Friday 29 April 2016

'आदर्श' चे सत्य जाणण्यासाठी खर्च झाले 7.04 कोटी

वर्ष 2010 मध्ये मुंबई येथील आदर्श सोसायटी घोटाळानंतर यातील सत्य जाणून घेण्यासाठी महाराष्ट्र शासनाने नेमलेल्या आदर्श आयोगावर तब्बल 7.04 कोटी रुपये खर्च झाले होत. ही माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस शासनाने दिली होती. मुंबई हायकोर्टात सुनावणीसाठी सीनियर वकील दीपन मर्चन्ट यांस शुल्क पायी 1 कोटी 48 लाख 40 हजार रूपये अदा केले होते. वकिलावर आयोगाने शुल्क पायी 3 कोटी 96 लाख रूपये खर्च केले होते. आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांस दिलेल्या माहितीत सरकारने आदर्श चौकशी आयोगावर 842 दिवसात 7.04 कोटी रुपये खर्च केले आहे. सरकारने प्रतिदिन चौकशीवर 83,605 रुपये खर्च केले. आदर्श सोसायटीच्या चौकशीसाठी 8 जानेवारी 2011 रोजी चौकशी आयोगाची स्थापना करण्यात आली होती. चौकशी आयोगाचे अध्यक्ष हायकोर्टाचे रिटायर्ड जज जे ए पाटिल यांची नेमणूक करण्यात आली तसेच आयोगाचे कार्यकारी सचिव या नात्याने माजी मुख्य सचिव पी सुब्रमण्यम यांस जबाबदारी दिली होती. आयोगात 14 स्टाफची नियुक्ती केली होती. आयोगाने निश्चित वेळेपूर्वी म्हणजे 12 दिवसाआधी 18 एप्रिल 2013 रोजी अहवाल सादर केला.आयोगातील कर्मचा-यांच्या वेतनावर 28 महिन्यात 1 कोटी 88 लाख रूपये खर्च केले. तसेच 7 लाख 99 हजार टेलीफोन आणि वीज बिलावर खर्च केले आहे. एमएमआरडीने स्वतंत्र 1 कोटी खर्च केले होते.

आदर्श' की सच्चाई जानने पर खर्च हुए थे 7.04 करोड़

साल 2010 में मुंबई में आदर्श सोसायटी घोटाले के सामने आने के बाद केवल महाराष्ट्र ही नहीं पूरा राष्ट्र हिल गया था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण को इस्तीफा देना पड़ा। बहुत हंगामा हुआ। जांच बैठी। और अब जबकि जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है तब उस जांच दल की जांच पड़ताल की गई तो वह आदर्श सोसायटी से बड़े घोटाले के रूप में सामने आ रहा है। क्या आप उम्मीद कर सकते हैं कि सच्चाई की जांच के लिए बने इस जांच आयोग ने किस तरह पैसा खर्च किया होगा? इस आयोग पर 7.04 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। एक छोटा सा उदाहरण सुन लीजिए। मुंबई हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए अकेले एक सीनियर वकील को फीस के तौर पर 1 करोड़, 48 लाख, 40 हजार रूपये अदा कर दीजिए।अगर घोटाले की तुलना इस जांच से करें तो यह घोटाले से बड़ा घोटाला है। और केवल एक वरिष्ठ वकील दीपन मर्चन्ट को ही इतनी मोटी फीस नहीं अदा की गई। जूनियर वकीलों को भी तीन साल में हजारों नहीं बल्कि लाखों में फीस अदा की गई क्योंकि हाईकोर्ट में दाखिल पीआईएल की सुनवाई के दौरान ये वकील वहां अपना पक्ष रखने जाते थे। सिर्फ वकीलों पर इस आयोग ने उनकी फीस के बतौर 3 करोड़ 96 लाख रूपये खर्च कर दिये। मुंबई के आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली द्वारा प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार सरकार ने आदर्श जांच आयोग पर 842 दिनों में 7.04 करोड़ रूपये खर्च कर दिये। यानी सरकार ने प्रतिदिन घोटाले की जांच पर 83,605 रुपये खर्च किया। और अति तो यह है कि 7 करोड़ खर्च करके जो रिपोर्ट हासिल की गई उसकी एकमात्र प्रति प्रकाशित की गई और वह भी किसी प्रिंटिग प्रेस में नहीं बल्कि कम्प्यूटर से उसका प्रिंटआउट निकालकर इसी अप्रैल महीने में सरकार को सौंप दिया गया था।आदर्श सोसायटी की जांच के लिए 8 जनवरी 2011 को जांच आयोग के गठन का ऐलान किया गया था। जांच आयोग का अध्यक्ष हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जे ए पाटिल को नियुक्त किया गया था जबकि आयोग के कार्यकारी सचिव पूर्व मुख्य सचिव पी सुब्रमण्यम को बनाया गया था। इनके अलावा इस आयोग में 14 अन्य स्टाफ भी नियुक्त किये गये थे। आयोग को 30 अप्रैल 2013 तक अपनी रिपोर्ट देनी थी। उसने रिपोर्ट तय समय से 12 दिन पहले दे भी दिया लेकिन इस दौरान आयोग ने जो खर्च किया वह ऐसे जांच आयोगों पर ही बड़ा सवाल उठाता है जो सच्चाई की जांच के लिए गठित किये जाते हैं।सिर्फ वकीलों को ही भारी भरकम फीस नहीं अदा की गई। आयोग के कर्मचारियों की सैलेरी पर भी 28 महीनों में 1 करोड़ 88 लाख रूपये खर्च किये गये। इसके अलावा 7 लाख 99 हजार टेलीफोन और बिजली पर खर्च कर दिये गये। अनिल गलगली कहते हैं, आदर्श घोटाले में मुंबई मेट्रोपोलिटन रिजन डेपलमेन्ट अथारिटी (एमएमआरडीए) भी एक आरोपी था, लेकिन मजे की बात तो यह है कि इस आरोपी ने भी जांच पड़ताल पर जमकर धन खर्च किया है और कुल खर्चे में 1 करोड़ रूपये सरकार की ओर से एमएमआरडीए ने ही अदा किये हैं। इसके साथ ही एमएमआरडीए ने अपनी तरफ से आयोग को एक कर्मचारी भी मुहैया करा रखा था जो 'जांच में मदद' कर रहा था। आदर्श घोटाले की जांच करने के लिए बने इस आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट तो सरकार को सौंप दी है लेकिन आरटीआई के तहत सामने आई इस जानकारी के बाद अब इस जांच आयोग की जांच कौन करेगा?

Govt Spent Rs 7.04 crore on Adarsh Commission

Mumbai -The Maharastra State has spent Rs 7.04 crore on the Adarsh Commission which was functional for 842 days. The establishment expenditure of the Commission was Rs 83, 605 per day, including Salary to final Report. Its reveled by RTI Activists Anil Galgali who files a RTI query to State Govt. RTI Activists Anil Galgali who is also one of petitioner in Adarsh Commission and trying to scrutinize the MMRDA Role in Adarsh Scam though MMRDA was a Special Planning Authority. Anil Galgali ask General Administrative Department of Government of Maharastra that What is a total Expenditure including Salary,Vehicle, Telephone,Zerox and fees pay to Sr Counsel. General Administrative Department Under Secretary R G Panchal said that Adarsh Commission was formed in 8 Jan 2011. Final report submission date is decided by Govt is till 30 April 2013. Commission submits its final report to Maharastra Govt on 18 April 2013, 12 days before as target.The commission, headed by retired High court judge justice J A Patil with retired Chief secretary P Subaryamanyam including 14 other staff. Only 1 personal Assitant Smt K K Nair is provided by MMRDA. Jan 2011 to April 2013, for 842 days Salary pay to all staff is Rs 1,88,33,321. Rs 7,99,604 was spent on Telephone & Electricity expenditure. Other expenditure Charges was Rs 8,84,525. # Counsel & lawyer's expenditure was Rs 3.97 crore 842 days after Adarsh commission submitted Final Report, state govt spend total Rs 3,96,80,581 on Sr Counsel and lawyers fees. The counsel was paid Rs. 1,15,000, lawyer 40,000 & Rs 25,000 for each appearance, while his assistant received Rs. 5,000 an appearance. While for non effecting hearing Mr Sakhare charges Rs 55,000. Adarsh Commission's Senior Counsel Dipan Merchant is paid Rs 1,48,40,000 and Junior Counsel Bharat Jhaveri gets Rs 17,90,000. Sr Counsel Anil Saakhare get Rs 1,39,92,539 by various department like UD, Revenue & Forest. Ad U B Nigot get Rs 51,37,849. Ad R M Vasudev get Rs 39,07,193 and Ad Vinay Masurkar get only Rs 13, 000. Interesting that Mr Saakhare charges are so high and touches sky. Rs 1,15,000 is effective hearing, Rs 55,000 Non Effecting hearing and Only Rs 4,000 Conference Charges. Ad U B Nigot and Ad R M Vasudev charges Rs 25,000 for appearance and Rs 4,000 is Conference Charges. There is around Rs 1 crore bill is till pending with UD department. # MMRDA Spend Rs 1.02 Crore The Main accuse who issue three commencement certificate (CC) and Occupation certifiacte (OC) to Adarsh housing society in south mumbai where 31 -storey Building Stands, spends Rs 1,01,97,275. MMRDA spends croes of Rupees on Adarsh commission from Jan 2011 to March 2013. Construction,Renovation & Electricity at old custom house for Adarsh commission Office, MMRDA spends Rs 52,04,160. On Salary Rs 11,65,723 spend. Rs 4,02,427 was spend on stationary,Computer,lockers,Library books. MMRDA provides only 3 Vehicle to Adarsh Commission's Chairman, Member & Secretary which expenditure was Rs 34,08,977. Other small expenditure claims was Rs 15,988. Anil Galgali pointed out that The Govt achieved what it had sought to do by appointing a panel that would dilute the controversy. The Number one accused was MMRDA, that MMRDA not only spends crores of Rupees but also appointed there one staff as a Personal Assitant was so strange. Government is one but department wise same counsel and Advocate not only appointed but paid huge payment. If Counsel & other advocate appointed by State Government to all department then there is chances to save money which is ultimately bears from Public Tax money.

