Thursday 27 October 2016

हेमा मालिनी ने डांस अकादमी के लिए नहीं ली जमीन



अभिनेत्री से राजनेता बनी हेमा मालिनी ने नृत्य अकादमी खोलने के लिए आवंटित की गई जमीन को ठुकरा दिया है. इस मामले की पोल सबसे पहले आरटीआई से आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने उजागर की थी।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सबसे पहले इस मामले का खुलासा करते हुए आरोप लगाया था कि अभिनेत्री को अकादमी खोलने के लिए बहुत ही कम दाम पर जमीन उपलब्ध कराई गई थी.  गार्डन की जमीन पर डांस अकादमी खोलने के लिए रु 1.75 लाख का रेट तय किया गया था जबकि जमीन की मौजूदा किंमत 70 करोड़ हैं। गलगली की आरटीआई के बाद विपक्ष ने इस डील की बराबरी रॉबर्ट वरडा की जमीन डील के समान करार देते हुए बीजेपी पर हमला बोल दिया था।

सरकार की बात पर ध्यान देते हुए, मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर की अध्यक्षता वाली पीठ ने आवंटित भूमि को चुनौती देने वाले जनहित याचिका का निपटारा किया. पूर्व पत्रकार केतन तिरोड़कर द्वारा डाली गई याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि सरकारी वकील प्रियभूषण काकडे के बयान को ध्यान में रखते हुए इस याचिका में कुछ नहीं बचा है. हालांकि न्यायाधीशों ने याचिकाकर्ता को इस बात की छूट दी है कि अगर भविष्य में जमीन से संबंधित कोई नई बात पता चलती है तो वह नई याचिका डाल सकते हैं.


भाजपा सरकार जब डबल मेहरबान होगी तो क्या हो सकता है और क्या नहीं ? इसका ज्वलंत अनुभव ओशिवारा स्थित 2000 वर्ग मीटर का भूखंड वितरण  प्रक्रिया से आसानीे से आता हैं। भाजपा सांसद और प्रख्यात अभिनेत्री हेमा मालिनी के नाटय विहार केंद्र की सिर्फ 1.75 लाख में (87.5 रु वर्ग मीटर रेट से) करोड़ों का भूखंड बहाल होने की जानकारी आरटीआई से आरटीआई अनिल गलगली ने सार्वजनिक की। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने हेमा मालिनी को दिए जानेवाले भूखंड के तहत दी गई जानकारी चौकानेवाली हैं। हाल ही में जो भूखंड अंधेरी तालुका स्थित आंबिवली में दी गई जमीन गार्डन के लिए आरक्षित है उस जमीन को हेमा मालिनी की संस्था को सिर्फ रु 87.5/- प्रति वर्ग मीटर के रेट से देकर भूखंड की खैरात की गई थी । वर्ष 2016 में सरकार ने दिनांक 1/2/1976 के मुल्यांकन का आधार लिया है जो उसवक्त प्रति वर्ग मीटर का रेट रु 350 /- इतना था। हेमा मालिनी को उसी रेट के 25 प्रतिशत यानी सिर्फ रु 87.5 /- इतनी ही रकम अदा करनी होगी। इसके पहले हेमा मालिनी की संस्था को अंधेरी तालुका के वर्सोवा का भूखंड दिनांक 4/4/1997 को दिया गया था उसवक्त संस्था ने रु 10 लाख अदा किए थे लेकिन इसमें से कुछ हिस्सा ये सीआरझेड से प्रभावित होने से हेमा मालिनी ने किसी भी तरह का निर्माण काम किया नही। साथ ही में आज तक कुल प्रोजेक्ट खर्च की 25 प्रतिशत रकम भी इकठ्ठा नही करने के बाद भी भाजपा सरकार ने इस ओर ध्यान दिया नही और हेमा मालिनी की संस्था को वैकल्पिक भूखंड का वितरण कर ही किया।  हेमा मालिनी के नाट्य विहार केंद्र ने इसके पहले 10 लाख अदा किया था। नया मूल्यांकन ध्यान में रखते हुए  2000 वर्ग मीटर भूखंड की किंमत 1.75 लाख इतनी हो रही हैं।

