Sunday 31 May 2020

सीएम रिलीफ फंड कोविड 19 अकाउंट में जमा हुआ 342 करोड़, कोविड पर खर्च किया सिर्फ 23.82 करोड़

महाराष्ट्र के सीएम रिलीफ फंड कोविड 19 अकाउंट में दानदाताओं ने की हुई मदद से 342 करोड़ रुपए जमा हुए जबकि जिस कोविड के नाम पर दान दिया गया उसपर सिर्फ 23.82 करोड़ खर्च करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सीएम रिलीफ फंड की ओर से दी गई हैं। ताज्जुब की बात यह हैं कि सबसे अधिक धनराशि 55.20 करोड़ की रकम प्रवासी मजदूरों की यात्रा पर खर्च हुई हैं। वही 80 लाख रुपए औरंगाबाद रेल दुर्घटना के प्रभावितों को दिए गए हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने रिलीफ फंड कोविड 19 अकाउंट में जमा हुई कुल धनराशि और आबंटित धनराशि का ब्यौरा मांगा था। सीएम रिलीफ फंड के सहायक लेखाधिकारी मिलिंद क़ाबाडी ने अनिल गलगली को जमा और आबंटित धनराशि का ब्यौरा दिया। 18 मई 2020 तक कुल रु 342.01 करोड़ की धनराशि जमा हुई हैं। इस धनराशि से कुल रु 79,82,37,070/- रकम खर्च की गई हैं। खर्च हुई धनराशि से कोविड 19 पर सिर्फ रु 23, 82,50,000/- खर्च की गई हैं। इसमें से रु 20 करोड़ सेंट जार्ज अस्पताल,मुंबई को आबंटित किया गया और रु 3,82,50,000/- इतनी रकम मेडिकल शिक्षा और संशोधन विभाग को दी गई हैं। प्रवासी मजदूरों के लिए जो रकम आबंटित की गई हैं उसे राज्य के कलेक्टरों को सौंप दी गई हैं ताकि रेलवे का किराया का भुगतान समय पर हो सकें। इसमें 36 जिला स्थित प्रवासी मजदूरों का किराया रु 53,45,47,070/- बताया गया हैं। रत्नागिरी जिला स्थित मजदूर का रेलवे का किराया रु 1.30 करोड़  और सांगली स्थित मजदूर का रेलवे का किराया रु 44.40 लाख अदा किया गया हैं। औरंगाबाद जिला स्थित रेलवे दुर्घटना में प्रति मृतक व्यक्ति को रु 5 लाख के हिसाब से रु 80 लाख रुपए की आर्थिक मदद सीएम रिलीफ फंड कोविड 19 के अकाउंट से की गई हैं।

अनिल गलगली के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने कोविड 19 को लेकर कुल जमा रकम में से सिर्फ 7 प्रतिशत रकम स्वास्थ्य सेवा पर खर्च की गई हैं। प्रवासी मजदूरों की रेलवे टिकट पर 16 प्रतिशत रकम खर्च की हैं और रेलवे दुर्घटना के मृतकों पर 0.23 प्रतिशत रकम खर्च की हैं। आज भी सीएम रिलीफ फंड में रु 262.28 करोड़ रुपए की धनराशि हैं। अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे को चिठ्ठी लिखकर मांग की हैं कि मनपा, सरकारी अस्पतालों में मेडिकल से जुड़ी सेवाओं की पूर्ति पर पैसे खर्च होते हैं तो निश्चित तौर पर दानदाताओं को भी सुकून मिलेगा कि उनका धन सही काम में इस्तेमाल हुआ हैं।

विशेष रूप से, 28 मार्च, 2020 को महाराष्ट्र सरकार ने कोरोनोवायरस महामारी के प्रभाव से निपटने में सरकार की मदद करने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष कोविड-19 की स्थापना की थी और लोगों से इसमें धन दान करने की अपील की थी। ये दान धारा 80 (जी)) के तहत आयकर से छूट प्राप्त करेंगे। बैंक खाता संख्या 39239591720 है, बैंक कोड 00300 है और IFSC कोड SBIN 0000300 है। कई NGO, कॉरपोरेट और धार्मिक संगठन संकट को दूर करने के लिए राज्य के प्रयासों में योगदान देने के लिए आगे आ रहे हैं।

मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कोविड-19 खात्यात 342 कोटी जमा झाले, कोविडवर फक्त 23.82 कोटी खर्च केले

महाराष्ट्राच्या मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कोविड-19  खात्यात देणगीदारांच्या मदतीने 342 कोटी रुपये जमा करण्यात आले असताना प्रत्यक्षात कोविडच्या नावावर केवळ 23.82 कोटी रुपये खर्च केल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कक्षाने दिली आहे. आश्चर्य म्हणजे परप्रांतीय कामगारांच्या प्रवासासाठी सर्वाधिक 55.20 कोटी रुपये खर्च करण्यात आले आहेत आणि  80 लाख रुपये औरंगाबाद रेल्वेतील अपघातग्रस्तांना देण्यात आले आहेत. 

माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कोविड-19 या खात्यात जमा झालेली एकूण रक्कम आणि वाटप केलेल्या रकमेचा तपशील मागविला होता. मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कक्षाचे सहाय्यक लेखापाल मिलिंद काबाडी यांनी अनिल गलगली यांना एकूण जमा रक्कम व वाटपाची माहिती दिली. 18 मे 2020 पर्यंत एकूण 342.01 कोटी रुपये जमा झाले आहेत. या रक्कमेमधून एकूण 79,82,37,070/-  रुपये इतका खर्च करण्यात आला आहे. खर्च झालेल्या रक्कमेपैकी केवळ 23, 82,50,000 / - रुपये कोविड 19 वर खर्च झाले आहेत. त्यापैकी 20 कोटी रुपये सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल, मुंबईला देण्यात आले असून 3,82,50,000/ - रुपये वैद्यकीय शिक्षण व संशोधन विभागाला देण्यात आले आहेत. 

प्रवासी मजुरांना देण्यात आलेली रक्कम राज्यातील जिल्हाधिका-यांकडे देण्यात आली आहे जेणेकरून रेल्वेचे भाडे वेळेवर देता येईल. यामध्ये  36 जिल्ह्यात स्थलांतरित मजुरांचे रेल्वेचे भाडे, 53,45,47,070/ - इतके आहे. रत्नागिरी जिल्ह्यातील मजुरांसाठी रेल्वेचे भाडे 1.30 कोटी रुपये तर सांगली जिल्ह्यातील मजुरांसाठी रेल्वे भाडे 44.40 लाख रुपये आहे. औरंगाबाद येथील रेल्वे अपघातातील मजुराला प्रत्येकी 5 लाख रुपये याप्रमाणे मृत व्यक्तीला 80 लाख रुपयांची आर्थिक मदत ही मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कोविड-19 या खात्यातून देण्यात आली आहे.

अनिल गलगली यांच्या म्हणण्यानुसार महाराष्ट्र शासनाने कोविड-19 साठी जमा केलेल्या एकूण रक्कमेपैकी केवळ 7 टक्के रक्कम ही आरोग्य सेवांवर खर्च केलेलीआहे. प्रवासी कामगारांच्या रेल्वे तिकिटावर 16 टक्के आणि रेल्वे अपघातग्रस्तांवर 0.23 टक्के रक्कम खर्च केली आहे.

आजही मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कोविड-19 मध्ये 262.28 कोटी रुपये शिल्लक आहेत. अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे यांना पत्र लिहून मागणी केली आहे की, पालिका आणि शासकीय रुग्णालयांमधील वैद्यकीय सेवांच्या पूर्ततेसाठी जर मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कोविड-19 मध्ये जमा झालेली रक्कम खर्च केली गेली तर त्यांचा निधी योग्य कामात वापरल्याचा निश्चितपणे देणगीदारांना दिलासा मिळेल.

उल्लेखनीय म्हणजे, कोरोनाव्हायरस (साथीच्या रोगाचा) साथीच्या आजाराचा सामना करण्यासाठी सरकारला मदत करण्यासाठी महाराष्ट्र सरकारने 28 मार्च 2020 रोजी मुख्यमंत्री मदत निधी कोविड-19 ची स्थापना केली आणि लोकांना पैसे देण्याचे आवाहन केले. या देणग्यांना कलम 80 (जी) अंतर्गत प्राप्तिकर माफी मिळेल. बँक खाते क्रमांक 39239591720 आहे. बँक कोड 00300 आहे आणि आयएफएससी कोड एसबीआयएन 0000300 आहे. अनेक एनजीओ, कॉर्पोरेट्स आणि धार्मिक संस्था संकटावर मात करण्यासाठी राज्याच्या प्रयत्नांना हातभार लावण्यासाठी पुढे येत आहेत.

