Friday 26 May 2023

Mumbaikar gather against the decision of the Chief Minister

Mumbaikar gather against the decision of the Chief Minister


A move to change the current policy of open spaces, playgrounds and recreation grounds in Mumbai


The Bombay Catholic Sabha organized a meeting at St. Michael's Hall in Mahim against the Chief Minister's order to the Municipal Commissioner to change the current policy of open spaces, playgrounds and recreation grounds in Mumbai. All the speakers emphasized on protecting the government and the municipality instead of adopting a private organization or individual.

Former Central Information Commissioner Shailesh Gandhi said that the government should maintain the public lands which are reserved. It is necessary to protect the interests of citizens. This is our land and it is necessary to fight for it and citizens need to unite at the local level.

MLA Amit Satam said that it's possible to rich municipality but Mumbai has been neglected for the past few years. Organization needs to focus on local level. Stating that I have come here with the permission of Deputy Chief Minister Devendra Fadnvis.Satam said that it is necessary to meet Commissioner Iqbal Singh Chahal and raise the issues. Changing the policy for only 41 people is wrong.


RTI activist Anil Galgali said that the municipality currently has a total of 1068 open spaces, playgrounds and recreation grounds on 1200 acres. Attempts are being made by some political leaders and others to change the current policy but as earlier Devendra Fadnavis had given a moratorium, he will take the initiative, Galgali expressed this belief. Citizens should take the initiative to observe the area around them and report it so that the municipality realizes that the citizens are paying attention, added Galgali.


Mahesh Zagde, a former IAS said that the municipality should protect the open space itself. At that time, such an experiment was also being conducted in Pune, as the commissioner, we refused it.

Bhaskar Prabhu said that citizens should come forward for audit. This will allow you to notice the progress of the local park. Another activist P Sriganesh said that maintaining such a space is a challenge now. Government should take responsibility. The meeting was organized by Dolphy D'Souza, Norbert Mendonca, Vinod Noronha and team.

मुंबई की खुली जमीन को लेकर वर्तमान नीति को बदलने के मुख्यमंत्री के फैसले के खिलाफ मुंबईकर आए एकत्र

मुंबई की खुली जमीन को लेकर वर्तमान नीति को बदलने के मुख्यमंत्री के फैसले के खिलाफ मुंबईकर आए एकत्र

मुंबई में खुले स्थानों, खेल के मैदानों और मनोरंजन के मैदानों की वर्तमान नीति को बदलने पर दबाव 

मुंबई में खुले स्थानों, खेल के मैदानों और मनोरंजन के मैदानों की मौजूदा नीति को बदलने के लिए मनपा आयुक्त को मुख्यमंत्री ने जारी किए हुए आदेश के खिलाफ बॉम्बे कैथोलिक सभा ने माहिम के सेंट माइकल हॉल में एक बैठक आयोजित की। सभी वक्ताओं ने निजी संस्था या व्यक्ति को यह जमीन गोद देने के बजाय सरकार और मनपा को इसकी रक्षा करने पर जोर दिया।

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने कहा कि जो सार्वजनिक भूमि आरक्षित है, सरकार को उसकी देखरेख करनी चाहिए। नागरिकों के हितों की रक्षा करना जरूरी है।यह हमारी जमीन है और इसके लिए लड़ना जरूरी है और स्थानीय स्तर पर नागरिकों को एकजुट होने की जरूरत है।


