Sunday 5 December 2021

Charity Commissioner ask explanation Regarding the property sold by Mumbai Marathi Granth Sangrahalaya

After 32 months, the Charity Commissioner has taken note of the complaint lodged by RTI activist Anil Galgali regarding irregularities, confusion and irregular appointments in the work of Mumbai Marathi Granth Sangrahalaya. In connection with the complaint, the office of the Charity Commissioner has sought an explanation regarding the properties sold by the Mumbai Marathi Granth Sangrahalaya.

RTI activist and life member Anil Galgali had lodged a complaint with the Chief Minister on 14/02/2019 regarding election, financial scams and property issues in Mumbai Marathi Granth Sangrahalaya. After thet then Chief Minister Devendra Fadnavis ordered an inquiry into the matter on 28/03/2019 but unfortunately the office of the Charity Commissioner did not take action in time. This report was prepared on 08/10/2021 after 32 months. In the case of the properties of Mumbai Marathi Granth Sangrahalaya which already sold, it has been recommended in this 6 page report to ask for the explanation from the Sangrahalya.

According to the report, the Office of the Charity Commissioner has not approved the constitution amendment, election of the executive board, trustees and appointments of the organization. All change reports are pending since 2013. However, the office bearers of the organization have arbitrarily conducted financial transactions including elections. The appointment of all office bearers is in dispute. The Office of the Charity Commissioner took immediate action and banned all transactions of these office bearers of the organization,  said Anil Galgali.

मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय द्वारा बेची संपत्ति को लेकर चैरिटी कमिश्नर ने मांगा स्पष्टीकरण

मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय के काम में अनियमितता, गड़बड़ी और अनियमित नियुक्तियों को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की शिकायत को 32 महीने बाद चैरिटी कमिश्नर ने संज्ञान लिया है. शिकायत के बाद, चैरिटी कमिश्नर के कार्यालय ने मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय द्वारा बेची गई संपत्तियों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है।


आरटीआई कार्यकर्ता और आजीवन सदस्य अनिल गलगली ने मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय में चुनाव, वित्तीय घोटालों और संपत्ति के मुद्दों के संबंध में दिनांक 14/02/2019 को मुख्यमंत्री के पास शिकायत दर्ज कराई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा दिनांक 28/03/2019 को मामले की जांच के आदेश के बाद, चैरिटी कमिश्नर के कार्यालय ने समय पर कार्रवाई नहीं की। यह रिपोर्ट 32 महीने बाद दिनांक 08/10/2021 को तैयार की गई थी। मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय की संपत्तियों के अंतर्गत बेची गई संपत्तियों के मामले में, इस 6 पेज की रिपोर्ट में संग्रहालय के पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण मंगवाने की सिफारिश की गई है।


रिपोर्ट के मुताबिक, चैरिटी कमिश्नर के कार्यालय ने संगठन के संविधान संशोधन, कार्यकारी बोर्ड के चुनाव, ट्रस्टियों और नियुक्तियों को मंजूरी नहीं दी है। सभी परिवर्तन रिपोर्ट 2013 से प्रलंबित हैं। हालांकि संगठन के पदाधिकारियों ने चुनाव समेत मनमाना कारोबार व वित्तीय लेन-देन किया है। सभी पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर विवाद है। चैरिटी कमिश्नर के कार्यालय ने तत्काल कार्रवाई करते हुए संगठन के इन पदाधिकारियों के सभी लेन-देन पर रोक लगाना आवश्यक होने की बात अनिल गलगली ने कही हैं।

मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालयाच्या विकलेल्या मालमत्तांबाबत धर्मादाय आयुक्त कार्यालयाने मागविला खुलासा

मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालयाच्या कामकाजात असलेली अनियमितता, सावळागोंधळ आणि नियमाबाह्य नेमणूकाबाबत आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी केलेल्या तक्रारीची दखल तब्बल ३२ महिन्यानंतर धर्मादाय आयुक्तांनी घेतली आहे. तक्रारीच्या अनुषंगाने मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालयाच्या विकलेल्या मालमत्तांबाबत धर्मादाय आयुक्त कार्यालयाने खुलासा मागविला आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते आणि आजीव सभासद अनिल गलगली यांनी दिनांक १४/०२/२०१९ रोजी मुख्यमंत्र्यांकडे मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालयातील निवडणूका, आर्थिक घोटाळे, मालमत्तांच्या मुद्यांवर तक्रार दिली होती. तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी त्याबाबत चौकशीचे आदेश दिनांक २८/०३/२०१९ रोजी दिल्यानंतर धर्मादाय आयुक्तांच्या कार्यालयाने वेळेत कारवाई केली नाही. तब्बल ३२ महिन्यानंतर दिनांक ०८/१०/२०२१ रोजी हा अहवाल तयार झाला. मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालयाच्या मालमत्तांच्या बाबतीत, विक्री करण्यात आलेल्या मालमत्तांच्या बाबतीत खुलासा संग्रहालयाच्या पदाधिकाऱ्यांकडे मागवण्याची शिफारस या ६ पानांच्या अहवालात केली आहे. 

सदर अहवालानुसार स्पष्ट दिसून येते की संस्थेचे घटना दुरुस्ती, कार्यकारी मंडळ, विश्वस्त यांच्या निवडणूका व नियुक्त्यांना धर्मादाय आयुक्तांच्या कार्यालयाने मान्यता दिलेली नाही. वर्ष २०१३ पासून सर्व चेंजरिपोर्टस् प्रलंबित आहेत. तरीही संस्थेच्या पदाधिकाऱ्यांनी मनमानी कारभार करुन निवडणूकांसहित आर्थिक व्यवहारही केले आहेत. सर्व पदाधिकाऱ्यांच्या नियुक्त्याच वादात आहेत. धर्मादाय आयुक्तांच्या कार्यालयाने तातडीने कारवाई करून संस्थेच्या या पदाधिकाऱ्यांच्या सर्व व्यवहारांवर बंदी आणणे आवश्यक असल्याचे मत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले आहे.

Monday 29 November 2021

NCB refuses to disclose various drugs action

The Bureau of Narcotics Control (NCB), which operates under the Union Ministry of Home Affairs, has refused to disclose to RTI activist Anil Galgali the various drug action carried out by the NCB under the Right to Information Act in the last three years.

Anil Galgali, an RTI activist, had sought information from the Bureau of Narcotics Control on November 11, 2021 in two separate applications.Information on goods seized in last 3 years, type of drugs, total price, total crime and number of accused should be given. In the second application, Galgali had asked for detailed information about the drugs disposed of. 

Both the applications of Anil Galgali were denied on the basis of Section 24 of the Right to Information Act, 2005. Anil Galgali expressed surprise that NCB officials themselves provide so much information about narcotics action through various means and make various claims. So why do they avoid giving information to the citizens in the Right to Information Act? Asking such a question, Galgali said that if Mumbai Police provides such information easily, then it is wrong for the NCB to evade it. Anil Galgali has sent a letter to Prime Minister Narendra Modi and Home Minister Amit Shah demanding clarification on the matter and uploading of such action on the website. Because citizens have a right to know the details of confiscated goods and their disposal.

What section 24 says?

The NCB has refused to provide information on the basis of Section 24. According to this clause Nothing contained in this Act shall apply to the intelligence and security organisations specified in the Second Schedule, being organisations established by the Central Government or any information furnished by such organisations to that Government: Provided that the information pertaining to the allegations of corruption and human rights violations shall not be excluded under this sub‑section: Provided further that in the case of information sought for is in respect of allegations of violation of human rights, the information shall only be provided after the approval of the Central Information Commission, and notwithstanding anything contained in Section 7, such information shall be provided within forty‑five days from the date of the receipt of request.

एनसीबी ने ड्रग्स की कार्रवाई का खुलासा करने से किया इनकार!

केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स कंट्रोल (एनसीबी) ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को पिछले तीन वर्षों में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत एनसीबी द्वारा की गई ड्रग्स के कार्रवाई की गतिविधियों का खुलासा करने से इनकार कर दिया है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने 11 नवंबर 2021 को दो अलग-अलग आवेदनों में ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स कंट्रोल से जानकारी मांगी थी कि पिछले 3 वर्षों में जब्त किए गए माल, ड्रग्ज के प्रकार, कुल मूल्य, कुल अपराध और अभियुक्तों की संख्या की जानकारी दे। दूसरे आवेदन में गलगली ने डिस्पोज की गई ड्रग्स की विस्तृत जानकारी मांगी थी. 

अनिल गलगली के दोनों आवेदनों को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 24 के आधार पर खारिज कर दिया गया था। अनिल गलगली ने आश्चर्य व्यक्त किया कि एनसीबी अधिकारी स्वयं विभिन्न माध्यमों से ड्रग्स के बारे में ढ़ेर जानकारी प्रदान करते हैं और विभिन्न दावे करते हैं। तो वे सूचना के अधिकार अधिनियम में नागरिकों को जानकारी देने से क्यों बचते हैं? ऐसा सवाल पूछते हुए गलगली ने कहा कि अगर मुंबई पुलिस आसानी से ड्रग्स से जुड़ी ऐसी जानकारी मुहैया कराती है तो एनसीबी का इससे बचना गलत है।

अनिल गलगली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर ड्रग्स केमामले पर स्पष्टीकरण और इस तरह की कार्रवाई को वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग की है। क्योंकि हर एक नागरिक को जब्त किया गया ड्रग्स और उनके निपटान का विवरण जानने का अधिकार है।

क्या कहता है अनुच्छेद 24?

NCB ने धारा 24 के आधार पर जानकारी देने से इनकार कर दिया है. इस खंड के अनुसार केंद्र सरकार या ऐसे संगठनों, दूसरी अनुसूची में निर्दिष्ट खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा स्थापित निकायों द्वारा सरकार को प्रदान की गई कोई भी जानकारी इस अधिनियम में निहित किसी भी चीज़ के अधीन नहीं होगी: लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ी जानकारी और इस उपधारा के तहत मानवाधिकारों के उल्लंघन को बाहर नहीं किया जाएगा: इसके अलावा, मानव अधिकारों के उल्लंघन के आरोपों के संबंध में मांगी गई जानकारी के मामले में, सूचना केवल केंद्रीय सूचना आयोग के अनुमोदन के बाद प्रदान की जाएगी, और धारा 7 में निहित किसी भी बात के होते हुए भी, ऐसी जानकारी अनुरोध प्राप्त होने की तारीख से पैंतालीस दिनों के भीतर प्रदान की जाएगी।

NCB ने ड्रग्स कारवाईची माहिती देण्यास दिला सपशेल नकार!

केंद्रीय गृह मंत्रालयाच्या अंतर्गत कार्यरत अंमली पदार्थ नियंत्रण ब्युरो म्हणजे NCB ने माहिती अधिकार कायद्याचा आधार घेत मागील 3 वर्षात केलेल्या ड्रग्स कारवाईची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस देण्यास सपशेल नकार दिला. 

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी दिनांक 11 नोव्हेंबर 2021 रोजी 2 वेगवेगळ्या अर्जात अंमली पदार्थ नियंत्रण ब्युरोकडे  माहिती मागितली होती की मागील 3 वर्षात जप्त केलेला माल, अंमली पदार्थांचा प्रकार, एकूण किंमत, एकूण गुन्हे आणि आरोपींची संख्या ही माहिती दयावी. दुसऱ्या अर्जात गलगली यांनी  विल्हेवाट लावलेल्या अंमली पदार्थांची विस्तृत माहिती विचारली होती. 

अनिल गलगली यांच्या दोन्ही अर्जाला माहिती अधिकार कायदा अधिनियम 2005 चे कलम 24 चा आधार घेत माहिती देण्यास नकार दिला. अनिल गलगली यांनी याबाबत आश्चर्य व्यक्त केले की स्वतः एनसीबी अधिकारी स्वतःहून प्रसार माध्यमातून अंमली पदार्थांची इत्यंभूत माहिती देतात आणि विविध दावा करतात. मग माहिती अधिकार कायद्यात नागरिकांना माहिती देताना टाळाटाळ का करतात? असा प्रश्न विचारत गलगली म्हणाले की मुंबई पोलीस अश्या प्रकाराची माहिती सहजरित्या उपलब्ध करते मग एनसीबी तर्फे टाळाटाळ केली जाणे गैर आहे. अनिल गलगली यांनी पंतप्रधान नरेंद्र मोदी तसेच गृह मंत्री अमित शाह यांस पत्र पाठवून मागणी केली आहे की याबाबत स्पष्टता आणत अश्या कारवाईची माहिती संकेतस्थळावर अपलोड करणे आवश्यक आहे कारण प्रत्येक नागरिकांला जप्त केलेला माल आणि त्याच्या विल्हेवाटाची माहिती जाणून घेण्याचा अधिकार आहे.


काय म्हणते कलम 24?

एनसीबी ने कलम 24 चा आधार घेत माहिती देण्यास नकार दिला आहे. या कलमानुसार केंद्र सरकारने स्थापन केलेल्या संस्था किंवा अशा संघटनांनी त्या सरकारला दिलेली कोणतीही माहिती, दुसऱ्या अनुसूचीमध्ये निर्दिष्ट केलेल्या गुप्तचर आणि सुरक्षा संस्थांना या कायद्यात समाविष्ट असलेली कोणतीही गोष्ट लागू होणार नाही: परंतु भ्रष्टाचाराच्या आरोपांशी संबंधित माहिती. आणि या उपकलम अंतर्गत मानवी हक्कांचे उल्लंघन वगळले जाणार नाही: पुढे असे की, मानवी हक्कांचे उल्लंघन केल्याच्या आरोपांच्या संदर्भात मागितलेल्या माहितीच्या बाबतीत, माहिती केंद्रीय माहिती आयोगाच्या मंजुरीनंतरच प्रदान केली जाईल, आणि कलम 7 मध्ये काहीही असले तरी, विनंती मिळाल्याच्या तारखेपासून पंचेचाळीस दिवसांच्या आत अशी माहिती प्रदान केली जाईल.

