Wednesday 29 April 2015

रिटायर्ड के बाद नियुक्त हुए विशेष कार्य अधिकारी/ सलाहकार पर मनपा ने खर्च किए 1.70 करोड़

मुंबई महानगरपालिका के विभिन्न विभागों में सेवानिवृत्ती के बाद कॉन्ट्रैक्ट पर विशेष कार्य अधिकारी/ सलाहकार इन पदों पर गत 5 वर्ष में 40 नियुक्ती कर मनपा ने करीब 1.70 करोड़ रुपए खर्च करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मनपा आयुक्त कार्यालय से दी गई है। विशेष यानी मनपा आयुक्त ने सरकार की अनुमति लिए ही बिना अपने अधिकार का इस्तेमाल कर कईओं को 3 बार एक्सटेंशन का अतिरिक्त लाभ भी दिलवाया है। न.ह.कुसनुर नाम के अधिकारी को सर्वाधिक 29 लाख 50 हजार दिया गया है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा प्रशासन से मनपा आयुक्त द्वारा  मंजूर दिए विशेष कार्य अधिकारी/ सलाहकार की जानकारी मांगी थी। मनपा आयुक्त के कार्यालय ने अनिल गलगली को दिनांक 1 जनवरी 2010 से 28 फरवरी 2015 इन 5 वर्षो में नियुक्त किए गए 40 विशेष कार्य अधिकारी/ सलाहकार की जानकारी दी है। प्रति महीना मानधन देते वक्त तो कुछ अधिकारियों को एकदम 50,000 प्रति महीना मानधन दिया गया तो कुछ को सिर्फ 5850 रुपए दिए गए। मनपा ने करीब 1.70 करोड़ खर्च करते हुए 3 अधिकारियों को 2 बार तो 3 अधिकारियों को 1 बार एक्सटेंशन दिया है। इनमें प्र.वि.कुलकर्णी (उपायुक्त विशेष अभियांत्रिकी), शि.सं.पालव (उपायुक्त विशेष अभियांत्रिकी) और स्नेहा खांडेकर (निदेशक वै.शि. व प्र.रु) को 2 बार एक्सटेंशन दिया गया है। वही न.ह. कुसनूर (अतिरिक्त आयुक्त प्रकल्प ), एस.डी.खंदारे (उप प्रमुख अभियंता नियोजन एवमं संकल्पचित्रे) और उदय मांडे ( उप प्रमुख अभियंता मखखा) को 1 ही बार एक्सटेंशन दिया गया है। मनपा की जान पर करीब 40 अधिकारियों  का गत 5 वर्ष में ठीकठाक भला हुआ हैं।   न.ह.कुसनुर को 29 लाख 50 हजार, शि.सं.पालव को 13 लाख 10 हजार, स्नेहा खांडेकर को 10 लाख 47 हजार, प्र.वि.कुलकर्णी को 9 लाख 87 हजार, ना.भि. आचरेकर को 9 लाख 50 हजार, एस.डी.खंदारे को 9 लाख, शशिकांत शिंदे को 7 लाख 20 हजार, गोविंद राठोड को 6 लाख, उदय माडे को 5 लाख 71 हजार और बाबासाहेब पवार को 5 लाख 37 हजार 880 रुपए दिए गए है।      मनपा आयुक्त ने सरकार की किसी भी तरह की अनुमति लिए बिना पुरे 40 अधिकारियों की अच्छी व्यवस्था की है। इस मामले में मनपा आयुक्त कार्यालय ने सरकार की अनुमति न लेने की बात को स्वीकारते हुए मनपा के सर्कुलर का  आधार लिया है। डॉ जगन्नाथ ढोणे बनाम महाराष्ट्र सरकार इस मुंबई हायकोर्ट के एक आदेश के बाद सरकार ने दिनांक 14 जनवारी 2010 को आदेश जारी कर विशिष्ट परिस्थिती में ही इसतरह की नियुक्ती करते वक्त सरकार की  अनुमति लेने की शर्त रखी हैं।गत सरकार ने मुख्य माहिती आयुक्त रत्नाकर गायकवाड को भी झटका देते हुए राज्य सूचना आयोग में कॉन्ट्रेक्ट पर नियुक्त किए गए खोब्रागडे नामक 68 वर्षीय सेवानिवृत्त अधिकारी की घरवापसी की थी। अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय और मनपा आयुक्त अजोय मेहता के पास शिकायत भविष्य में ऐसी नियुक्ती करते वक्त सरकार की अनुमति लेने का आदेश मनपा आयुक्त को देने की मांग की है।11 महीने के बाद जिन अधिकारियों की व्यवस्था की गई है उनके काम आलेख जांचा जाए, ऐसी अपेक्षा अनिल गलगली ने जताई है।

सेवानिवृत्तीनंतर नियुक्त झालेल्या विशेष कार्य अधिकारी/ सल्लागारावर पालिकेने खर्च केले 1.70 कोटी

मुंबई महानगरपालिकेच्या विविध खात्यात सेवानिवृत्तीनंतर करार पद्धतीवर विशेष कार्य अधिकारी/ सल्लागार या पदावर गेल्या 5 वर्षात 40 नियुक्त्या झाल्या असून यावर पालिकेने तब्बल 1.70 कोटी रुपये खर्च केल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस पालिका आयुक्त कार्यालयाकडून देण्यात आली आहे. विशेष म्हणजे पालिका आयुक्तांनी शासनाची परवानगी न घेता आपल्या अधिकाराचा वापर करत अनेकांना 3 वेळा मुदतवाढ दिली आहे. न.ह.कुसनुर नावाच्या अधिका-यांस सर्वाधिक 29 लाख 50 हजार देण्यात आले आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस पालिका प्रशासनाकडे पालिका आयुक्तांनी मंजूरी दिलेल्या विशेष कार्य अधिकारी/ सल्लागारा बाबत माहिती विचारली होती. पालिका आयुक्ताच्या कार्यालयाने अनिल गलगली यांस दिनांक 1 जानेवारी 2010 ते 28 फेब्रुवारी 2015 या 5 वर्षात नियुक्त झालेल्या 40 विशेष कार्य अधिकारी/ सल्लागारांची माहिती दिली. मासिक मानधन देताना काही अधिकारीवर्गाना एकदम 50,000 मासिक मानधन दिले गेले तर काहीना 5850 दिले गेले. पालिकेने जवळपास 1.70 कोटी खर्च केले असून 3 अधिका-यांस दोन वेळा तर 3 अधिका-यांस एकदा मुदतवाढ दिली आहे. यामध्ये प्र.वि.कुलकर्णी (उपायुक्त विशेष अभियांत्रिकी), शि.सं.पालव (उपायुक्त विशेष अभियांत्रिकी) आणि स्नेहा खांडेकर (संचालक वै.शि. व प्र.रु) यांस दोन वेळा मुदतवाढ दिली गेली तर न.ह. कुसनूर (अतिरिक्त आयुक्त प्रकल्प), एस.डी.खंदारे (उप प्रमुख अभियंता नियोजन व संकल्पचित्रे) आणि उदय मांडे ( उप प्रमुख अभियंता मखखा) यांस एक वेळा मुदतवाढ देण्यात आली आहे.        पालिकेच्या जीवावर जवळपास 40 अधिका-यांचे गेल्या 5 वर्षात चांगलेच भले झाले आहे. न.ह.कुसनुर यांस 29 लाख 50 हजार, शि.सं.पालव यांस 13 लाख 10 हजार, स्नेहा खांडेकर यांस 10 लाख 47 हजार, प्र.वि.कुलकर्णी यांस 9 लाख 87 हजार, ना.भि. आचरेकर यांस 9 लाख 50 हजार, एस.डी.खंदारे यांस 9 लाख, शशिकांत शिंदे यांस 7 लाख 20 हजार, गोविंद राठोड यांस 6 लाख, उदय माडे यांस 5 लाख 71 हजार आणि बाबासाहेब पवार यांस 5 लाख 37 हजार 880 रुपये देण्यात आले आहे. पालिका आयुक्तांनी शासनाची कोणतीही परवानगी न घेता चक्क 40 अधिका-यांची चांगलीच सोय केली. याबाबत पालिका आयुक्त कार्यालयाने शासनाची परवानगी न घेण्याची बाब कबूल करत पालिकेच्या परिपत्रकांचा आधार घेतला आहे. डॉ जगन्नाथ ढोणे बनाम महाराष्ट्र सरकार या मुंबई हायकोर्टातील एका आदेशानंतर शासनाने दिनांक 14 जानेवारी 2010 रोजी आदेश जारी करत विशिष्ट परिस्थितीत अश्या नियुक्त्या करताना शासनाची पूर्व परवानगी घेण्याची अट घातली होती. मागील सरकारने मुख्य माहिती आयुक्त रत्नाकर गायकवाड यांनाही दणका देत राज्य माहिती आयोगात अश्या प्रकारे कंत्राटी पद्धतीवर नियुक्त केलेल्या खोब्रागडे नामक 68 वर्षीय सेवानिवृत्त अधिकारांस घरी पाठविले होते. अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय आणि पालिका आयुक्त अजेय मेहता यांस तक्रार करत भविष्यात अश्या नियुक्त्या करताना शासनाची परवानगी घेण्याचे आदेश पालिका आयुक्तांस देण्याची मागणी केली आहे. 11 महिन्यानंतर ज्या अधिका-यांची सोय करण्यात आली आहे त्यांच्या कामाचा आलेख तपासावा,अशी माफक अपेक्षा अनिल गलगली यांनी व्यक्त केली आहे.

