Wednesday 30 December 2020

Central Railway fails to recover hoardings fines

Central Railway allows for installation of hoardings in the railway premises but in case of additional space in violation of permission, it imposes fine and recover it from the contractors. But the central railway has failed to recover 100 per cent penalty from M/s laqshya Media Limited, a violator of the terms and conditions and this has been disclosed by an RTI query filed by activist Anil Galgali. RTI says that out of Rs 1.91 crore, only Rs 78.24 lakh has been recovered so far and Rs 1.13 crore is still outstanding. 

RTI activist had sought information from Central Railway about the hoardings companies using more space than the allotted space, action taken and penalty levied in the last 5 years. Senior divisional commercial manager of Central Railway (Mumbai Division) Gaurav Jha informed Anil Galgali that M/s laqshya Media Limited was found to be using more space during the year 2019-20.  

The said firm was allotted 27600 sq ft of space under the agreement but it was found using 2000 sq ft more space in addition to the distributed space. A fine of Rs 1.91 crore was imposed in the case. M/s laqshya Media Limited has paid only Rs 78.24 lakh and yet to pay Rs 1.13 crore. The railways argue that M/s laqshya Media Limited company has a security deposit of Rs 5.75 crore on the same contract and a security deposit of Rs 65.73 lakh is deposited with Byculla ROB.

On the question of blacklisting m/s laqshya Media Limited Company, Central Railway claims that there is no provision for blacklisting on use of more space as per tender, only fines can be imposed in such cases. 

Anil Galgali pointed out that this is not only a matter in this case, but it is very rampant and the number of such cases of violation and outstanding fine can be voluminous. He also advised that it is necessary to blacklist such fraudulent firms by registering an FIR against them, but on the contrary railways try to save their skin. Otherwise, it should levy 100 per cent penalty and recover it. 

Writing to Railway Minister Piyush Goyal, Railway Board Chairman Vinod Yadav, General Manager of Central Railway Sanjeev Mittal, Anil Galgali has demanded action against the railway officials who have not taken strict action into the matter and blacklist such fraudulent firms by registering an FIR against them.

होर्डिंग्स का जुर्माना वसूलने में मध्य रेलवे फेल

रेलवे परिसर में होर्डिंग्स लगाने के लिए मध्य रेलवे अनुमति देता है लेकिन अनुमति का उल्लंघन कर अतिरिक्त जगह व्याप्त करने के मामले में मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड से शत प्रतिशत जुर्माना वसूलने में मध्य रेलवे फेल होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को भेजे हुए जबाब से स्पष्ट हो रहा है। कुल जुर्माना 1.91 करोड़ रुपए  में से 78.24 लाख रुपए वसूले गए है और 1.13 करोड़ रुपए अब भी बकाया है। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मध्य रेलवे से जानकारी मांगी थी कि गत 5 वर्ष में वितरित जगह से अधिक जगह का इस्तेमाल करने वाली होर्डिंग्स कंपनियों पर कार्रवाई की और कितना जुर्माना वसूला गया। मध्य रेलवे के वरिष्ठ विभागीय वाणिज्य प्रबंधक गौरव झा ने अनिल गलगली को जानकारी दी कि वर्ष 2019-20 के दौरान मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड को अधिक जगह इस्तेमाल करता पाया गया।  27600 वर्ग फुट की जगह वितरित की गई थी और कंपनी वितरित जगह के अलावा 2000 वर्ग फुट अधिक जगह का इस्तेमाल कर रहा था। इस मामले में 1.91 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया था। मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड ने सिर्फ 78.24 लाख रुपए अदा किए है और 1.13 करोड़ रुपए अदा नहीं किया है। रेलवे का तर्क है कि बकाया राशि को लेकर मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड कंपनी का 5.75 करोड़ का सिक्युरिटी डिपॉजिट इसी ठेके को लेकर उनके पास है और भायखला आरओबी का 65.73 लाख रुपए का सिक्युरिटी डिपॉजिट जमा है।

मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के सवाल पर मध्य रेलवे का दावा हैं कि टेंडर के मुताबिक अधिक जगह का इस्तेमाल करने पर ब्लैक लिस्ट करने का प्रावधान नही है सिर्फ जुर्माना लगाया जा सकता है।

अनिल गलगली के अनुसार यह तो सिर्फ एक मामला है। न जाने ऐसे कितने मामलों में रेलवे को राजस्व का चूना लगाया गया होगा? रेलवे से चीटिंग करनेवालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ब्लैक लिस्ट करना आवश्यक है लेकिन रेलवे इन्हें बचाने को कोशिश करती है। अन्यथा शत प्रतिशत जुर्माना वसूला जाता था। रेलवे मंत्री पीयूष गोयल, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद यादव और मध्य रेलवे के महा प्रबंधक संजीव मित्तल को पत्र लिखकर अनिल गलगली ने इस कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने और मामले में लापरवाही बरतने वाले रेलवे के अधिकारियों पर भी कारवाई करने की मांग की है।

होर्डिंग्ज दंड वसूल करण्यात मध्य रेल्वे अपयशी ठरली

मध्य रेल्वे परिसरात होर्डिंग्ज बसविण्यास परवानगी देते परंतु परवानगीचे उल्लंघन करत अतिरिक्त जागा लाटणाच्या प्रकरणात मध्य रेल्वे मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेडकडून 100 टक्के दंड वसूल करण्यास अपयशी ठरले, आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना पाठवलेल्या जबाबातून हे स्पष्ट झाले आहे. एकूण 1.91 कोटी रुपयांच्या दंडापैकी 78.24 लाख रुपये वसूल झाले आहेत आणि 1.13 कोटी रुपये अद्याप थकबाकी आहे.

माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मध्य रेल्वेकडून माहिती मागितली होती की मागील 5  वर्षात होर्डिंग्ज कंपन्यांनी वितरित जागेपेक्षा अधिक जागा वापरली आणि किती दंड आकारला गेला. गौरव झा, वरिष्ठ रेल्वेचे विभागीय वाणिज्यिक व्यवस्थापक, मध्य रेल्वेने अनिल गलगली यांना माहिती दिली की 2019-20 या वर्षात मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड अधिक जागा वापरत असल्याचे आढळले. 27600 चौरस फूट जागेचे वितरण केले गेले आणि कंपनीने वितरित जागेव्यतिरिक्त 2000 चौरस फूट अधिक जागा वापरली. या प्रकरणात 1.91 कोटी रुपयांचा दंड ठोठावण्यात आला. मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेडने केवळ 78.24 लाख रुपये अदा करण्यात आले आहेत आणि 1.13 कोटी रुपये अद्यापही अदा केले नाहीत. मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड कंपनीकडून थकीत रक्कमेची चिंता नसून 5.75 कोटी रुपयांची सुरक्षा ठेव त्याच करारावर असल्याचे रेल्वेने म्हटले आहे आणि भायखळा आरओबी अंतर्गत 65.73 लाख रुपयांची सुरक्षा ठेव आहे.

मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड कंपनीला काळ्या यादीत टाकण्याच्या प्रश्नावर मध्य रेल्वेने असा दावा केला आहे की निविदेनुसार जादा जागा वापरल्यास काळ्या सूचीत येण्याची तरतूद नाही त्यावर केवळ दंड आकारला जाऊ शकतो. 

अनिल गलगली यांच्या मते ही एक बाब आहे. महसूल बुडितामध्ये रेल्वेची किती प्रकरणात फसवणूक झाली हे माहित नाही? रेल्वेकडून फसवणूक करणार्‍यांविरूद्ध एफआयआर नोंदवून काळ्या यादीत टाकणे आवश्यक आहे, परंतु रेल्वे प्रशासनाकडून संरक्षण करण्याचा प्रयत्न केला जात आहे. अन्यथा 100 टक्के दंड आकारला गेला असता.  रेल्वेमंत्री पीयूष गोयल, रेल्वे बोर्डाचे अध्यक्ष विनोद यादव आणि मध्य रेल्वेचे महाव्यवस्थापक संजीव मित्तल यांना पाठवलेल्या पत्रात अनिल गलगली यांनी या कंपनीला काळ्या यादीत टाकण्याची मागणी केली असून या प्रकरणात दुर्लक्ष करणा-या रेल्वे अधिका-यांवर कारवाई करण्याची मागणी केली आहे.

Wednesday 16 December 2020

Mithi River doesn't get a penny from the centre

On July 26, 2005, the Mithi River was flooded in Mumbai, created havoc after which the Central Government had announced assistance for development and security of the sewerage carrying River. While replying to an RTI query, the MMRDA administration has informed RTI activist Anil Galgali that the Mithi River has not received a single penny from the central government in the last 15 years till date. A total amount of Rs 1657.11 crore was demanded from the Centre. 

RTI activist Anil Galgali had sought information from mmrda administration about the progress made by MMRDA and BMC under the Mithi River development work and the amount sought from the centre and the amount received so far. The MMRDA administration told Anil Galgali that the amount sought from the Centre for development work done by MMRDA under Mithi River Development work was Rs. 417.51 while BMC demanded Rs. 1239.60 crore for development work coming under its jurisdiction. But Mmrda has not received any amount so far. 

The heavy rains on 26th July 2005 caused deluge owing to choking of Mithi River prompting the then Prime Minister Dr. Manmohan Singh to announce the financial assistance for the widening and designing of this River. Only then did the state Government constitute the Mithi River Development and Conservation Authority. 

According to Anil Galgali, there has been a further plight of the river in the absence of funds and the amount claimed to be spent needs to be audited. The central government has said that there is a need to supplement the expenditure by persisting with the progress of the work.

केंद्र से मीठी नदी को फूटी कौड़ी नहीं मिली

26 जुलाई, 2005 को मुंबई में मीठी नदी को बाढ़ आई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने विकास और सुरक्षा के लिए सहायता की घोषणा की। गत 15 वर्षों में मीठी नदी को आजतक केंद्र सरकार से फूटी कौड़ी नहीं मिलने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी है। केंद्र से कुल रु 1657.11 करोड़ रकम की मांग की गई थी। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से मीठी नदी विकास काम अंतर्गत एमएमआरडीए और मनपा द्वारा किया हुआ विकास विकास काम और केंद्र से मांगी हुई रकम और अबतक प्राप्त रकम की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि मीठी नदी विकास काम अंतर्गत एमएमआरडीए द्वारा किया गया विकास काम के लिए केंद्र से मांगी हुई रकम रु 417.51 इतनी थी और मनपा द्वारा किए विकास काम के लिए रु 1239.60 करोड़ इतने रकम की मांग की थी। एमएमआरडीए को अबतक किसी भी तरह से रकम प्राप्त नही हुई है। 

26 जुलाई 2005 को हुई भारी बारिश से मीठी नदी को बाढ़ आई थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने मीठी नदी के लिए आर्थिक मदद की घोषणा भी की थी। उसके बाद ही राज्य सरकार ने मीठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण का गठन किया था। अनिल गलगली के अनुसार फंड के अभाव में नदी की और दुर्दशा हुई है और जो रकम खर्च करने का दावा किया गया है उसका ऑडिट करने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार ने अपने बात पर कायम रहकर खर्च की प्रतिपूर्ती करने की जरुरत होने की बात गलगली ने कही है।


केंद्र से मीठी नदी को फूटी कौड़ी नहीं मिली

26 जुलाई, 2005 को मुंबई में मीठी नदी को बाढ़ आई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने विकास और सुरक्षा के लिए सहायता की घोषणा की। गत 15 वर्षों में मीठी नदी को आजतक केंद्र सरकार से फूटी कौड़ी नहीं मिलने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी है। केंद्र से कुल रु 1657.11 करोड़ रकम की मांग की गई थी। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से मीठी नदी विकास काम अंतर्गत एमएमआरडीए और मनपा द्वारा किया हुआ विकास विकास काम और केंद्र से मांगी हुई रकम और अबतक प्राप्त रकम की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि मीठी नदी विकास काम अंतर्गत एमएमआरडीए द्वारा किया गया विकास काम के लिए केंद्र से मांगी हुई रकम रु 417.51 इतनी थी और मनपा द्वारा किए विकास काम के लिए रु 1239.60 करोड़ इतने रकम की मांग की थी। एमएमआरडीए को अबतक किसी भी तरह से रकम प्राप्त नही हुई है। 

26 जुलाई 2005 को हुई भारी बारिश से मीठी नदी को बाढ़ आई थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने मीठी नदी के लिए आर्थिक मदद की घोषणा भी की थी। उसके बाद ही राज्य सरकार ने मीठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण का गठन किया था। अनिल गलगली के अनुसार फंड के अभाव में नदी की और दुर्दशा हुई है और जो रकम खर्च करने का दावा किया गया है उसका ऑडिट करने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार ने अपने बात पर कायम रहकर खर्च की प्रतिपूर्ती करने की जरुरत होने की बात गलगली ने कही है।


