Sunday 27 September 2015

लोक आयुक्त नियुक्ती में हुई देरी 7243 नए मामले दर्ज

महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने लोक आयुक्त पद पर न्यायमूर्ती मदनलाल टहलियानी की नियुक्ती भले ही कर दी लेकिन इस नियुक्ती में 418 दिन की हुई देरी से ही लोक आयुक्त व उपलोक आयुक्त कार्यालय में 7243 नए मामले दर्ज हुए होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को लोक आयुक्त व उपलोक आयुक्त कार्यालय ने दी हैं। सर्वाधिक 1386शिकायतें राजस्व व वन विभाग की हैं वही राज्य सरकार के 2 मंत्रियों के खिलाफ में शिकायत दर्ज हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने लोक आयुक्त व उपलोक आयुक्त कार्यालय से लोक आयुक्त पद रिक्त होने के दौरान दर्ज मामले और प्रलंबित मामले की जानकारी मांगी थी। लोक आयुक्त व उपलोक आयुक्त कार्यालय के कक्ष अधिकारी और जन सूचना अधिकारी ने अनिल गलगली को बताया कि दिनांक 2 जुलाई 2014 से 21 अगस्त 2015 इस दौरान जब लोक आयुक्त पद रिक्त था तब 7243 नए मामले पंजीकृत हुए। वही 21 अगस्त 2015 तक 4411 मामले प्रलंबित हैं। प्राप्त हुए मामलों की विभाग स्तर पर जानकारी देते हुए कहा कि दिनांक 1 जुलाई 2014 से 31 अगस्त 2015 इस दौरान 6098 मामले प्राप्त हुए हैं। राज्य सरकार ने इस महत्वपूर्ण नियुक्ती मामले में देरी बरतना गलत होने की बात कहते हुए अनिल गलगली का मानना है कि इससे भ्रष्ट और कामचोर मंत्री,अधिकारी और कर्मचारियों को लोक आयुक्त का डर नही रहा हैं। # सर्वाधिक शिकायते राजस्व व वन विभाग की दिनांक 1 जुलाई 2014 से 31 अगस्त 2015 इस दौरान विभाग स्तरावर दायर शिकायतों में सर्वाधिक शिकायतों में राजस्व व वन विभाग ने बाजी मारी हैं। कुल 1386 शिकायते राजस्व व वन विभाग की हैं। उसके बाद 712 शिकायते जिल्हा परिषद की हैं। 787 अन्य शिकायते , 520 मनपा , 401 गृह विभाग , 218 स्कूली शिक्षा और क्रीडा विभाग, 216 सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग, 178 उच्च व तंत्र शिक्षा विभाग, 178 जल विभाग, 174 सार्वजनिक निर्माण विभाग, 168 कृषी, प्राणी विभाग, 164 मनपा परिषद, 135 सहकार, विपणन और वस्त्रोद्योग विभाग, 108 ग्रामीण विकास,105 सामाजिक न्याय और विशेष सहायक विभाग से जुड़ी हुई शिकायते हैं। # 2 शिकायते मंत्रियों के खिलाफ लोक आयुक्त पद रिक्त होने के दौरान पंजीकृत 6098 शिकायतों में 2 शिकायते मंत्रियों के खिलाफ में हैं। लोक आयुक्त व उप लोक आयुक्त कार्यालय ने जिन मंत्रियों के खिलाफ शिकायते प्राप्त हुई है उनके नाम सार्वजनिक नही करने से उनके नाम का खुलासा नही हो पाया हैं। # उप लोक आयुक्त पद भी रिक्त उप लोक आयुक्त पद भी 8 महीनों से रिक्त हैं। पूर्व मुख्य सचिव जॉनी जोसेफ का कार्यकाल खत्म होने के बाद से उप लोक आयुक्त पद पर सरकार ने से किसी की नियुक्ती नही की हैं।

लोक आयुक्त नियुक्तीत विलंब 7243 नवीन प्रकरणे दाखल

महाराष्ट्रातील भाजपा सरकारने लोक आयुक्त पदावर न्यायमूर्ती मदनलाल टहलियानी यांची नियुक्ती जरी केली असली तरी या नियुक्तीत 418 दिवसाचा झालेल्या विलंबामुळेच लोक आयुक्त व उपलोक आयुक्त कार्यालयात 7243 नवीन प्रकरणे दाखल झाल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस लोक आयुक्त व उपलोक आयुक्त कार्यालयाने दिली आहे. सर्वाधिक 1386 तक्रारी महसूल व वन विभागाच्या आहेत तर राज्य सरकारमधील 2 मंत्र्याच्या विरोधात तक्रारी आहेत. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस लोक आयुक्त व उपलोक आयुक्त कार्यालयाकडे लोक आयुक्त पद रिक्त असताना दाखल प्रकरणे आणि प्रलंबित प्रकरणे याची माहिती मागितली होती. लोक आयुक्त व उपलोक आयुक्त कार्यालयातील कक्ष अधिकारी आणि जन माहिती अधिकारी यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की लोक आयुक्त पद रिक्त असताना दिनांक 2 जुलै 2014 ते 21 ऑगस्ट 2015 या कालावधीत 7243 नवीन प्रकरणे दाखल झाली आहेत. तसेच 21 ऑगस्ट 2015 पर्यंत 4411 प्रकरणे प्रलंबित आहेत. प्राप्त झालेल्या तक्रार प्रकरणांची विभागावर माहिती देताना कळविले की दिनांक 1 जुलै 2014 ते 31 ऑगस्ट 2015 या कालावधीत दाखल झालेल्या 6098 प्रकरणांची माहिती दिली. अनिल गलगली यांनी राज्य सरकारने अश्या महत्वाच्या नियुक्ती प्रकरणात विलंब लावणे चुकीचे असल्याचे सांगत यामुळे भ्रष्ट आणि कामचुकार मंत्री,अधिकारी आणि कर्मचारी यांस लोक आयुक्तांची भीती राहिली नाही. # सर्वाधिक तक्रारीत महसूल व वन विभाग नंबर वन दिनांक 1 जुलै 2014 ते 31 ऑगस्ट 2015 या कालावधीत विभाग स्तरावर दाखल तक्रारीत सर्वाधिक तक्रारीत महसूल व वन विभागाने बाजी मारली आहे.एकूण 1386 तक्रारी महसूल व वन विभागाच्या आहेत. त्यानंतर 712 तक्रारी जिल्हा परिषदाच्या आहेत. 787 इतर तक्रारी, 520 पालिका, 401 गृह विभाग, 218 शालेय शिक्षण आणि क्रीडा विभाग, 216 सार्वजनिक आरोग्य विभाग, 178 उच्च व तंत्र शिक्षण विभाग, 178 पाणी स्तोत्र विभाग, 174 सार्वजनिक बांधकाम विभाग, 168 कृषी, प्राणी विभाग, 164 पालिका परिषद, 135 सहकार, विपणन आणि वस्त्रोद्योग विभाग, 108 ग्रामीण विकास,105 सामाजिक न्याय आणि विशेष सहायक विभाग अशी क्रमवारी आहे. # 2 तक्रारी मंत्र्याच्या विरोधात लोक आयुक्त पद रिक्त असण्याच्या कालावधीत दाखल 6098 तक्रारी पैकी 2 तक्रारी मंत्र्याच्या विरोधात आहे. लोक आयुक्त व उप लोक आयुक्त कार्यालयाने ज्या मंत्र्याच्या विरोधात तक्रारी प्राप्त झाल्या आहेत त्यांची नावे जाहिर केली नसल्यामुळे त्यांच्या नावाची शहानिशा होऊ शकली नाही. # उप लोक आयुक्त पद सुद्धा रिक्त उप लोक आयुक्त पद सुद्धा 8 महिन्यापासुन रिक्त आहे. माजी मुख्य सचिव जॉनी जोसेफ हे उप लोक आयुक्त पदावरून निवृत्त झाल्यापासून या पदावर सरकारने कोणतीही नियुक्ती केलीच नाही.

Delayed appointment of Lok Ayukta, new cases rise by 7243

The BJP government in Maharashtra has appointed Justice Madanlal Tahiliani as Lok Ayukta after a delay of almost 418 days. During the same period the Lok Ayukta and Upa Lok Ayukta office received fresh 7243 cases with the revenue and forest dept topping the list as 1386 cases pertains to it.  Also 2 ministers in the govt have cases filed against them. This information was provided to RTI activist Anil Galgali by the Lok Ayukta and the Upa Lok Ayukta office RTI activist Anil Galgali had filed an RTI query with the Lok Ayukta and the Upa Lok Ayukta office seeking details about how many fresh cases were filed with the office during the period when the Lok Ayukta post was vacant. The Desk officer and the Public Information officer of the Lok Ayukta and Upa Lok Ayukta office informed Galgali that during the period when the post of the Lok Ayukta was vacant i.e  2nd July 2014 to, 21st August 2015 almost 7243 fresh cases were filed with the office. Also 4411 cases previously filed are pending as on 21st August 2015. The PIO also provided the segregation of cases, department wise for 6098  cases filed  between 1st July 2014 to 31st August 2015.  Anil Galgali has condemned the the delay in the appointment of the Lok Ayukta and stated that the lethargy of the Govt in appointment of such sensitive and important positions send a wrong message about the seriousness of the Govt to tackle corruption and also the ministers, bureaucrats and staff begin to feel that the position of Lok Ayukta is ineffective and insignificant. # Revenue and Forests dept tops list in fresh cases The segregated list provided for the period of 1st July 2014 to 31st August 2015 has accorded the no. 1 position to the Revenue and Forests dept with as many as 1386  cases pertains to it, it is followed by the various zilla parishads with 712 cases pertaining to it. 787 cases pertains to the others category, followed by 520 pertaining to various municipal corporations, 401 of the home ministry, 218 of the school education and sports dept, 216 of the public health dept, 178 of the Higher and Technical Education dept, 178 of the Water Resources dept, 174 from Public works dept, 168 from Agriculture and Animal husbandry dept , 164 from the Municipal Councils, 135 pertains to Cooperative, Marketing and Textile dept, 108 to the Rural development dept, 105 pertains to Social Justice and Special Assistance dept. # Complaints against 2 Minister's as well. During the period that the position of Lok Ayukta was vacant and out of the dept wise segregated 6098 cases, it has come to light that there are complaints against 2 ministers of the current govt as well, but the names could not be identified as the names have not been provided in the information by the office. # Upa Lok Ayukta post was also vacant. The position of the Upa Lok Ayukta is also vacant for the past 8 months. The post was occupied by Retd Chief Secretary Johnny Joseph, who has also since retired 8 months back, making the post vacant as the government has not made any fresh appointment to the post.

