Monday 22 February 2016

मुख्यमंत्री कार्यालय में 8 बाहरी उम्मीदवारों से राज्य के खजाने पर 7,69,108 रुपए का बोझा

पिछले सरकार के उल्टे नए भाजपा सरकार ने नया प्रयोग कर मुख्यमंत्री कार्यालय में एक नहीं पुरे 8 बाहरी उम्मीदवार लाकर बिठाए हैं। इससे राज्य के खजाने से प्रति महीना 7,69,108 रुपए खर्च होने से बोझा होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र सरकार ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत ओएसडी जो बाहरी उम्मीदवार हैं उन्हें दिया जानेवाला कुल वेतन की जानकारी मांगी थी। पहले अनिल गलगली को अधूरी जानकारी दिए जाने पर गलगली ने अपील दायर किया। अपील सुनवाई के बाद अनिल गलगली के बाद बाहरी 8 उमीदवार जो मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत हैं उनके नाम और उन्हें दिए जानेवाला वेतन की जानकारी दी हैं। वेतन और एकमुश्त रकम ऐसा कुल 7,69,108/- रुपए वेतन दिया जाता हैं। इसमें सभी विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) हैं जिन्हें वेतन सहित एकमुश्त रकम दी जा रही हैं। कौस्तुभ धवसे को रु 1,30,401/-, केतन पाठक को रु 1,16,154/-, रविकिरण देशमुख को रु 1,16,154/-, सुमित वानखेडे को रु 88,848/-,प्रिया खान को 88,848/-, निधी कामदार को रु 79,731/-, अभिमन्यू पवार को रु 61,072/- और श्रीकांत भारतीय को रु 87,900/- इतनी रकम दी जा रही हैं। 8 में से सिर्फ भारतीय को हर महीने एकमुश्त रकम दी नहीं जा रही हैं। अनिल गलगली के अनुसाए मुख्यमंत्री कार्यालय में बाहरी उम्मीदवार लेने की परंपरा नहीं थी। इससे राज्य के खजाने से प्रति महीना 7,69,108 रुपए का खर्च होने के बाद भी प्रशासकीय अनुभव नहीं होने से किसी भी तरह का लाभ होने का उदाहरण नहीं हैं। इससे ऐसे बाहरी उम्मीदवारों के काम का मुल्यांकन की जरुरत होने की बात रखते हुए वैसा पत्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को अनिल गलगली ने भेजा हैं।

मुख्यमंत्री कार्यालयातील 8 बाहेरील उमेदवारामुळे राज्याच्या तिजोरीवर 7,69,108 रुपयांचा बोझा

मागील कांग्रेस-एनसीपी सरकारच्या उलट नवीन भाजपा सरकारने नवीन प्रयोग करत मुख्यमंत्री कार्यालयात एक नव्हे तब्बल 8 बाहेरील उमेदवार आणून बसविले. यामुळे राज्याच्या तिजोरीवर प्रति महिना 7,69,108 रुपयांचा बोझा पडल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महाराष्ट्र सरकारने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र सरकारकडे मुख्यमंत्री कार्यालयात कार्यरत ओएसडी जे बाहेरील उमेदवार आहेत त्यांस दिल्या जाणा-या एकूण वेतनाची माहिती मागितली होती. प्रथम अनिल गलगली यांस अर्धवट माहिती दिली असता गलगली यांनी अपील दाखल केले. अपील सुनावणीनंतर अनिल गलगली यांस बाहेरील 8 उमेदवार जे मुख्यमंत्री कार्यालयात कार्यरत आहे त्यांची नावे आणि दिले जाणारे वेतनाची माहिती दिली. वेतन आणि ठोक रक्कम असे एकूण 7,69,108/- रुपये वेतन दिले जात आहे. यामध्ये सर्व विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) असून वेतन सहित ठोक रक्कम दिली जात आहे. कौस्तुभ धवसे यांस रु 1,30,401/-, केतन पाठक यांस रु 1,16,154/-, रविकिरण देशमुख यांस रु 1,16,154/-, सुमित वानखेडे यांस रु 88,848/-,प्रिया खान यांस 88,848/-, निधी कामदार यांस रु 79,731/-, अभिमन्यू पवार यांस रु 61,072/- आणि श्रीकांत भारतीय यांस रु 87,900/- इतकी रक्कम दिली जात आहे.8 पैकी फक्त भारतीय यांस ठोक रक्कम दिली जात नाही. अनिल गलगली यांच्या मते यापूर्वी मुख्यमंत्री कार्यालयात बाहेरील उमेदवार घेण्याची परंपरा नव्हती. यामुळे राज्याच्या तिजोरीवर प्रति महिना 7,69,108 रुपयांचा बोझा पडला असून प्रशासकीय अनुभव नसल्यामुळे कोणताही लाभ झाल्याची उदाहरणे नाहीत. त्यामुळे अश्या बाहेरील उमेदवारांच्या कामाचे मुल्यांकनाची आवश्यकता असल्याचे मत मांडत तसे पत्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पाठविले आहे.

8 external staff in Maharashtra CMO costs the state Rs 7,69,108 per month

In a complete contrast to the erstwhile DF govt in Maharashtra the current BJP - SS govt has appointed not one but 8 external persons in the CMO which is monthly costing Rs 7,69,108, this information was provided to RTI activist Anil Galgali by the state government. RTI activist Anil Galgali had sought information from the state government about the appointments of 8 external persons as OSD's in the CMO and details about the salaries being paid to them. Initially Galgali was provided with incomplete information prompting him to file an appeal. On the appeal Galgali was provided with the information of names of the persons and salaries being paid to those appointed as OSD's in CMO. The salaries and lum sum amount to totally Rs 7,69,108 /- The OSD's namely Kaustubh Dhawase Rs 1,30,401/-, Ketan Pathak 1,16,154/-, Ravikiran Deshmukh 1,16,154/-, Sumit Wankhede 88,848/-, Priya Khan 88,848/-, Nidhi Kamdar 79,731/-, Abhimanyu Pawar 61,072/-, and Shrikant Bhartiya 87,900. Of these only Shrikant Bhartiya is not being paid monthly lum Sum amount. Anil Galgali expressed his view that, prior to now there was no precedent of appointing external persons as OSD's in CMO, which is putting an load of Rs 7,69,108 monthly on the state exchequer is not resulting in any sort of benefits for the state administration as the external people lack in the necessary experience to handle the work. In a letter addressed to CM Devendra Fadnavis, Galgali has expressed that there is a need performances of the 8 external OSD be evaluated.

Tuesday 16 February 2016

पद्मभूषण शापूरजी पालनजी पार्टनर वाली एसडी कारपोरेशन ने मुंबई पुलिस को उल्लू बनाया

