Thursday 28 July 2016

महाराष्ट्र के सिर्फ 12 मंत्रियों ने अपनी प्रॉपर्टी का ब्यौरा पेश किया

पारदर्शक और स्वच्छ कामकाज का दावा कर सत्ता पर आयी भाजपा प्रणित मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार के सिर्फ मंत्रियों ने अपनी प्रॉपर्टी का ब्यौरा पेश करने का खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सरकार द्वारा उपलब्ध की गई जानकारी से हुआ है। केंद्र और बिहार की तर्जपर राज्य के सभी मंत्रियों की प्रॉपर्टी की जानकारी ऑनलाइन करने की गलगली की मांग वाले आवेदन पर पिछले 20 महीनों से मुख्यमंत्री द्वारा कोई भी निर्णय नहीँ लेने की बात स्पष्ट हुई है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से राज्य मंत्रीमंडल के मंत्री और राज्यमंत्रियों ने पेश की हुई उन मंत्रियों की प्रॉपर्टी और उनसे जुड़े हुए लोगों के लाइबिलिटीस के विवरण की जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग के जन सूचना अधिकारी और अवर सचिव कि.शां.परब ने अनिल गलगली को बताया कि केंद्र सरकार ने तैयार की हुई आचारसंहिता के अनुसार मंत्रियों को उनकी प्रॉपर्टी और उनसे जुड़े हुए लोगों के लाइबिलिटीस का विवरणपत्र पेश करना आवश्यक हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दिए हुए निर्णयानुसार यह कानूनन अनिवार्य नहीं हैं।।आचारसंहिता में मंत्रियों को मुख्यमंत्री महोदय के पास ऐसे विवरणपत्र पेश करने का जिक्र हैं।उल अब मुख्यमंत्री सहित 23 मंत्री आणि 16 राज्यमंत्री ऐसा मंत्रीमंडल हैं। सिर्फ 12 मंत्रियों ने दिया सकारात्मक प्रतिसाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित 12 मंत्रियों ने सकारात्मक प्रतिसाद देते हुए अपनी प्रॉपर्टी और उनसे जुड़े हुए लोगों के लाइबिलिटीस का विवरणपत्र पेश किया हैं। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव तो 11 मंत्रियों ने मुख्यमंत्री के पास विवरणपत्र पेश किया हैं। इनमें राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील, वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, स्कूली शिक्षा मंत्री विनोद तावडे, गृहनिर्माण मंत्री प्रकाश मेहता, उद्योग मंत्री सुभाष देसाई, सार्वजनिक आरोग्य मंत्री राम शिंदे, अन्न व नागरी आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट, जलसंपदा मंत्री गिरीष महाजन,परिवहन मंत्री दिवाकर रावते, जलापूर्ति व स्वच्छता मंत्री और पर्यावरण राज्यमंत्री प्रवीण पोटे का शुमार हैं। पिछली सरकार ने अनिल गलगली के फॉलो आप के बाद जिन मंत्रियों ने विवरण पेश किया था उनका सिर्फ नाम ही ऑनलाइन किया था। उस वक्त के 'मिस्टर क्लीन' मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मंत्रियों की प्रॉपर्टी की जानकारी को सार्वजनिक करने की गलगली की मांग को खारिज किया था। भाजपा सरकार पारदर्शक होने का दावा तो कर रही हैं लेकिन कांग्रेस की तर्ज पर अपने मंत्रियों की प्रॉपर्टी की जानकारी को सार्वजनिक करने से भाग रही हैं, इसपर अनिल गलगली ने दुःख जताया। अथक सेवा संघ के अध्यक्ष और आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा 14 नवंबर 2014, दिनांक 9 मार्च 2015 और अब 28 जुलाई 2016 को ऐसे 3 पत्र भेजकर केंद्र और बिहार की तर्ज पर राज्य के सभी मंत्रियों की प्रॉपर्टी की जानकारी को ऑनलाइन करने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास की गई है।

महाराष्ट्रातील फक्त 12 मंत्र्यांनी आपल्या मालमत्तेचे विवरण जमा केले

पारदर्शक आणि स्वच्छ कामकाजाचा दावा करत सत्तेवर आलेले भाजपा प्रणित मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकारच्या 39 पैकी फक्त 12 मंत्र्यांनी आपल्या मालमत्तेचे विवरण जमा केले असल्याची धक्कादायक माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस शासनाने दिली आहे. केंद्र आणि बिहारच्या धर्तीवर राज्यातील सर्व मंत्र्यांची मालमत्तेची माहिती ऑनलाइन करण्याची गलगली यांच्या मागणी अर्जावर गेल्या 2 वर्षापासून मुख्यमंत्र्यांनी कोणताही निर्णय घेतला नाही. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र शासनाकडे राज्य मंत्रीमंडळातील मंत्री आणि राज्यमंत्र्यांनी दिलेल्या मत्ता व दायित्व विवरणाची माहिती मागितली होती. सामान्य प्रशासन विभागाचे जन माहिती अधिकारी आणि अवर सचिव कि.शां.परब यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की केंद्र शासनाने तयार केलेल्या आचारसंहितेनुसार मंत्र्यांना मत्ता व दायित्वाचे विवरणपत्र सादर करणे आवश्यक आहे.मात्र सर्वोच्च न्यायालयाने दिलेल्या निर्णयानुसार हे कायदेशीररित्या बंधनकारक ठरत नाही.आचारसंहितेमध्ये मंत्र्यांनी मुख्यमंत्री महोदयाकडे असे विवरणपत्र सादर करावे असा उल्लेख आहे. आता मुख्यमंत्री सहित 23 मंत्री आणि 16 राज्यमंत्री असे मंत्रीमंडळ आहे. # फक्त 12 मंत्र्यांनी दिला सकारात्मक प्रतिसाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित 12 मंत्र्यांनी दिला सकारात्मक प्रतिसाद देत आपली मत्ता आणि दायित्वाची विवरणपत्रे सादर केली आहेत. मुख्यमंत्र्यांनी मुख्य सचिव यांस कडे तर 11 मंत्र्यांनी मुख्यमंत्र्यांकडे विवरणपत्रे सादर केली आहेत. त्यामध्ये महसूल मंत्री चंद्रकांत पाटील, वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, शालेय शिक्षण मंत्री विनोद तावडे, गृहनिर्माण मंत्री प्रकाश मेहता, उद्योग मंत्री सुभाष देसाई, सार्वजनिक आरोग्य मंत्री राम शिंदे, अन्न व नागरी पुरवठा मंत्री गिरीश बापट, जलसंपदा मंत्री गिरीष महाजन,परिवहन मंत्री दिवाकर रावते, पाणीपुरवठा व स्वच्छता मंत्री आणि पर्यावरण राज्यमंत्री प्रवीण पोटे यांचा समावेश आहे. गेल्या सरकारने अनिल गलगली यांच्या पाठपुराव्यानंतर ज्या मंत्र्यांनी विवरणे सादर केली होती त्यांची फक्त नावेच ऑनलाइन केली होती. त्यावेळीचे 'मिस्टर क्लीन' मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण यांनी मंत्र्यांची मालमत्ता सार्वजनिक करण्यास नकार दिला होता. भाजपा सरकार पारदर्शक असण्याचा वेळोवेळी दावा करत असतानाही कांग्रेसच्या तर्जीवर मंत्र्यांची मालमत्ता सार्वजनिक करण्यापासून पळ काढत असल्याची टीका अनिल गलगली यांनी केली. अथक सेवा संघाचे अध्यक्ष आणि आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी 14 नोव्हेंबर 2014 , दिनांक 9 मार्च 2015 आणि 29 जुलै 2016 अशी 3 पत्रे पाठवून केंद्र आणि बिहारच्या धर्तीवर राज्यातील सर्व मंत्र्यांची मालमत्तेची माहिती ऑनलाइन करण्याची मागणी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस कडे केली होती.

Only 12 out of 39 Ministers of Maharashtra declare there assets and liabilities details

Transparency and Clean Governance were the two major agenda's on which the current BJP have formed the Government in Maharashtra, the anchor of the promotion of this agenda being Chief Minister Devendra Fadnavis himself. But in a shocking revelation made by Activist Anil Galgali, Only 12 out of 39 Ministers in the Government have declared their Assets and liabilities details till, given the same is practiced in Narendra Modi lead NDA government and also in Bihar. RTI Activists Anil Galgali had sought information about Assets and liabilities declared by the Cabinet as well as the Ministers of state via RTI to which K.S.Parab, Under Secretary of the General Administration Department (GAD) of the Mantralaya,informed Galgali that In a code of conduct for Ministers drafted by the central government it is compulsory to declare their property and responsibilities statement by every Ministers, though the Supreme Court has ruled to the contrary . The code of conduct mentions that every Minister has to submit to the Chief Minister their property and responsibilities statement. The current Ministry in Maharashtra has 23 Ministers including the CM and 16 Ministers of State . # Only 12 Ministers have complied with the Code of Conduct 12 Ministers including the CM Devendra Fadnavis have complied with the directive and submitted their details of property and responsibilities statement. The CM submitted his details to the Chief Secretary and the 11 Ministers have submitted their details to the CM. The 11 Ministers are Revenue Minister Chandrakant Patil, Finance Minister Sudhir Mungantiwar, School Education Minister Vinod Tawde, Housing Minister Prakash Mehta, Industries Minister Subhash Desai, Public Health Minister Ram Shinde, Food & Civil Supplies Minister Girish Bapat, Irrigation Minister Girish Mahajan, Transport Minister Diwakar Raote, Water supply, cleanliness and environment Minister of state Pravin Pote. I had followed up vigorously with the previous government also for making their assets and liabilities detail in. public domain, but those who declared then only there name was made available online instead of Assets and liabilities details, but "Mr Clean " Prithviraj Chavhan was not of the view to make it public, but since this new BJP government's main agenda is Transparency, now even they have refrained themselves from making their Assets and liabilities in public domain" said Galgali. On 14th November 2014, 9th march 2015 & again 28th July 2016 on the basis of the Centre and Bihar governments , Anil Galgali demand to Chief Minister Devendra Fadnavis, to declare all Ministers Assets and liabilities was made online but ever since the application's file is lying pending with the Chief Minister Office since 27th November, 2014 ie 20 months.