Tuesday 22 September 2015

11.32 करोड़ यात्रियों ने एसटी को किया गुडबाय

राज्य की एसटी सेवा हर एक हिस्से के यात्रियों को सेवा दे रही है। सालाना 11.32 करोड़ यात्रियों ने एसटी गुडबाय करने से संख्या कम होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन महामंडल ने दी हैं। वही वर्तमान का संचित घाटा 1934 करोड़ से अधिक हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन महामंडल से एसटी सेवातंर्गत कुल यात्री, होनेवाला खर्च और यात्री शुल्क की जानकारी मांगी थी। महामंडल के उप महाप्रबंधक श.दा. माईनहळ् ळीकर ने अनिल गलगली को बताया कि वर्ष 2014-15 इस दौरान 245 करोड़ 60 लाख 33 हजार यात्रियों ने यात्रा की जबकि इन्हीं यात्रियों की संख्या वर्ष 2013-14 में 256 करोड़ 60 लाख 65 हजार थी। इस अवधि में यात्रियों की संख्या में 11 करोड़ 32 लाख से कम हुई हैं। वर्ष 2013-14 में प्रति किलोमीटर कमाई 25.94 रुपए वही खर्च 35.22 रुपए था और वर्ष 2014-15 में 27.57 रुपए की कमाई की तुलना में खर्च प्रति किलोमीटर 36.85 रुपए तक बढा। एसटी की गाडियों ने संपूर्ण राज्य में वर्ष 2014-15 में 208 करोड़ 48 लाख 55 हजार किलोमीटर की घुडदौड़ की जो वर्ष 2013-14 में 204 करोड़ 65 लाख 74 हजार इतनी थी। एसटी महामंडल को एसटी सेवा के लिए लगनेवाला खर्च और प्राप्त होनेवाला यात्री शुल्क को लेकर जानकारी मांगने पर अनिल गलगली को बताया गया कि वर्ष 2014-15 में कुल खर्च 7682 करोड़ 88 लाख 83 हजार हुआ वही कमाई 5748 करोड़ 11 लाख 02 हजार थी। वर्तमान का संचित घाटा 1934 करोड़ 77 लाख 81 हजार हैं। वर्ष 2013-14 में संचित घाटा 1899 करोड़ 2 लाख 65 हजार था। वर्ष 2013-14 में 5308 करोड़ 53 लाख 85 हजार की कमाई की तुलना में खर्च की रकम 7207 करोड़ 56 लाख 50 हजार इतनी थी। गत वर्ष में संचित घाटे की रकम में 35 करोड़ 75 लाख 16 हजार की लक्षणीय वृद्धी हुई हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मांग की है कि एसटी महामंडल को होनेवाला संचित घाटे को कम करने के लिए राज्य सरकार ने पहल करने की जरूरत हैं। कर्नाटक और गुजरात राज्य की तर्ज पर यात्री टैक्स में कटौती कर अनुदान दिया जाए। साथ ही में महामंडल का बढ़ता हुआ खर्च में करने का आदेश दे। संचित घाटा कम करने के लिए एसटी महामंडल सर्तकता नही लेने का आरोप लगाकर अनिल गलगली ने इस मामले में अधिकारियों पर जिम्मेदारी निश्चित करने की मांग की हैं।

11.32 कोटी प्रवाशांनी एसटी सेवेस ठोकला रामराम

राज्यातील एसटी सेवा प्रत्येक भागातील प्रवाशांना सेवा देत असताना वर्षाला 11.32 कोटी प्रवाशांनी एसटी सेवेस ठोकला रामराम ठोकल्याने प्रवासी घटल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन महामंडळाने दिली असून सद्याचा संचित तोटा 1934 कोटी पेक्षा अधिक आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन महामंडळाकडे एसटी सेवातंर्गत एकुण प्रवासी, होणारा खर्च आणि प्रवासी शुल्क याची माहिती मागितली होती. महामंडळाचे उप महाव्यवस्थापक श.दा. माईनहळ् ळीकर यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की वर्ष 2014-15 या कालावधीत 245 कोटी 60 लाख 33 हजार प्रवाश्यांनी प्रवास केला असून सदर प्रवासी संख्या वर्ष 2013-14 मध्ये 256 कोटी 60 लाख 65 हजार होती. या कालावधीत 11 कोटी 32 लाख प्रवासी संख्या घटली आहे. वर्ष 2013-14 मध्ये प्रति किलोमीटर कमाई 25.94 रुपये होती तर खर्च 35.22 रुपये होता आणि वर्ष 2014-15 मध्ये 27.57 रुपये कमाईच्या तुलनेत खर्च प्रति किलोमीटर 36.85 रुपये झाला. एसटी गाडयांनी संपूर्ण राज्यात वर्ष 2014-15 मध्ये 208 कोटी 48 लाख 55 हजार किलोमीटरची घोडदौड केली ती वर्ष 2013-14 मध्ये 204 कोटी 65 लाख 74 हजार इतकी होती. एसटी महामंडळास येणारा खर्च आणि मिळणारे प्रवासी शुल्क याबाबत विचारलेल्या माहिती बाबत अनिल गलगली यांस कळविण्यात आले की वर्ष 2014-15 मध्ये एकुण खर्च 7682 कोटी 88 लाख 83 हजार झाला तर कमाई 5748 कोटी 11 लाख 02 हजार होती. सद्याचा संचित तोटा 1934 कोटी 77 लाख 81 हजार आहे. वर्ष 2013-14 मध्ये संचित तोटा 1899 कोटी 2 लाख 65 हजार होता. वर्ष 2013-14 मध्ये 5308 कोटी 53 लाख 85 हजार या कमाईच्या तुलनेत खर्चाची रक्कम 7207 कोटी 56 लाख 50 हजार इतकी होती. मागील वर्षात संचित तोटयाच्या रक्कमेत 35 कोटी 75 लाख 16 हजाराची लक्षणीय वाढ झाली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस कडे मागणी केली आहे की एसटी महामंडळास होणारा संचित तोटा कमी करण्यासाठी राज्य शासनाने पाऊले उचलण्याची आवश्यकता असून कर्नाटक आणि गुजरात राज्याच्या धर्तीवर प्रवासी करात घट करत अनुदान देण्यात यावे तसेच महामंडळाच्या वाढलेल्या खर्चात काटकसर करण्याचे आदेश दयावेत. संचित तोटा कमी करण्यासाठी एसटी महामंडळाकडून खबरदारी घेतली जात नसल्याची टीका अनिल गलगली यांनी करत याबाबत अधिकारी वर्गावर जबाबदारी निश्चित करण्याची मागणी केली आहे.

11.32 million passengers says Good Bye to ST

In a shocking revelation by RTI Activist Anil Galgali, State Transport Department has recorded a decline of 11.32 million passengers this year, in the service areas of the Maharashtra State Road Transport Corporation, whereas due to this sharp decline in the commuters, ST has also put forth a loss more then Rs1934 crores. RTI activist Anil Galgali had ask various query from the Maharashtra State Road Transport Corporation in regards to the total number of passengers using the state transport bus facility, expenses incurred on the same and the fares charged by ST. ST Corporation Deputy General Manager S. D Mainhalikar informed Anil Galgali that in the year 2014-15 a total number of 245,60,33,000 people travelled by ST buses. But in 2013-14 the number was 256,60,65,000. So as compared to the previous year there has been a decline of 11,32,00,000 passengers. Income of ST was Rs 25.94/- per Kilometre in 2013-14 as against of expense Rs.35.22/- per Kilometre cost. In 2014-15 expense per kilometre was Rs 36.85/- and the income stood at Rs 27.57/- per KM. ST recorded a total run of 208,48,55,000 KM in 2014-15 as compared to 204,65,74,000 in the whole state in the year 2013-14. ST corporation in its reply to Galgali stated that in the year 2014-15 total expenses stood at Rs 7682,88,83,000/- whereas the income was Rs 5748,11,02,000/- The accumulated loss recent Rs 1934,77,81,000/-. In the year 2013-14, the accumulated loss was Rs 1899,02,65,000/- .The income ST got was Rs 5308,53,85,000/- whereas ST incurred expenses of 7207,56,50,000/- . Compare the accumulated loss in previous year, it was increased by Rs 35,75,16,000/-. RTI activist Anil Galgali said to reduce the accumulated loss of the Corporation Chief Minister Devendra fadnavis needs to step with come concrete action plan. The State Government is required to take steps to come to the aid are a reduction in taxes passengers on the lines of the state of Karnataka and Gujarat. Also the CM should give strict instructions to the Corporation to reduce its ever mounting expenses. Also Galgali is of the view that the bureaucrats running the Corporation are making no efforts to reduce the accumulated losses.Responsibilities should be fixed with the officers in charge and a strict monitoring would be able to help the corporation,said Galgali.

