Tuesday 29 December 2015

एक ट्विटर की शिकायत पर आफताब खान के कर्णावर्त प्रत्यारोपण शस्त्रक्रिया का रास्ता साफ़

अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई द्वारा कर्णावर्त तंत्रिका प्रत्यारोपण ( Cochlear Implants Surgery ) को लेकर 4 वर्षीय आफ़ताब आलम खान का परिवार इस प्रतिक्षा में है कि उसका बच्चा प्रत्यारोपण के बाद सुन सकेगा लेकिन लालफीताशाही के चलते गत 1 वर्ष से तारीख पर तारीख मिल रही हैं। इस पुरे मामले की शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने ट्विटर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत से करने के बाद कारवाई शुरु हुई और उसकी सर्जरी का रास्ता साफ़ हुआ हैं। अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान के निदेशक डॉ ए के सिन्हा ने दिनांक 28/12/2015 को केंद्रीय सामाजिक न्याय सशक्तीकरण मंत्रालय के सह सचिव अवनीश अवस्थी को भेजे हुए पत्र में अनिल गलगली द्वारा किए गए ट्विट का हवाला देकर सर्जरी की तारीख नायर अस्पताल से जल्द से जल्द तय की करने की बात का जिक्र किया हैं। इसके अलावा कल्याण स्थित निवासी शाकिर बेग का बेटा हसनेन को नायर अस्पताल और बेटी हमजा का मामला माजगाव डॉक द्वारा संचालित सीएसआर के पास सर्जरी के लिए भेजा गया हैं। मुंबई के साकीनाका निवासी अब्दुल रहीम खान का 4 वर्षीय बेटा आफ़ताब आलम खान गत 20 नवंबर 2014 से आज तक कर्णावर्त तंत्रिका प्रत्यारोपण (Cochlear Implants Surgery) के लिए भागदौड़ कर रहा हैं। अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई को दिनांक 17 दिसंबर 2014 को उनके बेटे की सर्जरी को मंजूरी दी और दिनांक 12 फरवरी 2015 को पत्र भेजकर नायर अस्पताल स्थित डॉ बछि हाथीराम से संपर्क करने को कहा। वहां पर करीब 6 बार डॉ बछि और डॉ विकी ने देखा जिसके लिए 45 बार जाना पड़ा। यहाँ से उन्होंने एक रिपोर्ट बनाकर अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई को भेज दी। फिर यहाँ पर नए सिरे से टेस्ट की गई। इसतरह एक छोटीसी सर्जरी के लिए गत 1 वर्ष से केंद्र सरकार का संस्थान अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई दौड़ा रहा था । इसके अलावा कल्याण निवासी शाकिर बेग का बेटा हसनेन और बेटी हमजा को भी 8 महीने से दौड़ाया जा रहा हैं। अनिल गलगली के अनुसार अगर केंद्र सरकार की मदद करने की क्षमता नही है तो सीधे कहना चाहिए नाकि 4 वर्षीय बच्चे के जीवन से खिलवाड़ करना चाहिए। न जाने ऐसे कितने मामले होगे जो केंद्र सरकार की लचर व्यवस्था और लालफीताशाही की बलि न चढ़ जाए। यह तो विकलांगों से अन्याय समान हैं। ऐसे मामलों में समय अवधि तय होनी चाहिए ताकि विकलांग व्यक्ती अन्य विकल्प की तलाश कर सके, ऐसी मांग अनिल गलगली ने की हैं।

एका ट्विटर तक्रारीनंतर आफताब खान याची कर्णावर्त रोपण शस्त्रक्रियेचा मार्ग प्रशस्त

अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई तर्फे कर्णावर्त रोपण शस्त्रक्रिया ( Cochlear Implants Surgery ) यासाठी 4 वर्षीय आफ़ताब आलम खान यांचे कुटुंब गेल्या 1 वर्षापासून प्रतिक्षेत आहे की त्यांच्या मुलाची रोपण शस्त्रक्रिया होताच त्यास ऐकण्यास येईल. याबाबतीत आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या ट्विटर तक्रारीनंतर आफताब खान याची कर्णावर्त रोपण शस्त्रक्रियेचा मार्ग प्रशस्त झाला असून केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत यांनी सदर कार्यवाही केली आहे. अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थानाचे संचालक डॉ ए के सिन्हा यांनी दिनांक 28/12/2015 रोजी केंद्रीय सामाजिक न्याय सक्षमीकरण मंत्रालयाचे सह सचिव अवनीश अवस्थी यांस पाठविलेल्या पत्रात अनिल गलगली यांनी केलेल्या ट्विटचा संदर्भ देत लवकरच सर्जरीची तारीख नायर रुग्णालयाकडून निश्चित करण्यात येईल असे कळविले आहे. तसेच कल्याण येथील निवासी शाकिर बेग यांचा मुलगा हसनेन यास नायर रुग्णालय आणि मुलगी हमजा यांचे प्रकरण माझगाव डॉक तर्फे चालविण्यात येणा-या सीएसआर कडे सर्जरीसाठी पाठविण्यात आले आहे. मुंबई येथील साकीनाका निवासी अब्दुल रहीम खान यांचा 4 वर्षाचा मुलगा आफ़ताब आलम खान 20 नोव्हेंबर 2014 पासून आजमितीपर्यंत कर्णावर्त रोपण शस्त्रक्रिया (Cochlear Implants Surgery) साठी परिश्रम घेत आहे. अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई यांनी दिनांक 17 डिसेंबर 2014 रोजी त्यांच्या मुलाच्या सर्जरीस मंजूरी दिली आणि दिनांक 12 फेब्रुवारी 2015 रोजी पत्र पाठवून नायर रुग्णालय येथील डॉ बछि हाथीराम यांस संपर्क करण्यास सांगितले. तेथे 6 वेळा डॉ बछि आणि डॉ विकी यांनी मुलास पाहिले आणि ज्यासाठी त्यांस 45 वेळा जाण्याची पाळी आली. येथून एक अहवाल बनवून त्यास अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई यांस पाठविला. येथे पुन्हा नव्याने टेस्ट करण्यात आली. अश्या प्रकारे एक लहानश्या सर्जरीसाठी गेल्या 1 वर्षापासून केंद्र सरकारची संस्था अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई ही कुटुंबियास पळवत होते. याशिवाय कल्याण निवासी शाकिर बेग यांचा मुलगा हसनेन आणि मुलगी हमजा यांस गेल्या 8 महिन्यापासून ये-जा करण्यास सांगत आहे. अनिल गलगली यांच्या मते केंद्र सरकारची मदत करण्याची कुवत नसेल तर स्पष्टपणे सांगितले पाहिजे यामुळे 4 वर्षाच्या मुलाचे आयुष्याशी खेळ खेळला जात आहे. असे किती प्रकरणे असतील जे केंद्र सरकारची लवचिक व्यवस्था आणि लालफीताशाहीला बळी पडत आहे. हा तर अपंगाचा अपमानसारखाच आहे. अश्या प्रकरणात सीमा निश्चित करणे आवश्यक आहे ज्यामुळे अपंग व्यक्ती दुसरा पर्याय शोधु शकतील, अशी मागणी अनिल गलगली यांनी केली आहे.

Taking Cognizante of the Tweet, Govt clear Aftab Khan Cochlear Implants Surgery

If and when the Centre decides to give a nod for the surgery to be performed on Aftab Khan, the sooner he would be able to hear once again. This is a story of a 4 year Aftab Khan whose " hearing " depends on Governments approval, which has been delayed for over a year now. After RTI Activist Anil Galgali Tweet , Government Cognizante the Galgali tweet and Clear Implants Surgery of Aftab Khan and this was initiate by Central Social Justice Minister Thavar Chand Gahlot immediate attention. Awaiting for green signal from the Centre for a Cochlear Implants Surgery old. Taking the matter in his own hands RTI activist Anil Galgali has lodged a complain with Central Social Justice Minister Thavar Chand Gahlot to initiate action against the errant officers and the Doctors for negligence of the duties. The Ali Yavar Jung National Institute for the Hearing Handicapped institution Director Dr A K Sinha informed to Centre Social Justice and Empowerment Joint Secretary Avnish Awasthi that one implant recently received from the Cochlear India Ltd has been earmarked for this chiid. Surgery date will confirmed by B Y L Nair Charitable Hospital shortly. Hasen Baig has been referred for surgery to B Y L Nair Charitable Hospital and Hamza Baig has been referred for surgery under the CSR initiative by Mazgaon Dock. 4 year old Aaftab, a Sakinaka Andheri (East) resident has been waiting for the Governments approval for the complicated Cochlear Implant Surgery since 20th November 2014. On 17th December the Khan family recieved a go ahead for the surgery from the The Ali Yavar Jung National Institute for the Hearing Handicapped institution and accordingly a letter was sent accordingly on the 12th of February 2015 to one Dr. Bachi Hathiram intimating him of the case who is based in the Nair Hospital. After a visit for nearly 45 times, for same purpose Dr. Bachi and one Dr. Vicky checked Aaftab only 6 times. Accordingly a report was made and again sent to the The Ali Yavar Jung National Institute for the Hearing Handicapped. This is how The Ali Yavar Jung National Institute for the Hearing Handicapped, a Centre runned institution is making Aaftab wait for more than a year to get his hearing back. Similarly Kalyan resident Shakir Beg's children Hasnan and daughter Hamza are doing the rounds of the Insitution for more than 8 months now. Galgali has written to the Centre Social Justice Ministry to look into the matter and either say a yes or a no to perform such surgeries. Playing with a life of 4 year old, is not acceptable says Galgali. He has also come with inviting suggestions from the Government to suggest alternate ways of getting surgeries done. This is injustice on handicapped perople, feels Galgali.

Monday 28 December 2015

महाराष्ट्र राज्य पुलिस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडल के पास 1.95 करोड़ वर्ग फूट की भूखंड

महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दिल से राज्य के पुलिस को मालिकाना मकान देने के लिए प्रयासरत हैं.आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र राज्य पुलिस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडल से मुंबईसहित अन्य शहर में पुलिस वसाहत, कार्यालय और अन्य के लिए आरक्षित भूखंड की जानकारी मांगी थी. महाराष्ट्र राज्य पुलिस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडल के जन सूचना अधिकारी सि.ज.सावंत ने अनिल गलगली को महाराष्ट्र राज्य पुलिस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडल को सरकार से मुंबई और महाराष्ट्र राज्य में प्राप्त हुए भूखंड की लिस्ट दी. इस लिस्ट में स्थानों पर 17 21 59 लाख हजार 334 वर्ग यार्ड यानी 1 करोड़ 94 लाख 34 हजार 6 वर्ग फुट जमीन का उल्लेख हैं. इसमें मुंबई की वरली, घाटकोपर और मरोल वही पुणे स्थित विक्रांत वाडी, येरवडा जेल, एसआरपीएफ जीआर और एसआरपीएफ जीआर 1 2 में भूखंड हैं. इसके अलावा नागपूर, जालना, सातारा, अमरावती, चंद्रपूर, जलगाव, नाशिक रोड देवलाली और मालेगाव नासिक में भी भूखंड हैं. मुंबई और महाराष्ट्र पुलिस को अनिल गलगली की आरटीआई हस्तांतरित की गई हैं जिससे अब तक उनके अधिनस्थ भूखंड की जानकारी प्राप्त नही हुई हैं. वरळी स्थित सर्वे नंबर 754 से 818 में प्लाट नंबर से 29 94 77 ऐसे कुल प्लाट दिनांक 14/02/1974 के मंजुरी के बाद गृह विभाग ने 1 लाख 60 हजार 853 वर्ग यार्ड जमीन दी थी जिसमें से 16 हजार 797 वर्ग यार्ड जमीन वापस ली जो आज तक सरकार ने लौटाई नही हैं वही शेष जमीन पर कंपाउंड वॉल हैं. सभी भूखंड गृह विभाग ने वर्ष 1974, 1983 से इस दौरान दी थी अब इस भूखंड पर इस्तेमाल के योग्य जमीन नहीं है मुंबई, पुणे, नागपूर, जालना, सातारा, अमरावती, चंद्रपूर, जलगाव और नाशिक स्थित भूखंड अतिक्रमण मुक्त कर उस स्थान पर हजारों मकान का काम आसान होगा, ऐसी आशा अनिल गलगली ने व्यक्त कर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में मांग की है कि महाराष्ट्र राज्य पुलिस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडल के अलावा महाराष्ट्र पुलिस से जानकारी लेकर कारवाई की तो पुलिस के मकान की समस्या आसानी से सुलझेगी.

महाराष्ट्र राज्य पोलिस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडळाकडे 1.95 कोटी वर्ग फूटाचे भूखंड

महाराष्ट्र राज्याचे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तळमळीने राज्यातील पोलिसांना हक्काची घर देण्यासाठी प्रयत्नशील आहेत. महाराष्ट्र राज्य पोलिस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडळाकडे राज्यातील 17 ठिकाणी जवळपास 1.95 कोटी वर्ग फूटाचे भूखंड राखीव असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मिळाली असून तेथे भविष्यात पोलिसांस हजारो घर सहज बनविली जाऊ शकतात. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र राज्य पोलिस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडळाकडे मुंबईसहित अन्य शहरात पोलीस वसाहत, कार्यालय आणि अन्य साठी राखीव भूखंडाची माहिती विचारली होती. महाराष्ट्र राज्य पोलिस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडळाचे जन माहिती अधिकारी सि.ज.सावंत यांनी अनिल गलगली यांस महाराष्ट्र राज्य पोलिस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडळास शासनाकडून मुंबई आणि महाराष्ट्र राज्यात प्राप्त झालेले भाग भांडवल भूखंडाची यादी दिली.या यादीत ठिकाणी 17 21 59 लाख हजार 334 वर्ग यार्ड म्हणजे 1 कोटी 94 लाख 34 हजार 6 वर्ग फुट जमीनाचा उल्लेख आहे. यामध्ये मुंबई येथील वरळी, घाटकोपर आणि मरोळ तर पुणे येथील विक्रांत वाडी, येरवडा जेल, एसआरपीएफ जीआर आणि एसआरपीएफ जीआर 1 2 मध्ये भूखंड आहे. तसेच नागपूर, जालना, सातारा, अमरावती, चंद्रपूर, जळगाव, नाशिक रोड देवलाली आणि मालेगाव नाशिक येथेही भूखंड आहेत. मुंबई आणि महाराष्ट्र पोलीसांस अनिल गलगली यांचा अर्ज हस्तांतरित केला असून तेथून अजुन माहिती प्राप्त झाली नाही. वरळी येथील सर्वे नंबर 754 पासून 818 मधील प्लाट नंबर पासून 29 94 77 असे एकूण प्लाट दिनांक 14/02/1974 ठरावानुसार गृह विभागाने 1 लाख हजार 853 60 16 वर्ग यार्ड जमीन दिली होती त्यापैकी हजार 797 वर्ग यार्ड जमीन परत घेतली जी आजपावेतो परत मिळणे बाकी आहे तर शिल्लक जागी कंपाउंड वॉल आहे. सर्वच भूखंड गृह विभागाने वर्ष पासून 1974 1983 या दरम्यान दिले असून आता या भूखंडावर विकास योग्य आदर्श जमीन उपलब्ध नाही. मुंबई, पुणे, नागपूर, जालना, सातारा, अमरावती, चंद्रपूर, जळगाव आणि नाशिक येथील भूखंड अतिक्रमण मुक्त करुन त्याठिकाणी हजारों घरांचे काम सहज शक्य होईल, अशा आशावाद अनिल गलगली यांनी व्यक्त करत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पाठविलेल्या पत्रात मागणी केली आहे की याबाबतीत महाराष्ट्र राज्य पोलिस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडळ तसेच महाराष्ट्र पोलीस यांसकडून माहिती घेऊन कार्यवाही केली तर पोलीसांचा घरांचा प्रश्न सोडविला जाईल. सरकारने ठरविले तर सर्वच पोलीसांना मिळतील हक्काची घरे मिळतील असा आशावाद अनिल गलगली यांनी व्यक्त केला आहे.

