Friday 27 November 2015

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इकठ्ठा किया 253 करोड़ का फंड

महाराष्ट्र राज्य सूखा, किसानों की आत्महत्या और खाली खजाने जैसे माहौल के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने बलबूते पर 253 करोड़ का फंड जमा करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्ष ने दी हैं जिसमें से 76 करोड़ की सहायता अबतक की गई हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्ष से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यह मुख्यमंत्री बनने के लिए जमा फंड और बनने के बाद जमा की गए फंड की जानकारी मांगते हुए खर्च और शेष रकम का ब्यौरा मांगा था। मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्ष से जन सूचना अधिकारी ने अनिल गलगली को बताया कि दिनांक 1 नवंबर 2014 के पहले मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्ष में 11 करोड़ 68 लाख 43 हजार 475 रुपए शेष थे। देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनने के बाद अब तक उन्होंने 253 करोड़ 5 लाख 3 हजार 76 रुपए ये रेकॉर्ड तोड़ फंड जमा करने के बाद पूर्व की शेष रकम को मिलाकर रकम 264 करोड़ 68 लाख 96 हजार 551 रुपए इतनी हुई हैं। इसमें से अब तक 76 करोड़ 19 लाख 67 हजार 88 रुपए की सहायता की गई हैं। अब 188 करोड़ 49 लाख 29 हजार 463 रुपए फंड में शेष हैं। मुख्यमंत्री सहायता निधी में कभी भी कुछ कम नही हो और हर एक को जरुरतमंदों को आर्थिक सहायता करने के लिए फिक्स डिपॉजिट की रकम बैंक में रखी जाती हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ये मुख्यमंत्री बनने के पहले फिक्स डिपॉजिट की रकम 124 करोड़ 50 लाख 32 हजार 346 रुपए थी। अब भी उतनी ही रकम है और उसमें नए सिरे से कोई अतिरिक्त रकम जमा नही हुई हैं। फिक्स डिपॉजिट की रकम और जमा रकम ऐसी कुल 312 करोड़ 99 लाख 61 हजार 809 रुपए की रकम मुख्यमंत्री सहायता निधी में वर्तमान में हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कुछ दिन के पहले मुख्यमंत्री सहायता निधी से डांस के लिए 8 लाख दिए जाने की बात का खुलासा किया था और उसके बाद 8 लाख की रकम को उस डांस ग्रुप ने वापस भी किया था। अनिल गलगली के अनुसार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने बलबूते पर जमा की हुई रकम प्रशंसनीय हैं क्योंकि इससे असहाय, जरुरतमंद और निराधार जनता की मदद ही होती हैं। सक्षम और अमीर लोगों ने ऐसे स्थानों पर आर्थिक सहाय कर मुख्यमंत्री सहायता निधी और सरकार का हात मजबुत करने का काम करना चाहिए। ऐसा मत अनिल गलगली ने व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सहायता निधी का वितरण करने के दौरान सर्तकता बरतनी चाहिए ताकि जरुरतमंदों को ही उसकी सहायता मिल सके।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीसानी जमविला 253 कोटीचा प्रचंड निधी

महाराष्ट्र राज्य दुष्काळ, शेतक-यांच्या आत्महत्या आणि तिजोरीत खणखणाट असताना मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी स्वबळावर 253 कोटीचा प्रचंड निधी जमविल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्षाने दिली असून यापैकी 76 कोटीचे सहाय करण्यात आले आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्षाकडे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हे मुख्यमंत्री बनण्यापूर्वी जमा असलेली आणि बनल्यानंतर जमा झालेल्या निधीची माहिती मागत खर्च आणि शिल्लक रक्कमेची माहिती मागितली होती. मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्षाच्या जन माहिती अधिकारी यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की दिनांक 1 नोव्हेंबर 2014 पूर्वी मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्षात 11 कोटी 68 लाख 43 हजार 475 रुपये शिल्लक होते. देवेंद्र फडणवीस हे मुख्यमंत्री बनल्यानंतर आतापर्यंत त्यांनी 253 कोटी 5 लाख 3 हजार 76 रुपये अशी विक्रमी निधी उभी केल्यामुळे पूर्वीच्या रक्कमेत भर होत ती रक्कम 264 कोटी 68 लाख 96 हजार 551 रुपये इतकी झाली आहे. यापैकी आता पर्यंत 76 कोटी 19 लाख 67 हजार 88 रुपयांची सहायता करण्यात आलेली आहे. आता 188 कोटी 49 लाख 29 हजार 463 रुपये शिल्लक आहे. # मुदत ठेव 124 कोटीची मुख्यमंत्री सहायता निधीत कधीही कमतरता पडू नये आणि प्रत्येक गरजुस आर्थिक सहायता करण्यासाठी मुदत ठेव रक्कम ठेवण्यात येते. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हे मुख्यमंत्री बनण्यापूर्वी मुदत ठेवीची रक्कम 124 कोटी 50 लाख 32 हजार 346 रुपये होती. आताही तेवढीच रक्कम असून त्यात नवीन कोणतीही भर पडली नसून मुदत ठेव आणि जमा रक्कम अशी एकुण 312 कोटी 99 लाख 61 हजार 809 रुपये रक्कम मुख्यमंत्री सहायता निधीत आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी काही दिवसापूर्वी मुख्यमंत्री सहायता निधीतुन डांससाठी 8 लाख दिल्याचा गौप्यस्फोट केला होता आणि त्यानंतर 8 लाख त्या डांस ग्रुप ने परत केले होते. अनिल गलगली यांच्या मते मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी स्वबळावर जमा केलेली प्रचंड रक्कम कौतुकास्पद आहे. यामुळे असहाय, गरजू आणि निराधार जनतेस मदत होते. सक्षम आणि धनाढ्य लोकांनी अश्या ठिकाणी आर्थिक सहाय करुन मुख्यमंत्री सहायता निधी आणि सरकारचे हात मजबुत करण्याचे काम करावे, असे गलगली यांनी मत व्यक्त करत अपेक्षा व्यक्त केली की मुख्यमंत्री सहायता निधीचे वितरण करताना योग्य दक्षता घ्यावी जेणेकरुन गरजू व्यक्तीनाच आर्थिक सहाय होईल.

CM Devendra Fadnavis collects Rs 253 crores in its Relief Fund

At a time when Maharashtra is facing a severe drought and the farmers committing suicide,followed by the claims of empty coffers, the CM Devendra Fadnavis in a personal drive ensured a collection of a whopping Rs 253 crores in its CM Relief Fund, this information was provided to RTI Activist Anil Galgali, by the CM Relief Fund desk. Rs 76 crores out of the collection has been distributed too. RTI Activist Anil Galgali had sought information from the CM Relief Fund desk about the balance in its account prior to CM Devendra Fadnavis taking office and also after his assuming the office. He also sought the the total amount of funds utilised and the balance in its account. The Public Information Officer in the CM Relief Fund desk in its reply to the query informed Galgali that,the Balance in the CM Relief Fund before 1st November 2014 was Rs 11 crores 68 Lakhs 43 Thousand 475. After CM Devendra Fadnavis took over as CM, Rs 253 Crores 5 lakhs 3 Thousand 76 was collected, taking the total balance to Rs 264 Crores 68 Lakhs 96 Thousand 551 and out this balance Rs 76 crores 19 Lakhs 67 Thousand 88 was disbursed from the Fund and the current balance being Rs 188 crores 49 Lakhs 29 Thousand 463. # Fixed Deposits of Rs 124 Crores. With an aim that there should never be any shortfall in the CM Relief Fund and every deserving seeker be helped , there is a practice to keep funds in Fixed Deposits. The FD's in the Fund was Rs 124 Crores 50 Lakhs 32 Thousand 346, prior to CM Fadnavis assuming office and there has been no change in the status uptill now with the balance in FD's remaining the same, taking the total of Balance in FD's and its account to Rs 312 Crores 99 Lakhs 61 Thousand 809. RTI Activist Anil Galgali had recently exposed the grant of Rs 8 Lakhs from the Relief Funds for a Dance Troupe, after the exposure the Dance Troupe returned the grant of Rs 8 Lakhs to the Fund. Anil Galgali has congratulated the CM for his initiative to collect funds for the Relief Fund, which is heplfill for the deserving poor and needy people. Galgali also expressed that the Rich and capable citizens should donate to the Relief Fund and strengthen the hands of the Govt to help the needy. He also coutioned the govt to be alert and ensure that the poor, needy and deserving people are only sanctioned from the Fund.