वर्सोवा स्थित भूखंड की वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग हेमा मालिनी की नाटय विहार केंद्र ने दिनांक 6/7/2007 को सरकार से कर आरक्षित क्षेत्र में से 2000 वर्ग मीटर जगह नाटय विहार केंद्र कोबप्रदान कर शेष जगह पर प्रस्तावित गार्डन का विकास उनके ट्रस्ट द्वारा करने की मांग की थी। इस प्रस्ताव को सरकार ने दिनांक 30/7/2010 को मंजूर भी किया। सरकार ने संस्था से कुछ मामलों की जानकारी मांगने पर संस्था ने उसकी पूर्ती आज तक नही की हैं।

अंधेरी के आंबिवली स्थित सर्वे क्रमांक 109 A/1, नगर भुमापन क्रमांक 3 के क्षेत्र 29360.50 वर्ग मीटर जमीन गार्डन के लिए आरक्षित रखे क्षेत्र में से 2000 वर्ग मीटर देने का आदेश सरकार के उपसचिव माधव काले ने दिनांक 23 दिसंबर 2015 को जारी किया।  राजस्व विभाग के प्रधान सचिव ने दिनांक 19 दिसंबर 2015 को उनकी अध्यक्षता में बैठक आयोजित की थी। उस बैठक के बाद सरकारी चक्र घुमने लगे और सिर्फ रु 1.75/-  लाख में करोड़ों का भूखंड हेमा मालिनी की संस्था नाटय विहार केंद्र को बहाल करने को मंजूरी दी। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने दिनांक 15/1/2016 को पत्र भेजकर पुनश्च कुछ दस्तावेज और मामलों की पूर्ती करने की सूचना सांसद सदस्य हेमा मालिनी को भेजे हुए पत्र में की हैं। दिनांक 14/8/2015 को हेमा मालिनी स्वयं भूखंड के स्थान पर उपस्थित थी और उसके बाद ही उनके संस्था को भूखंड सरकार को मंजूरी दी।

अनिल गलगली इस बात से खुश हैं कि उनकी आरटीआई से किसी व्यक्ति विशेष को मदद करने की गलत नीतियों का पर्दाफाश हुआ और खुद हेमा मालिनी को शायद आत्मग्लानी हुई होगी सो जमीन लेने से इंकार किया।

हेमा मालिनी यांनी डांस अकादमीस दिलेली सरकारी जमीन घेण्यास नकार दिला


प्रसिद्ध नटी आणि भाजपा खासदार हेमा मालिनी यांनी नृत्य अकादमी खोलण्यास वितरित केलेली जमीम घेण्यास नकार दिला. या प्रकरणाचे बिंग सर्वप्रथम आरटीआयच्या माध्यमाने आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली उजेडात आणले होते.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी सर्वप्रथम या प्रकरणाचा खुलासा करत आरोप केला होता की हेमा मालिनीच्या अकादमीला स्वस्तात जमीन दिली गेली आहे. उद्यानासाठी आरक्षित असलेल्या जमिनीवर  डांस अकादमी खोलण्यासाठी रु 1.75/-  लाख रक्कम निर्धारित केली. प्रत्यक्षात जमिनीची  किंमत रु 70/- कोटी आहे. गलगली यांच्या आरटीआयनंतर विरोधी पक्षाने या जमिनीचा झालेल्या डीलची तुलना रॉबर्ट वरडा यांच्या जमीन डीलबरोबर करत भाजपावर हल्ला केला होता.सरकारने मांडलेली बाजू ऐकत मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर यांच्या अध्यक्षतेखालील असलेल्या खंडपीठाने वितरित जमीन प्रकरणास आव्हान देणा-या जनहित याचिकेस निरस्त केले.  माजी पत्रकार केतन तिरोड़कर यांनी दाखल केलेल्या याचिकेवर सुनावणी करत खंडपीठाने सरकारी वकील प्रियभूषण काकडे यांनी मांडलेल्या खुलासा लक्षात घेता स्पष्ट केले की या याचिकेत काहीच राहिले नाही.


आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाकडे हेमा मालिनी यांच्या नाटय संस्थेस दिल्या जाणा-या भूखंडाची माहिती मागितली होती. मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाने हेमा मालिनी यांस दिल्या जाणा-या भूखंड अंतर्गत दिलेली माहिती धक्कादायक आहे. सद्या जो भूखंड अंधेरी तालुक्यातील मौजे आंबिवली येथील दिला गेला आहे ती जमीन उद्यानासाठी राखीव असून हेमा मालिनीच्या संस्थेस फक्त रु 87.5 प्रति वर्ग मीटर दराने भूखंडाची खैरात केली आहे. वर्ष 2016 मध्ये शासनाने दिनांक 1/2/1976 च्या मुल्यांकनाचा आधार घेतला होता आणि गलगली यांनी भांडाफोड़ करताच पुनश्च मूल्यांकन केले.मुंबईचे सहायक संचालक नगर रचनाकार चं. प्र. सिंह यांनी दिनांक 29 मार्च 2016 च्या पत्रानुसार जिल्हाधिकारी यांस कळविले की नवीन प्रति वर्ग मीटर दर रु 350/- इतका दाखविला गेला आहे. हेमा मालिनीस त्या दराच्या 25 टक्के म्हणजे फक्त रु 87.5/- इतका दर आकारला जाणार आहे.यापूर्वी हेमा मालिनीस अंधेरी तालुक्यातील मौजे वर्सोवा येथील भूखंड दिनांक 4/4/1997 रोजी दिला गेला होता त्यावेळी रु 10 लाखाचा भरणा केला होता पण त्यातील काही भाग हा सीआरझेड मुळे बाधित होत असल्यामुळे हेमा मालिनीने कोणतेही बांधकाम केले नाही उलट मैन्ग्रोजची कत्तल केली होती. भाजपा सरकारने याबाबीकडे दुर्लक्ष केले आणि हेमा मालिनीच्या संस्थेस पर्यायी भूखंड वितरित केला.


वर्सोवा येथील भूखंडाची पर्यायी व्यवस्था करण्याची मागणी हेमा मालिनीच्या नाटय विहार केंद्राने दिनांक 6/7/2007 रोजी शासनाकडे करत आरक्षित क्षेत्रापैकी 2000 वर्ग मीटर जागा नाटय विहार केंद्रास प्रदान करत उर्वरित जागेवर नियोजित गार्डनचा विकास त्यांच्या ट्रस्टमार्फत करण्याची मागणी केली सदर प्रस्ताव शासनाने दिनांक 30/7/2010 रोजी मान्य केला. शासनाने संस्थेसंबंधी मागितलेल्या काही मुद्द्याची माहिती संस्थेने समाधानकारक दिलीच नाही.

मौजे आंबिवली, तालुका अंधेरी येथील सर्वे क्रमांक 109 A/1, नगर भुमापन क्रमांक 3 पैकी क्षेत्र 29360.50 चौरस मीटर या बगीचासाठी आरक्षित ठेवलेल्या क्षेत्रापैकी 2000 चौरस मीटर देण्याचे आदेश शासनाचे उपसचिव माधव काळे यांनी दिनांक 23 डिसेंबर 2015 रोजी जारी केले. महसूल विभागाचे प्रधान सचिव यांनी दिनांक 19 डिसेंबर 2015 रोजी त्यांच्या अध्यक्षतेखाली बैठक आयोजित केली होती. या बैठकीनंतर शासकीय चक्रे फिरली आणि फक्त स्वस्तात कोटयावधीचा भूखंड हेमा मालिनीच्या नाटय विहार केंद्रास बहाल करण्यास मंजूरी मिळाली आणि मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाने दिनांक 15/1/2016 रोजी पत्र पाठवून पुन्हा काही कागदपत्रे आणि मुद्द्याची पूर्तता करण्याची सूचना लोकसभा सदस्य हेमा मालिनी यांस पाठविलेल्या पत्रात केली आहे. दिनांक 14/8/2015 रोजी हेमा मालिनी जातीने भूखंड स्थळावर उपस्थित होती आणि त्यानंतरच त्यांच्या संस्थेस भूखंड देण्यास शासनाने मंजूरी दिली.

अनिल गलगली यांनी याबाबत समाधान व्यक्त करत सांगितले की आरटीआयमुळे कोण्या व्यक्ती विशेषास मदत करण्याचा शासनाचा चुकीच्या निर्णयाचा पर्दाफास झाला आहे.