State Police Housing and Welfare Corporation has 19.5 Million square feet fragmented plots in Maharashtra

Chief Minister Devendra Fadnavis is optimistic of providing much deserved homes for the state police, which has been prolonged for quite sometime now. The State Police Housing and the Welfare Corporation put together can make available plots admeasuring approximately 19.5 Million sqaure feet plots but in fragmaented conditions. The said plots have reservation for the construction of homes for the police and office's, Revelas RTI activist Anil Galgali. If the Government wills every police men can get Accommodation easily. Anil Galgali had filed an RTI with the State Police Housing and Welfare Corporation demanding them information pertaining with available plots / space reserved for Police homes, officers and other related activities. PRO to the State Police Housing and Welfare Corporation Mr CG Sawant proivided the necessary information for Mumbai and other districts of Maharashtra. It was concluded of State Police Housing and Welfare Corporation been recieved spaces worth 19.5 Million square feet but in fragmented condition, from the State Government. In Mumbai, plots are made available at Worli, Ghatkoper and Marol. Whereas in Pune, plots are available at Vikrant-wadi, Yervada Jail, SRPF GR 1 and SPRF GR2. Also, plots are available at Nagpur, Jalna, Satara, Amravati, Chandrapur, Jalgaon, on Nasik road at Devlali, and in Malegaon near to Nasik. More information is likely to be recieved as the said Galgali RTI has been transfer to the Mumbai and Maharashtra Police offices directly under section of 6 (3) of RTI Act, 2005. Starting from survey no 754 to 818 at Worli, plot numbering from 29 to 94, approx. 77 plots dated 14/2/1974 a total of 1 lakh 60 thousand 853 Square Yard fragmented plot was given by the state. Out of which only 16,797 Square Yard fragmented plot has been taken back, which is yet to be returned, and on the remaining space compund wall has been constructed. No such ideal land is there on the said plots which had been allocated from the period of 1974 to 1983. Thousands of houses can be constructed Nagpur, Jalna, Satara, Amravati, Chandrapur, Jalgaon, on Nasik road at Devlali, and in Malegaon near to Nasik, claims Anil galgali. Galgali has personally written to the Chief Minister Devendra Fadnavis in this matter.Galgali remains optimistic that if the government wants, it can solve the problem of Police Housing along with the support from State Police Housing and Welfare Corporation as well as Maharashtra Police.

Friday 25 December 2015

नेशनल हेराल्ड को दिए जमीन पर बैंक बनाने के लिए स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज से हुआ था एग्रीमेंट

नेहरु- गांधी परिवार से जुडी मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी ने नेशनल हेराल्ड के लिए स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज से एग्रीमेंट करने की सनसनीखेज जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को प्राप्त हुई हैं। स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज ने 10 लाख रुपए अदा किया था और बांद्रा में महाराष्ट्र की सबसे बड़ी को-ऑपरेटिव बैंक बनाने का टारगेट था। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय से मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी के दस्तावेजों की जानकारी मांगी थी। अनिल गलगली को दी गई जानकारी से नेशनल हेराल्ड के लिए स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज से मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी ने एग्रीमेंट करने का खुलासा हुआ हैं। स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज ने दिनांक 3 दिसंबर 2003 को मुंबई उपनगर के जिलाधिकारी को पत्र भेजकर दावा किया था कि सॉफ्टवेयर और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट क्षेत्र में कार्यरत स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज ने मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी के साथ रिसर्च के लिए शैक्षणिक लायब्ररी और महाराष्ट्र की सबसे बड़ी को-ऑपरेटिव बैंक बनाने के लिए एग्रीमेंट किया हैं। उन्हें सुझाव दिया गया हैं कि जमीन की शेष रकम अदा करे इसलिए 10 लाख रुपए का चेक भेज रहे है और आउटस्टैंडिंग रकम की जानकारी दे ताकि उसे इंस्टालमेंट में अदा करना आसान होगा। स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज ने दिनांक 12 फरवरी 2003 को वायदा बाजार आयोग ने भेजे हुए उस पत्र की कॉपी भी जोड़ी थी जिसमें वायदा बाजार आयोग ने स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक जी एस श्रीवास्तव को एसजीआय कमोडिटी एक्सचेंज मुंबई में खोलने की मंजूरी दी थी। यह मंजूरी वायदा बाजार आयोग ने स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज के दिनांक 14 जनवरी 2013 के अनुरोध पर जारी की थी। स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज का चेक कुछ कारणों के लिए स्वीकार नही किया गया। उसके बाद कंपनी ने पुन: 24 मई 2004 को नए से 10 लाख रुपए का चेक भेजकर पुराना चेक मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय से वापस लिया। स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज ने दिनांक 31 दिसंबर 2004 को मेसर्स पिरानी एंड कंपनी ने पत्र भेजकर प्रॉपर्टी को खरीदने का दावा विचारधीन होने का तर्क दिया और दस्तावेजों को निरीक्षण करने से इंकार किया। उसके बाद 15 फरवरी 2005 को मुंबई उपनगर जिलाधिकारी को पत्र भेजकर अनुरोध किया कि टाइटल सर्टिफिकेट जारी करने के दौरान जमीन मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी या स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज इनमें से किसको वितरित की हैं, इसकी जानकारी सूचित करे। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी ने दिनांक 5 फरवरी 2005 को मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी के अध्यक्ष को पत्र भेजकर 99 लाख 71 हजार 894 रुपए अदा करे या उतने ही रकम की बिना शर्त बैंक गारंटी दे, ऐसा सूचित किया था। इसतरह लगातार 30 वर्ष जमीन पर किसी भी तरह का निर्माण न करनेवाली मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी ने एक निजी बिल्डर के साथ किया हुआ एग्रीमेंट स्पष्ट करता हैं कि पहले से ही मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी की मानसिकता व्यावसायिक लाभ लेने की हैं, यह बताते हुए अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी ने स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज से हुए एग्रीमेंट की नए सिरे से जांच कर कड़ी कार्यवाही करने की मांग की हैं।

नेशनल हेराल्डसाठी दिलेल्या भूखंडावर बैंकेसाठी स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज बरोबर झाला होता करार

नेहरु- गांधी कुटुंबियांशी संलग्न असलेल्या मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनीने नेशनल हेराल्डसाठी स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज बरोबर करार केल्याची धक्कादायक माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस प्राप्त झाली आहे. स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीजने 10 लाख रुपये अदा सुद्धा केले होते आणि येथे महाराष्ट्रातील सर्वात मोठी को-ऑपरेटिव बैंक विकसित करण्याचा मानस होता. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाकडे मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनीच्या कागदपत्रांची माहिती मागितली होती. अनिल गलगली यांस दिलेल्या माहितीमधून नेशनल हेराल्डसाठी स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज बरोबर मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनीने करार केल्याची बाब समोर आली आहे. स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीजने दिनांक 3 डिसेंबर 2003 रोजी मुंबई उपनगरचे जिल्हाधिकारी यांस पत्र पाठवून दावा केला होता की सॉफ्टवेयर आणि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट क्षेत्रात कार्यरत स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीजने मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी बरोबर रिसर्चसाठी शैक्षणिक लायब्ररी आणि महाराष्ट्रातील सर्वात मोठी को-ऑपरेटिव बैंक विकसित करण्यासाठी करार केलेला आहे. आम्हांस सुचविले की जमीनीची शिल्लक रक्कम अदा करावी म्हणून 10 लाख रुपयाचा चेक पाठवित असून आउटस्टैंडिंग रक्कम कळवावी जेणेकरुन हफ्त्या-हफ्त्याने अदा करण्यास सोयीस्कर होईल. स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीजने दिनांक 12 फेब्रुवारी 2003 रोजी वायदा बाजार आयोगाने पाठविलेल्या त्या पत्राची प्रत सुद्धा जोडली होती ज्यात वायदा बाजार आयोगाने स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीजचे अध्यक्ष आणि कार्यकारी संचालक जी एस श्रीवास्तव यांस एसजीआय कमोडिटी एक्सचेंज मुंबईत उघडण्याची मंजूरी दिली होती. सदर मंजूरी वायदा बाजार आयोगाने स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीजच्या दिनांक 14 जानेवारी 2013 च्या विनंतीनुसार दिली होती. स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीजचा चेक काही कारणासाठी स्वीकारला गेला नाही. त्यानंतर कंपनीने पुन्हा 24 मे 2004 रोजी नव्याने 10 लाख रुपयांचा चेक पाठवित जुना चेक मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाकडुन परत घेतला. स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीजने दिनांक 31 डिसेंबर 2004 रोजी मेसर्स पिरानी एंड कंपनीला पत्र पाठवून त्यांच्या प्रॉपर्टीला घेऊन असलेला विचारधीन असल्याचा दावा केला आणि कागदपत्रे निरीक्षण देण्यास नकार दिला. त्यानंतर 15 फेब्रुवारी 2005 रोजी मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारीस पत्र पाठवून विनंती केली की टाइटल सर्टिफिकेट जारी करताना जमीन मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी किंवा स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज यापैकी कोणास वितरित केली आहे, हे कळवावे. मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी यांनी दिनांक 5 फेब्रुवारी 2005 रोजी मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनीचे अध्यक्षास पत्र पाठवून 99 लाख 71 हजार 894 रुपये अदा करावी किंवा सदर रक्कमेची विना अट बैंक गारंटी दयावी,असे सांगितले. अश्याप्रकारे सतत 30 वर्ष जमीनीवर कोणत्याही प्रकारचे बांधकाम न करता मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनीने एका खाजगी बिल्डरबरोबर केलेला करारनामा स्पष्ट करत आहे की प्रथम पासून मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनीची मानसिकता ही व्यावसायिक लाभ घेण्याची होती, असे सांगत अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पाठविलेल्या पत्रात मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी किंवा स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज बरोबर झालेल्या करारानाम्याची नव्याने चौकशी करत योग्य ती कार्यवाही करण्याची मागणी केली आहे.

National Herald had tied up with Swarup group of Industries for a bank at plot allotted to it in Mumbai

Associate Journals Ltd an company affiliated to the Nehru - Gandhi's had entered into an agreement with the Swarup group of Industries at the National Herald plot, this information has been obtained by RTI activist Anil Galgali. The Swarup group of Industries had already made a payment of Rs 10 lakhs with the intention to develop a largest Cooperative bank in Maharashtra. RTI activist Anil Galgali had sought documents from the Mumbai Suburban Collectors office related to plot allotted to Associate Journals Ltd. Through the documents provided to Galgali it has been revealed about the agreements with the Swarup group of Industries. In a letter dt 3rd December 2003 addressed to the Collector of Mumbai Suburban district by the Swarup group of Industries, a company engaged in software and infrastructure development business intimated about an agreement with the Associated Journals Ltd for developing a Educational Library for Research and also a largest Cooperative Bank in Maharashtra at the plot, it also stated that they have been directed to clear the outstanding dues for the plot and hence sought to know the total outstanding and sought an installment option for clearing the dues. Swarup group of Industries also enclosed a letter dt 12th February 2003 addressed to the company by the Forward Market Commission which has authorised the Chairman and Executive director of the company Shri G S Srivastava to to start a SGI Commodity Exchange in Mumbai. The authorization was given to the company by the Forward Market Commission on its application dt 14th January 2003. The cheque for Rs 10 lakhs was somehow not accepted by the Collector, hence the company issued another cheque on 24 may 2004 after taking back the previous cheque. Later on dt 31 st December 2004 in a letter addressed to M/s Pirani and Co, rejected the requests for inspection of documents citing pendency of the transaction for transfer of the property. Also it sent a letter to the Collector of Mumbai Suburban asking it to inform them on whose name has the title certificate issued, M/s Associate Journals or the Swarup group of Industries. The Mumbai Suburban collector on 5th February 2005 addressed a letter to Associate Journals Ltd intimating that Rs 99 lakhs 71 thousand 894 is outstanding for which the payments be made or a bank guarantee for the like amount be submitted. Therefore it can be inferred that Associate Journals always harbored intention of commercial exploitation of the plot and hence created situation to hold on to the plot for 30 years without doing any construction on the plot. In a letter addressed to CM Devendra Fadnavis, Galgali has requested that a fresh enquiry be instituted to look into the agreement between Associate Journals Ltd and Swarup group of Industries and take action on the issue.

Saturday 19 December 2015

नेहरू मेमोरियल लायब्ररी नव्हे तर कांग्रेस भवन बनणार

एकेकाळी कॉंग्रेसचे मुखपत्र असलेले नॅशनल हेरॉल्ड आणि कौमी एकता या वृत्तपत्रांचे संचालन करणार्‍या मे. असोसिएटेड जर्नल्स या कंपनीला मुंबईतील अतिशय मोक्याच्या ठिकाणी नेहरूमेमोरियल लायब्ररी नव्हे तर कांग्रेस भवन बनणार असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना पुरविलेल्या माहितीतुन उघड झाली आहे. पालिकेने दिलेल्या कागदपत्रामुळे सदर पितळ उघड पडले आहे. माहितीच्या अधिकारात सामाजिक कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पालिकेच्या इमारत प्रस्ताव कार्यालयाकडे मेसर्स असोसिएट जनरल कंपनीस दिलेल्या परवानगीची माहिती विचारली होती. पालिकेने दिनांक 14 जून 2013 रोजी मेसर्स असोसिएट जनरल कंपनीचे चेयरमैन मोतीलाल वोरा यांस आरंभ प्रमाणपत्र ( commencement सर्टिफिकेट) जारी केले. सदर जमीन विमानपत्तन प्राधिकरणाच्या सीमा रेषेत येत असल्यामुळे 5 फेब्रुवारी 2014 रोजी एनओसी जारी झाली. सदर इमारत 11 मजली असून 135 गाड्याचे पार्किंग अनिवार्य आहे. सदर इमारत 11 मजली असून 135 गाड्याचे पार्किंग अनिवार्य आहे. 11 मजली इमारतीत तळमजला पासून 11व्या मजल्या पर्यंत 14 कार्यालय असून कोठेही वृत्तपत्र कचेरी,ग्रंथालय, संशोधन केंद्राचा पत्ताच नाही. मुंबई अग्निशमन दलाने दिनांक 8 फेब्रुवारी 2013 रोजी जारी केलेल्या नआ हरकत प्रमाण पत्रात कांग्रेस भवन या व्यावसायिक इमारत मंजुरी दिल्याचे स्पष्ट केले आहे. अनिल गलगली यांनी याबाबत शासनास पत्र व्यवहार करुनही आज पर्यंत कारवाई झाली नाही. अनिल गलगली यांनी सदर जमीनीवरील बांधकाम ताबडतोब थांबवावे. तसेच या जमीनीवर मुळ आरक्षण अंतर्गत अनुसूचित जातीच्या विद्यार्थ्यांच्या वसतिगृहासाठी राखीव होती. त्यामुळे ही जमीन शासनाने परत घ्यावी आणि तेथे मागास विद्यार्थ्यांसाठी वसतिगृह उभारावे, अशी मागणी अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांसकडे केली आहे. माहितीच्या अधिकारात सामाजिक कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाने दिलेल्या उत्तरातूनकशी मिळाली कोटयावधीची जमीन कशी मिळाली याची कहानीच आहे. शासनाने दिनांक 4/8/1983 साली मे.असोसिएटेड जर्नल्स या कंपनीला दैनंदिन नॅशनल हेरॉल्ड आणि कौमी एकता वृत्तपत्र चालविण्यासाठी तसेच नेहरू मेमोरियल लायब्ररी व संशोधन केंद्र उभारण्यासाठी 4186 वर्ग मीटर इतकी मोठी जमीन दिली होती. जी नंतर पोट विभाजन केल्यानंतर 3478.40 वर्ग मीटर इतकी झाली. पण, या जागेवर कंपनीने ना वर्तमानपत्राचे कार्यालय उघडले ना नेहरू स्मृृती ग्रंथालय बांधले. सदर जमीन 1964 पासून मागासवर्गीय वसतिगृहाकरिता मंजूर होती.तक्तालीन मुख्यमंत्री अब्दुल रहमान अंतुले यांनी सदर जमीन संचालक,समाजकल्याण यांच्याकडून काढून घेत गांधी कुटुंबियांना आंदण दिली.कंपनीने या जागेवर वृत्तपत्र कचेरी,ग्रंथालय, संशोधन केंद्र यापैकी काहीही उभारले नाही. शासनाने ही जागा ३० वर्षांच्या लीजवर दिली होती. पण,काहीही वापर न करूनही लीज वाढवून मिळावी, अशी मागणी कंपनीने केली आणि शासनाने डोळे मिटून ही लीज वाढवून दिली, अशीही माहिती उघड झाली आहे. माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्र्यांना लिहिलेल्या पत्रात म्हटले आहे की, ही जमीन ज्या उद्दिष्टांसाठी देण्यात आली होती, त्यासाठी न वापरल्यामुळे ही जमीन शासनाने परत घेतली पाहिजे. पत्रात असेही म्हटले आहे की, मुळातच ही जागा अनुसूचित जातीच्या विद्यार्थ्यांच्या वसतिगृहासाठी राखीव होती. त्यामुळे ही जमीन शासनाने परत घ्यावी आणि तेथे मागास विद्यार्थ्यांसाठी वसतिगृह उभारावे. या जमिनीचे सध्याचे बाजारमूल्य 250 कोटी रुपये असल्याचेही अनिल गलगली यांनी पत्रात नमूद केले असून तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण यांना दोनदा पत्र पाठवून शासनाने कोणतीही कारवाई केली नाही ना रु. 2.79 कोटीचे माफ केलेले व्याज वसूल केले आहे . जे 2001 साली तत्कालीन आदर्श फेम अशोक चव्हाण यांनी उदारवादी धोरण अवलंबून माफ करण्याचा पराक्रम केला होता. अनिल गलगली यांच्या पाठपुराव्यानंतर मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाने रु.3,29,842 इतकी दंडनीय शुल्क आकारुन संस्थेला दिनांक 22/12/2014 पर्यंत बांधकाम पूर्ण करण्याची आणखी एक मुदतवाढ दिली आहे.

