Monday 27 June 2016

जलापूर्ति प्रोजेक्ट के फंड से डॉ संजय मुखर्जी के बंगले की करोडों की मरम्मत

मुंबई मनपा में आनेवाले आईएएस अधिकारियों पत मुंबईवासियों के बजाय अपने ही इंटरेस्ट को पूरा करने का हमेशा आरोप लगता हैं। जल अभियंता का बंगला और गेस्ट हाउस कब्जा करनेवालों में से एक अतिरिक्त मनपा आयुक्त डॉ संजय मुखर्जी के बंगले पर करोड़ों रुपए की मरम्मत जलापूर्ति फंड से होने की सनसनीखेज जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मनपा प्रशासन ने दी हैं। वहीं मुख्यमंत्री से आर्शीवाद प्राप्त पल्लवी दराडे ने बंगला मरम्मत की जानकारी व्यक्तिगत होने का दावा कर उसे न देने के लिए जल अभियंता को पत्र लिखा हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने जल अभियंता कार्यालय से अतिरिक्त मनपा आयुक्त डॉ संजय मुखर्जी और पल्लवी दराडे के बंगले पर हुए विभिन्न खर्च की जानकारी मांगी थी। पहले तो दोनों अधिकारियों ने सूचना न देने का मौखिक आदेश तो दिया लेकिन जन सूचना अधिकारी के अधिकार की कक्षा में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होने से जल विभाग ने डॉ मुखर्जी के बंगले की जानकारी देते हुए बताया कि मुखर्जी जिस निवासस्थान में रहते हैं वह गेस्ट हाऊस था और मनपा आयुक्त की अनुमति से उन्हें जनवरी 2015 में दिया गया हैं। कुल 2682 वर्ग फुट के इस बंगले पर जनवरी 2015 से अबतक 1 कोटी 44 हजार 679 रुपए और 30 पैसा मरम्मत पर खर्च हुए हैं वहीं वर्ष 2015-16 के दौरान 92 हजार 234 रुपए बिजली खर्च किया गया हैं। डॉ मुखर्जी आने से पहले वर्ष 2011 से वर्ष 2014 इन 4 वर्ष के दौरान सिर्फ 89 हजार 705 रुपए खर्च हुए थे। ताज्जुब की बात यह हैं कि बंगले को पानी का बिल नहीं हैं। पती-पत्नी की पोल खुलेगी इस डर से पल्लवी दराडे जिन्हें मुख्यमंत्री ने प्रमोट करते हुए मुंबईवासियों की भलाई के लिए मनपा भेजा था उन्होंने दिनांक 10 जून 2016 को पत्र लिखकर अनिल गलगली को उनके बंगले पर हुए खर्च की कोई भी जानकारी देने पर आपत्ति जताई। विकास खारगे के तबादले के बाद दराडे के पती प्रवीण दराडे जो मुख्यमंत्री कार्यालय में सचिव हैं उन्हें दिनांक 2 जनवरी 2015 को 4830 वर्ग फूट का बंगला दिया गया। दराडे ने बंगला लेने के पहले गत 4 वर्ष में सिर्फ 2 लाख 20 हजार 544 रुपए और 93 पैसे खर्च किए गए हैं। इस बंगले को भी पानी का चार्ज नहीं किया जाता हैं और जनवरी 2015 से बिजली का बिल मनपा ने अदा करना बंद कर दिया हैं। पल्लवी दराडे ने दावा किया हैं कि यह जानकारी त्रयस्थ व्यक्ती से जुड़ी हुई हैं और इसलिए उनकी जानकारी नहीं दी जाए। जिसके खिलाफ अनिल गलगली ने उप जल अभियंता के पास अपील दायर की हैं। अनिल गलगली ने इसतरह निवासस्थान पर होनेवाले करोड़ों रुपए के खर्च पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए मनपा आयुक्त से मांग की हैं कि जल अभियंत का बंगला अतिरिक्त आयुक्त को देने की परंपरा को बंद करे और करोड़ों रुपए का खर्च जिस जलापूर्ति प्रोजेक्ट से किया गया हैं उसके जिम्मेदार अधिकारीयों पर कारवाई करे। मनपा का निवासस्थान खुद की निजी प्रॉपर्टी समझने वाले अधिकारीयों को वार्निंग देते हुए सभी खर्चे की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग की हैं। जितका वेतन पिछले 18 महीने में डॉ मुखर्जी ने लिया हैं उसके 5 गुना यानी 1 करोड़ से ज्यादा रकम बंगले की मरम्मत पर उड़ाई हैं,जो सबसे बड़ा दर्द होने का अफ़सोस गलगली ने जताया हैं।

पाणी पुरवठा प्रकल्पाच्या निधीतुन डॉ संजय मुखर्जी यांच्या बंगल्याची कोटीची दुरुस्ती

