Monday 30 September 2019

2007 पासून पोलिसांची वेतन खाती आहेत अॅक्सिस बँकेत- महाराष्ट्र पोलीस

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांच्या पत्नीने पोलिसांची वेतन खाती अॅक्सिस बँक  बँकेत सुरु करण्याचा निर्णय घेतल्याचा आरोप होत आला आहे. पण वर्ष 2005 च्या शासन निर्णयांनंतर फक्त अॅक्सिस बँकेत नव्हे तर चक्क 14 राष्ट्रीय आणि खाजगी बॅंकेत पोलिसांना खाते उघडण्याची परवानगी वित्त विभागाने दिली असून 2007 पासून पोलिसांची खाती आहेत अॅक्सिस बँक  बँकेत असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महाराष्ट्र पोलिसांनी दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र पोलिसांकडे दिनांक 30 ऑगस्ट 2019 रोजी अर्ज करत पोलिसांच्या वेतन ज्या बँकेत उघडण्यासाठी परवानगी दिली आहे त्याची विविध माहिती मागितली होती. महाराष्ट्र पोलिसांच्या पोलीस महासंचालक कार्यालयातील कार्यालय अधीक्षक अनिल सावंत यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की महाराष्ट्र शासनाने शासन निर्णय 29 ऑगस्ट 2005 नुसार संपूर्ण राज्यातील शासकीय अधिकारी आणि कर्मचारी यांच्या मासिक देय वेतन व भत्यांचे प्रदान, बँकेमार्फत करण्याची कार्यपद्धती निश्चित करण्यात केली आहे. त्यापैकी एकूण 14 राष्ट्रीयकृत बँका तसेच खाजगी बॅंकाशी शासनाने करार केला असून सदर शासन निर्णयानुसार अधिकारी आणि कर्मचारी यांच्या पसंतीनुसार 14 बँकांपैकी कोणत्याही बँकेच्या शाखेत आहरण व  संवितान अधिका-यांचे वेतन खाते उघडण्याबाबत सूचना दिल्या आहेत. सदर 14 बँकेमध्ये अॅक्सिस बँकेचा  तेव्हाची युटीआय बँकेचा समावेश आहे.याच शासन निर्णयानुसार महाराष्ट्र पोलीस मुख्यालयातील अधिकारी आणि कर्मचारी यांना वेतन अदा करण्यासाठी यांचे वेतन खाते हे वर्ष 2007 पासून अॅक्सिस बँकेत उघडण्यात आले आहे. ज्या बँका चांगल्या सुविधा देतात त्यात वेतन खाते उघडण्यासाठी पोलीस दलातील संबंधित घटक प्रमुख आपल्या स्तरावर निर्णय घेतात. अनिल गलगली यांनी हे ही विचारले होते की महाराष्ट्र पोलीस दलातील पोलीस अधिकारी आणि कर्मचारी वृंदाची वेतन खाती अॅक्सिस बँकेत आहेत. त्याविरोधात तक्रारी किंवा सूचना आल्या असल्यास त्याची माहिती विचारली असता श्री सावंत यांनी कळविले की या कार्यालयास तक्रारी किंवा सूचना प्राप्त झाल्याचे अभिलेखावरून दिसत नाही.

या 14 बँकेत भारतीय स्टेट बँक, इंडियन बँक, बँक ऑफ महाराष्ट्र, बँक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बँक, स्टेट बँक ऑफ हैदराबाद, सेंट्रल बँक ऑफ इंडिया, देना बँक, कॉर्पोरेशन बँक, आंध्र बँक, युनियाटेड बँक ऑफ इंडिया, यूटीआय बँक लिमिटेड, आयसीआयसीआय बँक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बँक लिमिटेड हया प्रमुख आहेत. सद्याची अॅक्सिस बँक ही पूर्वीची यूटीआय बँक लिमिटेड होती. अनिल गलगली यांच्या मते जेव्हा शासनाने 2005 मध्ये पोलिसांना 14 बँकेचा पर्याय दिला होता आणि कोणत्याही पोलिसांनी याबाबत तक्रार असो किंवा सूचना केल्या नाहीत, ही बाब महाराष्ट्र पोलिसांनी स्पष्ट केली आहे.

