Thursday 30 July 2020

कोविड 19 चा मुकाबला करण्यासाठी मुंबई पालिकेला मिळाले फक्त 86 कोटी रुपये

देशात कोविडचे सर्वाधिक रुग्ण मुंबईत असूनही सरकार आणि देणगीदारांनी मुंबई मनपाला उघड मदत केली नाही. कोविड 19 चा मुकाबला करण्यासाठी मुंबई पालिकेला गेल्या 4 महिन्यांत अवघ्या 86 कोटींची मदत मिळाल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई महानगरपालिकेने दिली मिळाली आहे. या फंडाचा सर्वाधिक वाटा मुंबई शहर जिल्हाधिकारीचा असून एकूण जमा रक्कमेपैकी 84 टक्के रक्कम आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी कोविड 19 अन्वये मुंबई महानगरपालिकेला मिळालेल्या निधीची माहिती मागविली होती. मुंबई पालिकेच्या वित्त विभागाच्या मुख्य कार्यालयाने अनिल गलगली यांना मिळालेल्या विविध प्रकारच्या निधीची माहिती दिली.

गेल्या 4 महिन्यांत मुंबई पालिकेला कोविड 19 साठी एकूण 86 कोटी 5 लाख 30 हजार 303 रुपये मिळाले आहेत. या निधीमध्ये मुंबई शहर जिल्हाधिका-यांनी 72.45 कोटी रुपये दिले आहेत. ही सर्वात मोठी रक्कम आहे आणि प्राप्त झालेल्या एकूण निधीपैकी 84 टक्के आहेत. त्यानंतर मुंबई उपनगर जिल्हाधिकार्‍यांनी 11.45 कोटी जमा केले आहेत. वस्त्रोद्योग मंत्रालयाने केवळ 50 लाख रुपये दिले आहेत. खासगी लोकांनी 35.32 लाख रूपयांची मदत केली असून आमदारांकडून केवळ 1.29 कोटी निधीमध्ये जमा झाले आहेत. यामध्ये केवळ 7 आमदारांचा समावेश आहे.

अनिल गलगली म्हणाले की, कोविड 19 अन्वये आजमितीला मुंबई पालिकेने 700 कोटींपेक्षा जास्त खर्च केला आहे. ना केंद्र सरकारने मुंबई पालिकेला सहाय्य केले ना मुख्यमंत्र्यांच्या सहाय्यता निधीतून  कोणतीही मदत प्राप्त झाली नाही. मुंबई मनपाच्या तिजोरीत कोविड 19 साठी पैसे उभे करण्यासाठी आयुक्त, महापौर, आयएएस अधिकारी आणि नगरसेवकांनी कोणतीही पुढाकार घेतलेला नसल्याची बाब गलगली यांनी नमूद केली.

कोविड 19 से निपटाने के लिए मुंबई मनपा को मिले सिर्फ 86 करोड़

देश में सबसे अधिक कोविड 19 से प्रभावित मरीजों की संख्या मुंबई में होने के बावजूद भी सरकार और दानवीरों ने मुंबई मनपा को दिल खोलकर मदद नहीं की है। कोविड 19 से निपटान के लिए मुंबई मनपा को 4 महीने में सिर्फ 86 करोड़ रुपए का फंड प्राप्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई मनपा ने दी हैं। इस फंड में सर्वाधिक हिस्सा मुंबई शहर कलेक्टर का 84 प्रतिशत हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई मनपा से जानकारी मांगी थी कि कोविड 19 के तहत मुंबई मनपा को प्राप्त फंड की जानकारी दी जाए। मुंबई मनपा का वित्त विभाग के  प्रमुख लेखापाल कार्यालय ने अनिल गलगली को प्राप्त 5 प्रकार के फंड की जानकारी दी। 


गत 4 महीने में मुंबई मनपा को कुल 86 करोड़ 5 लाख 30 हजार 303 रुपए कोविड 19 के लिए प्राप्त हुए। इस फंड में मुंबई शहर कलेक्टर ने 72.45 करोड़ रुपए दिए है। यह सबसे बड़ी धनराशि हैं और कुल प्राप्त फंड का 84 प्रतिशत हैं। उसके बाद 11.45 करोड़ रुपए मुंबई उपनगर कलेक्टर द्वारा जमा किए गए है। सिर्फ 50 लाख रुपए वस्त्रोद्योग मंत्रालय ने दिए है। 35.32 लाख रुपए की मदद निजी लोगों ने की हैं और विधायकों की ओर से सिर्फ 1.29 करोड़ की धनराशि फंड में जमा हुई है। इनमें सिर्फ 7 विधायकों का शुमार है।


अनिल गलगली ने कहा कि यह फंड न के बराबर हैं क्योंकि मुंबई मनपा ने अबतक 700 करोड़ से अधिक की धनराशि कोविड 19 पर खर्च की हैं। केंद्र ने मदद नहीं की ना मुख्यमंत्री रिलीफ फंड से कोई आर्थिक सहायता मिली है। मुंबई के कमिश्नर, महापौर, आईएएस अधिकारी और नगरसेवकों ने मुंबई मनपा की तिजोरी में कोविड 19 के लिए पैसे जुटाने के लिए किसी भी तरह की पहल नहीं की हैं, इसपर गलगली ने अचरज जताया।

Friday 24 July 2020

केंद्र सरकार से महाराष्ट्र को सर्वाधिक मिले एन 95 मास्क, किट्स, टैबलेट और वेंटिलेटर

विश्व में तेजी से फैलता कोरोना ने भारत में भी पांव फैलाए। भारत में कोरोना को लेकर केंद्र सरकार ने राज्य स्तर पर कोरोना से लड़ने के लिए उपकरणों की मदद की। इस मदद में महाराष्ट्र को सर्वाधिक मिले मास्क,किट्स, टैबलेट और वेंटिलेटर आबंटित करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने दी हैं। अब तक कुल 2.18 करोड़ एन 95 मॉक, 1.21 करोड़ पीपीई किट्स, 6.12 करोड़ एचसीक्यू टैबलेट और 9150 वेंटिलेटर केंद्र सरकार ने पूरे देश में आबंटित किए हैं।


आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग से 1 मई 2020 को कोविड 19 अंतर्गत राज्यों को आबंटित उपकरण और साम्रगियों की जानकारी मांगी थी। इसकी जानकारी देने से इनकार करने पर अनिल गलगली ने 1 जून 2020 को दायर प्रथम अपील पर उन्हें जानकारी देने का आदेश मंत्रालय के निदेशक राजीव वाधवान ने जारी किया और साम्रगी की जानकारी अनिल गलगली को देने के लिए एचएलएल लाइफ केअर लिमिटेड को दिया।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अवर सचिव जी के पिल्लई ने अनिल गलगली को 10 जुलाई 2020 तक राज्य,केंद्र शासित राज्यों को आबंटित उपकरणों की लिस्ट दी हैं। इस लिस्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने पूरे देश में 2.18 करोड़ एन 95 मॉक, 1.21 करोड़ पीपीई किट्स, 6.12 करोड़ एचसीक्यू टैबलेट और 9150 वेंटिलेटर का आबंटन किया हैं। इसमे सर्वाधिक लाभ महाराष्ट्र की शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की महाविकास आघाडी को हुआ हैं। आघाडी सरकार को 21.84 लाख एन 95 मॉक, 11.78 लाख पीपीई किट्स, 77.20 लाख एचसीक्यू टैबलेट और 1805 वेंटिलेटर का समावेश हैं। वैसे केंद्र सरकार ने केंद्रीय संस्थाओं के लिए जो प्रावधान किया हैं। इसमें 26.61 लाख एन 95 मॉक, 14.38 लाख पीपीई किट्स, 57.32 लाख एचसीक्यू टैबलेट और 330 वेंटिलेटर का समावेश हैं।

पूरे देश में 17,938 वेंटिलेटर की जरुरत हैं। केंद्र सरकार ने इसमें से सिर्फ 9150 ही वेंटिलेटर का आबंटन किया हैं। सिर्फ छत्तीसगढ़ , उत्तराखंड, चंडीगढ़, पुदुच्चेरी और ओडिसा को शत प्रतिशत वेंटिलेटर आबंटित किए गए। जबकि सिक्किम, लक्षद्वीप, लदाख अब भी वेंटिलेटर से वंचित हैं। महाराष्ट्र को अब भी 1770, कर्नाटका को 1020, आंध्रप्रदेश को 914, उत्तर प्रदेश को 811, राजस्थान को 706, तमिलनाडु को 529 वेंटिलेटर की आवश्यकता हैं।

अनिल गलगली का कहना हैं कि सरकार इसतरह के जनहितकारी मामलों की जानकारी आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 4 के तहत वेबसाइट पर अपलोड करनी चाहिए ताकि जनता को पता चले कि सरकार का योगदान क्या हैं?

केंद्र सरकारकडून महाराष्ट्राला सर्वाधिक एन 95 मास्क, किट, गोळ्या आणि व्हेंटिलेटर मिळालेत

जगात वेगाने पसरणार्‍या कोरोनाने आपले पायही भारतात पसरविले. भारतातील कोरोनाबाबत, केंद्र सरकारने राज्य पातळीवर कोरोनाशी लढण्यासाठी उपकरणे पुरविली. केंद्रीय आरोग्य व कुटुंब कल्याण विभागाने आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना कळविले आहे की महाराष्ट्रात एन 95 मास्क, पीपीई किट, टॅब्लेट आणि व्हेंटिलेटर वाटप केल्याची माहिती दिली आहे. केंद्र सरकारने आतापर्यंत देशभरात एकूण 2.18 कोटी एन 95 मास्क, 1.21 कोटी पीपीई किट, 6.12 कोटी एचसीक्यू टॅब्लेट आणि 9150  व्हेंटिलेटरचे वाटप केले आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना केंद्रीय आरोग्य आणि कुटुंब कल्याण विभागाने 1 मे 2020 रोजी कोविड 19 अंतर्गत राज्यांना वाटप केलेल्या उपकरणे आणि साहित्याची माहिती विचारली. ही माहिती देण्यास नकार दिल्यानंतर अनिल गलगली यांनी 1 जून 2020 रोजी दाखल केलेल्या पहिल्या अपीलावर सुनावणी घेत मंत्रालयाचे संचालक राजीव वाधवन यांनी उपलब्ध माहिती जारी करण्याचे आदेश जारी केले आणि उर्वरित सामग्रीची माहिती अनिल गलगली यांना देण्यासाठी एचएलएल लाइफ केअर लिमिटेडला आदेश दिले आहेत.


आरोग्य व कुटुंब कल्याण विभागाचे उपसचिव जीके पिल्लई यांनी 10 जुलै 2020 पर्यंत राज्य व केंद्रशासित प्रदेशांना अनिल गलगली यांना वाटप केलेल्या उपकरणांची यादी दिली आहे. या यादीनुसार, केंद्र सरकारने देशभरात 2.18 कोटी एन 95 मास्क, 1.21 कोटी पीपीई किट, 6.12 कोटी एचसीक्यू टॅब्लेट आणि 9150 व्हेंटिलेटरचे वाटप केले आहे. याचा सर्वाधिक फायदा शिवसेना, राष्ट्रवादी कॉंग्रेस आणि महाराष्ट्रातील कॉंग्रेसच्या महाविकास आघाडीला झाला. आघाडी सरकारला जी उपकरणे दिली गेली आहेत त्यात 21.84 लाख एन 95 मास्क , 11.78 लाख पीपीई किट, 77.20 लाख एचसीक्यू टॅब्लेट आणि 1805 व्हेंटिलेटर आहेत. केंद्र सरकारने केंद्रीय संस्थांसाठी तरतुदी केल्या आहेत. यात 26.61 लाख एन 95 मास्क, 14.38 लाख पीपीई किट्स, 57.32 लाख एचसीक्यू टॅब्लेट आणि 330 व्हेंटिलेटर आहेत.

देशात 17,938 व्हेंटिलेटरची आवश्यकता आहे. त्यापैकी केवळ 9150 लोकांना व्हेंटिलेटरचे वाटप करण्यात आले आहे. फक्त छत्तीसगड, उत्तराखंड, चंदीगड, पुडुचेरी आणि ओडिशाला मागणीनुसार 100 टक्के व्हेंटिलेटर देण्यात आले. सिक्कीम, लक्षद्वीप, लडाख अजूनही व्हेंटिलेटरपासून वंचित आहेत. महाराष्ट्राला 1770, कर्नाटकाला 1020 , आंध्र प्रदेशला 914, उत्तर प्रदेशला 811, राजस्थानला 706, तामिळनाडूला 529 ची व्हेंटिलेटरची आवश्यकता आहे.