मुंबई महानगरपालिकेत येणारे सनदी अधिकारी मुंबईकरांच्या हितापेक्षा स्वत:चे हित अधिक साध्य करण्याचा नेहमीच आरोप होतो. जल अभियंताचा बंगला आणि गेस्ट हाउस कब्जा करणा-यापैकी एक अतिरिक्त पालिका आयुक्त डॉ संजय मुखर्जी यांच्या बंगल्याची कोटीची दुरुस्ती पाणी पुरवठा प्रकल्पाच्या निधीतून झाल्याची धक्कादायक माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस पालिका प्रशासनाने दिली आहे तर मुख्यमंत्री यांच्या मर्जीतील असलेल्या पल्लवी दराडे यांनी बंगला दुरुस्तीची माहिती वैयक्तिक असल्याचा दावा करत देण्यास मज्जाव केला आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस जल अभियंता कार्यालयाकडे अतिरिक्त पालिका आयुक्त डॉ संजय मुखर्जी आणि पल्लवी दराडे यांच्या बंगल्यावर झालेल्या विविध खर्चाची माहिती मागितली होती. प्रथम दोन्हीं अधिका-यांनी गलगली यांस माहिती न देण्याच्या तोंडी सूचना जारी केली. माहिती अधिकारी यांस असलेल्या अधिकाराच्या कक्षेत अशी कोणतीही सोय नसल्यामुळे जल विभागाने डॉ मुखर्जी यांच्या बंगल्याची माहिती देत कळविले की मुखर्जी राहत असलेला निवासस्थान गेस्ट हाऊस होते आणि पालिका आयुक्तांच्या परवानगीने त्यांस जानेवारी 2015 रोजी देण्यात आले. एकूण 2682 चौरस फुटाच्या या बंगल्यावर जानेवारी 2015 पासून 1 कोटी 44 हजार 679 रुपये आणि 30 पैसे दुरुस्तीवर खर्च केले आहे तर वर्ष 2015-16 या कालावधीत 92 हजार 234 रुपये वीज खर्च करण्यात आलेला आहे. डॉ मुखर्जी यांच्या येण्यापूर्वी वर्ष 2011 ते वर्ष 2014 या 4 वर्षाच्या कालावधीत फक्त 89 हजार 705 रुपये खर्च झाले होते. विशेष म्हणजे या बंगल्यास पाणी शुल्क आकारण्यात येत नाही. आपले पती-पत्नीचे बिंग फुटेल या भीतीने पल्लवी दराडे ज्यांस मुख्यमंत्र्यांनी बढती देत मुंबईकरांचे भले करण्यासाठी पालिकेत पाठविले होते त्यांनी दिनांक 10 जून 2016 रोजीच्या पत्राने अनिल गलगली यांस त्यांच्या बंगल्यावर झालेल्या खर्चाची कोणतीही माहिती देण्यास आक्षेप घेतला आहे. विकास खारगे यांच्या बदलीनंतर दराडे यांचे पती प्रवीण दराडे जे मुख्यमंत्र्यांचे कार्यालयात सचिव आहेत त्यांस दिनांक 2 जानेवारी 2015 रोजी 4830 चौरस फूटाचा बंगला देण्यात आला आहे. दराडे यांनी बंगला ताब्यात घेण्याच्या मागील 4 वर्षात फक्त 2 लाख 20 हजार 544 रुपये आणि 93 पैसे खर्च झाले आहेत. या बंगल्यास पाणी शुल्क आकारण्यात येत नाही आणि जानेवारी 2015 पासून वीज देयके पालिका भरत नाही. पल्लवी दराडे यांनी दावा केला आहे की ही माहिती त्रयस्थ व्यक्तीशी संबंधित आहे आणि यामुळे त्यांची माहिती देऊ नये. अनिल गलगली यांनी अश्याप्रकारे निवासस्थानावर होणारा कोट्यावधी रुपयांच्या खर्चावर आश्चर्य व्यक्त करत पालिका आयुक्तांकडे मागणी केली आहे की जल अभियंताचा बंगला अतिरिक्त आयुक्तांस देण्याची चुकीची प्रथा बंद करावी आणि कोटयावधीचा खर्च ज्या पाणी पुरवठा प्रकल्पातुन करण्यात आला आहे त्यास जबाबदार असलेल्या अधिकारीवर्गावर कारवाई करावी. तसेच पालिकेचे निवासस्थान स्वत:ची खाजगी मालमत्ता समजणा-या अधिका-यास समज देत सर्व खर्चाची माहिती संकेतसस्थळावर टाकावी. जितका पगार गेल्या 18 महिन्यात डॉ मुखर्जी यांनी घेतला त्याच्या 5 पटीने म्हणजे 1 कोटीहून अधिक रक्कम बंगल्याच्या दुरुस्तीवर उधळलेली आहे, ही सर्वात चिंतेची बाब असल्याचे गलगली यांनी नमूद केली आहे.

Dr Sanjay Mukherjee bungalow renovated, costing a crore, by using funds from the Water supply project

There is always an feeling, that the IAS officers posted in the MCGM are more sensitive towards their own comforts rather than that of Mumbaikars, for which they are posted. By occupying the bungalow meant for the Hydraulic Engineer and the also the Guest house one of the Addl Municipal commissioner Dr Sanjay Mukherjee has renovated his bungalow costing more than a crore from the fund meant for the water supply project. This has been revealed vide an response to an RTI query filed by RTI Activist Anil Galgali. The other officer Mrs Pallavi Darade an CM's favoured officer has objected to providing of information stating that that it is a personal information. RTI Activist Anil Galgali had sought information from the MCGM's water dept about the expenses incurred in the renovation of bungalows allotted to IAS officers Dr Sanjay Mukherjee and Pallavi Darade. Initially both the officers issued verbal instructions to the department to not provide the information sought. But since there is no provision in the RTI Act enabling the Public Information officer to conceal information on the grounds of verbal orders, the PIO of the water dept provided information on the bungalow allotted Dr Sanjay Mukherjee stating that, the bungalow was originally an guest house and it was allotted as a residence for Dr Mukherjee after obtaining permission from the Municipal Commissioner in January 2015. The bungalow admeasuring 2682 sq ft, has incurred expenses of Rs 1 crore 44 thousand 679 and paise 30 only since January 2015, also Rs 92 thousand 234 was spent on electricity charges. Prior to Dr Mukherjee occupying that bungalow, the expenses incurred on the bungalow for a period of 4 years from 2011 to 2014 was 89 thousand 705. One point worth mentioning is that water charges are not collected from the bungalow. Out of fear of exposure of the husband - wife duo , Pallavi Darade, who was given a jump by posting in the MCGM as Addl Municipal Commissioner has in a letter dt 10 June 2016 has filed an objection against providing the information to Galgali. Pallavi Darade's husband Pravin Darade is posted as Secretary in the CM's office, after Vikas Kharage's transfer the bungalow admeasuring 4830 sq ft was allotted to him on 2nd January 2015. Before the allotment of the bungalow to Darade's, in the preceding 4 years expenses of Rs 2 Lakh 20 thousand 544 and paise 93 was spent for upkeep of the bungalow. Water charges is not levied on the bungalow and electricity charges too are not being paid by the MCGM since January 2015 . Further information has not been provided as Pallavi Darade has objected claiming that the information pertains to personal information category and hence not be provided. Anil Galgali has expressed surprise over the manner in which crores of rupees is being spent by IAS officers for renovation and interior. He has also complained to the Municipal commissioner on the allotment of the bungalow of the Hydraulic Engineer to the Addl Municipal commissioner and has cautioned that such practice's needs to be stopped and also action be initiated against the officers who have diverted the funds meant for providing water supply to Mumbaikars for the renovation of the Bungalows. He has also demanded action against the officers who are treating the official government residence as their personal property. He expressed that almost 5 times of the salary drawn by Dr Mukherjee in the past 18 months has been spent on renovation and decorations of the bungalow, which is a matter of deep concern. He has demanded that expenses incurred on the renovation of Pallavi Darade's residence be declared and uploaded on the MCGM'S website.