पुलिस वेतन खाता 2007 से ही हैं एक्सिस बैंक में - महाराष्ट्र पुलिस

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पत्नी ने पुलिस का वेतन खाता एक्सिस बैंक में शुरु करने का निर्णय लेने का आरोप होता आ रहा हैं। लेकिन वर्ष 2005 के शासन निर्णय से सिर्फ एक्सिस बैंक में नहीं बल्कि 14 राष्ट्रीय और निजी बैंक में पुलिस का खाता शुरु करने की अनुमति वित्त विभाग दी थी। वर्ष 2007 से पुलिस का खाता एक्सिस बैंक में होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र पुलिस ने दी हैं। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र पुलिस से दिनांक 30 अगस्त 2019 को आवेदन कर पुलिस का वेतन जिन बैंक में शुरु करने की अनुमति दी हैं उसकी विभिन्न जानकारी मांगी थी। महाराष्ट्र पुलिस के पुलिस महानिदेशक कार्यालय के कार्यालय अधीक्षक अनिल सावंत ने अनिल गलगली को बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने शासन निर्णय 29 अगस्त 2005 के अनुसार संपूर्ण राज्य में सरकारी अधिकारी और कर्मचारी इनका मासिक देय वेतन का प्रदान, बैंक के जरिए अदा करने की कार्यपद्धती निश्चित की गई हैं उसमें कुल14 राष्ट्रीयकृत बैंक और निजी बैंक से सरकार ने एग्रीमेंट किया था। सरकारी निर्णय के अनुसार अधिकारी और कर्मचारी की पसंद के मुताबिक 14 बैंक से किसी भी बैंक की शाखा में वेतन खाता शुरु करने की सूचना दी थी। इन 14 बैंक में एक्सिस बैंक तब की युटीआय बैंक का समावेश हैं। इसी शासन निर्णय के अनुसार महाराष्ट्र पुलिस मुख्यालय के अधिकारी और कर्मचारी इनका वेतन अदा करने के लिए वर्ष 2007 से एक्सिस बैंक में खाता खोला गया। जो बैंक अच्छी सुविधाएं देती हैं उसमें वेतन खाता शुरु करने के लिए पुलिस विभाग के संबंधित घटक प्रमुख अपने स्तर पर निर्णय लेते हैं। अनिल गलगली ने यह भी पूछा था कि महाराष्ट्र पुलिस विभाग के पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों के खाता एक्सिस बैंक में हैं, उनकी ओर से कोई शिकायत या सूचना प्राप्त हुई हैं तो उसकी जानकारी दे। इस पर श्री सावंत ने बताया कि उनके कार्यालय को शिकायत या सूचना प्राप्त नहीं होने की बात रेकॉर्ड से स्पष्ट हो रही हैं।

इन 14 बैंकों में भारतीय स्टेट बँक, इंडियन बँक, बँक ऑफ महाराष्ट्र, बँक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बँक, स्टेट बँक ऑफ हैदराबाद, सेंट्रल बँक ऑफ इंडिया, देना बँक, कॉर्पोरेशन बँक, आंध्र बँक, युनियाटेड बँक ऑफ इंडिया, यूटीआय बँक लिमिटेड, आयसीआयसीआय बँक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बँक लिमिटेड इनका शुमार हैं। वर्तमान की एक्सिस बैंक यह उस वक्त की यूटीआय बँक लिमिटेड थी। अनिल गलगली के अनुसार जब सरकार ने 2005 में पुलिस को 14 बैंकों का विकल्प दिया और किसी भी पुलिस अधिकारी या स्टाफ ने इसे लेकर शिकायत या सूचना नहीं की हैं,यह महाराष्ट्र पुलिस ने सीधा स्पष्ट किया हैं।

Police Salary Accounts have been with Axis Bank since 2007 - Maharashtra Police

It is alleged that after the pressure by the wife of Chief Minister Devendra Fadnavis, Maharashtra Police has decided to start all officer's and Staff payroll accounts at Axis Bank Bank. But after the government's decision in 2005, the finance department has allowed Maharashtra Police to open accounts not only in Axis Bank but in all 14 National and Private banks. It's reveals in a RTI Query filed by a RTI Activist Anil Galgali.