Monday 22 November 2021

सीएम सहायता कोष कोविड के खाते में जमा 799 करोड़ में से 606 करोड़ रुपये शेष

कोविड में मदद की अपील के बाद लोगों ने मुख्यमंत्री सहायता कोष के कोविड खाते में तहत भारी आर्थिक सहायता प्रदान की। मुख्यमंत्री सचिवालय ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सूचित किया है कि अब तक 799 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं जिसमें से अब 606 करोड़ रुपये जमा हैं। 192 करोड़ रुपये के आवंटन को ध्यान में रखते हुए कुल राशि का 25 प्रतिशत जमा कोष से खर्च किया गया है।


आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री सचिवालय से जमा की गई कुल राशि, खर्च की गई राशि और शेष राशि की जानकारी मांगी थी। मुख्यमंत्री सचिवालय के मुख्यमंत्री सहायता कोष प्रकोष्ठ ने अनिल गलगली को बताया कि कुल 798 करोड़ रुपये की राशि जमा हो चुकी है और फिलहाल 606 करोड़ रुपये शेष हैं। 192 करोड़ का आवंटन किया गया है। 


अनिल गलगली के मुताबिक, चूंकि फंड सिर्फ कोविड मकसद के लिए है, इसलिए अब तक 100 फीसदी खर्च करना जरूरी था लेकिन सरकार ने 25 फीसदी फंड आवंटित कर दिया है। आखिर 606 करोड़ रुपये जमा रखने का मकसद क्या है? इसे सार्वजनिक करने की जरूरत है। 


जमा की गई राशि में से खर्च की गई राशि 192 करोड़ 75 लाख 90 हजार 12 रुपये है। इसमें से 20 करोड़ रुपये चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा सेंट जॉर्ज अस्पताल में कोविड के लिए एक विशेष आईयूआई सेटअप के लिए खर्च किए गए हैं। कोविड की 25 हजार जांच के लिए एबीबीओटी एम2000आरटी पीसीआर मशीन की उपभोग्य सामग्रियों को खरीदने के लिए 3 करोड़ 82 लाख 50 हजार खर्च किए गए। औरंगाबाद जिले में रेल दुर्घटना में मारे गए श्रमिकों के वारिसों को 80 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई। प्रवासी मजदूरों के रेल शुल्क के लिए 82 करोड़ 46 लाख 94 हजार 231 खर्च किए गए। रत्नागिरी और जालना जिलों में कोविड-19 की जांच पर 1 करोड़ 7 लाख 6 हजार 920 रुपये हिसाब से 2 करोड़ 14 लाख13 हजार 840 रुपए खर्च किए गए। 18 सरकारी मेडिकल कॉलेजों, 4 मनपा मेडिकल कॉलेजों और 1 टीएमसी मेडिकल कॉलेज को प्लाज्मा थेरेपी टेस्ट कराने के लिए 16.85 करोड़ रुपये दिए गए। मेरा परिवार और मेरी जिम्मेदारी इस अभियान को राज्य स्वास्थ्य संस्थान के आयुक्त को 15 करोड़ रुपए दिया गया हैं। कोविड के दौरान महिला वेश्याओं को 49 करोड़ 76 लाख 15 हजार 941 रुपये दिए गए। कोविड के तहत म्यूटेंट वेरिएंट के शोध के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग पर 1 करोड़ 91 लाख 16 हजार रुपये खर्च किए गए।

मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कोविड खात्यात शिल्लक आहेत जमा 799 कोटी 606 कोटी

कोविडच्या काळात मदतीसाठी आवाहन केल्यानंतर मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी अंतर्गत कोविड खात्यात लोकांनी भरभरून आर्थिक सहाय्य केले. आजमितीला 799 कोटी जमा झाले असून 606 कोटींचा निधी वापराविना शिल्लक असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुख्यमंत्री सचिवालयाने दिली आहे. 192 कोटीचे वाटप लक्षात घेता एकूण 25 टक्के रक्कम ही जमा निधीतून खर्च करण्यात आली आहे.


आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री सचिवालयाकडे एकूण जमा निधी, खर्च करण्यात आलेला निधी आणि शिल्लक निधी याची माहिती विचारली होती. मुख्यमंत्री सचिवालयाच्या मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कक्षाने अनिल गलगली यांस कळविले की एकूण 798 कोटी रक्कम जमा झाली असून आजमितीस 606कोटी रक्कम शिल्लक आहे. 192 कोटीचे वाटप केले आहे.


अनिल गलगली यांच्या मते हा निधी फक्त कोविड प्रयोजनासाठी असल्याने आतापर्यंत खर्च शत प्रतिशत करणे आवश्यक होते पण शासनाने 25 टक्के निधीचे वाटप केले आहे. इतका 606 कोटींचा निधी राखीव ठेवण्याचे नेमके प्रयोजन काय आहे? याची माहिती जनतेस देण्याची आवश्यकता आहे.


जमा रक्कमेपैकी जी रक्कम खर्च करण्यात आली आहे ती 192 कोटी 75 लाख 90 हजार 12 रुपये आहे. यात 20 कोटी सेंट जॉर्ज रुग्णालयामध्ये कोविडसाठी विशेष आयसुआय सेटअपसाठी वैद्यकीय शिक्षण विभागामार्फत खर्च करण्यात आले. कोविडच्या 25 हजार चाचण्यासाठी ABBOT M2000RT PCR या मशीनच्या कझुमेबल्स विकत घेण्यासाठी 3 कोटी 82 लाख 50 हजार खर्च करण्यात आले. औरंगाबाद जिल्ह्यातील रेल्वे दुर्घटनेमध्ये मृत झालेल्या मजुरांच्या वारसांना 80 लाखांचे अर्थसहाय्य करण्यात आले. स्थलांतरित मजुरांचे श्रमिक रेल्वे शुल्कासाठी 82 कोटी 46 लाख 94 हजार 231 रुपये खर्च करण्यात आले. रत्नागिरी आणि जालना जिल्ह्यात कोविड 19 च्या चाचण्या करण्यासाठी क्रमशः 1 कोटी 7 लाख 6 हजार 920 रुपये खर्च करण्यात आले.  प्लाझ्मा थेरेपीच्या चाचण्या करण्यासाठी 18 शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालये, 4 पालिका वैद्यकीय महाविद्यालय, 1 टीएमसी वैद्यकीय महाविद्यालय यांस 16.85 कोटी रुपये देण्यात आले. माझे कुटुंब आणि माझी जबाबदारी या अभियानासाठी 15 कोटी आयुक्त, राज्य स्वास्थ्य संस्था यांस देण्यात आले. कोविड साथी दरम्यान देह विक्री करणा-या महिलांना 49 कोटी 76 लाख 15 हजार 941 रुपयांचे अर्थसहाय्य करण्यात आले. कोविड आजारा अंतर्गत म्युटंट मधील व्हेरिएन्टचे संशोधनाकरिता जिनोम सिक्वेसिंग करीता 1 कोटी 91 लाख 16 हजार खर्च करण्यात आले.

Wednesday 17 November 2021

भालचंद्र शिरसाट यांना स्थायी समितीतून गच्छंती करण्यासाठी पालिकेला 1 कोटीचा भुर्दंड!

भाजपाचे नामनिर्देशित सदस्य भालचंद्र शिरसाट यांच्या स्थायी समिती सदस्यत्वाच्या विरोधात झालेली उच्च व सर्वोच्च न्यायालयीन लढाई बृहन्मुंबई महानगरपालिका हरली आणि न्यायालयाने त्यांचे सदस्यत्व कायम केले. पण या राजकीय लढाईत बृहन्मुंबई महानगरपालिकेस तब्बल 1 कोटी 04 लाखाचा खर्च आल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी माहितीच्या अधिकारात प्राप्त केली आहे.


आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी बृहन्मुंबई महानगरपालिकेच्या विधि खात्याकडे भाजपाचे नामनिर्देशित सदस्य भालचंद्र शिरसाट यांच्या स्थायी समिती सदस्यत्वाच्या विरोधात झालेल्या न्यायालयीन लढाईत करण्यात आलेल्या खर्चाची तपशीलवार माहिती मागितली होती. अनिल गलगली यांस उच्च न्यायालय आणि सर्वोच्च न्यायालयात नेमलेले वकिल व कौन्सिल आणि त्यांस अधिदान करण्यात आलेल्या रक्कमेची माहिती देण्यात आली. 


सर्वोच्च न्यायालयात 27.38 लाखांचा खर्च


देशातील नामवंत कौन्सिल असलेले अॅड मुकुल रोहितगी यांस रू.17.50 लाख देण्यात आले. यात रू.6.50 लाख रुपये कॉन्फरन्साठी आणि 2 सुनावणीसाठी रू.11 लाख रुपये दिलेत. 

अॅड ध्रुव मेहता यांस रू 5.50 लाख रुपये, सुकुमारन यांस ड्राफ्ट, कॉन्फरन्स, याचिका दाखल करण्यासाठी रू.1 लाख रुपये तसेच आणखी एक कॉन्फरन्स व सुनावणीसाठी रू.2.26 लाख दिले आहेत. ड्राफ्ट व कॉन्फरन्ससाठी 1.10 लाख रुपये अतिरिक्त देण्यात आले आहेत.


रू.76.60 लाख रुपयांचा खर्च उच्च न्यायालयात


नऊ वेळा उपस्थित राहिल्याबद्दल कौन्सिल जोएल कार्लोस यांस 3.80 लाख रुपये देण्यात आले. ड्राफ्टिंगसाठी कौन्सिल अस्पि चिनाॅय यांस 7.50 लाख रुपये तर कौन्सिल ए वाय साखरे यांस 40 हजार देण्यात आले. कौन्सिल ए वाय साखरे यांस 40 हजार कॉन्फरन्ससाठी देण्यात आले. कौन्सिल ए वाय साखरे यांस 6 वेळा सुनावणीसाठी 14.50 लाख रुपये देण्यात आले. कौन्सिल अस्पि चिनाॅय हे 7 वेळा सुनावणीसाठी उच्च न्यायालयात पालिकेच्या वतीने लढले त्यासाठी त्यांनी प्रत्येक सुनावणीसाठी 7.50 लाख रुपये या हिशोबाने 52.50 लाख रुपये देण्यात आले आहे. कौन्सिल आर एम कदम यांस एका सुनावणीसाठी 5 लाख रुपये देण्यात आले आहे.


अनिल गलगली यांच्या मते आधी नेमणूक आणि नंतर ती नेमणूक रद्द करण्याची आवश्यकता नव्हती. राजकीय लढाईचा निकाल न्यायालयात कोणत्याही बाजूने लागतो तेव्हा नेहमीच बृहन्मुंबई महानगरपालिकेच्या तिजोरीवर भार पडतो. 1 कोटी 4 लाख रक्कम ही जनतेच्या करातून जमा झालेली रक्कम असून याबाबत संबंधितांची जबाबदारी निश्चित होणे आवश्यक आहे

स्टैंडिंग कमेटी से भालचंद्र शिरसाट को बाहर करने के लिए मनपा ने खर्च किए 1 करोड़!

बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने भाजपा नगरसेवक भालचंद्र शिरसाट की स्थायी समिति सदस्यता के खिलाफ उच्च और सर्वोच्च में दायर मामला के तहत मनपा कोर्ट की लड़ाई हार गई और कोर्ट ने उनकी सदस्यता बरकरार रखी। लेकिन इस राजनीतिक लड़ाई में आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को आरटीआई में जानकारी मिली है कि मनपा को 1 करोड़ 04 लाख का खर्च आया है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बीएमसी के कानूनी विभाग से भाजपा प्रत्याशी भालचंद्र शिरसाट की स्थायी समिति की सदस्यता के खिलाफ कोर्ट की लड़ाई में हुए खर्च का ब्योरा मांगा था। अनिल गलगली को उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में नियुक्त वकीलों और परिषद और उन्हें दी जाने वाली राशि से अवगत कराया गया।

सुप्रीम कोर्ट में 27.38 लाख का खर्च

देश के जाने माने काउंसिल एड मुकुल रोहितगी को 17.50 लाख रुपए दिए गए। इनमें सम्मेलन के लिए 6.50 लाख रुपये और 2 सुनवाई के लिए 11 लाख रुपये दिए गए। एड ध्रुव मेहता को 5.50 लाख रुपये, सुकुमारन को ड्राफ्ट, कॉन्फ्रेंस, याचिका के लिए 1 लाख रुपये और अन्य सम्मेलन और सुनवाई के लिए 2.26 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। ड्राफ्ट और सम्मेलनों के लिए अतिरिक्त 1.10 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं।


हाईकोर्ट में 76.60 लाख रुपये का खर्च

काउंसिल जोएल कार्लोस को नौ सुनवाई के लिए 3.80 लाख रुपये का भुगतान किया गया हैं। काउंसिल एस्पी चिनाई को ड्राफ्टिंग के लिए 7.50 लाख रुपये और काउंसिल एवाई साखरे को 40,000 रुपये दिए गए। सम्मेलन के लिए काउंसिल एवाई साखरे को 40,000 रुपये दिया गया। काउंसिल एवाई साखरे को 6 सुनवाई के लिए 14.50 लाख रुपये दिए गए। काउंसिल एस्पी चिनाई ने मनपा की ओर से उच्च न्यायालय में 7 बार लड़ाई लड़ी है जिसके लिए उन्हें प्रत्येक सुनवाई के लिए 7.50 लाख रुपये की दर से 52.50 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। काउंसिल आरएम कदम को एक सुनवाई के लिए 5 लाख रुपए दिए गए हैं।