Monday 20 June 2016

शरद पवार के यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान का ऐसा भी छल-कपट

महाराष्ट्र विधानसभा सुवर्ण महोत्सव प्रदर्शन 1987-88 में रखने के लिए कलामहर्षी पद्मश्री कै.एम.आर. आचरेकर का तैलचित्र लिया था जो वर्तमान में शरद पवार के यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान के कब्जे में हैं। जिसे लगातार पत्राचार करने के बाद भी महाराष्ट्र विधानमंडल और आचरेकर परिवार को यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान घास नहीं डालने की जानकारी माहिती आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र विधानमंडल ने दी हैं। प्रतिष्ठान के पास किसी भी तरह का मालिकाना दस्तावेज न होते हुए भी तैलचित्र देने में छल-कपट के मद्देनजर यह तैलचित्र विधानमंडल से प्रतिष्ठान के पास कैसे गया? इसको लेकर विभिन्न चर्चाएं फ़िलहाल विधानमंडल के गलियारे में हैं। यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में शरद पवार की एनसीपी पार्टी का कार्यक्रम और अन्य सामाजिक कार्यक्रम होते है और एनसीपी का शक्तीस्थान के तौर पर विख्यात हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र विधानमंडल और यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान से पद्मश्री आचरेकर के तैलचित्र की जानकारी मांगी थी। महाराष्ट्र विधानमंडल ने अनिल गलगली को उनके रेकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों की कॉपी दी। दिनांक 31 अगस्त 1988 को महाराष्ट्र विधानमंडल के ग्रंथपाल अनंत थोरात ने आचरेकर परिवार को पत्र भेजकर महाराष्ट्र विधानसभा सुवर्ण महोत्सव प्रदर्शन 1987-88 में रखने के लिए कलामहर्षी पद्मश्री कै.एम.आर. आचरेकर के तैलचित्र की मांग करते हुए प्रदर्शन खत्म होते ही तैलचित्र लौटाने और आने जाने की व्यवस्था सचिवालय द्वारा करने का लिखित आश्वासन दिया था लेकिन असल में तैलचित्र आचरेकर परिवार को देने के बजाय यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान के दुसरी मंजिल पर पूर्व की छोर पर दीवार पर टंगा हुआ पाया गया। आचरेकर परिवार ने तैलचित्र के लिए महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग के दरवाजे तक दस्तक लगाने के बाद भी प्रतिष्ठान झुका नहीं उल्टे आचरेकर परिवार से वारिस अधिकार प्रमाणपत्र, घाटा मुआवजा हामीपत्र और विशेष मुखत्यारपत्र सहित तैलचित्र का असली मालिक और उनके वारिस का प्रमाणपत्र मांगकर मामले का अन्य दिशा में डाइवर्ट करने का प्रयास कर रहे हैं। महाराष्ट्र विधानमंडल ने प्रतिष्ठान से पत्राचार बार बार तो किया हैं लेकिन पॉवरफुल प्रतिष्ठान से सीधा जबाब तलब करने से डर रही हैं। अनिल गलगली के अनुसार पद्मश्री जैसा बहुमान हासिल करनेवाले आचरेकर का ऐतिहासिक तैलचित्र प्रदर्शनी के नाम पर लेनेवाली महाराष्ट्र विधानमंडल ने प्रतिष्ठान के खिलाफ में चोरी का मामला दर्ज करने की आवश्यकता हैं क्योंकि जो तैलचित्र महाराष्ट्र विधानमंडल ने प्रदर्शन के प्रयोजन के लिए मंगवाया था वह यशवंतराव प्रतिष्ठान में कैसे गया ? इसे गंभीरता न लेने यशवंतराव प्रतिष्ठान आचरेकर परिवार से असली मालिक के सबूत मांगने का जुर्रत कर रही हैं। महाराष्ट्र विधानमंडल से हुए किसी भी तरह का पत्राचार फ़िलहाल प्रतिष्ठान के पास नहीं होने से तैलचित्र प्रतिष्ठान ने चुराया तो नहीं है ना यह आशंका जताते हुए महाराष्ट्र विधानमंडल की प्रतिष्ठा यह यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान की नकारात्मक भूमिका से विवादित हो रही हैं, ऐसा मत अनिल गलगली ने व्यक्त किया हैं। अनिल गलगली के आवेदन को प्रतिसाद देते हुए प्रतिष्ठान के जन सूचना अधिकारी और प्रतिष्ठान के महासचिव श.गं.काले ने आवश्यक शुल्क अदा करने की सूचना तो दी लेकिन जानबुझकर शुल्क की रकम नहीं बताई। अनिल गलगली ने पत्र भेजकर शुल्क की रकम पूछते ही काले ने शुल्क की रकम बताने के बजाय मांगी गई जानकारी त्रयस्थ व्यक्ती से जुड़ी होने का नया दावा खेलते हुए संबंधित होने का दावा करते हुए महाराष्ट्र विधानमंडल और आचरेकर परिवार को पत्र भेजा हैं। काले के ऐसे कौनसे गुण और अनुभव देखते हुए प्रतिष्ठान ने जन सूचना अधिकारी इस पद की जिम्मेदारी दी हैं, ऐसा सवाल गलगली ने खड़ा करते हुए बताया कि एकही आवेदन पर विभिन्न जबाब देकर काले प्रतिष्ठान को संकट में ड़ाल रहे हैं।

शरद पवाराच्या यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठानाची अशीही फसवाफसवी

