Monday 30 March 2015

नगरसेवकों के प्रस्ताव को मनपा आयुक्त ने दिखाया अंगूठा

आम नागरिकों को मनपा प्रशासन में पत्राचार करने के बाद मनपा द्वारा उसका निकारण कर कारवाई करने का कुछ अच्छा अनुभव आता नही है ये असलियत ध्यान में रखकर जनप्रतिनिधी के पास जाने की मजबूरी जनता पर आन पड़ती है। लेकिन जनप्रतिनिधी की स्थिति भी कुछ ख़ास न होने की चौकानेवाली जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मिली जानकारी से सामने आयी हैं। महानगरपालिका और उसकी समिती की सभा नगरसेवकों ने पटल पर रखे हुए पुरे 243 प्रस्ताव मनपा आयुक्त ने दिखाए हुए अंगूठे से आज तक प्रलंबित है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा आयुक्त कार्यालय की प्रशासकीय अधिकारी से नगरसेवकों ने उपस्थित किए हुए विभिन्न प्रस्ताव की जानकारी मांगने पर गलगली का आवेदन मनपा सचिव विभाग के पास हस्तांतरित किया। मनपा सचिव विभाग की मनपा उप सचिव और जन सूचना अधिकारी शोभना येरंडेकर ने अनिल गलगली को मनपा की जनवरी ( 2015 ) महिने की कार्यक्रमपत्रिका की सह पत्र की प्रत दी। मनपा सचिव द्वारा  दिनांक 30 सितंबर 2014 तक 243 प्रस्ताव की लिस्ट दी गई है। मनपा आयुक्त द्वारा 31 दिसंबर 2014 तक की रिपोर्ट पेश न करने आरोप मनपा सचिव द्वारा लगाया गया है। इन प्रस्तावों में मुंबई के हितों के प्रस्ताव होते गए मनपा आयुक्त द्वारा उसे तवज्जों न देने पर नाराजगी जताते हुए अनिल गलगली ने इसकी शिकायत मुख्य मंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास की है। अनिल गलगली ने मुंबई सहित राज्य के सभी मनपा आयुक्तों को ऐसे प्रस्तावों का निपटान 30 दिनों में करने का आदेश देने की मांग की है।

7 अप्रैल 2003 से 14 अगस्त 2014 तक 243 विभिन्न प्रस्ताव आयुक्त स्तर पर प्रलंबित है जिसमें सचिन तेंडूलकर का मनपा द्वारा भव्य नागरी सत्कार, मुंबई शहर के मुख्य स्थान पर  कै. नाना शंकर शेठ का भव्य स्मारक बनाना, मनपा की अतिरिक्त महाविद्यालय शुरु करना, आतंकवादी हमला और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपत्ति में विकलांगता आए हुए पीड़ितों को गाला वितरित करना और मनपा की सेवा में समाहित करना, मराठी रंगभूमि भवन का निर्माण करना, खुले भूभाग पर वन उद्यान विकसित करना, मुंबई के विकास में विशेष योगदान देने वाले लोगों को मुंबई रत्न व मुंबई भूषण पुरस्कार देना, बारिश के पूर्व पानी की किल्लत से बचने के लिए नए निर्माण की अनुमति देने पर , रिंग वेल बनाना, शहीदों का स्मारक स्तुतिरुप जानकारी सहित बनाना , झोपडियों न्यूनतम 18 फूट इतनी ऊंचाई बढ़ाने की अनुमति देना, फ्लावरबेड की मरम्मत करना, ऑक्ट्राय एजंट को दिए हुए लाइसेंस रद्द कर चुंगी वसुली का काम मनपा अधिकारी-कर्मचारी को देना, फूटपाथ से अतिक्रमण हटाकर विदेश में निर्मित हुए फुटपाथ की तर्ज पर फुटपाथ बनाना, नगरसेवक निधी से निर्मित वास्तु के लिए नाममात्र किराया निश्चित करना, मनपा के संकेतस्थल पर जानकारी तप्तरता से अपडेट करने के लिए स्वतंत्र कक्ष का गठन करना आदि का समावेश हैं

ऐसे विभिन्न और लोकप्रयोगी प्रस्तावों का आयुक्त ने जिम्मेदारी से अनुपालन किया तो मुंबई का नूर बदलना आसान होता था, ऐसी सरल मांग कर अनिल गलगली ने आयुक्त की इसतरह की नकारात्मकता मुंबईकरों के हित के मद्देनजर योग्य न होने की टिप्पणी की है।

नगरसेवकांच्या ठरावांनाच पालिका आयुक्तांचा ठेंगा

सामान्य नागरिकांना पालिका प्रशासनात पत्रव्यवहार केल्यानंतर पालिकातर्फे त्यावर तोडगा काढत कारवाईचा फारसा चांगला अनुभव येत नाही ही वस्तुस्थिति लक्षात घेता लोकप्रतिनिधीकडे जाण्याची पाळी नागरिकांवर येते। परंतु लोकप्रतिनिधीची अवस्था सुद्धा फारसी समाधानकारक नसल्याची धक्कादायक माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मिळालेल्या माहितीतून समोर आली आहे. महानगरपालिका आणि तिच्या समितीच्या सभेमध्ये नगरसेवकांनी मांडलेले तब्बल 243 ठराव पालिका आयुक्तांनी दाखविलेल्या ठेंग्यामुळे आजपावेतो प्रलंबित आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पालिका आयुक्त कार्यालयातील प्रशासकीय अधिकारी यांस कडे नगरसेवकांनी मांडलेल्या विविध ठरावांची माहिती मागितली असता गलगली यांचा अर्ज पालिका चिटणीस खात्याकडे पाठविण्यात आला. पालिका चिटणीस खात्यातील पालिका उप चिटणीस आणि जन माहिती अधिकारी शोभना येरंडेकर यांनी अनिल गलगली यांस पालिकेच्या जानेवारी ( 2015 ) महिन्याच्या कार्यक्रमपत्रिकेचे सहपत्राची प्रत दिली. पालिका चिटणीसांकडून दिनांक 30 सप्टेंबर 2014 पर्यत 243 ठरावांची यादी देण्यात आली आहे. पालिका आयुक्तांकडून 31 डिसेंबर 2014 पर्यन्त असे अहवाल सादर करण्यात न आल्याचा ठपका पालिका चिटणीस खात्यातर्फे ठेवण्यात  आला आहे. या ठरावांमध्ये मुंबईच्या हिताचे ठराव सुद्धा असताना आयुक्तांकडून त्यास ठेंगा दाखविण्यात आले असल्याची खंत अनिल गलगली यांनी व्यक्त करत याबाबतीत मुख्य मंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस कडे तक्रार करत मुंबई सहित राज्यातील सर्व पालिका आयुक्तांना असे ठराव 30 दिवसात निकाली काढण्याचे आदेश देण्याची मागणी केली आहे.

7 एप्रिल 2003 पासून 14 ऑगस्ट 2014 पर्यंत 243 विविध ठराव आयुक्त स्तरावर प्रलंबित आहेत त्यामध्ये सचिन तेंडूलकर यांचे पालिकेतर्फे भव्य नागरी सत्कार, मुंबई शहराच्या मोक्याच्या ठिकाणी कै. नाना शंकर शेठ यांचे भव्य स्मारक उभारणे, पालिकेची अतिरिक्त महाविद्यालये सुरु करणे, दहशतवादी हल्ला आणि भूकंप सारख्या नैसगिर्क आपत्ति कायमस्वरुपी अपंगत्व आलेल्याना गाळयांचे वाटप करावे तथा पालिकेच्या सेवेमध्ये सामावून घेणे, मराठी रंगभूमि भवन उभारणे, मोकळया भुभागवर वन उद्याने विकसित करणे, मुंबईच्या विकासास विशेष योगदान देणा-या व्यक्तीना मुंबई रत्न व मुंबई भूषण पुरस्कार देणे,पावसाळयापूर्वी पाण्याचा तुटवडा टाळण्यासाठी नवीन बांधकामाकरिता परवानगी देण्यावर मर्यादा घालणे, रिंग वेल बांधणे, हुताम्याचे स्मारक स्तुतिरुप माहितीसह उभारणे, झोपडयांना किमान 18 फूट इतकी उंची वाढविण्यास परवानगी देणे, फ्लावरबेडची दुरुस्ती करणे, ऑक्ट्राय एजंटना दिलेले परवाना रद्द करत जकात वसुलीचे काम पालिका अधिकारी-कर्मचारी यांस देणे, पदपथांवरील अतिक्रमणे हटवून परदेशात बांधण्यात आलेल्या पदपथांच्या धर्तीवर पदपथ बांधणे, नगरसेवक निधीतून बांधण्यात आलेल्या वास्तुकरिता नाममात्र भाडे आकारणे, पालिकेच्या संकेतस्थलावरील माहिती तप्तरतेने अद्यावयत करण्यासाठी स्वतंत्र कक्ष स्थापन करणे आदिचा समावेश आहे.

असे विविध आणि लोकप्रयोगी ठरावांना आयुक्तांनी जबाबदारीने अनुपालन केले तर मुंबईचा चेहरा मोहरा बदलला जाऊ शकतो, अशी माफक मागणी करत अनिल गलगली यांनी आयुक्तांची अशी नकारात्मकता मुंबईकरांच्या हिताच्या दृष्टीने योग्य नसल्याची टीका केली.

Resolutions approved by Municipal Councillors receive a thumbs down from Municipal Commissioner

The apathy of the MCGM towards the general public is a common knowledge, forcing the public to approach its elected representative to get a voice for its problems. But it has now come to light that the condition of the Peoples representatives are also far from satisfaction, through a reply to a query filed by RTI Activist Anil Galgali, almost 243 resolutions adopted by the Municipal Corporation and its Committees have received a Royal ignore from the Municipal Commissioner and are pending for cognizance and action.

RTI Activist Anil Galgali had sought a list of pending resolutions moved by the Councillors from the Administrative Officer of the Municipal Commissioners Office. This query was transferred to the Municipal Secretary Office by the MC Office. The Dy Municipal Secretary & The Public Information Officer of the Municipal Secretary department, Smt Shobhana Yerandkar, in a reply to the query forwarded the copy of the Municipal Corporations Monthly Program list along-with its annexures for the month of January 2015. They also provided a list of pending 243 resolutions upto 30th September 2014. The Municipal Secretary department has also questioned the Municipal Commissioner why such a report was not generated before 31st December 2014. Amongst these resolutions were some of very useful resolutions for the benefit of Mumbai, which has been stone walled by the Commissioner. Expressing regrets about the actions of the Commissioner, Anil Galgali has written a letter to the CM Devendra Fadnavis demanding directions to all Municipal Commissioners including Mumbai to take actions and implement resolutions within 30 days of approval.

The 243 Various resolutions pending from 7 April 2003 upto 14 August 2014 include resolution to felicitate Sachin Tendulkar on behalf of the MCGM in a grand felicitation program, Raising a memorial from Late Nana Shankar Shet on a prominent location, Starting additional Colleges of Municipal Corporation, Rehabilitating those handicapped in the terrorist attack or Earth quake by allotting shops in municipal markets or by giving them suitable jobs in MCGM, Erecting a Marathi Rangbhoomi Bavan, Developing gardens on open spaces, Instituting awards like Mumbai Ratna and Mumbai Bhushan to felicitate persons who contribute towards developing Mumbai, To restrict permissions to new constructions to overcome shortage of water supply prior to Monsoons, Developing Ringwells, To construct Memorials for Hutatma's describing their contributions, Giving permissions to raise heights of slums upto 18 feet, Repairs of Flower beds, Cancelling licences of Octroi Agents and giving the work of octroi collection to municipal staff, Removing encroachments on Footpaths and development of Footpaths on lines of Foreign countries, Collecting nominal rents from the structures constructed using corporators funds, Also establishing a separate room for regular updation of information of MCGM website.

