Monday 27 May 2019

बदले हुए मेट्रो स्टेशन नाम पर हुई कमाई बताने पर मुंबई मेट्रो वन कंपनी का मौन

विवादित अनिल अंबानी की मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड ने मेट्रो स्टेशन का नाम बदलकर कितनी कमाई की हैं, इसकी जानकारी एमएमआरडीए प्रशासन को बताने पर मुंबई मेट्रो वन लिमिटेड कंपनी ने मौन धारण करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को प्राप्त दस्तावेजों से हो रहा है। एमएमआरडीए प्रशासन ने तो  प्राप्त कमाई में समान वितरण का दावा किया हैं।


मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने अंधेरी ( बँक ऑफ बडोदा), मरोल ( अजमेरा मरोल नाका ) और  घाटकोपर ( विवो घाटकोपर) ऐसा स्टेशनों के नाम में बदलाव किया हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से मेट्रो स्टेशन के नामकरण की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली का आवेदन मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के पास हस्तांतरित किया। अनिल गलगली ने इसतरह नामकरण करने के लिए राज्य सरकार, नगरविकास विभाग एवं एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हुई अनुमति और आदेश की कॉपी और अनुमति नहीं होने पर एमएमआरडीए प्रशासन ने की हुई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को जो दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं उसमें एमएमआरडीए के तत्कालीन महानगर आयुक्त यूपीएस मदान इनका दिनांक 2 फरवरी 2018 को मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभय कुमार मिश्र को लिखा हुआ पत्र था। इस पत्र में मदान ने स्पष्ट किया हैं कि केंद्रीय नगरविकास विभाग से नामकरण को लेकर चर्चा होने के बाद स्पष्टीकरण के बाद एमएमआरडीए प्रशासन को वर्तमान में स्टेशन के नाम में बदलाव को लेकर कोई आपत्ति नहीं हैं। लेकिन आय यह सहूलियत वाले अग्रीमेंट का बाहरी हिस्सा हैं। इसलिए जो कमाई हो रही हैं उसे मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और एमएमआरडीए प्रशासन में बराबरी से वितरित होनी चाहिए। इसलिए नाम मे किए गए बदलाव से हुई कमाई की जानकारी तुरंत बताई जाए।

मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने एमएमआरडीए प्रशासन को दिल्ली मेट्रो के पत्र का हवाला देते हुए जबाब दिया कि स्टेशन का ब्रँडिंग यह विज्ञापन आय हैं। स्टेशन ब्रँडिंग यह स्टेशन का नाम बदलने नहीं माना जाएगा। स्टेशन ब्रँडिंग यह विज्ञापन से जुड़ी हुई कृती हैं। सहूलियत का अग्रीमेंट यह इसतरह की व्यावसायिक कृती करने की इजाज़त देता हैं। मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड को एमएमआरडीए प्रशासन की पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं हैं। 

केंद्रीय नगरविकास विभाग ने एमएमआरडीए प्रशासन को सूचित किया हैं कि सहूलियत का अग्रीमेंट यह एमएमआरडीए प्रशासन और मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड इन दोनों के बीच होने से उसमें उनके मंत्रालय की इस मामले को किसी भी तरह की भूमिका नहीं हैं। दिल्ली मेट्रो रेलवे महामंडल ने स्टेशन ब्रँडिंग के लिए किसी भी तरह की अनुमति नहीं ली हैं।

अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में एमएमआरडीए प्रशासन की आरंभ से इस मामले को लेकर जो भूमिका हैं उसपर नाराजगी जताई और क़ानूनन तौर पर आधी आय वसूलने की मांग की हैं। साथ ही में मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने भी ब्रँडिंग का शुल्क वसूलने के लिए कार्रवाई करे,ऐसी गलगली ने आगे कहा हैं। 

बदललेल्या मेट्रो स्थानकाच्या नावासाठी कमविलेली रक्कम कळविण्यास मेट्रो वन कंपनीचे मौन

वादग्रस्त अनिल अंबानी यांच्या मुंबई मेट्रो वन प्रायव्हेट लिमिटेडने मेट्रो स्थानकाचे नाव बदल करत किती कमाई केली आहे, याची माहिती कळविण्यास मुंबई मेट्रो वन लिमिटेड कंपनीने मौन साधल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस प्राप्त कागदपत्रांवरुन होत आहे. एमएमआरडीए प्रशासनाने तर यावर प्राप्त कमाईत समान वाटणी करण्याचा दावा केला आहे.

मुंबई मेट्रो वन प्रायव्हेट लिमिटेड कंपनीने अंधेरी ( बँक ऑफ बडोदा), मरोळ ( अजमेरा मारोळ नाका ) आणि  घाटकोपर ( विवो घाटकोपर) असा बदल करण्यात आला आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडे मेट्रो स्थानकांच्या नामकरणाची माहिती मागितली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांचा अर्ज मुंबई मेट्रो वन प्रायव्हेट लिमिटेड कंपनीकडे हस्तांतरित केला. अनिल गलगली यांनी असं नामकरण करण्यासाठी राज्य शासन, नगरविकास खाते किंवा एमएमआरडीए प्रशासनाने दिलेल्या परवानगीची आणि आदेशाची प्रत तसेच परवानगी नसल्यास एमएमआरडीए प्रशासनाने केलेल्या कार्यवाहीची माहिती मागितली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांस जी कागदपत्रे उपलब्ध करुन दिली त्यात एमएमआरडीएचे तत्कालीन महानगर आयुक्त यूपीएस मदान यांचे दिनांक 2 फेब्रुवारी 2018 रोजीचे मुंबई मेट्रो वन प्रायव्हेट लिमिटेड कंपनीचे मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभय कुमार मिश्र यांस लिहिलेले पत्र होते. या पत्रात मदान यांनी स्पष्ट केले केंद्रीय नगरविकास खात्याशी नामकरण बाबतीत चर्चा केली असून त्यांनी दिलेल्या स्पष्टीकरणानंतर एमएमआरडीए प्रशासनास सद्या असलेल्या स्थानकांचे नाव बदलण्यास कोणतीही हरकत नाही. तसेच उत्पन्न हे सवलतीच्या करारनामा बाहेरील आहे त्यामुळे उत्पन्नाची वाटणी ही नावातील बदलामुळे मुंबई मेट्रो वन प्रायव्हेट लिमिटेड कंपनी आणि एमएमआरडीए प्रशासनात समान होणे आवश्यक आहे.  जेणेकरुन नावात केलेल्या बदलामुळे कमविलेल्या रक्कमेची माहिती तत्काळ सांगावी. 