Maha CM Relief Fund Covid-19 received Rs 342 crore, Spent only Rs 23.82 crore to control it

Maharashtra CM Relief Fund Covid-19 had received Rs 342 crore for in this dedicated account from the donors till 18th May, but surprisingly state government has spent only Rs 23.82 crore so far to control the virus borne deadly disease. This shocking revelation has come through an Right to Information (RTI) query filed by RTI Activist Anil Galgali. According to reply, the highest amount of Rs 55.20 crore has been spent to facilitate the journey of migrant labourers to their respective states while Rs. 80 lakhs were allocated to the victims or relatives of Aurangabad train accident. 

RTI Activist Anil Galgali had sought details of the total amount deposited and the amount allocated in the relief fund Covid 19 account. Milind Kabadi, assistant accountant officer of CM Relief Fund, furnished the details of the deposited and allocated amount. The total amount of Rs. 342.01 crore has been deposited till 18th May 2020 while Rs 79.82 Crore were spent from this fund out of which only Rs 23.82 crore were spent in Covid-19 related arrangements. 
       
Out of this, Rs 20 crores were allotted to St. Georges Hospital, Mumbai and Rs 3,82,50,000 were given to the Department of Medical Education. The amount attributed to the migrant labourers has been transferred to the respective collectors of the state so that the fare of the railways can be paid on time. The fare of migrant labourers located in 36 district has been pegged as Rs 53.45 crore. The railway fare of the labourers from Ratnagiri district has been quoted as Rs 1.30 crore and fare of the Sangli district labourers has been quoted as Rs 44.40 lakh. According to the reply, for the monetary help of labourers of rail accident of Aurangabad district, a financial assistance of Rs. 80 lakh, Rs 5 per deceased person, was provided from the account of Covid-19 CM Relief Fund. 

According to Anil Galgali, the Maharashtra government has spent only 7 per cent of the total deposits on Covid 19 fund on health care. While 16 per cent of the fund was spent on migrant labourers to meet railway fares and 0.23 per cent was spent on the deceased in the railway accident. As on 18th May 2020, the CM Relief Fund Covid-19 had an amount of Rs 262.28 crore in balance. 
         
Anil Galgali has written letter to Chief Minister Uddhav Balasaheb Thackeray demanding to spend Covid-19 fund on improving the healthcare services being offered in BMC and other government hospitals and the supply of medical services. "Only this way, State government can honor the wishes of the donors who came forward in this critical time and donated the money, expecting it will be spent to fight coronavirus pandemic," Galgali reacted.

Notably, the Maharashtra government on March 28, 2020 had set up Chief Minister's relief fund to help the government tackle the impact of the coronavirus pandemic and appealed people to donate money into it. The donations would get income tax waiver under Section 80(g). The bank account number is 39239591720. The bank code is 00300 and IFSC code is SBIN0000300. Several NGOs, corporates and religious organizations have coming forward to contribute to the state's efforts to tackle the crisis.


Friday 29 May 2020

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को कोविड-19 पर खर्च किए गए धन की कोई जानकारी नहीं है

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड-19 के प्रकोप से निपटने के लिए किए गए खर्चों से संबंधित जानकारी साझा करने से इनकार करते हुए कहा है कि इसके पास प्रदान करने के लिए कोई विशेष जानकारी नहीं है। मंत्रालय ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा दायर सूचना के अधिकार (आरटीआई) प्रश्न पर जवाब दिया, जिन्होंने भारत सरकार द्वारा कोविड-19 को नियंत्रित करने और रोकने के संबंध में किए गए खर्च की मांग की थी।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महामारी से निपटने के लिए खरीदे गए उपकरणों और सामग्रियों के नाम और कुल राशि की मांग की थी। आरटीआई दाखिल करने के 22 दिनों के बाद, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने अपने जवाब में कहा कि सीपीआईओ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड से संबंधित मामलों से संबंधित है। जबाब में आगे यह भी कहा गया है कि केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी को ऐसी जानकारी प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है जिसके लिए हस्तक्षेप और / या धारणा बनाने, या जानकारी की व्याख्या करने, या आवेदक द्वारा उठाए गए समस्या को हल करने, या काल्पनिक सवालों के जवाब प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है। विभाग ने आगे कहा कि "मांगी गई जानकारी आरटीआई अधिनियम, २००५ की धारा 2 (एफ) में परिभाषित जानकारी की परिभाषा के तहत नहीं आती है। सीपीआईओ के पास प्रदान करने के लिए कोई विशेष जानकारी नहीं है,"

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का अव्यवसायिक दृष्टिकोण और जबाब पर तेजी से प्रतिक्रिया देते हुए, अनिल गलगली ने कहा कि यदि यह मामला था, तो इनकार का जवाब देने में 22 दिन क्यों लगे।"यह केवल आरटीआई के माध्यम से सुसज्जित नहीं होना चाहिए, लेकिन सभी वित्तीय विवरणों की जानकारी खर्च की जानकारी को वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए, ताकि किसी को खर्च के बारे में आरटीआई दाखिल करने की आवश्यकता न हो," यह गलगली ने कहा।


