Friday 29 September 2017

रेल्वेच्या अनियोजनामुळे झाली दुर्घटना

परळ- एलफिस्टन पादचारी पुलावर झालेली दुर्घटना ही रेल्वे प्रशासनाच्या अनियोजनामुळे झाल्याच्या आरोप आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी केला असून वारंवार तक्रारी करुनही रेल्वे प्रशासनाने केलेल्या दुर्लक्षामुळे सामान्य प्रवाश्याना नाहक जीव गमवावा लागला आहे.

मुंबई उपनगरी सेवेकडे दिल्लीश्वरांनी नेहमीच दुर्लक्ष केले आहे. माजी रेल्वे मंत्री सुरेश प्रभू यांनी परळ टर्मिनसची केलेली घोषणा आजही कागदावरच आहे. परळ येथील पादचारी पुलावरची गर्दी पाहता मध्य रेल्वेने कल्याण दिशेकडे लाखों रुपये खर्च करुन बांधलेल्या पुलाचा वापर होत नाही कारण रेल्वे अधिका-यांनी अभ्यास न करता स्थान चुकीचे निवडत लाखों रुपये वाया घालविले. बुलेट ट्रेनच्या नादापायी मुंबई उपनगरी सेवेने प्रवास करणाऱ्या 75 लाख प्रवाश्याकडे राज्य आणि केंद्र सरकार जाणीवपूर्वक लक्ष देत नाही. याप्रकरणी चौकशीचा फार्स न करता ज्या अधिका-यांच्या निष्काळजीपणामुळे हा दुर्दैवी प्रकार घडला आहे त्यांस घरी पाठविण्याची ईच्छाशक्ती रेल्वे मंत्री पियूष गोयल यांनी दाखविण्याची गरज असल्याचे प्रतिपादन अनिल गलगली यांनी केले आहे.

रेलवे के अनियोजन से हुआ हादसा 

परेल- एलफिस्टन एफओबी ब्रीज पर हुआ हादसा रेलवे प्रशासन के अनियोजन के होने का आरोप आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने किया हैं। सतत शिकायत के बाद भी रेलवे प्रशासन ने बरती लापरवाही से आम यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ी हैं।

मुंबई उपनगरीय सेवा को लेकर दिल्ली ने हमेशा नकारात्मक भूमिका ली हैं। पूर्व रेलवे मंत्री सुरेश प्रभू ने परेल टर्मिनस की हुई घोषणा आज भी प्रलंबित हैं। परेल स्थित एफओबी ब्रीज पर भीड़ देखते हुए मध्य रेलवे ने कल्याण की ओर लाखों रुपए खर्च कर बनाया गए ब्रीज का इस्तेमाल नहीं हो रहा हैं क्योंकि रेलवे ने अध्ययन किए बिना गलत स्पॉट का चयन करने से लाखों रुपए का खर्च व्यर्थ साबित हुआ हैं। बुलेट ट्रेन के चकल्लस में मुंबई उपनगरी सेवा से यात्रा करनेवाले 75 लाख यात्रियों की सुरक्षा पर राज्य और केंद्र सरकार जानबूझकर ध्यान नहीं दे रही हैं। इस मामले में जांच का फार्स किए बिना जिन बाबूओं की लापरवाही से हादसा हुआ हैं। उन्हें घर भेजने का हिम्मत रेलवे मंत्री पियूष गोयल ने दिखाने की जरुरत हैं, ऐसा अनिल गलगली ने कहा हैं।

Non planning of Railway is the cause of the Elphinstone accident

The unfortunate accident due to stampede which happened at the Elphinstone station FOB is due to negligence and non planning by the Railway department stated RTI Activist Anil Galgali, he further alleged that due to non competent act of the Railways who has not paid attention to the problems inspite of regular complaints filed by citizens, many citizens have lost their lives today.

The Delhi based Railway bosses have always neglected Mumbai and it's needs. There was hope that Mumbai based Suresh Prabhu and now Piyush Goyal would do something for Mumbai, seems to be a distant dream. The announcement of creating Parel Terminus by the then Railway Minister Suresh Prabhu is existent only on papers. Looking at the daily crowd in the Parel station the Central Railway had constructed a new Rail FOB on the kalyan end, spending lakhs of rupees has been of no use as the location selected by the responsible authorities have been faulty. In its blind ambition for Bullet Train the Central and the state government has not been paying attention towards the needs of the daily 75 lakh commuters. Instead of instituting a farce enquiry, The Railway Minister Piyush Goyal should find out the negligent Officer's responsible for the today's mess and initiate punishment to them, demanded Galgali.