मुंबई पुलिस विभाग की जमीन पर झोपडपट्टी पुर्नविकास करने के नाम पर 2 इम्पीरियल टावर बनाने वाली पद्मभूषण शापूरजी पालनजी पार्टनर वाली एसडी कारपोरेशन ने मुंबई पुलिस को उल्लू बनाते हुए 3025.75 वर्ग मीटर का निर्माण नहीं करने से जमीन के गैरव्यवहार की जांच आर्थिक अपराध शाखा द्वारा शुरु होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई पुलिस ने दी हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाजपा सरकारने विकासक शापूरजी पालनजी को सर्वोच्च ऐसा पद्मभूषण पुरस्कार देने की घोषणा की हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने 19 अक्तूबर 2015 को राज्य के विभिन्न स्थानों पर पुलिस के लिए आरक्षित भूखंड की जानकारी और यथार्थ जानने के लिए महाराष्ट्र राज्य पुलिस गृहनिर्माण एवं कल्याण महामंडल के पास आवेदन करने पर उनका आवेदन राज्य के सभी पुलिस आयुक्त के पास हस्तांतरित किया। मुंबई पुलिस आयुक्तालय के जन सूचना अधिकारी और सहायक पुलिस आयुक्त संजय रांगणेकर ने अनिल गलगली को मुंबई के 4 मामलों की जानकारी दी है जिन्होंने मुंबई पुलिस को उल्लू बनाया था उसमें पद्मभूषण शापूरजी पालनजी पार्टनर वाली एसडी कारपोरेशन का नंबर सबसे आगे हैं। मुंबई के ताडदेव स्थित एम पी मिल कंपाउंड में 4.26 हेक्टर जमीन झोपडपट्टी से अतिक्रमित थी। इस जमीन का पुर्नविकास करने का आदेश महाराष्ट्र सरकार के राजस्व और वन विभाग ने दिनांक 2/2/1989 को निर्गमित किया। उसमें 3.31 हेक्टर जमीन झोपडपट्टी पुर्नविकास के लिए और शेष 0.95 हेक्टर ( 9500 वर्ग मीटर) जमीन यह पुलिस विभाग के लिए आरक्षित रखने का आदेश था। झोपडपट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण ने झोपडपट्टी पुर्नविकास अंतर्गत निर्गमित किए हुए लेटर ऑफ इंटेड (आशयपत्र) में 9100 वर्ग मीटर के ऐवज में 3025.75 वर्ग मीटर का निर्माण क्षेत्र विकासक पद्मभूषण शापूरजी पालनजी पार्टनर वाली एसडी कारपोरेशन ने विनामूल्य बनाकर देने का आदेश दिया। उसी के तहत 68 फ्लैट का प्लान भेजा लेकिन सरकार के दिनांक 2/2/1989 के आदेश के तहत 0.95 हेक्टर (9500 वर्ग मीटर) जमीन मुंबई पुलिस को मिलना जरुरी होते हुए 9100 वर्ग मीटर इतना क्षेत्रफल बताया गया। यानी 400 वर्ग मीटर इतना क्षेत्रफल कम बताकर फ्रॉड किया गया जिसके चलते अपर पुलिस महानिदेशक, महाराष्ट्र राज्य पुलिस गृहनिर्माण एवं कल्याण महामंडल ने 7 मई 2015 को पद्मभूषण शापूरजी पालनजी पार्टनर वाली एसडी कारपोरेशन इस कंपनी की जांच आर्थिक अपराध शाखा से करने की गुजारिश मुंबई के पुलिस आयुक्त राकेश मारिया से की और मारिया ने दिनांक 24 जून 2015 को सह पुलिस आयुक्त, आर्थिक अपराध शाखा से जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश जारी किया हैं। फिलहाल यह मामला वरिष्ठ पुलिस निरिक्षक कापसे के पास प्रलंबित हैं। इसतरह पद्मभूषण शापूरजी पालनजी पार्टनर वाली एसडी कारपोरेशन इस कंपनी ने खुद के 2 आलिशान इंपेरियल टावर तो फटाफट बनाया लेकिन मुंबई पुलिस को कोई भी खुली जमीन नही दी ना 3025.75 वर्ग मीटर का निर्माण क्षेत्र हस्तांतरित किया। ताज्जुब की बात यह हैं कि 17 वर्ष से यह प्रोजेक्ट शुरु हैं। ऐसी वस्तुस्थिती और जांच शुरु होते हुए जिस व्यक्ती के पार्टनर वाली एसडी कारपोरेशन इस कंपनी ने मुंबई पुलिस से फ्रॉड करते हुए सीधे उल्लू बनाया ऐसे व्यक्ती को पद्मभूषण देने का भाजपा सरकार का प्रयास जायज न होने का मत अनिल गलगली ने व्यक्त किया। कल जांच के बाद एफआईआर दर्ज हुआ तो पद्मभूषण पुरस्कार की तौहीन होगी सरकार की बदनामी होने का डर अनिल गलगली ने जताया। पद्मभूषण शापूरजी पालनजी पार्टनर वाली एसडी कारपोरेशन जैसे और 3 बिल्डरों ने मुंबई पुलिस को उल्लू बनाया था जो अब सुधर गए हैं। वर्सोवा स्थित यारी रोड पर मेसर्स लॉजीस्टिक्स कंपनी ने पुलिस के नाम पर आरक्षित 11 फ्लैट देने पर सहमती जताई हैं। म्हाडा के मालिकाना जमीन पर 748 वर्ग मीटर जमीन पुलिस विभाग के लिए आरक्षित हैं। मेसर्स रिचा डेवलपर्स अब पुलिस को विनामुल्य पुलिस ठाणे बनाकर दे रही हैं और 60 फ्लैट सहूलियत के दाम पर बनाकर देने के लिए राजी हुई हैं। विक्रोली, टागोर नगर स्थित इमारत क्रमांक 54 में 8 फ्लैट पुलिस विभाग की प्रॉपर्टी थी लेकिन बिल्डर मेसर्स आदित्य इंटरप्राइजेस ने पुलिस विभाग की अनुमति के बिना डायरेक्ट पुर्नविकास काम किया। बाद में बिल्डर ने म्हाडा की अनुमति लेने की जानकारी दी और कुछ बकाया रकम अदा करने के बाद मुंबई पुलिस को 8 फ्लैट देगी।

पद्मभूषण शापूरजी पालनजी भागीदार असलेल्या एसडी कारपोरेशन ने मुंबई पोलिसांस गंडविले