मुंबई मेट्रो वन प्रायव्हेट लिमिटेड कंपनीने एमएमआरडीए प्रशासनाला दिल्ली मेट्रोच्या पत्राचा हवाला देत प्रत्युत्तर दिले की स्थानकाचे ब्रँडिंग हे जाहिरात उत्पन्न आहे. स्थानक ब्रँडिंग हे स्थानकाच्या नावात बदल झाल्याचे ग्राह्य मानले जाणार नाही. स्थानक ब्रँडिंग ही जाहिरात संबंधित व्यावसायिक कृती आहे. सवलतीचा करारनामा हा अशी व्यावसायिक कृती करण्यास मुभा देतो. मुंबई मेट्रो वन प्रायव्हेट लिमिटेडला एमएमआरडीए प्रशासनाची पूर्व परवानगी घेण्याची गरज नाही. 

केंद्रीय नगरविकास खात्याने एमएमआरडीए प्रशासनास कळविले आहे की सवलतीचा करारनामा हा एमएमआरडीए प्रशासन आणि मुंबई मेट्रो वन प्रायव्हेट लिमिटेड यामध्ये झाला असून त्यामुळे मंत्रालयाची या प्रकरणात कोणतीही भूमिका नाही.  दिल्ली मेट्रो रेल्वे महामंडळाने स्थानक ब्रँडिंगसाठी कोणतीही मंजुरी घेतली नाही.

अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पाठविलेल्या पत्रात एमएमआरडीए प्रशासनाच्या सुरवातीपासून असलेल्या भूमिकेवर नाराजगी व्यक्त केली असून कायद्याचा बडगा दाखवित निम्मे उत्पन्न वसूल करण्याची मागणी केली आहे. तसेच मुंबई महानगरपालिका प्रशासनाने सुद्धा ब्रँडिंगचे शुल्क वसूल करण्याची कार्यवाही करावी, असे गलगली यांनी पुढे नमूद केले आहे.

Metro one silent on providing information on revenue earned through changing names of stations

Mumbai Metro One Pvt Ltd, led by Anil Ambani, who remains mired in controversies has adopted a silence on the query related to revenue earned through the name change of Metro stations by providing names of corporate companies, this has come out while going through the replies obtained by RTI Activist Anil Galgali . The MMRDA administration has demanded equal distribution of the revenue earned between MMRDA and Mumbai Metro One Pvt Ltd.

The Mumbai Metro One Pvt Ltd has changed names of Metro stations namely, Andheri ( Bank of Baroda), Marol ( Ajmera Marol Naka) and Ghatkopar ( Vivo Ghatkopar). RTI Activist Anil Galgali sought information from the MMRDA about the name change. The MMRDA transferred the RTI query to Mumbai Metro One Pvt Ltd. Galgali had sought the details of permissions sought from the State Government, the Urban Development dept and the MMRDA for carrying out the name change. Also if the name change has been done without seeking permissions, Galgali sought details of actions initiated against Mumbai Metro One Pvt Ltd by the MMRDA administration. Amongst the documents provided to Galgali by the MMRDA contains a letter of the the Metropolitan Commissioner Mr UPS Madan dt 2nd February 2018 addressed to the Chief Executive Officer of Mumbai Metro One Pvt Ltd, Mr Abhay Kumar Mishra. Vide that letter it was conveyed to Mumbai Metro One Pvt Ltd that, as per the discussion of Mr Madan with the Central Urban Development dept and on the basis of clarification provided, the MMRDA has no objection to the name changes. Also since issue pertains beyond the scope of the MOU between MMRDA and Mumbai Metro One Pvt Ltd, the revenue generated through such name change should be equally shared between them and hence directed that the revenue generated by such measures be immediately communicated to the MMRDA.

In its reply, the Mumbai Metro One Pvt Ltd conveyed citing a letter of Delhi Metro, stating that, the station branding is an revenue earned through advertising. And the station branding should not be equated and understood as name change. The station branding is an advertisement related commercial transactions. The MOU provides required exemptions through it for generating of advertising revenue through such commercial transactions and Mumbai Metro One Pvt Ltd does not need prior permission from the MMRDA for such acts.

The Central Urban Development dept has conveyed to the MMRDA that, it has no role in this as the MOU has been executed between the MMRDA administration and Mumbai Metro One Pvt Ltd. And the Delhi Metro Rail Corporation has not taken any approval from it for the station branding done on their stations.


Anil Galgali, in a letter addressed to CM Devendra Fadnavis has conveyed dissatisfaction on the role adopted by the MMRDA administration right from the inception of this project and has demanded that revenue be recovered from the Mumbai Metro by invoking the provisions of Law. He also demanded that the Municipal corporation of greater Mumbai should also initiate steps to recover Branding charges.

Saturday 18 May 2019

7 वर्षो में सैकड़ों क्रिकेट मैच का पुलिस बंदोबस्त का 21.34 करोड़ कब वसूलेगी मुंबई पुलिस? 

मुंबई पुलिस दल के हजारों पुलिस क्रिकेट वर्ल्ड कप के बंदोबस्त के लिए तैनात किए जाते हैं जिसका बंदोबस्त शुल्क देने से मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने बड़ी देरी की हैं। पिछले 7 वर्षों में विभिन्न प्रकार के क्रिकेट मैच को उपलब्ध कराई पुलिस बंदोबस्त का रु 21.34 करोड़ आजतक अदा न करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई पुलिस ने दी हैं। विशेष यानी हाल ही में संपन्न हुए क्रिकेट मैच का बंदोबस्त के लिए गृह विभाग का आदेश प्राप्त न होने का दावा कर बंदोबस्त तो उपलब्ध कराया लेकिन आजतक किसी भी प्रकार का शुल्क वसूल नहीं किया गया हैं। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई पुलिस से 1 जनवरी 2011 से संपन्न हुए क्रिकेट प्रतियोगिता के लिए उपलब्ध कराई पुलिस बंदोबस्त और शुल्क की जानकारी मांगी थी। जन सूचना अधिकारी और सहायक पुलिस आयुक्त (समन्वय) दिलीप थोरात ने बंदोबस्त शाखा ने दी हुई जानकारी उपलब्ध कराते हुए बताया कि महिला वर्ल्ड कप 2013 जो 26 जनवरी 2013 से 18 फरवरी 2013 के दौरान हुए थे। उसका शुल्क रु 6,66,22,088 था जो व्याज सहित अब रु 10, 55,32,197 हुआ हैं जो अबतक अदा नहीं किया गया हैं। 25, 30 और 31 अक्टूबर 2015 को वन डे क्रिकेट मैच का शुल्क रु 83,52,089 इतना था जो व्याज सहित रु 1,12,26,164 इतना बकाया हैं। 8 दिसंबर 2016 से लेकर 12 दिसंबर 2016 के बीच हुए क्रिकेट के टेस्ट मैच का 50 लाख का शुल्क अब व्याज सहित रु 55,18,344 इतना बकाया हैं। 22 अक्टूबर 2017 के वन डे मैच का 66 लाख का शुल्क व्याज जोड़ने के बाद रु 73,98,641 वहीं 24 दिसंबर 2017 का टी-20 का शुल्क 66 लाख का शुल्क व्याज जोड़ने के बाद रु 72,79,250 इतना हो चूका हैं। आईपीएल 2017 में 9, 12, 16, 22 और 24 अप्रैल 2017 और 11 और 16 मई 2017 में कुल शुल्क रु 4,62,00,000 में से रु 66,00,000 शुल्क बकाया हैं जिसका व्याज सहित रु 76,84,710 बकाया हैं। वर्ल्ड टी-20 2016 में 10, 12, 16, 18,20 और 31 मार्च 2016 का रु 3,60,00,000 शुल्क व्याज सहित रु 4,62,40,399 इतना शेष हैं।आईपीएल 2018 में 7,14,17,24 अप्रैल तथा 6, 13, 16, 22 और 27 मई 2018 का कुल शुल्क रु 4,90,00,000 में से रु 1,40,00,000 का बकाया शुल्क व्याज सहित रु 1,48,86,667 शेष हैं। 29 अक्टूबर 2018 को हुआ वन डे मैच का रु 75, 00,000 शुल्क व्याज सहित रु 76,78,125 इतना अदा नहीं किया गया हैं।