केंद्रीय आरोग्य मंत्रालयाकडे कोविड -१९ वर खर्च झालेल्या पैशांची माहिती नाही

आरोग्य व कुटुंब कल्याण मंत्रालयाने कोविड १९ च्या उद्रेकाचा सामना करण्यासाठी होणा-या खर्चाशी संबंधित माहिती सामायिक करण्यास नकार दर्शविला असून, “त्यांच्याकडे“ पुरविण्यासंदर्भात कोणतीही विशिष्ट माहिती नाही ”असे म्हटले आहे. भारत सरकारच्या कोविड -१९ वर नियंत्रण ठेवण्यासाठी आणि रोखण्यासाठी केलेल्या खर्चाची मागणी करणा अनिल गलगली यांनी दाखल केलेल्या माहितीच्या अधिकाराच्या (आरटीआय) प्रश्नाला मंत्रालयाने ही प्रतिक्रिया दिली.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी कोविड-१९ साठी विकत घेतलेली उपकरणे व साहित्य यावर केलेला एकूण खर्चाची माहिती मागितली होती. 22 दिवसानंतर आरोग्य व कुटुंब कल्याण विभागाने अनिल गलगली यांनी पाठविलेल्या आपल्या उत्तरात असे म्हटले आहे की सीपीआयओ आरोग्य व कुटुंब कल्याण मंत्रालयाच्या अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्रातील उपक्रम, एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेडशी संबंधित विषयांवर काम करतो.  तसेच केंद्रीय लोक माहिती अधिका-यांना अशी माहिती पुरविणे आवश्यक नाही ज्यामध्ये हस्तक्षेप आणि / किंवा गृहित धरणे आवश्यक आहे किंवा माहितीचे स्पष्टीकरण देणे किंवा अर्जदाराने उपस्थित केलेल्या समस्येचे निराकरण करणे किंवा काल्पनिक प्रश्नांची उत्तरे देणे आवश्यक नाही. “ मागविलेली माहिती आरटीआय अधिनियम २००५ च्या कलम २ (एफ) नुसार परिभाषित केलेल्या माहितीच्या परिभाषेत येत नाही. सीपीआयओला काही विशिष्ट माहिती पुरविण्यास उपलब्ध नाही,” असे विभागाने पुढे उत्तरात असे म्हणाला.

आरोग्य व कुटुंब कल्याण विभागाच्या अव्यवसायिक दृष्टिकोन व त्यानंतर दिलेल्या उत्तरावर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करताना अनिल गलगली म्हणाले की, जर ही बाब असेल तर नकार देण्यास 22 दिवस का लागले. "ही माहिती आरटीआयद्वारेच दिले जाऊ नये तर सर्व वित्तीय तपशील वेबसाइटवर अपलोड केले जावेत जेणेकरुन कोणालाही खर्चाबाबत आरटीआय दाखल करण्याची गरज नाही," अशी प्रतिक्रिया गलगली यांनी व्यक्त केली.



Health Ministry has no info on money spent on Covid-19

Ministry of Health and Family Welfare has denied to share the information related to the expenses incurred to combat the Covid 19 outbreak, saying that it has "no specific information to provide".The ministry responded with this unusual reply to a Right to Information (RTI) query filed by city-based activist Anil Galgali, who had sought the monetary expenses with regards to control and prevent Covid-19 by the Government of India.

In his online query, Anil Galgali had sought the name of the purchased equipment and materials, total amount spent to combat pandemic. After 22 days of filing the query, Department of Health & Family Welfare, in its reply stated that the CPIO deals with the matters relating to HLL Lifecare Limited, a Public Sector Undertaking under the Ministry of Health and Family Welfare.
     
It also said that the Central Public Information Officer is not required to furnish information which requires drawing of interference and/or making of assumption, or to interpret information, or to solve the problem raised by the applicant, or to furnish replies to hypothetical questions. “The information sought does not come under the definition of information as defined in Section 2(f) of RTI Act, 2005. The CPIO has no specific information to provide,” department further said it its reply.
       
Reacting sharply over the unprofessional approach and reply, Galgali said that if it was the matter, then why it took 22 days to reply in denial mode. “It should not only be furnished through RTI, but all the financial details be uploaded on its website, so that no one need to file an RTI to about the expenses,” reacted Galgali.  