अनिल गलगली म्हणतात की सरकारने अशा सार्वजनिक कल्याण प्रकरणांची माहिती आरटीआय कायद्याच्या कलम 4 अंतर्गत वेबसाइटवर अपलोड करावी जेणेकरुन जनतेला हे कळेल की सरकारचे योगदान काय आहे?

Maharashtra gets highest N95 masks, kits, tablets and ventilators From Central Government

The rapidly spreading corona in the world gripped India into fist prompting Central Government to offer its much-needed help to fight against deadly virus to all the states by providing tools and other medical equipments. In this efforts, Maharashtra has been the biggest beneficiary. The Department of Health and Family Welfare, while replying to an RTI query filed by RTI Activist Anil Galgali, has said that it has allocated the highest number masks, kits, tablets and ventilators to Maharashtra state. So far, a total of 2.18 crore N95 mocks, 1.21 crore PPE kits, 6.12 crore HCQ tablets and 9150 ventilators have been allocated by the Central Government across the country. 

RTI activist Anil Galgali had sought information from the Department of Health and Family Welfare on 1st May 2020 about the equipments and materials allotted to the States under Kovid 19 pandemic. But department refused to share the details. On refusal to give the information, Galgali filed first appeal on 1st June 2020 with the Director of the Ministry Rajiv Wadhwan and then Wadhwan directed HLL Life Care Limited to share the material distribution information to Anil Galgali. 

Under Secretary, Department of Health and Family Welfare, G.K. Pillai gave a list of equipments allocated to States, Union Territories till 10th July 2020. According to this list, the Central government has allocated 2.18 crore N-95 masks, 1.21 crore PPE kits, 6.12 crore HCQ tablets and 9150 ventilators across the country. It has benefited the Shiv Sena, NCP and Congress of Maharashtra government the most. 

The three-party coalition government of Maharashtra got 21.84 lakh N-95 masks, 11.78 lakh PPE kits, 77.20 lakh HCQ tablets and 1805 ventilators. However, the central government has made provisions for central institutions. This includes 26.61 lakh N95 masks, 14.38 lakh PPE kits, 57.32 lakh HCQ tablets and 330 ventilators. 

The most demanding are the ventilators !

There is a requirement of 17,938 ventilators across the country. Out of this, only 9150 ventilator has been allotted by the central government. Only 100 per cent ventilators were allotted to Chhattisgarh, Uttarakhand, Chandigarh, Puducherry and Odisha states and UTs. While Sikkim, Lakshadweep, Ladakh are still deprived of ventilators. Maharashtra still needs 1770 ventilators, Karnataka 1020, Andhra Pradesh 914, Uttar Pradesh 811, Rajasthan 706 and Tamil Nadu 529 ventilators.


Reacting over the reply, Galgali slammed government's approach to not share the information in first place and demanded to upload all Covid-19 related info and efforts at its website. "This will underline the government's efforts and ensure transparency," he said.

Wednesday 22 July 2020

Meeting with the Power minister regarding the increased electricity bills in the Mumbai Metropolitan Region

The meeting was convened by Energy Minister Dr Nitin Raut at the request of Mumbai Youth Congress president Ganesh Yadav.  BEST General Manager Surendra Bagade, Adani Company's Kailas Shinde, Tata Officials, Anil Galgali, Vijay Kanojia, Kachru Yadav and Jagdeeshan were present at the meeting.  Ganesh Yadav objected to the renewed bills sent for March, April and May as most consumers have already paid the bills and demanded the difference be written off. He suggested organizing camps and resolving people's grievances as there lot of chaos and people do not understand how such high bills have come this time. 


Anil Galgali raised the issue that there has been no reading for three months, so why is there a wheeling charge, a fixed charge and a carrying charge.  Reducing capex costs will reduce the bill next year.  Earlier, Messrs. Adani was spending Rs 400 crore per annum and now it is spending Rs 1,200 crore.  This indirectly affects the consumers, alleged Galgali.

BEST, Adani and other electricity suppliers of Mumbai have accepted to organise redressal camps on Ganesh Yadav's insistence.

Energy Minister Dr. Nitin Raut informed that he has appealed to the Maharashtra Electricity Regulatory Commission on some issues. Dr Raut also assured that nobody will be charged a penny extra than for what they have consumed.

मुंबई महानगर क्षेत्रात वाढीव बिलाबाबत ऊर्जा मंत्र्यांकडे बैठक

मुंबई महानगर क्षेत्रात वाढीव बिलाबाबत ऊर्जा मंत्र्यांकडे बैठकीचे आयोजन करण्यात आले होते आणि या बैठकीत बिलाचे ऑडिट करण्याची मागणी करण्यात आली. ऊर्जा मंत्री डॉ नितीन राऊत यांनी बैठकीत संबंधितांना सूचना जारी केल्या.

मुंबई युवक काँग्रेसचे अध्यक्ष गणेश यादव यांच्या विनंतीनुसार मंत्रालयात ऊर्जा मंत्री डॉ नितीन राऊत यांनी बैठक आयोजित केली होती. या बैठकीत बेस्टचे महाव्यवस्थापक सुरेंद्र बागडे, अदानी कंपनीचे कैलास शिंदे, अनिल गलगली, विजय कनोजिया, कचरु यादव, जगदीशन उपस्थित होते. गणेश यादव यांनी मार्च, एप्रिल आणि मे महिन्याचे पाठविलेल्या बिलाबाबत आक्षेप नोंदविला. त्यांनी शिबिर आयोजित करत लोकांच्या तक्रारी सोडविण्याची सूचना केली. अनिल गलगली यांनी मुद्दा उपस्थित केला की तीन महिने कोठल्याही प्रकारची रीडींग झालीच नाही मग व्हीलिंग चार्ज,  फिक्स चार्ज आणि कॅरिंग चार्ज कशाला घेत आहे. कॅपेक्स खर्च कमी केला तर पुढील वर्षी बिल कमी होईल. यापूर्वी मेसर्स अदानी प्रतिवर्षी 400 कोटी खर्च करत आली आहे आता 1200 कोटी खर्च करत आहे. याचा अप्रत्यक्षपणे फटका ग्राहकांना बसतो, असा आरोप गलगली यांनी केला.