Monday 25 September 2017

पियूष गोयल के हस्तक्षेप के बाद रेलवे में खाद्यपदार्थ पर एमआरपी प्रिंट करवाना हुआ अनिवार्य

रेलवे मंत्री पियूष गोयल के आदेश के बाद रेलवे बोर्ड ने रेलवे में बिक्री होनेवाली खाद्यपदार्थ वस्तु के पैकेट पर जिन चीजों को प्रिंट करवाने का निर्देश जारी किया था उसमें एमआरपी प्रिंट करवाना अनिर्वाय नहीं था। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए रेलवे प्रशासन के एमआरपी प्रिंट करना अनिवार्य कर दिया हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने रेलवे के इस अजीबोंगरीब आदेश के खिलाफ रेलवे मंत्री पियूष गोयल और आदेश जारी करने वाले संजीव गर्ग को पत्र भेजकर उनसे हुई गलती ध्यानार्थ में लाई हैं। संजीव गर्ग जो रेलवे बोर्ड के टुरिजम और कॅटरिंग के अतिरिक्त सदस्य हैं उन्होंने रेलवे मंत्री पियूष गोयल के आदेशानुसार एक निर्देश जारी किया हैं जिसमें खाद्यपदार्थ के पैकेट पर जिन चीजों को प्रिंट करना जरुरी हैं उसमें आपूर्तिधारक एवं ठेकेदार का नाम , शाकाहारी एवं मांसाहारी, वजन और पॅकिंग का दिनांक का जिक्र हैं। रेलवे में एमआरपी से अधिक मूल्य लेकर खाद्यपदार्थ के पॅकेट बेचने की सबसे अधिक शिकायतें आती हैं उसे ही बाहर कर दिया गया हैं। अनिल गलगली की शिकायत के बाद  माहिती मुंबई भाजपा के प्रवक्ता प्रो.भालचंद्र शिरसाट ने भी इस मामले में गोयल से संपर्क किया। इसके बाद 25 सितंबर 2017 को संजीव गर्ग ने पुराने परिपत्रक में बदलाव कर उसमें एमआरपी और बिक्री की किंमत प्रिंट करना अनिवार्य कर दिया हैं।

अनिल गलगली ने रेलवे मंत्री पियूष गोयल का आभार माना है क्योंकि अब होनेवाली लूट पर नियंत्रण होगा ।

पियूष गोयलच्या हस्तक्षेपानंतर रेल्वेच्या खान पान पदार्थांवर एमआरपी छापणे झाले बंधनकारक 

रेल्वे मंत्री पियूष गोयल यांच्या आदेशानंतर रेल्वे बोर्डाने रेल्वेत विकल्या जाणा-या खान पान पदार्थांच्या पैकेटवर ज्या बाबी छापण्याचे निर्देश जारी केले होते त्यात आता एमआरपी छापने करणे बंधनकारक नव्हते. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या तक्रारीची ताबडतोब दखल घेत नवीन परिपत्रक जारी करत एमआरपी छापणे  बंधनकारक केले आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी रेल्वेच्या यापूर्वीच्या विचित्र आदेशाविरोधात रेल्वे मंत्री पियूष गोयल आणि आदेश जारी करणारे संजीव गर्ग यांस पत्र पाठवित झालेली घोडचूक लक्षात आणून दिली होती. संजीव गर्ग जे रेल्वे बोर्डच्या टुरिझम आणि कॅटरिंगचे अतिरिक्त सदस्य आहेत त्यांनी रेल्वे मंत्री पियूष गोयल यांच्या आदेशानुसार एक निर्देश जारी केला आहे त्यात खान पान पदार्थावर ज्या बाबी छापणे आवश्यक आहे त्यात पुरवठादार किंवा कंत्राटदारांचे नाव, शाकाहारी किंवा मांसाहारी, वजन आणि पॅकिंग दिनांक याचा उल्लेख केला आहे. रेल्वेत एमआरपी पेक्षा जास्त भावाने खान पान पॅकेट विकण्याच्या सर्वाधिक तक्रारी असताना हीच बाब वगळली गेली आहे. अनिल गलगली यांच्या तक्रारीची माहिती मुंबई भाजपाचे प्रवक्ते प्रो.भालचंद्र शिरसाट यांनी या प्रकरणी गोयल यांस संपर्क केला होता. त्यानंतर 25 सप्टेंबर 2017 रोजी संजीव गर्ग यांनी पूर्वीच्या परिपत्रक बदल करत त्यात एमआरपी आणि विक्रीची किंमत छापणे बंधनकारक केले आहे.

