Wednesday 26 June 2019

एनडीए 1 कार्यकाल में विज्ञापन पर कुल खर्च 5909 करोड़

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की एनडीए 1 सरकार में सभी प्रकार के विज्ञापनों पर 5909 करोड़ 39 लाख 51 हजार रुपये खर्च किए हैं. आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को केंद्र सरकार के ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन विभाग ने आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी. 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने 22 मई 2019 को केंद्र सरकार से जानने की कोशिश की थी कि वर्ष 2014-15 से वर्ष 2018-19 इन 5 वर्ष के कार्यकाल में एनडीए सरकार ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और आउटडोर मीडिया पर कुल कितने पैसे खर्च किए हैं? केंद्र सरकार के ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन विभाग ने अनिल गलगली को वर्ष 2014-15 से वर्ष 2018-19 इन 5 वर्ष के कार्यकाल में एनडीए सरकार ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और आउटडोर मीडिया पर कुल खर्च का एक पन्ने वाला चार्ट भेजा हैं। इस चार्ट में कुल 4 कैटेगरी में विज्ञापन को समाहित किया हैं। इसमें प्लान, नॉन प्लान, क्लाइंट डिपार्टमेंट और एडवांस डिपार्टमेंट हैं जिसे डिस्प्ले क्लास, रेडिओ स्पॉट और आउटडोर पब्लिसिटी पर कुल 5909 करोड़ 39 लाख 51 हजार रुपए खर्च किए गए हैं। मोदी सरकार ने एनडीए 1 में पहले वर्ष यानी वर्ष 2014-15 के वित्तीय वर्ष में 979 करोड़ 66 लाख रुपए खर्च किए। वर्ष 2015-16 के वित्तीय वर्ष 1162 करोड़ 47 लाख रुपए खर्च किए। तीसरे वर्ष 2016-17 के वित्तीय वर्ष में इसमें इजाफा होकर यह खर्च 1258 करोड़ 32 लाख तक पहुंच गया।चौथें वर्ष 2017-18 के वित्तीय वर्ष में सर्वाधिक 1313 करोड़ 57 लाख विज्ञापनों पर खर्च हुए। पांचवे और अंतिम वर्ष 2018-19 में विज्ञापन पर मचा बवाल के बाद मोदी सरकार ने खर्च पर कुछ हद तक लगाम लगाने की कोशिश की थी। तो भी यह खर्च 1195 करोड़ 37 लाख 51 हजार हो ही गया था।

गत 5 वर्ष के विज्ञापनों पर नजर डाली जाए तो डिस्प्ले क्लास और रेडिओ स्पॉट मोदी सरकार की पहली पसंद थी। इसलिए इन दो प्रकार के विज्ञापनों पर क्रमशः 2109 करोड़ 30 लाख 62 हजार तथा 2172 करोड़ 7 लाख 47 हजार रुपए खर्च किए गए थे। जबकि आउटडोर पब्लिसिटी पर सिर्फ 612 करोड़ 18 लाख 42 हजार रुपए खर्च हुए हैं। अनिल गलगली के अनुसार रेडिओ स्पॉट और डिस्प्ले क्लास इन विज्ञापनों पर मोदी सरकार की पसंद यह दर्शाती हैं कि सरकार ने लोगों तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ी और नब्ज़ को पहचाना।

एनडीए 1 च्या कार्यकाळात जाहिरातींवर एकूण खर्च 5909 कोटी

पंतप्रधान बनल्यानंतर नरेंद्र मोदी यांच्या नेतृत्वाखाली एनडीए 1 सरकाराच्या काळात सर्व प्रकारच्या जाहिरातींवर 5909 कोटी 39 लाख 51 हजार रुपये खर्च करण्यात आले आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस केंद्र सरकारच्या ब्यूरो ऑफ आउटरीच अँड कम्युनिकेशन विभागाने आरटीआयच्या उत्तरात सदर माहिती दिली आहे. या खर्चात रेडिओ स्पॉट आणि डिस्प्ले जाहिरातींवर सर्वाधिक खर्च करण्यात आला आहे.


आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी 22 मे 2019 रोजी केंद्र सरकारकडे अर्ज सादर करत माहिती घेण्याचा प्रयत्न केला की वर्ष 2014-15 ते वर्ष 2018-19 या 5 वर्षांच्या कार्यकाळात एनडीए सरकारने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक आणि आउटडोर मीडिया यावर एकूण किती पैसे खर्च केले आहे? केंद्र सरकारच्या ब्यूरो ऑफ आउटरीच अँड कम्युनिकेशन विभागाने अनिल गलगली यांस वर्ष 2014-15 ते वर्ष 2018-19 या 5 वर्षांच्या कार्यकाळात एनडीए सरकारने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक आणि आउटडोर मीडिया यावर एकूण केलेल्या खर्चाची एक पानांची यादी पाठविली. या यादीत एकूण 4 वर्गात जाहिरातीचा समावेश करण्यात आला आहे. ज्यात प्लान, नॉन प्लान, क्लाइंट डिपार्टमेंट आणि एडवांस डिपार्टमेंट असून यात डिस्प्ले क्लास, रेडिओ स्पॉट आणि आउटडोर पब्लिसिटी यावर एकूम 5909 कोटी 39 लाख 51 हजार रुपये खर्च करण्यात आले आहे. मोदी सरकारने एनडीए 1 च्या पहिल्या वर्षात म्हणजे वर्ष 2014-15 या आर्थिक वर्षात 979 कोटी 66 लाख रुपये खर्च केले आहे. वर्ष 2015-16 या आर्थिक वर्षात 1162 कोटी 47 लाख रुपये खर्च केले आहे. तिसऱ्या वर्षात वर्ष 2016-17 या आर्थिक वर्षांत 1258 कोटी 32 लाख इतका खर्च करण्यात आला होता. चौंथ्या वर्षात 2017-18 या आर्थिक वर्षात सर्वात जास्त 1313 कोटी 57 लाख जाहिरातींवर खर्च झाला. पांचव्या आणि शेवटच्या आर्थिक वर्षात 2018-19 मध्ये जाहिरातींवर वाद होताच मोदी सरकारने खर्चावर नियंत्रण करत कपात करण्याचा प्रयत्न केला होता. तरीसुद्धा हा खर्च 1195 कोटी 37 लाख 51 हजार इतका झालाच.