आईपीएल 2019 में 24 मार्च, 3, 10, 13 और 15 अप्रैल तथा 2 और 5 मई 2019 मैच तो हुए लेकिन अबतक बंदोबस्त शुल्क को लेकर मुंबई पुलिस ही असमंजस स्थिती में हैं। मुंबई पुलिस ने अजीबोगरीब दावा किया हैं कि गृह विभाग का आदेश 31 मार्च 2019 तक होने से नया आदेश प्राप्त न होने से हाल ही में हुए क्रिकेट मैच का शुल्क नहीं लिया गया हैं। सरकारी निर्णय आते ही संबंधितों को शुल्क की जानकारी दी जाएगी।

अनिल गलगली के अनुसार पुलिस बंदोबस्त की दम पर बड़े पैमाने पर प्रॉफिट कमानेवाली मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को बंदोबस्त शुल्क ताबडतोब अदा करने की जरुरत हैं। सशस्त्र दल की लापरवाही से शुल्क वसूल नहीं किए जाने से पुलिस आयुक्त जिम्मेदार अधिकारियों पर नियमानुसार कारवाई करे और ऐसे मैच का शुल्क मैच खत्म होते ही वसूल करे या क्रिकेट की प्रतियोगिता के आयोजक से पहले ही शुल्क वसूल करे। जिससे पुलिस को बंदोबस्त का शुल्क वसूली करने में दिक्कत का सामना करने की नौबत नहीं आए।

7 वर्षात शेकडो क्रिकेट सामन्याचे पोलीस बंदोबस्ताचे 21.34 कोटी रुपये मुंबई पोलीस केव्हा वसूल करणार? 

मुंबई पोलीस दलातील हजारों पोलीस क्रिकेट वर्ल्ड कपच्या बंदोबस्तासाठी जुंपले जात असून त्या बंदोबस्ताचे शुल्क अदा करण्यात मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन चालढकल करत आहे. मागील 7 वर्षात क्रिकेट स्पर्धेकरिता पुरविण्यात आलेल्या पोलीस बंदोबस्ताचे रु 21.34 कोटी आजपर्यंत अदा केले नसल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई पोलीसांनी दिली आहे. विशेष म्हणजे नुकत्याच संपन्न झालेल्या क्रिकेट सामनाच्या बंदोबस्तासाठी गृह विभागाचे आदेश प्राप्त न झाल्याचा दावा करत बंदोबस्त तर पुरविला परंतु आजमितीला कोणतेही शुल्क आकारलेले नाही.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई पोलीसांकडे 1 जानेवारी 2011 पासून संपन्न झालेल्या क्रिकेट स्पर्धेसाठी दिला गेलेला पोलीस बंदोबस्त आणि शुल्काची माहिती मागितली होती. जन माहिती अधिकारी आणि सहायक पोलीस आयुक्त (समन्वय) दिलीप थोरात यांनी बंदोबस्त शाखेने दिलेली माहिती उपलब्ध करत कळविले की महिला वर्ल्ड कप 2013 चे सामने 26 जानेवारी 2013 ते 18 फेब्रुवारी 2013 या कालावधीत झालेत त्याचे शुल्क रु 6,66,22,088 होते जे व्याजासह रु 10,55,32,197 इतके झाले आहेत जे आजपर्यंत अदा केले नाहीत. 25, 30 आणि 31 ऑक्टोबर 2015 रोजी झालेल्या एक दिवसीय सामन्याचे शुल्क रु 83,52,089 इतके होते जे व्याजासह रु 1,12,26,164 इतके प्रलंबित आहे. 8 डिसेंबर 2016 ते 12 डिसेंबर 2016 या दरम्यान झालेल्या क्रिकेटच्या कसोटी सामन्याचे 50 लाखाचे शुल्क आता व्याजसह रु 55,18,344 इतके बाकी आहे. 22 ऑक्टोबर 2017 च्या एक दिवसीय सामन्याचे 66 लाखाचे शुल्क व्याज जोडल्यानंतर रु 73,98,641 आणि 24 डिसेंबर 2017 च्या टी-20 सामन्याचे शुल्क 66 लाख हे व्याज जोडल्यानंतर रु 72,79,250 इतके झाले आहे. आयपीएल 2017 मध्ये 9, 12, 16, 22 आणू 24 एप्रिल 2017 आणि 11 तसेच 16 मे 2017 मध्ये एकूण शुल्क रु 4,62,00,000 पैकी रु 66,00,000 इतके शुल्क अजून देणे प्रलंबित आहेत जी व्याजसह रु 76,84,710 इतके देणे बाकी आहे. वर्ल्ड टी-20 2016 मध्ये 10, 12, 16, 18,20 आणि 31 मार्च 2016 या सामन्याचे रु 3,60,00,000 शुल्क होते जे व्याजासह रु 4,62,40,399 इतके अजून शेष आहे.आयपीएल 2018 मध्ये 7,14,17,24 एप्रिल तसेच 6, 13, 16, 22 आणि 27 मे 2018 चे एकूण शुल्क रु 4,90,00,000 पैकी रु 1,40,00,000 इतके बाकी असून व्याजासह रु 1,48,86,667 इतकी रक्कम शेष आहे. 29 ऑक्टोबर 2018 रोजी झालेल्या एक दिवसीय सामन्याचे रु 75, 00,000 शुल्क हे व्याजसह रु 76,78,125 इतकी रक्कम अदा नाही केले आहे. 