Tuesday 26 April 2016

विज्ञापन खर्च की जानकारी चाहिए तो दिल्ली आए

पारदर्शकता और स्वच्छ सरकार चलाने का अरविंद केजरीवाल सरकार दावा तब खोखला साबित हुआ जब मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को विज्ञापन खर्च की जानकारी आंकड़ो में देने के बजाय उन्हें दिल्ली स्थित सूचना एवं प्रचार निदेशालय में आकर फाइलों का निरीक्षण करने की सलाह दी गई हैं। दिल्ली सरकार द्वारा विज्ञापन खर्च की जानकारी संकलित रुप में उपलब्ध न होने का तर्क दिया गया हैं। मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने 8 मार्च 2016 को दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रसार संचालनालय से दिल्ली में वर्तमान सरकार गठित होने के 1 वर्ष पूर्ण होने पर जारी किए गए विभिन्न विज्ञापनों की जानकारी के साथ शीला दीक्षित सरकार के कार्यकाल में 1 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में जारी किए विभिन्न विज्ञापनों की भी जानकारी मांगी थी। अनिल गलगली ने आगे यह भी जानने की कोशिश की थी कि सरकार दिल्ली में कार्यरत होते हुए दिल्ली के बाहर विज्ञापन देने के लिए आम दिल्लीवासियों की राय मंगाने के लिए की हुई पहल की जानकारी दे। दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रसार संचालनालय के उप निदेशक राजीव कुमार ने 15 मार्च 2016 को गलगली का आवेदन विज्ञापन, शब्दार्थ और क्षेत्रीय प्रचार यूनिट को हस्तांतरित किया गया। क्षेत्रीय प्रचार यूनिट के उप निदेशक एम सी मौर्य ने 17 मार्च 2016 को उनके कार्यालय स्थित रेकॉर्ड का निरीक्षण करने की सलाह देते हुए संबंधित विभाग के जन सूचना अधिकारी से स्वतंत्र तौर पर सूचना जमा करने को कहा। शब्दार्थ के जन सूचना अधिकारी ने 4 अप्रैल 2016 को उनका विभाग सूचना एवं प्रसार निदेशालय के आदेश पर विज्ञापन जारी करने की जानकारी देते हुए अन्य मांगी हुई सूचना उनसे संबंधित न होने का दावा किया। विज्ञापन की जन सूचना अधिकारी नलिन चौहान ने गलगली को जबाब दिया कि मांगी गई जानकारी संकलित रुप में उपलब्ध नही हैं। अत: आवेदक उनके कार्यालय में आकर संबंधित फाइलों का निरीक्षण कर सकता हैं जिससे मांगी गई जानकारी की फोटोप्रति भुगतान पर दी जा सके। अनिल गलगली ने केजरीवाल सरकार के इसतरह के जबाब पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें लगा था कि शायद उनकी केजरीवाल सरकार पारदर्शक और स्वच्छ कामकाज के तहत विज्ञापन की जानकारी और उसपर हुए खर्च के आंकड़े ताबड़तोब देगी लेकिन आंकड़े तो दूर की बात उन्हें दिल्ली बुलाकर फाइलों का निरीक्षण करने का जबाब सरासर आरटीआई कानून का उल्लंघन हैं क्योंकि उन्होंने अपने आवेदन में फाइल निरीक्षण का जिक्र तक नहीं किया था। गलगली ने मुंबई में प्रकाशित विज्ञापन पर होनेवाला खर्च फिजुलखर्च बताते हुए इसे सरकारी फंड का दुरुप्रयोग बताते हुए केजरीवाल से अपील की हैं कि कुछ तो पारदर्शक बने और विज्ञापन खर्च का एक एक पैसे का हिसाब जनता को देते हुए सार्वजनिक करे।

जाहिरात खर्चाची माहिती पाहिजे तर दिल्लीस या

पारदर्शकता आणि स्वच्छ सरकार चालविण्याचा अरविंद केजरीवाल सरकारचा दावा तेव्हा पोकळ ठरला जेव्हा मुंबईतील आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांस जाहिरात खर्चाची माहिती आकडेवारीत देण्याऐवजी त्यांस दिल्ली येथील माहिती आणि प्रसार निदेशालयात उपस्थित राहत फाइलचे निरीक्षण करण्याचा सल्ला दिला गेला. दिल्ली सरकार तर्फे जाहिरात खर्चाची माहिती संकलित स्वरुपात उपलब्ध नसल्याचा कारण पुढे केले आहे. मुंबईतील आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांनी 8 मार्च 2016 रोजी दिल्ली सरकारच्या माहिती आणि प्रसार संचालनालयाकडे दिल्लीतील स्द्याचे सरकार स्थापन होण्यास 1 वर्ष पूर्ण झाल्यानिमित्त जारी केलेल्या विविध जाहिरातीची माहिती सोबत शीला दीक्षित सरकारच्या कालावधीत 1 वर्ष पूर्ण होण्याच्या निमित्त जारी केलेल्या विविध जाहिरातीची माहिती मागितली होती. अनिल गलगली यांनी पुढे हे ही जाणून घेण्याचा प्रयत्न केला होता की सरकार दिल्लीत कार्यरत असताना दिल्लीच्या बाहेरील राज्यात जाहिराती देताना सामान्य दिल्लीवासियांचे मत जाणून घेण्यासाठी केलेल्या पुढाकाराची माहिती द्या। दिल्ली सरकारच्या माहिती आणि प्रसार संचालनालयाचे उप संचालक राजीव कुमार यांनी 15 मार्च 2016 रोजी गलगली यांचा अर्ज जाहिरात, शब्दार्थ आणि क्षेत्रीय प्रचार यूनिट या 3 विभागाकडे हस्तांतरित केला. क्षेत्रीय प्रचार यूनिटचे उप संचालक एम सी मौर्य यांनी 17 मार्च 2016 रोजी त्यांच्या कार्यालयातील अभिलेखाचे निरीक्षण करण्याचा सल्ला देत संबंधित विभागाच्या जन माहिती अधिकारी यांसकडून स्वतंत्र अर्ज करत माहिती घेण्यास सांगितले. शब्दार्थ विभागातील जन माहिती अधिकारी यांनी 4 एप्रिल 2016 रोजी त्यांचा विभाग माहिती आणि प्रसार निदेशालयाच्या आदेशावर जाहिराती जारी करण्याची माहिती देत अन्य मागितलेली माहिती त्यांच्याशी संबंधित न होण्याचा दावा केला.जाहिरात विभागाचे जन माहिती अधिकारी नलिन चौहान यांनी गलगली यांस कळविले की मागितलेली माहिती संकलित स्वरुपात उपलब्ध नाही आहे. त्यामुळे अर्जदाराने त्यांच्या कार्यालयात उपस्थित राहत संबंधित फाइलचे निरीक्षण करु शकतात त्यानंतर मागितलेली माहितीची फोटोप्रति शुल्क अदा केल्यानंतर दिले जाऊ शकते. अनिल गलगली यांनी केजरीवाल सरकारच्या अश्या प्रकारच्या उत्तरावर आश्चर्य व्यक्त करत सांगितले की त्यांस वाटले होते की केजरीवाल सरकार पारदर्शक आणि स्वच्छ कारभाराच्या अंतर्गत जाहिराताची माहिती आणि त्यावर झालेल्या खर्चाची आकडेवारी तत्काळ देतील परंतु आकडेवारी देणे तर दूर राहिले त्यांस दिल्लीला येत फाइलीचे निरीक्षण करण्याचे उत्तर शत प्रतिशत आरटीआय कायदाचे उल्लंघन आहे कारण त्यांनी आपल्या अर्जात कोठेही फाइलचे निरीक्षण करण्याचा साधा उल्लेखही केला नव्हता .गलगली यांनी मुंबईत प्रकाशित होणा-या जाहिरातीवर केला जाणारा खर्च पैसाची उधलपट्टी करार देत यास सरकारी फंडाचा दुरुप्रयोग सांगत केजरीवाल यांस अपील केले की काही प्रमाणात तरी पारदर्शक बना आणि जाहिरातीवर झालेल्या एक एक पैसाच्या खर्चाचा हिशोब जनतेस देत त्यास सार्वजनिक करा.

If you want information, then come to Delhi

The hollowness of the claim of Arvind Kejriwal for running an clean and transparent government got exposed, when RTI Activist Anil Galgali sought information by filing an RTI query with the Information and Broadcasting Ministry of the Delhi govt, about the expenses of the incurred on the advertisement of the government. Instead of providing information the Delhi government has replied that since the information sought is not available as it has not been compiled, hence the information seeker can personally visit the office of the Information and Broadcasting ministry and inspect the files Following the series of the advertorials in almost all the dailies in the Mumbai city in the month of February, Anil Galgali had filed an RTI with Delhi government seeking details of expenditure incurred in the giving through ads on 8 March 2016. After Anil Galgali filed query, his application was forwarded by Rajeev Kumar, Dy Director of Directorate of Information and Publicity to three departments ie Shabdarth, Advt and Field Publicity. Interesting that non of the three departments gave him reply. Replying to Galgali query on March 17, 2016, Directorate of Information and Publicity of Delhi Government MC Mourya said that Applicant may be requested to inspect the information available on the records in the files of the FP (field Publicity) unit, so that the desired information can be provided on the payment of prescribed fee. While Shabdarth department, a new departmenton April 4, 2016 replied that Shabdarth issues the advertisements on the basis of order given by the Directorate of Information and Publicity Department and further said that information asked was not related with this department. Finally, on April 13, 2016, Directorate of Information and Publicity Department's Advertise Section Public Information Officer Nalin Chouhan replied to the Galgali query saying that desired information asked by the applicant was not available with the office, however, applicant can personally inspect the documents. Terming these replies as a nefarious attempt to hide the splurged money of Aam Aadmi. Galgali alleged that The motive of this government is very much clear that it does not wish to share the common tax payers money spent of advertisement. Galgali further added that Spending money upto certain limits with the periphery of NCR was a bit Ok. But this government nonsensically splurged money across all the major cities of the country, that I wanted to know. Delhi chief minister Arvind Kejariwal seems to suffer from a mis-coordination of sorts when it comes to keep a track of its own expenditure. Anil Galgali has sent an email to Delhi CM Arvind Kejriwal to upload all the information related at the website immediately.