Saturday 23 July 2016

एमएमआरसीएल के बोर्ड डायरेक्टर का बिज़नेस क्लास की हवाई यात्रा का रु 14.50/- लाख खर्च

महाराष्ट्र सरकार के खजाने में पैसे की किल्लत होने से मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री खर्च में बचत की सूचना हमेशा देते हैं लेकिन मेट्रोे से एमएमआरडीए क्षेत्र को जोड़ने के लिए प्रयासरत मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड के (एमएमआरसीएल) बोर्ड डायरेक्टर इकोनोमी क्लास के बजाय बिज़नेस क्लास से हवाई यात्रा कर रहे हैं। इसपर रु 14.50/- लाख खर्च होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरसीएल ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड के (एमएमआरसीएल) बोर्ड डायरेक्टर की बैठक की जानकारी मांगते हुए हवाई जहाज की यात्रा और अन्य खर्च की जानकारी मांगी थी। एमएमआरसीएल की जन सूचना अधिकारी और विशेष कार्य अधिकारी प्र.दे.येरकुटवार ने कुल 9 बैठक की जानकारी मांगी थी। इसमें से 4 बैठक दिल्ली और 5 बैठक मुंबई में हुई थी। 30 में से 24 बिज़नेस और 6 इकोनोमी क्लास से यात्रा की हैं। 24 बिज़नेस में से डॉ नितिन करीर और यूपीएस मदान के 3 यात्रा का खर्च सरकार ने किया हैं। साथ ही डी के जैन की हवाई यात्रा का खर्च का बिल उपलब्ध न होने का दावा किया हैं। टॉप 5 में नगरविकास विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन करीर हैं जिन्होंने दिनांक 27 मई 2016 को बिज़नेस क्लास से किए यात्रा पर रु 74,269/- इतनी रकम खर्च की गई हैं। उसके बाद एमएमआरडीए महानगर आयुक्त यूपीएस मदान रु 63,567/- , ए ए भट रु 61,802/- , एमएमआरसीएएल की प्रबंध संचालक अश्विनी भिडे रु 60,977 और झंजा त्रिपाठी रु 60,531/- ऐसी रकम खर्च की गई हैं। # निवास और वाहन खर्च की जानकारी अधूरी मुंबई और दिल्ली में निवास पर हुए पुरे खर्च की जानकारी एमएमआरसीएएल के रिकॉर्ड पर उपलब्ध नहीं हैं। दिनांक 6 दिसंबर 2014 को मुंबई स्थित एमएमआरडीए मुख्यालय में हुई बैठक के लिए 4 अधिकारियों के निवास पर रु 50,114/- इतनी रकम खर्च हुई हैं। वहीं मुकुंदकुमार सिन्हा रु 3048/- व रु 2180/- और मधुसुदन प्रसाद रु 6097/- इतनी रकम निवास पर खर्च हुई हैं।। अन्य 26 अधिकारियों के निवास के लिए किए गए खर्च की जानकारी नहीं दी। साथ ही 35 अधिकारियों मे से सिर्फ 8 अधिकारियों के वाहन पर किया गया खर्च रु 19,499/- इतना हैं। शेष जानकारी नहीं दी हैं। अनिल गलगली के अनुसार राज्य की आर्थिक स्थिती ठींक नहीं होने से बचत की आवश्यकता हैं लेकिन आईएएस अधिकारी महंगी यात्रा पर रोक लगाने के बजाय पैसों की फिजूलखर्ची कर रहे हैं। विडियो कांफ्रेंस से भी बैठक लेने या पूर्वनियोजित बैठक में रेल से यात्रा करने का विकल्प हैं, यह बताते हुए अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर आईएएस अधिकारियों के महंगे खर्च पर लगाम कसने की मांग की हैं।

एमएमआरसीएलच्या बोर्ड डायरेक्टरचा बिज़नेस क्लास हवाई यात्रा रु 14.50/- लाख खर्च

महाराष्ट्र शासनाच्या तिजोरीत पैशाची चणचण भासत असून मुख्यमंत्री आणि वित्त मंत्री खर्चात काटकसर करण्याची वेळोवेळी सूचना देतात पण मेट्रोचे जाळे एमएमआरडीए क्षेत्रात पसरविण्यासाठी प्रयत्नशील मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेडच्या (एमएमआरसीएल) बोर्ड डायरेक्टर इकोनोमी क्लास ऐवजी बिज़नेस क्लासने हवाई यात्रा करत आहेत. यावर 14.50 लाख खर्च झाल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरसीएलने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेडच्या (एमएमआरसीएल) बोर्ड डायरेक्टर बैठकीची माहिती मागत विमान प्रवासांवर आणि अन्य खर्चाची माहिती मागितली होती. एमएमआरसीएलच्या जन माहिती अधिकारी आणि विशेष कार्य अधिकारी प्र.दे.येरकुटवार यांनी एकुण 9 बैठकीची माहिती दिली. यापैकी 4 बैठक दिल्ली आणि 5 बैठक मुंबई झाल्या आहेत. 30 पैकी 24 बिज़नेस आणि 6 इकोनोमी क्लासने प्रवास केला आहे. 24 बिज़नेस पैकी नितिन करीर, यूपीएस मदान आणि यांची 3 प्रवासाचा खर्च शासनाने केला आहे. तसेच डी के जैन यांचा विमान प्रवास खर्चाची बिल उपलब्ध नसल्याचा दावा केला आहे. टॉप 5 मध्ये नगरविकास विभागाचे प्रधान सचिव डॉ नितिन करीर असून दिनांक 27 मे 2016 रोजी केलेला बिज़नेस क्लासने केलेल्या प्रवासावर रु 74,269/- इतकी रक्कम खर्च केली आहे.त्यानंतर एमएमआरडीए महानगर आयुक्त यूपीएस मदान रु 63,567/- , ए ए भट रु 61,802/- , एमएमआरसीएएलच्या व्यवस्थापकीय संचालक अश्विनी भिडे रु 60,977 आणि झंजा त्रिपाठी रु 60,531/- अशी रक्कम खर्च झाली आहे. # निवास आणि वाहन खर्चाची माहिती पूर्ण नाही मुंबई आणि दिल्ली येथे झालेला निवास खर्चाची पूर्ण माहिती एमएमआरसीएएलच्या अभिलेखावर उपलब्ध नाही. दिनांक 6 डिसेंबर 2014 रोजी मुंबई येथील एमएमआरडीए मुख्यालयात झालेल्या बैठकीत 4 अधिका-यांचा निवासावर रु 50,114/- इतकी रक्कम खर्च झाली आहे. तर मुकुंदकुमार सिन्हा रु 3048/- व रु 2180/- आणि मधुसुदन प्रसाद रु 6097/- इतकी रक्कम निवासासाठी खर्च केली.अन्य 26 अधिका-यांवर निवासासाठी केलेल्या खर्चाची माहिती दिली नाही. तसेच 35 अधिका-यांपैकी फक्त 8 अधिका-यांच्या वाहनावर झालेल्या खर्च रु 19,499/- आहे. अन्य माहिती दिली नाही. अनिल गलगली यांच्या मते राज्याची आर्थिक स्थिती हलाखाची असून काटकसरीची आवश्यकता आहे पण सनदी अधिकारी महाग प्रवास खर्च टाळण्याऐवजी अजूनही पैश्याची उधळपट्टी करत आहे. विडियो कांफ्रेंसने सुद्धा बैठक घेण्याचा किंवा पूर्वनियोजित बैठक रेल्वेने करण्याचा पर्याय आहे, असे सांगत अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पत्र पाठवून सनदी अधिका-यांच्या खर्चिक खर्चास कात्री लावण्याची मागणी केली आहे.

Board members of MMRCL splurge on business class tickets worth Rs 14.50 lakhs

At a time when the state exchequer is gripped in a financial crisis and the CM and the Finance Minister is appealing for austerity measures to be followed the board directors of the Mumbai Metro Rail Corporation Ltd (MMRCL) , the body which has been formed to spread a network of Metro Rail service has been found splurging on business class air travel. The cost of Rs 14.50 lakhs has been incurred on such expenses, as per the information provided to RTI Activist Anil Galgali by the MMRCL. RTI Activist Anil Galgali had sought information from the MMRCL about the expenses incurred on the meetings of the Board of Directors including the air travels and other expenses involved. The Public Information Officer and the Special Executive officer of MMRCL Mr P D Yerkutwar informed details of total 9 meetings , of which 4 meetings were held in Delhi and 5 in Mumbai. Out of 30 tickets, 24 tickets bought for meetings were of business class and remaining 6 of economy class. Out of the 24 tickets 3 trips each of Nitin Kareer and UPS Madan were borne by the state government, simultaneously the expenses pertaining to D K Jain was not available with MMRCL as informed. If we take a list of top 5 spendings it starts with Principal Secretary of Urban Development department Dr Nitin Kareer grossing Rs 74,269/- on a business class on 27th May 2016, followed by MMRDA Commissioner UPS Madan Rs 63,567/-, A A Bhat Rs 61,802/-, MMRCL MD Ashwini Bhide Rs 60,977/-, and Jhanja Tripathi Rs 60,531/-. # Incomplete information on expenses pertaining to Stay and Vehicles Incomplete information pertaining to expenses incurred on the stay and Vehicular traveling was provided by MMRCL. For the meeting held in Mumbai at the MMRDA headquarters on 6th December 2014 , expenses on stay of 4 officers were Rs 50,114/- , also expenses for stay of Mukundkumar Sinha was Rs 3048/- & Rs 2180/- and Madhusudan Prasad Rs 6097/-. The expenses incurred on the other 26 officers was not provided. Similarly the expenses incurred on vehicles for 8 officials was Rs 19,499/- . Information about the expenses on other 27 officers was not provided. In a view expressed by Anil Galgali, when the state is going through a bad phase in terms of finance, it is the need of the hour to not indulge in waste full expenses and it was necessary for the IAS officers to exhibit concern and not indulge in splurging by spending on business class tickets. The meetings can nowadays be held through video conferencing as well, also as these meetings are pre planned the travel can be done by train as well, claimed Galgali in a letter addressed to the CM Devendra Fadnavis, he further demanded that the CM issues instructions to the gazetted officers to exercise control on spendings and issue limits on them.

