Wednesday 30 March 2016

एमसीएने मुख्य सचिव को टी 20 सेमीफाइनल मैच के दिए 250 फ्री पास

क्रिकेट का पागलपन आम से लेकर ख़ास तक सभी को होता हैं और अपने परिवार के लिए फ्री पास पाने के लिए सभी शत प्रतिशत प्रयास करते हैं। लेकिन राज्य के मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय का कुछ अलग ही क्रिकेट का पागलपन होने की बात कहनी पड़ रही है कि क्योंकि उन्हें मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने (एमसीए) टी 20 सेमीफाइनल मैच के एक नही पुरे 250 फ्री पास दिए हैं। इसतरह फ्री पास देने के पीछे बीकेसी मैदान पर हुए लीज उल्लंघन की कारवाई को रोकने की एमसीए की मंशा तो नहीं हैं ना ? ऐसा सवाल कर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री के पास जांच की मांग की हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में एमसीए की उदारता की जानकारी अनिल गलगली ने दी हैं। एमसीए के सह सचिव डॉ पी वी शेट्टी और प्रोफेसर डॉ उदय खानविलकर ने दिनांक 26 मार्च 2016 को पत्र के साथ महाराष्ट्र राज्य के मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय को 250 फ्री पास भेजे हैं। यह पास गुरुवार को वानखेड़े स्टेडियम में वेस्ट इंडीज के साथ भारत खेलने वाला हैं। अनिल गलगली का मानना है कि यह मामला दिखता उतना सरल न होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता हैं क्योंकि स्वाधीन क्षत्रिय मुख्य सचिव के अलावा एमएमआरडीए के कार्यकारी समिती के अध्यक्ष भी हैं।एमएमआरडीए प्रशासन ने 2 जून 2015 को एमसीए को नोटीस जारी कर कारवाई का शुभारंभ किया था। यहाँ पर क्षत्रिय की व्यक्तीगत रुचि हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को दिए हुए भूखंड की जानकारी गत वर्ष मांगी थी। एमएमआरडीए ने दिनांक 05.03.2004 को मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को 80 वर्ष की लीज पर 52,157 वर्ग मीटर का भूखंड दिया जिसपर शुल्क 2,65,98,202 इतनी रकम ली गई। उसमें से 46,941 वर्ग मीटर खुला मैदान जमीन का इस्तेमाल 3 प्रकार का होगा.10 प्रतिशत जमिन पर 15 प्रतिशत कंस्ट्रक्शन, 23 प्रतिशत जमीन तालाब,टेनिस कोर्ट, नेट्स और अन्य इस्तेमाल और 67 प्रतिशत जमीन सार्वजनिक अनुशासितबद्ध इस्तेमाल के लिए ओपन रखने के अलावा इनडोअर क्रिकेट अकादमी में पुरे महाराष्ट्र के छात्रों को प्रवेश खुला रखे। यह भूखंड व्यावसायिक प्रयोजनार्थ न इस्तेमाल करने की मुख्य शर्त का उल्लंघन कर मुंबई क्रिकेट एसोसिएशनने मेसर्स शिर्के के साथ व्यावसायिक एग्रीमेंट किया। शिर्के इन्फ्रा स्ट्रक्चर के साथ किया एग्रीमेंट और व्यावसायिक प्रयोजन के मद्देनजर '3 महीने के भीतर योग्य कदम उठाए या लीज एग्रीमेंट निरस्त करेगे' ऐसी नोटीस एमएमआरडीए ने दिनांक 02.06.2015 को मुंबई क्रिकेट एसोसिएशनला को जारी कर दी है। अनिल गलगली ने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि महाराष्ट्र के आला प्रशासनिक अधिकारी इसतरह प्रलोभन के आगे क्यों झुकते हैं और उनके ही अंतर्गत वाली एमएमआरडीए एमसीए पर 10 महीने से कारवाई नहीं करती हैं। इस मामले के पीछे का सत्य बाहेर लाकर मुख्यमंत्री योग्य कारवाई करे, ऐसी मांग आखिर में अनिल गलगली की हैं।

एमसीएने मुख्य सचिवास टी 20 सेमीफाइनल मैचचे दिले 250 फ्री पास

क्रिकेटचे वेड सर्वसामान्यापासून ते असामान्यापर्यंत सर्वानाच असते आणि आपल्या कुटुंबियांसाठी फ्री पास मिळविण्यासाठी सर्वच प्रयत्नशील असतात पण राज्याचे मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय यांस भलतेच क्रिकेटचे वेड म्हणावयास लागेल कारण त्यांस मुंबई क्रिकेट एसोसिएशनने (एमसीए) टी 20 सेमीफाइनल मैचचे तब्बल 250 फ्री पास दिले आहेत. गुरुवारी वानखेड़े स्टेडियमवर वेस्ट इंडीज बरोबर भारताचा मुकाबला आहे. अश्याप्रकारे फ्री पास देण्यामागे बीकेसी मैदानावर झालेल्या उल्लंघनाची कारवाई रोखण्याची एमसीएची धडपड तर करत नाही ना? असा सवाल करत आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी चौकशी करण्याची मागणी केली आहे. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पाठविलेल्या पत्रात एमसीएच्या उदारपणाची माहिती दिली आहे. एमसीएचे सह सचिव डॉ पी वी शेट्टी आणि प्रोफेसर डॉ उदय खानविलकर यांनी दिनांक 26 मार्च 2016 रोजी पत्रासोबत महाराष्ट्र राज्याचे मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय यांस 250 फ्री पास पाठविले आहेत. अनिल गलगली यांच्या मते सदर प्रकरण दिसेल तसे साधे नसण्याची शक्यता नाकारता येत नाही कारण स्वाधीन क्षत्रिय मुख्य सचिवासोबत एमएमआरडीएच्या कार्यकारी समितीचे अध्यक्ष सुद्धा आहेत. एमएमआरडीए प्रशासनाने 2 जून 2015 रोजी एमसीएला नोटीस जारी करत एमएमआरडीएने कारवाईचा शुभारंभ केला होता. या प्रकरणात क्षत्रिय यांचे हितसंबंध गुंतलेले आहे. दिनांक 05.03.2004 रोजी मुंबई क्रिकेट असोसिएशनला 80 वर्षाच्या लीजवर 52,157 चौरस मीटर भूखंड दिला ज्यासाठी नाममात्र शुल्क 2,65,98,202 इतके आकारले.यापैकी 46,941 चौरस मीटर खुले मैदान आणि 5,215.7 चौरस मीटर बांधकामासाठी देत 1.5 एफएसआयला मंजूरी दिली. जमिनीचा वापर 3 प्रकारात असेल आणि 10 टक्के जमिनीवर 15 टक्के बांधकाम, 23 टक्के जमीन ही तलाव,टेनिस कोर्ट, नेट्स किंवा तत्सम वापर आणि 67 टक्के जागा सार्वजनिक शिस्तबद्ध वापरासाठी खुली ठेवण्याची तसेच इनडोअर क्रिकेट अकाडमीमध्ये सर्व महाराष्ट्रातील विद्याथ्यार्ना प्रवेश खुला ठेवावा. सदर भूखंड व्यावसायिक प्रयोजनार्थ न वापरण्याच्या मुख्य अटीचे उल्लंघन करत मुंबई क्रिकेट असोसिएशनने मेसर्स शिर्के यांच्याबरोबर व्यावसायिक करारनामा केला. शिर्के इन्फ्रा स्ट्रक्चरबरोबर केलेला करारनामा आणि व्यावसायिक प्रयोजन लक्षात घेत '3 महिन्याच्या आत योग्य पाऊल उचला किंवा लीज करारनामा समाप्त करु ' अशी नोटीस एमएमआरडीएने दिनांक 02.06.2015 रोजी जारी केली. अनिल गलगली यांनी यास गंभीर प्रकरण असल्याचे सांगत महाराष्ट्राचे वरिष्ठ सनदी अधिकारी अश्याप्रकारे प्रलोभनाला का बळी पडतात आणि त्यांचाच अधिपत्याखाली असलेली एमएमआरडीए एमसीएवर 10 महिन्यापासून कारवाई सुद्धा करत नाही. या प्रकरणातील सत्य बाहेर आणत मुख्यमंत्र्यांनी योग्य कारवाई करावी, अशी मागणी सरतेशेवटी अनिल गलगली यांची आहे.

Maharashtra CS gets 250 T-20 free passes from MCA

What would a cricket lover not do to gain a single free pass to India- West Indies T-20 semifinal match to be played at Wankhede stadium on Thursday? Maharashtra's top bureaucrat chief secretary Swadhin Kshatriya could easily be termed as the 'most envied cricket fan' on this count. Mumbai Cricket Association (MCA) has gratiously gifted him 250 free passes for this premium T-20 encounter. RTI activist Anil Galgali points to the 'conflict of interest' in acceptance of this generous bounty of free tickets. A letter written to Chief Minister Devendra Fadnavis, Galgali stated that Joint secretaries of MCA Dr P.V. Shetty and Prof. Uday Khanvilkar have issued 250 free passes along with letter on Associations letterhead dated 26th March 2016. Last year, MMRDA had issued a notice on 2nd June 2015 to MCA for voilation of lease by letting out ground at Bandra Kurla complex for commercial activities. Activist Anil Galgali had filed an RTI query with the MMRDA seeking information about the plot allotted to the Mumbai Cricket Association in the Bandra Kurla Complex last year. The MMRDA replied that MCA was allotted plot ad-measuring 52,157 sq mtrs on 05/03/2004 ,on a lease for 80 years for which MCA was charged a meagre Rs 2,65,98,202. The MMRDA also gave a FSI of 1.5 on allowing 15% construction on 10% of the plot, 23 % of the plot was meant for construction of Swimming pool, Tennis Courts, Cricket Nets and similar sporting activities. The rest 67% of the land was meant to be kept open for regulated public use. Similarly students from all over Maharashtra be admitted to the Indoor Cricket Academy. The MCA flouted the most important terms and condition of non commercial utilization of the plot by entering into a commercial agreement with M/s Shirke Infrastructure. MMRDA taking cognizance of this violation of its terms of allotment, citing the commercial agreement with M/s Shirke Infrastructure has issued a notice on 02/06/2015 to MCA to take rectification steps within 3 months or the lease agreement will be terminated. Anil Galgali, who has been following up this matter, said MMRDA has done precious little during last 10 months in this case. This fact cannot be overlooked that CS Kshatriya is Chief of Executive Committee of MMRDA. Galgali has expressed his dismay that top boss of Maharashtra administration could fall prey to such free ticket bonanza. Galgali has written to Chief Minister Devendra Fadnavis to hold enquiry to reveal the truth.