Saturday 23 April 2016

हेमा मालिनी पर भाजपा सरकार की डबल मेहरबानी

भाजपा सरकार डबल मेहरबान होगी तो क्या हो सकता है और क्या नहीं ? इसका ज्वलंत अनुभव ओशिवारा स्थित 2000 वर्ग मीटर का भूखंड वितरण प्रक्रिया से आसानीे से आता हैं। भाजपा सांसद और प्रख्यात अभिनेत्री हेमा मालिनी के नाटय विहार केंद्र की सिर्फ 1.75 लाख में (87.5 रु वर्ग मीटर रेट से) करोड़ों का भूखंड बहाल होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को प्राप्त कागजात से होती हैं। देश में पहली बार 1.75 लाख के न के बराबर रेट में भूखंड के साथ 8.25 लाख रिटर्न दिया जाएगा। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय से हेमा मालिनी की नाटय संस्था को दिए गए भूखंड की जानकारी मांगी थी। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने हेमा मालिनी को दिए जानेवाले भूखंड के तहत दी गई जानकारी चौकानेवाली हैं। हाल ही में जो भूखंड अंधेरी तालुका स्थित आंबिवली में दी गई जमीन गार्डन के लिए आरक्षित है उस जमीन को हेमा मालिनी की संस्था को सिर्फ रु 35 प्रति वर्ग मीटर के रेट से देकर भूखंड की खैरात की हैं। वर्ष 2016 में सरकार ने दिनांक 1/2/1976 के मुल्यांकन का आधार लिया है जो उसवक्त प्रति वर्ग मीटर का रेट रु 140/- इतना था। हेमा मालिनी को उसी रेट के 25 प्रतिशत यानी सिर्फ रु 35/- इतनी ही रकम अदा करनी होगी। इसके पहले हेमा मालिनी की संस्था को अंधेरी तालुका के वर्सोवा का भूखंड दिनांक 4/4/1997 को दिया गया था उसवक्त संस्था ने रु 10 लाख अदा किए थे लेकिन इसमें से कुछ हिस्सा ये सीआरझेड से प्रभावित होने से हेमा मालिनी ने किसी भी तरह का निर्माण काम किया नही। साथ ही में आज तक कुल प्रोजेक्ट खर्च की 25 प्रतिशत रकम भी इकट्ठा नही करने के बाद भी भाजपा सरकार ने इस ओर ध्यान दिया नही और हेमा मालिनी की संस्था को वैकल्पिक भूखंड का वितरण कर ही किया। हेमा मालिनी के नाट्य विहार केंद्र ने इसके पहले 10 लाख अदा किया था। नया मूल्यांकन ध्यान में रखते हुए 2000 वर्ग मीटर भूखंड की किंमत 1.75 लाख इतनी हो रही हैं। पहले जमा 10 लाख से 1.75 लाख कम करने पर शेष रु 8.25 लाख सरकार को रिटर्न करना पड़ेगा। जिससे भूखंड के साथ सरकार की तिजोरी से पैसा भी रिटर्न करने की बात शर्मिंदा करनेवाली हैं और यह महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार होने की टिप्पणी अनिल गलगली ने की हैं। वर्सोवा स्थित भूखंड की वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग हेमा मालिनी की नाटय विहार केंद्र ने दिनांक 6/7/2007 को सरकार से कर आरक्षित क्षेत्र में से 2000 वर्ग मीटर जगह नाटय विहार केंद्र कोबप्रदान कर शेष जगह पर प्रस्तावित गार्डन का विकास उनके ट्रस्ट द्वारा करने की मांग की थी। इस प्रस्ताव को सरकार ने दिनांक 30/7/2010 को मंजूर भी किया। सरकार ने संस्था से कुछ मामलों की जानकारी मांगने पर संस्था ने उसकी पूर्ती आज तक नही की हैं। अंधेरी के आंबिवली स्थित सर्वे क्रमांक 109 A/1, नगर भुमापन क्रमांक 3 के क्षेत्र 29360.50 वर्ग मीटर जमीन गार्डन के लिए आरक्षित रखे क्षेत्र में से 2000 वर्ग मीटर देने का आदेश सरकार के उपसचिव माधव काले ने दिनांक 23 दिसंबर 2015 को जारी किया। राजस्व विभाग के प्रधान सचिव ने दिनांक 19 दिसंबर 2015 को उनकी अध्यक्षता में बैठक आयोजित की थी। उस बैठक के बाद सरकारी चक्र घुमने लगे और सिर्फ 70 हजार में करोड़ों का भूखंड हेमा मालिनी की संस्था नाटय विहार केंद्र को बहाल करने को मंजूरी दी। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने दिनांक 15/1/2016 को पत्र भेजकर पुनश्च कुछ दस्तावेज और मामलों की पूर्ती करने की सूचना सांसद सदस्य हेमा मालिनी को भेजे हुए पत्र में की हैं। दिनांक 14/8/2015 को हेमा मालिनी स्वयं भूखंड के स्थान पर उपस्थित थी और उसके बाद ही उनके संस्था को भूखंड सरकार को मंजूरी दी। भाजपा सरकार राज्य की जनता को दिभ्रमित करते हुए एक ओर छगन भुजबळ और अन्य नेताओं किब संस्था को करोड़ों का भूखंड कैसे कम दामों में मिला है, ऐसा आरोप करती हैं और दूसरी ओर हेमा मालिनी की संस्था को 70 करोड़ का भूखंड 1.75 लाख में कैसे देती हैं, ऐसा सवाल अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुंबई उपनगर के जिल्हाधिकारी को भेजे हुए पत्र में किया हैं और रेडी रेकनर के बजाय वर्ष 1976 का मुल्यांकन दाम से भूखंड देने के फैसले पर अचरज व्यक्त किया हैं।

हेमा मालिनीवर भाजपा सरकार डबल फिदा

भाजपा सरकार डबल मेहरबान तर काय होऊ शकते आणि नाही? याचा प्रत्यय ओशिवारा येथील 2000 वर्ग मीटरचा भूखंड वितरण प्रक्रियेमुळे आला आहे. भाजपा खासदार आणि अभिनेत्री हेमा मालिनीच्या नाटय विहार केंद्रास फक्त 1.75 लाखात (87.5 रु वर्ग मीटर दराने) कोटयावधीचा भूखंड बहाल होणार असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस प्राप्त कागदपत्रावरुन होत आहे. देशात प्रथमच 1.75 लाखाच्या अल्प दराच्या भूखंडासोबत 8.25 लाखाचा परतावा दिला जाणार आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाकडे हेमा मालिनी यांच्या नाटय संस्थेस दिल्या जाणा-या भूखंडाची माहिती मागितली होती. मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाने हेमा मालिनी यांस दिल्या जाणा-या भूखंड अंतर्गत दिलेली माहिती धक्कादायक आहे. सद्या जो भूखंड अंधेरी तालुक्यातील मौजे आंबिवली येथील दिला गेला आहे ती जमीन उद्यानासाठी राखीव असून हेमा मालिनीच्या संस्थेस फक्त रु 87.5 प्रति वर्ग मीटर दराने भूखंडाची खैरात केली आहे. वर्ष 2016 मध्ये शासनाने दिनांक 1/2/1976 च्या मुल्यांकनाचा आधार घेतला होता आणि गलगली यांनी भांडाफोड़ करताच पुनश्च मूल्यांकन केले.मुंबईचे सहायक संचालक नगर रचनाकार चं. प्र. सिंह यांनी दिनांक 29 मार्च 2016 च्या पत्रानुसार जिल्हाधिकारी यांस कळविले की नवीन प्रति वर्ग मीटर दर रु 350/- इतका दाखविला गेला आहे. हेमा मालिनीस त्या दराच्या 25 टक्के म्हणजे फक्त रु 87.5/- इतका दर आकारला जाणार आहे.यापूर्वी हेमा मालिनीस अंधेरी तालुक्यातील मौजे वर्सोवा येथील भूखंड दिनांक 4/4/1997 रोजी दिला गेला होता त्यावेळी रु 10 लाखाचा भरणा केला होता पण त्यातील काही भाग हा सीआरझेड मुळे बाधित होत असल्यामुळे हेमा मालिनीने कोणतेही बांधकाम केले नाही उलट मैन्ग्रोजची कत्तल केली होती. भाजपा सरकारने याबाबीकडे दुर्लक्ष केले आणि हेमा मालिनीच्या संस्थेस पर्यायी भूखंड वितरित केला. हेमा मालिनीच्या नाट्य विहार केंद्राने यापूर्वी 10 लाख अदा केले होते. नवीन मूल्यांकन लक्षात घेता 2000 वर्ग मीटर भूखंडाची किंमत 1.75 लाख इतकी होत आहे. पूर्वीच्या 10 लाखातून 1.75 लाख कमी केल्यास उर्वरित 8.25 लाख शासनास परत करावे लागणार आहे. यामुळे भूखंडासोबत शासनाच्या तिजोरीतुन पैसेही परत करण्याची बाब सरकारसाठी शरमेची असून हे महाराष्ट्राच्या इतिहासात प्रथमच होत असल्याची टीका अनिल गलगली यांनी केली आहे. वर्सोवा येथील भूखंडाची पर्यायी व्यवस्था करण्याची मागणी हेमा मालिनीच्या नाटय विहार केंद्राने दिनांक 6/7/2007 रोजी शासनाकडे करत आरक्षित क्षेत्रापैकी 2000 वर्ग मीटर जागा नाटय विहार केंद्रास प्रदान करत उर्वरित जागेवर नियोजित गार्डनचा विकास त्यांच्या ट्रस्टमार्फत करण्याची मागणी केली सदर प्रस्ताव शासनाने दिनांक 30/7/2010 रोजी मान्य केला. शासनाने संस्थेसंबंधी मागितलेल्या काही मुद्द्याची माहिती संस्थेने समाधानकारक दिलीच नाही. मौजे आंबिवली, तालुका अंधेरी येथील सर्वे क्रमांक 109 A/1, नगर भुमापन क्रमांक 3 पैकी क्षेत्र 29360.50 चौरस मीटर या बगीचासाठी आरक्षित ठेवलेल्या क्षेत्रापैकी 2000 चौरस मीटर देण्याचे आदेश शासनाचे उपसचिव माधव काळे यांनी दिनांक 23 डिसेंबर 2015 रोजी जारी केले. महसूल विभागाचे प्रधान सचिव यांनी दिनांक 19 डिसेंबर 2015 रोजी त्यांच्या अध्यक्षतेखाली बैठक आयोजित केली होती. या बैठकीनंतर शासकीय चक्रे फिरली आणि फक्त स्वस्तात कोटयावधीचा भूखंड हेमा मालिनीच्या नाटय विहार केंद्रास बहाल करण्यास मंजूरी मिळाली आणि मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाने दिनांक 15/1/2016 रोजी पत्र पाठवून पुन्हा काही कागदपत्रे आणि मुद्द्याची पूर्तता करण्याची सूचना लोकसभा सदस्य हेमा मालिनी यांस पाठविलेल्या पत्रात केली आहे. दिनांक 14/8/2015 रोजी हेमा मालिनी जातीने भूखंड स्थळावर उपस्थित होती आणि त्यानंतरच त्यांच्या संस्थेस भूखंड देण्यास शासनाने मंजूरी दिली. भाजपा सरकार राज्याच्या जनतेस फसवित असून एकीकडे छगन भुजबळ आणि अन्य नेत्यांच्या संस्थेस कोटयावधीचा भूखंड कसा अल्प दरात मिळाला असा आरोप करते आणि दुसरीकडे हेमा मालिनीच्या संस्थेस 70 कोटीचा भूखंड 1.75 लाखात कसे देते, असा सवाल अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि मुंबई उपनगरचे जिल्हाधिकारी यांस पाठविलेल्या पत्रात केला असून रेडी रेकनर ऐवजी वर्ष 1976 चे मुल्यांकन दर आकारण्याबाबत आश्चर्य व्यक्त केले.