Monday 18 July 2016

सरकार की अनुमति लिए बिना ही एकनाथ खडसे का रामटेक बंगले में अवैध कब्जा

नैतिकता का दावा कर मंत्री पद से इस्तीफा देनेवाले भाजपा नेता और पूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे आज भी मलबार हिल स्थित रामटेक बंगले में आराम फरमा रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार की अनुमति लिए बिना ही एकनाथ खडसे बंगले में रहने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र सरकार ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से एकनाथ खडसे को दिए हुए 2 बंगलों की जानकारी मांगी थी। महाराष्ट्र सरकार के अवर सचिव और जन सूचना अधिकारी शि.म.धुले ने अनिल गलगली को बताया कि एकनाथ खडसे, पूर्व मंत्री के कब्जे में एकही रामटेक बंगला हैं जो उन्होंने आज तक खाली नहीं किया हैं। खडसे को सरकारी निवासस्थान में रहने की अनुमति नहीं दी गई हैं। रामटेक बंगला दिनांक 19 नवंबर 2014 को खडसे दिया गया था जिसका कुल एरिया 8857 वर्ग फुट हैं। शि.म.धुले ने अनिल गलगली को दिनांक 1 मार्च 2014 का सरकारी निर्णय की कॉपी दी जिसमें मंत्री पद से पदमुक्त होने के दिनांक से15 दिनों के भीतर सरकारी निवासस्थान सरकार को सौंपना आवश्यक हैं और अगर सरकार की अनुमति से आगे 3 महीने निवास किया गया तो रु 25/- प्रति वर्ग फूट महीना किराया एवमं अंतर्गत सुविधाओं का पूर्ण चार्ज वसूल किया जाता हैं। लेकिन खडसे को किसी भी तरह की अनुमति सरकार ने नहीं देने से वे अवैध तरीके से निवास कर रहे हैं। दिनांक 4 जून 2016 को इस्तीफा देने के बाद 19 जून 2016 को बंगला खाली करना आवश्यक था। महाराष्ट्र सरकार ने एकनाथ खडसे पर की हुई केलेली मेहरबानी गलत हैं और अनुमति नहीं होने से अवैध तरीके से निवास करनेवाले खडसे पर कारवाई करते हुए बंगला खाली करे, ऐसी मांग अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे हुए पत्र में की हैं।राज्य सरकार के कर्मचारियों का निवासस्थान ताबडतोब खाली करनेवाले अधिकारी एकनाथ खडसे जैसे पूर्व मंत्रियों के मामले में नरमी बरतने पर अनिल गलगली ने आश्चर्य व्यक्त किया हैं

शासन परवानगीशिवाय एकनाथ खडसेचा रामटेक बंगल्यात बेकायदेशीर वास्तव्य

नैतिकतेचा दावा करत मंत्री पदाचा राजीनामा देणारे भाजपा नेते आणि माजी महसूल मंत्री एकनाथ खडसे हे आजही मलबार हिल येथील रामटेक बंगल्यात राहत आहेत. शासन परवानगीशिवाय एकनाथ खडसेचा बंगल्यात वास्तव्य असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महाराष्ट्र शासनाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र शासनाकडे एकनाथ खडसे यांच्या ताब्यात असलेल्या 2 बंगल्याची माहिती विचारली होती. महाराष्ट्र शासनाचे अवर सचिव आणि जन माहिती अधिकारी शि.म.धुळे यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की एकनाथ खडसे, माजी मंत्री यांच्या ताब्यात एकच रामटेक बंगला असून तो त्यांनी अद्याप रिक्त केलेला नाही. खडसे यांना शासकीय निवासस्थान मुदतवाढीसाठी परवानगी दिलेली नाही. रामटेक बंगला दिनांक 19 नोव्हेंबर 2014 रोजी खडसे यांस दिला होता ज्याचे क्षेत्रफळ 8857 चौरस फुट आहे. शि.म.धुळे यांनी अनिल गलगली यांस दिनांक 1 मार्च 2014 चा शासन निर्णयाची प्रत दिली ज्यात मंत्री पदावरुन पदमुक्त झाल्याच्या दिनांकापासून 15 दिवसांच्या आत शासकीय निवासस्थान शासनाकडे सुपूर्द करणे आवश्यक आहे तर शासनाच्या परवानगीने पुढील 3 महिने राहिल्यास रु 25/- प्रति चौरस फूट दरमहा भाडे व अंतर्गत सुविधांसाठी पूर्ण आकार वसूल केला जातो पण खडसे यांस कोणतीही परवानगी शासनाने दिली नसल्यामुळे ते बेकायदेशीर वास्तव्य करत आहे. दिनांक 4 जून 2016 रोजी राजीनामा दिल्यानंतर 19 जून 2016 रोजी बंगला रिक्त करणे आवश्यक होते. शासनाने एकनाथ खडसेवर केलेली मेहरबानी चुकीची असून परवानगी नसताना बेकायदेशीर वास्तव्य करणा-या खडसेवर कारवाई करत बंगला रिक्त करावा, अशी मागणी अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस लिहिलेल्या पत्रात केली आहे. राज्य शासनातील कर्मचा-यांचे निवासस्थान ताबडतोब रिक्त करणारे अधिकारी एकनाथ खडसे सारख्या माजी मंत्र्यांच्या बाबतीत सौम्यता बाळगत असल्याबद्दल अनिल गलगली यांनी आश्चर्य व्यक्त केले.

Eknath Khadse illegally occupying government bungalow 'Ramtek' . No government permission taken.

BJP leader and former Revenue Minister Eknath Khadse, who claimed to resign on moral grounds, continues to be in possession of the government bungalow allotted to him as a Minister without seeking any government approvals. The state government in a response to an RTI query filed by Activist Anil Galgali provided the information stating that Khadse continues to be in occupation of the government bungalow. RTI Activist Anil Galgali had sought information from the government about purported possession of two bungalows by Eknath Khadse. The Under Secretary & Public Information Officer Mr S M Dhule informed Anil Galgali that, Ex Minister Eknath Khadse is in possession of only one bungalow namely 'Ramtek', which is still not vacated by him and in his possession. Mr Khadse has not been given an extension for stay. This bungalow was allotted to Mr Khadse on 19th November 2014 and admeasuring 8857 sq ft. PIO Mr S M Dhule also provided Galgali with a GR dated 1st March 2014, which states that, a Minister on ceasing to be a Minister has to vacate the allotted bungalow within 15 days from the date of ceasing. He can further occupy the bungalow for a further 3 months after seeking permission from the government. But in such case where government permits the extension of stay , he has to pay a monthly rent of Rs 25/- per sq ft, also he has to pay extra for the other services provided in the bungalow. But Mr Khadse has not been given any permission to extend his stay in the bungalow and hence his stay is illegal. It was imperative for him to vacate the bungalow on 19th June 2016 as he had resigned on 4th June 2016. The government is providing undue favours to Khadse, alleged Galgali. The government should ensure that the bungalow is immediately vacated by Khadse and should take action against him for illegal occupation for the extra period demanded Galgali in a letter addressed to CM Devendra Fadnavis. He further expressed surprise over the inaction of the government officials in this matter and commented that, the activeness shown by the authorities in getting the government allotments of the staff is missing when it comes to showing the activeness in front of persons like Mr Khadse.