ऊर्जा मंत्री डॉ नितीन राऊत यांनी काही मुद्द्यावर महाराष्ट्र वीज नियामक आयोगाकडे अपील केली असल्याची माहिती देत संबंधितांना सूचना केल्यात. श्री राऊत म्हणाले की जेवढी वीज वापरली तेवढेच बिल येणार.

मुंबई महानगर क्षेत्र में बढ़े बिजली बिल को लेकर ऊर्जा मंत्री से बैठक

मुंबई महानगर में बढ़ते बिल को लेकर ऊर्जा मंत्री के साथ बैठक हुई और बिल का ऑडिट करने की मांग की गई। ऊर्जा मंत्री डॉ नितिन राउत ने बैठक के दौरान संबंधितों को निर्देश जारी किए।

यह बैठक मुंबई युवा कांग्रेस अध्यक्ष गणेश यादव के अनुरोध पर ऊर्जा मंत्री डॉ नितिन राउत द्वारा बुलाई गई थी। बैठक में BEST महाप्रबंधक सुरेंद्र बागडे, अदानी कंपनी के कैलास शिंदे, आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, विजय कनौजिया, कचरु यादव और जगदीशन उपस्थित थे। गणेश यादव ने मार्च, अप्रैल और मई में भेजे गए बिलों पर आपत्ति जताई। उन्होंने शिविरों के आयोजन और लोगों की शिकायतों के समाधान का सुझाव दिया। अनिल गलगली ने यह मुद्दा उठाया कि तीन महीने से कोई रीडिंग नहीं है, इसलिए व्हील चार्ज, फिक्स चार्ज और क्यारी चार्ज क्यों लिया गया। कैपेक्स की लागत कम करने से अगले साल बिल कम हो जाएगा। पहले, मेसर्स अदानी प्रति वर्ष 400 करोड़ रुपये खर्च कर रहे थे और अब 1,200 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं। यह अप्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं को प्रभावित करता है,ऐसा आरोप गलगली ने लगाया।


ऊर्जा मंत्री डॉ।नितिन राउत ने बताया कि उन्होंने कुछ मुद्दों पर महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग से अपील की है। श्री राउत ने कहा कि जितनी अधिक बिजली का उपयोग होगा, उतने ही रकम का बिल आएगा।

Monday 20 July 2020

30 रिमांडर भेजकर भी 14.82 करोड़ की बकाया राशी अदा करने को तैयार नहीं मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन

मुंबई में होनेवाले क्रिकेट मैच में मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को मुंबई पुलिस सुरक्षा प्रदान करती हैं और उसके लिए शुल्क लिया जाता हैं। विभिन्न मैच का 14.82 करोड़ बकाया हैं और मुंबई पुलिस ने इसे वसूलने के लिए मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को 30 रिमांडर भेजने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी हैं। 30 रिमांडर भेजकर भी 14.82 करोड़ की बकाया राशी अदा करने को मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन तैयार नहीं हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई पुलिस से जानकारी मांगी थी कि मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को विभिन्न क्रिकेट मैच के लिए प्रदान की गई सुरक्षा और उसके लिए वसूल किए गए बंदोबस्त  शुल्क की जानकारी दे। मुंबई पुलिस ने अनिल गलगली को गत 8 वर्षों में हुए मैच की जानकारी दी। इन मैच में 2013 का महिला वर्ल्ड कप, 2016 का वर्ल्ड कप टी 20, 2016 में टेस्ट मैच, 2017 और 2018 की आईपीएल, वनडे मैच का 14 करोड़ 82 लाख 74 हजार 177 रुपए मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने अब तक अदा नहीं किया हैं। मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने गत 8 वर्ष में सिर्फ 2018 की आईपीएल क्रिकेट मैच का 1.40 करोड़ का शुल्क अदा किया हैं। 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 में हुए क्रिकेट मैच का शुल्क अब तक इसलिए वसूल नहीं किया गया क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने अबतक कितना शुल्क वसूला जाए, इसका आदेश जारी नहीं किया हैं।

मुंबई पुलिस ने दावा किया हैं कि 4 जनवरी 2020 तक मुंबई पुलिस ने मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष को 30 रिमांडर भेजा हैं। मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा शुल्क अदा न करने पर मुंबई पुलिस ने गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा हैं। 

अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, गृह मंत्री अनिल देशमुख और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मांग की हैं कि बकाया राशी न अदा करने पर मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन पर एफआईआर दर्ज करे और असोसिएशन की संपत्ति को जिलाधिकारी द्वारा निलामी कर पैसे वसूल करने की प्रक्रिया आरंभ करे।

मुंबई क्रिकेट असोसिएशन 30 स्मरणपत्रे पाठवूनही 14.82 कोटी थकबाकी भरण्यास तयार नाही

मुंबई पोलिस मुंबई क्रिकेट असोसिएशन क्रिकेट सामन्यासाठी  सुरक्षा पुरवतात आणि मुंबईतील क्रिकेट सामन्यांसाठी शुल्क आकारले जाते. विविध सामन्यांसाठी आकारलेले 14.82 कोटी रुपये थकीत असून मुंबई पोलिसांनी थकबाकीची रक्कम वसूल करण्यासाठी मुंबई क्रिकेट असोसिएशनला 30 स्मरणपत्रे पाठविली असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना दिली आहे. मुंबई क्रिकेट असोसिएशन 30 स्मरणपत्रे पाठवूनही 14.82 कोटी थकबाकी भरण्यास तयार नाही.


आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई क्रिकेट असोसिएशनला विविध क्रिकेट सामन्यांसाठी दिलेली सुरक्षा आणि त्यासाठी लागणा-या सुरक्षा शुल्काची विषयी माहिती देण्यासाठी मुंबई पोलिसांकडून माहिती मागितली होती. मुंबई पोलिसांनी अनिल गलगली यांना गेल्या 8 वर्षातील विविध क्रिकेट सामन्याबद्दल माहिती दिली. या सामन्यांमध्ये वर्ष 2013 मध्ये संपन्न झालेला महिला क्रिकेट विश्वचषक, वर्ष 2016 चा विश्वचषक टी -२०, वर्ष 2016 मधील कसोटी सामने, 2017 आणि वर्ष 2018 मध्ये खेळले गेलेली आयपीएल आणि एकदिवसीय सामन्यांचे 14 कोटी 82 लाख 74 हजार 177 रुपये मुंबई क्रिकेट असोसिएशनने अद्याप भरलेले नाहीत. मुंबई क्रिकेट असोसिएशनने गेल्या 8 वर्षात केवळ 2018 च्या आयपीएल क्रिकेट सामन्यासाठी आकारलेले 1.40 कोटीचे शुल्क प्रामाणिकपणे अदा केले आहे. 1 एप्रिल 2019 ते 31 मार्च 2020 या कालावधीत झालेल्या क्रिकेट सामन्यासाठी घेतलेल्या सुरक्षा अंतर्गत शुल्क अद्याप आकारलेले गेले नाही कारण किती शुल्क आकारले जावे यासाठी महाराष्ट्र सरकारने अद्याप आदेश जारी केलेला नाही.