Hema Malini charms BJP Governament

If the BJP govt is benevolent then anything can be achieved. This can be seen from the manner in which the government has allotted an 2000 sq mtr land at Oshivara. BJP MP and actress Hema Malini has been allotted land admeasuring 2000 sq Mtrs at Oshivara valued over Rs 70 crores for a pittance Rs 1.75 lakhs @ Rs 87.50 per sq mtr for construction of a Dance Academy, this was revealed through the documents accessed by RTI activist Anil Galgali. As a case of only incident in the country the land being allotted at a measly value will also be accompanied by a refund for Rs 8.25 lakhs for Hema Malini. RTI activist Anil Galgali had sought information from the the Mumbai Suburban Collector regarding the allotment of plot for a Dance Academy to BJP MP Hema Malini. The information provided by the Collector, MSD is shocking. The land allotted is situated in Ambivili at Andheri taluka and is reserved for Gardens, also the land has been allotted at a pittance of just Rs 87.50 per Sq Mtrs. The allotment executed in 2016 has been done on the rate of valuation based on 1/2/1976, which was Rs 350 per Sq Mtrs. It was confirm a letter written to Mumbai Suburban Collector by Mumbra Assistant Director Town Planner C P Singh on 29 March 2016. The land allotment has been done at the 25% rate of Rs 350/=, which works out to Rs 87.50/= per Sq Mtrs. Firstly they going to consider Rs 140/- per Sq Mtrs rate which was considere during allotment for Congress MP Rajiv Shukla Film Company but after exposure by Galgali, Bjp Govt again send for valuation. Previously Hema Malini was allotted a land at Versova village of the same Andheri taluka on 4/4/1997 for which a payment of Rs 10 lakhs was made. But since a portion of that land was effected with CRZ regulations, Hema Malini had not undertaken any construction on the land. Inspite of the track record, the state government acted benevolently and allotted an alternative land for her. The Dance Academy of BJP MP Hema Malini had paid Rs 10 lakhs for the land in the past. Now since the allotted land has been revalued at Rs 1.75 lakhs, the balance of Rs 8.25 lakhs will have to be returned back by the government. Terming the incidence as shameful, Anil Galgali has commented that, this would be the first incident where in any government which has allotted land will be paying from the exchequer as well. The Hema Malini Dance Academy vide their letter dt 6/7/2007 addressed to the govt sought alternative land against the CRZ effected Versowa land. It asked the govt to allot 2000 Sq Mtrs of the reserved land for Dance Academy and proposed to develop a garden on the remaining land by its own trust, which was accepted by the govt on 30/7/2010. Some further information sought by the govt was never satisfactorily complied with. The govt allotted 2000 Sq Mtrs from a total land admeasuring 29360.50 Sq Mtrs reserved for Gardens purpose and situated in Survey no 109 A/1, CTS no 3, village Ambivili, Taluka Andheri on 23rd December 2015 in an order issued by Dy Secretary Madhav Kale. Also it has come to light that the whole issue of land allotment got motion after a meeting chaired by the Principal Secretary (Revenue) was held on 19th December 2015 leading to the allotment of land for a pittance amount of just Rs 1.75 lakhs for a plot worth crores restored for the Hema Malini Dance Academy. Anil Galgali has alleged that the government is cheating the public, at one side it is leveling allegations on the opposition leaders that they have amassed properties and also sanctioned for themselves land at cheap prices and on the other hand has allotted property worth over Rs 70 crores for just Rs 1.75 lakhs to Hema Malini Dance Academy. In a letter addressed to CM Devendra Fadnavis and Mumbai Suburb Collector, Galgali expressed surprise over the decision of the government to charge rate as per 1976 instead of the ready reckoner rates.

Friday 15 April 2016

टोल वसूलती एमईपी कंपनी और फ्लाईओवर मेंटेनेंस का जिम्मा एमएसआरडीसी का

मुंबई के 31 फ्लाईओवर ब्रिज पर महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल ने (एमएसआरडीसी) अबतक 119 करोड़ 44 लाख 5 हजार 750 रुपए मेंटेनेंस पर खर्च किए हैं जिसका टोल वसूल करने के लिए मुंबई के 5 एंट्री पॉइंट का ठेका महज रु 2242.35/- करोड़ में एमईपी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड इस कंपनी को देने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएसआरडीसी ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र राज्य के सार्वजनिक निर्माण मंत्री चंद्रकांत पाटील से मुंबई के पाच एंट्री पॉइंट पर वसूल किए जानेवाले टोल वसूली की जानकारी मांगने पर गलगली की अर्जी एमएसआरडीसीे के पास हस्तांतरित की गई। एमएसआरडीसी के कार्यकारी अभियंता मुक्तेश वाडकर ने अनिल गलगली को जानकारी उपलब्ध कराई उसमें एमईपी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड इस कंपनी को दिए हुए ठेके से जुड़े दस्तावेज थे। वर्ष 2010-11 के पहले एमएसआरडीसी खुद टोल वसूल करती थी। वर्ष 1999-2000 में रु 28.35/- करोड़ , वर्ष 2000-2001 में रु 56.57/- करोड़ , वर्ष 2001-2002 में रु 65.12/- करोड़ , वर्ष 2002-2003 में 476.84/- करोड़ , वर्ष 2008-2009 में 68.65/- करोड़ और वर्ष 2009-2010 में 231.39/- करोड़ वसूल किया था वहीं वर्ष 2003-2004 से वर्ष 2007-2008 इस 5 वर्ष के आकड़े एमएसआरडीसी के पास मौजूद नहीं हैं। वर्ष 2010-2011 में एमईपी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड इस ठेकेदार कंपनी को दिनांक 19 नवंबर 2026 तक टोल वसूली का ठेका दिया गया हैं जिसके ऐवज में एमएसआरडीसी ने रु 2242.35/- करोड़ एकमुश्त ली हैं। वर्ष 1999-2000 से वर्ष 2015-2016 इन 17 वर्षों में 119 करोड़ 44 लाख 5 हजार 750 रुपए मेंटेनेंस पर खर्च किए हैं। एमएसआरडीसी ने अनिल गलगली को जानकारी दी कि मुंबई के 31 फ्लाईओवर के निर्माण पर एमएसआरडीसी ने 1058 करोड़ 34 लाख 66 हजार 885 रुपए खर्च किया है जिसका खर्च मुंबई के 5 एंट्री पॉइंट बनाकर वसूल किया जा रहा हैं। वेस्टर्न कॉरिडोर पर 228 करोड़ 79 लाख 95 हजार 916 रुपए खर्च किया गया जिसमें आरे गोरेगाव, दत्तपाडा, जीएमएलआर, जयकोच,कालीना- वाकोला, माहिम, नेशनल पार्क और रानी सती मार्ग इन 8 फ्लाईओवर का समावेश हैं। ईस्टर्न फ्लाईओवर के अंतर्गत 241 करोड़ 40 लाख 99 हजार 450 रुपए यह छेडानगर, एजीएलआर, सीएसटी- कुर्ला, जीएमएलआर, गोल्डन डाईज, जेवीएलआर, नितिन कास्टिंग एंड कैडबरी, सायन और विक्रोली फ्लाईओवर निर्माण पर खर्च हुए थे। ऐरोली फ्लाईओवर निर्माण पर 173 करोड़ 57 लाख 55 हजार और 891 रुपए खर्च किए गए थे वहीं तर एलबीएस मार्ग पर कांजूरमार्ग, जेवीएलआर- गांधीनगर, जेवीएलआर- साकीविहार फ्लाईओवर के निर्माण पर 126 करोड़ 91 लाख 21 हजार 889 रुपए खर्च हुआ था। मुंबई शहर के जेजे अस्पताल, एन एम जोशी और सेनापती बापट मार्ग फ्लाईओवर के निर्माण पर 144 करोड़ 81 लाख 50 हजार 864 रुपए एमएसआरडीसी ने खर्च किया था। सायन पनवेल कॉरिडोर के अंतर्गत 142 करोड़ 83 लाख 42 हजार 876 रुपए बीएआरसी, चेंबूर-मानखुर्द लिंक रोड, खारघर,कोकण भवन, नेरुल, तलोजा, वाशी और कोकण भवन स्थित अंडरपास का चौहरीकरण पर खर्च किया हैं। गत 5 वर्ष में एमईपी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड इस टोल कंपनी नेे कितना टोल वसूल किया हैं और गाडियों की संख्या की जानकारी अनिल गलगली ने पूछी थी लेकिन उन्हें इस मामले की गत 5 वर्ष की जानकारी नहीं दी गई। अनिल गलगली के अनुसार इसमें से अधिकांश फ्लाईओवर का निर्माण वर्ष 2000 के पहले का हैं और निर्माण खर्च सरकारी खजाने से होने से टोल वसूली क्यों की जा रही हैं और एमईपी जैसी निजी कंपनी को टोलवसूली के जरिए मुनाफा कमाने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा हैं, इसपर आश्चर्य व्यक्त किया हैं। एक ओर राज्य सरकार टोल बंद करने की भाषा का इस्तेमाल कर रही हैं जबकि असल में ऐसा किसी भी तरह का प्रस्ताव न होने की बात एमएसआरडीसी नेे स्पष्ट की हैं।

टोल वसूल करतेय आणि एमईपी फ्लाईओवर मेंटेनेंस करतेय एमएसआरडीसी

मुंबईतील 31 फ्लाईओवर पूलावर महाराष्ट्र राज्य रस्ते विकास महामंडळाने (एमएसआरडीसी) आतापर्यंत 119 कोटी 44 लाख 5 हजार 750 रुपये मेंटेनेंसवर खर्च केले आहे ज्याचा टोल वसूल करण्यासाठी मुंबईच्या 5 प्रवेश नाक्याचे कंत्राट अवघ्या रु 2242.35/- कोटीस एमईपी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड या कंपनीस दिल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएसआरडीसी ने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र राज्याचे सार्वजनिक बांधकाम मंत्री चंद्रकांत पाटील यांसकडे मुंबईच्या पाच प्रवेश नाक्यावर वसूल केल्या जाणा-या टोल वसूली बाबत माहिती विचारली असता गलगली यांचा अर्ज एमएसआरडीसीकडे हस्तांतरित करण्यात आला.एमएसआरडीसीचे कार्यकारी अभियंता मुक्तेश वाडकर यांनी अनिल गलगली यांस जी माहिती उपलब्ध करुन दिली त्यात एमईपी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड या कंपनीस दिलेल्या कंत्राटाची कागदपत्रे आणि टोलची आकडेवारी होती. वर्ष 2010-11 पूर्वी एमएसआरडीसी स्वत: टोल वसूल करत होती. वर्ष 1999-2000 मध्ये रु 28.35/- कोटी, वर्ष 2000-2001 मध्ये रु 56.57/- कोटी, वर्ष 2001-2002 मध्ये रु 65.12/- कोटी, वर्ष 2002-2003 मध्ये 476.84/- कोटी, वर्ष 2008-2009 मध्ये 68.65/- कोटी आणि वर्ष 2009-2010 मध्ये 231.39/- कोटी वसूल केले होते तर वर्ष 2003-2004 ते वर्ष 2007-2008 या 5 वर्षाची आकडेवारी एमएसआरडीसी उपलब्ध नाही. वर्ष 2010-2011 मध्ये एमईपी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड या कंपनीस दिनांक 19 नोव्हेंबर 2026 पर्यंत टोल वसुलीचे कंत्राट दिले गेले असून त्याबदल्यात एमएसआरडीसीने रु 2242.35/- कोटी एकरक्कमी घेतली आहे. वर्ष 1999-2000 पासून वर्ष 2015-2016 या 17 वर्षात 119 कोटी 44 लाख 5 हजार 750 रुपये मेंटेनेंसवर खर्च केले आहेत. एमएसआरडीसीने अनिल गलगली यांस कळविले आहे की मुंबईतील 31 फ्लाईओवर वर एमएसआरडीसीने 1058 कोटी 34 लाख 66 हजार 885 रुपये खर्च केले असून त्याचा खर्च मुंबईतील 5 प्रवेश नाक्यावर टोल नाका बनवून वसूल केला जात आहे. वेस्टर्न कॉरिडोरवर 228 कोटी 79 लाख 95 हजार 916 रुपये खर्च झाले असून त्यात आरे गोरेगाव, दत्तपाडा, जीएमएलआर, जयकोच,कालीना- वाकोला, माहिम, नेशनल पार्क आणि रानी सती मार्ग या 8 फ्लाईओवरचा समावेश आहे. ईस्टर्न फ्लाईओवर अंतर्गत 241 कोटी 40 लाख 99 हजार 450 रुपये हे छेडानगर, एजीएलआर, सीएसटी- कुर्ला, जीएमएलआर, गोल्डन डाइज, जेवीएलआर, नितिन कास्टिंग एंड कैडबरी, सायन आणि विक्रोळी फ्लाईओवरच्या बांधकामावर खर्च केले आहेत. ऐरोली फ्लाईओवरच्या बांधकामावर 173 कोटी 57 लाख 55 हजार आणि 891 रुपये खर्च केले आहेत तर एलबीएस वरील कांजूरमार्ग, जेवीएलआर- गांधीनगर, जेवीएलआर- साकीविहार या फ्लाईओवरच्या बांधकामावर 126 कोटी 91 लाख 21 हजार 889 रुपये खर्च झाले आहेत. मुंबई शहरातील जेजे हॉस्पिटल, एन एम जोशी आणि सेनापती बापट मार्ग या फ्लाईओवरच्या बांधकामावर 144 कोटी 81 लाख 50 हजार 864 रुपये एमएसआरडीसीने खर्च केले आहेत. सायन पनवेल कॉरिडोर अंतर्गत 142 कोटी 83 लाख 42 हजार 876 रुपये बीएआरसी, चेंबूर-मानखुर्द लिंक रोड, खारघर,कोकण भवन, नेरुळ, तलोजा, वाशी या फ्लाईओवरच्या बांधकामावर आणि कोकण भवन येथील अंडरपासच्या रुंदीकरणावर खर्च केले आहे. गेल्या 5 वर्षात एमईपी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड या टोल कंपनीने किती टोल वसूल केला आणि वाहनाची संख्या याची माहिती अनिल गलगली यांनी विचारली होती पण त्याबाबतीत मागील 5 वर्षाची माहिती दिली गेली नाही. अनिल गलगली यांच्या मते यापैकी काही फ्लाईओवर वर्ष 2000 च्या पूर्वीचे असून बांधकाम खर्च सरकारी तिजोरीतून झाला असताना टोल वसूली का केली जात आहे आणि एमईपी सारख्या खाजगी कंपनीस टोल मार्फत नफा कमविण्यास प्रोत्साहन दिले जाते, याबाबत आश्चर्य व्यक्त केले आहे. एकीकडे राज्य सरकार टोल बंद करण्याची भाषा वापरत आहे पण प्रत्यक्षात असा कोणताही प्रस्ताव नसल्याचे एमएसआरडीसीने स्पष्ट केले आहे.