केंद्र से मीठी नदी को फूटी कौड़ी नहीं मिली

26 जुलाई, 2005 को मुंबई में मीठी नदी को बाढ़ आई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने विकास और सुरक्षा के लिए सहायता की घोषणा की। गत 15 वर्षों में मीठी नदी को आजतक केंद्र सरकार से फूटी कौड़ी नहीं मिलने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी है। केंद्र से कुल रु 1657.11 करोड़ रकम की मांग की गई थी। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से मीठी नदी विकास काम अंतर्गत एमएमआरडीए और मनपा द्वारा किया हुआ विकास विकास काम और केंद्र से मांगी हुई रकम और अबतक प्राप्त रकम की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि मीठी नदी विकास काम अंतर्गत एमएमआरडीए द्वारा किया गया विकास काम के लिए केंद्र से मांगी हुई रकम रु 417.51 इतनी थी और मनपा द्वारा किए विकास काम के लिए रु 1239.60 करोड़ इतने रकम की मांग की थी। एमएमआरडीए को अबतक किसी भी तरह से रकम प्राप्त नही हुई है। 

26 जुलाई 2005 को हुई भारी बारिश से मीठी नदी को बाढ़ आई थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने मीठी नदी के लिए आर्थिक मदद की घोषणा भी की थी। उसके बाद ही राज्य सरकार ने मीठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण का गठन किया था। अनिल गलगली के अनुसार फंड के अभाव में नदी की और दुर्दशा हुई है और जो रकम खर्च करने का दावा किया गया है उसका ऑडिट करने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार ने अपने बात पर कायम रहकर खर्च की प्रतिपूर्ती करने की जरुरत होने की बात गलगली ने कही है।


मिठी नदीला अद्यापही केंद्राकडून दमडीही नाही

26 जुलै 2005 रोजी मुंबईतील मिठी नदीला पूर आला आणि त्यानंतर केंद्र सरकारने विकास व संरक्षणासाठी मदतीची घोषणा केली होती. मागील 15 वर्षात मिठी नदीला अद्यापही केंद्राकडून दमडीही प्राप्त न झाल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली आहे. केंद्राकडे एकूण रु 1657.11 कोटी रक्कमेची मागणी करण्यात आली होती.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडे मिठी नदी विकास कामे अंतर्गत एमएमआरडीए आणि पालिकेतर्फे केलेल्या विकास कामाची माहिती आणि केंद्राकडे मागणी केलेली रक्कम व आजमितीला प्राप्त रक्कमेची माहिती विचारली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांस कळविले की मिठी नदी विकास कामे अंतर्गत एमएमआरडीएतर्फे करण्यात आलेल्या विकास कामकरिता केंद्रांकडे मागणी केलेली रक्कम रु 417.51 इतकी होती तर पालिकेतर्फे केलेल्या विकास कामाकरिता रु 1239.60 कोटी इतक्या रक्कमेची मागणी केली होती. एमएमआरडीएला आजमितीला कोणतीही रक्कम प्राप्त झाली नाही.

26 जुलै 2005 रोजी झालेल्या अतिवृष्टीमुळे मिठी नदीला पूर आला होता आणि तत्कालीन पंतप्रधान डॉ मनमोहन सिंह यांनी मिठी नदीसाठी आर्थिक मदतीची घोषणाही केली होती. त्यानंतर राज्य सरकारने मिठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरणाची स्थापना ही केली. अनिल गलगली यांच्या मते निधीअभावी नदीची अजून दुर्दशा झाली असून जी रक्कम खर्च करण्यात आल्याचे भासविले जाते त्याचे ऑडिट करण्याची आवश्यकता आहे. केंद्र सरकारने आपला शब्द पाळला नसून झालेल्या खर्चाची प्रतिपूर्ती करण्याची गरज असल्याचे मत गलगली यांनी व्यक्त केले आहे.

Revenue from hoardings of Central and Western Railway soars high

The Mumbai division of Central and Western Railway have got continuous increase in it's revenue coming from its hoardings given for advertisements to various parties and entities. This information has been given by both the railways in a reply asked by RTI activist Anil Galgali. It shows that, Western Railway has earned much revenue than central railway. 

RTI activist Anil Galgali had sought this information from Central and Western Railway. Mumbai's Senior divisional commercial manager of Central Railway Gaurav Jha has given the details of revenue generated from 7 locations from the year 2015-16 to 2019-20. According to the reply, Rs 5.92 crore in 2015-16, Rs 5.98 crore in 2016-17, Rs 6.60 crore in 2017-18, Rs 9.23 crore in 2018-19 and Rs 11.35 crore came in the year 2019-20. 

The divisional commercial manager of Mumbai division Abhay Sanap of WR also gave the details of these 5 years from 2015-16 to 2019-20, besides inviting him to come Mumbai Central office and inspect the documents in the office as all information pertaining to revenues and parties were voluminous in nature. After visiting, he found out that Mumbai Division of WR earned Rs 33.15 crore in 2015-16, Rs 35.77 crore in 2016-17, Rs 40.01 crore in 2017-18, Rs40.18 crore in 2018-19 and Rs 54.48 crore in 2019-20. 

According to Anil Galgali, there have been many instances of advertisers using more space than alloted to, but both the railways have failed to act on such complaints, which is adversely affecting its revenue. Galgali demanded CR and WR to set up a flying squad to check the compliance of the terms and conditions stipulated by the railways while renting hoardings for advertisement.

Tuesday 24 November 2020

Revenue from hoardings of Central and Western Railway soars high

The Mumbai division of Central and Western Railway have got continuous increase in it's revenue coming from its hoardings given for advertisements to various parties and entities. This information has been given by both the railways in a reply asked by RTI activist Anil Galgali. It shows that, Western Railway has earned much revenue than central railway. 

RTI activist Anil Galgali had sought this information from Central and Western Railway. Mumbai's Senior divisional commercial manager of Central Railway Gaurav Jha has given the details of revenue generated from 7 locations from the year 2015-16 to 2019-20. According to the reply, Rs 5.92 crore in 2015-16, Rs 5.98 crore in 2016-17, Rs 6.60 crore in 2017-18, Rs 9.23 crore in 2018-19 and Rs 11.35 crore came in the year 2019-20. 

The divisional commercial manager of Mumbai division Abhay Sanap of WR also gave the details of these 5 years from 2015-16 to 2019-20, besides inviting him to come Mumbai Central office and inspect the documents in the office as all information pertaining to revenues and parties were voluminous in nature. After visiting, he found out that Mumbai Division of WR earned Rs 33.15 crore in 2015-16, Rs 35.77 crore in 2016-17, Rs 40.01 crore in 2017-18, Rs40.18 crore in 2018-19 and Rs 54.48 crore in 2019-20. 

According to Anil Galgali, there have been many instances of advertisers using more space than alloted to, but both the railways have failed to act on such complaints, which is adversely affecting its revenue. Galgali demanded CR and WR to set up a flying squad to check the compliance of the terms and conditions stipulated by the railways while renting hoardings for advertisement.

मध्य आणि पश्चिम रेल्वेच्या होर्डिंगच्या उत्पन्नात वाढ झाली

मुंबई विभागांतर्गत मध्य आणि पश्चिम रेल्वेच्या होर्डिंग्जच्या वाढत्या उत्पन्नाची माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना देण्यात आलेल्या माहितीतून समोर आली आहे. उत्पन्नाच्या बाबतीत, दोन्ही रेल्वेच्या तुलनेत पश्चिम रेल्वे प्रशासन हे मध्य रेल्वेपेक्षा खूप पुढे आहे.

माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मध्य आणि पश्चिम रेल्वेकडे होर्डिंगची माहिती मागितली होती. गौरव झा, मध्य रेल्वेचे वरिष्ठ विभागीय वाणिज्यिक व्यवस्थापक यांनी अनिल गलगली यांस मागील 5 वर्षात 7 जागांची माहिती दिली यात सन 2015-16 पासून वर्ष 2019-20 वर्षाची माहिती दिली.

मध्य रेल्वेने वर्ष 2015-16 मध्ये 5.92 कोटी, वर्ष 2016-17 मध्ये 5.98 कोटी, वर्ष 2017-18 मध्ये 6.60 कोटी, वर्ष 2018-19 मध्ये 9.23 कोटी आणि वर्ष 2019-20 मध्ये 11.35 कोटोची कमाई केली आहे.

पश्चिम रेल्वेच्या वाणिज्य मंडळाचे अभय सानप यांनी अनिल गलगली यांना वर्ष 2015- 16 पासून 2019-20 या 5 वर्षाच्या कालावधीचा तपशील दिला आहे. सानप यांनी दावा केला की मागितलेली माहिती विस्तृत आहे म्हणून गलगली यांना कार्यालयात कागदपत्रांची तपासणी करण्यासाठी बोलावण्यात आले होते.

पश्चिम रेल्वेने वर्ष 2015-16 में 33.15 कोटी, वर्ष 2016-17 मध्ये 35.77 कोटी, वर्ष 2017-18 मध्ये 40.01 कोटी, वर्ष 2018-19 मध्ये 40.18 कोटी आणि वर्ष 2019-20 मध्ये 54.48 कोटींची कमाई केली आहे.

अनिल गलगली यांच्या म्हणण्यानुसार बर्‍याच ठिकाणी वाटप केलेल्या जागेपेक्षा जागेचा अधिक वापर केला जातो, परंतु जोपर्यंत तक्रार येत नाही, तोपर्यंत अशी प्रकरणे समोर येत नाहीत. रेल्वे प्रशासनाने अशी माहिती आरटीआयच्या कलम 4 अन्वये ऑनलाइन करावी, जेणेकरून प्रत्येक नागरिकावर नजर ठेवता येईल. यासाठी विशेष पथक आवश्यक असून तक्रारीची प्रतीक्षा करण्याऐवजी अचानक पाहणी केल्यास अनियमितता उघडकीस येईल आणि रेल्वे प्रशासनाचा बुडणा-या महसुल वाचेल.

मध्य और पश्चिम रेलवे की होर्डिंग की आय बढ़ी

मुंबई डिवीज़न के अंतर्गत मध्य और पश्चिम रेलवे की होर्डिंग की आय बढ़ने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को उपलब्ध कराई जानकारी में सामने है। दोनों रेलवे ने आय के मामले में मध्य रेलवे की तुलना में पश्चिम रेलवे काफी आगे है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मध्य और पश्चिम रेलवे से होर्डिंग की  जानकारी मांगी थी। मध्य रेलवे के वरिष्ठ विभागीय वाणिज्यिक प्रबंधक गौरव झा ने अनिल गलगली को 7 स्थानों की वर्ष 2015-16  से वर्ष 2019-20 इन 5 वर्षो का ब्यौरा दिया है।

मध्य रेलवे की वर्ष 2015-16 में 5.92 करोड़, वर्ष 2016-17 में 5.98 करोड़, वर्ष 2017-18 में 6.60 करोड़, वर्ष 2018-19 में 9.23 करोड़ और वर्ष 2019-20 में 11.35 करोड़ आय है।

पश्चिम रेलवे के मंडल वाणिज्य अभय सानप ने अनिल गलगली को वर्ष 2015-16  से वर्ष 2019-20 इन 5 वर्षो का ब्यौरा दिया है। सानप ने दावा किया कि मांगी गई जानकारी विस्तृत है इसलिए गलगली को कार्यालय में दस्तावेज को निरीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया गया है। वर्ष 2015-16 में 33.15 करोड़, वर्ष 2016-17 में 35.77 करोड़, वर्ष 2017-18 में 40.01 करोड़, वर्ष 2018-19 में 40.18 करोड़ और वर्ष 2019-20 में 54.48 करोड़ आय है।

अनिल गलगली के अनुसार कई स्थानों पर जो जगह अलॉट की गई है उससे अधिक जगह का इस्तेमाल होता है लेकिन जब तक शिकायत नहीं होती है तब तक ऐसे मामले में सामने आते नहीं है। रेलवे प्रशासन को ऐसी जानकारी आरटीआई की धारा 4 के तहत ऑनलाइन करनी चाहिए ताकि हर एक नागरिक की नजर बनी रहे। इसके लिए जांच दल की आवश्यकता है और शिकायत की प्रतीक्षा करने के बजाय अचानक जायजा लिया जाएगा तो अनियमितता सामने भी आएगी और रेलवे प्रशासन का डूबने वाला राजस्व की बचत होगी। 

Wednesday 18 November 2020

मुख्यमंत्री सहायता निधीत योगदान देणा-या राजकीय पक्षाची माहिती देण्यास प्रतिबंध

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कोरोनाच्या अनुषंगाने मुख्यमंत्री सहायता निधीत भरीव आर्थिक मदतीचे आवाहन करत असतात पण राजकीय पक्ष कदाचित या आवाहनाला प्रतिसाद देतो किंवा नाही? याबाबत माहिती मागितली असता राजकीय पक्षाच्या योगदानाची माहिती मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्ष माहिती देण्यास उत्सुक नाही. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुख्यमंत्री सहायता निधी कक्षाने स्पष्ट कळविले आहे की त्रयस्थ पक्षाच्या खाजगी बाबीत आगंतुक हस्तक्षेप करील अशी वैयक्तिक तपशीलाची माहिती असल्याने सदर माहिती देण्यास प्रतिबंध आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी दिनांक 15 मे 2020 रोजी मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कक्षाकडे कोविड अंतर्गत राजकीय पक्षाच्या योगदानाची माहिती मागितली होती. जन माहिती अधिकारी मिलिंद काबाडी यांनी कळविले की त्रयस्थ पक्षाच्या खाजगी बाबीत आगंतुक हस्तक्षेप करील अशी वैयक्तिक तपशीलाची माहिती असल्याने सदर माहिती देण्यास प्रतिबंध आहे. सदर माहिती संकलित केली जात नाही तसेच या कामासाठी साधन सामुग्री मोठ्या प्रमाणात वळवावी लागेल. मुख्यमंत्री सहायता निधीत अश्या प्रकारचे रोज व्यवहार होत असून विवरणपत्रात UTR क्रमांक निहाय माहिती दिलेली असते त्यामुळे देणगीदारांची नावे शोधून देणे शक्य नाही. अनिल गलगली यांनी दिनांक 1 जून 2020 रोजी दाखल केलेल्या प्रथम अपिलावर 9 नोव्हेंबर 2020 रोजी अपील सुनावणी घेण्यात आली. या सुनावणीत सहायक संचालक असलेल्या प्रथम अपीलीय अधिकारी सुभाष नागप यांनी कोठलाही दिलासा दिला नाही. 

