Friday 28 September 2018

महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड ने 5 महीने में वर्सोवा, वसई और मांडवा से कीचड़ निकालने पर खर्च किए 22 करोड़ 

महाराष्ट मेरीटाईम बोर्ड द्वारा वर्सोवा, वसई औए मांडवा स्थित कीचड़ निकलने के लिए गत 5 महीने में 22 करोड़ रुपए निजी यंत्रणा पर खर्च करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता को महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड ने दी हैं। महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड के पास स्वतंत्र ड्रेजर व्यवस्था होते हुए भी निजी यंत्रणा पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड से गत 3 वर्ष में निकाले गए कीचड़ की जानकारी मांगी थी। महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड के सागरी अभियंता ने अनिल गलगली बताया कि महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड के ड्रेजर द्वारा वर्ष  2016- 17 में गोराई जेट्टी से अप्रैल एप्रिल 2016 से मई 2017 इस दौरान 27,300 घन मीटर कीचड़ निकाला गया। बोरीवली जेट्टी से जनवरी 2017 से मार्च 2017 इस दौरान 23,750 घन मीटर और देवबाग (कल्याण ) से अक्टूबर 2016 से मई 2017 इस दौरान 36,581 घन मीटर कीचड़ निकाला गया। वर्ष 2017-2018 के अप्रैल 2017 से मई  2017 इस दौरान महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड के ड्रेजर द्वारा बोरीवली जेट्टी से 17,250 घन मीटर कीचड़ निकाला गया।

उसके बाद महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड ने निजी यंत्रणा की मदद लेते हुए  5 महीने में 22 करोड़ 14 लाख 43 हजार 470 रुपए खर्च किए है। महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड ने मेसर्स समुद्रा ड्रेजिंग प्रा.लि इस कंपनी को नवंबर 2017 से दिसंबर 2017 इस दौरान 45,988 घन मीटर कीचड़ निकालने के लिए 1 करोड़ 66 लाख 93 हजार 644 रुपए अदा किए हैं। महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड ने मेसर्स समुद्रा ड्रेजिंग प्रा.लि इस कंपनी को दिसंबर 2017 से फरवरी 2018 इस दौरान वर्सोवा स्थित 1,28,586 घन मीटर कीचड़ निकालने के लिए 3 करोड़  93 लाख 47 हजार 316 रुपए अदा किए हैं। महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड ने मेसर्स रॉक अँण्ड रिफ ड्रेजिंग प्रा.लि इस कंपनी को जनवरी 2018 से मार्च 2018 इस दौरान मांडवा स्थित 1,72,557 घन मीटर कीचड़ निकालने के लिए 6 करोड़ 72 लाख 97 हजार 230 रुपए अदा किए हैं। महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड ने मेसर्स रॉक अँण्ड रिफ ड्रेजिंग प्रा.लि इस कंपनी को अप्रैल 2018 से मई  2018 इस दौरान मांडवा स्थित 2,51,552 घन मीटर कीचड़ निकालने के लिए 9 करोड़ 81 लाख 05 हजार 280 रुपए अदा किए हैं।

अनिल गलगली के अनुसार महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड के पास स्वयं की ड्रेजर यंत्रणा होते हुए भी निजी यंत्रणा की मदद ली हैं। इसलिए निकाला हुआ कीचड़ और कीचड़ को जिस डंपिंग ग्राउंड में डंप किया गया हैं उसकी जानकारी को महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड ने सार्वजनिक करना जरुरी हैं, इसलिए बोर्ड को उसतरह का आदेश देने का अनुरोध गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे हुए पत्र में करते हुए भविष्य में बोर्ड के ही ड्रेजर से कीचड़ निकालने पर जोर दिया हैं।

मेरीटाईम बोर्डाने 5 महिन्यात वर्सोवा, वसई आणि मांडवातील गाळ उपसणीवर 22 कोटी खर्च केले

महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्ड तर्फे वर्सोवा, वसई आणि मांडवातील गाळ उपसणीवर गेल्या 5 महिन्यात 22 कोटी खाजगी यंत्रणेवर खर्च केले असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्डाने दिली आहे. महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्डाकडे स्वतंत्र ड्रेजर व्यवस्था असताना खाजगी यंत्रणेवर कोट्यावधी रुपये खर्च केले गेले आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्डाकडे गेल्या 3 वर्षात केलेल्या गाळ उपासणीची माहिती मागितली होती. महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्डाचे सागरी अभियंता यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्डाच्या ड्रेजर तर्फे वर्ष 2016- 17 मध्ये गोराई जेट्टी येथून एप्रिल 2016 ते मे 2017 या कालावधीत 27,300 घन मीटर गाळ काढण्यात आला. बोरीवली जेट्टी येथून जानेवारी 2017 ते मार्च 2017 या कालावधीत 23,750 घन मीटर आणि देवबाग (कल्याण ) येथून ऑक्टोबर 2016 ते मे 2017 या कालावधीत 36,581 घन मीटर गाळ काढण्यात आला. वर्ष 2017-2018 च्या एप्रिल ते मे 2017 या कालावधीत महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्डाच्या ड्रेजर तर्फे बोरीवली जेट्टी येथून 17,250 घन मीटर गाळ काढण्यात आला. 

त्यानंतर महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्डाने खाजगी यंत्रणेची मदत घेत 5 महिन्यात 22 कोटी 14 लाख 43 हजार 470 रुपये खर्च केले. महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्डाने मेसर्स समुद्रा ड्रेजिंग प्रा.लि या कंपनीला नोव्हेंबर 2017 ते डिसेंबर 2017 या कालावधीत वसई येथील 45,988 घन मीटर गाळ काढण्यासाठी 1 कोटी 66 लाख 93 हजार 644 रुपये अदा केले आहे. महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्डाने मेसर्स समुद्रा ड्रेजिंग प्रा.लि या कंपनीला डिसेंबर 2017 ते फेब्रुवारी 2018 या कालावधीत वर्सोवा येथील 1,28,586 घन मीटर गाळ काढण्यासाठी 3 कोटी 93 लाख 47 हजार 316 रुपये अदा केले आहे. महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्डाने मेसर्स रॉक अँण्ड रिफ ड्रेजिंग प्रा.लि या कंपनीला जानेवारी 2018 ते मार्च 2018 या कालावधीत मांडवा येथील 1,72,557 घन मीटर गाळ काढण्यासाठी 6 कोटी 72 लाख 97 हजार 230 रुपये अदा केले आहे. महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्डाने मेसर्स रॉक अँण्ड रिफ ड्रेजिंग प्रा.लि या कंपनीला एप्रिल 2018 ते मे 2018 या कालावधीत मांडवा येथील 2,51,552 घन मीटर गाळ काढण्यासाठी 9 कोटी 81 लाख 05 हजार 280 रुपये अदा केले आहे. 

अनिल गलगली यांच्या मते महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्डाकडे स्वतंत्र ड्रेजर यंत्रणा असताना खाजगी यंत्रणेची मदत घेतली गेली असून याबाबत काढलेला गाळ आणि तो गाळ ज्या डम्पिंग ग्राउंडमध्ये टाकण्यात आला त्याची माहिती महाराष्ट्र मेरीटाईम बोर्डाने सार्वजनिक करणे आवश्यक आहे आणि तसे आदेश देण्याची विनंती गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस लिहिलेल्या पत्रात करत भविष्यात बोर्डाच्या ड्रेजर मार्फत गाळ उपासणी करण्यावर जोर दिला आहे.

MAHARASHTRA MARITIME BOARD HAS SPENT 22 CRORES IN DERDGING AT VASAI, VERSOVA & MANDWA

Maharashtra Maritime Board has provided information to the RTI Activist Anil Galgali that 22 Crore was spent for dredging at Vasai, Versova & Mandwa in last five months. Though Maharashtra Maritime Board had its own dredgers then also crores of money was spent on private vessels.


RTI Activist Anil Galgali had sought information regarding dredging by Maharashtra Maritime Board in last three years. Marine Engineer & Chief Surveyor of the Maharashtra Maritime Board had informed Anil Galgali that dredger owned by Maharashtra Maritime Board had dredged a quantity of 27, 300 Cu M from the Gorai Jetty  during the period of April 2016 to May 2017, 23, 750 Cu M from the Borivali Jetty  during the period of January 2017 to March 2017, 36, 581 Cu M from Deobag (Kalyan) during the period of October 2016 to May 2017 & 17, 250 Cu M from the Borivali Jetty  during the period of April 2017 to May 2017.