Wednesday 27 May 2020

बीएमसी का खतरनाक घोषित हाइड्रोलिक इंजीनियर का बंगला असलम शेख को दिया गिफ्ट

मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी के तहत हाइड्रोलिक इंजीनियर का बंगला महाराष्ट्र सरकार द्वारा मुंबई शहर के पालक मंत्री असलम शेख को वितरित किया गया है। वास्तव में, बंगले को खतरनाक घोषित किया गया था और तत्कालीन आईएएस अधिकारी प्रवीण दराडे को इसे खाली करने के लिए मजबूर किया गया था। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव बाला साहेब ठाकरे से शिकायत की है कि यह महाराष्ट्र सरकार द्वारा बीएमसी की संपत्ति पर अतिक्रमण है और कार्रवाई की मांग की है।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में, आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब महाराष्ट्र सरकार मूल रूप से बीएमसी की संपत्ति का वितरण कैसे किया? 26 मई 2020 को, महाराष्ट्र सरकार ने असलम शेख को बेल हेवन 1 के वितरण को रद्द करने और बीएमसी के स्वामित्व वाले बंगले को वितरित करने का आदेश जारी किया। वास्तव में, बीएमसी ने तत्कालीन आईएएस अधिकारी प्रवीण दराडे को बंगला खाली करने के लिए मजबूर किया था क्योंकि यह खतरनाक घोषित किया गया था और बीएमसी ने दावा किया था कि बीएमसी की संपत्ति पर निर्णय लेने का अधिकार बीएमसी के पास था। अब इस खतरनाक बंगले के अचानक वितरण से भौंहें तन गईं। इसकी वजह यह है कि मुंबई महानगरपालिका द्वारा बंगले को एक अधिकारी को कुछ महीने पहले ही वितरित किया गया था, एक संरचनात्मक ऑडिट किया जा रहा है। दराडे ने लॉक डाउन के बाद इसे रिक्त करने का पत्र देने से बीएमसी ने अन्य अधिकारी को इसे वितरित भी कर दिया हैं।

अनिल गलगली पहले ही मांग कर चुका है कि हाइड्रोलिक इंजीनियर के लिए आरक्षित बंगला हाइड्रोलिक इंजीनियर को सौंप दिया जाए। अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे, मुख्य सचिव अजोय मेहता, बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल से अनुरोध किया है कि वे मुंबई उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार बंगले का संरचनात्मक ऑडिट करें और प्रचलित नीति के अनुसार हाइड्रोलिक इंजीनियर को बंगला वितरित करें।

धोकादायक घोषित पालिकेचा हायड्रॉलिक अभियंता बंगला असलम शेखच्या घशात

मुंबई महानगरपालिका अंतर्गत हायड्रॉलिक अभियंता बंगला महाराष्ट्र शासनाने मुंबई शहराचे पालकमंत्री असलम शेखला वितरित केला आहे. खरे पाहिले तर हा बंगला धोकादायक घोषित करत तत्कालीन आयएएस अधिकारी प्रवीण दराडे यांस रिक्त करण्यास भाग पाडला होता. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र शासनाच्या पालिकेच्या मालमत्तेवर हे अतिक्रमण असल्याची तक्रार मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे यांस करत चौकशी करत कार्यवाहीची मागणी केली आहे.


मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांना पाठविलेल्या पत्रात आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र शासनाच्या भूमिकेवर प्रश्नचिन्ह करत नमूद केले की मूलतः ही मालमत्ता मुंबई महानगरपालिकेची असताना महाराष्ट्र शासनाने परस्पर वितरण कसे केले? असलम शेख यांना बेल हेवन 1 हा बंगला वितरित असताना तो रद्द करत महापालिकेची मालमत्ता असलेला बंगला वितरित करण्याचे आदेश महाराष्ट्र शासनाने 26 मे 2020 रोजी जारी केले. खरे पाहिले तर हा बंगला धोकादायक जाहीर झाल्यामुळे तत्कालीन आयएएस अधिकारी प्रवीण दराडे यांना रिक्त करण्यास पालिकेने भाग पाडले होते आणि पालिकेच्या मालमत्तेवर निर्णय घेण्याचा अधिकार पालिकेस असल्याचा दावा पालिकेतील नगरसेवकांनीं केला होता. आता हा धोकादायक बंगला अचानक वितरित केल्याने सर्वांच्या भुवया उंचावल्या आहेत. कारण हा बंगला मुंबई महापालिकेने अतिरिक्त आयुक्त असलेल्या एका अधिका-यांस काही महिन्यापूर्वी पालिकेने वितरित केला असून स्ट्रक्चरल ऑडिट करण्यात येत आहे. दराडे यांनी लॉकडाउन नंतर हा बंगला रिक्त करणार असल्याचे कळविले असल्याने पालिकेने दुसऱ्या अधिकारी वर्गास तो बंगला वितरित केला आहे.


