेट लिमिटेड या कंत्राटदारास 68.77 कोटी रुपयांस देण्यात आले. मुंबई महानगरपालिका मुख्यालय येथील विस्तारित इमारतीच्या नूतनीकरण कामाचा यात समावेश आहे. तर मुंबई महानगरपालिका मुख्यालय येथील मुख्य इमारतीच्या नूतनीकरण कामावर 43 कोटी 70 लाख 71 हजार 218 रुपयांचे कंत्रात मेसर्स स्कायवे इन्फ्राप्रोजेक्ट्स प्रायव्हेट लिमिटेड या कंत्राटदारास जून 2012 रोजी देण्यात आले. या व्यतिरिक्त सल्लागार आणि आर्किटेक्टला दिलेल्या पैश्याचा अजून पर्यंत माहिती सार्वजनिक करण्यात आली नाही.


अनिल गलगली यांच्या मते नूतनीकरण आणि दुरुस्ती आवश्यक होती पण एकूण दुरुस्ती आणि नूतनीकरणावर 120 कोटी ज्याअर्थी खर्च करण्यात आला आहे तो अधिक असून या पेक्षा ही कमी किंमतीत दुरुस्ती आणि नूतनीकरण केले जाऊ शकले असते. अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पत्र पाठवून 120 कोटींचा आकडा दाखवित जी कामे करण्यात आली आहे त्या कामांची चौकशी करण्याची मागणी केली आहे कारण आकडे फुगविण्याची शक्यता नाकारता येत नाही.

Rs 120 Crore Rupees Splurged on Repairs and Renovation of BMC Headquarter

Mumbai Municipal Corporation ke BMC is amongst the richest Municipal Corporations in the country and is flushed with money. In reply to RTI query to RTI Activist Anil Galgali was informed by the Administration of BMC that it has spent 120 crore rupees on Repairs and Renovation on BMC Headquarter.

Repairs and renovation works are regularly carried out at BMC headquarters. Anil Galgali was informed that during the period 2008 to 2012 the building construction department has spent rupees 120 crore 61 lakhs 41 thousand 932 rupees. Out of this rupees 111 crore 73 lac 83 thousand 561 was paid to M/s Construction Technique, M/s Glass Sensation, M/s Skyway Infraprojects Private Limited and  M/s Shandaar Interiors Private Limited. Rupees 8 crore 87 lac 59 thousand and 371 is still unpaid.


For it's main building the work list prepared jointly by M/s Abha Narayan Lamba Associates, M/s S J K Architecture, M/s Shashi Prabhu and Associates included stone wall reinstallation, strengthening and protection of wooden pillars of the passage and staircase and repair work of the roof. This work was given to M/s Construction Technique for 7 crore 31 lakhs 17 thousand  805 rupees in 2008.

Work for reinstallation of glass at the main building was approved in 2010 and given to M/s Glass Sensations for 82 lakhs 52 thousand 909 rupees. In 2011 M/s Shandaar Interiors Private Limited was paid 68.77 crores for Renovation. This included work carried out at the extension of the main building. M/s Skyway Infraprojects Private Limited was paid rupees 43 crore 70 lakhs 71 thousand 208 rupees for renovations at the main building in 2002.Apart from this the money paid to consultant and architect has not yet been made public.


Repair and renovation work though essential, the amount of rupees 120 crores seems quite high. The works could have been carried our at lower cost feels Anil Galgali. In his letter to the Chief Minister Devendra Fadnavis, Galgali has asked independent audit of expenses as inflated expenditures cannot be ruled out.


Tuesday 18 December 2018

फायर ऑडिट की जानकारी सार्वजनिक करने में होती टालमटोल मुंबईकरों की जान पर बनी

मुंबई में आग की घटनाओं में वृद्धि होते हुए मुंबई फायर ब्रिगेड फायर ऑडिट को लेकर गंभीर नहीं हैं। इसीलिए आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई की फायर ऑडिट हुई बिल्डिंगों की जानकारी मांगने पर सीधी और स्पष्ट जानकारी देने में फायर ब्रिगेड टालमटोल कर रहा हैं। अनिल गलगली ने दिनांक 13 अप्रैल 2018 को इसे लेकर की हुई शिकायत को मुंबई फायर ब्रिगेड ने नजरअंदाज किया। फायर ऑडिट की जानकारी सार्वजनिक करना समय की जरुरत होने की बात कहते हुए अनिल गलगली ने सवाल किया हैं कि मुंबई फायर ब्रिगेड फायर ऑडिट की जानकारी सार्वजनिक करने से टालमटोल कर रहा हैं? फायर ऑडिटची की जानकारी सार्वजनिक करने में होती टालमटोल मुंबईकरों की जान पर बन रही हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई फायर की हद में फायर ऑडिट अंतर्गत कुल बिल्डिंगों की संख्या, बिल्डिंग का प्रकार, वॉर्ड का नाम, कुल फायर ऑडिट हुए बिल्डिंग की संख्या और फायर ऑडिट न हुए बिल्डिंग की संख्या की जानकारी दिनांक 1 जनवरी 2018 से सूचना मांगी थीं। विभागीय अग्निशमन अधिकारी एस.डी.सावंत ने जानबूझकर जानकारी देने से टालमटोल की। महाराष्ट्र अग्निप्रतिबंधक व जीवसरंक्षक उपाययोजना अधिनियम 2006 के तहत बिल्डिंग का मालिक /निवासी /हौसिंग सोसायटी ने उनकी बिल्डिंग की फायर ऑडिट लाइसेंस धारक अग्निशमन यंत्रणा के जरिए कर लेना और उसकी रिपोर्ट मुंबई अग्निशमन दल के कार्यालय में पंजीकृत करना या बृहन्मुंबई महानगरपालिका के वेबसाइट पर अपलोड करना जरुरत हैं। लेकिन कितने रिपोर्ट प्राप्त हुआ और कितनों ने अपलोड किया हैं, इसको जानकारी नहीं दी हैं।

मुंबई में 34 अग्निशमन केंद्र की हद में नामनिर्देशित अधिकारी को बिल्डिंग की जांच करने का अधिकार होते हुए फायर ऑडिट जैसी महत्वपूर्ण जानकारी अग्निशमन दल क्यों नहीं दे रहा हैं? यह सवाल करते हुए अनिल गलगली ने अग्निशमन दल की इस टालमटोल की शिकायत मनपा आयुक्त अजोय मेहता से की हैं।मुंबई में जब आग की घटना होती हैं तब अग्निशमन दल द्वारा फायर ऑडिट की ओर बरती लापरवाही भी उतनी ही जिम्मेदार होती है, यह साबित हो चुका हैं। फायर ऑडिट जैसी महत्वपूर्ण जानकारी ऑनलाईन की जाती हैं तो जो फायर ऑडिट करते ही नहीं, ऐसे लोगों को मजबूरी से लोकलज्जास्तव पहल कर उसे करना ही पड़ेगा, ऐसा मत अनिल गलगली का हैं।

फायर ऑडिटची माहिती सार्वजनिक करण्यास अग्निशमन दलाची टाळाटाळ मुंबईकरांच्या जीवावर बेतली

मुंबईत आगीच्या घटनेत वाढ होत असून मुंबई अग्निशमन दलातर्फे फायर ऑडिटकडे दुर्लक्ष होत आहे. यामुळेच आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबईतील फायर ऑडिट झालेल्या इमारतीची माहिती मागितली असता सरळ आणि स्पष्ट माहिती देण्यास अग्निशमन दलाने टाळाटाळ केली आहे. अनिल गलगली यांनी दिनांक 13 एप्रिल 2018 रोजी याबाबत केलेल्या तक्रारीला मुंबई अग्निशमन दलाने दुर्लक्ष केले. फायर ऑडिटची माहिती सार्वजनिक करणे काळाची गरज असल्याचे सांगत अनिल गलगली यांनी सवाल केला आहे की मुंबई अग्निशमन दल फायर ऑडिटची माहिती सार्वजनिक करण्यासाठी का कानाडोळा करत आहे? फायर ऑडिटची माहिती सार्वजनिक करण्यास अग्निशमन दलाची टाळाटाळ मुंबईकरांच्या जीवावर बेतली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई अग्निशमन दलाकडे मुंबई पालिकेच्या हद्दीत फायर ऑडिट अंतर्गत एकूण इमारतीची संख्या, इमारतीचा प्रकार, वॉर्डाचे नाव, एकूण फायर ऑडिट केलेल्या इमारतीची संख्या आणि फायर ऑडिट न झालेल्या इमारतीची संख्या याची माहिती दिनांक 1 जानेवारी 2018 रोजी माहिती मागितली होती. विभागीय अग्निशमन अधिकारी एस.डी.सावंत यांनी जाणीवपूर्वक माहिती देण्याचे टाळत कळविले की महाराष्ट्र अग्निप्रतिबंधक व जीवसरंक्षक उपाययोजना अधिनियम 2006 अन्वये इमारतींचे मालक/भोगवटादार/हौसिंग सोसायटी यांनी त्यांच्या इमारतीचे फायर ऑडिट परवाना धारक अग्निशमन यंत्रणा यांच्या मार्फत करुन घेणे व त्याचा अहवाल मुंबई अग्निशमन दलांच्या कार्यालयात पोच करणे किंवा बृहन्मुंबई महानगरपालिकेच्या संकेत स्थळावर अपलोड करणे आवश्यक आहे. पण किती अहवाल प्राप्त झाले आणि कितींनी ते अपलोड केले आहे,याची माहिती दिली नाही.
 

मुंबईतील 34 अग्निशमन केंद्राच्या हद्दीतील नामनिर्देशित अधिकारी यांना सर्व प्रकारच्या इमारतीचे तपासणी करण्याचे अधिकार देण्यात आले असून फायर ऑडिट सारखी महत्वाची माहिती अग्निशमन दल का देत नाही? असा सवाल करत अनिल गलगली यांनी अग्निशमन दलाच्या या टाळाटाळीची तक्रार पालिका आयुक्त अजोय मेहता यांस केली होती. मुंबईत जेव्हा आगीची घटना घडते तेव्हा अग्निशमन दलाने फायर ऑडिटकडे केलेले दुर्लक्ष सुद्धा तेवढेच कारणीभूत असल्याची बाब निर्दशनास आल्याचे नमूद करत फायर ऑडिट सारखी महत्वाची माहिती ऑनलाईन केल्यास जे फायर ऑडिट करत नाही, त्यांना नाईलाजाने लोकलज्जास्तव पुढाकार घेत करावी लागेल, असे गलगली यांनी सरतेशेवटी सांगितले. 

Mumbaikars burn as Fire brigade sits tight on not disclosing information related to Fire Audits

At a time when, Mumbai is witnessing rising incidents of fires in buildings, the Mumbai Fire Brigade which is entrusted with the responsibility of carrying out fire audits of buildings and high rise towers, seems to be shirking their responsibility. To ascertain the status of fire audits progress, RTI Activist Anil Galgali had filed an RTI application with the department, which is trying to ignore giving a proper response to the query. The Mumbai Fire brigade has not been disclosing the report on Fire Safety Audits inspite of complaint filed by RTI Activist Anil Galgali on 13th April 2018. The publication of the Fire Audit reports is most important termed Galgali. He questioned the purpose behind the non disclosure of the Fire Audit reports by the Fire brigade. The actions of the fire brigade is turning out to be life threatening for the Mumbaikars stated Galgali.