मुंबई पोलिस विभागाच्या जागेवर झोपडपट्टी पुर्नविकास करण्याच्या नावाखाली 2 इम्पीरियल टावर बांधणा-या पद्मभूषण शापूरजी पाल्लोंजी भागीदार असलेल्या एसडी कारपोरेशन ने मुंबई पोलिसांस गंडवित 3025.75 चौरस मीटरचे बांधकाम केले नसून जागेबाबत झालेल्या अव्यवहाराची चौकशी आर्थिक गुन्हे शाखेमार्फत सुरु असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई पोलिसांनी दिली आहे. नुकतेच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यांच्या भाजपा सरकारने विकासक असलेल्या शापूरजी पालनजी यांस सर्वोच्च अशा पद्मभूषण पुरस्कार देण्याची घोषणा केलेली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी 19 आक्टोबर 2015 रोजी राज्यातील विविध ठिकाणी पोलिसांसाठी राखीव असलेल्या भूखंडाची माहिती आणि सद्यस्थिती जाणून घेण्यासाठी महाराष्ट्र राज्य पोलीस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडळ यांस अर्ज केला असता त्यांनी तो अर्ज राज्यातील सर्व पोलीस आयुक्तांस हस्तांतरित केला. मुंबई पोलीस आयुक्तालयाचे शासकीय माहिती अधिकारी आणि सहायक पोलीस आयुक्त संजय रांगणेकर यांनी अनिल गलगली यांस मुंबईतील 4 प्रकरणाची माहिती दिली ज्यांनी मुंबई पोलिसांची फसवणूक करत गंडविले होते त्यात पद्मभूषण शापूरजी पालनजी भागीदार असलेल्या एसडी कारपोरेशनचा प्रथम क्रमांक लागतो. मुंबईतील ताडदेव येथील एम पी मिल कंपाउंड मधील 4.26 हेक्टर जमीन झोपडपट्टयांनी अतिक्रमित होती. सदर जमीनीचा पुर्नविकास करण्याचे आदेश महाराष्ट्र शासनाच्या महसूल व वन विभागाने दिनांक 2/2/1989 रोजी निर्गमित केले. त्यामध्ये 3.31 हेक्टर जमीन झोपडपट्टी पुर्नविकासासाठी आणि उर्वरित 0.95 हेक्टर ( 9500 चौरस मीटर) जमीन ही पोलीस विभागासाठी राखीव ठेवण्याचे आदेश होते. झोपडपट्टी पुनर्वसन प्राधिकरणाने झोपडपट्टी पुर्नविकास अंतर्गत निर्गमित केलेल्या लेटर ऑफ इंटेड (आशयपत्र) मध्ये 9100 चौरस मीटरच्या बदल्यात 3025.75 चौरस मीटरचे बांधकाम क्षेत्र विकासक पद्मभूषण शापूरजी पालनजी भागीदार असलेल्या एसडी कारपोरेशन यांनी विनामूल्य बांधून देण्याचे आदेश दिले. त्याअनुषंगाने 68 सदनिकांचे आराखडे पाठविले परंतु शासनाच्या दिनांक 2/2/1989 च्या आदेशाप्रमाणे 0.95 हेक्टर (9500 चौरस मीटर)जागा मुंबई पोलिसांस मिळणे आवश्यक असताना 9100 चौरस मीटर इतके क्षेत्रफळ नमूद केले गेले. म्हणजे 400 चौरस मीटर इतके क्षेत्रफळ कमी दाखवित फसविले. त्यामुळे अपर पोलीस महासंचालक, महाराष्ट्र राज्य पोलीस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडळ यांनी 7 मे 2015 रोजी पद्मभूषण शापूरजी पालनजी भागीदार असलेल्या एसडी कारपोरेशन या कंपनीची चौकशी आर्थिक गुन्हे शाखेमार्फत करण्याची विनंती मुंबईचे पोलीस आयुक्त राकेश मारिया यांस केली आणि मारिया यांनी दिनांक 24 जून 2015 रोजी सह पोलीस आयुक्त, आर्थिक गुन्हे शाखा यांस चौकशी करत अहवाल सादर करण्याचे आदेश जारी केले असून सद्या हे प्रकरण वरिष्ठ पोलीस निरिक्षक कापसे यांस कडे प्रलंबित आहे. अश्या प्रकारे पद्मभूषण शापूरजी पालनजी भागीदार असलेल्या एसडी कारपोरेशन या कंपनीने स्व:ताचे 2 उंच असे इंपेरियल टावर तर फटाफट बांधले पण मुंबई पोलिसांना कोणतीही खुली जमीन दिली नाही ना 3025.75 चौरस मीटरचे बांधकाम क्षेत्र हस्तांतरित केले. गेल्या 17 वर्षापासून सदर प्रकल्प सुरु आहे, ही विशेष बाब आहे. अशी वस्तुस्थिती आणि चौकशी सुरु असताना ज्या व्यक्तीच्या भागीदार असलेल्या एसडी कारपोरेशन या कंपनीने मुंबई पोलिसांची फसवणूक करत अक्षरश: गंडविले त्या व्यक्तीस पद्मभूषण देण्याचा भाजपा सरकारचा प्रयत्न बरोबर नसल्याचे मत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले. उद्या चौकशीनंतर गुन्हा दाखल झाला तर पद्मभूषण पुरस्काराची नाचक्की होईल आणि सरकारची बदनामी होईल, अशी भीती गलगली यांनी व्यक्त केली. पद्मभूषण शापूरजी पालनजी भागीदार असलेल्या एसडी कारपोरेशन सारख्या आणखी 3 विकासकानी मुंबई पोलिसांस गंडविले होते पण आता नमले आहेत. वर्सोवा येथील यारी रोड येथे मेसर्स लॉजीस्टिक्स कंपनीने पोलिसांच्या नावावर असलेल्या 11 सदनिका देण्याचे मान्य केले आहे तर म्हाडाच्या मालकीच्या जागेवर 748 चौरस मीटर जमीन पोलीस विभागासाठी आरक्षित आहे. मेसर्स रिचा डेवलपर्स आता पोलीसांसाठी विनामुल्य पोलीस ठाणे बांधून देणार आहे आणि 60 सदनिका सवलतीच्या दरात बांधून देण्यास तयार आहे. तसेच विक्रोळी, टागोर नगर येथील इमारत क्रमांक 54 मधील 8 सदनिका पोलीस विभागाच्या मालकीच्या असून विकासक मेसर्स आदित्य इंटरप्राइजेस यांनी पोलीस विभागाच्या परवानगीशिवाय परस्पर पुर्नविकास केल्या आहेत पण विकासकाने म्हाडाची परवानगी घेतल्याचे कळविले आहे. आता काही थकबाकी असलेली रक्कम अदा केल्यानंतर 8 सदनिका पोलीस विभागास प्राप्त होतील.

Padma Bhushan Shapoorji Pallonji partnered S D Corporation ditches Mumbai Police

S D Corporation, which has constructed the twin Imperial Tower at Tardeo and has Padma Bhushan Shapoorji Pallonji as its partner has ditched the Mumbai Police of 3025.75 Sq Mtrs of constructed space on the plot which had reservation for Mumbai Police. It is the same plot on which the twin Imperial Tower has been constructed as an SRA project. The Economic Offences Wing of the Mumbai Police is investigating the case has been revealed to RTI activist Anil Galgali by the Mumbai Police. Recently PM Narendra Modi led BJP government has conferred it's most prestigious award the Padma Bhushan to Shapoorji Pallonji. RTI activist Anil Galgali had sought information from the Maharashtra state Police housing and welfare corporation details about land availability and current status of that land, for police housing all over the state on 19th October 2015, which was transferred to the various police Commissioneraites . The Public Information officer & Asst Police Commissioner Shri Sanjay Rangnekar of the Mumbai Police Commissioneraite provided Anil Galgali information about 4 cases where the Mumbai Police has been duped of constructed tenements, which includes the Shapoorji Pallonji partnered S D Corporation. 4.26 hectares of land belonging to M P Mill Compound was encroached by slums, the Revenue and Forest dept of the Maharashtra govt issued order for redevelopment of the compound on 2/2/1989. Out of the 4.26 hectares of the land 3.31 hectares was marked out for slum redevelopment and the rest 0.95 hectares (9500 Sq Mtrs) was ordered to be reserved for police department. In the Letter of Intent (LOI) issued by the SRA it was ordered to the developers, Padma Bhushan Shapoorji Pallonji partnered S D Corporation, to provide 3025.75 Sq Mtrs of constructed space free of cost in lieu of 9100 Sq Mtrs of land space on the plot leading to 68 tenements as per plan approved. But as per the order dated 2/2/1989 it was ordered to reserve 0.95 hectares (9500 Sq Mtrs) to be reserved for the police department but the SRA LOI mentioned 9100 Sq Mtrs of land, where by the police department was cheated of 400 Sq Mtrs of land. Hence the Additional DG, Police Housing in a letter 7th may 2015, addressed to Mumbai Police Commissioner Rakesh Maria requested a detailed investigation by the Economic Offences Wing (EOW) into the case. Rakesh Maria ordered the Jt Commissioner EOW to carry out investigation and submit report in the case on 24 June 2015. The case is presently with the Sr PI Kapse. Padma Bhushan Shapoorji Pallonji partnered S D Corporation constructed its twin Imperial Tower immediately but has still not handed over to the Mumbai Police, neither land nor the 3025.75 Sq Mtrs of constructed space. It is important to highlight here that the project is in progress for past 17 years. In the present context and looking at the enquiry in the case of virtual cheating by the S D Corporation, it was highly inappropriate of the BJP govt to confer an award like Padma Bhushan to a partner of the firm being investigated for cheating the police department itself expressed Anil Galgali. He further stated that in case of an scenario of an FIR being registered against the firm, it will be an awkward situation and will bring disrespect to an award like Padma Bhushan feared Galgali. In cases similar to the Padma Bhushan Shapoorji Pallonji partnered S D Corporation, 3 more developers had cheated the Mumbai Police, have assured to recorrect itself, M/s Logistix has agreed to handover 11 tenements in its project at Yari road, Versova. On the MHADA owned land which has 748 Sq Mtrs reserved for police department, M/s Richa Developers has agreed to construct a police station free of cost and hand over 60 tenements at nominal cost to the police department. Similarly at Vikhroli, Tagore nagar, M/s Aditya Enterprises is redeveloping the Bldg no 54, without permission from the police department, which owns 8 tenements in the bldg. The developer has informed that it has taken permission from MHADA & 8 tenements handover to Mumbai Police after pay due amount.