Anil Galgali has further expressed that if the Municipal Commissioner implements many of these resolutions which are usefull for the citizens of Mumbai, the face of Mumbai will be much better. Galgali expressed further that the Commissioners negativity on such issues are not good for the interest of Mumbaikars.

Wednesday 25 March 2015

महाराष्ट्र के किसी भी मंत्री ने अपनी प्रॉपर्टी का ब्यौरा पेश नही किया

पारदर्शक और स्वच्छ कामकाज का दावा कर सत्ता पर आयी भाजपा प्रणित मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार के किसी भी मंत्री ने अपनी प्रॉपर्टी का ब्यौरा पेश न करने का खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सरकार द्वारा उपलब्ध की गई जानकारी से हुआ है। केंद्र और बिहार की तर्जपर राज्य के सभी मंत्रियों की प्रॉपर्टी की जानकारी ऑनलाइन करने की गलगली की मांग वाले आवेदन पर 117 दिनों से मुख्यमंत्री द्वारा कोई भी निर्णय नहीँ लेने की बात स्पष्ट हुई है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से राज्य मंत्रीमंडल के मंत्री और राज्यमंत्रियों ने पेश की हुई उन मंत्रियों की प्रॉपर्टी और उनसे जुड़े हुए लोगों के लाइबिलिटीस के विवरण की जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग के जन सूचना अधिकारी और अवर सचिव दि.वि.नाईक ने अनिल गलगली को बताया कि इस मामले में कोई भी जानकारी उपलब्ध नही होने से नही दी जा सकती है। अथक सेवा संघ ने मंत्री और राज्यमंत्री महोदय की प्रॉपर्टी और उनसे जुड़े हुए लाइबिलिटीस के विवरण को ऑनलाइन करने की मांग पर आवेदन की फ़ाइल मुख्यमंत्री महोदय के पास पेश की गई है और उस फ़ाइल पर निर्णय होने के बाद ही जानकारी दी जाएगी। मुख्यमंत्री राज्यपाल के पास और मंत्री एवमं राज्यमंत्री मुख्यमंत्री के पास प्रॉपर्टी और लाइबिलिटीस का विवरण पेश करता हैं।अब  मुख्यमंत्री सहित 18 मंत्री और 12 राज्यमंत्री ऐसा मंत्रीमंडल हैं। पिछली सरकार ने अनिल गलगली के फॉलो आप के बाद जिन मंत्रियों ने विवरण पेश किया था उनका सिर्फ नाम ही ऑनलाइन किया था। उस वक्त के 'मिस्टर क्लीन' मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने  मंत्रियों की प्रॉपर्टी की जानकारी को सार्वजनिक करने की गलगली की मांग को खारिज किया था।

अथक सेवा संघ के अध्यक्ष और आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली  द्वारा 14 नवंबर 2014 और बाद में 9 मार्च 2015 ऐसे 2 पत्र भेजकर  केंद्र और बिहार की तर्ज पर राज्य के सभी मंत्रियों की प्रॉपर्टी की जानकारी को ऑनलाइन करने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास की गई है। अनिल गलगली की मांग वाली फ़ाइल 27 नवंबर 2014 से मुख्यमंत्री के पास पेंडिंग होने का आरोप कर अनिल गलगली ने सिटीजन चार्टर और सेवा का अधिकार का उल्लंघन मुख्यमंत्री सचिवालय से होने की शिकायत मुख्यमंत्री के पास की है।

महाराष्ट्रातील एकाही मंत्र्यांनी आपल्या मालमत्तेचे विवरण जमा केले नाही

पारदर्शक आणि स्वच्छ कामकाजाचा दावा करत सत्तेवर आलेले भाजपा प्रणित मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकारच्या एकाही मंत्र्यांनी आपल्या मालमत्तेचे विवरण जमा केली नसल्याची धक्कादायक माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस शासनाने दिली असून केंद्र आणि बिहारच्या धर्तीवर राज्यातील सर्व मंत्र्यांची मालमत्तेची माहिती ऑनलाइन करण्याची गलगली यांच्या मागणी अर्जावर 117 दिवसापासून मुख्यमंत्री कोणताही निर्णय घेत नसल्याचे स्पष्ट झाले आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र शासनाकडे राज्य मंत्रीमंडळातील मंत्री आणि राज्यमंत्र्यांनी दिलेल्या मत्ता व दायित्व विवरणाची माहिती मागितली होती. सामान्य प्रशासन विभागाचे जन माहिती अधिकारी आणि अवर सचिव दि.वि.नाईक यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की याबाबत माहिती उपलब्ध नसल्याने ती देता येत नाही. अथक सेवा संघाने मंत्री आणि राज्यमंत्री महोदयाची मत्ता व दायित्वाची विवरणे ऑनलाइन करण्याची मागणी बाबत अर्जाची नस्ती मुख्यमंत्री महोदयाकडे सादर करण्यात आली असून नस्तीवर निर्णय झाल्यानंतर माहिती देण्यात येईल. मुख्यमंत्री राज्यपालाकडे आणि मंत्री व राज्यमंत्री मुख्यमंत्री कडे मत्ता व दायित्वाची विवरणे सादर करतात. आता मुख्यमंत्री सहित 18 मंत्री आणि 12 राज्यमंत्री असे मंत्रीमंडळ आहे. गेल्या सरकारने अनिल गलगली यांच्या पाठपुराव्यानंतर ज्या मंत्र्यांनी विवरणे सादर केली होती त्यांची फक्त नावेच ऑनलाइन केली होती. त्यावेळीचे 'मिस्टर  क्लीन' मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण यांनी मंत्र्यांची मालमत्ता सार्वजनिक करण्यास नकार दिला होता.

अथक सेवा संघाचे अध्यक्ष आणि आएटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी 14 नोव्हेंबर 2014 आणि त्यानंतर 9 मार्च 2015 अशी 2 पत्रे पाठवून  केंद्र आणि बिहारच्या धर्तीवर राज्यातील सर्व मंत्र्यांची मालमत्तेची माहिती ऑनलाइन करण्याची मागणी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस कडे केली होती. अनिल गलगली यांच्या मागणीची नस्ती 27 नोव्हेंबर 2014 पासून मुख्यमंत्र्याकडे प्रलंबित असल्याचा आरोप करत अनिल गलगली यांनी नागरिकांची सनद आणि सेवा अधिकाराचे उल्लंघन होत असल्याची तक्रार मुख्यमंत्र्याकडे केली आहे.

None of the new Government's Ministers of Maharashtra declare there assets and liabilities details

Transparency and Clean Governance were the two major agenda's on which the current BJP have formed the Government in Maharashtra, the anchor of the promotion of this agenda being Chief Minister Devendra Fadnavis himself. But in a shocking revelation made by Activist Anil Galgali, none of the Ministers in the Government have declared their Assets and liabilities details till, given the same is practiced in Narendra Modi lead NDA government and also in Bihar. Anil Galgali had sought an application on the same via an RTI , but CM purposely did not act upon the same for 117 days.

RTI Activists Anil Galgali  had sought information about Assets and liabilities declared by the Cabinet as well as the Ministers of state via RTI to which D K Naik,Under secretary of the General Administration Department (GAD) of the Mantralaya,denied the information, stating "non availability". Anil Galgali 2 times wrote letter to Chief Minister Devendra Fadanvis and demand to made all Minister"s Assets and Liabilities detail online and information to be made available to the public domain. This letter was till with CM Sachivlaya and after CM take any decision on pending file then its available, reply Mr Naik. The Chief Minister has to declare his Assets and liabilities to the Governor and accordingly all the Ministers of the Cabinet and MoS have to declare the same to the CM. The Ministry today consists of 18 Cabinet and 12 Ministers of state in the Devendra Fadnavis's government.

"I had followed up vigorously with the previous government also for making their assets and liabilities detail in. public domain, but those who declared then only there name was made available online instead of Assets and liabilities details, but "Mr Clean " Prithviraj Chavhan was not of the view to make it public, but since this new BJP government's main agenda is Transparency, now even they have refrained themselves from making their Assets and liabilities in public domain" said Galgali.

On 14th November 2014 and again on the 9th march 2015, on the basis of the Centre and Bihar governments , Anil Galgali demand to Chief Minister Devendra Fadnavis, to declare all Ministers Assets and liabilities was made online but ever since the application's file is lying pending with the Chief Minister since 27th November, 2014 ie 117 days which was clearly violation of Citizen Charter and Right to service act, add Galgali

Sunday 22 March 2015

दिल्ली विधानसभा निवडणूकीच्या 2 कथा, दारु वाटपात वाढ आणि पैश्यात घट

नुकत्याच झालेल्या दिल्ली विधानसभा निवडणूकीत मतदारांना खुश करत आपल्याकडे वळविण्यासाठी उमदेवाराने नाना युक्त्या आणि शक्कलीचा वापर केला असून वर्ष 2013 च्या निवडणूकीच्या तुलनेत वर्ष 2015 मध्ये दारु वाटपात वाढ आणि पैश्यात घट झाली आहे. मुंबईतील आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिल्ली पोलीसांनी दिलेल्या माहितीत दारु वाटपात 26 टक्क्यांनी वाढ आणि पैसे वाटपात 81 टक्क्यांची लक्षणीय घट झाल्याची बाब समोर येत आहे.

मुंबईतील आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी दिल्ली पोलीसांकडे वर्ष 2013 आणि वर्ष 2015 या विधानसभा निवडणुकीत जप्त दारु आणि रोख रक्कमेची माहिती विचारली असता दिल्ली पोलीस मुख्यालयातील उपायुक्त( मुख्यालय ) आणि जन सूचना अधिकारी यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की वर्ष 2015 च्या विधानसभा निवडणुकीत एकूण 33 लाख 38 हजार 500 रुपये अशी रोख जप्त केली आणि विविध प्रकारची जी दारु जप्त केली त्यात 1,47,613 क्वार्टर(पव्वा),  7,235 हाफ(अध्धा), 6,929 बोतल, 1,055 बीयर आणि 10 लीटर दारु आहे. वर्ष 2013 च्या विधानसभा निवडणुकीत एकूण 1 कोटी 76 लाख 88 हजार 540 रुपये अशी रोख जप्त केली आणि विविध प्रकारची जी दारु जप्त केली त्यात 1,16,044 क्वार्टर(पव्वा), 8,654 बोतल, 4,038 हाफ(अध्धा), 630 बीयर आणि 2407 लीटर दारु आहे. याबाबतीत उमेदवाराचे आणि अटक केलेल्या व्यक्तीचे नाव व केलेल्या कार्यवाहीची माहिती विचारली असता अनिल गलगली यांचा अर्ज सर्व गुन्हे विभागाच्या जन माहिती अधिका-यांकडे पाठविला गेला आहे.