RTI Activist Anil Galgali had sought information from the Mumbai Fire Brigade, the total number of buildings, type of buildings, Ward wise data on buildings, Total number of buildings on which fire audits was done, and pending number of buildings for Fire Audit, within the Municipal limits of the MCGM on 1st January 2018. The Divisional Fire Officer, SD Sawant with intention to avoid providing complete information responded that, as per the Maharashtra Fire Prevention Life Safety Act 2006, it has become mandatory for the Owners, Occupier, or Housing Societies to get the fire audits conducted by the approved and licensed auditor of the MCGM and the report be submitting to the Fire Brigade or be uploaded on the website of the municipality corporation. But the Fire Brigade has no information as to how many reports have been submitted or uploaded on the website. 

In Mumbai the Nominated officer under the Act have been authorised in the 34 Fire Stations to carry out inspection of the buildings in their areas and limits, then it is surprising that they have no information on the progress of Fire Audit of buildings in their respective areas questioned Galgali. Galgali has complained the the Municipal Commissioner Ajoy Mehta about such delaying tactics adopted by the Fire Brigade. In case of any incidents of fires in buildings the the carelessness adopted by the Mumbai Fire Brigade is equally responsible as they are not serious in the most important task of enforcing and monitoring the Fire Audits. Also the names buildings and societies, not serious in getting themselves audited should be published on the website to shame and force them to act for benefits of the residents of the respective buildings stated Galgali.

Wednesday 12 December 2018

Demanding to Upload Income and Expense Statement on Website of Adani Electricity

Mumbai suburban esidents and consumers of Adani Power have  protested on road at Sakinaka against extra billing. A protest march was taken to the Sakinaka office of Adani Power. Adani Power to ensure transperancy in conduct of business by uploading the income expenses statement on website. 

Organized by Abbas Mirza President of Rashtriya Ekta Foundation the protest march saw participants sloganeering against Adani Power. The march began from Jari Mari to Sakinaka office of Adani Power. RTI Activist Anil Galgali stated that even though the government has initiated enquiry into Adani Power, citizens will not tolerate the high handedness of Adani Power and will ensure hard earned money of public is not looted by the company. If required the people will continue their protests. Anil Galgali further appealed to Gautam Adani owner of Adani Power to ensure transperancy in conduct of business by uploading the income expenses statement on website. Demands were made for individual meters to be installed for each consumer  and ensure monthly correct meter readings. Delegation including Abbas Mirza, Vikas Shelke, Dinesh Madhu Kunta, Prashant Baramati, Avdhut Wagh, Sikandar Sheikh, Babu Naik, Mani Nadar, Farque Khan, Pradeep Sigh, Anil Gole, Seema Khandekar, Vandana Mane, Shakila Banu Shaikh, Gudiya Pathak amongst other handed over a letter to comoany official Sampada Jain who assured prompt action in the matter.


अदानी वीज कंपनीने एकूण खर्च आणि एकूण नफा याचा ताळेबंद संकेतस्थळावर अपलोड करावा

मुंबई उपनगरातील वीज ग्राहक हा अदानी वीज कंपनीच्या वाढीव बिलाला वैतागला असून साकीनाक्यातील जनतेने अदानीच्या वाढीव बिलाविरोधात रस्त्यांवर उतरुन निषेध केला. अदानीच्या साकीनाका येथील वीज केंद्रावर धडक मोर्चाही काढला गेला. अदानी वीज कंपनीने आपले सर्व व्यवहार पारदर्शक करत एकूण खर्च आणि एकूण नफा याचा ताळेबंद संकेतस्थळावर अपलोड करावा,अशी मागणी करण्यात आली.

साकीनाका विभागातील जनतेने विजेच्या वाढीव बिलाविरोधात रस्त्यांवर उतरत आंदोलन केले. राष्ट्रीय एकता फाउंडेशनचे अध्यक्ष अब्बास मिर्जा यांनी आयोजित केलेल्या आंदोलनात जनतेने अदानी वीज कंपनीच्या विरोधात घोषणाबाजी केली. जरीमरी येथून निघालेला मोर्चा साकीनाका येथील अदानी वीज कंपनीच्या कार्यालय येथे समाप्त झाला. यावेळी माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी प्रतिपादन केले की जरी शासनाने अदानी वीज कंपनीच्या विरोधात चौकशी सुरु केली असली तरी ज्या पद्धतीने लूटमार सुरु आहे ती कदापि सहन केली जाणार नाही आणि जनतेचा कष्टाचा पैसा चुकीच्या पद्धतीने कोणी लुटण्याचा प्रयत्न करत असेल तर त्याविरोधात जनता आंदोलन करणारच. अनिल गलगली यांनी अदानी कंपनीचे मालक गौतम अदानी यांस आवाहन केले की अदानी वीज कंपनीने आपले सर्व व्यवहार पारदर्शक करत एकूण खर्च आणि एकूण नफा याचा ताळेबंद संकेतस्थळावर अपलोड केल्यास सर्वसामान्य जनतेला वस्तुस्थिती आणि सत्यपरिस्थिती ज्ञात होईल. प्रत्येकाला स्वतंत्र वीज मीटर आणि प्रत्येक महिन्याला अचूक रीडिंग करण्याची मागणी करण्यात आली. यावेळी अब्बास मिर्जा, विकास शेळके, दिनेश मधुकुंटा, प्रशांत बारामती, अवधूत वाघ, सिकंदर शेख, बाबू नाईक, मनी नाडर, फ़ारुख खान, प्रदीप सिंह, अनिल गोळे, सीमा खांडेकर, वंदना माने, शकीला बानू शेख, गुडिया पाठक आदी मान्यवर उपस्थित होते. अदानी कंपनीच्या अधिकारी संपदा जैन यांस विविध मागण्याचे निवेदन देण्यात आले ज्यावर लवकरात लवकर कार्यवाही करण्याचे आश्वासन देण्यात आले.

अदानी वीज कंपनी कुल खर्च और मुनाफा की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करे

मुंबई उपनगर के बिजली उपभोक्ता अब अदानी बिजली कंपनी के बढ़ते हुए बिल से त्रस्त हैं। इसके खिलाफ साकीनाका की जनता ने अदानी के बढ़ते हुए बिजली बिल के खिलाफ सड़क पर उतरकर आंदोलन किया। साकीनाका स्थित बिजली केंद्र पर मोर्चा भी निकाला गया। अदानी कंपनी के मालिक गौतम अदानी से अपील की गई कि अदानी वीज कंपनी ने अपना सभी व्यवहार पारदर्शक कर कुल खर्च और कुल मुनाफा की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करे।

साकीनाका विभाग की जनता ने बिजली के बढ़ते हुए बिल के खिलाफ सड़क पर उतरकर आंदोलन किया। राष्ट्रीय एकता फाउंडेशन के अध्यक्ष अब्बास मिर्जा द्वारा आयोजित आंदोलन में जनता ने अदानी बिजली कंपनी के खिलाफ नारेबाजी की।जरीमरी से निकला मोर्चा साकीनाका स्थित अदानी बिजली कंपनीच्या कार्यालय पर जाकर समाप्त हुआ। इस मौके पर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि भले ही सरकार ने अदानी बिजली कंपनी के खिलाफ में जांच शुरु की हैं लेकिन जिस तरीके से लूट हो रही हैं उसे कदापि सहन नहीं किया जाएगा। जनता की मेहनत की गाढ़ी कमाई कोई गलत तरीके से लूटता हो तो उसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा। अनिल गलगली ने अदानी कंपनी के मालिक गौतम अदानी से अपील कि अदानी वीज कंपनी ने अपना सभी व्यवहार पारदर्शक कर कुल खर्च और कुल मुनाफा की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करती हैं तो आम लोगों को वस्तुस्थिती और सत्य परिस्थिती ज्ञात होगी। हर एक को स्वतंत्र बिजली मीटर और हर महीने को परफेक्ट रीडिंग करने की मांग की गई। इस मौके पर अब्बास मिर्जा, विकास शेलके, दिनेश मधुकुंटा, अवधूत वाघ, सिकंदर शेख, बाबू नाईक, मनी नाडर, फ़ारुख खान, प्रदीप सिंह, अनिल गोले, सीमा खांडेकर, वंदना माने, शकीला बानू शेख, गुडिया पाठकआदी मान्यवर उपस्थित थे। अदानी कंपनी की अधिकारी संपदा जैन को विभिन्न मांगों का ज्ञापन दिया गया जिसपर जल्द से जल्द कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया।

Wednesday 5 December 2018

मुंबई महानगरपालिका के चुनाव में प्रति वोटर मनपा के खर्च हुए रु ७९.४६ 

मुंबई महानगरपालिका के चुनाव में प्रति वोटर  महानगरपालिका आम चुनाव- फरवरी २०१७ इस चुनाव में कुल खर्च रु ७२.९४ करोड़ हुए हैं वही प्रति वोटर पर मनपा के रु ७९.४६ इतना खर्च होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने दी हैं। दिली आहे. इसमें सबसे अधिक खर्च यह रु २४.६८ करोड़ वोटिंग साहित्य पर खर्च हुआ हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा प्रशासन से जानकारी मांगी थी कि मनपा का आम चुनाव- फरवरी २०१७ में कितनी रकम खर्च हुई थी। मनपा प्रशासन के जन सूचना अधिकारी और सहायक चुनाव एवं नगरशुल्क अधिकारी ने अनिल गलगली को राज्य चुनाव आयोग को पेश किए ३ दस्तावेजों की कॉपी दी। इन दस्तावेजों में चुनाव अधिकारी और कर्मचारियों का मानधन पर रु ८ करोड़ ६७ लाख ८५ हजार और ३२५ खर्च किया गया। इसमें २५ चुनाव निर्णय अधिकारी, २५ सहायक चुनाव निर्णय अधिकारी, ४३ चुनाव निरीक्षक और ४२०० चुनाव कार्यालय के कर्मचारियों के मानधन पर रकम खर्च हुई हैं। चुनाव अधिकारी और कर्मचारियों का पारिश्रमिक के तौर पर रु ६ करोड़ २४ लाख ६३ हजार ५५० इतनी रकम दी गई। इसमें ४८ चुनाव निर्णय अधिकारी, ५५० सहायक चुनाव निर्णय अधिकारी, ४१,९८० वोटिंग केंद्र पर तैनात कर्मचारी, वोट की गिनती करने के लिए २२३८ कर्मचारी, ९०६२ चुनाव कार्यालय में तैनात कर्मचारी, ४९ चुनाव निरीक्षक तथा ९१२६ पुलिस को पारिश्रमिक के तौर पर दिए गए। 