Thursday 11 February 2016

शाहरुख खान ने मनपा को अदा किए 1,93,784 रुपए

बड़े बड़े फिल्मअभिनेता पर्दे पर हमेशा रुपेरी प्रेरणा के स्त्रोत होते हैं लेकिन असल की जिंदगी में किसी खलनायक से कम नही होते हैं। शाहरुख खान ने अपने मन्नत बंगले के बाहरी सड़क पर अवैध तरीके से आरसीसी रैंप तोडने के बाद कारवाई का कुल खर्च 1,93,784/- रुपए मनपा को अदा करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मनपा प्रशासन ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा प्रशासन से शाहरुख खान ने अवैध तरीके से बनाए आरसीसी रैंप की तोड़क कारवाई और उसने अदा की हुई कुल रकम की जानकारी मांगी थी। बांद्रा एच पश्चिम मनपा वार्ड कार्यालय के सहायक अभियंता (मैंटेनेस) ने अनिल गलगली को बताया कि मनपा आयुक्त के आदेश बाद दिनांक 6 फरवरी 2015 को 'मन्नत' इस बंगले को नोटीस जारी कर शाहरुख खान को 7 दिन के भीतर अवैध रैंप को तोड़ने का समय दिया था। समय खत्म होते ही दिनांक 14 फरवरी और 15 फरवरी 2015 इन 2 दिनों में अवैध आरसीसी रैंप तोडक कारवाई की गई। शाहरुख खान पर यह आरोप था कि बांद्रा पश्चिम के बैंडस्टैंड स्थित एच के भाभा रोड और माउंट मेरी रोड यह सेटबेक की जगह उसने अतिक्रमित की थी। मनपा ने 4 मार्च 2015 को शाहरुख खान को पत्र भेजकर तोड़क कारवाई का कुल खर्चा 1,93,784/- रुपए बताते हुए उसे मांगा था और 7 दिन में पैसे अदा न करने पर एमएमसी एक्ट के तहत नियमों के मुताबिक़ कारवाई करने की चेतावनी दी थी। शाहरुख खान ने दिनांक 11 मार्च 2015 को सिटी बैंक का चेक के जरिए 1,93,784/- रुपए अदा कर मामले पर पर्दा डाला। शाहरुख खान की तरह प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी ने भी सेटबेक की जगह खुद की सुरक्षा के नाम पर अंटालिया बिल्डिंग को खड़ी करने के दौरान कब्जाई थी। अनिल गलगली के लगातार 4 वर्ष की जद्दोजहद के बाद अंबानी ने अपने ही हाथों से कब्जाई जमीन पर बनाया अतिक्रमण तोड़ा था।

शाहरुख खान ने पालिकेस अदा केले 1,93,784 रुपये

मोठ मोठे सिने अभिनेते रुपेरी पडद्यावर प्रेरणादायक असतात पण प्रत्यक्षात सामाजिक जीवनात खलनायक समान ठरतात. शाहरुख खान यांनी घराच्या बाहेरील रस्त्यावर अनधिकृतपणे बनविलेल्या आरसीसी रैंप तोडल्यानंतर कारवाईचा एकूण खर्च 1,93,784/- रुपये पालिकेस अदा केल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस पालिका प्रशासनाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पालिका प्रशासनाकडे शाहरुख खान यांचे तोडलेले आरसीसी रैंपवर आलेला कारवाईचा खर्च आणि अदा केलेली एकूण रक्कम याची माहिती मागितली होती. बांद्रा एच पश्चिम पालिका वार्ड कार्यालयातील सहायक अभियंता (परिरक्षण) यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की पालिका आयुक्तांनी आदेश दिल्यानंतर दिनांक 6 फेब्रुवारी 2015 रोजी 'मन्नत' या बंगल्यास नोटीस देत 7 दिवसाची वेळ शाहरुख खान यांस देण्यात आली होती. वेळ संपताच दिनांक 14 फेब्रुवारी आणि 15 फेब्रुवारी 2015 या 2 दिवसात आरसीसी रैंप तोडक कारवाई करण्यात आली. शाहरुख खान यांच्यावर आरोप होता की बांद्रा पश्चिम येथील बैंडस्टैंड समीप असलेल्या एच के भाभा रोड आणि माउंट मेरी रोड या पीछेहाटीची जागा ( सेटबेक) अतिक्रमित केली होती. पालिकेने 4 मार्च 2015 रोजी शाहरुख खान यांस पत्र पाठवून तोडक कारवाईचा झालेल्या खर्चाची म्हणजे 1,93,784/- रुपयांची मागणी केली होती आणि 7 दिवसात पैसे अदा न केल्यास एमएमसी एक्ट मधील नियमाअंतर्गत कार्यवाहीची चेतावनी दिली होती. शाहरुख़ खान यांनी दिनांक 11 मार्च 2015 रोजी सिटी बैंकेचा धनादेश द्वारे 1,93,784/- रुपये अदा करत प्रकरण बंद केले. शाहरुख खान प्रमाणे प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी यांनी सुद्धा पीछेहाटची जागा स्व:ताच्या सुरक्षाच्या नावाखाली अंटालिया इमारत बांधताना अतिक्रमित केली होती. अनिल गलगली यांच्या पाठपूराव्यानंतर 4 वर्षानी अंबानी यांनी स्व:ताहून अतिक्रमित बांधकाम तोडले होते आणि नामुष्की टाळली होती.

Shahrukh Khan pays Penalty amounting to Rs 1,93,784/= to BMC

Actors who portray inspiring roles as Hero's in films, generally play villainous roles in actual. Shahrukh Khan who had constructed an illegal ramp outside his posh bungalow 'Mannat' had to pay the cost of demolition amounting to Rs 1,93,784/=, revealed in a information provided by BMC to RTI activist Anil Galgali. RTI activist Anil Galgali had sought information from the Municipal administration about the action taken on the illegally constructed RCC ramp outside his bungalow by Shahrukh Khan. He sought information about the cost incurred and payment received if any. In a reply, the BMC's The Asst Engineer (Inspection) of Bandra H West ward informed Galgali that, after the order of the Municipal Commissioner an 7 days notice was issued on 6th February 2015 to Mannat. On termination of the notice period the demolition of the RCC ramp was undertaken by the ward office of 14th & 15th February 2015. It was alleged that Shahrukh Khan, whose bungalow falls on the junction of H K Bhabha road & Mount Mary road, near the Bandra Bandstand had occupied the portion of land belonging to setback, which was supposed to be handed over to Municipal corporation by illegally constructing an RCC ramp. Further the Municipal corporation had issued an demand notice of Rs 1,93,784 /= towards cost incurred on the demolition of the ramp, giving 7 days for making the payment or face due actions under the MMC Act. Shahrukh Khan made the payment vide a cheque issued on Citibank dt 11/03/2015 amounting to Rs 1,93,784 /= to close the issue. In a case similar to shahrukh Khan, industrialist Mukesh Ambani too had occupied the land meant for setback under the guise of security in the past. Due to persistent follow up by Anil Galgali for four years Mukesh Ambani himself had to remove the Encroachment to avoid due action in the matter.