शुल्काबाबत गृह विभाग मौन!

आयपीएल 2019 मध्ये 24 मार्च, 3, 10, 13 आणि 15 एप्रिल तसेच 2 आणि 5 मे 2019 जे सामने झाले होते त्या सामन्याचे बंदोबस्त शुल्काबाबत मुंबई पोलीस सद्या द्विधा मनस्थितीत आहे. मुंबई पोलिसांनी अजीब दावा केला आहे की क्रिकेट बंदोबस्त शुल्काबाबत शासन आदेश क्रमांक 31/03/2019 पर्यंत असून माहे एप्रिल 2019 पासून बंदोबस्त शुल्काचे आदेश गृहविभाग, मंत्रालय यांसकडून आदेश निर्गमित झाल्यानंतर आयोजकास बंदोबस्त शुल्क पोलीस उप आयुक्त, सशस्त्र पोलीस या कार्यालयास भरणा करण्याबाबत कळविण्यास येईल. मुंबई पोलिसांनी अजब दावा केला आहे की गृह विभागाचे आदेश 31 मार्च 2019 पर्यंत असून नवीन आदेश प्राप्त न झाल्यामुळे सद्या झालेल्या सामन्याचे शुल्क आकारलेले नाही. शासन निर्णय आल्यानंतर संबंधितांना शुल्क कळविण्यात येईल.


अनिल गलगली यांच्या मते पोलीस बंदोबस्ताच्या बळावर अफाट नफा कमविणा-या मुंबई क्रिकेट एसोसिएशनने बंदोबस्त शुल्क ताबडतोब अदा करणे आवश्यक होते. सशस्त्र दलाच्या निष्काळजीपणामुळे शुल्क वसूल केले नसून पोलीस आयुक्तांनी जबाबदार अधिकारीवर्गावर नियमाप्रमाणे कार्यवाही करत अश्या सामन्यांचे शुल्क सामना संपताच वसूल करावे किंवा क्रिकेट स्पर्धा आयोजकांकडून आधीच शुल्क वसूल करावे. जेणेकरुन पोलीसांस बंदोबस्ताचे शुल्क वसूलीचा मनस्ताप सहन करावा लागणार नाही.

Will Mumbai Police be able to recovers its 21.34 crore dues from MCA?

Mumbai Cricket Association (MCA) requirest thousands of police personnel to man the security during the matches played out in Mumbai metropolis, but when it comes to making payments for utilising the services, the attitude becomes lethargic. In information provided to RTI Activist Anil Galgali by the police department, it has come to light that the department is yet to receive Rs 21.34 crores as charges for providing security for the last several matches in 7 Years. Interesting to note that, though no fresh orders were issued by the Home Ministry, the Police bandobast was provided to the recently concluded Cricket Match, but have not yet raised and collected the charges for it.

RTI Activist Anil Galgali had filed the query under RTI to Mumbai Police asking how much MCA owes to them for the security services it provided. Assistant Commissioner of Police (Coordination) Dilip Thorat in his reply given to Galgali said that this amount is inclusive of interest of Rs 5.61 crore.Information provided to Anil Galgali by the police department, raised everyone's eyebrows as amount has been piling up since last 7 years and MCA has not shown its intend to pay off the dues, despite reaping huge monetary gains.

Information provided by the Bandobast Division stated that the outstanding amount include the World cup T-20 matches, Women's World Cup, Test Match as well as one day Matches.The Mumbai Police has claimed that, the previous order was effective only till 31st March 2019, and as such since no Fresh orders have been received, they have not bill for charges for the police bandobast provided for the cricket matches. It has claimed that, once the new GR is issued they will raise the bill. According to the reply, Women's World Cup matches were played in Mumbai between 26 January 2013 to 18 February 2013 and now the outstanding amount for the security provided by the Mumbai police has shot up to Rs 10.55 crore including interest for these matches. Besides, One Day matches on 25, 30 and 31st October 2015 were played, but MCA did not pay the charges which has now gone up to Rs 1.12 crore. Moreover, a test match played from 8 Dec to 12 Dec 2016 also figures in the list of outstanding bills of Rs 50 lakh. Seven IPL matches were played in 2017 and MCA did not pay Rs 76.84 lakh. Likewise, six T-20 matches were played in World Cup in 2016 and MCA still owes Rs 4.62 crore to Mumbai Police. Nine IPL matches were played in city in 2018 and MCA still has not paid Rs 1.48 crore to Mumbai police.


RTI reply further says that seven IPL matches were played this year on March 24, April 3, 10, 13, and 15 and May 2 and May 5. However, Mumbai police have found itself in tricky situation and therefore, has not footed the bill, following an order from Home Ministry of Maharashtra.


Reacting on the issue, Anil Galgali said, "It was obligatory for the MCA to make immediate payment of the police dues for the security provided for the matches, which is a huge revenue earner for the MCA. Also the Police Commissioner should take action against the responsible officers of the Local Arms divisions for not pursuing the payment recovery of the services provided. They should also ensure that the payment henceforth be collected in advance or atleast immediately on completion of the match, so that the department does not have to bear the stress for ensuring recovery of the dues."



Tuesday 14 May 2019

राफेल डील में रक्षा मंत्रालय द्वारा आंतरिक जांच शुरु

सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील के दस्तावेजों को लेकर मोदी सरकार ने किए गए अलग अलग दावे को लेकर मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा पूछे गए सवालों पर रक्षा मंत्रालय ने दो टूक में जवाब दिया हैं कि वर्गीकृत जानकारी का पब्लिक डोमेन पर प्रकटीकरण और सुरक्षा निर्देश नियमावली का उल्लंघन को लेकर रक्षा मंत्रालय ( सुरक्षा कार्यालय ) द्वारा आंतरिक जांच शुरु की गई हैं।

मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने रक्षा मंत्रालय से जानने की कोशिश की थी कि रक्षा मंत्रालय को कब पता चला था कि राफेल डील की फ़ाइल चोरी हुई हैं? दूसरा सवाल यह था कि रक्षा मंत्रालय के अफसरों ने कौनसी कार्रवाई की? तीसरे सवाल में सीधे पूछा गया कि इसकी जानकारी प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को दी गई थी, फिर प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने कौनसी कार्रवाई की? चौथा अहम सवाल था कि इस मामले को लेकर पुलिस में शिकायत की गई थी या नहीं? एफआईआर और शिकायत पत्र की कॉपी गलगली ने मांगी थी।