Saturday 19 September 2015

यूपीए सरकार ने बिना टेंडर जारी किया था 13,663.22 करोड़ का 'आधार' का काम

आम लोगों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आधार कार्ड को लेकर हुआ विरोध जगजाहिर हैं। यूपीए सरकार ने बिना टेंडर 'आधार' का 13663.22 करोड़ रुपए का काम का ठेका जारी करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने दी हैं।अब तक 90.30 करोड़ कार्ड जारी होने के साथ 6562.88 करोड़ रुपए की रकम ठेकेदार कंपनियों को दी जा चुकी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (आधार )से आधार कार्ड के लिए प्रावधान की गई रकम के साथ खर्च हुई रकम और टेंडर की प्रक्रिया की जानकारी मांगी थी। आधार क जन सूचना अधिकारी एस.एस. बिष्ट ने अनिल गलगली को भेजी हुई जानकारी में स्पष्ट किया कि इस काम के लिए किसी भी तरह का टेंडर जारी नही हुआ हैं । कुल 25 कंपनियों को अलग अलग जिम्मेदारी दी गई है। 19 मई 2014 को आरईएफ (Request for Empanelment -यानी पैनल के लिए अनुरोध ) 2014 में तय मानकों के आधार पर ही एजेंसी को काम दिया गया हैं। आधार कार्ड भारतीय नागरिकों को वितरित करना अनिवार्य है। अब तक 90.30 करोड़ आधार कार्ड का वितरण किया जा चुका हैं। वही अन्य जन सूचना अधिकारी एवमं आधार के वित्तीय उप निदेशक आर हरीश ने अनिल गलगली को बताया कि आधार कार्ड की योजना कुल 13,663.22 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया हैं। दिनांक 31 जुलाई 2015 तक 6,562.88 करोड़ रुपए की रकम दी जा चुकी हैं। अनिल गलगली ने इसकी जांच करने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करते हुए कहा कि इतना बड़ा ठेका जो 125 करोड़ भारतीयों के जीवन से ताल्लुक रखता है और ऐसे काम में पारदर्शकता की जरूरत होते हुए टेंडर प्रक्रिया को नजरअंदाज करना सरासर गलत हैं। टेंडर निकाले बिना जिस तरीके से पूरी प्रक्रिया कार्यान्वित हुई है उसकी जांच होना अत्यावश्यक होने की बात अनिल गलगली ने कही। जिन कंपनियों को ठेका दिया गया है उनमें सर्वाधिक 8 ठेका एचसीएल इन्फो सिस्टम्स और विप्रो को दिया गया हैं। 2 ठेका टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस लिमिटेड को दिया गया हैं। अन्य 14 ठेकेदारों में मैक एसोसिएट्स, एचपी इंडिया सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर सर्विसेस लिमिटेड, सगेम मोर्फो सिक्यूरिटी प्राइवेट लिमिटेड, टोटेम इंटरनेशनल लिमिटेड, लिंक्वेल टेलीसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड, साईं इन्फोसिस्टम लिमिटेड, गेओदेसिक लिमिटेड, आई डी सोलुशन्स, एनआईएसजी , एसटीक्यूसी, टेलीसिमा कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड, सत्यम कंप्यूटर सर्विसेस लिमिटेड ( महिंद्रा सत्यम) और एल 1 आइडेंटिटी सोलुशन्स ऑपरेटिंग कंपनी का शुमार हैं। इसके अलावा एयरसेल, भारती एयरटेल लिमिटेड, बीएसएनएल, रेलटेल कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड, रिलायंस कम्युनिकेशन और टाटा कम्युनिकेशन्स को एक ही ठेका दिया है। इस तरह का सेंसटिव डाटा और फिंगर प्रिंट्स निजी कंपनियों के हाथों में होना खतरनाक होने की बात साइबर लॉ एक्सपर्ट्स आणि रिसर्चर हर्षित शाह ने व्यक्त किया हैं।

यूपीए सरकारने निविदा न काढताच 13,663.22 कोटीच्या 'आधार' कार्डाचे कामाचे केले होते वाटप

सामान्य जनतेपासून सुप्रीम कोर्टापर्यंत आधार कार्डास झालेला विरोध सर्वश्रुत आहे. यूपीए सरकारने निविदा न काढता 'आधार' कार्डाचे 13,663.22 कोटीच्या कामाचे कंत्राट दिल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांस भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरणाने दिली आहे. आतापर्यंत 90.30 कोटीचे कार्ड वितरण करत 6,562.88 कोटीची रक्कम कंत्राटदार कंपनीस देण्यात आलेली आहे. आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांनी भारतीय विशिष्ट ओळख प्राधिकरणाकडे (आधार ) आधार कार्डासाठी तरतूद केलेली रक्कमेसोबत खर्च केलेली रक्कम आणि निविदा प्रक्रियेची माहिती मागितली होती. आधार विभागाचे जन माहिती अधिकारी एस.एस. बिष्ट यांनी अनिल गलगली यांस पाठविलेल्या माहितीत स्पष्ट केले आहे की या कामासाठी कोणत्याही प्रकाराची निविदा काढली नाही. एकुण 25 कंपन्याना वेगवेगळी जबाबदारी दिली.19 मे 2014 च्या आरएफई (Request for Empanelment -म्हणजे पैनलसाठी विनंती ) 2014 मधील निश्चित मापदंडाच्या आधारावर या एजेंसीला काम दिल्याचा दावा करत आधार कार्ड भारतीय नागरिकांना वितरित करणे बंधनकारक असल्याचे सांगितले. आतापर्यंत 90.30 कोटी आधार कार्डाचे वितरण केले गेले आहे. तसेच दुसरे माहिती अधिकारी आणि वित्त उप संचालक आर हरीश यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की आधार कार्ड योजनेसाठी एकुण 13,663.22 कोटी रुपयांची तरतूद केली गेली होती. दिनांक 31 जुलै 2015 पर्यंत 6,562.88 कोटी रुपये संबंधित कंत्राट कंपनीस देण्यात आलेली आहे. अनिल गलगली यांनी या प्रकरणाची चौकशी करण्याची मागणी पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांसकडे करत सांगितले की इतके मोठे कंत्राट जे 125 कोटी भारतीयांच्या जीवनाशी निगडित आहे आणि अश्या कामासाठी पारदर्शकता होण्याची गरज असताना निविदा प्रक्रियेस डावलले गेले. निविदा न काढताच ज्या पद्धतीने प्रक्रिया राबविली गेली त्याची कसून चौकशी होणे अत्यंत गरजेचे असल्याचे मत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले. ज्या कंपनीस सर्वात जास्त 8 कंत्राट एचसीएल इन्फो सिस्टम्स आणि विप्रो कंपनीस देण्यात आले आहे. 2 कंत्राट टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस लिमिटेड कंपनीस दिले आहे. अन्य 14 कंत्राटदारांत मैक एसोसिएट्स, एचपी इंडिया सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर सर्विसेस लिमिटेड, सगेम मोर्फो सिक्यूरिटी प्रायवेट लिमिटेड, टोटेम इंटरनेशनल लिमिटेड, लिंक्वेल टेलीसिस्टम्स प्रायवेट लिमिटेड, साईं इन्फोसिस्टम लिमिटेड, गेओदेसिक लिमिटेड, आय डी सोलुशन्स, एनआयएसजी , एसटीक्यूसी, टेलीसिमा कम्युनिकेशन प्रायवेट लिमिटेड, सत्यम कंप्यूटर सर्विसेस लिमिटेड ( महिंद्रा सत्यम) आणि एल 1 आयडेंटिटी सोलुशन्स ऑपरेटिंग कंपनी का समावेश आहे. तसेच एयरसेल, भारती एयरटेल लिमिटेड, बीएसएनएल, रेलटेल कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड, रिलायंस कम्युनिकेशन आणि टाटा कम्युनिकेशन्स या सर्व कंपनीस एकत्र एकच कंत्राट देण्यात आले आहे.अश्या प्रकारचा सेंसटिव डाटा आणि फिंगर प्रिंट्स खाजगी कंपनीच्या हातात असणे हे धोक्याचे असल्याचे मत साइबर लॉ एक्सपर्ट्स आणि रिसर्चर हर्षित शाह यांनी व्यक्त केले आहे.

Aadhaar Card Project of Rs.13,663.22 Crores Issued without Tender by UPA Govt.