अनिल गलगली के मुताबिक, पहले और फिर बाद में अपॉइंटमेंट रद्द करने की कोई जरूरत नहीं थी। जब भी किसी राजनीतिक लड़ाई का नतीजा कोर्ट में जाता है तो मनपा के खजाने पर हमेशा बोझ पड़ता है। 1 करोड़ 4 लाख रूपए सार्वजनिक कर से एकत्रित राशि में से एक है और इस संबंध में संबंधित की जिम्मेदारी निर्धारित की जानी चाहिए।

Thursday 9 September 2021

कोरोना काल में एमएमआरडीए ने पीआर एजेंसियों को प्रति माह 21.70 लाख रुपये आवंटित किए

मुंबई सहित महाराष्ट्र राज्य में कोरोना काल में सरकारी और अन्य प्राधिकरणों में काम की गति धीमी थी, लेकिन एमएमआरडीए प्राधिकरण ने एक निजी पीआर एजेंसी को उदारतापूर्वक प्रति माह औसतन 21.70 लाख रुपये आवंटित किए हैं। एमएमआरडीए प्राधिकरण ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सूचित किया है कि पिछले दो वर्षों में पीआर एजेंसी को 5.21 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्राधिकरण से पीआर एजेंसी के बारे में विभिन्न जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए अथॉरिटी ने अनिल गलगली को बताया कि मेट्रोपॉलिटन कमिश्नर आरए राजीव की मंजूरी से मेसर्स. मर्केटाइल एडवरटाइजिंग पीआर एजेंसी को 15 जुलाई 2019 से नियुक्त किया गया है। पिछले दो वर्षों में एमएमआरडीए प्राधिकरण ने एजेंसी को प्रचार के लिए 5.21 करोड़ रुपये दिए हैं। पिछले 2 वर्षों में भुगतान की गई राशि को देखते हुए, हर महीने औसतन 21.70 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। खासतौर पर जब मुंबई समेत महाराष्ट्र में पूरी तरह से लॉकडाउन था तो पीआर एजेंसी को लाखों रुपये की आंख बंद करने को मजबूर होना पड़ा। एमएमआरडीए प्राधिकरण का एक स्वतंत्र जनसंपर्क खाता है और एमएमआरडीए प्राधिकरण 2 अधिकारियों पर 1.50 लाख रुपये प्रति माह और अनुबंध कर्मचारियों पर 25,000 रुपये खर्च करता है। इसके विपरीत जनसंपर्क विभाग को गति देकर एमएमआरडीए आसानी से करोड़ों रुपये बचा सकती थी। इतना ही नहीं एमएमआरडीए भवन में पीआर एजेंसी ने बैठने की विशेष व्यवस्था की है जिसके लिए एमएमआरडीए प्राधिकरण द्वारा कोई मासिक किराया नहीं लिया गया है। पीआर एजेंसी को इस किराया मुक्त कार्यालय पर किसी अधिकारी ने आपत्ति नहीं की। इस एजेंसी का मीडिया को संभालने का कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं था और इस एजेंसी द्वारा काम पर रखे गए कुछ कर्मियों की पीआर और पत्रकारिता गतिविधियों को संभालने की कोई पृष्ठभूमि नहीं थी।

अनिल गलगली ने करोड़ों रुपये के खर्च पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ एमएमआरडीए के पास फंड की कमी है और दूसरी तरफ निजी पीआर एजेंसियों पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

आज, एमएमआरडीए प्राधिकरण के पास महाराष्ट्र सरकार के सूचना व जनसपंर्क महानिदेशक की सहायता से एक स्वतंत्र जनसंपर्क विभाग है। अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, एमएमआरडीए अथॉरिटी के चेयरमैन एकनाथ शिंदे और मेट्रोपॉलिटन कमिश्नर एसवीआर श्रीनिवास को लिखे पत्र में पिछले दो साल से खर्च का ऑडिट करते हुए निजी पीआर एजेंसियों पर स्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग की है। 


कोरोना काळात ही एमएमआरडीए तर्फे प्रत्येक महिन्याला 21.70 लाख पीआर एजन्सीला वाटप

मुंबई सहित महाराष्ट्र राज्यात कोरोना काळात शासकीय आणि अन्य प्राधिकरणात कामाचा वेग कमी होता पण एमएमआरडीए प्राधिकरणाने उदारता दाखवित खाजगी पीआर एजन्सीला सरासरी प्रत्येक महिन्याला 21.70 लाखांचे वाटप केले आहे.  मागील 2 वर्षात पीआर एजन्सीला 5.21 कोटी रुपये देण्यात आल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्राधिकरणाने दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्राधिकरणाकडे पीआर एजन्सीची विविध माहिती मागितली होती. एमएमआरडीए प्राधिकरणाने अनिल गलगली यांस कळविले की महानगर आयुक्त आर ए राजीव यांच्या मान्यतेने मे. मर्कटाईल अँडव्हटार्यझिंग या पीआर एजन्सीची नेमणूक 15 जुलै 2019 पासून केलेली आहे. मागील 2 वर्षात एमएमआरडीए प्राधिकरणाने  या एजन्सीला तब्बल 5.21 कोटी रुपये प्रचारासाठी दिले आहे. मागील 2 वर्षात दिलेली रक्कम लक्षात घेता प्रत्येक महिन्याला सरासरी 21.70 लाख दिले आहे., विशेष म्हणजे जेव्हा मुंबई सहित महाराष्ट्रात संपूर्णपणे लॉकडाउन होता तेव्हा पीआर एजन्सीला त्या दरम्यान लाखों रुपये डोळे बंद करून देण्याचे काम करण्यात आले. एमएमआरडीए प्राधिकरणात स्वतंत्र जनसंपर्क खाते असून 2 अधिकारी वर्गावर प्रत्येक महिन्याला एमएमआरडीए प्राधिकरण 1.50 लाख खर्च करते आणि करार पद्धतीवर असलेल्या कर्मचाऱ्यांवर 25 हजार रुपये खर्च करते. उलट जनसंपर्क खात्याला गतिमान करत एमएमआरडीए प्राधिकरण सहजपणे कोट्यवधी रुपयांची बचत करू शकली असती. इतकेच नाही या पीआर एजन्सीला एमएमआरडीएच्या इमारतीत बसण्यासाठी विशेष व्यवस्था असून त्यासाठी एमएमआरडीए प्राधिकरण तर्फे कोणतेही मासिक भाडे आकारण्यात आले नाही. पीआर एजन्सीला या भाडेमुक्त कार्यालया,वर कोणत्याही अधिकाऱ्याने आक्षेप घेतला नाही. या एजन्सीकडे मीडिया हाताळण्याचे पूर्वीचे रेकॉर्ड नव्हते आणि या एजन्सीने नियुक्त केलेल्या काही कर्मचाऱ्यांना पीआर आणि पत्रकारिता उपक्रम हाताळण्याची कोणतीही पार्श्वभूमी नव्हती. 

अनिल गलगली यांची कोट्यवधी रुपयांच्या खर्चावर प्रश्नचिन्ह उभे करत सांगितले की एकीकडे एमएमआरडीए प्राधिकरणाकडे निधीची चणचण आहे आणि दुसरीकडे कोट्यवधी रुपये खाजगी पीआर एजन्सीवर खर्च करण्यात येत आहे. आज एमएमआरडीए प्राधिकरणाकडे स्वतंत्र जनसंपर्क खाते असून महाराष्ट्र शासनाच्या महासंचालनायची मदत घेतली जाऊ शकते. मागील 2 वर्षाच्या खर्चाचे ऑडिट करताना आता तरी खाजगी पीआर एजन्सीला कायमस्वरूपी प्रतिबंध करण्याची मागणी अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, एमएमआरडीए प्राधिकरणाचे अध्यक्ष एकनाथ शिंदे आणि महानगर आयुक्त एसव्हीआर श्रीनिवास यांस पाठविलेला पत्रात केली आहे.


Even in complete lockdown, MMRDA splurged huge money on personal PR agencies

At a time when complete lockdown was imposed throughput country and all hotels, restaurants and transportation were closed to stay indoors, PR agencies kept footing dubious bills running in lakhs every month to squeeze money from MMRDA, which authority hire for upgrading its public image, despite the fact that it had already a full fledged PR department. Without cross-verifying the bills, MMRDA kept remitting the huge amount of money to the agency, as agreed in agreement. 

An RTI filed by activist Anil Galgali showing that when the pace of work in government and other authorities were too slow during the complete lockdown period from March to May 2020, private PR agency footed bills running over 21 lakhs and MMRDA generously cleared the bills. In its RTI response, MMRDA has informed Anil Galgali that Rs 5.21 crore were paid to the PR agency in the last two years. 

After getting some clue about rampant corruption going within MMRDA, Galgali filed an RTI seeking various information about the PR agencies hired by MMRDA. The MMRDA informed Anil Galgali that after the approval of the then Metropolitan Commissioner R. A. Rajiv, named M/s Mercantile Advertising and PR Agency was hired from 15th July 2019, months after he took over as administrative head. This agency had no previous record of handling media and a few personnel hired by this agency had no background of handling PR and journalistic activities.


Commenting on this, Galgali pointed out that when there was a complete lockdown in Maharashtra, including Mumbai, the PR agency was procuring bills as expensed incurred in over 21 lakh every month and this is matter of probe. Even MMRDA's administration department without verifying the bills, remitted the money. This money were splurged lavishly on private agency despite that fact that MMRDA have an independent and full-fledged public relations department and it spends Rs 1.50 lakh per month on 2 officers and Rs 25,000 on contract employees. Not only this, the PR agency was given a big cabin in free of cost at the 6th floor of MMRDA building for which no monthly rent were charged. No officer objected this rent-free accommodation to PR agency.

"In my views, the MMRDA could have spent this public money on the projects used by public or upgrading its in-house PR department. But, MMRDA  chose to benefit a private PR agency, which is nothing but a clear cut case of corruption, which I demand to investigate," Galgali reacted. 


Moreover, Galgali has questioned the unwarranted expenditure of crores of rupees on private agency expressed surprise that on the one hand, the MMRDA facing shortage of funds, and on the other hand crores of rupees are still being spent on private PR agencies. Anil Galgali, in a letter to Chief Minister Uddhav Thackeray, MMRDA Chairman Eknath Shinde and Metropolitan Commissioner SVR Srinivas, has demanded a fair probe into this alleged corruption, besides putting permanent ban on private PR agencies.

Tuesday 27 July 2021

आमदार पराग शाह, रईस शेख, दिलीप लांडे घेत आहेत नगरसेवक पदाचे सुद्धा मानधन

बृहन्मुंबई महानगरपालिका प्रशासनात नगरसेवक असलेल्या लोकप्रतिनिधी यांनी आमदार व खासदार बनल्यानंतर एकाच सभागृहाचे मानधन घेणे नैतिकदृष्ट्या अपेक्षित आहे परंतु आमदार बनलेल्या पराग शाह, रईस शेख, दिलीप लांडे हे नगरसेवक पालिकेचे मानधन सुद्धा घेत असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस चिटणीस खात्याने दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस चिटणीस खात्याकडे माहिती मागितली होती की सद्यस्थितीत जे नगरसेवक आमदार आणि खासदार झाले आहे त्याची माहिती देताना नाव, वेतन व भत्ता अशी एकूण रक्कम घेत नसल्यास त्याची माहिती देण्यात यावी. चिटणीस खात्याने अनिल गलगली यांस कळविले की खासदार मनोज कोटक आणि आमदार रमेश कोरगावकर मानधन घेत नाहीत. तर आमदार रईस शेख, पराग शहा आणि दिलीप लांडे यांस दरमहा रु. 25,000/-  मानधनासाठी  आणि महापालिकेच्या प्रत्येक सभेकरिता रु. 150/- भत्त्यासाठी अश्या केवळ चार सभांकरिता दिले जाते.

अनिल गलगली यांच्या मते राजकीय पक्षाने जे नगरसेवक आमदार आणि खासदार बनले आहे त्या ठिकाणी राजीनामे घेणे आवश्यक होते पण दुर्दैवाने कोठल्याही राजकीय पक्षाने निर्णय घेतला नाही. अश्या परिस्थितीत कमीत कमी मानधन न घेण्याची सूचना करणे आवश्यक होते.

विधायक पराग शाह, रईस शेख, दिलीप लांडे नगरसेवक पद के मानदेय ले रहे हैं

नैतिक रूप से यह अपेक्षा की जाती है कि जो प्रतिनिधि बीएमसी प्रशासन में नगरसेवक हैं वे विधायक और सांसद बनने के बाद उसी सदन के मानदेय नहीं ले। हालांकि विधायक बने पराग शाह, रईस शेख और दिलीप लांडे नगरसेवकों का भी मानदेय भी ले रहे  है, यह जानकारी मनपा सचिव विभाग की ओर से आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी गई है. 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा सचिव कार्यालय से जानकारी मांगी थी कि वर्तमान में विधायक और सांसद बन चुके नगरसेवक का नाम, वेतन और भत्ते का खुलासा किया जाए, अगर वह कुल राशि नहीं ले रहे हैं। मनपा सचिव ने अनिल गलगली को बताया कि सांसद मनोज कोटक व विधायक रमेश कोरगांवकर मानदेय नहीं ले रहे हैं. विधायक रईस शेख, पराग शाह और दिलीप लांडे 25000/- मानदेय एवं ऐसी चार बैठकों के लिए 150/- भत्ता आज भी ले रहे हैं।

अनिल गलगली के मुताबिक, जहां नगरसेवक विधायक और सांसद बने हैं, राजनीतिक दल को उनके नगरसेवक से उस सीट से इस्तीफा लेना चाहिए था लेकिन दुर्भाग्य से किसी भी राजनीतिक दल ने फैसला नहीं लिया है। ऐसे में न्यूनतम मानदेय न लेने का निर्देश देना जरूरी है।

MLA Parag Shah, Raees Sheikh, Dilip Lande are also taking honorarium for the post of corporator

MLA Parag Shah, Raees Sheikh, Dilip Lande are also taking honorarium for the post of corporator

It is morally expected that the people's representatives who are corporators in the BMC administration should not take the honorarium after becoming MLAs and MPs. However, Parag Shah, Raees Sheikh and Dilip Lande, who have become MLAs, are receiving honorarium from the corporation, the RTI activist Anil Galgali has been informed by the secretary's department.