अनिल गलगली यांनी रेल्वे मंत्री पियूष गोयल यांचे आभार मानले असून यामुळे होणा-या लुटीवर अंकुश राहील,असे मत व्यक्त केले.

Piyush Goyal intervenes, orders printing of MRP on all food items on Railways mandatory

On the instructions of the new Railway Minister Piyush Goyel, Railway board recently issued a notification lisiting the details to be printed on the food packets /casserole. Incidently, This did not include the maxuimm retail price ( MRP) .Taking immediate cognizance of the Complaint raised by RTI Activist Anil Galgali, issues new GR incorporating that the printing of MRP on food items is compulsory.

RTI Activist Anil Galgali has wriiten to The Railway board, As well as the Railway Minister, pointing out this error which may be misused by the Railway contractor and sellers to cheat the passangers. The notification dated 19 September 2017, issued by Sanjiv Garg, Add Member, Tourism and Catering, stated that " Hon'ble Minister of Railway has desired " each food box and Casserole shall now have to print 4 points details. These details include, Name of the supplier and Contractor, Weigh/grams, date of packing and Distinction symbol of Veg/Non Veg food item. Taking cue from the complaint raised by RTI Activist Anil Galgali, Prof Bhalchandra Shirsat a spokesperson of the Mumbai BJP apprised the Railway Minister Piyush Goyal of the issue. A fresh GR was issued on 25th September 2017, by Sanjeev Garg, incorporating that, hence forth the MRP and the Sale prices should be complusarily printed on all the items.

Anil Galgali in a statement has thanked Railway Minister Piyush Goyal for his intervention and expressed that, this will prevent the looting of the general public by the service providers.

Sunday 24 September 2017

रेलवे में खाद्यपदार्थ पर अब एमआरपी प्रिंट करवाना अनिर्वाय नहीं 

रेलवे मंत्री पियूष गोयल के आदेश के बाद रेलवे बोर्ड ने रेलवे में बिक्री होनेवाली खाद्यपदार्थ वस्तु के पैकेट पर जिन चीजों को प्रिंट करवाने का निर्देश जारी किया था उसमें एमआरपी प्रिंट करवाना अनिर्वाय नहीं हैं। इससे एमआरपी से अधिक मूल्य से खाद्यपदार्थ के पैकेट बेचने वाले विक्रेताओं की चांदी होगी। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने रेलवे के इस अजीबोंगरीब आदेश के खिलाफ रेलवे मंत्री पियूष गोयल और आदेश जारी करने वाले संजीव गर्ग को पत्र भेजकर उनसे हुई गलती ध्यानार्थ में लाई हैं। संजीव गर्ग जो रेलवे बोर्ड के टुरिजम और कॅटरिंग के अतिरिक्त सदस्य हैं उन्होंने रेलवे मंत्री पियूष गोयल के आदेशानुसार एक निर्देश जारी किया हैं जिसमें खाद्यपदार्थ के पैकेट पर जिन चीजों को प्रिंट करना जरुरी हैं उसमें आपूर्तिधारक एवं ठेकेदार का नाम , शाकाहारी एवं मांसाहारी, वजन और पॅकिंग का दिनांक का जिक्र हैं। रेलवे में एमआरपी से अधिक मूल्य लेकर खाद्यपदार्थ के पॅकेट बेचने की सबसे अधिक शिकायतें आती हैं उसे ही बाहर कर दिया गया हैं। 

अनिल गलगली ने रेलवे मंत्री पियूष गोयल, संजीव गर्ग को लिखित पत्र भेजकर मांग की हैं कि वर्तमान निर्देश में बदलाव करते हुए एमआरपी का मूल्य प्रिंट किया जाए ताकि यात्रियों की होनेवाली लूट पर अंकुश रखेगा।