From the Public to the Supreme Court & by the Various Civil Societies already raised concerns about right to privacy and sensitive datas in the hand of private agencies & their opposition are well known to the Aadhaar Card project. In replied to the RTI filed by the RTI Activist Anil Galgali, UIDAI confirms the various contracts for the Aadhaar Card Project of Rs 13,663.22 Crores Awarded without procure tendering during the period of Previous UPA Government. Rs 6,562.88 crores of Rupees Spent by the Unique Identity Authority of India and 90.30 Crore Aadhaar Card issued by UIDAI. RTI Activist Anil Galgali ask information to UIDAI about Tender process & the total amount for the project of Aadhaar Card which was headed by Nandan Nilkeni. Public Information Officer SS Bisht inform Anil Galgali that Aadhaar work has not issued any kind of tender. A total of 25 companies have been awarded different responsibilities.The empanelment of agencies is being done under empanelment process guidelines contained in RFE (Request for Empamelment) dated 19th may 2014. The enrollment for Aadhaar card & issued to the total 90.30 crores citizens & UIDAI is mandated to issue Aadhaar to all residents of India. Another Public Information Officer and Deputy Director R Harish inform Anil Galgali that Rs 13,663.22 crore approved outlay for UIDAI project. Rs 6,562.88 crore amount incurred upto date 31 May 2015 since inception. RTI activists Anil Galgali demanding an enquiry to the Prime Minister Narendra Modi to bring transperency in this Aadhaar Card Project & award process should be investigated. This is very unfair where the projects relates with the sensitive datas of 125 crores of population of the country & no tendering process was done, said Anil Galgali. The Maximum total 8 contracts awarded to the Wipro & HCL. 2 contracts to Tata Consultancy.14 contracts given to Mac Associates, HP (India) Sales private Ltd, National Informetic Centre, Sagem Morpho Securities private Ltd, Satyam Computer Services ltd, L1 identity Solutions,Totem International Limited, Linkwel Telesystem Private Limited, Sai infosystem india limited, Geodesic Limited, ID Solutions, NISG, SQTC, Telsima communication pvt limited. One contract awarded to Aircel, Bharati Airtel, BSNL, Railtel Corporation of India Limited, Reliance Communications & Tata Communications. The sensitive datas of finger prints & iris of each & every resident of the country could be remain unsafe with private companies, says Harsheet Shah (Cyber Law Expert cum Researcher).

Tuesday 15 September 2015

मुंबई विद्यापीठ के कामकाज का जिम्मा अनुपस्थित सिनेट सदस्यों के कंधों पर

नए सिनेट सदस्यों का चुनाव आगे धकेलकर नामनिर्देशित सदस्यों के कंधे पर विद्यापीठ का कामकाज चलाने की सूचना राज्य सरकार ने मुंबई विद्यापीठ सहित राज्य के सभी विद्यापीठों से की हैं। लेकिन मुंबई विद्यापीठ की वर्ष २०१३ से २०१५ के दौरान हुई सिनेट की सभा में कई नामनिर्देशित सदस्यों की उपस्थिती को देखते हुए इन सदस्यों से कई सदस्यों ने सिनेट की सभा में उपस्थिती दर्ज नही होने की चौंकानेवाली जानकारी आरटीआई कार्यकर्ते अनिल गलगली को दी हैं। वही कई नामनिर्देशित सदस्यों के पद सिनेट का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी रिक्त होने सेे मुंबई विद्यापीठ का कामकाज प्रभावित करण्यात में राज्य सरकार कुछ अधिक रूचि लेने की बात सामने आती हैं। राज्य सरकार आगामी विंटर अधिवेशन तक नया विद्यापीठ कानून लागू करने के मूड हैं। उससे सरकार ने नए सिनेट सदस्यों का चुनाव अगले वर्ष करने का मुहूर्त निकाला हैं। स्वाभाविक तौर पर विद्यापीठ के कामकाज की जिम्मेदारी नामनिर्देशित सदस्यों पर हैं। पिछले सिनेट में विद्यापीठ में २१ नामनिर्देशित सदस्य थे। इन सदस्यों ने अपने कार्यकाल में कुल कितने सिनेट सभाओं हाजिर थे, इसकी जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सूचना का अधिकार में विद्यापीठ से मांगी थी। उसमें कई सदस्य ये एक भी सिनेट सभा को हाजिर न होने की बात सामने आई हैं। # हमेशा अनुपस्थित होनेवाले सदस्य सर्वदलीय ऐसे सिनेट के तौर पर नियुक्त जितेंद्र आव्हाड, प्रकाश बिनसाले, प्रवीण दरेकर, राज श्रॉफ,चरण सिंग सप्रा और श्रीराम दांडेकर येे वर्ष २०१३ से २०१५ के दौरान हुए सिनेट सभा में अनुपस्थित थे। मुंबई विद्यापीठ में सिनेट सदस्यों में विद्यापीठ कानून के अनुसार करीब तीन पद ये उच्च शिक्षण के विभिन्न प्राधिकरण के निदेशक और सह निदेशक को दी जाती हैं। उसमें मुंबई विभाग के उच्च शिक्षण के सहनिदेशक, तंत्रशिक्षण संचालनाय के निदेशक और वैद्यकीय शिक्षण संचालनाय के निदेशक को भी सिनेट सदस्य पद दिया गया हैं। उच्च शिक्षा उप निदेशक डॉ एम.एस. मोलवणे, तंत्र शिक्षा संचालनालय उप निदेशक दयानंद मेश्राम और वैद्यकीय शिक्षा निदेशक इन तीनों सदस्यों में से एक भी सदस्य ने वर्ष २०१३ से २०१५ इस दौरान सिनेट की सभा में हाजिर नही हुए। # अनुपस्थित सदस्यों पर कारवाई नही महाराष्ट्र विद्यापीठ कानून के अनुसार सिनेट सदस्यों में कोई भी सदस्य लगातार तीन सिनेट सभा में अनुपस्थित रहने पर उसका सदस्य पद रद्द होने की कारवाई होे सकती हैं। लेकिन मुंबई विद्यापीठ ने इसतरह की कोई भी कारवाई न करने का गंभीर न होने का मत अनिल गलगली ने व्यक्त किया । इसतरह अनुपस्थित रहनेवाले सिनेट सदस्यों पर कारवाई करते हुए जो सरकारी पदों पर आसीन जिम्मेदार अधिकारी है उनपर सेवा बर्ताव नियमातंर्गत कारवाई होनी चाहिए। # २१ नामनिर्देशित सदस्य सिनेट में विद्यापीठ में २१ नामनिर्देशित सदस्यों में २ विधानसभा,२ विधान परिषद सदस्य होते हैं। कुलपती ने चयनित किए हुए विभिन्न क्षेत्र के मान्यवर ७, मान्यताप्राप्त संस्था के प्रमुख २, विद्यापीठ के अंतर्गत संस्था और विभाग के ३, विद्यापीठ के कर्मचारी ३,जिल्हापरिषद की शिक्षा समिती के सदस्य १ और महापालिका प्राधिकरण १ सदस्य होते हैं।

मुंबई विद्यापीठाच्या कारभाराची धुरा अनुपस्थित सिनेट सदस्यांच्या खांद्यावर

नव्या सिनेट सदस्यांची निवडणूक पुढे ढकलून नामनिर्देशित सदस्यांच्या खांद्यावर विद्यापीठाचा कारभार चालविण्याची सूचना राज्य सरकारने मुंबई विद्यापीठासह राज्यभरातील विद्यापीठांना केली आहे. मात्र, मुंबई विद्यापीठातील वर्ष २०१३ ते २०१५ च्या कालावधीत झालेल्या अनेक नामनिर्देशित सदस्यांचा हजेरीपट पाहता, या सदस्यांपैकी अनेक सदस्यांनी सिनेटच्या बैठकीला हजेरीच लावली नसल्याची धक्कादायक बाब आरटीआय कार्यकते अनिल गलगली यांस दिलेल्या माहितीतून पुढे आली आहे. तर अनेक नामनिर्देशित सदस्यांची पदे सिनेटचा कार्यकाळ संपला, तरी रिक्तच असल्यामुळे मुंबई विद्यापीठाचे कामकाज प्रभावित करण्यात राज्य शासनाला जास्तच स्वारस्य असल्याची बाब दिसून येत आहे. राज्य सरकारला येत्या हिवाळी अधिवेशनापर्यंत नवा विद्यापीठ कायदा लागू करायचा आहे. त्यामुळे सरकारने नव्या सिनेट सदस्यांचा निवडणुकीसाठी पुढच्यावर्षीचा मुहूर्त काढला आहे. साहजिकच विद्यापीठाच्या कामकाजाची जबाबदारी नामनिर्देशित सदस्यांवर टाकली आहे. गेल्या ​​सिनेटमध्ये विद्यापीठात २१ नामनिर्देशित सदस्य होते. या सदस्यांनी आपल्या कारकिर्दीत एकूण किती सिनेट सभांना हजेरी लावली याची माहिती, आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी माहिती अधिकारात विद्यापीठाकडे मागितली होती. त्यात यापैकी अनेक सदस्य हे एकाही सिनेट सभेला हजर राहिले नसल्याची माहिती हाती आली. # कायम गैरहजर सदस्य सर्वपक्षीय असे सिनेट असलेले जितेंद्र आव्हाड, प्रकाश बिनसाळे, प्रवीण दरेकर, राज श्रॉफ,चरण सिंग सप्रा आणि श्रीराम दांडेकर हे वर्ष २०१३ ते २०१५ च्या कालावधीत झालेल्या सिनेट सभेत गैरहजर होते. मुंबई विद्यापीठाच्या सिनेट सदस्यांमध्ये विद्यापीठ कायद्यानुसार जवळपास तीन पदे ही उच्च शिक्षणाच्या विविध प्राधिकरणांच्या संचालक आणि सहसंचालकांना देण्यात आली आहेत. त्यात मुंबई विभागाच्या उच्च शिक्षणाचे सहसंचालक, तंत्रशिक्षण संचालनालयाचे संचालक आणि वैद्यकीय शिक्षण संचालनालयाचे संचालक यांनाही सिनेट सदस्य पद देण्यात येते. डॉ एम.एस. मोलवणे , डॉ दयानंद मेश्राम आणि अन्य असे या तीनही सदस्यांपैकी एकाही सदस्यांनी २०१३ ते २०१५च्या कालावधीत सिनेट सभेला हजेरी लावलेली नाही. # अनुपस्थिती सदस्यांवर कारवाई नाहीच महाराष्ट्र विद्यापीठ कायद्यानुसार सिनेट सदस्यांपैकी कोणतेही सदस्य लागोपाठ तीन सिनेट सभेच्या बैठकीस अनुपस्थिती राहिल्यास त्यांचे सदस्य पद रद्द होण्याची कारवाई होऊ शकते. मात्र, मुंबई विद्यापीठाने अशाप्रकारची कोणतीही कारवाई केलीच नसल्याची बाब गंभीर असल्याचे मत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले. अश्याप्रकारे अनुपस्थिती राहणा-या सिनेट सदस्यांवर कारवाई करताना जे शासकीय पदावरील जबाबदार अधिकारी आहेत त्यांच्यावर सेवा वर्तणुक नियमातंर्गत कारवाई करावी. # २१ नामनिर्देशित सदस्य सिनेटमध्ये विद्यापीठात २१ नामनिर्देशित सदस्यांपैकी २ विधानसभा,२ विधान परिषद सदस्य असतात. कुलपतींनी निवडलेले विविध क्षेत्रातील मान्यवर ७, मान्यताप्राप्त संस्थेचे प्रमुख २, विद्यापीठाच्या अंतर्गत संस्था आणि विभागातील ३, विद्यापीठातील कर्मचारी ३, जिल्हापरिषदेच्या शिक्षण समितीचे सदस्य १ आणि महापालिका प्राधिकारण १ सदस्य असतात. -