Bmc spent Rs 1.70 crores on retired officer who appointed as OSD/Consultant

In a shocking revelation made by activist Anil Galgali, In the various offices and departments of the Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC), as many as 40 Officers on Special Duty (OSD) as well as Consultants have been appointed n Contractual Basis in the last 5 years, and a whopping sum of Rs. 1.70 crores have been spent on them as fees for their services. The RTI was filed at the commissioners office. To top it, the BMC Commissioner has gone out of the way, ignoring the Government as within his powers, has actually given extensions to some them not once, but twice. N.K Kusnoor seems to be the favorite OSD/ Consultant who has pocketed Rs. 29.50 lakhs, the most by any Consultant/OSD. RTI Activists Anil Galgali had sought information from the BMC Commissioner office of such appointments of such consultants and OSDs. BMC provided Anil Galgali with a list of 40 officers who have been deputed and retained by the BMC from 1st January 2010 till the 28th February, 2015. Some officers of the monthly retainer-ship were either earning directly Rs. 50,000/- or some were even pocketing Rs. 5,850/- per month. In all, BMC has spurlged a whopping 1.70 crores for taking care of these Retired Employees in these 5 years. 3 OSDs/Consultants have got an extension twice, and some special 3 OSDs/Consultants and managed to get extensions once. To name a few, PV Kulkarni ( Asst Commissioner  -Special Engineer)  S.S. palav ( Asst Commissioner-Special Engineer) and Sneha Khandekar (Director) have got extensions twice by the Commissioner, whereas N H Kusnoor ( Additional Commissioner-Projects), S.D Khandare ( Dy. Chief Engineer- Planning) and Uday Mande ( Dy Chief Engineer) have been granted extension only once.  # TOP 10 Lakhpatis ...Thank you Commissioner! Nearly 40 Officers have made merry in the last 5 years, thanks to special efforts taken by the BMC commissioner. The Commissioner did not take the government in confidence, had it done that, it would have been a cakewalk as it is seen, claim sources. The monies earned by these OSDs cum Consultants will definitely raise some eyebrows. NH Kusoor 29.50 lakhs,  SS Palav 13.10 lakhs, Sneha Khandekar 10.47 lakhs, PV Kulkarni 9.87 lakhs, SD Khandare  9 lakhs, Shashikant Shinde 7.20 lakhs, Govind Rathod 6 lakhs, Uday Mande 5.71 lakhs and Babasaheb Pawar has managed to earn 5.37 lakhs.     # All rules were flouted!!! The BMC Commissioner  has not sought any permission from the Government, and did make sure that these 40 officers make merry. The worst is Commissioners office has agreed to not take any permission, but has taken support of various Notices and Orders to ensure these officers are on board, in the RTI. In a special order passed by the Court in the Dr jagganath Dhone v/s Government of Maharashtra, on the 14th January, 2010, the Court had directed to make such appointments but only after getting the necessary permission from the Government. The earlier Government on learning such Contractual appointments had sent home An Officer named Khobragade aged 68, who was appointment by now CIC Ratnakar Gaikwad then. I have written to CM Devendra Fadnavis along with Chief Secretary Swadhin Kshatriya and newly appointed BMC chief Ajoy Mehta to sought permission from government and make such appointments, " asserts Galgali. Anil Galgali  has also asked for special attention to officers who get extensions after their initial 11 months contract and checkout there progress report as OSD / Consultant.

Tuesday 28 April 2015

सीताराम कुंटे से बेहतर करने का अजोय मेहता को मौका

मुंबई के नए मनपा आयुक्त अजोय मेहता को मुंबई मनपा की गिरती हुई सांख को बचाने के साथ इस शहर को कुछ नयापन देने की मुख्य चुनौती है। जो कुंटे नही कर पाए या जानबुझकर नही किया है, ऐसे कई मुद्दे पर काम कर मेहता को कुंटे से बेहतर करने का एक अच्छा मौका है। आज मुंबई मनपा में अफसरशाही हावी हैं। सड़क पर गिरता कूड़ा से लेकर नालों की सफाई और स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा का मसला गंभीर है। सबसे अमीर मनपा होते हुए भी कई मामलों में अपेक्षाकृत यश नही मिल पा रहा है। पूर्व मनपा आयुक्त सीताराम कुंटे पर ये आरोप लगता रहा हैं कि वे अपनी संकीर्ण मानसिकता के चलते ना नगरसेवकों का दिल जीत पाए ना मुंबईकरों को आम समस्याओं से निजात दिला पाने में सफल हुए। आज इस शहर के सामने कई प्रकार की चुनौतियां है जिसके को लेकर मेहता को काम करने की सख्त जरुरत है। हाल ही में विवादित 'डीपी' को लेकर भी अच्छा खासा बवाल है। अब नए आयुक्त को उन सभी खामियों के साथ 55 हजार से अधिक प्राप्त हुई शिकायते और सुझावों को ठिकाना लगाकर एक अच्छा और विकास की ओर लेकर जानेवाला 'डीपी' इस शहर को देना है। भ्रष्टाचार से मुक्तता और आम लोगों से मनपा को जोड़ने के लिए नई मुहिम छेड़ने की सख्त जरुरत है। मुंबई की खोदी गई सड़के, जलापुर्ती समस्या, जलजमाव, भ्रष्ट्राचार, अवैध निर्माण, अतिक्रमण और डंपिंग ग्राउंड जैसे मसले आम है। एमएमआरडीए फेम श्रीनिवास ने मनपा में भी ठेकेदारों का राज चलाने की शुरु की हुई मुहिम के तहत ही 3000 करोड़ सिर्फ सड़कों की भलाई के लिए खर्च किए जा रहे है। मेहता को इसपर कायदे से ध्यान रखने की जरूरत है ताकि हर बारिश में पोथॉल से मुंबईकरों से मुक्ति मिल सके। आज मुंबई का हर फुटपाथ अतिक्रमण से ग्रसित है। उसे फेरीवाला और अतिक्रमण से मुक्त करने की चुनौती है। मुंबई को रोजाना 4 हजार मिलियन लीटर पानी की जरुरत है। लेकिन 3350 मिलियन लीटर जलापूर्ति हो रही है। पानी की चोरी से लेकर लिकेज को रोकने की जरुरत है। इसके अलावा कई स्थानों पर मटमैल्ला पानी भी आता है और उसपर कारवाई करने पर जोर देना चाहिए। मुंबई में आज के वक्त सिर्फ 3 डंपिंग ग्राउंड है जो काफी नही है। नई मुंबई स्थित तलोजा में प्रस्तावधीन डंपिंग ग्राउंड के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को तेज कर उसे जल्द से जल्द कारवाई करने की जरुरत है। बारिश में जमनेवाला जलजमाव से निजात पाने के लिए नए एक्शन प्लान की जरुरत है। आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ़ टेक्नोलॉजी डिग्री और यूके से वित्त में एमबीए डिग्री हासिल करनेवाले मेहता के पास मनपा में सह आयुक्त का भी अनुभव है। नासिक मनपा आयुक्त और अहमदनगर में जिलाधिकारी के बाद महाराष्ट्र बिजली विभाग में संचालक और हाल ही में पर्यावरण के प्रधान सचिव के तौर पर कार्यरत अजोय मेहता की गिनती किसी भी तरह के दबाब में काम न करनेवालों आईएएस अधिकारियों में होती है। लेकिन मनपा में हर कोई सफल होता ही है, ऐसा भी नही है। यहां पर सैकडो अच्छे कामों पर एक छोटीसी गलती पानी फेरने के लिए काफी होती है। मनपा की अफसरशाही और नगरसेवकों का राज मनपा में आम है। ऐसे में अजोय मेहता को कुछ अलग करते हुए कुंटे से बेहतर करने का मौका है।