भाजपा विधायक अमित साटम ने कहा कि समृद्ध मनपा को सभ कुछ संभव है लेकिन विगत कुछ वर्षों से मुंबई की उपेक्षा की जा रही है. एनजीओ को स्थानीय स्तर पर ध्यान देने की जरूरत है। साटम ने कहा कि मैं उपमुख्यमंत्री की अनुमति से यहां आया हूं, उन्होंने कहा कि आयुक्त इकबाल सिंह चहल से मिलकर सभी मुद्दों को उठाना जरूरी है। सिर्फ 41 लोगों के लिए पॉलिसी बदलना गलत है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बताया कि मनपा के पास वर्तमान में 1200 एकड़ में कुल 1068 खुले स्थान, खेल के मैदान और मनोरंजन के मैदान हैं। वर्तमान नीति को बदलने के लिए कुछ राजनीतिक नेताओं और अन्य लोगों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन जैसा कि पहले देवेंद्र फडणवीस ने इसे होने नहीं दिया था अब भी वह इसमें हस्तक्षेप करेंगे, यह विश्वास गलगली ने व्यक्त किया। नागरिकों को अपने आसपास के क्षेत्र स्थित मैदान एवं गार्डन का निरीक्षण कर पहल करनी चाहिए और इसकी सूचना देनी चाहिए ताकि मनपा को पता चले कि नागरिक ध्यान दे रहे हैं।

पूर्व आईएएस अधिकारी महेश झगड़े ने कहा कि मनपा को खुले स्थान की सुरक्षा स्वयं करनी चाहिए। उस समय पुणे में भी ऐसा प्रयोग हो रहा था, कमिश्नर होने के नाते हमने इससे इनकार कर दिया।

आरटीआई कार्यकर्ता भास्कर प्रभु ने कहा कि ऑडिट के लिए नागरिकों को आगे आना चाहिए। इससे स्थानीय पार्क की प्रगति की जानकारी सबको होगी।

एक अन्य कार्यकर्ता पी श्रीगणेश ने कहा कि इस तरह की जगह को बनाए रखना अब एक चुनौती है। सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

यह बैठक डॉल्फी डिसूजा, नॉर्बर्ट मेंडोनवा, विनोद नोरोन्हा और टीम द्वारा आयोजित की गई थी।

Thursday 25 May 2023

खुल्या जागेचे धोरणाबाबत मुख्यमंत्र्यांच्या निर्णयाच्या विरोधात मुंबईवर एकटवले

खुल्या जागेचे धोरणाबाबत मुख्यमंत्र्यांच्या  निर्णयाच्या विरोधात मुंबईवर एकटवले 

मुंबईतील खुल्या जागा, खेळाचे मैदान आणि मनोरंजन मैदानाचे सद्याचे धोरण बदलण्याची हालचाल 

मुंबईतील खुल्या जागा, खेळाचे मैदान आणि मनोरंजन मैदानाचे सद्याचे धोरण बदलण्यासाठी मुख्यमंत्र्यांनी पालिका आयुक्त यांस आदेश जारी केले असून त्याविरोधात बॉम्बे कॅथोलिक सभेने एका सभा माहिम येथील सेंट मायकल सभागृहात आयोजित करण्यात आले होते.  खाजगी संस्थेस किंवा व्यक्तीस दत्तक देण्याऐवजी शासन आणि पालिकेने या जागेच्या परिरक्षण करण्यावर सर्व वक्त्यांनी भर दिला.

माजी केंद्रीय माहिती आयुक्त शैलेश गांधी म्हणाले की जनतेच्या जमिनी ज्या आरक्षित आहेत त्याची देखभाल शासनाने करावी. नागरीकांचे हित जपणे आवश्यक आहे. ही आपली जमीन आहे त्यासाठी लढणे आवश्यक असून स्थानिक पातळीवर नागरिकांनी एकत्र येणे गरजेचे आहे.

आमदार अमीत साटम म्हणाले की श्रीमंत पालिकेला शक्य आहे पण मागील काही वर्षापासून मुंबईकडे दुर्लक्ष करण्यात आले आहे. स्थानिक पातळीवर संस्थेने लक्ष देणे आवश्यक आहे. मी उप मुख्यमंत्री यांची परवानगी घेऊन येथे आलो आहे असे सांगत साटम म्हणाले की आयुक्त इकबाल सिंह चहल यांची भेट घेऊन मुद्दे मांडणे आवश्यक आहे. फक्त 41 लोकांसाठी धोरण बदलणे चुकीचे आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली म्हणाले की 1200 एकरवर सद्या एकूण 1068 खुल्या जागा, खेळाचे मैदान आणि मनोरंजन मैदानाचे पालिकेच्या ताब्यात आहे. काही राजकीय पुढारी आणि अन्य लोकांसाठी सद्याच्या धोरणात बदल करण्याचे प्रयत्न सुरु आहे पण यापूर्वी जसे देवेंद्र फडणवीस यांनी स्थगिती दिली होती आताही ते पुढाकार घेतील, असा विश्वास गलगली यांनी व्यक्त केला. नागरिकांनी आपल्या आसपास असलेल्या जागेबाबत पुढाकार घेत निरीक्षण करत त्याची तक्रार करणे आवश्यक आहे जेणेकरून पालिकेला लक्षात येईल नागरिकांचे लक्ष आहे.