Mumbai University's Administration Work on "absent" Members of the Senate's shoulders

Along with Mumbai University, and the rest of the Universities of Maharashtra, the state government has postponed the election of new senate members. So the management of university has now come on the shoulders of the nominee senate members. However, in the University of Mumbai, nominee members for the senate for the period 2013 to 2015, it was shocking to see the muster of members. Many members have refrained to attend or have been absent on purpose for the meetings, revealed an RTI filed by RTI Activist Anil Galgali. While term of several nominated members has ended, when the matter appears to be that interested in more affected the functioning of the State Government of the University of Mumbai. The State Government has to get the New University Act implemented in the upcoming State Winter session. So the government has postponed the election for the next year of the election of members of the Senate. Naturally, the university is responsible for working on cast members nominated. 21 members have been nominated by the University Senate in the past. Information in regards to the meetings attended by members of the Senate, RTI had been sought by Anil Gagali. The reply to RTI stated that many of these nominated members have remain absent for many of their meetings. # Permanent members absent Senate of the party that consists of Jitendra Awhad, Prakash Binsale, Praveen Darekar, Raj Shroff, Charan Singh Sapra and Shriram Dandekar have remained absent for the meetings of senate held between 2013 to 2015. As per the University Law, 3 members of the senate should be of ranks of Director of any forum of Higher Education, and Joint Director ranks. Joint Director of the Department of Higher Education in Mumbai, Technical Director and director of medical education also be a member of the Senate team for the Mumbai University. Dr M. S. Molvane, Dayanand Meshram and others, None of the members of these three members of the 2013 to 2015 period, the Senate never attended the meeting. #No action on the Absence of Members If the absence of a meeting of the Senate three consecutive meetings of any member of the Senate members can take action to cancel their membership under the Maharashtra University Act. However, no such action has been initiated by the Mumbai. Anil galgali says, " Action should also be taken on Government officers who are responsible to see the working of the senate on day-to-day basis, or even those who are monitoring the senate" . Government should also take action against Govt nominated member under Service Rule & Regulation Act, said Galgali. # 21 nominated members Out of the 21 members nominated by the University Senate, 2 members hsould be from the Vidhan sabha or lower house of the Legilsative Assembly and 2 members are to be from the Vidhan Parishad or the Upper house of the Maharashtra Legislative Assembly. Kulapatinni or Chancellor can select 7 members, 2 from the major recognized organization,3 from within the University belonging to any organization, 3 from the Student union, 1 member is from the ZP education organisation and 1 member is from the Corporation.

Friday 11 September 2015

प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम से एक दिन के संदेश पर खर्च किया 8.30 करोड़

26 मई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम से जारी किए हुए एक दिन का संदेश का खर्चा करोड़ों में हुआ हैं. इस संदेश के लिए हुआ खर्च 8.30 करोड़ होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने दी हैं। पहले 'मन की बात' इस कार्यक्रम पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए और अब दुसरी बार देश में पहली बार इसतरह का राष्ट्र के नाम पर नया संदेश 26 मई 2015 को जारी किया गया। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इस मामले में सूचना और प्रसारण मंत्रालय से 26 मई 2015 को आवेदन कर विभिन्न जानकारी मांगने पर एडवरटाइजिंग एंड विसुअल पब्लिसिटी के उप निदेशक नितेश झा ने खर्च की हुई रकम और सही जानकारी नही दी। इसके विरोध में गलगली ने दायर अपील आवेदन को एडवरटाइजिंग एंड विसुअल पब्लिसिटी के निदेशक रवि रामा कृष्णा ने गंभीरता से लिया। कृष्णा ने 14 चरणों में कुल जारी किए हुए 4094 विज्ञापनों पर 8 करोड़ 29 लाख 36 हजार 620 रुपए खर्च होने की जानकारी दी हैं। इस विज्ञापन को बनाने का काम किस कंपनी को दिया हैं और उसपर हुए खर्च की जानकारी अनिल गलगली ने पूछने पर कृष्णा ने स्पष्ट किया है कि ये विज्ञापन एडवरटाइजिंग एंड विसुअल पब्लिसिटी की हैं। राष्ट्र के नाम संदेश देने का नियम और किस किस दिवस पर ऐसा संदेश देने का नियम हैं। ऐसी जानकारी गलगली ने पूछने पर कृष्णा ने बताया कि सक्षम अधिकारी द्वारा प्रसंग, महत्त्व और आवश्यकता के अनुसार निर्णय लिया जाता हैं। राष्ट्र के नाम पर संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जारी किए हुए आदेश एवमं निर्देश की कॉपी मांगने पर कृष्णा ने भारत सरकार (कार्य आबंटन) नियम के अनुसार ये विज्ञापन जारी करने के लिए एडवरटाइजिंग एंड विसुअल पब्लिसिटी ये सक्षम प्राधिकरण हैं। सरकारी विज्ञापन का दाम ये आम लोगों के विज्ञापनों की तुलना में न के बराबर हैं। इतनी बड़ी रकम खर्च की गई और उसका कोई भी लाभ आम लोगों को नही मिलने की प्रतिक्रिया अनिल गलगली ने व्यक्त की हैं।

पंतप्रधान यांच्या राष्ट्राच्या नावाने एका दिवसाच्या संदेशासाठी खर्च झाले 8.30 कोटी

26 मे 2015 रोजी पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी राष्ट्राच्या नावाने जारी केलेला एका दिवसाच्या संदेश कोटयावधीचा होता. या संदेशासाठी झालेला खर्च तब्बल 8.30 कोटी असण्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस माहिती आणि प्रसारण मंत्रालयाने दिली आहे. 'मन की बात' यावर कोटयावधीचा खर्च होत असताना देशात प्रथमच अश्याप्रकारचा राष्ट्राच्या नावाने नवा संदेश 26 मे 2015 रोजी जारी करण्यात आला होता. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी याबाबत माहिती आणि प्रसारण मंत्रालयाकडे 26 मे 2015 रोजी अर्ज करत विविध माहिती मागितली असता एडवरटाइजिंग एंड विसुअल पब्लिसिटीचे उप संचालक नितेश झा यांनी आकडेवारी आणि अचूक माहिती दिली नाही. या विरोधात गलगली यांनी दाखल अपील अर्जावर एडवरटाइजिंग एंड विसुअल पब्लिसिटीचे संचालक रवि रामा कृष्णा यांनी दखल घेतली. कृष्णा यांनी 14 टप्प्यात एकुण जारी केलेल्या 4094 जाहिरातीवर 8 कोटी 29 लाख 36 हजार 620 रुपये खर्च झाल्याची माहिती दिली आहे. या जाहिराती बनविण्याचे काम कोणत्या कंपनीने केले आणि त्यावर झालेल्या खर्चाची माहिती अनिल गलगली यांनी विचारली असता स्पष्ट केले की सदर जाहिरात एडवरटाइजिंग एंड विसुअल पब्लिसिटीची रचना आहे . राष्ट्राच्या नावाने संदेश देण्याच्या नियमाची आणि कोण कोणत्या दिवशी असा संदेश देण्याचा नियम आहे, अशी माहिती गलगली यांनी विचारली असता कृष्णा यांनी सांगितले की सक्षम अधिकारी यांच्यामार्फत प्रसंग, महत्त्व आणि आवश्यकतेनुसार निर्णय घेतला जातो. राष्ट्राच्या नावाने संदेश देण्यासाठी पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी जारी केलेल्या आदेश किंवा निर्देशाची प्रत मागितली असता कृष्णा यांनी भारत सरकारच्या (कार्य वितरण) नियमांनुसार हया जाहिराती जारी करण्यासाठी एडवरटाइजिंग एंड विसुअल पब्लिसिटी ही सक्षम प्राधिकरण आहे. सरकारी जाहिरातीचे दर हे सामान्य व्यक्तीला आकारण्यात येणा-या जाहिरातीच्या तुलनेत फारच कमी आहे. इतकी मोठी रक्कम खर्च केली गेली आणि त्याचा सामान्य जनतेस कोणताही लाभ नसल्याचे प्रतिपादन अनिल गलगली यांनी केले आहे.