Saturday 25 April 2015

मुंबई की 'डीपी' के हत्यारे

मुंबई सबकी है और हर बार इसका लूक बदलने की कोशिश की जाती है लेकिन मुंबई ना बदली है ना बदलेगी। इसी कड़ी में इनदिनों इस शहर के डीपी यानी विकास प्लान को लेकर बवाल मचा हुआ है।आम जनता और राज्य की विभिन्न पार्टीओं के एकमुश्त विरोध के बाद सीएम ने डीपी में बदलाव कर उसे फिर 4 महीने के भीतर फिर एक बार जनता के बीच लेकर जाने का कड़ा फैसला किया है। सैकड़ो गलतियां और विकास से कोसो दूर इस विवादित 'डीपी' के असली खलनायक और हत्यारे कौन है? किसकी गलतियों और अति आत्मविश्वास से 'डीपी' समय पर नही आ पाया है? इसका जबाब भी ढूंढना उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना इसे नया प्रारुप देकर मुंबई को सुंदर बनाना है। हर 20 वर्ष के बाद मुंबई मनपा विकास का प्रारुप तैयार करती है जिसमें हर एक सुविधा पर जोर दिया जाता है। खुली जगह से लेकर मनोरंजन मैदान, उद्यान, स्कूल, अस्पताल, तालाब, बस डेपो, समाजकल्याण केंद्र, धार्मिक स्थान और न जाने कितने कारणों के लिए जमीन को आरक्षित किया जाता है। इससे आम जनता को सहूलियत देना मुख्य मकसद होता है। लेकिन मौजूदा 'डीपी' इसलिए विवादित हुआ कि ना किसी को ख़ास लाभ हुआ ना पुरानी चीजों को बरकरार रखा गया है। मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा को भी 'डीपी'ने विच्छेदित करने काम किया है। सीएम ने 4 महीने में दुरुस्त कर नया 'डीपी' का प्रारुप बनाने का आदेश मनपा प्रशासन को दिया है लेकिन अबतक 50000 शिकायते और सुझाव की रद्दी जमा करनेवाली मनपा प्रशासन इसके हल और निपटान के मामले में सक्षम नही होने का संदेह आम जनों में है और उससे अधिक संदेह मुंबई की हर एक एनजीओ, राजनीतिक पार्टी और ख़ास लोगों में है। हम बात कर रहे थे कि आखिर ऐसी कौनसी ताकत 'डीपी' को अमल में लाकर मुंबई को विनाश के गर्त में ड़ालने की कोशिश में थी। वर्ष 2014-2034 इन 20 वर्षो के लिए विकास का नया प्रारुप इतना भी कठिन नही था कि मुंबई का हर एक दुसरा व्यक्ती इसे लेकर नाराज था , असहमत था। इस 'डीपी' को बनाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी नाईक दंपत्ति थी। दिनेश नाईक इसके मुखिया है और उनकी पत्नी अनिता नाईक भी उसी विभाग में जुटी हुई है। इन्होंने हर मामले को इतना गोपनीय बना दिया कि उनके अधिनस्थ काम करनेवालों को भी नए 'डीपी' में होनेवाले बदलाव की जानकारी नही होने की चर्चा मनपा के गलियारों में है। इसके अलावा वी के फाटक है जो नाईक से भी ऊपरी अधिकारी है। वे एमएमआरडीए के सेवानिवृत्त अधिकारी है। इन्होंने  एमएमआरडीए स्थित बीकेसी की खुली जमीन ही पुरी मुंबई है, ये मानकर शायद नए नए प्रयोग किए और विवाद की शुरुआत हुई।  सबसे बड़ी और एक गलती ये हुई कि बालचंद्रन जो मौजूदा 'डीपी' विभाग के मुखिया है और उनके पास लंबा अनुभव था उन्हें भी इस प्रक्रिया से दूर रखा गया। नाईक को इतनी बड़ी जिम्मेदारी देकर मनपा प्रशासन ने अपने ही घर में गड्डा खुदवाया जो आज सबके लिए गले की हड्डी बन गई है। इसके पहले वाला विकास प्लान वर्ष 1991 से 2011 इस कार्यकाल के लिए था। उसवक्त मनपा के करीब 80 अभियंता एवमं कर्मचारी ने किसी भी तरह की गलती किए बिना प्लान को बनाया था। मनपा ने वर्ष 2009 से नया प्लान बनाने की प्रक्रिया को शुरु कर सर्वप्रथम 'एस.सी.इंडिया लिमिटेड' इस सलाहकार की नियुक्ती की।  उसके बाद उस एजेंसी से मन मुताबिक और समाधानकारक काम न होने पर 'एजिस जिओ प्लॉन' इस एजेंसी को काम दिया। इन दोनों एजेंसी को मिलकर 12 करोड़ दिए गए। लेकिन उन्होंने पुरे पैसे लेने के बाद भी ईमानदारी और जमीनी हकीकत के आधार पर काम नही करने से विकास प्लान विवादित हुआ।नए 'डीपी' में मुंबई शहर की पुरानी बिल्डिंग और वहां के निवासियों के साथ न्याय नही किया गया। निजी सोसायटी के भीतरी रोड को आरक्षित करने की गलती की गई। एनडी जोन यानि विकास के लिए प्रतिबंधक क्षेत्रों को व्यावसायिक किया गया। मसलन गोरेगांव की सहारा की जमीन सबसे बड़ा उदाहरण है। मंदिर, मस्जिद, चर्च और अन्य धार्मिक तथा ऐतिहासिक वास्तुओं को बदलने का पाप किया गया। इन्हीं सभी शिकायतों और सुझाव के बाद सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने इसे सुधारित कर 4 महीने का समय दिया है। जबकि मीडिया से रुबरु होते हुए सीएम साहब ने मुंबई का डीपी रद्द करने की बात को जोर देकर कहा था। आज तक 55 हजार से अधिक शिकायते और सुझाव प्राप्त हुए है जिसका निपटान करने के लिए लंबा समय लग सकता है। मुंबई में शायद पहली बार इतना बड़ा बवंडर हुआ होगा कि एक 'डीपी' को लेकर सभी राजनीतिक पार्टी और नेताओं के साथ एनजीओ साथ आए है। इस 'डीपी' का बिल किसके सिर पर फोड़ा जाएगा, ये तो आनेवाला समय बताएगा लेकिन मनपा आयुक्त सीताराम कुंटे को हटाकर राज्य सरकार कुछ कारवाई किए जाने का खेल खेल सकती है। लेकिन जो 'डीपी' के असली हत्यारे है उन्हें क्या सजा मिलेगी और ठेकेदार कंपनी पर क्या कारवाई होगी? ये अब तक गुलदस्ते में ही है।

Friday 24 April 2015

मुंबई विकास प्लान की हत्यारी कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर वसूलों 12 करोड़

मुंबई को विद्रूप करनेवाला प्लान बनाकर मुंबई के विकास प्लान की हत्यारी कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर उससे 12 करोड़ वसूल करने की मांग आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से की हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय और मनपा आयुक्त सीताराम कुंटे को लिखे हुए पत्र में उनका ध्यान इस ओर आकृष्ट किया है कि इसके पहले वाला विकास प्लान वर्ष 1991 से 2011 इस कार्यकाल के लिए था। उसवक्त मनपा के करीब 80 अभियंता एवमं कर्मचारी ने किसी भी तरह की गलती किए बिना प्लान को बनाया था। मनपा ने वर्ष 2009 से नया प्लान बनाने की प्रक्रिया को शुरु कर सर्वप्रथम 'एस.सी.इंडिया लिमिटेड' इस सलाहकार की नियुक्ती की। उसके बाद उस एजेंसी से मन मुताबिक और समाधानकारक काम न होने पर 'एजिस जिओ प्लॉन' इस एजेंसी को काम दिया। इन दोनों एजेंसी को मिलकर 12 करोड़ दिए गए। लेकिन उन्होंने पुरे पैसे लेने के बाद भी ईमानदारी और जमीनी हकीकत के आधार पर काम नही करने से विकास प्लान विवादित हुआ। जनता के 12 करोड़ रुपए इन एजेंसी को दिए जाने से ये रकम उनसे व्याज सहित वसूल कर उन कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करे और इस काम पर ध्यान रखनेवाले सक्षम प्राधिकारी वर्ग पर कारवाई करने की मांग अनिल गलगली ने की है।

मुंबई विकास आराखडयाचे मारेकरी कंपनीला काळया यादीत टाकत वसूल करा 12 कोटी

मुंबई भकास करणारा आराखडा बनवित मुंबई विकास आराखडयाचे मारेकरी असलेल्या कंपनीला काळया यादीत टाकत 12 कोटी वसूल करण्याची मागणी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस केली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय आणि पालिका आयुक्त सीताराम कुंटे यांस लिहिलेल्या पत्रात लक्ष वेधले आहे की यापूर्वीचा विकास आराखडा वर्ष 1991 ते 2011 या कालावधीसाठी होता. त्यावेळी पालिकेचे जवळपास 80 अभियंता व कर्मचारी यांनी कोणतीही घोडचूक न करता बनविला होता. पालिकेने वर्ष 2009 पासून नवीन आराखडा बनविण्याची प्रक्रिया सुरु करत सर्वप्रथम 'एस.सी.इंडिया लिमिटेड' या सल्लागाराची नेमणूक केली. त्यानंतर या एजेंसीकडून समाधानकारक काम न झाल्यामुळे 'एजिस जिओ प्लॉन' या एजेंसीला काम दिले. या दोन्ही एजेंसीला मिळून 12 कोटी देण्यात आले. परंतु त्यांनी मोबदला घेऊनही प्रामाणिकपणे आणि वस्तुस्थितीवर आधारित काम न केल्यामुळे विकास आराखडा वादग्रस्त ठरला. जनतेचे 12 कोटी रुपये या एजेंसीला दिले गेले असून ती रक्कम त्यांच्याकडून व्याजासहित वसूल करत त्या कंपन्याना काळया यादीत टाकावे आणि या कामाची लक्ष ठेवणा-या सक्षम प्राधिकारी वर्गावर कारवाई करण्याची मागणी अनिल गलगली यांनी केली आहे.

Black list and recover Rs 12 crores from the company, responsible for the Mumbai Development Plan fiasco

The company which was contracted to create a futuristic Development Plan for Mumbai, came out with a draft plan which could have destroyed Mumbai and led to a crisis should be black listed and the payment of Rs 12 crores made out to them should be immediately recovered, is a demand put before the CM Devendra Fadnavis by RTI Activist Anil Galgali. RTI Activist Anil Galgali has shot off a letter to CM Devendra Fadnavis, CS Swadheen Kshatriya and Municipal Commissioner Sitaram Kunte drawing attention that the previous DP for the period 1991 to 2011 was drawn and conceptualized by almost 80 Engineers and officers of the Municipal Corporation which was error free and pragmatic. The Municipal Corporation started the process of the new DP in 2009 onwards, when initially a company named 'S C India Ltd' was appointed as consultant. Since the performance of the company was far from satisfaction, the job of DP was given over to another company named 'Aegis Geo Plan'. Both the company costed the MCGM Rs 12 crores of public funds, the companies in spite of receiving the payment did not perform on the basis of practicality and ground reality, due to which the DP conceived by them was error prone and disastrous. The loss of public funds to the tune of Rs 12 crores should be forthwith recovered from both the companies with interest and both should be immediately blacklisted demanded Anil Galgali, He further demanded that action should also be initiated against the Competent Authority who were given the responsibility to supervise the conceptualization of the now famed 'Mumbai Development Plan'

Wednesday 22 April 2015

MMRDA favours Road Contractor with Rs 18.90 Crore Noise Barrier Orders without any Noise

At a time when the Government is placing priority on transparency, in a blatant case of waste of public money, it has come to light in a RTI query filed by Anil Galgali with MMRDA favouring a Road Contractor J Kumar with an Rs 18.90 Crore order for a specialized work (providing of noise barriers).   Based on an application filed by RTI activist Anil Galgali and subsequent documents, it has come to light that MMRDA, instead of following laid down Government procedures and tendering the work, chose to directly award the work to a road contactor as an extra item. Neither was the work tendered nor was any negotiations carried out to execute this specialized and sensitive work. Work was awarded unilaterally to the road contractor at highly inflated rates as recommended by CRRI for a whooping Rs 18.90 Crores.CRRI (Central Road Research Agency) New Delhi,a Government agency in noise mitigation was awarded this work of noise mapping and mitigation.   Earlier works for providing noise barriers include Bandra Kurla Link Road (Rs. 8.68 Crores), JVLR near IIT campus (Rs. 4.11 Crores), APLR on Eastern Freeway (Rs. 76.50 lacs) and SCLR (Rs.5.14 Crores) were tendered by MMRDA.However in the present case of the Ambedkar road flyovers, MMRDA completely ignored the fact that such works of nearly Rs 18.90 Crores should be properly tendered to obtain realistic market prices and issue work order to installation of Noise Barriers at Sion Hospital, King's Circle- Tulpule Chowk and Hindmata Flyover. Earlier MMRDA favor same Contractor J Kumar in Dahisar Railway Over bridge Noise Barrier work of Rs 5.74 Crores without Tender.Market sources reveal that while the rates of the noise barriers are around Rs. 9,500 to Rs 10,500 per square meter,MMRDA has awarded work to the contractor at Rs. 12,500 per square meter. (Inflated rates as recommended by the Consultant CRRI.) Anil Galgali Said that if the work had been tendered, the agency could have easily achieved substantial savings of nearly Rs. 4 to 5 Crores. Inside information reveal a prevalent scrupulous practice followed by the agency to award extra items anytime bypassing tender procedures. It is precisely this route that MMRDA adopted to award this work to the road contractor for a value of RS 18.90 Crores as an extra item in spite of the flyover being opened to traffic more than 2 years back.  RTI Activist Anil Galgali has taken up this abuse of public money with the Chief Minister Devendra Fadanvis, Chief Secretary Swadhin Kshtriya and MMRDA Metropolitan Commissioner UPS Madan. Galgali urged to cancel the work order immediately and follow the Tender Process. Last Sunday Contractor J Kumar firms owner Jagdish Gupta and Kamal Gupta share dias with Chief Minister Devendra Fadanvis at Kherwadi flyover opening function so that Mr Madan not dare to take action on Contractor J Kumar's company, this was inner discussion in MMRDA headquarter.