Tuesday 9 February 2016

मुंबई बांद्रा के नेशनल हेराल्ड की जमीन का गैरइस्तेमाल हुआ

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली के भांडाफोड़ के बाद आनन फानन में महाराष्ट्र की सरकार ने गठित की हुई गौतम चटर्जी की एकसदस्यीय कमिटी ने नेशनल हेराल्ड की जमीन का गैरइस्तेमाल होने पर मुहर लगाने से अब कानूनी प्रक्रिया में मामला जाने के आसार हैं। गौतम चटर्जी की एकसदस्यीय कमिटी ने 20 पन्ने की रिपोर्ट नगर विकास के प्रधान सचिव मनु कुमार श्रीवास्तव को सौंपी हैं। मुंबई के बांद्रा पूर्व के प्राइम लोकेशन पर वर्ष 1983 में मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी को सरकार ने 3479 वर्ग मीटर की जमीन अखबार, नेहरु लायब्ररी और रिसर्च सेंटर के लिए जमीन दी थी। इस जमीन पर 29 वर्षो तक किसी भी तरह का निर्माण काम न होने की शिकायत सबसे पहले आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सरकार से करते हुए कारवाई की मांग की थी। गलगली की शिकायत के बाद काम तो शुरु हुआ और मौजूदा भाजपा सरकार ने गौतम चटर्जी की एकसदस्यीय कमिटी का गठन कर जांच शुरु कर दी। गौतम चटर्जी ने पाया कि 83 हजार वर्ग फीट के निर्माण काम में बेसमेंट 11 हजार वर्ग फीट और 9 हजार वर्ग फीट बिल्डिंग की ऊंचाई पर बताया गया हैं। जो अपने आप में एक उल्लंघन है क्योंकि सरकारी नियमों के अनुसार कोई भी 15% से अधिक व्यावासायिक इस्तेमाल नही कर सकता हैं। जांच कमिटी ने पाया कि यह एकबार वितरित जमीन का मामला नही हैं। कंपनीला 823 वर्ग मीटरची अतिरिक्त जमीन 4 नवंबर 1983 ला अतिरिक्त जिलाधिकारी के विरोध के बाद भी दी गई और सटी हुई 191 वर्ग मीटर की जमीन नवंबर 1990 को दी गई। सरकारी कार्यालय और पिछड़े जाति के छात्रों के होस्टल के बजाय कंपनी को अतिरिक्त जमीन दी गई, जबकि जिलाधिकारी इसतरह होनेवाले जमीन के गैरइस्तेमाल को रोक सकता था। जमीन पर लायब्ररी और रिसर्च सेंटर बनाने पर सवाल करने के बजात कांग्रेस के नेतृत्ववाली सरकार ने कई बार एक्स्टेंशन दिया। 30 जून 2001 का राजस्व विभाग के ज्ञापन ने कई एक्सटेंशन दिए गए कंपनी को विशेष मामला के तहत लीज जमीन को मालिकाना बना दिया। जो नियमों के विरोध में था और बकाया 2.78 करोड़ का ब्याज भी माफ़ किया गया। कमिटी ने इस पर सरकार को पुर्नविचार करने की सलाह दी हैं। यह जमीन तत्कालीन जिलाधिकारी अरुण भाटिया की रिपोर्ट के आधार पर कंपनी को दी गई थी। अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मांग की है कि जमीन वापस लेने पर कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता हैं। इससे बेहतर यह है कि ब्याज की रकम और अतिरिक्त रकम जुर्माना के तौर पर सरकार वसूल करे तथा इस बिल्डिंग के एक मंजिल पर पिछड़े जाति के छात्रों के लिए होस्टल बनाया जाए। शेष निर्माण से कंपनी अखबार का कार्यालय के साथ लायब्ररी और रिसर्च सेंटर खोल सकता हैं।।

मुंबईतील बांद्रा येथील नेशनल हेराल्ड जमीनीचा गैरवापर झाला आहे

आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांच्या खुलाश्यानंतर महाराष्ट्र शासनाने नियुक्त केलेल्या गौतम चटर्जीच्या एकसदस्यीय समितीने नेशनल हेराल्ड जमीनीचा गैरवापर झाल्यावर शिक्कामोर्तब केल्यामुळे आता न्यायिक प्रक्रियेला सामोरे जाण्याची शक्यता वर्तविली जात आहे. गौतम चटर्जीच्या एकसदस्यीय समितीने 20 पानाचा अहवाल नगर विकास खात्याचे प्रधान सचिव मनु कुमार श्रीवास्तव यांस सोपविली आहे. मुंबईतील बांद्रा येथील प्राइम लोकेशन येथे वर्ष 1983 मध्ये मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनीस 3479 वर्ग मीटरची जमीन शासनाने वर्तमानपत्र, नेहरु लायब्ररी आणि रिसर्च सेंटर साठी जमीन दिली होती. या जमीनवर 29 वर्ष कोणत्याही प्रकारचे बांधकाम झाले नाही. याबाबत सर्वप्रथम आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांनी तक्रार करत कारवाईची मागणी केली होती. गलगली यांच्या तक्रारीनंतर जमीनीवर बांधकाम सुरु झाले आणि नवीन भाजपा शासनाने गौतम चटर्जी यांची एकसदस्यीय समितीची स्थापना करत चौकशी सुरु केली. गौतम चटर्जी यांस आढळले की 83 हजार वर्ग फुटाचे बांधकामात बेसमेंट 11 हजार वर्ग फुट आणि 9 हजार वर्ग फुट इमारतीच्या सर्वात उंचावर दाखविले गेले आहे. जे एकप्रकारे नियमांचा भंग आहे कारण शासकीय नियमानुसार कोणीही 15% च्या अधिक व्यावसायिक वापर करु शकत नाही. चौकशी समितीस पुढे आढळले की या कंपनी अनेक वेळा जमीन वितरित झाली आहे. कंपनीस 823 वर्ग मीटरची अतिरिक्त जमीन 4 नोव्हेंबर 1983 रोजी अतिरिक्त जिल्हाधिकारी यांच्या विरोधानंतरही जमीन दिली गेली आणि त्यानंतर लागुन असलेली 191 वर्ग मीटरची जमीन नोव्हेंबर 1990 ला दिली गेली. शासकीय कार्यालय आणि मागासवर्गीय जातीच्या विद्याथर्यासाठी राखीव असताना अतिरिक्त जमीन दिली गेल्याचे नमूद करत खंत व्यक्त केली की जिल्हाधिकारी अश्या प्रकारे होत असलेल्या जमीनीचा गैरवापर थांबवू शकले असते. जमीनीवर लायब्ररी आणि रिसर्च सेंटर बनविण्याबाबत प्रश्न विचारण्याऐवजी कांग्रेसच्या नेतृत्वखालील सरकारने कंपनीस पुष्कळ वेळा मुदतवाढ दिली. 30 जून 2001च्या महसूल विभागाच्या एका ज्ञापनाने पुष्कळ वेळा मुदतवाढ दिलेल्या कंपनीस विशेष बाब अंतर्गत लीज जमीनीचे मालक बनविले. जे नियमांच्या विरोधात होते आणि शिल्लक 2.78 कोटीचे व्याज सुद्धा माफ केले. यावर समितीने पुर्नविचार करण्याचा सल्ला शासनास दिला आहे.ही जमीन तत्कालीन जिल्हाधिकारी अरुण भाटिया यांच्या अहवालानंतर कंपनीस दिली गेली होती. अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस कडे मागणी केली आहे की जमीन परत घेण्याच्या आडवे न्यायिक प्रक्रियेस सामोरे जावे लागेल. यापेक्षा व्याजाची रक्कम आणि अतिरिक्त दंड वसूल करावा. तसेच या इमारतीतील एका माळयावर मागासवर्गीय जातीच्या विद्याथर्यासाठी वसतीगृह बांधावे.उर्वरित जागेवर कंपनीचे वर्तमानपत्र कार्यालया सोबत लायब्ररी आणि रिसर्च सेंटर उघडले जाऊ शकते.

