Saturday 31 December 2016

बैंकेला दिलेल्या रक्कमेची माहिती जाहिर करण्यास आरबीआयचा नकार-  आरटीआय

8 नोव्हेंबर 2016 ला नोटबंदी कँटीक बँकेस किती रक्कम दिली ? याबाबतीत माहिती देण्याऐवजी आरबीआयने साधलेले मौन संशयास्पद आहे.आरबीआयचा दावा आहे की बँकेस दिलेल्या रक्कमेची माहिती जाहिर केल्यास व्यक्तीच्या जीवितेला आणि शारीरिक सुरक्षेला धोका निर्माण होईल आणि सुरक्षा प्रयोजनासाठी विश्वासापूर्वक दिलेल्या माहितीचा स्त्रोत किंवा केलेले सहाय ओळखता येईल. आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांनी आरबीआय ने फेटाळलेल्या आदेशाविरोधात आव्हान दिले आहे. 

आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांनी आरबीआयकडे माहिती मागितली होती की कोणत्या बँकेस किती रक्कम दिली. आरबीआयाचे केंद्रीय जन माहिती अधिकारी पी विजय कुमार यांनी बैंकेस दिलेल्या रक्कमेबाबत मौन बाळगत अनिल गलगली यांस कळविले की आरटीआय एक्ट 2005 चे कलम 8(1) (छ) अंतर्गत सदर माहिती सार्वजनिक करण्यास नकार दिला. आरबीआय ने अजब दावा केला की सदर माहितीमुळे व्यक्तीच्या जीवितेला आणि शारीरिक सुरक्षेला धोका निर्माण होईल आणि सुरक्षा प्रयोजनासाठी विश्वासापूर्वक दिलेल्या माहितीचा स्त्रोत किंवा केलेले सहाय ओळखता येईल. 

अनिल गलगली यांनी आरबीआयच्या या अजब दाव्यास चुकीचे सांगत आरबीआयच्या मुद्रा प्रबंध विभागाच्या कार्यपाल संचालक डॉ दीपाली पंत जोशी यांस कडे प्रथम अपील दाखल करत आव्हान दिले आहे. बैंकेस दिलेली रक्कमेची माहिती सार्वजनिक केल्यास कोणत्याही व्यक्तीच्या जीवितेला किंवा शारीरिक सुरक्षेस धोका निर्माण होणार नाही. अनिल गलगली यांचे म्हणणे आहे  नोटबंदीच्या दरम्यान  सरकारी बैंकेच्या तुलनेत खाजगी बँकेस जास्त रक्कम दिली गेल्यामुळे नोटांची अदला बदली आरबीआय ने निश्चित केलेल्या सीमेच्या जास्त झाली आणि काही लोकांकडे मोठया प्रमाणात नवीन चलन जप्त करण्यात आले. त्यामुळे सदर माहिती सार्वजनिक करण्यात अधिक लोकहित आहे. यामुळे सर्वसामान्यांना त्रास सहन करावा लागला, असे गलगली यांनी नमूद केले आहे.

RBI has refused to make public the amount of currency notes supplied to banks after demonitisation

RTI Activist Anil Galgali had sought data on amount of notes given to each individual bank by RBI. In its reply RBI had cited section 8(1)(g) in The Right To Information Act, 2005 for its inability to share this data. Interestingly, This section bars disclosure on the following counts- "Information, the disclosure of which would endanger the life or physical safety of any person or identify the source of information or assistance given in confidence for law enforcement or security purposes;" Galgali now challenge the order to RBI and file the First Appeal.

RTI Activist Anil Galgali wants to know the amount of currency notes supplied to the bank's after demonitisation. The Public Information Officer, Mr P Vijay Kumar refuse Galgali request and claim that this information not be supply under the section 8(1) (g) of RTI Act 2005. Anil Galgali file first appeal at Dr Deepali Pant Joshi, First Appleate Officer of RBI. Anil Galgali said, This illogical reasoning has left me bewildered. How on Earth, is the detail of bank notes now probably distributed among the bank's going to "endanger" any person or "identify the source" of information. I file an appeal against this illogical & unreasonable response, not expected from the apex bank of the country. 

After the demonitisation, RBI supply the large amount to Private bank instead of Nationalise Government Bank. It's effect upon common man and so many are arrested with new ₹ 2000 currency, said Galgali.

बैंकों को दी गई रकम की जानकारी सार्वजनिक करने से आरबीआई का इंकार - आरटीआई 

8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद किन बैंकों को कितनी रकम दी गई? इस पर जानकारी देने के बजाय आरबीआई ने साधा मौन संदेहास्पद हैं। आरबीआई का अजब दावा यह हैं कि बैंकों को दी गई रकम की जानकारी सार्वजनिक करने पर व्यक्ती के जीवन को खतरा होगा था विधि प्रवर्तन या सुरक्षा प्रयोजन को विश्वास में दी गई सूचना के स्त्रोत की पहचान होगी। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने आरबीआई द्वारा जानकारी न देने पर सूचना का अधिकार के तहत चुनौती हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने आरबीआई से जानकारी मांगी थी कि किन बैंकों को कितनी रकम दी गई। आरबीआई के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी पी विजय कुमार ने बैंकों को जारी की गई रकम पर मौन साधते हुए अनिल गलगली को बताया कि आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 8(1) (जी) के तहत यह सूचना सार्वजनिक करने से इन्कार किया। आरबीआई का तर्क ये था की इस सूचना के प्रकट करने से किसी व्यक्ती के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डालेगा तथा जो विधि प्रर्वतन या सुरक्षा प्रयोजन को विश्वास में दी गई सूचना या सहायता के स्त्रोत की पहचान करेगा।