वोटिंग साहित्य पर रु २४ करोड़ ६८ लाख ५ हजार २३८ खर्च किया गया। इसमें वोटिंग केंद्र पर साहित्य पर रु ९ करोड़ ९९ लाख ३७ हजार और २७० खर्च हुआ हैं। पैंडल पर रु १३ करोड़ २४ लाख ४८ हजार और ४९२ रकम खर्च हुई हैं। ईवीएम और अन्य साहित्य की हमाली पर रु २७ लाख ३५ हजार और ७३७ खर्च किए गए। कंप्यूटर और अन्य साहित्य पर रु २९ लाख ६२ हजार और २३५ रकम खर्च हुई हैं। मार्कर पेन पर रु ८० खर्च किए गए।  गाड़ियों पर रु ६ करोड़ ५७ लाख ९७ हजार और २०३ इतनी रकम खर्च की गई हैं। प्रशिक्षण पर रु १५ लाख २ हजार ४८० खर्च हुए है। वोटिंग जनजागरण पर रु २ करोड़ ९२ लाख ५ हजार १२९ रकम खर्च की गई हैं। प्रभाग रचना पर रु ३६ लाख ३८ हजार, आचारसंहिता पर रु १५ करोड़ १० लाख ७८ हजार ६५३, कार्यालयीन खर्च रु ४ करोड़ ४९ लाख ९९ हजार ६५, वोटिंग चिठ्ठी पर रु ६१ लाख ७३ हजार ३६२,  चुनाव पर कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों को होनेवाली दुर्घटना या मौत पर रु २० लाख ६० रुपए और अन्य पर ८४ लाख ७९ हजार ६१० खर्च किए गए। वहीं महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को रु २ करोड़ ५ लाख ५८ हजार ७५४ दिए गए।

मनपा चुनाव में ९१ लाख ८० हजार ५५० मुंबईकरों ने हिस्सा लिया। प्रति मुंबईकर रु ७९.४६ रकम खर्च की गई हैं। अनिल गलगली के अनुसार रु ३.५४ करोड़ वोटिंग जनजागरण और चिठ्ठी वितरण पर खर्च किए गए थे जबकि समय पर अधिकांश वोटरों को उनके वोटिंग केंद्र की जानकारी नहीं मिल पाई थी। अगले चुनाव में एसएमएस पर वोटिंग बूथ की जानकारी देना अधिक बेहतर हो सकता हैं। ऐसा सुझाव गलगली ने दिया हैं।

मुंबई महानगरपालिकेच्या निवडणुकीत प्रति मतदार पालिकेने  खर्च केले रु ७९.४६ 

मुंबई महानगरपालिकेच्या सार्वत्रिक निवडणूक- फेब्रुवारी २०१७ च्या निवडणुकीत एकूण खर्च रु ७२.९४ कोटी करण्यात आले असून प्रति मतदारांवर पालिकेने रु ७९.४६ इतकी रक्कम खर्च केल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई महानगरपालिका प्रशासनाने दिली आहे. यात सर्वाधिक खर्च हा रु २४.६८ कोटी मतदानाच्या साहित्यांवर खर्च करण्यात आले आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पालिका प्रशासनाकडे माहिती मागितली होती की पालिकेच्या सार्वत्रिक निवडणूक- फेब्रुवारी २०१७ या निवडणुकीत किती रक्कम खर्च करण्यात आली आहे. पालिका प्रशासनाचे जन माहिती अधिकारी आणि सहाय्यक निवडणूक आणि नगरशुल्क अधिका-यांने अनिल गलगली यांस राज्य निवडणूक आयोगाला सादर केलेल्या ३ पानी अहवालाची प्रत दिली आहे. या अहवालात निवडणूक अधिकारी आणि कर्मचाऱ्यांना दिलेल्या मानधनावर रु ८ कोटी ६७ लाख ८५ हजार आणि ३२५ खर्च करण्यात आले आहे. यात २५ निवडणूक निर्णय अधिकारी, २५ सहाय्यक निवडणूक निर्णय अधिकारी, ४३ निवडणूक निरीक्षक आणि ४२०० निवडणूक कार्यालयाचा कर्मचाऱ्यांच्या मानधनावर रक्कम खर्च केली आहे. निवडणूक अधिकारी आणि कर्मचाऱ्यांना पारिश्रमिकावर रु ६ कोटी २४ लाख ६३ हजार ५५० इतनी रक्कम देण्यात आली आहे. यात ४८ निवडणूक निर्णय अधिकारी, ५५० सहाय्यक निवडणूक निर्णय अधिकारी, ४१,९८० मतदान केंद्रांवर कार्यरत कर्मचारी, मतमोजणीसाठी २२३८ कर्मचारी, ९०६२ निवडणूक कार्यालयात कार्यरत कर्मचारी, ४९ निवडणूक निरीक्षक आणि ९१२६ पोलिसांना पारिश्रमिक या नात्याने रक्कम देण्यात आली आहे.

मतदान साहित्यांवर रु २४ कोटी ६८ लाख ५ हजार २३८ खर्च करण्यात आले आहे. यात मतदान केंद्रावर साहित्यावर रु ९ कोटी ९९ लाख ३७ हजार आणि २७० खर्च करण्यात आले आहे. पंडाळवर रु १३ कोटी २४ लाख ४८ हजार आणि ४९२ रक्कम खर्च करण्यात आली आहे.ईव्हीएम आणि अन्य साहित्याच्या हमालीवर रु २७ लाख ३५ हजार आणि ७३७ खर्च करण्यात आले आहे. संगणक आणि अन्य साहित्यावर रु २९ लाख ६२ हजार आणि २३५ रक्कम खर्च करण्यात आली आहे. मार्कर पेनवर रु ८० खर्च करण्यात आले आहे. वाहनांवर रु ६ कोटी ५७ लाख ९७ हजार आणि २०३ इतकी रक्कम खर्च करण्यात आली आहे. प्रशिक्षणावर रु १५ लाख २ हजार ४८० खर्च झाले आहे. मतदान जागृतीवर रु २ कोटी ९२ लाख ५ हजार १२९ रक्कम खर्च करण्यात आली आहे. प्रभाग रचनासाठी रु ३६ लाख ३८ हजार, आचारसंहितासाठी रु १५ कोटी १० लाख ७८ हजार ६५३, कार्यालयीन खर्च रु ४ कोटी ४९ लाख ९९ हजार ६५, मतदान चिठ्ठीसाठी रु ६१ लाख ७३ हजार ३६२,  निवडणुकीत कार्यरत अधिकारी आणि कर्मचाऱ्यांना होणारे अपघात रु २० लाख ६० रुपये आणि अन्यवर ८४ लाख ७९ हजार ६१० खर्च करण्यात आले आहे. तसेच महाराष्ट्र राज्य निवडणूक आयोगाला रु २ कोटी ५ लाख ५८ हजार ७५४ दिले आहे.

पालिका निवडणुकीत ९१ लाख ८० हजार ५५० मुंबईकरांनी मतदान केले. प्रति मुंबईकर रु ७९.४६ रक्कम खर्च झाली आहे. अनिल गलगली यांच्या मते रु ३.५४ कोटी मतदान जागृती आणि चिठ्ठी वाटपावर खर्च करण्यात आले आहे. आगामी निवडणुकीत एसएमएस द्वारा मतदान केंद्रांची माहिती दिल्यास ते अधिक योग्य ठरेल.

MCGM incurs expense of Rs 79.46 per voter in the 2017 Municipal polls

Mumbai Municipal Corporation elections were held in February 2017 and it incurred expenses of Rs 72.94 crores for the conduct of the elections, which amounts to Rs 79.46 per voter, it has been revealed through a response provided to RTI Activist Anil Galgali. The maximum expense in a single head was Rs 24.68 crores on account of Electoral slips and printed metarials.

RTI Activist Anil Galgali had sought information from the Mumbai Municipal Corporation about the total expenses incurred on the Municipal elections held in Feb 2017. The Public Information Officer and Asst Election Officer provided Galgali with the copies of 3 documents filed with the State Election Commission. Account to details contained in the documents, Rs 8 crores 67 lakhs 85 thousand 325 was spent on payment of Honorarium to Officers conducting the elections like 25 Electoral Returning Officer, 25 Asst Electoral Returning Officer, 43 Election Inspector, and 4200 staff in election offices established for conducting the elections. An  Remuneration payment amounting to Rs 6 crores 24 Lakhs 63 thousand 550 was incurred  as expenses for 48 Electoral Returning Officer, 550 Asst Electoral Returning Officer, and 41980 staff Manning the Voting centres. Also 2238 staff for counting of votes, 9062 staff deployed in Election offices, 49 Election Inspectors and 9126 police personnel deployed for conduct of elections. 

Rs 24 crores 68 Lakhs 5 thousand 238 was spent on printing and distribution of election metarials like pamphlets, voting slips etc. This includes Rs 9 crores 99 Lakhs 37 thousand 270 spent on election printed metarials used in polling stations. RS 13 crores 24 Lakhs 48 thousand 492 was spent on Pandals. Rs 27 lakhs 35 thousand 737 was spent on transportation of EVM machines and other Electoral metarials. Rs 29 lakhs 62 thousand 235 was spent on Computers and other metarials. Rs 80 was spent on Marker pens. Rs 6 crores 57 lakhs 97 thousand 203 was spent on vehicles needed. Rs 15 lakhs 2 thousand 480 for training purposes. Rs 2 crores 92 lakhs 5 thousand 129 for creating public awareness on election participation. Rs 36 lakhs 38 thousand was reconstitution of ward boundaries. Enforcement of Code of conduct costed Rs 15 crores 10 lakhs 78 thousand 653. Rs 4 crores 49 lakhs 99; thousand 65 for Office expenses, Voting slips costed Rs 61 lakhs 73 thousand 362, An expense of Rs 20 lakhs was incurred due to compensation for any injuries or death occurred during duty. And other expenses of Rs 84 lakhs 79 thousand 610 was incurred. Rs 2 crores 5 lakhs 58 thousand 754 was paid to the State Election Commission.

A total of 91 lakhs 80 thousand 550 voters participated in the voting process, bringing the cost of Rs 79.46 per person. In a statement, Anil Galgali expressed that, Rs 3.54 crores was incurred on Voting publicity and distributing Voting slips and yet most of the voters couldn't receive details of their polling stations properly. Galgali stated that informing voters by SMS would be a better solution in future.