Anil Galgali, an RTI activist, had sought information from the secretary's department that the name, salary and allowance of the corporator who has become an MLA and MP should be disclosed if he is not taking the total amount. The Bmc secretary informed Anil Galgali that MP Manoj Kotak and MLA Ramesh Korgaonkar were not taking honorarium. MLAs Raees Sheikh, Parag Shah and Dilip Lande earn Rs. 25,000 / - for honorarium and Rs. 150 / - is given for allowance only for four such meetings.

According to Anil Galgali, the political party was required to resign in the place where the corporator has become MLA and MP. But unfortunately no political party has taken a decision. In such a case it was necessary to instruct not to take minimum honorarium.

Wednesday 9 June 2021

12 वर्षात 30 कोटींहून अधिक रक्कम रेल्वेच्या 116 कलव्हर्ट वर खर्च

मुंबई उपनगरीय रेल्वे सेवा कुर्ला आणि सायन येथे पावसाचे पाणी साठल्याने बंद करण्यात आली असून कलव्हर्ट स्वच्छ न झाल्याचा फटका रेल्वे सेवेला बसल्याचा आरोप आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी केला आहे. मागील 12 वर्षात 30 कोटींहून अधिक रक्कम रेल्वेच्या 116 कलव्हर्ट वर खर्च करण्यात आले असून 30 कोटी पाण्यात वाहून गेले असल्याची टीका होत आहे.

मुंबईतील रेल्वे अंतर्गत कलव्हर्ट म्हणजे मोरया या प्रत्येक वर्षी रेल्वे प्रशासन स्वच्छ करते आणि पालिका प्रत्येक वर्षी 3 ते 4 कोटी शुल्क अदा करते.  मागील 12 वर्षात रेल्वेला 30 कोटी प्राप्त झाले आहेत पण आजमितीस कोणत्याही प्रकारचे ऑडिट ना रेल्वेने केले ना पालिकेने केलेल्या खर्चाचा हिशोब मागितला. आज मुंबई रेल्वे सेवा अंतर्गत 116 कलव्हर्ट असून 53 मध्य रेल्वे, 41 पश्चिम रेल्वे आणि 22 हार्बर रेल्वेत आहेत. वर्ष 2009-2010 ते वर्ष 2017-18 या 9 वर्षात 23 कोटी रुपये मुंबई पालिकेने रेल्वे प्रशासनाला दिले होते. वर्ष 2018-19 मध्ये 5.67 कोटी रुपये दिले होते. एकंदरीत मागील 12 वर्षात 30 कोटीहून अधिक रक्कम देण्यात आली आहे. यावर्षी पालिकेने सीएसएमटी ते मुलुंडपर्यंतच्या रेल्वेच्या सर्व नाल्यांची सफाई अवघ्या 15 दिवसात पूर्ण करण्याचा दावा केला आहे.

अनिल गलगली यांच्या मते दरवर्षी पावसाळयापूर्वी पालिका रेल्वेला पैसे तर मोजते पण या मोरी सफाईचा कोठल्याही प्रकारचे ऑडिट होत नाही. मागील 3 वर्षांपासून रेल्वे सेवा हमखास कुर्ला आणि सायन दरम्यान ठप्प होते. 31 मे पर्यंत मोरी साफ करून सर्वेक्षण केल्यास अशी परिस्थिती उदभवणार नाही. यासे सांगत अनिल गलगली यांनी दोन्ही एजन्सी तितक्याच जबाबदार असल्याचे सांगितले. रेल्वे असो किंवा पालिका, दोन्ही एजन्सीने करण्यात आलेला खर्च, काढलेला गाळ याची इत्यंभूत माहिती जनतेच्या माहितीसाठी ऑनलाईन करणे आवश्यक असल्याचे मत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले आहे.

12 वर्ष में 30 करोड़ रेलवे के 116 कलव्हर्ट वर खर्च किए

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने आरोप लगाया है कि कल्वर्ट की सफाई नहीं होने से कुर्ला और सायन में बारिश का पानी जमा हुआ और मुंबई उपनगरीय रेलवे सेवा प्रभावित हुई। पिछले 12 साल में रेलवे की 116 की कल्वर्ट पर 30 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए गए हैं और सफाई न होने से 30 करोड़ रुपये बह गए हैं।

मुंबई रेलवे के अंतर्गत आने वाले कल्वर्ट जिसकी हर साल रेलवे प्रशासन द्वारा सफाई की जाती है और मनपा हर साल 3 से 4 करोड़ रुपये का भुगतान करती है। पिछले 12 साल में रेलवे को 30 करोड़ रुपये मिले हैं, लेकिन आज तक रेलवे की ओर से कोई ऑडिट नहीं हुआ और न ही महानगरपालिका द्वारा किए गए खर्च का हिसाब मांगा गया। आज, मुंबई रेलवे में 116 कल्वर्ट में 53 मध्य रेलवे, 41 पश्चिम रेलवे और 22 हार्बर रेलवे के अंतर्गत हैं। वर्ष 2009-2010 से 2017-18 तक के 9 सालों में मुंबई मनपा ने रेलवे प्रशासन को 23 करोड़ रुपये दिए थे। वर्ष 2018-19 में 5.67 करोड़ मनपा ने ख़र्च किए। कुल मिलाकर, पिछले 12 वर्षों में 30 करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया गया है। मुंबई महानगरपालिका ने इस साल सीएसएमटी से मुलुंड तक सभी रेलवे नालों की सफाई महज 15 दिनों में पूरा करने का दावा किया है।

अनिल गलगली के मुताबिक, हर साल मानसून से पहले मनपा रेलवे को भुगतान करता है, लेकिन नाले की सफाई का कोई ऑडिट नहीं होता है। कुर्ला और सायन के बीच पिछले हर वर्ष रेल सेवाएं ठप हैं। अगर 31 मई तक नाले की सफाई कर सर्वे कराया गया तो ऐसी स्थिति नहीं बनेगी। अनिल गलगली ने कहा कि दोनों एजेंसियां ​​समान रूप से जिम्मेदार हैं। जनता को दोनों एजेंसियों द्वारा किए गए खर्च के बारे में सूचित किया जाना आवश्यक है, चाहे वह रेलवे हो या मुंबई महानगरपालिका। इसलिए यह जानकारी सार्वजनिक की जाए।

Thursday 27 May 2021

Information of the suspension review meeting which reinstated Sachin Vaze in the service is not in the public interest - Mumbai Police

Mumbai Police has refused to give information to RTI activist Anil Galgali about the suspension review meeting in which The suspension of Ex API Sachin Vaze was reinstated to the police service after a review meeting.The proposal put forward at the suspension review meeting and the approval given to it is still in the bouquet. Other hand Mumbai Police has made a strange claim of suspension review meeting information not being in the public interest.


Anil Galgali, an RTI activist, had filed an online application with the Mumbai Police on April 8, 2021 seeking information. The suspension review meeting which held on June 5, 2020 at the level of Commissioner of Police, Galgali demanded that Copy of the decision taken to reinstate API Sachi Vaxs in the service and the proposal which submitted in suspension review meeting. It also sought information that after the suspension review meeting at which level the (  Chief Minister, Home Minister or Cabinet meeting ) and who approved the decision.Refusing to provide information to Anil Galgali, Mumbai Police informed that the information is being denied as per the provisions of Government Circular dated 17th October 2014 and Section 8 (1) (j) of Right to Information Act 2005. According this section Information which relates to personal information the disclosure of which has not relationship to any public activity or interest, or which would cause unwarranted invasion of the privacy of the individual unless the Central Public Information Officer or the State Public Information Officer or the appellate authority, as the case may be, is satisfied that the larger public interest justifies the disclosure of such information: Provided that the information, which cannot be denied to the Parliament or a State Legislature shall not be denied to any person.

Anil Galgali has filed the first appeal after the information was denied in this manner. According to Anil Galgali, the decision was taken at the suspension review meeting. So there should be no problem in giving information. Galgali also said that under Section 4 of the Right to Information Act 2005, the decision of the suspension review meeting and the minutes need to be published on the website.

सचिन वझे की सेवा में बहाली वाली निलंबन समीक्षा बैठक की जानकारी लोकहित में नही- मुंबई पुलिस

मुंबई पुलिस ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को निलंबन समीक्षा बैठक के ब्योरे का खुलासा करने से इनकार कर दिया है जिसमें सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे को पुलिस सेवा में बहाल किया गया था। निलंबन समीक्षा बैठक में पेश किया गया प्रस्ताव और उसे दी गई मंजूरी का मामला अब भी एक राज है। निलंबन समीक्षा बैठक की जानकारी लोकहित में न होने का अजीबोगरीब दावा मुंबई पुलिस ने किया है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सचिन वझे की जानकारी के लिए 8 अप्रैल, 2021 को मुंबई पुलिस में ऑनलाइन आवेदन किया था। पुलिस आयुक्त के स्तर पर 5 जून, 2020 को हुई निलंबन समीक्षा बैठक मेंसपोनी सचिन वाजे को सेवा में बहाल करने के लिए लिए गए निर्णय और इस तरह पेश किया गया प्रस्ताव  की कॉपी मांगी थी। इसमें निलंबन समीक्षा बैठक में लिए गए निर्णय के बारे में भी जानकारी मांगी गई थी कि मुख्यमंत्री, गृह मंत्री या कैबिनेट की बैठक, इनमें से किस स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाता है। अनिल गलगली को सूचना देने से इनकार करते हुए मुंबई पुलिस ने बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1)(जे) औऱ सरकारी परिपत्र दिनांक 17 अक्टूबर 2014 के प्रावधानों के तहत सूचना से इनकार किया जा रहा है. इस धारा के तहत सूचना, जो व्यक्तिगत सूचना से संबंधित है, जिसका प्रकटन किसी लोक क्रियाकलाप या हित से संबंध नहीं रखता है या जिससे व्यष्टि की एकांतता पर अनावश्यक अतिक्रमण होगा, जब तक की, यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी या अपील प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता कि ऐसी सूचना का प्रकटन विस्तृत लोक हित में न्यायोचित है:  परन्तु ऐसी सूचना के लिए, जिसको, यथास्थिति, संसद या किसी राज्य विधान–मंडल को देने से इंकार नहीं किया जा सकता है, किसी व्यक्ति को इंकार नहीं किया जा सकेगा।

इस तरह से जानकारी न मिलने के बाद अनिल गलगली ने पहली अपील दायर की है। अनिल गलगली के मुताबिक निलंबन समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया गया है। इसलिए जानकारी देने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। गलगली ने यह भी कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 4 के तहत निलंबन समीक्षा बैठक के निर्णय और कार्यवृत्त को वेबसाइट पर प्रकाशित करने की आवश्यकता है.

सचिन वझेला सेवेत पूर्ववत करणाऱ्या निलंबन आढावा बैठकीची माहिती जनहितार्थ नाही - मुंबई पोलिस

मुंबई पोलीसांच्या प्रतिमेला तडा देणाऱ्या बडतर्फ सहाय्यक पोलीस निरीक्षक असलेल्या सचिन वझे यांस ज्या निलंबन आढावा बैठकीनंतर पोलीस सेवेत रुजू करण्यात आले त्या निलंबन आढावा बैठकीची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना  देण्यास मुंबई पोलीसांनी सपशेल नकार दिला आहे. निलंबन आढावा बैठकीत मांडलेला प्रस्ताव आणि त्यास दिली आलेली मंजुरी अजूनही गुलदस्त्यात असताना सचिन वझेला सेवेत पूर्ववत करणाऱ्या निलंबन आढावा बैठकीची माहिती जनहितार्थ नसल्याचा विचित्र दावा मुंबई पोलिसांचा आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई पोलिसांकडे 8 एप्रिल 2021 रोजी ऑनलाईन अर्ज करत माहिती मागविली होती. पोलीस आयुक्त स्तरावरील दिनांक 5 जून 2020 रोजीचे निलंबन आढावा बैठकीत सपोनि सचिन वझे यांना सेवेत पुन:स्थापित करण्यासाठी घेण्यात आलेला निर्णय आणि तसा सादर झालेल्या प्रस्तावाची प्रत देण्याची मागणी होती. तसेच निलंबन आढावा बैठकीत झालेल्या निर्णयावर मुख्यमंत्री, गृह मंत्री किंवा मंत्रिमंडळाच्या बैठकीत यांपैकी कोणत्या स्तरावर शिक्कामोर्तब करण्यात येते, त्याची माहिती मागितली होती. मुंबई पोलिसांनी अनिल गलगली यांस माहिती देण्यास नकार देत कळविले की शासन परिपत्रक दिनांक 17 ऑक्टोबर 2014 आणि माहितीचा अधिकार अधिनियम 2005 कलम 8(1)(ञ) मधील तरतुदीनुसार सदरची माहिती नाकारण्यात येत आहे. या कलमानुसार जी माहिती प्रकट करणे हे व्यापक लोकहिताच्या दृष्टीने आवश्यक आहे अशी, यथास्थिति, केंद्रीय जन माहिती अधिका-याची, राज्य जन माहिती अधिका-याची किंवा अपील प्राधिका-याची खात्री पटली असेल, ती खेरीजकरून, जी प्रकट करण्याचा कोणत्याही सार्वजनिक कामकाजाशी किंवा हितसंबंधाशी काहीही संबंध नाही किंवा जी व्यक्तीच्या खाजगी बाबीत आगंतुक हस्तक्षेप करील, अशी वैयक्तिक तपशीलासंबंधातील माहिती: परंतु, जी माहिती संसदेला किंवा राज्य विधानमंडळाला देण्यास नकार देता येणार नाही, ती माहिती कोणत्याही व्यक्तीला देण्यासही नकार देता येणार नाही.