महाराष्ट्र विधानसभा सुवर्ण महोत्सव प्रदर्शन 1987-88 मध्ये ठेवण्यासाठी कलामहर्षी पद्मश्री कै.एम.आर. आचरेकर यांचे तैलचित्र घेतले गेले होते जे सद्या शरद पवाराच्या यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठानाच्या कब्ज्यात असून वारंवार पत्रव्यवहार करुनही महाराष्ट्र विधानमंडळ आणि आचरेकर कुटुंबियांस प्रतिष्ठान दाद देत नसल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महाराष्ट्र विधानमंडळाने दिली आहे. प्रतिष्ठानाकडे कोणतीही कागदपत्री मालकी नसतानाही तैलचित्र परत देण्यासाठी सुरु असलेली फसवाफसवी पहाता तैलचित्र विधानमंडळातून प्रतिष्ठानाकडे कसे गेले, याबाबत वेगवेगळी चर्चा सद्या विधानमंडळ परिसरात सुरु आहे. यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठानात शरद पवार यांच्या एनसीपी पक्षाचे कार्यक्रम आणि अन्य सामाजिक उपक्रम होत असतात आणि एनसीपीचे शक्तीस्थान म्हणून ओळखले जाते. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महाराष्ट्र विधानमंडळ आणि यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठानाकडे पद्मश्री आचरेकर यांच्या तैलचित्राबाबत माहिती विचारली होती. महाराष्ट्र विधानमंडळाने अनिल गलगली यांस त्यांच्या अभिलेखावरील कागदपत्राची प्रत दिली. 31 ऑगस्ट 1988 रोजी महाराष्ट्र विधानमंडळाचे ग्रंथपाल अनंत थोरात यांनी आचरेकर कुटुंबियांस पत्र पाठवून महाराष्ट्र विधानसभा सुवर्ण महोत्सव प्रदर्शन 1987-88 मध्ये ठेवण्यासाठी कलामहर्षी पद्मश्री कै.एम.आर. आचरेकर यांच्या तैलचित्राची मागणी करत प्रदर्शन संपताच तैलचित्र परत देणे आणि नेण्या- आणण्याची व्यवस्था सचिवालयातर्फे करण्याचे लेखी आश्वासन दिले होते. परंतु प्रत्यक्षात तैलचित्र आचरेकर कुटुंबियांस देण्याऐवजी यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठानाच्या दुस-या मजल्यावर पूर्वेकडील बाजुस भिंतीवर लावलेले आढळले. आचरेकर कुटुंबियांने तैलचित्रासाठी महाराष्ट्र राज्य माहिती आयोगाचे दरवाजे ठोठावल्यानंतरही प्रतिष्ठान झुकले नाही तर उलट आचरेकर कुटुंबियांकडे वारसा हक्क प्रमाणपत्र, नुकसान भरपाई हमीपत्र आणि विशेष मुखत्यारपत्र सहित तैलचित्राचे खरे मालक व त्या वारसाचे प्रमाणपत्र मागत प्रकरणास वेगळेच वळण देण्याचा प्रयत्न करत आहे. महाराष्ट्र विधानमंडळाने प्रतिष्ठानास पत्रव्यवहार वारंवार केला असून पॉवरफुल प्रतिष्ठानाच्या सरळ जाब विचारण्यास धजावत नाही. अनिल गलगली यांच्या मते पद्मश्री असलेल्या आचरेकरांचे ऐतिहासिक तैलचित्र घेणारी महाराष्ट्र विधानमंडळाने प्रतिष्ठानाविरोधात चोरीचा गुन्हा दाखल करण्याची आवश्यकता आहे कारण जे तैलचित्र महाराष्ट्र विधानमंडळाने प्रदर्शनासाठी मागविले होते ते प्रतिष्ठानात कसे गेले? याची गंभीर दखल घेतली नसल्यामुळे प्रतिष्ठान आचरेकर कुटुंबियांस ख-या मालकाचा पुरावा मागण्याचा अतिशाहणपण करत आहे. महाराष्ट्र विधानमंडळासोबत झालेला कोणताही पत्रव्यवहार सद्या तरी प्रतिष्ठानाकडे नसल्यामुळे तैलचित्र प्रतिष्ठानाने लंपास केल्याची शंका व्यक्त करत यामुळे महाराष्ट्र विधानमंडळाची प्रतिष्ठा ही यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठानाच्या नकारात्मक भूमिकेमुळे वादात अडकलेली आहे, असे मत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले आहे. अनिल गलगली यांच्या अर्जास प्रतिसाद देताना प्रतिष्ठानाचे जन माहिती अधिकारी आणि प्रतिष्ठानाचे सरचिटणीस श.गं.काळे यांनी आवश्यक शुल्क अदा करण्याचे कळविताना जाणूनबुजून शुल्काची रक्कम सांगितली नाही. अनिल गलगली यांनी पत्र पाठवून शुल्काची रक्कम विचारताच काळे यांनी शुल्क कळविण्याऐवजी सदर माहिती त्रयस्थ व्यक्तीशी संबंधित असल्याचा नवा दावा करत महाराष्ट्र विधानमंडळ आणि आचरेकर कुटुंबियांस पत्र पाठविले आहे. काळे यांस प्रतिष्ठानाने कोणती गुणवत्ता आणि अनुभव पहाता जन माहिती अधिकार या पदाची जबाबदारी दिली आहे असा प्रश्न गलगली यांस पडला आहे कारण एकाच अर्जास वेगवेगळी उत्तरे देऊन काळे प्रतिष्ठानास गोत्यात आणत आहे.

Sharad Pawar led Yashwantrao Chavan Prathisthans fooling around

Maharashtra Legislative Assembly had requested Noted artist Padmashri Late M.R. Acharekar to lend his painting for a few day, to be exhibited at Vidhan Bhavan during its Golden Jubilee celebrations in 1987-88. This priceless artifact was never returned back, but in a 'suspicious' move parcelled off to 'Yeshwantrao Chavan Prathisthan', a body headed by heavywieght Maharashtra politician and Nationalist Congress Party Chief Sharad Pawar. The concerted efforts of Acharekar's family to regain his legacy have failed to yield results and the painting still hangs on the second floor of Prathisthan's luxurious office near Mantralaya. RTI activist Anil Galgali has exposed this blatant misuse of power by Prathisthan, run by one of the most powerful politician of the country. While in Mumbai, Pawar prefers to use Prathisthans office and often hosts the activities of his party, NCP, which happens to be among the six recognised 'National Parties' of India. RTI Activist Anil Galgali traced the original papers regarding the painting available with the Maharashtra Legislature secretariat and was shocked to learn that it had no record of the painting being handed over to Pawar's Prathisthan were available with it. Apart from 31st August 1988 Legislature Librarian Anant Thorat's letter to Acharekar requesting him to lend the painting, assuring him to return the painting at the cost bourne by the legislative secretariat. On initial Inquiries, Prathisthan's secretary S.G. Kale, who is also the designated information officer for the institution, agreed to share information regarding the painting, on payment of requisite fees. He later took a U-turn, When the most pertinent question was put up by Galgali- 'How did the painting, which was lended to Maharashtra Assembly, come in possession of the Prathisthan?'. Galgali queries have since been stonewalled and Kale has written to Maharashtra Legislature and Acharekar's claimants that this is a 'third party' matter. It would have been proper that the painting would have been returned to heirs of Acharekar, with an apology. But the powerful Prathisthan prefers to keep delaying handing back of Acharekar's painting, demanding Court heirloom certificate, loss Compensation Gaurantee, Special power of attorney, official papers about ownership of the painting etc. Maharashtra Legislature ignorance towards whole issue because this issue was directly related Yashvantrao Prathisthan. They continuesly send letter to Prathisthan but never take legal or strong action against Prathisthan, Galgali express his views. Raising a shadow of reasonable doubt on the whole painting episode. Now, Prathisthan needs to clarify Whether Acharekar's painting was brought from Vidhan Bhavan with proper approval of legislative secretariat, with accompanying official paperwork? Or was it surruptiously taken away from Maharashtra Vidhan Bhavan with the connivance of a few officials?, Which would then entail criminal implications. If its clear that then legislative Secretariat should lodge FIR against Yeshwantrao Chavan Prathisthan immediately and return the painting to Achrekar family with an apology, demand Galgali.

Monday 13 June 2016

डॉ स्वामी और सिद्धू के राज्यसभा के नामनिर्देशन पर प्रश्नचिन्ह !