Thursday 29 November 2018

एक आरटीआई के बाद महाराष्ट्र विधानसभा का उपाध्यक्ष का रिक्त पद पर होगी नियुक्ति

महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद से आज तक महाराष्ट्र विधान सभा का उपाध्यक्ष पद रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र विधानमंडल सचिवालय ने दी थी। अनिल गलगली की एक आरटीआई के बाद सरकार नींद से जाग उठी और महाराष्ट्र विधानसभा का उपाध्यक्ष का रिक्त पद को न्याय मिल रहा हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र विधानमंडल सचिवालय से महाराष्ट्र विधानसभा का उपाध्यक्ष पद को लेकर जानकारी मांगी थी। महाराष्ट्र विधानमंडल सचिवालय के जन सूचना अधिकारी और अवर सचिव सुभाष नलावडे ने अनिल गलगली को बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा के अक्टूबर 2014 के चुनाव के बाद बारहवीं विधानसभा 8 अक्टूबर 2014 को विसर्जित की गई और तेरहवीं विधानसभा 21 अक्टूबर 2014 से अस्तित्व में आई तबसे तेरहवीं विधानसभा का उपाध्यक्ष पद रिक्त हैं। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 178 के तहत हर एक राज्य की विधानसभा जितना होगा उतना जल्द, विधानसभा के 2 सदस्यों को क्रमशः अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तौर पर चुनेगी या अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद रिक्त होगा तब तब , विधानसभा अन्य सदस्य को अध्यक्ष या यथास्थिति, उपाध्यक्ष चुनेगी। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 180 के तहत अध्यक्ष का पद रिक्त होने की स्थिती में पद की जिम्मेदारी और अधिकार को निभाने का दायित्व उपाध्यक्ष की होती हैं।

वर्ष 1937 से वर्ष 2014 तक 22 सदस्य उपाध्यक्ष चुने गए थे।  मुंबई विधानसभा के उपाध्यक्ष पर नारायणराव गुरु जोशी, शनमुगप्पा अंगदी, शिवलिंगाप्पा कंठी उपाध्यक्ष थे। 1956 से 1960 के दौरान द्विभाषिक मुंबई राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष पद पर शेषराव वानखेडे और दिनदयाल गुप्ता थे। 1960 से लेकर 2014 तक उपाध्यक्ष पद पर दिनदयाल गुप्ता, कृष्णराव गिरमे, रामकृष्ण बेत, सय्यद फारुक पाशा, शिवराज पाटील, गजानन राव गरुड, सूर्यकांत डोंगरे, शंकरराव जगताप, कमलकिशोर कदम, डॉ पद्मसिंह पाटील, बबनराव ढाकने, अण्णा जोशी,मोरेश्वर टेमुर्डे, शरद तसरे, प्रमोद शेंडे, मधुकरराव चव्हाण, प्रा. वसंत पुरके चुने गए थे। 

अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार और विधानमंडल का आभार मानते हुए आरटीआई कानून की जीत बताई।

एका आरटीआयनंतर महाराष्ट्र विधानसभेचे रिक्त असलेले रिक्त पद भरणार

माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या आरटीआय नंतर सरकारला जाग आली आणि सदर विधानसभेचे उपाध्यक्ष रिक्त असलेले पद भरले जाणार आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र विधानमंडळ सचिवालयाकडे महाराष्ट्र विधानसभा उपाध्यक्ष पदाबाबत माहिती मागितली होती. महाराष्ट्र विधानमंडळ सचिवालयाचे जन माहिती अधिकारी आणि अवर सचिव सुभाष नलावडे यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की महाराष्ट्र विधानसभेच्या माहे ऑक्टोबर, 2014 मधील सार्वत्रिक निवडणूकीनंतर बारावी विधानसभा दिनांक 8 नोव्हेंबर 2014 रोजी विसर्जित करण्यात आली आणि तेरावी विधानसभा दिनांक 21 ऑक्टोबर 2014 पासून अस्तित्वात आली तेव्हापासून तेराव्या विधानसभेतील उपाध्यक्ष पद रिक्त आहे.तसेच उपाध्यक्षांच्या बाबतीत भारतीय संविधानातील  अनुच्छेद 178 अंतर्गत प्रत्येक राज्याची विधानसभा, शक्य होईल तितक्या लवकर, विधानसभेच्या दोन सदस्यांना अनुक्रमे आपला अध्यक्ष व उपाध्यक्ष म्हणून निवडील आणि अध्यक्षांचे किंवा उपाध्याक्षांचे पद रिक्त होईल तेव्हा तेव्हा, विधानसभा अन्य सदस्यास अध्यक्ष किंवा यथास्थिति, उपाध्यक्ष म्हणून निवडील. भारतीय संविधानातील अनुच्छेद 180 अंतर्गत अध्यक्षांचे पद रिक्त असताना, त्या पदाची कर्तव्ये उपाध्यक्षाला पार पाडावी लागतील.

वर्ष 1937 पासून वर्ष 2014 पर्यंत 22 सदस्य उपाध्यक्ष निवडले गेले.मुंबई विधानसभा उपाध्यक्ष पदावर नारायणराव गुरु जोशी, शनमुगप्पा अंगदी, शिवलिंगाप्पा कंठी निवडले गेले होते. 1956 पासून 1960 या दरम्यान द्विभाषिक मुंबई राज्य विधानसभा उपाध्यक्ष पदी शेषराव वानखेडे आणि दिनदयाळ गुप्ता निवडले गेले होते.  1960 पासून 2014 पर्यंत उपाध्यक्ष पदावर दिनदयाळ गुप्ता, कृष्णराव गिरमे, रामकृष्ण बेत, सय्यद फारुक पाशा, शिवराज पाटील, गजानन राव गरुड, सूर्यकांत डोंगरे, शंकरराव जगताप, कमलकिशोर कदम, डॉ पद्मसिंह पाटील, बबनराव ढाकने, अण्णा जोशी,मोरेश्वर टेमुर्डे, शरद तसरे, प्रमोद शेंडे, मधुकरराव चव्हाण, प्रा. वसंत पुरके निवडले गेले होते.

अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र शासन आणि विधिमंडळाचे आभार मानत हा आरटीआय कायद्याचा विजय असल्याचे सांगितले. 




Maharashtra Assembly's Dy Speaker's post to be filled after RTI expose

The post of Deputy Speaker of Maharashtra State Legislative Assembly has not been filled for 28 months now. The post has been vacant since present BJP Government came to power in Maharashtra in October 2014. It's revels in a query filed by RTI Activist Anil Galgali. Appointment to this post with constitutional powers and responsibilities has never been kept in abeyance ever since Legislative Assembly was formed in 1937, It was revealed. After an expose due to an RTI query filed by Anil Galgali, the government has woken from slumber and has decided to fill up the post of Dy Speaker lying vacant from a long time




RTI Activist Anil Galgali sought details about this unprecedented Constitutional vacancy from 'Maharashtra State Legislative Secretariat' . Public Information Officer and Under Secretary of State Legislative Secretariat Subhash Nalawade revealed that the preceeding 12th Maharashtra State Assembly was dissolved on completion of its term on 8th November 2014 & 13th Assembly came in to being on 21st October 2014. Maharashtra State Legislative Assembly does not have Deputy Speaker since that day. Article 178 of Constitution of India says that every Assembly should appoint two of its members as Speaker and Deputy Speaker as soon as possible. Article 180 of the Constitution proclaims that Deputy Speaker will take over duties and responsibilities of the speaker in his absence. 


Since 1937, a total of 22 persons have been elected as Deputy Speaker of Maharashtra Assembly. Narayan Guru Joshi, Shanmugappa Angadi and Shivlingappa Kanthi were the early Deputy Speakers to Bombay State Assembly. From 1956 to 1960 Sheshrao  Wankhede and Deendayal Gupta shouldered this responsibility in Bi-Lingual State of Bombay. After formation of State of Maharashtra- Deendayal Gupta, Krishnarao Girme, Ramkrishna Bet, Syed Farooq Pasha, Shivraj Patil, Gajananrao Garud, Suryakant Dongre, Shankarrao Jagtap, Kamalkishore Kadam, Padmasingh Patil, Babbanrao Dhakne, Anna, Joshi, Moreshwar Tembhurde, Sharad Tasre, Pramod Shende, Madhukarrao Chavan and Prof Vasant Purke have held post of Deputy Speakers till 2014.

Wednesday 28 November 2018

मुंबई में रोजाना ३ नागरिकों को होता हैं डेंगू

मुंबई महानगरपालिका अंतर्गत रोजाना ३ नागरिकों को डेंगू होता हैं वहीं ३७ नागरिक संदेहास्पद डेंगू महानगरपालिका के अस्पताल में भर्ती होते हैं। गत ३५ महीने ने ३८ मुंबईकरों को डेंगू से मौत होने की जानकारी सूचना का अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई महानगरपालिका ने दी हैं।

सूचना अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली ने गत ३ वर्षों में मुंबई महानगरपालिका कार्यक्षेत्र में डेंगू से प्रभावित मरीजों की जानकारी मांगी थी। मुंबई महानगरपालिका के सार्वज5 स्वास्थ्य विभाग ने अनिल गलगली को वर्ष २०१६, वर्ष २०१७, ११ नवंबर २०१८ इन ३५ महीनों की जानकारी दी। डेंगू के निश्चित मरीज और मौत हुए नागरिकों के आंकड़े दिए हैं। इसमें निश्चित डेंगू के मरीज वर्ष २०१६ में ११८०, वर्ष २०१७ में ११३४ वही १ जनवरी २०१८ से ११ नवंबर २०१८ तक ९४५  इतने थे वहीं वर्ष २०१६ में ०७ , वर्ष २०१७ में १७ और ११ नवंबर २०१८ तक १४ इतने मरीजों की मौत डेंगू से हुई।संदेहास्पद मरीजों की संख्या वर्ष २०१६ में १३२१३ , वर्ष २०१७ में १२९१३ वही इस वर्ष के ११ नवंबर २०१८ तक १३१३८ इतनी हैं।

कुल मिलाकर रोजाना ३ निश्चित और ३७ संदेहास्पद डेंगू के मरीज महानगरपालिका के अस्पताल में भर्ती हुए। गत ३५ महीने में ३८ मुंबईकरों की मौत डेंगू से हुई।  हर महीने को औसतन १ मरीज की मौत डेंगू से होती हैं। अनिल गलगली के अनुसार जिस तरह से सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग को जनजागरण करना चाहिए वह जनजागरण सही तरीके से नहीं होने से आम लोगों को डेंगू को लेकर सही एवं स्पष्ट जानकारी नहीं हैं।

मुंबईत प्रतिदिन ३ नागरिकांना डेंग्यूची लागण 

मुंबई महानगरपालिका अंतर्गत प्रतिदिन ३ नागरिकांना डेंग्यूची लागण होत आहे तर ३७ संशयित डेंग्यूचे महानगरपालिकेच्या रुग्णालयात दाखल होत आहेत. गेल्या ३५ महिन्यात ३८ मुंबईकरांचा डेंग्यूने मृत्यु झाल्याची माहिती माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई महानगरपालिकेने दिली आहे.

माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी गेल्या ३ वर्षात मुंबई महानगरपालिका कार्यक्षेत्रात डेंग्यूच्या रुग्णाची माहिती मागितली होती. मुंबई महानगरपालिका सार्वजनिक आरोग्य खात्याने अनिल गलगली यांस वर्ष २०१६, वर्ष २०१७, ११ नोव्हेंबर २०१८ या ३५ महिन्यांची माहिती दिली. डेंग्यूचे निश्चित रुग्ण आणि मृत्युमुखी पडलेल्या नागरिकांची आकडेवारी दिली. यात निश्चित डेंग्यूचे रुग्ण वर्ष २०१६ मध्ये ११८०, वर्ष २०१७ मध्ये ११३४ तर १ जानेवारी २०१८ पासून ११ नोव्हेंबर २०१८ पर्यंत ९४५  इतके होते तर वर्ष २०१६ मध्ये ०७ , वर्ष २०१७ मध्ये १७ आणि ११ नोव्हेंबर २०१८ पर्यंत १४ इतके रुग्ण डेंग्यूने मृत्यूमुखी पडले. संशयीत रुग्णाची संख्या वर्ष २०१६ मध्ये १३२१३ , वर्ष २०१७ मध्ये १२९१३ तर यावर्षीच्या ११ नोव्हेंबर २०१८ पर्यंत १३१३८ इतकी आहे.