रेल्वेच्या खान पान पदार्थांवर एमआरपी छापने बंधनकारक नाही

रेल्वे मंत्री पियूष गोयल यांच्या आदेशानंतर रेल्वे बोर्डाने रेल्वेत विकल्या जाणा-या खान पान पदार्थांच्या पैकेटवर ज्या बाबी छापण्याचे निर्देश जारी केले होते त्यात आता एमआरपी छापने करणे बंधनकारक नाही. यामुळे एमआरपी पेक्षा जास्त भावाने अन्न पदार्थ विकणा-या विक्रेत्यांची चांदी होणार आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी रेल्वेच्या या विचित्र आदेशाविरोधात रेल्वे मंत्री पियूष गोयल आणि आदेश जारी करणारे संजीव गर्ग यांस पत्र पाठवित झालेली घोडचूक लक्षात आणून दिली आहे. संजीव गर्ग जे रेल्वे बोर्डच्या टुरिझम आणि कॅटरिंगचे अतिरिक्त सदस्य आहेत त्यांनी रेल्वे मंत्री पियूष गोयल यांच्या आदेशानुसार एक निर्देश जारी केला आहे त्यात खान पान पदार्थावर ज्या बाबी छापणे आवश्यक आहे त्यात पुरवठादार किंवा कंत्राटदारांचे नाव, शाकाहारी किंवा मांसाहारी, वजन आणि पॅकिंग दिनांक याचा उल्लेख केला आहे. रेल्वेत एमआरपी पेक्षा जास्त भावाने खान पान पॅकेट विकण्याच्या सर्वाधिक तक्रारी असताना हीच बाब वगळली गेली आहे.

अनिल गलगली यांनी रेल्वे मंत्री पियूष गोयल, संजीव गर्ग यांस लेखी पत्र पाठवून मागणी केली आहे की या निर्देशात बदल करत एमआरपी मूल्य छापण्यात यावे जेणेकरून प्रवाश्यांची होणारी लूटमार थांबेल.

No compulsion to print MRP on Food Packet in Railways

On the instructions of the new Railway Minister Piyush Goyel, Railway board recently issued a notification lisiting the details to be printed on the food packets /casserole. Incidently, This did not include the maxuimm retail price ( MRP) .

RTI Activist Anil Galgali has wriiten to The Railway board, As well as the Railway Minister, pointing out this error which may be misused by the Railway contractor and sellers to cheat the passangers. The notification dated 19 September 2017, issued by Sanjiv Garg, Add Member, Tourism and Catering, stated that " Hon'ble Minister of Railway has desired " each food box and Casserole shall now have to print 4 points details. These details include, Name of the supplier and Contractor, Weigh/grams, date of packing and Distinction symbol of Veg/Non Veg food item. 

Anil Galgali has demanded that this notification be rectified to include the MRP, which should be compulsary printed in each food packet/casserole.

Friday 22 September 2017

33.34 लाख खर्च करने के बाद भी एमएमआरडीए मुख्यालय में ई-ऑफिस नहीं हैं

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एमएमआरडीए के मुख्यालय ई-ऑफिस अब तक शुरु न होने का कबूलनामा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली से एमएमआरडीए प्रशासन ने किया हैं। गत 15 महीने से ई -ऑफिस काम शुरु हैं जिसपर 33.34 लाख रुपए खर्च हुए हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से एमएमआरडीए मुख्यालय में ई-ऑफिस की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन के सूचना एवंम तकनीकी सेल ने अनिल गलगली को बताया कि ई ऑफिस के लिए NICISI का प्रस्ताव आया था।  उसके बाद सूचना एवंम तकनीकी सेल ने दिनांके 04/07/2016 को काम शुरु किया हैं। काम पूर्ण होने की जानकारी मांगने पर काम अब भी शुरु होने की बात बताई गई हैं। अब तक एमएमआरडीए प्रशासन ने ई-ऑफिस के लिए 33.34 लाख का खर्च भी किया हैं। उसके बाद भी काम वर्तमान में अधूरा ही हैं।

एक ओर एमएमआरडीए प्रशासन स्मार्ट बीकेसी जैसी  कल्पना कर रही हैं और दूसरी ओर उसी एमएमआरडीए प्रशासन का मुख्यालय स्मार्ट न होने पर खेद जताते हुए  अनिल गलगली ने तत्काल ई-ऑफिस शुरु करने की मांग मुख्यमंत्री और एमएमआरडीए के अध्यक्ष देवेंद्र फडणवीस से की हैं। इससे आम लोगों का समय पर और तत्काल कार्य करने में एमएमआरडीए अधिकारियों को सुलभता होगी और एमएमआरडीए मुख्यालय भी स्मार्ट होगा।