Instead of Nehru Memorial Library, Congress Bhavan building construction coming on AJL Mumbai Plot.

Prime Land allotted to M/s Associated Journals, the holding company of the Congress Mouthpiece the National Herald and Qaumi Ekta newspapers was granted a waiver of interest charges to a tune of Rs 2.79 crores accrued due to delayed payment for land allotment. Instead of Nehru memorial library Congress Bhavan building construction coming on AJL Mumbai Plot. This information was provided to RTI activist Anil Galgali by Bmc Fire Brigade. RTI activist Anil Galgali had sought information from the Municipal corporations Building proposal dept about the permissions granted to M/s Associate Journals for carrying out construction on the land. It was informed that the company was issued commencement certificate on 14/06/2013 by the MCGM and since the land came under the funnel of the Airport Authority the NOC for the same was granted on 05/02/2014. The building will be of 11 storeys and will be having minimum 135 car parking space, it also has 14 office space in the ground to the 11 floor, but there is no earmarking for Newspaper offices, Library and Research center. Instead of Nehru memorial library Congress Bhavan building construction coming on AJL Mumbai Plot. Fire Brigade issue NOC for Congress Bhavan on 8 February 2013. Inspite of corresponding with the state government on numerous occasions by Anil Galgali, no actions have been taken. Anil Galgali in a letter addressed to CM Devendra Fadnavis has demanded that the construction activity should be immediately stopped and the land allotment be immediately scrapped and possession be taken by the govt and since the land is originally reserved for the purpose of Hostel for Backward classes, an hostel for the Backward class be constructed on the land. Amid allegations that the Congress party gave an interest-free loan to Associated Journals Ltd with an eye on the company’s real estate assets, it now emerges that the company that publishes National Herald and Quami Awaz was allotted a prime plot of land by the government of Maharashtra in suburban Mumbai, ostensibly for a press and a Nehru memorial library, neither of which was built. The interest on the amount turned out to a massive Rs 2.79 crores which in 2001 was waived off by then Revenue Minister Ashok Chavan. Its revels by RTI Activists Anil Galgali. Government documents procured from RTI activist Anil Galgali show that the land was allotted to M/s Associated Journal in 1983 for Rs 1.31 crore in Bandra. However they did not observe one of the key conditions of the lease by commencing construction in the plot within 3 years of it being allotted. More over it did not even pay up the entire principal amount in one go. The interest on the amount turned out to a massive Rs 2.79 crores which in 2001 was waived off by then Revenue Minister Ashok Chavan. The plot was given for daily news publication, a Nehru library and a research centre in 1983 by Government but it is still as it. This plot before handover to M/s Associated Journal's, to build a hostel for students (Scheduled Caste) for which it was originally reserved. Not only did Associated Journals not construct the press building and library, but it also managed to obtain repeated extensions from the state government while continuing to hold on to the 30-year lease, which now expires 22/12/2014. After Anil Galgali RTI and Complaint made to Government now Company had started construction work. “Will you as chief minister be able to initiate proceedings for the state government to reclaim land that is now under the control of Rahul Gandhi? There is a question about this,” Galgali has said in his letter dated 2.11.2012. He goes on to say that the market value of the land is now about Rs 250 crore. But Then Mr Clean CM not take any action after reminder letter send by Galgali on dated 12.12.2013 .

कब होगी आफ़ताब का कर्णावर्त तंत्रिका प्रत्यारोपण ?

अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई द्वारा कर्णावर्त तंत्रिका प्रत्यारोपण ( Cochlear Implants Surgery ) को लेकर 4 वर्षीय आफ़ताब आलम खान का परिवार इस प्रतिक्षा में है कि उसका बच्चा प्रत्यारोपण के बाद सुन सकेगा लेकिन लालफीताशाही के चलते गत 1 वर्ष से तारीख पर तारीख मिल रही हैं। इस पुरे मामले की शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत से कर ऐसे संवेदनशील मामले में होनेवाली देरी के संबंध में जांच कर पीड़ितों को न्याय और गैरजिम्मेदारान अफसरों एवं डॉक्टरों पर कारवाई करने की मांग की हैं। मुंबई के साकीनाका निवासी अब्दुल रहीम खान का 4 वर्षीय बेटा आफ़ताब आलम खान गत 20 नवंबर 2014 से आज तक कर्णावर्त तंत्रिका प्रत्यारोपण (Cochlear Implants Surgery) के लिए भागदौड़ कर रहा हैं। अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई को दिनांक 17 दिसंबर 2014 को उनके बेटे की सर्जरी को मंजूरी दी और दिनांक 12 फरवरी 2015 को पत्र भेजकर नायर अस्पताल स्थित डॉ बछि हाथीराम से संपर्क करने को कहा। वहां पर करीब 6 बार डॉ बछि और डॉ विकी ने देखा जिसके लिए 45 बार जाना पड़ा। यहाँ से उन्होंने एक रिपोर्ट बनाकर अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई को भेज दी। फिर यहाँ पर नए सिरे से टेस्ट की गई। जबकि भाजपा के सांसद डॉ किरीट सोमैया ने 20 मई 2015 को पत्र भेजकर 26 मई 2015 को मलबार हिल स्थित राजभवन में आमंत्रित भी किया जहां पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उपस्थित थे। बच्चे के दोनों कान में मशीन लगी है जिसकी किंमत 13,500 रुपए की है। जिसके लिए फिल्म अभिनेता सलमान खान और अरबाज खान ने 10,000 रुपए दिए थे। मशीन से लाभ न होने पर कर्णावर्त तंत्रिका प्रत्यारोपण( Cochlear Implants Surgery) की जरुरत बताई गई। इसतरह एक छोटीसी सर्जरी के लिए गत 1 वर्ष से केंद्र सरकार का संस्थान अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई दौड़ा रहा हैं । इसके अलावा कल्याण निवासी शाकिर बेग का बेटा हसनेन और बेटी हमजा को भी 8 महीने से दौड़ाया जा रहा हैं। अनिल गलगली के अनुसार अगर केंद्र सरकार की मदद करने की क्षमता नही है तो सीधे कहना चाहिए नाकि 4 वर्षीय बच्चे के जीवन से खिलवाड़ करना चाहिए। न जाने ऐसे कितने मामले होगे जो केंद्र सरकार की लचर व्यवस्था और लालफीताशाही की बलि न चढ़ जाए। यह तो विकलांगों से अन्याय समान हैं। ऐसे मामलों में समय अवधि तय होनी चाहिए ताकि विकलांग व्यक्ती अन्य विकल्प की तलाश कर सके, ऐसी मांग अनिल गलगली ने की हैं। पीड़ित अब्दुल रहीम खान के अनुसार वे सरकार पर निर्भर हैं। जिसके चलते वे अन्य जगह भी न जाने पर विवश हैं। बच्चे की सर्जरी होती हैं तो उसकी पढाई भी शुरु होगी और उसे दिक्कत नही होगी। अनिल गलगली ने ट्विटर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत को ट्विट करने पर उन्होंने पीड़ित का आवेदन मांगा जो उनके ईमेल पर शुक्रवार, 18 दिसंबर को भेजा गया हैं।

केव्हा होणार आफ़ताब खान यांची कर्णावर्त रोपण शस्त्रक्रिया ?

अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई तर्फे कर्णावर्त रोपण शस्त्रक्रिया ( Cochlear Implants Surgery ) यासाठी 4 वर्षीय आफ़ताब आलम खान यांचे कुटुंब प्रतिक्षेत आहे की त्यांच्या मुलाची रोपण शस्त्रक्रिया होताच त्यास ऐकण्यास येईल. परंतु केंद्र सरकारच्या लालफीताशाही मुळे गेल्या 1 वर्षापासून तारखेवर तारीख मिळत आहे. या सर्व प्रकरणाची तक्रार आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांनी केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत यांस करत अश्या संवेदनशील प्रकरणात होणारी दिरंगाई लक्षात घेता गरीबांना न्याय आणि निष्काळजीपणा दाखविणा-या अधिकारी आणि डॉक्टरावर कारवाई करण्याची मागणी केली आहे. मुंबई येथील साकीनाका निवासी अब्दुल रहीम खान यांचा 4 वर्षाचा मुलगा आफ़ताब आलम खान 20 नोव्हेंबर 2014 पासून आजमितीपर्यंत कर्णावर्त रोपण शस्त्रक्रिया (Cochlear Implants Surgery) साठी परिश्रम घेत आहे. अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई यांनी दिनांक 17 डिसेंबर 2014 रोजी त्यांच्या मुलाच्या सर्जरीस मंजूरी दिली आणि दिनांक 12 फेब्रुवारी 2015 रोजी पत्र पाठवून नायर रुग्णालय येथील डॉ बछि हाथीराम यांस संपर्क करण्यास सांगितले. तेथे 6 वेळा डॉ बछि आणि डॉ विकी यांनी मुलास पाहिले आणि ज्यासाठी त्यांस 45 वेळा जाण्याची पाळी आली. येथून एक अहवाल बनवून त्यास अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई यांस पाठविला. येथे पुन्हा नव्याने टेस्ट करण्यात आली. भाजपाचे खासदार डॉ किरीट सोमैया यांनी 20 मे 2015 रोजी पत्र पाठवून 26 मे 2015 रोजी मलबार हिल येथील राजभवन मध्ये निमंत्रित केले जेथे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उपस्थित होते. मुलाच्या दोन्ही कानात जी मशीन लावली गेली आहे त्याची किंमत 13,500 रुपये आहे ज्यासाठी चित्रपट अभिनेता सलमान खान आणि अरबाज खान यांनी 10,000 रुपये दिले आहे. मशीन मुळे काहीच लाभ न झाल्यानंतर कर्णावर्त रोपण शस्त्रक्रियेची ( Cochlear Implants Surgery) आवश्यकता सांगितली. अश्या प्रकारे एक लहानश्या सर्जरीसाठी गेल्या 1 वर्षापासून केंद्र सरकारची संस्था अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई ही कुटुंबियास पळवत आहे. याशिवाय कल्याण निवासी शाकिर बेग यांचा मुलगा हसनेन आणि मुलगी हमजा यांस गेल्या 8 महिन्यापासून ये-जा करण्यास सांगत आहे. अनिल गलगली यांच्या मते केंद्र सरकारची मदत करण्याची कुवत नसेल तर स्पष्टपणे सांगितले पाहिजे यामुळे 4 वर्षाच्या मुलाचे आयुष्याशी खेळ खेळला जात आहे. असे किती प्रकरणे असतील जे केंद्र सरकारची लवचिक व्यवस्था आणि लालफीताशाहीला बळी पडत आहे. हा तर अपंगाचा अपमानसारखाच आहे. अश्या प्रकरणात सीमा निश्चित करणे आवश्यक आहे ज्यामुळे अपंग व्यक्ती दुसरा पर्याय शोधु शकतील, अशी मागणी अनिल गलगली यांनी केली आहे. अब्दुल रहीम खान हे संपूर्णपणे सरकारवर आश्रित आहे ज्यामुळे अन्य ठिकाणी जाण्यापासून धजावत आहे. मुलाची सर्जरी झाली असती तर त्याचे शिक्षण सुरु झाले असते आणि त्यास त्रास सहन करावा लागला नसता. अनिल गलगली यांनी ट्विटरवर केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत यांस ट्विट केल्यानंतर त्यांनी अपंग व्यक्तीचे निवेदन मागविले आहे जो त्यांस त्यांच्या ईमेल वर शुक्रवारी, 18 डिसेंबर रोजी पाठविले गेले आहे.

Aftab Khan Awaiting for green signal from the Centre for a Cochlear Implants Surgery

If and when the Centre decides to give a nod for the surgery to be performed on Aftab Khan, the sooner he would be able to hear once again. This is a story of a 4 year Aftab Khan whose " hearing " depends on Governments approval, which has been delayed for over a year now. The Ali Yavar Jung National Institute for the Hearing Handicapped is waiting for the nod to perform Cochlear Implants Surgery on the 4 year When will the wait get over for Aftab Khan? Awaiting for green signal from the Centre for a Cochlear Implants Surgery old. Taking the matter in his own hands RTI activist Anil Galgali has lodged a complain with Central Social Justice Minister Thavar Chand Gahlot to initiate action against the errant officers and the Doctors for negligence of the duties. 4 year old Aaftab, a Sakinaka Andheri (East) resident has been waiting for the Governments approval for the complicated Cochlear Implant Surgery since 20th November 2014. On 17th December the Khan family recieved a go ahead for the surgery from the The Ali Yavar Jung National Institute for the Hearing Handicapped institution and accordingly a letter was sent accordingly on the 12th of February 2015 to one Dr. Bachi Hathiram intimating him of the case who is based in the Nair Hospital. After a visit for nearly 45 times, for same purpose Dr. Bachi and one Dr. Vicky checked Aaftab only 6 times. Accordingly a report was made and again sent to the The Ali Yavar Jung National Institute for the Hearing Handicapped. On 20th may 2015 BJP MP Dr. Kirit Somayya invited Aaftab to convey his feelings to CM Fadnavis who was present at the Governor House on 26th of May 2015. Aftab get hearing implant machine which costed RS. 13,500/-. The machine was donated by none other than Bollywood star Salman and Arbaaz Khan. But the machine proved futile and only way that Aaftab could hear again was after performing of Cohlear Implant Surgery. This is how The Ali Yavar Jung National Institute for the Hearing Handicapped, a Centre runned institution is making Aaftab wait for more than a year to get his hearing back. Similarly Kalyan resident Shakir Beg's children Hasnan and daughter Hamza are doing the rounds of the Insitution for more than 8 months now. Galgali has written to the Centre Social Justice Ministry to look into the matter and either say a yes or a no to perform such surgeries. Playing with a life of 4 year old, is not acceptable says Galgali. He has also come with inviting suggestions from the Government to suggest alternate ways of getting surgeries done. This is injustice on handicapped perople, feels Galgali. Aftab's father Abdul Rahim Khan is totally dependant on the governments institution for surgery of his son, so that he can start hearing again and begin his education. In this matter Galgali had tweeted about the incident to the Minister, who in turn has asked for a request letter, which has been mailed to him by Abdul Khan on the 18th of December.