माजी सनदी अधिकारी महेश झगडे म्हणाले की पालिकेने खुल्या जागेचा स्वतः परिरक्षण करावे. पुण्यातही असा प्रयोग करण्यात येत होतो त्यावेळी आयुक्त या नात्याने आम्ही त्यास नकार दिला. 

आरटीआय कार्यकर्ते भास्कर प्रभु म्हणाले की नागरिकांनी ऑडिट करण्यास पुढे यावे. यामुळे आपणास स्थानिक उद्यानाची प्रगती लक्षात येईल. 

अन्य कार्यकर्ते पी श्रीगणेश म्हणाले की सद्या अश्या जागा राखणे एक आव्हान आहे. शासनाने जबाबदारी घ्यावी.

बैठकीचे आयोजन डॉल्फी डिसोझा, नॉर्बर्ट मेंडोंवा, विनोद नोरोन्हा आणि टीम तर्फे आयोजित करण्यात आले होते.

Saturday 13 May 2023

सिलाई, बेल और मसाला कंडाप मशीन की आवंटन योजनालाभार्थी के निर्धारण के लिए मानदंड की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग

सिलाई मशीन, बेल मशीन और मसाला कंडाप मशीन की आवंटन योजना

लाभार्थी के निर्धारण के लिए मानदंड की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग

मुंबई मनपा द्वारा सिलाई मशीन, डोरबेल मशीन और मसाला कंडाप मशीन के वितरण की योजना समझ से बाहर और स्पष्ट रूप से गलत है और मनपा को सिविल सेवा कार्य को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा आयुक्त से अनुरोध किया है कि इस तरह की आवंटन योजना में लाभार्थियों के निर्धारण के मानदंड की जानकारी सार्वजनिक करें.

अनिल गलगली ने मनपा आयुक्त के साथ मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में बताया गया है कि चुनाभट्टी स्थित सोमय्या मैदान में सिलाई मशीन, बेल मशीन और मसाला कंडाप मशीन के वितरण की योजना शुरू की जा रही है. अब जब मनपा द्वारा नागरिक सुविधाओं पर बजट खर्च करने की उम्मीद की जा रही है, तो जनता के कर के पैसे को अन्य गतिविधियों पर खर्च करना समझ से बाहर और स्पष्ट गलत है। अन्यथा भविष्य में निजी कार्यों में बजट खर्च होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। गलगली आगे कहते हैं कि स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल के लिए फंडिंग में कंजूसी की जाती है. पिछले 7 साल से मनपा ने रैन बसेरों का निर्माण नहीं किया है। ऐसे समय में जब यह कहा जाता है कि मुंबई में खुली जगहों के रखरखाव और सुरक्षा के लिए 400 करोड नहीं है, यह राशि विभिन्न बुनियादी सेवाओं - जैसे कि पानी की आपूर्ति, सड़कों, वर्षा जल चैनलों की सुरक्षा के लिए आयुक्त की जिम्मेदारी है। मुंबई में सीवेज और नागरिकों को प्रभावी ढंग से विभिन्न सेवाएं प्रदान करने के लिए अब आयुक्त और उनके सहयोगियों को क्या उन्हें मुंबई नगर निगम अधिनियम, 1888 को पढ़ाने की आवश्यकता है?

