Monday, 27 May 2019

बदले हुए मेट्रो स्टेशन नाम पर हुई कमाई बताने पर मुंबई मेट्रो वन कंपनी का मौन

विवादित अनिल अंबानी की मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड ने मेट्रो स्टेशन का नाम बदलकर कितनी कमाई की हैं, इसकी जानकारी एमएमआरडीए प्रशासन को बताने पर मुंबई मेट्रो वन लिमिटेड कंपनी ने मौन धारण करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को प्राप्त दस्तावेजों से हो रहा है। एमएमआरडीए प्रशासन ने तो  प्राप्त कमाई में समान वितरण का दावा किया हैं।


मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने अंधेरी ( बँक ऑफ बडोदा), मरोल ( अजमेरा मरोल नाका ) और  घाटकोपर ( विवो घाटकोपर) ऐसा स्टेशनों के नाम में बदलाव किया हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से मेट्रो स्टेशन के नामकरण की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली का आवेदन मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के पास हस्तांतरित किया। अनिल गलगली ने इसतरह नामकरण करने के लिए राज्य सरकार, नगरविकास विभाग एवं एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हुई अनुमति और आदेश की कॉपी और अनुमति नहीं होने पर एमएमआरडीए प्रशासन ने की हुई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को जो दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं उसमें एमएमआरडीए के तत्कालीन महानगर आयुक्त यूपीएस मदान इनका दिनांक 2 फरवरी 2018 को मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभय कुमार मिश्र को लिखा हुआ पत्र था। इस पत्र में मदान ने स्पष्ट किया हैं कि केंद्रीय नगरविकास विभाग से नामकरण को लेकर चर्चा होने के बाद स्पष्टीकरण के बाद एमएमआरडीए प्रशासन को वर्तमान में स्टेशन के नाम में बदलाव को लेकर कोई आपत्ति नहीं हैं। लेकिन आय यह सहूलियत वाले अग्रीमेंट का बाहरी हिस्सा हैं। इसलिए जो कमाई हो रही हैं उसे मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और एमएमआरडीए प्रशासन में बराबरी से वितरित होनी चाहिए। इसलिए नाम मे किए गए बदलाव से हुई कमाई की जानकारी तुरंत बताई जाए।

मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने एमएमआरडीए प्रशासन को दिल्ली मेट्रो के पत्र का हवाला देते हुए जबाब दिया कि स्टेशन का ब्रँडिंग यह विज्ञापन आय हैं। स्टेशन ब्रँडिंग यह स्टेशन का नाम बदलने नहीं माना जाएगा। स्टेशन ब्रँडिंग यह विज्ञापन से जुड़ी हुई कृती हैं। सहूलियत का अग्रीमेंट यह इसतरह की व्यावसायिक कृती करने की इजाज़त देता हैं। मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड को एमएमआरडीए प्रशासन की पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं हैं। 

केंद्रीय नगरविकास विभाग ने एमएमआरडीए प्रशासन को सूचित किया हैं कि सहूलियत का अग्रीमेंट यह एमएमआरडीए प्रशासन और मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड इन दोनों के बीच होने से उसमें उनके मंत्रालय की इस मामले को किसी भी तरह की भूमिका नहीं हैं। दिल्ली मेट्रो रेलवे महामंडल ने स्टेशन ब्रँडिंग के लिए किसी भी तरह की अनुमति नहीं ली हैं।

अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में एमएमआरडीए प्रशासन की आरंभ से इस मामले को लेकर जो भूमिका हैं उसपर नाराजगी जताई और क़ानूनन तौर पर आधी आय वसूलने की मांग की हैं। साथ ही में मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने भी ब्रँडिंग का शुल्क वसूलने के लिए कार्रवाई करे,ऐसी गलगली ने आगे कहा हैं। 

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