मागील 2 निवडणुकीची तुलना केली असता या वर्षी दारु वाटपात 26 टक्क्यांनी वाढ आणि पैसे वाटपात 81 टक्क्यांची लक्षणीय घट झाली आहे. विधानसभा निवडणुकीनंतर मुख्यमंत्री बनलेल्या अरविंद केजरीवाल यांनी दारु आणि पैसे वाटप सुरु असल्याची तक्रार प्रचार दरम्यान सार्वजनिक करत मतदारांना अश्या लोकांपासून सावध राहण्याचे आवाहन केले असतानाही पैसे कमी पण दारु वाटप करण्यांनी आपले काम चोख बजावले. जी दारु आणि पैसे जप्त केली गेली आहे ती संख्या पहाता प्रत्यक्षात किती वाटप झाले असेल? याची संख्या कल्पनेबाहेरची आहे. अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यांस पत्र पाठवुन उमेदवार आणि अन्य व्यक्ती अश्या प्रकारात संलग्न आहेत अश्याची नावे फोटो सहित सरकारी आणि दिल्ली पोलिसांच्या वेबसाइट वर प्रर्दशित करण्याची मागणी केली आहे जेणेकरुन भविष्यात लोकलज्जास्तव अश्या प्रकारात कोणी संलग्न होणार नाहीत.

दिल्ली विधानसभा चुनाव की 2 कहानी, शराब बांटने में बढ़ोत्तरी और नकद कम बांटी गई

हाल ही में संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोटरों को खुश करने कर अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उम्मीदवारों ने विभिन्न हथकंडे अपनाने से कोई कसर नही छोड़ी। वर्ष 2013 के चुनाव की  तुलना में वर्ष 2015 में शराब बांटने में बढ़ोत्तरी तो नकद बांटने में कमी आयी है।  मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दिल्ली पुलिस ने दी हुई जानकारी में शराब बांटने में 26 प्रतिशत से बढ़ोत्तरी और नकद बांटने में 81 प्रतिशत की कमी आने की बात सामने आ रही है।



मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दिल्ली पुलिस से वर्ष 2013 और वर्ष 2015 इन विधानसभा चुनाव में बरामद की हुई शराब और नकद रकम की जानकारी मांगी थी। दिल्ली पुलिस मुख्यालय के  उपायुक्त( मुख्यालय ) और जन सूचना अधिकारी ने अनिल गलगली को बताया कि वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में कुल 33 लाख 38 हजार 500 रुपए ऐसी नकद जब्त की है और विभिन्न  प्रकार की जो शराब जब्त की है उसमें 1,47,613 क्वार्टर(पव्वा),  7,235 हाफ(अध्धा), 6,929 बोतल, 1,055 बीयर और 10 लीटर शराब हैं। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कुल 1 करोड़ 76 लाख 88 हजार 540 रुपए ऐसी नकद रकम जब्त की है और विभिन्न प्रकार की जो शराब जब्त की है उसमें 1,16,044 क्वार्टर(पव्वा), 8,654 बोतल, 4,038 हाफ(अध्धा), 630 बीयर और 2407 लीटर शराब है। इन मामलों में उम्मीदवार का नाम और गिरफ्तार व्यक्तियों के नाम के साथ कार्रवाई की जानकारी मांगने पर अनिल गलगली का आवेदन अपराध शाखा के जन सूचना अधिकारियों के पास भेजा गया।



गत 2 चुनाव की तुलना करने पर इस वर्ष शराब बांटने की प्रक्रिया 26 प्रतिशत से बढ़ने और नकद रकम बांटने में 81 प्रतिशत की कमी आयी हैं। विधानसभा चुनाव के बाद दुसरी बार मुख्यमंत्री बने अरविंद केजरीवाल ने शराब और नकद रकम बांटने की शिकायत प्रचार के दौरान  सार्वजनिक कर वोटरों को ऐसे लोगों से सतर्क रहने की अपील करने के बाद भी नकद कम शराब बांटने वालों ने अपना रोल खूब निभाया है। जो शराब और नकद रकम जब्त की गई है वह संख्या को देखते हुए असल में कितना वितरण हुआ होगा? इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली पुलिस आयुक्त को पत्र भेजकर उम्मीदवार और अन्य लोग जो इन मामलों में संलिप्त है। ऐसे लोगों की फ़ोटो और नाम को सरकारी और दिल्ली  पुलिस की वेबसाइट पर ऑनलाइन करने की मांग की है ताकि भविष्य में लोक लज्जा से ऐसे मामलों में कोई संलिप्त नही होगा।
   

The tale of two Delhi assembly elections - Liquor  distribution increased, while cash reduces

In the just ensued elections to the Delhi assembly, parties employ various tactics to entice the voters, in this elections the liquor distribution increased while the cash distribution decreased in comparison to the 2013 assembly elections. The Delhi police in a reply to the query of RTI Activist Anil Galgali, informed that seizure of liquor increased by 26% and cash seizures decreased by 81%.

Mumbai based RTI Activist Anil Galgali sought information from the Delhi Police regarding the seizures of liquor and cash, made by it during the election campaign of 2013 & 2015, In a reply the DCP (HQ) & Public Information Officer of the Delhi Police, informed that during the 2015 Assembly poll campaign it seized cash amounting to Rs 33 Lakhs 38 Thousand 500, and Liquor in various sized bottles ranging from 1,47,613 quarter sized bottle, 7235 Half sized bottles, and 6929 full sized bottles also 1055 beer bottles also 10 litres of liquor. Where as in 2013 assembly elections it had seized cash amounting to Rs 1 crore 76 lakhs 88 thousand 540 and liquor in various sizes such as 1,16,044 quarters, 4038 Halfs, 8654 full bottles also 630 beer bottles and 2407 litres of liquor. Galgali had also sought the details of action taken on the culprit candidates or their henchmen, the query has been transferred to the PIO of the Crime Branch of Delhi Police.

Comparing the details of both the elections it can be understood that, there has been increase in episodes of liquor distribution by 26% and the cash distribution has reduced by 81%. It is also important to note that now CM Arvind Kejriwal had extensively raised the issue of cash and liquor distribution during election campaign, and had appealed to voters to be aware and alert on such enticements, but it seems the liquor and cash enticements did happen though the cash part got reduced. Looking at the figures of cash and liquor seizure, it is at best left to imagination of actually how much of those got distributed. Anil Galgali in a letter addressed to Arvind Kejriwal and Delhi Police Commissioner has demanded that, the names and photos of those persons found taking part in these activities should be uploaded on the website of Delhi Govt and Delhi Police to shame them apart from the actions under due provisions of law, to ensure that at least these people do not take part in such activities again.



Thursday 19 March 2015

एमएमआरडीए से स्वेच्छानिवृत्ती से कार्यमुक्त, एमएमआरसीएल में नियुक्ति

मुख्यमंत्री अध्यक्षता वाली एमएमआरडीए प्रशासन से स्वेच्छानिवृत्ती लेनेवाला अपात्र अधिकारी रमन्ना का नया एडजस्टमेंट  अब मुंबई मेट्रो की कंपनी एमएमाआरसीएल में कर उसे कार्यकारी निदेशक पद पर नियुक्त किया गया है। जिस अधिकारी को सेवा से मुक्त करने का आदेश सरकार ने दिया था उसे 10 वर्ष पालने का काम किया गया और भांडाफोड़ होते ही स्वेच्छानिवृत्ती लेनेवाले रमन्ना को दोबारा मदद की गई है।
          
आरटीआई कार्यकर्ते अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से जानकारी मांगी थी कि आर. रमन्ना और अन्य अधिकारियों को सेवा से मुक्त करने के लिए सरकार ने जारी किए आदेश पर कौनसी कारवाई की गई है. एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने दिनांक 11.10.2004 के आदेशानुसार 4 अधिकारियों पर कारवाई करने का आदेश दिया था. लेकिन एमएमआरडीए प्रशासन ने रमन्ना को विशेष मदत कर सेवा से मुक्त करने के बजाय उनकी नए तौर पर सरल सेवा की खुला प्रवर्ग में परिवहन नियोजक इस पद पर नियुक्ती कर दी. इसके पहले पिछडा(अनुसूचित जाती) वर्ग का लाभ लेनेवाले रमन्ना का मामला उजागर होते ही उसे सरल सेवा में समाविष्ट कर लिया गया. रमन्ना जैसे और जो अधिकारी थे उनमें से प्रवीण कुमार और मिंझ ने कारवाई के डर से अपने पदों से इस्तीफा दिया.पी.के.नाईक सीमा क्षेत्र के होने से उन्हें बरकरार रखा गया.एमएमआरडीए प्रशासन में अनियमित-अवैध नियुक्ति और प्रमोशन की जांच सेवानिवृत अवर सचिव श्री कोचरेकर द्वारा करने पर चयन समिती व विभागीय प्रमोशन समिती के 2 अधिकारियों की जिम्मेदार ठहराया गया और उनके खिलाफ अनुशासन उल्लघंन की कारवाई कर जिम्मेदारी की सजा दी गई.लेकिन जिस अधिकारी के चलते कारवाई की गई उसे नई नियुक्ती देकर गलत कामों को प्रोत्साहन दिया गया. सरकार ने आदेश देने के बावजूद वर्तमान महानगर आयुक्त यूपीएस मदान ने उसवक्त दिनांक 29.04.2002 को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर रमन्ना का बचाव किया था.स्वयं मदान ने भी उस वक्त माना था कि इन अधिकारियों को सरकार के निर्णय के चलते नियुक्ती/प्रमोशन का लाभ नहीं मिलना चाहिए था.लेकिन वह लाभ अनजाने में उन्हें दिए गए है.

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दिनांक 20 नवंबर 2014 को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस,मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय के पास शिकायत करते ही रमन्ना ने एमएमआरडीए प्राधिकरण का अतिरिक्त प्रमुख परिवहन नियोजन इस पद का इस्तीफा देकर स्वेच्छानिवृत्ती मंजूर करने के लिए दिनांक 22 दिसंबर 2014 को आवेदन किया जिसे स्वीकार कर उसे दिनांक 21 जनवरी 2015 से सेवा से  कार्यमुक्त करने जानकारी   एमएमआरडीए प्रशासन ने गलगली को दिनांक 13 मार्च 2015 को एक पत्र भेजकर बताई। असल में दिनांक 15 दिसंबर 2014 को रमन्ना को मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड में एडजस्ट कर कार्यकारी निदेशक इस पद पर नियुक्त किया गया था। अनिल गलगली ने मुख्य मंत्री को पत्र भेजकर इस मामले की जांच करने की मांग की है।