निविदा न काढता एमएमआरडीएने जारी केले 18.90 कोटीचे ध्वनिरोधक काम 

राज्य सरकार या क्षणी पारदर्शकतेला अग्रक्रम देत असताना जनतेचा पैसा वाया घालवत निविदा न काढता एमएमआरडीएने 18.90 कोटीचे ध्वनिरोधकचे काम जारी केले असल्याची धक्कादायक माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस प्राप्त झाली आहे. विशेष म्हणजे जे कुमार नावाच्या कंत्राटदारास मुख्यमंत्र्याचे अभय असल्याने तक्रार करुनही कारवाई करण्याचे धाडस एमएमआरडीएचे आयुक्त यूपीएस मदान दाखवित नाही आहेत.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडे विविध   ध्वनिरोधक कामाची माहिती मागितली होती. यावेळी एमएमआरडीए प्रशासनाने सरकारी नियम आणि निविदा प्रक्रियेला डावलत अतिरिक्त कामाच्या नावावर रस्ते कंत्राटदार जे कुमार यास सरळ 18.90 कोटीचे काम दिले.ज्यास सेंट्रल रोड रिसर्च एजेंसी (सीआरआरआय) ने काम देण्याची शिफारस केली होती.उड्डाणपुलाच्या कामाच्या 2 वर्षांनंतर एमएमआरडीएने सेंट्रल रोड रिसर्च एजेंसी (सीआरआरआय)ला ध्वनि मोजणी आणि   करण्याचे काम दिले. यापूर्वी वांद्रे-कुर्ला संकुल मार्ग ( 8.68कोटी ), जेवीएलआर येथील आयआयटी कैंपस ( 4.11कोटी ), पूर्व ईस्टर्न फ्री वे येथील आणिक-पांजरापोल लिंक रोड ( 76.50 लाख ) आणि सांताक्रूझ चेंबूर लिंक मार्ग (5.14 कोटी ) याकामी एमएमआरडीएने निविदा काढल्या होत्या.

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मार्गावरील सायन हॉस्पिटल, किंग्स सर्कल-तुलपुले चौक आणि हिंदमाता उड्डाणपुल या विविध उड्डाणपुलासाठी ध्वनिरोधकाचे काम देताना निविदा न काढता एमएमआरडीए प्रशासनाने जे कुमार या कंत्राटदारावर मेहरनजर दाखवित 18.90 कोटीचे काम बहाल केल्याचा आरोप अनिल गलगली यांनी केला आहे. यापूर्वी सुद्धा जे कुमार यास दहिसर रेल्वे ओलांडणी पुलावर रुपये 5.74 कोटीचे काम निविदा न काढताच अतिरिक्त कामाच्या नावावर जारी करण्याचे काम एमएमआरडीएने दिले होते.

बाजारात हेच काम कमीत कमी रुपये 9500 प्रति वर्ग मीटरने होत असताना एमएमआरडीए प्रशासनाने रुपये 12500  प्रति वर्ग मीटरचा महाग पर्याय निवडला गेला ज्यामुळे एमएमआरडीएस 4 ते 5 कोटीचा फटका बसला आहे, याबाबत आश्चर्य व्यक्त करत अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय आणि एमएमआरडीए महानगर आयुक्त यूपीएस मदान यांस लेखी पत्र पाठवून ताबडतोब योग्य ती कारवाईची मागणी करत निविदा काढत सनदशीर मार्गाने काम जारी करण्याबाबत जोर दिला आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या तक्रारी नंतर सुद्धा एमएमआरडीएचे महानगर आयुक्त यूपीएस मदान कारवाई करण्याचे धाडस दाखवित नाही कारण रविवारी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांच्यासोबत जे कुमार कंपनीचे मालक असलेले पिता पुत्र जगदीश गुप्ता आणि कमल गुप्ता यांच्याबरोबर असलेले सख्य कारणीभूत मानले जात असल्याची चर्चा एमएमआरडीए मुख्यालयात आहे.

टेंडर निकाले ही बिना एमएमआरडीए ने जारी किया 18.90 करोड़ का ध्वनिरोधक काम 

राज्य सरकार इनदिनों पारदर्शकता को वरीयता देकर अच्छे दिन लाने के प्रयास में है वहीँ दुसरी ओर पब्लिक टैक्स से जमा पैसे की बर्बादी करते हुए टेंडर निकाले ही बिना एमएमआरडीए द्वारा 18.90 करोड़ का ध्वनिरोधक का काम जारी करने की चौकानेवाली जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को प्राप्त हुई है। विशेष यानी जे कुमार नामक ठेकेदार को सीएम का अभय होने से शिकायत करने के बाद भी कारवाई करने की हिम्मत एमएमआरडीए के महानगर आयुक्त यूपीएस मदान नही दिखा रहे है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से विभिन्न ध्वनिरोधक काम की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने सरकारी नियम और टेंडर प्रक्रिया को नजरअंदाज कर अतिरिक्त काम के नाम पर सड़क ठेकेदार जे कुमार को सीधे 18.90 करोड़ का काम दिया है। जिसे सेंट्रल रोड रिसर्च एजेंसी (सीआरआरआय) ने काम देने की सिफारस की थी।फ्लाईओवर काम पूर्ण होने के 2 वर्ष के बाद एमएमआरडीए ने सेंट्रल रोड रिसर्च एजेंसी (सीआरआरआय) को ध्वनि की क्षमता और  उपाय सुझाने का काम दिया है। इसके पहले बांद्रा-कुर्ला संकुल मार्ग ( 8.68 करोड़ ), जेवीएलआर स्थित आयआयटी कैंपस ( 4.11 करोड़ ), पूर्व ईस्टर्न फ्री वे स्थित आणिक-पांजरापोल लिंक रोड ( 76.50 लाख ) और सांताक्रूझ चेंबूर लिंक मार्ग (5.14 करोड़ ) इन कामों के लिए एमएमआरडीए ने टेंडर जारी किया था।

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मार्ग स्थित सायन हॉस्पिटल, किंग्स सर्कल-तुलपुले चौक आणि हिंदमाता उड्डाणपुल इन विभिन्न फ्लाईओवर पर ध्वनिरोधक का काम देते वक्त टेंडर निकाले बिना  एमएमआरडीए प्रशासन ने जे कुमार इस ठेकेदार पर मेहरबानी दिखाते हुए 18.90 करोड़ का काम बहाल करने का आरोप अनिल गलगली ने लगाया हैं। इसके पहले भी जे कुमार ठेकेदार को दहिसर रेलवे ओवर ब्रिज पर रुपये 5.74 करोड़ का टेंडर निकाले बिना 'अतिरिक्त काम' के नाम पर जारी करने काम एमएमआरडीए ने जारी किया था।

बाजार में यहीँ काम न्यूनतम रुपए 9500 प्रति वर्ग मीटर से होते हुए भी एमएमआरडीए प्रशासन ने रुपए 12500  प्रति वर्ग मीटर का महंगा विकल्प का चयन किया जिसके चलते एमएमआरडीए को 4 से 5 करोड़ का घाटा हुआ है।  इसको लेकर आश्चर्य व्यक्त करते हुए अनिल गलगली ने सीएम देवेंद्र फडणवीस, मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय और एमएमआरडीए महानगर आयुक्त यूपीएस मदान को लिखित पत्र भेजकर ताबडतोब योग्य कारवाई करने की मांग की है और टेंडर निकालकर सनदशीर मार्ग से ध्वनिरोधक काम जारी करने पर जोर दिया है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की शिकायत के बाद भी एमएमआरडीए के महानगर आयुक्त यूपीएस मदान कारवाई करने की हिम्मत नही जुटा पा रहे है क्योंकि रविवार को सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ जे कुमार कंपनी के मालिक तथा पिता पुत्र जगदीश गुप्ता और कमल गुप्ता के साथ हुई गुफ्तगी  जिम्मेदार माने जाने की चर्चा एमएमआरडीए मुख्यालय में थी।


Sunday 19 April 2015

सूचना/ आपत्ती स्वीकारने में भी मनपा का नियोजन फेल

मुंबई का वर्ष 2014-2034 इस 20 वर्ष के विकास प्लान पर सूचना/ आपत्ती देने की अपील मनपा आयुक्त द्वारा करने के बावजूद आज विकास प्लान पर सूचना/ आपत्ती स्वीकारने के लिए क्लर्क की किल्लत से मनपा जूझ रहा है। इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा आयुक्त सीताराम कुंटे की लिखित  निवेदन देकर इस काम के लिए स्वतंत्र क्लर्क देने की मांग की है।