Thereafter, Maharashtra Maritime Board expended an amount of 22, 14, 43, 470 rupees in 05 months on hiring of private vessels. Maharashtra Maritime Board has credited M/s Samudra Dredging Pvt. Ltd. An amount of RS. 1, 66, 93, 644 rupees for dredging of 45, 988 Cu M for dredging during November 2017 to December 2017.  Maharashtra Maritime Board has credited M/s Samudra Dredging Pvt. Ltd. an amount of RS. 3, 93, 47, 000 rupees for dredging of 1, 72, 557 Cu M for dredging during January 2018 to March 2018. During this time 6, 72, 97, 230 rupees were spent on dredging at Mandwa for a quantity of 1, 72, 557 Cu M. Maharashtra Maritime Board has credited M/s Rock & Reef Dredging Pvt. Ltd. an amount of 9, 81, 05, 280 rupees for dredging of 1, 72, 557 Cu M  during April 2018 to May 2018.


According to Anil Galgali, though Maharashtra Maritime Board has its own dredgers, it had gone for resources of private companies. Therefore the amount dredged and the same dumped in any dumping location must be made in public domain by the Maharashtra Maritime Board. Therefore, Anil Galgali has by has addressed letter to Chief Minister Devendra Fadnavis requesting him further for using MMB owned vessels for dredging operation.

Tuesday 18 September 2018

मुंबई मनपा में प्रयोगशाला तकनीशियन और औषध निर्माता पद रिक्त

मुंबई महानगरपालिका के अंतर्गत आनेवाली सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग में अस्पताल में महत्वपूर्ण ऐसी प्रयोगशाला तकनीशियन और औषध निर्माता पद रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई महानगरपालिका के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने दी हैं. प्रयोगशाला तकनीशियन की 67 और औषध निर्माता की 62 पद रिक्त होने से आम मरीजों को निजी सेवा लेने की माहौल बनाया गया हैं. 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई महानगरपालिका के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने प्रयोगशाला तकनीशियन, औषध निर्माता और क्ष-किरण तकनीशियन इन पदों की जानकारी मांगी थी. मुंबई महानगरपालिका के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने सह प्रमुख कर्मचारी अधिकारी 
( स्वास्थ्य ) मीनल पानट ने अनिल गलगली ने कुल पद और रिक्त पदों के आंकड़े दिए. इन आंकड़ों के अनुसार प्रयोगशाला तकनीशियन की कुल 203 पद हैं और 67 पद रिक्त हैं वहीं  औषध निर्माता यह 62 पद रिक्त है जबकि कुल पद की संख्या 234 हैं. क्ष-किरण तकनीशियन इन पद की कुल संख्या 14 हैं जबकि एकही पद रिक्त हैं. प्रयोगशाला तकनीशियन और औषध निर्माता यह पद महत्त्वपूर्ण होते हुए आम मरीजों को मजबूरन बाहरी निजी सेवा लेने के लिए प्रवृत्त किया जा रहा हैं और जानबूझकर इन पदों को रिक्त रखने का आरोप अनिल गलगली ने किया हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मनपा आयुक्त अजोय मेहता को लिखे पत्र में अनिल गलगली ने प्रयोगशाला तकनीशियन और औषध निर्माता यह दोनों रिक्त पदों पर नियुक्ति करने की मांग की हैं..

मुंबई महानगरपालिकेत प्रयोगशाळा तंत्रज्ञ आणि औषध निर्माता पदे रिक्त

मुंबई महानगरपालिकेच्या अख्यत्यारीत येणारी सार्वजनिक आरोग्य खात्यात रुग्णालयात महत्वाची दुवा ठरणारी प्रयोगशाळा तंत्रज्ञ आणि औषध निर्माता पदे रिक्त असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई महानगरपालिकेच्या सार्वजनिक आरोग्य खात्याने दिली आहे. प्रयोगशाळा तंत्रज्ञ ही 67 आणि औषध निर्माता ही 62 पदे रिक्त असल्यामुळे सामान्य रुग्णांना खाजगी सेवा घेण्याची परिस्थिती निर्माण करण्यात आली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई महानगरपालिकेच्या सार्वजनिक आरोग्य खात्याने प्रयोगशाळा तंत्रज्ञ, औषध निर्माता आणि क्ष-किरण तंत्रज्ञ या पदाची माहिती मागितली होती. मुंबई महानगरपालिकेच्या सार्वजनिक आरोग्य खात्याचे सह प्रमुख कर्मचारी अधिकारी ( आरोग्य ) मीनल पानट यांनी अनिल गलगली यांस एकूण पदे आणि रिक्त पदांची आकडेवारी दिली. या आकडेवारीच्या अनुसार प्रयोगशाळा तंत्रज्ञ ही एकूण 203 पदे असून 67 पदे रिक्त आहेत तर औषध निर्माता ही 62 पदे रिक्त असून एकूण पदाची संख्या 234 आहे. क्ष-किरण तंत्रज्ञ या पदाची एकूण संख्या 14 असून फक्त 1 पद रिक्त आहे. प्रयोगशाळा तंत्रज्ञ आणि औषध निर्माता ही पदे महत्त्वाची असून सामान्य रुग्णांना नाईलाजाने बाहेरील खाजगी सेवा घेण्यासाठी प्रवृत्त केले जात असून जाणूनबुजून ही पदे रिक्त ठेवल्याचा आरोप अनिल गलगली यांनी केला आहे. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि पालिका आयुक्त अजोय मेहता यांस लिहिलेल्या पत्रात अनिल गलगली यांनी प्रयोगशाळा तंत्रज्ञ आणि औषध निर्माता ही दोन्ही रिक्त पदे भरण्यासाठी संबंधितांना आदेश देण्याची मागणी केली आहे.