RTI Activist Anil Galgali had ask  to Maharashtra Police on August 30, 2019  for various information about the bank where the police payroll was allowed to open. Anil Sawant, Superintendent of the office of the Director General of Police of Maharashtra Police, informed Anil Galgali that as per the government's decision on August 29, 2005, the government has fixed the procedure for providing monthly pay salaries and allowances to all government officials and employees through the bank. A total of 14 Nationalized banks and Private banks have been contracted by the Government and according to the decision of this Government, instructions have been given on opening of payroll and disbursement officers of any of the 14 banks at the branch of the bank as per the preference of the officers and employees. The top 14 banks include Axis Bank's then-UTI Bank are in the list of Government Resolution dated August 29, 2005.

According to this decision, the salary account of the officers and staff of Maharashtra Police Headquarters has been opened in Axis Bank since 2007. In the banks which provide good facilities, the relevant factors in the police force decide on their level to open the payroll accounts. Anil Galgali had also asked that the salary accounts of the police officers and staff members of Maharashtra Police Force be in Axis Bank,Is any complaints or suggestions received against Axix Bank, Shri Sawant informed that According the Record,  the office does not appear to have received complaints or suggestions.


These 14 banks include State Bank of India, Indian Bank, Bank of Maharashtra, Bank of India, Punjab National Bank, State Bank of Hyderabad, Central Bank of India, Dena Bank, Corporation Bank, Andhra Bank, United Bank of India, UTI Bank Limited, Head of ICICI Bank of India, HDFC Bank Limited. The current Axis Bank was then UTI Bank Limited. According to Anil Galgali, when the government gave the police 14 bank options in 2005 and no police had any complaints or suggestions about it, Maharashtra Police made it clear that it's there decision, said Galgali.


Monday 23 September 2019

" पेशंट को समझो " विषय पर हिंदू सभा अस्पताल में कार्यशाला का आयोजन

मरीज और डॉक्टर के बीच संवादहीनता की स्थिति में ढ़ेर सारी समस्याएँ उपस्थित हो जाती हैं। जिन्हें समय पर सुलझाया नहीं गया तो यही स्थिति विकराल रूप धारण कर लेती है।  इसी पृष्ठभूमि में इंस्टिट्यूट फॉर पैरामेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के संस्थापक सुमित काटी द्वारा एच. जे. दोशी घाटकोपर हिंदूसभा अस्पताल में उपर्युक्त विषय पर आयोजित एवं सुप्रसिद्ध आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली द्वारा उद्घाटित कार्यशाला में बेहद तथ्यपरक व्याख्यान दिया गया।

आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली ने अपने उद्घाटन वक्तव्य में कहा कि देश में पहली बार किसी अस्पताल द्वारा इस तरह का आयोजन उनकी कर्मठता और ईमानदारी की मिसाल पेश कर रही हैं। भविष्य में इसका अनुकरण देश के सभी अस्पताल निश्चित तौर पर करेंगे। सुमित काटी ने अपनी कार्यशाला में डॉक्टर की भाव भंगिमा, स्पर्श, मुस्कुराहट, रोगी के सवालों पर जबाब देने के बजाय उसकी बातों को सुनकर, "समझने '' पर विशेष जोर दिया गया। संवाद के मध्य आने वाले अवरोधों को दूर करने के गुर सिखाये। किसी भी तरह के पूर्वाग्रह से बचने की सलाह दी। मरीज को अपनी वेदना को व्यक्त कर पाने के लिए शब्दहीन हो रहा हो तो उससे  सवाल कर उसकी पीड़ा का निदान कर पाने का उपाय सुझाया।