Wednesday 26 October 2016

शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित कंपनी में 56 प्रतिशत स्टाफ ही नही

मुंबई को विकसित करने के लिए शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित यानी SPPL के जरिए तेज गति देने का सपना महाराष्ट्र सरकार का हैं लेकिन आपको ताज्जुब होगा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को प्राप्त उस जानकारी से जिसमें स्पष्ट किया हैं कि शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित कंपनी के पास 56 प्रतिशत स्टाफ के पद भरे ही नहीं गए हैं। 
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित यानी SPPL से जानने की कोशिश की थी कि उनके कार्यालय में कितने पद होने चाहिए थे और वर्तमान कितने पद रिक्त हैं। यह कंपनी महाराष्ट्र सरकार की हैं जिसका गठन 25 सितंबर 1998 को शिवसेना-भाजपा युति शासनकाल में हुआ था ताकि गरीबों को सस्ते दामों में मुंबई में मकान मिल सके। शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित के जन सूचना अधिकारी और सहायक व्यवस्थापक (प्रशासन) सुगंधा पवार ने अनिल गलगली को बताया कि सभी प्रकार के कुल 73 पद हैं जिनमें से सिर्फ 32 पदों पर नियुक्तियां की गई हैं जबकि 41 पद रिक्त हैं। इनमें सबसे अधिक रिक्त पद उप समाज अधिकारी के हैं। 11 में से सिर्फ 4 ही लोग कार्यरत हैं। स्टेनो के 4 में 4 पद रिक्त हैं। जनरल मैनेजर के 3 में से 2 पद रिक्त हैं। मैनेजर के 4 में से 3 पद रिक्त हैं। शत प्रतिशत पद रिक्त हैं उनमें जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर, सर्वेवर, सुपरिडेंटेंड, अकाउंटेट, जनसंपर्क अधिकारी, डेप्यूटी चीफ इंजीनियर, असिस्टेंट इंजीनियर, जूनियर इंजीनियर, टेक्निकल असिस्टेंट, आर्किटेक्ट, डीआईएलआर, समाज विकास अधिकारी, सिलेक्शन ग्रेड स्टेनो, झेरोक्स ओपरेटर का शुमार हैं।
अनिल गलगली ने ठेके और डेप्यूटेशन पर कार्यरत अधिकारियों की जानकारी मांगने पर उन्हें बताया गया कि ऐसी जानकारी उनके पास संग्रहित नहीं हैं। जहां पर सरकार इसे गति देकर बिल्डरों को लोन देने के अलावा लॉटरी निकालने का मन बना रही हैं जबकि इनके पास काम करने के लिए पर्याय स्टाफ ही नहीं हैं। अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री और गृह निर्माण मंत्री प्रकाश महेता को पत्र लिखकर मांग की हैं क़ि जो स्टाफ मंजूर किया हैं उसे शत प्रतिशत नियुक्त करने की जिम्मेदारी सरकार की हैं इसलिए सरकार जल्द से जल्द स्टाफ की नियुक्तियां हो। जिसके चलते मुंबई में सस्ते दामों में मकान दिलाने का सपना पुरा हो सके।

शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित कंपनीत 56 टक्के पदे रिक्त