अनिल गलगली की 8 मार्च की आरटीआई पर रक्षा मंत्रालय के वायु अधिग्रहण के उप सचिव सुशील कुमार ने 2 टूक में जवाब दिया कि वर्गीकृत जानकारी का पब्लिक डोमेन पर प्रकटीकरण और सुरक्षा निर्देश नियमावली का उल्लंघन को लेकर रक्षा मंत्रालय ( सुरक्षा कार्यालय ) द्वारा आंतरिक जांच शुरु की गई हैं। अनिल गलगली का मानना हैं कि यह हाई प्रोफाइल मामला होने से सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग दावे तो किए हैं तो फिर जानकारी देने में संकोच नहीं करना चाहिए। सरकार इससे जुड़ी हुई जानकारी जो सुप्रीम कोर्ट में आसानी से दे सकती हैं तो इसे सार्वजनिक करना चाहिए ताकि इस राफेल डील और उसके दस्तावेजों पर जनता खुद निर्णय ले सके।

राफेल सौदामधील लीक कागदपत्र प्रकरणाची रक्षा मंत्रालय तर्फे अंतर्गत चौकशी सुरु

सर्वोच्च न्यायालयात राफेल सौदाची कागदपत्रांवरुन मोदी सरकारने वेगवेगळया केलेल्या दाव्यावर मुंबईतील आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी विचारलेल्या प्रश्नांवर रक्षा मंत्रालय तर्फे 2 शब्दात उत्तर दिले गेले की वर्गीकरण केलेली माहितीचे सार्वजनिक प्रकटीकरण आणि सुरक्षा सूचनेच्या नियमावलीचे झालेल्या उल्लंघनाची रक्षा मंत्रालय ( सुरक्षा कार्यालय ) तर्फे अंतर्गत चौकशी सुरु केली आहे. एकंदरीत राफेल सौदामधील लीक कागदपत्र प्रकरणाची रक्षा मंत्रालय तर्फे अंतर्गत चौकशी सुरु झाली आहे.

मुंबईतील आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी वरक्षा मंत्रालयकडे अर्ज सादर करत माहिती घेण्याचा प्रयत्न केला होता की रक्षा मंत्रालयास राफेल सौदाची नस्ती ( फाइल ) चोरी गेल्याची कल्पना केव्हा आली?  दुसरा प्रश्न होता की रक्षा मंत्रालयाच्या अधिका-यांनी केव्हा कार्यवाही केली? तिसऱ्या प्रश्नात सरळ विचारले की याची माहिती पंतप्रधान आणि रक्षा मंत्र्यांना दिली गेली होती का? त्यानंतर पंतप्रधान आणि रक्षा मंत्र्यांनी कोणती कार्यवाही केली? चौथा महत्वाचा प्रश्न होता की या प्रकरणाची पोलिसांत तक्रार केली होती का? एफआयआर आणि तक्रारीची प्रत गलगली यांनी मागितली होती. 

अनिल गलगली यांच्या 8 मार्च 2019 च्या आरटीआय अर्जावर रक्षा मंत्रालयाच्या वायु अधिग्रहण विभागाचे उप सचिव सुशील कुमार यांनी 2 शब्दात उत्तर दिले की वर्गीकरण केलेली माहितीचे सार्वजनिक प्रकटीकरण आणि सुरक्षा सूचनेच्या नियमावलीचे झालेल्या उल्लंघनाची रक्षा मंत्रालय ( सुरक्षा कार्यालय ) तर्फे अंतर्गत चौकशी सुरु केली आहे.

अनिल गलगली यांच्या मते या हाय प्रोफाइल प्रकरण असल्यामुळे मोदी सरकार तर्फे सर्वोच्च न्यायालयात वेगवेगळे दावे तर केले गेले मग माहिती देण्यात  संकोच करणे गैर आहे. मोदी सरकार या प्रकरणांची संबंधित माहिती सर्वोच्च न्यायालयाला सहज देऊ शकते मग या माहितीस सार्वजनिक केलेच पाहिजे जेणेकरुन राफेल सौदा आणि त्याबाबतीत कागदपत्रांवर जनता स्वतःच निर्णय घेऊ शकेल. 

Internal enquiry into leak of papers related to Rafeale deal in progress by Defence Ministry.

Looking at the vague responses filed by the Modi Sarkar before the Supreme court in the matter of Rafeale deal, Mumbai based RTI Activist Anil Galgali sought Information from the defence ministry. In a response to the RTI query, the Ministry of defence in its cryptic reply informed that, it has ordered an Internal Enquiry on disclosure of classified official information into public domain & violation of Manual of Security Instructions, being conducted by the Security office of the Defence Ministry.

Right to Information(RTI) activist Anil Galgali had filed an online RTI query with the Defense ministry seeking information about the stolen Rafales files and action taken by the ministry in this regard.Galgali had also sought to know whether PMO and defense minister were aware about the stolen files and if yes, then whether a police complaint was filed or not.

Replying to his query, Sushil Kumar, the deputy secretary (Air Acquisition) and CPIO Air Acquisition (Capital) Wing, stated that Ministry of Defense (Security Office) has ordered an internal inquiry on disclosure of classified official information into public domain.

     

In his reply dated May 7, 2019, Kumar said, "Ministry of Defense (Security Office) has ordered an internal inquiry on disclosure of classified official information into public
domain and violation of manual of security instructions." 

Reacting to the reply, Galgali said, "It possible that matter is sub-judice and therefore government may not have provided full information. But, it is high time that government must come forward to clean the air to rest assure the citizens of the country about the deal, otherwise people will read so much between the lines.