अनिल गलगली यांनी अश्याप्रकारे माहिती नाकारण्यात आल्यानंतर प्रथम अपील दाखल केले आहे. अनिल गलगली यांच्या मतानुसार निलंबन आढावा बैठकीत निर्णय घेतला गेला असल्यामुळे प्रस्तावावर निर्णय घेतला गेला आहे. त्यामुळे माहिती देण्यास हरकत नसावी. तसेच माहितीचा अधिकार अधिनियम 2005 चे कलम 4 अंतर्गत निलंबन आढावा बैठकीचा निर्णय आणि इतिवृत्तांत संकेतस्थळावर प्रकाशित करण्यात येण्याची आवश्यकता असल्याचे गलगली यांचे म्हणणं आहे.

Friday 16 April 2021

The 'Maitri' building at Kalina, built unofficially by contractor Shirke, became official

The 'Maitri' building at Kalina, built unofficially by contractor Shirke, became official

◆ Distribution of flats through lottery
◆ Blacklist M/s Shirke

Unauthorized floors were built in the Maitri building on MHADA land at kalina without the permission of the Bmc. Now Now this unauthorized construction has been authorized by MHADA. 84 allottees of the building are Government Servants and include Senior IAS officer's Pravin Darade, Bipin Shrimali, Harshdeep Kamble, Sudhir Thackeray, Abhimanyu Kale, Deepak Kapoor, Rajesh Narvekar and Jawahar Singh. RTI activist Anil Galgali has demanded cancellation of the proposed 'Maitri' society, distribution of flats in the building through lottery and blacklisting of M/s Shirke contractors.

The MHADA administration has informed Anil Galgali that the revised steel + 12 storey work, plans have been approved. In which Wings A, B and C have been approved by the Executive Engineer / Building Permission Cell / Authority with the approval of the Vice President / Authority to construct 72 flats. As the matter of distribution of flats is coming under the purview of the Deputy Chief Officer, Marketing, Mumbai Board, Galgali's application has been transferred to that office.

'Mumbai Housing & Area Development Authority' (MHADA)  has issued show cause notice to contractor M/s  B.G. Shirke, seeking clarification on 29 illegal floors constructed in "Matri Cooperative Housing Society at Kalina in Mumbai. An RTI query by activist Anil Galgali had revealed how 29 illegal Floor in housing top 84 bureaucrats of Maharashtra had come up, Which had legal permission to construct a three floor building.

Mhada Authority  issue Notice to Contractor Shirke and ask clarification. In a shocking case of misuse of power, 29 illegal floors have been added to construct a 12 floor high-rise building in Kalina, Santacruz-East to provide houses to top bureaucrats of Maharashtra. RTI Activist Anil Galgali has exposed this case, Where the building has incidentally been named 'Maitri' (Friendship), Signifying the alliance between the powerful 'Babus of Mantralaya' and one of the biggest contractor of Maharashtra Ms. B.G. Shirke, Who has been given the task of construction. 

RTI Activist Anil Galgali had made an RTI application to BMC & MHADA on 21st October 2016 for obtaining details of the building. Reply dated 4th February 2016 revealed that M/s B.G. Shirke was given a tender to construct the 12 floor building at a cost of Rs 36.50/- crores. It was to have 150 flats of 1279.52 square feet area and another 76 flats of 1310.52 square feet. Apart from 76 original members of 'Maitri Cooperative Housing Society', 15 flats were to be given to Government nominees.

Anil Galgali demand that this flats should be allotted Common Public through proper Lottery System and Mhada should cancel the proposed Maitri Society as well as black list the Contractor M/s Shirke.

Officers from various departments of the entire state in 84 members

The 84 allottees of the building include officials from CM office, Deputy CM office, MHADA, SRA, Housing, Rural Development, Urban Development, Cooperative, Revenue, Anti Corruption Bureau, Public Health, BMC, Education, Water Resources, Agriculture, Women & Child welfare, Industries, Information & Technology, Police, Sales Tax and Transport. Deputy Chief officer of Mumbai Region, Abhimanyu Kale, DCP Sunil Ramanand, Private Secretary to MOS -Housing, Kailash Pahare, Deputy Secretary (Housing) & Additional Collector Dilip Shinde are the 4 promoters of the Society. While A.M. Wajarkar, Additional Collector of SRA is the chief promoter.

शिर्के ने कालीना में बनाई अवैध 'मैत्री' को म्हाडा ने किया अधिकृत

शिर्के ने कालीना में बनाई अवैध 'मैत्री' को म्हाडा ने किया अधिकृत

अवैध म्हाडा की जमीन पर मनपा की अनुमति लिए बिना 'मैत्री' के अवैध मंजिल को लेकर म्हाडा आख़िरकार अधिकृत करने का काम किया है। 84 प्रशासनिक अधिकारियों की 'मैत्री का अनोखा आदर्श से भी बड़ा घोटाला का भांडाफोड़ आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने किया था। 'मैत्री' नाम की बिल्डिंग में आईएएस अधिकारियों में प्रवीण दराडे, बिपिन श्रीमाली ,हर्षदीप कांबले, सुधीर ठाकरे, अभिमन्यू काले, दिपक कपूर, राजेश नार्वेकर, संजय यादव, जवाहर सिंह जैसे  84 लोगों का समावेश हैं। अब प्रस्तावित 'मैत्री' सोसायटी को रद्द कर इस बिल्डिंग के फ्लैट्स लॉटरी के जरिए वितरित करने और मेसर्स शिर्के को ब्लैक लिस्ट करने की मांग आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने की है।

म्हाडा प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया है कि से संशोधित स्टील+ 12 मंजिल का काम, प्लान को मंजूर किया गया। इसमें विंग A, B और C है जिसे उपाध्यक्ष/प्राधिकरण की मान्यता से कार्यकारी अभियंता/ बिल्डिंग अनुमति कक्ष/ प्राधिकरण ने 72 फ्लैट निर्माण की मंजुरी प्राप्त हुई है। फ्लैट वितरण करने का अधिकार यह उपमुख्य अधिकारी, मार्केटिंग, मुंबई मंडल के  कार्यकक्षा में आने से गलगली का आवेदन उस कार्यालय के पास हस्तांतरित किया गया है।

म्हाडा प्रशासन ने मेसर्स बी जी शिर्के कंपनी को  2 मार्च 2017 को नोटीस जारी कर अवैध निर्माण पर खुलासा करने का आदेश दिया गया हैं। सांताक्रूज पूर्व कालिना स्थित जमीन पर म्हाडा ने 4 फरवरी 2010 को मेसर्स बी.जी.शिर्के को 13 फ्लोर की बिल्डिंग में मिडिल इनकम ग्रुप के तहत 1279.52 चौरस फुट का 150 वहीं हाई इनकम ग्रुप के तहत 1310.52 चौरस फुट का  76 फ्लैट ऐसे 226 फ्लैट 36.50/- करोड़ रुपए में बनाने का ठेका दिया।  म्हाडा ने मैत्री सहकारी गृहनिर्माण संस्था में तय 76 सदस्य के अलावा शेष और सरकार ने मंजूर किए सदस्यों के लिए 15 फ्लैट उपलब्ध कराने के लिए मंजूरी दी।  विंग ए के लिए 3 और विंग बी तथा सी के लिए 2 फ्लोर की अनुमति होते हुए मेसर्स शिर्के इस ठेकेदार ने 12 फ्लोर का निर्माण किया और उसके बाद अवैध निर्माण को अधिकृत करने का अनुरोध किया हैं।

अनिल गलगली की मांग है कि शिर्के कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया जाए। प्रस्तावित मैत्री सोसायटी को रद्द करे तथा लॉटरी से सारे फ्लैट आम लोगों को मुवैय्या किए जाए। 

84 सदस्यों में राज्य के विभिन्न विभाग के अफसर 

मुख्यमंत्री सचिवालय से लेकर उपमुख्यमंत्री कार्यालय, म्हाडा, एसआरए, गृहनिर्माण, ग्रामविकास, नगरविकास, सहकार,राजस्व, भ्रष्टाचार निरोधक ब्युरो, सार्वजनिक स्वास्थ्य, मनपा, सिडको, शिक्षा, जलसंपदा, कृषी, महिला व बालविकास, उद्योग, सूचना व तकनीक, पुलिस, विक्रीकर, यातायात ऐसे हर एक विभाग का अफसर और कर्मचारी को फ्लैट मिलेगा। 4 प्रमोटर में मुंबई मंडल के सहमुख्य अधिकारी अभिमन्यू काले, पुलिस उपायुक्त सुनील रामानंद, गृहनिर्माण राज्यमंत्री के निजी खाजगी सचिव कैलास पगारे आउट गृहनिर्माण विभाग के उपसचिव एवं अप्पर जिलाधिकारी दिलीप शिंदे हैं वहीं चीफ प्रमोटर झोपडपट्टी पुनर्वास प्राधिकरण के अप्पर जिलाधिकारी ए.एम.वजरकर हैं।

कंत्राटदार शिर्केने अनधिकृत बांधलेली कालिना येथील 'मैत्री' इमारत झाली अधिकृत

कंत्राटदार शिर्केने अनधिकृत बांधलेली कालिना येथील 'मैत्री' इमारत झाली अधिकृत

सदनिका लॉटरीच्या माध्यमातून वितरित करणे

मेसर्स शिर्केला काळया यादीत टाका

म्हाडाच्या जमिनीवर पालिकेची परवानगी न घेता मैत्री च्या अनधिकृत बांधलेल्या मजल्याबाबत म्हाडाने कंत्राटदार शिर्केवर मेहरबानी करत त्यास अधिकृत केले आहे.  'मैत्री' नावाच्या इमारतीत सनदी अधिकारी प्रवीण दराडे, बिपिन श्रीमाळी, हर्षदीप कांबळे, सुधीर ठाकरे, अभिमन्यू काळे, दिपक कपूर, राजेश नार्वेकर, संजय यादव, जवाहर सिंग सारख्या 84 जणांचा समावेश आहे. आता प्रस्तावित 'मैत्री' सोसायटी रद्द करत या इमारतीतील सदनिका लॉटरीच्या माध्यमातून वितरित करणे आणि मेसर्स शिर्के कंत्राटदारांला काळया यादीत टाकण्याची मागणी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांची आहे.

म्हाडा प्रशासनाने अनिल गलगली यांस कळविले आहे की सुधारित स्टील+ 12 मजल्यांचे काम,नकाशे मंजूर केले आहेत. ज्यामध्ये विंग A, B आणि C असून त्यास उपाध्यक्ष/प्राधिकरण यांची मान्यतेने कार्यकारी अभियंता/ इमारती परवानगी कक्ष/ प्राधिकरण यांनी 72 सदनिका बांधण्यास मंजुरी प्राप्त झाली आहे. सदनिका वितरण करण्याची बाब ही उपमुख्य अधिकारी, पणन, मुंबई मंडळाच्या कार्यकक्षेत येत असल्याने गलगली यांचे निवेदन त्या कार्यालयाकडे हस्तांतरित करण्यात आले आहे.

यापूर्वी म्हाडा प्रशासनाने मेसर्स बी जी शिर्के कंपनीस 2 मार्च 2017 रोजी नोटीस जारी करुन अनधिकृत बांधकामाबाबत खुलासा करण्याचे आदेश दिले होते. सांताक्रूझ पूर्व कालिना येथील म्हाडाने 4 फेब्रुवारी 2010 रोजी मेसर्स बी.जी.शिर्के यास 13 मजली इमारतीत मध्यम उत्पन्न गटातंर्गत 1279.52 चौरस फुटांचे 150 तर उच्च उत्पन्न गटातंर्गत 1310.52 चौरस फुटांचे 76 सदनिका अश्या 226 सदनिका 36.50 कोटीत बांधण्याचे काम दिले. म्हाडाने मैत्री सहकारी गृहनिर्माण संस्थेतील निर्धारित 76 सदस्यांव्यतिरिक्त उर्वरित तसेच शासनाने मंजूर केलेल्या सदस्यांकरिता 15 सदनिका उपलब्ध करून देण्यास मंजूरी देण्यात आली. विंग ए साठी 3 तर विंग बी आणि सी साठी 2 माळयाची परवानगी असताना मेसर्स शिर्के या कंत्राटदाराने 12 माळयाचे बांधकाम केले आणि त्यानंतर तिन्ही विंग मिळून 29 अनधिकृत माळे अधिकृत करण्याची विनंती पालिकेस केली.

अनिल गलगली यांची मागणी केली आहे की मेसर्स शिर्के कंपनीस काळया यादीत टाकण्यात यावे. तसेच प्रस्तावित मैत्री सोसायटीस बांधण्यात येणारी सदनिका न देता लॉटरी काढून सदनिका सर्व सामान्यांना उपलब्ध करुन देण्यात याव्यात.