अस्पताल के ट्रस्टी अध्यक्ष मगनभाई दोशी के मार्गदर्शन एवं मेडिकल डायरेक्टर डॉ. वैभव देवगिरकर की संकल्पना स्वरुप आयोजित देश में अपनी तरह की पहली और इस अनोखी  कार्यशाला में ट्रस्टी हितेशभाई खोखानी, कौशिकभाई पारेख, कमेटी मेंबर महेंद्रभाई मेघानी, जस्मीनभाई कोठारी सहित (ए.एम.ओ ) डॉ. रजनीकांत मिश्र, डॉ. रविंद्र काम्बले सहित अन्य एएमओ, आरएमओ एवं सभी प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राहुल कोल्हे ने किया।

रुग्णांना समजून घ्या " विषयांवर हिंदू सभा रुग्णालयात कार्यशाळेचे आयोजन

रुग्ण आणि डॉक्टर यांच्यातील न होणाऱ्या चर्चात्मक बाबीमुळे नेहमीच वाद निर्माण होतो. यात वेळीच सुधारणा न झाल्यामुळे वाद विकोपाला जातो.याच पाश्वभूमीवर इंस्टिट्यूट फॉर पैरामेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्चचे संस्थापक सुमित काटी यांच्या तर्फे एच. जे. दोशी घाटकोपर हिंदूसभा रुग्णालयात आयोजित कार्यशाळेचे उद्घाटन आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या हस्ते पार पाडण्यात आले. या कार्यशाळेत व्यवहारिक बाबींवर प्रकाश टाकण्यात आले. 

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी कार्यशाळेचे उद्घाटन करताना प्रतिपादन केले की देशातील हे प्रथम असे रुग्णालय आहे ज्यांनी रुग्णांची काळजी प्रामाणिकपणे घेण्याचा प्रयत्न केला आहे. भविष्यात वयाचे अनुकरण देशातील अन्य रुग्णालय नक्कीच करतील, असा विश्वास गलगली यांनी व्यक्त केला. सुमित काटी यांनी आपल्या कार्यशाळेत  रुग्णांना बोलते कर यांसकडून त्यांच्या भावना समझण्यावर भर दिला. कोणत्याही प्रकारच्या पूर्वग्रसित मानसिकेतून रुग्णांकडे बघण्याचा दृष्टीकोन बदलण्यावर जोर दिला.

रुग्णालयाचे ट्रस्टी अध्यक्ष मगनभाई दोशी यांचे मार्गदर्शन आणि मेडिकल डायरेक्टर डॉ. वैभव देवगिरकर यांच्या संकल्पनेतून आयोजित या कार्यशाळेत ट्रस्टी हितेश खोखानी, कौशिक पारेख, समिती सदस्य महेंद्र मेघानी, जस्मीन कोठारी सहित (एएमओ ) डॉ. रजनीकांत मिश्र, डॉ. रविंद्र कांबळे सोबत एएमओ, आरएमओ आणि सर्व प्रशासकीय अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित होते. कार्यक्रमाचे संचालन डॉ. राहुल कोल्हे यांनी केले. 

Conducting workshops at Hindu Sabha Hospital on "Understand Patients"

Non-negotiable issues between the patient and the doctor always lead to controversy. '" Understand Patients"  at Hindu Sabha Hospital was inaugurated by RTI activist Anil Galgali. The workshop highlighted practical matters. Sumit Kati, founder of the Institute for Paramedical Education and Research delivered the lecture on same Subject.

Inaugurating the workshop, RTI activist Anil Galgali said that this is the first hospital in the country which has tried to take care of patients honestly. In the future, other hospitals in the country will certainly follow the pattern,said Galgali. Sumit Katie emphasized on understanding their emotions by speaking to patients in his workshop. He emphasized changing the attitude of the patient towards any kind of prejudiced mind.