मुंबई पोलिसांनी दावा केला आहे की 4 जानेवारी 2020 पर्यंत मुंबई पोलिसांनी मुंबई क्रिकेट असोसिएशनच्या अध्यक्षांना 30 स्मरणपत्रे पाठवली आहेत. मुंबई क्रिकेट असोसिएशनने शुल्क न भरल्याबद्दल मुंबई पोलिसांनी गृह विभागाच्या अतिरिक्त मुख्य सचिवांना पत्रही लिहिले आहे.

अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, गृहमंत्री अनिल देशमुख आणि गृह विभागाचे अतिरिक्त मुख्य सचिव यांना पत्र लिहून मुंबई क्रिकेट असोसिएशनने थकबाकी न भरल्याबद्दल एफआयआर नोंदवावी आणि जिल्हाधिकार्‍यांकडून पैसे वसुलीसाठी कार्यवाही करत असोसिएशनची मालमत्ता जप्त करावी, अशी मागणी केली आहे. 

Mumbai Cricket Association evades paying arrears of Rs 14.82 crore even by sending 30 reminders

There are two Stadiums situated in the heart of the city and none of the matches faced any troubles due to the security provided by the police, thanks to Mumbai Police for providing it's fool prove security arrangements. However, Mumbai Cricket Association has not yet paid Rs 14.82 crore to the Mumbai police as fees for providing security for IPL and other major cricket tournaments, even though the cricketing body of Mumbai has been sent 30 reminders. Rs 14.82 crore of different matches are outstanding and mumbai police has informed RTI activist Anil Galgali about sending 30 reminders to the Mumbai Cricket Association to recover the same. 


RTI activist Anil Galgali had sought information from the Mumbai police about the security provided for various cricket matches and the settlement fee charged for the same. Mumbai police briefed Anil Galgali about the matches played in the last 8 years. These matches include Women's World Cup (2013), World Cup T20 (2016), Test matches (2016), IPL matches (2017 and 2018) and other ODI matches and therefore MCA owes of Rs 14.82 crore as security fees and same has not been paid even after sending over two dozen reminders. 

According to Mumbai police, the Mumbai Cricket Association has paid a fee of only Rs 1.40 crore for the 2018 IPL cricket match in the last 8 years. The fees for the cricket match from 1st April 2019 to 31st March 2020 has not been recovered so far as the government of Maharashtra has not issued an order on how much fee to be charged. 


Mumbai police has claimed that till 4th January 2020, Mumbai police had sent 30 reminders to the president of the Mumbai Cricket Association to pay the dues. The Mumbai police has also written a letter to the additional Chief Secretary of the Home Department for not paying the fee by the Mumbai Cricket Association. 


Anil Galgali has written to Chief Minister Uddhav Thackeray, Home Minister Anil Deshmukh and additional Chief Secretary of the Home Department demanding that an FIR be lodged against the Mumbai Cricket Association for not paying the outstanding amount. He also demanded to initiate the process of confiscating the property of the association by the district collector so that the dues can be recovered. 


Friday 10 July 2020

एमएमआरडीए ने कोविड 19 अस्पताल पर 53 करोड़ रुपये खर्च किए

कोरोना के बढ़ते प्रचलन के कारण मुंबई में बिस्तर मिलना असंभव था। एमएमआरडीए प्रशासन ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सूचित किया है कि एमएमआरडीए प्रशासन ने कोविड 19 के तहत निर्मित अस्पताल पर 53 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। प्रत्येक बेड के पीछे  2,50,000 रुपये खर्च किया गया है और 2118 बेड बनाए गए हैं।


आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से कोविड 19 के तहत निर्मित फेज 1 और फेज 2 में अस्पताल के बारे में विभिन्न जानकारी मांगी थी। अनिल गलगली को दी गई जानकारी के अनुसार, कुल 53 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। पहले चरण में सिविल और इलेक्ट्रिकल पर 14 करोड़ 21 लाख 53 हजार 825 रुपये खर्च किए गए हैं जबकि दूसरे चरण में 21 करोड़ 55 लाख 25 हजार 353 रुपये खर्च किए गए हैं। दोनों चरणों में बिस्तरों की संख्या 1059 है जिसमें कुल 2118 बिस्तर हैं। पहले चरण में उपकरण और सामग्री पर 5 करोड़ 26 लाख 47 हजार 406 रुपये खर्च किए गए हैं और दूसरे चरण में 12 करोड़ 6 लाख 33 हजार 259 रुपये खर्च किए गए हैं। इन सुविधाओं में ऑक्सीजन, आईसीयू, डायलिसिस, ट्राइएज शामिल हैं।


कोविड 19 के तहत खरीद, कार्य और सेवाएं महाराष्ट्र के उद्योग, ऊर्जा और श्रम विभाग के सरकार के प्रस्ताव के साथ-साथ केंद्र सरकार के वित्त विभाग की विशेष शर्तों और आपातकालीन खरीद के प्रावधानों के अनुसार बनाई गई हैं। अनिल गलगली के अनुसार, भले ही निविदा जारी न की गई हो, एमएमआरडीए प्रशासन को सभी व्यय सूचनाओं को अद्यतित रखने की आवश्यकता है ताकि किसी को भी आसानी से मुआयना करने को संभव हो सके। 