One Day "Message " to the Nation by PM Just Cost Rs 8.30 Crores

The amount spent on the one day "Message " to the Nation addressed by our beloved Prime Minister Narendra Modi has just costed us, crores. In an application filed under the right to information act, The information and publicity department has informed RTI Sctivist Anil Galgali that the amount is indeed, in tune of Rs. 8.30 crores. Firstly The "Man ki Baat" program in which the Prime Minister in first of its kind addresses the nation through various mediums. In an attempt to get information about One day "Message " to the Nation addressed by our beloved Prime Minister Narendra Modi that involved costs, Anil Galgali had filed an RTI with the Information and Broadcasting Ministry. In it's reply, Nitesh Zha, Deputy Director-of Advertising and Visual Publicity, gave an haphazard answer, which did not satisfy Galgali. In turn an appeal was filed with the with the Director Ravi Rama Krishna, after which correct information with accurate figures were made available to Galgali. In all, in 14 stages of 4094 advertisements published or shown, an amount of 8,29,36,620/- (Eight crore twenty nine lakhs thirty six thousand six hundred and twenty) were spent, said the reply to the RTI. When probed further as to who are the makers of these advertisements, it was revealed that the product is made by the Advertising and Visual Publicity's department itself. No other outside agency's help is required. On what basis or what constitutes the PM to address public, to which, as and when need arises, through efficient officer's the decision is taken on 3 parameters-occasion, importance of the day, and requirement. These parameters are decided by the efficient manpower working on this subject day in day out, concluded Krishna. Addressing Nation, is solely a responsibility of centre's Advertising and Visual Publicity department,and we are doing it with utmost perfection, quipped Krishna. As advertisement in newspaper the rates for Govt (Directorate of Advertising & Visual Publicity's- DAVP) advertisement rates are low as compare to rates for common man. Yet the amount spent is high & the benefits for common man is Zero, said Galgali

Wednesday 9 September 2015

शिक्षा मंत्री विनोद तावडे की मार्कशीट देने से बोर्ड का इनकार

अपनी शिक्षा को लेकर विवाद में फंसे महाराष्ट्र राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद श्रीधर तावडे की दसवी और बारहवी की मार्कशीट देने से एसएससी और बारहवी बोर्ड ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को इनकार किया हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एसएससी और बारहवी बोर्ड से विनोद श्रीधर तावडे की दसवी और बारहवी की मार्कशीट और हॉल तिकीट की जानकारी मांगी थी। जन सूचना अधिकारी और सह सचिव रंजना चासकर ने ऐसी जानकारी जिसकी मार्कशीट होती है उसे देने का नियम होने का दावा किया है। इस आदेश के विरोध में अनिल गलगली ने प्रथम अपील करने पर एसएससी और बारहवी बोर्ड के मुंबई मंडल के विभागीय सचिव सि.या. चांदेकर ने आदेश दिया कि विनोद श्रीधर तावडे की जानकारी त्रयस्थ व्यक्ती की होने से नही दी जा सकती हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 की धारा 11(1) के अंतर्गत जानकारी देने के लिए उस व्यक्ती को लिखित नोटिस दी जाती हैं। ऐसी जानकारी देने के लिए उस व्यक्ती का बैठक क्रमांक, वर्ष और पता देकर स्वतंत्र आवेदन दायर करे। अनिल गलगली ने अपनी अपील में तर्क दिया था कि मार्कशीट नही दी तो भी चलेगा कमसे कम विनोद तावडे उत्तीर्ण है या नही है? इस बाबत लिखित जानकारी दी तो भी चलेगा। इसके बाद भी विभागीय सचिव चांदेकर ने उससे इनकार करने से राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावडे स्वयंफुर्त होकर पहल कर संदेह का माहौल को दूर करे, ऐसी अपेक्षा अनिल गलगली ने व्यक्त की हैं।

शिक्षण मंत्री विनोद तावडे यांची गुणपत्रिका देण्यास बोर्डाचा नकार

आपल्या शैक्षणिक गुणवत्तेमुळे वादाच्या भोव-यांत सापडलेले महाराष्ट्र राज्याचे शिक्षण मंत्री विनोद श्रीधर तावडे यांची दहावी आणि बारावीची गुणपत्रिका देण्यास एसएससी आणि बारावी बोर्डाने आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस नकार दिला आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एसएससी आणि बारावी बोर्डाकडे विनोद श्रीधर तावडे यांची दहावी आणि बारावीची गुणपत्रिका, हॉल तिकीट अशी माहिती मागितली होती. जन माहिती अधिकारी आणि सह सचिव रंजना चासकर यांनी अशी माहिती फक्त ज्याची गुणपत्रिका आहे त्यास देण्याचा नियम असल्याचे सांगितले. या आदेशाच्या विरोधात अनिल गलगली यांनी प्रथम अपील केले असता एसएससी आणि बारावी बोर्डाचे मुंबई मंडळाचे विभागीय सचिव सि.या. चांदेकर यांनी आदेश दिले की विनोद श्रीधर तावडे यांची माहिती त्रयस्थ व्यक्तीची असल्यामुळे देता येत नाही. माहितीचा अधिकार अधिनियम,2005 चे कलम 11(1) अंतर्गत माहिती देण्यासाठी व्यक्तीस लेखी नोटिस देण्यात येते.अशी माहिती देण्यासाठी त्या व्यक्तीचा बैठक क्रमांक, वर्ष आणि पत्ता नमूद करत स्वतंत्र अर्ज दाखल करावा. अनिल गलगली यांनी आपल्या अपील सुनावणीत युक्तीवाद केला होता की गुणपत्रिका नाही दिली तरी चालेल पण कमीत कमी विनोद तावडे उत्तीर्ण आहेत किंवा नाही? याबाबत लेखी माहिती दिली तरी चालेल. विभागीय सचिव चांदेकर यांनी त्यास नकार दिल्यामुळे राज्याचे शिक्षण मंत्री विनोद तावडे यांनीच आता याबाबतीत पुढाकार घेत संशयाचे वातावरण दूर करावे, अशी माफक अपेक्षा अनिल गलगली यांनी व्यक्त केली.

Boards rejects Activist's plea Controversy in relation to Degree's of Education Minister Vinod Tawde

In an attempt to unearth the truth behind controversy surrounding Education Minister Vinod Tawde for his degree's, the state board has rejected his plea to provide marksheets of Tawde of his matriculation and Higher Secondary board i.e his 10th and 12 th passing certificates. Anil Galgali had asked via RTI a copy of Vinod Shridhar Tawde's marksheet and Hall ticket. Public Information Officer and Joint Secretary Ranjana Chaskar of Mumbai Board, in her reply stated that the marksheet and other related documents will be provided only to the respective person, and not to any third person inquiring for the same. Not satisfied in his reply, Galgali went into appeal for the same.But there as well, the Divisional Secretary CY Chandekar also rejected Galgali's plea. The reason stated for rejection of the application was the same as earlier. Information of mark-sheets and other related information of any third person cannot be provided to anyone. For the same a written notice under section of 11(1) has to be served along with a fresh application. If information is needed roll number of the person, along with his year of passing and full address needs to be provided. In a smart attempt during his on ongoing appeal, when Galgali's demands were rejected by the Chandekar, Galgali sought information if at least Vinod Tawde is passed or failed in his 10th and 12th examinations. To which again, no answer was given. "Vinod Tawde should come clean on this and clear doubts in regards to his matriculation and HSC results" concluded Galgali.