अनिल गलगली ने इस तरह की आवंटन योजना पर निम्नलिखित संदेह जताया है।

1) लाभार्थियों के निर्धारण के मानदंड सार्वजनिक किए जाने चाहिए। इसमें नाम, वार्ड कार्यालय और अन्य जानकारी होनी चाहिए।

2) वार्षिक आय और पात्रता मानदंड की जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए।

3) वितरण योजना और कार्यक्रम के आयोजन पर खर्च की गई कुल राशि की जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए।

4) यदि निविदाएं जारी की जाती हैं, तो उसकी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। इस संबंध में यदि आवंटन से पूर्व विज्ञापन दिया जाता है तो उसकी जानकारी सार्वजनिक की जाए।

5) निविदा प्रक्रिया और निविदाकर्ता को सूचित करते समय वस्तु का नाम, मूल्य प्रति इकाई, कुल संख्या और कुल राशि सार्वजनिक की जानी चाहिए।

6) मनपा के उन नियमों की जानकारी देते हुए जिनके कारण ऐसी वस्तुओं का वितरण संभव हुआ है, नियमों, कुल संख्या और कैबिनेट द्वारा दी गई स्वीकृति को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

Allocation Scheme for Sewing, Bell & Masala Kandap MachinesDemand to make the information about the criteria for determining the beneficiaries public

Allocation Scheme for Sewing Machines, Bell Machines and Masala Kandap Machine

Demand to make the information about the criteria for determining the beneficiaries public

The scheme of distribution of sewing machine, doorbell machine and masala kandap machine by Mumbai Municipal Corporation is incomprehensible and clearly wrong and needs to be given priority to civil service work. RTI activist Anil Galgali has requested the municipal commissioner to make public the information about the criteria for determining the beneficiaries in such an allocation scheme.



In a letter sent to the Chief Minister along with the Municipal Commissioner, Anil Galgali has informed that the scheme for distribution of sewing machine, bell machine and masala kandap machine is being launched at Somayya Maidan Chunabhatti. Now when the municipality is expected to spend the budget on civic amenities, it is incomprehensible and plain wrong for the municipality to spend the tax money of the public on other activities. Otherwise the possibility of the budget being used for personal work in future cannot be ruled out. Galgali further says that there is stinginess in funding for health, education, sports. Since the last 7 years, the municipality has not constructed night shelters. At a time when it is said that there is not 400 crore for the maintenance and protection of open spaces in Mumbai. It's the responsibility of the commissioner to protect the various basic services - facilities such as water supply, roads, rainwater channels, sewage in Mumbai and to effectively deliver various services to the citizens. Now the commissioner and his colleagues Do they need to be taught the Mumbai Municipal Corporation Act, 1888?


Anil Galgali has raised the following doubts about such an allotment scheme.


1) The criteria for determining the beneficiaries should be made public. It should contain name, ward office and other information.


2) Information about annual income and eligibility criteria should be made public.


3) The information about the total amount of money spent on the distribution scheme and the organization of the program should be made public.


4) If tenders are issued, the information thereof should be made public. In this regard, if advertisement is given before allotment, its information should be made public.


5) The name of the item, price per unit, total number and total amount should be made public while informing the tender process and the tenderer.


6) While giving information about the rules of the municipality which have made it possible to distribute such items, the rules, resolution number and the approval given by the Cabinet should be made public.


शिलाई, घरघंटी आणि मसाला कांडप मशीन वाटप योजनालाभार्थी ठरविण्याचे निकषांची माहिती सार्वजनिक करण्याची मागणी

शिलाई मशीन, घरघंटी मशीन आणि मसाला कांडप मशीन वाटप योजना

लाभार्थी ठरविण्याचे निकषांची माहिती सार्वजनिक करण्याची मागणी 

मुंबई महानगरपालिका तर्फे शिलाई मशीन, घरघंटी मशीन आणि मसाला कांडप मशीन वाटप योजना अनाकलनीय आणि साफ चुकीची असून नागरी सेवेच्या कामास प्राधान्य देण्याची आवश्यकता आहे. अश्या वाटप योजनेत लाभार्थी ठरविण्याचे निकषांची माहिती सार्वजनिक करण्याची मागणी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पालिका आयुक्तांकडे केली आहे.