84 सदस्यांत संपूर्ण राज्याचे विविध खात्यांचे अधिकारी

मुख्यमंत्री सचिवालयापासून उपमुख्यमंत्री कार्यालय, म्हाडा, एसआरए, गृहनिर्माण, ग्रामविकास, नगरविकास, सहकार, महसूल, भ्रष्टाचार निरोधक ब्युरो, सार्वजनिक आरोग्य , पालिका, सिडको, शिक्षण, जलसंपदा, कृषी, महिला व बालविकास, उद्योग, माहिती व तंत्रज्ञान, पोलीस, विक्रीकर, परिवहन अश्या प्रत्येक खात्याच्या अधिकारी आणि कर्मचा-यांची वर्णी लागली असून 4 प्रर्वतकामध्ये मुंबई मंडळाचे सहमुख्य अधिकारी अभिमन्यू काळे, पोलीस उपायुक्त सुनील रामानंद, गृहनिर्माण राज्यमंत्र्यांचे खाजगी सचिव कैलास पगारे आणि गृहनिर्माण विभागाचे उपसचिव व अप्पर जिल्हाधिकारी दिलीप शिंदे आहेत तर मुख्य प्रर्वतक झोपडपट्टी पुनवर्सन प्राधिकरणाचे अप्पर जिल्हाधिकारी ए.एम.वझरकर आहेत. 

Saturday 10 April 2021

After spending 498 crore, 32 Bmc school work not progress so much

Anil Galgali, an RTI activist, has been informed that the BMC administration has started work since 2018 to to 32 schools at a cost of Rs 498 crore. In the year 2020 alone, 16 out of 32 schools have not completed work in stipulated  time and in the year 2021, 10 schools are not progressing as expected.

Anil Galgali, an RTI activist, had sought information from the school infrastructure department of the BMC about the ongoing school development work in Mumbai. Anil Galgali has been provided information by 7 public information officers and based on the information, it is seen that the municipality has released work worth Rs 498 crore for 32 schools. 7 out of 32 schools are being constructed on the new site in 2 in L ward , 2 in K East, 1 in G North, 1 in R Central and 1 in R South wards. Work on most 8 schools is underway in Kurla L ward. Based on the available information, it is noticed that 10 out of 32 works were required to be completed by the year 2020. 16 works will be completed in the year 2021, out of which 6 works deadline already expired. The target is to complete 5 works in 2022 and 1 in 2023.

Rs 111.85 crore is being spent on 8 works in Kurla L ward. Rs 11.84 crore is being spent in N ward. M East is spending Rs 43.29 crore on 3 works while M West is spending Rs 41.24 crore on 2 works. Rs 8.84 crore on one works in G South, Rs 50.31 crore on 2 works in F North,  Rs 2.77 crore on one work in G North, Rs 16.84 crore on 2 works in K East, Rs 17.36 crore on one work in H East, Rs 23.18 crore on one work in T Ward, In K West Rs 34.01 crore spend on 2 works in ward, Rs 39.22 crore on 3 works in P North, Rs 14.44 crore on one work in R North, Rs 42.14 crore on 2 works in R Central and Rs 40.90 crore on 2 works in R South ward.

The administration is kind to the contractor and is stingy in imposing fines. There is only one work under N ward and a fine of Rs 60,000 has been imposed. Rs 35,000 in G South Ward, Rs 75,000 in F North, Rs 25,000 in G North, Rs 87,500 in M ​​East, Rs 1.07 lakh in K East, Rs 84,000 in K West, Rs 1.89 lakh in P North, R Central A fine of Rs 43,000 has been imposed here.

According to Anil Galgali, work worth about Rs 500 crore is underway and the quality of work is not checked at the local level as the school infrastructure has all the rights. All the work has been delayed and it is necessary for the municipality to conduct an audit by a third party so that the quality of civil and electric work can be checked, demanded Anil Galgali in a letter to the Municipal Commissioner.

498 करोड़ खर्च, मनपा के 32 स्कूलों के काम में देरी

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सूचित किया गया है कि मनपा प्रशासन द्वारा 32 स्कूलों के नवीनीकरण के लिए 498 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया काम 2018 से धीमा है। अकेले वर्ष 2020 में 32 में से 16 स्कूल समय की अवधि में पूर्ण नहीं हुए और वर्ष 2021 में 10 स्कूल अपेक्षा के अनुरूप प्रगति नहीं कर रहे हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई में चल रहे स्कूल विकास कार्यों के बारे में मनपा के स्कूल बुनियादी ढांचे विभाग से जानकारी मांगी थी। अनिल गलगली को 7 सार्वजनिक सूचना अधिकारियों द्वारा जानकारी प्रदान की गई है और जानकारी के आधार पर, यह देखा जाता है कि मनपा ने 32 स्कूलों के लिए 498 करोड़ रुपये का काम जारी किया है। 2 एल वार्ड , 2 के पूर्व वार्ड , 1 जी उत्तर वार्ड, 1 आर सेंट्रल वार्ड और 1 आर दक्षिण वार्डों में नई साइट पर 32 में से 7 स्कूलों का निर्माण किया जा रहा है। कुर्ला एल वार्ड में ज्यादातर 8 स्कूलों पर काम चल रहा है। उपलब्ध जानकारी के आधार पर, यह देखा गया है कि 32 में से 10 कार्यों को वर्ष 2020 तक पूरा करना आवश्यक था।  जो पूर्ण नहीं हुआ।  वर्ष 2021 में 16 कार्य पूरे किए जाने जाते है जिनमें से 6 कार्य की अवधि खत्म हो चुकी हैं। वर्ष 2022 में 5 और 2023 में 1 काम पूरा करने का लक्ष्य है।

कुर्ला एल वार्ड में 8 कार्यों पर 111.85 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। एन वार्ड में 11.84 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। एम पूर्व में 3 कामों पर 43.29 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है जबकि एम पश्चिम 2 कामों पर 41.24 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। जी दक्षिण में एक काम पर 8.84 करोड़, एफ उत्तर में 2 काम पर 50.31 करोड़, जी उत्तर में एक काम पर 2.77 करोड़, के पूर्व में 2 काम पर 16.84 करोड़, एच पूर्व  में एक काम पर 17.36 करोड़, टी वार्ड में एक काम में 23.18 करोड़ , के पश्चिम में 2 काम पर 34.01 करोड़, पी नॉर्थ में 3 काम पर 39.22 करोड़, आर उत्तर में एक काम पर 14.44 करोड़, आर मध्य में 2 काम पर 42.14 करोड़ और आर दक्षिण वार्ड में 2 काम पर 40.90 करोड़ खर्च किए जा रहे है।

प्रशासन ठेकेदारों के प्रति दयालु है और जुर्माना लगाने में कंजूस है। एन वार्ड के तहत केवल एक काम है और 60,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जी दक्षिण वार्ड में 35,000 रुपये, एफ उत्तर में 75,000 रुपये, जी उत्तर में 25,000 रुपये, एम पूर्व में 87,500 रुपये, के पूर्व में 1.07 लाख रुपये, के पश्चिम में 84,000 रुपये, पी उत्तर में 1.89 लाख रुपये, आर मध्य में 43,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

अनिल गलगली के अनुसार, लगभग 500 करोड़ रुपये का काम चल रहा है और स्थानीय स्तर पर काम की गुणवत्ता की जांच नहीं की जाती है क्योंकि स्कूल के बुनियादी ढांचे पर सभी अधिकार हैं। सभी काम में देरी हुई है और मनपा के लिए यह आवश्यक है कि तीसरे पक्ष द्वारा एक ऑडिट किया जाए ताकि सिविल और इलेक्ट्रिक के काम की गुणवत्ता की जांच की जा सके,  यह मनपा आयुक्त को लिखे हुए एक पत्र में अनिल गलगली की मांग की।

498 कोटी खर्च, पालिकेच्या 32 शाळेचे काम संथगतीने

बृहन्मुंबई महानगरपालिका प्रशासनाने 498 कोटी खर्च करून 32 शाळांना नवीन झळाळी देण्यासाठी वर्ष 2018 पासून सुरु केलेली कामं संथगतीने सुरु असून क्षुल्लक दंड आकारल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस देण्यात आली आहे. वर्ष 2020 मध्येच 32 पैकी 16 शाळांची काम पूर्ण करण्याची निश्चित केलेली वेळ संपली असून वर्ष 2021 मध्ये 10 शाळांची हवी तशी प्रगती दिसत नाही.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी बृहन्मुंबई महानगरपालिका प्रशासनाच्या शाळा पायाभूत सुविधा कक्षाकडे मुंबईत सुरु असलेल्या शाळांच्या विकास कामाची माहिती मागितली होती. अनिल गलगली यांस 7 जन माहिती अधिकारी वर्गाने माहिती उपलब्ध केली असून माहितीच्या आधारे असे लक्षात येते की पालिकेने 32 शाळेसाठी 498 कोटी रुपयांचे काम जारी केले आहेत. 32 पैकी 7 शाळा नवीन जागेवर बांधल्या जात असून 2 एल, 2 के पूर्व, 1 जी उत्तर, 1 आर मध्य आणि 1 आर दक्षिण या वॉर्डात आहेत. सर्वाधिक 8 शाळेचे काम कुर्ला एल वॉर्डात सुरु आहे. उपलब्ध माहितीच्या आधारे लक्षात येते की 32 पैकी 10 कामे वर्ष 2020 मध्ये पूर्ण करणे गरजेचे होते. 16 कामे ही वर्ष 2021 मध्ये पूर्ण करण्यात येणार असून यापैकी 6 कामांची मुदत संपली आहे. वर्ष 2022 मध्ये 5 तर वर्ष 2023 मध्ये 1 काम पूर्ण करण्याचे उद्दिष्ट आहे.

कुर्ला एल वॉर्डात 8 कामांवर 111.85 कोटी खर्च करण्यात येत आहे. एन वॉर्डात 11.84 कोटी खर्च होत आहे. एम पूर्वेला 3 कामांवर 43.29 कोटी तर एम पश्चिमेला 2 कामांवर 41.24 कोटी खर्च करण्यात येत आहे. जी दक्षिण येथील एका कामांवर 8.84 कोटी, एफ उत्तर येथील 2 कामांवर 50.31 कोटी, जी उत्तर येथील एका कामांवर 2.77 कोटी, के पूर्व येथील 2 कामांवर 16.84 कोटी, एच पूर्व येथील एका कामांवर 17.36 कोटी, टी वॉर्ड येथील एका कामांवर 23.18 कोटी, के पश्चिम वॉर्डातील 2 कामांवर 34.01 कोटी, पी उत्तर येथील 3 कामांवर 39.22 कोटी, आर उत्तर येथील एका कामांवर 14.44 कोटी, आर मध्य येथील 2 कामांवर 42.14 कोटी आणि आर दक्षिण वॉर्डातील 2 कामांवर 40.90 कोटी रुपये खर्च होत आहे. 

कंत्राटदार यांच्यावर प्रशासन मेहरबान असून दंड आकारण्यात कंजूसी होत आहे. एन वॉर्ड अंतर्गत एकच काम असून 60 हजार रुपये दंड आकारला आहे. जी दक्षिण वॉर्डात 35 हजार रुपये, एफ उत्तर येथे 75 हजार रुपये, जी उत्तर येथे 25 हजार रुपये, एम पूर्व येथे 87,500 रुपये, के पूर्व येथे 1.07 लाख रुपये, के पश्चिम येथे 84 हजार रुपये, पी उत्तर येथे 1.89 लाख रुपये, आर मध्य येथे 43 हजार रुपये दंड आकारण्यात आला आहे.

अनिल गलगली यांच्या मते जवळपास 500 कोटींचे काम सुरु असून शाळा पायाभूत कक्षाकडे सर्व अधिकार असल्याने स्थानिक पातळीवर कामांची गुणवत्ता तपासली जात नाही. सर्व कामात उशीर झाला असून पालिकेतर्फे त्रयस्थ व्यक्तीकडून ऑडिट करणे आवश्यक आहे जेणेकरून सिव्हिल असो इलेक्ट्रिक कामाची गुणवत्ता तपासली जाईल, अशी मागणी अनिल गलगली यांनी पालिका आयुक्त यांस पाठविलेल्या पत्रात केली आहे.

Wednesday 24 March 2021

हाफकिन संस्था पूर्णकालिक निदेशक की प्रतीक्षा में !