Tuesday 29 March 2016

सरकारी अधिकारियों पर लाखों का किराया बकाया

सेवानिवृत्ती और तबादले के बाद भी सरकारी बिल्डिगों में अवैध तरीके से निवास करनेवाले 12 वर्तमान और भूतपूर्व अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ में सक्षम प्राधिकारी के कोर्ट में दावा दायर करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ते अनिल गलगली को सार्वजनिक निर्माण विभाग ने दी हैं। 65 लाख की वसूली और निष्कासन की लिस्ट में जिन अधिकारियों के नाम हैं उनमें डॉ अश्विनी जोशी, कमलाकर फंड, अनिल सोनटक्के, प्रकाश राठोड, पी के जैन शामिल हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सामान्य प्रशासन विभाग से सरकारी बिल्डिंग में अवैध तरीके से रहनेवाले अधिकारी और कर्मचारियों की जानकारी मांगने पर गलगली का आवेदन सार्वजनिक निर्माण विभाग के पास हस्तांतरित किया गया। सार्वजनिक निर्माण विभाग ने अनिल गलगली को सरकारी बिल्डिंग में अवैध तरीके से रहनेवाले 12 वर्तमान और भूतपूर्व अधिकारी और कर्मचारियों की लिस्ट दी जिनपर जुर्माने के रेट से किराए की रकम 64 लाख 90 हजार 732 रुपए इतनी हैं। इस लिस्ट में 5 अधिकारियों ने तबादला होने के बाद सरकारी क्वार्टरस छोड़ा नहीं उनमें ठाणे जिलाधिकारी डॉ अश्विनी जोशी जो 17 दिसंबर 2014 से अब तक तबादले के बाद केदार-2 में अवैध तरीके से रह रही हैं जिनपर रु 3,06,838/- इतनी रकम बकाया हैं।ठाणे की ही अन्य अधिकारी कमलाकर फंड पर 18,47,109 रुपए ,अविनाश झाडे पर 4,22,160 रुपए, कामगार न्यायालय के न्यायाधीस अनिल सोनटक्के पर 1,11,808 रुपए, धनाजी तोरस्कर पर 5,05,687 रुपए, प्रकाश कुमार राहुले पर 2,43,740 रुपए, भूतपूर्व अतिरिक्त न्यायाधीस प्रकाश राठोड पर 10,59,689 रुपए, भूतपूर्व न्यायाधीस पंकज शाह पर 3,22,665 रुपए, सफाई कामगार तारामती पालये पर 48,000 रुपए, काशीनाथ जाधव पर 2,46,000 रुपए, पेशे से कारपेंटर वसंत पांचाल पर 3,96,000 रुपए इतनी रकम बकाया हैं। महाराष्ट्र राज्य पुलिस विजलेंस कमिटी के सदस्य प्रेमकुमार जैन जो भूतपूर्व गृह विभाग के प्रधान सचिव थे उनसे 9, 81, 036 रुपए आना शेष हैं। जैन ने बकाया दंड राशि अदा तो नहीं की उल्टे दिवाणी न्यायालय में राज्य सरकार को हीआरोपी के पिंजरे में खड़ा किया। ऐसे बकाएदार को दंडित करने के बजाय राज्य सरकार ने विजलेंस कमिटी पर उन्हें नामित करते हुए अभयदान दिया। अनिल गलगली के अनुसार जो सरकारी सेवा में हैं उनपर तत्काल कारवाई कर बकाया धनराशि उनके वेतन से वसूली जाए और जो सेवा में नहीं है उनके पेंशन से बकाया धनराशि वसूली जानी चाहिए।

शासकीय अधिकारी भरत नाहीत लाखांचे दंडनीय भाडे

सेवानिवृत्ती आणि बदलीनंतर शासकीय इमारतीत अनधिकृतपणे वास्तव्य करणा-या 12 आजी आणि अधिकारी आणि कर्मचा-यांविरोधात सक्षम प्राधिकारी यांच्या न्यायालयात दावा दाखल केला असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस सार्वजनिक बांधकाम विभागाने दिली आहे. 65 लाखांची वसूली आणि निष्कासनासाठी ज्या अधिकारीवर्गाची नावे आहेत त्यात डॉ अश्विनी जोशी, कमलाकर फंड, अनिल सोनटक्के, प्रकाश राठोड, पी के जैन यांचा समावेश आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी सामान्य प्रशासन विभागाकडे शासकीय इमारतीमध्ये अनधिकृतरित्या वास्तव्य करणा-या अधिकारी आणि कर्मचा-याची माहिती विचारली असता गलगली यांचा अर्ज सार्वजनिक बांधकाम विभागाकडे हस्तांतरित केला. सार्वजनिक बांधकाम विभागाने अनिल गलगली यांस शासकीय इमारतीमध्ये अनधिकृतरित्या वास्तव्य करणा-या 12 आजी माजी अधिकारी आणि कर्मचा-याची यादी दिली ज्यांच्यावर दंडनीय दराने आकारण्यात आलेल्या भाडयाची रक्कम 64 लाख 90 हजार 732 रुपये इतकी आहे. या यादीत 5 अधिकारी यांनी बदलीनंतर निवासस्थान सोडले नाही ज्यात ठाणे जिल्हाधिकारी डॉ अश्विनी जोशी या 17 डिसेंबर 2014 ते आजतागायत बदलीनंतर केदार-2 मध्ये अनधिकृतपणे वास्तव्य करत असून त्यांच्यावर रु 3,06,838 इतकी रक्कम येणे बाकी आहे. कमलाकर फंड यांच्यावर 18,47,109 रुपये, अविनाश झाडे यांच्यावर 4,22,160 रुपये, कामगार न्यायालयाचे न्यायाधीस अनिल सोनटक्के यांच्यावर 1,11,808 रुपये, धनाजी तोरस्कर यांच्यावर 5,05,687 रुपये, प्रकाश कुमार राहुले यांच्यावर 2,43,740 रुपये, माजी अतिरिक्त न्यायाधीस प्रकाश राठोड यांच्यावर 10,59,689 रुपये, माजी न्यायाधीस पंकज शाह यांच्यावर 3,22,665 रुपये, सफाई कामगार तारामती पालये यांच्यावर 48,000 रुपये, काशीनाथ जाधव यांच्यावर 2,46,000 रुपये, सुतार वसंत पांचाळ यांच्यावर 3,96,000 रुपये इतकी रक्कम प्रलंबित आहे. महाराष्ट्र राज्य पोलीस दक्षता समिती सदस्य प्रेमकुमार जैन जे माजी प्रधान सचिव होते त्यांच्याकडून 9, 81, 036 रुपये येणे बाकी आहे. जैन यांनी थकबाकी रक्कम अदा केली नाही उलट दिवाणी न्यायालयात राज्य शासनाला आरोपीच्या पिंज-यात उभे केले. अश्या थकबाकीदारास दंडित करण्याऐवजी राज्य शासनाने दक्षता समितीवर वर्णी लावत अभयदान दिले. अनिल गलगली यांच्या मते जे सध्या शासकीय सेवेत आहेत त्यांच्यावर ताबडतोब कारवाई करत थकबाकी रक्कम पगारातून वळती करावी आणि जे सेवेत नाहीत त्यांच्या निवृत्ती वेतनातून वळती करावी.

Government Officer's fail to pay punishable Rent now mounting to Rs. 65 lakhs & illegally occupied Government Quarters

Tired of continuous follow ups and reminders, the Public Works Department has approached the Competent authority court for getting the dues which are pending from the Bureaucrats who have lived in the Government Accommodation illegally. To make the matters, worse, these punishable Rental dues are of the officer's who have either retired or transferred elsewhere, informs RTI activist Anil Galgali by Public Works department. The names who have now defaulted the punishable rental dues include current Thane Collector Dr. Ashwini Joshi, Kamlakar Fund, Anil Sontakke, Prakash Rathod and PK Jain. RTI Activist Anil Galgali had made an application to sought information from the General Administration Department (GAD) for knowing details of officers and Bureaucrats who have been staying in the Government accomodation occupying the flats illegally. The application was in turn transferred to the PWD department. The Public Works Department handover the list and names of the officers who have been given orders to cough the Punishable dues which are mounting to 64,90,732/-. 5 Bureaucrats even after their transfer haven't still left their previous accommodation. Thane Collector Dr. Ashwini Joshi even after the transfer on 17th December 2014 has still occupied her flat in Kedar 2 for which the punishable dues to be recovered is in tune of Rs. 3,06,838/-. Kamlakar Fund owes the department Rs. 18,47,109/- Avinash Zaade owes Rs. 4,22,160/- Judge of the Labour Court Anil Sontakke owes Rs. 1,11,808/- Dhanaji Toraskar Rs. 5,05,687/- Prakash Kumar Rahule's dues are mounting to 2,43,740/- Ex Addl Judge Prakash Rathod's dues mount to 10,59,689, Ex Judge Pankaj Shah Rs. 3,22,665, Safai Kamgar Taramati Palye Rs. 48,000/- Kashinath Jadhav 2,46,000 and Carpenter Vasant Panchal owes 3,96,000/-. Maharashtra State Police Vigilance Department's Member Premkumar Jain, who is an Ex- Principal Secretary, Home as well, his dues are mounting to Rs. 9,81,036/- To top this, Jain has in turn pulled the Government in the court for this matter. The Government on the other hand has awarded Jain a plum posting in the State Police Vigilance Committee Anil Galgali surprised that how Top Most officer's occupied the Government Quarters illegally " The people who are still working with the Government, the dues can be deducted accordingly from the pay checks and for those who have been retired, Government can arrange to collect the dues from their pension" add Galgali.

Thursday 24 March 2016

प्रधानमंत्री मोदी की सभा पर एमएमआरडीए ने खर्च किया 3.37 करोड़ रुपए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर एक सभा और दौरा विशेष होता हैं। गत वर्ष अक्टूबर में मुंबई के दौरे पर आए मोदी के कुछ मिनटों की सभा के लिए एमएमआरडीए ने 3.37 करोड़ रुपए खर्च होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रविवार,11 अक्टूबर 2015 को एमएमआरडीए मैदान में आयोजित सभा पर किए गए कुल खर्च की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने इस सभा पर कुल 3 करोड़ 36 लाख 81 हजार 366 रुपए खर्च होने की जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के लिए वाटरप्रूफ एलुमिनियम और टरर्पौलिन मंडप मेसर्स प्रताप डी टकाक्कार एंड कंपनी ने बनाया था उसपर 93 लाख 35 हजार 70 रुपए खर्च किया गया हैं। मेसर्स जेस आइडियाज प्राइवेट लिमिटेड ठेकेदार ने चेयर्स, टेबल्स,सोफास, पोडियम,कारपेट,टीपोय्स,केमिकल टॉयलेट,गेट,बर्रिक्टेस,रेलिंग,क्लोथ पार्टीशन,फ्लावर डेकोरेशन और पीने के पानी पर 1 करोड़ 12 लाख 97 हजार 104 रुपए खर्च किया तो इलेक्ट्रिकल सिस्टम, विडियो हॉल और रिले अरेंजमेंट पर 71 लाख 67 हजार 465 रुपए मेसर्स श्री कंस्ट्रक्शन इस ठेकेदार को खर्च आया। विज्ञापन पर 20 लाख 85 हजार 647 रुपए इतनी रकम खर्च हुई । जमीन एमएमआरडीए प्रशासन की होने से पैसे नहीं देने पड़े।73,500 वर्ग मीटर एरिया सभा और 36,500 वर्ग मीटर एरिया पार्किंग के लिए रिजर्व किया गया था। मेट्रो लाइन और डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मेमोरियल के संयुक्त कार्यक्रम के लिए मराठी और अंग्रेजी भाषा में 3000 ब्राऊचर्स बनाए गए थे। एक ब्राऊचर्स पर 111 रुपए का खर्च आया। इसपर कुल 3 लाख 33 हजार 900 रुपये खर्च झाले. पोडियम लोगो, बैनर्स, स्टेज बैक ड्राप,वेलकम, डायरेक्शन और थैंक यू बोर्ड के लिए 34 लाख 62 हजार 180 रुपए खर्च हुआ हैं। एमएमआरडीए प्रशासन के अभियांत्रिकी विभाग हमेशा विकास योजना के खर्च में अतिरिक्त रकम बढ़ाने में प्रयासरत रहने की चर्चा आम हैं ऐसे में इस सभा की सरल जानकारी देने के लिए 5 महीने का लगा हुआ विलंब आर्श्चयजनक हैं। अनिल गलगली के अनुसार कुछ मिनटों की सभा के लिए इतनी बड़ी रकम खर्च की गई। राज्य में सूखाजन्य स्थिती और धन की कमी से जूझती राज्य सरकार भूमिपूजन कार्यक्रम खत्म होने के बाद करोड़ो रुपए खर्चिली जाहीर सभा लेने से परहेज करना चाहिए था, ऐसा मत अनिल गलगली ने व्यक्त किया हैं।