अनिल गलगली ने आरबीआई के इस तर्क को बेहूदा बताते हुए आरबीआई की मुद्रा प्रबंध विभाग की कार्यपाल निदेशक डॉ दीपाली पंत जोशी के पास चुनौती दी हैं। बैंकों को दी गई धनराशि की जानकारी सार्वजनिक करने से किसी भी व्यक्ती को जीवित या शारीरिक सुरक्षा का खतरा नहीं होगा ना इससे सुरक्षा खतरे में आएगी। अनिल गलगली का मानना हैं कि नोटबंदी के दौरान सरकारी बैंकों की तुलना में निजी बैंकों को अधिक रकम देने से नोट की अदला बदली आरबीआई ने तय की सीमा से अधिक हुई और चंद लोगों के पास बड़े पैमाने पर नई करंसी बरामद हुई। जिससे यह जानकारी सार्वजनिक करना बेहद जनहित में होगा। जिसके चलते आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा, ऐसा गलगली का कहना हैं। 

Tuesday 27 December 2016

एमसीए मैदान का शरद पवार क्रिकेट अकादमी का हुआ नामकरण को एमएमआरडीए की अनुमति नहीं

बीकेसी स्थित एमसीए मैदान का नामकरण शरद पवार क्रिकेट अकादमी किया गया हैं जबकि इस नामकरण को एमएमआरडीए प्रशासन ने किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं देने की जानकारी एमएमआरडीए प्रशासन ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी हैं।

बीकेसी स्थित शैक्षणिक प्रयोजन के लिए आरक्षित भूखंड एमएमआरडीए प्रशासन ने मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन यानी एमसीए को वितरित किया हैं। इस भूखंड पर क्रिकेट कम और अन्य उद्योग धंदा शुरु होने से एमएमआरडीए प्रशासन ने 3 जून 2015 को एमसीए को नोटीस भी जारी की।  अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन को इस बारे में जानकारी मांगने पर भूमी और प्रॉपर्टी विभाग ने उस आवेदन को नगर व क्षेत्र नियोजन विभाग के पास हस्तांतरित किया। नगर व क्षेत्र नियोजन विभाग ने अनिल गलगली को बताया कि 'आरजी 2'  ये  'जी ब्लॉक' की जमीन मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को वितरित की गई हैं। इस भूखंड/ जमीन को 'शरद पवार स्टेडियम क्रिकेट अकादमी ऐसा नामकरण करने का अनुरोध इस विभाग को प्राप्त हुआ नहीं और इस विभाग से ऐसी अनुमति नहीं दी गई। अनिल गलगली ने इसतरह दिए गए नाम पर आश्चर्य जताते हुए अधिकृत तौर पर अनुमति न लेने की शिकायत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से की हैं। मीडिया रिपोर्ट की आधार पर जैसे सहारा श्री सुब्रतो रॉय के नाम पुणे स्थित क्रिकेट स्टेडियम करने के लिए 100 करोड़ से अधिक रकम  वसूल की गई थी उसी तर्ज पर रकम एमसीए से वसूल करने की मांग गलगली ने की हैं।

एमसीए मैदानाचे शरद पवार क्रिकेट अकादमी झालेल्या नामकरणास एमएमआरडीएची परवानगी नाही

बीकेसी येथील एमसीए मैदानाचे नामकरण शरद पवार क्रिकेट अकादमी असे केले गेले असून या नामकरणास एमएमआरडीए प्रशासनाने कोणतीही परवानगी न दिल्याची माहिती एमएमआरडीए प्रशासनाने आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिली आहे.

बीकेसी येथील शैक्षणिक प्रयोजनासाठी राखीव असलेला भूखंड एमएमआरडीए प्रशासनाने  मुंबई क्रिकेट असोसिएशन म्हणजे एमसीए यांस दिला. या भूखंडावर क्रिकेट कमी आणि अन्य उद्योग धंदे सुरु असल्यामुळे एमएमआरडीए प्रशासनाने 3 जून 2015 रोजी एमसीए यास नोटीस जारी केली आहे. अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाला याबाबत माहिती विचारली असता भूमी आणि मिळकत विभागाने तो अर्ज नगर व क्षेत्र नियोजन विभागाकडे हस्तांतरित केला. नगर व क्षेत्र नियोजन विभागाने अनिल गलगली कळविले की 'आरजी 2'  ही 'जी ब्लॉक'  मधील जागा मुंबई क्रिकेट असोसिएशन यास वाटप केली असून या भूखंडास/ जमीनीस 'शरद पवार स्टेडियम क्रिकेट अकादमी असे नामकरण करण्याची विनंती या विभागास प्राप्त झाली नाही व या विभागाकडून अशी परवानगी दिली नाही. अनिल गलगली यांनी अश्या प्रकारचे दिलेल्या नावाबाबत आश्चर्य व्यक्त करत रीतसर परवानगी न घेतल्याची तक्रार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस केली आहे. मीडिया रिपोर्टच्या आधारावर जशी सुब्रतो रॉय यांचे नाव पुणे येथील क्रिकेट स्टेडियमला देताना 100 कोटीहून अधिक रक्कम वसूल केली गेली होती तशी रक्कम एमसीएकडून वसूल करण्याची मागणी गलगली यांची आहे.