Monday 23 November 2015

मेट्रो किराया के खिलाफ हुई कोर्टबाजी पर एमएमआरडीए का 1.46 करोड़

देश की पहली सार्वजनिक निजी भागीदारी से तयार हुई मुंबई मेट्रो किराया के खिलाफ एमएमआरडीए प्रशासन ने अब तक कोर्टबाजी पर कुल रु 1.46 करोड़ खर्च करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई मेट्रो वन के किराया के खिलाफ एमएमआरडीए प्रशासन ने कोर्ट और अन्य कमिटी के पास दायर दावों पर हुए खर्च की जानकारी एमएमआरडीए प्रशासन से मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि मुंबई महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण ने मुंबई मेट्रो वन ने बढाए हुए किराया के खिलाफ कोर्ट और अन्य कमिटी के पास दावा दायर करने के लिए खैतान एंड कंपनी की नियुक्ती की हैं। आज तक इस कंपनी को रु.1,44,94,321/- रकम दी जा चुकी हैं। इसमें सभी प्रकार के खर्च समावेेश हैं। मुंबई हाईकोर्ट में नए से दायर मामले के खर्च की जानकारी मांगने पर अनिल गलगली को बताया गया कि खैतान एंड कंपनी को आज तक रु. 1,44,94,321/- रकम दी जा चुकी हैं। इसमें सभी प्रकार के खर्च का समावेश हैं। इन दावों के लिए एमएमआरडीए प्रशासन से अतिरिक्त प्रमुख के. विजयालक्ष्मी, सह योजना निदेशक संचालक योगिता परलकर और अधिक्षक अभियंता मृ.सि. देवारु एमएमआरडीए की ओर से कोर्ट गए थे। अब तक तकरीबन रु 1,00,000/- खर्च किया गया हैं। वकील और अधिकारी इनका कुल खर्च 1 करोड़ 45 लाख 94 हजार 321 इतना किया गया हैं। इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी कोर्ट का रिजल्ट एमएमआरडीए प्रशासन के खिलाफ जाने पर अनिल गलगली ने अफ़सोस जताया हैं। जबतक मेट्रो अक्ट में सुधार नहीं होगा तबतक एमएमआरडीए प्रशासन को मुंबई मेट्रो का किराया दाम पर नियंत्रण रखना मुश्किल है, ऐसा अनिल गलगली ने तर्क रखा हैं। जिसके लिए मुख्यमंत्री को पहल कर केंद्र सरकार से बात करना जरुरी हैं।

मेट्रोच्या भाडेवाढी विरोधात एमएमआरडीएचा न्यायालयीन खर्च 1.46 कोटी

देशातील पहिली सार्वजनिक खाजगी भागीदारीतुन तयार झालेल्या मुंबई मेट्रोच्या भाडेवाढी विरोधात एमएमआरडीए प्रशासनाने आता पर्यंत न्यायालयीन दाव्यावर एकुण रु 1.46 कोटी खर्च केले असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई मेट्रो वन भाडे विरोधात एमएमआरडीए प्रशासनाने न्यायालय व अन्य ठिकाणी दाखल दावावर केलेल्या खर्चाची माहिती एमएमआरडीए प्रशासनाकडे मागितली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांस कळविले की मुंबई महानगर विकास प्राधिकरणातर्फे मुंबई मेट्रो वनच्या भाडेवाढीच्या विरोधात न्यायालयात व अन्य ठिकाणी दावा दाखल करण्याकरिता प्राधिकरणाने खैतान एंड कंपनी यांची नेमणूक केली आहे. आज पर्यंत सदर कंपनीस रु. 1,44,94,321/- रक्कम वितरित करण्यात आलेली आहे. यात सर्व प्रकारच्या खर्चाचा समावेश आहे. मुंबई उच्च न्यायालयात नव्याने दाखल दावासाठी खर्च शुल्काची माहिती मागितली असता खैतान एंड कंपनी यास आज पर्यंत रु. 1,44,94,321/- रक्कम वितरित करण्यात आलेली आहे. यात सर्व प्रकारच्या खर्चाचा समावेश आहे, असे उत्तर अनिल गलगली यांस दिले आहे. या दावासाठी एमएमआरडीए प्रशासनातील अतिरिक्त प्रमुख के. विजयालक्ष्मी, सह प्रकल्प संचालक योगिता परळकर आणि अधिक्षक अभियंता मृ.सि. देवारु एमएमआरडीएच्या वतीने न्यायालयामध्ये गेले होते. आतापर्यंत यावर अंदाजित रु 1,00,000/- खर्च आलेला आहे. वकील आणि अधिकारी यांचा एकुण खर्च 1 कोटी 45 लाख 94 हजार 321 करण्यात आलेला आहे. इतकी प्रचंड रक्कम खर्च केल्यानंतरही न्यायालयीन निकाल एमएमआरडीए प्रशासनाच्या विरोधात आल्याची खंत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केली आहे. जो पर्यंत मेट्रो अक्ट मध्ये सुधारणा होणार नाही तोपर्यंत एमएमआरडीए प्रशासनास मुंबई मेट्रोचे तिकीट दरावर नियंत्रण ठेवणे शक्य होणार नाही, असे सरतेशेवटी अनिल गलगली यांनी मत मांडत सांगितले की यासाठी मुख्यमंत्री यांस पुढाकार घेत केंद्र शासनाकडे पाठपुरावा करण्याची गरज आहे.

MMRDA incurs legal expenses of Rs 1.46 crores to oppose Fare Increase by Mumbai Metro One.

Mumbai Metro One which was the first PPP project undertaken by the MMRDA has run into legal hassles to control the fare hike done by the MMOPL. The MMRDA has had to incur legal expenses of Rs 1,46 crores uptill now to oppose the unilateral fare hike done by the JV company, this information was provided to RTI Activist Anil Galgali. RTI Activist Anil Galgali had sought information from the MMRDA regarding the various cost incurred uptill now on cases filed by it on the fare hike of Mumbai Metro One. MMRDA administration in its reply to Anil Galgali informed that, it had appointed M/s Khatan and Co as its advocates to file cases on the fare hike by Mumbai Metro One in courts and other forums and has paid them Rs 1 crore 44 lakhs 94 thousand 321 as fees and includes all expenses too. Also on the query regarding the expenses incurred on fresh petition filed in the Mumbai High Court, it has replied Galgali, that Rs 1,44,94,321/= has been paid by MMRDA to M/s Khaitan & Co, which includes all types of expenses. In support of the cases, the MMRDA Addl Chief K Vijayalaksmi, Jt Project Director Yogita Paralkar, and Suprintending Engineer M C Devaroo had been present in the court, on which Rs 1,00,000/= expenses were incurred. A total of Rs 1 crore 45 lakhs 94 thousand 321 has been spent on Advocates and officials on these cases. Inspite of spending such a huge amount on the cases filed by MMRDA, it has failed to get any respite in the matter, regretted Galgali. He further stressed that unless and untill a modification is enacted in the Metro Act, the MMRDA will have no control on the fares of Mumbai Metro One, for which the CM should put in his best efforts to properly present its case with the Central Govt, expressed Galgali.