Thursday 10 December 2015

गांधी परिवार के मुंबई के प्लाट पर 11 मंजिली बिल्डिंग का निर्माण जारी

एक समय कॉंग्रेस का मुखपत्र होनेवाले नॅशनल हेरॉल्ड और कौमी एकता इस अखबार का संचालन करने वाले मे. असोसिएटेड जर्नल्स इस कंपनी को मुंबई में प्राइम लोकेशन पर पेपर चलाने दी गई जमीन पर आज 11 मंजिली बिल्डिंग का निर्माण काम जारी होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मनपा प्रशासन ने दी हैं। लीज की रकम कंपनी ने समय पर न अदा करने से रु. 2.79 करोड़ का ब्याज सरकार ने माफ करने का पराक्रम आदर्श फेम अशोक चव्हाण ने किया था जिससे सरकारी खजाना को चपत लगी। जिस काम से जमीन दी गई थी उसके तहत निर्माण किया जानेवाला अखबार ऑफिस, नेहरू मेमोरियल लायब्ररी एवं संशोधन केंद्र का कोई पता नही हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा के इमारत प्रस्ताव कार्यालय से मेसर्स असोसिएट जनरल कंपनी को दी गई अनुमति की जानकारी मांगी थी। मनपा ने दिनांक 14 जून 2013 को मेसर्स असोसिएट जनरल कंपनी के चेयरमैन मोतीलाल वोरा को आरंभ प्रमाणपत्र ( commencement सर्टिफिकेट) जारी किया। ये जमीन विमानपत्तन प्राधिकरण की सीमा रेषा में आने से 5 फरवरी 2014 को एनओसी जारी की। उक्त बिल्डिंग 11 मंजिली है और 135 गाडियों की पार्किंग अनिवार्य की गई हैं। उक्त बिल्डिंग 11 मंजिली है और 11 मंजिली बिल्डिंग में इमारतीत ग्राउंड फ्लोर से 11वें फ्लोर तक कुल 14 कार्यालय हैं जिसमें कही भी अखबार का ऑफिस,ग्रंथालय, संशोधन केंद्र का कोई पता नहीं हैं। अनिल गलगली ने इस मामले को लेकर सरकार को पत्र व्यवहार करने के बाद भी किसी भी तरह की कारवाई नही हुई हैं। अनिल गलगली ने उक्त जमीन पर निर्माणधीन काम को ताबडतोब रोकने की मांग की हैं। यह जमीन पर मुल आरक्षण के अंतर्गत अनुसूचित जाती के छात्रों के लिए होस्टल के लिए आरक्षित थी। इसलिए यह जमीन सरकार वापस ले वहां पर पिछड़े छात्रों के लिए होस्टल बनाया जाए, ऐसी मांग अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से की हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने दिए हुए जबाब में कौड़ी के दाम में जमीन मिलने की हकीकत बयान हैं। महाराष्ट्र सरकार ने दिनांक 4/8/1983 को मे.असोसिएटेड जर्नल्स इस कंपनी को दैनंदिन नॅशनल हेरॉल्ड और कौमी एकता अखबार चलाने तथा नेहरू मेमोरियल लायब्ररी एवं संशोधन केंद्र के निर्माण के लिए 4186 वर्ग मीटर इतनी बड़ी जमीन दी थी। लेकिन इस जमीन पर कंपनी ने ना अखबार का कार्यालय शुरु किया ना नेहरू स्मृृती ग्रंथालय बनाया। जबकि यह जमीन 1964 से पिछड़ो वर्ग के छात्रों के होस्टल के लिए मंजूर थी। तक्तालीन मुख्यमंत्री अब्दुल रहमान अंतुले ने यह जमीन निदेशक ,समाजकल्याण से निकालकर गांधी परिवार को दी थी। कंपनी ने इस जमीन पर अखबार का कार्यालय, ग्रंथालय, संशोधन केंद्र इसमें से कुछ भी नहीं खड़ा किया। सरकार ने जमीन ३० वर्ष की लीज पर दी थी। लेकिन,कुछ भी इस्तेमाल किए बिना ही लीज बढाकर मिले और ब्याज माफ़ हो, ऐसी मांग कंपनी ने की और सरकार ने आंखे बंद कर यह लीज बढाकर दी।आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने तत्कालीन मिस्टर क्लीन मुख्यमंत्री को लिखे हुए पत्र में मांग की थी कि यह जमीन जिस उद्देश के दी गई थी,उसके लिए न इस्तेमाल होने से जमीन सरकार ने वापस लेनी चाहिए। पत्र में आगे लिखा है कि मुलत: यह जमीन पिछड़े जाती के छात्रों के होस्टल के लिए आरक्षित थी। इसलिए यह जमीन सरकार वापिस लेकर वहां पर पिछड़े जाती के छात्रों के लिए होस्टल बनाया जाए।इस जमीन का वर्तमान बाजारमूल्य 250 करोड़ रुपए होने की बात अनिल गलगली ने पत्र में कहते हुए मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को दो बार पत्र भेजने के बावजूद सरकार ने कोई भी कारवाई नहीं की ना रु. 2.79 करोड़ का माफ किया हुआ ब्याज वसूल किया जो 2001 वर्ष में तत्कालीन राजस्व मंत्री आदर्श फेम अशोक चव्हाण में उदारवादी बनकर माफ करने का पराक्रम किया था। अनिल गलगली के जद्दोजहद के बाद मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने रु.3,29,842 इतना जुर्माना लेकर कंपनी को दिनांक 22/12/2014 तक निर्माण पूर्ण करने का और एक मौका देकर समयसीमा बढ़ा दी है। रातदिन काम शुरु होने से आसपास के नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड रहा है लेकिन पुलिस और मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय कोई भी कारवाई नहीं कर रहा है। २००० वर्ष में कंपनी के इस जमीन की हद में बदल कर सब डिवीज़न कर एक जमीन का हिस्सा साईप्रसाद हाऊसिंग संस्था को दिया गया। इस सोसायटी की स्थापना कॉंग्रेस का एक नेता राजीव चव्हाण ने की थी और फिलहाल आय से अधिक संपत्ती से फंसे पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह भी सोसायटी के सदस्य है। बांद्रा रेलवे स्टेशन से कुछ ही अंतर पर और वेस्टर्न एक्सप्रेस हायवे को सटी हुई जमीन है। इस सोसायटी में सिर्फ कृपाशंकर सिंह ही नहीं तो कई आईएएस और अन्य बड़े अफसर फ्लॅटधारक है। इनमें कई अधिकारियों के पास पहले से ही मुंबई और अन्य स्थानों पर फ्लॅट है। तो कुछ का अधिकारी आदर्श घपले में भी फसे हुए है। यह जमीन सोसायटी को दी गई थी तब कृपाशंकर सिंह यह मुंबई उपनगर के पालकमंत्री थे,यह विशेष है।इनमें वर्तमान मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय, पूर्व मनपा आयुक्त जयराज फाटक, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हिमांशु राय, सूचना आयुक्त अजित जैन,बिपिन कुमार सिंह,मिलिंद शंभरकर,हेमंत कोटिकर,डॉ.अविनाश ढाकणे, किशोर गजभिए, कलेक्टर एस संगीतराव का भाई और लड़की का फ्लॅट है।

गांधी कुटुंबियांच्या मुंबईतील जमिनीवर 11 मजली इमारतीचे काम सुरु

एकेकाळी कॉंग्रेसचे मुखपत्र असलेले नॅशनल हेरॉल्ड आणि कौमी एकता या वृत्तपत्रांचे संचालन करणार्‍या मे. असोसिएटेड जर्नल्स या कंपनीला मुंबईतील अतिशय मोक्याच्या ठिकाणी पेपर चालविण्यासाठी देण्यात आलेल्या जमीनीची रक्कम कंपनीने वेळेत न अदा झालेले रु. 2.79कोटीचे व्याज सरकारने माफ केले असून आता या जमीनीवर 11 मजली इमारतीचे काम सुरु झाल्याची आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना पुरविलेल्या माहितीतुन उघड झाली आहे. सदर कंपनी गांधी कुटुंबियांच्या मालकीची असून आदर्श फेम अशोक चव्हाण यांनी सरकारी तिजोरीला फटका लावला. विशेष म्हणजे ज्या प्रयोजनासाठी जमीन घेतली नव्हती ती वृत्तपत्र कचेरी,ग्रंथालय, संशोधन केंद्राचा नवीन इमारतीत पत्ताच नाही. माहितीच्या अधिकारात सामाजिक कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पालिकेच्या इमारत प्रस्ताव कार्यालयाकडे मेसर्स असोसिएट जनरल कंपनीस दिलेल्या परवानगीची माहिती विचारली होती. पालिकेने दिनांक 14 जून 2013 रोजी मेसर्स असोसिएट जनरल कंपनीचे चेयरमैन मोतीलाल वोरा यांस आरंभ प्रमाणपत्र ( commencement सर्टिफिकेट) जारी केले. सदर जमीन विमानपत्तन प्राधिकरणाच्या सीमा रेषेत येत असल्यामुळे 5 फेब्रुवारी 2014 रोजी एनओसी जारी झाली. सदर इमारत 11 मजली असून 135 गाड्याचे पार्किंग अनिवार्य आहे. सदर इमारत 11 मजली असून 135 गाड्याचे पार्किंग अनिवार्य आहे. 11 मजली इमारतीत तळमजला पासून 11व्या मजल्या पर्यंत 14 कार्यालय असून कोठेही वृत्तपत्र कचेरी,ग्रंथालय, संशोधन केंद्राचा पत्ताच नाही. अनिल गलगली यांनी याबाबत शासनास पत्र व्यवहार करुनही आज पर्यंत कारवाई झाली नाही. अनिल गलगली यांनी सदर जमीनीवरील बांधकाम ताबडतोब थांबवावे. तसेच या जमीनीवर मुळ आरक्षण अंतर्गत अनुसूचित जातीच्या विद्यार्थ्यांच्या वसतिगृहासाठी राखीव होती. त्यामुळे ही जमीन शासनाने परत घ्यावी आणि तेथे मागास विद्यार्थ्यांसाठी वसतिगृह उभारावे, अशी मागणी अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांसकडे केली आहे. माहितीच्या अधिकारात सामाजिक कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाने दिलेल्या उत्तरातूनकशी मिळाली कोटयावधीची जमीन कशी मिळाली याची कहानीच आहे. शासनाने दिनांक 4/8/1983 साली मे.असोसिएटेड जर्नल्स या कंपनीला दैनंदिन नॅशनल हेरॉल्ड आणि कौमी एकता वृत्तपत्र चालविण्यासाठी तसेच नेहरू मेमोरियल लायब्ररी व संशोधन केंद्र उभारण्यासाठी 4186 वर्ग मीटर इतकी मोठी जमीन दिली होती. पण, या जागेवर कंपनीने ना वर्तमानपत्राचे कार्यालय उघडले ना नेहरू स्मृृती ग्रंथालय बांधले. सदर जमीन 1964 पासून मागासवर्गीय वसतिगृहाकरिता मंजूर होती.तक्तालीन मुख्यमंत्री अब्दुल रहमान अंतुले यांनी सदर जमीन संचालक,समाजकल्याण यांच्याकडून काढून घेत गांधी कुटुंबियांना आंदण दिली.कंपनीने या जागेवर वृत्तपत्र कचेरी,ग्रंथालय, संशोधन केंद्र यापैकी काहीही उभारले नाही. शासनाने ही जागा ३० वर्षांच्या लीजवर दिली होती. पण,काहीही वापर न करूनही लीज वाढवून मिळावी, अशी मागणी कंपनीने केली आणि शासनाने डोळे मिटून ही लीज वाढवून दिली, अशीही माहिती उघड झाली आहे. माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्र्यांना लिहिलेल्या पत्रात म्हटले आहे की, ही जमीन ज्या उद्दिष्टांसाठी देण्यात आली होती, त्यासाठी न वापरल्यामुळे ही जमीन शासनाने परत घेतली पाहिजे. पत्रात असेही म्हटले आहे की, मुळातच ही जागा अनुसूचित जातीच्या विद्यार्थ्यांच्या वसतिगृहासाठी राखीव होती. त्यामुळे ही जमीन शासनाने परत घ्यावी आणि तेथे मागास विद्यार्थ्यांसाठी वसतिगृह उभारावे. या जमिनीचे सध्याचे बाजारमूल्य 250 कोटी रुपये असल्याचेही अनिल गलगली यांनी पत्रात नमूद केले असून तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण यांना दोनदा पत्र पाठवून शासनाने कोणतीही कारवाई केली नाही ना रु. 2.79 कोटीचे माफ केलेले व्याज वसूल केले आहे . जे 2001 साली तत्कालीन आदर्श फेम अशोक चव्हाण यांनी उदारवादी धोरण अवलंबून माफ करण्याचा पराक्रम केला होता. अनिल गलगली यांच्या पाठपुराव्यानंतर मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाने रु.3,29,842 इतकी दंडनीय शुल्क आकारुन संस्थेला दिनांक 22/12/2014 पर्यंत बांधकाम पूर्ण करण्याची आणखी एक मुदतवाढ दिली आहे. रात्रदिवस काम सुरु असून आजुबाजुच्या रहिवाश्यांना त्रास सहन करावा लागत असून पोलिस आणि मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालय मुग गिळुन गप्प बसली आहे. २००० साली कंपनीच्या या भूखंडाची हद्दीत बदल करुन पोटविभागणी करत एक जागा साईप्रसाद हाऊसिंग संस्थेला देण्यात आली. या सोसायटीची स्थापना कॉंग्रेसचे एक नेते राजीव चव्हाण यांनी केली होती आणि सध्या बेनामी संपत्तीमुळे अडचणीत असलेले माजी गृहराज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह या सोसायटीचे सदस्य आहेत. बांद्रा रेल्वे स्थानकापासून अगदी हाकेच्या अंतरावर आणि वेस्टर्न एक्सप्रेस हायवेला लागून ही जमीन आहे. या सोसायटीत केवळ कृपाशंकर सिंहच नव्हे तर अनेक आईएएस आणि अन्य वरिष्ठ सनदी अधिकारी हे फ्लॅटधारक आहेत. यापैकी अनेक अधिकार्‍यांजवळ आधीच मुंबईत अनेक ठिकाणी फ्लॅट आहेत. तर काही अधिकारी हे आदर्श घोटाळ्यातही अडकले आहेत, हे येथे उल्लेखनीय. ही जमीन सोसायटीला देण्यात आली, त्यावेळी कृपाशंकर सिंह हे मुंबई उपनगराचे पालकमंत्री होते, हे विशेष. यामध्ये सद्याचे मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय, माहिती आयुक्त अजित जैन, माजी पालिका आयुक्त जयराज फाटक, वरिष्ठ पोलिस अधिकारीहिमांशु राय, बिपिन कुमार सिंह,मिलिंद शंभरकर,हेमंत कोटिकर,डॉ.अविनाश ढाकणे, किशोर गजभिए, जिल्हाधिकारी एस संगीतराव यांचे भाऊ आणि मुलगी यांचे फ्लॅट आहेत.

11 storey building construction in progress on the land belonging to Gandhi family in Mumbai

Prime Land allotted to M/s Associated Journals, the holding company of the Congress Mouthpiece the National Herald and Qaumi Ekta newspapers was granted a waiver of interest charges to a tune of Rs 3.75 crores accrued due to delayed payment for land allotment. The company is now currently contracting an 11 storeyed building at the land. This information was provided to RTI activist Anil Galgali. This company belongs to the Gandhi family and the interest was waived during the tenure of Adarsh fame CM Ashok Chavan causing loss to the exchequer. RTI activist Anil Galgali had sought information from the Municipal corporations Building proposal dept about the permissions granted to M/s Associate Journals for carrying out construction on the land. It was informed that the company was issued commencement certificate on 14/06/2013 by the MCGM and since the land came under the funnel of the Airport Authority the NOC for the same was granted on 05/02/2014. The building will be of 11 storeys and will be having minimum 135 car parking space, it also has 14 office space in the ground to the 11 floor, but there is no earmarking for Newspaper offices, Library and Research center. Inspite of corresponding with the state government on numerous occasions by Anil Galgali, no actions have been taken. Anil Galgali in a letter addressed to CM Devendra Fadnavis has demanded that the construction activity should be immediately stopped and the land allotment be immediately scrapped and possession be taken by the govt and since the land is originally reserved for the purpose of Hostel for Backward classes, an hostel for the Backward class be constructed on the land. Amid allegations that the Congress party gave an interest-free loan to Associated Journals Ltd with an eye on the company’s real estate assets, it now emerges that the company that publishes National Herald and Quami Awaz was allotted a prime plot of land by the government of Maharashtra in suburban Mumbai, ostensibly for a press and a Nehru memorial library, neither of which was built. The interest on the amount turned out to a massive Rs 2.79 crores which in 2001 was waived off by then Revenue Minister Ashok Chavan. Its revels by RTI Activists Anil Galgali. Government documents procured from RTI activist Anil Galgali show that the land was allotted to M/s Associated Journal in 1983 for Rs 1.31 crore in Bandra. However they did not observe one of the key conditions of the lease by commencing construction in the plot within two years of it being allotted. More over it did not even pay up the entire principal amount in one go. The interest on the amount turned out to a massive Rs 2.79 crores which in 2001 was waived off by then Revenue Minister Ashok Chavan. The plot was given for daily news publication, a Nehru library and a research centre in 1983 by Government but it is still as it. This plot before handover to M/s Associated Journal's, to build a hostel for students (Scheduled Caste) for which it was originally reserved. Not only did Associated Journals not construct the press building and library, but it also managed to obtain repeated extensions from the state government while continuing to hold on to the 30-year lease, which now expires 22/12/2014. After Anil Galgali RTI and Complaint made to Government now Company had started construction work. “Will you as chief minister be able to initiate proceedings for the state government to reclaim land that is now under the control of Rahul Gandhi? There is a question about this,” Galgali has said in his letter dated 2.11.2012. He goes on to say that the market value of the land is now about Rs 250 crore. But Then Mr Clean CM not take any action after reminder letter send by Galgali on dated 12.12.2013 . While a large part of the plot remains vacant after being allotted in 1983, one portion was parcelled off in 2000 to a housing society (Saiprasad) floated by Congressman Rajiv Chavan in which former Mumbai Congress chief Kripashankar Singh is a member. When a part of the plot was allotted to Sai Prasad, Singh was guardian minister for the Mumbai suburban region. This land, facing the Western Express Highway and a stone’s throw away from Bandra station, is now home to Sai Prasad Housing Society, home to Singh, Chavan and a bunch of top bureaucrats some of who already owned other properties in the city and some others who are under the scanner in the Adarsh scam. Top Most bureaucrats like Chief Secretary Swadhin Kshatriya, Ex Bmc Commissioner Jairaj Phatak, Dr Avinash Dhakane, Top Police OfficerHimanshu Roy, Information Commissioner Ajit Jain, Hement Kotikar, Kishor Gajbeye, Milind Shambarkar, former Collector Sangitrao family members including his brother & daughter have flat in Saiprasad.