अनिल गलगली यांच्या मते कोविड अंतर्गत राजकीय पक्षाने दिलेली माहिती ना पंतप्रधान केयर निधी देत नाही ना मुख्यमंत्री सहायता निधी. राजकीय पक्षाची माहिती त्रयस्थ असल्याचा दावा करणारे मुख्यमंत्री सचिवालयाने संबंधित राजकीय पक्षाना पत्र पाठविण्याची तसदी घेतली नाही. आता मुख्यमंत्री उद्धच ठाकरे यांनी संबंधित माहिती संकेतस्थळावर उपलब्ध करण्यासाठी संबंधितांना सूचना देण्याची मागणी गलगली यांनी केली आहे.

Friday 30 October 2020

बिजली बिगाड़ पर उपाय योजना करने बिजली कंपनियों पर ऊर्जा विभाग ने जारी किया आदेश

महाराष्ट्र राज्य में बिजली आपूर्ति में तकनीकी खराबी के कारण नागरिकों को होने वाली असुविधा को देखते हुए भविष्य में उपाय करना और कंपनियों के वेबसाइट पर मासिक विश्वसनीयता सूचकांक चार्ट प्रकाशित करने के लिए आदेश जारी किया है। यह आदेश आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की शिकायत पर ऊर्जा विभाग ने जारी किया है।

ऊर्जा विभाग की कक्ष अधिकारी संगीता लांडे ने महाराष्ट्र बिजली वितरण कंपनी, टाटा, अदानी और बेस्ट के महाप्रबंधकों को पत्र भेजकर अनिल गलगली द्वारा दर्ज शिकायत पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, ऊर्जा मंत्री डॉ नितिन राउत और ऊर्जा सचिव से शिकायत की थी कि महाराष्ट्र में लाखों उपभोक्ता हर महीने तकनीकी खराबी के कारण हजारों घंटों तक अंधेरे में बैठे रहते हैं।

यदि आप अक्टूबर और दिसंबर 2019 के महीनों के लिए पूरे महाराष्ट्र के लिए MSEDCL वेबसाइट पर चार्ट देखते हैं, तो आप देखेंगे कि अक्टूबर 2019 के पूरे महीने में, महाराष्ट्र में तकनीकी खराबी की 15745 घटनाएं हुईं और राज्य में 4 करोड़ से अधिक नागरिकों को 20176 घंटों तक अंधेरे में बैठना पड़ा। अगर हम दिसंबर 2019 के चार्ट को देखें, तो तकनीकी खराबी की 10994 घटनाओं के कारण 2.78 करोड़ से अधिक नागरिकों को कुल 15167 घंटे अंधेरे में बैठना पड़ा। मुंबई की बिजली आपूर्ति कंपनी का भी यही हाल है। टाटा ने मार्च 2020 और मेसर्स अदानी ने मार्च 2019 तक प्रकाशित किया है। अदानी ने अपनी वेबसाइट पर मार्च 2019 तक विश्वसनीयता सूचकांक चार्ट  प्रकाशित किया है। इसमें 13,280 घटनाओं का उल्लेख किया गया है जबकि टाटा ने अप्रैल 2020 तक जानकारी अपडेट की है। इसकी जानकारी बेस्ट के वेबसाइट पर नहीं मिली।

अनिल गलगली के अनुसार, सभी बिजली कंपनियों के लिए यह विश्वसनीयता सूचकांक चार्ट  हर महीने वेबसाइट पर प्रकाशित करना अनिवार्य है। फिर भी किसी भी कंपनी ने इस महीने तक संशोधित सूचना जारी नहीं की है। इसलिए उसने हर महीने प्रकाशित करने के निर्देश दिए गए है। अनिल गलगली का मानना है कि मुंबई में घटना की जांच करना और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसा न हो।

Department of Energy issues orders to power companies to remedy power outages

To take future measures in view of the inconvenience caused to the citizens due to technical failure in power supply in the State of Maharashtra. The power department has issued orders to all power companies on the complaint of RTI activist Anil Galgali to publish the reliability index chart on the website every month.

Sangita Lande, Section Officer of the energy department, has sent a letter to the Maharashtra Electricity Distribution Company, Tata, Adani and BEST instructing them to take action on the complaint received by Anil Galgali. 

RTI activist Anil Galgali had complained to Chief Minister Uddhav Thackeray, Energy Minister Dr Nitin Raut and Energy Secretary that millions of consumers in Maharashtra have been sitting in the dark for thousands of hours every month due to technical glitches. 

If you look at the chart on the MSEDCL website for the whole of Maharashtra for the months of October and December 2019, you will notice that in the entire month of October 2019, there were 15745 incidents of technical malfunction in Maharashtra and more than 4 crore citizens in the state had to sit in darkness for 20176 hours. If we look at the chart of December 2019, 10994 incidents of technical malfunction caused more than 2.78 crore citizens to sit in darkness for a total of 15167 hours. The same story of the power supply company in Mumbai. Tata has published the Credit Index Chart upto March 2020 and M/s Adani has published the Credit Index Chart up to March 2019 on its website. It mentions 13280 incidents while Tata has updated the information till April 2020. This year, BEST's information was not found on the website.

According to Anil Galgali, it is mandatory for all power companies to publish this chart on the website every month. Yet no company has issued revised information so far this month. So he has been instructed to publish every month. Therefore, it is necessary to publish it every month and investigate the incident in Mumbai and take action against those involved so that such an incident does not happen in the future, said Galgali.

वीज बिघाडावर उपाययोजना करण्यासाठी ऊर्जा विभागाने वीज कंपन्यांना जारी केले आदेश

राज्यात वीज पुरवठा यात उद्धभवलेल्या तांत्रिक बिघाडामुळे नागरिकांना होणारा मनःस्ताप लक्षात घेता भविष्यात उपाययोजना करणे तसेच दर महिन्याला विश्वार्हतेचे निर्देशांक चार्ट संकेतस्थळावर प्रसिद्ध करण्यासाठी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या तक्रारीवर ऊर्जा विभागाने सर्व वीज कंपन्यांना आदेश जारी केले आहेत.

अनिल गलगली यांनी केलेल्या तक्रारीवर ऊर्जा विभागाच्य कक्ष अधिकारी संगिता लांडे यांनी महाराष्ट्र वीज वितरण कंपनी, टाटा, अदानी आणि बेस्टच्या महाव्यवस्थापकांस पत्र पाठवून कार्यवाहीचे निर्देश आहेत.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे,ऊर्जा मंत्री डॉ नितीन राऊत तसेच ऊर्जा सचिवांकडे तक्रार केली होती की महाराष्ट्रात वर्षानुवर्षे दर महिन्याला तांत्रिक बिघाडामुळे हजारो तास लक्षावधी ग्राहकांना अंधारात बसावे लागत आहे. महावितरणच्या संकेतस्थळावरील आॅक्टोबर आणि डिसेंबर 2019  या महिन्यातील संपूर्ण महाराष्ट्रातील विश्वार्हतेचे निर्देशांक हा चार्टचे अवलोकन केल्यास लक्षात येईल की आॅक्टोबर 2019 या संपूर्ण महिन्यामध्ये संपूर्ण महाराष्ट्रात तांत्रिक बिघाडाच्या 15745  घटना घडल्या असून राज्यातील 4 कोटीहून अधिक नागरिकांना 20176  तास अंधारात बसावे लागले. तर डिसेंबर 2019 चा चार्टचे अवलोकन केल्यास तांत्रिक बिघाडाच्या 10994 घटनेमुळे 2.78 कोटीहून अधिक नागरिकांना एकूण 15167 तास अंधारात बसावे लागले. हीच परिस्थिती मुंबईत वीज पुरवठा करणाऱ्या कंपनीची असून टाटाने मार्च 2020 तर मेसर्स अदानीने मार्च 2019 पर्यंतचे विश्वार्हतेचे निर्देशांक चार्ट संकेतस्थळावर प्रसिद्ध केलेले आहे. यात 13280 घटनेचा उल्लेख आहे तर टाटाने एप्रिल 2020 पर्यतची माहिती अपडेट केली आहे.  यात वर्षाला बेस्टची माहिती संकेतस्थळावर शोधली असता दृष्टीक्षेपात आली नाही.

अनिल गलगली यांच्या मते दर महिन्याला हा चार्ट संकेतस्थळावर प्रसिद्ध करणे सर्व वीज कंपनीसाठी बंधनकारक आहे  तरीही कोणत्याही कंपनीने सुधारित आणि या महिन्यापर्यंत माहिती प्रसिद्ध केलीच नाही. त्यामुळे ती प्रत्येक महिन्याला प्रसिद्ध करण्यासाठी निर्देश देत मुंबईतील झालेल्या प्रकाराची चौकशी करत संबंधितांवर कार्यवाही करण्याची आवश्यकता आहे जेणेकरुन भविष्यात असा प्रकार घडणार नाही.

वीज बिघाडावर उपाययोजना करण्यासाठी ऊर्जा विभागाने वीज कंपन्यांना जारी केले आदेश

राज्यात वीज पुरवठा यात उद्धभवलेल्या तांत्रिक बिघाडामुळे नागरिकांना होणारा मनःस्ताप लक्षात घेता भविष्यात उपाययोजना करणे तसेच दर महिन्याला विश्वार्हतेचे निर्देशांक चार्ट संकेतस्थळावर प्रसिद्ध करण्यासाठी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या तक्रारीवर ऊर्जा विभागाने सर्व वीज कंपन्यांना आदेश जारी केले आहेत.

अनिल गलगली यांनी केलेल्या तक्रारीवर ऊर्जा विभागाच्य कक्ष अधिकारी संगिता लांडे यांनी महाराष्ट्र वीज वितरण कंपनी, टाटा, अदानी आणि बेस्टच्या महाव्यवस्थापकांस पत्र पाठवून कार्यवाहीचे निर्देश आहेत.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे,ऊर्जा मंत्री डॉ नितीन राऊत तसेच ऊर्जा सचिवांकडे तक्रार केली होती की महाराष्ट्रात वर्षानुवर्षे दर महिन्याला तांत्रिक बिघाडामुळे हजारो तास लक्षावधी ग्राहकांना अंधारात बसावे लागत आहे. महावितरणच्या संकेतस्थळावरील आॅक्टोबर आणि डिसेंबर 2019  या महिन्यातील संपूर्ण महाराष्ट्रातील विश्वार्हतेचे निर्देशांक हा चार्टचे अवलोकन केल्यास लक्षात येईल की आॅक्टोबर 2019 या संपूर्ण महिन्यामध्ये संपूर्ण महाराष्ट्रात तांत्रिक बिघाडाच्या 15745  घटना घडल्या असून राज्यातील 4 कोटीहून अधिक नागरिकांना 20176  तास अंधारात बसावे लागले. तर डिसेंबर 2019 चा चार्टचे अवलोकन केल्यास तांत्रिक बिघाडाच्या 10994 घटनेमुळे 2.78 कोटीहून अधिक नागरिकांना एकूण 15167 तास अंधारात बसावे लागले. हीच परिस्थिती मुंबईत वीज पुरवठा करणाऱ्या कंपनीची असून टाटाने मार्च 2020 तर मेसर्स अदानीने मार्च 2019 पर्यंतचे विश्वार्हतेचे निर्देशांक चार्ट संकेतस्थळावर प्रसिद्ध केलेले आहे. यात 13280 घटनेचा उल्लेख आहे तर टाटाने एप्रिल 2020 पर्यतची माहिती अपडेट केली आहे.  यात वर्षाला बेस्टची माहिती संकेतस्थळावर शोधली असता दृष्टीक्षेपात आली नाही.

अनिल गलगली यांच्या मते दर महिन्याला हा चार्ट संकेतस्थळावर प्रसिद्ध करणे सर्व वीज कंपनीसाठी बंधनकारक आहे  तरीही कोणत्याही कंपनीने सुधारित आणि या महिन्यापर्यंत माहिती प्रसिद्ध केलीच नाही. त्यामुळे ती प्रत्येक महिन्याला प्रसिद्ध करण्यासाठी निर्देश देत मुंबईतील झालेल्या प्रकाराची चौकशी करत संबंधितांवर कार्यवाही करण्याची आवश्यकता आहे जेणेकरुन भविष्यात असा प्रकार घडणार नाही.