एमएमआरडीएतून स्वेच्छानिवृत्तीने मुक्तता, एमएमआरसीएलमध्ये वर्णी


मुख्यमंत्री अध्यक्ष असलेल्या एमएमआरडीएतून स्वेच्छानिवृत्ती घेणा-या अपात्र अधिकारी आर. रमन्ना  यांची सोय करत मुंबई मेट्रोची कंपनी एमएमआरसीएलमध्ये मध्ये वर्णी लावण्यात आली आहे. ज्या अधिका-याला सेवेतून मुक्त करण्याचे आदेश राज्य शासनाने दिले होते त्यास गेली 10 वर्ष पोसण्याचे काम एमएमआरडीए प्रशासनाने केले आणि बिंग फूटताच स्वेच्छानिवृत्ती घेणा-या अपात्र अधिकारी आर. रमन्ना यांस पुनश्च मदत केली.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना एमएमआरडीए प्रशासनाकडे माहिती विचारली होती की आर. रमन्ना आणि अन्य अधिकारी यांस सेवेतुन मुक्त करण्यासाठी शासनाने दिलेले आदेशावर कोणती कार्यवाही करण्यात आली आहे. एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांस कळविले की महाराष्ट्र शासनाने दिनांक 11.10.2004 च्या आदेशानुसार 4 अधिका-यावर कार्यवाही करण्याचे आदेश दिले होते. परंतु एमएमआरडीए प्रशासनाने रमन्ना यांना विशेष मदत करत सेवेतुन मुक्त न करता त्यांची नव्याने नेमणूक सरळ सेवेने खुल्या प्रवर्गातील परिवहन नियोजक या पदावर केली.आधी मागासवर्गीयासाठी(अनुसूचित जाती) याचा लाभ घेणा-या रमन्ना त्यानंतर सरळ सेवेत समाविष्ट करून घेतले. रमन्ना सारखे अजुन जे अधिकारी होते त्यापैकी प्रवीण कुमार, मिंझ यांनी कार्यवाहीच्या भीतिपोटी पदाचा राजीनामा दिला. पी.के.नाईक सीमा भागातील असल्यामुळे  त्यांस वगळण्यात आले.एमएमआरडीए प्रशासनाच्या अनियमित नियुक्त्या पदोन्नत्या बाबतची पडताळणी सेवानिवृत अवर सचिव श्री कोचरेकर यांनी केली असता निवड समित्या व विभागीय पदोन्नती समित्यांमधील 2 अधिकारी वर्गाना जबाबदार ठरविले आणि त्यांच्या विरोधात शिस्तभंगाची कारवाई करत ठपका ठेवण्याची शिक्षाही केली गेली.परंतु ज्या अधिकारी मुळे कार्यवाही केली त्यास नवीन नियुक्ती देत चुकीच्या कामाना प्रोत्साहन दिले. शासनाने आदेश दिला असताना ही सद्याचे महानगर आयुक्त यूपीएस मदान यांनी त्यावेळी दिनांक 29.04.2002 रोजी प्रकल्प संचालक या नात्याने रमन्ना यास मदत केली होती. दस्तुरखुद्द मदान यांनी ही त्यावेळी मान्य केले होते की या अधिकारीवर्गाना शासनाच्या निर्णयाप्रमाणे नेमणुकीचे/ पदोन्नतीचे फायदे देय नव्हते. परंतु ते फायदे त्यांना नकळत देण्यात आलेले आहेत.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी दिनांक 20 नोव्हेंबर 2014 रोजी  मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस,मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय यांच्याकडे तक्रार करताच रमन्ना यांनी एमएमआरडीएतील प्राधिकरणातील अतिरिक्त प्रमुख परिवहन नियोजन या पदाचा राजीनामा देऊन स्वेच्छानिवृत्ती मंजूर करण्याबाबत दिनांक 22 डिसेंबर 2014 रोजी विनंती अर्ज सादर केला असता तो स्विकारत त्यांस दिनांक 21 जानेवारी 2015 पासून सेवेतून कार्यमुक्त करण्यात आले असल्याची माहिती एमएमआरडीए प्रशासनाने गलगली यांस दिनांक 13 मार्च 2015 रोजी पत्राने कळविली. प्रत्यक्षात दिनांक 15 डिसेंबर 2014 रोजी त्यांस मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड यात समावून घेत कार्यकारी संचालक या पदावर नियुक्त करण्यात आले. अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री यांस पत्र पाठवून या नियुक्तिची चौकशी करण्याची मागणी केली आहे.





Relieve from MMRDA, Appointed on MMRCL

Chief Minister Devandra Fadnavis led MMRDA from last 10 years cleverly save Ineligible Officer R Ramanna to remove from service. MMRDA recently sanction VRS of Ramanna and relieve him from service but other side he was appointed on Mumbai Metro Company's  MMRCL as Executive Director.

Anil Galgali through RTI, had sought information on what action MMRDA has pursued  as directed by the government, on relieving Ramanna and 3 such officers. It is learnt that MMRDA had received such order from the government on 11.10.2004 and had asked MMRDA to relieve 4 of its officers. Instead of following orders of the government MMRDA not only retained these officers but also promoted them. Ramanna was again inducted this time through "open category" and given the desk of "transport planner". Earlier before the government order to relive came, Ramanna had worked for the MMRDA and got inducted on basis of "backward class". Apart from Ramanna, Minz and Pravin Kumar were the other ones who resigned immediately fearing government action. P.K.Naik was "dropped" as he belonged to the border region. An inquiry was being conducted on the rising of irregular and untimely postings in MMRDA. It was being conducted by retired under secretary Shri. Kochrekar. This committee found that the selection committee and the divisional promotion committee's 2 officers neglected the rules and government eariler decisions. That time MMRDA has take disciplinary action on 2 officers who are mainly handle the appointment of Ramanna and other officers who are belongs to other state apart from Maharashtra But the officer who was found "guilty" was appointed on direct recruitment insted of sack from MMRDA. Then project director UPS Madan clearly supported Ramanna by his letter dated 29.04.2002. Then also Madan had accepted that these kind of favors were not applicable to this officers under Government Resolution but unfortunately indirectly they were get undue benefits.

RTI actvist Anil Galgali has demanded an action, letter address to CM and CS on 20 November 2014.  After Galgali complaint Mr Ramanna give application on 22 December 2014 to sanction VRS from his Additional Chief Transport Planning post which was approved on 22 December 2014. MMRDA informed Galgali that Mr Ramanna was free on 21 Jan 2015 from MMRDA service. But actually Ramanna again get new job as Executive Director in Mumbai Metro Rail Corporation limited from 15 December 2014. Its was purely adjustment of officer who was guilty and instead of action government again give new chance, say Galgali.  A letter address to CM, Galgali demand inquiry regarding same.

Tuesday 17 March 2015

Govt decided to rehab Metro 3 project affected people ( PAPs) at Chakala, Oshiwara, Kurla, Vidyavihar & Wadala

The Mumbai Metro 3 project has been a talking point since quite a few days and also the politicisation has made the matter worse. The real picture is quite different than the information passed on to the public by the Government and MMRCL , revealed under an RTI. The Mumbai Metro Rail Corporation (MMRCL) has revealed to RTI Activist Anil Galgali that they have planned to rehabilitate the project affected people ( PAPs) to Chakala, Oshiwara, Kurla, Vidyavihar, and Wadala.  Also in total 2464 constructions are coming in the way of the ever ambitious Metro 3 project and 241 different construction at Mahim and other places will be demolished 100%, reveals the RTI.

The information on the Colaba-Bandra-Seepz Metro 3 line was soughted on 26th February 2015, by Anil Galgali via RTI. There are 24 spot between Cuffe Parade to Aarey colony and 241 buildings at Naya Nagar, Mahim that are coming in the way of this project.  Out of the total 2223, 1544 are residential buildings, 576 commercial, 31 buildings Residential cut commercial and 72 other constructions that need to be acted upon.

On asked by Anil Galgali about the Government plan to rehabilitate these PAPs within a radius of 3 kms, it was again revealed that the rehabilitation is planned  in Chakala, Oshiwara, Kurla, Vidyavihar. MMRCL reply that slumdwellers occupying public places will be shifted to Bhakti park, Wadala and Wonderland at oshiwara in the MMRDA  buildings. These buildings have flats admeasruing 225 Sq. Feet. Also M/s  HDIL have started work of construction of houses under the Slum rehabilitation authority. Under this project near to Kurla Premier (w)  and Kurla (East) near Bhandari Metalgrij and at Chakala near Andheri constructions are going in full swing and houses admeasruing 269 Sq. Ft will be made available.

When asked to the MMRCL the list of demolitions that will take place from Kalbadevi Station to Girgaum, it was revealed that Vithaldas building near Girgaum station, VIP luggage showroom, Annapurna Niwas, Kranti Nagar, Ekta Society, Doodh Papeshwar, Shri Ram Bhavan, Swami Niwas and Narmadadevi Trust at Kalbadevi, Kotkar Building no 17, Building no 19, Sabina Building /Talathi House, Todiwaala Building, Munnalal Mansion A & B , Sona Chamber, Fish Market, Hem Villa, Chatwal Building, Khan House, Building no 591, Building no 593 Building no 595, Raajsheela Building, Kapadia Building, Chira Bazaar 605 and 607 are included in the list of demolitions. Highest affected structures was MIDC which impact upon 628 different type of structures. After that Girgaon 355, Kalbadevi 294, BKC 264 and Aarey Colony 262. Interesting that no single complaint received by MMRCL against the Metro 3. There are so many request regarding rehabilitation and other issues.

The claims put through by the Government and the MMRCL in the arts to this ambitious project are in contrast. The government claims that there will be no rehabilitation but the RTI information put at MMRCL claims altogether a differnent picture. RTI activist Anil Galgali has sought information and asked to Chief Minister Devendra Fadanvis the same to be made avaialable online to both the Government and MMRCL with full Project details.

मेट्रो 3 के प्रभावितों का पुर्नवास चकाला, ओशिवारा, कुर्ला, विद्याविहार और वडाला में होगा

मुंबई का मेट्रो 3 प्रोजेक्ट से राज्य की राजनीति भी चमक रही है।सत्ताधीस कहते है कुछ अलग लेकिन वस्तुस्थिति अलग होने की चौकानेवाली जानकारी आरटीआई से सामने आयी है। मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा (एमएमआरसीएल) आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को उपलब्ध कराई गई जानकारी से स्पष्ट हो रही है कि मेट्रो 3 के प्रोजेक्ट से प्रभावितों का पुर्नवास चकाला, ओशिवारा, कुर्ला, विद्याविहार और वडाला में प्रस्तावित है और इसमें 2464 निर्माण इस प्रोजेक्ट के राह में आ रही है। नया नगर, माहिम स्थित 241 निर्माण 100% और अन्य स्थान वाले निर्माण पूर्णतः और अंशतः तोड़े जाएंगे।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड से कुलाबा-वांद्रे-सीप्झ इस मुंबई मेट्रो लाइन 3 प्रोजेक्ट के बारे में दिनांक 26 फरवरी 2015 को विभिन्न जानकारी मांगी थी। एमएमआरसीएल ने अनिल गलगली को बताया कि कफ परेड से आरे कॉलोनी के बीच वाले 24 स्थानों पर 2223  तो नया नगर स्थित 241 निर्माण प्रोजेक्ट की राह में आड़े आ रही है।2223 में से निवासी 1544, व्यावसायिक 576,  निवासी कम व्यावसायिक 31 और अन्य 72 ऐसी संख्या हैं। सर्वाधिक नुकसान एमआयडीसी को हो रहा है जहां के 628  निर्माण तोडे जाएंगे। उसके बाद 355 गिरगाव, 294 कालबादेवी ,264 बीकेसी, 262 आरे कॉलनी ऐसी संख्या है।