एकंदरीत प्रतिदिन ३ निश्चित आणि ३७ संशयित डेंग्यूचे महानगरपालिकेच्या रुग्णालयात दाखल होत आहेत. गेल्या ३५ महिन्यात ३८ मुंबईकरांचा डेंग्यूने मृत्यु झाला असून प्रत्येक महिन्याला सरासरी १ रुग्ण डेंग्यूने मृत्यु पावतो. अनिल गलगली यांच्या मते ज्या पध्दतीने सार्वजनिक आरोग्य खात्याने जनजागृती करणे आवश्यक आहे ती योग्य पध्दतीने होत नसल्यामुळे सामान्य नागरिकांना डेंग्यूच्या बाबतीत सरळ व स्पष्ट माहिती नाही. 


Dengue afflicts average 3 Mumbaikars daily

Within the jurisdiction of the Mumbai Municipal Corporation atleast 3 cases of confirmed dengue patients are reported each day and 37 cases of suspected dengue are reported daily as per the averages and information provided by the MCGM to RTI Activist Anil Galgali.

RTI Activist Anil Galgali had sought information about the details of patients afflicted by Dengue in the past 3 years. The MCGM's Public health department provided Galgali with information pertaining to years 2016, 2017 and upto 11th November 2018 a period spanning 35 months. It also provided the information about the confirmed dengue cases and those who died due the dengue. The details of confirmed dengue cases in year 2016 was 1180, in 2017 was 1134 and from 1st January 2018 to 11th November 2018 was 945. Out of which the casualties in 2016 was 7, in 2017 was 17 and in 2018 upto 11th November 2018 was 14. The cases of suspected dengue reported for the period of 2016 was 13213, 2017 was 12913 and 2018 upto 11th November was 13138.

As per the details it can be understood that, averagely daily 3 cases of confirmed dengue is being reported whereas 37 cases of suspected dengue are being recorded. In the past 35 months a total of 37 Mumbaikars fell casualty due to dengue making it average of 1 death per month. In a statement issued Anil Galgali has said that, a sustained awareness campaign which should have been conducted by the public health department of the MCGM is not being done leading to citizens being unaware of complete information related to causes of the disease.

Monday 26 November 2018

आरटीआई कानून की धार को कमजोर कर रही हैं सरकार- शैलेश गांधी

आरटीआई कानून यह देश के आम लोगों को प्राप्त हुआ उनके अधिकारों का कानून होते हुए भी आज बड़े पैमाने पर इस कानून की धार को कमजोर करने का प्रयास सरकारी स्तर पर हो रहा हैं, ऐसा आरोप करते हुए भूतपूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने कहा कि आम जनता यही इस लोकतंत्र के सही मायने में राजा और रानी हैं। इस अधिवेशन में कर्मठ अधिकारी तुकाराम मुंढे और हाल ही में रिटायर्ड केंद्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर अचर्यालु का अभिनंदन प्रस्ताव अनिल गलगली ने रखा जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी मिली।

मुंबई के प्रभादेवी विभाग में भूपेश गुप्ता भवन में आरटीआई एक्टिविस्ट फोरम के द्वितीय अधिवेशन का शैलेश गांधी ने किया। इस मौके पर वरिष्ठ विचारवंत शिवाजी राऊत, समाजसेविका अंजली दमानिया, सूचना अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली, सुलेमान भिमाणी, सुधीर पराजंपे, कमलाकर शेणाय उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ विचारवंत शिवाजी राऊत ने कहा कि विभिन्न विषयों पर सूक्ष्म विवेचन अधिवेशन में हुआ हैं। अब इसके अमलीजामा और क्रियान्वयन पर जोर देते हुए पूरे देश में इसका जनजागरण करने की जरुरत हैं। शैलेश गांधी ने सरकार की प्रामाणिकता पर संदेह व्यक्त किया हैं। अंजली दमानिया ने आरटीआई कानून के इस्तेमाल की जानकारी देते हुए कहा कि सूचना मिलते ही संबंधित विभाग के पास शिकायत करने की जरुरत हैं। साथ ही जमीन खरीदी की जानकारी सरलता से प्राप्त करने के लिए किन किन वेबसाइट पर उसे तलाशने के लिए मौजूदा विकप्प की जानकारी दी। अनिल गलगली ने आरटीआई के अलावा सरकारी कामों में देरी का कानून पर प्रकाश डालते हुए अपील की लोग मौखिक के बजाय लिखित शिकायत करने पर अधिक जोर दे ताकि अधिकारियों को उसकी आदत होगी और उसने कार्रवाई नहीं की तो सरकारी कामों में देरी का कानून जा इस्तेमाल आसानी से किया जा सकता हैं। . 

बैंकिंग विशेषज्ञ विश्वास उटगी ने बैंकिंग क्षेत्र में होनेवाली लूट और सरकार की दोहरी भूमिका की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि सिर्फ मुंबई में नहीं बल्कि महाराष्ट्र राज्य के जिला स्तर पर जाकर लोगों को वर्तमान माहौल समझाने की जरुरत हैं। मुंबई के पूर्व सहायक पुलिस आयुक्त विलास तुपे ने एन्टी करप्शन ब्यूरो के काम करने के दौरान मामलों की जानकारी देते हुए ऐसे मामलो में नागरिकों की मदद पर प्रबोधन किया।  सुलेमान भिमाणी ने एसएआर के तहत समस्याओं का निराकरण कैसे हो सकता हैं? उसपर बातें रखी। कमलाकर शेनॉय ने किस तरीक़े से एफआईआर दर्ज की जा सकती हैं उसकी जानकारी उदाहरणों से पेश की। सुधीर पराजंपे ने शिक्षा का अधिकार के तहत आर्थिक के तौर पर कमजोर लोगों को प्रवेश प्राप्त करने के लिए प्रक्रिया की जानकारी दी। फोरम के अध्यक्ष सुधाकर काश्यप ने अब तक फोरम का कामकाज और भविष्य में आनेवाली चुनौतियों पर बातें रखी। कार्यक्रम का सूत्रसंचालन एनडी खान ने किया वहीं प्रि. रमेश खानविलकर ने आभार माना। इस मौके पर स्वाती पाटील, संतोष सावर्डेकर, एड आम्रपाली मगरे, अनुप मधये, सुरेश लोखंडे, आयुब शेख, राजी सरोदे, सुफियान पेनकर, सतीश निकाळजे, चंद्रकांत कांबले, राजन पवार, गणेश उंडाले, संतोष पवार, आनंद इंगराजू मोरे, गणेश कांबले, राजेश मोरे, मुरलीधर परदेशी, योगेश कांबले आदी उपस्थित थे।

आरटीआई एक्टिविस्ट फोरम के दूसरे अधिवेशन में कर्मठ अधिकारी तुकाराम मुंढे और हाल में रिटायर्ड हुए केंद्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर अचर्यालु का अभिनंदन प्रस्ताव आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने रखा। गलगली के प्रस्ताव को सभागार में उपस्थितजनों ने तालियों की गूंज में मंजूरी दी।

माहिती अधिकार कायदाची धार बोथट करत आहे सरकार - शैलेश गांधी

माहितीचा अधिकार कायदा हा देशातील सर्वसामान्यांना मिळालेला हक्काचा कायदा असला तरी आज मोठया प्रमाणात कायद्याची धार बोथट करण्याचा प्रयत्न सरकारी पातळीवर सुरु आहे, असा आरोप करत माजी केंद्रीय माहिती आयुक्त शैलेश गांधी यांनी प्रतिपादन केले की सर्वसामान्य जनता हेच लोकशाहीतील खरे राजा आणि राणी आहेत. या अधिवेशनात कर्तव्यदक्ष अधिकारी तुकाराम मुंढे आणि नुकतेच सेवानिवृत्त झालेल्या केंद्रीय माहिती आयुक्त श्रीधर आचर्यलू यांचा अभिनंदन ठराव अनिल गलगली यांनी मांडला.

मुंबईतील प्रभादेवी विभागातील भूपेश गुप्ता भवन येथे आरटीआय ऍक्टिव्हिस्ट फोरमच्या दुस-या अधिवेशनात शैलेश गांधी यांनी अधिवेशनाचे उदघाटन केले. यावेळीज्येष्ठ विचारवंत शिवाजी राऊत, समाजसेविका अंजली दमानिया, माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली, सुलेमान भिमाणी, सुधीर पराजंपे, कमलाकर शेणाय उपस्थित होते. कार्यक्रमाचे अध्यक्ष ज्येष्ठ विचारवंत शिवाजी राऊत यांनी प्रतिपादन केले की विविध विषयांवर सूक्ष्म विवेचन अधिवेशनात झाले असून आता अंमलबजावणी आणि आग्रहावर भर देत संपूर्ण देशात याबाबत जनजागृती करण्याची आवश्यकता सांगितली.  शैलेश गांधी यांनी सरकारच्या प्रामाणिकेतेवर शंका व्यक्त केली. अंजली दमानिया यांनी माहितीचा अधिकार कायद्याच्या वापराबाबत माहिती देताना सांगितले की माहिती प्राप्त झाल्यानंतर संबंधित खात्याकडे तक्रार करणे आवश्यक आहे. तसेच जमीन खरेदी बाबत माहिती सहजपणे मिळवण्यासाठी कोणकोणत्या संकेतस्थळावर त्या माहितीचा शोध घेण्यासाठी सद्यस्थितीला उपलब्ध असलेल्या पर्यायाची माहिती दिली.अनिल गलगली यांनी माहिती अधिकार कायदासोबत विलंबाच्या कायद्यावर प्रकाश टाकत आव्हान केले की नागरिकांनी तोंडी ऐवजी लेखी तक्रार करण्यावर भर दयावा जेणेकरुन अधिकारी वर्गास त्याची सवय होईल आणि कार्यवाही नाही केली तर विलंबाच्या कायदाचा वापर केला जाऊ शकतो. 