Hospital Trustee Chairman Maganbhai Doshi's guidance and concept of Dr Vaibhav Devgirkar, workshop organized successfully. Hitesh Khokhani, Kaushik Parekh, committee members Mahendra Meghani, Jasmine Kothari (AMO) and Dr. Rajinikanth Mishra, Dr. AMO, RMO and all the administrative officers, staff were present along with Ravindra Kamble. The program was conducted by Dr Rahul kolhe

Friday 20 September 2019

महाराष्ट्र का अध्ययन करने के लिए गठित महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र 9 साल बांट जोहता उद्घाटन के लिए

महाराष्ट्र का अध्ययन करने के लिए मुंबई यूनिवर्सिटी ने गठित किया गया महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र पिछले 9 साल से प्रस्तावित हैं लेकिन हर साल बजट में प्रावधान किया जाता हैं। ताज्जुब की बात यह हैं कि अब तक शुरु नहीं हुए महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र पर लाखों रुपए का प्रावधान करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई यूनिवर्सिटी ने दी हैं।

 
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई यूनिवर्सिटी से 31 जनवरी 2019 को महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र को लेकर विभिन्न जानकारी मांगी थी। करीब 6 महीने के बाद अनिल गलगली मुहैया कराई गई जानकारी में मुंबई यूनिवर्सिटी ने महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र अब तक शुरु न करने की बात कंफर्म की। अनिल गलगली को 6 महीने के बाद जो दस्तावेज दिए हैं उससे स्पष्ट हो रहा हैं कि 8 फरवरी 2016 को डॉ भारती निरगुडकर, प्रमुख, मराठी भाषा विभाग ने भारत कुमार राऊत, अध्यक्ष, महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र को विद्यानगरी में आमंत्रित किया था। महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र का मुख्य कार्य महाराष्ट्र का अध्ययन करवाकर लेने के लिए, अध्ययन केंद्र ही रहेगा। यूनिवर्सिटी प्रेस, ग्रंथमेलावा, नाटक/ एकांकिका प्रतियोगिता, डॉक्युमेन्टेशन, मुंबई का इतिहास और जानकारी कार्यक्रम ऐसे 5 अभियान पर ध्यान केंद्रित कर उसके बाद 5 साल के बाद महाराष्ट्र का अभ्यास किया जाएगा।

मुंबई यूनिवर्सिटी ने महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र तो शुरु किया ही नहीं बल्कि हर साल बजट में प्रावधान करने से चूके नहीं। बजट 2010-2011 इस आर्थिक वर्ष में  5 लाख का प्रावधान किया गया। बजट  2011-2012 इस आर्थिक वर्ष में 5 लाख का प्रावधान किया गया। बजट 2012-2013 इस आर्थिक वर्ष में 29,95,750 रुपए का प्रावधान किया गया।  बजट 2013-2014 इस आर्थिक वर्ष में 5 लाख का प्रावधान किया गया। बजट 2014-2015 इस आर्थिक वर्ष में 5 लाख का प्रावधान किया गया। बजट 2015-2016 इस आर्थिक वर्ष में 90 हजार का प्रावधान किया गया। बजट 2016-2017 इस आर्थिक वर्ष में 18,46,000 रूपए का प्रावधान किया गया। बजय 2017-2018 इस आर्थिक वर्ष में 90 हजार का प्रावधान किया गया। बजट 2018-2019 इस आर्थिक वर्ष में 90 हजारा का प्रावधान किया गया। बजट 2019-2020 इस आर्थिक वर्ष में  90 हजार का प्रावधान किया गया।  

अनिल गलगली ने वाईस चांसलर डॉ सुहास पेडणेकर के अलावा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, शिक्षा मंत्री विनोद तावडे, राज्यमंत्री रविंद्र वायकर को पत्र भेजकर मांग की हैं कि प्रस्तावित महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र तत्काल शुरु कर उसके गठन की पूर्ति की गई। 