MCA ground in BKC illegally changes its name to Sharad Pawar Cricket Academy 

​Mumbai Cricket Association (MCA) has named its Ground leased by MMRDA at Bandra-Kurla complex as Sharad Pawar Indoor Cricket Academy. MMRDA has clarified that lessee MCA has neither sought the permission for naming of the Ground, Nor was such a permission granted to the Cricket Association. RTI Activist Anil Galgali has revealed this major flaw through his queries.

MMRDA had leased the plot to MCA to be used for 'Educational purpose'. On complaint of the plot being utilised for purposes other than education, MMRDA had served a notice to MCA on 3rd June 2015. Anil Galgali had sought details on the same from Land & Properties section of MMRDA. His RTI was summarily transferred to City & Area planning department. This department has now clarified- " (Recreation Ground) R.G- 2 from 'G' block has been alloted to Mumbai Cricket Association. No application for naming this plot/land as 'Sharad Pawar Indoor Cricket Academy's  has been received by this Department, Nor has this department granted such a permission."

Anil Galgali has written to Chief Minister Devendra Fadnavis pointing out this willful lapse on part of MCA and its bearing on the lease conditions. According to media reports, More then Rs 100 crores was charged while granting permission for naming Cricket Stadium in Pune on Sahara Shree Subroto Rai. Galgali has requested that a Similar charge be imposed in this case too.

Sunday 25 December 2016

ख्रिसमस छुट्टी पर उर्दू स्कूल शुरु,हिंदी और मराठी स्कूल को छुट्टी


ख्रिसमस छुट्टी को लेकर मनपा में गड़बड़ी होने से सोमवार को मनपा की उर्दू स्कूल शुरु रखी गई थी लेकिन  हिंदी और मराठी स्कूल को छुट्टी दी गई । मनपा की इस गड़बड़ी की जानकारी मनपा आयुक्त अजोय मेहता को देकर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई महानगरपालिका के अतंर्गत सभी स्कूलों में एक ही नियम और शर्त जारी करने की मांग की हैं।

सोमवार को हिंदी और मराठी स्कूल को छुट्टी घोषित की गई लेकिन उर्दू स्कूल शुरु थी। इससे गड़बड़ी का माहौल बना था। स्कूली बच्चे स्कूल हैं यह समझकर सुबह स्कूल में आए थे पर उन्हें स्कूल का गेट बंद मिला। महानगरपालिका में शिक्षा को लेकर शिक्षा विभाग को एक ही फैसला लेने की आवश्यकता हैं। सबको छुट्टी घोषित करे या स्कूल को शुरु रखे। इस मामले में हुई भूल को सुधारकर भविष्य में सही फैसला लेते हुए मुंबई महानगरपालिका के अतंर्गत सभी स्कूलों में एक ही नियम और शर्त जारी करने की मांग अनिल गलगली ने की हैं।

ख्रिसमस सुट्टीला उर्दू शाळा सुरु, मराठी आणि हिंदी शाळेस सुट्टी


ख्रिसमस सुट्टीस घेऊन पालिकेचा गोंधळ सुरु असून सोमवारी पालिकेची उर्दू शाळा सुरु ठेवण्यात आली तर मराठी आणि हिंदी शाळेस सुट्टी देण्यात आली. या गोंधळाची माहिती पालिका आयुक्त अजोय मेहता यांस देत आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई महानगरपालिकेतंर्गत सर्व शाळात एकच नियम आणि निकष जारी करण्याची मागणी केली आहे.

काल सोमवारी मराठी आणि हिंदी शाळेस सुट्टी जाहीर करण्यात आली तर उर्दू शाळा सुरु होती. यामुळे गोंधळ निर्माण झाला . कित्येक मुले शाळा आहे म्हणून सकाळी शाळेत आली होती पण शाळेचे दार बंद होते. महानगरपालिकेत शिक्षण खात्यानी एकच निर्णय घेणे आवश्यक आहे. सरसकट सुट्टी जाहीर करा किंवा शाळा सुरु ठेवावी. याबाबतीत भविष्यात सुधार करत योग्य तो निर्णय घेत मुंबई महानगरपालिकेतंर्गत सर्व शाळात एकच नियम आणि निकष जारी करण्याची मागणी अनिल गलगली यांनी केली आहे.