Wednesday 28 October 2020

Chief Minister recommends Nominated Members directly to Governor- RTI

There are reports of unbecoming of the Government and the governor in the Maharashtra over the selection of 12 members nominated by the Governor which will be discussed after cabinet approval. While an RTI shows that their names can be recommended by the Chief Minister directly to the governor. In the documents provided to RTI Activist Anil Galgali, the then Chief Minister Prithviraj Chavan had implemented those recommendations after sending the names of 12 members in 3 rounds. Chavan had recommended 6 names in the first round, 4 in the second round and 2 in the third round. 


RTI activist Anil Galgali had sought a list of the names recommended and sanctioned names under the selection process of the governor nominee members in the last 15 years to the Chief Minister's secretariat. The first appeal was filed by Anil Galgali on refusal to give information to the Chief Minister's secretariat. In this appeal, the application was sent to the General Administration Department (GAD) stating that the application of the other department was not transferred due to ongoing pandemic. 


The General Administration Department handed over 3 letters to Anil Galgali recommended by the then Chief Minister Prithviraj Chavan and a copy of the notification issued by the Government of Maharashtra. 


While claiming not to be aware of the recommendations made earlier, the application of Galgali was transferred to the Governor's secretariat.


The documents given to Anil Galgali clears that the Chief Minister recommends sending a list of 12 names at his level to the governor and after the governor's approval, the government issues a notification. 

According to Anil Galgali, there is a delay in recommending the name on behalf of the Government. Political parties always morally kill the basic objectives of members nomination by giving preference to the people belonging to political parties. Galgali has written a letter to Chief Minister Uddhav Thackeray demanding appointment of non-political people.

मुख्यमंत्री सीधे राज्यपाल को नामित सदस्यों की सिफारिश करता है- आरटीआई

राज्यपाल नामित 12 सदस्यों के चयन को लेकर महाराष्ट्र की सरकार और राज्यपाल में अनबन की खबरें है और कैबिनेट की मंजूरी के बाद निर्णय लेने की चर्चा है। जबकि इनके नामों की सिफारिश मुख्यमंत्री सीधे राज्यपाल को कर सकते है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को उपलब्ध कराए दस्तावेजों में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने 3 चरणों मे 12 सदस्यों के नामों की सिफारिश करने के बाद राज्यपाल ने उन सिफारिशों को लागू किया था।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री सचिवालय को गत 15 वर्षो में राज्यपाल नामित सदस्यों की चयन प्रक्रिया के तहत सिफारिश किए गए नाम और मंजूर हुए नाम की लिस्ट मांगी थी। मुख्यमंत्री सचिवालय ने जानकारी देने से इनकार करने पर अनिल गलगली द्वारा प्रथम अपील दायर की गई। इस अपील में कोविड के चलते अन्य विभाग के आवेदन हस्तांतरित न करने की बात कही गई  और बाद में उनका आवेदन को सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा गया। सामान्य प्रशासन विभाग ने अनिल गलगली को तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सिफारिश किए हुए 3 पत्र और महाराष्ट्र की सरकार ने जारी किए गए नोटिफिकेशन की कॉपी थमाई। जबकि इसके पहले की गई सिफारिशों की जानकारी न होने का दावा कर गलगली का आवेदन राज्यपाल सचिवालय को हस्तांतरित किया गया।

अनिल गलगली को जो दस्तावेज दिए गए है उससे साफ होता है कि मुख्यमंत्री अपने स्तर पर 12 नाम की लिस्ट राज्यपाल को भेजकर सिफारिश करता है और राज्यपाल की मंजूरी के बाद सरकार उसकी नोटिफिकेशन जारी करती है। चव्हाण ने उसवक्त प्रथम चरण में 6, द्वितीय चरण में 4 और तृतीय चरण में 2 नामों की सिफारिश की थी।


अनिल गलगली के अनुसार सरकार की ओर से नाम की सिफारिश करने में देरी हो रही है। हमेशा राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों को वरियता देकर राजनीतिक दल नैतिक तौर पर इसके प्रावधान के मूल उद्देश्यों की हत्या करते है। गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर गैर राजनीतिक लोगों की नियुक्ति करने की मांग की है।

मुख्यमंत्री राज्यपाल नामित नामनिर्देशित सदस्यांची शिफारस थेट राज्यपालांना करतात - आरटीआय

मुख्यमंत्री नामित 12 सदस्यांच्या निवडीबाबत महाराष्ट्र सरकार आणि राज्यपाल यांच्यात मतभेद असल्याचे वृत्त आहे आणि मंत्रिमंडळाच्या मंजुरीनंतर निर्णय घेण्याची चर्चा आहे. प्रत्यक्षात मुख्यमंत्री राज्यपालांना थेट 12 नावांची शिफारस करू शकतात यासाठी मंत्रिमंडळाच्या मंजुरीची आवश्यकता नाही. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना उपलब्ध झालेल्या कागदपत्रांमध्ये तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण यांनी तीन टप्प्यात 12 सदस्यांच्या नावाची शिफारस राज्यपालांना केल्यानंतर या शिफारशी लागू केल्या गेल्या आहेत.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री सचिवालयात राज्यपालांच्या नामनिर्देशित सदस्यांची निवड प्रक्रियेचा भाग म्हणून गेल्या 15 वर्षात शिफारस केलेली व मंजूर केलेली नावाची यादी मागितली होती. अनिल गलगली यांना मुख्यमंत्री सचिवालयाने माहिती देण्यास नकार दर्शवल्यानंतर त्यांनी प्रथम अपील केले. या अपीलमध्ये कोविडमुळे हा अर्ज इतर विभागांकडे हस्तांतरित न केल्याची माहिती दिली आणि अपील नंतर अर्ज सामान्य प्रशासन विभागाकडे पाठविण्यात आला. सामान्य प्रशासन विभागाने अनिल गलगली यांस तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण यांनी शिफारस केलेल्या पत्रांची प्रत आणि महाराष्ट्र सरकारने जारी केलेल्या अधिसूचना सुपूर्द केली. यापूर्वी केलेल्या शिफारशींची माहिती नसल्याचे सांगत गलगली यांचा अर्ज राज्यपाल सचिवालयात वर्ग करण्यात आला.

अनिल गलगली यांना दिलेल्या कागदपत्रांवरून हे स्पष्ट झाले आहे की मुख्यमंत्री त्यांच्या स्तरावर राज्यपालांना 12 नावांची यादी पाठविण्याची शिफारस करतात आणि राज्यपालांच्या मान्यतेनंतर सरकार त्याबाबत अधिसूचना जारी करते. चव्हाण यांनी पहिल्या टप्प्यात 6, दुस-या टप्प्यात 4 आणि तिसर्‍या टप्प्यात 2 नावांची शिफारस केली.

अनिल गलगली यांच्या म्हणण्यानुसार सरकार तर्फे नावाची शिफारस करण्यास विलंब होत आहे. राजकीय पक्षांशी संबंधित लोकांना नेहमीच प्राधान्य देताना, राजकीय पक्ष त्याच्या सोयीनुसार या नेमणुकीत मूलभूत उद्दीष्टांची नैतिक स्तरावर हत्या करतात. गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांना पत्राद्वारे बिगर राजकीय लोकांच्या नियुक्तीची मागणी केली आहे.

Wednesday 21 October 2020

1061 Constable & Assistant Sub-Inspectors in the state became Sub-Inspectors

Thousands of Constable and assistant sub-inspectors in the state have been hit by the Home Ministry's maneuvering policy from the Director General of Police in the pending promotion case since 2013. But the relentless efforts of RTI activist Anil Galgali have been successful and 1061 Constable and assistant sub-inspectors of police have been made sub-inspectors in the state following a circular from the office of the Director General of Police.

Be it a police constable and Ass Sub Inspector who has passed the examination for the post of Sub-Inspector of Police, he has been waiting for promotion for the last 7 years. Anil Galgali, an RTI activist, met Additional Chief Secretary Sitaram Kunte and gave details. Mr Kunte moved quickly and finally Home Minister Mr Anil Deshmukh signed the pending order in Home Minister office.The promotions were expected to take place last year, but unfortunately the time-consuming policy was adopted by sending a letter to the Home Ministry even though the decision-making power was in the office of the Director General of Police.

Following  recent promotion, the state's sub-inspector of police thanks Anil Galgali for his support..Anil Galgali has clarified that the government is expected to take a decision at the right time. A lesson from this matter, the government should issue instructions to all departments to take immediate  decision in all this type of matter in a practical manner.

राज्य के 1061 हवालदार और सहायक पुलिस इंस्पेक्टर बने सब-इंस्पेक्टर

2013 से लंबित पदोन्नति मामले में हजारों हवालदार और सहायक पुलिस इंस्पेक्टर पुलिस महानिदेशक से लेकर गृह मंत्रालय की हेरफेर नीति के चपेट में आए थे। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली के अथक प्रयास सफल रहे हैं और पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने जारी किए परिपत्रक के बाद, राज्य में 1061 पुलिस हवालदार और सहायक पुलिस इंस्पेक्टर आखिरकार सब इंस्पेक्टर बन गए हैं।

चाहे वह पुलिस हवालदार हो या सहायक सब इंस्पेक्टर जिन्होंने परीक्षा उत्तीर्ण की थी, वह पिछले 7 वर्षों से पदोन्नति की प्रतीक्षा में थे। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने अतिरिक्त मुख्य सचिव सीताराम कुंटे से मुलाकात की और विवरण दिया। कुंटे की ओर से तेजी से कारवाई हुई और अंत में गृह मंत्री अनिल देशमुख के कार्यालय में लंबित फाइल पर हस्ताक्षर किए। पदोन्नति पिछले साल होने की उम्मीद थी, लेकिन दुर्भाग्य से लेटलतीफी नीति के चलते निर्णय के लिए एक पत्र गृह मंत्रालय को भेजा गया था, जबकि निर्णय लेने का अधिकार पुलिस महानिदेशक के कार्यालय को था।

1061 लोगों की पदोन्नति के बाद, राज्य के नवनियुक्त पुलिस सब इंस्पेक्टर द्वारा अनिल गलगली का आभार माना गया। अनिल गलगली ने स्पष्ट किया है कि सरकार से सही समय पर निर्णय लेने की उम्मीद रहती है। साथ ही, इस मामले से सबक लेते हुए, सरकार को सभी विभागों को सद विवेक बुद्धि का उपयोग करके तत्काल निर्णय लेने के निर्देश जारी करने चाहिए।

राज्यातील 1061 अंमलदार आणि सहायक उप निरीक्षक बनले उपनिरीक्षक

वर्ष 2013 पासून प्रलंबित पदोन्नती प्रकरणात पोलीस महासंचालक पासून गृह मंत्रालयाच्या चालढकल धोरणाचा फटका राज्यातील हजारो अंमलदार आणि सहायक उप निरीक्षक यांस बसला होता पण आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या सततच्या प्रयत्नाला यश मिळाले असून पोलीस महासंचालक कार्यालयाच्या परिपत्रकानंतर राज्यातील 1061 अंमलदार आणि सहायक उप निरीक्षक पोलीस उपनिरीक्षक बनले आहे.

पोलीस उपनिरीक्षक पदाच्या परीक्षेत उत्तीर्ण झालेल्या पोलीस अंमलदार असो किंवा सहाय्यक पोलीस उपनिरीक्षक हे मागील 7 वर्षांपासून पदोन्नतीच्या प्रतीक्षेत होते. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी या प्रकरणात लक्ष घालत अपर मुख्य सचिव सीताराम कुंटे यांची भेट घेतली आणि सविस्तर माहिती दिली. कुंटे यांसकडून वेगाने हालचाली झाल्या आणि गृहमंत्री अनिल देशमुख यांच्या कार्यालयात प्रलंबित नस्तीवर अखेर सही झाली. मागील वर्षीच या पदोन्नती होणे अपेक्षित होत्या पण दुर्दैवाने निर्णय घेण्याचा अधिकार पोलीस महासंचालक कार्यालयास असतांना सुद्धा गृह मंत्रालयाकडे नस्ती पाठवून वेळखाऊ धोरण अवलंबिले गेले. 

नुकतेच पदोन्नती मिळाल्यानंतर राज्यातील पोलीस उपनिरीक्षक यांनी अनिल गलगली यांस व्यक्तिगत संपर्क करत आणि मोबाईलवरुन आभार मानले आहेत. अनिल गलगली यांनी स्पष्ट केले आहे की शासनाने योग्य वेळी निर्णय घेणे अपेक्षित आहे तसेच या प्रकरणाचा धडा घेत शासनाने सर्व विभागाला सदविवेक बुद्धीचा वापर करत झटपट निर्णय घेण्याच्या सूचना जारी कराव्यात.