मुंबईच्या विकासात शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित कंपनी म्हणजे SPPL तर्फे अधिक वाव देण्याची कल्पना महाराष्ट्र शासनाची आहे पण आपणास आश्चर्य वाटेल आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिलेल्या त्या माहितीत स्पष्ट केले आहे की शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित कंपनीत 56 टक्के पदे भरलीच गेली नाही.
आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित कंपनीकडे माहिती मागितली होती की किती मंजूर पदे आहेत आणि किती पदे रिक्त आहेत. ही कंपनी महाराष्ट्र शासनाची असून या कंपनीची स्थापना 25 सष्टेंबर 1998 ला शिवसेना-भाजपा युती शासन कार्यकाळात झाली होती. याचा उद्देश्य गरीबांस स्वस्तात घर उपलब्ध करुन देणे असा आहे. शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित कंपनीच्या जन माहिती अधिकारी आणि सहायक व्यवस्थापक (प्रशासन) सुगंधा पवार यांनी  अनिल गलगली यांस कळविले की सर्व प्रकारचे एकूण 73 पद आहेत ज्यांपैकी फक्त 32 पदे कार्यरत असून 41 पद रिक्त आहेत. यात सर्वाधिक रिक्त पदे उप समाज अधिकारी यांची आहे. 11 पैकी फक्त 4 पदावर अधिकारी कार्यरत आहेत. स्टेनोेची 4 पैकी 4 पदे रिक्त आहेत. म्हाव्यवस्थापकांची 3 पैकी  2 पद रिक्त आहेत. व्यवस्थापकांच्या 4 पैकी 3 पदे रिक्त आहेत. शत प्रतिशत पद रिक्त आहेत त्यात सह व्यवस्थापकीय संचालक, सर्वेवर, अधीक्षक, लेखा अधिकारी, जनसंपर्क अधिकारी, उप मुख्य अभियंता, सहायक अभियंता , कनिष्ठ अभियंता , तंत्र सहायक,वास्तुविशारद ,डीआईएलआर, समाज विकास अधिकारी, सिलेक्शन ग्रेड स्टेनो, झेरोक्स ओपरेटर यांचा समावेश आहे.

अनिल गलगलीे यांनी कंत्राट आणि प्रतिनियुक्तीवर कार्यरत अधिका-यांची माहिती मागितली असता त्यांस सांगण्यात आले की अशी माहिती संकलित केली गेली नाही. एकीकडे शासन विकासकांना कर्ज आणि लॉटरी काढण्याच्या दिशेने काम करत आहे आणि दुसरीकडे त्यांसकडे पर्याप्त अधिकारी आणि कर्मचारी वृंदाच कमतरता आहे. अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि गृह निर्माण मंत्री प्रकाश महेता यांस पत्र पाठवित मागणी केली आहे की शिवशाही पुर्नवसन प्रकल्प मर्यादित कंपनीस गती देण्यासाठी शत प्रतिशत मंजूर पदे भरण्याची जबाबदारी शासनाची असून लवकरात लवकर पदे भरावीत. जेणेकरुन मुंबई शहरात गरिबांना स्वस्तात घरे देण्याच्या कामाला गती मिळेल.

More than half posts in SPPL vacant

'Shivshahi Punarvasan Prakalp Limited' (SPPL) - Maharashtra Government's agency responsible for rehabilitation of all project-affected people across Mumbai- is itself in dire need of the Rehabilitation! 56 percent posts of this Government incorporated company have not been filled up, An inquiry by RTI Activist Anil Galgali revealed.
SPPL was incorporated as a Limited company on 25th September 1998, during the last stint of then Shivsena-BJP Government. The purpose was to make available proper houses for those displaced by ongoing development projects. Few lac such houses were to be used in Slum Rehabilitation schemes as transit houses -Some thing that didn't materialized. Thousands of project displaced families did get tenements in SPPL buildings at Mankhurd & other places.
At present, SPPL shows 73 posts on its record, out of these only 32 posts have been filled and 41 remain vacant. Posts that are yet to be filled include Joint Managing Director, Surveyor, Superintendent, Accountant, Public Relation Officer, Deputy Chief Engineer, Asst. Engineer, Jr. Engineer, Technical Assistant, Architect, Social Welfare Officer, Selection grade Steno and Xerox operator. Public Information officer and Assistant Manager (Administration) Sugandha has shared details of these vacancies. Out of 11 posts of Deputy Social Officer only 4 have been filled. Whereas, All 4 posts of stenos are vacant. Out of 3 posts of General Manager, 2 are awaiting proper appointment.

Anil Galgali had also sought information about officials working on contract or on deputation for SPPL. Such information has not been collated, He was told.
Recent releases reveal that State Government intends to give loan to builders for construction of houses under SPPL. Also, There is a move to sell SPPL made low cost houses to public through open lottery. But this Government body lacks the manpower to undertake these responsibilities. Galgali has written to Chief Minister Devendra Fadnavis and Housing Minister Prakash Mehta to promptly fill up vacancies of SPPL for early fulfillment of dream of affordable houses in Mumbai.