कोविड19 रुग्णालयावर एमएमआरडीए ने खर्च केले 53 कोटी

मुंबईत कोरोनाच्या वाढत्या प्रार्दुभावानंतर बेड मिळणे अशक्य झाले होते. अश्यावेळी एमएमआरडीए प्रशासनाने कोविड19 अंतर्गत बांधलेल्या रुग्णालयावर तब्बल 53 कोटी रुपये खर्च झाल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली आहे. प्रत्येक बेड मागे 2,50,000 रुपये खर्च झाला असून 2118 बेड तयार करण्यात आले आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडे कोविड 19 अंतर्गत बांधलेल्या चरण 1 आणि चरण 2 मधील रुग्णालयाची विविध माहिती विचारली होती. अनिल गलगली यांस उपलब्ध करुन देण्यात आलेल्या माहितीच्या अनुसार  एकूण 53 कोटी खर्च करण्यात आला आहे. चरण 1 मध्ये सिव्हील आणि इलेक्ट्रिकल यावर 14 कोटी 21 लाख 53 हजार 825 रुपये इतका खर्च झाला आहे तर द्वितीय चरणात 21 कोटी 55 लाख 25 हजार 353 रुपये खर्च झाला आहे. दोन्ही चरणात बेड संख्या ही 1059 असे एकूण 2118 अशी आहे. प्रथम चरणात उपकरण आणि साहित्यावर 5 कोटी 26 लाख 47 हजार 406 रुपये खर्च करण्यात आले असून द्वितीय चरणात 12 कोटी 6 लाख 33 हजार 259 रुपये खर्च करण्यात आले आहे.  या सुविधांत ऑक्सिजन, आयसीयू, डायलिसिस, ट्रायेज यांचा समावेश आहे.

कोविड 19 अंतर्गत खरेदी, कामे आणि सेवा आपत्कालीन परिस्थिती व तातडीची निकड असल्याने उद्योग, ऊर्जा व कामगार विभागाचा शासन निर्णय तसेच विशेष परिस्थिती व तातडीची खरेदी यानुसार केंद्र शासनाच्या अर्थ विभागाने निश्चित केलेल्या तरतुदीनुसार करण्यात आली आहे. अनिल गलगली यांच्या मते भलेही निविदा काढल्या नसल्या तरी एमएमआरडीए प्रशासनाने सर्व खर्चाची माहिती अद्ययावत ठेवणे आवश्यक आहे जेणेकरुन कोणालाही याचे निरीक्षण करणे सहज शक्य होईल.

MMRDA spends Rs 53 crore on Covid-19 hospital

At a time when rising cases of Coronavirus cases were filling all available beds in government and private hospitals and there were talks flowing about the scarcity of the beds in near future in Mumbai, the infrastructure and town planning arm of Govt of Maharashtra MMRDA swung into action and built an Covid specific hospital. The MMRDA has informed RTI activist Anil Galgali that it has spent Rs. 53 crore on account of constructing the Covid hospital in BKC. With 2118 bed available in the facility, the expense of each bed is Rs 2,50,000/-

RTI activist Anil Galgali had sought various information about the hospital in phase 1 and phase 2 constructed under Covid 19 from MMRDA administration. As per the information given, a total of Rs. 53 crore has been spent on this purpose. In the first phase, Rs 14.21 crore were spent on civil and electricals while Rs 21.55 crore have been spent in the second phase. 

The total number of beds installed in both stages is 2118. In the first phase, Rs 5.26 Cr were spent on equipment and material and Rs 12.06 Cr were spent in the second phase. These facilities include oxygen, ICU, dialysis, triage. 

Procurement, work and services under Covid 19 were made in accordance with the government's proposal of the Department of Industry, Energy and Labour of Maharashtra as well as the special conditions of the Finance Department of the Central Government and the provisions of emergency procurement. 
 
"Even if the tenders were not floated, the MMRDA needs to keep all the expenditure information updated and uploaded on its website, so that anyone can easily inspect and avail it," Anil Galgali reacted.

Thursday 9 July 2020

Adani company's negligence, electricity bill is hung on the meter

The people are suffering due to the high bill of Mess. Adani Power Company, which supplies electricity in Mumbai suburbs. Now the electricity bill is being hung on the meter without delivery at home, so the bill is not received on time. Anil Galgali, an RTI activist, has demanded that the Maharashtra government and the Maharashtra Electricity Regulatory Commission take a decision on the increased bill.


RTI activist Anil Galgali has lodged complaints with Chief Minister Uddhav Thackeray, Energy Minister Dr Nitin Raut, Chief Secretary Sanjay Kumar and the Maharashtra Electricity Regulatory Commission and Adani Power Company. Anil Galgali's complaint states that citizens are already suffering from hidden electricity bills. Electricity bill is not paid on time. The bill is not received as the contractor is hanging the electricity bill on the meter. When this is the status of electricity bill then do they take readings or not? Galgali claims that this is a big question.


Today, in the suburbs, 100 per cent of citizens have Suffer due to increase in the amount of bill because adani company not take reading proplly. The amount on bill is base on last year bill so now people facing the issue. It's now depend upon MERC to take proper decision and relief the people, said Galgali.

अदानी कंपनी की लापरवाही, बिजली का बिल मीटर पर लटका है

अदानी बिजली कंपनी द्वारा भेजे गए अधिकतम वाले बिजली के बिल के कारण लोग पीड़ित हैं। मुंबई उपनगरों में बिजली की आपूर्ति करने वाली अदानी पावर कंपनी अब घर पर बिल भेजने के बजाय बिजली का बिल मीटर पर लटका रही है, इसलिए समय पर बिल प्राप्त नहीं होता है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मांग की है कि महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग बढ़े हुए बिल पर फैसला ले।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, ऊर्जा मंत्री डॉ नितिन राउत, मुख्य सचिव संजय कुमार और महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग और अदानी पावर कंपनी से शिकायत दर्ज कराई है। अनिल गलगली की शिकायत में कहा गया है कि नागरिक पहले से ही छिपे हुए बिजली के बिल से पीड़ित हैं। समय पर बिजली बिल का भुगतान नहीं किया जाता है क्योंकि बिल नहीं मिल रहा हैं।  ठेकेदार मीटर पर बिजली का बिल लटका रहा है। जब बिजली बिल की यह स्थिति है तो वे रीडिंग लेते हैं या नहीं? गलगली का दावा है कि यह एक बड़ा सवाल है।

आज, उपनगरों में 100 प्रतिशत नागरिक बढ़ते बिलों से नाराज हैं और मीटर रीडिंग न लेकर औसत बिल भेजा जा रहा है। गलगली के अनुसार, महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग (एमईआरसी) को वृद्धिशील बिल पर निर्णय लेने की आवश्यकता है क्योंकि औसत बिल पिछले वर्ष के बिल पर आधारित है।