राजनीति से हटकर इतर विषयों के विशेषज्ञों को संसद में स्थान देने के लिए भारतीय संविधान में 12 सदस्यों को राज्यसभा में नामनिर्देशित नामांकित करने का प्रावधान रखा गया हैं। लेकिन हाल ही में हुए राज्यसभा मनोनयन में इसका स्पष्ट उल्लंघन देखा गया जबकि सत्तारुढ बीजेपी के 2 पदाधिकारी डॉ सुब्रमण्यम स्वामी और नवज्योतसिंह सिद्धू को इस कोटे से राज्यसभा पर भेजा गया। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को गृह मंत्रालय ने दी हुई जानकारी में डॉ स्वामी को अर्थशास्त्री और सिद्धू को क्रिकेटर क्षेत्र से राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए नामनिर्देशित किया गया। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने राष्ट्रपति कार्यालय से राज्यसभा पर नामनिर्देशित किए गए सदस्यों की जानकारी और चयन की प्रक्रिया की जानकारी मांगी थी। राष्ट्रपति कार्यालय ने सीधा जबाब देने के बजाय गलगली का आवेदन केंद्रीय गृह मंत्रालय को हस्तांतरित किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निदेशक आशुतोष जैन ने बताया कि राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री के अनुशंसा पर संविधान के अनुच्छेद 80(1) और 80(3) के प्रावधानों के तहत राज्यसभा के सदस्यों का नामनिर्देशित किया हैं। 11 लोगों की सूचि में 2 ऐसे नाम है जो प्रत्यक्ष और सक्रिय रुप से राजनीती से जुड़े हैं। नामनिर्देशन के समय डॉ सुब्रमण्यम स्वामी और नवज्योतसिंह सिद्धू बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे। बीजेपी की अधिकृत वेबसाईट पर दोनों के नाम तब से आज तक कार्यकारिणी सदस्य के तौर पर अंकित हैं। राज्यसभा के नामांकन के नियम ये स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि " राष्ट्रपति द्वारा सदन के किसी नामनिर्देशित सदस्य को किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित होने की अनुमति होगी यदि वह सदन में अपना स्थान ग्रहण करने के पहले छह मास के भीतर ऐसा करता/करती है" ऐसे लोगों का नामनिर्देशन वांछित हैं जो इससे पहले किसी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं होने चाहिए, इसका हवाला देते हुए अनिल गलगली ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से अपील की हैं कि इन 2 राजनीतिज्ञों को हटाकर राज्यसभा में विशिष्ट क्षेत्र के विशेषज्ञों को स्थान दिया जाए। डॉ स्वामी 1997 तक लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में लेक्चरर हुआ करते थे और 1974 में राजनीतिक पार्टी जनसंघ से उत्तर प्रदेश से राज्यसभा चुने गए थे।4 बार वे विविध दलों से संसद की सदस्यता ग्रहण कर चुके है । राजनीति कार्य में मसरुफ़ रहे डॉ स्वामी को अर्थशाश्त्र पर अध्ययन करनेका कोई अवसर नहीं मिल पाया तथा नवज्योतसिंह सिद्धू भी 2004 से 2009 तक अमृतसर राजनीतिक दल- बीजेपी के लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं और 1998 तक क्रिकेट खेला करते थे। 18 सालों से राजनीति के अलावा टेलीविजन शो में मसरुफ़ हैं। अनिल गलगली ने राष्ट्रपति को लिखी चिठ्ठी में 2 प्रमुख आपत्ति दर्ज की हैं कि दोनों ने जिस क्षेत्र का विशेषज्ञों होने का दावा किया हैं उन क्षेत्रों में खास सक्रिय दिखाई नहीं दिए हैं। दोनों सीधे तौर पर व्यावसायिक राजनेता होने से इससे संविधान की मूल भावना को ठेस पहुंचती हैं। क्योंकि राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित किए जाने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा जैसे विषयों के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है। अनिल गलगली ने डॉ स्वामी और सिद्धू को भी पत्र भेजकर अपील की हैं कि नैतिकता के आधार पर सदस्यत्व का त्याग कर राज्यसभा में विशिष्ट क्षेत्र के विशेषज्ञों को स्थान दिया जाए.

डॉ स्वामी आणि सिद्धू यांच्या राज्यसभेवरील नेमणूकीवर प्रश्नचिन्ह !

राजकारणा सोडता इतर विषयातील विशेषज्ञास संसदेत स्थान देण्यासाठी भारतीय घटनेत 12 सदस्यांस राज्यसभेवर नामनिर्देशित करण्याची तरतूद आहे. पण नुकतेच राज्यसभेवर झालेल्या नेमणूकीत याचे स्पष्ट उल्लंघन केले गेले आहे. सत्ताधारी भाजपाचे 2 पदाधिकारी डॉ सुब्रमण्यम स्वामी आणि नवज्योतसिंह सिद्धू यांस या कोटयातून राज्यसभेवर पाठविले गेले आहे. आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांस केंद्रीय गृह विभागाने दिलेल्या माहितीत डॉ स्वामीना अर्थशास्त्री आणि सिद्धूला क्रिकेटर नात्याने राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभेसाठी नामनिर्देशित केले गेले आहे. आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांनी राष्ट्रपति कार्यालयास राज्यसभेवर नामनिर्देशित केले गेलेल्या सदस्यांची आणि निवड प्रक्रियेची माहिती मागितली होती. राष्ट्रपति कार्यालयाने सरळ उत्तर देण्याऐवजी गलगली यांचा अर्ज केंद्रीय गृह विभागास हस्तांतरित केला. केंद्रीय गृह विभागाचे संचालक आशुतोष जैन यांनी कळविले की राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी यांनी प्रधानमंत्री यांच्या शिफारसीवर घटनेतील अनुच्छेद 80(1) आणि 80(3) च्या तरतुदीनुसार राज्यसभेवर 11 सदस्यांचे नामनिर्देशन केले आहे. 11 सदस्यांच्या यादीत 2 अशी नावे आहेत जी प्रत्यक्ष आणि सक्रिय रुपात राजकारणात गुंतलेली आहेत. नामनिर्देशनाच्या वेळी तर डॉ सुब्रमण्यम स्वामी आणि नवज्योतसिंह सिद्धू भाजपाच्या राष्ट्रीय कार्यकारिणीत सदस्य होते. भाजपाच्या अधिकृत वेबसाईटवर दोघांची नावे तेव्हापासून आजमितीपर्यंत कार्यकारिणी सदस्य या नात्याने झळकत आहे. राज्यसभेच्या नामनिर्देशित सदस्यांसाठी असलेला नियम स्पष्टपणे सुचवितो की " राष्ट्रपति द्वारा सभागृहातील नामनिर्देशित सदस्यास कोणत्याही राजकीय पक्षात सामिल होण्याची अनुमति असेल जर तो सभागृहात आपले स्थान ग्रहण करण्याच्या पहिल्या 6 महिन्यात असे करतो/ करत आहे" .त्यामुळेच अश्या लोकांचे नामनिर्देशन आवश्यक आहे जे कधीही कोणत्याही राजकीय पक्षाचे सदस्य नसले पाहिजे, असे सांगत अनिल गलगली यांनी राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी यांस पाठविलेल्या पत्रात आवाहन केले आहे की या 2 राजकीय नेत्यांस हटवित राज्यसभेत विशिष्ट क्षेत्रातील 2 नवीन विशेषज्ञांस स्थान दिले जावे. डॉ स्वामी 1997 पर्यंत लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्समध्ये लेक्चरर होते आणि 1974 मध्ये राजकीय पक्ष जनसंघाच्या माध्यमातून उत्तर प्रदेश मधून राज्यसभेवर निवडले गेले. 4 वेळा विविध पक्षाच्या माध्यमातून संसदेची सदस्यता ग्रहण केली. राजकीय कार्यात नेहमीच व्यस्त असलेले डॉ स्वामी यांस अर्थशास्त्रात अभ्यास करण्याची संधी मिळाली नाही. तसेच नवज्योतसिंह सिद्धू सुद्धा 2004 ते 2009 पर्यंत अमृतसर येथून राजकीय पक्ष- भाजपाचेे लोकसभेतील खासदार होते आणि 1998 पर्यंत क्रिकेट खेळत होते. गेली 18 वर्षे राजकारणा बरोबर टेलीविजन कार्यक्रमात व्यस्त आहेत. अनिल गलगली यांनी राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी यांस लिहिलेल्या पत्रात 2 प्रमुख आक्षेप नोंदविले आहेत. दोघे राजकीय पक्षाचे पदाधिकारी असून ज्या क्षेत्रात विशेषज्ञ होण्याचा दावा केला आहे त्या क्षेत्रात विशेष सक्रिय दिसले नाही. दोघे प्रत्यक्षरित्या व्यावसायिक राजकीय पुढारी असल्यामुळे घटनेच्या मूळ तरतूदीस काहीच अर्थ राहिला नाही. कारण राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित केले जाणारे सदस्य अश्या व्यक्ति हवेत ज्यांना साहित्य, विज्ञान, कला आणि समाज सेवा सारख्या विषयाच्या बाबतीत विशेष ज्ञान आणि व्यावहारिक अनुभव हवा. अनिल गलगली यांनी डॉ स्वामी आणि सिद्धू यांस पत्र पाठवून आवाहन केले आहे की नैतिकतच्या दृष्टीकोणातून आपणच आपल्या सदस्यत्वाचा त्याग करत राज्यसभेत विशिष्ट क्षेत्रातील विशेषज्ञ यांस स्थान मिळवून दयावे.