बँकिंग तज्ञ विश्वास उटगी यांनी बँकिंग क्षेत्रातील लूट आणि सरकारची दुटप्पी भूमिकेवर विस्तृत माहिती देत फक्त मुंबईत नव्हे तर महाराष्ट्र राज्यातील जिल्हा स्तरावर जात नागरिकांना सद्यस्थितीची जाणीव करुन देण्याची गरज असल्याचे सांगितले. माजी सहायक पोलीस आयुक्त विलास तुपे यांनी भ्रष्टाचार विरोधी ब्युरोत असताना केलेल्या केसेसची माहिती देत नागरिकांची अश्या प्रकरणात लागणारे सहकार्य बाबत प्रबोधन केले. सुलेमान भिमाणी यांनी एसआरए अंतर्गत तक्रार आणि समस्येवर निराकरण कसे होऊ शकते? यावर प्रकाश टाकला. कमलाकर शेनॉय यांनी कश्या पद्धतीने फौजदारी गुन्हा दाखल केला जाऊ शकते त्याची उदाहरणे दिली. सुधीर पराजंपे यांनी शिक्षणाचा अधिकार आणि आर्थिकदृष्ट्या सक्षम नसलेल्या नागरिकांना प्रवेश मिळण्याबाबत युक्त्या सांगितल्या. प्रास्तविक करताना फोरमचे अध्यक्ष सुधाकर काश्यप यांनी आतापर्यंतची फोरमची वाटचाल आणि भविष्यातील आव्हाने यावर भाष्य केले. कार्यक्रमाचे सूत्रसंचालन एनडी खान यांनी केले तर आभार प्रि. रमेश खानविलकर यांनी मानले. यावेळी स्वाती पाटील, संतोष सावर्डेकर, एड आम्रपाली मगरे, अनुप मधये, सुरेश लोखंडे, आयुब शेख, राजी सरोदे, सुफियान पेनकर, सतीश निकाळजे, चंद्रकांत कांबळे, राजन पवार, गणेश उंडाले, संतोष पवार, आनंद इंगळे, राजू मोरे, गणेश कांबळे, राजेश मोरे, मुरलीधर परदेशी, योगेश कांबळे आदी उपस्थित होते.

आरटीआय ऍक्टिव्हिस्ट फोरमच्या दुसऱ्या अधिवेशनात कर्तव्यदक्ष अधिकारी तुकाराम मुंढे आणि नुकतेच सेवानिवृत्त झालेल्या केंद्रीय माहिती आयुक्त श्रीधर आचर्यलू यांचा अभिनंदन ठराव माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मांडला. गलगली यांच्या ठरावाला सभागृहात उपस्थितजणांनी टाळयांच्या ध्वनीत संमती दर्शविली.

Government diluting provisions of the RTI act, Blame Shailesh Gandhi

Even though the RTI act is a useful tool beneficial to common man, attempts are being made by the government to dilute it's provision. Ita blame by Ex Central Information Commissioner Shailesh Gandhi. Gandhi further stated that in a real democracy, the real King and Queen is the common man and woman. A resolution to Congratulate Mr. Tukaram Munde and recently retired Central  Information Commissioner Mr. Sridhar Acharyalu was put forth by  RTI Activist Anil Galgali at the recently concluded conference.

The second annual conference of the RTI activist forum was inaugurated by Shailesh Gandhi at Bhupesh Gupta Bhavan, Prabhadevi. Present on the Occasion were Senior Social Activist Shivaji Raut, Social activist Anjali Damania, RTI Activist Anil Galgali, Suleman Buimani, Sudhir Paranjape and Kamlakar Shenoy.

Presiding over the function, Shivaji Raut stated that detalied deliberations on various aspects have taken place now is the need to create Nationwide awareness in general public with insistence on the implementation of the provisions of the RTI act. Shailesh Gandhi also raised the question about the sincerity of the government. Anjali Damania stressed upon the need to follow up upon the information obtained under RTI and also give information on how to obtain land records and various websites where such information is made available. Anil Galgali provided information with regards to the provision under Delay in Service Act 2005. Galgali  emphasized the need to make written complaints so that authorities can get used to provide timely response. In case of delays Galgali urged the applicants to invoke provisions under delaying the information.

Banking expert Vishwas Utgi highlighted the looting of banks and double standards of the government in this regard he also stressed to create awareness at district level amongst the civil society. Former Assistant Police Commissioner Vilas Tupe recounted the various anti corruption cases that he dealt with and informed the participants about the process to get help with corruption related matters. Suleman Bhimani spoke on the Slum Rehabilitation Scheme related grievances and their resolution process. Kamlakar Shenoy provided information as to how a formal police complaint can be registered. Sudhir Paranjape spoke on the Right to Education and provisions for the economically weaker sections and means to obtain benefits thereunder.
While introduction Sudhakar Kashyap, president of the forum briefed the audience about the work done by the forum since inception and the challenges of the future. N D Khan compered the program and vote of thanks was proposed by Principal Ramesh Khanvilkar. 

During the meet Anil Galgali proposed resolution Congratulating dedicated civil servant Mr Tukaram Munde and recently superannuated Central Chief Information Commissioner Mr. Sridhar Acharyalu, the proposal met with a thunderous applause from the audience.

Wednesday 21 November 2018

एकनाथ खडसे और गावित का बकाया किराया ५९ लाख फडणवीस सरकार ने किया माफ

एकनाथ खडसे और गावित का बकाया किराया ५९ लाख फडणवीस सरकार ने किया माफ

एकओर राज्य के खजाने में पैसों की कमी से राज्य कर्जबाजारी हो रहा हैं। ऐसी स्थिती में फडणवीस सरकार ने पार्टी के २ दिग्गज नेताओं का बकाया किराया के पूरे ५९ लाख माफ करने की जानकारी सामने आई हैं। सूचना अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी हुई जानकारी में एकनाथ खडसे का १५.४९ लाख वहीं डॉ विजयकुमार गावित का ४३.८४ लाख माफ करने का आदेश फडणवीस सरकार ने सार्वजनिक निर्माण विभाग को दिए हैं।

सूचना अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सार्वजनिक निर्माण विभाग से पूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे और पूर्व मंत्री डॉ विजयकुमार गावित का बकाया किराया रकम की जानकारी मांगी थी। सार्वजनिक निर्माण विभाग के इलाखा शहर यूनिट ने अनिल गलगली को महाराष्ट्र सरकार द्वारा किराया की रकम माफ करने को लेकर जारी आदेश की कॉपी दी हैं। महाराष्ट्र सरकार ने भाजपा के इन दोनों वरिष्ठ विधायकों पर मेहरबानी करते हुए किराया की रकम माफ करने का अनुरोध मान्य करते हुए इसे "विशेष मामला" अंतर्गत ५९ लाख रुपए माफ किया और सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी करते हुए उसतरह की सूचना सार्वजनिक निर्माण विभाग को दी हैं।
 
सरकारी निवासस्थान रामटेक बंगले में निवास करने पर बकाया किराया की रु १५,४९,९७४ इतनी रकम एकनाथ खडसे ने अदा नहीं की। सरकारी बंगला मंत्री पद पर बने रहने तक वितरित किया गया था। खडसे ने मंत्री पद से दिनांक ४ जून २०१६ को इस्तीफा दिया जबकि बंगला दिनांक १९ नवंबर २०१६ को रिक्त करते हुए सरकार को सौंपा। किराया माफ करने का अनुरोध करने पर २६ मार्च २०१८ को खडसे का अनुरोध विशेष मामला के तौर पर सरकार ने मान्य किया। वहीं आघाडी सरकार के वक्त मंत्री रहे डॉ विजयकुमार गावित ने ३३३० चौरस फुट की 'सुरुचि' सदनिका रिक्त नहीं की थी।  गावित ने २० मार्च २०१४ को मंत्री पद से इस्तीफा दिया और दिनांक २९ जुलाई २०१६ को सदनिका रिक्त की। उनके पर ४३ लाख ८४ हजार ५०० इतनी रकम गावित ने अदा नहीं की। किराया माफ करने का अनुरोध दिनांक २९ जुलाई २०१८ को करने के बाद २२ अक्टूबर २०१८ को गावित का अनुरोध विशेष मामला के तौर पर सरकार ने मान्य की हैं।

अनिल गलगली ने इसतरह लाखों रुपए का किराया माफ करने पर आश्चर्य व्यक्त किया। पैसों की कमी होते हुए लाखों रुपए का किराया माफ करना गलत हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में अनिल गलगली ने विशेष मामला के तौर पर माफ किया हुआ किराया ब्याज सहित वसूल करने की मांग की हैं।

एकनाथ खडसे आणि गावितांचे निवासस्थान भाडे ५९ लाख रुपये फडणवीस सरकारने केले माफ

एकीकडे राज्याच्या तिजोरीत पैश्यांची चणचण भासत असून राज्य कर्जबाजारी झाले असताना फडणवीस सरकारने आपल्या पक्षातील दोन मातब्बर अश्या नेत्यांचे चक्क ५९ लाख रुपये माफ केल्याची माहिती समोर आली आहे. माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिलेल्या माहितीनुसार एकनाथ खडसे यांचे १५.४९ लाख तर डॉ विजयकुमार गावितांचे ४३.८४ लाख माफ केले असून तसे आदेसग सार्वजनिक बांधकाम खात्यास दिले आहेत.


माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी सार्वजनिक बांधकाम खात्याकडे माजी महसूल मंत्री एकनाथ खडसे आणि माजी मंत्री डॉ विजयकुमार गावित यांस आकारलेल्या दंडाची रक्कम बाबत माहिती विचारली होती. सार्वजनिक बांधकाम खात्याच्या इलाखा शहर विभागाने अनिल गलगली यांस महाराष्ट्र शासनाने दंडाची रक्कम माफ करण्याबाबत जारी केलेल्या आदेशाची प्रत दिली. महाराष्ट्र शासनाने भाजपाच्या या दोन्हीही ज्येष्ठ आमदारांनी दंडात्मक रक्कम माफ करण्याची विनंती मान्य करत "विशेष बाब" अंतर्गत ५९ लाख रुपये माफ केले आणि याबाबतीत सामान्य प्रशासन विभागाने आदेश जारी करत तश्या सूचना सार्वजनिक बांधकाम खात्यास दिल्यात.


शासकीय निवासस्थान रामटेक बंगला वास्तव्यापोटी थकित भाडे रु १५,४९,९७४ इतकी रक्कम एकनाथ खडसे यांनी भरली नाही. शासकीय बंगला मंत्री पदावर असेपर्यंत वाटप करण्यात आला होता. खडसे यांनी मंत्री पदाचा राजीनामा दिनांक ४ जून २०१६ रोजी दिला आणि बंगला दिनांक १९ नोव्हेंबर २०१६ रोजी रिक्त करत शासनाच्या ताब्यात दिला. भाडे माफ करण्याची विनंती केल्यानंतर २६ मार्च २०१८ रोजी खडसे यांची विनंती विशेष बाब म्हणून शासनाने मान्य केली आहे. तर आघाडी सरकारच्या काळातील मंत्री डॉ विजयकुमार गावित यांनी ३३३० चौरस फुटाची 'सुरुचि'  सदनिका रिक्त केली नाही. गावित यांनी २० मार्च २०१४ रोजी मंत्री पदांचा राजीनामा दिला आणि दिनांक २९ जुलै २०१६ रोजी सदनिका रिक्त केली. त्यांच्यावर ४३ लाख ८४ हजार ५०० इतकी रक्कम गावित यांनी भरली नाही.भाडे माफ करण्याची विनंती दिनांक २९ जुलै २०१८ रोजी केल्यानंतर २२ ऑक्टोबर २०१८ रोजी गावित यांचे विनंती विशेष बाब म्हणून शासनाने मान्य केली आहे.