गेल्या 5 वर्षांतील जाहिरातींवर दृष्टिक्षेप टाकला असता डिस्प्ले क्लास आणि रेडिओ स्पॉट या जाहिराती मोदी सरकारच्या पसंतीच्या असल्याची बाब समोर येत आहे. यामुळे याप्रकारच्या जाहिरातींवर अनुक्रमे 2109 कोटी 30 लाख 62 हजार आणि 2172 कोटी 7 लाख 47 हजार रुपये खर्च करण्यात आले तर आउटडोर पब्लिसिटीवर फक्त 612 कोटी 18 लाख 42 हजार रुपये खर्च झाले आहे. अनिल गलगली यांच्या मते रेडिओ स्पॉट आणि डिस्प्ले क्लास या जाहिरातींवर मोदी सरकारची पसंत दर्शविते की सरकारने लोकांपर्यंत पोहचण्यासाठी शर्थीचे प्रयत्न केले आहेत ज्याचा त्यांस जास्तीत जास्त फायदा होऊ शकतो.

Total expenditure on ads during the NDA-1 period is 5909 crores

After becoming Prime Minister, during the NDA 1 government under Narendra Modi's leadership, Rs. 5909 crores 39 lac 51 thousand rupees have been spent on all types of advertisements. RTI activist Anil Galgali has given this information in response to the RTI reply by the Central Government Bureau of Outreach and Communication Department. The maximum expenditure on radio spots and display ads is on this cost.

Modi Government spent over Rs 5909 crore to publicise his policies and achievements through various media and another sources during NDA-1 regime," an RTI query has found which filed by RTI Activist Anil Galgali. Interesting that the Most of the money such as Rs 2,109 crore were spent on display classification while Rs 2,172 crore were spent on radio spot  from 2014 to 2019. Other side Giving a year-wise break-up of the expenditure incurred on every year, reply further said that NDA-1 government spent Rs 612 crore on outdoor publiicty, an RTI reply furnished by the Bureau of Outreach and Communication under the information and broadcasting ministry.


The reply furnish to Anil Galgali shows that The Modi Government spent Rs 979 crore in 2014-15, Rs 1162 crore in 2015-16, Rs 1258 crore in 2016-17, Rs 1313 in 2017-18, Rs 1195 in 2018-19 and the total figure in all these five fiscal year stood at Rs 5909 crore. Ministry has furnished the reply showing all the expenditure in four heads such as Plan, Non-plan, Client Deptt. and Advance Dept. Interesting that the most of expenditure has been made under the head of client Deptt. Galgali said that " The taxpayers' money were spent on Radio spot and Display-classification which shows that the people in government, led by Narendra Modi could feel the pulse of the people of the nation "

RTI Activist Anil Galgali said that after several concerns were raised against the lavish expenses made by Modi government to glorify his government's image, then it put some break and therefore in the last year of its dispensation, it spent relatively less money on advertisements. 

Monday 24 June 2019

आरटीआई के बाद मुंबई इंडियंस ने विजयी रैली का पुलिस सुरक्षा शुल्क 3.55 लाख हुआ वसूल

आईपीएल सीजन 12 में विजेता मुंबई इंडियंस टीम ने मुंबई में अंटालिया से ट्रायडेंट हॉटेल तक विजयी रैली निकाली गई थी।आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की आरटीआई के बाद मुंबई पुलिस ने अधिकृत तौर पर अंबानी ग्रुप के इंडिअविन स्पोर्ट्स कंपनी को पुलिस सुरक्षा का बिल भेज और रु 3.55 लाख वसूल किया। इसका पर्दाफ़ाश मुंबई पुलिस ने अनिल गलगली को दी हुई जानकारी से हुआ हैं।  

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दिनांक 16 मई 2019 को मुंबई पुलिस, ट्रैफिक पुलिस से जानकारी मांगी थी कि मुंबई इंडियंस टीम ने अंटालिया से ट्रायडेंट हॉटेल तक निकाली विजयी जल्लोष में तैनात पुलिस सुरक्षा का शुल्क और प्रलंबित शुल्क की रकम कितनी हैं? मुंबई पुलिस के सशस्त्र पुलिस बल ने अनिल गलगली को सूचित किया कि एक शिप में 2 पुलिस निरीक्षक, 1 सहायक पुलिस निरीक्षक, 2 पुलिस निरीक्षक और 100 पुलिस सिपाही ऐसी पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। अनिल गलगली का आरटीआई आवेदन 16 मई 2019 का था। इसके लिए बिनतारी संदेश एपी कंट्रोल, नायगाव ने भेजा था और सशस्त्र पुलिस बल के प्रशासकीय अधिकारी ने दिनांक 31 मई 2019 को अंबानी ग्रुप के इंडिअविन स्पोर्ट्स कंपनी के धोबी तलाव स्थित पतेवर बिल भेज दिया था। पुलिस सुरक्षा का बिल की रकम 3 लाख 55 हजार 623 ग्रॉस प्रणाली द्वारा अदा करने का अनुरोध कंपनी को किया गया तब जाकर कंपनी ने 4 जून 2019 को पुलिस सुरक्षा के बिल की रकम अदा की। 

अनिल गलगली के अनुसार साइलेंट जोन होने से इसप्रकार की रैली निकालने की अनुमति इस क्षेत्र में नहीं हैं। आरटीआई आवेदन करते हुए जानकारी मांगी नहीं होती तो मुंबई पुलिस ने शायद ही पुलिस सुरक्षा का शुल्क वसूल करने की कोशिश नहीं करते थे। अब तक मुंबई पुलिस ने ऐसे रैली के लिए दी हुई अनुमति की जानकारी नहीं दी हैं कि अनुमति ली हैं या नहीं? इसपर सवालिया निशान हैं। 

आरटीआयनंतर मुंबई इंडियन्सच्या विजयी रॅलीचे पोलीस सरंक्षण शुल्क 3.55 लाख झाले वसूल