33.34 लाख खर्च केल्यानंतरही एमएमआरडीए मुख्यालयात ई-ऑफिसचा अद्यापही नाही

मुख्यमंत्री अध्यक्ष असलेल्या एमएमआरडीए मुख्यालयात ई-ऑफिस अद्यापही सुरु झाली नसल्याची स्पष्ट कबूली आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली आहे. गेल्या 15 महिन्यापासून ई -ऑफिसचे काम सुरु असून 33.34 लाख रुपये खर्च झाले आहेत.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडे एमएमआरडीए मुख्यालयात ई-ऑफिसची बाबत माहिती मागितली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाच्या माहिती व तंत्रज्ञान कक्षाने अनिल गलगली यांस कळविले की ई ऑफिससाठी NICISI चा प्रस्ताव आला होता. त्यानंतर माहिती व तंत्रज्ञान कक्षाने दिनांक 04/07/2016 रोजी काम सुरु केले आहे. काम पूर्ण होण्याबाबतची माहिती विचारली असता काम अजूनही सुरु असल्याची माहिती दिली. आतापर्यंत एमएमआरडीए प्रशासनाने ई-ऑफिससाठी 33.34 लाखांचा खर्चही केला आहे. त्यानंतरही काम अद्यापही पूर्ण झालेच नाही. 

एकीकडे एमएमआरडीए प्रशासन स्मार्ट बीकेसी सारख्या वल्गना करत आहे आणि दुसरीकडे त्याच एमएमआरडीए प्रशासनाचे मुख्यालय स्मार्ट नसल्याची टीका करत अनिल गलगली यांनी लवकरात लवकर ई-ऑफिस सुरु करण्याची मागणी मुख्यमंत्री आणि एमएमआरडीएचे अध्यक्ष देवेंद्र फडणवीस यांसकडे केली आहे. यामुळे नागरिकांचे वेळेत आणि जलद गतीने कार्य करण्यात एमएमआरडीए अधिका-यांस सुलभ होईल आणि एमएमआरडीए मुख्यालय सुद्धा स्मार्ट होईल.

After spending Rs 33.34 lakhs, MMRDA Head Office deprived of E-Office

MMRDA headed by the CM lacks a proper E-OFFICE was a fact admitted by the administration in an RTI response to RTI Activist Anil Galgali. The project for E-OFFICE is ongoing for the past 15 months and MMRDA has already incurred an expense of Rs 33.34 lakhs on it.

RTI Activist Anil Galgali had sought information from the MMRDA about the E-OFFICE at its headquarters. The MMRDA's Information and Technology cell has informed Galgali that, for the E-OFFICE it had received a proposal from NICISI, on which the IT cell has started the work on 04/07/2016. On the query pertaining to the completion of work, it has been informed that the work is still in progress and the MMRDA has spent Rs 33.34 lakhs on it and yet the work is still incomplete. 

Anil Galgali in is comment has stated that at one end the MMRDA is claiming to create a Smart BKC but its own Office situated in BKC is not Smart. In a letter addressed to Chief Minister and MMRDA Chairman Devendra Fadnavis, Galgali has demanded that the project of converting it's headquarter as a smart Office be completed as soon as possible, which will facilitate the MMRDA Officers to sort out the problems of the citizens in a fast and efficient manner apart from making the Head quarters of MMRDA smart.

Monday 18 September 2017

Cost escalation of Rs 166 crores for the Indu Mill Dr Babasaheb Ambedkar Memorial due to 23 months delay

In background of the Bihar Assembly Elections, Prime Minister of India Narendra Modi had done the bhoomi poojan of the Dr Babasaheb Ambedkar Memorial at the Indu Mill plot. But till date no activity has been started despite 23 months being elapsed since the bhoomi poojan. But the fallout of the delay has increased the proposed cost by Rs 166 crores. Presently the total cost is estimated to Rs 591 crores and the Architect, M/s Shashi Prabhu and Associates have been paid Rs 3.44 crores as per the information provided by MMRDA to RTI Activist Anil Galgali.