मुंबई विद्यापीठ के मराठी विभाग के प्रमुख डॉ अनिल सपकाल ने अनिल गलगली को बताया कि मराठी विभाग प्रमुख यह महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र के गठन के लिए नियुक्त किया गया कमिटी का पदसिद्ध सदस्य हैं। केंद्र की मीटिंग को मराठी विभाग प्रमुख उपस्थित रहते हैं लेकिन केंद्र अब तक प्रस्तावित होने से वहां अधिकारी और कर्मचारियों की नियुक्तियां नहीं की गई हैं। साथ ही में केंद्र की निर्मिती नहीं होने से इसके कामकाज कीजानकारी नहीं दी जा सकती हैं।

महाराष्ट्राचा अभ्यास करण्यासाठी स्थापलेलं महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र 9 वर्षांपासून सुरु होण्याच्या प्रतिक्षेत

महाराष्ट्राचा अभ्यास करण्यासाठी मुंबई विद्यापीठाने स्थापलेलं महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र गेल्या 9 वर्षांपासून प्रस्तावित असून प्रत्येक वर्षी अर्थसंकल्पात भरीव तरतूद केली जाते. विशेष म्हणजे आजमितीस सुरु न झालेल्या महाराष्ट्र अध्ययन केंद्रावर लाखों रुपयांची तरतूद करण्यात आली असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई विद्यापीठाने दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई विद्यापीठाकडे 31 जानेवारी 2019 रोजी महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र बाबत विविध माहिती मागितली होती. तब्बल 6 महिन्यानंतर अनिल गलगली यांस उपलब्ध करुन दिलेल्या माहितीत मुंबई विद्यापीठाने महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र अद्यापही सुरु न झाल्याचे कळविले. अनिल गलगली यांस 6 महिन्यानंतर जी कागदपत्रे दिली आहेत त्यात स्पष्ट केले आहे की 8 फेब्रुवारी 2016 रोजी डॉ भारती निरगुडकर यांनी भारत कुमार राऊत, अध्यक्ष, महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र यांस विद्यानगरी येथे निमंत्रित केले होते. महाराष्ट्र अध्ययन केंद्राचे स्वरुप महाराष्ट्राचा अभ्यास करवून घेण्यासाठी, अभ्यास केंद्र म्हणून राहील. विद्यापीठ प्रेस, ग्रंथमेळा, नाटक/ एकांकिका स्पर्धाचे डॉक्युमेन्टेशन, मुंबईचा इतिहास आणि माहितीपट अश्या 5 उपक्रमावर लक्ष केंद्रित करत त्यानंतर 5 वर्षांनंतर महाराष्ट्राचा अभ्यास केला जाईल. 

मुंबई विद्यापीठाने महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र सुरु केले नाही पण प्रत्येक वर्षी अर्थसंकल्पात तरतूद केली आहे. अर्थसंकल्प 2010-2011 या आर्थिक वर्षात 5 लाखांची तरतूद करण्यात आली होती. अर्थसंकल्प 2011-2012 या आर्थिक वर्षात 5 लाखांची तरतूद करण्यात आली होती. अर्थसंकल्प 2012-2013 या आर्थिक वर्षात 29,95,750 रुपयांची तरतूद करण्यात आली होती. अर्थसंकल्प 2013-2014 या आर्थिक वर्षात 5 लाखांची तरतूद करण्यात आली होती. अर्थसंकल्प 2014-2015 या आर्थिक वर्षात 5 लाखांची तरतूद करण्यात आली होती. अर्थसंकल्प 2015-2016 या आर्थिक वर्षात 90 हजारांची तरतूद करण्यात आली होती. अर्थसंकल्प 2016-2017 या आर्थिक वर्षात 18,46,000 रुपयांची तरतूद करण्यात आली होती. अर्थसंकल्प 2017-2018 या आर्थिक वर्षात 90 हजारांची तरतूद करण्यात आली होती. अर्थसंकल्प 2018-2019 या आर्थिक वर्षात 90 हजारांची तरतूद करण्यात आली होती. अर्थसंकल्प 2019-2020 या आर्थिक वर्षात 90 हजारांची तरतूद करण्यात आली होती. 