Saturday 16 July 2016

मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने क्रिकेट वर्ल्ड कप की पुलिस बंदोबस्त का रु 3.60 करोड़ अदा नहीं किया

मुंबई पुलिस दल के हजारों पुलिस क्रिकेट वर्ल्ड कप के बंदोबस्त के लिए तैनात किए जाते हैं जिसका बंदोबस्त शुल्क देने से मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने बड़ी देरी की हैं। पिछले 6 क्रिकेट मैच को उपलब्ध कराई पुलिस बंदोबस्त का रु 3.60 करोड़ आजतक अदा न करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई पुलिस ने दी हैं। एनसीपी नेता शरद पवार और भाजपा नेता आशिष शेलार के पैनल का राज मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन पर होने से मुंबई पुलिस सावधानी बरत रही हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई पुलिस से 1 जनवरी 2011 से संपन्न हुए क्रिकेट प्रतियोगिता के लिए उपलब्ध कराई पुलिस बंदोबस्त और शुल्क की जानकारी मांगी थी। जन सूचना अधिकारी और सहायक पुलिस आयुक्त (समन्वय) रमेश घडवले ने बंदोबस्त शाखा ने दी हुई जानकारी उपलब्ध कराते हुए बताया कि आईसीसी टी-20 क्रिकेट विश्वकप 2016 अंतर्गत रु 60 लाख के हिसाब से 6 मैच का रु 3.60 कोटी शुल्क प्रलंबित हैं। दिनांक 10 मार्च को न्यूझिलंड विरुद्ध श्रीलंका, 12 मार्च को न्यूझिलंड विरुद्ध इंग्लंड और इंडिया विरुद्ध दक्षिण आफ्रिका, दिनांक 16 मार्च को वेस्ट इंडीज विरुद्ध इंग्लंड, दिनांक 18 मार्च को दक्षिण आफ्रिका विरुद्ध इंग्लंड, दिनांक 20 मार्च कोणदक्षिण आफ्रिका विरुद्ध वेस्ट इंडीज और दिनांक 31 मार्च 2016 को इंडिया विरुद्ध वेस्ट इंडीज ऐसे 6 मैच हुए थे। आरटीआई के बाद जागी मुंबई पुलिस मुंबई पुलिस ने 3756 इतना बड़ा और भारी भरकम पुलिस बंदोबस्त दिया लेकिन उसके के लिए खर्च हुए शुल्क वसूल किया नहीं। अनिल गलगली की आरटीआई के बाद दिनांक 24 जून 2016 को पुलिस उपायुक्त अशोक दुधे (अभियान) ने सशस्त्र पुलिस दल के पुलिस उप आयुक्त को लिखित पत्र भेजकर पुलिस बंदोबस्त का रु 3.60 करोड़ की रकम वसूल करने की सूचना की। लेकिन अबतक मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने कोई रिस्पांस नहीं दिया हैं। ब्याज पर छोड़ा पानी गत 4 महीने से बकाया करोडों की रकम वसूल करने की जो कार्यवाही शुरु की हैं उसपर आनेवाला ब्याज पर मुंबई पुलिस ने पानी छोड़ दिया हैं। रु 3.60 करोड़ की बकाया रकम पर ब्याज न लेने की मुंबई पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़ा किया जा रहा हैं।। इसके पहले 2011 में हुए 4 मैच का बंदोबस्त शुल्क रु 2 करोड़ 65 लाख 49 हजार 885 अदा किया गया हैं। अनिल गलगली के अनुसार पुलिस बंदोबस्त की दम पर बड़े पैमाने पर प्रॉफिट कमानेवाली मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को बंदोबस्त शुल्क ताबडतोब अदा करने की जरुरत हैं। सशस्त्र दल की लापरवाही से शुल्क वसूल नहीं किए जाने से पुलिस आयुक्त जिम्मेदार अधिकारियों पर नियमानुसार कारवाई करे और ऐसे मैच का शुल्क मैच खत्म होते ही वसूल करे या क्रिकेट की प्रतियोगिता के आयोजक से पहले ही शुल्क वसूल करे। जिससे पुलिस को बंदोबस्त का शुल्क वसूली करने में दिक्कत का सामना करने की नौबत नहीं आए।

मुंबई क्रिकेट एसोसिएशनने क्रिकेट वर्ल्ड कप पोलीस बंदोबस्ताचे 3.60 कोटी थकविले

मुंबई पोलीस दलातील हजारों पोलीस क्रिकेट वर्ल्ड कपच्या बंदोबस्तासाठी जुंपले जात असून त्या बंदोबस्ताचे शुल्क अदा करण्यात मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन चालढकल करत आहे. मागील 6 क्रिकेट स्पर्धेकरिता पुरविण्यात आलेल्या पोलीस बंदोबस्ताचे रु 3.60 कोटी आजपर्यंत अदा केले नसल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई पोलीसांनी दिली आहे. एनसीपी नेते शरद पवार आणि भाजपा नेते आशिष शेलार यांच्या पैनलची निर्विवाद सत्ता मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन यात असल्यामुळेच मुंबई पोलीस सावधगिरी बाळगत आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई पोलीसांकडे 1 जानेवारी 2011 पासून संपन्न झालेल्या क्रिकेट स्पर्धेसाठी दिला गेलेला पोलीस बंदोबस्त आणि शुल्काची माहिती मागितली होती. जन माहिती अधिकारी आणि सहायक पोलीस आयुक्त (समन्वय) रमेश घडवले यांनी बंदोबस्त शाखेने दिलेली माहिती उपलब्ध करत कळविले की आयसीसी टी-20 क्रिकेट विश्वकप 2016 अंतर्गत प्रत्येकी रु 60 लाख प्रमाणे 6 सामन्याचे रु 3.60 कोटी शुल्क प्रलंबित आहे. दिनांक 10 मार्च रोजी न्यूझिलंड विरुद्ध श्रीलंका, 12 मार्च रोजी न्यूझिलंड विरुद्ध इंग्लंड आणि इंडिया विरुद्ध दक्षिण आफ्रिका, दिनांक 16 मार्च रोजी वेस्ट इंडीज विरुद्ध इंग्लंड, दिनांक 18 मार्च रोजी दक्षिण आफ्रिका विरुद्ध इंग्लंड, दिनांक 20 मार्च रोजी दक्षिण आफ्रिका विरुद्ध वेस्ट इंडीज आणि दिनांक 31 मार्च 2016 रोजी इंडिया विरुद्ध वेस्ट इंडीज असे 6 सामने झाले होते. आरटीआय नंतर वसूली कार्यवाही सुरु मुंबई पोलीसांनी 3756 इतका प्रचंड पोलीस बंदोबस्त दिला पण त्यासाठी आकारलेले शुल्क वसूल केलेच नाही. अनिल गलगली यांच्या आरटीआय अर्जानंतर दिनांक 24 जून 2016 रोजी पोलीस उपायुक्त अशोक दुधे (अभियान) यांनी सशस्त्र पोलीस दलाचे पोलीस उप आयुक्त यांस लेखी पत्र पाठवून पोलीस बंदोबस्ताची रु 3.60 कोटीची रक्कम वसूल करण्याची सूचना केली. पण अद्यापपर्यंत मुंबई क्रिकेट एसोसिएशनने कोणतीही दाद दिली नाही. व्याज आकारले नाही गेल्या 4 महिन्यापासून थकबाकी असलेली कोटयावधीची रक्कम वसूल करण्यासाठी जी कार्यवाही सुरु आहे त्या रक्कमेवर मुंबई पोलीसांनी कोणतेही व्याज आकारले नाही. रु 3.60 कोटीची थकबाकी रक्कमेवर व्याज न आकारण्यामुळे मुंबई पोलिसांच्या भूमिकेवर प्रश्नचिन्ह निर्माण झाले आहे. यापूर्वी 2011 मध्ये झालेल्या 4 सामन्यांचे बंदोबस्त शुल्क रु 2 कोटी 65 लाख 49 हजार 885 अदा करण्यात आली आहे. अनिल गलगली यांच्या मते पोलीस बंदोबस्ताच्या बळावर अफाट नफा कमविणा-या मुंबई क्रिकेट एसोसिएशनने बंदोबस्त शुल्क ताबडतोब अदा करणे आवश्यक होते. सशस्त्र दलाच्या निष्काळजीपणामुळे शुल्क वसूल केले नसून पोलीस आयुक्तांनी जबाबदार अधिकारीवर्गावर नियमाप्रमाणे कार्यवाही करत अश्या सामन्यांचे शुल्क सामना संपताच वसूल करावे किंवा क्रिकेट स्पर्धा आयोजकांकडून आधीच शुल्क वसूल करावे. जेणेकरुन पोलीसांस बंदोबस्ताचे शुल्क वसूलीचा मनस्ताप सहन करावा लागणार नाही.

Mumbai Cricket Association yet to clear Police dues of Rs 3.60 crores for bandobast provided for matches

Mumbai Cricket Association (MCA) requires thousands of police personnel to man the security during the matches played out in MUMBAI, but when it comes to making payments for utilising the services, the attitude becomes lethargic. In an information provided to RTI Activist Anil Galgali by the police department, it has come to light that the department is yet to receive Rs 3.60 crores as charges for providing security for the last 6 matches. The Mumbai Police is on a cautionary mode as the MCA is controlled by NCP supremo Sharad Pawar and BJP leader Ashish Shelar's panel RTI Activist Anil Galgali had sought information from the Mumbai Police about details of security provided during matches to MCA and it's charges since 1st January 2011 onwards. The Public Information Officer and Asst Police Commissioner (Coordination) Ramesh Ghadavale provided the information compiled by the Bandobast Division that, during the ICC T-20 World cup in 2016 , 6 matches were played in Mumbai for which Rs 60 lakhs per match was charged amounting to Rs 3.60 crores, which is still due from the MCA. On 10th March New Zealand V/s Srilanka, 12 th March - New Zealand V/s England and India V/s South Africa, 16th March - West Indies V/s England, 18th March - South Africa V/s England, 20th March - South Africa v/s West Indies and 31st March - India V/s West Indies were played out. # Payment collection procedure initiated after receiving the RTI query The Mumbai Police provided it's 3756 personal for bandobast duty but failed to recover the payment of the bills raised. After receiving the RTI query filed by Anil Galgali, On 24th June 2016 , DCP (Campaign) Ashok Dudhe sent a letter to DCP ( Local Arms) to follow up for payment of Rs 3.60 crores with MCA . But the MCA has yet to take cognisance of the issue. # No levy of Interest charges for the delayed payment The dues of Rs 3.60 crores pending since past 4 months has not been charged interest as of now. The complacency the Police department towards recovery and the laxity exhibited by bot charging interest on the dues has raised questions on the working of the department. Prior to this, in 2011 the Police department was paid Rs 2 crores 65 lakhs 49 thousand 885 for providing bandobast for 4 matches. According to Anil Galgali, it was obligatory for the MCA to make immediate payment of the police dues for the security provided for the matches, which is a huge revenue earner for the MCA. Also the Police Commissioner should take action against the responsible officers of the Local Arms divisions for not pursuing the payment recovery of the services provided. They should also ensure that the payment henceforth be collected in advance or at least immediately on completion of the match, so that the department does not have to bear the stress for ensuring recovery of the dues.