आयपीएल सीजन 12 मधील विजेत्या मुंबई इंडियन्स संघाने मुंबईत अंटालिया ते ट्रायडेंट हॉटेल पर्यंत विजयी रॅली काढली होती. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या आरटीआयनंतर मुंबई पोलिसांनी रीतसर अंबानी समूहाच्या इंडिअविन स्पोर्ट्स कंपनीला पोलीस सरंक्षणाचे देयक पाठविले आणि रु 3.55 लाख वसूल केले. या बाबीचा खुलासा मुंबई पोलिसांनी अनिल गलगली यांस दिलेल्या माहितीनुसार होत आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी दिनांक 16 मे 2019 रोजी मुंबई पोलीस, वाहतूक पोलीस यांस माहिती विचारली होती की मुंबई इंडियन्स संघाने अंटालिया ते ट्रायडेंट हॉटेल पर्यंत काढलेल्या विजयी जल्लोषात तैनात पोलीस सुरक्षेसाठी आकारलेल्या शुल्क आणि प्रलंबित शुल्काची रक्कम किती आहे. मुंबई पोलिसांच्या सशस्त्र पोलीस दलाने अनिल गलगली यांस कळविले की एका पाळीत 2 पोलीस निरीक्षक, 1 सहायक पोलीस निरीक्षक, 2 पोलीस निरीक्षक आणि 100 पोलीस शिपाई असे पोलीस सरंक्षण पुरविण्यात आले होते. अनिल गलगली यांच्या अर्ज 16 मे 2019 रोजीचा होता. यासाठी बिनतारी संदेश एपी कंट्रोल, नायगाव यांनी पाठविला आणि सशस्त्र पोलीस दलाच्या प्रशासकीय अधिकारी यांनी दिनांक 31 मे 2019 रोजी अंबानी समूहाच्या इंडिअविन स्पोर्ट्स कंपनीच्या धोबी तलावाच्या पत्त्यावर देयक पाठविले होते. पोलीस संरक्षणाची देय रक्कम  3 लाख 55 हजार 623 ग्रॉस प्रणालीद्वारे भरण्याची विनंती कंपनीला केली असता कंपनीने 4 जून 2019 रोजी पोलीस संरक्षणाची देय रक्कम अदा केली गेली. 

अनिल गलगली यांच्या मते अश्या प्रकारे कोणतीही रॅली काढण्याची या परिसरात परवानगी नसून हा शांतता झोन आहे. आरटीआय अर्ज करत माहिती मागितली नसती तर कदाचित मुंबई पोलिसांनी पोलीस संरक्षण शुल्क घेण्याचे सौजन्य दाखविले नसते. अजून पर्यंत मुंबई पोलिसांनी अश्या रॅलीसाठी दिलेल्या परवानगीची माहिती दिली नसून परवानगी घेतली होती की नाही? यावर प्रश्नचिन्ह आहे, असे गलगली यांनी सरतेशेवटी नमूद केले आहे

Police recovers security charges of RS 3.55 lakhs from Mumbai Indians for rally to celebrate win after RTI query.

The winner's of the IPL season 12, the Mumbai Indians had carried out an winning rally starting from Antilia to Trident Hotel. After receiving an RTI query filed by Anil Galgali, the Mumbai Police sent a bill of RS 3.55 lakhs to the Reliance concern Indiawin Sports and recovered the amount for the security provided during the rally. This has been revealed through the reply sent by Mumbai police to Anil Galgali.

RTI Activist Anil Galgali had filed a query on 16th May 2019 to the Mumbai Police and the Traffic Police seeking information about the details of security provided for the rally in celebration of the win of Mumbai Indians in the IPL. The rally was held from Antilia to Trident Hotel and it's charges recovered. The Mumbai Police in its reply informed Galgali that, in one shift 2 Police Inspectors, 1Asst PI, 2 PI and 100 constables were deployed to give security for the rally. The query was dt 16th May 2019 and a wireless messege was relayed by API Control, Naigaum on 31st May 2019 and a bill in the name of the Ambani group company, M/s Indiawin Sports co was was delivered to its Dhobi Talao address. The bill was generated on gross values for RS 3.55 lakhs, which was paid by the company on 4th June 2019.

Anil Galgali has expressed that since the whole route came under the silence zone hence no rally could be permitted here. Had he not filed an RTI query, the Mumbai Police would not have even generated the bill and recovered the charges for security. The Mumbai Police has still maintained an discreet silence on the issue of permissions sought. It has not provided any reply pertaining to the query wether permissions were sought by the organisers or not? Also was permissions given by the police department? Remains a confusion stated Galgali


Thursday 20 June 2019

मोदी सरकार के मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की जानकारी देने से इंकार

भ्रष्टाचारमुक्त भारत का सपना दिखानेवाली केंद्र की मोदी सरकार के गत कार्यकाल के मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मिलती हैं और इसकी जानकारी एक स्थान, मास्टर फ़ाइल तथा एकत्र नहीं रखी गई हैं। इस जानकारी को एकत्र करने के लिए बहुत सारी फ़ाइलों का मिलान करना लोक प्राधिकारी के स्त्रोतों को अनुपाती रूप से विचलित कर सकता हैं। ऐसा जबाब देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मोदी सरकार के मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की जानकारी देने से इंकार किया हैं।


आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने प्रधानमंत्री कार्यालय को दिनांक 21 मई 2019 को आरटीआई अर्जी भेजकर जानने की कोशिश की थी कि वर्ष 2014 से वर्ष 2019 में कार्यरत मोदी सरकार के प्रधानमंत्री सहित मंत्री और राज्यमंत्रियों के खिलाफ गत 5 वर्षों में कितनी शिकायत प्राप्त हुई थी। उन मंत्रियों का नाम, पदनाम, शिकायत का स्वरुप और कार्रवाई की जानकारी जाननी चाही थीं। गलगली का दूसरा सवाल था कि इनमें से  कितने मंत्री और राज्यमंत्रियों को सरकार द्वारा हिदायत दी गई थी? 

प्रधानमंत्री कार्यालय के अवर सचिव प्रवीण कुमार ने अनिल गलगली को भेजे हुए जबाब में माना कि उनके कार्यालय में समय समय पर विभिन्न मंत्रियों और उच्च श्रेणी की शिकायतें प्राप्त होती हैं। इनमें छद्मनामी और गुमनाम शिकायतें भी शामिल हैं। प्राप्त शिकायतें और आरोप की सच्चाई को जोड़े गए दस्तावेजों के आधार पर जांचा जाता हैं। ऐसे मामलों में योग्य कार्रवाई कर उसकी जानकारी को एक स्थान, मास्टर फ़ाइल तथा एकत्र नहीं रखी जाती हैं। यह जानकारी विभिन्न सेक्टर और कार्यालय के यूनिट में बिखरी होती हैं। 

प्रधानमंत्री कार्यालय का आगे यह भी तर्क था कि भ्रष्टाचार और नॉन भ्रष्टाचार की शिकायतें कई विषय के ताल्लूक से संबंधित होती हैं। इन भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों की शिनाख्त करना, निरीक्षण करना और वर्गीकृत करना एक बोझिल कसरत हैं। इसलिए इस जानकारी को एकत्र करने के लिए बहुत सारी फ़ाइलों का ढूंढ़ना होगा। इसतरह की कसरत लोक प्राधिकारी के स्त्रोतों को अनुपाती रूप से विचलित कर सकती हैं और आरटीआई कानून की धारा 7(9) को भी विचलित करेगी।