Friday 23 December 2016

सरकारी विज्ञापन में कार्यक्रम के समय का जिक्र ही नहीं

महाराष्ट्र सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर दिया विज्ञापन उसवक्त प्रभावहीन हुआ जब उसमें कार्यक्रम का समय का ज़िक्र करना ही भूल गए । सरकार ने प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी द्वारा होनेवाले शिवस्मारक जलपूजन और भूमिपूजन के साथ गतिवान मुंबई के विज्ञापन की गलती आरटीआई  कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सरकार के ध्यानार्थ लाने का काम किया है।

सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा होनेवाले शिवस्मारक जलपूजन और भूमिपूजन के साथ गतिवान मुंबई का विज्ञापन शनिवार को सभी अखबारों के अलावा टीवीवर झलक रही थी। एमएमआरडीए मैदान में प्रधानमंत्री मोदी का भव्य दिव्य कार्यक्रम होने से मुंबईकरों को इस कार्यक्रम में उपस्थित रहने की अपील की गई थी। लेकिन प्रत्यक्ष में इस विज्ञापनों में कार्यक्रम के समय की जानकारी नहीं दी गई। जिससे आम लोगो में संभ्रम का माहौल बना हुआ था। इन सभी विज्ञापनों में हर स्थान पर  महाराष्ट्र शासन और एमएमआरडीएचा का जिक्र तो था जिससे इस विज्ञापन को प्रकाशित करनेवाली सरकारी यंत्रणा से इतनी बड़ी भूल आखिर कैसी हुई? यह सवाल अनिल गलगली ने किया हैं। 

महाराष्ट्र शासनाच्या जाहिरातीत कार्यक्रमाची वेळ दिलीच नाही

शासनाने कोटयावधी रुपयांची दिलेली जाहिरात निष्प्रभ ठरली जेव्हा त्या जाहिरातीत कार्यक्रमाची वेळ न कळवण्याची अक्ष्यम चूक झाली. शासनाने पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या मार्फत शिवस्मारक जलपूजन आणि भूमिपूजन सोबत गतिवान मुंबईची जाहिरातीतील चूक आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी शासनाच्या लक्षात आणून दिली आहे.

शासनाने पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या मार्फत होणा-या शिवस्मारक जलपूजन आणि भूमिपूजन सोबत गतिवान मुंबईची जाहिरात शनिवारी सर्वच वर्तमानपत्रासोबत टीवीवर झलकत होती. एमएमआरडीए मैदानात पंतप्रधान मोदी यांचा भव्य दिव्य कार्यक्रम सुद्धा असून मुंबईकरांस या कार्यक्रमासाठी उपस्थित राहण्याचे आवाहन करण्यात आले होते. पण प्रत्यक्षात जाहिरातीत कोठेही कार्यक्रमाची वेळ न दिली असल्यामुळे गोंधळ निर्माण झाला. या सर्वच जाहिरातीत पदोपदी महाराष्ट्र शासन आणि एमएमआरडीएचा उल्लेख असल्यामुळे जबाबदार शासकीय यंत्रणेकडून इतकी मोठी चूक कशी झाली असावी? असा प्रश्न अनिल गलगली यांनी केला आहे.

Monday 19 December 2016

नोटबंदीच्या दिवशी 2 हजार रुपयांच्या 4.95 लाख कोटींचे चलन आरबीआयकडे छापून तयार होते

पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी 8 नोव्हेंबर 2016 रोजी चलनातून 500 आणि 1000 च्या नोटा रद्द करण्याची घोषणा केली होती त्या दिवशी फक्त 2 हजार रुपयांच्या 4,94,640 कोटींच्या नोटा छापून तयार असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांस भारतीय रिजर्व बैंकने दिली आहे. मोदी यांच्या या निर्णयामुळे फक्त सामान्य नागरिकाबरोबर भारतीय रिजर्व बैंकेला सुद्धा  500 आणि 1000 मूल्याच्या 20,51,166.52  कोटी चलनावर पाणी सोडावे लागले. भारतीय रिजर्व बैंकेने त्यांच्याकडे  असलेल्या स्टॉकच्या एक चतुर्थांश चलनाची छपाई केली.

आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांनी भारतीय रिजर्व बैंकेस नवीन आणि जुन्या नोटांबाबत विविध माहिती विचारली होती. भारतीय रिजर्व बैंकेच्या केंद्रीय जन माहिती अधिकारी पी विजयकुमार यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की ज्या दिवशी म्हणजे 8 नोव्हेंबर 2016 ला पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी नोटबंदीची घोषणा सार्वजनिक केली होती त्यावेळी भारतीय रिजर्व बैंकेकडे नवीन 500 रुपये मूल्यांच्या एक ही चलन नव्हते. नवीन 2000 रुपये मूल्यांची एकूण चलनाची किंमत 24732 कोटी होती आणि त्याची एकूण किंमत 4,94,640 कोटी होती.

याउलट ज्या दिवशी म्हणजे 8 नोव्हेंबर रोजी नोटबंदी केली गेली होती त्यावेळी भारतीय रिजर्व बैंकेकडे 10, 20, 50, 100, 500 आणि 1000 रुपये मूल्यांच्या एकूण चलनाची संख्या 12,42,300.1 कोटी होती तर त्याची एकूण किंमत 23,93,753.39 कोटी होती. यात 500 आणि 1000 मूल्यांच्या चलनाची संख्या 3,18,919.2 कोटी होती ज्याची एकूण किंमत  20,51,166.52 कोटी होती. म्हणजे एकूण चलनापैकी 86 टक्के चलन नोटबंदीमुळे रद्द झाले होते. प्रत्यक्षात भारतीय रिजर्व बैंकेने फक्त नवीन 2000 रुपयांच्या मूल्यांच्या 24732 कोटी चलनाची छपाई केली.ज्याची एकूण किंमत 4,94,640 कोटी आहे.