पालिका आयुक्त सहित मुख्यमंत्री यांस पाठविलेल्या पत्रात अनिल गलगली यांनी कळविले केली आहे की शिलाई मशीन, घरघंटी मशीन आणि मसाला कांडप मशीन वाटप योजनेचा शुभारंभ सोमय्या मैदान चुनाभट्टी येथे होत असल्याचे कळले. आता पालिकेने अर्थसंकल्प नागरी सुविधांवर खर्च करणे अपेक्षित असताना पालिकेने अश्याप्रकारे जनतेचा करांचा पैसा अन्य कामी खर्च करणे अनाकलनीय आणि साफ चुकीचे आहे. अन्यथा भविष्यात अर्थसंकल्प व्यक्तिशः कामासाठी वापरला जाण्याची शक्यता नाकारता येत नाही. गलगली पुढे म्हणतात की आरोग्य, शिक्षण, क्रीडा याकामी निधी देताना कंजुषी केली जाते. मागील 7 वर्षापासून पालिका रात्रकालिन निवारा बांधून तयार करत नाही. मुंबईतील मोकळया जागा देखभाल आणि परिरक्षण करण्यासाठी 400 कोटो नसल्याचे सांगितले जाते अश्या वेळी इतकी रक्कम मुंबईत विविध मुलभूत सेवा –सुविधा जसे की पाणीपुरवठा, रस्ते, पर्जन्य जलवाहिन्या, सांडपाणी यांचे परिरक्षण करण्याची व विविध सेवा परिणामकारकरित्या नागरिकांपर्यंत पोहोचविण्याची जबाबदारी आयुक्तांवर असते.आता आयुक्त आणि त्यांच्या सहकारी यांना मुंबई महानगरपालिका अधिनियम, १८८८ चा पाठ शिकविण्याची आवश्यकता आहे का?

अनिल गलगली यांनी अश्या वाटप योजनेबाबत पुढीलप्रमाणे शंका मांडल्या आहेत.

1) लाभार्थी ठरविण्याचे निकष याची माहिती सार्वजनिक करण्यात यावी. यात नाव, वॉर्ड कार्यालय आणि अन्य माहिती असावी.

2) वार्षिक उत्पन्न आणि पात्रतेचे निकष याची माहिती सार्वजनिक करण्यात यावी.

3) एकूण किती पैसे वाटप योजनेवर आणि कार्यक्रम आयोजन यावर खर्च करण्यात आले आहे त्याची माहिती सार्वजनिक करण्यात यावी.

4) निविदा काढल्या असतील तर त्याची माहिती सार्वजनिक करण्यात यावी. याबाबत वाटप करण्यापपूर्वी जाहिरात दिली असल्यास त्याची माहिती सार्वजनिक करण्यात यावी.

5) निविदा प्रक्रिया आणि ज्यास निविदा लागली असेल त्याची माहिती देताना वस्तूचे नाव, एका नगची किंमत, एकूण संख्या आणि एकूण रक्कम याची माहिती सार्वजनिक करण्यात यावी.

6) अश्या वस्तूचे वाटप करण्याबाबत पालिकेच्या ज्या नियमाने शक्य केले आहे त्याची माहिती देताना नियम, ठराव क्रमांक आणि त्यास मंत्रिमंडळाने दिलेल्या मान्यतेची माहिती सार्वजनिक करण्यात यावी.

Friday 12 May 2023

मुंबई की खुली जगह का रखरखाव मनपा ही करे, नागरिकों की मुख्यमंत्री को चिठ्ठी

मुंबई की खुली जगह का रखरखाव मनपा ही करे  

नागरिकों की मुख्यमंत्री को चिठ्ठी 

मुंबई की खुली जगहों की अपहरण नीती को मुख्यमंत्री रोके एवं राहत दे । मुंबई की खुली जगह का रखरखाव मनपा ही करे।  इस आशय का पत्र मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को एक नागरिक समूह द्वारा भेजा गया है। इन नागरिकों में अनिल गलगली, अशांक देसाई, भगवान रैयानी, देबाशीष बसु, डॉल्फी डिसूजा, नयना कठपालिया, शरद सराफ, शैलेश गांधी, सुचेता दलाल, रंगा राव शामिल है।


मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को लिखे पत्र में उल्लेख किया है कि 4 मई को मुंबई में खुली जगहों पर नीति पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की थी और मनपा आयुक्त ने मई 2023 के अंत तक अंतिम मसौदा प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध किया है। मुंबईकरों को इस महत्वपूर्ण खुले स्थानों का मुद्दे पर किसी भी सार्वजनिक परामर्श की जानकारी नहीं है। लगभग आठ साल पहले हमारे उद्यानों, खेल के मैदानों और मनोरंजन के मैदानों को निजी पार्टियों को देने के लिए एक नीति पारित की गई थी जिसे 'दत्तक ग्रहण' और 'देखभालकर्ता' नीति कहा जाता था। मुंबई के नागरिकों ने एक अभियान चलाया जिसमें हमने अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों को इस 'अपहरण' नीति का विरोध करने के लिए बुलाया। इसका परिणाम यह हुआ कि तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने समझदारी से इसे रोक लिया।

पत्र में लिखा है कि सभी जानते हैं कि हमारे देश में कब्जा सर्वशक्तिमान है और कानूनी कागजात लागू करने योग्य नहीं हैं। एक बार कानूनी अधिकार स्थापित हो जाने के बाद मनपा या राज्य सरकार आमतौर पर भूमि वापस पाने में असमर्थ होते हैं। नागरिक हमारे शासन की दुखद वास्तविकता से अवगत हैं। राज्य द्वारा किसी नागरिक की भूमि का अधिग्रहण करना आसान है, लेकिन ऐसे मामलों मेंl वह अपनी भूमि वापस लेने को तैयार नहीं है। अब भी सार्वजनिक खुले स्थानों पर कुछ बड़े अवैध अतिक्रमणकारी हैं जिन्हें कथित तौर पर 'गोद लेने' या 'देखभाल करने वाले' के आधार पर दिया गया था। इनका अपहरण कर लिया गया है और राज्य उन्हें पुनः प्राप्त करने में असमर्थ है।

पत्र में आरोप लगाया है ऐसा प्रतीत होता है कि अब उसी चाल को पुनर्जीवित किया जा रहा है। हमारे खुले स्थानों को उपहार में देने के दिए गए जो कारण दिए हैं व तर्क संगत नहीं है।

मनपा के पास फंड नही यह पहला तर्क गलत है। मनपा का बजट 50,000 करोड़ रुपये से अधिक है और हमारे खुले स्थानों को बनाए रखने में लगभग 400 करोड़ रुपये से अधिक की लागत नहीं आएगी।  मनपा अच्छी तरह से रखरखाव और पर्यवेक्षण नहीं कर सकता है यह दूसरा तर्क भी गलत है।। देशवासी: इसमें कुछ सच्चाई है और इसकी क्षमताओं की स्पष्ट स्वीकारोक्ति है। ठेकेदारों को रखरखाव देना एक बहुत ही सरल उपाय है। इनका ऑडिट उन्हीं संस्थानों को सौंपा जा सकता है, जो इन स्थानों को 'अपनाने' में रुचि रखते हों। उस स्थिति में कोई कानूनी अधिकार सृजित नहीं किया जाता है और न ही इसे निजी पक्ष के कब्जे में रखा जाता है। यदि कोई संस्थान वास्तव में सेवा करना चाहता है और इन आधारों को बनाए रखना चाहता है तो यह खुशी से ऐसा करेगा यदि उसके इरादे दुर्भावनापूर्ण नहीं थे। यह कई गैर सरकारी संगठनों द्वारा भी किया जा सकता है।

एक विधायक आशीष शेलार द्वारा प्रस्तुत निजी सदस्य विधेयक को पुनर्जीवित किया जाए ताकि सार्वजनिक खुले स्थानों के रखरखाव और देखभाल को वैकल्पिक कर्तव्य के बजाय निगम का अनिवार्य कर्तव्य बनाया जा सके। ऐसा करना बहुत आवश्यक है ताकि भविष्य में कभी भी अपहरण की नीति वापस न लाई जाए। आखिर में जोर दिया है कोई हमारे खुले स्थानों के ऐसे कपटपूर्ण उपहारों के लिए दरवाजे बंद करें। ये खुले स्थान सरकार के शासकों-नागरिकों के हैं।