अनिल गलगली ने मास्टर फ़ाइल न बनाएं जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जिसतरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईमानदारी से भ्रष्ट अफसरों पर गाज गिराकर उन्हें घर भेज रहे हैं उसीतरह उन मंत्रियों का काला चिठ्ठा जनता के सामने आना चाहिए। शिकायतें प्राप्त हुई हैं और कार्रवाई की गई हैं तो इसे सार्वजनिक करने में किसी का डर क्यों हैं? ऐसा सवाल पूछते हुए गलगली ने प्रधानमंत्री कार्यालय में आरटीआई के तहत प्रथम अपील दायर की हैं तथा अपील की हैं कि उन भ्रष्ट मंत्रियों की पोल खोल हो।

मोदी सरकारच्या मंत्र्यांच्या विरोधात भ्रष्टाचाराच्या तक्रारीची माहिती देण्यास पंतप्रधान कार्यालयाचा नकार

भ्रष्टाचारमुक्त भारताचे स्वप्न दाखविणारी केंद्रातील मोदी सरकारच्या मागील कार्यकाळात मंत्र्यांच्या विरोधात भ्रष्टाचाराच्या तक्रारी प्राप्त झाल्या असून याची माहिती एक ठिकाणी, मास्टर फाइल किंवा एकत्रित जतन केली नाही आहे. ही माहिती एकत्रित करण्यासाठी मोठया प्रमाणात फाइल जमा करणे हे सार्वजनिक प्राधिकरणाची साधनसामग्री वळविण्यात येऊ शकते. असे उत्तर देत पंतप्रधान कार्यालयाने आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मोदी सरकारच्या मंत्र्यांच्या विरोधात भ्रष्टाचाराच्या तक्रारीची माहिती देण्यास नकार दिला.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पंतप्रधान कार्यालयाकडे दिनांक 21 मे 2019 रोजी आरटीआय अर्ज पाठवित माहिती घेण्याचा प्रयत्न केला होता की वर्ष 2014 ते वर्ष 2019 या कालावधीत कार्यरत मोदी सरकारचे पंतप्रधान, मंत्री आणो राज्यमंत्र्यांच्या विरोधात गेल्या 5 वर्षात किती तक्रारी प्राप्त झाल्यात, त्या मंत्र्यांची नावे, पदनाम, तक्रारीचे स्वरुप आणि कोणती कार्यवाही केली. अनिल गलगली यांचा दुसरा प्रश्न होता की यापैकी किती मंत्री आणि राज्यमंत्र्यांना कडक सूचना देण्यात आल्या आहेत.

पंतप्रधान कार्यालयाचे अवर सचिव प्रवीण कुमार यांनी अनिल गलगली यांस पाठविलेल्या उत्तरात मान्य केले की त्यांच्या कार्यालयात वेळोवेळी विविध मंत्री आणि उच्च श्रेणीच्या तक्रारी प्राप्त होतात. यात खोडसळ आणि निनावी तक्रारी सुध्दा असतात. प्राप्त तक्रारी आणि आरोपातील सत्यता त्यासोबत जोडलेल्या कागदपत्रांच्या आधारावर पडताळणी केली जाते. अश्या प्रकरणात योग्य कार्यवाही करत त्याची माहिती एका ठिकाणी, मास्टर फाइल किंवा एकत्र ठेवली जात नाही. ही माहिती विविध सेक्टर आणि कार्यालयातील यूनिटमध्ये विखुरलेली आहे.

पंतप्रधान कार्यालयाने पुढे असाही दावा केला की भ्रष्टाचार आणि नॉन भ्रष्टाचाराच्या तक्रारी या अनेक विषयांशी संबंधित असतात. या भ्रष्टाचाराशी संलग्न असलेल्या तक्रारीचे पडताळणी करणे, निरीक्षण करणे आणि वर्गीकरण करणे हा जटिल व्यायाम आहे. या माहितीला एकत्र करण्यासाठी अनेक फाइलचा शोध घ्यावा लागेल. यासाठी सार्वजनिक प्राधिकरणाची साधनसामग्री वळविण्यात येऊ शकते आणि आरटीआय कायदाच कलम 7(9) च्या विरोधात आहे.

अनिल गलगली यांनी मास्टर फाइल न बनविल्याबद्दल आश्चर्य व्यक्त करत प्रतिपादन केले की ज्यापद्धतीने पंतप्रधान नरेंद्र मोदी इमानदारीने भ्रष्ट अधिकार-यांवर कार्यवाही करत त्यांस घरी पाठवित आहेत मग त्याच पद्धतीने त्या मंत्र्यांचे काळे धंदे जनतेसमोर आले पाहिजे. तक्रारी प्राप्त झाल्या आहेत आणि कार्यवाही सुद्धा केली गेली आहे मग यास सार्वजनिक करण्यास कोणाची भीती आहे? असा प्रश्न विचारत अनिल गलगली यांनी पंतप्रधान कार्यालयास आरटीआय कायद्याच्या अंतर्गत प्रथम अपील दाखल केले आहे तसेच आवाहन केले आहे की त्या मंत्र्यांची माहिती सार्वजनिक करत त्यांची सुद्धा पोलखोल करण्यात यावी.

PMO has declined to share details of alleged corruption complaints received against Union ministers

The Prime Minister's Office (PMO), while replying to a RTI query filed by RTI Activist Anil Galgali has declined to share the details of the alleged corruption complaints received against Union ministers, invoking section 7(9) of the act saying that this would disproportionately divert the resources of the public authority as it "may be a subjective as well as a cumbersome exercise". Section 7(9) of the Act specify that an information shall ordinarily be provided in the form in which it is sought unless it would disproportionately divert the resources of the public authority or would be detrimental to the safety or preservation of the record in question.

Replying to an Right to Information (RTI) query filed by the Prime Minister's Office (PMO) has said that it keeps receiving complaints against various union ministers as well as high level functionaries including corruption related and non-corruption related matter, however, it does not keep records of these complaints in any single master file. The query filed by RTI Activist Anil Galgali, had sought the names and list of the ministers against whom various complaints were filed against union and state ministers of the Modi-led government during NDA-1 regime.


Under Secretary and CPIO of the PMO Praveen Kumar has stated that the complaints are pseudonymous and anonymous in nature and they are duly examined keeping in the view of the veracity of the allegations or accusations and supporting documents in relation to these accusations. "After taking the needful action, the records are not kept in any single master file or collated and kept in one place. These are scattered across different sectors and units of this office and in view of the above, the collation of information sought will require the undertaking of thorough search of numerous files," reply said. Galgali disapproved the RTI response and termed is as "immature and unprincipled" on part of PMO.