सरकार की नीतियों की तर्ज पर प्रोजेक्ट से प्रभावितों का पुर्नवास 3 किलोमीटर रेडियस में जिस स्थान पर होगा उसकी जानकारी मांगने पर एमएमआरसीएल ने फिर एक बार स्पष्ट किया कि मेट्रो 3 के प्रभावितों का पुर्नवास चकाला,ओशिवारा, कुर्ला, विद्याविहार और वडाला में प्रस्तावित है। सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमित झोपडीधारकों का पुर्नवास भक्ती पार्क, वडाला और आणि वंडरलैंड,ओशिवारा स्थित एमएमआरडीए के मकानों में करने के लिए प्रस्तावित हैं। इस स्थान पर 225 वर्ग फूट क्षेत्रफल वाले मकान उपलब्ध हैं। इसके अलावा मेसर्स एचडीआयएल का निर्माण प्रगतिपथ पर है।वहां के मकान झोपडपट्टी पुर्नवसन प्राधिकरण द्वारा (एसआरए) प्रभावितों के  पुर्नवास के लिए प्राप्त करने का प्रयास शुरु है। इसमें कुर्ला प्रीमियर (प), कुर्ला(पूर्व) स्थित भंडारी मेटलउर्गिज़ के समीप और मौजे चकाला एवमं मूळगाव अंधेरी आदि स्थानों पर 269 वर्ग फूट क्षेत्रफल वाले मकान उपलब्ध है।

मेट्रो 3 अंतर्गत कालबादेवी स्टेशन और गिरगाव स्थित निर्माण पूरी तरह से तोड़े जाने की जानकारी अनिल गलगली ने पूछने पर एमएमआरसीएल ने बताया कि गिरगाव स्टेशन स्थित विठ्ठलदास बिल्डिंग, वीआयपी लगेज, अन्नपूर्णा निवास, क्रांति नगर, एकता सोसायटी, धूत पपेश्वर, श्री राम भवन, स्वामी निवास  और कालबादेवी स्थित नर्मदाबाई ट्रस्ट, कोटकर बिल्डिंग 17, कोटकर बिल्डिंग 19, सबीना बिल्डिंग/ तलाठी हाउस, तोड़ीवाला बिल्डिंग, मुन्नालाल मेन्शन ए और बी , सोना चेम्बर, फिश मार्केट, हेम विला, चटवाल बिल्डिंग, खान हाउस, बिल्डिंग नं. 591, बिल्डिंग नं. 593, बिल्डिंग नं. 595, राजशीला बिल्डिंग, कापड़िया बिल्डिंग, चीरा बाजार 605 और चीरा बाजार 607 ये लिस्ट है। ताज्जुब की बात ये भी है कि इस प्रोजेक्ट में विरोध में एक भी शिकायत एमएमआरसीएल को प्राप्त नही हुई है। जो शिकायते है उनमें जमीन और पुर्नवास से जुडी तथा अन्य समस्याओं का उल्लेख किया गया है।

मुंबई मेट्रो लाइन 3 प्रोजेक्ट के बारे में सरकार और एमएमआरसीएल अलग अलग दावा कर रहे है जबकि प्रत्यक्ष में वस्तुस्थिती और सच्चाई हटकर है। सरकार एक भी प्रभावितों का पुर्नवास नही होगा ऐसा दावा कर रही थी लेकिन आरटीआई की जानकारी एकदम उसके विपरीत और विरोधाभास वाली है, ये बताते हुए अनिल गलगली ने जनसुनवाई से पहले सर्वप्रथम योजना और प्रभावितों का पुर्नवास की जानकारी ऑनलाइन करने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एमएमआरसीएल को भेजे हुए पत्र में की है।

मेट्रो 3 च्या प्रकल्पगस्तांचे पुर्नवसन चकाला, ओशिवारा, कुर्ला, विद्याविहार आणि वडाला येथे प्रस्तावित

मुंबईतील मेट्रो 3 प्रकल्पाने राज्यातील राजकारण ढवळले जात असुन राज्यकर्ते सांगतात आहेत एक आणि नेमकी वस्तुस्थिति वेगळी असल्याचे धक्कादायक सत्य माहिती अधिकारामुळे समोर आले आहे. मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड तर्फे (एमएमआरसीएल) आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिलेल्या माहितीत स्पष्ट केले आहे की मेट्रो 3 च्या प्रकल्पगस्तांचे पुर्नवसन चकाला, ओशिवारा, कुर्ला, विद्याविहार आणि वडाला येथे प्रस्तावित असून यामध्ये  2464 बांधकामे या प्रकल्पाच्या आडवी येत असून नया नगर, माहिम येथील 241 बांधकामे 100% आणि अन्य स्थानावरील पूर्णतः आणि अंशतः तोडली जाणार आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड कडे कुलाबा-वांद्रे-सीप्झ या मुंबई मेट्रो लाइन 3 प्रकल्पाबाबत दिनांक 26 फेब्रुवारी 2015 रोजी विविध माहिती विचारली होती. एमएमआरसीएल ने अनिल गलगली यांना कळविले की कफ परेड ते आरे कॉलोनी या मधील 24 स्थानी 2223  तर नया नगर येथील 241 बांधकामे प्रकल्पाच्या आडवी येत आहेत. 2223 पैकी निवासी 1544, व्यावसायिक 576,  निवासी कम व्यावसायिक 31 आणि अन्य 72 अशी संख्या आहे. सर्वाधिक फटका एमआयडीसी यास बसत असून येथील 628  बांधकामे तोडली जाणार आहेत. त्यानंतर 355 गिरगाव, 294 कालबादेवी ,264 बीकेसी, 262 आरे कॉलनी अशी क्रमवारी आहे.

शासनाच्या धोरणाप्रमाणे प्रकल्पबाधितांचेपुर्नवसन 3 किलोमीटर रेडियसमध्ये कोठे करणार असल्याची माहिती विचारली असता एमएमआरसीएल ने पुन्हा स्पष्ट केले की मेट्रो 3 च्या प्रकल्पगस्तांचे पुर्नवसन चकाला,ओशिवारा, कुर्ला, विद्याविहार आणि वडाला येथे प्रस्तावित असून सार्वजनिक जागेवरील अतिक्रमित झोपडीधारकांचे पुर्नवसन भक्ती पार्क,वडाळा आणि वंडरलैंड,ओशिवारा येथील एमएमआरडीएच्या सदनिकांमध्ये पुर्नवसन करण्याचे प्रस्तावित आहे. याठिकाणी 225 चौ.फू. क्षेत्रफळ असलेल्या सदनिका उपलब्ध आहेत. याव्यतिरिक्त मेसर्स एचडीआयएल यांचे बांधकाम प्रगतिपथावर आहे,तेथील सदनिका झोपडपट्टी पुर्नवसन प्राधिकरणामार्फत प्रकल्पगस्तांच्या पुर्नवसनासाठी प्राप्त करण्याचे प्रयत्न सुरु आहेत.यामध्ये कुर्ला प्रीमियर (प), कुर्ला(पूर्व) येथील भंडारी मेटलउर्गिज़ च्या जवळील आणि मौजे चकाला व मूळगाव अंधेरी इत्यादी वरील ठिकाणाच्या सदनिका 269 चौ.फू. क्षेत्रफळ असलेल्या सदनिका उपलब्ध आहेत.

मेट्रो 3 अंतर्गत कालबादेवी स्टेशन आणि गिरगाव येथील संपूर्णरित्या तोडली जाणा-या बांधकामाची माहिती अनिल गलगली यांनी विचारली असता एमएमआरसीएल ने कळविले की गिरगाव स्टेशन येथील विठ्ठलदास बिल्डिंग, वीआयपी लगेज, अन्नपूर्णा निवास, क्रांति नगर, एकता सोसायटी, धूत पपेश्वर, श्री राम भवन, स्वामी निवास तर कालबादेवी येथील नर्मदाबाई ट्रस्ट, कोटकर बिल्डिंग 17, कोटकर बिल्डिंग 19, सबीना बिल्डिंग/ तलाठी हाउस, तोड़ीवाला बिल्डिंग, मुन्नालाल मेन्शन ए आणि बी, सोना चेम्बर, फिश मार्केट, हेम विला, चटवाल बिल्डिंग, खान हाउस, बिल्डिंग नं. 591, बिल्डिंग नं. 593, बिल्डिंग नं. 595, राजशीला बिल्डिंग, कापड़िया बिल्डिंग, चीरा बाजार 605 आणि चीरा बाजार 607 ही यादी आहे. विशेष म्हणजे या प्रकल्पाच्या विरोधात एकही तक्रार एमएमआरसीएल या कंपनीला प्राप्त झाली नसुन बरेच अर्ज हे मोबदला आणि अन्य कामाचे आहेत.

मुंबई मेट्रो लाइन 3 प्रकल्पाबाबत सरकार आणि एमएमआरसीएल वेगवेगळे दावा करत असुन प्रत्यक्षात वस्तुस्थिती वेगळीच आहे. सरकार एकाही प्रकल्पबाधितांचे पुर्नवसन होणार नसल्याचे सांगत आहे पण आरटीआयची माहिती विरोधाभास करणारी आहे, असे सांगत अनिल गलगली यांनी जनसुनावणी पेक्षा सर्वप्रथम योजना आणि प्रकल्पबाधितांचे पुर्नवसन याची माहिती ऑनलाइन करण्याची मागणी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि एमएमआरसीएल ला लिहिलेल्या पत्रात केली आहे.

Saturday 14 March 2015

महाराष्ट्र पोलीस दलात 12115 पोलिसांची पदे रिक्त

महाराष्ट्र राज्य पोलीस दलात पोलीस अपर पोलीस महासंचालकापासून ते शिपाई पर्यंत 12115 पोलीस पदे रिक्त असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस पोलीस महासंचालक मुख्यालयाने दिली आहे. यामध्ये सर्वाधिक रिक्त पदे 2708 पोलीस उपनिरीक्षक यांची आहेत.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस पोलीस महासंचालक मुख्यालयाकडे महाराष्ट्र राज्य पोलीस दलातील पोलीस अधिकारी आणि कर्मचारी वृंदाची माहिती मागितली होती. पोलीस महानिरीक्षकांचे वरिष्ठ उप सहायक तथा शासकीय माहिती अधिकारी पं.कि.घुगे यांनी दिनांक 1 मार्च 2015 अखेर महाराष्ट्र पोलीस दलातील पोलीस महासंचालक ते पोलीस शिपाई या संवर्गातील रिक्त पदांची माहिती देत कळविले एकुण मंजूर पदे 2,19,986 आहेत त्यापैकी 2,07,871 कार्यरत आहेत. एकुण रिक्त पदे 12,115 आहेत.

महाराष्ट्र राज्य पोलीस दलात सर्वाधिक अधिक पदे ही पोलीस उपनिरीक्षक यांची रिक्त आहेत.या घडीला 9651 पोलीस उपनिरीक्षकांची आवश्यकता असताना  6951 कार्यरत आहेत.2708  पदे रिक्त आहेत. अपर पोलीस महासंचालकाची 25 पैकी 3, विशेष पोलीस महानिरीक्षक 47 पैकी 9, पोलीस उपमहानिरीक्षक 36 पैकी 5, पोलीस उपमहानिरीक्षक(तांत्रिक) 2 पैकी 2,पोलीस अधीक्षक/ पोलीस उपआयुक्त 265 पैकी 30, पोलीस उप अधीक्षक/ सहायक पोलीस आयुक्त (निःशस्त्र) 686 पैकी 209, सशस्त्र पोलीस उप अधीक्षक 87 पैकी 50, पोलीस उपनिरीक्षक 9659 पैकी 2708, सहायक पोलीस निरीक्षक 4447 पैकी 471,सहायक पोलीस उपनिरीक्षक 18804 पैकी 1030, पोलीस हवालदार 42964 पैकी 2323, पोलीस शिपाई 96240 पैकी 4101 अशी पदे रिक्त आहे.पोलीस उपनिरीक्षक मोटर परिवहन यांची  सागरी सेकंड क्लास मास्टर आणि फर्स्ट क्लास इंजिन ड्राईवर यांची 270 पैकी फक्त 11 पदे कार्यरत आहे. पोलीस उपनिरीक्षक मोटर परिवहन यांची 109 पैकी 54 पदे रिक्त आहेत.

अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पत्र पाठवून ताबडतोब पोलीस दलातील रिक्त पदे भरण्याची मागणी केली आहे. पोलीसांकडून भरीव कामगिरीची अपेक्षा केली जाते पण अपु-या अधिकारी आणि कर्मचारी वृंदामुळे कार्यरत अधिकारी आणि कर्मचारी वृंदावर ताण पडतो आणि कामगिरिचा आलेख खालावित आहे.

   # धर्मनिहाय नियुक्ती होत नाही

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पोलीस महासंचालक मुख्यालयाकडे महाराष्ट्र राज्य पोलीस दलातील पोलीस अधिकारी आणि कर्मचारी वृंदात किती अधिकारी हिंदु, शीख, ईसाई आणि मुस्लिम समाजाचे आहेत, अशी माहिती मागितली असता पोलीस महानिरीक्षकांचे वरिष्ठ उप सहायक तथा शासकीय माहिती अधिकारी पं.कि.घुगे यांनी कळविले की राज्य पोलीस दलातील पोलीस अधिका-यांची नियुक्ती करतांना शासनाने आखून दिलेल्या जातप्रवर्गनिहाय आरक्षणाप्रमाणे पदोन्नती केली जात असुन ती धर्मनिहाय केली जात नसल्यामुळे सदरची माहिती कार्यासनात उपलब्ध नाही

महाराष्ट्र पुलिस फोर्स में 12115 पुलिस रिक्त

महाराष्ट्र राज्य पोलीस फोर्स में पुलिस अपर पोलीस महानिदेशक से सिपाही तक के 12115 पुलिस के पद रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को पुलिस महानिदेशक मुख्यालय ने दी है। इसमें सर्वाधिक रिक्त पद 2708 पुलिस उपनिरीक्षक की है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने पुलिस महानिदेशक मुख्यालय से महाराष्ट्र राज्य पुलिस फोर्स में पुलिस अधिकारी  और कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी। पुलिस महानिरीक्षक के वरिष्ठ उप सहायक तथा जन सूचना अधिकारी पं.कि.घुगे ने दिनांक 1 मार्च 2015 तक महाराष्ट्र पुलिस फोर्स में पोलीस महानिदेशक से पुलिस सिपाही तक रिक्त पदों की जानकारी देते हुए बताया कि कुल मंजूर पद 2,19,986 है जिसमें से 2,07,871 कार्यरत है। कुल रिक्त पदों की संख्या 12,115 है।

महाराष्ट्र राज्य पुलिस फोर्स में सर्वाधिक अधिक पद ये पुलिस उपनिरीक्षक क्व रिक्त है। वर्तमान में 9651 पुलिस उपनिरीक्षकों की जरुरत होते हुए सिर्फ 6951 कार्यरत हैं। कुल 2708 पद रिक्त है। अपर पुलिस महानिदेशक के 25 में से 3, विशेष पुलिस महानिरीक्षक 47 में 9, पुलिस उपमहानिरीक्षक के 36 में से 5, पुलिस उपमहानिरीक्षक(तकनीकी) के 2 में से 2, पुलिस अधीक्षक/ पुलिस उपआयुक्त के 265 में से 30, पुलिस उप अधीक्षक/ सहायक पुलिस आयुक्त (निःशस्त्र) के 686 में से 209, सशस्त्र पुलिस उप अधीक्षक के 87 में से 50, पुलिस उपनिरीक्षक के 9659 में से 2708, सहायक पुलिस निरीक्षक के 4447 में से 471,सहायक पुलिस उपनिरीक्षक के 18804 में से 1030, पुलिस हवालदार के 42964 में से 2323, पुलिस सिपाही के 96240 में से 4101 ऐसे पद रिक्त हैं।पुलिस उपनिरीक्षक मोटर परिवहन के  सागरी सेकंड क्लास मास्टर और फर्स्ट क्लास इंजिन ड्रायवर की कुल 270 में से सिर्फ 11 पद कार्यरत हैं। पुलिस उपनिरीक्षक मोटर परिवहन के 109 में से 54 पद रिक्त है।

अनिल गलगली में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर ताबडतोब पुलिस फोर्स में मौजूदा रिक्त पदों को भरने की मांग की है। पुलिस से अच्छे परिणाम की उम्मीद की जाती है लेकिन
अधिकारी और कर्मचारियों की रिक्तता से मौजूदा कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों पर दबाव आता है और सफलता का पायदान नीचे आता रहता है।

   # धर्म के आधार पर नियुक्ती नहीं

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने पुलिस महानिदेशक मुख्यालय से महाराष्ट्र राज्य पुलिस फोर्स में पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों में कितने अधिकारी हिंदु, सीख, ईसाई और मुस्लिम समाज के है, ये जानकारी मांगने पर पुलिस महानिरीक्षक के वरिष्ठ उप सहायक तथा जन सुचना अधिकारी पं.कि.घुगे ने बताया कि राज्य पुलिस फोर्स में पुलिस अधिकारियों की नियुक्ती करते वक्त  सरकार ने तय किए जाति प्रवर्गनिहाय आरक्षण से पदोन्नती की जाती है और धर्मनिहाय नही करने से ऐसी जानकारी उनके कार्यासन में उपलब्ध नही है।

12115 Posts Vacant in Maharashtra police force from Constable to Additional Director General of Police

What is the reason over Maharashtra Police always working in STRESS !!!!!!!! Anil Galgali with his RTI brought some vital information and facts of the Maharashtra Police, which  is very much under staffed and 12115 posts are lying vacant as on today. This crucial information came into light by Anil Galgali who sought information through RTI, the highest number of 2708 vacant positions are of Police Sub Inspector as on today .

RTI activist Anil Galgali sought information by filing RTI to DGP of Maharashtra State Police Force headquarters and had sought information about the Total number of employees with there Sanction post and Vacant Post. Public Information Officer P.K.Ghuge informed Anil Galgali that there are total 2,19,986 post in Maharashtra Police Department out of which 2,07,871 posts are filled There are a total of 12,115 posts lying  vacant

At present the police department is working with the 6951 Police Sub Inspector where as actually  required number is 9659, 2708 posts of Police Sub Inspectors are lying vacant. Additional DG 3 out of  25 are vacant where as 8 out of 47 of Special Inspector General of Police, Deputy Inspector General of Police 5 out of 36, Deputy Inspector General of Police (technical) 2 of 2, Superintendent of Police / Deputy Commissioner of Police posts are vacant 30 out of 265.The Deputy Superintendent of Police / Assistant Commissioner of Police (unarmed) 209 out of 686, 50 out of 87 for Armed Police Deputy Superintendent, Police Sub Inspector 2708 of  9659 , 471 out of  4447 Assistant Police Inspector, Assistant Sub-Inspector of police 1030 out of 18804, Police Constable 2323 out of 42964, Constable 4101 out of 96240, the above posts are lying vacant.

Police sub-inspector of motor transport of marine Second Class and First Class Master Engine Driver is running only 11 out of 270 posts. Police sub-inspector of motor transport of 54 out of 109 posts are vacant.

Anil Galgali wrote a letter to Chief Minister Devendra Fadnavis to fill vacant posts Immediately to relive thre Police force from undue STRESS!!! ​In fact many a time they are working in an inhuman condition with the amount of pressure and stress they go through, said Galgali.

# No recruitment by Religion

RTI activist Anil Galgali sought information by filing RTI to DGP of Maharashtra State Police Force headquarters and had sought information about Total number of Hindu, Shikh, Christian and Muslim Officers in Maharashtra Police. Public Information Officer P.K.Ghuge informed Anil Galgali that the recruitment of staff not categories in there Religion. Appointment made by cast categories which was decided by Government So there is any information regarding Religion wise staff numbers on there office Desk.

Tuesday 10 March 2015

पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री कार्यालय के 78 प्रतिशत स्टाफ के भरोसे देवेंद्र फडणवीस

केंद्र की मोदी सरकार के तर्ज पर महाराष्ट्र की पिछली सरकार के मंत्रियों के साथ काम किए अधिकारी वर्ग को पुनः मौका न देने का सरकारी आदेश जारी तो हुआ था लेकिन वर्तमान में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री कार्यालय के 78 प्रतिशत स्टाफ के भरोसे  कार्यरत होने की जानकारी माहिती आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र सरकार ने दी है.

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री सचिवालय को मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत और पिछली सरकार में मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी. मुख्यमंत्री सचिवालय ने उनके ही विभाग की जानकारी देने के बजाय उसे सामान्य प्रशासन विभाग के पास हस्तांतरित किया। सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव दि.वि.नाईक ने अनिल गलगली को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के कार्यालय में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों की लिस्ट दी. इस लिस्ट में पुराने और वर्तमान सरकार के मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी करीब करीब  समान है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सहारा देने के लिए पिछली सरकार का मुख्यमंत्री कार्यालय और अन्य मंत्री आस्थापना का  82 प्रतिशत स्टाफ कार्यरत था. वाहनचालक से लेकर उप सचिव तक ऐसे कुल 102 में से 83 अधिकारी और कर्मचारी ये मुख्यमंत्री,मंत्री और राज्यमंत्री आस्थापना पर पहले भी काम कर चुके है. इनमें 78 मुख्यमंत्री और 5 मंत्री और राज्यमंत्री आस्थापना पर कार्यरत थे. इनमें से 4 अधिकारियों को हाल ही में पुनः उनके मूल विभाग में भेजा गया है।जिसके चलते अब ये संख्या 79 है।

मुख्यमंत्री आस्थापना पर 4 उप सचिव में से 2 उपसचिव ये चन्द्रकांत हंडोरे और रणजीत कांबले के पास थे. 5 अवर सचिव में से 3 उपसचिव ये पहले मुख्यमंत्री और फौजिया खान के पास थे. फौजिया खान के पास कार्य कर चुके डॉ किरण पाटील को मूल विभाग यानी वित्त विभाग में भेजा गया है।कक्ष अधिकारी की संख्या 9 है जिसमन से सिर्फ एक ही कक्ष अधिकारी नया है. 6 पूर्व मुख्यमंत्री और 2 कक्ष अधिकारी राजेश टोपे और जयदत्त क्षीरसागर के पास काम करते थे. भगवान सावंत और अजय वाघ के अलावा सहायक के तौर पर कार्यरत रा.सु.सोनावणे को उनके मूल विभाग में हाल ही में भेजा गया है।13 में 8 लघुलेखक, 28 में 24 लिपिक टंकलेखक, 23 में 21 प्यून पिछली सरकार में मुख्यमंत्री कार्यालय में ही कार्यरत थे. 1 विशेष कार्य अधिकारी, 3 लघु टंकलेखक, 1 सहकारी अधिकारी, 1 वरिष्ठ स्वीय सहायक, 1 वरिष्ठ लिपिक, 5 सहायक, 1 लेखा अधिकारी, 1 सहायक लेखा अधिकारी, 1 देयक लेखापाल, 1 नाईक ये भी मुख्यमंत्री कार्यालय में होने की बात का खुलासा हुआ है.