RTI Activist Anil Galgali had sought information from the MMRDA about the proposed Bharatratna Dr Babasaheb Ambedkar Memorial at Indu Mill. With the Bihar Assembly Elections looming large, the PM Narendra Modi had done the bhoomi poojan of the project and at that time it was announced that the estimated project cost would be Rs 425 crores. The MMRDA has informed Galgali that, the Indu Mill memorial plot size is 48414.83 sq metres and possession of the land is with the MMRDA on behalf of the state government since 25th March 2017. The tender was called for on 14th April 2017 on the basis of Design and Construction and once the tender process is completed the work will be started. The project cost is presently estimated to be Rs 591 crores. The MMRDA has appointed M/s Shashi Prabhu and Associates as Architect for the project and has paid them Rs 3.44 crores as consultancy for the project. The Bhoomi poojan was conducted on 11th October 2015 at the hands of PM Narendra Modi.

Anil Galgali in a statement has expressed regret that, though there was no preparation on planning done for the project, the bhoomi poojan was done only looking at the approaching Bihar Assembly Elections. The cost of the unplanned working has costed Rs 166 crores. The Central govt and the state government should take due precautions in future to ensure such losses due to escalation do not happen, demanded Anil Galgali.

23 महीने की देरी से डॉ बाबासाहेब आंबडेकर स्मारक के खर्च में 166 करोड़ की वृद्धि

बिहार चुनाव के मद्देनजर मुंबई के इंदू मिल स्थित भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबडेकर स्मारक का भूमिपूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था लेकिन आज तक एक इंच का भी निर्माण काम शुरु नहीं हुआ हैं।  23 महीने की देरी से भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबडेकर स्मारक के खर्च में 166 करोड़ की वृद्धि हुई हैं। वर्तमान में करीब  591 करोड़ रुपए का अनुमानित खर्च होने वाला हैं और आर्किटेक्ट मेसर्स शशी प्रभू अँड असोसिएटस् को अबतक 3.44 करोड़ अदा करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ओ एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन सेे इंदू मिल स्थित भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक की जानकारी मांगी थी।  बिहार चुनाव के मद्देनजर मुंबई के इंदू मिल स्थित भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबडेकर स्मारक का भूमिपूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। उस वक्त राज्य सरकार ने 425 करोड़ खर्च होने की जानकारी दी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि इंदू मिल के स्मारक की जमीन का क्षेत्रफल 48414.83 वर्ग मीटर हैं जिसका ताबा एमएमआरडीए ने सरकार की ओर से 25 मार्च 2017 लिया था। स्मारक के निर्माण के लिए 14 अप्रैल 2017 को रचना व निर्माण करने के तत्व पर टेंडर मंगवाया गया। टेंडर की कार्यवाही पूर्ण होने के बाद स्मारक का काम शुरु होगा। सजे लिए करीब 591 करोड़ रुपए का अनुमानित खर्च आएगा। इस काम के लिए सरकार ने आर्किटेक्ट मेसर्स शशी प्रभू अँड असोसिएटस् की नियुक्ती की हैं।  इन्हें अबतक 3.44 करोड़ इतनी रकम दी गई हैं। इस स्मारक का भूमिपूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों 11 अक्टूबर 2015 को किया गया था।

किसी भी तरह की पूर्वतैयारी किए बिना सिर्फ चुनाव में मद्देनजर भूमिपूजन होने से आज भी स्मारक का काम असल में शुरु ही नहीं होने पर नाराजगी जताते हुए अनिल गलगली ने कहा कि सरकार के अनियोजन से आर्थिक क्षति 166 करोड़ की हो चुकी हैं। भविष्य में ऐसी ग़लती की पुनरावृत्ति से बचने की खबरदारी केंद्र और राज्य सरकार को लेनी चाहिए, ऐसी मांग अनिल गलगली ने की हैं।

23 महिन्याच्या विलंबामुळे डॉ बाबासाहेब आंबडेकर स्मारकाच्या खर्चात 166 कोटींची वाढ