Question mark on the nomination of Dr Swamy and Siddhu to Rajya Sabha

There exists an provision in politics to nominated 12 member to the Rajya Sabha by the President. The person's who possess special knowledge and could be specialist in different fields of Art, science etc can be nominated as Rajya Sabha members by the President. In the recently ensued process of nomination has brought forward two lapses by the government in case of Dr Subramanyam Swamy and Navjyot Singh Siddhu, who have been nominated for Rajya Sabha under the category inspite of being active office bearers of the BJP. In a response provided to RTI Activist Anil Galgali by the Union Home Ministry Dr Swamy has been declared as Economist and Siddhu as a cricketer to be nominated by the President to the Rajya Sabha. RTI Activist Anil Galgali had sought information from the President's office about the details of persons nominated for the Rajya Sabha along with the details of the selection procedure. Avoiding responding to the query directly, the President's office transferred the applicant to the Ministry of Home Affairs. The Director of the Union Home Ministry, Ashutosh Jain informed Galgali that The President on the recommendation of the Prime Minister and as per provisions of Section 80(1) & 80(3) of the constitution has nominated members to the Rajya Sabha. Out of the 11 person's nominated, 2 names are directly and actively associated with politics. At the time of nomination, Dr Subramanyam Swamy and Navjyot Singh Siddhu were members of the BJP National Executive. Both the names are published on the official website of the BJP since past and is continued to be displayed up till now. Rules for the nomination of eminent personalities to the Rajya Sabha state that the person nominated can take membership of any political party if he or she joins within six months of assuming the membership. Also it is important that they should not be members of any political parties before nomination. Citing this, Anil Galgali has appealed to the President Shri Pranab Mukherjee to remove these 2 persons and nominate 2 new persons who belong to the category. Dr Swamy was a Lecturer at the London School of Economics up til 1997, and had been a Member of Rajya Sabha for the first time in 1974 as a Jansangh member from Uttar Pradesh. He has been a member for four terms in the period from different political parties. Due to his engagement with politics, Dr Swamy seldom found time to study on Economics. Similarly Siddhu too has been a BJP Loksabha MP between 2004 to 2009 from Amritsar . He played cricket up to 1998. He has been also busy with politics for the past 18 years apart from television shows. Anil Galgali has pointed out 2 main objections on the nominations stating that both the nominees have not been active in the fields that they have mentioned for the membership. This type of backdoor entry for professional politicians have hurt the main aims of the constitution. The person's supposed to be nominated as President's nominees must be from the fields of Literature, Science, Arts and Social Service, they should possess special knowledge of the field and working experience to enrich the parliament proceedings. In a letter address to Dr Swamy and Sidhu, Anil Galgali urges that to maintain morality they both should resign from the membership and came forward to give chance a person from the fileds of Special Knowledge.

Thursday 9 June 2016

मनपा के नए काम का ठेका लोक आयुक्त ने दिए जांच के आदेश

मुंबई मनपा ने सडक काम में हुए भ्रष्टाचार और धांदली के चलते जांच कर 6 ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज की। इस सच्चाई को नकारते हुए जिन ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई हैं उनमें से ही आरपीएस इन्फ्रा प्रोजेक्ट और जे कुमार को हँकॉक के अलावा यारी रोड, मिठी नदी और विक्रोली उड्डाणपूल का नया ठेका बहाल करना और गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड इस1300 करोड़ के काम में दोबारा एफआईआर दर्ज ठेकेदारों में से ही ठेकेदारों पर दिखाई गई मेहरबानी की जांच करने की मांग आरटीआई कार्यकर्ते अनिल गलगली ने राज्य के लोक आयुक्त एम एल तहलियानी के पास करते ही लोक आयुक्त ने जांच के आदेश दिए हैं। आरटीआई कार्यकर्ते अनिल गलगली ने राज्य के लोक आयुक्त एम एल तहलियानी के पास शिकायत में आश्चर्य व्यक्त किया हैं कि एकओर ठेकेदार पर मनपा एफआईआर दर्ज करती हैं दूसरीओर उसी ठेकेदारों को नया ठेका देती हैं। यह विचित्र मामला हैं। इसके अलावा गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड इस 1300 करोड़ो के काम में भी एफआईआर दर्ज हुए ठेकेदारों पर मनपा मेहरबान हैं और हाल ही में शार्ट लिस्टिंग में उनमें से ही 2 ठेकेदार वैध साबित हुए हैं। एक बार मनपा फस गई है जिससे बदनामी होते हुए उसी ठेकेदारों को नया नया काम देने से मनपा की भूमिका पर संदेह निर्माण हो रहा हैं। अनिल गलगली की लोक आयुक्त से मांग की थी कि सभी मामले को गंभीरता से लेते हुए महानगरपालिका आयुक्त से हँकॉक के अलावा यारी रोड, मिठी नदी और विक्रोली उड्डाणपूल एवं गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड इस नए काम का वस्तुस्थिती पर आधारित रिपोर्ट मंगवाकर मुंबईकरों की और मनपा की होनेवाला फ्रॉड को रोके और दर्ज एफआईआर के मद्देनजर सू-मोटो लेते हुए कार्यवाही करे। गलगली की मांग पर राज्य के लोक आयुक्त एम एल तहलियानी ने जांच के आदेश दिए हैं।