Saturday 11 May 2019

मोदीसहित मंत्री और राज्यमंत्रियों ने विदेश और घरेलू यात्राओं पर खर्च किए 393 करोड़

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार के मंत्री और राज्यमंत्रियों ने गत 5 वर्ष में जमकर विदेश और घरेलू यात्राएं की हैं। इन यात्राओं पर कुल मिलाकर 393 करोड़ 57 लाख 51 हजार 890 रुपए खर्च होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को कॅबिनेट अफेअर्स के वेतन और खाता विभाग ने दी हैं। सर्वाधिक खर्च विदेश यात्राओं पर हुआ हैं उसकी रकम 292 करोड़ हैं वहीं घरेलू यात्राओं पर 101 करोड़ खर्च हुआ हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने प्रधानमंत्री सहित सभी मंत्री और राज्यमंत्रियों द्वारा गत 5 वर्ष में विदेश और घरेलू यात्राओं पर किए हुए खर्च की जानकारी मांगी थी।कॅबिनेट अफेअर्स के वेतन और लेखा विभाग के वरिष्ठ लेखा अधिकारी सतीश गोयल ने अनिल गलगली को ई-लेखा के आधार पर उनके रेकॉर्ड पर उपलब्ध वर्ष 2014- 2015 से लेकर वर्ष 2018-2019 इन 5 वर्षों में विदेश और घरेलू यात्राओं पर हुए कुल खर्च के आकंड़े दिए हैं इनमें कैबिनेट और राज्यमंत्रियों का विदेश और घरेलू यात्राओं पर हुए खर्च शामिल हैं। इसमें प्रधानमंत्री सहित कैबिनेट और राज्यमंत्रियों के नामों का ज़िक्र नहीं हैं। गत 5 वर्षों में कैबिनेट मंत्रियों ने विदेश यात्राओं पर कुल 262 करोड़ 83 लाख 10 हजार 685 रुपए खर्च किए और घरेलू यात्राओं पर 48 करोड़ 53 लाख 9 हजार 584 रुपए खर्च किए हैं। वहीं राज्यमंत्रियों ने विदेश यात्राओं पर 29 करोड़ 12 लाख 5 हजार 170 रुपए खर्च किए हैं और घरेलू यात्राओं पर 53 करोड़ 9 लाख 26 हजार 451 रुपए खर्च किए हैं।

वर्ष 2014- 15 में कैबिनेट मंत्रियो ने विदेश और घरेलू यात्राओं पर 98 करोड़ 48 लाख 62 हजार 352 रुपए खर्च किए गए वहीं राज्यमंत्रियों ने 11 करोड़ 28 लाख 81 हजार 439 रुपए खर्च किए हैं। वर्ष 2015- 2016 में कैबिनेट मंत्रियों ने विदेश और घरेलू यात्राओं पर 84 करोड़ 99 लाख 87 हजार 624 रुपए खर्च किए वहीं राज्यमंत्रियों ने विदेश और घरेलू यात्राओं पर 13 करोड़ 17 लाख 41 हजार 407 रुपए खर्च किए हैं। वर्ष 2016- 2017 में कैबिनेट मंत्रियों ने विदेश और घरेलू यात्राओं पर 45 करोड़ 51 लाख 72 हजार 825 रुपए खर्च किए वहीं राज्यमंत्रियों ने विदेश और घरेलू यात्राओं पर 12 करोड़ 11 लाख 21 हजार 832 रुपए खर्च किए हैं। वर्ष 2017- 2018 में कैबिनेट मंत्रियों ने विदेश और घरेलू यात्राओं पर 33 करोड़ 85 लाख 97 हजार 483 रुपए खर्च किए वहीं राज्यमंत्रियों ने विदेश और घरेलू यात्राओं पर 17 करोड़ 79 लाख 87 हजार 199 रुपए खर्च किए हैं। वर्ष 2018- 2019 में कैबिनेट मंत्रियों ने विदेश और घरेलू यात्राओं पर 48 करोड़ 49 लाख 99 हजार 985 रुपए खर्च किए वहीं राज्यमंत्रियों ने विदेश और घरेलू यात्राओं पर 27 करोड़ 83 लाख 99 हजार 744 रुपए खर्च किए हैं। 

अनिल गलगली के अनुसार विदेश घरेलू यात्राएं जमकर हुई हैं और कुल खर्च का रेकॉर्ड भी हैं लेकिन किस मंत्री और राज्यमंत्री ने कितनी यात्राएं की हैं इसका ब्यौरा खर्च के साथ देने की कोशिश नहीं की गई। इसका ब्यौरा केंद्र सरकार को सार्वजनिक करना चाहिए।

मोदीसह मंत्री आणि राज्यमंत्र्यांच्या परदेशी आणि देशातंर्गत प्रवासांवर खर्च झाले 393 कोटी

पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या नेतृत्वाखाली मंत्री आणि राज्यमंत्र्यांनी मागील 5 वर्षात मोठया प्रमाणात परदेशी आणि देशातंर्गत प्रवास केला असून या प्रवासांवर एकूण 393 कोटी 57 लाख 51 हजार 890 रुपये खर्च झाल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस कॅबिनेट अफेअर्सच्या वेतन आणि खाते विभागाने दिली आहे. सर्वाधिक खर्च परदेशी प्रवासांवर झाला असून त्यावर झालेल्या एकूण खर्चाची रक्कम 292 कोटी आहे तर देशातंर्गत प्रवासांवर 110 कोटी खर्च झालेला आहे.


आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पंतप्रधान सह सर्व मंत्री आणि राज्यमंत्र्यांनी गेल्या 5 वर्षात परदेशी आणि देशातंर्गत प्रवासांवर झालेल्या एकूण खर्चाची माहिती मागितली होती. कॅबिनेट अफेअर्सच्या वेतन आणि खाते विभागाचे वरिष्ठ लेखा अधिकारी सतीश गोयल यांनी अनिल गलगली यांस ई- लेखाच्या आधारावर त्या कार्यालयाच्या अभिलेखावर उपलब्ध वर्ष 2014- 2015 पासून वर्ष 2018-2019 या 5 वर्षात परदेशी आणि देशातंर्गत प्रवासांवर झालेल्या एकूण खर्चाची आकडेवारी दिली ज्यात कॅबिनेट आणि राज्यमंत्र्यांच्या परदेशी आणि देशातंर्गत प्रवासांवर झालेल्या खर्चाचा समावेश आहे. यात पंतप्रधान नरेंद्र मोदी सह कॅबिनेट आणि राज्यमंत्र्यांच्या नावाचा उल्लेख नाही. गेल्या 5 वर्षात कॅबिनेट मंत्र्यांच्या परदेश प्रवासांवर एकूण 262 कोटी 83 लाख 10 हजार 685 रुपये खर्च करण्यात आले तर  देशातंर्गत प्रवासांवर एकूण 48 कोटी 53 लाख 9 हजार 584 रुपये खर्च झाले. राज्यमंत्र्यांच्या परदेश प्रवासांवर 29 कोटी 12 लाख 5 हजार 170 रुपये खर्च करण्यात आले तर देशातंर्गत प्रवासांवर  53 कोटी 9 लाख 26 हजार 451 रुपये खर्च झाले आहेत.