अदानी कंपनीचा निष्काळजीपणा, मीटरवर लटकवले जाते वीज बिल

मुंबई उपनगरात वीजेचा पुरवठा करणाऱ्या मेसर्स अदानी वीज कंपनीच्या अधिकच्या बिलामुळे जनता त्रस्त आहे. आता तर वीज बिल घरोघरी न देता चक्क मीटरवर लटकवले जात असल्याने वेळेवर बिल मिळत नाही. आता महाराष्ट्र सरकार आणि महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोगाने वाढीव बिलावर निर्णय घेत नागरिकांना दिलासा देण्याची मागणी अनिल गलगली यांनी केली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, ऊर्जा मंत्री डॉ नितीन राऊत, मुख्य सचिव संजय कुमार तसेच महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग आणि अदानी वीज कंपनीकडे तक्रार केली आहे. अनिल गलगली यांच्या तक्रारीत नमूद केले आहे की आधीच नागरिक छुप्या वीज बिलामुळे त्रस्त आहेत. वेळेवर वीज बिल दिले जात नाही. कंत्राटदार मीटरवर विजेचे बिल लटकवून जात असल्याने बिल मिळत नाही. जेव्हा वीज बिलाची ही अवस्था आहे मग रीडिंग घेतात की नाही? हा मोठा प्रश्न असल्याचा दावा गलगली यांचा आहे. 

आज उपनगरात 100 टक्के नागरिक वाढीव बिलांमुळे वैतागलेले असून मीटर रीडिंग न घेता सरासरी बिल पाठविली जात आहे. सरासरी बिलाची रक्कम मागील वर्षीच्या बिलावर आधारित असल्याने वाढीव बिलाचा फटका बसलेला आहे यासाठी महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोगाने वाढीव बिलावर निर्णय घेण्याची आवश्यकता आहे, असे गलगली यांचे म्हणणे आहे.

Tuesday 7 July 2020

Why to spend 62 Crore when tab repair and course supply possible at Rs 22 crore!

Pointing out a potential wasteful expenditure on procuring and repairing tabs for BMC school children, RTI activist Anil Galgali has slammed civic body administration and asked why it was spending 62 Crore when tab repair and course supply is possible at Rs 22 crore only. He claimed that efforts are being made to issue tenders worth over Rs. 40 crore in lieu of tenders issued for repairing tabs and supply of courses for the next two years. RTI Activist Anil Galgali has written a letter to Chief Minister Uddhav Bala Saheb Thackeray and BMC commissioner Iqbal Singh Chahal, seeking directions to start work on a low-cost tendering process, besides demanding for an inquiry into the tab tender issue. 

In another letter dashed off to Chief Minister Uddhav Thackeray, his principal advisor Ajoy Mehta, Civic Chief Iqbal Singh Chahal and Education officer Mahesh Palkar, Anil Galgali has pinpointed that the tender for tab repair and supply of curriculum for the next two years was frequently expanded in Brihanmumbai municipal schools. It also turned out to be a low-bid tender, but unfortunately, no action has been taken so far to honour it. 

The amount quoted and fixed by BMC for each tab was Rs 5,200 and was subsequently agreed to pay Rs 4,974 on a lower bid for the tab in the tendering process. The tender was floated in June 2019. This entire process will cost BMC Rs 22 crore which will also include tab repairs cost and around 1300 new tabs. 

"But unfortunately, BMC is not interested in this low cost and good educational course and now trying to buy 43,843 new tabs, with Rs 62 crore is expected to be spent on tab price and educational courses," claimed Galgali and said this will seemingly incur a direct loss of Rs. 40 crore. 

"Given the interest on such an amount, there will be a further loss of Rs 10 crores. Trying to scrap the tab purchased 5 years ago is a waste of crores of rupees already invested," Galgali said asking if this is so, then why tenders were issued? He stressed out that this is a fit case for inquiry that when fresh tendering process has been completed, who will be the beneficiaries of this wasteful expenditure. 

According to him, now if it is proposed to buy new tabs, it will not be of any use during the academic year. "On the contrary, if arrangements are made to repair currently running tabs, then it will not only save the money, but will pave the way for timely completion of the syllabus without disturbing the students," activist said.

22 करोड़ रुपये में टैब की मरम्मत और कोर्स की आपूर्ति संभव! 62 करोड़ रुपये के नए टैब और पाठ्यक्रमों की खरीद के लिए मनपा का बालहट!

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने शिकायत की है कि अगले दो वर्षों के लिए टैब्स की मरम्मत और पाठ्यक्रमों की आपूर्ति के लिए जारी किए गए टेंडर के बदले 40 करोड़ रुपये से अधिक की निविदा जारी करने का प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री उद्धव बाला साहेब ठाकरे और मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल को लिखे पत्र में अनिल गलगली ने टैब मुद्दे की जांच की मांग के साथ कम लागत वाली टेंडर प्रक्रिया पर काम शुरू करने के लिए निर्देश देने की मांग की हैं।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, प्रधान सलाहकार अजोय मेहता, मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल और शिक्षा अधिकारी महेश पालकर को लिखे एक पत्र में, अनिल गलगली ने बताया कि बृहन्मुंबई नगरपालिका स्कूलों में टैब की मरम्मत और अगले दो वर्षों के लिए पाठ्यक्रम की आपूर्ति के टेंडर में बार-बार विस्तार किया गया था जिसमें कम बोली वाला टेंडर भी निकला लेकिन दुर्भाग्य से, अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

प्रत्येक टैब के लिए मनपा द्वारा निर्धारित राशि 5200 / - रुपये थी और निविदा प्रक्रिया में टैब के लिए कम बोली पर 4974 / - रुपये का भुगतान करने के लिए सहमति व्यक्त की गई है। पूरी प्रक्रिया में 22 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसमें टैब्स की मरम्मत और लगभग 1300 नए टैब्स शामिल होंगे। लेकिन दुर्भाग्य से मनपा को इस कम लागत और अच्छे शैक्षिक पाठ्यक्रम में कोई दिलचस्पी नहीं है इसलिए मनपा 43843 नए टैब खरीदने की कोशिश कर रही है। टैब मूल्य और शैक्षिक पाठ्यक्रमों पर 62 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है। यह आरोप लगाते हुए गलगली ने आगे कहा कि 40 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष नुकसान दृष्टिगोचर में है। इस तरह की राशि पर ब्याज को देखते हुए, 10 करोड़ रुपये का एक और नुकसान होगा। 5 साल पहले खरीदे गए टैब को स्क्रैप करने की कोशिश करना, पहले से ही निवेश किए गए करोड़ों रुपये की बर्बादी है। यदि ऐसा है, तो निविदाएं क्यों जारी की गईं और अब निविदा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, 40 करोड़ का किया जानेवाला खर्चा किसके लिए लाभदायक हैं, यह स्वतंत्र जांच का विषय होने की बात गलगली ने कही।