पालिकेच्या नवीन कामाचे कंत्राट लोकआयुक्तांनी दिले चौकशीचे आदेश

मुंबई महानगरपालिकेने रस्ते कामात झालेला भ्रष्टाचार आणि सावळा गोंधळ लक्षात घेता चौकशी करत 6 कंत्राटदारावर गुन्हे दाखल केले. ही वस्तुस्थिती असताना ज्या कंत्राटदारावर गुन्हे दाखल झाले त्यापैकी आरपीएस इन्फ्रा प्रोजेक्ट आणि जे कुमार यांस हँकॉकसह यारी रोड, मिठी नदी आणि विक्रोळी उड्डाणपूलाचे नवीन कंत्राट बहाल करणे तसेच गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड या 1300 कोटीच्या कामात पुनश्च कंत्राटदारावर दाखविलेली मेहरबानीची चौकशी करत कार्यवाही करण्याची मागणी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी राज्याचे लोक आयुक्त एम एल तहलियानी यांच्याकडे करताच श्री तहलियानी यांनी चौकशी सुरु केली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी राज्याचे लोक आयुक्त एम एल तहलियानी यांच्याकडे पाठविलेल्या तक्रारीत आश्चर्य व्यक्त केले आहे की एकीकडे ज्या कंत्राटदारावर पालिका गुन्हे दाखल करते त्याच कंत्राटदाराना नवीन काम देते, हा प्रकार विचित्र आहे. त्याचशिवाय गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड या 1300 कोटीच्या कामात सुद्धा एफआयआर दाखल झालेल्या कंत्राटदारावर पालिका मेहरबान झाले असून नुकतेच निविदेच्या छाननीअंती त्यापैकीच 2 पात्र ठरले आहेत. एकदा पालिका फसली असून त्यामुळे मोठी बदनामी झाली असताना पुनश्च त्याच त्याच कंत्राटदाराना नवनवीन कामे दिली जात असल्यामुळे पालिकेच्या हेतूवर संशय निर्माण होत आहे. अनिल गलगली यांनी मागणी केली होती की सर्व बाबीची दखल घेत महानगरपालिका आयुक्तांकडून हँकॉकसह यारी रोड, मिठी नदी आणि विक्रोळी उड्डाणपूल तसेच गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड या नवीन कामाचा वस्तुस्थितीवर आधारित अहवाल मागवित मुंबईकरांची आणि पालिकेची होणारी फसवणूक थांबवावी तसेच यापूर्वी दाखल गुन्ह्याबाबत सू-मोटो घेत कार्यवाही करावी. गलगली यांच्या मागणीनंतर राज्याचे लोक आयुक्त एम एल तहलियानी यांनी चौकशीचे आदेश दिले आहेत.

BMC's new awarded contracts, probe order by Maharashtra Lokayukta

BMC which has found itself under the lens due to the tremendous corruption and irregularities in the road contracts of the island city, has once again managed top grab eyeballs due to its allocation of works yet again to couple of Accuse contractors. Already there have been FIR's lodged on 6 of the contractors, who have been found guilty of shoddy works. But again not learning from any of their past mistakes, BMC has gone ahead and awarded two of the 6 Accused contractors, M/s RPS Infra Projects and M/s J Kumar works at Hackock Yari Road, Mithi River and Vikroli Flyover. To add salt to the wound BMC has also managed to help them get listed as one of the party to fill in the tender for the ambitious 1300 crore project of the Goregaon Mulund link road. After RTI Activist Anil Galgali demand to the Maharashtra Lokayukta Justice (retd) M L Tahaliyani to inquire of the entire episode and accordingly initiate action on the BMC and its officials responsible for creating such a mess. Mr Tahaliyani order to probe the BMC's new awarded contracts. In his letter to the Lokayukta, Anil Galgali has expressed his displeasure and surprise at the attitude of the BMC who on one side has lodged FIR's and on the second hand goes out of the way to promote these firms in getting works. Also the biggest surprise comes or rather it invites suspicion on the attitude of the BMC, who have helped these 2 companies to get works for the Goregaon-Mulund Link road project. As usual, at the end of short listing of tendering only 2 companies were left who were to compete against each other for the work to get allocated. This is surely inviting suspicion against the BMC, quips Galgali. Anil Galgali has asked the Lokayukta to get factual reports from the Municipal Commissioner himself for the works happening at the Hackock, Yari Road, Mithi River and Vikroli Flyover and the tendering process of Goregaon Mulund link road. Also, under su-motto the Lokayukta should initiate action against these 6 contractors who have been found guilty, alongside the officials involved and stop this practice of fooling the Mumbaikars, concludes Galgali. Mr Tahaliyani order to probe the BMC's new awarded contracts.

Monday 6 June 2016

नाला सफाई में निलंबित अफसरों का निलंबन पुनर्विलोकन कमिटी ने रखा बरकरार

मुंबई के विभिन्न इलाकों में नाला सफाई काम में बरती गई अनियमितता के आरोप में मुकादम से लेकर मुख्य अभियंता का निलंबन सितंबर 2015 में मनपा आयुक्त अजोय मेहता ने किया था। 6 महीने के बाद उप आयुक्त की अध्यक्षता वाली पुनर्विलोकन कमिटी के समक्ष इनका मामला गया था जिसे खारिज करते हुए सभी निलंबित अफसरों का निलंबन पुनर्विलोकन कमिटी ने बरकरार रखने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मनपा प्रशासन ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने गत 5 वर्ष में निलंबित हुए मनपा अफसरों की जानकारी मनपा प्रशासन से मांगी थी। मनपा के विजिलेंस विभाग ने अनिल गलगली को पुनर्विलोकन कमिटी-2 की बैठक से जुड़े हुए दस्तावेज दिए। मनपा उप आयुक्त की अध्यक्षता में दिनांक 22.03.2016 को मनपा मुख्यालय में आयोजित बैठक में 41 अफसरों और कर्मियों से जुड़े हुए निलंबन पर चर्चा की गई थी। जिसमें सितंबर 2015 में मुंबई की नाला सफाई काम में अनियमितता को लेकर निलंबित 12 अफसर और कर्मियों का मामला भी था। मनपा आयुक्त अजोय मेहता के आदेश पर सबसे पहले 10 लोगों को दिनांक 20.09.2015 और बाद में दिनांक 22.09.2015 को और 3 लोगों को निलंबित किया गया था। बाद में अशोक पवार मुख्य अभियंता को निलंबित किया गया। 6 महीने से अधिक समय के लिए निलंबित हुए लोगों की सुनवाई पुनर्विलोकन कमिटी-2 के पास आती हैं। सामान्य प्रशासन के उप आयुक्त सुधीर नाईक ने विजिलेंस के मुख्य अभियंता उदय मुरुडकर, सहायक अभियंता सुदेश गवळी, प्रदीप पाटील, संजीव कोळी, रमेश पटवर्धन, दुय्यम अभियंता राहुल पारेख, प्रशांत पटेल, भगवान राणे, प्रफुल्ल वडनेरे, संभाजी बच्छाव,नरेश पोल और मुकादम शांताराम कोरडे का निलंबन बरकरार रखा। इस कमिटी में नाईक के अलावा प्रमुख जांच अधिकारी रविंद्र दणाणे, विजिलेंस के मुख्य अभियंता एस ओ कोरी भी उपस्थित थे। अनिल गलगली के अनुसार इनके निलंबन पर ताबडतोब फैसला होना जरुरी हैं अन्यथा उन्हें मनपा के नियमों के अनुसार 75 प्रतिशत वेतन बिना काम किए मिलता ही हैं। इससे अच्छा इनके निलंबन पर फटाफट फैसला लेकर या कारवाई या हमेशा के लिए बर्खास्त करती हैं तो पैसों की बचत होगी और आनेवाले दिनों में इसतरह के मामलों में गिरावट आएगी।