वर्ष 2014- 15 मध्ये कॅबिनेट मंत्र्यांच्या परदेश आणि देशातंर्गत प्रवासांवर 98 कोटी 48 लाख 62 हजार 352 रुपये खर्च करण्यात आले आहे. तर राज्यमंत्र्यांच्या परदेश आणि देशातंर्गत प्रवासांवर 11 कोटी  28 लाख 81 हजार 439 रुपये खर्च करण्यात आले आहेत. वर्ष 2015- 2016 मध्ये कॅबिनेट मंत्र्यांच्या परदेश आणि देशातंर्गत प्रवासांवर 84 कोटी 99 लाख 87 हजार 624 रुपये खर्च केले आहे तर राज्यमंत्र्यांच्या परदेश आणि देशातंर्गत प्रवासांवर 13 कोटी 17 लाख 41 हजार 407 रुपये खर्च करण्यात आले आहे. वर्ष 2016- 2017 मध्ये कॅबिनेट मंत्र्यांच्या परदेश आणि देशातंर्गत प्रवासांवर


45 कोटी 51 लाख 72 हजार 825 रुपये खर्च केले आहे तर राज्यमंत्र्यांच्या परदेश आणि देशातंर्गत प्रवासांवर 12 कोटी 11 लाख 21 हजार 832 रुपये खर्च करण्यात आले आहे. वर्ष 2017- 2018 मध्ये कॅबिनेट मंत्र्यांच्या परदेश आणि देशातंर्गत प्रवासांवर 33 कोटी 85 लाख 97 हजार 483 रुपये खर्च झाले आहे तर राज्यमंत्र्यांच्या परदेश आणि देशातंर्गत प्रवासांवर 17 कोटी 79 लाख 87 हजार 199 रुपये खर्च करण्यात आले आहे. वर्ष 2018- 2019 मध्ये कॅबिनेट मंत्र्यांच्या परदेश आणि देशातंर्गत प्रवासांवर 48 कोटी 49 लाख 99 हजार 985 रुपये खर्च झाले आहे तर राज्यमंत्र्यांच्या परदेश आणि देशातंर्गत प्रवासांवर 27 कोटी 83 लाख 99 हजार 744 रुपये खर्च करण्यात आले आहे.



अनिल गलगली यांच्या मते परदेश आणि देशातंर्गत प्रवास मोठ्या प्रमाणात झाला असून एकूण खर्चाची माहिती अभिलेखावर आहे पण कोणत्या मंत्र्यांनी आणि राज्यमंत्र्यांनी किती प्रवास केला आहे त्याचे विवरण देण्याचा प्रयत्न करण्यात आला नाही. याचे विवरण केंद्र शासनाने सार्वजनिक केले पाहिजे.


Ministers of Modi Sarkar spend RS 393 crores on travel expenses for domestic and international trips

The Ministers and Ministers of state in the Union Government led by PM Narendra Modi has spent heavily on their domestic and International trips and have clocked expenses of RS 392 crores 57 lakhs 51 thousand 890. This information has been provided to RTI Activist Anil Galgali by the Cabinet Affairs Pay & Accounts dept. The major chunck of this expense has been incurred on International trips which has costed RS 292 crores, leaving aside 110 crores for domestic trips.

RTI Activist Anil Galgali , who has been keeping a track on Modi government and his ministers through his RTI queries,  had filed RTI query with the PMO requesting to provide total expenditure incurred on Foreign Travel Expenses (FTE) and Domestic Travel Expenses (DTE) by the prime minister Narendra Modi and his council of ministers since May 2014.


The reply of the RTI query found that Modi and his cabinet colleagues including prime minister Narendra Modi spent Rs 263 crore in five years on their foreign visits while Rs 48 crore were spent in their domestic visits. So far as state ministers are concerned, RTI reply further revealed that they incurred expenses of Rs 29 crore on foreign visits and Rs 53 crore on domestic visits.

Replying to his query, Satish Goyal, senior accounts officer of Pay & Account Office of the Cabinet Affairs, has stated that cumulative expenditure incurred on FTE and DTE by Prime Minister Narendra Modi and his council of ministers from financial year 2014-15 to 2018-19 was Rs 393.58 crores. Referring E-lekha reports, RTI has given separate expenditure of the cabinet ministers including prime minister and the state ministers and according to it,  cabinet ministers including prime minister spent Rs 311 crore while state ministers spent 82 crores on their foreign and domestic visits. Most of the money was spent in the year 2014-15, when Rs 88 crore was spent on Foreign travels by the PM and his cabinet colleagues.


In 2014- 15 cabinet ministers spent Rs  98.48 crores while state ministers spent Rs 11.28 crores. In 2015- 2016 cabinet ministers spent Rs 84.99 crores while state minister spent Rs 13.17 crores. In 2016- 2017 cabinet minsters spent Rs 45.51 crores while state ministers spent Rs 12.11 crores. In  2017- 2018 cabinet ministers 33.85 crores while state ministers spent Rs 17.79 crores. In 2018- 2019 cabinet ministers spent Rs 48.49 crores while state ministers spent Rs 27.83 crores. 

Anil Galgali termed it as "lack of transparency" and asked why all details are not kept desperately. Galgali said, "This information does not give full picture and therefore it is a half-hearted transparency. Government should keep all records of ministers' and their numbers of trips wise as well as their expenses wise information and all these be available on public domain by uploading it on websites."

       

Thursday 2 May 2019

माहिती अधिकाराच्या वापराबरोबरच लोकप्रतिनिधींशी संवाद साधणे आवश्यक- प्रवीण महाजन

आपल्या भागात आपला नगरसेवक करत असलेल्या कामाबाबत नागरिकांनी प्रश्न तर विचारलेच पाहिजेत, पण हे प्रश्न विचारताना संबंधित नगरसेवकाशी थेट संवादही साधला पाहिजे असे मत प्रवीण महाजन यांनी व्यक्त केले. मराठी अभ्यास केंद्राच्या सोशल सर्व्हिस लीग सभागृह, परळ येथे महाराष्ट्र दिनानिमित्त आयोजित करण्यात आलेल्या कार्यक्रमात ते बोलत होते.

अधिकाधिक लोकांना मराठी भाषेच्या संवर्धन आणि सजग वापरासाठी जागृत करणे तसेच समाजामध्यामतील मराठीचा वापर वाढवणे यासाठी प्रबोधनपर सत्रांचे आयोजन मराठी अभ्यास केंद्राकडून महाराष्ट्र दिनानिमित्त करण्यात आले होते. या कार्यक्रमाच्या पहिल्या सत्रात मराठी अभ्यास केंद्र आणि मुंबई विद्यापीठातील संज्ञापन आणि पत्रकारिता विभाग यांच्या संयुक्त विद्यमाने राबवण्यात आलेल्या ‘माहिती अधिकाराद्वारे नगरसेवकाचे मूल्यमापन’ प्रकल्पातून सिद्ध झालेल्या  'माझा प्रभाग - माझा नगरसेवक' ही १९ अहवालांची अहवालमालिका प्रकाशित करण्यात आली. त्यामध्ये मुंबई विद्यापीठातील १६ विद्यार्थ्यांचे अहवाल, मयुर मोरये - दीपक कापले ह्या कार्यकर्त्यांचा संयुक्तपणे केलेला अहवाल, ह्या प्रकल्पाचे समन्वयक आनंद भंडारे यांचा अहवाल आणि ह्या सर्व अहवालांचा संकलित अहवाल असे एकूण १९ अहवाल प्रकाशित करण्यात आले. यावेळी समर्थनचे अध्यक्ष प्रवीण महाजन, माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली, प्रजा फाउंडेशनचे संचालक मिलिंद म्हस्के व मुंबई विद्यापीठाच्या संज्ञापन व पत्रकारिता विभागाचे प्रमुख संजय रानडे उपस्थित होते.