अनिल गलगली हे आधीपासूनच पालिकेचा बंगला जो हायड्रॉलिक अभियंतासाठी राखीव आहे तो हायड्रॉलिक अभियंता यांस देण्याची मागणी करत आले आहेत. अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे, मुख्य सचिव अजोय मेहता, पालिका आयुक्त इकबालसिंह चहल यांना विनंती केली आहे की मुंबई उच्च न्यायालयाच्या आदेशानुसार बंगल्याचे स्ट्रक्चरल ऑडिट करणे आवश्यक आहे आणि हा बंगला प्रचलित धोरणानुसार हायड्रॉलिक अभियंता यांस नियमाप्रमाणे वितरित करावा.

Dangerous declared hydraulic engineer's bungalow of BMC gifted to Aslam Sheikh

The bungalow of hydraulic engineer under Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC) has been gifted away to the guardian minister of Mumbai city Aslam Sheikh by the Maharashtra government. The move has raised the eyebrows of the civic society. The said bungalow was declared dangerous and unsafe, forcing the then IAS officer Praveen Darade to vacate it. RTI activist Anil Galgali has complained to Chief Minister Uddhav Bala Saheb Thackeray terming it an "encroachment" on the property of the BMC by the Maharashtra government and has demanded action to reconsider over it. 

In his letter to Chief Minister Uddhav Thackeray, Galgali has questioned the role of the Maharashtra government and asked how did the government, at the first point, alloted the property of the BMC, without taking approval of BMC? Prior to this, on May 26, 2020, the Maharashtra government issued an order cancelling the allotment of Bel Heaven 1 to Minister Aslam Sheikh and then re-alloted the dilapidated bungalow owned by the BMC to him. This decision has not gone well with the activists. 
       
In fact, the BMC had try to forced the then IAS officer Pravin Darade to vacate the bungalow as it was declared dangerous and the BMC claimed that the it had the right to decide on the property owned by BMC. Darade has given letter that he cannot shift due to lockdown. Now the haphazard allotment of this dangerous declared bungalow has raised eyebrows of many in the circle. This is because the bungalow was allotted by the Mumbai Municipal Corporation to an other IAS Officer a few months back, during a structural audit being carried out. 
        
Anil Galgali has already demanded that the bungalow reserved for hydraulic engineer be handed over to the hydraulic engineer. He has requested Chief Minister Uddhav Balasaheb Thackeray, Chief Secretary Ajoy Mehta, BMC commissioner Iqbal Singh Chahal to conduct structural audit of the bungalow as per the order of the Mumbai High Court and allot it to the hydraulic engineer as per the existing rules.

Dangerous declared hydraulic engineer's bungalow of BMC gifted to Aslam Sheikh

The bungalow of hydraulic engineer under Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC) has been gifted away to the guardian minister of Mumbai city Aslam Sheikh by the Maharashtra government. The move has raised the eyebrows of the civic society. The said bungalow was declared dangerous and unsafe, forcing the then IAS officer Praveen Darade to vacate it. RTI activist Anil Galgali has complained to Chief Minister Uddhav Bala Saheb Thackeray terming it an "encroachment" on the property of the BMC by the Maharashtra government and has demanded action to reconsider over it. 

In his letter to Chief Minister Uddhav Thackeray, Galgali has questioned the role of the Maharashtra government and asked how did the government, at the first point, alloted the property of the BMC, without taking approval of BMC? Prior to this, on May 26, 2020, the Maharashtra government issued an order cancelling the allotment of Bel Heaven 1 to Minister Aslam Sheikh and then re-alloted the dilapidated bungalow owned by the BMC to him. This decision has not gone well with the activists. 
       
In fact, the BMC had try to forced the then IAS officer Pravin Darade to vacate the bungalow as it was declared dangerous and the BMC claimed that the it had the right to decide on the property owned by BMC. Darade has given letter that he cannot shift due to lockdown. Now the haphazard allotment of this dangerous declared bungalow has raised eyebrows of many in the circle. This is because the bungalow was allotted by the Mumbai Municipal Corporation to an other IAS Officer a few months back, during a structural audit being carried out. 
        