अब, यदि एक नया टैब खरीदने का प्रस्ताव किया जाता है, तो यह शैक्षणिक वर्ष के दौरान किसी काम का नहीं होगा। उल्टे वर्तमान में ठीकठाक चलनेवाले टैब की मरम्मत पर ध्यान केंद्रित होता हैं तो पैसे की बचत भी होगी और अभ्यासक्रम खंडित भी न होने की बात गलगली ने कही।

कोविड टास्क फोर्स कमेटी में सामुदायिक चिकित्सा विभाग के विशेषज्ञ शामिल नहीं हैं

महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित कोविड टास्क फोर्स समिति में निवारक और सामाजिक चिकित्सा विभाग (सामुदायिक औषधि) के विशेषज्ञ शामिल नहीं हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इस मामले पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फड़नवीस, मुख्य सचिव अजोय मेहता और प्रमुख सचिव डॉ प्रदीप व्यास को लिखे पत्र में कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने बढ़ती मौत को नियंत्रित करने के लिए एक कोविड टास्क फोर्स का गठन किया है। इसमें निजी अस्पतालों में निजी डॉक्टर मण्डली शामिल हैं। दुर्भाग्य से, कोविड टास्क फोर्स में निवारक और सामाजिक चिकित्सा विभाग (सामुदायिक चिकित्सा विभाग) के विशेषज्ञ शामिल नहीं हैं जो सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं।

अनिल गलगली ने आगे कहा कि कोई नहीं जानता कि कोविड टास्क फोर्स आज और प्लानिंग क्या करता है। मुंबई में कोरोना का प्रचलन बढ़ रहा है और सरकार को निवारक और सामाजिक चिकित्सा विभाग (सामुदायिक चिकित्सा) के विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी। गलगली कहते हैं कि उनका अनुभव और कौशल्य का लाभ सरकार को हो सकता है।

टॅब दुरुस्ती आणि अभ्यासक्रम पुरवठा 22 कोटीत शक्य! 62 कोटीत नवीन टॅब आणि अभ्यासक्रम खरेदीसाठी पालिकेचा बाळहट्ट!

बृहन्मुंबई महानगरपालिका शाळेतील टॅब दुरुस्ती आणि आगामी 2 वर्षाकरिता अभ्यासक्रम पुरवठा करणेबाबत जारी केलेली निविदा ऐवजी 40 कोटींहून अधिक खर्चाची निविदा काढण्यासाठी प्रयत्न सुरु असल्याची तक्रार आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी केली आहे. मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे आणि पालिका आयुक्त इकबालसिंह चहल यांस पाठविलेल्या पत्रात टॅब प्रकरणाची चौकशी करत कमी खर्चाच्या निविदेची पूर्ण झालेली प्रक्रिया अंतर्गत काम सुरु करण्यासाठी निर्देश देण्याची मागणी केली आहे.

अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे, प्रधान सल्लागार अजोय मेहता, पालिका आयुक्त इकबालसिंह चहल आणि शिक्षणाधिकारी महेश पालकर यांस लिहिलेल्या पत्रात लक्ष वेधले आहे की बृहन्मुंबई महानगरपालिका शाळेतील टॅब दुरुस्ती आणि आगामी 2 वर्षाकरिता अभ्यासक्रम पुरवठा करणेबाबत जारी केलेली निविदाची वेळ वारंवार वाढविली गेल्यानंतर कमी बोलीवर निविदा काढण्यात आली पण दुर्दैवाने आजमितीला त्याबाबत कोणत्याही प्रकारची कार्यवाही करण्यात आली नाही.

बृहन्मुंबई महानगरपालिकेने प्रत्येक टॅब मागे निश्चित केलेली रक्कम रु 5200/- इतकी होती आणि निविदा प्रक्रियेत टॅबची कमी बोलीवर रु 4974/- इतकी देण्याचे निविदेत मान्य करण्यात आले आहे. या संपूर्ण प्रक्रियेत रु 22 कोटी खर्च येणार असून यात टॅबची दुरुस्ती आणि जवळपास 1300 नवीन टॅब मिळणार आहेत. परंतु दुर्दैवाने हा कमी खर्च आणि उत्तम शैक्षणिक अभ्यासक्रमात पालिकेला स्वारस्य नाही म्हणून बृहन्मुंबई महानगरपालिका 43843 इतकं नवीन टॅब खरेदीसाठी प्रयत्नशील आहे. यात टॅब किंमत आणि शैक्षणिक अभ्यासक्रम यावर रु 62 कोटी खर्च अपेक्षित आहे. असा आरोप करत गलगली पुढे म्हणाले की यामुळे 40 कोटींचे सरळसरळ नुकसान दृष्टिक्षेपात आहे. इतक्या रक्कमेवर व्याज लक्षात घेता अजून रु 10 कोटीचे नुकसान होईल. 5 वर्षांपूर्वी खरेदी केलेले टॅब रद्दबातल करण्याचा प्रयत्न म्हणजे आधीच गुंतवणूक केलेल्या कोट्यवधी रुपयांचा अपव्यय करण्याजोगे आहे. असे असते तर मग निविदा का जारी करण्यात आल्या आणि आता निविदा प्रक्रिया पूर्ण झाल्यानंतर अधिकचा म्हणजे 40 कोटींचा केला जाणारा खर्च कोण्याच्या पथ्यावर पडेल, ही बाब स्वतंत्र चौकशीची आहे, असं गलगली यांचे म्हणणे आहे.

आता नवीन टॅब खरेदीसाठी प्रस्ताव आणला तर शैक्षणिक वर्षात उपयोग होणार नाही उलट जुन्या टॅबची दुरुस्तीवर लक्ष केंद्रित केल्यास पैसेही वाचतील आणि अभ्यासक्रमात खंड पडणार नाही,अशी पुष्टी गलगली यांनी जोडली आहे.