दिनांक 1 दिसंबर 2014 को फडणवीस सरकार ने जारी किए हुए शासन निर्णय में गत 10 वर्ष में जिन मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री,मंत्री,राज्यमंत्री के  कार्यालय में निजी सचिव, विशेष कार्य अधिकारी और स्वीय सहायक के तौर पर कार्य किया होगा तो उन्हें आगामी 5 वर्ष मंत्री आस्थापना पर काम करने का मौका न देने का दावा किया गया था लेकिन इसमें  चालाकी दिखाते हुए फडणवीस सरकार ने अन्य अधिकारी औए कर्मचारियों को अभयदान देकर उन्हें लिस्ट से हटाया था, ये कहते हुए अनिल गलगली ने फडणवीस सरकार ने इस मामले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनोखे अभियान को छेद करनेइ कोई कसर नही छोड़ी है. अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर उनके ही सरकारी निर्णय को न्याय देने की मांग की है.

        #  फडणवीस के 11 रत्न

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ऐसे 11 बाहरी लोगों को असीमित अधिकार दिए है जिसके चलते ये फडणवीस के 11 रत्न होने की चर्चा मंत्र्यालय के सभी विभाग में हो रही है. 5 विशेष कार्य अधिकारी, 3 सहायक लिपिक और 1-1 ऐसे 3 पद पर स्वीय सहायक, सोशल मीडिया एडवाईजर और वाहनचालक है. इसमें से 1 भाजपा की कार्यकर्ती है। पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने अपने ही पार्टी की राजनीतिक चेली को तवज्जों देने की पहली ही घटना है.

78% previous CM & Minister staff at the service of the Devendra Fadnavis

Following the footsteps of the Modi govt at the centre, Fadnavis too came out with a GR instructing Ministers to not appoint the staff who had served the Ministers in the outgoing DF govt, but deisregarding its own GR the Fadnavis has retained the the service of almost 78% staff from the outgoing govt, the CM office, which brought out the GR, too is a participant of the retention. This information was provided to RTI Activist Anil Galgali, by the state govt.


RTI Activist Anil Galgali had filed an query with the CM office, seeking list of staff working with the current as well as the previous CM office, which was refused by the CM office and the query was transferred to the General Administration Dept (GAD) of the govt. The GAD Under Secretary, D V Naik replying to the query, delivered the list of staff of the current and the previous govt to Galgali.Going through and comparing both the list, shows that both the lists are quite similar, as the current CM office has retained almost 78% of the staff of the previous Prithviraj Chavan's office or other Ministers staff. It can be understood from the list that, out of 102 staff, comprising of Driver to Dy Secretary, 83 staff have served with the previous CM, Minister or a Minister of State. Of the 83, 78 were with the CM office and 5 served various Minister or Minister of State. Out of the 83, 4 persons have been repatriated with their original department.


Out of the 4 Dy Secretary's posted in the CMO, 2 were presviously posted with Chandrakant Handore & Ranjit Kamble. Out of the 5 Under Secretary's, 3 were previously posted in CM/ Fauziya Khan's office. Dr Kiran Patil, previously posted with Fauziya Khan has been repatriated to his original Finance dept. Of the 9 Desk Officers in the CMO only 1 is new, rest 6 were in the CMO previosly and 2 were with Rajesh Tope and Jaidutt Kshirsagar. Bhagwan Sawant & Ajay Wagh have been sent to their original dept's. Their assistant R S Sonawane has also been sent to his original dept. 8 out of 13 Stenographer, 24 out of 28 Typist - Clerk, 21 out of 23 Peons, were all in the previous CMO as well. Further 1 OSD, 3 Jr Typist, 1 Cooperative Officer, 1 Personal Assistant, 1 Sr Clerk, 5 Assistants, 1 Accounts Officer, 1 Asst Accounts Officer, 1 Pay & Accounts Officer and 1 Naik, were also serving the previous CMO.


On December 1, 2014, the Fadnavis govt had issued a GR, stating that any Private Secretaries, OSD, PA's who have served in CMO, Dy CMO, Ministers or Minister's of State's office in the past 10 years should not be considered for appointment in any Ministers office in the next 5 years. But it seems the Fadnavis govt smartly removed the other positions from the GR, so that they could be considered, this way Devendra Fadnavis is diverting the effectiveness of the Modi's decision of not considering those who have worked in the previous regime, alleged Galgali. Anil Galgali in a letter addressed to the CM has asked for justice to its own GR.


#  Fadnavis's  11 Ratna

CM Devendra Fadnavis has also appointed 11 persons from outside and have given them unlimited powers is also a source of discussion in the mantralaya corridors, lending credence to them being referred to as his 11 Ratna's. They comprise of 5 OSD's, 3 Asst Clerks and 1 each comprising of PA, Social Media Adviser and Driver. Out of this 1 is a Active worker of BJP from the womans wing, which is in 1st example where a political worker is considered for appointment on a govt post.

फडणवीसाच्या दिमतीला मागील मुख्यमंत्री आणि मंत्री कार्यालयातील 78 टक्के स्टाफ

केंद्रातील मोदी सरकारच्या धर्तीवर महाराष्ट्रात ही मागील सरकारच्या मंत्री आस्थापनेवरील अधिकारीवर्गाची वर्णी न लावण्याचा शासन आदेश जारी झाला असला तरी आजच्या घडीला मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीसाच्या दिमतीला मागील मुख्यमंत्री कार्यालयातील 78 टक्के स्टाफ कार्यरत असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महाराष्ट्र शासनाने दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुख्यमंत्री सचिवालयास मुख्यमंत्री कार्यालयात कार्यरत आणि मागील सरकारच्या मुख्यमंत्री कार्यालयात कार्यरत अधिकारी आणि कर्मचारी वृदांची माहिती मागितली असता ती न देता अर्ज सामान्य प्रशासनाकडे हस्तांतरित केला. सामान्य प्रशासनातील अवर सचिव दि.वा.नाईक यांनी अनिल गलगली यांस मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि माजी मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण यांच्या कार्यालयात कार्यरत अधिकारी आणि कर्मचारी वृदांची यादी दिली.सदर यादीत मागील आणि सद्याच्या सरकारच्या मुख्यमंत्री कार्यालयात कार्यरत अधिकारी आणि कर्मचारी वृंद जवळपास समान आहे. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीसाच्या दिमतीला मागील मुख्यमंत्री कार्यालय आणि अन्य मंत्री आस्थापनेतील 82 टक्के स्टाफ कार्यरत होता. वाहनचालकांपासून ते उप सचिवांपर्यंत अश्या एकुण 102 पैकी 83 अधिकारी आणि कर्मचारी वृंद ही मुख्यमंत्री,मंत्री आणि राज्यमंत्री आस्थापनेवरील आहेत.यामध्ये 78 मुख्यमंत्री आणि 5 मंत्री आणि राज्यमंत्री आस्थापनेवरील आहेत. नुकतेच यापैकी 4 अधिकारी यांची सेवा मूळ विभागात प्रत्यावर्तीत करण्यात आल्यामुळे आता ही संख्या 79 आहे.

मुख्यमंत्री आस्थापनेवर 4 उप सचिवांपैकी 2 उपसचिव हे चन्द्रकांत हंडोरे आणि रणजीत कांबले यांसकडे होते. 5 अवर सचिवांपैकी 3 उपसचिव हे यापूर्वी मुख्यमंत्री आणि फौजिया खान यांसकडे होते. फौजिया खान कडील डॉ किरण पाटील यांची सेवा मूळ विभागात म्हणजेच वित्त विभागात प्रत्यावर्तीत करण्यात आली. कक्ष अधिकारी यांची संख्या 9 असुन फक्त एकच कक्ष अधिकारी नवीन आहे. 6 माजी मुख्यमंत्री तर 2 कक्ष अधिकारी यांनी राजेश टोपे आणि जयदत्त क्षीरसागर यांसकडे काम केले आहे. भगवान सावंत आणि अजय वाघ यांची सेवा मूळ विभागात प्रत्यावर्तीत करण्यात आली. सहायक असलेले रा.सु.सोनावणे यांची सेवा मूळ विभागात प्रत्यावर्तीत करण्यात आली.13 पैकी 8 लघुलेखक, 28 पैकी 24 लिपिक टंकलेखक, 23 पैकी 21 शिपाई मागील सरकारात मुख्यमंत्री कार्यालयात कार्यरत होते.1 विशेष कार्य अधिकारी, 3 लघु टंकलेखक, 1 सहकारी अधिकारी, 1 वरिष्ठ स्वीय सहायक, 1 वरिष्ठ लिपिक, 5 सहायक, 1 लेखा अधिकारी, 1 सहायक लेखा अधिकारी, 1 देयक लेखापाल, 1 नाईक हे  सुद्धा मुख्यमंत्री कार्यालयात असल्याची बाब स्पष्ट होत आहे.

दिनांक 1 डिसेंबर 2014 रोजी फडणवीस सरकारने जारी केलेल्या शासन निर्णयात मागील 10 वर्षात ज्यांनी मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री,मंत्री,राज्यमंत्री यांच्या कार्यालयात खाजगी सचिव, विशेष कार्य अधिकारी व स्वीय सहायक म्हणून कार्य केले असेल त्यांना पुढील 5 वर्षे मंत्री आस्थापनेवर काम करता येणार नसल्याचे नमूद केले होते परंतु यामध्ये चालाखी दाखवित फडणवीस सरकारने अन्य अधिकारी आणि कर्मचारी वृंदाना वगळले होते, असे सांगत अनिल गलगली यांनी फडणवीस सरकारने याबाबतीत पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या स्तुत्य उपक्रमाला हरताळ फासल्याचे नमूद केले. अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पत्र पाठवून त्यांच्याच शासन निर्णयाला न्याय देण्याची मागणी केली आहे.
   

  #  फडणवीसांचे 11 रत्न

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी अश्या 11 बाहेरील लोकांना अमर्याद अधिकार दिले आहेत ज्यामुळे त्यांना हे फडणवीसांचे 11 रत्न असल्याची चर्चा मंत्र्यालयातील सर्वच विभागात होत आहे. 5 विशेष कार्य अधिकारी, 3 सहायक लिपिक आणि प्रत्येकी 1-1 असे 3 पदांवर स्वीय सहायक, सोशल मीडिया एडवाईजर आणि वाहनचालक आहेत. यापैकी 1 भाजपा कार्यकर्ती असून प्रथमच कोण्या मुख्यमंत्र्यांनी आपल्या पक्षांच्या राजकीय चेल्याची वर्णी लावल्याची पहिलीच घटना आहे.

Friday 6 March 2015

BMC pays lawyers a shocking Rs 105 crores as fees in past 13 years


Mumbai: BMC paid lawyers Rs 105 crores as fees in past 13 years to fight cases against it in courts, issues pertaining to majorly illegal constructions and other litigations, this was revealed in a reply to RTI Activist Anil Galgali by the Law dept. The highest amount paid to a single lawyer is Rs 19 crores 13 lakhs 57000, paid to lawyer K K Singhvi.