Anil Galgali has already demanded that the bungalow reserved for hydraulic engineer be handed over to the hydraulic engineer. He has requested Chief Minister Uddhav Balasaheb Thackeray, Chief Secretary Ajoy Mehta, BMC commissioner Iqbal Singh Chahal to conduct structural audit of the bungalow as per the order of the Mumbai High Court and allot it to the hydraulic engineer as per the existing rules.

Tuesday 26 May 2020

सीपीएस निवासी डॉक्टरांच्या विद्यावेतनाचा प्रश्न सोडविताना 'समान काम- समान वेतन' या संवैधानिक अधिकारानुसार रु.५४०००/- इतके विद्यावेतन देण्याची मागणी

बृहन्मुंबई महानगरपालिका रुग्णालयातील (BMC Hospitals) , कॉलेज ऑफ फिजिशियनस् अँड सर्जनस् (College of Physicians and Surgeons, Mumbai) सोबत संलग्न असलेल्या पद्व्युत्तर पदविका ( Post Graduate Diploma and Degree courses) चा अभ्यास करणाऱ्या विविध विभागातील निवासी डॉक्टरांना दरमहा रु १४८००/- (अक्षरी रुपये चौदा हजार आठशे फक्त) एवढे विद्यावेतन देण्यात येते. सीपीएस निवासी डॉक्टरांच्या विद्यावेतनाचा प्रश्न सोडविताना  'समान काम- समान वेतन' या संवैधानिक अधिकारानुसार रु.५४०००/- इतके विद्यावेतन देण्याची मागणी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे आणि महापालिका आयुक्त इकबालसिंह चहल यांस पाठविलेल्या पत्रात केली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे आणि महापालिका आयुक्त इकबालसिंह चहल यांस पाठविलेल्या पत्रात नमूद केले आहे की इतर वैद्यकीय महाविद्यालयातील, निवासी डॉक्टरांना ( Resident doctors ) तसेच सर्व वैद्यकीय अधिकारी ( Medical officers ), हाऊस ऑफिसर ( House officers) या पदांवर कार्यरत असणाऱ्या डॉक्टरांना, ज्यांचे किमान शिक्षण एम. बी. बी. एस् पदवीधर ( MBBS ) असते, त्यांस विद्यावेतन वा वेतन हे किमान रु ५४०००/- (अक्षरी रुपये चौपन्न हजार फक्त) इतके आहे.

विद्यावेतनात असा भेदभाव फक्त बृहन्मुंबई महानगरपालिका संचलित रुग्णालयांतच गेली अनेक वर्षे केला जातोय. कॉलेज ऑफ फिजिशियनस् अँड सर्जनसशी संलग्न असलेल्या पद्व्युत्तर पदविकां ( CPS degree and diploma courses ) चा अभ्यास करणाऱ्या इतर वैद्यकीय महाविद्यालयातील व रुग्णालयातील निवासी डॉक्टरांना देण्यात येणाऱ्या विद्यावेतनाचा तपशील पुढील प्रमाणे- 

१) जगजीवनराम रेल्वे हॉस्पिटल, मुंबई सेंट्रल - रु. ५३०००/-

२) मुंबई पोर्ट ट्रस्ट हॉस्पिटल - रु. ५१०००/-

३) शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय, गोंदिया- रु.५१०००/-

४) शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय, चंद्रपूर - रु.५१०००/-

५) स्वामी रामानंदतीर्थ ग्रामीण शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय, अंबाजोगाई, जि. बीड- रु.५१०००/-

६) श्री वसंतराव नाईक शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय, यवतमाळ - रु.५१०००/-

७) ठाणे महानगरपालिका संचलित, राजीव गांधी वैद्यकीय महाविद्यालय, कळवा, ठाणे - रु. ४८०००/-

८) नानावटी रुग्णालय, विलेपार्ले (पश्चिम), मुंबई - ४५०००/-

९) होली फँमिली हॉस्पिटल, वांद्रे- रु. ४००००/-

बृहन्मुंबई महानगरपालिका संचलित रुग्णालयातील एम.डी/ एम.एस्/ डी.एन्.बी ( MD/MS/DNB ) चा अभ्यास करणाऱ्या निवासी डॉक्टर ( Resident doctors ) ; तसेच सर्व वैद्यकीय अधिकारी ( Medical officers ), हाऊस ऑफिसर (House officers ) या पदांवर कार्यरत असणाऱ्या डॉक्टरांना, ज्यांचे किमान शिक्षण एम. बी. बी. एस् पदवीधर असते. विद्यावेतन वा वेतन हे किमान रु ५४०००/- (अक्षरी रुपये चौपन्न हजार फक्त)आहे.