अनिल गलगली यांच्या मते भारतीय रिजर्व बैंकेच्या माहितीच्या आधारे शासनाने इतका मोठा निर्णय घेण्यापूर्वी कोणत्याही प्रकारचा अभ्यास केला नाही ना व्यावहारिक दृष्टिकोणातून काम केले कारण सद्या  भारतीय रिजर्व बैंकेकडे चलन होते त्यापैकी 86 टक्के चलन रद्द झाले आणि त्यांच्या पूर्तिसाठी शासनाने 24.11 टक्याच्या फक्त 2000 रुपये मुल्याचे चलन छापले आहे. अनिल गलगली यास अविवेकी निर्णय सांगत भविष्यात अश्याप्रकारच्या आपत्कालीन प्रसंगातून सावरण्याचे आवाहन शासनास केले आहे

नोटबंदी के दिन 4.95 लाख करोड़ की सिर्फ 2 हजार की करंसी छपकर तैयार थी आरबीआई के पास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को चलन से 500 और 1000 की करंसी रद्द करने की घोषणा की थी उस दिन सिर्फ 2 हजार की 4,94,640 करोड़ की करंसी छपकर तैयार थी। यह जबाब आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को भारतीय रिजर्व बैंक ने दिया हैं। मोदी के इस फैसले से सिर्फ आम आदमी परेशान नहीं हुआ बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक को भी 500 और 1000 मूल्य की 20,51,166.52 करोड़ की करंसी पर पानी फेरना पड़ा हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने भारतीय रिजर्व बैंक को नई और पुरानी करंसी को लेकर विभिन्न जानकारी मांगी थी। भारतीय रिजर्व बैंक की केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी पी विजयकुमार ने अनिल गलगली को बताया कि जिस दिन यानी 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी उस वक्त भारतीय रिजर्व बैंक के पास नए 500 रुपए मूल्य की करंसी नहीं थी। नए 2000 रुपए मूल्य की कुल करंसी की संख्या 24732 करोड़ की थी और उसकी कुल किंमत 4,94,640 करोड़ थी। 

वहीं जिस दिन यानी 8 नवंबर को नोटबंदी की गई उस वक्त भारतीय रिजर्व बैंक के पास 10, 20, 50, 100, 500 और 1000 रुपए के मूल्य के कुल करंसी की संख्या 12,42,300.1 करोड़ थी जिसकी कुल किंमत 23,93,753.39 करोड़ थी। इसमें से 500  और 1000 मूल्य की करंसी की संख्या 3,18,919.2 करोड़ थी जिसकी कुल किंमत 20,51,166.52 करोड़ थी। यानी कुल मौजूद करंसी की 86 प्रतिशत करंसी नोटबंदी से रद्द हुई। जबकि भारतीय रिजर्व बैंक ने सिर्फ नई 2000 रुपए मूल्य की कुल 24732 करोड़ करंसी छापी थी जिसकी कुल किंमत 4,94,640 करोड़ हैं। 

अनिल गलगली के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक की जानकारी के आधार पर सरकार ने इतना बड़ा फैसला लेने के पहले किसी भी तरह का अध्ययन तो किया ही नहीं ना व्यावहारिक दृष्टिकोण से काम किया क्योंकि जो मौजूदा करंसी भारतीय रिजर्व बैंक के पास थी उसका 86 प्रतिशत का हिस्सा नोटबंदी के चलते चलन से बाहर हुआ और उसकी पूर्ति करने के लिए सरकार ने उसकी तुलना में 24.11 प्रतिशत की सिर्फ 2000 रुपए मूल्य की करंसी छापी। अनिल गलगली ने इसे अविवेकपूर्ण फैसला बताते हुए भविष्य में इसतरह के आपदा से बचने की सरकार से अपील की।।

On 8th November, RBI had just Rs 4.95 lakh crore worth notes of Rs 2000

On 8th November 2016, the day Prime Minister Narendra Modi announced demonetization , The Reserve Bank of India (RBI) had only 24732 lakh new notes of Rs 2000 denomination in its stock, Valued at Rs 4,94,640 Crores. This actually was less than One-fourth of RBI's own stock of demonetizated notes of Rs 500 & Rs 1000 currency valued at Rs 20,51,166.52 that turned in to 'shreds of paper' on that very day.

These startling facts have come to light through an RTI reply communicated by RBI to RTI Activist Anil Galgali. Interestingly, It has also been revealed that not a single new note of Rs 500 in currency was available with RBI on the day Demonitisation was implemented.  On the D-day, Apart from newly printed Rs 2000 notes, RBI had a total stock of Rs 23,93,753.39 in its kitty. 85.6% of these 'older' notes valued at Rs 20,511,66.69 were of demonetizated Rs 500 and Rs 1000 demonetization. While Rs 10, Rs 20, Rs 50 & Rs 100 stock available with RBI at Rs 34,25,86.86 was a mere 14.31% of the notes in currency on that day, Facts revealed by P Vijaykumar , Public information Officer to Galgali indicate.

According to Anil Galgali, RBI was well aware of the gamble it was taking on a decision that would wreck havoc on lives of Crores of Indian citizens. You need not be a financial expert to figure out this unwarranted hurry in demonetization had to result in a financial crunch. With 86.69% of available stock of currency notes being taken away from circulation and less than one-fourth (24.11%) of these being replenished by newly printed Rs 2000 notes, the decision of demonetization seems neither prudent, nor reasonable, Said Galgali.