नाला सफाईत निलंबित अधिका-यांचे निलंबन पुनर्विलोकन समितीने पुढे चालू ठेवले

मुंबईतील विविध विभागात नाला सफाई कामात आढळलेली अनियमितता या आरोपात मुकादम ते मुख्य अभियंता अश्या 12 लोकांचे निलंबन गेल्या वर्षी पालिका आयुक्त अजोय मेहता यांनी केले होते. 6 महिन्यानंतर पालिका उप आयुक्त यांच्या अध्यक्षतेखाली आयोजित पुनर्विलोकन समितीपुढे यांचे प्रकरण गेले असता त्यास फेटाळत सर्व निलंबित अधिकारी आणि कर्मचा-यांचे निलंबन पुनर्विलोकन कमिटी ने पुढे चालू ठेवल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस पालिका प्रशासनाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी गेल्या 5 वर्षात नाला सफाई आणि रस्ते कामात निलंबित झालेल्या पालिका अधिकारी आणि कर्मचा-यांची माहिती मागितली होती. पालिकेच्या चौकशी विभागाने अनिल गलगली यांस पुनर्विलोकन समिती-2 च्या बैठकीचा इतिवृत्तांत दिला. पालिका उप आयुक्त यांच्या अध्यक्षतेखाली दिनांक 22.03.2016 रोजी पालिका मुख्यालयात आयोजित बैठकीत 41 अधिकारी आणि कर्मचा-यांच्या निलंबनावर चर्चा झाली. यात सष्टेंबर 2015 मध्ये मुंबईतील नाला सफाई कामात झालेली अनियमिततामुळे निलंबित झालेल्या 12 अधिकारी आणि कर्मचा-यांचे प्रकरण सुद्धा होते. पालिका आयुक्त अजोय मेहता यांच्या आदेशा नंतर सर्वप्रथम 10 लोकांना दिनांक 20.09.2015 आणि त्यानंतर दिनांक 22.09.2015 रोजी आणखी और 2 लोकांना निलंबित केले गेले. 6 महिन्यापेक्षा जास्त कालावधी निलंबित असलेल्याची सुनावणी पुनर्विलोकन समिती-2 कडे आयोजित केली जाते. सामान्य प्रशासन विभागाचे उप आयुक्त सुधीर नाईक यांच्या समितीने दक्षता विभागाचे मुख्य अभियंता उदय मुरुडकर, सहायक अभियंता सुदेश गवळी, प्रदीप पाटील, संजीव कोळी, रमेश पटवर्धन, दुय्यम अभियंता राहुल पारेख, प्रशांत पटेल, भगवान राणे, प्रफुल्ल वडनेरे, संभाजी बच्छाव,नरेश पोळ आणि मुकादम शांताराम कोरडे यांचे निलंबन पुढे चालू ठेवले. या समितीत नाईक यांच्या व्यतिरिक्त प्रमुख चौकशीअधिकारी रविंद्र दणाणे, दक्षता विभागाचे मुख्य अभियंता एस ओ कोरी सुद्धा उपस्थित होते. अनिल गलगली यांच्या मते अश्या अधिकारी आणि कर्मचा-यांच्या निलंबनावर ताबडतोब निणर्य घेणे आवश्यक आहे कारण सहा महिन्यानंतर पालिकेच्या नियमानुसार 75 टक्के पगार काम केल्याशिवाय मिळते.यापेक्षा अश्यांच्या निलंबनावर ताबडतोब निणर्य घेत कारवाई अथवा कायमस्वरुपी बडतर्फ केल्यास पैश्यांची बचत होईल आणि भविष्यात अश्या प्रकरणाची संख्या कमी होण्यास मदत होईल.

Suspension of BMC officers found guilty of lax performance in desilting of storm water drains, continued by the Review committee

It is known that the MCGM commissioner Ajoy Mehta had suspended staff of the SWD department ranging from the Chief Engineer to a Mukadam in September 2015 for irregularities in the desilting of drains causing floods in Mumbai. After 6 months the issue of their suspension was placed before a Review committee headed by a Dy Commissioner, which has rejected their appeal for reinstatement and has extended the suspension further. This information was provided to RTI Activist Anil Galgali by the BMC administration In a RTI application made by Anil Galgali, he had demanded list of officers suspended by the BMC in the last 5 years. Enquiry Department of the BMC handed over documents related to the Review Committee Meeting-2 . In the meeting held on the 22nd March of 2016 under the Chairmanship of Deputy Municipal Commissioner discuss the suspension of total 41 officers from various department, which included suspension of 12 officers in the nullah cleasning work in September 2015. Ajoy Mehta had firstlysuspended 10 officers on the 20.09.2015 and two days later i.e 22.9.2015 suspended 2 more of its officers due to irregularities found in the Nullah Cleaning work. Suspended for more than 6 months, their petition comes under the Review Committee-2. GAD's DMC Sudhir Naik continued the suspension of Chief Engineer of Vigilance Department Uday Murudgkar, Assistant Engineer Sudesh Gawali, Pradip patil, Sanjeev koli, Ramesh Patvardhan, Sub Engineer Rahul Parekh, Prashant Patel, Bhagwan Rane, Prafulla Wadnere, Sambhaji Bacchav, Naresh Poil and Mukadam Shantaram Korde. Apart from Naik in the committee Chief Enquiry Officer Ravindra Danane, Chief Engineer of Vigilance S O Kori were also present in the Committee meet. Anil Galgali feels that the decision on these officers suspension should be immediately tackled as they get 75% of their salaries just by sitting at home. If they are dismissed from the services permanently, there would be savings of such outgoings and there would be a drop in such corrupt malpractice in future, concludes Galgali.