मुंबईतील खुल्या जागा महापालिकेने सांभाळाव्यात, मुख्यमंत्र्यांना नागरिकांचे पत्र

मुंबईतील खुल्या जागा महापालिकेने सांभाळाव्यात

मुख्यमंत्र्यांना नागरिकांचे पत्र

मुख्यमंत्र्यांनी मुंबईतील मोकळ्या जागांचे अपहरणाचे धोरण थांबवून दिलासा द्यावा. मुंबईतील खुल्या जागा महापालिकेने सांभाळाव्यात. याबाबतचे पत्र नागरिकांच्या गटाने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांना पाठवले आहे. या नागरिकांमध्ये अनिल गलगली, अशांक देसाई, भगवान रैयानी, देबाशीष बसु, डॉल्फी डिसूजा, नयना कठपालिया, शरद सराफ, शैलेश गांधी, सुचेता दलाल, रंगा राव यांचा समावेश आहे.

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांस लिहिलेल्या पत्रात उल्लेख आहे की ४ मे रोजी मुंबईतील ओपन स्पेसच्या धोरणावर चर्चा करण्यासाठी एक बैठक घेतली होती आणि महानगरपालिका आयुक्तांनी मे २०२३ च्या अखेरीस अंतिम मसुदा सादर करण्याचे वचन दिले आहे. आम्हाला या महत्त्वाच्या विषयावर कोणत्याही सार्वजनिक सल्लामसलतीची माहिती नाही. आमच्या ओपन स्पेसचा मुद्दा. सुमारे आठ वर्षांपूर्वी 'दत्तक' आणि 'केअर टेकर' या धोरणात आमची उद्याने, खेळाची मैदाने आणि मनोरंजनाची मैदाने खासगी पक्षांना देण्याचे धोरण मंजूर करण्यात आले. आम्ही मुंबईतील नागरिकांनी एक मोहीम राबवली ज्यात आम्ही आमच्या निवडून आलेल्या प्रतिनिधींना या 'हायजॅकिंग' धोरणाला विरोध करण्यासाठी बोलावले. याचा परिणाम तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी धोरण रद्द केले होते.

पत्रात पुढे म्हटले आहे की एकदा कायदेशीर हक्क प्रस्थापित झाल्यानंतर पालिका किंवा राज्य सरकार सामान्यतः जमीन परत मिळवू शकत नाही. नागरिकांना आपल्या शासनाच्या दु:खद वास्तवाची जाणीव आहे. राज्याकडून नागरिकांची जमीन घेणे सोपे आहे, परंतु अशा परिस्थितीत ते त्याची जमीन परत घेण्यास तयार नाहीत. आताही सार्वजनिक मोकळया जागांवर काही मोठे बेकायदेशीर अतिक्रमण करणारे आहेत जे 'दत्तक' किंवा 'केअर टेकर' तत्त्वावर देण्यात आले होते. त्यांचे अपहरण करण्यात आले आहे आणि राज्य त्यांना परत मिळवू शकत नाही.