The vacant post of Chief Architect in PWD: 6 incharge in 5 years

The post of Chief Architect, who advises on preparation, proposal and Vastu Shastra of schemes for projects to be constructed by PWD, has been lying vacant since last 5 years and this has come to the fore by an Right to Information (RTI) query filed by Activist Anil Galgali. This important post has been ignored continuously by making temporary arrangements as 6 incharges have been appointed so far in last 5 years. 

RTI activist Anil Galgali had sought information from PWD on various posts in the chief Architect department. Public Works Department informed Anil Galgali that the post of Chief Architect is vacant from 16th June 2015. Subsequently in the last 5 years, a total of 6 times the charge of Chief Architect given to someone temporary basis. Twice in these 5 years, the chief engineer was given the charge of the chief architect. 

The deputy chief architect and senior architect were handed over this charge twice. It is the duty of Public Works Department to fill up the vacant post of Chief architect. Further, filling up of technical posts is the responsibility of the chief architect and it is the responsibility of the superintendent of engineers to fill up the non-technical posts.

There are still other vacancies including 2 senior architects, 8 architects, 13 junior architects, 5 assistant junior architects in the architects Department of Public Works Department. In addition, the posts of 4 senior clerks, 4 junior clerks, 1 clerk, 1 blacksmith and 2 peons are vacant. This vacancies shows that this department has been left on God's mercy. 

Anil Galgali has written to Chief Minister Uddhav Thackeray and Public Works Minister Ashok Chavan demanding permanent appointment of a versatile and competent authority as chief architect. "In a state where there is no chief architect, who will guarantee quality work," Galgali has asked this uncomfortable question from the government.

Wednesday 14 October 2020

5 साल में 6 को प्रभार! PWD विभाग के मुख्य वास्तुकार का मामला!

लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्माण की जाने वाली परियोजनाओं के लिए योजनाओं की तैयारी, प्रस्ताव और वास्तुशास्त्र को लेकर सलाह देनेवाला मुख्य वास्तुकार का पद पिछले पांच वर्षों से रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को लोक निर्माण विभाग ने दी है। लोक निर्माण विभाग के मुख्य वास्तुकार के पद को 5 वर्षों से लिए प्रभारी के भरोसे छोड़ा गया है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्य वास्तुकार विभाग में विभिन्न पदों की जानकारी लोक निर्माण विभाग से मांगी थी। लोक निर्माण विभाग ने अनिल गलगली को सूचित किया कि मुख्य वास्तुकार का पद 16 जून 2005 से रिक्त है। पिछले 5 वर्षों में, मुख्य वास्तुकार के इस पद पर कुल 6 बार प्रभारी को नियुक्त किया गया है। इन 5 वर्षों में दो बार मुख्य अभियंता को मुख्य वास्तुकार का प्रभार दिया गया। उप मुख्य वास्तुकार और वरिष्ठ वास्तुकार को भी दो बार प्रभार दिया गया था। लोक निर्माण विभाग मुख्य वास्तुकार के पद को भरने की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग की है। इसके अलावा तकनीकी पदों को भरने की जिम्मेदारी मुख्य वास्तुकार की है और अतकनीकी पदों को भरने की जिम्मेदारी अधीक्षके अभियंता की होती है।

अभी भी लोक निर्माण विभाग के आर्किटेक्ट विभाग में 2 वरिष्ठ आर्किटेक्ट, 8 आर्किटेक्ट, 13 जूनियर आर्किटेक्ट, 5 सहायक जूनियर आर्किटेक्ट सहित अन्य रिक्तियां हैं। इसके अलावा 4 वरिष्ठ क्लर्क, 4 जूनियर क्लर्क, 1 क्लर्क, 1 लोहार और 2 चपरासी के पद खाली हैं।

अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और लोक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण को पत्र लिखकर मुख्य वास्तुकार के रूप में एक सक्षम और सक्षम अधिकारी की स्थायी नियुक्ति की मांग की है। ऐसे राज्य में जहां कोई मुख्य वास्तुकार नहीं है, गुणवत्ता के काम की गारंटी कौन देगा? गलगली ने यह प्रश्न सरकार से भी पूछा है।

5 वर्षांपासून सार्वजनिक बांधकाम विभागातील मुख्य वास्तुशास्त्रज्ञाचा गाडा हाकताय प्रभारी

सार्वजनिक बांधकाम विभागामार्फत बांधण्यात येणाऱ्या इमारतीच्या प्रकल्पासंबंधित आराखडे, प्रस्ताव तयार करणे आणि वास्तुशास्त्रीय बाबीत सल्ला देणारे मुख्य वास्तुशास्त्रज्ञ पद हे मागील 5 वर्षांपासून रिक्त असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस सार्वजनिक बांधकाम विभागाने दिली आहे. 5 वर्षांपासून सार्वजनिक बांधकाम विभागातील मुख्य वास्तुशास्त्रज्ञाचा गाडा प्रभारी हाकत आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी सार्वजनिक बांधकाम विभागाकडे विविध पदांची माहिती मागितली होती. सार्वजनिक बांधकाम विभागाने अनिल गलगली यांस कळविले की दिनांक 16 जून 2005 पासून आजपर्यंत मुख्य वास्तुशास्त्रज्ञ पद रिक्त आहे. मागील 5 वर्षात या पदावर एकूण 6 वेळा मुख्य वास्तुशास्त्रज्ञाचा गाडा प्रभारीने हाकला आहे. या 5 वर्षात 2 वेळा मुख्य अभियंत्यांना मुख्य वास्तुशास्त्रज्ञाचा प्रभार देण्यात आला होता. 2 वेळा उपमुख्य वास्तुशास्त्रज्ञ आणि वरिष्ठ वास्तुशास्त्रज्ञ यांनाही 2 वेळा प्रभार देण्यात आला. मुख्य वास्तुशास्त्रज्ञ पद भरावयाची जबाबदारी सार्वजनिक बांधकाम विभागाची आहे. तांत्रिक पदे भरावयाची जबाबदारी मुख्य वास्तुशास्त्रज्ञ आणि तांत्रिक पदे भरावयाची जबाबदारी ही अधीक्षक अभियंता यांची आहे.

सार्वजनिक बांधकाम विभागाच्या वास्तुशास्त्रज्ञ विभागात अजूनही रिक्त पदे असून यात 2 वरिष्ठ वास्तुशास्त्रज्ञ, 8 वास्तुशास्त्रज्ञ, 13 कनिष्ठ वास्तुशास्त्रज्ञ, 5 सहायक कनिष्ठ वास्तुशास्त्रज्ञ ही महत्त्वाची पदे रिक्त आहे. याचशिवाय 4 वरिष्ठ लिपिक, 4 कनिष्ठ लिपिक,1 दफ्तरी, 1 लोहमुद्रक आणि 2 शिपाईची पदे रिक्त आहे.

अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तसेच सार्वजनिक बांधकाम मंत्री अशोक चव्हाण यांस पत्र पाठवून मुख्य वास्तुशास्त्रज्ञ या महत्वाच्या पदावर कायमस्वरूपी सक्षम आणि योग्य अधिकारी नेमण्याची मागणी केली आहे. ज्या राज्यात मुख्य वास्तुशास्त्रज्ञ नसेल तर गुणवत्तापूर्ण कामाची हमी कोण देईल? असा सवालही गलगली यांनी शासनाला विचारला आहे.

Saturday 10 October 2020

Mumbai Homeless Shelter still on paper!

RTI activist Anil Galgali said the Supreme Court order is being trampled, saying that the shelter  home in Mumbai is still on paper. Galgali was speaking at an event organized on the occasion of World Homeless Day in Kamathipura.

RTI Activist Anil Galgali, State level shelter monitoring committee member Brijesh Arya, Bmc Officer Anil Pawar, Leena Patil, Subhash Rokde, Anjali Kharwa were present at the event organized by NGO Pehchan . Anil Galgali said that as per the Supreme Court order, it was necessary to build 1 shelter home for every 1 lakh population, whereas today only 7 are in working condition. If there is a shelter, no one needs to live on the road and the pavement.

Brijesh Arya said that the organization is fighting for all and the state level committee is trying to empower the homeless. Anil Pawar gave information about the helpline and other schemes launched by Bmc.

मुंबई में शेल्टर होम अभी भी कागजों पर!

सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रौंद दिया जा रहा है, यह कहते हुए आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि मुंबई में शेल्टर होम अभी भी कागज पर है। गलगली कामाठीपुरा में विश्व बेघर दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।

पहचान संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अनिल गलगली, राज्य स्तरीय आश्रय निगरानी समिति के सदस्य बृजेश आर्य, मनपा अधिकारी अनिल पवार, लीना पाटिल, सुभाष रोकड़े, अंजलि खरवा उपस्थित थे। अनिल गलगली ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, प्रत्येक 1 लाख की आबादी के लिए 1 शेल्टर होम बनाना आवश्यक था, जबकि आज केवल 7 ही कार्यरत कर रहे हैं। यदि कोई शेल्टर है, तो किसी को भी सड़क और फुटपाथ पर रहने की जरूरत नहीं है।

बृजेश आर्य ने कहा कि संगठन सभी के लिए लड़ रहा है और राज्य स्तर की समिति बेघरों को अधिकार दिलाने की कोशिश कर रही है। अनिल पवार ने मनपा द्वारा शुरू की गई हेल्पलाइन और अन्य योजनाओं के बारे में जानकारी दी।


मुंबईतील शेल्टर होम अजूनही कागदावरच!

मुंबईतील शेल्टर होम अजूनही कागदावरच असल्याची खंत व्यक्त करत सुप्रीम कोर्टच्या आदेशाची पायमल्ली होत असल्याची टीका आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी केली. गलगली कामाठीपुरा येथे जागतिक बेघर दिनानिमित्त आयोजित कार्यक्रमात बोलत होते.

पहचान संस्थेतर्फे आयोजित कार्यक्रमात अनिल गलगली, राज्यस्तरीय निवारा सनियंत्रण समितीचे सदस्य ब्रिजेश आर्य, पालिका अधिकारी अनिल पवार, लीना पाटील, सुभाष रोकडे, अंजली खारवा उपस्थित होते. अनिल गलगली यांनी प्रतिपादन केले की सुप्रीम कोर्टाच्या आदेशानुसार प्रति 1 लाखामागे 1 शेल्टर होम बनविणे आवश्यक असताना आज फक्त 7 कार्यरत आहे. शेल्टर होम असले तर कोणालाही रस्त्यावर आणि पदपथावर राहण्याची आवश्यकता नाही. 

ब्रिजेश आर्य म्हणाले की प्रत्येकासाठी संस्था लढत असून राज्यस्तरीय समिती बेघरांचे अधिकार मिळवून देण्यासाठी प्रयत्नशील आहे. अनिल पवार यांनी सुरु केलेल्या हेल्पलाईन आणि अन्य योजनेची माहिती दिली. 
 

Friday 9 October 2020

बीकेसी भूमि को लेकर दायर कोर्ट मामले में एमएमआरडीए ने ख़र्च किया रु1.09 करोड़

मुंबई से दिल्ली तक चले मुकदमेबाजी में एमएमआरडीए प्रशासन ने बीकेसी में स्थित भूमि को कोर्ट के मामले में रु 1.09 करोड़ रुपए खर्च कर डाले है। वेणुगोपाल और कुंभकोनी जैसे जाने-माने वकीलों की फौज खड़ी करने के बावजूद, लीजहोल्डर्स ने केस जीत लिया और एमएमआरडीए अब भी हारती ही चली जा रही है। ताज्जुब की बात है कि मनियार श्रीवास्तव एसोसिएट्स को एक के बाद केस हारने के बाद भी सबसे अधिक 1 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन के कोर्ट में दायर मुकदमे की जानकारी मांगी थी जिसमें एमएमआरडीए द्वारा रघुलीला बिल्डर्स, मेसर्स नमन होटल लिमिटेड, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी और अन्य बिल्डर को बकाया धनराशि को लेकर नोटिस जारी की थी।

एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को सूचित किया कि एमएमआरडीए प्रशासन ने इस संबंध में विभिन्न मामलों में वकीलों को 1.09 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। सबसे अधिक 96.43 लाख रुपये की राशि रघुलीला होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दायर किए गए मुकदमें में खर्च की गई है। एमएमआरडीए की ओर से केके वेणुगोपाल और रघुलीला बिल्डर्स की ओर से हरीश साल्वे और मुकुल रोतगी आमने सामने थे। मराठा आरक्षण का मुकदमा लड़नेवाले आशुतोष कुंभकोनी ने भी एक सुनवाई के लिए 1.50 लाख रुपये का शुल्क लिया लेकिन एमएमआरडीए प्रशासन को कोई राहत नहीं मिली। एमएमआरडीए ने हर एक सुनवाई पर लाखों रुपये पानी की तरह खर्च किए हैं।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे और एमएमआरडीए आयुक्त आरए राजीव को लिखे पत्र में अनिल गलगली ने कहा कि लचीली नीति ने अदालत में जाने का मौका दिया क्योंकि एमएमआरडीए ने समय पर कार्रवाई नहीं की। गलगली ने अफसोस जताया कि प्रख्यात वकीलों की फ़ौज भी अप्रभावी थी और बकाया वसूलने के बदले, लोगों के कर से एकत्रित धन मुकदमें पर खर्च किया गया है। मुकदमा हारने के बाद भी उसी कंपनी को क्यों बरकरार रखा गया और निजी कंपनी को बाहर क्यों नहीं रखा गया? यह सवाल गलगली ने पूछा है।

MMRDA spends Rs 1.09 crore in court over BKC land

In a litigation from Mumbai to Delhi, the MMRDA administration has spent Rs 1.09 crore in the case of a court of land located in BKC. Despite fielding an army of eminent lawyers like Venugopal and Kumbakoni, the leaseholders, the MMRDA lost its case as well as its face. It's reveals in a RTI query filed by RTI Activist Anil Galgali. Surprisingly, Maniyar Srivastava Associates has been paid the highest Rs 1 crore even after losing the case, which is raising fingers towards inept handling of the day to day administration. 