Posts of Lab Technician and Pharmacists lying vacant at Mumbai Municipal corporation Hospitals

The Hospital's under the Public Health Department of the Mumbai Municipal corporation have under staffed the posts of Lab Technician and Pharmacists as per the information provided by the Public Health Department to RTI Activist Anil Galgali. A total of 67 Lab Technician and 62 pharmacists posts are lying vacant in various hospitals all over Mumbai leading to patients being forced to take services of private labs.

RTI Activist Anil Galgali had sought information about the details of posts of Lab Technician, Pharmacists and X Ray Technicians from the Public Health Department of the Mumbai Municipal corporation. Mrs Meenal Panat, Jt Chief Personal Officer ( Health) of the Public Health Department of MCGM provided information about the total posts and vacant posts to Galgali. According to the information, out of the total 203 Posts of Lab Technician, 67 posts are lying vacant. Out of 234 posts of Pharmacists, 62 are lying vacant. And 1 post out of 14 posts of X-ray technicians are lying vacant. 

The posts of Lab Technician and Pharmacists are very important in a hospital and it is purposely kept vacant so that the patients can be coerced to take services of private labs in those areas, alleged Anil Galgali. In a letter addressed to CM Devendra Fadnavis and MCGM Commissioner Ajoy Mehta, Galgali has demanded that the vacant posts of Lab Technician and Pharmacists should be immediately filled to provide respite to the poor patients who flock to the municipal hospitals.

Monday 10 September 2018

महाराष्ट्र के महापालिका में पारदर्शक कामकाज सरकार को नहीं चाहिए

मुंबई सहित राज्य के महापालिका में पारदर्शक कामकाज के लिए महाराष्ट्र सरकार ने गठित 3 सदस्यीय समिती ने सिफारिश की गई रिपोर्ट की फाइल प्रक्रिया में होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को नगरविकास विभाग ने दी हैं। गत 132 दिनों से रिपोर्ट की सिफारिशों पर किसी भी तरह का निर्णय न लेने से महाराष्ट्र की महापालिका में पारदर्शक कामकाज की चाहत सरकार को न होने की चर्चा जोरों पर हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार के नगरविकास विभाग से मुंबई के अलावा राज्य की सभी महानगरपालिका में पारदर्शक कामकाज के लिए आला पूर्व प्रशासनिक अधिकारी गौतम चॅटर्जी, शरद काले और रामनाथ झा इन 3 सदस्यीय समिती ने 31 मार्च 2018 को नगरविकास सचिव मनिषा म्हैसकर को पेश की गई रिपोर्ट की कॉपी और इस रिपोर्ट पर सरकार ने की हुई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। नगरविकास विभाग के अवर सचिव सचिन सहस्त्रबुद्धे ने अनिल गलगली को बताया गया कि इस जानकारी की फाईल प्रक्रिया में होने से फिलहाल जानकारी मुवैय्या नहीं कराई जा सकती हैं।  

महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई सहित राज्य के महापालिका में पारदर्शक कामकाज के लिए आला रिटायर्ड प्रशासनिक गौतम चॅटर्जी, शरद काले और रामनाथ झा की 3 सदस्यीय समिती का गठन कर 3 महीने में रिपोर्ट देने का आदेश जारी किया था। रिपोर्ट पेश होकर 132 दिन हुई हैं लेकिन सरकार स्तर पर सकारात्मक प्रतिसाद न मिलने पर नाराजगी जताते हुए अनिल गलगली का कहना हैं कि महाराष्ट्र में सेवा का अधिकार का कानून अस्तित्व में हैं इसके बाद भी एक फाईल पर निर्णय लेने के लिए प्रशासनिक अधिकारी को क्या दिक्कत हैं, इसकी जानकारी मुख्यमंत्री महोदय स्वयं लेने की आवश्यकता हैं। अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर मांग की हैं कि इसप्रकार की रिपोर्ट पर निर्णय लेने के लिए कालमर्यादा निश्चित करनी की आवश्यकता हैं।

महाराष्ट्रातील महापालिकेत पारदर्शक कामकाज शासनास नकोसा झाला

मुंबई सहित राज्यातील महापालिकेत पारदर्शक कामकाजासाठी महाराष्ट्र शासनाने नेमलेल्या 3 सदस्यीय समितीने शिफारशी केलेल्या अहवालाची नस्ती सादरीकरणात असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस नगरविकास विभागाने दिली आहे. गेल्या 132 दिवसांपासून अहवालातील शिफारशीवर कोणताही निर्णय न घेतल्यामुळे महाराष्ट्रातील महापालिकेत पारदर्शक कामकाज शासनास नकोसा झाल्याची चर्चा होत आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र शासनाच्या नगरविकास विभागाकडे मुंबई तसेच राज्यातील सर्व महानगरपालिकेत पारदर्शक कामकाजासाठी ज्येष्ठ माजी सनदी अधिकारी गौतम चॅटर्जी, शरद काळे आणि रामनाथ झा या 3 सदस्यीय समितीने 31 मार्च 2018 रोजी नगरविकास सचिव मनिषा म्हैसकर यांस सादर केलेल्या अहवालाची प्रत आणि या अहवालावर शासनाने केलेल्या कार्यवाहीची माहिती विचारली होती. नगरविकास विभागाचे अवर सचिव सचिन सहस्त्रबुद्धे यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की सदर माहितीबाबत नस्ती सादरीकरणात असल्याने तूर्त माहिती उपलब्ध करुन देणे शक्य नाही.

महाराष्ट्र शासनाने मुंबई तसेच राज्यातील सर्व महानगरपालिकेत पारदर्शक कामकाजासाठी ज्येष्ठ माजी सनदी अधिकारी गौतम चॅटर्जी, शरद काळे आणि रामनाथ झा यांची 3 सदस्यीय समितीची स्थापना करत 3 महिन्यात अहवाल देण्याचा आदेश जारी केला होता. आज अहवाल सादर होण्यास 132 दिवस उलटले असून शासन स्तरावर सकारात्मक प्रतिसाद मिळत नसल्याची खंत व्यक्त करत अनिल गलगली यांचे म्हणणे आहे की महाराष्ट्रात सेवेचा अधिकार कायदा अस्तित्वात आहे तरीही एका नस्तीवर निर्णय घेण्यास सनदी अधिका-यांना नेमकी काय अडचण आहे, याची माहिती दस्तुरखुद्द मुख्यमंत्री महोदयांनी घेण्याची गरज आहे. अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पत्र पाठवित मागणी केली आहे की अश्या प्रकारच्या अहवालावर निर्णय घेण्याची कालमर्यादा निश्चित करणे आवश्यक आहे.

Government has no interest in ensuring transparency in working of Municipal corporations in Maharashtra

The three member committee appointed to recommend measures to ensure transparency in the working of all municipal corporation including Mumbai, is gathering dust for the past 132 days, as per the information provided to RTI Activist Anil Galgali leading to speculation about the intention of the government in implementing the recommendations.

RTI Activist Anil Galgali had sought information from the Urban Development Department of the Maharashtra government seeking copy of the report of the three member committee comprising of senior retired IAS officers namely Gautam Chatterjee, Sharad Kale and Ramnath Jha for the purpose of suggestions of measures to ensure transperancy in working of all municipal corporation in Maharashtra including Mumbai. He also sought the details of action taken on the report which was handed over to UD Principal Secretary Smt Manisha Mhaiskar on 31st March 2018. In response to the query, Mr Sachin Sahasrabuddhe, Under Secretary of the UD department replied that, since the report is in submission no information can be provided on the same.