Monday 7 September 2015

आदर्शवादी 12 अफसरों को बचाने का भाजपा सरकार का प्रयास

देश में  बहुचर्चित ऐसे आदर्श बिल्डिंग की रिपोर्ट न्यायमूर्ति जे ए पाटील की द्विसदस्यीय आयोग ने सरकार को पेश कर 12 अफसरों पर सेवानियमों का उल्लंघन करने के मामले में कारवाई की सिफारस की थी। सरकार ने इस मामले में 21 महीने के पहले कारवाई करने की बात कही थी लेकिन ऐसे अफसरों पर किए कारवाई की जानकारी मांगने पर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को देने से भाजपा सरकार ने इनकार करने से कारवाई हुई है या नहीँ ? इसकी जनकारी गुलदस्ते में हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से आदर्श आयोग ने सिफारस किए हुए आईएएस अधिकारीवर्गों पर ( अफसरों पर ) की हुई कारवाई की जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन के अवर सचिव सु.ह. उमराणीकर ने उक्त जानकारी कर्मचारी सह कर्मचारी की होने से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1)(त्र) तथा सुप्रीम कोर्ट ने दिनांक 03.10.2012 को गिरीश देशपांडे बनाम केंद्रीय सूचना आयोग के संदर्भ में दिए हुए निर्णय का हवाला देकर उक्त जानकारी व्यक्तीगत बताई और जानकारी देने से इनकार किया। अनिल गलगली ने इस आदेश के खिलाफ दायर की हुई प्रथम अपील सुनवाई में उप सचिव पां.जो. जाधव ने भी जन सूचना अधिकारी का आदेश योग्य होने का फैसला सुनाया। अनिल गलगली ने अपील सुनवाई में तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट में मामले के स्तर पर निर्णय होने से सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्णय पूरे देश में लागू करने का आदेश नही दिया हैं।सूचना आयोग में आनेवाले हर एक मामला गिरीश देशपांडे जैसा नही हो सकता हैं। साथ ही सरकारी अफसर और कर्मचारी का सरकारी कर्तव्य और कामकाज ये व्यक्तीगत न होते हुए सरकारी कामकाज का हिस्सा होने का  दावा अनिल गलगली ने किया हैं। # सरकार की वादाखिलाफी आदर्श सहकारी गृहनिर्माण संस्था में हुई गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए ( 8 जनवरी 2011 को ) गठित द्विसदस्यीय आयोग ने 13 अप्रैल 2012 को उसकी रिपोर्ट राज्य सरकार के पास सौंपी। पहले 17 अप्रैल 2013 और उसके बाद ये रिपोर्ट 20 दिसंबर 2013 को विधीमंडल के पटल पर रखी गई। विषय क्रमांक 10 के अंतर्गत आयोग ने बारह अफसरों पर सेवा वर्तणूक नियमों का उल्लंघन करने का आरोप रखा था। सरकार ने इस बारह अफसरों के खिलाफ अखिल भारतीय सेवा( वर्तणूक) नियम तथा महाराष्ट्र नागरी सेवा ( वर्तणूक) नियम के अलावा अन्य लागू होनेवाले सेवानियम के प्रावधान के अनुसार संबंधित सक्षम प्राधिकारी कारवाई करेगा, ऐसा कार्यवाही का ब्यौरा विधीमंडल को दिया था। आज  21 महीने के बाद भी सरकार ने किए हुए कारवाई की जानकारी स्वयंस्फूर्त होकर जनता को देने की जरुरत है लेकिन सरकार उससे पलायन करने का आरोप अनिल गलगली ने किया हैं। जिस आदर्श मामले का राजनीतिक लाभ लेकर भाजपा ने सत्ता हासिल की उसी आदर्श आयोग की रिपोर्ट पर कारवाई करने के बजाय सेवानियमों का उल्लंघन करने वाले बारह  दोषी अफसरों को एकतरह से बचा ही रही हैं। अनिल गलगली ने पारदर्शक सरकार के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय को भेजे हुए पत्र में मांग की है कि राज्य के सर्वोच्च ऐसे विधीमंडल के पटल पर रखी हुई रिपोर्ट का सम्मान रखकर ताबडतोब कारवाई कर उक्त जानकारी सार्वजनिक करे। # मुख्यमंत्री सचिवालय भी अनभिज्ञ मुख्यमंत्री सचिवालय ने भी जानकारी से अनभिज्ञता जताते हुए गलगली का आवेदन सामान्य प्रशासन विभाग के पास हस्तांतरित किया।

आदर्शवादी 12 लोकसेवकांना वाचविण्याचा भाजपा सरकारचा प्रयत्न

देशात चर्चित असा आदर्श इमारतीचा अहवाल न्यायमूर्ति जे ए पाटील यांच्या द्विसदस्यीय आयोगाने शासनास सादर करत 12 लोकसेवकांवर सेवानियमांचा भंग केल्याप्रकरणी कारवाईची शिफारस केली होती. शासनाने याबाबत 21 महिन्यापूर्वी कारवाई करण्याचे सुतोवाच सुद्धा केले होते. पण अश्या लोकसेवकांवर केलेल्या कारवाईची माहिती मागितली असता आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस ती देण्यास भाजपा सरकारने नकार दिल्यामुळे कारवाई झाली आहे किंवा नाही? याबाबतीची माहिती गुलदस्त्यात आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र शासनाकडे आदर्श आयोगाने शिफारस केलेल्या आयएएस अधिकारीवर्गावर ( लोकसेवकांवर) केलेल्या कारवाईची माहिती विचारली होती. सामान्य प्रशासनाचे अवर सचिव सु.ह. उमराणीकर यांनी सदर माहिती कर्मचारी सह कर्मचारी याबाबीची असल्यामुळे माहितीचा अधिकार अधिनियम 2005 मधील कलम 8(1)(त्र) तसेच सुप्रीम कोर्टाने दिनांक 03.10.2012 रोजी गिरीश देशपांडे विरुद्ध केंद्रीय माहिती आयोग यांचे संदर्भातील दिलेल्या निर्णयाचा हवाला देत सदर माहिती वैयक्तिक ठरवली आणि माहिती नाकारली. अनिल गलगली यांनी याविरोधात दाखल केलेल्या प्रथम अपीलावर सुनवाणी मध्ये उप सचिव पां.जो. जाधव यांनी सुद्धा जन माहिती अधिकारी यांचे आदेश योग्य असल्याचा निर्वाळा दिला आहे. अनिल गलगली यांनी अपील सुनावणीत युक्तीवाद केला होता की सुप्रीम कोर्टात प्रकरण स्तरावर निर्णय होत असून सुप्रीम कोर्टाने सदर निर्णय संपूर्ण देशात लागू करण्याचे कोणतेही सुतोवाच केले नाही.माहिती आयोगात येणारे प्रत्येक प्रकरण हे गिरीश देशपांडे समान असू शकत नाही. तसेच शासकीय अधिकारी आणि कर्मचारी यांची शासकीय कर्तव्ये आणि कामकाज हे वैयक्तिक नसून शासकीय कामकाजाचा भाग असण्याचा दावा अनिल गलगली यांनी केला. # शासनाची आश्वासनापासून फारकत आदर्श सहकारी गृहनिर्माण संस्थेची चौकशी करण्यासाठी ( 8 जानेवारी 2011 रोजी) गठित द्विसदस्यीय आयोगाने 13 एप्रिल 2012 रोजी राज्य शासनास सादर केला. प्रथम 17 एप्रिल 2013 आणि त्यानंतर हा अहवाल 20 डिसेंबर 2013 रोजी विधीमंडळाच्या पटलावर ठेवण्यात आला. विषय क्रमांक 10 अंतर्गत आयोगाने बारा लोकसेवकांनी सेवा वर्तणूक नियमांचा भंग करण्याचा ठपका ठेवला. शासनाने या बारा अधिका-यांविरुद्ध अखिल भारतीय सेवा( वर्तणूक) नियम किंवा महाराष्ट्र नागरी सेवा ( वर्तणूक) नियम यासह इतर लागू होणा-या सेवानियमातील तरतूदी नुसार संबंधित सक्षम प्राधिकारी कारवाई करतील, असा कार्यवाहीचा तपशील विधीमंडळास दिला. आज यास 21 महिने उलटुनही शासनाने केलेल्या कारवाईची माहिती स्वयंस्फूर्त होऊन जनतेस देण्याची आवश्यकता असण्याची गरज आहे पण शासन त्यापासून पळवाटा काढण्याचा आरोप अनिल गलगली यांनी केला आहे. ज्या आदर्श प्रकरणाचा राजकीय लाभ घेत भाजपाने सत्ता हस्तगत केली त्याच आदर्श आयोगाच्या अहवालावर कारवाई न करता सेवानियमांचा भंग करणा-या बारा दोषी लोकसेवकांना एकप्रकारे वाचवित आहे. अनिल गलगली यांनी पारदर्शक सरकारचे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय यांस पाठविलेल्या पत्रात मागणी केली आहे की राज्याच्या सर्वोच्च अश्या विधीमंडळाच्या पटलावर ठेवलेल्या अहवालाचा मान राखत ताबडतोब कारवाई करत सदर माहिती सार्वजनिक करावी. #   मुख्यमंत्री सचिवालय अनभिज्ञ अनिल गलगली यांनी सदर माहिती मुख्यमंत्री सचिवालयास मागितली असता मुख्यमंत्री सचिवालयाने याबाबत अनभिज्ञता व्यक्त केली आणि गलगली यांचा अर्ज सामान्य प्रशासन विभागास हस्तांतरित केला.