पंतप्रधान मोदीच्या सभेवर एमएमआरडीएने खर्च केले 3.37 कोटी रुपये

पंतप्रधान नरेंद्र मोदीची प्रत्येक सभा आणि दौरा विशेष असतो. मागील वर्षी ऑक्टोबरमधील मुंबई भेटीवर असलेले मोदी यांच्या काही तासाच्या सभेसाठी एमएमआरडीएने 3.37 कोटी रुपये खर्च केले असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडे पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या रविवार,11 ऑक्टोबर 2015 रोजी एमएमआरडीए मैदानात आयोजित सभेच्या एकूण खर्चाची माहिती मागितली होती.एमएमआरडीए प्रशासनाने या सभेवर एकूण 3 कोटी 36 लाख 81 हजार 366 रुपये खर्च झाल्याची माहिती दिली. पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या सभेसाठी वाटरप्रूफ एलुमिनियम आणि टरर्पौलिन मंडप मेसर्स प्रताप डी टकाक्कार एंड कंपनी यांनी बांधले होते ज्यावर 93 लाख 35 हजार 70 रुपये खर्च करण्यात आले. मेसर्स जेस आइडियाज प्राइवेट लिमिटेड कंत्राटदारांने चेयर्स, टेबल्स,सोफास, पोडियम,कारपेट,टीपोय्स,केमिकल टॉयलेट,गेट,बर्रिक्टेस,रेलिंग,क्लोथ पार्टीशन,फ्लावर डेकोरेशन आणि पिण्याच्या पाण्यावर 1 कोटी 12 लाख 97 हजार 104 रुपये खर्च केले तर इलेक्ट्रिकल सिस्टम, विडियो हॉल आणि रिले अरेंजमेंटवर 71 लाख 67 हजार 465 रुपये मेसर्स श्री कंस्ट्रक्शन या कंत्राटदारांस खर्च आला. जाहीरातीवर 20 लाख 85 हजार 647 इतकी रक्कम खर्च झाली तर जमीन एमएमआरडीए प्रशासनाची असल्यामुळे कोणताही खर्च आला नाही. 73,500 चौरस मीटर सभेसाठी आणि 36,500 चौरस मीटर वाहनतळासाठी आरक्षित करण्यात आले होते. मेट्रो लाइन आणि डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मेमोरियल या संयुक्त कार्यक्रमासाठी मराठी आणि इंग्रजी भाषेत 3000 ब्राऊचर्स बनविले असून एका ब्राऊचर्सवर 111 रुपयांचा खर्च आला. यावर एकूण 3 लाख 33 हजार 900 रुपये खर्च झाले. तर पोडियम लोगो, बैनर्स, स्टेज बैक ड्राप,वेलकम, डायरेक्शन आणि थैंक यू बोर्ड साठी 34 लाख 62 हजार 180 रुपये खर्च झाले. एमएमआरडीए प्रशासनातील अभियांत्रिकी विभाग नेहमीच विकास योजनेच्या खर्चात अतिरिक्त रक्कम वाढवण्यासाठी प्रयत्नशील असल्याचे बोलले जात असे पण सभेची साधी माहिती देण्यासाठी 5 महिन्याचा लागलेला विलंब चकित करणारा आहे. अनिल गलगली यांच्या मते काही तासासाठी इतकी मोठी रक्कम खर्च केली जात आहे. राज्यातील दुष्काळजन्य परिस्थिती आणि पैसाची टंचाई पाहता राज्य शासनाने भूमिपूजन कार्यक्रम आटोपल्यानंतर कोटयावधी रुपये खर्च करून जाहीर सभा घेण्याचे टाळावे हवे होते, असे मत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले आहे.

MMRDA incurs expenditures of Rs 3.37 crores on public rally addressed by PM Modi

It is a known fact that all public rallies of PM Modi are special. Similarly the rally held in October 2015 which lasted only a few hours costed the MMRDA coffers Rs 3.37 crores, has come to light vide reply to an RTI query filed by Activist Anil Galgali. RTI activist Anil Galgali had sought information from the MMRDA administration about the expenses incurred on the rally addressed by PM Modi at the MMRDA grounds on 11th October 2015. In its reply the MMRDA informed that a total of Rs 3 crores 36 lakhs 81 thousands 366 was spent for the rally. The water proof Tent consisting of Aluminum and tarpaulin was erected by the contractor M/s Pratap D Thakkar costing Rs 93 lakhs 35 thousand 70. M/s Jess Ideas Pvt Ltd supplied the chairs, tables, sofas, podium, carpet Teepoys, Chemical toilets, barricades, Railings, cloth partition, flower decorations and drinking water totally costing Rs 1 crore 12 lakhs 97 thousand 104. The Electrical systems, video hall and relay arrangements were done by M/s Shree construction costing Rs 71 lakhs 67 thousand 465. The advertisements costed Rs 20 lakhs 85 thousand 647. Since the land was owned by MMRDA itself, no cost was incurred on it, almost 73,500 Sq Mtrs of land was used for the rally purpose and additional 36,500 Sq Mtrs of land was used for parking arrangements. 3000 Brouchers for the rally jointly meant for Metro line and Dr Babasaheb Ambedkar memorial in Marathi and English costing Rs 111/- each was printed. It was costed Rs 3,33,900/-. Podium logo, banners, stage back drop, welcome boards, direction boards, and Thank you boards costed Rs 34 lakhs 62 thousand 180. The MMRDA administration's Engineering dept which always is in look out for avenues to raise the project costs, took almost 5 months to provide this information surprisingly. Anil Galgali expressed his opinion that at a time when the state is facing acute funds crisis coupled with drought, the govt could have avoided the public rally lasting just few minutes and incurring a huge fan cost. The inauguration could have been done. And the funds could have been put to use on a better reasons, said Galgali.

Saturday 19 March 2016

भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह का सदस्यत्व खतरे में

लोकसभा चुनाव लड़ने के दौरान सरकारी देनदारी की जानकारी छिपाते हुए उसे अदा न करने से भाजपा के सांसद और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह का संसद सदस्यता खतरे में आ गई हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने लोकसभा अध्यक्ष, प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग के पास लिखित शिकायत कर सत्यपाल सिंह का संसद सदस्यत्व रद्द करने की मांग की हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने लोकसभा अध्यक्ष, प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग के पास किए गए शिकायत में सांसद सत्यपाल सिंह ने कैसे जनता और चुनाव आयोग को उल्लू बनाया हैं ? इसकी विस्तृत जानकारी दी हैं। चुनाव आयोग ने जारी किए हैण्ड बुक में उम्मीदवारों को जिन 5 चीजों का ब्यौरा देने को आदेशित किया था उसमें अपराधिक मामले, प्रलंबित मामले, संपत्ति, देनदारी और शैक्षणिक योग्यता का समावेश हैं। इसमें के नियम क्रमांक 3 के अनुक्रमांक 4 में सरकारी वित्तीय संस्थान और सरकारी बकाया की देनदारी का ब्यौरा शामिल हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई 2002 को एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की याचिका पर आदेश जारी किया था। सत्यपाल सिंह ने सरकारी बकाया देनदारी की जानकारी उम्मीदवारी अर्जी पेश करने के दौरान सार्वजनिक नही की थी। मुंबई के पाटलीपुत्र सहकारी गृहनिर्माण संस्था में स्थित फ्लैट सत्यपाल सिंह ने किराए पर तो दिया लेकिन आज तक रु 48,420/- इतनी जुर्माना की रकम अदा नही की और सरकारी बकाया देनदारी की जानकारी को उम्मीदवारी अर्जी पेश करने के दौरान सार्वजनिक नही किया। असल में 10 वर्षों से फ्लैट को किराए पर देकर नियमों का उल्लंघन तो किया और फ्लैट को बिना अनुमति किराए पर देकर लाखों रुपए की कमाई भी की। सत्यपाल के ही फ्लैट में ही 2 जून 2014 को सेक्स रैकेट का भांडाफोड़ हुआ था। अनिल गलगली की शिकायत के बाद सत्यपाल सिंह संकट में आ गए है और उनकी संसद की सदस्यता रद्द होने के मार्ग पर हैं।

माजी पोलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह यांची खासदारकी धोक्यात

लोकसभा निवडणुक लढविताना सरकारी थकबाकीची माहिती दडवित ती अदा न केल्यामुळे भाजपाचे खासदार आणि माजी पोलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह यांची खासदारकी धोक्यात आली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी लोकसभा अध्यक्ष, पंतप्रधान आणि निवडणूक आयोगाकडे रीतसर तक्रार करत सत्यपाल सिंह यांचे सदस्यत्व रद्द करण्याची मागणी केली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी लोकसभा अध्यक्ष, पंतप्रधान आणि निवडणूक आयोगाकडे केलेल्या रीतसर तक्रारीत खासदार सत्यपाल सिंह यांनी कशी जनता आणि निवडणूक आयोगाची फसवणूक केली आहे? याची विस्तृत माहिती दिली आहे. निवडणूक आयोगाने 27 मार्च 2003 रोजीच्या हैण्ड बुक मध्ये उमेदवारासाठी ज्या 5 बाबी जाहीर करण्याचे आदेशित केले होते त्यात दाखल गुन्हे, प्रलंबित गुन्हे, मालमत्ता, थकबाकी दायित्व आणि शैक्षणिक पात्रता याचा समावेश आहे. यातील नियम क्रमांक 3 मधील 4 मध्ये सरकारी वित्तीय संस्थान आणि सरकारी थकबाकी या दायित्वाचा तपशील आहे. याबाबतीत सुप्रीम कोर्टाने 2 मे 2002 रोजी एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्सच्या जनहित याचिकेवर आदेश जारी केले होते. सत्यपाल सिंह यांनी सरकारी थकबाकीची माहिती उमेदवारी अर्ज सादर करताना दिली नाही. मुंबईतील पाटलीपुत्र सहकारी गृहनिर्माण संस्थेतील सदनिका डॉ सत्यपाल सिंह यांनी भाड्याने देत आजपर्यंत रु 48,420/- इतकी दंडाची रक्कम आजपर्यंत अदा केली नाही आणि सरकारी थकबाकीची माहिती उमेदवारी अर्ज सादर करताना दिली नाही. प्रत्यक्षात त्यांनी 10 वर्षापासून सदनिका भाडयाने देत एकप्रकारे नियमांचे उल्लंघन तर केले आणि सदनिका विना परवानगी भाडयाने देत लाखों रुपये कमविले. विशेष म्हणजे त्यांच्या याच सदनिकेत 2 जून 2014 रोजी सेक्स रैकेटचा भांडाफोड झाला होता. अनिल गलगली यांच्या तक्रारी नंतर सत्यपाल सिंह अडचणीत आले असून त्यांचे सदस्यत्व रद्द होणाच्या मार्गावर आहे.