हाल ही में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हाफकिन इंस्टिट्यूट का दौरा करने से उसके पुर्नजीवित की बात चर्चा में है। लेकिन दुर्भाग्य से हाफकिन प्रशिक्षण, संशोधन एवं चाचणी संस्था में मंजुर पदों पर शत प्रतिशत नियुक्ति करने को लेकर सरकार उत्सुक नहीं है। 173 मंजुर पदों में 57 पद रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को हाफकिन संस्था ने दी है। ताज्जुब की बात यह है कि हाफकिन संस्था अब भी पूर्णकालिक निदेशक की प्रतीक्षा में है। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने हाफकिन प्रशिक्षण, संशोधन एवं चाचणी संस्था के पास विभिन्न पदों की जानकारी मांगी थी। कुल मंजुर पद, कार्यरत पद और रिक्त पदों की जानकारी का समावेश है। हाफकिन संस्था ने अनिल गलगली को 25 जनवरी 2021 तक रेकॉर्ड उपलब्ध कराया गया। इसमें कुल 173 मंजुर पद से 57 पदे रिक्त है और 116 पद कार्यरत है।

वर्ग अ अंतर्गत कुल 8 पदनाम वाले 28 मंजुर पद है जिसमें से 21 पदे रिक्त है। इसमें 1 निदेशक, 1 उप निदेशक, 6 सहायक निदेशक, 11 वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी, 1 वैज्ञानिक सचिव,1 मुख्य प्रशासकीय अधिकारी ऐसी संख्या है। निदेशक का अतिरिक्त प्रभार सीमा व्यास के पास है।

वर्ग ब अंतर्गत 23 मंजुर पदों में से  7 पद रिक्त है जिसमें 7 वैज्ञानिक अधिकारी का समावेश है।  वर्ग क अंतर्गत 68 में से 47 पद कार्यरत है। जो 21 पद रिक्त है उसमें 2 में से 2 अधिक्षक पद रिक्त है। वही 9 वरिष्ठ तकनीकी सहायक, 3 वरिष्ठ लिपिक, 5 प्रयोगशाला सहायक, 1 सर्पपाल, 1 लिपिक ऐसे रिक्त पद है। वर्ग ड अंतर्गत 54 में से सिर्फ  8 पद रिक्त है जिसमें 5 प्रयोगशाला परिचर, 1 हवालदार, 1 सिपाही और 1 गृह स्वच्छ कम सफाईगार ऐसे पद रिक्त है।

अनिल गलगली के अनुसार हाफकीन इंस्टीट्यूट यह देश की सबसे पुरानी बायोमेडिकल संशोधन संस्था होते हुए वर्ष 2005 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा 306 मंजुर पदों को लेकर 173 तक सीमित किया गया और 133 पदों को रद्द किया। बड़े पैमाने पर पदों को रद्द कर हाफकिन को पुर्नजीवित करने के बजाय चतन बद्ध तरीके से बंद करने की साजिश है। इसीलिए रिक्त पद पर नियुक्ति नहीं की जा रही है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और मेडिकल शिक्षा मंत्री अमित देशमुख ने तत्काल ध्यान देकर रिक्त पदों पर शत प्रतिशत नियुक्ति करने के लिए संबंधितों के आदेश दे, ऐसी मांग अनिल गलगली ने की है।  

हाफकिन संस्था पूर्णकालिक संचालकाच्या प्रतीक्षेत!

नुकतेच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांनी हाफकिन इन्स्टिट्यूटला भेट दिली असून त्याचा कायापालट करण्याची चर्चा जोरात आहे पण दुर्दैवाने हाफकिन प्रशिक्षण, संशोधन व चाचणी संस्थेत मंजुर पदे शत प्रतिशत भरण्याची तसदी शासनाने घेतली नाही. एकूण 173 मंजुर पदापैकी 57 पदे रिक्त असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस हाफकिन संस्थेने दिली आहे. विशेष म्हणजे हाफकिन संस्था पूर्णकालिक संचालकाच्या प्रतीक्षेत आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी हाफकिन प्रशिक्षण, संशोधन व चाचणी संस्थेकडे विविध माहिती मागितली होती. त्यात एकूण मंजुर पदे, भरलेली पदे आणि रिक्त पदांची माहितीचा समावेश होता. हाफकिन संस्थेने अनिल गलगली यांस 25 जानेवारी 2021 पर्यंतचा अभिलेख उपलब्ध करुन दिला. यात एकूण 173 मंजुर पदापैकी 57 पदे रिक्त असून 116 पदे भरलेली आढळून येत आहे.

वर्ग अ अंतर्गत एकूण 8 पदनामाची 28 मंजुर पदे असून 21 पदे रिक्त आहेत. यात 1 संचालक, 1 उपसंचालक, 6 सहाय्यक संचालक, 11 वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी, 1 वैज्ञानिक सचिव,1 मुख्य प्रशासकीय अधिकारी अशी संख्या आहे. संचालकाचा अतिरिक्त कार्यभार सीमा व्यास यांसकडे आहे. 

वर्ग ब अंतर्गत 23 मंजुर पदापैकी 7 पदे रिक्त आहे ज्यात 7 वैज्ञानिक अधिकारी यांचा समावेश आहे. वर्ग क अंतर्गत 68 पैकी 47 पदे भरलेली असून 21 पदे रिक्त आहेत ज्यात 2 पैकी 2 अधिक्षक पदे रिक्त आहेत. तर 9 वरिष्ठ तंत्र सहाय्यक, 3 वरिष्ठ लिपिक, 5 प्रयोगशाळा सहाय्यक, 1 सर्पपाल, 1 लिपिक अशी रिक्त पदे आहेत. वर्ग ड अंतर्गत 54 पैकी फक्त 8 पदे रिक्त असून यात 5 प्रयोगशाळा परिचर, 1 हवालदार, 1 शिपाई आणि 1 गृह स्वच्छ नि सफाईगार अशी पदे रिक्त आहेत.

अनिल गलगली यांच्या मते हाफकीन इन्स्टिट्यूट ही देशातील सर्वात जुनी बायोमेडिकल संशोधन संस्था असताना वर्ष 2005 रोजी शासनाने 306 मंजुर पदे ही 173 वर आणून ठेवली आणि 133 पदे रद्द केली. मोठ्या प्रमाणात पदे रद्द करुन हाफकिनला पुनरुज्जीवित करण्याऐवजी टप्प्याटप्प्याने संपविण्याचा डाव आहे म्हणून रिक्त पदे भरली जात नाही. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे आणि वैद्यकीय शिक्षण मंत्री अमित देशमुख यांनी तातडीने लक्ष घालत रिक्त पदे शत प्रतिशत भरण्यासाठी संबंधितांना आदेश दयावेत, अशी मागणी अनिल गलगली यांची आहे.

Haffkin Institute awaits full-time director! 57 out of 173 posts vacant

Recently, Chief Minister Uddhav Thackeray visited the Haffkin Institute and there is a lot of talk about its transformation, but unfortunately the government has not taken the decision to fill 100 per cent of the sanctioned posts in the Haffkin Training, Research and Testing Institute. Of the total 173 sanctioned posts, 57 are vacant, according to reply given RTI activist Anil Galgali by Haffkin Institute. What is special is that the Haffkin Institute is waiting for a full-time director.

RTI activist Anil Galgali had sought various information from the Haffkin Training, Research and Testing Institute. It included information on total sanctioned posts, filled posts and vacancies.The Haffkin Institute provided Anil Galgali with records up to 25 January 2021. Out of the total 173 sanctioned posts, 57 posts are vacant and 116 posts have been filled.

Director, Deputy Director, Chief Administrative Officer post vacant!

There are 28 sanctioned posts out of total 8 designations under class A and 21 posts are vacant. It has 1 Director, 1 Deputy Director, 6 Assistant Directors, 11 Senior Scientific Officers, 1 Scientific Secretary, 1 Chief Administrative Officer. Seema Vyas has the additional charge of director.

Out of 23 sanctioned posts under class B, 7 posts are vacant which includes 7 scientific officers. Under class A, 47 out of 68 posts are working.In which 2 out of 2 superintendent posts are vacant.There are 9 Senior Technical Assistants, 3 Senior Clerks, 5 Laboratory Assistants, 1 Serpent, 1 Clerk. Out of 54 posts under class D, only 8 posts are vacant, including 5 posts of laboratory attendant, 1 constable, 1 peon and 1 house cleaner.

According to Anil Galgali, while the Haffkin Institute is the oldest biomedical research institute in the country. In 2005 the government reduced the number of sanctioned posts from 306 to 173 and canceled 133 posts.The vacancy is not being filled as it is a ploy to phase out rather than revive Halfkin by canceling a large number of posts. Anil Galgali has demanded that Chief Minister Uddhav Thackeray and Medical Education Minister Amit Deshmukh should immediately look into the matter and order the concerned to fill the vacancies 100 per cent.

Sunday 14 March 2021

राज्यपाल नामित विधानपरिषद सदस्य नेमणूक यादी देण्यास महाराष्ट्र शासनाचा नकार

महाविकास आघाडी आणि राज्यपाल यांच्यात राज्यपाल नामित विधानपरिषद सदस्य नेमणुकीवरुन वाद सुरु आहे पण दस्तुरखुद्द महाराष्ट्र शासनाने राज्यपाल नामित विधानपरिषद सदस्य नेमणूक यादी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस देण्यास नकार दिला आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्य सचिव कार्यालयाकडे नामित विधानपरिषद सदस्य नेमणूकीसाठी राज्यपालांना सादर केलेली यादी शिफारस पत्रासहित मागितली होती. यादी सादर करण्यापूर्वी मंत्रिमंडळाच्या बैठकीत सादर केलेला प्रस्ताव आणि मिळालेली मंजुरीची माहिती देताना जोडपत्रासहित सादर प्रस्ताव, अभिप्राय आणि टिप्पणीची प्रत मागितली होती. 

महाराष्ट्र शासनाने संसदीय कार्य विभागाने अनिल गलगली यांस कळविले की माहितीचा अधिकार अधिनियम, 2005 मधील कलम 8(1) (झ) तसेच कलम 8 (1) अनुसार माहिती उपलब्ध करुन देता येणार नाही. मंत्रिपरिषदेचे निर्णय, त्याची कारणे आणि ज्या आधारावर ते निर्णय घेण्यात आले होते ती सामग्री ही, निर्णय घेतल्यानंतर आणि ते प्रकरण पूर्ण झाल्यानंतर किंवा समाप्त झाल्यावर जाहीर करण्यात येईल.

अनिल गलगली यांचे मते मंत्रिपरिषदेने निर्णय घेतल्यानंतर ती माहिती सार्वजनिक करण्यास हरकत नसावी. एकीकडे महाविकास आघाडी नावे राज्यपाल मंजूर करण्यासाठी आग्रही आहे दुसरीकडे यादी जनतेला देण्यास नकार देत आहे.

Monday 22 February 2021

कुर्ला में नए उद्यमियों के लिए ओपन सेमिनार

कोरोना काल में कई मित्रों और रिश्तेदारों को स्वरोजगार के अवसर या आजीविका के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ हर किसी के कौशल को खुली चर्चा के साथ जीवन में लाने के उद्देश्य से कुर्ला पश्चिम के कर्मवीर भाऊराव पाटिल पुस्तकालय में प्रारंभिक बैठक हुई। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सूचना, कौशल और दृष्टि के तीन सिद्धांतों को अपनाने का आह्वान किया।

विनोद साडविलकर ने 'एक मेका सहाय करु अवघे धरु सुपंथ ’की अवधारणा के साथ सहयोग करने के उद्देश्य से आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली के मार्गदर्शन में एक चर्चा सत्र का आयोजन किया था। इस अवसर पर अनिल गलगली ने श्रोताओं से कहा कि रोजगार-स्वरोजगार के लिए, महिलाओं को नगर सामाजिक विकास अधिकारी से संपर्क करके एक महिला स्व-सहायता समूह का गठन करना चाहिए और स्वरोजगार करना चाहिए। सरकार के कौशल विभाग से संपर्क करके रोजगार-स्वरोजगार के अवसरों का लाभ उठाएं। सूचना, कौशल और परिप्रेक्ष्य के तीन सिद्धांतों को अपनाने से निश्चित रूप से स्वरोजगार में सफलता मिलेगी।

इस मौके पर समाधान बंसोड, मूनमून मुखर्जी, पुष्पा जाधव, कांता पवार, प्रणाली बेंडकर, संदीप परालकर, चारुदत्त पावस्कर, रमेश चव्हाण, संतोष वेंगुर्लेकर, प्रल्हाद उलेकर, विजय गायकवाड़, विजय माने, मंदार परुलेकर, चेतली महाडिक, विजेता महाडिक, राम चव्हाण, विजय माने, अज़ीज़ खान आदि उपस्थित थे। संगोष्ठी का आयोजन सुदर्शन जाधव, विनय गायकवाड़, गिरीश कटके, राजेंद्र गायकवाड़ ने किया था।

नव उद्योजकांसाठी कुर्ल्यात खुले चर्चासत्र

कोरोना काळात ब-याच मित्रमंडळी, नातेवाईक यांना स्वयं रोजगाराची संधी अथवा उपजीविकेचे साधन उपलब्ध व्हावे तसेच प्रत्येकाचे कौशल्य खुल्या चर्चेच्या माध्यमातून प्रत्यक्षात उतरविणे हे लक्ष्य डोळ्यासमोर ठेवून प्राथमिक बैठकीचे आयोजन कुर्ला पश्चिम येथील कर्मवीर भाऊराव पाटील वाचनालय प्रबोधिनी येथे आयोजित करण्यात आले होते. माहिती, कौशल्य आणि दृष्टीकोन या तीन सूत्रांचा अवलंब करण्याचे आवाहन आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी केले.

विनोद साडविलकर यांनी 'ऐक मेका सहाय्य करू अवघे धरू सुपथ' या संकल्पनेतून सहकार्य व्हावे या उद्देशाने माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या मार्गदर्शनाखाली चर्चा सत्र आयोजित केले होते. यावेळी उपस्थितांना अनिल गलगली यांनी सांगितले की रोजगार-स्वयंरोजगारासाठी मनपा समाज विकास अधिका-याशी संपर्क करून महिलांनी एकत्र येऊन महिला बचत गट बनवून स्वयंरोजगारीत व्हावे. तसेच शासनाच्या कौशल्य विभागाशी संपर्क करून रोजगार-स्वयंरोजगाराच्या संधीचा लाभ घ्यावा. माहिती, कौशल्य आणि दृष्टीकोन या तीन सूत्रांचा अवलंब केल्यास स्वयं रोजगारात नक्की यश मिळेल, असे गलगली यांनी प्रतिपादन केले.