अनिल गलगली यांनी अश्याप्रकारे लाखों रुपयांचे भाडे माफ केल्याबद्दल आश्चर्य व्यक्त केले असून एकीकडे राज्य सरकारच्या तिजोरीत पैश्यांची चणचण असताना लाखों रुपयांचे भाडे माफ करणे चुकीचे आहे. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांसकडे पत्र पाठवित विशेष बाब म्हणून माफ केलेले भाडे व्याजासह वसूल करण्याची मागणी केली आहे.


Fadnavis govt waives Rent of Rs 59 lakhs recoverable from Eknath Khadse and Dr Vijaykumar Gavit

At the time when the state coffers are cash strapped and govt has huge burden of loans to be paid, the Devendra Fadnavis govt is showing largesse to its two prominent leaders by waiving Rs 59 lakhs recoverable from them by the government and has come to knowledge due to an response to an RTI query. In response to the RTI query filed by RTI Activist Anil Galgali, Rent amounting to Rs 15.49 Lakhs due on Eknath Khadse and Rd 43.84 Lakhs due on Dr Vijay Kumar Gavit was waived on an order issued to the PWD department.

RTI Activist Anil Galgali had sought information from the PWD department about the penalty dues status of Former Revenue Minister Eknath Khadse and Former Minister Dr Vijayakumar Gavit. The City division of the PWD in a response to the query provided Galgali with the copy of the order issued by the government waiving the recoverable of penalty levied on the 2 leaders. The State Government waived the penalty amounting to Rs 60 lakhs payable by the two top BJP leaders as a 'special case' and the General Administration department issued orders to the effect to the PWD department.

Eknath Khadse was levied a penalty amounting to Rs 15,49,974/- for overstaying in the Ramtek bungalow beyond his allowed period post his resignation as Revenue Minister. Khadse had resigned as Minister on 4th June 2016 but vacated the bungalow on 19th November 2016. Khadse applied to the government seeking waiver of penalty on 26th March 2018 which was considered as a ' Special Case' . Similarly Dr Vijayakumar Gavit who was a Minister in the DF government had been allotted a flat admeasuring 3330 sq ft in the Suruchi building during his stint as minister, which was not vacated by him after ceasing to be a Minister. Gavit had resigned as Minister on 20th March 2014 but had continued to occupy the flat, which he eventually vacated on 29th July 2016. He was liable to pay a penal rent of Rs 43,84, 500/-, which he didn't pay. Finally he applied for a waiver form paying the charge vide an application dt 29th July 2018 and the same again was considered as a ' Special Case' on 22nd October 2018. 

Anil Galgali has expressed surprise over the largesse of waiver penalty granted by the government to the 2 BJP leaders and stated disappointment as the state coffers are empty and yet the government is waiving lakhs of rupees . In a letter addressed to CM Devendra Fadnavis, Galgali has demanded that the said dues waived as a 'Special Case' should be immediately recovered with interest.

Friday 16 November 2018

मुंबई डीपी प्लान तैयार करने पर १३.५९ करोड़ हुए खर्च

 बड़े लंबे इंतजार के बाद बनाई गई मुंबई शहर की डीपी (२०३४) को तैयार करने के लिए मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने अबतक १३.५९ करोड़ रुपए खर्च करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी हैं। इनमें सिर्फ विशेष कार्य अधिकारी रमानाथ झा के वेतन पर ४६.५५ लाख खर्च हुए हैं वहीं सूचना एवं आपत्ति जताने के लिए आयोजित सुनवाई के लिए 3 रिटायर्ड अफ़सरों पर 20 लाख खर्च हुए हैं।


मुंबई मनपा आयुक्त सीताराम कुंटे इनके समय में बनाया गया डीपी प्लान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कैंसल किया था। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई की डीपी यानी डेवलपमेंट प्लान (२०३४) की तैयारी को लेकर मनपा प्रशासन किए हुए खर्च की जानकारी मांगी थी। मुंबई महानगरपालिका प्रशासन के विकास नियोजन विभाग ने अनिल गलगली को जानकारी दी कि मुंबई की डीपी (२०३४) की पुर्नरचना के लिए अबतक १३ करोड़ ५९ लाख और ५६ हजार खर्च हुए हुए हैं। फरवरी २०१५ में प्रकाशित किए प्रारुप डेवलपमेंट प्लान (२०३४) पर ५ करोड़ ६० लाख ५ हजार खर्च हुए जिसमें २५ फरवरी २०१५ को प्रकाशित प्लान के काम के लिए नियुक्त सलाहकार मेसर्स इजिस जियोप्लान को ३.४२ करोड़ अदा किए। एमबी ग्राफिक्स और प्रिंटमोअर को ९६ लाख, मेसर्स एडीसीसी को १ करोड़ १३ लाख, वीके पाठक सलाहकार और इन्फॉरमल कमिटी सदस्यों को ७ लाख ९० हजार तथा मेसर्स विदर्भ इन्फोटेक को २०१५ में स्वीकार सूचना और आपत्ति डेटा एंट्री काम के लिए १६ लाख अदा किए हैं।


संशोधित प्रारुप डेवलपमेंट प्लान २०१५  में कुल १.९१ करोड़ खर्च किए गए हैं। विशेष कार्य अधिकारी रमानाथ झा को मई २०१५ से मई २०१६ इस कार्यकाल में वेतन पर १६.५५ लाख खर्च हुए और उनके लिए खरीदा गया नया कंप्यूटर पर ४६ हजार खर्च किया गया। कंसल्टेट फॉर डीसीआर टीम के कांजलकर को ३ लाख ७० हजार और इंफॉर्मल कमिटी सदस्यों को २ लाख दिए गए। मेसर्स अखिल भारतीय स्थानिक स्वराज्य संस्था द्वारा उपलब्ध कराए गए विभिन्न प्रकार के मनुष्यबल के लिए ३ करोड़ ३५ लाख ५५ हजार अदा किया हैं। बैटरी बैकअप के लिए मेसर्स एनएम सिस्टम को २९ हजार अदा किया गया हैं।


२७ मई २०१६ को प्रकाशित संशोधित प्रारुप डेवलपमेंट प्लान २०१४-२०३४ में ६ करोड़ ८ लाख ६ हजार खर्च हुए हैं। इसमें विशेष कार्य अधिकारी रमानाथ झा को जून २०१६ सितंबर २०१८ इस कार्यकाल में वेतन के तौर ओर ४० लाख अदा किए हैं। डीपी प्लान के अंतर्गत प्राप्त सूचना और आक्षेप पर आयोजित सुनवाई के लिए गठित कमिटी के ३ सदस्यों पर १९ लाख ९९ हजार ख़र्च किया गया हैं। इनमें गौतम चटर्जी, सुरेश सुर्वे और सुधीर घाटे का शुमार था। डीपी प्लान के विज्ञापन पर १४.८३ लाख खर्च हुए हैं वहीं भोजन पर २ लाख ८३ हजार खर्च हुए हैं। इसमें ३१ जुलाई २०१७ को मनपा की मंजूरी के लिए नगरसेवकों पर सिर्फ भोजन पर १ लाख ६५ हजार खर्च हुए हैं। मनपा की वेबसाइट पर डीपी प्लान को अपलोड करने के लिए लाइसेंस खरीदने के लिए मेसर्स आर्क जीआयएस सर्वर एंडहांस इंटरप्राइजेस को १ करोड़ २६ लाख अदा किए हैं। संशोधित डीपी २०३४ का नक्शा प्रिंटिंग के लिए ४६ लाख ९ हजार मेसर्स जयंत प्रिंटरी एलएलपी को अदा किया हैं। प्रारुप डेवलपमेंट प्लान २०३४ के तहत ताबड़तोड़ काम पर १० लाख ५७ हजार खर्च किए गए हैं।


अनिल गलगली के अनुसार यह रकम अधिक ख़र्चीली हैं। अगर पहला डीपी प्लान ठीक ढंग से बनाया जाता तो आम लोगों के टैक्स का पैसा बच जाता था।

मुंबईचा प्रारुप विकास आराखडा तयार करण्यासाठी १३.५९ कोटींचा खर्च

बहुप्रतिक्षित असा मुंबईचा प्रारुप विकास आराखडा (२०३४) तयार करण्यासाठी मुंबई महानगरपालिका प्रशासनाने आजमितीपर्यंत १३.५९ कोटी रुपये खर्च केल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिली आहे. यात फक्त विशेष कार्य अधिकारी असलेल्या रमानाथ झा यांच्या वेतनावर  ४६.५५ लाख खर्च झाले आहेत तर सूचना व हरकती सुनावणीसाठी आयोजित सुनावणीसाठी नेमलेल्या 3 माजी सेवानिवृत्त अधिका-यांच्या मानधन आणि सुविधावर २० लाख खर्च करण्यात आले आहे.

मुंबईचे आयुक्त सिताराम कुंटे यांच्या कारकिर्दीत तयार केलेला मुंबईचा प्रारुप विकास आराखडा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी रद्दबातल केला होता. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबईचा प्रारुप विकास आराखडा म्हणजे डीपी (२०३४) तयार करण्यासाठी मुंबई महानगरपालिका प्रशासनाला आलेल्या एकूण खर्चाची माहिती मागितली होती. मुंबई महानगरपालिका प्रशासनाने पालिकेच्या विकास नियोजन खात्याने अनिल गलगली यांस माहिती दिली की मुंबईचा प्रारुप विकास आराखडा (२०३४) पुर्नरचनेसाठी आजमितीपर्यंत १३ कोटी ५९ लाख आणि ५६ हजार खर्च करण्यात आले आहे. फेब्रुवारी २०१५ रोजी प्रकाशित केलेल्या मुंबईचा प्रारुप विकास आराखडयावर (२०३४) ५ कोटी ६० लाख ५ हजार खर्च केले आहे ज्यात २५ फेब्रुवारी २०१५ रोजी प्रकाशित आराखडयाच्या कामासाठी नेमलेले सल्लागार मेसर्स इजिस जियोप्लानला ३.४२ कोटी अदा केले आहे. एमबी ग्राफिक्स आणि प्रिंटमोअर या कंपनीला ९६ लाख, मेसर्स एडीसीसीला १ कोटी १३ लाख, वीके पाठक सल्लागार आणि इन्फॉरमल समितीच्या सदस्यांना ७ लाख ९० हजार आणि मेसर्स विदर्भ इन्फोटेकला २०१५ मध्ये स्वीकारलेल्या सूचना आणि हरकतीच्या अनुषंगाने डेटा एंट्री कामासाठी १६ लाख  अदा केले आहे.

सुधारित मुंबईचा प्रारुप विकास आराखडा २०१५ मध्ये एकूण १.९१ कोटी खर्च केले गेले आहे. विशेष कार्य अधिकारी रमानाथ झा यांच्या मे २०१५ पासून मे २०१६ या कालावधीत वेतनावर १६.५५ लाख खर्च झाले आहे आणि त्यांच्यासाठी खरेदी केलेल्या संगणकावर ४६ हजार खर्च केले आहे. कंसल्टेट फॉर डीसीआर टीमचे कांजलकर यांस ३ लाख ७० हजार आणि इंफॉर्मल समितीच्या सदस्यांना २ लाख दिले आहे. मेसर्स अखिल भारतीय स्थानिक स्वराज्य संस्था तर्फे उपलब्ध केलेल्या विविध प्रकारच्या  मनुष्यबळासाठी ३ कोटी ३५ लाख ५५ हजार अदा केले आहे. बैटरी बैकअपसाठी मेसर्स एनएम सिस्टमला २९ हजार अदा केले आहे.