Saturday 22 October 2016

3 वर्ष में 31 मुंबईकरों की डेंगू से मौत

मुंबई में डेंगू।का मामला बढ़ रहा हैं। 3 वर्ष में 31 मुंबईकरों की डेंगू से मौत होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मनपा के  सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने दी हैं। 2707 डेंगू के मामले में मौत का प्रतिशत सिर्फ 1 प्रतिशत ही हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई महानगरपालिका के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग से  मुंबई के सभी वार्ड में डेंगू के पाए गए मरीज़ और मौत की संख्या की जानकारी मांगी थी। संसर्गजन्य विभाग की सहायक स्वास्थ्य अधिकारी ने अनिल गलगली को वर्ष 2013 से 2015 इन 3 वर्षों की जानकारी दी।  वर्ष 2013 में बी वार्ड में 1 ,जी दक्षिण वार्ड में 1 , जी उत्तर वार्ड में 1, के पूर्व वार्ड में 1, एल वार्ड 1, एन वार्ड 1 और टी वार्ड 1 वहीं पी दक्षिण वार्ड में 2 आणि एम पूर्व वार्ड में 2 ऐसे कुल मिलाकर 11 मरीजों की डेंगू से जान गई हैं।  वर्ष 2014 में डी वार्ड में 1, ई वार्ड में 1 , एफ दक्षिण वार्ड में 1,जी दक्षिण वार्ड में 1, एच पूर्व वार्ड में 1, के पश्चिम वार्ड में 1, एम पूर्व वार्ड में 1 आणि टी वार्ड में 1 तथा ए वार्ड में 2 और के पूर्व वार्ड में 2 ऐसे मिलकर 12 मरीज डेंगू से मृत घोषित किए गए। वर्ष 2015 में एम पूर्व वार्ड में 2, आर दक्षिण वार्ड में  2,  डी वार्ड में 1 , एफ उत्तर वार्ड में 1 ,जी दक्षिण वार्ड में 1 , के पश्चिम वार्ड में 1 ऐसे मिलाकर 8 मरीज डेंगू से अपनी जान गंवा बैठे।  3 वर्ष में सबसे अधिक मरीज ई वार्ड में पाए गए जिसकी संख्या हैं उसके बाद जी दक्षिण में 319 ऐसी मरीजों की संख्या हैं।

अनिल गलगली को वर्ष 2016 में पाए गए मरीजों की संख्या नहीं दी गई हैं। 3 वर्षों में मौत का प्रतिशत कम हुआ हैं। महानगरपालिका इसके लिए जनजागरण सिर्फ बीमारी के दौरान करती हैं। अगर यहीं जनजागरण पुरे वर्ष किया गया तो निश्चित तौर पर डेंगू पर नियंत्रण पा सकते हैं।

3 वर्षात 31 मुंबईकरांचा डेंग्यूने मृत्यु

मुंबईत डेंग्यूचे प्रमाण वाढले असून गेल्या 3 वर्षात 31 मुंबईकरांचा डेंग्यूने मृत्यु झाल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस पालिकेच्या सार्वजनिक आरोग्य खात्याने दिली आहे. 2707 प्रकरणात मृत्युचे टक्केवारी फक्त 1 टक्के आहे.
आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई महानगरपालिकेच्या सार्वजनिक आरोग्य खात्याकडे मुंबईच्या वार्ड स्तरावर डेंग्यूचे रुग्ण, मृत्युची संख्या याची माहिती विचारली होती. साथरोग विभागाच्या सहाय्यक आरोग्य अधिकारी यांनी अनिल गलगली यांस वर्ष 2013 ते 2015 या मागील 3 वर्षाची माहिती दिली आहे. वर्ष 2013 मध्ये बी ,जी दक्षिण, जी उत्तर, के पूर्व, एल, एन आणि टी वार्ड येथे प्रत्येकी 1-1 असे 7 तर पी दक्षिण आणि एम पूर्व येथे प्रत्येकी 2-2 असे सर्व मिळून 11 डेंग्यू रुग्णांनी प्राण गमावले. वर्ष 2014 मध्ये डी, , एफ दक्षिण,जी दक्षिण, एच पूर्व, के पश्चिम, एम पूर्व आणि टी वार्ड येथे प्रत्येकी 1-1 असे 8 तर ए आणि के पूर्व येथे प्रत्येकी 2-2 असे सर्व मिळून 12 डेंग्यू रुग्णांनी प्राण गमावले. वर्ष 2015 मध्ये एम पूर्व आणि आर दक्षिण येथे प्रत्येकी 2-2 तसेच डी, एफ उत्तर ,जी दक्षिण, के पश्चिम येथे प्रत्येकी 1-1 असे सर्व मिळून 8 रुग्ण डेंग्युच्या साथीने स्व:ताचे प्राण वाचवू शकले नाही. 3 वर्षात सर्वाधिक रुग्ण ई वार्ड येथे आढळले असून 359 अशी संख्या आहे तर त्यानंतर जी दक्षिण येथे 319 अशी संख्या आहे.
अनिल गलगली यांस वर्ष 2016 या वर्षाची माहिती
दिली नसून 3 वर्षात मृत्युचे प्रमाण कमी झाले आहे. महानगरपालिकेने फक्त साथीच्या आजारात याबाबतीत जनजागृती करण्याऐवजी संपूर्ण वर्ष यावर जनजागृती केल्यास शत प्रतिशत डेंग्यूवर नियंत्रण होऊ शकते.