Tuesday 8 December 2015

मुंबई में 204 अवैध निजी स्कूल

मुंबई महानगरपालिका अधिकार क्षेत्र में वर्तमान में 204 अवैध निजी स्कूल हैं जिसमें सर्वाधिक 36 अवैध निजी स्कूल एम पश्चिम वार्ड कार्यालय में होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को शिक्षा विभाग ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने स्कूली शिक्षा शालेय विभाग से अवैध निजी स्कूल की जानकारी दिनांक 25 जून 2015 को मांगी थी। निजी प्राथमिक स्कूल विभाग के उपशिक्षाधिकारी प्रकाश च-हाटे ने अनिल गलगली को 204 अवैध निजी स्कूलों की लिस्ट दी हैं। इस लिस्ट में सर्वाधिक 36 अवैध निजी स्कूल एम पश्चिम वार्ड कार्यालय में हैं। उसके बाद 30 कुर्ला एल वार्ड , 20 पी उत्तर वार्ड , 12 घाटकोपर एन वार्ड , 12 चेंबूर एम पूर्व वार्ड ,10 माटुंगा एफ उत्तर वार्ड , 10 अंधेरी के पूर्व वार्ड , 10 आर मध्य वार्ड , 10 आर उत्तर वार्ड , 9 आर दक्षिण वार्ड , 9 भांडुप एस वार्ड , 8 पी दक्षिण वार्ड , 8 जी उत्तर वार्ड , 5 भायखला ई वार्ड , 5 अंधेरी के पश्चिम वार्ड , 3 बी वार्ड , 2 मुलुंड टी वार्ड, 2 एफ दक्षिण वार्ड , 1 ए वार्ड, 1 एच पूर्व और 1 डी वार्ड कार्यालय में अवैध निजी स्कूल हैं। अवैध निजी स्कूल पर की गई कारवाई की जानकारी मांगने पर अनिल गलगली को बताया कि शिक्षा अधिकारी कानून के प्रावधाननुसार स्कूल के खिलाफ कारवाई करते समय 'बालकों को मुफ्त और सख्ती का शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 में धारा 18(5) नुसार रु 1,00,000/- इतना जुर्माना और सूचना देने के बाद भी स्कूल बंद न करने पर रु 10,000/- प्रति दिन इतना जुर्माना लगाने का प्रावधान हैं। उसके अनुसार स्कूल को नोटीस दी गई हैं। अवैध निजी स्कूल पर की गई कारवाई कर जुर्माना लगाने के बाद वसूल करने की जुर्माना की रकम किस हेड के तहत जमा करे इस मामले में 'बालकों को मुफ्त और सख्ती का शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009' अधिकार नियम में तथा उस के अंतर्गत अब तक शासन स्तर पर निर्गमित किए गए शासन पत्र में/ शासन निर्णय में कोई भाष्य या सूचना नही हैं। जुर्माने की किस प्राधिकरण के यहां एवमं किस बजेट हेड के तहत जमा करे इसबाबत प्रावधान न होने से इसे लेकर सरकार से पत्रव्यवहार किया हैं तथापि सरकार से इस मामले में अब तक कोई निदेश प्राप्त नही हुआ हैं। अनिल गलगली के अनुसार यह जुर्माना वसूल करते वक्त इसतरह चलनेवाले अवैध निजी स्कूल निदेशकों पर एफआईआर दर्ज करना आवश्यक हैं। सरकारी निर्णय अस्पष्ट होने से 2 करोड़ से अधिक जुर्माना राशि वसूल नहीं हो पाई हैं, यह बाब अस्पष्ट और अधुरा सरकारी निर्णय निकालनेवाले अधिकारियों पर कारवाई कर सरकारी निर्णय सुस्पष्ट जारी करने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में अनिल गलगली ने की हैं।

मुंबईत 204 अनधिकृत खाजगी शाळा

मुंबई महानगरपालिका अधिकार क्षेत्रात सद्यस्थितीला 204 अनधिकृत खाजगी शाळा असून असून त्यापैकी सर्वाधिक अनधिकृत खाजगी शाळा 36 एम पश्चिम वार्ड कार्यालयात असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस शिक्षण विभागाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी शालेय शिक्षण विभागकडे अनधिकृत खाजगी शाळेची माहिती दिनांक 25 जून 2015 रोजी मागितली होती. खाजगी प्राथमिक शाळा विभागाचे उपशिक्षणाधिकारी प्रकाश च-हाटे यांनी अनिल गलगली यांस 204 अनधिकृत खाजगी शाळेची यादीच दिली. या यादीच्या अनुषंगाने सर्वाधिक 36 अनधिकृत खाजगी शाळा एम पश्चिम वार्ड कार्यालयात आहेत. त्यानंतर 30 कुर्ला एल वार्ड , 20 पी उत्तर वार्ड , 12 घाटकोपर एन वार्ड , 12 चेंबूर एम पूर्व वार्ड ,10 माटुंगा एफ उत्तर वार्ड , 10 अंधेरी के पूर्व वार्ड , 10 आर मध्य वार्ड , 10 आर उत्तर वार्ड , 9 आर दक्षिण वार्ड , 9 भांडुप एस वार्ड , 8 पी दक्षिण वार्ड , 8 जी उत्तर वार्ड , 5 भायखला ई वार्ड , 5 अंधेरी के पश्चिम वार्ड , 3 बी वार्ड , 2 मुलुंड टी वार्ड, 2 एफ दक्षिण वार्ड , 1 ए वार्ड, 1 एच पूर्व आणि 1 डी वार्ड कार्यालयात अनधिकृत खाजगी शाळा आहेत. अनधिकृत खाजगी शाळेवर केलेल्या कारवाईची माहिती मागितली असता अनिल गलगली यांस कळविण्यात आले की शिक्षण हक्क कायदातील तरतुदीनुसार शाळांविरुद्ध कारवाई करताना ' बालकांचा मोफत व सक्तीचा शिक्षणाचा अधिकार अधिनियम, 2009 मधील कलम 18(5) नुसार रु 1,00,000/- इतका दंड व सूचना देऊनही शाळा बंद न केल्यास रु 10,000/- प्रति दिवशी इतका दंड ठोठवण्याची तरतूद आहे. त्यानुसार शाळांना नोटीसा देण्यात आलेल्या आहेत. अनधिकृत खाजगी शाळेवर केलेल्या कारवाई करत दंड ठोठावल्यानंतर वसूल करावयाच्या दंडाची रक्कम कोणत्या हेडखाली भरणा करावी याबाबत 'बालकांचा मोफत व सक्तीचा शिक्षणाचा अधिकार अधिनियम, 2009' हक्क नियम मध्ये अथवा त्या अनुषंगाने आतापर्यंत शासन स्तरावर निर्गमित करण्यात आलेल्या शासन पत्रात/ शासन निर्णय यामध्ये भाष्य किंवा सूचना नाहीत. द्रव्यदंडाची रक्कम कोणत्या प्राधिकरणाकडे व कोणत्या बजेट हेडखाली जमा करावी याबाबत तरतूद नसल्यामुळे या प्रकरणी शासनास पत्रव्यवहार केला आहे तथापि शासनाकडून या प्रकरणी अद्यापपर्यंत निदेर्श प्राप्त झालेले नाहीत. अनिल गलगली यांच्या मते या दंड वसूल करताना अश्या प्रकारे अनधिकृत खाजगी शाळा संचालकावर फौजदारी गुन्हा दाखल करणे आवश्यक आहे. शासन निर्णय अस्पष्ट असल्यामुळे 2 कोटीहून अधिक दंड वसूल झाला नाही, ही बाब खटकणारी असून अस्पष्ट आणि अर्धवट शासन निर्णय काढणा-या अधिकारी वर्गावर कारवाई करत शासन निर्णय सुस्पष्ट जारी करण्याची मागणी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पाठविलेल्या पत्रात अनिल गलगली यांनी केली आहे.

204 Unauthorised Private Schools in Mumbai

There are currently 204 Private schools operating in the Mumbai Municipal corporation limits with the M west Ward topping with 36 schools out of 204 operating within its limits. This information was provided by the Education dept to RTI Activist Anil Galgali. RTI Activist Anil Galgali had sought the information about the Unauthorised Private Schools from the School Education Dept vide his RTI query dt 25th June 2015. In its reply the Dy Education Officer of the Private Primary Schools dept, Shri Prakash Chahate handed over a list of 204 unauthorized private schools to Galgali. According to the list, the maximum of 36 such schools falls in the jurisdiction of M West Ward, followed by 30 such schools in Kurla L Ward, 20 in P North Ward, 12 in Ghatkopar N ward, 12 in Chembur M East Ward, 10 in Matunga F North ward, 10 in Andheri K East Ward, 10 in R Central ward, 10 in R North ward, 9 in R south ward, 9 in Bhandup S ward, 8 in P South ward, 8 in G North ward, 5 in Byculla E ward, 5 in Andheri K West Ward, 3 in B ward, 2 in Mulund T ward, 2 in F South ward, 1 Each in A Ward, H East ward & D Ward. On the query of action taken against such Unauthorized private schools, Anil Galgali was informed that, As per provisions of the Right to Education Act, and actions based on the Section 18(5) of the Child free and Compulsory Right to Education Act 2009, a unauthorized school is levied a fine of Rs 1 Lakh and even after payment if the said school dos not stop operations then it can be levied a fine of Rs 10,000/= per day. It also informed that all the said schools have been issued Notices. The Child's Free & Compulsory Right to Education Act 2009 does not contain clarity on the Account Head under which the recovery of the Fines levied on the Unauthorized schools have to be collected. The said clarity is even absent in the orders of the Govt as well its various resolutions issued in regard to the implementation of the Act. The dept has corresponded with the Govt for necessary directions regarding the Account Head under which the fines levied have to be collected and deposited with the treasury, but it has yet to receive the necessary guidelines from the govt. Anil Galgali has expressed that, apart from recovering fines from such Unauthorized Private Schools, the Govt should also file criminal cases against the Promoters of such schools. Due to the Non clarity on the Account Head the govt has not been collect fines to a tune of over Rs 2 crores, In a letter addressed to CM Devendra Fadnavis, Galgali has demanded strict action on the Govt Officers responsible for drafting inappropriate GR, which lacks necessary clarity. Govt should issue complete GR at the earliest, demanded Galgali.

Saturday 5 December 2015

दाल की कालाबाजारी करनेवालों के खिलाफ की गई कारवाईची की जानकारी खाद्य आपूर्ति मंत्रालय के पास नहीं

महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर दाल जमा कर उसकी कालाबाजारी करने वालों पर की गई कारवाई की जानकारी न होने का कबूलनामा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली से खाद्य आपूर्ति मंत्रालय ने किया हैं।इससे अब कालाबाजारी करनेवालों पर कारवाई हुई हैं या नहीं? ये जानकारी अब भी सस्पेंस में हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने खाद्य आपूर्ति मंत्रालय से 5 नवंबर 2015 को राज्य में छापामारी कर धाडी जब्त की हुई दाल, बाजार मुल्य और एफआईआर दायर किया गया होगा तो उसकी जानकारी मांगी थी। प्रवीण नलावडे, अवर सचिव तथा जन सूचना अधिकारी ने अनिल गलगली को बताया कि राज्य में छापामारी कर जब्त की हुई दाल, बाजार मुल्य, स्टॉक मर्यादा उल्लघंन करनेवाले दुकानदार/ कालाबाजारियों दर्ज एफआईआर की जानकारी, दंडात्मक कार्यवाही, दंड की रकम एवमं संबंधित पुलिस स्टेशन की जानकारी मुहैय्या करना, इस जानकारी का संकलन व पृथक्करण जिलाधिकारी के अलावा नियंत्रक शिधावाटप व निदेशक, मुंबई के कार्यालय से किया जाता हैं। इसके लिए सरकारी परिपत्रक , दिनांक 06/09/2008 के प्रावधान के मद्देनजर यह जानकारी जमा करने के देना अभिप्रेत नही हैं। इसलिए संबंधित कार्यालय से उक्त जानकारी ले । अनिल गलगली ने दाल कालाबाजारी करनेवालों पर की गई कारवाई की जानकारी खाद्य आपूर्ति मंत्रालय के पास न होने पर अचरज व्यक्त करते हुए उप सचिव स. श्री. सुपे के पास प्रथम अपील दायर की हैं। राज्य का खाद्य आपूर्ति मंत्रालय के पास ऐसी जनहित और जीवनावश्यक वस्तु कानून का उल्लघंन करनेवाले दुकानदार/ कालाबाजारियों की जानकारी न होना, यह बात हजम न होने का मत अनिल गलगली ने व्यक्त किया। सरकारी विभाग की इस लापरवाही से ऐसे लोगों को प्रोत्साहन मिलता हैं, ऐसा आरोप अनिल गलगली ने किया हैं।

डाळ कालाबाजारी करणा-यावर केलेल्या कारवाईची माहिती अन्न, नागरी पुरवठा व ग्राहक सरंक्षण मंत्रालयाकडे नाही

महाराष्ट्रात मोठ्या प्रमाणात डाळ साठवून कालाबाजारी करणा-यावर केलेल्या कारवाईची माहिती नसल्याची कबुली आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस अन्न, नागरी पुरवठा व ग्राहक सरंक्षण मंत्रालयाने दिली आहे. यामुळे आता कालाबाजारी करणा-यावर कारवाई केली आहे किंवा नाही? ही बाब गुलदस्त्यात आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी अन्न, नागरी पुरवठा व ग्राहक सरंक्षण मंत्रालयाकडे 5 नोव्हेंबर 2015 रोजी राज्यातील धाडी अंतर्गत जब्त केलेली डाळ, बाजार मुल्य आणि फौजदारी गुन्हा दाखल केला असल्यास कारवाईची माहिती विचारली होती. प्रवीण नलावडे, अवर सचिव तथा जन माहिती अधिकारी यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की राज्यातील धाडी अंतर्गत जप्त केलेली डाळ, बाजार मुल्य, साठा मर्यादा भंगाबाबत दुकानदार/ साठेबाज यांच्यावर दाखल केलेल्या गुन्ह्याची माहिती, दंडात्मक कार्यवाही, दंडाची रक्कम व संबंधित पोलिस स्टेशनची माहिती उपलब्ध करुन देणे, याबाबतच्या माहितीचे संकलन व पृथक्करण जिल्हाधिकारी तसेच नियंत्रक शिधावाटप व संचालक, मुंबई यांच्या कार्यालयाकडून केले जाते. त्यामुळे शासन परिपत्रक , दिनांक 06/09/2008 मधील तरतूद पाहता सदर माहिती गोळा करुन देणे अभिप्रेत नाही. तरी आपण संबंधित कार्यालयाकडून सदर माहिती उपलब्ध करुन घ्यावी. अनिल गलगली यांनी डाळ कालाबाजारी करणा-यावर केलेल्या कारवाईची माहिती अन्न, नागरी पुरवठा व ग्राहक सरंक्षण मंत्रालयाकडे नसल्याबाबत आश्चर्य व्यक्त करत उप सचिव स. श्री. सुपे यांस कडे प्रथम अपील केले आहे. राज्यातील अन्न, नागरी पुरवठा व ग्राहक सरंक्षण मंत्रालयाकडे अशी जनहित आणि जीवनावश्यक वस्तु कायदाचे भंग करणा-या दुकानदार/ साठेबाजाची माहिती नसणे,ही बाब खटकणारी असल्याचे मत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले. सरकारी खात्याच्या याच अनास्थ्यामुळेच अश्या लोकांना प्रोत्साहन मिळते, असे सरतेशेवटी सांगितले.

Government of Maharashtra does not have any details of raids conducted on 'Dal' horder in the State

Maharashtra Government has recently claimed of conducting major raids on horders. With no information available about raids, doubts are being raised about the veracity of earlier statements in Govt. Food, civil supplies & consumer protection department claims that they not kept record, in a reply to RTI Activist Anil Galgali who filed a query. RTI activist Anil Galgali had sought details from Food, civil supplies & consumer protection department about pulses siezed during raids, their market price & criminal action taken against these black marketers. Replying to his RTI application dated 5th November, under secretary & Public Information officer Praveen Nalawade told Anil Galgali that collection and decimination of information about quantity of Dal siezed in raid, its market price, limit imposed on storage & criminal or other proceedings against shopkeepers/ horders breaking this rule, Fine's imposed & details are concerned police station are kept by Collector & Controllor of Rationing. Citing Govt circular dated 06/09/2008, he is not bound to collect this information, the officer said. Get it from concerned department, he retorted. Galgali has appealed against this order, to Deputy Secretary Shri Supe. 'It is indeed surprising that department has not even bothered to collect information on such vital issue concerning everyday needs of the common man', Galgali said. Such apathy of government officials, is the very reason of unhindered growth of horders & black marketers, Galgali argued.