अनिल गलगली यांनी कुलगुरू डॉ सुहास पेडणेकर सहित मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, शिक्षण मंत्री विनोद तावडे, राज्यमंत्री रविंद्र वायकर यांस पत्र पाठवून मागणी केली आहे की प्रस्तावित महाराष्ट्र अध्ययन केंद्र ताबडतोब सुरु करत उद्देश्यांची पूर्ती करण्यात यावी.

मुंबई विद्यापीठाच्या मराठी विभागाचे प्रमुख डॉ अनिल सपकाळ यांनी अनिल गलगली यांना कळविले आहे की मराठी विभाग प्रमुख हा महाराष्ट्र अध्ययन केंद्राच्या स्थापनेसाठी नियुक्त केलेल्या समितीचा एक पदसिध्द सदस्य आहे. केंद्रांच्या बैठकांना मराठी विभाग प्रमुख उपस्थित राहत असतो परंतु प्रस्तुत केंद्र अद्याप प्रस्तावित असल्यामुळे तेथे अधिकारी आणि कर्मचाऱ्यांची नेमणूक करण्यात आलेली नाही. तसेच अध्ययन केंद्रांची निर्मिती झालेली नसल्याने नेमक्या कामकाजाची माहिती देता येत नाही.

Proposed Maharashtra Studies Center in Mumbai University purpose of studying Maharashtra not yet started after 9 Years

The Maharashtra Studies Center, established by the University of Mumbai to study Maharashtra, has been proposed for the last 9 years and every year there is a huge provision in the budget. Every Year there is budget provision on Maharashtra study centers, which have not been started till date, it's revels in a RTI query filed by RTI Activist Anil Galgali.

RTI activist Anil Galgali had sought various information about Maharashtra Studies Center on January 31, 2019 from Mumbai University. In the information provided to Anil Galgali after six months, the University of Mumbai informed that the Maharashtra Studies Center has not yet started.The documents which have been given to Anil Galgali after 6 months reveal that on February 8, 2016, Dr. Bharati Nirgudkar invited Bharat Kumar Raut, President, Maharashtra Studies Center at Vidyanagari. The nature of Maharashtra study center will be as a study center for studying in Maharashtra. Focusing on 5 activities such as University Press, Library, Drama / Documentation of one act drama and contest, History of Mumbai and documentary. After this completing this 5 activities withing 5 years then Maharashtra will be studied, decided in a meeting.


The University of Mumbai has not started a Maharashtra study center but has made budgetary provision every year. 5 lakh was provided in the Budget 2010-2011. 5 lakh was made in the Budget 2011-2012. The budget was provisioned at Rs 29,95,750 for the financial year 2012-2013. In the Budget 2013-2014, a provision of Rs 5 lakh was made. In the Budget 2014-2015, a provision of 5 lakhs was made. The budget was provisioned 90 thousand in the financial year 2015-2016. The budget was provided for Rs 18,46,000 in the financial year 2016-2017. Rs 90,000 was provided in the Budget 2017-2018. The budget was provisioned 90 thousand in the financial year 2018-2019. The budget was provisioned 90 thousand in the financial year 2019-2020.


Anil Galgali sent a letter to Vice-Chancellor Dr Suhas Pednekar, along with  Chief Minister Devendra Fadnavis, Education Minister Vinod Tawde, Minister of State Ravindra Waikar demanding that the proposed Maharashtra Study Center be started immediately and fulfill the objectives.


Dr. Anil Sapkal, Head of the Marathi Department of Mumbai University has informed Anil Galgali that the Head of the Department of Marathi is a designated member of the committee appointed to set up Maharashtra Studies Center. Marathi department heads are present at the meetings of the centers, but as the proposed center is still proposed, no officers and staff have been appointed there. Also, due to the fact that no study centers have been created, the exact working information cannot be given.