BJP Government trying to protect the 12 Adarsh tainted officers

A 2 member enquiry commission headed by Justice J A Patil to probe into the lapses committed in the infamous Adarsh scam had recommended action against 12 senior bureaucrats for violation of service rules and dubious role in granting various permissions for the Adarsh society in its report submitted to the govt. The govt too had assured the Legislature of taking due action against the said officers almost 21 months ago. But when RTI activist Anil Galgali sought to find out the details of the action taken on the officers, was in for a shock when his queries were stone walled by the ruling BJP government, leaving a suspicion whether any action has actually been taken. RTI activist Anil Galgali had filed an RTI query seeking information about action taken against the 12 IAS officers indicted by the Justice Patil commission. The Under Secretary in the GAD dept Shri S H Umranikar in a reply refused to provide information citing section 8(1)(t) of the Right to Information Act 2005 stating that the information sought is of a personal nature concerning the officers mentioned, it further cited the order of the Hon'ble Supreme Court on 03/10/2012 in the Girish Deshpande v/s Information commission to deny information to Galgali stating the information sought is of personal nature and hence denied. Galgali filed an 1 st appeal, before Dy Secretary P J Jadhav which was also upheld the decision of the PIO of the GAD to deny information. In the hearing held Galgali argued that the order of the Hon'ble Supreme Court pertains to a particular case and is not a policy framing order with far reaching implications applicable all over the country. Also all the cases are not similar to Girish Deshpande case that it deserves blanket comparison to all cases. Also the activities of any Govt officers in the official capacity and activities for discharge of his duties towards his position is an official activity and part of the Govt functioning and cannot be classified as his personal activity argued Galgali. # Govt U Turn A 2 member inquiry commission headed by Justice Patil was constituted on 08/01/2011 to probe into the irregularities in the  various sanctions to Adarsh cooperative housing society project. The commission submitted it's report to the govt on 13/04/2012. The govt first tabled the report on the legislative session on 17/04/2013 and then on 20/12/2013. The item no 10 of the  report indicted 12 Govt officers for violating the Service Conduct Rules. The govt also in its Action Taken report tabled in the Legislature along with the commission report assured action on the 12 indicted officers under provisions of the All India service (conduct) rules and the Maharashtra Public service (conduct) rules by a Competent Officer. It was the responsibility of the Govt to take action against the indicted officers and make the action taken public, but almost 21 months has lapsed since the assurance on the floor of the Legislature and no actions seems to have been taken shows that the government of the day has taken a decision contrary to the assurance of the Govt of the day portraying a U Turn by the govt headed by BJP, said Galgali. The BJP which cashed in, on the political mileage of the Adarsh scam, which catapulted the party to gain power seems to have had role reversal and it seems is protecting the scam tainted 12 Govt officers alleged Anil Galgali. Galgali in a letter addressed to 'Transperant' CM Devendra Fadnavis and chief Secretary Swadheen Kshatriya has appealed that the sanctity of the Legislature be upheld and the action promised on the floor of the Legislature house be implemented and the public at large be informed of the action taken  against the indicted officers immediately. #  CM Secertiate unaware about Action. Anil Galgali also try to sought the information from Chief Minister Secertiate. Instead of supply the accurate information they transfer the Galgali application to General Administration Department.

Thursday 3 September 2015

नालासफाई की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर ठेकेदार, आईएएस और मनपा अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करो

हल्की बारिश में भी कई स्थानों पर पानी जम जाता है। पटरियों पर पानी आने से लोकलसेवा रखडती है। इसके लिए हमेशा नालासफाई को जिम्मेदार माना जाता हैं। इसी संदर्भ में मुंबई शहर, पूर्व व पश्चिम उपनगर की जलमलनिकासी की नालासफाई की बनाई रिपोर्ट को सार्वजनिक कर ठेकेदार, आईएएस और मनपा अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मनपा आयुक्त अजोय मेहता को भेजे हुए पत्र में की है। मनपा आयुक्त अजोय मेहता के २३ जुलाई 2015 के आदेश के बाद उप आयुक्त प्रकाश पाटील की अगुवाई में मुंबई की नालासफाई की जांच हुई और हाल ही में हजारों पन्ने की भारी रिपोर्ट पेश हुई है। एक ही वाहन टू वे ब्रिज से एक ही समय पर जाने की बात सामने आई हैं।इसके अलावा एक ही वाहन दो ठेके में एक ही समय इस्तेमाल करने की बात लॉगशीट के अनुसार दिखाई गई है। एक ठेके की एक फेरी पूर्ण होने के पहले ही दुसरे ठेके की उसी वाहन की फेरी शुरु की गई है। एक ही वाहन दो ठेके में इस्तेमाल करने के दौरान उस वाहन की गिनती अलग दिखाकर उसके तहत अन्य क्षमता का मलबा लेकर जाने का रिकॉर्ड है। ठेके में प्रावधान होते हुए चेकपोस्ट का निर्माण नही किया गया ना त्रयस्थ ऑडिटर की नियुक्ती की गई। ऐसी आपत्ती जांच समिति ने दर्ज की है। इसके अलावा कुछ ठेकेदारों को रकम देते वक्त लॉगशीट एवमं अन्य दस्तावेज की जांच नही की गई है। सत्य और वस्तुस्थिती पर आधारित इस रिपोर्ट से सालोंसाल मुंबईकरों से फर्जीवाडा कर मनपा को करोड़ों का चूना लगानेवाले ठेकेदार, जिम्मेदार आईएएस और मनपा अधिकारी के खिलाफ मनपा को एंटी करप्शन ब्यूरो से शिकायत कर एफआईआर दर्ज करने की मांग अनिल गलगली ने की है। ताकि भविष्य में ऐसा भ्रष्टाचार करने की हिम्मत कोई भी मनपा अधिकारी और ठेकेदार नही करेगा। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग अनिल गलगली ने की है।

नालेसफाईचा अहवाल सार्वजनिक करत कंत्राटदार, आयएएस आणि अधिकारीवर्गावर एफआयआर दाखल करा

थोडा पाऊस झाला तरी अनेक ठिकाणी पाणी साचते. रुळांवर पाणी आल्याने लोकलसेवा रखडते. यासाठी नालेसफाईचे नेहमीचे कारण पुढे केले जाते. यासंदर्भात मुंबई शहर, पूर्व व पश्चिम उपनगरांमधील पर्जनवाहिन्यांमधील नालेसफाईचा बनविण्यात आलेला अहवाल सार्वजनिक करत कंत्राटदार, आयएएस आणि अधिकारीवर्गावर एफआयआर दाखल करण्याची आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि पालिका आयुक्त अजोय मेहता यांस पाठविलेल्या पत्रात केली आहे. पालिका आयुक्त अजोय मेहता यांच्या २३ जुलै 2015 रोजीच्या आदेशानंतर उप आयुक्त प्रकाश पाटील यांच्या अधिपत्याखाली मुंबईतील नालेसफाईची चौकशी झाली असून हजारों पानाचा भरगच्च अहवाल नुकताच सादर झाला आहे. एकच वाहन टू वे ब्रिजवरून एकाच वेळी गेल्याचे कागदपत्रांनुसार समोर आले आहे. त्याशिवाय एकच वाहन दोन कंत्राटांमध्ये एकाच वेळी वापरल्याचे लॉगशीटनुसार दाखवण्यात आले आहे. एका कंत्राटातील एक फेरी पूर्ण होण्याआधी दुसऱ्या कंत्राटातील त्याच वाहनाची फेरी सुरू झाल्याचेही दिसते. एक वाहन दोन कंत्राटांमध्ये वापरताना त्या वाहनाची मोजमापे वेगळी दाखवून त्यानुसार वेगळ्या क्षमतेचे गाळ वाहून नेल्याची नोंद आहे. कंत्राटात तरतूद असताना चेकपोस्ट निर्माण करण्यात आले नाही व निविदेतील अटीनुसार त्रयस्थ ऑडिटरची नेमणूकही झाली नाही, अशी निरीक्षणे चौकशी समितीने नोंदवली आहेत. याशिवाय काही कंत्राटदारांना कामाचे पैसे देताना लॉगशीट व इतर कागदपत्रे तपासण्यात आली नाहीत, असेही समितीने नमूद केले आहे. सत्य आणि वस्तुस्थितीवर आधारित अहवालामुळे वर्षानुवर्षे मुंबईकरांची फसवूणक करत पालिकेला कोटयावधीचा चूना लावणा-या कंत्राटदार, आयएएस आणि जबाबदार पालिका अधिकारी विरोधात पालिकेने एंटी करप्शन ब्यूरो कडे तक्रार करत एफआयआर नोंदविण्याची मागणी अनिल गलगली यांनी केली आहे जेणेकरुन भविष्यात अशी घोडचुक कोणताही पालिका अधिकारी आणि कंत्राटदार करणार नाही. तसेच सदर अहवाल सार्वजनिक करण्याची मागणी अनिल गलगली यांनी केली आहे.

Make the report of Nullah Cleaning public

In Mumbai, even the slightest of rainfall can bring our life to a standtill. If the water gets clogged on the tracks, the whole railway system of Mumbai collapses. All the time, Nulla Cleaning is the only reason for this clogging. " All this is farce, I have personally written to our Chief Minister Devendra Fadnavis and BMC Commissioner Ajoy Mehta to register a case or file an FIR against these errant contracotrs, IAS officer dominating the BMC and also the babus of the BMC. I have also asked the BMC to make the report of Nullah cleaning for Mumbai City and both the western & eastern suburbs report public" , said RTI activist Anil Galgali. BMC Commmissioner Ajoy Mehta on the 23rd of July 2015 had constituted a committee under Deputy Municipal Commissioner Prakash Patil to file an entore rpeort on the nullah of Mumbai. A report of more then thousand pages is submitted to Bmc Commissioner Ajoy Mehta. Only one vehicle in a day has done a trip only once from a two way bridge, the report says. Also as per the contracts, only one vehicle has been used as per the Log Sheet available. Also even before one entire circle pof trip is completed, the second one starts before hand of the other contractor. Also the measurements have been noted twice for the same vehicle. There is no check-post created as per the contract nor a third party has been appointed for Audit purposes, states the report. Also while making payments to the contractors, no log sheet has been referred, concludes the report. More then thousand page report is a non-biased one. With this report in hindsight, Galgali has asked the BMC to have a seperate inquiry via the ACB of the contractors, IAS Officer and the officers of the BMC, so that the mess which has happened for all these years, should stop completely,urges Galgali. Galgali also demand to make report public.