अथक सेवा संघ के अध्यक्ष और आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा आयुक्त सीताराम कुंटे को दिए हुए लिखित निवेदन में उनका ध्यान आकृष्ठ किया है कि विकास प्लान तैयार होने के बाद मनपा ने जनता से सूचना/आपत्ती मंगवाई थी। 8 अप्रैल 2015 तक 19 हजार सूचना/आपत्ती प्राप्त हुई है।इस काम के लिए बड़े पैमाने पर क्लर्क की जरुरत होते हुए भी सिर्फ 2 क्लर्क के भरोसे कामकाज शुरु हैं। इससे जनता को सूचना/आपत्ती देने के दौरान परेशानी होती है और कल उन सूचना/आपत्ती को कंप्यूटर पर पंजीकृत करते वक्त 2 क्लर्क को और परेशानी होगी  शनिवार को जनता की बढ़ती हुई भीड़ के मद्देनजर विकास नियोजन विभाग ने गेट क्रमांक 7 के बाहर टेबल लगाकर सूचना/आपत्ती स्वीकारने की जानकारी अनिल गलगली ने दी है।इस पुरे काम के लिए 10 क्लर्क की सख्त जरुरत होते हुए मनपा ने सिर्फ 2 क्लर्क देने की शिकायत करते हुए अनिल गलगली ने तत्काल पर्याप्त क्लर्क देने की मांग की है।

मुंबई का विकास प्लान बनाते वक्त हजारों गलती कर आम जनता के गुस्से का सामना करनेवाली मनपा ने जनता की सूचना/ आपत्ती को स्वीकारने की योजना का नियोजन भी फंसने की टिपण्णी  अनिल गलगली ने आखिर में की है।

पालिकेचे सूचना/ हरकती स्विकारण्याचे नियोजन सुध्दा फसले

मुंबईचा 2014-2034 या 20 वर्षाच्या विकास आराखडयाबाबत सूचना/ हरकती देण्याचे आवाहन पालिका आयुक्तांनी केले असले तरी आज विकास आराखडयाबाबत सूचना/ हरकती स्विकारण्यासाठी लिपिकांची टंचाई भासत आहे. याबाबत आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पालिका आयुक्त सीताराम कुंटे यांस निवेदन देत स्वतंत्र लिपिक वर्ग याकामासाठी देण्याची मागणी केली आहे.

अथक सेवा संघाचे अध्यक्ष आणि आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पालिका आयुक्त सीताराम कुंटे यांस दिलेल्या निवेदनात लक्ष वेधले आहे की विकास आराखडा तयार झाल्यानंतर पालिकेने जनतेकडून सूचना/ हरकती मागविल्या आहेत. 8 एप्रिल 2015 पर्यन्त 19 हजार सूचना/ हरकती प्राप्त झाल्या आहेत. याकामी मोठया प्रमाणात लिपिकांची गरज असताना फक्त 2 लिपिकांवर कामकाज सुरु आहे. यामुळे नागरिकांना सूचना/ हरकती देताना त्रास तर होतो पण उद्या त्या सूचना/ हरकती संगणकावर नोंदणीकृत करताना दमछाक होणार आहे. शनिवारी नागरिकांची भाऊगर्दी पहाता विकास नियोजन खात्याने गेट क्रमांक 7 च्या बाहेर टेबल लावत सूचना/ हरकती स्विकारल्याची माहिती अनिल गलगली यांनी दिली. याकामी 10 लिपिकांची गरज असताना पालिकेने फक्त 2 लिपिक दिले असल्याची तक्रार करत अनिल गलगली यांनी ताबडतोब पर्याप्त लिपिकांची सोय करण्याची मागणी केली आहे.

मुंबईचा विकास आराखडयात असंख्य चुका करत नागरिकांच्या रोषाला बळी पडणा-या पालिकेचे सूचना/ हरकती स्विकारण्याचे नियोजन सुध्दा फसले असल्याची टीका अनिल गलगली यांनी सरतेशेवटी केली.

Bmc Planning also fail to accept Suggestions/Objections

Even though the Brihanmumbai Municipal Corporation's (BMC) Commissioner had appealed for Suggestions/ Objections and the feedback's for the Year 2014 to 2034 development plan (DP) of the island city, it has been observed that the BMC is facing problems of a accepting Suugesstions, Objections and feedback's due to the shortage of clerks, to whom these are to be submitted at the BMC office. RTI activist Anil Galgali has appealed to the Municipal Commissioner Sitaram Kunte to set up an Independent Clerk Desk assigned for this job, for speedy actions.

President of Athak Seva Sangh and RTI activist Anil Galagli has written to the BMC Commissioner Sitaram Kunte that after the formation of the DP for the period of Year 2014 to 2034, BMC itself had asked for the Suggestions and Objections, if any, and it would be Welcomed by the Municipal Body and relevant changes will be made, if found feasible. Till the 8th of April , 2015 in all 19000 Suggestions and Objections were received  by  the BMC from the Common Public. But to handle these regularly incoming suggestions made by the public, a large number of clerks were supposed to be assigned by the BMC. It has been observed that till now only 2 clerks have been assigned for the job. There is a total kiosk to accept these Suggestions/ Objections sent by the public, but the major problem would arise once these feedbacks, Suggestions and Objections would be computerized. So much is the pressure, that the BMC's Development Planning Department on last Saturday accepted Suggestions, Objections or feedback by putting table and chair outside BMC gate no 7.

"If the BMC is serious about accepting our grievances on the DP, and if they want our feedbacks,Suggestions and Objections , 2 clerks are not enough, looking at the number of people visiting BMC for this purpose everyday.  I have requested the BMC commissioner to look into this matter urgently and asked for a minimum of 10 clerks to be assigned for this job" asserted Galgali.

"The BMC is already in the line of fire from the citizens due to the acute mistakes that have cropped up whilst preparation of the DP. Now the citizens of Mumbai are thinking if BMC is actually serious with to accept their suggestions and objections, looking at the arrangements made to accept the same" concludes Galgali. 

Monday 13 April 2015

मोनो रेल का मार्ग बदलने से रखड़ी योजना

हाल ही में  कैग ने मोनो रेल के प्रथम चरण का पोस्टमार्टम कर गंभीर अनियमितता का आरोप लगाया है।वहीँ दुसरी ओर मोनो रेल के द्वितीय चरण में रेषा मार्ग बदलकर 1 किलोमीटर से अधिक वृद्धि की गई है। मुख्यमंत्री और नगर विकास विभाग की अनुमति लिए बिना किए गए बदलाव से एमएमआरडीए को करोड़ों रुपए का आर्थिक घाटा होने का आरोप आरटीआई कार्यकर्ते अनिल गलगली ने लगाया है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से मोनो रेल की बदली गई रेषा मार्ग को लेकर जानकारी मांगी थी।  मोनो रेल के उपपरिवहन नियोजक ने अनिल गलगली को बताया कि जी डी आंबेकर मार्ग स्थित गोरा कुंभार चौक से माने मास्टर चौक तक की रेषा मार्ग में तब्दीली की गई है। अब इस मार्ग के बजाय आचार्य धोंडे और ई बोर्जेस मार्ग ऐसी नई रेषा मार्ग तैयार की गई है। इस नए बदलाव से कितनी मीटर की वृद्धि हुई है और बढ़े हुए खर्च की जानकारी मांगने पे अनिल गलगली की बढ़े हुए खर्च की जानकारी उपलब्ध न होने की बात बताई गई है।इस बदलाव से 383 मीटर का अंतर और बढा है और मूल प्लान में जो रेषा मार्ग 0.717 मीटर का था वह अब 1.1 किलोमीटर इतना हुआ हैं। इससे आंबेडकर नगर स्टेशन पूरीतरह स्थानांतरित हुआ है।

मूल प्लान स्थित रेषा मार्ग को बदलने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा जारी किए गए आदेश की कॉपी मांगने पर अनिल गलगली को बताया गया कि एमएमआरडीए प्राधिकरण ने दिए हुए उचित अधिकार के अधीन रहकर महानगर आयुक्त रत्नाकर गायकवाड की मंजूरी ली गई है। महानगर आयुक्त रत्नाकर गायकवाड ने दिनांक 24 सितंबर 2009 को स्वयं जगह का जायजा लेकर रेषा मार्ग में बदलाव करने की सूचना जारी करने का रिकॉर्ड सब इंजीनियर पी एल कडू ने मोनो रेल से जुड़े हुए दस्तावेजों में दर्ज किया है। महानगर आयुक्त रत्नाकर गायकवाड की मंजूरी के बाद ही दिनांक 19 नवंबर 2010 को उस बदलाव को कार्यांन्वित करने के लिए मोनो रेल के निदेशक विष्णु कुमार ने अधिकृत पत्र जारी किया है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इस मामले को लेकर उसवक्त के 'मिस्टर क्लीन' मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को  पत्र भेजकर जांच की मांग को आज तक सरकारी मुहूर्त मिल नही पाया है। अनिल गलगली ने अब फिर एक बार नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर किसके लाभ के लिए रेषा मार्ग बदलकर उसका ख्याल रखा गया है ? इसकी जांच कर संबंधितों पर योग्य कारवाई करने की मांग की है।



मोनो रेलचा रेषा मार्ग बदल केल्यामुळे योजना रखडली

नुकतेच कैग ने मोनो रेलच्या प्रथम टप्प्याचा पोस्टमार्टम केला असताना मोनो रेलच्या दूस-या टप्प्यात रेषा मार्ग बदलत जवळपास 1 किलोमीटरचा इतकी वाढ करण्यात आली आहे.मुख्यमंत्री आणि नगर विकास खात्याची परवानगी न घेता झालेल्या बदलामुळे एमएमआरडीएस कोटयावधी रुपयांचे आर्थिक नुकसान झाल्याचा आरोप आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी केला आहे.


आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडे मोनो रेलच्या रेषा मार्गात झालेल्या बदलाची माहिती विचारली होती. मोनो रेलचे उपपरिवहन नियोजक यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की जी डी आंबेकर मार्ग येथील गोरा कुंभार चौक ते माने मास्टर चौक पर्यंतची रेषा मार्ग बदल केला आहे. आता या मार्गाऐवजी आचार्य धोंडे आणि ई बोर्जेस मार्ग असा नवीन रेषा मार्ग तयार करण्यात आला आहे. या नवीन बदलामुळे किती मीटर वाढ झाली आणि वाढीव खर्चाची माहिती विचारली असता अनिल गलगली यांस वाढीव खर्चाची माहिती या घडीस उपलब्ध नसल्याचे सांगण्यात आहे. या बदलामुळे 383 मीटरची भर पडली असून पूर्वी जो रेषा मार्ग 0.717 मीटर होता तो आता 1.1 किलोमीटर इतका झाला आहे. यामुळे आंबेडकर नगर स्टेशनच संपूर्णपणे स्थानांतरित करण्यात आले आहे.