BJP MP Satyapal Singh's membership of parliament in trouble

Ex Police Commissioner & BJP MP Satyapal Singh's membership of parliament in trouble, following the fact that he withheld information about unpaid dues to the collector's office in his election affidavit. RTI Activist Anil Galgali has filed application before Election Commissioner, Loksabha speaker & Prime minister's office that MP Satyapal Singh be stripped of his membership of Loksabha for defying election rules. Last week RTI activist Anil Galgali had revealed that Satyapal Singh, had failed to pay Rs 48,420/- fine imposed by collector, Mumbai suburbs, for renting out his flat at Patliputra Society, Andheri without proper permission from collector, as required by law. His flat is built on highly subsidised land provided for housing of top government officials & according to rules, he is bound to take collector's permission after payment of prescribed fee. Collector issued him a notice on 28th January 2013 for payment of dues. Singh, then holding the post of Police commissioner of Mumbai Police choose to overlook this notice & following reminders. . Satyapal Singh resigned from post of commissioner to contest & win 2014 Loksabha election from Baghpat seat in Uttar Pradesh. Now, this fact has come to light that Singh has not mentioned these 'Government dues' in his election affidavit. The handbook for candidates of Loksabha election specifically states that candidates should furnish details on 5 counts as prescribed by Supreme court judgement in Union of India v/s Association for democratic reforms. According to this provision, candidate is bound to reveal details of his criminal conviction, pending cases, Assets, Government liabilities & educational qualifications in affidavit filed before election officer. The relevant rule 4 (3) prescribes that the candidate reveal- 'Laibilities if any, particularly whether there are any old dues of any financial institution or government dues'. Anil Galgali has filed application before Election Commissioner, Loksabha speaker & Prime minister's office that MP Satyapal Singh be stripped of his membership of Loksabha for defying election rules. Interesting also that A sex racket was exposed by Mumbai police being run from his same flat no 1002 in Patliputra Society in 2 June 2014.

Wednesday 16 March 2016

कल्याण- डोंबिवली को अब तक नही मिल पाया 6500 करोड़ का पॅकेज

कल्याण-डोंबिवली महापालिका चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 3 अक्टूबर 2015 को भाजप के विकास परिषद में शहर विकास के लिए 6500 करोड़ का ‘चुनाव पॅकेज’ जाहीर किया था। सरकार से आज के वक्त तक किसी भी तरह का फंड मनपा को नहीं मिलने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को कल्याण- डोंबिवली महानगरपालिका ने दी हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की घोषणा हवाबाज साबित हुई। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कल्याण- डोंबिवली महानगरपालिका और मुख्यमंत्री कार्यालय से जानकारी मांगी थी कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मनपा चुनाव में कल्याण- डोंबिवली महानगरपालिका को 6500 करोड़ रुपए का पॅकेज देने की घोषणा की थी उसमें से कितनी रकम अब तक दी गई। मुख्यमंत्री कार्यालय ने गलगली की आरटीआई की अर्जी नगरविकास विभाग के पास भेजी तो नगरविकास विभाग ने एमएमआरडीए प्रशासन के पास अर्जी भेजकर अपना पल्ला झाड़ा। कल्याण- डोंबिवली महानगरपालिका के लेखाधिकारी तथा सूचना अधिकारी विनय कुलकर्णी ने अनिल गलगली को बताया कि सरकार से अब तक किसी भी तरह का फंड मनपा को नहीं मिला हैं। अनिल गलगली के अनुसार मुख्यमंत्री ने किया हुआ वादा निभाकर 6500 करोड़ का पॅकेज कल्याण डोंबिवली महानगरपालिका देना जरुरी हैं अन्यथा भविष्य में मुख्यमंत्री इस पद की प्रतिमा जनमानस में मलिन होगी और जनता विश्वास नही रखेगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिनांक 3 अक्टूबर 2015 को मनपा चुनाव के दौरान कल्याण- डोंबिवली महानगरपालिका को 6500 करोड़ का पॅकेज देने की घोषणा की थी। इसके पहले अलग किये 27 गावों को 1200 करोड़ का विशेष पॅकेज राज्य सरकार ने घोषित किया था। उस मौके पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रावसाहेब दानवे, शिक्षामंत्री विनोद तावडे के अलावा मंत्रिमंडल के कई साथी, नेतागण और पदाधिकारी उपस्थित थे।

कल्याण- डोंबिवलीला अजूनही प्राप्त झाला नाही 6500 कोटींचा पॅकेज

कल्याण-डोंबिवली महापालिका निवडणुकीच्या पाश्वभूमीवर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी 3 ऑक्टोबर 2015 रोजी भाजपच्या विकास परिषदेत शहर विकासासाठी 6500 कोटींचे ‘निवडणूक पॅकेज’च जाहीर केले होते. शासनाकडून आजमितीपर्यंत कोणताही निधी मनपास प्राप्त न झाल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस कल्याण- डोंबिवली महानगरपालिकेने दिली आहे. मुख्यमंत्र्यांचे आश्वासन हवेत विरल्याचे स्पष्ट झाले आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी कल्याण- डोंबिवली महानगरपालिका आणि मुख्यमंत्री कार्यालयाकडे माहिती मागितली होती की मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी पालिका निवडणूकीत कल्याण- डोंबिवली महानगरपालिकेस 6500 कोटी रुपयांचे पॅकेज देण्याची घोषणा केली होती त्यापैकी किती रक्कम आतापर्यंत देण्यात आली. मुख्यमंत्री कार्यालयाने गलगली यांचा अर्ज नगरविकास खात्याकडे पाठविला तर नगरविकास खात्याने एमएमआरडीए प्रशासनाकडे पाठवित आपले हात झटकले. कल्याण- डोंबिवली महानगरपालिकेचे लेखाधिकारी तथा माहिती अधिकारी विनय कुलकर्णी यांनी कळविले की शासनाकडून आजमितीपर्यंत कोणताही निधी मनपास प्राप्त झालेला नाही. अनिल गलगली यांच्या मते मुख्यमंत्र्यानी दिलेले आश्वासन पाळत 6500 कोटींचे पॅकेज कल्याण डोंबिवली महानगरपालिकेस देणे आवश्यक आहे अन्यथा भविष्यात मुख्यमंत्री या पदाची प्रतिमा जनमानसात मलिन होईल आणि जनता विश्वास ठेवणार नाही. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी दिनांक 3 ऑक्टोबर 2015 रोजी पालिका निवडणूकीच्या प्रचार दरम्यान कल्याण- डोंबिवली महानगरपालिकेस 6500 कोटी रुपयांचे पॅकेज देण्याची घोषणा केली होती. यापूर्वीही वगळलेल्या 27 गावांसाठी 1200 कोटींचे विशेष पॅकेज राज्य सरकारने जाहीर केले आहे.त्यावेळी भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रावसाहेब दानवे, शिक्षणमंत्री विनोद तावडे यांच्यासह मंत्रिमंडळातील अनेक सहकारी, नेते, पदाधिकारी उपस्थित होते.

Kalyan-Dombivali still waiting for their Rs 6500 cr package announce by CM

On the eve of Kalyan-Dombivali Municipal Corporation elections,held in 2015, CM Devendra Fadnavis during one such rallies held, had announced a package of 6500 crores for the development of the twin cities. But till today, not even a single rupee has come for the development of KDMC, quips Anil Galgali who had filed an RTI in this regard with the Kalyan-Dombivali Municipal Corporation (KDMC). In a RTI filed with the KDMC and the Chief Minister's office (CMO), RTI Activist Anil Galgali has ask a query that please furnished the detail of Rs 6500 cr "Package" had in turn been released by the Government to the KDMC. The CMO very conveniently forwarded the RTI application to the Urban Development Department and they in turn forwarded it to the MMRDA, shedding off responsibility to give out the information. Account Officer and The Public Information officer (PIO) of the KDMC, Vinay Kulkarni in his reply, said no such funds have been received till date from the Government. "The CM should stick to his promises what he did. CM had promised the people of Kalyan Dombivali of development. But if the CM fails to adhere this, it will tarnish the image amongst the people and the people of the cities will feel neglected" said Anil Galgali. Before the polls for Kalyan Dombivbali Municipal elections, Chief Minister Devendra Fadnavis had addressed a rally on the 3rd of October 2015 wherein he had announced a package of Rs. 6500 crores. Apart from this, the 27 villages that have been left out of the KDMC, a special package of Rs. 1200 crores was announced by then. The rally was also attended by BJP state chief Raosaheb Danve and Education Minister Vinod Tawde with Cabinet Minister, Office Bearers of Bjp.

Monday 14 March 2016

53 टोल नाका की छुट का हर्जाना 8798.79 करोड़

चुनाव में महाराष्ट्र को टोल मुक्त करने की घोषणा के अंतर्गत महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल और सार्वजनिक निर्माण विभाग ने 53 टोल नाकों पर दी हुई छुट का हर्जाना की धनराशि 8798.79 करोड़ रुपए होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सार्वजनिक निर्माण विभाग ने दी हैं। ताज्जुब की बात ये है कि यह हर्जाना वर्ष 2039 तक दिया जाएगा और हर वर्ष 353 करोड़ का बोझा राज्य के खजाने पर होगा। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सार्वजनिक निर्माण मंत्री चंद्रकांत पाटील से महाराष्ट्र राज्य में बंद किए गए टोल नाका और टोल टैक्स से दी गई छुट वाले टोल नाके की जानकारी मांगी थी। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अवर सचिव शैलेंद्र बोरसे ने अनिल गलगली को बताया कि सार्वजनिक निर्माण विभाग के शेष 19 प्रोजेक्ट के 27 टोल नाकों पर कार, जीप सहित एसटी और स्कूल बसेस को टोल टैक्स में छुट देने से टोल मालिकों को वर्ष 2015-16 के लिए हर्जाना रकम 179.69 करोड़ हैं। यह हर्जाना आगामी 25 वर्षों तक दिया जाएगा। आर्थिक वर्ष 2039-40 तक हर्जाने की कुल रकम रु 7377.44 करोड़ इतनी हैं। महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल के 12 प्रोजेक्ट के 26 टोल नाकों पर कार, जीप सहित एसटी और स्कूल बसेस को टोल टैक्स में से छुट देने से टोल मालिकों को वर्ष 2015-16 के लिए हर्जाना की रकम 224.24 करोड़ रुपए हैं। यह हर्जाना 5 वर्ष तक दिया जाएगा। आर्थिक वर्ष 2019-20 तक हर्जाने की कुल रकम रु 1421.35 करोड़ होगी। आरटीआई कार्यकर्ते अनिल गलगली का कहना हैं कि सालों साल टोल के नाम पर जनता और सरकार को लुटनेवालों पर कडक कारवाई करने के बजाय राज्य सरकार तो जनता के टैक्स से जमा हुए करोड़ों रुपए हर्जाने के तौर पर देने का फैसला सरासर गलत हैं और सभी टोल कंपनी का ऑडिट होने की जरुरत हैं। टोल माफ करते हुए टोल कंपनी को हर्जाने की धनराशि देकर सरकार ने बताई उदारपणा यानी बीमारी से दवाईयां ही महंगी होने की टिप्पणी गलगली ने व्यक्त की। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अवर सचिव शैलेंद्र बोरसे ने अनिल गलगली को बताया कि सार्वजनिक निर्माण विभाग के 38 टोल नाकों में से 11 टोल बंद करने से 226.51 करोड़ रुपए रिटर्न की रकम हैं। महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल के 53 टोल नाकों से सिर्फ 1 टोल नाका बंद हुआ हैं जिसके लिए रिटर्न की रकम 168 करोड़ रुपए हैं। इन 12 टोल को बंद करने के लिए राज्य सरकार ने 394.51 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