Thursday 15 December 2016

मुंबई सिवरेज प्रोजेक्ट की सलाह पर 180 करोड़ का खर्च

मुंबई महानगरपालिका देश की सबसे अमीर महानगरपालिका होने से हर काम का खर्च करोड़ों में होता हैं। मुंबई सिवरेज प्रोजेक्ट की सलाह के लिए 4 सलाहकारों पर 180 करोड़ खर्च होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई महानगरपालिका ने दी हैं।

आरटीआई कार्यकर्ते अनिल गलगली ने मुंबई महानगरपालिका के मुंबई सिवरेज प्रोजेक्ट कार्यालय से मुंबई सिवरेज प्रोजेक्ट के लिए नियुक्त किए गए सलाहकार और उसपर हुआ खर्च की जानकारी मांगी थी। मुंबई सिवरेज प्रोजेक्ट के उप प्रमुख अभियंता ने अनिल गलगली को बताया कि मुंबई सिवरेज प्रोजेक्ट चरण -2 के काम के लिए मेसर्स मॉट मैकडोनाल्ड प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स आर.व्ही. एंडरसन और असोसिएट, मेसर्स मॉट मैकडोनाल्ड लिमिटेड तथा मेसर्स पी.एच.ई.कंन्सलेट इन समूह को सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया गया हैं। इन सलाहकारों की नियुक्ती मुंबई महानगरपालिका के सात जल मल परिमंडल के प्रोजेक्ट के लिए की गई हैं। कुलाबा, वरली, वांद्रे, वर्सोवा, मालाड,भांडूप, घाटकोपर इस मल जल प्रक्रिया केंद्र के लिए रु. 180 करोड़ इतनी रकम सलाहकारों को देनी थी। उसमें से रु. 141.77 करोड़ रकम सलाहकारों को अदा की गई हैं। सिर्फ रु. 38.23 करोड़ देना शेष हैं। इन सलाहकारों की अवधि अप्रैल 2015 में खत्म हुई हैं। मनपा ने दंडात्मक कार्रवाई न करने का दावा किया हैं।मनपा ने हर एक सलाहकारों को दी हुई रकम की जानकारी नहीं दी।

180 करोड़ के अलावा मनपा ने मल जल टनेल के लिए मेसर्स टाटा कंन्सल्टिंग, ब्राह्मणवाडी और काढेश्वरी उदंचन केंद्र के लिए मेसर्स वेपक्रॉस एवंम वल्लभनगर उदंचन केंद्र के लिए मेसर्स फीशमन प्रभु इस सलाहकारों की नियुक्ती की गई हैं। मेसर्स टाटा कंन्सल्टिंग को कुलाबा और वर्सोवा मल जल प्रक्रिया केंद्र वहीं मेसर्स फीशमन प्रभु इस सलाहकार को घाटकोपर और भांडूप मल जल प्रक्रिया केंद्र, मेसर्स एन.जे.एस.इं (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड इस सलाहकार को वरली और वांद्रे मल जल प्रक्रिया केंद्र  और मेसर्स ब्लॅक अँड विच प्रायव्हेट लिमिटेड इस सलाहकार को मालाड मल जल प्रक्रिया केंद्र दिया गया हैं।

अनिल गलगली के अनुसार मनपा के पास उच्च गुणवत्ताधारक अधिकारी होते हुए बाहरी सलाहकारों पर इतनी बड़ी खर्च करने के बजाय और अच्छे गुणवत्ता के और अनुभवी अधिकारी नियुक्त करना मुनासिफ़ होता।

मुंबई मलनि:सारण प्रकल्पाच्या सल्ल्यासाठी 180 कोटींचा खर्च

मुंबई महानगरपालिका देशातील सर्वांत श्रीमंत महानगरपालिका असून येथील प्रत्येक बाबीचा खर्च कोटीत असतो. मुंबई मलनि:सारण प्रकल्पाच्या सल्ल्यासाठी 4 सल्लागारावर 180 कोटींचा खर्च केल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई महानगरपालिकेने दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई महानगरपालिकेच्या मुंबई मलनि:सारण प्रकल्प कार्यालयाकडे मुंबई मलनि:सारण प्रकल्पासाठी नेमलेले सल्लागार व त्यावर केलेला खर्चाची माहिती मागितली होती. मुंबई मलनि:सारण प्रकल्पाचे उप प्रमुख अभियंता यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की मुंबई मलनि:सारण प्रकल्प टप्पा-2 प्राधान्य कामासाठी मेसर्स मॉट मैकडोनाल्ड प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स आर.व्ही. एंडरसन आणि असोसिएट, मेसर्स मॉट मैकडोनाल्ड लिमिटेड आणि मेसर्स पी.एच.ई.कंन्सलेट या समूहास सल्लागार म्हणून नेमण्यात आले होते. या सल्लागारांची नियुक्ती मुंबई महानगरपालिकेच्या अखत्यारीतील सात जल मल परिमंडळातील प्रकल्पासाठी करण्यात आली होती. कुलाबा, वरळी, वांद्रे, वर्सोवा, मालाड,भांडूप, घाटकोपर या मल जल प्रक्रिया केंद्रासाठी रु. 180 कोटी इतकी रक्कम सल्लागारांना दयावयाची होती.त्यापैकी रु. 141.77 कोटी रक्कमेचे अधिदान सल्लागारांना  देण्यात आली असून रु. 38.23 कोटी देणे प्रलंबित आहे. सदर सल्लागारांची मुदत एप्रिल 2015 मध्ये समाप्त झाली आहे. पालिकेने दंडात्मक कार्रवाई न केल्याचा दावा केला आहे. पालिकेने प्रत्येक सल्लागारांस दिलेली रक्कमेची माहिती देण्याचे टाळले.