नवीन रेषा मार्ग बदल करण्यासाठी मुख्यमंत्र्याने दिलेल्या आदेशाची प्रत मागितली असता अनिल गलगली यांस कळविण्यात आले की एमएमआरडीए प्राधिकरणाने दिलेल्या उचित अधिकारास अधीन राहुन महानगर आयुक्त रत्नाकर गायकवाड यांची मान्यता घेण्यात आली आहे. महानगर आयुक्त रत्नाकर गायकवाड यांनी दिनांक 24 सप्टेबर 2009 रोजी स्वत: जागेची पहाणी करुन रेषा मार्ग बदल करण्याची सूचना केल्याची नोंद सब इंजीनियर पी एल कडू यांनी मोनो रेलच्या कागदपत्रात केली आहे. आहे. महानगर आयुक्त रत्नाकर गायकवाड यांच्या मान्यतेनंतर दिनांक 19 नोव्हेंबर 2010 रोजी त्यांस कार्यांन्वित करण्याबाबत  मोनो रेलचे संचालक विष्णु कुमार यांनी अधिकृत पत्र जारी केले.


आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी याबाबतीत त्यावेळेचे 'मिस्टर क्लीन' मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण यांस पत्र पाठवून केलेल्या चौकशीच्या मागणीला आजपर्यंत सरकारी मुहूर्त सापडला नाही आहे. अनिल गलगली यांनी नव्या दमाचे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पत्र पाठवून कोणाच्या फायद्यासाठी रेषा मार्ग बदलत हित साधले गेले आहे? याची चौकशी करत संबंधितावर योग्य ती कारवाई करण्याची मागणी केली आहे.





Mono Rail opening delay due to change of Alignment

Recently CAG pointed out serious irregularities in Mono Rail Project. MMRDA started projects like Metro & Mono Rail for betterment of Mumbai Traffic. Mono Rail delays in Second phase since last four years due to change of alignment of its root. Due to that the cost of the project is increased and without asking it from Chief Minister & Urban Development Dept.Govt. of Maharashtra, It reveals in a query asked by Anil Galgali.

RTI Activist Anil Galgali asked information from MMRDA about the change of alignment of Mono Rail.  Respond in the query by Dy. Traffic Planner of Mono Rail informed that Gora Kumbhar Chowk to Mane Master Chowk of G.D. Ambekar Marg alignment changed and alternative alignment done by them as Acharya Donde Marg to Dr. E. Borges Marg.   The proposed re-alignment will be 1.1 K.M. length as against existing alignment of 0.717 K.M.  The overall increased in the alignment will be 383 Meter. Anil Galgali asked that how much cost increased due to that alignment, Mono Rail authority replied that no data available with them.  And also asked for Chief Minister’s order copy for the said change of alignment against that Mono Rail authorities replied that then Metropolitan Commissioner  Ratnakar Gaikwad sanctioned the said change of alignment under its power given by MMRDA authorities.  Metropolitan Commissioner Ratnakar Gaikwad visited the site on 24 September 2009 and instructed to change the said alignment. Senior Officer Mr. P.L. Kadu made the proposal which was sanctioned by Metropolitan Commissioner Ratnakar Gaikwad. After proposal sanction Mr Vishnu Kumar, Director of Mono Rail issue final letter to Bmc and other authority on 19 November 2009.

Due to MMRDA Metropolitan Commissioner Ratnakar Gaikwad decision 383 Meter increased in the works of Mono Rail due to change of alignment and its increased the cost of works and also affected the routine works of Mono Rail.  Anil Galgali wrote a letter to Chief Minister of Maharashtra then Prithvi Raj Chavan but Mr Clean CM not take serious action and till no reply send to Galgali. Now Anil Galgali again request to the new CM Devendra Fadnvees and demand that who is getting benefit and whom beneficiary for the said change the alignment of Mono Rail and also demands to enquire the role of the concerned MMRDA Officers. Due to negligence of MMRDA Officers the Mono Rail project is so delayed and also increased the cost of project and traffic problems, said Galgali.



Friday 10 April 2015

मुंबई के 5 टोलनाके से मुंबईकरों को कब मिलेगी मुक्ति ?

संपुर्ण राज्य के टोल को लेकर गौर फरमाते हुए राज्य सरकार ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई शहर को अब तक  वरियता नही दी है। मुंबई के 5 टोलनाके से मुंबईकरों को कब मुक्ति मिलगी ? ऐसा सीधा सवाल आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से किया है।



आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली के अनुसार मुंबई के 5 टोलनाके पर आज भी टोल वसुला जा रहा है। मुंबई की सड़के और पुल का निर्माण और रखरखाव मनपा करती है। इसके बावजूद टोल राज्य सरकार वसूल रही हैं।ये बात अन्यायकारक है और मुंबईकरों को इस  मनमानी और अवैध टोल से मुक्त करने की सख्त जरुरत होने की बात कहकर अनिल गलगली ने इससे मुंबईकरों को मुक्ति देने की मांग की है।

मुंबईच्या 5 टोलनाक्यापासून मुंबईकरांना केव्हा मुक्ति मिळणार ?


संपुर्ण राज्यातील टोल बाबत विचार करताना राज्य सरकारने देशाची आर्थिक राजधानी मुंबई शहरास अद्याप पर्यंत प्राधान्य दिले नाही। मुंबईच्या 5 टोलनाक्यापासून मुंबईकरांना केव्हा मुक्ति मिळणार ?असा थेट सवाल  आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी  मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस केला आहे.


आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या मते मुंबईच्या 5 टोलनाक्यावर आजही टोल घेतला जात आहे. मुंबईतील रस्ते आणि पुलाचे बांधकाम पालिकेने केले असताना टोल राज्य सरकार वसूल करते.  ही बाब अन्यायकारक असुन मुंबईकरांना या मनमानी आणि जाचक टोल पासुन मुक्त करण्याची नितांत आवश्यकता असल्याचे सांगत अनिल गलगली यांनी यापासून मुंबईकरांना मुक्ति देण्याची मागणी केली आहे.

Wednesday 8 April 2015

Mumbai Witnessed 61 deaths in the 5 years due to Swine Flu

The city of Mumbai has witnessed 61 deaths in the last 5 years due to Swine Flu. The Government has failed to control and put a permanent halt on this ever growing disease. Out of 61 deaths recorded in last 5 years, 20 persons were belonging to other cities than Mumbai, claims RTI Activists Anil Galgali, who had sought information from the Public Health Department of MCGM.

Rti Activists Anil Galgali had sought information from the Public Health department of the MCGM regarding Casualties and number of patienrs admitted due to Swine Flu in the whole of BMCs jurisdiction. MCGM  Epidemic Control Department's Deputy Health Officer (DHO) informed Anil Galgali that since the year 2010 to 2014 in all 1301 patients with Swine Flu reported and 33 were dead in this period. In the year 2015, till the 15th of March, out of 1150 persons diagnosed of Swine Flu, 450 were admitted to hospitals and 8 patients have been reported dead due to the disease. Also out of the total 149 people from outside Mumbai 131 are already undergoing treatments at various hospitals. Amongst outsiders, 20 people have been already dead. Galgali says, " what is matter of concern and shocking is that in comparison to 2010 the death rate is more in the first three months of 2015 then in 2010. Till now in Mumbai 8, and from outside Mumbai 20, so in all 28 people have been dead. Looking at these figures, I have requested Chief Minister Devendra Fadnavis and BMC Commissioner Sitaram Kunte for arranging seperate funds go tackle this dangerous disease"

    # No separate funds.

In RTI query Anil Galgali had asked for the funds that were made available to tackle Swine Flu by the Centre, State Government and MCGM, it was told that no such separate fund has been organized or given to the Epidemic Control Department of the MCGM. But, even if there is no separate funds available, all the MCGM Hospitals are well equipped with all the facilities required to tackle the deadly disease."Oseltmiveer" the drug that is prescribed against Swine Flue is also available in plenty in all the hospitals. The testing of swine Flu facility is made available at the PCR laboratory at Kasturba, Haffkine Laboratory and various other private laboratories. The public helpline has been started at one can dial 24114000 to report the same. 

मुंबईत स्वाईन फ्ल्यूमुळे 5 वर्षात 61 रुग्ण दगावले

मुंबई शहरात स्वाईन फ्ल्यू या आजाराच्या नियंत्रण व प्रतिबंधासाठी महापालिकेचे प्रयत्न सुरु असताना स्वाईन फ्ल्यूमुळे 5 वर्षात 61 रुग्ण दगावल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस सार्वजनिक आरोग्य खात्याने दिली असून मुंबई बाहेरील 20 रुग्णाचा यात समावेश आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पालिका प्रशासनाकडे मुंबई पालिका हद्दीतील स्वाईन फ्ल्यू या आजाराबाबत माहिती विचारली होती.पालिकेच्या साथरोग विभागाच्या उप कार्यकारी आरोग्य अधिकारी यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की वर्ष 2010 पासून 2014 पर्यन्त 1301 अशी रुग्णाची संख्या होती आणि 33 रुग्णाचा मृत्यु झाला. वर्ष 2015 मधील 15 मार्च पर्यन्त मुंबईतील 1150 पैकी 450 रुग्ण दाखल झाले असून त्यापैकी 8 रुग्णाचा मृत्यु झाला. त्याचशिवाय मुंबई बाहेरील 149 पैकी 131 रुग्ण उपचारासाठी दाखल झाले. यापैकी 20 रुग्णाचा मृत्यु झाला. वर्ष 2010 च्या तुलनेत वर्ष 2015 च्या पहिल्या 3 महिन्यात मृत्युची वाढती संख्या चिंताजनक आहे. मुंबईतील 8 आणि मुंबई बाहेरील 20 असे एकूण 28 रुग्ण दगावले आहेत. स्वाईन फ्ल्यू या आजाराचे गांभीर्य लक्षात घेता शासन आणि पालिकेने भरीव प्रमाणात स्वतंत्र निधी उपलब्ध करुन देण्याची मागणी अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि पालिका आयुक्त सीताराम कुंटे यांस लिहिलेल्या पत्रात केली आहे.