53 टोलच्या सूटपायी 2039 पर्यंत दिली जाणार एकूण 8798.79 कोटीची भरपाई

निवडणूकीत महाराष्ट्र टोल मुक्त करण्याच्या घोषणा अंतर्गत महाराष्ट्र राज्य रस्ते विकास महामंडळ आणि सार्वजनिक बांधकाम विभागाने 53 नाक्यावर सूट दिल्यामुळे उद्योजकांस 8798.79 कोटीची भरपाई देणार असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस सार्वजनिक बांधकाम विभागाने दिली आहे. विशेष म्हणजे ही भरपाई वर्ष 2039 पर्यंत दिली जाणार असून यामुळे प्रत्येक वर्षी 353 कोटीचा भुर्दंड राज्याच्या तिजोरीवर पडणार आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी सार्वजनिक बांधकाम मंत्री चंद्रकांत पाटील यांस कडे महाराष्ट्र राज्यात बंद केलेले टोल नाका आणि टोल टैक्स मधून सूट दिलेल्या टोल नाकाची माहिती मागितली होती. सार्वजनिक बांधकाम विभागाचे अवर सचिव शैलेंद्र बोरसे यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की सार्वजनिक बांधकाम विभागाकडील उर्वरित 19 प्रकल्पावरील 27 टोल नाक्यांवर कार, जीप तसेच एसटी आणि स्कूल बसेसना टोल टैक्समध्ये सूट दिल्यामुळे उद्योजकास वर्ष 2015-16 करीताची भरपाई रक्कम 179.69 कोटी आहे. सदर भरपाई पुढील 25 वर्षे दिली जाणार आहे. आर्थिक वर्ष 2039-40 पर्यंत भरपाईची एकूण रक्कम रु 7377.44 कोटी होणार आहे. तर महाराष्ट्र राज्य रस्ते विकास महामंडळाकडील 12 प्रकल्पावरील 26 टोल नाक्यांवर कार, जीप तसेच एसटी आणि स्कूल बसेसना टोल टैक्समध्ये सूट दिल्यामुळे उद्योजकास वर्ष 2015-16 करीताची भरपाई रक्कम 284.27 कोटी रुपये आहे. सदर भरपाई पुढील 5 वर्षे दिली जाणार आहे. आर्थिक वर्ष 2019-20 पर्यंत भरपाईची एकूण रक्कम रु 1421.35 कोटी होणार आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या मते वर्षानुवर्षे टोलच्या नावावर जनता आणि शासनाची लुट करणा-यावर कडक शासन करण्याऐवजी राज्य सरकारने जनतेच्या करातुन जमा केलेले कोटयावधी रुपये देण्याचा घेतलेला निर्णय चुकीचा असून सर्व टोल कंपनीचे ऑडिट करणे आवश्यक होते. टोल माफ करताना टोल कंपनीस रक्कम देताना सरकारने दाखविलेला उदारपणा म्हणजे रोगापेक्षा औषधच महाग असल्यासारखे असल्याची टीका गलगली यांनी केली आहे. सार्वजनिक बांधकाम विभागाचे अवर सचिव शैलेंद्र बोरसे यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की सार्वजनिक बांधकाम विभागातील 38 टोल नाक्यापैकी 11 टोल बंद केल्यामुळे 226.51 कोटी रुपये परतावा रक्कम आहे. महाराष्ट्र राज्य रस्ते विकास महामंडळ यांचेकडील 53 टोल नाक्यापैकी 1 टोल नाका बंद झाला त्यासाठी परतावा रक्कम 168 कोटी रुपये आहे. या 12 टोल बंद साठी राज्य सरकारने 394.51 कोटी रुपये खर्च केले आहे.

Total toll exemptions on 53 toll booths would cost the exchequer Rs 8798.79 crores by year 2039

The election promise of toll free Maharashtra is resulting in a compensation of Rs 8798.79 crores for the road builders by the Maharashtra State Road Development Corporation (MSRDC) and the PWD as per the information provided by the PWD dept to RTI activist Anil Galgali. This compensation would be paid yearly upto year 2039 which works out to an load of Rs 353 crores per year on the exchequer. RTI activist Anil Galgali had sought information from the PWD Minister Shri Chandrakant Patil about the details of the toll booths closed and also about the toll booths on which exemptions have been provided. In a reply, Shri Shailendra Borse informed Galgali that, PWD's 19 projects having a total of 27 toll Naka, Cars, Jeep, State Transport busses and school buses have been exempted from paying toll, due to which the dept is paying Rs 179.69 crores to the road contractor for the year 2015-16, and this amount has to be paid yearly for next 25 years uptill financial year 2039-40, which will totally cost Rs 7377.44 crores. Similarly on the 12 projects under MSRDC, 26 toll nakas are functional on which the cars, Jeep, State transport buses and school buses have been given exemptions, which is going to cost the exchequer Rs 284.27 crores for the financial year 2015-16 and has to be paid for next 5 years that is upto 2019-20 totalling Rs 1421.35 crores. Anil Galgali has expressed that, instead of taking strong action on the people who are looting the public and government in the name of toll tax, the government is being very lenient towards them. He said instead all the company's involved in the business of toll collection should have been audited. He further stated that, the willingness shown in paying compensation for toll exemptions seems to be a case where the treatment seems to be costlier and dangerous than the illness itself. The Under Secretary of PWD dept, Shri Shailendra Borse informed Anil Galgali that, out of a total of 38 toll nakas 11 toll nakas were closed down, ensuing a payment of Rs 226.51 crores towards compensation. Similarly out of 53 toll nakas under MSRDC, 1 toll Naka was closed leading to a compensation of Rs 168 crores. Totalling Rs 394.51 crores towards closure of 12 toll nakas.

Saturday 12 March 2016

12 टोल नाका बंद और 53 नाकों पर छुट- टोल मालिकों को 798.44 करोड़ का रिटर्न और हर्जाना

महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल और सार्वजनिक निर्माण विभाग ने बंद किए 12 और 53 नाकों पर दी हुई छुट से टोल मालिकों को 798.44 करोड़ रुपए का रिटर्न और हर्जाना देने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सार्वजनिक निर्माण विभाग ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सार्वजनिक निर्माण मंत्री चंद्रकांत पाटील से महाराष्ट्र राज्य में बंद किए गए टोल नाका और टोल टैक्स से दी गई छुट वाले टोल नाके की जानकारी मांगी थी। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अवर सचिव शैलेंद्र बोरसे ने अनिल गलगली को बताया कि सार्वजनिक निर्माण विभाग के 38 टोल नाकों में से 11 टोल बंद करने से 226.51 करोड़ रुपए रिटर्न की रकम हैं। महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल के 53 टोल नाकों से सिर्फ 1 टोल नाका बंद हुआ हैं जिसके लिए रिटर्न की रकम 168 करोड़ रुपए हैं। सार्वजनिक निर्माण विभाग के शेष 19 प्रोजेक्ट के 27 टोल नाकों पर कार, जीप सहित एसटी और स्कूल बसेस को टोल टैक्स में छुट देने से टोल मालिकों को वर्ष 2015-16 के लिए हर्जाना रकम 179.69 करोड़ हैं। महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल के 12 प्रोजेक्ट के 26 टोल नाकों पर कार, जीप सहित एसटी और स्कूल बसेस को टोल टैक्स में से छुट देने से टोल मालिकों को वर्ष 2015-16 के लिए हर्जाना की रकम 224.24 करोड़ रुपए हैं। महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल के 53 में से 1 टोल नाका बंद हुआ हैं। चंद्रपूर स्थित रेलवे ओवर ब्रिज तडाली (आरओबी) बंद हुआ हैं जिसके लिए वन टाइम रकम 168 करोड़ रुपए दिए जानेवाले हैं। सार्वजनिक निर्माण विभाग के 38 में से 11 टोल नाका बंद हुए हैं जिसमें अलिबाग-पेण-खोपोली, पुणे का मावल स्थित वडगाव-चाकण-शिक्रापूर प्रोजेक्ट के 2 टोल नाका, मोहोल-कुरुल-कामती-मंद्रुप, सोलापूर स्थित टेंभूर्णी -कुर्डूवाडी-बार्शी लातूर वाडी, अहमदनगर करमाळा- टेंभूर्णी रोड़, नासिक-वणी रोड़ , भुसावळ स्थित यावल फैजपूर रोड़ और खामगाव वलन रोड़ ऐसे नाम हैं।