31 deaths due to Dengue in Mumbai in 3 Years

Dengue, as a disease, is proving to be a bane for Mumbai -With 31 people losing their lives to this disease during last 3 years. 2707 cases of Dengue have been detected in Mumbai from Year 2013 to 2015, Health Department of BMC informed RTI Activist Anil Galgali. Dengue has a death rate of around 1% in its victims, The figures revealed.
Anil Galgali had asked for a ward-wise data of communicable disease in Mumbai. Dengue claimed 11 lives in Year 2013, 12 in Year 2014 & 8 in Year 2015. The figures of the present year 2016 were not revealed in the RTI reply.
3 year data of Dengue shows the disease is fairly evenly spread in City & Suburbs. During Year 2013, P-South Ward & M-East Ward were worst affected with 2 Dengue deaths each. Seven deaths in other wards B Ward , G-North Ward , G-South Ward , K-East Ward , L Ward , N Ward & T wards registered a death each during that year. In Year 2014, A Ward and K-East wards registered 2 Dengue deaths each , While D Ward , E Ward , F-South Ward , G-South Ward , H-East  Ward , M-East Ward  & T Ward wards also had one death each. In Year 2015 the overall Dengue death figure came down, but M-East Ward & R-South Ward still had 2 deaths each that year. D Ward , F-North Ward , G-South Ward  & K-East Ward also saw one death each during 2015. Dengue affected patients data shows that E ward and G-South Ward have been the most affected areas, with 359 & 319 detected cases of disease each during these 3 years.

Anil Galgali has suggested that instead of time-bound anti-Dengue programmes,  Year long drive for complete eradication of the diseas
e need to be undertaken.

Wednesday 19 October 2016

12 वर्ष से कला महासंचालनाय में नहीं हैं पूर्णकालिक निदेशक

महाराष्ट्र में नई सरकार आते ही कला महासंचालनाय के 'अच्छे दिन' आने की उम्मीद लगाएं बैठे फ़िलहाल मायूस हैं। राज्य की विभिन्न कला को प्रोत्साहन देने के  पवित्र्य उद्देश्य से जिस कला महासंचालनाय की स्थापना की गई हैं उस  महासंचालनाय को गत 12 वर्ष से पूर्णकालिक निदेशक नहीं मिलने से फ़िलहाल  प्रभारी निदेशक के हवाले कला महासंचालनाय होने की चौकानेवाली जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को कला महासंचालनाय ने दी हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कला महासंचालनाय से गत 15 वर्षो से कार्यरत निदेशक और प्रभारी निदेशक की जानकारी मांगी थीं। कला महासंचालनाय के जन सूचना अधिकारी ना. मा. वाघमोडे ने अनिल गलगली को वर्ष 1999 से आजतक  कार्यरत निदेशकों की लिस्ट दी। इस लिस्ट में 1 जून 1999 से  30 जून 2004  इस 5 वर्ष के लिए निदेशक के तौर पर प्रा. म.भा.इंगलेे कार्यरत थे। इंगले को छोड़ा जाएं तो आजतक निदेशक पद  पूर्णकालिक के बजाय प्रभारी निदेशक के हवाले किया गया हैं। अब तक  9 प्रभारी निदेशकों ने कला महासंचालनाय की जिम्मेदारी संभाली हैं जिनमें प्रा. ल.म.ऐवले, प्रा.एस. बी. ठाकरे, प्रा.न. वा.पासलकर, डॉ र.च.बालापुरे, प्रा. हे.रा.नागदिवे, पु.हि.वागदे, जी.बी.धनोकार, प्रा.गो.गो.वाघमारे और प्रा. राजीव मिश्रा का समावेश हैं। मौजूदा कार्यरत मिश्रा 1 दिसंबर 2015 से प्रभारी निदेशक हैं। कला निदेशक पद पर नियुक्ती की जिम्मेदारी को लेकर पूंछने पर अनिल गलगली को बताया गया कि कला संचालनालय और उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी हैं और दोनों विभाग  सक्षम प्राधिकरण हैं।