     # स्वतंत्र निधी नाही

स्वाईन फ्ल्यू या आजारावर नियंत्रण आणि प्रतिबंधक उपाययोजना करण्याकरिता केंद्र, राज्य आणि पालिकेने दिलेल्या निधीची माहिती विचारली असता अनिल गलगली यांस सांगण्यात आले की या बाबतीत साथरोग नियंत्रण कक्षाकडे स्वतंत्र निधी उपलब्ध नाही. तरीही या आजाराच्या उपचाराची सुविधा मनपाच्या सर्व रुग्णालयामध्ये कार्यरत असून ओसेलटमीवीर या औषधाचा पुरेसा साठा उपलब्ध आहे. स्वाईन फ्ल्यूच्या निदानाची सुविधा कस्तुरबा येथील पीसीआर प्रयोगशाळा, हाफकिंन प्रयोगशाळा व काही खाजगी प्रयोगशाळा मध्ये उपलब्ध आहे.जनजागृती सुरु असून हेल्पलाइन 24114000 कार्यान्वित आहे.

मुंबई में स्वाईन फ्ल्यू से 5 वर्ष में 61 मरीजों की मौत

मुंबई शहर में स्वाईन फ्ल्यू इस बीमारी पर नियंत्रण एवमं प्रतिबंध के लिए मनपा का प्रयास सुरु होने के दौरान स्वाईन फ्ल्यू से गत 5 वर्ष में 61 मरीजों की मौत होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने दी है जिसमें मुंबई के बाहरी इलाकों से आए 20 मरीजों का इसमें समावेश है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा प्रशासन से मुंबई मनपा की हद में स्वाईन फ्ल्यू इस बीमारी की जानकारी मांगी थी। मनपा के संसर्गजन्य विभाग की उप कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी ने अनिल गलगली को बताया कि वर्ष 2010 से 2014 तक 1301 ये मरीजों की संख्या थी और उसमें से 33 मरीजों की मौत हुई हैं। वर्ष 2015 के 15 मार्च तक मुंबई के 1150 में से 450 मरीज इलाज के लिए दाखिल हुए और उसमें से 8 मरीजों की मौत हुई है। इसके अलावा मुंबई के बाहरी हिस्सों से 149 में से 131 मरीज इलाज के लिए दाखिल हुए। इसमें से 20 मरीजों की मौत हुई हैं। वर्ष 2010 की तुलना में वर्ष 2015 का प्रथम 3 महीने में मौत की बढ़ती हुई संख्या चिंताजनक हैं। मुंबई के 8 और मुंबई के बाहर वाले 20 ऐसे कुल 28 मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी हैं।स्वाईन फ्ल्यू इस बीमारी कि गंभीरता को ध्यान में रखकर सरकार और मनपा बड़े पैमाने पर स्वतंत्र फंड उपलब्ध करने की मांग अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मनपा आयुक्त सीताराम कुंटे को लिखे हुए पत्र में की हैं।

     # स्वतंत्र फंड नही

स्वाईन फ्ल्यू इस बीमारी पर नियंत्रण और प्रतिबंधक उपाययोजना करने के लिए केंद्र, राज्य और मनपा ने दिए हुए फंड की जानकारी मांगने पर अनिल गलगली को बताया गया कि इसको लेकर संसर्गजन्य नियंत्रण कक्ष के पास स्वतंत्र फंड उपलब्ध नही कराया गया है। इस बीमारी क्व इलाज की सुविधा मनपा के सभी अस्पताल में है और अस्पतालों में 'ओसेलटमीवीर' ये दवा जो स्वाईन फ्ल्यू की रोकथाम में कारगर मानी जाती है, उसकी पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है। स्वाईन फ्ल्यू के निदान की सुविधा कस्तुरबा स्थित पीसीआर प्रयोगशाळा, हाफकिंन प्रयोगशाळा एवमं कुछ निजी प्रयोगशाळा में उपलब्ध है। जनजागरण शुरु है और हेल्पलाइन 24114000 कार्यान्वित है।

Monday 6 April 2015

मुंबई एयरपोर्ट की जमीन घपले की कहानी

मुंबई एयरपोर्ट के इर्द गिर्द बसी बस्तियों को हटाकर करीब 84 हजार परिवारों को उजाड़ने का सरकारी अफसर, निजी कंपनी, दलाल और बिल्डर लॉबी का प्लान फिर एक बार उफान पर है और भाजपा सरकार द्वारा इसे जाने अनजाने में अमल में लाने के प्रयास में है । मेट्रो 3 की तरह एयरपोर्ट विकास के नाम पर 4 से 5 लाख लोगों को उजाडने पर स्थानीय जनता का विरोध है। एयरपोर्ट के विकास के नाम पर बिल्डर, जीवीके कंपनी और राजनेताओं को कमाई के नजरिये से प्रफुल्लित करनेवाली योजना में 20 हजार करोड़ का घपला भी है।

मुंबई एयरपोर्ट के इर्द गिर्द बसी बस्तियों को हटाकर एयरपोर्ट को विकास करने की मूल योजना वर्ष 1998 में सर्वप्रथम सामने आई। उसवक्त के नागरी उड्डयन मंत्री शरद यादव ने लोकसभा में इस बात का खुलासा किया था कि 84 हजार परिवारों को घर देकर सरकार उनका उचित पुर्नवास करेगी। इस योजना के तहत जरीमरी के रफीक नगर बस्ती का प्रायोगिक तत्व पर चयन किया गया । रफीक नगर के 2160 झोपड़ों को हटाने के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ने महाराष्ट्र सरकार की निजी कंपनी शिवशाही पुर्नवसन लिमिटेड कंपनी से 25 करोड़ का समझोता किया। इस समझोते के तहत वर्ष 2002 में दिंडोशी के संतोष नगर में बिल्डिंग बनाकर रफीक नगर के 2160 परिवारों को बसाने की पहल शुरु हुई। ये योजना सचमुच में अच्छी थी और गरीबों का जीवनमान उंचा करने के लिए सहायक साबित होती लेकिन सरकारी योजना का गलत लाभ लेकर सरकार को चूना लगाने की राजनेताओं की गंदी मानसिकता से रफीक नगर की प्रायोगिक तत्व वाली योजना आगे बढ़ नही पायी। इतना ही नही, कई लोगों ने अपने फ्लैट बेच दिए और फिर जरीमरी में आकर बस गए। आज भी वहां की स्थिति बद से बदतर है और सरकार की योजना पुरी तरह विफल साबित हुई। इस योजना में करीब 800 फ्लैट उन लोगों को मिले जिनका जरीमरी से दूर का भी संबंध नही था और फर्जी कागजात के दम पर फ्लैट पाने में सफल हुए थे।

अब 13 वर्ष के बाद दोबारा पुर्नवास का भुत जनता के सिर पर मंडरा रहा है। अब झोपड़े की संख्या करीब 1.25 लाख तक पहुंच गई है। मुंबई एयरपोर्ट को विकसित करने के लिए निजी कंपनी जीवीके आगे आई। एयरपोर्ट के नाम पर आसपास की स्लम बस्तियों पर इनकी नजरे गढ़ी है जो आज के वक्त में भी सोने का भाव देने के लिए सक्षम है। जीवीके ने विवादित बिल्डर एचडीआईएल से सौदा कर उसे विद्याविहार में 17000 फ्लैट बनाने का छुपा एग्रीमेंट किया और एसआरए ने करोड़ों रुपए का एफएसआई दिया। वही एचडीआईएल को  276 में से करीब 65 एकड़ जमीन मिलने वाली थी और जीवीके को बची हुई  जमीन। जबकि जीवीके ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया की अनुमति लिए बिना इतना बड़ा सौदा कर बिल्डर और उनकी कंपनी को प्रफुल्लित किया। इसके पहले केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार की निजी कंपनी से फ्लैट खरीदकर काम किया था जिसमें एयरपोर्ट अथॉरिटी का लाभ भी हुआ और रफीक नगर हटने से रनवे विस्तारित हुई थी। एनडीए सरकार के कार्यकाल में निजी कंपनी को दूर रखने का लिया हुआ फैसले के खिलाफ यूपीए सरकार गई। कांग्रेस और एनसीपी से नजदीकी संबंधो के चलते एचडीआईएल को एयरपोर्ट में डायरेक्ट एंट्री मिली। एचडीआईएल ने समय अवधि में फ्लैट 100 प्रतिशत न बनाने से जीवीके ने आनन फानन में एग्रीमेंट तोड़ दिया। जिसे एचडीआईएल ने कोर्ट में चुनौती भी दी थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर जीवीके के पक्ष में फैसला सुनाया। सबसे ताज्जुब की बात ये है कि किसी को फ्लैट दिए बिना ही एसआरए और सरकार एचडीआईएल एवमं जीवीके पर इतनी मेहरबान हुई कि करोड़ों रुपए का एफएसआई जारी किया गया।

हाल ही में एयरपोर्ट पुर्नवास में होने वाली देरी और फर्जीवाड़ा के चलते मामला ठंडे बस्ते में गिरा। एसआरए ने यहां के फ्लैट मनपा और एमएमआरडीए को देने के लिए कदम उठाते ही 13 वर्ष से बोतल में बंद भूत अचानक बाहर आ गया। एयरपोर्ट से जुडी हुई बस्ती और लोगों के दर्द की हवा में कांग्रेस और एनसीपी की जीत उड़ गई। इस लड़ाई में विनायक राऊत, पराग अलवनी और निकोलस अल्मेडा जैसे लोगों की प्रमुख भूमिका थी जो 5-6 दशक से रहनेवालों को बेघर होने के विरोध में खड़े हुए और उनका पुर्नवास वहीँ पर करने के लिए लड़े थे।  आज भी कोई भी परिवार बाहर नही जाना चाहता है। संजय तिवारी से लेकर अखिलेश तिवारी, सिराज अहमद खान से लेकर अर्शद अमीर का तर्क लाजमी है कि एसआरए है तो बाहर क्यों? यही पर गरीबों को बसाना चाहिए। सरकार वोटिंग लिस्ट के मुताबिक़ पुर्नवास करती है तो फर्जीवाड़ा करनेवाले फ्लैट तो दूर की बात जेल की हवा खा सकते है जैसे वर्ष 2006 में मीठी नदी फर्जीवाड़ा मामले में 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। स्थानीय सांसद पूनम महाजन भी उचित हल की मांग कर रह है क्योंकि यहां पर 60 प्रतिशत लोग फर्जीवाड़ा कर घुसपैठ कर चुके है। चांदीवली से विधायक मोहम्मद आरिफ नसीम खान ने हाल ही में मुख्य मंत्री से बैठक ली थी। खान ने एक नही दो बार फर्जीवाड़ा करनेवालों पर सख्त कारवाई के लिए पहल कर चुके है।