12 टोल नाका बंद आणि 53 नाक्यावर सूट- 798.44 कोटी रुपयाचा परतावा आणि नुकसान भरपाई

महाराष्ट्र राज्य रस्ते विकास महामंडळ आणि सार्वजनिक बांधकाम विभागाने बंद केलेले 12 आणि 53 नाक्यावर सूट दिल्यामुळे उद्योजकांस 798.44 कोटी रुपयाचा परतावा आणि नुकसान भरपाई दिल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस सार्वजनिक बांधकाम विभागाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी सार्वजनिक बांधकाम मंत्री चंद्रकांत पाटील यांस कडे महाराष्ट्र राज्यात बंद केलेले टोल नाका आणि टोल टैक्स मधून सूट दिलेल्या टोल नाकाची माहिती मागितली होती. सार्वजनिक बांधकाम विभागाचे अवर सचिव शैलेंद्र बोरसे यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की सार्वजनिक बांधकाम विभागातील 38 टोल नाक्यापैकी 11 टोल बंद केल्यामुळे 226.51 कोटी रुपये परतावा रक्कम आहे. महाराष्ट्र राज्य रस्ते विकास महामंडळ यांचेकडील 53 टोल नाक्यापैकी 1 टोल नाका बंद झाला त्यासाठी परतावा रक्कम 168 कोटी रुपये आहे. सार्वजनिक बांधकाम विभागाकडील उर्वरित 19 प्रकल्पावरील 27 टोल नाक्यांवर कार, जीप तसेच एसटी आणि स्कूल बसेसना टोल टैक्समध्ये सूट दिल्यामुळे उद्योजकास वर्ष 2015-16 करीताची भरपाई रक्कम 179.69 कोटी आहे. महाराष्ट्र राज्य रस्ते विकास महामंडळाकडील 12 प्रकल्पावरील 26 टोल नाक्यांवर कार, जीप तसेच एसटी आणि स्कूल बसेसना टोल टैक्समध्ये सूट दिल्यामुळे उद्योजकास वर्ष 2015-16 करीताची भरपाई रक्कम 224.24 कोटी रुपये आहे. महाराष्ट्र राज्य रस्ते विकास महामंडळ यांचेकडील 53 पैकी 1 टोल नाका बंद झाला. चंद्रपूर येथील रेल्वे ओव्हर ब्रिज तडाली (आरओबी) बंद झाला असून त्यासाठी एक रक्कमी 168 कोटी रुपये दिले गेले आहे. सार्वजनिक बांधकाम विभागाकडील 38 पैकी 11 टोल नाका बंद केले गेले त्यात अलिबाग-पेण-खोपोली, पुण्यातील मावळ येथील वडगाव-चाकण-शिक्रापूर प्रकल्पातील 2 टोल नाका, मोहोळ-कुरुळ-कामती-मंद्रुप, सोलापूर येथील टेंभूर्णी -कुर्डूवाडी-बार्शी लातूर वाडी, अहमदनगर करमाळा- टेंभूर्णी रस्ता, नाशिक-वणी रस्ता , भुसावळ येथील यावल फैजपूर रस्ता आणि खामगाव वळण रस्ता अशी नावे आहेत.

Rs 798.44 crores Return & Compensation amount paid to Contractors for 12 Toll Plazas closed & exemption on 53 plazas.

Due to the 12 Toll Plazas closed down and exemption on 53 plazas, the Maharashtra State Road Development Corporation (MSRDC) and the Public Work Development (PWD) Departments have to pay Rs. 798.44 crores as compensation & return to the Toll Plaza Contractors, revealed an RTI filed by activist Anil Galgali. Anil Galgalis for RTI filed with the Minister of PWD Chandrakant PAtil, asking for information on the Toll Plazas closed and about the exempted ones. Shailendra Borse, Under Secretary & Public Information Officer in the reply stated that out of the total 38 Plazas managed by the PWD 11 were closed and Rs. 226.51 crores was paid to the contractor as full & Final payment. Whereas out of the 53 plazas maintained by the MSRDC only 1 was closed for which the full & Final payment return amounted to Rs. 168 crores. Out of the 19 projects of the PWD in the 27 toll plazas the Car's, Jeep's, State Transport Buses (ST) and School buses were given exemption. But this amounted to return of Rs. 179.69 crores as compensation for Year 2015 -16. Similarly for MSRDC's 12 projects which consists of 26 Toll Plazas because of the exemption given to the Cars, Jeep, ST & school buses the compensation for Year 2015-16 amount to return of Rs. 224.24 crores. Out of 53 Toll Plaza's under the MSRDC only 1 has closed. Because of the closure of one Railway over Bridge (ROB) in Chandrapur, Rs. 168 crore were returned as full & Final payment to the Contractor. And in case of the PWD where 11 Toll Palzas were closed out of the 38, they were identified as Alibaugh-Pen-Khopoli, Vadgaon-Chakan-Shikrapuur near Maval 2 toll plazas (Pune), Mohole-Kurul-Kamati-Mandrup, then one at Tembhurni-Kurduwadi-Barshi Latur road at Solapur, Ahmednagar-Karmala Tembhurni Road, Nashik Vani Road, Yaaval-Bhuswal raod at Bhusawal and Khamgaon Ring Road.

Wednesday 9 March 2016

नया आरटीआई आते ही डांस को मिले 8 लाख का चेक सीएम रिलीफ फंड में हुआ जमा

बैंकाक स्थित डांस कार्यक्रम को जाने के लिए 8 लाख जिस डांस ग्रुप को दिया था उस डांस ग्रुप ने 2015 में रकम वापस देने का किया हुआ दावा शतप्रतिशत फर्जी था। जमा हुए 8 लाख की जानकारी नए से आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मांगते ही सीएम सचिवालय के सीएम रिलीफ फंड सेल ने 18 फरवरी 2016 को आया हुआ चेक सीएम रिलीफ फंड में जमा करने के लिये 24 फरवरी 2016 को बँक के कर्मी के पास देने का दावा किया हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सीएम सचिवालय से डांस ग्रुप ने वापस किए 8 लाख के चेक की जानकारी दिनांक 8 जनवरी 2016 को मांगी थी। गलगली की आरटआई की अर्जी आते ही सीएम सचिवालय की यंत्रणा हिल गई और 8 लाख देने 2015 में देने की दावे की पोल कहीं खुल न जाए, इस पवित्र उद्देश्य से 42 दिन के बाद दिनांक 18 फरवरी 2016 को चेक मंगावा गया। यह चेक 24 फरवरी 2016 को सीएम रिलीफ फंड में जमा करने के लिए बैंक कर्मियों को दिया गया हैं जिसकी रसीद प्राप्त न होने की जानकारी गलगली को दी गई हैं। दिनांक 25 अगस्त 2015 को सचिवालय जिमखाना,मुंबई ने सरकारी कर्मचारियों को बैंकॉक-थायलंड में दिनांक 26 से 30 दिसंबर 2015 इस दौरान आयोजित की हुई प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए स्पेशल केस के तौर 8 लाख की आर्थिक मदद करने का अनुरोध किया था जिसे सीएम देवेंद्र फडनवीस ने स्पेशल केस बनाकर प्रस्ताव पेश करने का आदेश सीएम सचिवालय/ फंड विभाग को आदेश जारी किया। दिनांक 27 अगस्त 2015 को पेश किए गए प्रस्ताव को सीएम देवेंद्र फडनवीस ने स्पेशल केस के तहत रु 8 लाख देने का आदेश जारी किया। दिनांक 11 सितंबर 2015 को रु 8 लाख सीएम रिलीफ फंड से सचिवालय जिमखाना,मुंबई के अकाउंट में जमा भी किए । अखिल भारतीय सांस्कृतिक संघ और ग्लोबल कौंसिल ऑफ आर्ट एंड कल्चर इन निजी संस्था द्वारा अक्षरा थिएटर, बैंकॉक (थायलंड) में आयोजित डांस के लिए कुल रु 8,00,000/- दिए गए। महाराष्ट्र राज्य के सहित देश में आपदा में फंसे लोगों को तत्काल सहायता देना, ये सीएम रिलीफ फंड का मुख्य उद्देश्य होता हैं। बाढ़, सूखा और आग लगने से होनेवाली दुर्घटना जैसी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को सीएम रिलीफ फंड के द्वारा अर्थसहाय उपलब्ध किया जाता हैं। समाज में आर्थिक तौर पर दुर्बल घटकों को दुर्धर बीमारियों का इलाज करने के लिए भी इस फंड से अर्थसहाय उपलब्ध किया जाता हैं। सीएम रिलीफ फंड की अर्थसहाय वितरण कार्यशैली के खिलाफ एक जनहित याचिका मुंबई उच्च न्यायालय में प्रलंबित होने से व्यक्तिगत या संस्थात्मक प्रयोजन के लिए सीएम रिलीफ फंड से आर्थिक मदद न देने की पॉलीसी को नजरअंदाज किया गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जो सचिवालय जिमखाना, मुंबई के पदसिद्ध अध्यक्ष हैं वे स्पेशल केस के तौर पर रु 8 लाख ऐसे वक्त दिए हैं जब सूखा से किसान सरकारी मदद के अभाव में आत्महत्या कर रहे हैं, ऐसा आरोप अनिल गलगली ने करते ही चेक देने का फर्जीवाड़ा किया गया लेकिन असल में सीएम रिलीफ फंड में किसी भी तरह का चेक जमा नही हुआ था। अनिल गलगली के अनुसार यह फर्जीवाड़ा एकतरह से सीएम रिलीफ फंड का होनेवाला गैर इस्तेमाल कैसे होता हैं? इसका ज्वलंत उदाहरण हैं।

नवीन आरटीआय करताच डांससाठी घेतलेला 8 लाखाचा धनादेश मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीत झाला जमा

बैंकाक येथील डांस कार्यक्रमाला जाण्यासाठी 8 लाख ज्या डांस ग्रुपला दिले होते त्या डांस ग्रुपने 2015 मध्ये पैसे परत केल्याचा दावा सपशेल खोटा होता आणि जमा झालेल्या 8 लाखाची माहिती नव्याने आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मागताच मुख्यमंत्री सचिवालयातील मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कक्षाने 18 फेब्रुवारी 2016 रोजी आलेला धनादेश मुख्यमंत्री सहायता निधीत जमा करण्यासाठी 24 फेब्रुवारी 2016 रोजी बँकेच्या कर्मचा-याकडे देण्यात आल्याचा नवीन दावा केला आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री सचिवालयास डांस ग्रुपने परत केलेल्या 8 लाखाच्या धनादेशाची माहिती दिनांक 8 जानेवारी 2016 रोजी मागितली होती. गलगली यांचा अर्ज येताच मुख्यमंत्री सचिवालयातील यंत्रणा हादरली आणि 8 लाख देण्याचा केलेल्या दाव्याची पोल खोल होऊ नये, याच उदात्त उद्देश्याने 42 दिवसानंतर दिनांक 18 फेब्रुवारी 2016 धनादेश मागविण्यात आला. हा धनादेश 24 फेब्रुवारी 2016 रोजी मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीत जमा करण्यासाठी बैंक कर्मचा-यास देण्यात आले असून त्याची पावती प्राप्त न झाल्याची माहिती गलगली यांस देण्यात आली. दिनांक 25 ऑगस्ट 2015 रोजी सचिवालय जिमखाना,मुंबई यांनी शासकीय नृत्य कलाकारांना बैंकॉक-थायलंड येथे दिनांक 26 ते 30 डिसेंबर 2015 या कालावधीत आयोजित केलेल्या स्पर्धेत सहभागासाठी खास बाब म्हणून 8 लाखांची आर्थिक मदत करण्याची विनंती केली ज्यास मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी विशेष बाब म्हणून प्रस्ताव सादर करण्याचे आदेश मुख्यमंत्री सचिवालय/ निधी कक्षास आदेश जारी केले. दिनांक 27 ऑगस्ट 2015 रोजी सादर केलेल्या प्रस्तावास मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी विशेष बाब म्हणून रु 8 लक्ष देण्याचे आदेश जारी केले. दिनांक 11 सप्टेंबर 2015 रोजी रु 8 लाख मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीतून सचिवालय जिमखाना,मुंबई यांच्या खात्यात वर्ग करण्यात आली. अखिल भारतीय सांस्कृतिक संघ आणि ग्लोबल कौंसिल ऑफ आर्ट एंड कल्चर या खाजगी संस्थेच्या विद्यमाने अक्षरा थिएटर, बैंकॉक (थायलंड) येथे आयोजित नृत्यासाठी एकूण खर्च 8,00,000/- झाला होता. महाराष्ट्र राज्यातील तसेच देशातील आपत्तीग्रस्तांना तातडीने सहाय्यता देणे, हे मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीचे उद्दिष्ट आहे. पूर, दुष्काळ, आगीमुळे होणारे अपघात अशा मोठ्या नैसर्गिक आपत्तींमुळे बाधीत नागरिकांना “मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी” मार्फत अर्थसहाय्य पुरविले जाते. समाजातील आर्थिकदृष्ट्या दुर्बल घटकांना दुर्धर आजारांवर उपचार करण्यासाठीही या निधीतून अर्थसहाय्य पुरविले जाते. मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीतून अर्थसहाय्य वाटपाच्या कार्यपद्धती विरोधात एक जनहित याचिका मुंबई उच्च न्यायालयात प्रलंबित असल्याने वैयक्तिक किंवा संस्थात्मक प्रयोजनाकरिता मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीतून आर्थिक मदत न देण्याच्या धोरणास बगल दिली आणि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी स्व:ताच पदसिद्ध अध्यक्ष असलेल्या सचिवालय जिमखाना, मुंबईला विशेष बाब म्हणून रु 8 लाख अश्यावेळी दिले आहे जेव्हा दुष्काळग्रस्त शेतकरी शासकीय मदत अभावी आत्महत्या करत आहे, असा आरोप अनिल गलगली यांनी करताच धनादेश देण्याचा बनाव रचण्यात आला परंतु प्रत्यक्षात मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीत असा कोणताही धनादेश जमाच झाला नाही. अनिल गलगली यांच्या मते हा बनाव एकप्रकारे मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीचा दुरुप्रयोग कशाप्रकारे होतो, याचे ज्वलंत उदाहरण आहे.