Thursday 19 November 2015

नही मिल रही हैं प्यासे मराठवाडा को सिंचाई के लिए सरकारी मंजूरी

मराठवाडा के बीड, जालना और औरंगाबाद इन जिला में 1735 लघुसिंचाई को करीब 171 करोड़ रुपए की मांग को मंजूर करने पर 17453 हेक्टर सिंचाई की क्षमता बढ़ेगी। ऐसी जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को ग्रामविकास व जलसंधारण विभाग ने दी हैं। फरवरी 2014 से जनवरी 2015 इस दौरान प्यासे मराठवाडा को सिंचाई के लिए सरकारी मंजूरी नही मिलने से महाराष्ट्र सरकार की पोल खुल गई हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने ग्रामविकास व जलसंधारण विभाग से दिनांक 01.09.2015 को कोलापूर पैटर्न के तहत बांध की मरम्मत को लेकर जानकारी मांगी थी। ग्रामविकास व जलसंधारण विभाग के कार्यासन अधिकारी ने अनिल गलगली को बताया कि लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस योजना के तहत सरकार से मुख्य अभियंता कार्यालय, पुणे ने 170 करोड़ 57 लाख 77 हजार रुपए की मांग की थी। मराठवाडा के बीड, जालना और औरंगाबाद इन जिला के 1735 लघुसिंचाई की वर्तमान सिंचाई की क्षमता 25128 हेक्टर हैं। लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस हुआ तो क्षमता में 17543 इतनी हेक्टर की क्षमता बढ़ेगी। जिससे कुल सिंचाई की क्षमता 42671 इतनी हेक्टर होगी। बीड जिला के 575 लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस होने पर इस क्षमता में 4119 हेक्टर इतनी सिंचाई की क्षमता बढ़ेगी जो जी वर्तमान में 9661 हेक्टर हैं। यानी करीबन 43 प्रतिशत सिंचाई की क्षमता बढ़ेगी। जालना जिला में 4475 हेक्टर इतनी सिंचाई की क्षमता है जो 414 लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस होने पर इस क्षमता में 2527 हेक्टर इतनी वृद्धि होगी। वही ओरंगाबाद जिला के 746 लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस न होने से इसकी 10897 हेक्टर क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार राजी नही होने से इसकी वर्तमान 28535 हेक्टर सिंचन क्षमता हैं। अनिल गलगली के अनुसार प्यासे मराठवाडा को सिंचाई के लिए सरकारी मंजूरी देकर ताबडतोब रकम देना आवश्यक हैं। महाराष्ट्र सरकार की जलयुक्तशिवार की तुलना में लघु सिंचाई (जलसंधारण) प्रोजेक्ट की मरम्मत और मेंटेनेस किया जाता है तो बड़ी रकम बचेगी और सिंचाई की क्षमता और बढ़ेगी। राज्य सरकार ने 171 करोड़ रुपए की मांग को मंजूर कर 17453 हेक्टर सिंचाई की क्षमता बढाए ताकि मराठवाडा की प्यास बुझाने के लिए सरकारी मदद सहायक साबित होगी, ऐसी मांग अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे हुए पत्र में की हैं। पिछले एका वर्ष में सिर्फ मराठवाडा में 745 किसानों ने आत्महत्या करने की दर्दनाक सच्चाई सामने होते हुए भाजपा सरकार सिंचाई की क्षमता नही बढ़ाने पर अनिल गलगली ने नाराजगी जताई हैं।

तहानलेल्या मराठवाडयास सिंचनासाठी सरकारी मंजूरी मिळेना

मराठवाडयातील बीड, जालना आणि औरंगाबाद या जिल्ह्यातील 1735 लघुसिंचनास जवळपास 171 कोटी रुपयाची मागणी मंजूर केल्यास 17453 हेक्टर सिंचनक्षमता वाढेल, अशी माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस ग्रामविकास व जलसंधारण विभागाने दिली आहे. फेब्रुवारी 2014 पासून जानेवारी 2015 या कालावधीतील तहानलेल्या मराठवाडयास सिंचनासाठी सरकारी मंजूरी मिळत नसल्यामुळे महाराष्ट्र सरकारचे पितळ उघडे पडले आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी ग्रामविकास व जलसंधारण विभागाकडे दिनांक 01.09.2015 रोजी कोल्हापूर पैटर्न पद्द्तीचे बंधारे दुरुस्ती बाबत माहिती विचारली होती. ग्रामविकास व जलसंधारण विभागाचे कार्यासन अधिकारी यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रकल्पांचे दुरुस्ती व परिरक्षण योजनेखाली शासनाकडे मुख्य अभियंता कार्यालय, पुणे यांनी 170 कोटी 57 लाख 77 हजार रुपयाची मागणी केली आहे. मराठवाडयातील बीड, जालना आणि औरंगाबाद या जिल्ह्यातील 1735 लघुसिंचनाची सद्याची सिंचन क्षमता 25128 आहे. लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रकल्पांचे दुरुस्ती व परिरक्षण झाल्यास या क्षमतेमध्ये 17543 इतकी हेक्टर क्षमता वाढेल ज्यामुळे एकूण सिंचन क्षमता 42671 इतकी हेक्टर होईल. बीड जिल्ह्यातील 575 लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रकल्पांचे दुरुस्ती व परिरक्षण झाल्यास या क्षमतेमध्ये 4119 हेक्टर इतकी सिंचन क्षमता वाढेल जी सद्या 9661 हेक्टर आहे.म्हणजे जवळपास 43 टक्के सिंचन क्षमता वाढेल. जालना जिल्ह्यात 4475 हेक्टर इतकी सिंचन क्षमता असून 414 लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रकल्पांचे दुरुस्ती व परिरक्षण झाल्यास या क्षमतेमध्ये 2527 हेक्टर इतकी वाढ होणार आहे. तर ओरंगाबाद जिल्ह्यातील 746 लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रकल्पांचे दुरुस्ती व परिरक्षण झाले नसून 10897 हेक्टर क्षमता वाढविण्यासाठी सरकार तयार नसून सद्या 28535 हेक्टर सिंचन क्षमता आहे. अनिल गलगली यांच्या मते तहानलेल्या मराठवाडयास सिंचनासाठी सरकारी मंजूरी देत ताबडतोब रक्कम देणे आवश्यक आहे. महाराष्ट्र सरकार जलयुक्तशिवारच्या तुलनेत लघु सिंचन (जलसंधारण) प्रकल्पांचे दुरुस्ती व परिरक्षण केल्यास मोठी रक्कम ही वाचेल आणि सिंचनक्षमता अधिक वाढेल. राज्य सरकारने 171 कोटी रुपयाची मागणी मंजूर करुन 17453 हेक्टर सिंचनक्षमता वाढवावी जेणेकरुन मराठवाडयाची तहान भागण्यास सरकारी मदत सहायक ठरेल, अशी मागणी अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस लिहिलेल्या पत्रात केली आहे. गेल्या एका वर्षात फक्त मराठवाडयात 745 शेतक-यांनी आत्महत्या केल्याचे धक्कादायक वास्तव असताना भाजपा सरकार सिंचन क्षमता वाढवित नसल्याबद्दल अनिल गलगली यांनी खंत व्यक्त केली.

Projects which could provide some respite for the water starved Marathwada,stuck due to lack of approvals from the state government

Almost 1735 small dams in the Beed, Jalna and Aurangabad districts of Marathwada are lying under utilised due lack of sanction of a measly from irrigation standards of Rs 171 crores, which has potential to increase the irrigation upto 17453 hectares, this information was provided to RTI activist Anil Galgali by the Rural Development and Water conservation dept. The issue pending since February 2014 to January 2015 exposes the seriousness of the state government of its intention to quench the thirst of Marathwada. RTI activist Anil Galgali had filed an RTI query with the Rural Development and Water conservation dept of the Govt of Maharashtra on 01/09/2015 seeking information about the repairs to the small dams based on the kolhapur pattern. The Desk officer of the department informed Anil Galgali that, for the repairs and maintenance of the small dams for water conservation, The Chief Engineers office in the Pune has demanded Rs 170 crores 57 lakhs 77 thousand for 1735 small dams situated in Beed, Jalna and Aurangabad which has currently holding a potential for irrigation of 25128 hectares. If these dams under the Mini Irrigation (Water Conservation) project are repaired and maintain, it will increase the potential of irrigation by 17543 hectares taking it to 42671 hectares. Beed district has 575 Mini Irrigation (Water Conservation) projects in need of urgent repairs and maintenance, if undertaken and completed will increase the potential by 4119 hectares, which is currently at 9661 hectares, thereby increasing the potential by 43%. Jalna similarly has 414 mini irrigation (Water Conservation) projects with the current potential of 4475 hectares, with repairs it is estimated to increase the potential by 2527 hectares. Aurangabad has 746 similar projects which can increase the potential by 10897 hectares, which is currently at 28535 hectares. Anil Galgali has expressed his view that it is of utmost urgency that the funds be sanctioned immediately to quench the thirst of Marathwada. If the urgent attention is given to the Mini Irrigation (Water Conservation) projects instead of the pet Jal Yukt shivar project of the state government the results would be faster and will save huge revenue for the govt and also Increase the irrigation potential. It should immediately sanction Rs 171 crores, which will increase the irrigation potential by 17453 hectares which will certainly some what quench the thirst of Marathwada demanded Galgali in a letter addressed to CM Devendra Fadnavis. He further expressed regret the delay in taking the decision by the BJP govt leading to non repairs of the small dams and reduced irrigation potential, that almost 745 farmers gave up their lives in Marathwada alone due to lack of water and irrigation.