180 कोटी व्यतिरिक्त पालिकेने प्राधान्य मल जल बोगदेसाठी मेसर्स टाटा कंन्सल्टिंग, ब्राह्मणवाडी आणि काढेश्वरी उदंचन केंद्रासाठी मेसर्स वेपक्रॉस तसेच वल्लभनगर उदंचन केंद्रासाठी मेसर्स फीशमन प्रभु या सल्लागारांची नियुक्ती करण्यात आली आहे. मेसर्स टाटा कंन्सल्टिंगला कुलाबा आणि वर्सोवा मल जल प्रक्रिया केंद्र, मेसर्स फीशमन प्रभु या सल्लागारांस घाटकोपर आणि भांडूप मल जल प्रक्रिया केंद्र, मेसर्स एन.जे.एस.इं (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड या सल्लागारांस वरळी आणि वांद्रे मल जल प्रक्रिया केंद्र तसेच मेसर्स ब्लॅक अँड विच प्रायव्हेट लिमिटेड या सल्लागारांस मालाड मल जल प्रक्रिया केंद्र दिले गेले आहे.

अनिल गलगली यांच्या मते पालिकेकडे उच्च दर्जाचे अधिकारी असतानाही सल्लागारांवर इतकी प्रचंड रक्कम खर्च केली जात आहे. सल्लागारांऐवजी अजुन चांगल्या दर्जाचे आणि अनुभवी अधिकारी नियुक्त करणे योग्य ठरले असते.

BMC doles out Rs 180 crores to Consultants on Sewerage projects

BrihanMumbai Municipal Corporation (BMC) has paid a whooping amount of Rs. 180 crores to private firms appointed for consultancy in its sewerage projects.

Ongoing inquiry in to BMC‘s Sewerage projects by RTI Activist Anil Galgali shows that the amount spent on consultancy may be much more. In reply to Galgali's RTI, Deputy Chief Engineer of BMC sewerage department has only shared the amount given to 4 consultancy firms. It revealed that a amount of Rs 180 crores was sanction to be paid to M/s Mot MacDonald Pvt. Ltd. M/s R.V. Anderson, M/s Mot MacDonald Ltd. & Associates and M/s P.H.E. Consultants. These Consultancy were appointed under 2nd phase of BMC Sewerage project for 7 different sewerage processing Zones at Colaba, Worli, Bandra, Versova, Malad, Bhandup and Ghatkopar.

The period of consultancy has lapsed in April 2015 and out of 180 crores, Rs 141.77 has already been paid to them. Payment of Rs 38.23 is due to be paid to them. BMC has clarified that no fine has been imposed on these consultancy firms. Sewerage department has given a consolidated record of these 4 consultants, not sharing details of payments & due pending to each of these individual private firms.

Apart from these four, BMC has appointed a few other firms for consultancy on its sewerage projects. They are- M/s Tata Consultancy for Water-Sewerage tunnel, M/s Wepcross for Brahmanwadi & Kadheshwari pumping stations & M/s Fishman-Prabhu for Vallabh Nagar pumping station projects. Tata Consultancy is also overlooking Colaba and Versova sewerage water treatment centre Fishman-Prabhu is consultant for Sewerage water treatment centre in Ghatkopar and Bhandup. M/s N.J.S.I.  (India) Pvt. Ltd. is offering consultacy to Worli and Bandra Sewerage Water treatment plants. While, Black & Wich are appointed as consultants for Malad Sewerage water treatment plant.

Anil Galgali says that with such a experienced talent pool of officers available with the BMC, There is no need to appoint outside private consultants. Instead of giving out hundred of crores to outside private parties, BMC could appoint other Top Quality experienced consultants of its own.

Monday 12 December 2016

राशनिंग मामले में महाराष्ट्र सरकार अमल में लाए वर्ष 2012 का शासन निर्णय

मुंबई-ठाणे के राशनिंग दुकानदारों को न्याय मिलना चाहिए। सरकार को वाधवा कमिटी की रिपोर्ट पर काम करते हुए वर्ष 2012 का शासन निर्णय अमल में लाने की संयुक्त मांग रविवार को वरली में आयोजित बैठक में की गई।