Reacting on fresh RTI query, Rs 8 lakhs given as grant for the dance troupe to Bangkok from the CM Relief Fund deposited back in fund

It has come to light by a fresh RTI query filed by RTI activist Anil Galgali that the claim of the Dance troupe, who were sanctioned Rs 8 lakhs from the CM Relief Fund for a show at Bangkok, that the money has been returned back to the relief fund was false. It was informed that the cheque received by the CM secretariat on 18th February 2016 was deposited into the CM Relief Fund bank account on 24 th February 2016. RTI activist Anil Galgali had sought information from the CM secretariat about the claim of the Dance troupe belonging to the CM headed Sachivalaya Gymkhana about returning the grant for its Bangkok trip on 08/01/2016. On receiving the query filed by Galgali the CM secretariat sprung into action to save itself from an embarrassment of an fresh exposure, almost 42 days after the query was filed, a cheque dt 18/02/2016 was collected. This cheque was deposited into the CM Relief Fund account on 24/02/2016 and the receipt was yet to be received was informed to Galgali. The Gymkhana had sought the assistance from the CM Relief fund vide their letter dt 25/08/2015. The Gymkhana needed the assistance to send it's 15 member strong team comprising government employees dance artistes to enable them to participate in a dance competition being held at Bangkok, Thailand from 26th to 30 th December 2015 as a special case. The application was sent by the CM to the CM Relief Fund desk with instructions to put up the application as a special case. On 27/08/2015 the application was put up before the CM as a special case and the assistance of Rs 8 lakhs was immediately sanctioned by the CM. The funds of Rs 8 Lakhs was transferred to the Sachivalaya Gymkhana's account on 11th September, 2015. The purpose of the CM Relief Fund is to provide immediate help to those effected by disaster within the Maharashtra state or any where in the country. The victims or survivors of Disasters such as floods, drought, accidents due to Fire or any other major natural calamities are provided with immediate assistance from the CM Relief Fund. The assistance are also provided to the economically backward sections amongst the communities in cases of medical treatments for various critical ailments. It is also important to note here that a PIL is pending before the Hon'ble High Court, Mumbai against the adhoc functioning of the CM Relief Fund, due to which the govt had taken a policy decision to hold the applications of personal nature and also of Institutions seeking assistance. The CM has overlooked and sidestepped it's own decisions and has disbursed funds to an organization called as Sachivalya Gymkhana, which is headed by CM himself, funds to a tune of Rs 8 lakhs as a special case for a dance competition and at the time when a poor farmer is forced to commit suicides due to reasons afflicted by the drought is shocking, alleged Galgali. The CM headed Sachivalaya Gymkhana was sanctioned Rs 8 lakhs as a special case from the CM Relief Fund for sending a dance troupe to Bangkok at a time when the draught effected poor farmer's are committing suicide due to lack of help from government, alleged Galgali. After the exposure an alibi of the grant being refunded back was created, but in actuality no such grant amount was refunded back despite claims. Further Anil Galgali stated that such diversionary acts expose as a classic example of how the CM Relief Fund is being misused.

Thursday 3 March 2016

गिरगाव चौपाटी मेक इन इंडिया की आग का मलबा साफ़ करने में मनपा ने खर्च किए 8 लाख

'मेक इन इंडिया' इस बैनर के तले गिरगाव चौपाटी में आयोजित महाराष्ट्र रजनी कार्यक्रम में लगी आग मुंबई मनपा को महंगी पड़ी और आग का मलबा साफ़ करने में मनपा को 8 लाख खर्च होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मनपा प्रशासन ने दी हैं। मनपा को आए इस अतिरिक्त खर्च का भुगतान करने की मांग को आयोजक रीजनल डायरेक्टर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री ने देने की दूर की बात रही एक जबाब देना भी मुनासिफ नहीं समझा। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा से गिरगाव चौपाटी स्थित महाराष्ट्र रजनी कार्यक्रम में लगी आग के बाद मनपा ने की हुई सफाई काम की जानकारी मांगी थी। डी मनपा विभाग के घन कचरा डिपार्टमेंट के सहायक अभियंता ने अनिल गलगली को बताया कि गिरगाव चौपाटी स्थित महाराष्ट्र रजनी कार्यक्रम में 14 फरवरी 2016 को लगी आग के बाद मनपा ने साफसफाई काम करते हुए 315 मेट्रिक टन इतना डेब्रिज/मलबा उठाते हुए परिसर को साफ़ किया जिसके लिए कुल खर्च की रकम करीब 8 लाख 6 हजार 952 रुपए इतनी हैं। यह सफाई का काम डी विभाग के अलावा अन्य विभाग की यंत्र सामग्री, वाहन, मजदूर और अशासकीय संस्था के मजदूरों के जरिए किया गया। इस काम के लिए मनपा को आया अतिरिक्त खर्च इस कार्यक्रम के आयोजक रीजनल डायरेक्टर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री को मनपा को अदा करने के लिए पत्र लिखा गया हैं। लेकिन आयोजक से अब तक कोई जबाब प्राप्त नहीं हुआ हैं। अनिल गलगली ने मनपा आयुक्त अजोय मेहता को भेजे हुए पत्र में मांग की हैं कि आयोजक मनपा ने खर्च की हुई अतिरिक्त रकम अदा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत करनी चाहिए। क्योंकि मनपा में कठीण दौर में खर्च कर अपरोक्ष तौर पर आयोजक की मदद ही की थी। अब आयोजक का यह बर्ताव ठीक नही हैं। मनपा ने 10 जेसीबी, 39 डंपर की 67 ट्रिप्स, 2 कोम्पक्टोर्स, 198 मजदूर और 80 सुपरवाइजरी स्टाफ 2 शिफ्ट में डेब्रिज निकालने में कार्यरत थी। चौपाटी की साफसफाई की जिम्मेदारी आयोजक की होने से मनपा ने किया हुआ खर्च देने के लिए वे बाध्य हैं। मनपा ने 22 फरवरी 2016 को कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के रीजनल डायरेक्टर कौशलेन्द्र सिन्हा को भेजे हुए पत्र में 7 दिन की डेटलाइन दी थी।

गिरगाव चौपाटी येथील मेक इन इंडियाच्या आगीतील मलबा काढण्यासाठी पालिकेस 8 लाखाचा भुर्दंड

'मेक इन इंडिया' या बैनरखाली गिरगाव चौपाटी येथील महाराष्ट्र रजनी कार्यक्रमात लागलेली आग मुंबई महानगरपालिकेस महाग पडली असून आगीतील मलबा काढण्यासाठी पालिकेस 8 लाखाचा भुर्दंड बसल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस पालिकेने दिली आहे. पालिकेस आलेला अतिरिक्त खर्च देण्याची केलेल्या मागणीस आयोजक रीजनल डायरेक्टर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीने देण्याची बाब तर दूर राहिली साधे उत्तर सुद्धा दिले नाही. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पालिकेस गिरगाव चौपाटी येथील महाराष्ट्र रजनी कार्यक्रमात लागलेल्या आगीनंतर पालिकेने केलेल्या सफाई कामाची माहिती मागितली होती. डी पालिका विभागातील घन कचरा व्यय खात्याच्या सहायक अभियंता यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की गिरगाव चौपाटी येथील महाराष्ट्र रजनी कार्यक्रमात 14 फेब्रुवारी 2016 रोजी लागलेल्या आगीनंतर पालिकेने केलेल्या साफसफाई कामांतर्गत 315 मेट्रिक टन इतका डेब्रिज/मलबा उचलण्यात आला असून त्यासाठीचा एकंदर खर्च रक्कम सुमारे 8 लाख 6 हजार 952 रुपये इतका आहे. सदरचे काम डी विभाग तसेच इतर विभागाच्या यंत्र सामग्री, वाहने ,कामगार आणि अशासकीय संस्थेच्या कामगारांमार्फत करण्यात आले. तसेच या कामाकरिता पालिकेस आलेला अतिरिक्त खर्च सदर कार्यक्रमाचे आयोजक रीजनल डायरेक्टर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री यांना पालिकेला भरण्याकरिता कळविण्यात आला आहे. परंतु आयोजकांकडून अद्यापपर्यंत कोणतेही उत्तर प्राप्त झालेले नाही. अनिल गलगली यांनी पालिका आयुक्त अजोय मेहता यांस पाठविलेल्या पत्रात मागणी केली आहे की आयोजक पैसे भरत नसतील पोलिस तक्रार दाखल करावी कारण पालिकेने कठीण समयी खर्च करुन एकप्रकारे आयोजकांस मदत केली आहे. आता मदतीनंतर आयोजकाची अशी वर्तणूक योग्य नव्हे. पालिकेने 10 जेसीबी, 39 डंपरच्या ट्रिप्स, 2 कोम्पक्टोर्स, 198 कामगार आणि 80 सुपरवाइजरी स्टाफ 2 पाळयात डेब्रिज काढण्यासाठी कार्यरत होता. चौपाटी साफसफाईची जबाबदारी आयोजकाची असल्यामुळे पालिकेने केलेला खर्च देण्यास बाध्य आहेत. कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीचे रीजनल डायरेक्टर कौशलेन्द्र सिन्हा यांस 22 फेब्रुवारी 2016 रोजी पाठविलेल्या पत्रात 7 दिवसात रक्कम भरण्याची वेळ दिली आहे.

BMC incurs cost of Rs 8 lakhs to clear chowpatty post 'Make In India' fire disaster.