Monday 16 November 2015

एफटीआयआय अध्यक्ष के दौरे पर कितना हुआ खर्च? एफटीआयआय संस्थान को पता नही

भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान यानी एफटीआयआय अध्यक्ष ने देश के भीतर और विदेश में किए विभिन्न दौरे पर हुए खर्च की जानकारी पता न होने का अजीबोगरीब दावा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दिए हुए एक आरटीआई के अर्जी पर एफटीआयआय संस्थान ने किया हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दिनांक 26 अगस्त 2015 को एफटीआयआय से जानकारी मांगी थी कि देश के भीतर और विदेश में एफटीआयआय के खर्च पर एफटीआयआय अध्यक्ष ने गत 15 वर्षो में किए हुए विभिन्न दौरे की जानकारी कुल खर्च सहित दी जाए। एफटीआयआय के प्रशासकीय अधिकारी एस के डेकटे ने दिनांक 29 अगस्त 2015 को अनिल गलगली को बताया कि उक्त जानकारी 3 सप्ताह में उपलब्ध कराई जाएगी। इन दौरे को मंजूरी देनेवाले सक्षम प्राधिकारी की जानकारी मांगने पर अनिल गलगली को बताया गया था कि एफटीआयआय अध्यक्ष के ऑफिसियल दौरे को मंजूरी देने का अधिकार निदेशक को हैं वही विदेश में एफटीआयआय अध्यक्ष के ऑफिसियल दौरे को मंजूरी सूचना और प्रसारण मंत्रालय देता हैं। 29 दिन के बाद एफटीआयआय ने दौरे पर हुए खर्च की जानकारी देने के बजाय दिनांक 26 अक्टूबर 2015 को एफटीआयआय के मुख्य लेखा अधिकारी यू ए ढेकने ने अनिल गलगली को बताया कि एफटीआयआय का बी एंड ए विभाग यह सिर्फ संस्थान के विभिन्न सेल और विभागाद्वारा पेश किए हुए बिल की रकम को अदा करने से संबंधित हैं। किसी भी फाइल और रेकॉर्ड के अंतर्गत बिल मंजूर करने का व्यवहार करती नही हैं। खर्च को मंजूरी यह संबंधित विभाग की फाइल में उपलब्ध हैं। डेकटे ने आगे बताया कि सरकारी नियमों के अनुसार वार्षिक अकाउंट तयार किया जाता हैं। एफटीआयआय संस्थान व्यक्तिगत छात्र, स्टाफ और सप्लायर का अकाउंट मेन्टेन नही करती हैं। इसी लिए एफटीआयआय अध्यक्ष के दौरे के खर्च की जानकारी बी एंड ए विभाग के पास वर्गीकृत फॉर्मेट में उपलब्ध नही हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली का तर्क है कि इस तरह की जानकारी आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 4(1) अन्वये एफटीआयआय संस्थान के पास उपलब्ध होना कानून से अनिवार्य हैं। पहले जानकारी 3 सप्ताह में देने वाला पत्र भेजनेवाली एफटीआयआय अब जानकारी उपलब्ध न होने का दावा कर बेमतलब झूठ बोलने का आरोप अनिल गलगली ने किया हैं। अनिल गलगली ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय को पत्र भेजकर एफटीआयआय अध्यक्ष के सभी दौरे की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की हैं।

एफटीआयआय अध्यक्षाच्या प्रवास खर्चाची माहिती एफटीआयआय संस्थानाकडे उपलब्ध नाही

भारतीय फिल्म आणि टेलीविजन संस्थान म्हणजे एफटीआयआय अध्यक्षांनी देशांतर्गत आणि देशाबाहेर केलेल्या विविध प्रवास खर्चाची माहिती उपलब्ध नसल्याचा दावा आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिलेल्या माहितीत एफटीआयआय संस्थानाने केला आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी दिनांक 26 ऑगस्ट 2015 रोजी एफटीआयआयकडे माहिती विचारली होती की देशांतर्गत आणि देशाबाहेर एफटीआयआयच्या खर्चावर एफटीआयआय अध्यक्षानी गेल्या 15 वर्षात केलेल्या विविध प्रवासाची माहिती एकूण खर्चासहित देण्यात यावी. एफटीआयआयचे प्रशासकीय अधिकारी एस के डेकटे यांनी दिनांक 29 ऑगस्ट 2015 रोजी अनिल गलगली यांस कळविले की सदर माहिती 3 आठवड्यात उपलब्ध करुन देण्यात येईल. या दौ-यास मंजूरी देणा-या सक्षम प्राधिकारीची माहिती विचारली असता अनिल गलगली यांस कळविण्यात आले की देशांतर्गत एफटीआयआय अध्यक्षाच्या ऑफिसियल दौ-यांस मंजूरी देण्याचे अधिकार संचालकास आहे तर देशाबाहेर एफटीआयआय अध्यक्षाच्या ऑफिसियल दौ-यांस मंजूरी माहिती आणि प्रसारण मंत्रालय देते. 29 दिवसानंतर एफटीआयआयने माहिती दिली नाही पण दिनांक 26 आक्टोबर 2015 रोजी एफटीआयआयचे मुख्य लेखा अधिकारी यू ए ढेकणे यांनी कळविले की एफटीआयआयतील बी एंड ए विभाग हे फक्त संस्थानातील विविध कक्ष आणि विभागा तर्फे सादर केलेल्या बिलाची रक्कम अदा करण्याशी निगडित आहे. कोणत्याही फाइल आणि अभिलेखा अंतर्गत बिल मंजूर करण्याचा व्यवहार करत नाही. खर्चास मंजूरी ही संबंधित विभागाच्या फाइलमध्ये उपलब्ध आहे. डेकटे यांनी पुढे कळविले की सरकारी नियमाप्रमाणे वार्षिक अकाउंट तयार केले जाते. एफटीआयआय संस्थान वैयक्तिक विद्यार्थी , स्टाफ आणि सप्लायर यांचे अकाउंट मेन्टेन करत नाही.त्यामुळेच एफटीआयआय अध्यक्षाच्या प्रवास खर्चाची माहिती बी एंड ए विभागाकडे वर्गीकृत फॉर्मेट मध्ये उपलब्ध नाही आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या मते अशी माहिती आरटीआय एक्ट 2005 च्या कलम 4(1) अन्वये एफटीआयआय संस्थानाकडे उपलब्ध असणे कायदाने बंधनकारक आहे. प्रथम माहिती 3 आठवड्यात देण्याचे पत्र पाठविणारी एफटीआयआय आता माहिती उपलब्ध नसल्याचा दावा करुन विनाकारण खोटे बोलत असल्याचा आरोप अनिल गलगली यांनी केला आहे. अनिल गलगली यांनी माहिती आणि प्रसारण मंत्रालयास पत्र पाठवून एफटीआयआय अध्यक्षाच्या प्रवास खर्चाची माहिती सार्वजनिक करण्याची मागणी केली आहे.