मुंबई-ठाणे में 4000 से अधिक राशनिंग की दुकान हैं। इनपर ज्यादती करते हुए जो कार्रवाई होती हैं उससे व्यवसाय पर असर पड़ता हैं। इन समस्याओं को लेकर मुंबई अधिकृत शिद्यावाटप दुकानदार वेलफेयर एसोसिएशन ने वरली के दि क्वीनी सभागृह में इसपर बैठक का आयोजन किया था। इस बैठक को आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि महाराष्ट्र के कुल राशनिंग कार्ड धारकों में से करीब 18 प्रतिशत कार्ड मुंबई-ठाणे से हैं। ऐसे में शहरी और ग्रामीण इलाकों की तुंलना करना संभव नहीं हैं। गलगली ने 23 फरवरी 2012 का शासन निर्णय को अमल में लाने के साथ वाधवा कमिटी की रिपोर्ट को भी लागू करने की मांग की हैं। सरकार के साथ मिलकर मार्ग निकालने की जरुरत होने की बात पर जोर देते हुए ऑटलॉप फाउंडेशन के महासचिव अरुण भालेराव ने कहा कि अब एकसाथ आकर लड़ने की जरुरत हैं। इस मौके पर पांडुरंग लांडे, रामचंद्र नाईक, अब्दुल पटेल, स्वप्निल पवार, प्रशांत गुप्ता, अजय गुप्ता, यादवेंद्र पांडेय, संतोष कदम, अशोक सिंह, सुशील मिश्रा उपस्थित थे। 

शिधावाटप प्रकारण अंतर्गत शासनाने वर्ष 2012 चा शासन निर्णय अंमलात आणावा

मुंबई-ठाणे येथील शिधावाटप दुकानदारांस न्याय मिळणे गरजेचे आहे. शासनाने वाधवा समितीचा अहवाल आणि वर्ष 2012चा शासन निर्णय अंमलात आणण्याची मागणी वरळी येथील आयोजित बैठकीत केली गेली.

मुंबई-ठाणे येथील 4000 हून अधिक शिधावाटप दुकान आहे. यांसवर होणारा अन्याय पाहता मुंबई अधिकृत शिधावाटप दुकानदार वेलफेयर असोसिएशनने वरळी येथील दि क्वीनी सभागृहात बैठकीचे आयोजन केले होते. या बैठकीस आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी संबोधित करताना प्रतिपादन केले की महाराष्ट्र राज्यातील एकुण शिधावाटप कार्डधारकापैकी 18 टक्के कार्ड मुंबई-ठाणे भागातील आहेत. अश्या वेळी शहर आणि ग्रामीण भागाची तुलना करणे संयुक्तिक ठरणार नाही. गलगली यांनी 23 फेब्रुवारी 2012 चा शासन निर्णय अंमलात आणत वाधवा समितीचा अहवाल सुद्धा लागू करण्याची मागणी केली.शासन बरोबर चर्चा करत काढण्यावर जोर देत ऑटलॉप फाउंडेशन के सरचिटणीस अरुण भालेराव यांनी प्रतिपादन केले की सर्वांनी एकत्र येत लढण्याची गरज आहे. यावेळी  पांडुरंग लांडे, रामचंद्र नाईक, अब्दुल पटेल, स्वप्निल पवार, प्रशांत गुप्ता, अजय गुप्ता, यादवेंद्र पांडेय, संतोष कदम, अशोक सिंह, सुशील मिश्रा उपस्थित होते.

Saturday 10 December 2016

चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्थेचे पितळ उघडे

दि इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडियन चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ़ इंडिया या चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्थेने नोटबंदीवर आपले मत मांडण्यास सदस्यांस मनाई केली होती याबाबीचा गौप्यस्फोट  ट्विटर वर आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली करताच संस्थेने गलगली यांच्या ट्विटर खात्यास ब्लॉक करत पळ काढला.

दि इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडियन चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ़ इंडिया या चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्थेने जारी केलेले सदस्यांस पत्र आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी ट्विटर प्रकाशित करत याप्रकाराबद्दल आश्चर्य व्यक्त केले. गलगली यांच्या ट्विट नंतर ते वायरल झाले आणि सर्व स्तरातून नकारात्मक प्रतिक्रिया येताच संस्थेस आपली चूक लक्षात आली. अनिल गलगली यांच्या प्रत्यक्ष ट्विट नंतर चार्टर्ड अकाउंटेंट यांनी सुद्धा या प्रकाराचा प्रचंड विरोध केला. ज्या गलगली यांच्या एका ट्विट मुळे हा सर्व प्रकार घडला त्या गलगली यांच्या ट्विटवर हँडलला दि इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडियन चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ़ इंडिया या चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्थेने ब्लॉक केले. त्यानंतर संस्थेने आपल्या साईटवरुन ते आक्षेपदायक पत्र काढून टाकले. अनिल गलगली यांच्या मते नोटबंदीच्या बाबतीत सामान्य नागरिक सर्वप्रथम चार्टर्ड अकाउंटेंट  यास संपर्क करतो. एक व्यवासायिक होण्यापूर्वी या भारताचा नागरिक या नात्याने चार्टर्ड अकाउंटेंट यांस आपले विचार मांडण्याचा अधिकार जो घटनेने दिलेला आहे तो हिरावून घेण्याचा प्रकार दि इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडियन चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ़ इंडिया ही चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्था करत असल्याचा आरोप अनिल गलगली यांनी केला आहे. राजकारणी नेहमीच आरोप करतात की कर चुकविणा-या लोकांस चार्टेड अकाउंटंट मदत करतात आणि आता हेच चार्टेड अकाउंटंट राजकारण्याची तळी उचलताना दिसत आहेत.