NATIONAL HERALD BANDRA PLOT FULLY MISUSED BY AJL

After RTI Activists Anil Galgali exposure Gautam Chatterjee committee appointed by CM Devendra Fadnavis to probe misuse of the land allotted to Associated Journals Limited (AJL) submitted its 20-page report in the case to the principal secretary of the revenue department, Manukumar Srivastava. The Congress, which owns AJL and the now-defunct National Herald newspaper, was constructing a commercial building on a plot of 3,479 sq m in Bandra, off the western Express Highway, instead of building a research centre dedicated to Nehru — for which it had been allotted the plot in the first place. Prime Land allotted to M/s Associated Journals, the holding company of the Congress Mouthpiece the National Herald and Qaumi Ekta newspapers was granted a waiver of interest charges to a tune of Rs 2.78 crores accrued due to delayed payment for land allotment. The company is now currently contracting an 11 storeyed building at the land. This information was provided to RTI activist Anil Galgali. This company belongs to the Gandhi family and the interest was waived during the tenure of Adarsh fame CM Ashok Chavan causing loss to the exchequer. While AJL had said it would require 11,000 sq ft in basement and 9,000 sq ft on top of the building, it is in reality constructing on over 83,000 sq ft, a majority of which is for commercial usage, the report states. This is in contravention of a government resolution (GR) that states one can use no more than 15 per cent of the area for commercialisation to cross-subsidise the project. The panel asks the government to see if AJL requires more than 20,000 sq ft now. If it does not, then the government has to take a decision on the extra space of over 60,000 sq ft, the report states. Probe panel's report says additional land was allotted to AJL in 1983 itself, despite opposition from then addl collector, and again in 1990. Despite the violations, it is not feasible for the government to reclaim the land parcel now, as it would lead to a legal battle, the report advises. Significantly, the inquiry committee has found that it was not a onetime allotment. An additional 823 sq m area was allotted to AJL on November 4, 1983, despite opposition from the then additional collector, and an adjoining plot of 191 sq m was allotted in November 1990. The probe report stated that the additional land allotted to AJL was set aside to house government offices as well as a hostel for backward-class students. "The collector could have prevented such misuse of the plot," the committee noted. The report also said that subsequent states governments led by the Congress "kept giving unlimited extensions" to AJL, instead of questioning why it had not constructed the library and the research centre. The report says that state revenue department's memorandum of June 30, 2001 gave AJL several relaxations as "a special case". The lease plot was converted into occupancy, which is against government norms, and an outstanding interest of Rs 2.78 crore was also waived, the report said. The report says the government can do a rethink on this. The land, which was originally meant to house a student hostel for backward classes, was taken from the social welfare department after 19 years of disuse, and given to AJL. But AJL sat on the plot for 29 years, and the government did not take it back. Instead, it granted the firm many extensions before taking it over, which was "too late in the day", the report states. The probe report said the plot was allotted on the basis of a report submitted by then collector Arun Bhatia, on July 15, 1983. "The collector never bothered to assess the area required to set up a library and a research centre," the report has said. Anil Galgali now demands to CM that instead of taken back land and face legal battle, government should insists to built library and Research centre in building and one floor should reserved for Backward Class Student's hostel which was originally reserved on the land. Govt should take 2.78 cr interest waived by cong govt and also charge extra fine to delay the construction, add Galgali..

Monday 8 February 2016

सुरेश वाडकर और हरीप्रसाद चौरसिया को दिए हुए भूखंड सरकार वापस ले

समाज की संपत्ती की लूट करनेवाले सुरेश वाडकर और हरीप्रसाद चौरसिया को दिए हुए भूखंड का होनेवाला गैरइस्तेमाल को रोकना औ कारवाई कर उन भूखंड को वापस लेने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुंबई उपनगर जिलाधिकारी को लिखे हुए पत्र में आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने की हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुंबई उपनगर जिलाधिकारी को लिखे हुए पत्र में स्पष्ट किया है कि सुरेश वाडकर ने अखबारों में स्वयं कबूला हैं कि इन भूखंड का व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा रहा हैं और हरीप्रसाद चौरसिया ने जिस प्रयोजन के लिए भूखंड लिया हैं उस प्रयोजन के लिए इस्तेमाल नही कर रहे हैं। वाडकर तो इस भूखंड का इस्तेमाल शादी समारोह के लिए कर रहे हैं। निवास और व्यावसायिक इस्तेमाल करनेवाले महानुभव नृत्य और गायन के लिए इसका इस्तेमाल 100% न करने पर उनपर कडक कारवाई की जाए और जुर्माना वसूलकर इस भूखंड को सरकार वापस ले ।

सुरेश वाडकर आणि हरीप्रसाद चौरसिया यांस दिलेले भूखंड ताब्यात घ्या

समाजाच्या संपत्तीची लूट करणारे सुरेश वाडकर आणि हरीप्रसाद चौरसिया यांस दिलेल्या भूखंडाचा होणारा गैरवापर रोखणे आणि कार्यवाही करत त्यांस दिलेले भूखंड परत घेण्याची मागणी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी यांस लिहिलेल्या पत्रात आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी केली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी यांस लिहिलेल्या पत्रात नमूद केले आहे की सुरेश वाडकर यांनी वर्तमानपत्रात दिलेल्या मुलाखतीत स्पष्ट केले आहे की ते या भूखंडाचा व्यावसायिक उपयोग करत आहे तर हरीप्रसाद चौरसिया यांनी ज्या प्रयोजनासाठी भूखंड घेतला होता त्या प्रयोजनासाठी कोणताही वापर होत नाही. वाडकर तर या भूखंडाचा वापर लग्न समारंभासाठी करत आहे. निवास आणि व्यावसायिक वापर करणारे ही महान मंडळी नृत्य आणि गायन सारख्या कामासाठी 100% वापर न करत असल्यामुळे कडक कार्यवाही केली जावी आणि दंड आकारत सदर भूखंड शासनाच्या ताब्यात घ्यावे.

Friday 5 February 2016

अब महाराष्ट्र में नही मिलेगा कौड़ियों के दाम पर भूखंड

भाजपा सांसद हेमा मालिनी को कौड़ियों के दामों में भूखंड का आवंटन किए जाने पर पैदा हुए विवाद के बाद महाराष्ट्र सरकार इस नियम को ही खत्म करने जा रही हैं। आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली के सुझाव के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उस नियम को ही खत्म करने की सोच रहे हैं, जिसके तहत सांस्कृतिक और शैक्षणिक उद्देश्यों के तहत लिए जमीन की खरीद में छूट दिए जाने का प्रावधान है। महाराष्ट्र सरकार के वर्ष 1983 और 1984 के एक नियम के मुताबिक राज्य में सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए वर्ष 1976 के दाम के 25 पर्सेंट पर जमीन देने का प्रावधान है। महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस ने कानून में बदलाव किए जाने की पृष्टि करते हुए कहा कि वर्ष1976 में जमीनों के रेट काफी कम थे, फिर उसका 25 पर्सेंट लिया जाना बेहद कम है। मैंने अपने अधिकारियों से जमीन आवंटन को लेकर नई नीति तैयार करने को कहा है।' यह पूछे जाने पर कि नियम में बदलाव का असर हेमा मालिनी को आवंटित भूखंड पर भी पड़ेगा, उन्होंने कहा कि इस मामले पर भी विचार किया जाएगा। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि नई नीति के तहत जमीनों का आवंटन भूमि की कीमत के सरकारी अनुमान के मुताबिक होगा। हेमा मालिनी को बेहद कम दामों पर जमीन विक्री पर दिए जाने की बात उजागर करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री की इन कोशिशों की सराहना की है। अनिल गलगली ने देवेंद्र फडणवीस को सर्वप्रथम पत्र लिखकर वर्ष 1983 और1984 में बने इस नियम में बदलाव की मांग की थी। उनका कहना था कि इस नीति की वजह से सरकार को बड़ा नुकसान हो रहा है। अनिल गलगली का कहना था कि न्यूनतम कीमत से भी काफी कम दाम पर जमीनों के आवंटन के चलते सरकार को करोड़ो रुपये का नुकसान पिछले 35 वर्षो में हुआ हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का आभार मानते हुए कहा कि इस कदम से राज्य सरकार की तिजोरी में अच्छा ख़ासा धन जमा होगा और राज्य सरकार को विकास काम के लिए इस धन का इस्तेमाल करने में मदद होगी।