Traveling Expenses incurred by the Chairman of FTTI is not available with FTII itself

In a shocking revelation made by RTI activist Anil Galgali, it is said that the traveling expenses incurred by the Chairman of the famous Film and Television Institute to travel within the country and abroad is not available with the premier institute itself. RTI Activist Anil Galgali had filed an RTI with the FTII in 26 August 2015 had demanded expenses incurred on travels made by the Chairman of the FTII in India or abroad in last 15 years. FTII Deputy Director S K Dekate has inform Anil Galgali that the information would be made available within 3 weeks. Also Galgali had put a query as to who was the authority to sanction such traveling tours of the Chairman, to which Institute had replied that for domestic travels i.e. in India , the Director of the institute has the authority and for abroad tours, permission is granted by the Ministry of Information and Broadcasting. But after 29 days no information was not made available to Anil Galgali. 29 October 2015,Chief Account Officer Shri U A Dhenke informed Anil Galgali that B & A Section is concerned only with the payment of bills submitted by various sections/ departments of the institute and do not deal with any type of file/records the approval of bills etc. The approval of expenditure sanction etc is available only in the files of the concerned departments. Mr Dhenkne further informed that Annual Accounts of the Institute as a whole are prepared as per Government norms. Therefore , Institute doesn't maintain accounts for individual student, staff or supplier etc. Therefore, the information regarding Traveling expenses of FTII Chairman is not available at the B&A Section in complete format. Anil Galgali said that such information as per Right to Information Act of 2005 section 4 (1) should be compulsorily to disclose. "Firstly they informed me that we will give you information within 3 weeks, and now they deny the same. Anil Galgali now written to the Information and Broadcasting Ministry to make available such information and make it disclose in the public domain".

Sunday 15 November 2015

मुंबई यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख एलएलबी परीक्षा में हुए फेल

मुंबई यूनिवर्सिटी के अंतर्गत 740 से अधिक महाविद्यालय और लाखों छात्रों का भविष्य जिस वाईस चांसलर के हाथों में होता हैं इनकी क्षमता को परखना जायज नही माना जाता हैं लेकिन मुंबई यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ संजय वसंत देशमुख एलएलबी परीक्षा में फेल होने की चौकानेवाली जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई यूनिवर्सिटी ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दिनांक 18.09.2015 को मुंबई यूनिवर्सिटी के परिक्षा परिणाम कक्ष, नाम पंजीकरण विभाग और पुनर्मुल्यांकन विभाग से मुंबई यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ संजय वसंत देशमुख ने दी हुई एलएलबी परीक्षा और परिणाम की जानकारी मांगी थी। मुंबई यूनिवर्सिटी के परिक्षा परिणाम कक्ष के उपकुलसचिव ने अनिल गलगली को बताया कि संजय वसंत देशमुख ने एलएलबी के पदवी शिक्षाक्रम सत्र-1 के अक्टूबर/ नवंबर, 2014 में लिए हुए परिक्षा में आवेदन दाखिल किया था लेकिन वे परिक्षा में बैठे नही थे। साथ ही में शिक्षाक्रम सत्र-2 के अप्रैल/मई, 2015 में लिए हुए परिक्षा में बैठे थे और फेल हुए हैं। # स्थायी नाम पंजीकरण क्रमांक प्रलंबित मुंबई यूनिवर्सिटी के किसी भी परिक्षा में छात्र के पास परिक्षा में बैठने के लिए स्थायी नाम पंजीकरण क्रमांक होना अनिवार्य होता है लेकिन वाईस चांसलर हुए डॉ संजय देशमुख के पास इस तरह का स्थायी नाम पंजीकरण क्रमांक न होने की जानकारी नाम पंजीकरण विभाग ने अनिल गलगली को दी हैं। मुंबई यूनिवर्सिटी के नाम पंजीकरण विभाग के उपकुलसचिव ने अनिल गलगली को बताया कि संजय वसंत देशमुख का नाम पंजीकरण प्रलंबित होने से स्थायी नाम पंजीकरण क्रमांक उपलब्ध नही किया जा सकता हैं। अलिबाग स्थित एड दत्ता पाटील कॉलेज ऑफ लॉ में प्रवेश लेनेवाले संजय वसंत देशमुख की पात्रता प्रलंबित होने से उन्हें स्थायी नाम पंजीकरण क्रमांक जारी नही किया। स्थायी नाम पंजीकरण क्रमांक जारी नही होता है तब तक परिक्षा में बैठने नही दिया जाता हैं और परिक्षा में बैठने पर ऐसे छात्रों का परिणाम घोषित नही होने का आरोप लगाते हुए अनिल गलगली ने कहा कि वाईस चांसलर होने से नियम को बगल में रखकर उनका परिणाम घोषित किया गया। # पुनर्मुल्यांकन के लिए आवेदन किया नही एलएलबी इस शिक्षाक्रम सत्र-2 के अप्रैल/मई, 2015 में लिए गए परिक्षा में बैठकर फेल होने के बाद संजय वसंत देशमुख ने पुनर्मुल्यांकन के लिए आवेदन नही करने की जानकारी अनिल गलगली को मुंबई यूनिवर्सिटी के पुनर्मुल्यांकन कक्ष की उपकुलसचिव ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख एलएलबी परीक्षा में फेल होने को गंभीर बताते हुए सर्च कमिटी ने किस आधार और गुणवत्ता पर देशमुख को मुंबई यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर पद पर आसीन किया है? यह सवाल करते हुए अनिल गलगली ने मुंबई यूनिवर्सिटी के चांसलर और राज्य के राज्यपाल को पत्र भेजकर मुंबई यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा को बचाने की अपील की हैं। डॉ संजय देशमुख के फेल होने से मुंबई यूनिवर्सिटी की उज्वल परंपरा और प्रतिमा मलिन होने की बात अनिल गलगली ने कही हैं।

मुंबई विद्यापीठाचे कुलगुरु डॉ संजय देशमुख एलएलबी परीक्षेत अनुउत्तीर्ण

मुंबई विद्यापीठाअंतर्गत 740 हुन महाविद्यालये आणि लाखों विद्यार्थ्यांचे भविष्य ज्या कुलगुरुच्या हातात असते त्यांच्या क्षमतेची चाचपणी करणे हे योग्य नसते पण मुंबई विद्यापीठाचे कुलगुरु डॉ संजय वसंत देशमुख एलएलबी परीक्षेत अनुउत्तीर्ण झाले असल्याची धक्कादायक कबुलीच आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई विद्यापीठाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी दिनांक 18.09.2015 रोजी मुंबई विद्यापीठाच्या परिक्षा निकाल कक्ष, नावनोंदणी विभाग आणि पुनर्मुल्यांकन कक्षाकडे मुंबई विद्यापीठाचे कुलगुरु डॉ संजय वसंत देशमुख यांनी दिलेली एलएलबी परीक्षा आणि निकालाबाबत माहिती विचारली होती. मुंबई विद्यापीठाच्या परिक्षा निकाल कक्षाचे उपकुलसचिव यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की संजय वसंत देशमुख यांनी एलएलबी या पदवी शिक्षणक्रमाच्या सत्र-1 च्या ऑक्टोबर/ नोव्हेंबर, 2014 मध्ये घेतलेल्या परिक्षेसाठी अर्ज दाखल केला होता पण ते परिक्षेस प्रविष्ठ झाले नाहीत.तसेच ते या शिक्षणक्रमाच्या सत्र-2 च्या एप्रिल/मे, 2015 मध्ये घेतलेल्या परिक्षेस प्रविष्ठ होऊन अनुउत्तीर्ण झालेले आहे. # कायम नावनोंदणी प्रलंबित मुंबई विद्यापीठाच्या कोणत्याही परिक्षेस विद्यार्थ्यांकडे परिक्षेस बसताना कायम नावनोंदणी क्रमांक असणे आवश्यक असते पण कुलगुरु झालेले डॉ संजय देशमुख यांसकडे अश्या प्रकारचा कायम नावनोंदणी क्रमांक नसल्याची कबूली नावनोंदणी विभागाने अनिल गलगली यांस दिली. मुंबई विद्यापीठाच्या नावनोंदणी विभागाचे उपकुलसचिव यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की संजय वसंत देशमुख यांचा कायम नावनोंदणी प्रलंबित असल्याने नावनोंदणी क्रमांक पुरवू शकत नाही. अलिबाग येथील एड दत्ता पाटील कॉलेज ऑफ लॉ मधील विद्यार्थी असलेले संजय वसंत देशमुख यांची पात्रता प्रलंबित असल्यामुळेच त्यांस कायम नावनोंदणी क्रमांक जारी केला नाही. कायम नावनोंदणी क्रमांक जारी होत नाही तोपर्यंत परिक्षेस बसण्यास दिले जात नाही आणि परिक्षेस बसला तर अश्या विद्यार्थ्यांचा निकाल जाहीर केला जात नसल्याचे सांगत अनिल गलगली यांनी आरोप केला की कुलगुरु असल्यामुळेच नियम बाजुला सारत निकाल जाहीर केला गेला आहे. # पुनर्मुल्यांकनासाठी अर्ज केला नाही एलएलबी या शिक्षणक्रमाच्या सत्र-2 च्या एप्रिल/मे, 2015 मध्ये घेतलेल्या परिक्षेस प्रविष्ठ होऊन अनुउत्तीर्ण झाल्यानंतर संजय वसंत देशमुख यांनी पुनर्मुल्यांकनासाठी अर्ज केला नसल्याची माहिती अनिल गलगली यांस मुंबई विद्यापीठाच्या पुनर्मुल्यांकन कक्षाच्या उपकुलसचिव यांनी दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई विद्यापीठाचे कुलगुरु डॉ संजय देशमुख एलएलबी परीक्षेत अनुउत्तीर्ण झाल्याची बाब गंभीर असल्याचे सांगत सर्च कमिटीने कोणत्या आधारावर आणि गुणवत्तेवर देशमुखाची मुंबई विद्यापीठाच्या कुलगुरु पदावर वर्णी लावली आहे? असा सवाल करत अनिल गलगली यांनी मुंबई विद्यापीठाचे कुलपति असलेल्या राज्याचे राज्यपाल यांस पत्र पाठवित मुंबई विद्यापीठाची इभ्रत वाचविण्याचे साकडे घातले आहे. अनुउत्तीर्ण झालेल्या डॉ संजय देशमुख यांच्यामुळे मुंबई विद्यापीठाची उज्वल परंपरा आणि प्रतिमेस धक्का बसल्याचे मत अनिल गलगली यांनी सरतेशेवटी व्यक्त केले आहे.