बिहार निवडणूकीच्या पार्श्वभूमीवर मुंबईतील इंदू मिल येथील भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबडेकर स्मारकाचे भूमिपूजन पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी केले पण आजही प्रत्यक्षात कोणतेही काम सुरु झाले नाही. 23 महिन्याच्या विलंबामुळे भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबडेकर स्मारकाच्या खर्चात 166 कोटींची वाढ झाली आहे. सद्या सुमारे 591 कोटी रुपये इतका अंदाजित खर्च येणार असून मेसर्स शशी प्रभू अँड असोसिएटस् यांस आतापर्यंत 3.44 कोटी दिल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाने कडे इंदू मिल येथील भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर स्मारकाची माहिती मागितली होती. बिहार निवडणुकीच्या पार्श्वभूमीवर मुंबईतील इंदू मिल येथील भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबडेकर स्मारकाचे भूमिपूजन पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी केले होते त्यावेळी राज्य शासनाने 425 कोटी खर्च येणार असल्याची माहिती दिली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांस कळविले की इंदू मिल येथील स्मारकाच्या जमिनीचे क्षेत्रफळ 48414.83 चौरस मीटर असून सदर जागेचा ताबा एमएमआरडीएने शासनाच्या वतीने 25 मार्च 2017 रोजी घेतला आहे.स्मारकाच्या बांधकामासाठी 14 एप्रिल 2017 रोजी रचना व बांधणे या तत्वावर निविदा मागविण्यात आल्या आहेत. निविदेसंबंधी कार्यवाही पूर्ण झाल्यानंतर स्मारकाचे काम सुरु होईल. यासाठी सुमारे 591 कोटी रुपये इतका अंदाजित खर्च येईल. या कामासाठी शासनाने आर्किटेक्ट मेसर्स शशी प्रभू अँड असोसिएटस् यांची नियुक्ती केली आहे.  यांस आतापर्यंत 3.44 कोटी इतकी रक्कम देण्यात आली आहे. या स्मारकाचे भूमिपूजन पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या हस्ते 11 ऑक्टोबर 2015 रोजी करण्यात आले आहे.

कोणतीही पूर्वतयारी न करता फक्त निवडणूक लक्षात घेता भूमिपूजन झाल्याने आजही स्मारकाचे काम प्रत्यक्षात सुरुच झाले नाही, अशी खंत व्यक्त करत अनिल गलगली म्हणाले की सरकारच्या अनियोजनाचा आर्थिक फटका 166 कोटींचा आहे. भविष्यात अश्या चुका टाळण्यासाठी खबरदारी केंद्र आणि राज्य सरकारने घ्यावी, अशी मागणी अनिल गलगली यांनी केली आहे.

Wednesday 13 September 2017

मंत्रियों की प्रॉपर्टी की जानकारी सार्वजनिक नहीं करती सरकार

पारदर्शक और स्वच्छ सरकार होने का दावा करनेवाली महाराष्ट्र की भाजपा सरकार अपने मंत्रियों की प्रॉपर्टी की जानकारी सार्वजनिक नहीं कर रही हैं जबकि मुख्यमंत्री सहित 21 कैबिनेट और 13 राज्यमंत्रियों की जानकारीवाली लिस्ट सरकार के पास हैं, ऐसा जवाब आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र सरकार ने दिया हैं।

कांग्रेस सरकार के कार्यकाल से अब वाली भाजपा सरकारच्या कार्यकाल तक मंत्रियों की  प्रॉपर्टी की जनक सार्वजनिक करने के लिए अनिल गलगली फ़ॉलोअप कर रहे हैं। अनिल गलगली को उपलब्ध कराई हुई जानकारी में सामान्य प्रशासन विभाग ने 21 कॅबिनेट और 13 राज्यमंत्रियों की लिस्ट सरकार के पास उपलब्ध हैं। कुल  23 में से एकनाथ संभाजी शिंदे, सार्वजनिक निर्माण  (सार्वजनिक उपक्रम) और डॉ. दीपक रामचंद्र सावंत, सार्वजनिक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण का नाम लिस्ट में नहीं हैं वहीं कुल 16 में से संजय दुलीचंद राठोड ( राजस्व ), दादाजी दगडू भुसे ( ग्रामविकास ) और रविंद्र दत्ताराम वायकर ( गृहनिर्माण, उच्च और तंत्र शिक्षा ) का नाम लिस्ट में नहीं हैं।

अनिल गलगली के अनुसार मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने आखिरकार उन मंत्रियों के नाम सरकारी वेबसाईट पर अपलोड की दर जिन्होंने अपनी प्रॉपर्टी की जानकारी सरकार को सौंपी थी। लेकिन नई सरकार ने जानकारी  सार्वजनिक करना तो दूर की बात रहीं नाम भी छूपा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी मंत्रियों की प्रॉपर्टी की जानकारी जनता के लिए सार्वजनिक करते हैं लेकिन उसका अनुकरण महाराष्ट्र में होते हुए नहीं दिख रहा हैं।  14 नवंबर 2014 से अनिल गलगली की मांग पर गौर करना तो दूर की बात रही उसपर एक सीधा जवाब देने की जहमत सरकार उठाने से भाग रही हैं।  