RTI activist Anil Galgali had sought information with regards to a court case filed by MMRDA administration wherein it had issued notices to Raghulila Builders, M/s Naman Hotel Limited, Reliance Industries, Indian Newspaper Society and other builders regarding outstanding dues. 

The MMRDA administration informed Anil Galgali that the MMRDA administration has paid Rs 1.09 crore to lawyers in various cases in this regard. The highest amount of Rs 96.43 lakh has been spent in the litigation filed against Raghulila Hotels Pvt Ltd. On behalf of MMRDA, KK Venugopal fought the case while Raghulila Builders roped in Harish Salway and Mukul Rohatgi. 

Ashutosh Kumbhconi, who appeared for the Maratha reservation, also charged Rs 1.50 lakh for a hearing but the MMRDA administration did not get any relief. Reply has enough indication that MMRDA spent lavishly lakhs of rupees on every hearing, but failed to won the case. 

In a letter to Chief Minister Uddhav Thackeray, Urban Development Minister Eknath Shinde and MMRDA Commissioner R. A. Rajeev, Anil Galgali said that the authority's weak policy gave an opportunity to opposite parties and MMRDA did not act in time. Galgali regretted that the hordes of eminent lawyers were also ineffective and in lieu of charging the dues, the money collected from the people's tax has been spent on litigation. 

While questioning the moves of MMRDA, Galgali has asked why was the same company retained even after losing the case and why was the private company not excluded?

वकिलांवर केला कोट्यवधीचा खर्च तरी एमएमआरडीएला खटला गमवावा लागला

मुंबईपासून दिल्लीपर्यंत बीकेसी येथील जमीन न्यायालय खटल्यात एमएमआरडीएने चक्क रु 1.09 कोटी मोजले असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली आहे. वेणूगोपाल, कुंभकोणी सारखे नामवंत वकिलांची फौज उभारूनही खटल्यात लीजधारक जिंकले आणि एमएमआरडीए हरतच चालली आहे. विशेष म्हणजे एकावर एक खटले हरल्यानंतरही मणियार श्रीवास्तव असोसिएटस या कंपनीला 1 कोटीची रक्कम अदा करण्यात आली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीएच्या विधी खात्याकडे एमएमआरडीए प्रशासनाने जी ब्लॉक अंतर्गत रघुलीला बिल्डर्स, मेसर्स नमन हॉटेल लिमिटेड, रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी आणि अन्य लीजधारकांनी थकबाकी न भरता जारी केलेल्या नोटीस विरोधात न्यायालयात दाखल केलेल्या दाव्याविरोधात एमएमआरडीए प्रशासनाला वकीलांवर आलेल्या खर्चाची माहिती मागितली होती. 

एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांस कळविले की या प्रकरणात विविध खटल्यात एमएमआरडीए प्रशासनाने रु 1.09 कोटी वकिलांना अदा केले आहे. यात 96.43 लाख ही सर्वाधिक रक्कम ही रघुलीला हॉटेल्स प्रायव्हेट लिमिटेड यांच्या विरोधात दाखल खटल्यात झाली आहे. या खटल्यात एमएमआरडीए तर्फे केके वेणूगोपाल तर विरोधात हरीश साळवे, मुकुल रोतगी सारखे नामवंत कौन्सिल आमने सामने उभे राहिले होते. मराठा आरक्षण आंदोलनाची केस लढणारे आशुतोष कुंभकोणी यांनीही एका सुनावणीसाठी 1.50 लाखांचे शुल्क घेतले होते पण कोणत्याही प्रकारचा दिलासा एमएमआरडीए प्रशासनाला मिळाला नाही तर प्रत्येक सुनावणीत लाखों रुपये एमएमआरडीएने अक्षरशः पाण्यासारखे खर्च केले आहे.

अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे तसेच एमएमआरडीए आयुक्त आर ए राजीव यांना पाठविलेल्या पत्रात नमूद केले आहे की लवचिक धोरणामुळे लीजधारक यांस न्यायालयात जाण्याची संधी मिळाली कारण वेळेत एमएमआरडीए तर्फे कार्यवाही झाली नाही. नामवंत वकिलांची फौज सुद्धा कुचकामी ठरल्याने थकबाकीची वसूलीऐवजी जनतेच्या करातून जमलेल्या पैसे खर्च झाल्याची खंत गलगली यांनी व्यक्त केली आहे. एकाच कंपनीला खटला हरल्यानंतरही कायम का ठेवण्यात आले आणि खाजगी कंपनी का वगळली नाही? असा प्रश्न गलगली यांनी विचारला आहे.

Sunday 4 October 2020

मुंबई अग्निशमन दलात नवीन भरतीसाठी आयुक्तांनी दिली परवानगी

मुंबई अग्निशमन दलात नवीन भरतीसाठी महापालिका आयुक्तांनी परवानगी दिली असून आता लवकरच रिक्त पदे भरली जाणार आहेत. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या पाठपुराव्यानंतर नवीन भरतीसाठी मुंबई अग्निशमन दल सज्ज झाले आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी माहिती अधिकारातून रिक्त पदाची माहिती समोर आणत याबाबतीत दिनांक 6 सप्टेंबर 2020 रोजी लेखी तक्रार केली होती. मुंबई अग्निशमन दलाने अनिल गलगली यांस कळविले आहे की मुंबई महापालिकेने दिनांक 30 सप्टेंबर 2019 रोजी जारी केलेल्या परिपत्रकामुळे रिक्त पदे भरता आलेली नव्हती. दिनांक 9 सप्टेंबर 2020 रोजी महापालिका आयुक्तांनी नवीन भरतीवर लावण्यात आलेल्या निर्बंधापासून अग्निशमन खाते वगळण्यात मान्यता दिली आहे.

आजच्या घडीला मुंबई अग्निशमन दलात 25 टक्के पदे रिक्त असून यामुळे कामकाजावर परिणाम होत आहे. अनिल गलगली यांच्या पाठपुराव्यानंतर मुंबई अग्निशमन दलाचे प्रमुख अग्निशमन अधिकारी शशिकांत काळे यांनी व्यक्तिशः प्राधान्य दिले आहे. मुंबई  अग्निशमन दल ही अत्यावश्यक सेवा असून रिक्त पदे भरल्यानंतर कामकाजास वेग येईल, अशी प्रतिक्रिया अनिल गलगली यांनी दिली.

मुंबई फायर ब्रिगेड में नई भर्ती के लिए आयुक्त ने दी अनुमति

मुंबई फायर ब्रिगेड में नई भर्ती के लिए मनपा आयुक्त ने अनुमति दे दी है और रिक्त पदों को जल्द ही भरा जाएगा। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने शिकायत करने के बाद मुंबई फायर ब्रिगेड एक नई भर्ती के लिए तैयार है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने 6 सितंबर, 2020 को एक लिखित शिकायत दर्ज की थी, जिसमें आरटीआई के माध्यम से रिक्त पदों की जानकारी दी गई थी। मुंबई फायर ब्रिगेड ने अनिल गलगली को सूचित किया है कि 30 सितंबर, 2019 को मुंबई महानगरपालिका द्वारा जारी एक परिपत्रक के कारण रिक्त पद नहीं भरे जा सकते हैं। 9 सितंबर, 2020 को, मनपा आयुक्त इकबालसिंह चहल ने नई भर्तियों पर लगाए गए प्रतिबंधों से अग्निशमन विभाग को हटाने की मंजूरी दी।

वर्तमान में, मुंबई फायर ब्रिगेड में 25 प्रतिशत पद रिक्त हैं, जिससे परिचालन प्रभावित हो रहा है। अनिल गलगली ने आरटीआई और शिकायत करने के बाद, मुंबई फायर चीफ शशिकांत काले ने व्यक्तिगत रूप से प्राथमिकता दी है। मुंबई फायर ब्रिगेड एक आवश्यक सेवा है और रिक्त पदों को भरने के बाद काम में तेजी लाई जाएगी। ऐसा विश्वास अनिल गलगली ने जताया।

बेस्ट ने लॉकडाउन के दौरान राज्य के मंत्रियों को बिजली का बिल ही नहीं भेजा

एक सर्वविदित तथ्य है कि मुंबई में बिजली आपूर्ति कंपनी बेस्ट ने लॉकडाउन में आम जनता को अत्यधिक रकम वाले बिजली बिल भेजे थे, लेकिन उसी बेस्ट प्रशासन ने लॉकडाउन अवधि के दौरान राज्य के मंत्रियों को 4 से 5 महीने के बिजली के बिल नहीं भेजे हैं, यह चौंकाने वाली जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को लोक निर्माण विभाग ने दी है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मार्च, अप्रैल, मई, जून और जुलाई में राज्य के मंत्रियों के बंगलों पर भेजे जाने वाले बिजली बिलों के बारे में जानकारी मांगी थी। अनिल गलगली को लोक निर्माण विभाग के दक्षिण उप-विभाग द्वारा सूचित किया गया था कि कोविड 19 महामारी के लॉकडाउन के कारण, इस कार्यालय में बिजली का बिल नहीं मिला। 17 बंगलों में से सिर्फ 10 बंगले का जुलाई महीने का बिजली का बिल प्राप्त हुआ है। अनिल गलगली को उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों में महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति डॉ नीलम गो-है और मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार अजोय मेहता के अलावा राज्य के 15 मंत्रियों सहित 17 बंगलों की जानकारी है।

इन 15 में से, 5 मंत्रियों के बंगलों को पिछले 5 महीनों से बिजली का बिल प्राप्त नही हुआ है। इनके नाम दादाजी भुसे, केसी पाडवी, अमित देशमुख, हसन मुश्रीफ और संजय राठौड है। तो पिछले 4 महीनों से जिन 10 मंत्रियों के बंगले के बिजली का बिल प्राप्त नहीं हुआ है। इनमें डॉ जितेंद्र आव्हाड, आदित्य ठाकरे, धनंजय मुंडे, विजय वडेट्टीवार, उदय सामंत, वर्षा गायकवाड़, गुलाबराव पाटिल, संदीप भुमरे, एड अनिल परब, बालासाहेब पाटिल के नाम शामिल हैं। यहां तक ​​कि डॉ नीलम गो-हे और अजोय मेहता जिस बंगले में निवास करते है उस बंगले को भी गत पांच महीनों से किसी भी तरह का बिजली का बिल भेजा नहीं गया है।

अनिल गलगली के अनुसार, राज्य भर में लॉकडाउन के कारण बिजली बिल के बारे में बड़ी संख्या में शिकायतें हैं। दूसरी ओर, यह आश्चर्यजनक है कि मंत्री के बंगले पर कोई बिजली बिल नहीं भेजा गया। अगर बिजली का बिल समय पर नहीं मिलता है, तो ग्राहकों को अपने दम पर ऑनलाइन जाकर बिजली बिल को प्राप्त कर भुगतान करना होता है लेकिन मुंबई की बेस्ट बिजली कंपनी ने बिल न भेजकर अपरोक्ष तौर पर मंत्रियों पर मेहरबानी करने का काम करने की टिप्पणी अनिल गलगली ने व्यक्त की है। 

Municipal Commissioner gives permission for new recruitment in Mumbai Fire Brigade

The Municipal Commissioner has given permission for new recruitment in the Mumbai Fire Brigade and the vacancies will be filled soon. The Mumbai Fire Brigade is ready for a new recruitment after the pursuing of RTI Activist Anil Galgali.

Anil Galgali, an RTI activist, had lodged a written complaint on September 6, 2020, alleging vacancy in Mumbai Fire brigade information through RTI. The Mumbai Fire Brigade has informed Anil Galgali that the vacancies could not be filled due to a circular issued by the Mumbai Municipal Corporation on September 30, 2019. On September 9, 2020, the Municipal Commissioner Iqbal Singh Chahal approved the removal of the fire department from the restrictions imposed on new recruits.

At present, 25 per cent posts are vacant in the Mumbai Fire Brigade, which is affecting operations. After Anil Galgali's pursuing, Mumbai Fire Chief Shashikant Kale has personally given priority. Mumbai Fire Brigade is an essential service and the work will be expedited after filling the vacancies, said Anil Galgali.