Mumbai University's failed Law student, Dr Sanjay Deshmukh, is its own VC.

A Vice Chancellor of the Mumbai University , which has more than 740 affiliated colleges under it, in which lakhs of students are enrolled for taking quality education, has to have an impeccable record and it is generally inappropriate to question his capability. But a certainly shocking information came to light vide a reply to an RTI query filed by RTI Activist Anil Galgali that the current recently appointed VC Dr Sanjay Vasant Deshmukh has failed to clear his LLB exams from the very same University. RTI Activist Anil Galgali had sought information vide his RTI query dt 18/09/2015 regarding the Vice Chancellor Dr Sanjay Vasant Deshmukh's,attempt at LLB examinations from the Examination Results dept, Enrollment Dept and the Revaluation dept of the Mumbai University. The Dy Registrar of the University's Examination Results cell informed Anil Galgali that, Sanjay Vasant Deshmukh had taken admission for the LLB course for which the 1st Semester examinations was held in October / November 2014 , but did not appear for the exams, but he appeared for his 2nd Semester exams held in April / May 2015 and failed to clear the papers attempted. # Permanent Registration Number still pending Any student enrolled for any courses conducted by the Mumbai University is issued a Permanent Registration Number (PRN) by the University. But Dr Sanjay Deshmukh who has since been appointed as the VC has not been issued a PRN number, admitted the Enrollment dept in its reply to the query of Anil Galgali. The Dy Registrar of the Enrollment Dept in its reply to Galgali has informed that since the enrollment of Sanjay Vasant Deshmukh is still pending, hence the PRN no cannot be provided for. He has further informed that Sanjay Vasant Deshmukh has sought admission from the Adv Datta Patil College of Law, Alibaug and his Eligibility is still pending , hence a PRN number has not been issued. Galgali has noted that a student whose PRN number is not issued is not allowed to sit for examinations , and if that is allowed , his results are withheld. But since Sanjay Vasant Deshmukh was himself the Vice Chancellor of the University his exam results were declared alleged Galgali. # Not applied for Revaluation of results. The Dy Registrar of the Revaluation Dept , has informed Galgali that, Sanjay Vasant Deshmukh who has appeared for the Semester 2 exams held in April / May 2015 and failed, has not applied for Revaluation of his results. RTI Activist Anil Galgali has expressed that the failure to clear the LLB exams by the Vice Chancellor Dr Sanjay Deshmukh is a very serious issue, and has questioned the motive of the Search Committee, which was appointed to recommend the names for consideration for appointment as VC. Galgali further sought to know the basis and credentials on which the Search Committee recommended the name of Dr Sanjay Deshmukh for the post of VC. In a letter addressed to the Governor of Maharashtra, who is also the Chancellor of the Mumbai University has requested to take steps to preserve the reputation of the University. He further stated that appointment of Dr Sanjay Deshmukh who failed in the exams for a course under the Mumbai University is a setback to the glorious tradition and prestige of the famed Mumbai University.

Monday 9 November 2015

लंडन येथील डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांच्या घराच्या मालकाचे नाव अजूनही गुलदस्त्यात!

भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी निवास केलेल्या घराच्या पाहणीच्या लंडनवारी वर 25.45 लाखाचा पाहणी दौरा खर्च झाला असून मेसर्स सेडॉन या सॉलिसीटर कंपनीस 3.10 कोटी रुपये शुल्क दिले आहे पण या घराच्या मालकाचे नाव अजूनही गुलदस्त्यात आहे. सामाजिक न्याय व विशेष सहाय्य मंत्री राजकुमार बडोले यांनी 2 तर प्रधान सचिव उज्वल कुमार उके यांनी 1 वेळा लंडनवारी करत अनुक्रमे 12 आणि 6 दिवस लंडन येथे निवास केला. महात्मा फुले मागासवर्ग विकास महामंडळाच्या भाग भांडवलाच्या रक्कमेतून सर्व खर्च करण्यात येत असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस सामाजिक न्याय व विशेष सहाय्य विभागाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी सामाजिक न्याय व विशेष सहाय्य विभागाकडे भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी निवास केलेल्या घराचा पाहणी दौरा आणि खर्च झालेली रक्कमेची माहिती मागितली असता प्रथम त्यांस ती खाजगी माहिती असण्याच्या नावावर देण्यास नकार दिला. अनिल गलगली यांनी प्रथम अपील केल्यानंतर उपसचिव दि.रा.डिंगळे यांनी माहिती देण्याचे आदेश जारी केले. अनिल गलगली यांस वेगवेगळया शासन निणयाची कागदपत्रे देण्यात आली. सन 1921-22 या कालावधीत भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांचे लंडन येथील 10, किंग्ज, हेनरी रोड, एन. डब्लू 3 येथे वास्तव्य होते. सदर वास्तू खुल्या लिलावाद्वारे विक्री करण्याची जाहिरात निवास केलेल्या घराच्या अनुषंगाने मंत्रीमंडळाने दिनांक 03.02.2015 रोजी मान्यता देत सामाजिक न्याय व विशेष सहाय्य मंत्री यांच्या अध्यक्षतेखाली समिती गठीत केली.दिनांक 03.02.2015 रोजी लंडन येथील मेसर्स सेडॉन या सॉलिसीटर कंपनीस 3.10 कोटी रुपये शुल्क देण्यास मान्यता दिली आणि दिनांक 16.02.2015 रोजी व्हिडिओ कॉन्फरन्स द्वारे बैठक घेत सदर रक्कम सॉलिसीटर सेडॉन यांच्या खात्यात वळती केली. घर खरेदीच्या पुढील कार्यवाहीसाठी दिनांक 10.04.2015 रोजी शासन निर्णय जारी करत सामाजिक न्याय व विशेष सहाय्य मंत्री राजकुमार बडोले आणि प्रधान सचिव उज्वल कुमार उके यांच्या लंडन दौ-यासाठी रु 15 लाख मंजूर केली. 12 दिवसानंतर पुनश्च 22.04.2015 रोजी सुधारित शासन निर्णय जारी करत यात रु 5 लाखाची वाढ करत ती रु 20 लाख केली. दिनांक 23.04.2015 ते 28.04.2015 या 6 दिवसासाठी संपूर्ण दौ-यासाठी रु 17,45,641 इतकी रक्कम खर्च झाल्याचा दावा महात्मा फुले मागासवर्ग विकास महामंडळाचे उपमहाव्यवस्थापक यांनी केला आहे. त्यानंतर 4 महिन्यानंतर पुनश्च सामाजिक न्याय व विशेष सहाय्य मंत्री राजकुमार बडोले यांनी एकटयाने विदेश दौरा करत रु 8 लाख खर्च केले. दिनांक 26.08.2015 ते 31.08.2015 या दरम्यान बडोले हे घर खरेदी प्रक्रियेअंतर्गत करार करण्यासाठी लंडनला गेले होते. ज्या साठी शासन निर्णय त्याचदिवशी म्हणजे दिनांक 26.08.2015 रोजी जारी केला गेला. आता पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांचे स्वागत करण्यासाठी मुख्यमंत्री, सामाजिक न्याय मंत्री आणि राज्यमंत्री तसेच गृह राज्यमंत्री सपत्निक लंडन येथे जाण्याची जय्यत तयारी केल्याची चर्चा मंत्रालयात आहे आणि त्याचाही खर्च महात्मा फुले मागासवर्ग विकास महामंडळातर्फे करण्यात येणार आहे. # घराच्या मालकाचे नाव अजूनही गुलदस्त्यात! भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांनी निवास केलेल्या घराची किंमत 32 कोटी असून घर मालकाच्या नावाचा कोठेही उल्लेख नाही. या घराची निश्चित केलेली रु 32 कोटीची रक्कम घरमालकाऐवजी सॉलिसीटर मेसर्स सेडॉन याच्याच खात्यात वळती करण्यात आलेली आहे.दिनांक 16.09.2015 रोजी जारी शासन निर्णयानुसार राज्याच्या आकस्मिकता निधीतून रक्कम देण्यात आलेली आहे.या घराच्या मालकाचे नाव अजूनही गुलदस्त्यात असून शासनाने मालकाच्या नावाची माहिती दिली नाही. # दुरुस्ती आणि प्रदर्शनावर 50 लाखाचा खर्च भारताचे पंतप्रधान नरेंद्र मोदी नोव्हेंबर 2015 मध्ये इंग्लड (यूनाइटेड किंगडम) च्या दौ-यावर जात असून या दौ-याच्या वेळी ते राज्य शासनाने खरीदी केलेल्या घरास भेट देणार आहे.तसेच तेथे भारतरत्न डॉ बाबासाहेब आंबेडकर यांच्या जीवनचरित्रावरील प्रदर्शनाचे आयोजन करण्यात येणार आहे त्यामुळे दुरुस्तीसाठी आणि प्रदर्शनासाठी रु 50 लाख भारतीय उच्चायुक्त,लंडन यांच्या खात्यात जमा केली गेली आहे. पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या भेटीची तारीख अजूनही निश्चित नाही.