प्रजा फाउंडेशनचे मिलिंद म्हस्के यांनी नगरसेवकांचे असे मूल्यमापन मोठ्या प्रमाणात सामान्य नागरिकांद्वारे होणे आवश्यक असल्याचे प्रतिपादन केले तर माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी नगरसेवकांच्या अशा प्रकारच्या पारदर्शी मूल्यमापनामागे असलेले  माहिती अधिकाराचे पाठबळ अधोरिखित केले. संजय रानडे यांनी चांगले पत्रकार घडण्यासाठी अशा प्रकारच्या प्रकल्पांचे महत्त्व विशद केले.  संकेत वरक या विद्यार्थ्याने माहिती अधिकाराद्वारे नगरसेवकांची माहिती मिळवताना विद्यार्थ्यांना आलेल्या अडचणी मांडल्या. याप्रसंगी मराठी अभ्यास केंद्राच्या‘नागरिकायन’ या आर्थिक – राजकीय गटाची स्थापना करण्यात आली. नागरिकांचे राजकीय – आर्थिक  अधिकार आणि कर्तव्ये यांबाबत सजगता निर्माण करण्यासाटी सदर गटाची स्थापना करण्यात आली असून त्याअंतर्गत अधिकाधिक नागरिकांनी या गटात सहभागी व्हावे असे आवाहन या गटाचे प्रमुख आनंद भंडारे यांनी केले. मराठी अभ्यस केंद्राचे अध्यक्ष डॉ. दीपक पवार यांनी भाषेचे कार्य विशुद्ध साहित्यापुरते मर्यादित ठेवल्याने मराठी भाषेची आजवर हानी होत आलेली आहे. लोकांच्या मातृभाषेतून राज्यकारभार  हाकल्यानेच पारदर्शी लोकशाही अमलात येऊ शकेल असे मत त्यांनी याप्रसंगी व्यक्त केले.

कार्यक्रमाच्या सुरुवातीला वि.ग. वझे महाविद्यालयातील 'वीथी’ रंगकर्मींनी 'मराठी शाळा’नावाची छोटीशी पण मार्मिक नाटिका सादर केली. यामध्ये मराठी शाळांची सद्यःस्थिती मांडताना चिऊताई चिऊताई दार उघड, शेपटीवाल्या प्राण्यांची सभा या गाण्यांचा तसेच ससा - कासवाच्य गोष्टीचा रूपक म्हणून वापर करण्यात आला होता.

कार्यक्रमाच्या दुसऱ्या सत्रात कोरा (Quora) मराठीचे समुदाय व्यवस्थापक प्रशांत ननावरे यांनी कोरा मराठीच्या व्यासपीठावर जागतिक ज्ञानाची देवाणघेवाण मराठी भाषेत कशी केली जाते तसेच Quora मराठीअंतर्गत आपले योगदान आपण कसे वाढवू शकतो याविषयीचे सादरीकरण केले.

तिसऱ्या सत्रात ‘उच्चशिक्षणात मराठीमधून विज्ञान – तंत्रज्ञान’या विषयावर बोलताना संगणकतज्ज्ञ डॉ. अभिजात विचारे यांनी मराठीतील तांत्रिक शब्द आणि त्याच अर्थाचे इंग्रजी शब्द यातील फरक समजावून सांगितला. उच्चशिक्षणातील मराठीच्या पिछेहाटला आपणच जबाबदार असल्याचे मत त्यांनी व्यक्त केले.  सर ज. जी. कला महाविद्यालयातील डॉ. संतोष क्षीरसागर यांनी भाषेचा वापर ही सुद्धा एक कलाच आहे असे म्हणत नवीन पिढीकडून मी आशावादी आहे असे मत यावेळी मांडले.

चौथ्या सत्रात पत्रकार अलक धुपकर, भाषांतरकार आणि ब्लॉगर मेघना भुस्कुटे आणि बहुविध.कॉमचे संस्थापक किरण भिडे हे मान्यवर उपस्थित होते. याप्रंसगी मराठी अभ्यास केंद्राच्या संकेतस्थळाचे आणि‘मराठी प्रथम’ ह्या ऑनलाईन नियतकालिकाचे प्रकाशन करण्यात आले. भाषेचा वापर सहज आणि सोपा असेल तरच तो सर्वसामान्य माणसांना कळू शकतो. यादृष्टीने ज्यांच्या सभांना मोठ्या प्रमाणात गर्दी होते अशा राजकीय नेत्यांच्या भाषांचा अभ्यास करण्याची गरच असल्याचे मत अलका धुपकर यांनी मांडले. ‘मराठी प्रथम’ हे भाषेसाठी वाहिलेले पहिलेच ऑनलाईन नियतकालिक असून त्याने अभिजनांपासून सर्वसामान्य लोकांपर्यंत पोहचण्यासाठी सर्व प्रकारच्या भाषेचा वापर केला पाहिजे असे प्रतिपादन मेघना भुस्कुटे यांनी केले. किरण भिडे यांनी विविध नियतकालिंकाचे व्यासपीठ असलेले  बहुविध.कॉमच्या कार्याची माहिती सांगितली. मराठी प्रथमचे संपादक प्रकाश परब यांनी आपल्या आजुबाजूला घडणाऱ्या भाषिक घडामोडी आणि वापर, प्रयोगशील मराठी शाळा, वाङ्‍मय मंडळे यांबाबत शिक्षक आणि भाषाप्रेमींना या नियतकालिकासाठीmarathipratham.com या मेलवर लेख पाठवण्याचे आणिbahuvidh.com/marathipratham ह्या दुव्यावर जाऊन मराठी प्रथमचे सभासद होण्यासाठी आवाहन केले.

कार्यक्रमाचे सूत्रसंचालन ऐश्वर्या धनावडे आणि प्रतीक्षा रणदिवे यांनी केले