तीच चाल आता पुनरुज्जीवित होत असल्याचे दिसून येत आहे. याबाबत जो पहला दावा करण्यात आला आहे ती चुकीची आहेत. यात पालिकेकडेकडे निधी नसल्याचा दावा सपशेल खोटे आहे. पालिकेचा अर्थसंकल्प 50,000 कोटींहून अधिक आहे आणि आमच्या खुल्या जागा राखण्यासाठी सुमारे 400 कोटींपेक्षा जास्त खर्च येणार नाही. पालिका याचा देखभाल आणि देखरेख करू शकत नाही. हा दुसरा दावा खोटा आहे. यात काही तथ्य आहे आणि त्याच्या क्षमतांचा प्रांजळ कबुली आहे. अगदी सोपा उपाय म्हणजे मेंटेनन्स कंत्राटदारांना देणे. ज्या संस्थांना या जागांसाठी 'दत्तक' घेण्यास स्वारस्य असेल त्याच संस्थांकडे याचे लेखापरीक्षण सोपवले जाऊ शकते. त्या प्रकरणात कोणतेही कायदेशीर अधिकार तयार केले जात नाहीत किंवा ते खाजगी पक्षाच्या ताब्यात दिले जात नाहीत. जर एखाद्या संस्थेला खरोखरच सेवा करायची असेल आणि ही मैदाने टिकवून ठेवायची असतील तर तिचा हेतू चुकीचा नसला तर ती आनंदाने हे करेल. हे अनेक स्वयंसेवी संस्थांकडूनही होऊ शकते.

एक आमदार आशिष शेलार यांनी मांडलेले खाजगी सभासद विधेयकाचे पुनरुज्जीवन करून सार्वजनिक खुल्या जागांची देखभाल व देखभाल हे ऐच्छिक कर्तव्याऐवजी पालिकेचे अनिवार्य कर्तव्य बनवावे अशी आमची मागणी आहे. हे करणे अत्यंत आवश्यक आहे जेणेकरून खुली जागेचे अपहरण धोरण भविष्यात कधीही परत आणले जाणार नाही.

सरतेशेवटी जोर दिला आहे की अश्या मोकळ्या जागा देताना अशा धूर्त भेटवस्तूंसाठी दरवाजे बंद करा. या सर्व खुल्या जागा राज्यकर्त्यांचे आणि नागरिकांचे आहेत.

Thursday 4 May 2023

अंधेरी का कामगार अस्पताल : सरकार से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर दायर की जनहित याचिका

अंधेरी का कामगार अस्पताल : सरकार से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर दायर की जनहित याचिका

अंधेरी में आधुनिक कामगार अस्पताल को फिर से शुरू करने के लिए अब एक अदालत का दरवाजा खटखटाया गया है। केंद्र सरकार के अधीन यह कामगार अस्पताल पिछले चार साल से बंद पड़ा है. राज्य कांग्रेस कमेटी के महासचिव राजेश शर्मा ने बताया कि सरकार की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर आखिरकार बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई और इस याचिका पर सुनवाई 3 जुलाई को होगी.

राजेश शर्मा ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार से फॉलो अप कर अंधेरी स्थित कामगार अस्पताल को फिर से शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है. लाखों श्रमिकों के स्वास्थ्य के मुद्दे के बावजूद सरकार अस्पताल को शुरू करने के लिए गंभीरता से काम नहीं कर रही है. केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव के निर्देशानुसार केंद्रीय श्रम मंत्रालय की सचिव आरती आहूजा ने इस मुद्दे पर मुंबई में बैठक की और तीन महीने में ओपीडी विभाग शुरू करने का वादा किया. लेकिन अस्पताल में अभी तक कोई स्वास्थ्य सेवा शुरू नहीं की गई है. आश्वासन के बावजूद अस्पताल शुरू नहीं होने पर कर्मियों ने रोष जताया है। चूंकि सरकार कुछ नहीं कर रही है, इसलिए इस अस्पताल को जल्दी शुरू करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। 

अंधेरी के कामगार अस्पताल में ओपीडी, आईपीडी (350 बेड) आईसीयू और सुपर स्पेशियलिटी सुविधाएं 24 घंटे खुली रहती हैं. अस्पताल में पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी, एक्स-रे, सीटी-एमआरआई, ऑपरेशन थियेटर समेत तमाम सुविधाएं हैं. ओपीडी विभाग में प्रतिदिन 1800 से 2000 मरीज आ रहे हैं। सभी प्रकार के ऑपरेशन नि:शुल्क किए गए. लेकिन 17 फरवरी 2018 को इस अस्पताल में आग लगने से 13 लोगों की मौत हो गई थी और 150 लोग घायल हो गए थे. राजेश शर्मा ने यह भी कहा कि यह अस्पताल तभी से बंद है।