RTI Activist Anil Galgali had filed an RTI query with with the BMC administration seeking information about the expenses incurred on lawyers fees and also record of total cases being represented by them. Law Dept's Dy law Officer (Small Causes Court) in a reply informed Galgali that, since 2001 to 2014 in the past 13 years, the BMC engaged 151 lawyers to represent them in courts and paid them Rs 105 crores 6 lakhs 84690 as fees. The top 10 lawyers who got the highest fees were K K Sanghvi 19 crores 13 lakhs 57 thousand Rs, Anil Sakhre Rs 10 crores 58 lakhs 51 thousand 5 hundred, G E Vahanvaty Rs 4 crores 90 lakhs 5 thousand 5 hundred, E P Bharucha 4 crores 28 lakhs 43 thousand 250, S U Kamdar Rs 3 crores 65 lakhs 77 thousand, Ramesh Bhat Rs 2 crores 63 lakhs 27 thousand 5 hundred, Pallav Sisodiya 2 crore 6 lakhs 34 thousand 350, J Rais 1 crore 85 lakhs 25 thousand 150, B L Chabbria 1 crore 80 lakhs 81 thousand, Subhash Vyas 1 crore 80 lakhs 47 thousand, which means that these top 10 lawyers cornered totally Rs 51 crores 88 lakhs 14 thousand 900 amongst them out of the total expenditure of 105 crores, which comes to a whopping 49.37% of the total expenses.

    # 21 Crorepati's lawyers

Representing the BMC total 21 lawyers have become crorepati's, apart from the top 10 the others are as follows K N Tawakullis (1,78,93,150), Atul Chitale (1,73,43,024), N V Walawalkar ( 1,68,29,000), Uday Lalit ( 1,64,69,970), D H Mehta ( 1,58,10,000), Ramchandra Apte (1,55,80,000), P K Pandit( 1,43,93,875), S S Pathak ( 1,42,69,320), Bhimrao Naik (1,24,61,000), Chitale & Chitale Partners ( 1,07,87,932), & Anil Singh ( 1,05,96,500).

RTI Activist Anil Galgali had also sought information about the quantum of court cases along with the fees paid, which was not provided with. The Law dept stated that, till now no such independent record is available with the law dept. Galgali stated that, since there is no information of cases wise lawyers details, the performance of the lawyers vis a vis the fees paid to them cannot be ascertained or understood. Hence Anil Galgali in a letter addressed to the Municipal Commissioner Sitaram Kunte has advised that hence forth the BMC should maintain individual lawyers records of cases being represented by them, which will also enable us to understand the performance of those lawyers as well as also give us the insight on the ability of the lawyers to represent which kind of cases in forceful manner. Galgali also advised that the BMC should also try to have a dialogue with the litigants which if successful will save the BMC valuable time and money, which will bring down the cost of fees being paid to lawyers to fight the cases.

अबब ! वकिलांवर पालिकेने 13 वर्षात खर्च केले 105 कोटी

मुंबई: मुंबईतील अनधिकृत बांधकामे आणि अन्य प्रकरणात कोर्ट कचेरीवर पालिकेने  13 वर्षात तब्बल 105 कोटी रुपये खर्च केल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना विधी खात्याने दिली असुन सर्वाधिक जास्त रक्कम 19 कोटी 13 लाख 57 हजार रुपये वकील के.के.सिंघवी यांस दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पालिका प्रशासनाकडे गेल्या 13 वर्षात वकिलांवर झालेला खर्च आणि एकुण प्रकरणाची माहिती मागितली होती. विधि खात्याचे उप विधी अधिकारी (स्माल कॉजेस कोर्ट) यांनी अनिल गलगली यांना वर्ष 2001 पासून 2014 या 13 वर्षाची माहिती दिली। यात 151 वकिलांना 105 कोटी 6 लाख 84 हजार 690 रुपये देण्यात आले आहे. यामध्ये टॉप 10 मध्ये सर्वश्री के.के.सिंघवी असून त्यांस सर्वाधिक रक्कम 19 कोटी 13 लाख 57 हजार रुपये इतकी देण्यात आली आहे. के.के.सिंघवी नंतर अनिल साखरे यांचा नंबर आहे. त्यांस 10 कोटी 58 लाख 51 हजार 500 रुपये देण्यात आले आहेत. जी ई वनावटी यांस 4 कोटी 90 लाख 5 हजार 500 रुपये, ई पी भरुचा  यांस 4 कोटी 28 लाख 43 हजार 250 रुपये, इस यू कामदार यांस 3 कोटी 65 लाख 77 हजार रुपये, रमेश भट्ट यांस 2 कोटी 63 लाख 27 हजार 500 रुपये,पल्लव सिसोदिया यांस 2 कोटी 6 लाख 34 हजार 350 रुपये, जे राईस यांस 1 कोटी 85 लाख 25 हजार 150 रुपये, बी एल छाबरिया यांस 1 कोटी 80 लाख 81 हजार रुपये,सुभाष व्यास यांस 1 कोटी 80 लाख 47 हजार रुपये अशी रक्कम वाटण्यात आली. या टॉप 10 वकिलांवर झालेला खर्च हा एकुण 105 कोटी रुपयांशी तुलना केली असता ती 49.37 प्रतिशत येत आहे. या 10 वकिलांवर पालिकेने 51 कोटी 88 लाख 14 हजार 900 रुपये खर्च केलेले आहे.

        # 21 कोटयाधीस वकील

पालिकेसाठी न्यायालयीन लढाई लढत 21 वकील कोटयाधीस झाले आहेत.यामध्ये के एन तवकुलिस(1,78,93,150),अतुल चितले (1,73,43,024),एन वी वालावलकर(1,68,29,000),उदय ललित  (1,64,69,970), डी एच मेहता (1,58,10,000), रामचंद्र आपटे(1,55,80,000), पी के पंडित (1,43,93,875), एस एस पाठक (1,42,69,320), भीमराव नाईक(1,24,61,000), चितले एंड चितले पार्टनर (1,07,87,932) आणि अनिल सिंह(1,05,96,500)  यांचा समावेश आहे.

  # न्यायालयीन दाव्याची माहिती नाही

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी वकिलांवर झालेल्या खर्चासोबत न्यायालयीन दाव्याची माहिती सुद्धा मागितली असता त्यांस ती दिली गेली नाही. अशा स्वतंत्र अभिलेख सद्या तरी विधी खात्याकडे उपलब्ध नाही आहे. दाव्या वाईज वकिलांची माहिती नसल्यामुळे वकिलांची क्षमता आणि मोजलेले पैसे यांचा हिशोब लागणे अशक्य आहे. तरी भविष्यात पालिकेने त्या त्या वकिलांची विशेष माहिती जतन केल्यास पालिकेला त्या त्या विषयातील दाव्यात कोणता वकील अधिक चांगल्या प्रकाराने पालिकेची बाजू मांडत यश मिळवून देऊ शकतो, याची प्रचिती येण्याचा विश्वास अनिल गलगली यांनी व्यक्त केला.तसेच पालिकेने दावेधारकांशी योग्य सुसंवाद करत प्रकरणे हाताळली तर वकिलांवरील खर्चात मोठी कपात होऊ शकते, अशी सुचना अनिल गलगली यांनी पालिका आयुक्तांना पाठविलेल्या पत्रात केली आहे.

अरे बाप रे ! वकिलों पर मनपा ने 13 वर्ष में खर्च किए 105 करोड़

मुंबई: मुंबई के अवैध निर्माण और अन्य मामलों में कोर्ट कचहरी पर मनपा ने  13 वर्ष में 105 करोड़ से अधिक रुपए खर्च करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को लीगल डिपार्टमेंट ने दी है जिसमें सर्वाधिक अधिक रकम 19 करोड़ 13 लाख 57 हजार रुपए वकील के.के.सिंघवी को दी गई है.

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा प्रशासन से गत 13 वर्ष में वकिलों पर हुआ खर्च और कुल मामलों की जानकारी मांगी थी.लीगल डिपार्टमेंट के डिप्टी लीगल ऑफिसर (स्माल कॉजेस कोर्ट) ने अनिल गलगली को वर्ष 2001 से 2014 इन 13 वर्षो की जानकारी दी। इनमे  151 वकिलों को 105 करोड़ 6 लाख 84 हजार 690 रुपए दिए गए है। इनमें टॉप 10 में सर्वश्री के.के.सिंघवी है जिन्हें सर्वाधिक रकम 19 करोड़ 13 लाख 57 हजार रुपए दिए गए है। के.के.सिंघवी के बाद अनिल साखरे का नंबर आता है। उन्हें 10 करोड़ 58 लाख 51 हजार 500 रुपए दिए गए है। जी ई वनावटी को 4 करोड़ 90 लाख 5 हजार 500 रुपए, ई पी भरुचा को 4 करोड़ 28 लाख 43 हजार 250 रुपए, एस यू कामदार को 3 करोड़ 65 लाख 77 हजार रुपए, रमेश भट्ट को 2 करोड़ 63 लाख 27 हजार 500 रुपए, पल्लव सिसोदिया को 2 करोड़ 6 लाख 34 हजार 350 रुपए, जे रईस को 1 करोड़ 85 लाख 25 हजार 150 रुपये, बी एल छाबरिया को 1 करोड़ 80 लाख 81 हजार रुपए, सुभाष व्यास को 1 करोड़ 80 लाख 47 हजार रुपए ऐसी रकम बांटी गई है। इन टॉप 10 वकिलों पर हुआ खर्च ये कुल 105 करोड़ रुपए की तुलना करने पर हिस्सा 49.37 प्रतिशत आता है। इन 10 वकिलों पर मनपा ने 51 करोड़ 88 लाख 14 हजार 900 रुपए खर्च किए है।

        # 21 करोड़पति वकील

मनपा के लिए मुंबई से सुप्रीम कोर्ट तक न्यायालयीन लडाई लडनेवाले 21 वकील करोड़पति हुए है।टॉप 10 के अलावा इनमें के एन तवकुलिस(1,78,93,150), अतुल चितले (1,73,43,024), एन वी वालावलकर(1,68,29,000), उदय ललित  (1,64,69,970), डी एच मेहता (1,58,10,000), रामचंद्र आपटे(1,55,80,000), पी के पंडित(1,43,93,875), एस एस पाठक (1,42,69,320), भीमराव नाईक(1,24,61,000), चितले एंड चितले पार्टनर (1,07,87,932) और अनिल सिंह(1,05,96,500) का समावेश है।

#    न्यायालयीन मामलों की
       जानकारी नही है

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने वकिलों पर हुए खर्च के साथ न्यायालयीन मामलों की जानकारी मांगी थी जो उन्हें  नही दी गई। ऐसा स्वतंत्र अभिलेख(रेकॉर्ड) फिलहाल लीगल डिपार्टमेंट के पास उपलब्ध नही होने का दावा किया गया। मामलों के स्तर पर वकिलों की जानकारी न होने से वकिलों की क्षमता और मनपा ने गिने हुए धन का हिसाब लगना मुश्किल है। लेकिन भविष्य में मनपा ने उन उन वकिलों की विशेष जानकारी को संग्रहीत किया तो मनपा को उन उन विषयों के मामले में कौनसा वकील अच्छे तरीके से मनपा का पक्ष रखकर यश दिलाकर जीत सकता है, इसकी कल्पना आने का विश्वास अनिल गलगली ने व्यक्त किया. साथ ही मनपा ने याचिकाकर्ताओं से सही सुसंवाद कर मामलों को सुना और उसका निपटान किया तो वकिलों पर हुए खर्च में बड़े पैमाने पर कटौती हो सकती है, ऐसी सूचना अनिल गलगली ने मनपा आयुक्त सीताराम कुंटे को भेजे हुए पत्र में की है।