The Maharashtra government had constituted a committee of 3 retired senior bureaucrats namely Gautam Chatterjee, Sharad Kale and Ramnath Jha for recommendations of measures to be adopted for ensuring transperancy in the working of the municipal corporation and had directed the report to be submitted within 3 months of the constitution. Now almost 132 has passed that the report has been handed over and the government has yet to look into it regretted Anil Galgali. Galgali further stated that in the state the Right to Services has already been implemented and yet the bureaucrats have no time to look into a report for 132 days is in itself sad. He said it's time that CM himself should look into the matter now. In a letter addressed to CM Devendra Fadnavis, Galgali has suggested that there should be a time limit prescribed within which such reports should be acted upon mandatorily.

Sunday 2 September 2018

घराघरात जाऊन मतदानाचे महत्व सांगत लोकांना प्रेरणा देणार विद्यार्थी

निवडणूक आयोगाने नुकतेच जाहीर केलेल्या विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम अंतर्गत चांदीवलीत शालेय विद्यार्थ्यांनी मतदार अभियानात भाग घेतला. यावेळी मतदार यादीत नाव समाविष्ट होण्यापासून अन्य बाबीवर मार्गदर्शन करण्यात आले.घराघरात जाऊन मतदानाचे महत्व सांगत लोकांना विद्यार्थी प्रेरणा देणार आहेत.

साकीनाका येथील ईडन हायस्कूल आणि ज्युनियर महाविद्यालयात अथक सेवा संघाचे अध्यक्ष अनिल गलगली आणि नित्यानंद गुरु एज्युकेशनल ट्रस्टचे अध्यक्ष रवी नायर यांनी आयोजित केलेल्या मार्गदर्शन शिबिरात विद्यार्थ्यांनी भाग घेतला. यावेळी निवडणूक नायब तहसीलदार जागकर, अनिल गलगली, पोलीस उपनिरीक्षक प्रवीण माने, रवी नायर, नरेश यादव यांनी मार्गदर्शन केले.

यावेळी शुभ्रांशु दीक्षित, दिनेश मधुकुंटा, मनोज यादव, बाबू बतेली, सुभाष गायकवाड, राम साहू, संतोष त्रिपाठी, अण्णा परब, बाळासाहेब पाटील, सुभाष विश्वकर्मा, राजकुमार विश्वकर्मा, अजीज खान, विकास शेळके, राजकुमार दीक्षित, किशोर ढमाल, अमीन शाह, नंदू साळुंखे, अशोक सिंह, फरीद खान, रत्नाकर शेट्टी, सलीम खान, शकील शेख, इसाक शेख, अनवर कमाल, बलवंत कुबल, संजय सोलंकी, दीपक सूर्यवंशी आणि समस्त चांदीवली मतदारसंघातील नागरिक उपस्थित होते.

Saturday 1 September 2018

एक आरटीआई से महाराष्ट्र सरकार की तिजोरी में 2640 करोड़ जमा

सूचना का अधिकार कानून यानी आरटीआई से महाराष्ट्र सरकार को करोड़ों का मुनाफा हुआ हैं।.अनिल गलगली की एक आरटीआई के बाद अनिल अंबानी की रिलायंस एनर्जी इस बिजली कंपनी ने सरकार से किया हुआ फर्जीवाड़ा उजागर करने से मज़बूरी में 2640 करोड़ की बकाया धनराशि का भुगतान करना ही पड़ा. 