Monday 11 July 2016

विजय मल्या की जानकारी देने से मुकदमा दायर करने की प्रक्रिया में रुकावट आएगी - स्टेट बैंक ऑफ इंडिया

देश से फरार हुआ दिवालिया उद्योगपति विजय मल्या और मेसर्स किंगफिशर एयरलाइन्स लिमिटेड को दिया हुआ लोन और लोन देने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर की बैठक में मंजूर प्रस्ताव की जानकारी देने से जांच करना, गिरफ्तार करना और मुकदमा दायर करने की प्रक्रिया में रुकावट आएगी, ऐसा दावा कर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को जानकारी देने से मना किया। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से जानकारी मांगी थी कि विजय मल्या को दिया हुआ लोन और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में पेश किया हुआ एजेंडा, मंजूर प्रस्ताव और मिनट्स की कॉपी दे। अनिल गलगली के आवेदन पर जबाब देते हुए तनावग्रस्त प्रबंधन शाखा के उप महाप्रबंधक ने बताया कि यह मामला न्यायप्रविष्ठ और जांच प्राधिकरण के समक्ष प्रलंबित हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 (ज) अन्वये सूचना देने से इनकार किया गया। इस धारा के अनुसार " जिस जानकारी से अपराधियों की जांच करना या उसे गिरफ्तार करना या उसपर मुकदमा दायर करने की प्रक्रिया में रुकावट आएगी, ऐसी जानकारी " ताज्जुब की बात यह हैं कि जिस बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में विजय मल्या को लोन मंजूर किया गया उस बैठक में उपस्थितों की लिस्ट भी नहीं दी गई। अनिल गलगली ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के इस तर्क वाले आदेश के खिलाफ प्रथम अपील दायर की हैं।अनिल गलगली के अनुसार विजय मल्या जैसे दिवालियों को जिन अधिकारियों ने मदद की हैं उनके नाम को सार्वजनिक करने के लिए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में पेश किया हुआ एजेंडा, मंजूर प्रस्ताव और मिनिट्स की जानकारी इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि मल्या तो दोषी हैं लेकिन उन्हें मदद करनेवाले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी भी जो जनता के पैसे सुरक्षित रखने में असफल हुए हैं और जिन्हें आजतक गिरफ्तार नहीं किया गया हैं । ऐसे लोन देते वक्त बनाया गया एजेंडा, मंजूर प्रस्ताव और मिनिट्स इसके पहले ही सर्कुलेट होने से इससे किसी भी जांच में रुकावट नहीं आएगी।

विजय मल्याची माहिती दिल्यास खटला दाखल करण्याच्या प्रक्रियेत अडथळा येईल- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया

देशातून फरार झालेला दिवाळखोर उद्योगपति विजय मल्या आणि मेसर्स किंगफिशर एयरलाइन्स लिमिटेड यांस दिलेले कर्ज आणि कर्ज देण्यासाठी स्टेट बैंक ऑफ इंडियाच्या बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टरच्या बैठकीत मंजूर प्रस्तावाची माहिती दिल्यास तपास करणे, अटक करणे किंवा खटला दाखल करण्याच्या प्रक्रियेत अडथळा येईल, असा दावा करत स्टेट बैंक ऑफ इंडियाने आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस माहिती नाकारली. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी स्टेट बैंक ऑफ इंडियाकडे माहिती मागितली होती की विजय मल्या यांस दिलेले एकूण कर्ज आणि बोर्ड ऑफ डायरेक्टरच्या बैठकीत सादर केलेला एजेंडा, मंजूर प्रस्ताव आणि इतिवृत्तांताची प्रत दयावी. अनिल गलगली यांच्या अर्जावर उत्तर देत तनावग्रस्त मत्ता व्यवस्थापन शाखेचे उप महाव्यवस्थापक यांनी कळविले की सदर प्रकरण न्यायप्रविष्ठ आणि चौकशी प्राधिकरणाकडे प्रलंबित आहे. माहितीचा अधिकार अधिनियम 2005 चे कलम 8 (ज) अन्वये नाकारण्यात येत आहे. सदर कलम असे सांगते की " ज्या माहितीमुळे अपराध्यांचा तपास करणे किंवा त्यांना अटक करणे किंवा त्यांच्यावर खटला दाखल करणे या प्रक्रियांमध्ये अडथळा येईल, अशी माहिती " विशेष म्हणजे बोर्ड ऑफ डायरेक्टरच्या बैठकीत उपस्थित असलेल्या सर्वाची नावे आणि पदनाम ही माहिती सुद्धा दिली नाही. अनिल गलगली यांनी स्टेट बैंक ऑफ इंडियाच्या या युक्तीवादाच्या आदेशाविरोधात प्रथम अपील दाखल केले आहे. विजय मल्या सारख्या दिवाळखोरांस ज्या अधिका-यांनी मदत केली आहे त्यांची नावे उघडकीस आणण्यासाठी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर यांच्या बैठकीत सादर झालेला एजेंडा, मंजूर प्रस्ताव आणि इतिवृत्तांताची माहिती मिळणे आवश्यक आहे कारण मल्या हे तर दोषी आहेत पण त्यांस मदत करणा-या स्टेट बैंक ऑफ इंडियाच्या वरिष्ठ सुद्धा तेवढेच. कारण जनतेचे पैसे सुरक्षित ठेवण्यात यांस अपयश आले आहे आणि ज्यांस आजपर्यंत अटक झाली नाही. अश्या कर्जाबाबत तयार केलेला एजेंडा, मंजूर प्रस्ताव आणि इतिवृत्तांत पुर्वीच सर्कुलेट झाल्याने यामुळे कोणत्याही तपास कामात अडथळा येणार नाही.

Giving information on Vijay Mallya can create Hurdle's in the prosecution of offenders feels State Bank of India

The information sought about Vijay Mallya, who has absconded and fled from the country for non payment of bank loans to himself and his companies namely M/s Kingfisher Airlines Ltd and the details of the board meeting held by the State Bank of India's Board of directors for sanctioning the loan , if revealed could create hurdles in future for arresting or filing cases against Mallya have been cited by the State Bank officials for refusing the information sought by RTI Activist Anil Galgali RTI Activist Anil Galgali had sought information from the State Bank of India about the total quantum of loan extended to Vijay Mallya and also the details of the Board of directors meetings such as Agenda, proposal, approvals and the Minutes of the meeting in which the loan proposals were sanctioned. In a response to the query the Deputy General Manager and Public Information Officer of the Stressed Assets Management Branch informed that the case is subjudice and is pending before the enquiry commission and deriving exemption from disclosure under Section 8(1)(h) of Right to Information Act. Section indicated that the information which would impede the process of investigation or apprehension or prosecution of offenders, the information was refused, surprisingly they also refused to reveal the names of the persons and their designation, who attended the Board of Directors meeting. Anil Galgali has filed the first appeal against the response of the State Bank on his query. Galgali further stressed that the people who helped defaulters like Vijay Mallya should be exposed and it is important for the bank to provide the details of the Board meetings in which the loans were sanctioned, also the releasing of the meeting Agenda, approval resolution and the Minutes of the meetings are already circulated in the banks and hence providing the same will not hamper the proceedings in any manner. The Bank authorities are also equally responsible for the loss of public funds for sanctioning huge loans to such people and should be arrested and prosecuted, add Galgali.

Thursday 7 July 2016

लोकायुक्त के आदेश के बाद मनपा के 2 प्रमुख अभियंता गिरफ्तार

मुंबई मनपा ने सडक काम में हुए भ्रष्टाचार और धांदली के चलते जांच कर 6 ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज की। इस सच्चाई को नकारते हुए जिन ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई हैं उनमें से ही आरपीएस इन्फ्रा प्रोजेक्ट और जे कुमार को हँकॉक के अलावा यारी रोड, मिठी नदी और विक्रोली उड्डाणपूल का नया ठेका बहाल करना और गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड इस1300 करोड़ के काम में दोबारा एफआईआर दर्ज ठेकेदारों में से ही ठेकेदारों पर दिखाई गई मेहरबानी की जांच करने की मांग आरटीआई कार्यकर्ते अनिल गलगली ने राज्य के लोक आयुक्त एम एल तहलियानी से की थी। लोकायुक्त श्री तहलियानी के आदेश के बाद मनपा के 2 प्रमुख अभियंता को आझाद मैदान पुलिस ने गिरफ्तार किया हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने राज्य के लोक आयुक्त एम एल तहलियानी के पास शिकायत में आश्चर्य व्यक्त किया हैं कि एकओर ठेकेदार पर मनपा एफआईआर दर्ज करती हैं दूसरीओर उसी ठेकेदारों हँकॉक के अलावा यारी रोड, मिठी नदी और विक्रोली उड्डाणपूल कानया ठेका देती हैं। यह विचित्र मामला हैं। इसके अलावा गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड इस 1300 करोड़ो के काम में भी एफआईआर दर्ज हुए ठेकेदारों पर मनपा मेहरबान हैं और हाल ही में शार्ट लिस्टिंग में उनमें से ही 2 ठेकेदार वैध साबित हुए हैं। एक बार मनपा फस गई है जिससे बदनामी होते हुए उसी ठेकेदारों को नया नया काम देने से मनपा की भूमिका पर संदेह निर्माण हो रहा हैं। अनिल गलगली की लोकायुक्त से मांग की थी कि सभी मामले को गंभीरता से लेते हुए महानगरपालिका आयुक्त से एवं गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड इस नए काम का वस्तुस्थिती पर आधारित रिपोर्ट मंगवाकर मुंबईकरों की और मनपा की होनेवाला फ्रॉड को रोके और दर्ज एफआईआर के मद्देनजर सू-मोटो लेते हुए कार्यवाही करे। अनिल गलगली की शिकायत के बाद राज्य के लोकायुक्त एम एल तहलियानी ने जिम्मेदार अधिकारियों पर भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कानून के तहत कारवाई करने का आदेश दिया था। मुंबई पुलिस ने सड़क विभाग के प्रमुख अभियंता अशोक पद्मसिंह पवार(57) और विजिलेंस विभाग के प्रमुख अभियंता उदय नामदेव मुरुडकर (54) को बड़े गिरफ्तार किया हैं।