Wednesday 2 December 2015

चांसलर की नामित सर्च कमिटी को डॉ संजय देशमुख ने उल्लू बनाया

एलएलबी परीक्षा में फेल होने से चर्चित हुए मुंबई विद्यापीठ के वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख ने चांसलर ने नामित सर्च कमिटी को सीधे उल्लू बनाते हुए एलएलबी परीक्षा की जानकारी छिपाने का कड़वा सच आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को राज्यपाल सचिव कार्यालय ने दिए हुए दस्तावेजों से सामने आया हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने राज्यपाल सचिव कार्यालया से मुंबई विद्यापीठ के वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख ने चांसलर ने नामित सर्च कमिटी को पेश किए हुए बायोडाटा की जानकारी मांगी थी।राज्यपाल सचिव कार्यालय की जन सूचना अधिकारी ने अनिल गलगली को मुंबई विद्यापीठ के वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख ने चांसलर द्वारा नामित सर्च कमिटी को पेश किए हुए बायोडाटा के 118 पन्ने मुहैय्या कराए हैं। दस्तावेजों की जांच में अनिल गलगली ने पाया कि 12 मई 2015 को डॉ संजय देशमुख ने सर्च कमिटी के नोडल ऑफिसर डॉ मधु चव्हाण को अपना जो बायोडाटा पेश किया हैं उसमें डॉ देशमुख ने तमिलनाडू स्थित एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक प्रोफेसर डॉ एम एस स्वामीनाथन, एटॉमिक एनर्जी कमीशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ अनिल काकोडकर और एमिटी यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रोफ़ेसर डॉ विजय खोले की सिफारस भी संलग्न की हैं। 5 जनवरी 2005 को जीव शास्त्र विभाग में प्रोफ़ेसर के तौर पर नियुक्त हुए डॉ संजय देशमुख ने ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी तक की सभी जानकारी ठीक ढंग से दी लेकिन एलएलबी परीक्षा की जानकारी न देते हुए सर्च कमिटी को दिग्भ्रमित किया। डॉ संजय वसंत देशमुख ने एलएलबी इस डिग्री शिक्षाक्रम सत्र-1 के अक्टूबर/ नवंबर, 2014 में लिए हुए परीक्षा के लिए आवेदन किया था लेकिन परीक्षा में बैठे ही नहीं। साथ ही इसी शिक्षाक्रम के सत्र-2 की अप्रैल /मई, 2015 में लिए परीक्षा में बैठे थे, इस सच और वास्तविकता को सर्च कमिटी के सामने रखना जरुरी होते हुए उसे छिपाने का आरोप करनेवाले अनिल गलगली के अनुसार यह तो सरासर फ्रॉड ही हैं। जब कोई भी उम्मीदवार आवेदन करता हैं तब उसे अपनी शैक्षणिक पात्रता की जानकारी के साथ वर्तमान में जारी शिक्षा की जानकारी देना अनिवार्य होता हैं लेकिन डॉ संजय देशमुख ने एलएलबी परीक्षा की जानकारी आखिर क्यों छुपाई ? यह सबसे बड़ा सवाल है और एलएलबी फेल होने के बाद ही यह रहस्य बाहर आया। मुंबई विद्यापीठ के वाईस चांसलर राज्यपाल सी विद्यासागर राव को भेजे हुए पत्र में अनिल गलगली ने एलएलबी परीक्षा की जानकारी छिपाकर सर्च कमिटी को उल्लू बनानेवाले डॉ संजय देशमुख पर कारवाई करने की मांग की हैं। सर्च कमिटी को दिग्भ्रमित कर एलएलबी परीक्षा की जानकारी छिपानेवाले डॉ संजय देशमुख को वाईस चांसलर पद से हटाकर योग्य और सक्षम व्यक्ति को वाईस चांसलर को नियुक्त करने की मांग अनिल गलगली ने आखिर में की हैं।

कुलपती यांनी नेमलेल्या सर्च कमिटीला डॉ संजय देशमुख यांनी चक्क फसविले

एलएलबी परिक्षेत नापास झाल्यामुळे चर्चेत आलेले मुंबई विद्यापीठाचे कुलगुरु डॉ संजय देशमुख यांनी कुलपती यांनी नेमलेल्या सर्च कमिटीला डॉ संजय देशमुख यांनी चक्क फसवित एलएलबी परिक्षेची माहिती लपविल्याची धक्कादायक वास्तव आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस राज्यपाल सचिव कार्यालयाने दिलेल्या कागदपत्रावरुन समोर आलेले आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी राज्यपाल सचिव कार्यालयाकडे मुंबई विद्यापीठाचे कुलगुरु डॉ संजय देशमुख यांनी कुलपती यांनी नेमलेल्या सर्च कमिटीला सादर केलेल्या बायोडाटाची माहिती मागितली होती. राज्यपाल सचिव कार्यालयातील जन माहिती अधिकारी यांनी अनिल गलगली यांस मुंबई विद्यापीठाचे कुलगुरु डॉ संजय देशमुख यांनी कुलपती यांनी नेमलेल्या सर्च कमिटीला सादर केलेल्या बायोडाटाच्या 118 पाने उपलब्ध करुन दिल्या आहेत. या कागदपत्राच्या छानणीत अनिल गलगली यांस आढळुन आले की 12 मे 2015 रोजी डॉ संजय देशमुख यांनी सर्च कमिटीचे नोडल ऑफिसर डॉ मधु चव्हाण यांस आपला बायोडाटा सादर केला होता. या बायोडाटात डॉ देशमुख यांनी तमिळनाडू येथील एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशनचे संस्थापक प्रोफेसर डॉ एम एस स्वामीनाथन, एटॉमिक एनर्जी कमीशनचे माजी अध्यक्ष डॉ अनिल काकोडकर आणि एमिटी यूनिवर्सिटीचे कुलगुरु प्रोफ़ेसर डॉ विजय खोले यांची शिफारस सुद्धा संलग्न केली होती. 5 जानेवारी 2005 रोजी जीव शास्त्र विभागात प्रोफ़ेसर या नात्याने नियुक्त झालेल्या डॉ संजय देशमुख यांनी ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन आणि पीएचडी पर्यंतची सर्व माहिती व्यवस्थित दिली पण एलएलबी परिक्षेची माहिती न देता सर्च कमिटीची दिशाभूल केली. डॉ संजय वसंत देशमुख यांनी एलएलबी या पदवी शिक्षणक्रमाच्या सत्र-1 च्या ऑक्टोबर/ नोव्हेंबर, 2014 मध्ये घेतलेल्या परिक्षेसाठी अर्ज दाखल केला होता पण ते परिक्षेस प्रविष्ठ झाले नाहीत.तसेच ते या शिक्षणक्रमाच्या सत्र-2 च्या एप्रिल/मे, 2015 मध्ये घेतलेल्या परिक्षेस प्रविष्ठ झाले होते, ही सत्य आणि वस्तुस्थिती सर्च कमिटी समक्ष ठेवणे आवश्यक असताना ती लपविल्याचा आरोप करत अनिल गलगली यांच्या मते ही चक्क फसवणूकच आहे. जेव्हा कोणताही उमेदवार अर्ज दाखल करतो तेव्हा त्यास आपल्या शैक्षणिक पात्रतेच्या माहितीबरोबर सद्यस्थितीला घेत असलेल्या शिक्षणाची माहिती देणे बंधनकारक असते पण डॉ संजय देशमुख यांनी एलएलबी परिक्षेची माहिती का लपविली? हा सर्वात मोठा प्रश्न असून ते एलएलबी नापास झाल्यानंतर त्या परीक्षेचे रहस्य बाहेर आले. मुंबई विद्यापीठाचे कुलसचिव असलेल्या राज्यपाल सी विद्यासागर राव यांस पाठविलेल्या पत्रात अनिल गलगली यांनी एलएलबी परिक्षेची माहिती लपवित सर्च कमिटीची फसवणुक करणा-या डॉ संजय देशमुख यांच्यावर कारवाई करण्याची मागणी केली आहे. सर्च कमिटीची दिशाभूल करुन एलएलबी परिक्षेची माहिती लपविणा-या डॉ संजय देशमुख यांस कुलगुरु पदावरुन हटवित योग्य आणि सक्षम व्यक्तीची कुलगुरु पदावर नेमणूक करण्याची मागणी अनिल गलगली यांनी सरतेशेवटी केली आहे.

Search Committee appointed to select VC by Chancellor, was mislead by Dr Sanjay Deshmukh

Dr Sanjay Deshmukh, Vice Chancellor of Mumbai University, concealed information regarding his failure to clear LLB examinations, before the Chancellor nominated Search Committee, constituted to shortlist candidate for the post of VC. This was learned from the documents handed over to RTI Activist Anil Galgali by the Governor"s secretariat. RTI Activist Anil Galgali had sought the copy of the biodata submitted by VC Dr Sanjay Deshmukh before the search committee from the Governors Secretariat, which was provided by the Public Information Officer of the Governor's Secretariat. The 118 paged bio-data was submitted to Dr Madhu Chavan , the Nodal Officer of the Search Committee on 12th may 2015. The Biodata contained recommendations from Prof Dr M S Swaminathan, Founder of the Tamil Nadu based M S Swaminathan Research Foundation, Also recommendations from Dr Anil kakodkar, Ex Chairman of the Atomic Energy Commission and Vice Chancellor of Amity University Dr Vijay Khole. Dr Sanjay Deshmukh who joined the Mumbai University as Professor in the Life Sciences dept on 5th January 2005, provided all information related to his Graduation, Post Graduation and Phd, but did not mention anything about his LLB enrollment and failure to clear his examinations. Dr Sanjay Deshmukh, who had enrolled for LLB course, did not appear for his 1st Semester examinations held in October / November 2014. He appeared for his 2nd Semester examinations held in April / May 2015 and was required to be mentioned in his biodata submitted before the Search Committee alleged Galgali. It is an clear cut attempt to mislead as any candidate who applies for any position has to submit his current activity also with his qualifications achieved earlier, but why did Dr Sanjay Deshmukh conceal his LLB enrollment and examinations attempt is a big question mark stated Galgali. It is only when he failed to clear exams did this secret got revealed. Anil Galgali in his letter addressed to Shri Ch Vidyasagar Rao, Governor of Maharashtra has sought action on Dr Sanjay Deshmukh for concealing facts before the Search Committee. He further sought dismissal of the VC Dr Sanjay Deshmukh for his actions of concealing facts about his unsuccessful attempt at LLB examinations and requested the Governor that a deserving and competent person be appointed as the Vice Chancellor of the world renowned Mumbai University.

Friday 27 November 2015

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इकठ्ठा किया 253 करोड़ का फंड

महाराष्ट्र राज्य सूखा, किसानों की आत्महत्या और खाली खजाने जैसे माहौल के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने बलबूते पर 253 करोड़ का फंड जमा करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्ष ने दी हैं जिसमें से 76 करोड़ की सहायता अबतक की गई हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्ष से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यह मुख्यमंत्री बनने के लिए जमा फंड और बनने के बाद जमा की गए फंड की जानकारी मांगते हुए खर्च और शेष रकम का ब्यौरा मांगा था। मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्ष से जन सूचना अधिकारी ने अनिल गलगली को बताया कि दिनांक 1 नवंबर 2014 के पहले मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्ष में 11 करोड़ 68 लाख 43 हजार 475 रुपए शेष थे। देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनने के बाद अब तक उन्होंने 253 करोड़ 5 लाख 3 हजार 76 रुपए ये रेकॉर्ड तोड़ फंड जमा करने के बाद पूर्व की शेष रकम को मिलाकर रकम 264 करोड़ 68 लाख 96 हजार 551 रुपए इतनी हुई हैं। इसमें से अब तक 76 करोड़ 19 लाख 67 हजार 88 रुपए की सहायता की गई हैं। अब 188 करोड़ 49 लाख 29 हजार 463 रुपए फंड में शेष हैं। मुख्यमंत्री सहायता निधी में कभी भी कुछ कम नही हो और हर एक को जरुरतमंदों को आर्थिक सहायता करने के लिए फिक्स डिपॉजिट की रकम बैंक में रखी जाती हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ये मुख्यमंत्री बनने के पहले फिक्स डिपॉजिट की रकम 124 करोड़ 50 लाख 32 हजार 346 रुपए थी। अब भी उतनी ही रकम है और उसमें नए सिरे से कोई अतिरिक्त रकम जमा नही हुई हैं। फिक्स डिपॉजिट की रकम और जमा रकम ऐसी कुल 312 करोड़ 99 लाख 61 हजार 809 रुपए की रकम मुख्यमंत्री सहायता निधी में वर्तमान में हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कुछ दिन के पहले मुख्यमंत्री सहायता निधी से डांस के लिए 8 लाख दिए जाने की बात का खुलासा किया था और उसके बाद 8 लाख की रकम को उस डांस ग्रुप ने वापस भी किया था। अनिल गलगली के अनुसार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने बलबूते पर जमा की हुई रकम प्रशंसनीय हैं क्योंकि इससे असहाय, जरुरतमंद और निराधार जनता की मदद ही होती हैं। सक्षम और अमीर लोगों ने ऐसे स्थानों पर आर्थिक सहाय कर मुख्यमंत्री सहायता निधी और सरकार का हात मजबुत करने का काम करना चाहिए। ऐसा मत अनिल गलगली ने व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सहायता निधी का वितरण करने के दौरान सर्तकता बरतनी चाहिए ताकि जरुरतमंदों को ही उसकी सहायता मिल सके।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीसानी जमविला 253 कोटीचा प्रचंड निधी

महाराष्ट्र राज्य दुष्काळ, शेतक-यांच्या आत्महत्या आणि तिजोरीत खणखणाट असताना मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी स्वबळावर 253 कोटीचा प्रचंड निधी जमविल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्षाने दिली असून यापैकी 76 कोटीचे सहाय करण्यात आले आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्षाकडे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हे मुख्यमंत्री बनण्यापूर्वी जमा असलेली आणि बनल्यानंतर जमा झालेल्या निधीची माहिती मागत खर्च आणि शिल्लक रक्कमेची माहिती मागितली होती. मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्षाच्या जन माहिती अधिकारी यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की दिनांक 1 नोव्हेंबर 2014 पूर्वी मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्षात 11 कोटी 68 लाख 43 हजार 475 रुपये शिल्लक होते. देवेंद्र फडणवीस हे मुख्यमंत्री बनल्यानंतर आतापर्यंत त्यांनी 253 कोटी 5 लाख 3 हजार 76 रुपये अशी विक्रमी निधी उभी केल्यामुळे पूर्वीच्या रक्कमेत भर होत ती रक्कम 264 कोटी 68 लाख 96 हजार 551 रुपये इतकी झाली आहे. यापैकी आता पर्यंत 76 कोटी 19 लाख 67 हजार 88 रुपयांची सहायता करण्यात आलेली आहे. आता 188 कोटी 49 लाख 29 हजार 463 रुपये शिल्लक आहे. # मुदत ठेव 124 कोटीची मुख्यमंत्री सहायता निधीत कधीही कमतरता पडू नये आणि प्रत्येक गरजुस आर्थिक सहायता करण्यासाठी मुदत ठेव रक्कम ठेवण्यात येते. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हे मुख्यमंत्री बनण्यापूर्वी मुदत ठेवीची रक्कम 124 कोटी 50 लाख 32 हजार 346 रुपये होती. आताही तेवढीच रक्कम असून त्यात नवीन कोणतीही भर पडली नसून मुदत ठेव आणि जमा रक्कम अशी एकुण 312 कोटी 99 लाख 61 हजार 809 रुपये रक्कम मुख्यमंत्री सहायता निधीत आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी काही दिवसापूर्वी मुख्यमंत्री सहायता निधीतुन डांससाठी 8 लाख दिल्याचा गौप्यस्फोट केला होता आणि त्यानंतर 8 लाख त्या डांस ग्रुप ने परत केले होते. अनिल गलगली यांच्या मते मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी स्वबळावर जमा केलेली प्रचंड रक्कम कौतुकास्पद आहे. यामुळे असहाय, गरजू आणि निराधार जनतेस मदत होते. सक्षम आणि धनाढ्य लोकांनी अश्या ठिकाणी आर्थिक सहाय करुन मुख्यमंत्री सहायता निधी आणि सरकारचे हात मजबुत करण्याचे काम करावे, असे गलगली यांनी मत व्यक्त करत अपेक्षा व्यक्त केली की मुख्यमंत्री सहायता निधीचे वितरण करताना योग्य दक्षता घ्यावी जेणेकरुन गरजू व्यक्तीनाच आर्थिक सहाय होईल.

CM Devendra Fadnavis collects Rs 253 crores in its Relief Fund

At a time when Maharashtra is facing a severe drought and the farmers committing suicide,followed by the claims of empty coffers, the CM Devendra Fadnavis in a personal drive ensured a collection of a whopping Rs 253 crores in its CM Relief Fund, this information was provided to RTI Activist Anil Galgali, by the CM Relief Fund desk. Rs 76 crores out of the collection has been distributed too. RTI Activist Anil Galgali had sought information from the CM Relief Fund desk about the balance in its account prior to CM Devendra Fadnavis taking office and also after his assuming the office. He also sought the the total amount of funds utilised and the balance in its account. The Public Information Officer in the CM Relief Fund desk in its reply to the query informed Galgali that,the Balance in the CM Relief Fund before 1st November 2014 was Rs 11 crores 68 Lakhs 43 Thousand 475. After CM Devendra Fadnavis took over as CM, Rs 253 Crores 5 lakhs 3 Thousand 76 was collected, taking the total balance to Rs 264 Crores 68 Lakhs 96 Thousand 551 and out this balance Rs 76 crores 19 Lakhs 67 Thousand 88 was disbursed from the Fund and the current balance being Rs 188 crores 49 Lakhs 29 Thousand 463. # Fixed Deposits of Rs 124 Crores. With an aim that there should never be any shortfall in the CM Relief Fund and every deserving seeker be helped , there is a practice to keep funds in Fixed Deposits. The FD's in the Fund was Rs 124 Crores 50 Lakhs 32 Thousand 346, prior to CM Fadnavis assuming office and there has been no change in the status uptill now with the balance in FD's remaining the same, taking the total of Balance in FD's and its account to Rs 312 Crores 99 Lakhs 61 Thousand 809. RTI Activist Anil Galgali had recently exposed the grant of Rs 8 Lakhs from the Relief Funds for a Dance Troupe, after the exposure the Dance Troupe returned the grant of Rs 8 Lakhs to the Fund. Anil Galgali has congratulated the CM for his initiative to collect funds for the Relief Fund, which is heplfill for the deserving poor and needy people. Galgali also expressed that the Rich and capable citizens should donate to the Relief Fund and strengthen the hands of the Govt to help the needy. He also coutioned the govt to be alert and ensure that the poor, needy and deserving people are only sanctioned from the Fund.