Galgali said, "The reply given by the PMO itself clarifies that something are very much fishy and complaints filed against the ministers in plenty. When government gave compulsory retirement to several top level babus, then why it did not act against the ministers," he quipped.

Friday 14 June 2019

उद्धव ठाकरे स्मारक के लिए आर्किटेक्ट की नियुक्ति कैसे कर सकते हैं? 

स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे की स्मृती को जतन करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने महापौर निवास पर बालासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक खड़ा करने का निर्णय लिया। इस योजना के लिए भले ही एमएमआरडीए प्रशासन ने 100 करोड़ का प्रावधान किया हैं लेकिन एमएमआरडीए को अंधेरे में रखकर बालासाहेब ठाकरे स्मारक ने आर्किटेक्ट और योजना प्रबंधन की नियुक्ती की हैं, यह बात आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दायर किए हुए आरटीआई से सामने आई हैं। 100 करोड़ की योजना के लिए विश्वस्तरीय प्रतियोगिता आमंत्रित कर एक से बढ़कर एक ऐसे आर्किटेक्ट और योजना प्रबंधन का चयन करने का मौका सरकार ने गवाया। उद्धव ठाकरे स्मारक के लिए आर्किटेक्ट की नियुक्ति कैसे कर सकते हैं? यह सवाल इस बहाने पूछा जा रहा हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से बालासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक को लेकर विभिन्न जानकारी मांगी थी। इसमें आर्किटेक्ट और योजना सलाहकार की नियुक्ति के लिए जारी टेंडर या विज्ञापन की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि बालासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक न्यास द्वारा आभा नारायण लांबा अँड असोसिसट्स को आर्किटेक्ट और योजना प्रबंधन सलाहकार के तौर पर नियुक्त करने से एमएमआरडीए के पास उसकी जानकारी उपलब्ध नहीं हैं।बालासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक के अध्यक्ष ने एमएमआरडीए प्रशासन के महानगर आयुक्त को 1 मार्च 2019 को लिखे हुए पत्र में बताया हैं कि बालासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक का पूरा प्लान तैयार करना, अनुमानित खर्च, निविदा प्रक्रिया तैयार कर स्मारक पूर्ण होने तक योजना के काम के प्रबंधन के लिए आभा नारायण लांबा अँड असोसिसट्स की नियुक्ति बालासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक ने किया हैं। योजना सलाहकार को जो काम करना हैं। उसका चयन सार्वजनिक निर्माण विभाग ने आर्किटेक्ट और योजना प्रबंधन सलाहकार की लिस्ट से की हैं। उसी केे अनुसार बालासाहेब ठाकरे स्मारक समिती ने आभा नारायण लांबा अँड असोसिसट्स की आर्किटेक्ट और योजना प्रबंधन सलाहकार की नियुक्ति सार्वजनिक निर्माण विभाग के सरकारी निर्णय के तहत सभी पारदर्शक प्रक्रिया को पूर्ण कर की गई हैं। उसीतरह बालासाहेब ठाकरे स्मारक संस्था ने मेसर्स आभा नारायण लांबा अँड असोसिएटस से अग्रीमेंट भी किया हैं। स्मारक ने एमएमआरडीए प्राधिकरण को पत्र लिखकर अनुरोध किया हैं कि मेसर्स आभा नारायण लांबा अँड असोसिएटस को उनका व्यावसायिक शुल्क दिया जाए। 

बालासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक बनाने के लिए दिनांक 4 दिसंबर 2014 को सरकारी निर्णय अन्वये विभिन्न संदर्भ में सिफारश कर उसकी रिपोर्ट  सरकार को पेश करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में शक्तीप्रदान समिती का गठन किया गया हैं। स्मारक के अध्यक्ष पद पर उद्धव ठाकरे,  सदस्य सचिव सुभाष देसाई, सदस्य पूनम महाजन, सदस्य आदित्य ठाकरे, सदस्य शशिकांत प्रभू,  मुख्य सचिव, नगरविकास सचिव, विधि व न्याय विभाग प्रधान सचिव और मनपा आयुक्त यह पदसिद्ध सदस्य हैं।

अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे हुए पत्र में स्पष्ट किया हैं कि स्मारक के लिए किसी भी प्रकार का विरोध नहीं हैं। आर्किटेक्ट और योजना प्रबंधन की विश्वस्तरीय प्रतियोगिता से न होने का दुःख हैं। एमएमआरडीए प्राधिकरण यह इसके लिए सक्षम होते हुए स्मारक ने इसतरह की नियुक्ती करना उचित नहीं हैं।

उद्धव ठाकरे स्मारकासाठी वास्तुविशारदाची नेमणूक कशी करु शकतात?

स्वर्गीय बाळासाहेब ठाकरे यांच्या स्मृती जपण्यासाठी महाराष्ट्र शासनाने महापौर निवास येथे बाळासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक उभारण्याचा निर्णय घेतला असून एमएमआरडीए प्रशासनाने जरी 100 कोटींची तरतूद केली असली तरी एमएमआरडीएला अंधारात ठेवत बाळासाहेब ठाकरे स्मारकाने वास्तुविशारद आणि प्रकल्प व्यवस्थापनाची नियुक्ती केली आहे, ही बाब आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी दाखल केलेल्या माहिती अधिकारात उघड झाली आहे. 100 कोटींच्या प्रकल्पासाठी जागतिक स्पर्धा भरवित एकापेक्षा एक असे सरस वास्तुविशारद आणि प्रकल्प व्यवस्थापन निवडण्याची संधी शासनाने गमावली आहे. उद्धव ठाकरे स्मारकासाठी वास्तुविशारदाची नेमणूक कशी करु शकतात?असा प्रश्न उपस्थित झाला आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडे बाळासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक बाबत विविध माहिती मागितली होती. यात वास्तुविशारद आणि सल्लागार नेमण्यासाठी दिले गेलेली निविदा किंवा जाहिरात याची माहिती मागितली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांस कळविले की बाळासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक न्यासामार्फत आभा नारायण लांबा अँड असोसिसट्स यांची वास्तुविशारद आणि प्रकल्प व्यवस्थापन सल्लागार म्हणून नेमणूक करण्यात आली असल्याने त्याबाबतीत एमएमआरडीएकडे माहिती उपलब्ध नाही. बाळासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारकाचे अध्यक्ष यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाचे महानगर आयुक्त यांस 1 मार्च 2019 रोजी लिहिलेल्या पत्रात कळविले आहे की बाळासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारकाचा सविस्तर आराखडा तयार करणे, अंदाजपत्रक बनविणे, निविदा प्रक्रिया तयार करुन सदर स्मारक पूर्ण होईपर्यंत प्रकल्पाच्या कामाच्या व्यवस्थापनासाठी आभा नारायण लांबा अँड असोसिसट्स यांची नेमणूक बाळासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक यांनी केली आहे. प्रकल्प सल्लागाराने करावयाच्या कामासाठी शासनाच्या सार्वजनिक बांधकाम विभागाने वास्तुविशारद आणि प्रकल्प व्यवस्थापन सल्लागार याची निवड सूची करण्यात आली. सदर सूचीप्रमाणे बाळासाहेब ठाकरे स्मारक समितीने आभा नारायण लांबा अँड असोसिसट्स यांची वास्तुविशारद आणि प्रकल्प व्यवस्थापन सल्लागार म्हणून नियुक्ती सार्वजनिक बांधकाम विभागाच्या शासन निर्णय प्रमाणे सर्व पारदर्शक प्रक्रिया पूर्ण करुन केली आली आहे. त्याचप्रमाणे बाळासाहेब ठाकरे स्मारक संस्थेने मेसर्स आभा नारायण लांबा अँड असोसिएटस यांच्याशी करारनामा सुद्धा केला आहे. स्मारकाने एमएमआरडीए प्राधिकरणास मेसर्स आभा नारायण लांबा अँड असोसिएटस यांना त्यांचे व्यावसायिक शुल्क देण्याची विनंती केली आहे.

बाळासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक उभारण्यासाठी दिनांक 4 डिसेंबर 2014 रोजीच्या शासन निर्णयान्वये विविध संदर्भात शिफारस करुन त्याबाबतचा अहवाल शासनास सादर करण्यासाठी मुख्य सचिव यांच्या अध्यक्षतेखाली शक्तीप्रदान समिती गठन करण्यात आली आहे. स्मारकाच्या अध्यक्षपदी उद्धव ठाकरे,  सदस्य सचिव सुभाष देसाई, सदस्य पूनम महाजन, सदस्य आदित्य ठाकरे, सदस्य शशिकांत प्रभू, मुख्य सचिव, नगरविकास सचिव, विधि व न्याय विभाग प्रधान सचिव आणि मनपा आयुक्त हे पदसिद्ध सदस्य आहेत.

अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस लिहिलेल्या पत्रात स्पष्ट केले आहे की स्मारकासाठी कोणताही विरोध नसून वास्तुविशारद आणि प्रकल्प व्यवस्थापनाची नियुक्ती जागतिक स्पर्धा भरवित न केल्याचे दुःख आहे. एमएमआरडीए प्राधिकरण हे यासाठी सक्षम असताना स्मारकाने अशी नियुक्ती करणे योग्य नाही. 

How can Uddhav appoint an architect for Balasaheb Thackeray Memorial !

MMRDA, the Maharashtra government body that has sanctioned a grant of Rs 100 crores for Balasaheb Thackeray Memorial, has been kept in the dark on appointment of Architect & Project Manager for the upcoming memorial to be constructed in erstwhile 'Mayor Bungalow' at Shivaji Park.

The 9 Member Memorial Committe headed by Shiv Sena Party Chief Uddhav Thackeray has made these appointments, without consulting MMRDA, An RTI enquiry by RTI Activist Anil Galgali has revealed. An opportunity for global competition for appointments of architects for designing this Mumbai landmark has thus been lost. The legality & practicality of this move has been questioned & the issue is being debated as to how can Uddhav Thackeray make these appointments without taking Maharashtra Government agencies in the loop, When the land allocation and construction cost are all being bourne by the state.

RTI activist Anil Galgali had sought information from MMRDA on the functioning of the Balasaheb Thackeray Memorial, including the details of appointment of Architects and Project manager. Galgali was informed that the Balasaheb Thackeray   Memorial Committee Chairman has appointed the Architect & Project Manager and they do not have any details on these appointments. Balasaheb Thackeray Memorial Chairman had written a letter to MMRDA Commissioner dated 1st March 2019 informed him that Abha Narain Lamba & Associates has been appointed as Architects & Project Manager Consultants for preparing the detailed plan, budget estimates & tender process for the memorial, right upto the completion of the projected. 

The letter mentioned that a contract has been signed with Abha Narain Lamba Associates and that this proceedure was conducted in a transparent manner, following the Government rules as laid down by the Public works Department. Balasaheb Thackeray Memorial has also requested MMRDA to pay it professional fees to Abha Narian Lamba & Associates. 

A high powered committee under the chairmanship of Chief Secretary, Maharashtra vide Govt. order dated 4th December 2014 was formed to give its recommendations on the construction of the memorial. While Uddhav Thackeray had been appointed as Chairman of the Memorial committee, Minister Subhash Desai has been named as the Member Secretary. Poonam Mahajan, Aaditya Thackeray, Shashikant Prabhu are the members & Chief Secretary, Urban Development Secretary, Law & Judiciary Principal Secretary & BMC Commissioner are ex-officio members.

Anil Galgali has written to the Chief minister Devendra Fadnavis stating that while he had no intention to oppose the Balasaheb Thackeray Memorial in Memory of Shri Balasaheb Thackeray, he is pained that the architect & project manager have been appointed without holding a global competition for designing this landmark. MMRDA is well equipped in handling such projects & appointments by the memorial are not appropriate.


Monday 10 June 2019

187 दिनों से धर्मादाय आयुक्त पद हैं रिक्त

महाराष्ट्र राज्य का धर्मादाय आयुक्त यह पद गत 187 दिनों से रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को धर्मादाय आयुक्त कार्यालय ने दी हैं। राज्य के पब्लिक ट्रस्ट तथा अन्य संस्था का कामकाज पर ध्यान रखकर कल्याणकारी योजना को अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी धर्मादाय आयुक्त इनपर होती हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने धर्मादाय आयुक्त कार्यालय से जानकारी मांगी थी कि धर्मादाय आयुक्त यह पद कब से रिक्त हैं और इस पद पर नियुक्ति करने की जिम्मेदारी किसकी हैं?  धर्मादाय आयुक्त कार्यालय ने अनिल गलगली को बताया कि धर्मादाय आयुक्त यह पद दिनांक 5 दिसंबर 2018 से रिक्त हैं। साथ ही में धर्मादाय आयुक्त इस पद पर नियुक्ति करने का अधिकार राज्य सरकार को हैं। पूर्व धर्मादाय आयुक्त शिवकुमार डिगे की नियुक्ती सरकार ने दिनांक 18 अगस्त 2017 को थी।  शिवकुमार डिगे ने ऑडिट न करने वाले संस्थाओं पर शिकंजा कसते हुए धर्मादाय अस्पताल प्रशासन को धर्मादाय ऐसा लिखने पर बाध्य किया था। साथ ही में मानवाधिकार और भ्रष्टाचार इस शब्द का बढ़ता हुआ दुरुपयोग देखते हुए इस शब्द डिलेट करने का आदेश जारी कर गैर सरकारी संस्थाओं पर ख़ौफ़ बनाता था। 1 लाख से अधिक संस्थाओं पर कार्रवाई कर कुछ संस्थाओं का पंजीकरण भी रद्द किया था। इससे धर्मादाय आयुक्त पद पहली बार आम लोगों में चर्चा का विषय बना था। 