महाराष्ट्र में आरटीआई के जरिए सरकार और जनता के साथ फर्जीवाड़ा करनेवाले रसूखदारों और राजनेताओं के साथ सरकारी बाबुओं को दुरुस्त करने का काम अनिल गलगली करते हैैं.बिजली के बिल में सरकार के लिए विद्युत शुल्क और बिजली टैक्स रिलायंस कंपनी द्वारा वसूल कर वह रकम हर महीने सरकार के बिजली निरीक्षक के पास जमा करना जरुरी होता हैं. लेकिन बिजली निरीक्षक की मिलीभगत से जून 2017 से बकाया धनराशि बढ़ती गई और मामला ठंडे बस्ते में चला गया. अनिल गलगली ने इसकी जानकारी मांगते ही  बिजली शुल्क, टॉस और ग्रीन सेस की करीब 1500 करोड़ की धनराशि बकाया होने की जानकारी सामने आई. अनिल गलगली ने ताबडतोब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा और एसएमएस कर सभी प्रकार की जानकारी दी. इसके बाद भी बिजली निरीक्षक यह बकायेदार अनिल अंबानी की मोह माया से बाहर निकलने के लिए राजी नहीं थे. अनिल अंबानी ने रिलायंस बिजली कंपनी गौतम अदानी को बेचते ही अनिल गलगली ने महाराष्ट्र बिजली नियामक आयोग को पत्रव्यवहार कर बकाया धनराशि की जानकारी दी लेकिन दुर्भाग्य से पहले बकाया धनराशि की रकम वसूलने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र सरकार की होने का लिखित जबाब बड़ी ही बेशर्मी से दिया गया. जनता से सरकार के नाम पर पैसे वसूल कर उसे सरकारी तिजोरी में जमा न करनेवाले अनिल अंबानी पर एफआईआर दर्ज हो और बकाया धनराशि जबतक जमा नहीं होती हैं तबतक लायसेंस ट्रांसफर न करने की मांग अनिल गलगली ने की थी. सरकार के जिस उर्जा विभाग ने अनिल अंबानी की रिलायंस कंपनी ने 2640 करोड़ जमा करने की जानकारी प्रसार माध्यम के जरिए सार्वजनिक की हैं वही ऊर्जा विभाग गत 15 महीने से इसे नजरअंदाज कर अपरोक्ष तरीके से मददगार साबित हुआ. लायसेंस ट्रांसफर करने के लिए बकाया धनराशि जमा करने की मजबूरी आन पड़ने से कमसे कम 2640 करोड़ जमा हुआ अन्यथा यह रकम डूबने जैसा माहौल बनाया गया था. 

अनिल गलगली जो लगातार इस मामले को जद्दोजहद कर रहे थे उनका कहना बिजली निरीक्षक से लेकर ऊर्जा सचिव के रोल की जांच करे और प्रशासकीय कारवाई मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा की जाए क्योंकि इनकी लापरवाही कहे या मिलीभगत से सरकारी रकम सरकारी तिजोरी के बजाय निजी व्यक्ति के तिजोरी में थी और उससे घाटा हुआ हैं. अब तो सरकार सूचना का अधिकार और कार्यकर्ताओं को दोष देना बंद करे क्योंकि आरटीआई से यह मामला उजागर हुआ हैं, यह अपील अनिल गलगली ने की हैं. 

एका आरटीआयमुळे महाराष्ट्र शासनाच्या तिजोरीत 2640 कोटी जमा

माहितीचा अधिकार कायदा म्हणजे आरटीआयमुळे महाराष्ट्र शासनाला कोट्यावधी रुपयांचा नफाच झाला असून अनिल गलगली यांच्या एका आरटीआय नंतर अनिल अंबानी यांच्या रिलायंस एनर्जी या वीज कंपनीने शासनाची केलेली फसवणूक उजेडात तर आली आणि नाईलाजाने 2640 कोटी रुपयांची थकबाकी नाईलाजाने अदा करावी लागली.

महाराष्ट्रात आरटीआयच्या माध्यमातून शासन आणि जनतेची फसवणूक करणाऱ्या बड्या धेंड्याची आणि राजकीय नेत्यांसोबत कुचकामी ठरलेल्या बाबू मंडळीना वेळोवेळी अनिल गलगली सळोपळो करुन सोडतात. विजेच्या बिलात शासनासाठी विद्युत शुल्क आणि वीज कर रिलायंस कंपनी तर्फे वसूल करुन ती रक्कम महिन्यात शासनाच्या वीज निरीक्षकांकडे जमा करणे आवश्यक होते. पण वीज निरीक्षक यांच्या संगनमताने जून 2017 पासून थकबाकी वाढत गेली आणि एकंदरीत हे प्रकरण बंदच झाले होते. अनिल गलगली यांनी याबाबत माहिती मागताच विद्युत शुल्क, टॉस आणि ग्रीन सेस अशी जवळपास 1500 कोटींची थकबाकी असल्याची माहिती समोर आली. अनिल गलगली यांनी ताबडतोब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पत्र लिहिले आणि एसएमएस करत सर्व प्रकारची माहिती दिली तरीही विद्युत निरीक्षक हे थकबाकीदार अनिल अंबानीच्या मोहातून बाहेर पडण्यासाठी तयार नव्हते. अनिल अंबानी यांनी रिलायंस वीज कंपनी गौतम अदानी यांस विकतात अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोगास पत्रव्यवहार करत थकबाकीची माहिती दिली पण दुर्दैवाने प्रथम थकबाकीची रक्कम वसूल करण्याची जबाबदारी महाराष्ट्र शासनाची असल्याचे लेखी उत्तर निर्लज्जपणे देण्यात आले. जनतेकडून शासनाच्या नावाने पैसे वसूल करुन ते पैसे शासन दरबारी जमा न करणाऱ्या अनिल अंबानी यांसवर अनिल गलगली यांनी गुन्हा दाखल करावा आणि थकबाकी जोपर्यंत जमा करत नाही तोपर्यंत परवाना हस्तांतरित न करण्याची मागणी केली. शासनाच्या ज्या उर्जा विभागाने अनिल अंबानीच्या रिलायंस कंपनीने 2640 कोटी जमा करण्याची माहिती प्रसार माध्यमातून सार्वजनिक केली त्याच ऊर्जा विभागाने गेले 15 महिने केलेल्या चालढकल करत अप्रत्यक्षपणे मदतच केली. परवाना हस्तांतरण करण्यासाठी थकबाकीची रक्कम जमा करण्याची मजबुरी आल्यामुळे निदान 2640 कोटी जमा झाले अन्यथा ही रक्कम बुडीत असल्यासारखी परिस्थिती निर्माण करण्यात आली होती.