The owner of the Bharat Ratna Dr. Babasaheb Ambedkar London house still a "Mystry"

The expenses incurred on visiting London for purchase of the iconic home where Bharat Ratna Dr. Babasaheb Ambedkar once lived, has been to Rs. 25.45 lakhs & Rs. 3.10 crore has been given to M/s Sedon, a solicitor firm, who have been appointed for the same purpose. But till now the name of the original owner of the house is still kept under wraps. Minister for Social Justice Rajkumar Badole and his departments Principal Secretary Ujjwal Uke have visited London 2 and 1 times respectively with a brief stay of again 6 days. Mahatma Phule Backward Development Corporation is bearing all these expenses, informed Anil Galgali a RTI Activist who filed his application with the Department. RTI Activist Anil Galgali was initially not given the information, but later in the Appeal stage it was given along with a list of Government Resolutions after order passed by Deputy Secretary D.R. Dingle. In 1921-22 Dr Ambedkar had lived in London at 10, Kings, Henry Road, N.W. 3 for more than a year. The house was to be sold via open auction for which the Government gave a nod to participate in the month of February of this year, and accordingly M/s Sedon was finalised as Solicitors. Late in February of this year a video conferencing was arranged between M/s Sedon and Government. In April, funds of Rs. 15 Lakhs were sanctioned For Social Justice Minister Rajkumar Badole and Principal Secretary Ujjawal Uke. After12 days, the amount was increased by 5 Lakhs and the fund was totalled to Rs, 20 lakhs for the Minister and Bureaucrat. The Mahatma Phule Backward Development Corporation in it's reply to RTI has stated that a sum of Rs. approx 17 lakhs were spent in the first tour arranged for site viewing . Again after 4 months the Minister took off to London and spent another 8 Lakhs. This time at the end of August of this year, the Minister had gone for signing an MOU. Now again on 14th November, the Prime Minister is visiting London, for which again the Chief Minister Devendra Fadnavis, again Minister Badole, his MoS and MoS for Home are planning to visit with senior bureaucrats. The expenses will be again borne by the Corporation. #Name of the original house-owner of the house still a mystery. The house where BharatRatna Dr. Babasaheb Ambedkar resided once has been planned to buy for Rs. 32 crore. But no where the owner of the house is mentioned. Not even his name! The amount of Rs. 32 crore has been arranged from the Contingency Fund and has been transferred to M/s Sedon the appointed Solicitor. # 50 Lakhs for Exhibition and Repairs. The Prime Minister Narendra Modi is slated to visit London very soon. He will be visiting the house Government plans to purchase where once Dr. Babasaheb Ambedkar once lived. The celebrated life of Dr Ambedkar will be showcased in form of an Exhibition. Minor repairs and this exhibition will cost the Government Rs. 50 Lakhs which has been deposited in the account of High Commission of India.

Monday 2 November 2015

मरीन ड्राइव की क्वीन नेकलेस एलईडी लैंप का मेंटेनेंस कौन करेगा- बेस्ट प्रशासन

मरीन ड्राइव की क्वीन नेकलेस एलईडी लैंप बिठाने को लेकर हुआ विवाद न्यायालय तक पहुंचा और नीले के बजाय पीले लैंप बिठाने का भले ही शुरु है लेकिन इन एलईडी लैंप का मेंटेनेंस कौन करेगा? इसको लेकर बेस्ट प्रशासन ने किए हुए पत्र को जबाब देने के बजाय मनपा प्रशासन द्वारा मौन रखने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को उपलब्ध हुए दस्तावेजों से सामने आ रही हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बेस्ट प्रशासन को मरीन ड्राइव के क्वीन नेकलेस एलईडी लैंप को लेकर जानकारी मांगते हुए बेस्ट प्रशासन को प्राप्त हुए पत्रव्यवहार के दस्तावेज मांगे थे। बेस्ट के विभागीय अभियंता ( मार्गप्रकाश बांधणी) ने अनिल गलगली को बताया कि 644 लैंप निकाले गए थे जो कैनरा,बजाज, कॉम्पटन व फिक्सोलाईट इन कंपनियों के लैंप थे। हर एक लैंप की किंमत रु 5000/ थी और नए लैंप किस कंपनी के हैं? इसकी जानकारी बेस्ट प्रशासन को नहीं हैं। अनिल गलगली को बेस्ट और मनपा प्रशासन के बीच हुए पत्रव्यवहार अंतर्गत जो दस्तावेज दिए गए हैं उनमें बेस्ट के महाप्रबंधक डॉ जगदीश पाटील द्वारा उपस्थित किए गए सवालों का जबाब देने से मनपा आयुक्त और नोडल अधिकारी टालमटोल करने की बात सामने आ रही हैं। दिनांक 5 मई 2015 को बेस्ट के महाप्रबंधक डॉ जगदीश पाटील ने मनपा आयुक्त अजोय मेहता को भेजे हुए 2 पन्ने वाले पत्र में मरीन ड्राइव स्थित क्वीन नेकलेस एलईडी लैंप का मेंटेनेंस कौन करेगा? ऐसा सवाल प्रश्न उपस्थित किया था। मुंबई में एलईडी लैंप की योजना लागू करने की प्रक्रिया और पद्धत परिभाषित न करने पर ऐतराज जताया। मेसर्स ईईएसएल ने 7 वर्ष बिजली की बचत करने के लिए उनके काम में सातत्य रखने की बात को भले ही प्रस्तावित किया हो लेकिन केबल, पोल्स और ब्रैकेट्स आदी का मेंटेनेंस अब भी बेस्ट के पास हैं। भविष्य में गलतफहमी, अफरातफरी और देरी को टालने के साथ जिम्मेदारी को शेयर करने के लिए स्ट्रीट लाइटिंग सिस्टम के लिए एक ही शिकायत को लेना अच्छा होगा और उसके लिए मेंटेनेंस की प्रक्रिया को स्पष्टता से परिभाषित करना जरुरी है, ऐसा अपना मत बेस्ट के महाप्रबंधक डॉ जगदीश पाटील ने आखिर में अपने पत्र में रखा था। नोडल अधिकारी के तौर पर नियुक्त अतिरिक्त मनपा आयुक्त एसवीआर श्रीनिवास को भी दिनांक 15 जून 2015 को पाटील ने पत्र भेजकर विभिन्न समस्याओं की जानकारी देते हुए भविष्य की योजना और एलईडी योजना के रोडमैप की जानकारी मांगी थी। लेकिन मनपा से बेस्ट को किसी भी तरह का प्रतिसाद न मिलने की बात स्पष्ट हुई हैं। अनिल गलगली के अनुसार मेसर्स ईईएसएल इस कंपनी ने सिर्फ लैंप बिठाने में रुचि ली है फिर इन लैंप का मेंटेनेंस और नागरिकों की शिकायतों को कैसे सूलझाएगे? इस पर राज्य सरकार और मनपा प्रशासन को जल्द से जल्द फैसला लेना जरुरी हैं।