Monday 23 November 2015

मेट्रो किराया के खिलाफ हुई कोर्टबाजी पर एमएमआरडीए का 1.46 करोड़

देश की पहली सार्वजनिक निजी भागीदारी से तयार हुई मुंबई मेट्रो किराया के खिलाफ एमएमआरडीए प्रशासन ने अब तक कोर्टबाजी पर कुल रु 1.46 करोड़ खर्च करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई मेट्रो वन के किराया के खिलाफ एमएमआरडीए प्रशासन ने कोर्ट और अन्य कमिटी के पास दायर दावों पर हुए खर्च की जानकारी एमएमआरडीए प्रशासन से मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि मुंबई महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण ने मुंबई मेट्रो वन ने बढाए हुए किराया के खिलाफ कोर्ट और अन्य कमिटी के पास दावा दायर करने के लिए खैतान एंड कंपनी की नियुक्ती की हैं। आज तक इस कंपनी को रु.1,44,94,321/- रकम दी जा चुकी हैं। इसमें सभी प्रकार के खर्च समावेेश हैं। मुंबई हाईकोर्ट में नए से दायर मामले के खर्च की जानकारी मांगने पर अनिल गलगली को बताया गया कि खैतान एंड कंपनी को आज तक रु. 1,44,94,321/- रकम दी जा चुकी हैं। इसमें सभी प्रकार के खर्च का समावेश हैं। इन दावों के लिए एमएमआरडीए प्रशासन से अतिरिक्त प्रमुख के. विजयालक्ष्मी, सह योजना निदेशक संचालक योगिता परलकर और अधिक्षक अभियंता मृ.सि. देवारु एमएमआरडीए की ओर से कोर्ट गए थे। अब तक तकरीबन रु 1,00,000/- खर्च किया गया हैं। वकील और अधिकारी इनका कुल खर्च 1 करोड़ 45 लाख 94 हजार 321 इतना किया गया हैं। इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी कोर्ट का रिजल्ट एमएमआरडीए प्रशासन के खिलाफ जाने पर अनिल गलगली ने अफ़सोस जताया हैं। जबतक मेट्रो अक्ट में सुधार नहीं होगा तबतक एमएमआरडीए प्रशासन को मुंबई मेट्रो का किराया दाम पर नियंत्रण रखना मुश्किल है, ऐसा अनिल गलगली ने तर्क रखा हैं। जिसके लिए मुख्यमंत्री को पहल कर केंद्र सरकार से बात करना जरुरी हैं।

मेट्रोच्या भाडेवाढी विरोधात एमएमआरडीएचा न्यायालयीन खर्च 1.46 कोटी

देशातील पहिली सार्वजनिक खाजगी भागीदारीतुन तयार झालेल्या मुंबई मेट्रोच्या भाडेवाढी विरोधात एमएमआरडीए प्रशासनाने आता पर्यंत न्यायालयीन दाव्यावर एकुण रु 1.46 कोटी खर्च केले असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई मेट्रो वन भाडे विरोधात एमएमआरडीए प्रशासनाने न्यायालय व अन्य ठिकाणी दाखल दावावर केलेल्या खर्चाची माहिती एमएमआरडीए प्रशासनाकडे मागितली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांस कळविले की मुंबई महानगर विकास प्राधिकरणातर्फे मुंबई मेट्रो वनच्या भाडेवाढीच्या विरोधात न्यायालयात व अन्य ठिकाणी दावा दाखल करण्याकरिता प्राधिकरणाने खैतान एंड कंपनी यांची नेमणूक केली आहे. आज पर्यंत सदर कंपनीस रु. 1,44,94,321/- रक्कम वितरित करण्यात आलेली आहे. यात सर्व प्रकारच्या खर्चाचा समावेश आहे. मुंबई उच्च न्यायालयात नव्याने दाखल दावासाठी खर्च शुल्काची माहिती मागितली असता खैतान एंड कंपनी यास आज पर्यंत रु. 1,44,94,321/- रक्कम वितरित करण्यात आलेली आहे. यात सर्व प्रकारच्या खर्चाचा समावेश आहे, असे उत्तर अनिल गलगली यांस दिले आहे. या दावासाठी एमएमआरडीए प्रशासनातील अतिरिक्त प्रमुख के. विजयालक्ष्मी, सह प्रकल्प संचालक योगिता परळकर आणि अधिक्षक अभियंता मृ.सि. देवारु एमएमआरडीएच्या वतीने न्यायालयामध्ये गेले होते. आतापर्यंत यावर अंदाजित रु 1,00,000/- खर्च आलेला आहे. वकील आणि अधिकारी यांचा एकुण खर्च 1 कोटी 45 लाख 94 हजार 321 करण्यात आलेला आहे. इतकी प्रचंड रक्कम खर्च केल्यानंतरही न्यायालयीन निकाल एमएमआरडीए प्रशासनाच्या विरोधात आल्याची खंत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केली आहे. जो पर्यंत मेट्रो अक्ट मध्ये सुधारणा होणार नाही तोपर्यंत एमएमआरडीए प्रशासनास मुंबई मेट्रोचे तिकीट दरावर नियंत्रण ठेवणे शक्य होणार नाही, असे सरतेशेवटी अनिल गलगली यांनी मत मांडत सांगितले की यासाठी मुख्यमंत्री यांस पुढाकार घेत केंद्र शासनाकडे पाठपुरावा करण्याची गरज आहे.

MMRDA incurs legal expenses of Rs 1.46 crores to oppose Fare Increase by Mumbai Metro One.

Mumbai Metro One which was the first PPP project undertaken by the MMRDA has run into legal hassles to control the fare hike done by the MMOPL. The MMRDA has had to incur legal expenses of Rs 1,46 crores uptill now to oppose the unilateral fare hike done by the JV company, this information was provided to RTI Activist Anil Galgali. RTI Activist Anil Galgali had sought information from the MMRDA regarding the various cost incurred uptill now on cases filed by it on the fare hike of Mumbai Metro One. MMRDA administration in its reply to Anil Galgali informed that, it had appointed M/s Khatan and Co as its advocates to file cases on the fare hike by Mumbai Metro One in courts and other forums and has paid them Rs 1 crore 44 lakhs 94 thousand 321 as fees and includes all expenses too. Also on the query regarding the expenses incurred on fresh petition filed in the Mumbai High Court, it has replied Galgali, that Rs 1,44,94,321/= has been paid by MMRDA to M/s Khaitan & Co, which includes all types of expenses. In support of the cases, the MMRDA Addl Chief K Vijayalaksmi, Jt Project Director Yogita Paralkar, and Suprintending Engineer M C Devaroo had been present in the court, on which Rs 1,00,000/= expenses were incurred. A total of Rs 1 crore 45 lakhs 94 thousand 321 has been spent on Advocates and officials on these cases. Inspite of spending such a huge amount on the cases filed by MMRDA, it has failed to get any respite in the matter, regretted Galgali. He further stressed that unless and untill a modification is enacted in the Metro Act, the MMRDA will have no control on the fares of Mumbai Metro One, for which the CM should put in his best efforts to properly present its case with the Central Govt, expressed Galgali.

Thursday 19 November 2015

नही मिल रही हैं प्यासे मराठवाडा को सिंचाई के लिए सरकारी मंजूरी

मराठवाडा के बीड, जालना और औरंगाबाद इन जिला में 1735 लघुसिंचाई को करीब 171 करोड़ रुपए की मांग को मंजूर करने पर 17453 हेक्टर सिंचाई की क्षमता बढ़ेगी। ऐसी जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को ग्रामविकास व जलसंधारण विभाग ने दी हैं। फरवरी 2014 से जनवरी 2015 इस दौरान प्यासे मराठवाडा को सिंचाई के लिए सरकारी मंजूरी नही मिलने से महाराष्ट्र सरकार की पोल खुल गई हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने ग्रामविकास व जलसंधारण विभाग से दिनांक 01.09.2015 को कोलापूर पैटर्न के तहत बांध की मरम्मत को लेकर जानकारी मांगी थी। ग्रामविकास व जलसंधारण विभाग के कार्यासन अधिकारी ने अनिल गलगली को बताया कि लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस योजना के तहत सरकार से मुख्य अभियंता कार्यालय, पुणे ने 170 करोड़ 57 लाख 77 हजार रुपए की मांग की थी। मराठवाडा के बीड, जालना और औरंगाबाद इन जिला के 1735 लघुसिंचाई की वर्तमान सिंचाई की क्षमता 25128 हेक्टर हैं। लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस हुआ तो क्षमता में 17543 इतनी हेक्टर की क्षमता बढ़ेगी। जिससे कुल सिंचाई की क्षमता 42671 इतनी हेक्टर होगी। बीड जिला के 575 लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस होने पर इस क्षमता में 4119 हेक्टर इतनी सिंचाई की क्षमता बढ़ेगी जो जी वर्तमान में 9661 हेक्टर हैं। यानी करीबन 43 प्रतिशत सिंचाई की क्षमता बढ़ेगी। जालना जिला में 4475 हेक्टर इतनी सिंचाई की क्षमता है जो 414 लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस होने पर इस क्षमता में 2527 हेक्टर इतनी वृद्धि होगी। वही ओरंगाबाद जिला के 746 लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस न होने से इसकी 10897 हेक्टर क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार राजी नही होने से इसकी वर्तमान 28535 हेक्टर सिंचन क्षमता हैं। अनिल गलगली के अनुसार प्यासे मराठवाडा को सिंचाई के लिए सरकारी मंजूरी देकर ताबडतोब रकम देना आवश्यक हैं। महाराष्ट्र सरकार की जलयुक्तशिवार की तुलना में लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस किया जाता है तो बड़ी रकम बचेगी और सिंचाई की क्षमता और बढ़ेगी। राज्य सरकार ने 171 करोड़ रुपए की मांग को मंजूर कर 17453 हेक्टर सिंचाई की क्षमता बढाए ताकि मराठवाडा की प्यास बुझाने के लिए सरकारी मदद सहायक साबित होगी, ऐसी मांग अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे हुए पत्र में की हैं। पिछले एका वर्ष में सिर्फ मराठवाडा में 745 किसानों ने आत्महत्या करने की दर्दनाक सच्चाई सामने होते हुए भाजपा सरकार सिंचाई की क्षमता नही बढ़ाने पर अनिल गलगली ने नाराजगी जताई हैं।

तहानलेल्या मराठवाडयास सिंचनासाठी सरकारी मंजूरी मिळेना

मराठवाडयातील बीड, जालना आणि औरंगाबाद या जिल्ह्यातील 1735 लघुसिंचनास जवळपास 171 कोटी रुपयाची मागणी मंजूर केल्यास 17453 हेक्टर सिंचनक्षमता वाढेल, अशी माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस ग्रामविकास व जलसंधारण विभागाने दिली आहे. फेब्रुवारी 2014 पासून जानेवारी 2015 या कालावधीतील तहानलेल्या मराठवाडयास सिंचनासाठी सरकारी मंजूरी मिळत नसल्यामुळे महाराष्ट्र सरकारचे पितळ उघडे पडले आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी ग्रामविकास व जलसंधारण विभागाकडे दिनांक 01.09.2015 रोजी कोल्हापूर पैटर्न पद्द्तीचे बंधारे दुरुस्ती बाबत माहिती विचारली होती. ग्रामविकास व जलसंधारण विभागाचे कार्यासन अधिकारी यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रकल्पांचे दुरुस्ती व परिरक्षण योजनेखाली शासनाकडे मुख्य अभियंता कार्यालय, पुणे यांनी 170 कोटी 57 लाख 77 हजार रुपयाची मागणी केली आहे. मराठवाडयातील बीड, जालना आणि औरंगाबाद या जिल्ह्यातील 1735 लघुसिंचनाची सद्याची सिंचन क्षमता 25128 आहे. लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रकल्पांचे दुरुस्ती व परिरक्षण झाल्यास या क्षमतेमध्ये 17543 इतकी हेक्टर क्षमता वाढेल ज्यामुळे एकूण सिंचन क्षमता 42671 इतकी हेक्टर होईल. बीड जिल्ह्यातील 575 लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रकल्पांचे दुरुस्ती व परिरक्षण झाल्यास या क्षमतेमध्ये 4119 हेक्टर इतकी सिंचन क्षमता वाढेल जी सद्या 9661 हेक्टर आहे.म्हणजे जवळपास 43 टक्के सिंचन क्षमता वाढेल. जालना जिल्ह्यात 4475 हेक्टर इतकी सिंचन क्षमता असून 414 लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रकल्पांचे दुरुस्ती व परिरक्षण झाल्यास या क्षमतेमध्ये 2527 हेक्टर इतकी वाढ होणार आहे. तर ओरंगाबाद जिल्ह्यातील 746 लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रकल्पांचे दुरुस्ती व परिरक्षण झाले नसून 10897 हेक्टर क्षमता वाढविण्यासाठी सरकार तयार नसून सद्या 28535 हेक्टर सिंचन क्षमता आहे. अनिल गलगली यांच्या मते तहानलेल्या मराठवाडयास सिंचनासाठी सरकारी मंजूरी देत ताबडतोब रक्कम देणे आवश्यक आहे. महाराष्ट्र सरकार जलयुक्तशिवारच्या तुलनेत लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रकल्पांचे दुरुस्ती व परिरक्षण केल्यास मोठी रक्कम ही वाचेल आणि सिंचनक्षमता अधिक वाढेल. राज्य सरकारने 171 कोटी रुपयाची मागणी मंजूर करुन 17453 हेक्टर सिंचनक्षमता वाढवावी जेणेकरुन मराठवाडयाची तहान भागण्यास सरकारी मदत सहायक ठरेल, अशी मागणी अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस लिहिलेल्या पत्रात केली आहे. गेल्या एका वर्षात फक्त मराठवाडयात 745 शेतक-यांनी आत्महत्या केल्याचे धक्कादायक वास्तव असताना भाजपा सरकार सिंचन क्षमता वाढवित नसल्याबद्दल अनिल गलगली यांनी खंत व्यक्त केली.

Projects which could provide some respite for the water starved Marathwada,stuck due to lack of approvals from the state government

Almost 1735 small dams in the Beed, Jalna and Aurangabad districts of Marathwada are lying under utilised due lack of sanction of a measly from irrigation standards of Rs 171 crores, which has potential to increase the irrigation upto 17453 hectares, this information was provided to RTI activist Anil Galgali by the Rural Development and Water conservation dept. The issue pending since February 2014 to January 2015 exposes the seriousness of the state government of its intention to quench the thirst of Marathwada. RTI activist Anil Galgali had filed an RTI query with the Rural Development and Water conservation dept of the Govt of Maharashtra on 01/09/2015 seeking information about the repairs to the small dams based on the kolhapur pattern. The Desk officer of the department informed Anil Galgali that, for the repairs and maintenance of the small dams for water conservation, The Chief Engineers office in the Pune has demanded Rs 170 crores 57 lakhs 77 thousand for 1735 small dams situated in Beed, Jalna and Aurangabad which has currently holding a potential for irrigation of 25128 hectares. If these dams under the Mini Irrigation (Water Conservation) project are repaired and maintain, it will increase the potential of irrigation by 17543 hectares taking it to 42671 hectares. Beed district has 575 Mini Irrigation (Water Conservation) projects in need of urgent repairs and maintenance, if undertaken and completed will increase the potential by 4119 hectares, which is currently at 9661 hectares, thereby increasing the potential by 43%. Jalna similarly has 414 mini irrigation (Water Conservation) projects with the current potential of 4475 hectares, with repairs it is estimated to increase the potential by 2527 hectares. Aurangabad has 746 similar projects which can increase the potential by 10897 hectares, which is currently at 28535 hectares. Anil Galgali has expressed his view that it is of utmost urgency that the funds be sanctioned immediately to quench the thirst of Marathwada. If the urgent attention is given to the Mini Irrigation (Water Conservation) projects instead of the pet Jal Yukt shivar project of the state government the results would be faster and will save huge revenue for the govt and also Increase the irrigation potential. It should immediately sanction Rs 171 crores, which will increase the irrigation potential by 17453 hectares which will certainly some what quench the thirst of Marathwada demanded Galgali in a letter addressed to CM Devendra Fadnavis. He further expressed regret the delay in taking the decision by the BJP govt leading to non repairs of the small dams and reduced irrigation potential, that almost 745 farmers gave up their lives in Marathwada alone due to lack of water and irrigation.