लोकायुक्तांच्या आदेशानंतर पालिकेचे 2 मुख्य अभियंत्यांस झाली अटक

मुंबई महानगरपालिकेने रस्ते कामात झालेला भ्रष्टाचार आणि सावळा गोंधळ लक्षात घेता चौकशी करत 6 कंत्राटदारावर गुन्हे दाखल केले. ही वस्तुस्थिती असताना ज्या कंत्राटदारावर गुन्हे दाखल झाले त्यापैकी आरपीएस इन्फ्रा प्रोजेक्ट आणि जे कुमार यांस हँकॉकसह यारी रोड, मिठी नदी आणि विक्रोळी उड्डाणपूलाचे नवीन कंत्राट बहाल करणे तसेच गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड या 1300 कोटीच्या कामात पुनश्च कंत्राटदारावर दाखविलेली मेहरबानीची चौकशी करत कार्यवाही करण्याची मागणी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी राज्याचे लोकायुक्त एम एल तहलियानी यांच्याकडे केली होती. लोकायुक्त लोकआयुक्त श्री तहलियानी यांच्या आदेशानंतर पालिकेचे 2 मुख्य अभियंत्यांस आझाद मैदान पोलीसांनी अटक केली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी राज्याचे लोक आयुक्त एम एल तहलियानी यांच्याकडे पाठविलेल्या तक्रारीत आश्चर्य व्यक्त केले होते की एकीकडे ज्या कंत्राटदारावर पालिका गुन्हे दाखल करते त्याच कंत्राटदाराना नवीन काम देते, हा प्रकार विचित्र आहे. त्याचशिवाय गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड या 1300 कोटीच्या कामात सुद्धा एफआयआर दाखल झालेल्या कंत्राटदारावर पालिका मेहरबान झाले असून नुकतेच निविदेच्या छाननीअंती त्यापैकीच 2 पात्र ठरले आहेत. अनिल गलगली यांनी मागणी केली होती की सर्व बाबीची दखल घेत महानगरपालिका आयुक्तांकडून हँकॉकसह यारी रोड, मिठी नदी आणि विक्रोळी उड्डाणपूल तसेच गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड या नवीन कामाचा वस्तुस्थितीवर आधारित अहवाल मागवित मुंबईकरांची आणि पालिकेची होणारी फसवणूक थांबवावी तसेच यापूर्वी दाखल गुन्ह्याबाबत सू-मोटो घेत कार्यवाही करावी. अनिल गलगली यांच्या तक्रारी नंतर राज्याचे लोक आयुक्त एम एल तहलियानी यांनी जबाबदार अधिकारीवर्गावर भ्रष्टाचार निरोधक कायदाअन्वये कारवाई करण्याचे आदेश दिले होते. मुंबई पोलीसांनी रस्ते विभागाचे मुख्य अभियंता अशोक पद्मसिंह पवार(57) आणि दक्षता विभागाचे मुख्य अभियंता उदय नामदेव मुरुडकर (54) यांस अटक केली आहे.

2 Bmc Chief Engineer arrested after Lolayukta cracks

BMC which has found itself under the lens due to the tremendous corruption and irregularities in the road contracts of the island city, has once again managed top grab eyeballs due to its allocation of works yet again to couple of Accuse contractors. Already there have been FIR's lodged on 6 of the contractors, who have been found guilty of shoddy works. But again not learning from any of their past mistakes, BMC has gone ahead and awarded two of the 6 Accused contractors, M/s RPS Infra Projects and M/s J Kumar works at Hackock Yari Road, Mithi River and Vikroli Flyover. To add salt to the wound BMC has also managed to help them get listed as one of the party to fill in the tender for the ambitious 1300 crore project of the Goregaon Mulund link road. After RTI Activist Anil Galgali complaint to the Maharashtra Lokayukta Justice (retd) M L Tahaliyani order to inquire of the entire episode and accordingly initiate action on the BMC and its officials responsible for creating such a mess. Bmc Chief Engineer arrested after Lolayukta cracks In his letter to the Lokayukta, Anil Galgali has expressed his displeasure and surprise at the attitude of the BMC who on one side has lodged FIR's and on the second hand goes out of the way to promote these firms in getting works. Also the biggest surprise comes or rather it invites suspicion on the attitude of the BMC, who have helped these 2 companies to get Hackock, Yari Road, Mithi River and Vikroli Flyover works and Goregaon-Mulund Link road project. As usual, at the end of short listing of tendering only 2 companies were left who were to compete against each other for the work to get allocated. This is surely inviting suspicion against the BMC, quips Galgali. Anil Galgali also ask to lokayukta to take action on guilty officials involved. After Galgali complaint Lokayukta Mr M L Tahaliyani order to take action on responsible Bmc officer's under the prevention of corruption act. Mumbai Police arrested Road's department Chief Engineer Ashok Pawar(57) and Vigilance Department Chief Engineer Uday Murudkar(55).

Tuesday 5 July 2016

मनपा के नए काम का ठेका : लोकायुक्त ने जिम्मेदार मनपा अधिकारियों पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत कारवाई करने का दिया आदेश

मुंबई मनपा ने सडक काम में हुए भ्रष्टाचार और धांदली के चलते जांच कर 6 ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज की। इस सच्चाई को नकारते हुए जिन ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई हैं उनमें से ही आरपीएस इन्फ्रा प्रोजेक्ट और जे कुमार को हँकॉक के अलावा यारी रोड, मिठी नदी और विक्रोली उड्डाणपूल का नया ठेका बहाल करना और गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड इस1300 करोड़ के काम में दोबारा एफआईआर दर्ज ठेकेदारों में से ही ठेकेदारों पर दिखाई गई मेहरबानी की जांच करने की मांग की गई थी। इस शिकायत पर सुनवाई करते हुए राज्य के लोकायुक्त एम एल तहलियानी के ने जिम्मेदार मनपा अधिकारियों पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत कारवाई करने का आदेश दिया हैं। आरटीआई कार्यकर्ते अनिल गलगली ने राज्य के लोकायुक्त एम एल तहलियानी के पास शिकायत में आश्चर्य व्यक्त किया हैं कि एकओर ठेकेदार पर मनपा एफआईआर दर्ज करती हैं दूसरीओर उसी ठेकेदारों को नया ठेका देती हैं। यह विचित्र मामला हैं। इसके अलावा गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड इस 1300 करोड़ो के काम में भी ठेकेदारों पर मनपा मेहरबान हैं और हाल ही में शार्ट लिस्टिंग में उनमें से ही 2 ठेकेदार वैध साबित हुए हैं। एक बार मनपा फंस गई है जिससे बदनामी होते हुए उसी ठेकेदारों को नया नया काम देने से मनपा की भूमिका पर संदेह निर्माण हो रहा हैं। मुंबई मनपा के विरोधी पक्ष नेता प्रवीण छेडा और अनिल गलगली ने की हुई अलग अलग शिकायतों की सुनवाई एक साथ ली गई। इस सुनवाई में पुलिस उपायुक्त डॉ मनोज शर्मा, मनपा अधिकारी लक्ष्मण वटकर, एस ओ कोरी आदि उपस्थित थे। लोकायुक्त एम एल तहलियानी ने साफ़ किया हैं कि जबतक सरकारी अधिकारी की मिलीभगत नहीं होती हैं तब तक ऐसा भ्रष्टाचार होना संभव नहीं हैं।

पालिकेच्या नवीन कामाचे कंत्राट: लोकायुक्तांनी जबाबदार पालिका अधिका-यांवर भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कायदाअंतर्गत कारवाईचे आदेश