अनिल गलगली जे सातत्याने पाठपुरावा करत होते त्यांचे म्हणणे आहे की विद्युत निरीक्षक ते ऊर्जा सचिवांची चौकशी करत त्यांची भूमिका तपासावी आणि प्रशासकीय कारवाई मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी करावी कारण यांच्या निष्काळजीपणा म्हणा अथवा संगनमताने शासकीय रक्कम शासनाच्या तिजोरी ऐवजी खाजगी व्यक्तीच्या तिजोरीत होती आणि त्यामुळे नुकसान झाले आहे. आता तरी माहितीचा अधिकार आणि कार्यकर्त्यांस दोष देणे बंद करावे कारण आरटीआयमुळे हे प्रकरण बाहेर आले, अशी कळकळीची विनंती गलगली यांनी केली आहे.

An RTI expose results in recovery of Rs 2640 crores for Maharashtra Government

The Right to Information Act, in short referred as RTI Act has resulted in recovery of lost dues for the state government. Due to an expose by RTI Activist Anil Galgali, the Anil Ambani led Reliance Energy had no option but to pay its arrears of tax dues to the state exchequer.

Anil Galgali has been leading an unrelentless crusade against the Big Fishes, Political persons and an ineffective bureaucracy by his exposes through RTI. The Electricity supply companies collect Power surcharge and Electricity Tax from its subscribers and are mandated to deposit the collection with the Electricity Inspector within one month of the collection.  But due to the complicity of the Electricity Inspector the dues of Reliance Energy started increasing from June 2017 onwards and led to a stop in paying of this dues by the Reliance Energy. After an RTI expose by Anil Galgali, it came to notice that a whopping Rs 1500 crores is due on account of Surcharge, Tax and Green Cess. In immediate steps Anil Galgali intimated the issue by writing a letter to CM Devendra Fadnavis apart from intimation through SMS. Inspite of the expose, the attraction of the Electricity Inspector with the Reliance Energy remained unabated. On learning that the Reliance Energy is being sold to Gautam Adani, Anil Galgali corresponded with the Maharashtra Electric Regulatory Commission and informed them of the dues, requesting them to protect and recover the govt dues from Reliance Energy. But the MERC too shamelessly informed Galgali that, the responsibility of  recovery of past dues lies with the government. In a follow up, Anil Galgali demanded that the Taxes collected from the subscribers by Reliance Energy should be immediately recovered from them and an criminal action be taken against Anil Ambani for evasion of tax dues, also the license should not be transferred to Adani, unless the dues are recovered by the government. The Govt's Power department facilitated the delay of further 15 months by their lacksaidal attitude towards the issue and to benefit the Reliance Energy. Finally for the purpose of transfer of the license to Adani, Reliance was forced to cough up and pay the dues of Rs 2640 crores, had the need for transfer not arisen, the dues was as good as a bad debt for the govt. 

Anil Galgali, who had been keeping a follow up on this issue has demanded from the CM Devendra Fadnavis that, action should be initiated against the authorities including the Electricity Inspector upto the Power Secretary who were either being negligent or were in complicity over the non recovery of the dues, due to which the money which should have long past been with the govt treasury was in the Reliance accounts resulting in loss of revenue of the govt. He further appealed that atleast now onwards the govt should rectify it's stand against the RTI and the Activists engaged in RTI movement, as it was RTI which was instrumental in bringing out the expose.