Toll Collection by MEP & Flyovers maintained by MSRDC.

MSRDC has spent Rs 119 crores 44 lakhs 5 Thousand 750 on maintaining the 31 flyovers , which was supposed to be maintained by MEP Infrastructure Pvt Ltd, the company which has been allotted the collection of Toll from the 5 entry points to Mumbai for a paltry Rs 2242.35 crores. This information was provided to RTI Activist Anil Galgali by MSRDC. RTI Activist Anil Galgali had sought information from the PWD Minister Shri Chandrkant Patil , regarding the Collection of Toll on the 5 Toll Nakas for entry into Mumbai. The application of Galgali was transferred to the MSRDC. Shri Muktesh Wadkar, Executive Engineer of the MSRDC providing the details gave the papers pertaining to the award of contract to MEP Infrastructure Pvt Ltd, He further informed that prior to year 2010-11 MSRDC was itself doing the toll collection. In the year 1999-2000 it collected 28.35 crores, For year 2000-2001 Rs 56.57 crores, 2001-2002 Rs 65.12 crores, 2002-2003 Rs 476.84 crores, 2008-2009 - Rs 68.65 crores, 2009-2010 231.39 crores . MSRDC could not provide the details corresponding for 5 years between 2003-2004 to 2007-2008.In the year 2010-2011, MEP Infrastructure Pvt Ltd was awarded the contract for toll collection, authorising collection upto 19th November 2026 for a paltry Rs 2242.35 crores.. from Year 1999-2000 to Year 2015-2016 during this17 years MSRDC Spends Rs 119 crores on Maintenance. MSRDC has further informed Anil Galgali that MSRDC has spent Rs 1058 crores 34 lakhs 66 thousand 885 for construction of the 31 flyovers, the cost was to be recovered by collection of Toll on the 5 entry points to Mumbai. It spent Rs 228 crores 79 lakhs 95 thousand 916 which included 8 flyovers at Dattapada, GMLR, Jaycoach, Kalina-Vakola, Mahim, National Park, & Rani Sati Marg. In the Eastern Corridor, it spent 241 crores 40 Lakhs 99 Thousand 450, which included Chedda Nagar, AGLR, CST-Kurla, GMLR, Golden Dyes, JVLR, Nitin Casting & Cadbury, Sion & Vikhroli flyovers. It spent Rs 173 crores 57 lakhs 55 Thousand 891 on the Airoli flyover. On the LBS Marg : kanjurmarg, JVLR (Gandhi Nagar), JVLR (Saki Vihar) costed Rs 126 crores 91 lakhs 21 Thousand 889. In the Mumbai city : JJ Flyover, N M Joshi Marg, Senapati Bapat marg, costed Rs 144 crores 81 lakhs 50 Thousand 864 to the MSRDC. On the Sion Panvel corridor flyovers at BARC, Chembur Mankhurd Link Rd, Kharghar, Konkan Bhavan, Nerul, Taloja, Also widening of underpasses at Vashi & Konkan Bhavan costed Rs 142 crores 83 lakhs 42 Thousand 876 . Anil Galgali had also sought information about the Toll Collected in the past 5 years by MEP Infrastructure Ltd and also the Total number of vehicles crossing the Toll Nakas in these past 5 years which has not been provided with. Anil Galgali, while expressing his views stated that, there are many flyovers which were constructed prior to year 2000, at the cost of the state exchequer, for which too toll is being collected, also private entities like MEP Infrastructure is being given opportunuties to earn huge profits, which is very surprising, At one end the state govt is talking of closing down all the Toll Nakas, but in actuality there is no proposal to shut down these 5 toll nakas specified MSRDC.

Monday 11 April 2016

कोई रुल नहीं फिर भी मुख्यमंत्री के 7 ओएसडी को मिली सरकारी निवासस्थान की सौगात

राज्य सरकार के अधिकारी और कर्मियों को सरकारी निवासस्थान का वितरण करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने अधिकार का इस्तेमाल कर अपने 7 ओएसडी को सरकारी निवासस्थान की सौगात देने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र सरकार ने दी हैं। मुख्यमंत्री के ओएसडी के तौर पर कार्यरत 7 बाहरी उम्मीदवार हैं और वर्तमान में बाहरी उम्मीदवारों को सरकारी निवासस्थान वितरित करनेवाला कोई भी नया सरकारी निर्णय मौजूद न होने से वेटिंग लिस्ट वाले अधिकारीयों में भयंकर नाराजगी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से मुख्यमंत्रियों के ओएसडी को सरकारी निवासस्थान वितरित होने को लेकर जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव शि.म.धुले ने ओएसडी को वितरित निवासस्थान की लिस्ट दी हैं। जिन्हें सरकारी निवासस्थान दिया गया हैं वे सभी बाहरी उम्मीदवार हैं। सन 1995 की पॉलिसी में बाहरी उम्मीदवारों को सरकारी निवासस्थान वितरित करने का जिक्र मौजूद नहीं हैं। 10 प्रतिशत स्पेशल केस करने का अधिकार और 1 या 2 स्टेप दर्जे का निवासस्थान वितरित करने का मुख्यमंत्री को दिए गए अधिकारानुसार यह वितरण होने का दावा श्री धुले ने किया हैं। सबसे बड़ा सरकारी निवासस्थान श्रीकांत भारतीय को मलबार हिल, रॉकी हिल टॉवर में दिया गया हैं जिसका कुल एरिया 1635 वर्ग फुट हैं। उसके बाद चर्चगेट में 830 वर्ग फुट एरिया का निवासस्थान रविकिरण देशमुख( आसावरी-103) और कौस्तुभ धवसे (आसावरी-104) को दिया गया हैं। जबकि 20 फरवरी 2016 को धवसे ने सरकारी निवासस्थान रिक्त किया हैं। अन्य ओएसडी निधी कामदार को चर्चगेट स्थित मंदार-3 में 750 वर्ग फुट एरिया का निवासस्थान दिया गया हैं। मलबार हिल स्थित बैंडमन्स क्वाटर्स में हर एक को 700 वर्ग फुट एरिया का निवासस्थान केतन पाठक, सुमीत वानखेडे और अभिमन्यु पवार को दिया गया हैं। बाहरी गैर सरकारी उम्मीदवार को सरकारी अधिकारियों से अधिक वाला वेतन और उसके बाद शायद कुछ कमी शेष रही होगी इसलिए सरकारी निवासस्थान देने की नई परंपरा गैर क़ानूनी है और सरकारी अधिकारियों की उपेक्षा होने का मत अनिल गलगली ने व्यक्त किया हैं। मुख्यमंत्रियों की ओएसडी को सरकारी निवासस्थान देने से उस सरकारी निवासस्थान के लिए वर्तमान में मौजूद वेटिंग लिस्ट की मांग अनिल गलगली ने की थी लेकिन अवर सचिव श्री धुले ने सरकारी निवासस्थान मुख्यमंत्री को दिए गए अधिकारानुसार वितरित करने से वेटिंग लिस्ट की बात इस मामले में लाज़िमी होने का दावा किया और वेटिंग लिस्ट नहीं दी।

शासन निर्णय अस्तित्वात नसतानाही मुख्यमंत्र्यांच्या 7 ओएसडीला शासकीय निवासस्थान वाटप