मुंबई महानगरपालिकेने रस्ते कामात झालेला भ्रष्टाचार आणि सावळा गोंधळ लक्षात घेता चौकशी करत 6 कंत्राटदारावर गुन्हे दाखल केले. ही वस्तुस्थिती असताना ज्या कंत्राटदारावर गुन्हे दाखल झाले त्यापैकी आरपीएस इन्फ्रा प्रोजेक्ट आणि जे कुमार यांस हँकॉकसह यारी रोड, मिठी नदी आणि विक्रोळी उड्डाणपूलाचे नवीन कंत्राट बहाल करणे तसेच गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड या 1300 कोटीच्या कामात पुनश्च कंत्राटदारावर दाखविलेली मेहरबानीची चौकशी करण्याची मागणी केली होती. राज्याचे लोक आयुक्त एम एल तहलियानी यांच्याकडे या तक्रारीवर झालेल्या सुनावणीत कंत्राटदारांसोबत जबाबदार पालिका अधिका-यांवर सुद्धा भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कायदाअंतर्गत कारवाईचे आदेश देण्यात आले. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी राज्याचे लोक आयुक्त एम एल तहलियानी यांच्याकडे पाठविलेल्या तक्रारीत आश्चर्य व्यक्त केले होते की एकीकडे ज्या कंत्राटदारावर पालिका गुन्हे दाखल करते त्याच कंत्राटदाराना हँकॉकसह यारी रोड, मिठी नदी आणि विक्रोळी उड्डाणपूल सारखी नवीन काम देते, हा प्रकार विचित्र आहे. त्याचशिवाय गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड या 1300 कोटीच्या कामात सुद्धा एफआयआर दाखल झालेल्या कंत्राटदारावर पालिका मेहरबान झाले असून नुकतेच निविदेच्या छाननीअंती त्यापैकीच 2 पात्र ठरले आहेत. एकदा पालिका फसली असून त्यामुळे मोठी बदनामी झाली असताना पुनश्च त्याच त्याच कंत्राटदाराना नवनवीन कामे दिली जात असल्यामुळे पालिकेच्या हेतूवर संशय निर्माण होत आहे. मुंबई पालिकेचे विरोधी पक्ष नेता प्रवीण छेडा आणि अनिल गलगली यांनी केलेल्या वेगवेगळया तक्रारीची वेगळी सुनावणी एकत्रित घेण्यात आली. या सुनावणीत पोलीस उपायुक्त डॉ मनोज शर्मा, पालिका अधिकारी लक्ष्मण वटकर, एस ओ कोरी आदि उपस्थित होते. लोकायुक्त एम एल तहलियानी ने स्पष्ट केले की सरकारी अधिका-यांच्या संगनमताशिवाय अश्या प्रकारचा भ्रष्टाचार होणे शक्य नाही.

BMC's new awarded contracts: Lokayukta order take action on responsible bmc officer's under prevention of corruption act

BMC which has found itself under the lens due to the tremendous corruption and irregularities in the road contracts of the island city, has once again managed top grab eyeballs due to its allocation of works yet again to couple of Accuse contractors. Already there have been FIR's lodged on 6 of the contractors, who have been found guilty of shoddy works. But again not learning from any of their past mistakes, BMC has gone ahead and awarded two of the 6 Accused contractors, M/s RPS Infra Projects and M/s J Kumar works at Hackock Yari Road, Mithi River and Vikroli Flyover. To add salt to the wound BMC has also managed to help them get listed as one of the party to fill in the tender for the ambitious 1300 crore project of the Goregaon Mulund link road. Maharashtra Lokayukta Justice M L Tahaliyani order to take action on responsible bmc officer's under prevention of corruption act. In his letter to the Lokayukta, Anil Galgali has expressed his displeasure and surprise at the attitude of the BMC who on one side has lodged FIR's and on the second hand goes out of the way to promote these firms in getting works of Hackock, Yari Road, Mithi River and Vikroli Flyover. Also the biggest surprise comes or rather it invites suspicion on the attitude of the BMC, who have helped these 2 companies to get works for the Goregaon-Mulund Link road project. As usual, at the end of short listing of tendering only 2 companies were left who were to compete against each other for the work to get allocated. This is surely inviting suspicion against the BMC, quips Galgali. Bmc Opposition Leader Pravin Cheda and Anil Galgali both complaints merge and one hearing taken by Lokayukta. DCP Dr Manoj Sharma, Bmc Officer Laxman Vatkar, S O Kori are present in the hearing. Lokayyukta Justice M L Tahaliyani has said that, such corruption is not possible without connivence of government officials.

Monday 4 July 2016

मनपा के नए काम का ठेका : 5 जुलाई को लोक आयुक्त ने रखी सुनवाई

मुंबई मनपा ने सडक काम में हुए भ्रष्टाचार और धांदली के चलते जांच कर 6 ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज की। इस सच्चाई को नकारते हुए जिन ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई हैं उनमें से ही आरपीएस इन्फ्रा प्रोजेक्ट और जे कुमार को हँकॉक के अलावा यारी रोड, मिठी नदी और विक्रोली उड्डाणपूल का नया ठेका बहाल करना और गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड इस1300 करोड़ के काम में दोबारा एफआईआर दर्ज ठेकेदारों में से ही ठेकेदारों पर दिखाई गई मेहरबानी की जांच करने की मांग आरटीआई कार्यकर्ते अनिल गलगली ने राज्य के लोक आयुक्त एम एल तहलियानी के पास करते ही मंगलवार, 5 जुलाई 2016 को सुनवाई रखी हैं जिसमें मनपा आयुक्त, पुलिस आयुक्त और आझाद मैदान पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को बुलावा भेजा हैं। आरटीआई कार्यकर्ते अनिल गलगली ने राज्य के लोक आयुक्त एम एल तहलियानी के पास शिकायत में आश्चर्य व्यक्त किया हैं कि एकओर ठेकेदार पर मनपा एफआईआर दर्ज करती हैं दूसरीओर उसी ठेकेदारों को नया ठेका देती हैं। यह विचित्र मामला हैं। इसके अलावा गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड इस 1300 करोड़ो के काम में भी एफआईआर दर्ज हुए ठेकेदारों पर मनपा मेहरबान हैं और हाल ही में शार्ट लिस्टिंग में उनमें से ही 2 ठेकेदार वैध साबित हुए हैं। एक बार मनपा फस गई है जिससे बदनामी होते हुए उसी ठेकेदारों को नया नया काम देने से मनपा की भूमिका पर संदेह निर्माण हो रहा हैं। अनिल गलगली की लोक आयुक्त से मांग की थी कि सभी मामले को गंभीरता से लेते हुए महानगरपालिका आयुक्त से हँकॉक के अलावा यारी रोड, मिठी नदी और विक्रोली उड्डाणपूल एवं गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड इस नए काम का वस्तुस्थिती पर आधारित रिपोर्ट मंगवाकर मुंबईकरों की और मनपा की होनेवाला फ्रॉड को रोके और दर्ज एफआईआर के मद्देनजर सू-मोटो लेते हुए कार्यवाही करे। गलगली की मांग पर राज्य के लोक आयुक्त एम एल तहलियानी ने जांच के आदेश दिए हैं। मनपा आयुक्त, पुलिस आयुक्त और आझाद मैदान पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को उपस्थित रहने का आदेश दिया गया हैं।

पालिकेच्या नवीन कामाचे कंत्राट: 5 जुलै रोजी लोकआयुक्त घेणार तक्रारीवर सुनावणी

मुंबई महानगरपालिकेने रस्ते कामात झालेला भ्रष्टाचार आणि सावळा गोंधळ लक्षात घेता चौकशी करत 6 कंत्राटदारावर गुन्हे दाखल केले. ही वस्तुस्थिती असताना ज्या कंत्राटदारावर गुन्हे दाखल झाले त्यापैकी आरपीएस इन्फ्रा प्रोजेक्ट आणि जे कुमार यांस हँकॉकसह यारी रोड, मिठी नदी आणि विक्रोळी उड्डाणपूलाचे नवीन कंत्राट बहाल करणे तसेच गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड या 1300 कोटीच्या कामात पुनश्च कंत्राटदारावर दाखविलेली मेहरबानीची चौकशी करत कार्यवाही करण्याची मागणी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी राज्याचे लोक आयुक्त एम एल तहलियानी यांच्याकडे केली होती.मंगळवार 5 जुलै 2016 रोजी लोकआयुक्त श्री तहलियानी तक्रारीवर सुनावणी करणार असून पालिका आयुक्त, पोलीस आयुक्त आणि आझाद मैदान पोलीस ठाण्याचे वरिष्ठ पोलीस निरीक्षक यांस पाचारण केले आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी राज्याचे लोक आयुक्त एम एल तहलियानी यांच्याकडे पाठविलेल्या तक्रारीत आश्चर्य व्यक्त केले होते की एकीकडे ज्या कंत्राटदारावर पालिका गुन्हे दाखल करते त्याच कंत्राटदाराना नवीन काम देते, हा प्रकार विचित्र आहे. त्याचशिवाय गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड या 1300 कोटीच्या कामात सुद्धा एफआयआर दाखल झालेल्या कंत्राटदारावर पालिका मेहरबान झाले असून नुकतेच निविदेच्या छाननीअंती त्यापैकीच 2 पात्र ठरले आहेत. एकदा पालिका फसली असून त्यामुळे मोठी बदनामी झाली असताना पुनश्च त्याच त्याच कंत्राटदाराना नवनवीन कामे दिली जात असल्यामुळे पालिकेच्या हेतूवर संशय निर्माण होत आहे. अनिल गलगली यांनी मागणी केली होती की सर्व बाबीची दखल घेत महानगरपालिका आयुक्तांकडून हँकॉकसह यारी रोड, मिठी नदी आणि विक्रोळी उड्डाणपूल तसेच गोरेगाव-मुलुंड लिंक रोड या नवीन कामाचा वस्तुस्थितीवर आधारित अहवाल मागवित मुंबईकरांची आणि पालिकेची होणारी फसवणूक थांबवावी तसेच यापूर्वी दाखल गुन्ह्याबाबत सू-मोटो घेत कार्यवाही करावी. गलगली यांच्या मागणीनंतर राज्याचे लोक आयुक्त एम एल तहलियानी यांनी चौकशीचे आदेश दिले होते आणि आता प्रत्यक्ष सुनावणी घेणार आहेत. या सुनावणीत पालिका आयुक्त, पोलीस आयुक्त आणि आझाद मैदान पोलीस ठाण्याचे वरिष्ठ पोलीस निरीक्षक यांस उपस्थित राहण्याबाबत आदेश जारी केले आहेत.

