भ्रष्टाचारमुक्त भारत का सपना दिखानेवाली केंद्र की मोदी सरकार के गत कार्यकाल के मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मिलती हैं और इसकी जानकारी एक स्थान, मास्टर फ़ाइल तथा एकत्र नहीं रखी गई हैं। इस जानकारी को एकत्र करने के लिए बहुत सारी फ़ाइलों का मिलान करना लोक प्राधिकारी के स्त्रोतों को अनुपाती रूप से विचलित कर सकता हैं। ऐसा जबाब देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मोदी सरकार के मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की जानकारी देने से इंकार किया हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने प्रधानमंत्री कार्यालय को दिनांक 21 मई 2019 को आरटीआई अर्जी भेजकर जानने की कोशिश की थी कि वर्ष 2014 से वर्ष 2019 में कार्यरत मोदी सरकार के प्रधानमंत्री सहित मंत्री और राज्यमंत्रियों के खिलाफ गत 5 वर्षों में कितनी शिकायत प्राप्त हुई थी। उन मंत्रियों का नाम, पदनाम, शिकायत का स्वरुप और कार्रवाई की जानकारी जाननी चाही थीं। गलगली का दूसरा सवाल था कि इनमें से कितने मंत्री और राज्यमंत्रियों को सरकार द्वारा हिदायत दी गई थी?
प्रधानमंत्री कार्यालय के अवर सचिव प्रवीण कुमार ने अनिल गलगली को भेजे हुए जबाब में माना कि उनके कार्यालय में समय समय पर विभिन्न मंत्रियों और उच्च श्रेणी की शिकायतें प्राप्त होती हैं। इनमें छद्मनामी और गुमनाम शिकायतें भी शामिल हैं। प्राप्त शिकायतें और आरोप की सच्चाई को जोड़े गए दस्तावेजों के आधार पर जांचा जाता हैं। ऐसे मामलों में योग्य कार्रवाई कर उसकी जानकारी को एक स्थान, मास्टर फ़ाइल तथा एकत्र नहीं रखी जाती हैं। यह जानकारी विभिन्न सेक्टर और कार्यालय के यूनिट में बिखरी होती हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय का आगे यह भी तर्क था कि भ्रष्टाचार और नॉन भ्रष्टाचार की शिकायतें कई विषय के ताल्लूक से संबंधित होती हैं। इन भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों की शिनाख्त करना, निरीक्षण करना और वर्गीकृत करना एक बोझिल कसरत हैं। इसलिए इस जानकारी को एकत्र करने के लिए बहुत सारी फ़ाइलों का ढूंढ़ना होगा। इसतरह की कसरत लोक प्राधिकारी के स्त्रोतों को अनुपाती रूप से विचलित कर सकती हैं और आरटीआई कानून की धारा 7(9) को भी विचलित करेगी।
अनिल गलगली ने मास्टर फ़ाइल न बनाएं जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जिसतरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईमानदारी से भ्रष्ट अफसरों पर गाज गिराकर उन्हें घर भेज रहे हैं उसीतरह उन मंत्रियों का काला चिठ्ठा जनता के सामने आना चाहिए। शिकायतें प्राप्त हुई हैं और कार्रवाई की गई हैं तो इसे सार्वजनिक करने में किसी का डर क्यों हैं? ऐसा सवाल पूछते हुए गलगली ने प्रधानमंत्री कार्यालय में आरटीआई के तहत प्रथम अपील दायर की हैं तथा अपील की हैं कि उन भ्रष्ट मंत्रियों की पोल खोल हो।
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