राज्य शासनातील अधिकारी आणि कर्मचा-यांसाठी शासकीय निवासस्थान वाटप करताना मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी आपल्या अधिकाराचा वापर करत 7 ओएसडी यांस शासकीय निवासस्थान दिले असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महाराष्ट्र शासनाने दिली आहे. प्रत्यक्षात मुख्यमंत्र्यांचे ओएसडी असलेले सातही जण बाहेरील उमेदवार असून सद्या तरी बाहेरील उमेदवारांस शासकीय निवासस्थान देण्याबाबत कोणताही नवीन शासन निर्णय अस्तित्वात नसल्यामुळे प्रतिक्षा यादीतील अधिकारी वर्गात नाराजगी आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महाराष्ट्र शासनाकडे मुख्यमंत्र्यांच्या ओएसडीना शासकीय निवासस्थान वाटप झाल्याची माहिती विचारली असता सामान्य प्रशासन विभागाचे अवर सचिव शि.म.धुळे यांनी ओएसडी यांची यादी दिली. ज्यांस शासकीय निवासस्थान दिली गेली आहेत ते सर्व बाहेरील उमेदवार असून सन 1995 च्या धोरणात कुठेही त्या बाहेरील उमेदवारांस शासकीय निवासस्थान देण्याचा उल्लेखही नाही. 10 टक्के विशेष बाब करण्याचे अधिकार आणि 1 किंवा 2 टप्पे वरच्या दर्जाचे निवासस्थान वाटप करण्याच्या मुख्यमंत्री यांना असलेल्या अधिकारानुसार वाटप झाल्याचा दावा श्री धुळे यांनी केला आहे. सर्वात मोठे शासकीय निवासस्थान श्रीकांत भारतीय यांस मलबार हिल, रॉकी हिल टॉवर येथे दिले गेले असून 1635 चौरस फुट क्षेत्रफळ आहे. त्यानंतर चर्चगेट येथे 830 चौरस फुट क्षेत्रफळाचे निवासस्थान रविकिरण देशमुख( आसावरी-103) आणि कौस्तुभ धवसे (आसावरी-104) यांस देण्यात आले असून 20 फेब्रुवारी 2016 रोजी धवसे यांनी निवासस्थान रिक्त केले आहे. निधी कामदार यांस चर्चगेट येथील मंदार-3 मध्ये 750 चौरस फुट क्षेत्रफळाचे निवासस्थान दिले आहे. मलबार हिल येथील बैंडमन्स क्वाटर्स येथे प्रत्येकी 700 चौरस फुट क्षेत्रफळाचे निवासस्थान केतन पाठक, सुमीत वानखेडे आणि अभिमन्यु पवार यांस देण्यात आले आहे. बाहेरील अशासकीय उमेदवारांस भरगच्च वेतन आणि त्यानंतर शासकीय निवासस्थान देण्याची नवीन परंपरा चुकीचे असून त्यामुळे शासकीय अधिकारीवर्गाची हेळसांड होत असल्याचे मत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले. मुख्यमंत्र्यांच्या ओएसडी यांस शासकीय निवासस्थाने दिली गेली असून त्या शासकीय निवासस्थानासाठी सद्या अस्तिवात असलेली प्रतिक्षा यादीची मागणी अनिल गलगली यांनी केली होती पण अवर सचिव श्री धुळे यांनी शासकीय निवासस्थाने मुख्यमंत्री यांना असलेल्या अधिकारानुसार वाटप करण्यात आले असून प्रतिक्षायादीची बाब या प्रकरणात गैर लागू ठरविण्याचा दावा केला आणि प्रतिक्षा यादी दिलीच नाही.

No Government Resolution existence but CMO's 7 OSD success to get Govt Accommodation

While many other deserving and from the cadre, Government bureaucrats wait for their chance of getting allotment of Government houses, CM Devendra Fadnavis had gone out of his way, and managed to allot 7 of his Officers on Special Duty (OSD's) Government accommodations. This information was sought through RTI, filed by RTI Activist Anil Galgali. All 7 OSD's, appointed by the CMO are from the outside cadre and there is no such Government Resolution existence & provision for providing Government accommodation for outside candidates or in the law. Anil Galgali had filed an RTI with the General Administration Department in regard to the allotment of Government accommodations to the OSD's at the Chief Minister Office. In it's reply GAD's Under Secretary S. M. Dhule provided the said information. There is no such provision in the policy that was drafted in the 1995 for providing of Government accommodation to the officer's & employees of the 'outside cadre'. But Dhule in his reply has claim that the Chief Minister has special rights to allot 10% of the available accommodation as a special case and 1 or 2 steps in case of the upper categories of accommodations. The biggest accommodation was provided to Shrikant Bhartiya in Malbar Hill at the Rocky hill Towers that ad-measures 1635 Square feet. The next to fall in line is Ravikiran Deshmukh and Kaustubh Dhavase, an ex-Spanco employee, who have been allotted accommodations measuring 830 Square feet at Aasavari Building in Churchgate whose flat numbers 103 and 104 respectively. But as per the reply, Kaustubh Dhavase has left his accommodation on the 20th February 2016. Another OSD Nidhi Kamdar has been allotted an accommodation admeasuring 750 Square feet in Mandar -3 another high rise in Churchgate. Bandman's Quarters at the prestigious Malbar Hill that ad-measures 700 Square feet each have been alloted to Sumit Wankhede, Ketan Pathak and Abhimanyu Pawar. "Firstly all these 7 OSD's are paid very hadnsomely Salary per month as compared to many Class 1 officers. Now the Chief Minister has gone one step ahead and allotted them Government accommodations. All these 7 officers are basically outsider's and not from the Government cadre and this is creating ripples in the other Government officers who actually have to wait for years to get accommodated in such houses" said Galgali. Anil Galgali also wants to know the waiting list particularly for this type of government quarters which was allotted to the CMO's OSD.GAD's Public Information Officer & Under Secretary S M Dhule has refused to provide the 'waiting list' of other deserving employees who had applied for the similar accommodations.

Thursday 7 April 2016

सांसद सदस्यत्व खतरे में आते ही सत्यपाल सिंह ने अदा की बकाया और जुर्माने की रकम

लोकसभा चुनाव लड़ने के दौरान सरकारी देनदारी की जानकारी छिपाते हुए उसे अदा न करने से भाजपा के सांसद और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह का संसद सदस्यता खतरे में आ गई थी। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने किए भांडाफोड़ के बाद सत्यपाल सिंह ने चुपचाप बकाया रकम रु 53,800/- अदा करने की जानकारी मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने अनिल गलगली को दी हैं। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय से आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने जानकारी मांगी थी कि पूर्व पोलिस आयुक्त और भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह ने उनपर बकाया रकम कब अदा की हैं। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने अनिल गलगली को बताया कि सत्यपाल सिंह ने दिनांक 21 मार्च 2016 को चेक के जरिए रु 53,800/- इतनी रकम अदा की हैं। सत्यपाल सिंह ने चेक के साथ भेजे हुए पत्र में आगे से किसी भी तरह का पत्राचार उनके दिल्ली स्थित पते पर करने का अनुरोध भी किया हैं। लोकसभा का सदस्यत्व खारिज होने के डर वश ही सत्यपाल ने बकाया रकम और जुर्माना अदा किया हैं। मुंबई के पाटलीपुत्र सहकारी गृहनिर्माण संस्था में स्थित फ्लैट सत्यपाल सिंह ने किराए पर तो दिया लेकिन आज तक रु 48,420/- इतनी जुर्माना की रकम अदा नही की और सरकारी बकाया देनदारी की जानकारी को उम्मीदवारी अर्जी पेश करने के दौरान सार्वजनिक नही किया। असल में 10 वर्षों से फ्लैट को किराए पर देकर नियमों का उल्लंघन तो किया और फ्लैट को बिना अनुमति किराए पर देकर लाखों रुपए की कमाई भी की। सत्यपाल के ही फ्लैट में ही 2 जून 2014 को सेक्स रैकेट का भांडाफोड़ हुआ था। अनिल गलगली की शिकायत के बाद सत्यपाल सिंह संकट में आ गए है और उनकी संसद की सदस्यता रद्द होने के मार्ग पर हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने लोकसभा अध्यक्ष, प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग के पास किए गए शिकायत में सांसद सत्यपाल सिंह ने कैसे जनता और चुनाव आयोग को उल्लू बनाया हैं ? इसकी विस्तृत जानकारी दी हैं। पुलिस आयुक्त पद का इस्तीफा देकर सत्यपाल सिंह ने 2014 में लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश स्थित बागपत सीट से लड़ा था। चुनाव आयोग ने जारी किए हैण्ड बुक में उम्मीदवारों को जिन 5 चीजों का ब्यौरा देने को आदेशित किया था उसमें अपराधिक मामले, प्रलंबित मामले, संपत्ति, देनदारी और शैक्षणिक योग्यता का समावेश हैं। इसमें के नियम क्रमांक 3 के अनुक्रमांक 4 में सरकारी वित्तीय संस्थान और सरकारी बकाया की देनदारी का ब्यौरा शामिल हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई 2002 को एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की याचिका पर आदेश जारी किया था। सत्यपाल सिंह ने सरकारी बकाया देनदारी की जानकारी उम्मीदवारी अर्जी पेश करने के दौरान सार्वजनिक नही की थी।

खासदारकी धोक्यात येताच सत्यपाल सिंह यांनी अदा केली थकबाकी आणि दंडाची रक्कम

लोकसभा निवडणुक लढविताना सरकारी थकबाकीची माहिती दडवित ती अदा न केल्यामुळे भाजपाचे खासदार आणि माजी पोलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह यांची खासदारकी धोक्यात आली होती. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली केलेल्या गौप्यस्फोटानंतर सत्यपाल सिंह यांनी निमूटपणे 53,800/- इतकी असलेली थकबाकी अदा केल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाने दिली. मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाकडे आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी विचारणा केली होती कि माजी पोलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह यांनी थकबाकीची रक्कम केव्हा अदा केली. मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाने अनिल गलगली यांस कळविले की सत्यपाल सिंह यांनी दिनांक 21 मार्च 2016 रोजी धनादेशद्वारा रु 53,800/- इतकी रक्कम अदा केली आहे. सत्यपाल सिंह यांनी धनादेशसोबत पत्र सुद्धा देत यापुढचा पत्रव्यवहार त्यांच्या दिल्ली येथील पत्त्यावर करण्याची विनंती सुद्धा केली आहे. खासदारकी रद्द होण्याच्या भीतीपोटी सत्यपाल सिंह यांनी थकबाकीची आणि दंडाची रक्कम अदा केली. मुंबईतील पाटलीपुत्र सहकारी गृहनिर्माण संस्थेतील सदनिका डॉ सत्यपाल सिंह यांनी भाड्याने देत आजपर्यंत रु 48,420/- इतकी दंडाची रक्कम आजपर्यंत अदा केली नव्हती आणि सरकारी थकबाकीची माहिती उमेदवारी अर्ज सादर करताना दिली नाही. प्रत्यक्षात त्यांनी 10 वर्षापासून सदनिका भाडयाने देत एकप्रकारे नियमांचे उल्लंघन तर केले आणि सदनिका विना परवानगी भाडयाने देत लाखों रुपये कमविले. विशेष म्हणजे त्यांच्या याच सदनिकेत 2 जून 2014 रोजी सेक्स रैकेटचा भांडाफोड झाला होता. अनिल गलगली यांच्या तक्रारी नंतर सत्यपाल सिंह अडचणीत आले होते आणि त्यांचे सदस्यत्व रद्द होणाच्या मार्गावर होते. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी लोकसभा अध्यक्ष, पंतप्रधान आणि निवडणूक आयोगाकडे केलेल्या रीतसर तक्रारीत खासदार सत्यपाल सिंह यांनी कशी जनता आणि निवडणूक आयोगाची फसवणूक केली आहे? याची विस्तृत माहिती दिली आहे. पोलिस आयुक्त पदाचा राजीनामा देत सत्यपाल सिंह यांनी 2014 ची लोकसभा निवडणूक उत्तर प्रदेश येथील बागपत मतदारसंघातून लढविली होती. निवडणूक आयोगाने 27 मार्च 2003 रोजीच्या हैण्ड बुक मध्ये उमेदवारासाठी ज्या 5 बाबी जाहीर करण्याचे आदेशित केले होते त्यात दाखल गुन्हे, प्रलंबित गुन्हे, मालमत्ता, थकबाकी दायित्व आणि शैक्षणिक पात्रता याचा समावेश आहे. यातील नियम क्रमांक 3 मधील 4 मध्ये सरकारी वित्तीय संस्थान आणि सरकारी थकबाकी या दायित्वाचा तपशील आहे. याबाबतीत सुप्रीम कोर्टाने 2 मे 2002 रोजी एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्सच्या जनहित याचिकेवर आदेश जारी केले होते. सत्यपाल सिंह यांनी सरकारी थकबाकीची माहिती उमेदवारी अर्ज सादर करताना दिली नाही.