मेट्रो 3 के तर्ज पर एयरपोर्ट के बासिंदे विरोध में है। जब मुंबई के बाहर नई मुंबई में नया एयरपोर्ट बन रहा है तो यहां के लोगों को विस्थापित करने का तुक क्या है? सरकार और नेता आखिर किसका भला करना चाहती है? एनडीए सरकार की मूल योजना को बगल में रखकर बिल्डर,कॉरपोरेट और दलालों को भेंट कराने के लिए अफसरशाही क्यों बेताब है? इन सवालों का जबाब सीबीआई जांच से ही सामने आ सकता है।


Friday 3 April 2015

मेट्रोवर स्वर्ग आणि मेट्रो खाली नरक


वर्सोवा ते घाटकोपर या भागात धावणा-या मेट्रो खालील अस्वच्छता आणि अव्यवस्थाबाबत एमएमआरडीएने आपले हात झटकत मुंबई मेट्रो खालच्या परिसरांची दुरुस्ती आणि सुशोभिकरण कामाची जबाबदारी पालिका आणि एमएमओपीएलची असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिली आहे. मेट्रो खाली फ्लावर बेड सुशोभिकरण करण्यास स्वतः एमएमओपीएलने इच्छा दाखवूनही 823 दिवसापासून काम करत नसल्याचे स्पष्ट झाले आहे.

वर्सोवा ते घाटकोपर या भागात धावणा-या मेट्रो खालील पसरलेली अस्वच्छता आणि अव्यवस्थाबाबत आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनास माहिती विचारली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांस कळविले की वर्सोवा ते घाटकोपर या भागात धावणा-या मेट्रो खालील रस्ते, फुटपाथ, सीवरेज लाईन दुरुस्तीचे काम मुंबई महानगरपालिका यांचे असून फ्लावर बेड सुशोभिकरणाचे काम एमएमओपीएल यांचे आहे. मेट्रो खाली असलेल्या पिलर मधील भागाचे सुशोभिकरण केले गेले नसून हे काम करण्याची जबाबदारी कोणाची असल्याचे अनिल गलगली यांनी विचारले असता सदर काम हे मे. मुंबई मेट्रो -1 प्रा. लिमिटेडने करायचे असल्याची माहिती दिली गेली आहे. काम न केल्याबाबत  मेट्रो कंपनी कंत्राटदारास बजावलेली नोटिस किंवा दंडात्मक कारवाईची माहिती मागितली असता एमएमआरडीएने  दिनांक 17 ऑक्टोबर 2012 रोजी मुंबई मेट्रो वन प्रायवेट लिमिटेड या कंपनीने सुशोभिकरण करण्यासाठी मागितलेली परवानगीची प्रत  दिली. एमएमआरडीएतील परिवहन आणि दळणवळण विभागाचे प्रमुख पी आर के मूर्ति यांनी 1 जानेवारी 2013 रोजी 15 अटीच्या शर्तीवर परवानगी दिली. पण मेट्रो वन कंपनीने 29 महीने काहीच काम केले नाही यामुळे पी आर के मूर्ति यांनी दिनांक 3 मार्च 2015 रोजी कंपनीचे योजना हेड आणि व्होलटाइम संचालक भारत बी मोदगिल यांस पत्र पाठवून त्यांस दिलेल्या परवानगीची आठवण करुन देत ताबडतोब सुशोभिकरण काम करण्याची सूचना केली.


अश्याप्रकारे एमएमआरडीए प्रशासनला उल्लू बनवत मेट्रो कंपनी मुंबईकरांच्या जीवाशी खेळत असल्याचा आरोप अनिल गलगली यांनी केला. मेट्रोवर स्वर्ग आणि मेट्रो खाली नरक अशी अवस्था करणा-या मेट्रो कंपनीवर एमएमआरडीएने कारवाई करावी आणि पालिकेस त्यांची कामे करण्याची सुचना देत सर्वसामान्य नागरिकांचे होणारे हाल थांबवावेत,अशी मागणी अनिल गलगली यांनी सरते शेवटी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस कडे केली आहे.

मेट्रो स्टेशन पर स्वर्ग और मेट्रो के तले नरक

वर्सोवा से घाटकोपर इस हिस्से में दौड़नेवाली मेट्रो के तले गंदगी और अव्यवस्था पर एमएमआरडीए ने अपना हाथ ऊपर करते हुए मुंबई मेट्रो के तले स्थित क्षेत्र की मरम्मत और सुशोभिकरण काम की जिम्मेदारी मनपा एमएमओपीएल की होने की जानकारी आरटीई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी है। मेट्रो पिलर के तले फ्लावर बेड का सुशोभिकरण करने के लिए स्वयं आगे आई एमएमओपीएल ने इच्छा जताकर भी 823 दिनों से काम न करने की बात स्पष्ट हुई हैं।

वर्सोवा स्व घाटकोपर इस हिस्से में दौड़नेवाली मेट्रो के तले फैली गंदगी और अव्यवस्था को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि वर्सोवा से घाटकोपर इस हिस्से में दौड़नेवाली मेट्रो के तले स्थित सड़क, फुटपाथ, सीवरेज लाईन मरम्मत का काम मुंबई महानगरपालिका का है और फ्लावर बेड सुशोभिकरण का काम एमएमओपीएल कंपनी का हैं। मेट्रो के तले स्थित पिलर के हिस्से के बीच का सुशोभिकरण का काम नही किया गया है। ये काम करने की जिम्मेदारी किसकी होने की जानकारी अनिल गलगली द्वारा पूंछने पर काम ये जिम्मेदारी मे. मुंबई मेट्रो -1 प्रा. लिमिटेड की होने की जानकारी दी गई। काम न करने पर  मेट्रो कंपनी ठेकेदार को जारी की हुई नोटिस अथवा दंडात्मक कारवाई की जानकारी मांगने एमएमआरडीए द्वारा दिनांक 17 अक्टूबर 2012 को मुंबई मेट्रो वन प्रायवेट लिमिटेड इस कंपनी द्वारा सुशोभिकरण करने की मांगी हुई अनुमति की कॉपी दी। एमएमआरडीए के ट्रांसपोर्टेशन एंड कम्युनिशन विभाग के प्रमुख पी आर के मूर्ति ने 1 जनवारी 2013 को 15 शर्तों पर अनुमति देने की बात सामने आई लेकिन मेट्रो वन कंपनी ने 29 महीने में कुछ भी काम नहि किया जिसके चलते पीआरके मूर्ति ने दिनांक 3 मार्च 2015 को कंपनी के प्रोजेक्ट हेड और व्होलटाइम डायरेक्टर भारत बी मोदगिल को पत्र भेजकर मुंबई मेट्रो कंपनी को दी हुई अनुमति की याद दिलाते हुए ताबडतोब सुशोभिकरण काम करने की सूचना जारी की हैं।

इसतरह एमएमआरडीए प्रशासन को उल्लू बनाकर मेट्रो कंपनी मुंबईकरों के जीवन से भी खेलने का आरोप अनिल गलगली का हैं। मेट्रो स्टेशन पर स्वर्ग और मेट्रो के तले नरक ऐसी अवस्था करने वाली मेट्रो कंपनी पर एमएमआरडीए कारवाई करे और मनपा को उसके हिस्से का काम करने की सूचना देकर आम लोगों की परेशानी दूर करने की मांग अनिल गलगली ने आखिर में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास की हैं।


Mumbai Metro Reality,Top Heaven below Hell

The Mumbai Metro running between Versova to Ghatkoper is in news again, this time it relates as to on whom the onus is it to repair, decorate and maintain the portion below where the Metro runs. The onus of the repairs and maintenance of the area below the metro line, its decoration has been a responsibility of the BMC and on the MMOPL. Even though MMOPl had initiated, that it would decorate the flower bed, the same work has been neglected by the MMOPl for now nearly 823 days. Its revels in RTI query filed by RTI Activists Anil Galgali.

RTI activist Anil Galgali had sought information through RTI in relation to the non maintenance of areas below where the metro runs to the MMRDA. In reply to this query MMRDA said that the roads, footpath, sewerage lines running below the Metro from Versova to Ghatkoper is strictly under the BMC, wheareas the decoration of the flower beds belongs to the MMOPL. Also the space between the huge pillars on standing the roads, its decoration, repairs and maintenance, is the job of Mumbai Metro -1 Pvt Ltd, the reply to the RTI stated. In relation as to what action was initiated by the MMRDA on seeing the non completion of the works, it handed over a copy of the permission given to the Mumbai Metro 1  Pvt Ltd for the decoration of area below the Metro. PRK Murthy, Chief, Transportation of MMRDA on the 1st January 2013 had given the permission so that all the conditions will be fulfilled. But in a clear case of non performance of the duty for a good 29 months. PRK Murthy has slammed a letter on the 3rd March 2015 to the head of planning and whole time Director Bharat B Modgil and reminded them of the terms and conditions and asking for the immediate beginning of the decoration work.

"The Mumbai Metro company is clearly playing with the MMRDA, but woth this they are also playing with the lives of Mumbaikers. On top we have heaven, but below the Metro, the common Mumbaikar faces hell" claims Anil Galgali. Anil Galgali in a letter to the Chief Minister Devendra Fadnavis has urged the MMRDA to take a strict action on mumbai metro company for non complaince and also instructed the BMC to begin the work assigned to them.