मरीन ड्राइवच्या क्वीन नेकलेस एलईडी दिव्यांचे परिरक्षण कोण करणार- बेस्ट प्रशासन

मरीन ड्राइवच्या क्वीन नेकलेस एलईडी दिवा बसविण्याला घेऊन उद्भविलेला वाद न्यायालयापर्यंत गेला आणि निळ्या ऐवजी पिवळे दिवे बसविण्याचे काम जरी सुरु असले तरी या एलईडी दिवाचे परिरक्षण कोण करणार? याबाबत बेस्ट प्रशासनाने केलेल्या पत्रास उत्तर देण्याऐवजी पालिका प्रशासनाने मौन बाळगल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस उपलब्ध झालेल्या कागदपत्रावरुन समोर येत आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी बेस्ट प्रशासनास मरीन ड्राइवच्या क्वीन नेकलेस एलईडी दिवाबाबत माहिती विचारत बेस्ट प्रशासनास प्राप्त झालेल्या पत्रव्यवहाराची कागदपत्रे मागितली होती. बेस्टचे विभागीय अभियंता ( मार्गप्रकाश बांधणी) यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की 644 दिवे काढले गेले असून हे दिवे कैनरा,बजाज, कॉम्पटन व फिक्सोलाईट या कंपन्याचे होते. प्रत्येक दिव्यांची प्रचलित किंमत रु 5000/ असून नवीन दिवे कोठल्या कंपनीचे आहेत? याची माहिती बेस्ट प्रशासनास नाही आहे. अनिल गलगली यांस बेस्ट आणि पालिका प्रशासनात झालेल्या पत्रव्यवहार अंतर्गत जी कागदपत्रे देण्यात आली आहेत त्यात बेस्टचे महाव्यवस्थापक डॉ जगदीश पाटील यांनी उपस्थित केलेल्या प्रश्नाची उत्तरे देण्यास पालिका आयुक्त आणि नोडल अधिकारी टाळाटाळ करत असल्याची धक्कादायक माहिती समोर येत आहे. दिनांक 5 मे 2015 रोजी बेस्टचे महाव्यवस्थापक डॉ जगदीश पाटील यांनी पालिका आयुक्त अजोय मेहता यांस पाठविलेल्या 2 पानी पत्रात मरीन ड्राइवच्या क्वीन नेकलेस एलईडी दिवाच्या परिरक्षण कोण करणार? असा प्रश्न उपस्थित केला होता. मुंबईत एलईडी दिवा योजना लागू करण्याची प्रक्रिया आणि पद्धत परिभाषित न केल्याची खंत व्यक्त केली आहे. मेसर्स ईईएसएल ने 7 वर्ष वीज बचत करण्याच्या कामगिरीत सातत्य ठेवण्याचे जरी प्रस्तावित केले असले तरी केबल, पोल्स आणि ब्रैकेट्स आदीचे परिरक्षण अद्यापही बेस्टकडे आहे. भविष्यात गैरसमज, गोंधळ, विलंब टाळणे तसेच जबाबदारी शेयर करण्यासाठी स्ट्रीट लाइटिंग सिस्टमसाठी एकानेच तक्रारी घेणे अधिक चांगले होईल त्यासाठी परिरक्षण प्रक्रिया स्पष्टपणे परिभाषित करणे आवश्यक आहे, असे मत बेस्टचे महाव्यवस्थापक डॉ जगदीश पाटील यांनी सरतेशेवटी पत्रात व्यक्त केले. नोडल अधिकारी असलेले अतिरिक्त पालिका आयुक्त एसवीआर श्रीनिवास यांस सुद्धा दिनांक 15 जून 2015 रोजी पाटील यांनी पत्र पाठवून विविध समस्याची माहिती देत भविष्यातील योजना आणि एलईडी योजनेबाबत रोडमैपची माहिती मागितली आहे.पण पालिकेकडून कोणताही प्रतिसाद मिळाला नसल्याचे स्पष्ट झाले आहे. अनिल गलगली यांच्या मते मेसर्स ईईएसएल या कंपनीने फक्त दिवे लावण्यात रुचि घेतली असून सर्व प्रकारचे परिरक्षण आणि नागरिकांच्या तक्रारी कसे सोडविणार आहेत? याबाबत राज्य शासन आणि पालिका प्रशासनाने निणर्य घेणे आवश्यक आहे.

BEST administration also wants to know, who will maintain the Marine Drive Queens Necklace LED lights

The fixing of white LED lights along the Queens Necklace at Marine Drive sparked a tussle which has knocked on the doors of the Hon'ble High Court, Mumbai, and the process to change them back to yellow has commenced too. But the BEST administration is still in dark about who is supposed to maintain the lamps as the details are still not clear with them. They have written to the MCGM administration seeking clarity on the issue, but have hit a stonewall can be seen from the fact that MCGM authorities are still to respond to the letter. This communication gap has come to light from the details provided by the BEST administration to RTI activist Anil Galgali. RTI activist Anil Galgali had sought information from the BEST administration regarding the details of the LED lights being installed at Marine Drive, popularly known as the Queens Necklace. Galgali also sought the details of all correspondence regarding the project. In response to the query, The Divisional Engineer (Street Light) informed Galgali that, a total of 644 candecent lamps, manufactured by Canara, Bajaj, Crompton and Fixolite, costing Rs 5000 each were replaced with LED lamps, whose manufacturers are not known to the BEST. The documents provided to Galgali regarding the correspondence between the BEST administration and the Municipal administration shockingly exposes the communication gap between them. Dr Jagdish Patil, General Manager of BEST has failed evoke a response from the Municipal Commissioner and the Nodal officer for the project on his letter raising issues and seeking clarity regarding the project. Dr Patil, GM, BEST in a 2 paged letter dated 05/05/2015, addressed to Shri Ajoy Mehta, Municipal Commissioner sought to know, who is supposed to maintain the LED lights installed at the Marine Drive. He also expressed his anguish about lack of information regarding the Mumbai LED lighting project's process and implementation system. Though M/s EESL which has undertaken to ensure power savings for 7 years, the maintenance of cables, poles, and brackets still fall under the purview of the BEST. This could lead to misunderstandings, confusions in future and hence has expressed that a single system for maintenance needs to be established for ensuring smooth and faster redresal of complaints and responses to it, which needed to be sorted out, mentioned Dr Patil in the foot note. Dr Jagdish Patil has also sent a letter addressed to the Nodal officer for the project, Mr SVR Srinivas, Addl Municipal Commissioner dt 15/06/2015 detailing the various problems arisen, and seeking details about future plans and a complete road map for installation of the LED lamps, but the BEST administration is still waiting for both the officers of the MCGM to respond, can be understood from the details available. Anil Galgali has expressed that, M/s EESL has just taken intrest in installing the LED lamps and hence sought to know, who is responsible for maintenance and citizens complaints and grievances? He has further stated that the State government and the MCGM needs to collectively arrive at a solution for this.