BMC's new awarded contracts: On Tuesday 5th July hearing fix by Maharashtra Lokayukta

BMC which has found itself under the lens due to the tremendous corruption and irregularities in the road contracts of the island city, has once again managed top grab eyeballs due to its allocation of works yet again to couple of Accuse contractors. Already there have been FIR's lodged on 6 of the contractors, who have been found guilty of shoddy works. But again not learning from any of their past mistakes, BMC has gone ahead and awarded two of the 6 Accused contractors, M/s RPS Infra Projects and M/s J Kumar works at Hackock Yari Road, Mithi River and Vikroli Flyover. To add salt to the wound BMC has also managed to help them get listed as one of the party to fill in the tender for the ambitious 1300 crore project of the Goregaon Mulund link road. After RTI Activist Anil Galgali demand to the Maharashtra Lokayukta Justice (retd) M L Tahaliyani order to inquire of the entire episode and accordingly initiate action on the BMC and its officials responsible for creating such a mess. Mr Tahaliyani fix a hearing in his chamber on Tuesday 5th July 2016 to probe the BMC's new awarded contracts. In his letter to the Lokayukta, Anil Galgali has expressed his displeasure and surprise at the attitude of the BMC who on one side has lodged FIR's and on the second hand goes out of the way to promote these firms in getting works. Also the biggest surprise comes or rather it invites suspicion on the attitude of the BMC, who have helped these 2 companies to get works for the Goregaon-Mulund Link road project. As usual, at the end of short listing of tendering only 2 companies were left who were to compete against each other for the work to get allocated. This is surely inviting suspicion against the BMC, quips Galgali. Anil Galgali has asked the Lokayukta to get factual reports from the Municipal Commissioner himself for the works happening at the Hackock, Yari Road, Mithi River and Vikroli Flyover and the tendering process of Goregaon Mulund link road. Also, under su-motto the Lokayukta should initiate action against these 6 contractors who have been found guilty, alongside the officials involved and stop this practice of fooling the Mumbaikars, concludes Galgali. Mr Tahaliyani called MCGM Commissioner, Mumbai Police Commissioner and Azad Maidan's Senior Inspector of Police in Hearing to probe the BMC's new awarded contracts.

Friday 1 July 2016

सीएम का सचिव का जल अभियंता के बंगले पर अजीब कब्जा

सीएम देवेंद्र फडणवीस के सचिवालय में सचिव के तौर पर कार्यरत प्रवीण दराडे ने मलबार हिल स्थित जल अभियंता के बंगले पर अजीब कब्जा करने से राज्य सरकार के सचिव को इसतरह बंगला देने का यह पहला ही प्रयोग हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी हुई जानकारी से यह मामला उजागर हुआ हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने जल अभियंता कार्यालय सेडॉ संजय मुखर्जी और पल्लवी दराडे यह जिन जल अभियंता के मलबार हिल स्थित बंगले में रहते हैं उसपर किए गए विभिन्न खर्च की जानकारी मांगी थी। जल अभियंता कार्यालय ने दी हुई जानकारी में डॉ संजय मुखर्जी के बंगले पर 1 करोड़ से अधिक की रकम खर्च होने की बात सामने आई हैं। वहीं पल्लवी दराडे ने अपने पती की पोल खुलने के डर से दिनांक 10 जून 2016 के पत्र से अनिल गलगली को उनके बंगले पर हुए खर्च की किसी भी तरह की जानकारी देनेपर आपत्ती जताई हैं। खर्च के अलावा और एक मामल था जिससे गैरकानूनी बंगला वितरण की बात उजागर हुई। विकास खारगे के तबादले के बाद दराडे के पती प्रवीण दराडे जो सीएम कार्यालय में सचिव हैं उन्हें दिनांक 2 जनवरी 2015 को 4830 वर्ग फूट का बंगला दिया गया हैं। विकास खारगे के बाद यह बंगला डॉ संजय देशमुख को दिया गया था लेकिन उन्होंने बंगले के बजाय सरकारी फ्लैट में रहने का विकल्प का चयन किया। जल अभियंता का बंगला हमेशा मनपा के आईएएस अधिकारियों को देने की गलत परंपरा शुरु की गई और अब हद हुई हैं कि सीएम के सचिव का अजीब कब्जा इसलिए नियमों के खिलाफ सिर्फ इतने लिए हैं क्योंकि राज्य सरकार के आईएएस अधिकारियों को फ्लैट देने का काम सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत आता हैं, यह बताते हुए अनिल गलगली ने मनपा आयुक्त अजोय मेहता को मामले की जांच कर बंगला जल अभियंता को देने की मांग की हैं जो उनके लिए इसलिए बनाए गए थे ताकि मलबार हिल जलाशय इस संवेदनशील स्थान पर जल अभियंता जैसे महत्वपूर्ण अधिकारी का निवास आपातकालीन माहौल में अत्यावश्यक हैं।

मुख्यमंत्र्यांच्या सचिवाचा जल अभियंताच्या बंगल्यावर अनोखा कब्जा

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांच्या सचिवालयातील सचिव असलेले प्रवीण दराडे यांनी मलबार हिल येथील जल अभियंताच्या बंगल्यावर अनोखा कब्जा केला असून राज्य शासनातील सचिवास अश्या प्रकारे बंगला देण्याचा प्रथमच प्रयोग आहे. माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिलेल्या माहितीवरुन हा प्रकार उघडकीस आला आहे. आयएएस पतीला वाचविण्यासाठी आयआरएस पत्नीने माहिती देण्यास रोखले आहे. माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी जल अभियंता कार्यालयाकडे डॉ संजय मुखर्जी आणि पल्लवी दराडे हे ज्या जल अभियंताच्या मलबार हिल येथील बंगल्यात राहत आहे त्यावर झालेल्या विविध खर्चाची माहिती मागितली होती. जल अभियंता कार्यालयाने दिलेल्या माहितीत डॉ संजय मुखर्जी यांच्या बंगल्यावर 1 कोटीहून अधिक रक्कम खर्च झाल्याची बाब समोर आली आहे तर पल्लवी दराडे यांनी आपल्या पतीचे बिंग फुटेल या भीतीने दिनांक 10 जून 2016 रोजीच्या पत्राने अनिल गलगली यांस त्यांच्या बंगल्यावर झालेल्या खर्चाची कोणतीही माहिती देण्यास आक्षेप घेतला आहे. खर्चा सोबत प्रवीण दराडे यांचा नियमबाहय कब्ज्याची नवीन माहिती सुद्धा समोर आली. विकास खारगे यांच्या बदलीनंतर दराडे यांचे पती प्रवीण दराडे जे मुख्यमंत्र्यांचे कार्यालयात सचिव आहेत त्यांस दिनांक 2 जानेवारी 2015 रोजी 4830 वर्ग फूटाचा बंगला देण्यात आला आहे.विकास खारगे नंतर हा बंगला डॉ संजय देशमुख यांस देण्यात आला होता पण त्यांनी बंगल्याऐवजी सरकारी सदनिकेत राहण्याचा मार्ग निवडला. जल अभियंताचा बंगला नेहमीच पालिकेतील सनदी अधिका-यांस देत चुकीचा पायंडा घातला गेला असून आता तर मुख्यमंत्र्याच्या सचिवानी केलेला अनोखा कब्जा नियमबाहय एवढ्याचसाठी आहे कारण राज्य शासनातील सनदी अधिका-यांसाठी सदनिका देण्याचे काम सामान्य प्रशासन विभागाच्या अखत्यारीत येते, असे सांगत अनिल गलगली यांनी पालिका आयुक्त अजोय मेहता यांस प्रकरणाची चौकशी करत सदर बंगले जल अभियंता यांस देण्याची मागणी केली कारण ज्यांच्यासाठी या बंगल्याची सोय करण्यात आली होती कारण मलबार हिल जलाशय या संवेदनशील स्थानी जल अभियंता सारख्या महत्वाच्या अधिका-यांचा निवास आपातकालीन परिस्थितीत अत्यावश्यक आहे.

CM's Secretary takes possession of Mumbai's Hydraulic Engineer's bunglow

Pravin Darade, Secretary to Maharashtra Chief Minister Devendra Fadnavis, has been found in possession of Bungalow previously reserved for housing The Hydraulic Engineer of Mumbai. An RTI inquiry by Activist Anil Galgali revealed that breaking all norms Darade has been allotted this prime Malabar Hill bungalow belonging to the water department of Municipal Corporation of Greater Mumbai (MCMG). RTI Activist Anil Galgali had filed an RTI seeking details of official accommodation granted to Additional commissioners of MCMG -Dr Sanjay Mukherji & Pallavi Darade. It was shockingly revealed that Mukherji has spent more than one crores from funds sanctioned to water department, for repairs & maintenance of his Bungalow. Meanwhile, Mrs Darade in hastily issued written orders to her subordinates on 10th June 2016 blocked all information sought under RTI regarding the allotment and maintenance of bungalows. The reason for her panic reaction has now come to light. The bungalow was irregularly alloted to her IAS husband, who to the convienience of both, holds the key post of Secretary, In charge of Chief Ministers Office. Mr Darade was alloted this 4830 square foot bunglow that was vacant since transfer of previous occupant Vikas Kharge. After Kharge this prime bungalow had been allotted to Dr Sanjay Deshmukh, who prefered to stay in his Government allotted flat. Anil Galgali has written to MCGM Commissioner Ajoy Mehta seeking inquiry in to how this bungalow was allotted to civil servant posted at Mantralaya, whose house allotment come under the perview of General Administration Department of state Govt. & certainly not the Municipal Corporation. He also pointed out that this bungalow is situated in vicinity of Malabar Hill reservoir, a major water supply source to the city of Mumbai. Therefore it is logical that it is occupied by The Hydraulic Engineer, who being responsible for the water supply of Mumbai, be at hand to attend to emergencies.