यावेळी नव उद्योजक चर्चासाठी समाधान बनसोडे, मूनमून मुखर्जी, पुष्पा जाधव, कांता पवार, प्रणाली बेंडकर, संदीप परळकर, चारुदत्त पावसकर, रमेश चव्हाण, संतोष वेंगुर्लेकर, प्रल्हाद ऊळेकर, विजय गायकवाड, विजय माने, मंदार परुळेकर, चेताली महाडिक, विजेता महाडिक, राम चव्हाण, विजय माने, अजीज खान इ.मान्यवर उपस्थित होते. चर्चासत्राचे आयोजन सुदर्शन जाधव, विनय गायकवाड़, गिरीश कटके, राजेंद्र गायकवाड़ यांनी केले.

Open seminar for new entrepreneurs in Kurla

The preliminary meeting was held at Karmaveer Bhaurao Patil Library, Kurla West with the aim of providing self-employment opportunities or livelihood opportunities to many friends and relatives during the Corona period, as well as bringing everyone's skills to life through open discussion.  Anil Galgali, an RTI activist, called for adopting the three principles of information, skills and perspective to success in self business.

Vinod Sadvilkar had organized a discussion session under the guidance of RTI Activist Anil Galgali with the aim of cooperating with the concept of 'Ek Meka Sahayya Karu Avaghe Dharu Supath'. On this occasion, Anil Galgali told the audience that for employment-self-employment, women should come together by contacting the Municipal Social Development Officer and form a women's self-help group and become self-employed. Also take advantage of employment-self-employment opportunities by contacting the government's skills department. Adopting the three formulas of information, skill and perspective will definitely lead to success, asserted Galgali.

Samadhan Bansode, Moonmoon Mukherjee, Pushpa Jadhav, Kanta Pawar, Pranali Bendkar, Sandeep Paralkar, Charudatta Pawaskar, Ramesh Chavan, Santosh Vengurlekar, Pralhad Ulekar, Vijay Gaikwad, Vijay Mane, Mandar Parulekar, Chetali Mahadik, Vijeta Mahadik, Ram Chavan, Vijay Mane, Aziz Khan etc. were present on the occasion.The seminar was organized by Sudarshan Jadhav, Vinay Gaikwad, Girish Katke, Rajendra Gaikwad.


Monday 15 February 2021

राज्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति में देरी के कारण महाराष्ट्र में 60,000 अपील मामले प्रलंबित - अनिल गलगली

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चालू वर्ष के बजट में, केंद्र सरकार ने आरटीआई अधिनियम के कार्यान्वयन में बजट को कम कर दिया है। वहीं महाराष्ट्र राज्य में 60,000 अपीलें लंबित है क्योंकि तीन राज्य सूचना आयुक्तों को आरटीआई से निपटने के लिए नियुक्त नहीं किया गया हैं।

राष्ट्र सेवा दल रायगढ़ और ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए ग्राम सेवा समाज संस्थान द्वारा शुरू किए गए अध्ययन वर्ग का तीसरा चरण रविवार को पनवेल तालुका के बंधनवाड़ी में आयोजित किया गया। वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने "सूचना का अधिकार और इसके कार्यान्वयन" पर व्याख्यान दिया। गलगली ने आगे कहा कि राजनीतिक दल सत्ता में आते ही अपनी भूमिका बदल लेते हैं क्योंकि विपक्ष में रहने वाले दल RTI अधिनियम का समर्थन करते हैं और सत्ता में आते ही RTI अधिनियम का विरोध करते हैं।

अध्ययन वर्ग का आयोजन ग्राम सभा सामाजिक संस्था के अध्यक्ष संतोष ठाकुर की अध्यक्षता में किया गया था। इस मौकर पर रायगढ़ जिला शिक्षा अधिकार सभा के कार्यकारी अध्यक्ष रमेश पाटिल, मारुति गायकवाड़, दत्ता पाटिल लॉ कॉलेज के प्रो।संदीप घाडगे, ग्राम सभा के कार्यकारी सदस्य प्रशांत पाटिल, बालग्राम मित्र राजू पाटिल, तेजस चव्हाण, राजेश रसाल, जीविका मोरे, राजेश पाटिल के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयंसेवक,सामाजिक कार्यकर्ता, महिलाएं और युवा शामिल थे।

राज्य माहिती आयुक्तांची नेमणूका रखडल्यामुळे महाराष्ट्र राज्यात 60 हजार अपील प्रकरणे- अनिल गलगली

माहिती अधिकाराची प्रकरणे निकाली काढण्यासाठी अगोदरच 3 राज्य माहिती आयुक्तांची नेमणूक नसल्यामुळे महाराष्ट्र राज्यात साठ हजार अपील प्रकरण निकालाच्या प्रतीक्षेत असताना चालू वर्षाच्या अर्थ संकल्पात केंद्र सरकारने माहिती अधिकार कायद्याच्या अंमलबजावणीवरील खर्च कमी करणे हे दुर्दैवी असल्याचे मत ज्येष्ठ माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले आहे. 

राष्ट्र सेवा दल रायगड व ग्राम संवर्धन सामाजिक संस्थेच्या वतीने ग्रामीण भागातील सामाजिक कार्यकर्त्यांसाठी सुरू केलेल्या अभ्यास वर्गाचे रविवारी पनवेल तालुक्यातील बांधनवाडी येथे तिसरे पुष्प संपन्न झाले. " माहितीचा अधिकार व त्याची अंमलबजावणी " या विषयावर ज्येष्ठ माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांचे व्याख्यान आयोजित करण्यात आले होते. यावेळी मार्गदर्शन करताना गलगली यांनी हे मत मांडले. गलगली पुढे म्हणाले की सत्तेवर येताच राजकीय पक्ष आपली भूमिका बदलते कारण जे पक्ष विरोधी पक्षात असतात ते माहिती अधिकार कायद्याचे समर्थन करतात आणि सत्तेवर येताच माहिती अधिकार कायदाला येनकेनप्रकारेण विरोध करतात.

ग्राम संवर्धन सामाजिक संस्थेचे अध्यक्ष सामाजिक कार्यकर्ते संतोष ठाकूर यांच्या अध्यक्षतेखाली झालेल्या ह्या अभ्यास वर्गास शिक्षण हक्क सभेचे रायगड जिल्हा कार्याध्यक्ष रमेश पाटील, मारुती गायकवाड, ऍड. दत्ता पाटील लॉ कॉलेजचे प्रा.संदीप घाडगे, ग्राम संवर्धन सामाजिक संस्थेचे कार्यकारी सदस्य प्रशांत पाटील, बालग्राम मित्र राजू पाटील, तेजस चव्हाण, राजेश रसाळ, जीविका मोरे, राजेश पाटील यांच्यासह ग्रामीण भागात स्वयंप्रेरणेने सामाजिक काम करणारे कार्यकर्ते, महिला व तरुण उपस्थित होते.

Maharashtra 60,000 appeal cases due to delay in appointment of State Information Commissioner - Anil Galgali

RTI Activist Anil Galgali said it was unfortunate that the central government had slashed the implementation of RTI Act in the current year's budget. Also 60,000 appeals were pending in Maharashtra as 3 state information commissioners had not been appointed to handle RTI cases. 

The third flower of the study class started by Rashtra Seva Dal Raigad and Gram Samvardhan Samajik Sanstha for social workers in rural areas was held at Bandhanwadi in Panvel taluka on Sunday. Senior RTI activist Anil Galgali gave a lecture on "Right to Information and Its Implementation". This was stated by Galgali while giving guidance. Galgali further said that political parties change their role as soon as they come to power because the parties in the opposition support the RTI Act and oppose the RTI Act as soon as they come to power.

The study class was conducted under the chairmanship of Santosh Thakur, President of Gram Samvardhan Samajik Sanstha in which Ramesh Patil, Raigad District Working President of Right to Education Sabha, Maruti Gaikwad, Adv. Prof. Sandeep Ghadge of Datta Patil Law College, Prashant Patil, Executive Member of Gram Samvardhan Samajik Sanstha, Balgram Mitra Raju Patil, Tejas Chavan, Rajesh Rasal, Jivika More, Rajesh Patil along with volunteer social workers, women and youth in rural areas were present.

Wednesday 3 February 2021

धारावी पुनर्विकास परियोजना पर 31.27 करोड़ रुपए खर्च

धारावी का विकास होते होते थम सा गया है। लेकिन सरकार ने विभिन्न काम पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। स्लम पुनर्वास प्राधिकरण ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सूचित किया है कि धारावी पुनर्विकास परियोजना पर पिछले 15 वर्षों में 31.27 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने धारावी पुनर्विकास परियोजना पर किए गए खर्च के बारे में पूछताछ की थी। स्लम पुनर्वास प्राधिकरण ने अनिल गलगली को पिछले 15 वर्षों में किए गए खर्चों की एक सूची प्रदान की। इसमें 1 अप्रैल 2005 से 31 मार्च 2020 तक 15 वर्ष शामिल हैं। 1 अप्रैल 2005 से 31 मार्च 2020 तक धारावी पुनर्विकास परियोजना पर 31 करोड़ 27 लाख 66 हजार 148 रुपये खर्च किए गए हैं। पीएमसी चार्ज पर 15.85 करोड़ रुपये का खर्च दिखाया गया है। विज्ञापन और प्रसार पर 3.65 करोड़ रुपये खर्च किए गए। व्यावसायिक शुल्क और सर्वेक्षण पर 4.14 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। कानूनी फीस पर 2.27 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। 

धारावी पुनर्विकास परियोजना (DRP) का सरकारी संकल्प 4 फरवरी, 2004 को जारी किया गया था। अनिल गलगली ने अफसोस जताया कि पिछले 17 वर्षों में एक इंच का पुनर्विकास नहीं हुआ है और करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। यदि सरकार निजी डेवलपर के बजाय धारावी को पुनर्विकास करती है, तो एक बड़ा हाउसिंग स्टॉक बन जाएगा और सरकार की तिजोरी भर जाएंगी, यह कहते हुए, अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और गृह मंत्री डॉ जितेंद्र आव्हाड को एक पत्र भेजा है।

Rs 31.27 crore spent on Dharavi redevelopment project

Whether Dharavi was developed or not, the government has spent crores of rupees on various expenses. The Slum Rehabilitation Authority has informed RTI activist Anil Galgali that Rs 31.27 crore has been spent on the Dharavi redevelopment project in the last 15 years.

Anil Galgali, an RTI activist, had inquired about the expenditure incurred on the Dharavi redevelopment project. The Slum Rehabilitation Authority provided Anil Galgali with a list of expenses incurred in the last 15 years. It covers 15 years from 1 April 2005 to 31 March 2020. From 1st April 2005 to 31st March 2020, 31 crore 27 lakh 66 thousand 148 rupees have been spent on Dharavi Redevelopment Project. An expenditure of Rs 15.85 crore has been shown on PMC charges.An amount of Rs 3.65 crore was spent on advertising and dissemination. Rs 4.14 crore has been spent on business charges and surveys. Rs 2.27 crore has been spent on legal fees.

Government Resolution of Dharavi Redevelopment Project (DRP) was issued on February 4, 2004. Anil Galgali lamented that not an inch of redevelopment has taken place in the last 17 years and crores of rupees have been squandered. If the government redevelops Dharavi instead of a private developer, a large housing stock will be created. Anil Galgali has sent a letter to Chief Minister Uddhav Thackeray and Home Minister Dr Jitendra Awhad saying that the government's coffers will be filled and govt get benifit.

धारावी पुनर्विकास प्रकल्पावर 31.27 कोटी खर्च

धारावीचा विकास होता होईना पण विविध प्रकारच्या खर्चावर शासनाने कोट्यवधी रुपये खर्च केले आहेत. मागील 15 वर्षात धारावी पुनर्विकास प्रकल्पावर 31.27 कोटी खर्च झाल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस झोपडपट्टी पुनर्वसन प्राधिकरणाने दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी धारावी पुनर्विकास प्रकल्पावर आजमितीस झालेल्या खर्चाची माहिती विचारली होती. झोपडपट्टी पुनर्वसन प्राधिकरणाने अनिल गलगली यांस मागील 15 वर्षात करण्यात आलेल्या खर्चाची यादी दिली. 1 एप्रिल 2005 पासून 31मार्च 2020 अशी 15 वर्षाची खर्चाची माहिती त्यात आहे. 1 एप्रिल 2005 पासून 31 मार्च 2020 पर्यंत 31 कोटी 27 लाख 66 हजार 148 रूपये धारावी पुनर्विकास प्रकल्पावर खर्च करण्यात आले आहेत. पीएमसी शुल्कावर रु 15.85 कोटी खर्च दाखविण्यात आला आहे. यात जाहिराती आणि प्रसारावर रु 3.65 कोटी इतकी रक्कम खर्च करण्यात आली. व्यवसायिक शुल्क आणि सर्वेवर रु 4.14 कोटी खर्च झाले आहे. विधी शुल्कावर रु 2.27 कोटी खर्च करण्यात आले आहे. 


धारावी पुनर्विकास प्रकल्प (डीआरपी) चा शासन निर्णय 4 फेब्रुवारी 2004 रोजी जारी करण्यात आला. मागील 17 वर्षात एकही इंचाचा पुनर्विकास झाला नसून कोटयावधी रुपयांचा चुराडा करण्यात आल्याची खंत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केली. खाजगी विकासकाऐवजी शासनाने धारावीचा पुनर्विकास केला तर मोठ्या प्रमाणात गृहनिर्माण साठा निर्माण होईल आणि शासनाची तिजोरी भरेल, असे सांगत अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, गृह निर्माण मंत्री डॉ जितेंद्र आव्हाड यांस पत्र पाठविले आहे.