The Maharashtra Rajni show organised under the auspices of the Make In India banner got destroyed in fire, the BMC too has to bear a cost of Rs 8 lakhs for clearing and removal of debris from the spot, this information was provided to RTI activist Anil Galgali by the Municipal administration. The demand for payment for the service raised to Regional Director, Confederation of Indian Industries has not even been responded to. RTI activist Anil Galgali had sought information from the BMC about the clearing of the site post the fire incident on 14 February 2016 at the Maharashtra Rajani show held under the auspices of the Make In India program held at Girgaum chowpatty. The Asst Engineer, Solid Waste mgmt of the D Ward informed Galgali that, after the fire incident the BMC had to clean almost 315 metric tonnes of debris and damaged metarials for which it had to spend almost Rs 8 lakhs 6 thousand 952. The work was executed by D Ward staff using infrastructure and implementsof the ward and other departments, vehicles, own Labour and Labour for non government agencies. Simultaneously the cost incurred for the clean up was intimated to the organizers of the show, the Regional Director of the Confederation of Indian Industries and told to pay up, but are yet to hear from the organizers, who have failed to respond to the demand. Anil Galgali in a letter addressed to Municipal Commissioner Ajoy Mehta has demanded that if the organizers fail to pay up, then a police complaint be lodged as the BMC has helped the organizers at a difficult situation and such a behavior is not expected from such prominent organizers. The debris of fire gutted structure from Chowpathy was cleaned by the next morning with the help of 10 JCB's, 39 Dumpers (67 Trips), 2 Compactors, 198 labour staff and 80 supervisory staff in two shifts. Since it was the duty of the event organizer to arrange to clear the chowpathy and hence are liable to compensate for the expenses made by Bmc. Bmc directed to reimburse the amount Rs 8,06,952/- to bmc immediately in 7 days.

Tuesday 1 March 2016

जुर्माने की रकम अदा करने से डॉ सत्यपाल सिंह का इन्कार

कानून का पालन करने का हमेशा दावा करनेवाले भाजपा सांसद और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त डॉ सत्यपाल सिंह 2 वर्षों से रु 48, 420/- इतनी जुर्माने की रकम अदा करने से इन्कार करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी गई हैं। डॉ सत्यपाल सिंह पर एनओसी लिए बिना ही मुंबई की सरकारी जमीन पर बनी पाटलीपुत्र संस्था स्थित फ्लैट किराए पर देने का गंभीर आरोप हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय से एनओसी लिए बिना फ्लैट किराए पर देनेवाले लोगों पर की गई कारवाई की जानकारी मांगी थी। अनिल गलगली को विभिन्न सहकारी गृहनिर्माण संस्था की फाइल का निरीक्षण करने के लिए बुलाया गया। करीब 10 से अधिक फाइल का निरीक्षण करने के बाद पाटलीपुत्र, साईप्रसाद, संगम इन गृहनिर्माण संस्था से जुड़े कुछ दस्तावेज अनिल गलगली को दिए गए । पाटलीपुत्र सहकारी गृहनिर्माण संस्था में दसवी मंजिल पर फ्लैट पानेवाले डॉ सत्यपाल सिंह ने आज तक रु 48,420/- इतनी जुर्माने की रकम अदा नही करने से जिलाधिकारी ने 28 जनवरी 2015 को नोटीस भेजी। इसके पहले डॉ सत्यपाल सिंह ने दिनांक 28 जनवरी 2013 को पत्र लिखकर रु 5,380/- का चेक भेजा था। प्रत्यक्ष में उन्होंने 10 वर्ष से फ्लैट किराए देने से नियम का उल्लंघन तो किया और फ्लैट एनओसी लिए बिना किराए पर देकर लाखों रुपए कमाए। विशेष यानी उनके ही फ्लैट में सेक्स रैकेट का भांडाफोड 2 जून 2014 में हुआ था। मुंबई में फ्लैट होने पर काम को गति मिलेगी, यह कहकर सरकारी जमीन हड़पनेवाले सभी अधिकारी वर्गों ने अपना फ्लैट किराए पर देकर सरकारी निवासस्थान में जमाया हुआ कब्जा चिंता का विषय हैं और इस मामले में ठोस निर्णय लेने की मांग अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में की हैं। जिनका मुंबई और ठाणे परिसर में फ्लैट हैं ऐसे अधिकारियों को सरकारी निवासस्थान न देने की मांग गलगली की हैं जिससे जरुरतमंद अधिकारी को उसका लाभ मिल सके। डॉ सत्यपाल सिंह की तर्ज पर कई अधिकारियों ने भले ही फ्लैट किराए पर दिया हैं लेकिन उसकी कानूनन अनुमति ली हैं। अनुमति लेकर साईप्रसाद इस इमारत स्थित फ्लैट किराए पर देनेवालों में मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय, सूचना आयुक्त अजित कुमार जैन, हिमांशू रॉय, पूर्व मनपा आयुक्त डॉ जयराज फाटक के सहित भगवान सहाय, मीरा बोरवणकर, राजीव गायकवाड, व्ही एन देशमुख ऐसे अधिकारियों की लंबी लिस्ट हैं। हर वर्ष सरकार से लीव एंड लाइसेंस की फीस अदा की जाती हैं।

दंडाची रक्कम भरण्यास तयार नाहीत डॉ सत्यपाल सिंह

कायदाचे पालन करण्याचा नेहमीच दावा करणारे भाजपा खासदार आणि मुंबईचे माजी पोलिस आयुक्त डॉ सत्यपाल सिंह 2 वर्षापासून रु 48, 420/- इतकी दंडाची रक्कम भरण्यास तयार नसल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मिळाली असून डॉ सत्यपाल सिंह यांच्यावर विना परवानगी मुंबईतील सरकारी जमीनीवरील पाटलीपुत्र संस्थेतील सदनिका भाडयाने देण्याचा गंभीर आरोप आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाकडे विना परवानगी सदनिका देणा-यावर केलेल्या कारवाईची माहिती मागितली होती. अनिल गलगली यांस विविध सहकारी गृहनिर्माण संस्थेच्या नस्तीची पाहणी करण्यास पाचारण करण्यात आले. जवळपास 10 हून अधिक नस्तीची पाहणीत पाटलीपुत्र, साईप्रसाद, संगम या गृहनिर्माण संस्थेतील काही कागदपत्र अनिल गलगली यांस देण्यात आली. पाटलीपुत्र सहकारी गृहनिर्माण संस्थेत दहाव्या मजल्यावर सदनिका असलेले डॉ सत्यपाल सिंह यांनी आजपर्यंत रु 48,420/- इतकी दंडाची रक्कम अदा केली नसून जिल्हाधिकारी यांनी 28 जानेवारी 2015 रोजी त्यांस नोटीस पाठविली आहे. डॉ सत्यपाल सिंह यांनी दिनांक 28 जानेवारी 2013 रोजी पत्र लिहित रु 5,380/- धनादेश पाठविला होता. प्रत्यक्षात त्यांनी 10 वर्षापासून सदनिका भाडयाने देत एकप्रकारे नियमांचे उल्लंघन तर केले आणि सदनिका विना परवानगी भाडयाने देत लाखों रुपये कमविले. विशेष म्हणजे त्यांच्या सदनिकेत 2 जून 2014 रोजी सेक्स रैकेटचा भांडाफोड झाला होता. डॉ सत्यपाल सिंह यांनी त्यांच्या घरात सेक्स रैकेटचा पर्दाफाश झाल्यानंतरच अर्ज केला असून त्यानंतर रत्नाकर गायकवाड सारखे अधिकारी सुद्धा घाबरले. मुंबईत घर असल्यास कामास गती येईल आणि सरकारी जमीन लाटणा-या सर्वच अधिकारीवर्गानी स्व:ताची सदनिका भाडयाने देत शासकीय निवासस्थानात ठोकलेला मुक्काम चिंतेचा विषय असून आता तरी याबाबतीत ठोस निर्णय घेण्याची मागणी अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पाठविलेल्या पत्रात केली आहे. ज्यांची मुंबई आणि ठाणे परिसरात सदनिका आहेत अश्या अधिकारीवर्गास शासकीय निवासस्थाने न देण्याची मागणी गलगली यांची आहे जेणेकरुन गरजू व्यक्तीस याचा लाभ होईल. डॉ सत्यपाल सिंह प्रमाणे पुष्कळ अधिकारीवर्गानी सदनिका जरी भाडयाने दिल्या असल्या तरी त्यांनी रीतसर परवानगी घेतली आहे. परवानगी घेऊन साईप्रसाद या इमारतीतील सदनिका भाडयाने देणा-यात मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय, माहिती आयुक्त अजित कुमार जैन, हिमांशू रॉय, माजी पालिका आयुक्त डॉ जयराज फाटक तर भगवान सहाय, मीरा बोरवणकर, राजीव गायकवाड, व्ही एन देशमुख अश्या अधिकारीवर्गाची लांब यादीच आहे. प्रत्येक वर्षी सरकार दरबारी अनुज्ञप्ति शुल्क अदा केले जात आहे.

Dr Satyapal Singh does not want to pay penalty

Always claiming to be a stickler for rules BJP MP & Ex Mumbai Police Commissioner Dr Satyapal Singh is not ready to pay a penalty of Rs 48,420 has come to light through a information provided to RTI activist Anil Galgali by the Mumbai suburban collector. Dr Satyapal Singh had given his flat in the Patliputra cooperative hsg soc, which is situated on govt allotted land on rent without obtaining the mandatory NOC from the Collector. RTI activist Anil Galgali had sought information from the Mumbai suburban collector office for details of persons who had given flats on Leave & License basis with out obtaining NOC. Anil Galgali was told to inspect the files by the Collector office. After inspection of more than 10 files related to various cooperative societies including Patliputra, Saiprasad, Sangam. Some documents were provided to Anil Galgali. Dr Satyapal Singh, who has a flat situated on 10 th floor of Patliputra cooperative soc, has not paid a penalty of Rs 48,420/- till date. The Collector office has also issued a notice to Dr Satyapal Singh dt 28/01/2015. Dr Satyapal Singh had sent a cheque for Rs 5380/- on 28/01/2013. In reality Dr Satyapal Singh had put his flat on leave and licence for past 10 years breaking the rules and also earned Lakhs of rupees as rent during the period. It is also important to highlight here that, it was this flat in which an sex racket was operating and got exposed on 2 June 2014 by Mumbai Police. In a letter addressed to CM Devendra Fadnavis, Anil Galgali has raised the issue that, many bureaucrats have secured flats in societies on land allotted by state govt obtained by them stating the reason that it would be convenient for them to perform better if they have a flat in Mumbai. But these officers have rented out these flats and occupying govt staff flats as well. Galgali had demanded that, officers who own the flats in Mumbai and Thane should not be provided with government accommodation, which will enable the needy to get accommodation. There is a long list of officers like Dr Satyapal Singh, who have procured flats in societies on land allotted by state govt, like Chief Secretary Swadheen Kshatriya, Information Commissioner Ajit Kumar Jain, Himanshu Roy, Ex Municipal Commissioner Dr Jairaj Phatak, Bhagwaan Sahay, Meera Borwankar, Rajeev Gaikwad, and V N Deshmukh but they are following the rule book by obtaining NOC from the collectorate by paying the fees to government treasury.