Saturday 26 September 2020

बेस्ट ने लॉकडाउन के दौरान राज्य के मंत्रियों को बिजली का बिल ही नहीं भेजा

एक सर्वविदित तथ्य है कि मुंबई में बिजली आपूर्ति कंपनी बेस्ट ने लॉकडाउन में आम जनता को अत्यधिक रकम वाले बिजली बिल भेजे थे, लेकिन उसी बेस्ट प्रशासन ने लॉकडाउन अवधि के दौरान राज्य के मंत्रियों को 4 से 5 महीने के बिजली के बिल नहीं भेजे हैं, यह चौंकाने वाली जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को लोक निर्माण विभाग ने दी है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मार्च, अप्रैल, मई, जून और जुलाई में राज्य के मंत्रियों के बंगलों पर भेजे जाने वाले बिजली बिलों के बारे में जानकारी मांगी थी। अनिल गलगली को लोक निर्माण विभाग के दक्षिण उप-विभाग द्वारा सूचित किया गया था कि कोविड 19 महामारी के लॉकडाउन के कारण, इस कार्यालय में बिजली का बिल नहीं मिला। 17 बंगलों में से सिर्फ 10 बंगले का जुलाई महीने का बिजली का बिल प्राप्त हुआ है। अनिल गलगली को उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों में महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति डॉ नीलम गो-है और मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार अजोय मेहता के अलावा राज्य के 15 मंत्रियों सहित 17 बंगलों की जानकारी है।

इन 15 में से, 5 मंत्रियों के बंगलों को पिछले 5 महीनों से बिजली का बिल प्राप्त नही हुआ है। इनके नाम दादाजी भुसे, केसी पाडवी, अमित देशमुख, हसन मुश्रीफ और संजय राठौड है। तो पिछले 4 महीनों से जिन 10 मंत्रियों के बंगले के बिजली का बिल प्राप्त नहीं हुआ है। इनमें डॉ जितेंद्र आव्हाड, आदित्य ठाकरे, धनंजय मुंडे, विजय वडेट्टीवार, उदय सामंत, वर्षा गायकवाड़, गुलाबराव पाटिल, संदीप भुमरे, एड अनिल परब, बालासाहेब पाटिल के नाम शामिल हैं। यहां तक ​​कि डॉ नीलम गो-हे और अजोय मेहता जिस बंगले में निवास करते है उस बंगले को भी गत पांच महीनों से किसी भी तरह का बिजली का बिल भेजा नहीं गया है।

अनिल गलगली के अनुसार, राज्य भर में लॉकडाउन के कारण बिजली बिल के बारे में बड़ी संख्या में शिकायतें हैं। दूसरी ओर, यह आश्चर्यजनक है कि मंत्री के बंगले पर कोई बिजली बिल नहीं भेजा गया। अगर बिजली का बिल समय पर नहीं मिलता है, तो ग्राहकों को अपने दम पर ऑनलाइन जाकर बिजली बिल को प्राप्त कर भुगतान करना होता है लेकिन मुंबई की बेस्ट बिजली कंपनी ने बिल न भेजकर अपरोक्ष तौर पर मंत्रियों पर मेहरबानी करने का काम करने की टिप्पणी अनिल गलगली ने व्यक्त की है। 

लॉकडाउन कालावधीत बेस्ट तर्फे राज्याच्या मंत्र्यांना विद्युत देयके पाठविलीच नाही

मुंबई शहरात वीज पुरवठा करणारी बेस्ट वीज कंपनीने सामान्य नागरिकांना लॉकडाउनमध्ये जादा रक्कमेची विद्युत देयके पाठविल्याची तक्रार सर्वश्रुत आहे पण त्याच बेस्ट प्रशासनाने राज्यातील मंत्र्यांना लॉकडाउन कालावधीतील 4 ते 5 महिन्याची विद्युत देयकेच पाठविली नसल्याची धक्कादायक माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस सार्वजनिक बांधकाम विभागाने दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी सार्वजनिक बांधकाम विभागाकडे राज्यातील मंत्री, राज्यमंत्री यांच्या बंगल्यावर माहे मार्च, एप्रिल, मे ,जून आणि जुलै महिन्यात आलेल्या विद्युत देयकाची माहिती विचारली होती. सार्वजनिक बांधकाम विभागाच्या दक्षिण उपविभागातर्फे अनिल गलगली यांस कळविण्यात आले की कोविड 19 महामारीच्या लॉकडाउनमुळे विद्युत देयके या कार्यालयात प्राप्त झालेली नाहीत. 17 पैकी 10 बंगल्याची माहे जुलैची देयके प्राप्त झालेली आहेत.

अनिल गलगली यांस उपलब्ध करुन दिलेल्या कागदपत्रात 17 बंगल्याची माहिती असून यात महाराष्ट्र विधानपरिषदेच्या उपसभापती डॉ नीलम गो-हे आणि मुख्यमंत्र्यांचे प्रधान सल्लागार अजोय मेहता यांचा अपवाद सोडता 15 राज्याचे मंत्री आहेत. 

या 15 पैकी 5 मंत्र्यांच्या बंगल्याची मागील 5 महिन्याचे देयके प्राप्त झाली नाहीत. यात  दादाजी भुसे, के सी पाडवी, अमित देशमुख, हसन मुश्रीफ आणि संजय राठोड यांनी नावे आहेत. तर ज्या 10 मंत्र्यांचे मागील 4 महिन्याचे देयके प्राप्त झाली नाहीत. यात डॉ जितेंद्र आव्हाड, आदित्य ठाकरे, धनंजय मुंडे, विजय वडेट्टीवार, उदय सामंत, वर्षा गायकवाड, गुलाबराव पाटील, संदीप भुमरे, एड अनिल परब, बाळासाहेब पाटील यांच्या नावाचा समावेश आहे. डॉ नीलम गो-हे आणि अजोय मेहता यांना सुद्धा मागील पाच महिन्याचे विद्युत देयके पाठविण्याची तसदी बेस्ट प्रशासनाने घेतली नाही.

अनिल गलगली यांच्या मते राज्यात सर्वत्र लॉकडाउनमुळे विद्युत देयकांबाबत तक्रारी मोठ्या प्रमाणावर असून एका मागोमाग देयके पाठविली गेली आहेत. तर दुसरीकडे मंत्र्यांच्या बंगल्याना विद्युत देयकेच पाठविली नसल्याचे आश्चर्यच आहे. देयके वेळेवर न मिळाल्यास ग्राहकांनी स्वतःहुन ऑनलाईन वर जात देयक अदा करण्याची प्रक्रिया असून बेस्ट प्रशासनाने मंत्र्यांवर मेहरबानी केली असल्याचे मत गलगली यांनी व्यक्त केले आहे.

Wednesday 23 September 2020

वस्त्रोद्योग आणि मुंबईची प्रगती याचा लेखाजोखा मांडणारा इतिहास "टेक्सटाईल म्युझियम"च्या रूपात मांडला जाणार

इंडिया युनायटेड मिलची मुंबई महापालिकेच्या ताब्यात आलेल्या जागेवर असलेल्या शंभर वर्षांपूर्वीच्या गिरणीच्या इमारतींपैकी "हेरिटेज दर्जा" असलेल्या इमारतींचे मूळ रूपात संवर्धन केले जाणार आहे. त्यामध्ये वस्त्रोद्योग आणि त्या अनुषंगाने मुंबई शहराने केलेली प्रगती याचा लेखाजोखा मांडणारा इतिहास पुढील पिढ्यांसाठी "टेक्सटाईल म्युझियम"च्या रूपात मुंबई महानगरपालिकेच्या "पुरातन वास्तूजतन विभागामार्फत" मांडला जाणार आहे. टप्प्याटप्प्याने पूर्ण होणाऱ्या कामास कोव्हीडमुळे जरी ब्रेक लागला असला तरी डिसेंबर 2020 पर्यंत 3 पैकी पहिल्या टप्प्याचे काम पूर्ण होणार असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस बृहन्मुंबई महानगरपालिकेने दिली आहे. जलपटावर मुंबई व कापड गिरणीचा इतिहास प्रदर्शित होणार असून सर जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर प्रमुख भूमिका निभावित आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी बृहन्मुंबई महानगरपालिकेकडे निर्माणधीन टेक्सटाईल म्युजियमची विविध माहिती मागितली होती. वरिष्ठ पुरातन वास्तू जतन अभियंता संजय आढाव यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की प्रथम टप्प्याचे काम युद्धस्तरावर सुरु असून सद्यस्थितीत कोव्हीड 19 च्या प्रादुर्भावामुळे सहा महिन्यांच्या वाढीव कालावधी म्हणजे डिसेंबर 2020 पर्यंत देण्यात आलेला आहे. 

टप्पा 1 अ चे काम 15 जानेवारी 2019 रोजी सुरु झाले असून यात तळे व सभोतालचा परिसर सुशोभिकरण करुन बहुउद्देशीय प्लाझा व वस्त्रोद्योगावर म्युरल बनविण्यात येणार आहे., यावर 6.03 कोटी खर्च येणार असून आजमितीला 1.27 कोटी रुपये कंत्राटदार  मेसर्स सवानी कन्स्ट्रक्शन कंपनीला अदा करण्यात आले आहे. आजमितीला बहुउद्देशीय प्लाझाचे बांधकाम सुरु आहे.

टप्पा 1 ब अंतर्गत विविध प्रकारच्या नळीच्या तोंडाद्वारे संगीत कारंजे निर्माण करून जलपटावर मुंबई व कापड गिरणीचा यांचा इतिहास प्रदर्शित करण्याकरिता लघुपट तयार करणे, प्रदर्शन करणे व पुढील 4 वर्षे प्रचलन व परिरक्षित करण्याचे काम आहे. सदर 4 वर्षाकरिता एकूण 28 विविध लघुपट निर्माण करुन जलपटावर प्रदर्शित करण्याचे काम आहे. हे काम 13 नोव्हेंबर 2019 रोजी सुरु झाले असून एकूण खर्च 23.57 कोटी रुपये इतके आहे. सदर काम मेसर्स देव एस व्ही प्रीमियम वर्ल्ड कन्सोटियम आहे. आजमितीला संगीत कारंज्यासाठी लागणारे सामान तयार करणे व पुरवठा करण्याचे काम पूर्ण झाले आहे.

दोन्ही कामात आर्किटेक्ट आणि सल्लागार सर जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर आहेत. पहिल्या कामाचे शुल्क 30.15 लाख रुपये असून त्यापैकी 15.67 लाख रुपये अदा करण्यात आले आहे., तर दुसऱ्या कामाचे शुल्क 1.18 कोटी रुपये असून त्यापैकी 47.15 लाख रुपये अदा करण्यात आले आहे.

टप्पा क्रमांक 2 साठीची निविदा प्रक्रिया प्रशासकीय मंजूरीच्या प्रतिक्षेत असून सल्लागार सर जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर यांनी अंदाजित 268 कोटी रुपयांच्या निविदा तयार केली आहे. त्यासाठी एकूण सल्लागार शुल्क 13.40 कोटी रुपये इतके असून आतापर्यंत 2.01 कोटी रुपये शुल्क अदा करण्यात आले आहे. तर तिसऱ्या टप्प्यात म्युजियमचे प्रत्यक्ष काम सुरु होईल.

वर्ष 1890 ला इंडिया युनायटेड मिल बांधली गेली असून या गिरणीचे आगळेवेगळे महत्व आहे. बृहन्मुंबई महानगरपालिकेने त्यांच्या वाटयाला आलेल्या 44 हजार चौरस मीटर जागेवर  टेक्सटाईल म्युजियम बांधण्यास सुरवात केली असून भविष्यात हे एक रमणीय स्थळ बनेल. मुंबई आणि कापड गिरणीचा इतिहास सोबत लघुपटाचा आनंद मनसोक्त घेता येईल, असे मत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले आहे.