As Parliament membership coming under cloud Satyapal Singh pays his dues and penalties

Ex Police Commissioner & BJP MP Satyapal Singh's membership of parliament in trouble, following the fact that he withheld information about unpaid dues to the collector's office in his election affidavit. After expose by RTI Activist Anil Galgali & As Parliament membership coming under cloud Mr Singh has paid the dues amount of Rs 53,800/- has confirm by Mumbai Suburb Collector Office after a fresh query filed by RTI Activist Anil Galgali. A fresh query filed by RTI Activist Anil Galgali to confirm whether Mr Satyapal Singh clears his Government Due. Mumbai Suburb Collector Office informed Anil Galgali that Satyapal Singh paid his due amount of Rs 53,800 /- on 21 March 2016 by cheque. Mr Singh in a written letter along with cheque request to Collector that onwards all correspondence should made his Delhi Residence. As Parliament membership coming under cloud Satyapal Singh pays his dues and penalties. RTI activist Anil Galgali had revealed that Satyapal Singh, had failed to pay Rs 48,420/- fine imposed by collector, Mumbai suburbs, for renting out his flat at Patliputra Society, Andheri without proper permission from collector, as required by law. His flat is built on highly subsidised land provided for housing of top government officials & according to rules, he is bound to take collector's permission after payment of prescribed fee. Collector issued him a notice on 28th January 2013 for payment of dues. Singh, then holding the post of Police commissioner of Mumbai Police choose to overlook this notice & following reminders. . Satyapal Singh resigned from post of commissioner to contest & win 2014 Loksabha election from Baghpat seat in Uttar Pradesh. Now, this fact has come to light that Singh has not mentioned these 'Government dues' in his election affidavit. The handbook for candidates of Loksabha election specifically states that candidates should furnish details on 5 counts as prescribed by Supreme court judgement in Union of India v/s Association for democratic reforms. According to this provision, candidate is bound to reveal details of his criminal conviction, pending cases, Assets, Government liabilities & educational qualifications in affidavit filed before election officer. The relevant rule 4 (3) prescribes that the candidate reveal- 'Laibilities if any, particularly whether there are any old dues of any financial institution or government dues'.

Monday 4 April 2016

मुंबई मेट्रो वन कंपनी ने होमगार्ड से की धोखाधड़ी

वर्सोवा स्थित होमगार्ड की स्वामित्व वाली 2.4 हेक्टर जमीन कास्टिंग यार्ड के लिए लेते हुए उस जमीन पर प्रशिक्षण केंद्र बनाकर देने का अभिवचन मुंबई मेट्रो वन कंपनी ने दिया था। अब प्रशिक्षण केंद्र बनाकर न देने वाली मुंबई मेट्रो वन कंपनी 28 करोड़ 55 लाख 51 हजार 410 रुपए का बकाया किराया न देने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से वर्सोवा स्थित होमगार्ड की स्वामित्व वाली जमीन को लेकर मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने किया हुआ एग्रीमेंट और वर्तमान स्थिती की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली कोण21 मार्च 2016 तक मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का बकाया किराया और अबतक हुआ एग्रीमेंट,पत्रव्यवहार और बढ़ाई हुई मियांद के दस्तावेज दिए। वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर कॉरिडोर एमआरटीस योजना में आनेवाली दिक्कतों को लेकर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री ने 10 दिसंबर 2007 को आयोजित बैठक में मेट्रो वन के योजना प्रबंधक ने वर्सोवा स्थित होमगार्ड की स्वामित्व वाली 2.4 हेक्टर जमीन अस्थायी तौर पर कास्टिंग यार्ड के लिए देने के लिये एमएमआरडीए और होमगार्ड से अनुरोध किया था। उस वक्त 1.99 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को हस्तांतरित कर प्रशिक्षण केंद्र को बनाने के लिए मंजूरी दी थी। लेकिन मेट्रो का काम ध्यान में लेते हुए जमीन को 2 वर्ष अस्थायी तौर पर मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के योजना प्रबंधक को देते हुए उसके ऐवज में होमगार्ड का प्रशिक्षण केंद्र मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा बनाकर देने की बात तय की गई थी। 26 अप्रैल 2010 को उसतरह का एग्रीमेंट मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और एमएमआरडीए प्रशासन के बीच हुआ था। समय पर काम न होने से मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने 4 बार मियांद बढ़ाकर ली। काम होने के बाद मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने होमगार्ड से शत प्रतिशत धोखाधड़ी करते हुए खुद को अलग किया। एग्रीमेंट की मियांद 18 अप्रैल 2010 को खत्म हो रही थी लेकिन अपर मुख्य सचिव(गृह) की अध्यक्षता में दिनांक 17 अक्टूबर 2011 को मंत्रालय में हुई बैठक में 6 महीने की अस्थायी तौर पर मियांद बढ़ाकर देते हुए 2 महीने में प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण काम शुरु करे अन्यथा दिनांक 16 जनवरी 2009 से ब्याज की वसूल करने का फैसला लिया गया था। इसके बाद भी किसी भी तरह का काम शुरु नहीं किया गया। मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने 29 जून 2015 को 3 करोड़ 97 लाख 98 हजार की रकम अदा भले ही की हैं लेकिन 21 मार्च 2016 तक किराया ,सर्विस टैक्स और ब्याज ऐसी कुल मिलाकर कुल 28 करोड़ 55 लाख 55 हजार 410 रुपए अदा करना शेष हैं।मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने की हुई धोखाधड़ी से अब होमगार्ड को दिया हुआ अभिवचन पूर्ण करने की जिम्मेदारी एमएमआरडीए प्रशासन की होने से जमीन के किराए की रकम से प्रशिक्षण केंद्र और सुरक्षा दीवार बनाकर देने के प्रस्ताव को एमएमआरडीए प्रशासन ने मंजूर करते किया हैं और हाल ही में सुरक्षा दीवार का काम पूर्ण किया हैं। अनिल गलगली ने इस मामले को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एमएमआरडीए क्र महानगर आयुक्त को भेजे हुए पत्र में मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने की हुई धोखाधड़ी को गंभीरता से लेते हुए कंपनी पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने और बकाया किराया वसूलने की मांग की हैं। अनिल अंबानी जैसे उद्योगपती की कंपनी ने की हुई धोखाधड़ी देखते हुए उनकी सभी कंपनियों को राज्य के नई योजना में हमेशा के लिए पाबंदी लगाने की मांग अनिल गलगली ने की हैं। डीएन नगर स्थित मेट्रो कार डेपो स्थित बनी बिल्डिंग होम गार्ड को देकर एमएमओपीएल मामले को सुलझा सकती हैं।

मुंबई मेट्रो वन कंपनीने होमगार्ड प्रशासनास फसविले

वर्सोवा येथील होमगार्डच्या मालकीची 2.4 हेक्टर जागा कास्टिंग यार्डसाठी घेत त्या जागेवर प्रशिक्षण केंद्र बांधून देण्याचे अभिवचन मुंबई मेट्रो वन कंपनीने दिले होते. आता प्रशिक्षण केंद्र बांधून न देणारी मुंबई मेट्रो वन कंपनी 28 कोटी 55 लाख 51 हजार 410 रुपयांची भाडयापोटीची थकबाकी देत नसल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडे वर्सोवा येथील होमगार्डच्या मालकीच्या जमीनीबाबत मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनीने केलेला करारनामा आणि सद्यस्थितीची माहिती विचारली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांस 21 मार्च 2016 पर्यंत मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनीने थकविलेले भाड्याची आणि आतापर्यंत झालेला करार,पत्रव्यवहार आणि मुदतवाढीची कागदपत्रे दिली. वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर कॉरिडोर एमआरटीस प्रकल्पामध्ये येणा-या अडीअडचणी संदर्भात चर्चा करण्यासाठी मुख्य मंत्र्यांनी 10 डिसेंबर 2007 रोजी आयोजित बैठकीत मेट्रो वनच्या प्रकल्प व्यवस्थापकांनी वर्सोवा येथील होमगार्डच्या मालकीची 2.4 हेक्टर जागा तात्पुरत्या स्वरुपात कास्टिंग यार्डसाठी देण्याबाबत एमएमआरडीए आणि होमगार्ड यांस विनंती केली. त्यावेळी रुपये 1.99 कोटी केंद्र शासनाने राज्य शासनास हस्तांतरित करत प्रशिक्षण केंद्र बांधण्यास मंजूरी दिली होती. पण मेट्रोचे काम लक्षात घेता सदर जागा 2 वर्षाच्या तात्पुरत्या कालावधीकरिता मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनीच्या प्रकल्प व्यवस्थापनाकडे देत त्याबदल्यात होमगार्डचे प्रशिक्षण केंद्र मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पूर्णपणे बांधून देण्याचे निश्चित केले गेले. 26 एप्रिल 2010 रोजी तसा करार नामा मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी आणि एमएमआरडीए प्रशासनात झाला. वेळेत काम न झाल्यामुळे मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनीने 4 वेळा मुदतवाढ घेतली. काम झाल्यानंतर मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनीने होमगार्डची चक्क फसवणूक करत आपले अंग काढून घेतले. कराराची मुदत 18 एप्रिल 2010 रोजी संपुष्टात आली होती पण अपर मुख्य सचिव(गृह) यांच्या अध्यक्षतेखाली दिनांक 17 ऑक्टोबर 2011 रोजी मंत्रालयात झालेल्या बैठकीत 6 महिने तात्पुरत्या स्वरुपात मुदतवाढ देत 2 महिन्यात प्रशिक्षण केंद्राचे बांधकाम सुरु करावे अन्यथा दिनांक 16 जानेवारी 2009 पासून व्याजाची वसूली करण्याचे ठरविले गेले होते पण कोणत्याही प्रकारचे काम सुरुच झाले नाही. मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनीने 29 जून 2015 रोजी 3 कोटी 97 लाख 98 हजार रक्कम अदा केली असली तरी 21 मार्च 2016 पर्यंत भाडे,सर्विस टैक्स आणि व्याज अशी एकूण 28 कोटी 55 लाख 55 हजार 410 रुपये अदा करणे शिल्लक आहे. मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनीने केलेल्या घोर फसवणूकीमुळे आता होमगार्डला दिलेले अभिवचन पूर्ण करण्याची जबाबदारी एमएमआरडीए प्रशासनाची असल्यामुळे जागेच्या भाड्याच्या रक्कमेतून प्रशिक्षण केंद्र आणि संरक्षक भिंत बांधून देण्याचे एमएमआरडीए मंजूर करत संरक्षक भिंतीचे काम पूर्ण केले आहे. अनिल गलगली यांनी याबाबत राज्याचे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि एमएमआरडीएचे महानगर आयुक्त यांस पाठविलेल्या पत्रात मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनीने केलेल्या घोर फसवणूकीची गंभीर दखल घेत कंपनीवर फौजदारी गुन्हा दाखल करत थकबाकी रक्कम वसूल करण्याची मागणी केली आहे. अनिल अंबानी सारख्या उद्योगपतीच्या कंपनीने केलेली फसवणूक पहाता त्यांच्या सर्व कंपनीस राज्यातील नवीन प्रकल्पात कायमस्वरुपी बंदी घालण्याची मागणी अनिल गलगली यांनी केली आहे.डीएन नगर येथील मेट्रो कार डेपो मधील इमारत होम गार्डला देत एमएमओपीएल तोडगा काढू शकते.