Monday 16 November 2015

एफटीआयआय अध्यक्ष के दौरे पर कितना हुआ खर्च? एफटीआयआय संस्थान को पता नही

भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान यानी एफटीआयआय अध्यक्ष ने देश के भीतर और विदेश में किए विभिन्न दौरे पर हुए खर्च की जानकारी पता न होने का अजीबोगरीब दावा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दिए हुए एक आरटीआई के अर्जी पर एफटीआयआय संस्थान ने किया हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दिनांक 26 अगस्त 2015 को एफटीआयआय से जानकारी मांगी थी कि देश के भीतर और विदेश में एफटीआयआय के खर्च पर एफटीआयआय अध्यक्ष ने गत 15 वर्षो में किए हुए विभिन्न दौरे की जानकारी कुल खर्च सहित दी जाए। एफटीआयआय के प्रशासकीय अधिकारी एस के डेकटे ने दिनांक 29 अगस्त 2015 को अनिल गलगली को बताया कि उक्त जानकारी 3 सप्ताह में उपलब्ध कराई जाएगी। इन दौरे को मंजूरी देनेवाले सक्षम प्राधिकारी की जानकारी मांगने पर अनिल गलगली को बताया गया था कि एफटीआयआय अध्यक्ष के ऑफिसियल दौरे को मंजूरी देने का अधिकार निदेशक को हैं वही विदेश में एफटीआयआय अध्यक्ष के ऑफिसियल दौरे को मंजूरी सूचना और प्रसारण मंत्रालय देता हैं। 29 दिन के बाद एफटीआयआय ने दौरे पर हुए खर्च की जानकारी देने के बजाय दिनांक 26 अक्टूबर 2015 को एफटीआयआय के मुख्य लेखा अधिकारी यू ए ढेकने ने अनिल गलगली को बताया कि एफटीआयआय का बी एंड ए विभाग यह सिर्फ संस्थान के विभिन्न सेल और विभागाद्वारा पेश किए हुए बिल की रकम को अदा करने से संबंधित हैं। किसी भी फाइल और रेकॉर्ड के अंतर्गत बिल मंजूर करने का व्यवहार करती नही हैं। खर्च को मंजूरी यह संबंधित विभाग की फाइल में उपलब्ध हैं। डेकटे ने आगे बताया कि सरकारी नियमों के अनुसार वार्षिक अकाउंट तयार किया जाता हैं। एफटीआयआय संस्थान व्यक्तिगत छात्र, स्टाफ और सप्लायर का अकाउंट मेन्टेन नही करती हैं। इसी लिए एफटीआयआय अध्यक्ष के दौरे के खर्च की जानकारी बी एंड ए विभाग के पास वर्गीकृत फॉर्मेट में उपलब्ध नही हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली का तर्क है कि इस तरह की जानकारी आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 4(1) अन्वये एफटीआयआय संस्थान के पास उपलब्ध होना कानून से अनिवार्य हैं। पहले जानकारी 3 सप्ताह में देने वाला पत्र भेजनेवाली एफटीआयआय अब जानकारी उपलब्ध न होने का दावा कर बेमतलब झूठ बोलने का आरोप अनिल गलगली ने किया हैं। अनिल गलगली ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय को पत्र भेजकर एफटीआयआय अध्यक्ष के सभी दौरे की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की हैं।

एफटीआयआय अध्यक्षाच्या प्रवास खर्चाची माहिती एफटीआयआय संस्थानाकडे उपलब्ध नाही

भारतीय फिल्म आणि टेलीविजन संस्थान म्हणजे एफटीआयआय अध्यक्षांनी देशांतर्गत आणि देशाबाहेर केलेल्या विविध प्रवास खर्चाची माहिती उपलब्ध नसल्याचा दावा आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिलेल्या माहितीत एफटीआयआय संस्थानाने केला आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी दिनांक 26 ऑगस्ट 2015 रोजी एफटीआयआयकडे माहिती विचारली होती की देशांतर्गत आणि देशाबाहेर एफटीआयआयच्या खर्चावर एफटीआयआय अध्यक्षानी गेल्या 15 वर्षात केलेल्या विविध प्रवासाची माहिती एकूण खर्चासहित देण्यात यावी. एफटीआयआयचे प्रशासकीय अधिकारी एस के डेकटे यांनी दिनांक 29 ऑगस्ट 2015 रोजी अनिल गलगली यांस कळविले की सदर माहिती 3 आठवड्यात उपलब्ध करुन देण्यात येईल. या दौ-यास मंजूरी देणा-या सक्षम प्राधिकारीची माहिती विचारली असता अनिल गलगली यांस कळविण्यात आले की देशांतर्गत एफटीआयआय अध्यक्षाच्या ऑफिसियल दौ-यांस मंजूरी देण्याचे अधिकार संचालकास आहे तर देशाबाहेर एफटीआयआय अध्यक्षाच्या ऑफिसियल दौ-यांस मंजूरी माहिती आणि प्रसारण मंत्रालय देते. 29 दिवसानंतर एफटीआयआयने माहिती दिली नाही पण दिनांक 26 आक्टोबर 2015 रोजी एफटीआयआयचे मुख्य लेखा अधिकारी यू ए ढेकणे यांनी कळविले की एफटीआयआयतील बी एंड ए विभाग हे फक्त संस्थानातील विविध कक्ष आणि विभागा तर्फे सादर केलेल्या बिलाची रक्कम अदा करण्याशी निगडित आहे. कोणत्याही फाइल आणि अभिलेखा अंतर्गत बिल मंजूर करण्याचा व्यवहार करत नाही. खर्चास मंजूरी ही संबंधित विभागाच्या फाइलमध्ये उपलब्ध आहे. डेकटे यांनी पुढे कळविले की सरकारी नियमाप्रमाणे वार्षिक अकाउंट तयार केले जाते. एफटीआयआय संस्थान वैयक्तिक विद्यार्थी , स्टाफ आणि सप्लायर यांचे अकाउंट मेन्टेन करत नाही.त्यामुळेच एफटीआयआय अध्यक्षाच्या प्रवास खर्चाची माहिती बी एंड ए विभागाकडे वर्गीकृत फॉर्मेट मध्ये उपलब्ध नाही आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या मते अशी माहिती आरटीआय एक्ट 2005 च्या कलम 4(1) अन्वये एफटीआयआय संस्थानाकडे उपलब्ध असणे कायदाने बंधनकारक आहे. प्रथम माहिती 3 आठवड्यात देण्याचे पत्र पाठविणारी एफटीआयआय आता माहिती उपलब्ध नसल्याचा दावा करुन विनाकारण खोटे बोलत असल्याचा आरोप अनिल गलगली यांनी केला आहे. अनिल गलगली यांनी माहिती आणि प्रसारण मंत्रालयास पत्र पाठवून एफटीआयआय अध्यक्षाच्या प्रवास खर्चाची माहिती सार्वजनिक करण्याची मागणी केली आहे.

Traveling Expenses incurred by the Chairman of FTTI is not available with FTII itself

In a shocking revelation made by RTI activist Anil Galgali, it is said that the traveling expenses incurred by the Chairman of the famous Film and Television Institute to travel within the country and abroad is not available with the premier institute itself. RTI Activist Anil Galgali had filed an RTI with the FTII in 26 August 2015 had demanded expenses incurred on travels made by the Chairman of the FTII in India or abroad in last 15 years. FTII Deputy Director S K Dekate has inform Anil Galgali that the information would be made available within 3 weeks. Also Galgali had put a query as to who was the authority to sanction such traveling tours of the Chairman, to which Institute had replied that for domestic travels i.e. in India , the Director of the institute has the authority and for abroad tours, permission is granted by the Ministry of Information and Broadcasting. But after 29 days no information was not made available to Anil Galgali. 29 October 2015,Chief Account Officer Shri U A Dhenke informed Anil Galgali that B & A Section is concerned only with the payment of bills submitted by various sections/ departments of the institute and do not deal with any type of file/records the approval of bills etc. The approval of expenditure sanction etc is available only in the files of the concerned departments. Mr Dhenkne further informed that Annual Accounts of the Institute as a whole are prepared as per Government norms. Therefore , Institute doesn't maintain accounts for individual student, staff or supplier etc. Therefore, the information regarding Traveling expenses of FTII Chairman is not available at the B&A Section in complete format. Anil Galgali said that such information as per Right to Information Act of 2005 section 4 (1) should be compulsorily to disclose. "Firstly they informed me that we will give you information within 3 weeks, and now they deny the same. Anil Galgali now written to the Information and Broadcasting Ministry to make available such information and make it disclose in the public domain".

Sunday 15 November 2015

मुंबई यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख एलएलबी परीक्षा में हुए फेल

मुंबई यूनिवर्सिटी के अंतर्गत 740 से अधिक महाविद्यालय और लाखों छात्रों का भविष्य जिस वाईस चांसलर के हाथों में होता हैं इनकी क्षमता को परखना जायज नही माना जाता हैं लेकिन मुंबई यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ संजय वसंत देशमुख एलएलबी परीक्षा में फेल होने की चौकानेवाली जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई यूनिवर्सिटी ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दिनांक 18.09.2015 को मुंबई यूनिवर्सिटी के परिक्षा परिणाम कक्ष, नाम पंजीकरण विभाग और पुनर्मुल्यांकन विभाग से मुंबई यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ संजय वसंत देशमुख ने दी हुई एलएलबी परीक्षा और परिणाम की जानकारी मांगी थी। मुंबई यूनिवर्सिटी के परिक्षा परिणाम कक्ष के उपकुलसचिव ने अनिल गलगली को बताया कि संजय वसंत देशमुख ने एलएलबी के पदवी शिक्षाक्रम सत्र-1 के अक्टूबर/ नवंबर, 2014 में लिए हुए परिक्षा में आवेदन दाखिल किया था लेकिन वे परिक्षा में बैठे नही थे। साथ ही में शिक्षाक्रम सत्र-2 के अप्रैल/मई, 2015 में लिए हुए परिक्षा में बैठे थे और फेल हुए हैं। # स्थायी नाम पंजीकरण क्रमांक प्रलंबित मुंबई यूनिवर्सिटी के किसी भी परिक्षा में छात्र के पास परिक्षा में बैठने के लिए स्थायी नाम पंजीकरण क्रमांक होना अनिवार्य होता है लेकिन वाईस चांसलर हुए डॉ संजय देशमुख के पास इस तरह का स्थायी नाम पंजीकरण क्रमांक न होने की जानकारी नाम पंजीकरण विभाग ने अनिल गलगली को दी हैं। मुंबई यूनिवर्सिटी के नाम पंजीकरण विभाग के उपकुलसचिव ने अनिल गलगली को बताया कि संजय वसंत देशमुख का नाम पंजीकरण प्रलंबित होने से स्थायी नाम पंजीकरण क्रमांक उपलब्ध नही किया जा सकता हैं। अलिबाग स्थित एड दत्ता पाटील कॉलेज ऑफ लॉ में प्रवेश लेनेवाले संजय वसंत देशमुख की पात्रता प्रलंबित होने से उन्हें स्थायी नाम पंजीकरण क्रमांक जारी नही किया। स्थायी नाम पंजीकरण क्रमांक जारी नही होता है तब तक परिक्षा में बैठने नही दिया जाता हैं और परिक्षा में बैठने पर ऐसे छात्रों का परिणाम घोषित नही होने का आरोप लगाते हुए अनिल गलगली ने कहा कि वाईस चांसलर होने से नियम को बगल में रखकर उनका परिणाम घोषित किया गया। # पुनर्मुल्यांकन के लिए आवेदन किया नही एलएलबी इस शिक्षाक्रम सत्र-2 के अप्रैल/मई, 2015 में लिए गए परिक्षा में बैठकर फेल होने के बाद संजय वसंत देशमुख ने पुनर्मुल्यांकन के लिए आवेदन नही करने की जानकारी अनिल गलगली को मुंबई यूनिवर्सिटी के पुनर्मुल्यांकन कक्ष की उपकुलसचिव ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख एलएलबी परीक्षा में फेल होने को गंभीर बताते हुए सर्च कमिटी ने किस आधार और गुणवत्ता पर देशमुख को मुंबई यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर पद पर आसीन किया है? यह सवाल करते हुए अनिल गलगली ने मुंबई यूनिवर्सिटी के चांसलर और राज्य के राज्यपाल को पत्र भेजकर मुंबई यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा को बचाने की अपील की हैं। डॉ संजय देशमुख के फेल होने से मुंबई यूनिवर्सिटी की उज्वल परंपरा और प्रतिमा मलिन होने की बात अनिल गलगली ने कही हैं।

मुंबई विद्यापीठाचे कुलगुरु डॉ संजय देशमुख एलएलबी परीक्षेत अनुउत्तीर्ण

मुंबई विद्यापीठाअंतर्गत 740 हुन महाविद्यालये आणि लाखों विद्यार्थ्यांचे भविष्य ज्या कुलगुरुच्या हातात असते त्यांच्या क्षमतेची चाचपणी करणे हे योग्य नसते पण मुंबई विद्यापीठाचे कुलगुरु डॉ संजय वसंत देशमुख एलएलबी परीक्षेत अनुउत्तीर्ण झाले असल्याची धक्कादायक कबुलीच आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई विद्यापीठाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी दिनांक 18.09.2015 रोजी मुंबई विद्यापीठाच्या परिक्षा निकाल कक्ष, नावनोंदणी विभाग आणि पुनर्मुल्यांकन कक्षाकडे मुंबई विद्यापीठाचे कुलगुरु डॉ संजय वसंत देशमुख यांनी दिलेली एलएलबी परीक्षा आणि निकालाबाबत माहिती विचारली होती. मुंबई विद्यापीठाच्या परिक्षा निकाल कक्षाचे उपकुलसचिव यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की संजय वसंत देशमुख यांनी एलएलबी या पदवी शिक्षणक्रमाच्या सत्र-1 च्या ऑक्टोबर/ नोव्हेंबर, 2014 मध्ये घेतलेल्या परिक्षेसाठी अर्ज दाखल केला होता पण ते परिक्षेस प्रविष्ठ झाले नाहीत.तसेच ते या शिक्षणक्रमाच्या सत्र-2 च्या एप्रिल/मे, 2015 मध्ये घेतलेल्या परिक्षेस प्रविष्ठ होऊन अनुउत्तीर्ण झालेले आहे. # कायम नावनोंदणी प्रलंबित मुंबई विद्यापीठाच्या कोणत्याही परिक्षेस विद्यार्थ्यांकडे परिक्षेस बसताना कायम नावनोंदणी क्रमांक असणे आवश्यक असते पण कुलगुरु झालेले डॉ संजय देशमुख यांसकडे अश्या प्रकारचा कायम नावनोंदणी क्रमांक नसल्याची कबूली नावनोंदणी विभागाने अनिल गलगली यांस दिली. मुंबई विद्यापीठाच्या नावनोंदणी विभागाचे उपकुलसचिव यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की संजय वसंत देशमुख यांचा कायम नावनोंदणी प्रलंबित असल्याने नावनोंदणी क्रमांक पुरवू शकत नाही. अलिबाग येथील एड दत्ता पाटील कॉलेज ऑफ लॉ मधील विद्यार्थी असलेले संजय वसंत देशमुख यांची पात्रता प्रलंबित असल्यामुळेच त्यांस कायम नावनोंदणी क्रमांक जारी केला नाही. कायम नावनोंदणी क्रमांक जारी होत नाही तोपर्यंत परिक्षेस बसण्यास दिले जात नाही आणि परिक्षेस बसला तर अश्या विद्यार्थ्यांचा निकाल जाहीर केला जात नसल्याचे सांगत अनिल गलगली यांनी आरोप केला की कुलगुरु असल्यामुळेच नियम बाजुला सारत निकाल जाहीर केला गेला आहे. # पुनर्मुल्यांकनासाठी अर्ज केला नाही एलएलबी या शिक्षणक्रमाच्या सत्र-2 च्या एप्रिल/मे, 2015 मध्ये घेतलेल्या परिक्षेस प्रविष्ठ होऊन अनुउत्तीर्ण झाल्यानंतर संजय वसंत देशमुख यांनी पुनर्मुल्यांकनासाठी अर्ज केला नसल्याची माहिती अनिल गलगली यांस मुंबई विद्यापीठाच्या पुनर्मुल्यांकन कक्षाच्या उपकुलसचिव यांनी दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई विद्यापीठाचे कुलगुरु डॉ संजय देशमुख एलएलबी परीक्षेत अनुउत्तीर्ण झाल्याची बाब गंभीर असल्याचे सांगत सर्च कमिटीने कोणत्या आधारावर आणि गुणवत्तेवर देशमुखाची मुंबई विद्यापीठाच्या कुलगुरु पदावर वर्णी लावली आहे? असा सवाल करत अनिल गलगली यांनी मुंबई विद्यापीठाचे कुलपति असलेल्या राज्याचे राज्यपाल यांस पत्र पाठवित मुंबई विद्यापीठाची इभ्रत वाचविण्याचे साकडे घातले आहे. अनुउत्तीर्ण झालेल्या डॉ संजय देशमुख यांच्यामुळे मुंबई विद्यापीठाची उज्वल परंपरा आणि प्रतिमेस धक्का बसल्याचे मत अनिल गलगली यांनी सरतेशेवटी व्यक्त केले आहे.