आता महाराष्ट्रात कवडीमोल दरार नाही मिळणार भूखंड

भाजपा खासदार हेमा मालिनी यांस भूखंड वितरित केल्यावरुन निर्माण झालेले वादंगानंतर महाराष्ट्र शासन आत जुना नियम रद्द करणार आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या विनंतीनंतर महाराष्ट्राचे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस त्या नियमास रद्द करणार आहेत ज्यामुळे सांस्कृतिक आणि शैक्षणिक उद्देश्यासाठी जमीन खरीदीत सूट देण्याचे निश्चित केले होते. महाराष्ट्र शासन वर्ष 1983 आणि 1984 च्या एका नियमानुसार राज्यात सांस्कृतिक आणि शैक्षणिक उद्देश्यासाठी वर्ष 1976 च्या दराच्या 25 टक्क्यात जमीन देण्याचा नियम होता. महाराष्ट्राचे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी या कायद्यात बदल करण्याचा मानस व्यक्त करत सांगितले की वर्ष 1976 मध्ये जमीनीचे दर कमी होते आणि त्यानंतर त्या दराच्या 25 टक्के रक्कम आकारणे कवडीमोल होते.त्यांनी अधिकारी वर्गांना जमीन वितरण नवीन धोरण बनविण्याचे आदेश दिले आहे. या नियमात बदल झाल्याने हेमा मालिनीस वितरित झालेल्या भूखंडास हा दर लागू होईल का? असे विचारताच त्यांनी सांगितले की याबाबत विचार केला जाईल. नवीन धोरणानंतर भूखंडाची किंमत बाजार दराने निश्चित होईल. हेमा मालिनीस कमी किंमतीत भूखंड देण्याचे प्रकरण उघडकीस आणणारे आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्र्यांच्या या कृतीचे कौतुक केले. अनिल गलगली यांनी सर्वप्रथम देवेंद्र फडणवीस यांस पत्र पाठवून वर्ष 1983 आणि 1984 मध्ये बनविलेला नियम बदलण्याची मागणी केली होती. थी। त्यांच्या मते यामुळे शासनाचे मोठे नुकसान होत आहे. अनिल गलगली यांनी प्रतिपादन केले की कमी किंमतीमुळे ज्या जमीनीचे वितरण आतापर्यंत करण्यात आले आहे त्यामुळे शासनाला गेल्या 35 वर्षात कोटयावधीचे नुकसान झाले आहे. आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांचे आभार मानत प्रतिपादन केले की राज्य शासनाच्या तिजोरीत मोठ्या प्रमाणात निधी जमा होईल आणि राज्य शासनाला विकास कामात या निधीचा वापर करण्यास मदत होईल.

CM orders change in law,now subsidized land allotment will not be possible in Maharashtra

Looking after the controversy generated by the allotment of land to Hema Malini for her dance Academy, the govt has decided to end the law regarding the land allotment 's. Accepting the suggestion of RTI activist Anil Galgali, CM has decided to revoke the law which enabled allotment of land and subsidized rate for cultural and educational purposes. In Maharashtra, as per a law formulated in 1983/84 it was possible to allot land for educational and cultural purposes at 25% of rate prevalent in 1976. Confirming the development, CM Devendra Fadnavis stated that the rates of land in 1976 itself was very less and in that charging only 25% was too less. He has instructed the officers to prepare a new policy for land allotments. On being queried if the change in stance of the Govt will have a bearing on the land allotted to Hema Malini, he replied that a thought would be given on that too. An officer of the dept stated that, as per the new policy, hence forth the land allotments would be on a rate of land as per the govt estimate. RTI activist Anil Galgali, who exposed the subsidized land allotment of Hema Malini, welcomed the CM's decision. Anil Galgali, in a first had in a letter addressed to CM, had demanded a change in 1983/84. policy stating the due to the policy the govt is facing a loss of valuable revenue. In an assessment, Galgali further stated that such types of allotments in the past has caused an loss to exchequer by crores in last 35 years. RTI activist Anil Galgali while thanking CM Devendra Fadnavis, stated that, this step will boost the revenue of the Govt, which can be put to use for the development of the state.

Tuesday 2 February 2016

वर्सोवा भूखंड के मैन्ग्रोज काटने का हेमा मालिनी का प्रताप

भाजपा सरकार ने भाजपा सांसद हेमा मालिनी को कौड़ियों के दाम पर करोड़ों का भूखंड देने का मामला चर्चित है वही वर्सोवा स्थित भूखंड पर फैले मैन्ग्रोज काटकर कोस्टल रेगुलेशन झोन के प्रावधान का उल्लंघन हेमा मालिनी ने करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को प्राप्त दस्तावेजों से हो रही हैं। उल्लंघन की नोटीस भी हेमा मालिनी को जिलाधिकारी ने भेजी थी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय से हेमा मालिनी के नाटय संस्था को दिए जानेवाले भूखंड की जानकारी मांगी थी। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने हेमा मालिनी को दिए जानेवाले भूखंड के तहत दी हुई जानकारी चौक्कानेवाली हैं। वर्तमान में जो भूखंड अंधेरी तालुका के आंबिवली में दिया हैं उसके पहले उन्हें वर्सोवा के सर्वे नंबर 161 समीप की खाडी जमीन का अभिन्यास में क्र.1 में का 1741.89 वर्ग मीटर क्षेत्र का एक भूखंड क्र.7 का एडवांस कब्जा दिनांक 4/4/1997 को दिया गया और संस्था ने रु 10 लाख अदा भी किए। लेकिन हेमा मालिनी ने दिनांक 6 एप्रिल 1994 को पेश किए हुए प्रोजेक्ट रिपोर्ट में भूखंड का क्षेत्र 50,000 वर्ग मीटर बताया था। साथ ही सांताक्रुज स्थित समता सहकारी बैंक में रु 22.50 लाख का बैलेंस होने का प्रमाणपत्र पेश किया था। प्रोजेक्ट खर्च रु 3.70 करोड़ होने का दावा किया था। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी ने दिनांक 28/8/1998 को हेमा मालिनी को नोटीस भेजी थी। इस नोटीस में कोस्टल रेगुलेशन जोन के प्रावधान का उल्लंघन करने से ट्रस्ट को भूखंड मंजूर करने के लिए सरकार ने जारी किया उद्देश्य पत्र रद्द करने के लिए सरकार को क्यों नही बताया जाए? ऐसा दम भरा था। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी ने दिनांक 28/8/1998 को हेमा मालिनी को भेजे हुए नोटीस में 3 मामलों को गंभीर माना था। इसमें मंजूर क्षेत्र और प्रोजेक्ट रिपोर्ट में बताया हुआ क्षेत्र में बड़ा अंतर होने का उल्लेख किया था। पूरा प्रोजेक्ट पर आनेवाला खर्च को वास्तुविशारद के हस्ताक्षर वाला प्रोजेक्ट रिपोर्ट पेश करते हुए पुरे प्रोजेक्ट खर्च की 25% रकम जमा होने का सबूत और शेष 75% रकम किस मार्ग से उपलब्ध करेंगे इसका ब्यौरा देने की मांग की थी। इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण आपत्ती यह मैन्ग्रोज को काटने का आरोप था। पत्र कम नोटीस में स्पष्ट किया था कि भुखंड का एडवांस कब्जा देने के दौरान बताया गया था कि कोस्टल रेगुलेशन जोन के प्रावधान का उल्लंघन नहीं करे। तथापि तहसीलदार अंधेरी ने पेश किए हुए रिपोर्ट से दिख रहा है कि जमीन पर मौजूद मैन्ग्रोज को काटकर कोस्टल रेगुलेशन जोन के प्रावधान का उल्लंघन किया गया हैं। 10 दिन में स्पष्टीकरण देने का मौका देकर ना कोई कारवाई की गई ना कोई स्पष्टीकरण प्राप्त हुआ। यह सच्चाई होते हुए राज्य सरकार के मंत्री ने वैकल्पिक भूखंड देने के दौरान इसे नजरअंदाज किया और राजस्व विभाग केे प्रधान सचिव ने भी पूर्व इतिहास का अध्ययन किया नहीं, ऐसा आरोप कर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि मैन्ग्रोज को काटनेवालों पर तत्कालीन सरकार ने भूखंड वापस लेने की कारवाई किए बिना मामले को प्रलंबित रखा और नई भाजपा सरकार ने 1976 के मुल्यांकन का गैरइस्तेमाल करते हुए सिर्फ रु 70,000 में आंबिवली स्थित गार्डन की जमीन पर 2000 वर्ग मीटर की जमीन बहाल करने के प्रयास में हैं।