MMOPL Cheats Home Guard

Mumbai Metro One Private limited Company ie MMOPL deceived the Home Guard department for Rs 28.55 crores rent . MMOPL nor ready to pay huge anount of rent nor construct the proposed Training Centre as they promise during Metro Project Activity. The 2.4 hectare land,which is owned by Home Guard was assured by the MMOPL for constructing the Training centre. MMRDA informed RTI activist Anil Galgali that Mumbai Metro One Private limited Company ie MMOPL is not paying the 28 crores 55 lakh 51 thousand 410 rupees due rent which is pending still date. RTI Activist Anil Galgali asked the information from MMRDA administration the recent status of the land at Home Guard's Versova locality and agreement details between MMOPL and MMRDA. MMRDA provide the information of agreement and various correspondence between MMOPL & MMRDA. Various documents revels that MMOPL cheats both MMRDA & Home Guard on the name of Project and not fulfilled the promise made by Them. The Chief Minister called the meeting on 10th December 2007 to discuss the various problems of Versova- Andheri- Ghatkopar corridor of MRTS project.The project manager of MMOPL then requested to handover 2.4 hectare land at Versova owned by Home Guard temporary basis for the casting yard from the MMRDA and Home Guard department. The Central Government sanctioned Rs 1.99 crore to State Government to construct training centre on same land.But considering the work of MMOPL the land( 2.4 hectare) temporarily handover to the MMOPL. That time Project Manager agree to construct the proposed Training Centre on Home Guard land after finish there casting yard work. Under this condition the land was temporarily handed over to MMOPL on 19 January 2009 and agreement was occurred between MMRDA and MMOPL. Instead to complete the said work, MMOPL continues get 4 extension to complete the work. Anil Ambani's MMOPL frequently violated the terms,conditions,time limit ,agreement and deceived the Home Guard department and escaped from the agreement. Though the lease Agreement will ended over on 18th April 2010. Additional Chief Secretary [home] under his chairmanship call a meeting and gave other extension of time limit upto 6 months ie till 17th October 2011 ,subject to condition to start construction of training center within two months ,otherwise to recover the interest from 16th January 2009. After that MMOPL failure to complete there work and not construct single area for Training Centre of Home Guard. MMOPL has paid only Rs 3,97,98,000/- on 29th June 2015. The rent payable to MMRDA by MMOPL for Home Guard land as on 21st March 2016 including 14% delayed interest Rs 28,55,51,410 /- which is not paid by MMOPL. Now the MMRDA administration has responsibility to fulfill the promise to construct the training center and fencing wall due to cheating by the MMOPL.MMRDA constructed the fencing wall till date. Anil Galgali wrote to the Chief Minister Devendra Fadanvis and MMRDA Commissioner to take serious cognizance of this cheating by the MMOPL and demand to lodge the FIR against MMOPL. Due to this serious act of omission and commission by Anil Ambani and his company ,his all companies should be black listed and banned from getting any project in the state of Maharashtra permanently, demand Galgali. If MMOPL not have enough money to paid 28.55 crores then they should handover a incompleted Building constructed at DN Nagar Metro Car Depot and have lovely option to finish dispute.

Friday 1 April 2016

गिरगाव चौपाटी मेक इन इंडिया की आग का मलबा सफाई का 8 लाख सीआईआई ने अदा किया

'मेक इन इंडिया' इस बैनर के तले गिरगाव चौपाटी में आयोजित महाराष्ट्र रजनी कार्यक्रम में लगी आग मुंबई मनपा को महंगी पड़ी थी और आग का मलबा साफ़ करने में मनपा को 8 लाख का खर्च आया था। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मामले को एक्सपोज करते ही आयोजक रीजनल डायरेक्टर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) ने समय न गंवाते हुए 4 मार्च 2016 को पूरी बकाया रकम अदा कर दी। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की आरटीआई के बाद सीआईआई का भांडाफोड़ हुआ। 15 फरवरी 2015 को मनपा ने 10 जेसीबी, 39 डंपर की 67 ट्रिप्स, 2 कोम्पक्टोर्स, 198 मजदूर और 80 सुपरवाइजरी स्टाफ 2 शिफ्ट में डेब्रिज निकालने में कार्यरत थी। चौपाटी की साफसफाई की जिम्मेदारी आयोजक की होने से मनपा ने किया हुआ खर्च देने के लिए वे बाध्य हैं। मनपा ने 22 फरवरी 2016 को कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के रीजनल डायरेक्टर कौशलेन्द्र सिन्हा को भेजे हुए पत्र में 7 दिन की डेटलाइन दी थी। लेकिन सीआईआई रकम अदा करने की मानसिकता में नहीं था। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की आरटीआई और लिखित शिकायत के बाद सीआईआई ने 8 लाख की रकम अदा कर दी और विवाद को खत्म कर दिया। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने फरवरी 2016 में मनपा से गिरगाव चौपाटी स्थित महाराष्ट्र रजनी कार्यक्रम में लगी आग के बाद मनपा ने की हुई सफाई काम की जानकारी मांगी थी। डी मनपा विभाग के घन कचरा डिपार्टमेंट के सहायक अभियंता ने अनिल गलगली को बताया कि गिरगाव चौपाटी स्थित महाराष्ट्र रजनी कार्यक्रम में 14 फरवरी 2016 को लगी आग के बाद मनपा ने साफसफाई काम करते हुए 315 मेट्रिक टन इतना डेब्रिज/मलबा उठाते हुए परिसर को साफ़ किया जिसके लिए कुल खर्च की रकम करीब 8 लाख 6 हजार 952 रुपए इतनी हैं। यह सफाई का काम डी विभाग के अलावा अन्य विभाग की यंत्र सामग्री, वाहन, मजदूर और अशासकीय संस्था के मजदूरों के जरिए किया गया। इस काम के लिए मनपा को आया अतिरिक्त खर्च इस कार्यक्रम के आयोजक रीजनल डायरेक्टर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री को मनपा को अदा करने के लिए पत्र लिखा गया था।

गिरगाव चौपाटी येथील मेक इन इंडियाच्या आगीतील मलबा काढण्यास आलेल्या खर्चाचे 8 लाख सीआयआय ने अदा केले

'मेक इन इंडिया' या बैनरखाली गिरगाव चौपाटी येथील महाराष्ट्र रजनी कार्यक्रमात लागलेली आग मुंबई महानगरपालिकेस महाग पडली असून आगीतील मलबा काढण्यासाठी पालिकेस 8 लाखाचा भुर्दंड बसला होता. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी हा प्रकार उघडकीस आणताच रीजनल डायरेक्टर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीने ( सीआयआय ) ने 4 मार्च 2016 रोजी पालिकेस आलेला अतिरिक्त खर्च अदा केला. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या आरटीआय मुळे सीआयआय चे बिंग फुटले. मुंबई महानगरपालिकेने 10 जेसीबी, 39 डंपरच्या ट्रिप्स, 2 कोम्पक्टोर्स, 198 कामगार आणि 80 सुपरवाइजरी स्टाफ 2 पाळयात डेब्रिज काढण्यासाठी 15 फेब्रुवारी रोजी कार्यरत होत्या. गिरगाव चौपाटी साफसफाईची जबाबदारी आयोजकाची असल्यामुळे पालिकेने केलेला खर्च देण्यास बाध्य होते. कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीचे रीजनल डायरेक्टर कौशलेन्द्र सिन्हा यांस 22 फेब्रुवारी 2016 रोजी पाठविलेल्या पत्रात 7 दिवसात रक्कम भरण्याची वेळ दिली आहे. परंतु सीआयआय कडून चालढकल होत होती. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांची आरटीआय आणि लेखी तक्रारी नंतर सीआयआय ने वेळ न घालता 4 मार्च 2016 रोजी सर्व रक्कम पालिकेस अदा करत वादावर पडदा घातला. फेब्रुवारी 2016 मध्ये आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पालिकेस गिरगाव चौपाटी येथील महाराष्ट्र रजनी कार्यक्रमात लागलेल्या आगीनंतर पालिकेने केलेल्या सफाई कामाची माहिती मागितली होती. डी पालिका विभागातील घन कचरा व्यय खात्याच्या सहायक अभियंता यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की गिरगाव चौपाटी येथील महाराष्ट्र रजनी कार्यक्रमात 14 फेब्रुवारी 2016 रोजी लागलेल्या आगीनंतर पालिकेने केलेल्या साफसफाई कामांतर्गत 315 मेट्रिक टन इतका डेब्रिज/मलबा उचलण्यात आला असून त्यासाठीचा एकंदर खर्च रक्कम सुमारे 8 लाख 6 हजार 952 रुपये इतका आहे. सदरचे काम डी विभाग तसेच इतर विभागाच्या यंत्र सामग्री, वाहने ,कामगार आणि अशासकीय संस्थेच्या कामगारांमार्फत करण्यात आले होते. याबाबतीत पालिकेने कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीचे रीजनल डायरेक्टर यांस पत्र पाठवून रक्कम अदा करण्यासाठी कळविले सुद्धा होते.

CII paid Rs 8 lakhs to BMC to clear chowpatty post 'Make In India' fire disaster

The Maharashtra Rajni show organised under the auspices of the Make In India banner got destroyed in fire, the BMC too has to bear a cost of Rs 8 lakhs for clearing and removal of debris from the spot, this information was provided to RTI activist Anil Galgali by the Municipal administration. After Anil Galgali RTI & written complaint immediately Regional Director, Confederation of Indian Industries ( CII) has paid the dues on 4th March 2016 to Bmc. RTI Activist Anil Galgali RTI query expose the CII and negligence towards to pay the due. Bmc D ward Assistant Engineer informed Galgali that on 4th March 2016, CII paid fully due amount. The debris of fire gutted structure from Chowpathy was cleaned by the next morning with the help of 10 JCB's, 39 Dumpers (67 Trips), 2 Compactors, 198 labour staff and 80 supervisory staff in two shifts. Since it was the duty of the event organizer to arrange to clear the chowpathy and hence are liable to compensate for the expenses made by Bmc. Bmc directed to reimburse the amount Rs 8,06,952/- to bmc immediately in 7 days. In February 2016 RTI activist Anil Galgali had sought information from the BMC about the clearing of the site post the fire incident on 14 February 2016 at the Maharashtra Rajani show held under the auspices of the Make In India program held at Girgaum chowpatty. The Asst Engineer, Solid Waste mgmt of the D Ward informed Galgali that, after the fire incident the BMC had to clean almost 315 metric tonnes of debris and damaged metarials for which it had to spend almost Rs 8 lakhs 6 thousand 952. The work was executed by D Ward staff using infrastructure and implementsof the ward and other departments, vehicles, own Labour and Labour for non government agencies. Simultaneously the cost incurred for the clean up was intimated to the organizers of the show, the Regional Director of the Confederation of Indian Industries and told to pay up, but they have failed to respond to the demand.