अथक सेवा संघ के अध्यक्ष और आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली  द्वारा 14 नवंबर 2014, दिनांक 9 मार्च 2015 और अब 28 जुलाई 2016 को ऐसे 3 पत्र भेजकर  केंद्र और बिहार की तर्ज पर राज्य के सभी मंत्रियों की प्रॉपर्टी की जानकारी को ऑनलाइन करने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास की गई है। भाजपा सरकार पारदर्शक होने का दावा तो कर रही हैं लेकिन कांग्रेस की तर्ज पर अपने मंत्रियों की प्रॉपर्टी की जानकारी को सार्वजनिक करने से भाग रही हैं, इसपर अनिल गलगली ने दुःख जताया।

मंत्र्यांची मत्ता व दायित्वाची माहिती सरकार करत नाही सार्वजनिक

पारदर्शक आणि स्वच्छ सरकार असल्याचा दावा करणारे महाराष्ट्रातील भाजपा सरकार मंत्र्यांची मत्ता व दायित्वाची माहिती सार्वजनिक करत नाही प्रत्यक्षात मुख्यमंत्री सहित 21 कैबिनेट आणि 13 मंत्र्यांची माहिती सरकार दरबारी सादर झाल्याची यादीच आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महाराष्ट्र सरकारने दिली आहे.

कांग्रेस सरकारच्या कार्यकाळापासून आता भाजपा सरकारच्या कार्यकाळापर्यंत सतत मंत्र्यांची मत्ता व दायित्वाची माहिती सार्वजनिक करण्यासाठी अनिल गलगली पाठपुरावा करत आहे. अनिल गलगली यांस उपलब्ध करुन दिलेल्या माहितीत सामान्य प्रशासन विभागाने 21 कॅबिनेट आणि 13 राज्यमंत्र्यांची यादी दिली आहे ज्यांच्या मत्ता व दायित्वाची माहिती सरकारकडे उपलब्ध आहे. एकूण 23 पैकी एकनाथ संभाजी शिंदे, सार्वजनिक बांधकाम (सार्वजनिक उपक्रम) आणि डॉ. दीपक रामचंद्र सावंत, सार्वजनिकआरोग्य व कुटुंब कल्याण यांचे नाव यादीत नाही तर एकूण 16 पैकी संजय दुलीचंद राठोड ( महसूल ), दादाजी दगडू भुसे ( ग्रामविकास ) आणि रविंद्र दत्ताराम वायकर ( गृहनिर्माण, उच्च आणि तंत्रशिक्षण ) यांचेही नाव यादीत दिसत नाही.

अनिल गलगली यांच्या मते मुख्यमंत्री असताना पृथ्वीराज चव्हाण यांनी अखेर त्या मंत्र्यांची फक्त नावे सरकारी वेबसाईटवर वर प्रसिध्द केली होती ज्यांनी आपली मत्ता व दायित्व सादर केले होते पण नवीन सरकारने माहिती सार्वजनिक करणे तर दूर राहिले उलट नावेही प्रसिध्द करण्याचे हेतुपूर्वक टाळले आहे. देशाचे पंतप्रधान नरेंद्र मोदी सर्व मंत्र्यांची मत्ता व दायित्वाची माहिती जनतेसाठी सार्वजनिक करतात पण त्यांचे अनुकरण महाराष्ट्रात होताना दिसत नाही. 14 नोव्हेंबर 2014 पासून अनिल गलगली यांच्या मागणीचा विचार करणे तर सोडाच साधे उत्तर ही देण्याचे सौजन्य दाखविले नाही. अथक सेवा संघाचे अध्यक्ष आणि आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी 14 नोव्हेंबर 2014 , दिनांक 9 मार्च 2015 आणि 29 जुलै 2016 अशी 3 पत्रे पाठवून  केंद्र आणि बिहारच्या धर्तीवर राज्यातील सर्व मंत्र्यांची मालमत्तेची माहिती ऑनलाइन करण्याची मागणी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस कडे केली होती. भाजपा सरकार पारदर्शक असण्याचा वेळोवेळी दावा करत असतानाही कांग्रेसच्या तर्जीवर मंत्र्यांची मालमत्ता सार्वजनिक करण्यापासून पळ काढत असल्याची टीका अनिल गलगली यांनी केली.