कपड़ा उद्योग और मुंबई का लेखा इतिहास एक "वस्त्र संग्रहालय" के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा

मुम्बई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के स्वामित्व वाली इंडिया यूनाइटेड मिल्स की 100 साल पुरानी मिल इमारतों के बीच "विरासत की स्थिति" वाली इमारतों को उनके मूल रूप में संरक्षित किया जाएगा।  इसमें, कपड़ा उद्योग का इतिहास और उस संबंध में मुंबई शहर द्वारा की गई प्रगति को "वस्त्र संग्रहालय" के रूप में अगली पीढ़ी को "मुंबई नगर निगम के पुरातत्व विभाग" के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा। मुंबई मनपा ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सूचित किया है कि तीन चरणों में से पहला चरण दिसंबर 2020 तक पूरा हो जाएगा, हालांकि चरणबद्ध तरीके से पूरा होने वाला काम कोरोना के कारण रुका हुआ है। मुंबई और कपड़ा मिलों के इतिहास को वाटर स्क्रीन पर प्रदर्शित किया जाएगा और सर जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर प्रमुख भूमिका निभा रहा है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा से निर्माणाधीन कपड़ा संग्रहालय के बारे में विभिन्न जानकारी मांगी थी। वरिष्ठ पुरातत्व संरक्षण अभियंता संजय जाधव ने अनिल गलगली को सूचित किया कि युद्ध स्तर पर पहले चरण का काम चल रहा है और वर्तमान में कोविड 19 के प्रकोप के कारण दिसंबर 2020 तक छह महीने का विस्तार दिया गया है। 

चरण 1 अ पर काम 15 जनवरी, 2019 से शुरू हो गया है और यह तालाब और आसपास के क्षेत्र को सुशोभित करेगा और बहुउद्देश्यीय प्लाजा और कपड़ा उद्योग पर एक भित्ति चित्र बना देगा। इस पर 6.03 करोड़ रुपये की लागत आएगी और अब तक 1.27 करोड़ रुपये का भुगतान ठेकेदार मेसर्स सवानी कंस्ट्रक्शन कंपनी को किया गया है। बहुउद्देश्यीय प्लाजा का निर्माण चल रहा है।

चरण 1 बी में मुंबई के इतिहास को दिखाने के लिए एक लघु फिल्म का निर्माण, स्क्रीनिंग और संचलन शामिल है और विभिन्न प्रकार के ट्यूब माउथ के माध्यम से संगीतमय फव्वारा बनाकर वाटरफ्रंट पर कपड़ा मिलों का निर्माण किया जाएगा। इन 4 वर्षों के लिए, पानी की स्क्रीन पर कुल 28 अलग-अलग लघु फिल्मों का निर्माण और प्रदर्शन किया गया है। यह काम 13 नवंबर, 2019 को कुल 23.57 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुआ। यह काम मेसर्स देव एसवी प्रीमियम वर्ल्ड कंसोर्टियम कर रहा है। आज, संगीत फव्वारे के लिए आवश्यक उपकरण बनाने और आपूर्ति करने का काम पूरा हो गया है।

दोनों कार्यों में वास्तुकार और सलाहकार सर जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर हैं। पहले काम के लिए शुल्क 30.15 लाख रुपये है, जिसमें से 15.67 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। दूसरे काम का शुल्क 1.18 करोड़ रुपये है, जिसमें से 47.15 लाख रुपये का भुगतान किया गया है।

चरण  2 के लिए निविदा प्रक्रिया को प्रशासनिक मंजूरी का इंतजार है और कंसल्टेंट सर जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर ने अनुमानित 268 करोड़ का टेंडर तैयार किया है। कुल सलाहकार शुल्क 13.40 करोड़ रुपये है और अब तक 2.01 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। तीसरे चरण में, संग्रहालय का वास्तविक कार्य शुरू होगा।

इंडिया यूनाइटेड मिल का निर्माण वर्ष 1890 में हुआ था और इसका एक विशेष महत्व है। मुंबई मनपा ने आवंटित 44,000 वर्ग मीटर भूमि पर एक कपड़ा संग्रहालय का निर्माण शुरू किया है, जो भविष्य में एक सुंदर जगह होगी। अनिल गलगली ने राय व्यक्त की है कि कोई भी मुंबई और कपड़ा मिलों के इतिहास के साथ लघु फिल्म का आनंद ले सकता है।

Textile industry and accounting history of Mumbai will be presented in a "Textile Museum"

Buildings with "heritage status" among the 100-year-old mill buildings of India United Mills owned by Brihanmumbai Municipal Corporation will be preserved in their original form. In this, the history of the textile industry and the progress made by the city of Mumbai in that regard will be presented to the next generation as a "Textile Museum" through the "Archaeological Department of BMC. BMC has informed RTI Activist Anil Galgali that the first phase of the three phases will be completed by December 2020, though the work completed in a phased manner is currently halted due to covid outbreak. The history of Mumbai and textile mills will be displayed on the water screen and Sir JJ School of Architecture is playing a major role in this initiative.

RTI activist Anil Galgali had sought various information about the textile museum under construction from BMC. Senior archaeological protection engineer Sanjay Jadhav informed Galgali that the first phase of work is underway on war footing and at present a six month extension has been given till December 2020 due to the Covid-19.

Work on phase 1A has started from January 15, 2019 and will beautify the pond and surrounding area and create a mural on the multi-purpose plaza and textile industry. It will cost Rs 6.03 crore and Rs 1.27 crore has been paid to contractor M/s Sawani Construction Company so far. Construction of multi-purpose plaza is in progress.

Phase 1B involves the production, screening and circulation of a short film to show the history of Mumbai and textile mills will be constructed on the waterfront by creating a musical fountain through a variety of tube mouth. For these 4 years, a total of 28 different short films have been produced and performed on the water screen. The work started on November 13, 2019 at a total cost of Rs 23.57 crore. This work is being done by M/s Dev SV Premium World Consortium. Today, the work of creating and supplying the necessary equipment for the music fountains is complete.

Sir JJ School of Architecture is working as architect for both the works. The fee for the first work is Rs 30.15 lakh, out of which Rs 15.67 lakh has been paid. The second work fee is Rs 1.18 crore, out of which Rs 47.15 lakh has been paid.

The tendering process for Phase 2 is awaiting administrative sanction and consultant Sir JJ School of Architecture has prepared an estimated tender of Rs 268 crore. The total advisory fee is Rs 13.40 crore and Rs 2.01 crore has been paid so far. In the third phase, the actual work of the museum will commence.

The India United Mill was built in the year 1890 and has a special significance. BMC has started construction of a textile museum on 44,000 sq m of land allotted, which will be a beautiful place in the future. Anil Galgali has opined that anyone can enjoy a short film with the history of Mumbai and textile mills.

Wednesday 16 September 2020

कुर्ला स्टेशन को मेट्रो लाइन 2 बी से हटाया

मुंबई महानगर में मेट्रो नेटवर्क के विस्तार के लिए काम चल रहा है। इस परियोजना के तहत मेट्रो लाइन 2B डी एन नगर से मंडाला के बीच कुर्ला स्टेशन को हटाया गया है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एमएमआरडीए के महानगर आयुक्त आरए राजीव को पत्र लिखकर मांग की है कि कुर्ला स्टेशन को इस लाइन से नही हटाया जाए।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली के अनुसार, मेट्रो लाइन 2 बी पश्चिमी और पूर्वी उपनगरों को जोड़ती है और कुर्ला स्टेशन महत्वपूर्ण है। मेट्रो 2 बी के डीपीआर और टेंडर में कुर्ला स्टेशन प्रस्तावित था लेकिन अब इस स्टेशन को हटाया जा रहा है। अन्य बीकेसी स्टेशनो का विलय किया जा रहा है, लेकिन कुर्ला को सीधे तौर पर हटाया जा रहा है। कुर्ला स्टेशन यह कुर्ला टर्मिनस के लिए महत्वपूर्ण है।

यदि एमएमआरडीए के इरादे वास्तव में ईमानदार हैं, तो सार्वजनिक नोटिस देकर सार्वजनिक सुझावों, आपत्तियों और सूचनाओं को क्यों नहीं आमंत्रित किया गया?  यह सवाल गलगली ने अपने पत्र के किया है। इसके अलावा एमएमआरडीए ने 2B मेट्रो को रेलवे टर्मिनस से जोड़ने को प्राथमिकता क्यों नहीं दी? यह एक जांच का विषय है और यह समझ में नहीं आता है कि कुर्ला स्टेशन को क्यों हटाया जा रहा है।

मेट्रो लाईन 2 बी मधून कुर्ला स्टेशन वगळले

मुंबई महानगरात मेट्रोचे जाळे पसरविण्याचे काम सुरु आहे. या प्रकल्पाच्या अंतर्गत मेट्रो लाईन 2 बी डी एन नगर ते मंडाळे यामधील कुर्ला स्टेशन वगळण्यात आले आहे. माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तसेच एमएमआरडीएचे महानगर आयुक्त आर ए राजीव यांस पत्र पाठवून  कुर्ला स्टेशन न वगळण्याची मागणी केली आहे. 

माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या तक्रारीनुसार मेट्रो लाईन 2 बी ही पश्चिम आणि पूर्व उपनगरांला जोडणारी असून कुर्ला स्टेशन हे महत्वाचे आहे. मेट्रो 2 बी चा DPR आणि निविदेत कुर्ला स्टेशन आहे पण आता हे स्टेशन वगळण्यात येत आहे. अन्य बीकेसी स्टेशन हे एकत्रित करण्यात येत आहे पण कुर्ला हे सरळसरळ वगळण्यात येत आहे. कुर्ला स्टेशन हे कुर्ला टर्मिनससाठी महत्वाचे आहे. 

एमएमआरडीएचा हेतू खरोखरच प्रामाणिक असेल तर मग जाहीर नोटीस देऊन जनतेच्या सूचना, हरकती आणि आक्षेप का मागविले नाही? असा सवाल गलगली यांचा आहे. तसेच रेल्वे टर्मिनसला 2 बी मेट्रोची जोडण्यासाठी एमएमआरडीएने प्राधान्य का दिले नाही? ही चौकशीची बाब असून कुर्ला स्टेशन का वगळण्यात आले ही बाब अनाकलनीय आहे. 

25% posts of officers and personnel vacant in Mumbai fire brigade

At a time when incidents of fire taking place in Mumbai Metropolis every month shooting up and Mumbai fire brigade is in the process of making itself high tech, but the gloomy fact remains the same that this force is being run with only 75 per cent staffers and officers. With 25 per cent posts remain vacant in this force, it feels helpless and hapless to discharge its duties effectively. The revelation of 25 per cent posts vacant in this force has come through an RTI query filed by RTI Activist Anil Galgali. 

RTI Activist Anil Galgali sought information from the Mumbai fire brigade about sanctioned posts, working posts and vacant posts in the department. The Mumbai fire brigade told Anil Galgali that there are 14 types of posts filled with 3694 perssonels for direct action. Out of these, 2760 posts are presently functioning while 934 posts are vacant. 

Most of these posts are of the fire extinguishers. Out of 2340 posts, 604 posts are vacant. Thereafter, the posts of 159 Machine driver  are vacant. The posts of 69 Chief Fire Extinguishers, 66 Junior officers, 17 Senior Centre Officers, 10  Centre Officers are vacant. The post of Deputy Chief Technical Officer also vacant. 

The Mumbai Fire Brigade workshop has 29 types of 125 posts out of which 62 posts are vacant and 66 posts are employed. The workshop is important wing of the fire brigade and has indirect links with the force. 

Anil Galgali expressed surprise at the 25 per cent vacancy as it is an important department as well as an important wing to ensure safety and security of Mumbaikars. So he has written letter to Chief Minister Uddhav Thackeray and BMC Commissioner demanding this department should be given utmost priority and therefore the vacant post must be filled immediately so that Mumbaikars safety and security are not compromised.

Sunday 6 September 2020

मुंबई अग्निशमन दलातील 25 टक्के अधिकारी व जवानांची रिक्त पदे

दरवर्षी मुंबईत वाढत्या आगीच्या घटनांचा विचार करता मुंबई अग्निशमन दलास हायटेक बनवल्याची चर्चा आहे, तर सत्यता अशी आहे की मुंबईकरांच्या जीविताचे आणि मालमत्तेचे रक्षण करणारी मुंबई अग्निशमन दल रिक्त पदांमुळे असहाय होत चालला आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई अग्निशमन दलाच्या पथकाने मुंबईतील अग्निशमन दलातील 25 टक्के अधिकारी व कर्मचारी यांच्या रिक्त जागांची माहिती दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई अग्निशमन दलातील एकूण मंजूर पदे, कार्यरत पदे आणि रिक्त जागा बाबत मुंबई अग्निशमन दलाकडे माहिती मागितली होती. मुंबई अग्निशमन दलाने अनिल गलगली यांना सांगितले की, थेट कारवाईसाठी 14 प्रकारचे 3694 पदे  आहेत. त्यापैकी 2760 पदे सध्या कार्यरत आहेत, तर 934 पदे रिक्त आहेत. सर्वाधिक रिक्त पदे ही अग्निशामकाची आहे. यात 2340 पैकी 604 पदे रिक्त आहेत. यानंतर 159 चालक यंत्रचालकाचे पद रिक्त आहे. 69 प्रमुख अग्निशामक, 66 दुय्यम अधिकारी, 17 वरिष्ठ केंद्र अधिकारी, 10 केंद्र अधिकारी यांची पदे रिक्त आहेत. उपमुख्य तांत्रिक अधिकारी हे पद सुद्धा रिक्त आहे.

या व्यतिरिक्त मुंबई अग्निशमन दलाच्या कार्यशाळेमध्ये 29 प्रकारची 125 पदे आहेत, त्यापैकी 62 पदे रिक्त आहेत आणि 66 पदावर कर्मचारी कार्यरत आहेत. मुंबई अग्निशमन दलात कार्यशाळा ही महत्वाची असते व त्याचा अप्रत्यक्ष संबंध असतो.

अनिल गलगली यांनी 25 टक्के रिक्ततेवर आश्चर्य व्यक्त केले कारण मुंबई अग्निशमन दल हा महत्त्वाचा विभाग तसेच मुंबईकरांच्या सुरक्षेचा एक महत्त्वाचा भाग आहे. गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे आणि पालिका आयुक्तांना पत्र लिहून सरकार तसेच पालिकेने  यास प्राधान्य द्यावे आणि लवकरात लवकर रिक्त पदे भरण्याची मागणी केली आहे.