अनिल गलगली के अनुसार जब धर्मादाय आयुक्त पद से शिवकुमार डिगे को हटाया गया उसके पहले ही इस पद पर नियुक्ति करने की आवश्यकता थी। लेकिन विधी व न्याय विभाग की ढुलमुल रवैया से आज 187 दिन होने के बाद भी राज्य को धर्मादाय आयुक्त न मिलना गौरव की बात नहीं हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे हुए पत्र में धर्मादाय आयुक्त पद पर तत्काल नियुक्ति करने की मांग गलगली ने की हैं।


187 दिवसांपासून धर्मादाय आयुक्त पद रिक्त

महाराष्ट्र राज्याचे धर्मादाय आयुक्त हे पद गेल्या 187 दिवसांपासून रिक्त असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस धर्मादाय आयुक्त कार्यालयाने दिली आहे. राज्यातील पब्लिक ट्रस्ट तसेच अन्य संस्थेच्या कामकाजावर लक्ष ठेवत कल्याणकारी योजना राबविण्याची जबाबदारी धर्मादाय आयुक्त यांच्यावर आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली धर्मादाय आयुक्त कार्यालयाकडे माहिती विचारली होती की धर्मादाय आयुक्त हे पद केव्हापासून रिक्त आहे आणि हे पद नियुक्त करण्याची जबाबदारी कोणाची आहे. धर्मादाय आयुक्त कार्यालयाने अनिल गलगली यांस कळविले की धर्मादाय आयुक्त पद हे दिनांक 5 डिसेंबर 2018 पासून रिक्त आहे. तसेच धर्मादाय आयुक्त या पदाची नियुक्ती करण्याचे अधिकार राज्य शासनास आहेत. मागील आयुक्त शिवकुमार डिगे यांची नियुक्ती शासनाने दिनांक 18 ऑगस्ट 2017 रोजी केली होती. शिवकुमार डिगे यांनी लेखापरीक्षण न करणाऱ्या संस्थावर कार्यवाहीचा बडगा उचलत धर्मादाय रुग्णालय प्रशासनास धर्मादाय असे लिहिण्यास बाध्य केले होते. तसेच मानवाधिकार आणि भ्रष्टाचार या शब्दाचा वाढलेला दुरुपयोग पहाता असे शब्द वगळण्याचे आदेश काढत बिगर शासकीय संस्थावर वचक निर्माण केला होता. 1 लाखांहून अधिक संस्थेवर कार्यवाही करत काहीची नोंदणी सुद्धा रद्द केली होती. यामुळे धर्मादाय आयुक्त पदाचा दरारा वाढला होता. 

अनिल गलगली यांच्या मते जेव्हा धर्मादाय आयुक्त पदावरुन शिवकुमार डिगे यांची उचलबांगडी करण्यात आली तदपूर्वी हे पद भरणे आवश्यक होते पण विधी व न्याय खात्याच्या चालढकल धोरणामुळे आजमितीला 187 दिवस उलटूनही राज्यास धर्मादाय आयुक्त न मिळणे भूषणावह नाही. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस लिहिलेल्या पत्रात धर्मादाय आयुक्त पद तातडीने भरण्याची मागणी गलगली यांनी केली आहे.

Charity Commissioner Post Vacant Since 187 Days

Post of Maharashtra state Charity Commissioner has been lying vacant for the past 187 days as per information provided by the office of Charity Commissioner to an RTI query from Anil Galgali. Charity Commissioner shoulders the responsibility of closely monitoring activities of various public trusts and societies operational in the state ensuring proper implementation of beneficial public schemes.

RTI activist Anil Galgali had enquired as to since when is the post of Charity Commissioner vacant and who has the responsibility of appointing the Charity Commissioner? The Charity Commission Office informed Anil Galgali that The post is vacant since 5th December, 2018 and it is the responsibility of the State Government to appoint Charity Commissioner. Previous Charity Commissioner Mr. Shivkumar Dighe was appointed by the state government on 18 August, 2017. Shivkumar Dighe had taken action against trusts and societies that had failed to audit their accounts and was instrumental in prevailing on management of charitable hospitals to include and display  the word "charitable" in their name. On noticing increasing Similarly he ensured that the words "human rights" and "corruption" are not misused by non governmental organization by taking them to task for it.


His tenure saw action being taken against over a lakh of trusts or societies with some of them even loosing their registration. His actions saw the image of Charity Commissioner's office grow in its stature and clout .

Anil Galgali felt that prior to transferring out Mr. Shivkumar Dighe the post of Charity Commissioner should have been filled, but the lackadaisical attitude of the Law and Justice department has seen 187 days go by without Charity Commissioner being appointed. In his letter to Chief Minister Devendra Fadnavis,  Anil Galgali has urged the post of Charity Commissioner to be filled urgently.