अनिल गलगली ने इसको लेकर राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर कला संचालनाय को न्याय देकर निदेशक पद पर यथाशीघ्र सक्षम व्यक्ती को नियुक्त करने की मांग की हैं। उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ऐसे महत्वपूर्ण कला संचालनाय की ओर लापरवाही बरतने पर चिंता व्यक्त की हैं।

12 वर्षापासून कला संचालनायास पूर्णकालिक संचालक मिळेना

महाराष्ट्रात नवीन सरकार येताच कला महासंचालनायाचे 'अच्छे दिन' येण्याची आशा बाळगणारे सद्या निराश झाले आहेत. राज्यातील विविध कलेस वाव देण्याच्या पवित्र्य उद्देश्याने ज्या कला महासंचालनायची स्थापना करण्यात आली त्या महासंचालनायस गेल्या 12 वर्षापासून पूर्णकालिक संचालक न सापडल्यामुळे सद्या प्रभारी संचालकाच्या हवाली कला महासंचालनाय असल्याची धक्कादायक आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस कला महासंचालनायाने दिली आहे.
आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी कला महासंचालनायाकडे गेल्या 15 वर्षापासून कार्यरत असलेले संचालक आणि प्रभारी संचालकाची माहिती विचारली होती. कला महासंचालनायाचे जन माहिती अधिकारी ना. मा. वाघमोडे यांनी अनिल गलगली यांस वर्ष 1999 पासून आजमितीपर्यंत कार्यरत असलेल्या संचालकाची यादी दिली. या यादीत 1 जून 1999 पासून 30 जून 2004 या 5 वर्षासाठी संचालक या नात्याने प्रा. म.भा.इंगळे हे कार्यरत होते. इंगळे यांचा एकमेव अपवाद सोडता आजमितीपर्यंत संचालक पद पूर्णकालिक राहिले नाही. आतापर्यंत 9 प्रभारी संचालकानी कला महासंचालनायाची धुरा सांभाळली आहे त्यात प्रा. ल.म.ऐवले, प्रा.एस. बी. ठाकरे, प्रा.न. वा.पासलकर, डॉ र.च.बाळापुरे, प्रा. हे.रा.नागदिवे, पु.हि.वागदे, जी.बी.धनोकार, प्रा.गो.गो.वाघमारे आणि प्रा. राजीव मिश्रा यांचा समावेश आहे. सद्या असलेले मिश्रा हे 1 डिसेंबर 2015 पासून प्रभारी संचालक आहेत. कला संचालक पद भरण्याची जबाबदारी बाबत माहिती विचारली असता अनिल गलगली यांस कळविले गेले की कला संचालनालय आणि उच्च व तंत्र शिक्षण खात्याची जबाबदारी असून ते सक्षम प्राधिकरण आहे.

अनिल गलगली यांनी याबाबतीत राज्याचे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पत्र पाठवून कला संचालनायास न्याय देत संचालक पद ताबडतोब भरण्याची मागणी केली आहे. उच्च व तंत्र शिक्षण मंत्री विनोद तावडे अश्या महत्वाच्या कला संचालनायाकडे दुर्लक्ष करत असल्याची खंत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केली.