२७ मे २०१६ राजी प्रकाशित सुधारित मुंबईचा प्रारुप विकास आराखडा २०१४-२०३४ मध्ये ६ कोटी ८ लाख ६ हजार खर्च करण्यात आले आहे. यात विशेष कार्य अधिकारी असलेले रमानाथ झा यांस जून २०१६ पासून सप्टेंबर २०१८ या कालावधीत वेतन रुपाने ४० लाख अदा केले आहे. मुंबईचा प्रारुप विकास आराखडा अंतर्गत प्राप्त सूचना आणि हरकतीवर आयोजित सुनावणीसाठी नेमलेल्या समितीच्या ३ सदस्यांवर १९ लाख ९९ हजार ख़र्च करण्यात आले असून यात सर्वश्री गौतम चटर्जी, सुरेश सुर्वे आणि सुधीर घाटे यांचा समावेश आहे. मुंबईचा प्रारुप विकास आराखडा अंतर्गत जाहिरातींवर १४.८३ लाख खर्च करण्यात आले आहे तर जेवणावर २ लाख ८३ हजार खर्च करण्यात आले आहे. यात ३१ जुलै २०१७ रोजी महापालिकेच्या मंजूरीच्या अनुषंगाने महापालिका सदस्यांना भोजन व्यवस्थेवर १ लाख ६५ हजार खर्च करण्यात आले आहे.

 मुंबई महानगरपालिकेच्या संकेतस्थळावर मुंबईचा प्रारुप विकास आराखडा २०१४-२०३४ प्रदर्शित करण्यासाठी परवाना खरेदी करण्यासाठी मेसर्स आर्क जीआयएस सर्वर एंडहांस इंटरप्राइजेस या कंपनीला १ कोटी २६ लाख अदा करण्यात आले आहे. सुधारित मुंबईचा प्रारुप विकास आराखडा २०१४-२०३४ याचा नकाशा प्रिंटिंग करण्यासाठी ४६ लाख ९ हजार मेसर्स जयंत प्रिंटरी एलएलपी या कंपनीला अदा करण्यात आले आहे. मुंबईचा प्रारुप विकास आराखडा २०१४-२०३४ च्या अनुषंगाने तातडीच्या कामासाठी १० लाख ५७ हजार खर्च करण्यात आले आहे.

अनिल गलगली यांनी या खर्चास भरगच्च सांगत टीका केली की  पहिला मुंबईचा प्रारुप विकास आराखडा २०१४-२०३४ व्यवस्थित तयार केला गेला असता तर टॅक्सच्या रक्कमेतून उभारली जाणारी इतकी प्रचंड रक्कम खर्च झाली नसती.


Bmc spent 13.59 cr to prepare Mumbai's Revised DP plan

An RTI has found that Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC) had to spent Rs 13.59 crore on various heads to come up with the revised Development Plan 2034, after the first plan presented in February 2015. 

The development plan prepared under the municipal commissioner Sitaram Kunte had drawn severe criticism from all the quarters and the chief minister Devendra Fadnavis had ordered civic body to come with new and revised development plan, by objections and suggestions from the public. 

The final footprint of this much awaited and debated revised plan was approved by the state government in this week only. 


According to the RTI, filed by RTI activist Anil Galgali has found that Rs 46.55 lakhs was paid to Ramanath Jha as remuneration who was appointed as the Officer on Special Duty (OSD) to come up with revised PD.

Information provided by the administrative officer of the Development Plan also says that it had to spend Rs 1.26 crore as the expense of uploading the draft development plan at BMC's website, while it had to spend Rs 46 lakhs for the printing of plan. 


Ex-IAS officer Gautam Chaterjee, Ex- chief engineer Sudhir Ghate and former deputy director (planning) were paid around Rs 20 lakhs for holding hearings, finalising objections and suggestions from the public. 

While Rs 3.35 crore was paid to Akhil Bhartiya Sthanik Swaraj Sanstha for hiring technical experts, planner and manpower," finds the reply. 

It also finds that BMC to spend Rs 10 lakh as contingency during the course of entire revision of planning. 

Terming this expenditure as "lavish" Galgali said that had the first plan been drafted well, then this huge money belonging to common tax payers.

Wednesday 14 November 2018

21 महीने से 17 प्रभाग कमिटी नामनिर्देशित सदस्य के बिना

मुंबई महानगरपालिका और 227 नगरसेवकों को 17 प्रभाग कमिटी पर प्रति प्रभाग 3 के हिसाब से नामनिर्देशित किए जानेवाले सदस्य शायद नहीं चाहिए। इसलिए गत 21 महीने से 17 प्रभाग कमिटी नामनिर्देशित सदस्य के बिना होने की जानकारी महानगरपालिका सचिव विभाग ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दी हैं

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महानगरपालिका सचिव कार्यालय से मुंबई की प्रभाग कमिटी पर नामनिर्देशित सदस्यों की नियुक्ति की जानकारी मांगी थी।महानगरपालिका सच्ची5 कार्यालय के उप महानगरपालिका सचिव अब्दुल लतीफ काझी ने अनिल गलगली को बताया की 8 मार्च 2017 से अबतक सर्व 17 प्रभाग कमिटी पर नामनिर्देशित सदस्यों की आजतक नियुक्तियां नहीं हुई हैं। यह नियुक्ति के लिए महानगरपालिका सचिव विभाग विज्ञापन देकर प्रक्रिया का आरंभ करते हैं।

भारत की राज्य घटना ने स्थानिक स्वराज्य संस्था के प्रशासन को लोकापयोगी करने के लिए मुंबई महानगरपालिका अधिनियम, 1888 में संलग्नित धारा  50टट इस नई धारा में सुधार कर सत्ता का विकेंद्रीकरण किया। उसी के मद्देनजर मुंबई महानगरपालिका के इलाके में 17 प्रभाग कमिटी गठित की गई। प्रत्येक प्रभाग कमिटी में प्रभाग से चुनकर आए नगरसेवकों का समावेश होता हैं। प्रभाग कमिटी क्षेत्र में सामाजिक कल्याण कार्यक्रम में सक्रिय प्रतिष्ठीत बिगर शासकीय संस्था और सामाजिक संस्था के तीन से कम इतने सदस्य नगरसेवको द्वारा नामनिर्देशित करते हैं।

नगरसेवकों के कामकाज पर यह नामनिर्देशित सदस्य अंकुश रखकर गलत कामों को विरोध करेंगे और भ्रष्टाचार मामले में रोड़ा बनेंगे, इस डर से  इसके पहले चुनाव में पराजित पदाधिकारी और पंटरों को पिछले दरवाजे से प्रवेश भी दिलवाया था। 17 प्रभाग कमिटी पर  3 के हिसाब से 51 गैर राजनीतिक संस्था और सामाजिक संस्थाओं को काम करने का मौका मिल सकता था लेकिन मुंबई महानगरपालिका और ख़ासकर महानगरपालिका सचिव विभाग ने बरती नजरअंदाजी से अच्छा मौका गंवाने की टिप्पणी अनिल गलगली ने की हैं। नामनिर्देशित सदस्य नियुक्ति के मामले में महानगरपालिका आयुक्त ने ध्यान देते हुए भारतीय राज्य घटना का सम्मान करने की ज़रूरत बताते हुए अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर नियुक्ति के मामले में जो भी अधिकारी जिम्मेदार होंगे उनपर कार्रवाई करने की मांग की हैं।

21 महिन्यांपासून 17 प्रभाग समित्या नामनिर्देशित सदस्यविना!

मुंबई महानगरपालिका आणि 227 नगरसेवकांना 17 प्रभाग समित्यांवर प्रत्येकी 3 प्रमाणे नामनिर्देशित केले जाणारे सदस्य नकोसे झाले आहेत. त्यामुळेच गेल्या 21 महिन्यांपासून 17 प्रभाग समित्या नामनिर्देशित सदस्यविना असल्याची माहिती महानगरपालिका चिटणीस विभागाने आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महानगरपालिका चिटणीस कार्यालयाकडे मुंबईतील प्रभाग समितीवर नामनिर्देशित सदस्यांची नेमणूक बाबत विविध माहिती मागितली होती. महानगरपालिका चिटणीस कार्यालयातील उप महानगरपालिका चिटणीस अब्दुल लतीफ काझी यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की 8 मार्च 2017 पासून सर्व 17 प्रभाग समित्यांमध्ये नामनिर्देशित सदस्यांची आजमितीपर्यंत नेमणूका करण्यात आली नाही. सदर नेमणूकीसाठी महानगरपालिका चिटणीस विभाग जाहिरात देत नेमणूक प्रक्रियेला प्रारंभ करतो.

भारताच्या घटनेने स्थानिक स्वराज्य संस्थांचे प्रशासन लोकापयोगी करण्याकरिता मुंबई महानगरपालिका अधिनियम, 1888 मध्ये संलग्नित असलेल्या कलम 50टट या नवीन कलमामध्ये सुधारणा करुन सत्तेचे विकेंद्रीकरण करण्यात आले. त्या अनुषंगाने मुंबई महानगरपालिकेच्या क्षेत्रामध्ये 17 प्रभाग समित्या तयार करण्यात आल्या. प्रत्येक प्रभाग समितीत प्रभागातून निवडून आलेल्या नगरसेवकांचा समावेश असतो. प्रभाग समिती क्षेत्रामधील सामाजिक कल्याण कार्यक्रमामध्ये व्यस्त असलेल्या प्रतिष्ठीत बिगर शासकीय संस्था आणि सामाजिक संस्थांचे तीनाहून कमी इतके सदस्य नगरसेवकांमार्फत नामनिर्देशित केली जातात.

नगरसेवकांच्या कामकाजावर हे नामनिर्देशित सदस्य अंकुश ठेवत चुकीच्या कामांस विरोध करतील तसेच भ्रष्टाचार प्रकरणात नाकीनऊ आणतील ही सुद्धा भीती असल्यामुळे यापूर्वी निवडणूक हरलेले पदाधिकारी आणि बगलबच्यांना मागील दारातून प्रवेश देण्याचे कृत्य ही करण्यात आले होते.  17 प्रभाग समित्यांवर प्रत्येकी 3 प्रमाणे 51 बिगर शासकीय संस्था आणि सामाजिक संस्थांच्या काम करण्याची संधी मिळाली असती पण मुंबई महानगरपालिका आणि विशेषतः महानगरपालिका चिटणीस विभागाने केलेल्या दुर्लक्षामुळे चांगली संधी हुकवली गेल्याची टीका अनिल गलगली यांनी केली आहे. नामनिर्देशित सदस्य नेमणूक प्रकरणात महानगरपालिका आयुक्तांनी लक्ष घालत भारतीय घटनेचा सम्मान करण्याची गरज असल्याचे सांगत अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पत्र पाठवित नेमणूक बाबतीत जे अधिकारी दोषी असतील त्यांसवर कार्यवाही करण्याची मागणी केली आहे.