वर्सोवा येथील जमीनीवरील तिवराची झाडे कापण्याचा हेमा मालिनीचा प्रताप

भाजपा सरकारने भाजपा खासदार हेमा मालिनीस कवडीमोल भावात कोटयावधीचा भूखंड दिल्याचे प्रकरण गाजत असताना वर्सोवा येथील भूखंडावरील तिवराची झाडे कापून कोस्टल रेगुलेशन झोन मधील तरतुदींचा भंग हेमा मालिनी यांनी केल्याची बाब आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस प्राप्त कागदपत्रावरुन होत असून तशी नोटीसही हेमा मालिनीस जिल्हाधिकारी यांनी पाठविली होती. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाकडे हेमा मालिनी यांच्या नाटय संस्थेस दिल्या जाणा-या भूखंडाची माहिती मागितली होती. मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाने हेमा मालिनी यांस दिल्या जाणा-या भूखंड अंतर्गत दिलेली माहिती धक्कादायक आहे. सद्या जो भूखंड अंधेरी तालुक्यातील मौजे आंबिवली येथील दिला गेला आहे त्यापुर्वी त्यांस मौजे वर्सोवा सर्वे नंबर 161 लगतच्या खाडी जमीनीच्या अभिन्यास मधील क्र.1 मधील 1741.89 चौरस मीटर क्षेत्राचा एक भूखंड क्र.7चा आगाऊ ताबा दिनांक 4/4/1997 रोजी देण्यात आला होता आणि संस्थेने रु 10 लाखाचा भरणा केला होता. परंतु हेमा मालिनीने दिनांक 6 एप्रिल 1994 रोजी सादर केलेल्या प्रकल्प अहवालात भूखंडाचे क्षेत्र 50,000 चौरस मीटर दर्शविले होते. तसेच सांताक्रुझ येथील समता सहकारी बैंकत रु 22.50 लाख शिल्लक असल्याचे प्रमाणपत्र सादर केले होते. प्रकल्प खर्च रु 3.70 कोटी दाखविला होता. मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी यांनी दिनांक 28/8/1998 रोजी हेमा मालिनी यांस नोटीस पाठविली होती. या नोटीसात कोस्टल रेगुलेशन झोन मधील तरतुदाचा भंग केल्याने ट्रस्टला भूखंड मंजूर करण्याबाबत शासनाने दिलेले हेतूपत्र रद्द करण्याविषयी शासनास का कळवू नये? अशी तंबी दिली होती. मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी यांनी दिनांक 28/8/1998 रोजी हेमा मालिनी यांस पाठविलेल्या नोटीसात 3 मुद्दाचा उहापोह केला होता. यात मंजूर क्षेत्र आणि प्रकल्प अहवालात दर्शविलेले क्षेत्र यामध्ये मोठी तफावत असल्याचे नमूद केले होते. संपूर्ण प्रकल्पासाठी येणारा खर्च याबाबत वास्तुविशारद यांच्या सहीने असणारा प्रकल्प अहवाल सादर करत संपूर्ण प्रकल्प खर्चाच्या 25% रक्कम जमा असल्याचा पुरावा आणि उर्वरित 75% टक्के रक्कम कोणत्या मार्गाने उपलब्ध करणार याचा तपशील देण्याची मागणी केली. यात सर्वात महत्त्वाचा आक्षेप हा तिवराची झाडे कापण्याचा आरोप आहे. पत्र कम नोटीसात स्पष्ट केले आहे की भुखंडाचा आगाऊ ताबा देताना कळविण्यात आले होते की कोस्टल रेगुलेशन झोन मधील तरतुदींचा भंग करु नये.तथापि तहसीलदार अंधेरी यांनी सादर केलेल्या अहवालावरुन असे दिसते की जागेवर असलेली तिवराची झाडे कापून कोस्टल रेगुलेशन झोन मधील तरतुदींचा भंग केलेला आहे.10 दिवसांत खुलासा करण्याची संधी जरी दिली असली तरी कोणतीही कार्यवाही केली गेली नाही ना स्पष्टीकरण प्राप्त झाले. अशी वस्तुस्थिती असताना राज्य शासनाने पर्यायी भूखंड देताना याबाबीकडे दुर्लक्ष केले आणि महसूल विभागाचे प्रधान सचिव यांनीही पुर्वीच्या अभिलेखाचा अभ्यास केला नाही, असा आरोप करत आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी सांगितले की तिवराची झाडे कापणा-यांवर तत्कालीन सरकारने भूखंड परत घेण्याची कार्यवाही न करता प्रकरण टांगत ठेवले आणि नवीन सरकारने 1976च्या मुल्यांकनाचा गैरलाभ घेत फक्त रु 70,000 मध्ये आंबिवली येथील उद्यानाच्या जागेत 2000 वर्ग मीटरची जमीन बहाल करण्याचा प्रयत्नांत आहे.

Hema Malini's exploits include destruction of mangroves on the previously allotted versova land.

Hema Malini the BJP MP who is currently under fire for securing land for her dance Academy costing crores for a pittance 70,000, seems to have violated the provisions of the coastal regulation zone Act by destroying the mangroves on the land allotted to it previously. The fact has come to light through the documents provided to RTI activist Anil Galgali, she was served a notice by the Mumbai suburban collector for the same. RTI activist Anil Galgali had sought information from the Mumbai suburban collector regarding the allotment of plot to Hema Malini for her Dance Academy. The information provided by the Collector reveals shocking disclosures. Prior to the land allotted currently at Village Ambivili in Andheri taluka, Hema Malini was allotted another plot at village versova, bearing survey no 161, adjoining the versova Creek, being plot no 1 admeasuring 1741.89 Sq Mtrs for which the possession was handed out on 4/4/1997. The Academy had made a payment of Rs 10 lakhs for the same. But Hema Malini had showed an area of 50,000 Sq Mtrs in its project report submitted on 6th April 1994. Similarly it had shown a balance of Rs 22.50 lakhs in its bank account with the Santa Cruz branch of Samta sahkari bank Ltd. Furthermore it had projected an project cost of Rs 3.70 crores. The Mumbai suburban collector had served an notice to Hema Malini on 28/8/1998. It had show caused the trust as to why should the letter of intent issued for the allotment of land not be canceled for violating the norms of the CRZ. The show cause notice contained three issues namely, there was a vast difference in the area of land allotted and the area of land mentioned in the project report. The trust submit a project report signed by an Architect showing availability of 25% of funds projected in the project report and also show how does it Intended to raise the balance 75% required for the project. The major issue raised in the notice was the destruction of the mangroves adjoining the land. The letter Cum notice also specified that the CRZ rules not be violated. But in the report submitted by the Tehsildaar of Andheri it has been mentioned that the rules of CRZ Act was violated by destroying the mangroves. The notice which demanded an explanation within 10 days, was not even responded by the trust, neither was any action taken ahead by the Collector office. On the basis of the facts before the government, the new land allotment was initiated by this govt by ignoring the previous violations and the Principal Secretary (Revenue) also overlooked the issue by not going through the past records, alleged Anil Galgali, stating further that, serious violation of destruction of mangroves was overlooked and while taking no action the issue was glossed over and the new government has misused the rule of valuation of 1976 and allotted another land in lieu of the old one for pittance Rs 70,000 at village Ambivili admeasuring 2000 Sq Mtrs and the land being reserved for Gardens.