Monday 3 June 2019

रोजाना 11 मुंबईकर प्राप्त करते हैं वोटर एक्सट्रेक्ट

मुंबई महानगरपालिका कार्यक्षेत्र में विभिन्न काम के लिए निवास का सबूत के तौर पर मनपा के आम चुनाव में वोटर एक्सट्रेक्ट महत्वपूर्ण होने से से रोजाना 11 मुंबईकर वोटर एक्सट्रेक्ट प्राप्त करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने दी हैं। गत 3 वर्षों में कुल 12,486 वोटर एक्सट्रेक्ट जारी किए गए हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई महानगरपालिका चुनाव विभाग से गत 3 वर्षों से वोटर लिस्ट के नाम का एक्सट्रेक्ट के लिए प्राप्त हुए शुल्क की जानकारी मांगी थी। मुंबई महानगरपालिका चुनाव विभाग के प्रशासकीय चुनाव अधिकारी ने अनिल गलगली को बताया कि  वर्ष 2016-2017 इस वर्ष में कुल 4121 एक्सट्रेक्ट जारी किए गए जिसका कुल शुल्क रु 4,98,461 प्राप्त हुआ हैं। वर्ष 2017-2018 इस वर्ष में 4135 वोटर एक्सट्रेक्ट के लिए कुल  रु 5,90,336  इतना शुल्क प्राप्त हुआ हैं वहीं वर्ष 2018-2019 इस दौरान 4230 वोटर एक्सट्रेक्ट जारी किए गए हैं जिसके लिए मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने रु 7,00,347 इतनी रकम शुल्क के तौर पर वसूल की गई हैं। 

चुनाव विभाग ने गलगली को आगे यह भी बताया कि वर्ष 1960, वर्ष 1967,वर्ष 1972, वर्ष 1978, वर्ष 1985, वर्ष 1992, वर्ष 1997, वर्ष 2002, वर्ष 2007, वर्ष 2012, वर्ष 2017 की वोटर लिस्ट मनपा के वेबसाइट पर ऑनलाइन हैं। हर सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को सुबह 11 से 2 बजे तक नागरिकों के लिए वोटर लिस्ट मुफ्त जांच के लिए उपलब्ध कराई जाती हैं और नागरिकों की मांग पर वोटर एक्सट्रेक्ट उपलब्ध कराया जाता हैं। वर्ष 1960, वर्ष 1967 और वर्ष 1972 वोटर लिस्ट के कुछ पन्ने नागरिकों द्वारा हैंडल करने से अतिजीर्ण अवस्था में हैं। वहीं वर्ष 1978, वर्ष 1985, वर्ष 1992, वर्ष 1997, वर्ष 2002, वर्ष 2007, वर्ष 2012, वर्ष 2017 की वोटर की लिस्ट उस वक्त संपन्न हुए विधानसभा चुनाव की लिस्ट से तैयार की गई हैं।

दरदिवशी 11 मुंबईकर प्राप्त करतात मतदार उतारा

मुंबई महानगरपालिका क्षेत्रातील विविध कामासाठी वास्तव्यास असल्याचा पुरावा म्हणून मनपा सार्वत्रिक निवडणुकीच्या मतदार यादीतील उतारा महत्वाचा असून दरदिवशी 11 मुंबईकर मतदार उतारा प्राप्त करत असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई महानगरपालिकेने दिली आहे. गेल्या 3 वर्षात एकूण 12,486 मतदार उतारा वितरित करण्यात आले आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई महानगरपालिकेच्या निवडणूक खात्याकडे मागील 3 वर्षात मतदार यादीतील नावाच्या उता-यासाठी प्राप्त झालेल्या शुल्काची माहिती विचारली होती. मुंबई महानगरपालिका निवडणूक खात्याचे प्रशासकीय निवडणूक अधिकारी यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की वर्ष 2016-2017 या वर्षात एकूण 4121 उतारे देण्यात आले असून एकूण शुल्क रु 4,98,461 प्राप्त झाले आहे. वर्ष 2017-2018 या वर्षात 4135 मतदार उता-यासाठी एकूण  रु 5,90,336 रुपये इतके शुल्क प्राप्त झाले आहे तर वर्ष 2018-2019 या कालावधीत 4230 मतदार उतारे देण्यात आले असून यासाठी मुंबई महानगरपालिकेने रु 7,00,347 इतकी रक्कम शुल्क म्हणून वसूल करण्यात आले आहे.

निवडणूक खात्याने गलगली यांस पुढे कळविले की  वर्ष 1960, वर्ष 1967, वर्ष 1972, वर्ष 1978, वर्ष 1985, वर्ष 1992, वर्ष 1997, वर्ष 2002, वर्ष 2007, वर्ष 2012, वर्ष 2017 ची मतदार यादी पालिकेच्या संकेतस्थळावर उपलब्ध आहे. प्रत्येक सोमवारी, बुधवारी आणि शुक्रवारी सकाळी 11 ते 2 वाजेपर्यंत नागरिकांना मतदार यादी तपासणीसाठी विनामूल्य उपलब्ध करुन देण्यात येतात आणि नागरिकांनी मागणी केल्यास मतदार यादीचा उतारा शुल्क आकारुन देण्यात येतो. वर्ष 1960, वर्ष 1967 आणि वर्ष 1972 मतदार यादीतील काही पुष्ठे लाखों नागरिकांनी हातळण्यामुळे अतिजीर्ण अवस्थेत स्थितीत आहे. वर्ष 1978, वर्ष 1985, वर्ष 1992, वर्ष 1997, वर्ष 2002, वर्ष 2007, वर्ष 2012, वर्ष 2017 च्या मतदार याद्या त्यावेळेच्या सार्वत्रिक विधानसभा यादीवरुन तयार करण्यात आल्या आहेत.

Mumbaikars sought 11 Certified Extract of Electoral Roll per day 

A Right to Information (RTI) has found that on an average Mumbaikars sought 11 Certified extract of electoral roll from the election department of the Brihanmumbai Municipal Corporation. BMC issue 12,485 Extract of electrol roll in the last three years.

Replying to an RTI query, filed by the RTI Activist Anil Galgali, BMC has stated that it issued 12,486 certified extract of electoral roll in the last three years by levying applicable fees from the applicant. Reply furnished by the Administrative Electoral Officer of the BMC said that it issued 4,121 extract of electoral rolls in 2016-17 obtaining Rs 4.98 and in the subsequent year 2017-18, it issued 4,135 extract of electoral roll by collecting Rs 5.90 lakh. While in the recently concluded financial year 2018-19, BMC issued 4,230 extract of electoral rolls after receiving Rs 7 lakh as fees for the same.

Permanent residents of the city seek the certified copy of the extract of electoral roll from the civic body to procure it as valid documents for various purposes. Electoral Department of the BMC has also said that voter lists of voting taken place in the years 1960, 1967, 1972, 1978, 1985, 1992, 1997, 2002, 2007, 2012 and 2017 are uploaded on BMC's website. Besides, voter list is available to the residents of the city in free of cost on each Monday, Wednesday and Friday between 11 am to 2 pm and the copies of the list are given to the residents on valid demand.

BMCalso said that the physical copy of the voter list of the years 1960,1967 and 1972 are too old, while the voter list of the years 1978, 1985, 1992, 1997, 2002, 2007, 2012 and 2017 have been prepared in the accordance with voter list conducted for the legislative assembly polls.