सर्व कॉलेज ऑफ फिजिशियनस् अँड सर्जनस् शी संलग्न असलेल्या पद्व्युत्तर पदविकां ( CPS ) चा अभ्यास करणारे निवासी डॉक्टर हे इतर निवासी डॉक्टरांप्रमाणेच आणि तितकेच सक्षमपणे काम करतात व विविध विभागांमध्ये २४ तास सेवा देतात. नैसर्गिक आपत्ती असो वा कोणतीही आपात्कालीन परिस्थिती असो सदैव सेवेसाठी तत्पर असतात. मग हा आप-पर भाव कशासाठी? सध्याच्या महागाईच्या काळात रु.१४८००/- इतके विद्यावेतन स्वतःच्या आणि कुटुंबाचा खर्च भागविण्यासाठी पुरेसे नाही. तरीही 'समान काम- समान वेतन' या संवैधानिक अधिकारानुसार रु.५४०००/- इतके विद्यावेतन द्यावे व जमल्यास मागील महिन्यांची भरपाई ( Arrears ) देण्याची मागणी गलगली यांनी केली आहे.

गलगली पुढे म्हणाले की सध्या कोरोना विषाणू सारखी आपत्ती जगभर पसरलेली आहे. त्यास मुंबई सुद्धा अपवाद नाही. मुंबई तर देशाची कोरोना राजधानीच बनली आहे. अशा आपात्कालीन परिस्थितीत सी. पी. एस चे निवासी डॉक्टर, महानगरपालिकेच्या विविध रूग्णालयात कोरोना वॉर्ड, आय. सी. यू , विलगीकरण वॉर्ड मध्ये सक्षमपणे, विनातक्रार इतर निवासी डॉक्टरांप्रमाणेच अहोरात्र सेवा देत आहेत. शासनाने नुकतेच निवासी डॉक्टरांच्या विद्यावेतनात रु १०,०००/- इतकी वाढ केलेली आहे, म्हणजे ते आता रु ६४,०००/- इतके झाले आहे. तसेच इंटर्नशिप करणाऱ्या विद्यार्थ्यांचे विद्यावेतन रु ५०,०००/- इतके केले आहे. मात्र सी.पी.एस निवासी डॉक्टरांकडे अनावधानाने अथवा जाणीवपूर्वक दुर्लक्ष करण्यात आले आहे. तसेच यांचे विद्यावेतन रु १४,८००/- इतकेच आहे. एकीकडे कामाचा काहीच अनुभव नसलेल्या इंटर्नशिप करणाऱ्या विद्यार्थ्यांना रु ५००००/- इतके विद्यावेतन तसेच इतर निवासी डॉक्टरांना रु ६४०००/- आणि सी. पी. एस निवासी डॉक्टरांना केवळ रु १४८००/- हा महानगरपालिकेचा दुजाभाव आहे, असा आरोप गलगली यांचा आहे.

Friday 22 May 2020

पालिकेतील करोना बाधित अधिकारी व कर्मचाऱ्यांची माहिती देणे खातेप्रमुखांची जबाबदारी

मुंबई महानगरपालिका प्रशासनातील करोना बाधित अधिकारी व कर्मचा-यांची आकडेवारी मुंबई महानगरपालिकेने सार्वजनिक करावी, अशी मागणी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी केली होती. अनिल गलगली यांच्या मागणीनंतर सामान्य प्रशासन विभागाने परिपत्रक जारी केले आहे. पालिकेतील करोना बाधित अधिकारी व कर्मचाऱ्यांची माहिती देण्याची जबाबदारी आता खातेप्रमुखांची आहे.


सामान्य प्रशासन विभागाचे सह आयुक्त मिलिन सावंत आणि प्रमुख कामगार अधिकारी सहदेव मोहिते यांनी दिनांक 20 मे 2020 रोजी जारी केलेल्या परिपत्रकात स्पष्ट केले आहे की बृहन्मुंबई महानगरपालिका मुंबई आणि उपनगरात अत्यावश्यक सेवा देण्याचे काम पार पाडते. सद्यस्थितीत बृहन्मुंबई क्षेत्रामध्ये कोरोना या रोगामुळे दिवसेंदिवस अधिक रुग्ण सापडत आहेत व त्यांच्यावर उपचार करण्याचे काम सुरु आहे. त्यामुळे खाते, विभाग आणि रुग्णालय स्तरावर महापालिका कर्मचारी कोरोना या रोगामुळे बाधित/मृत्यु होत असल्याचे निदर्शनास येत आहे. अश्या अधिकारी, कर्मचारी आणि कामगार यांची माहिती संबंधित खातेप्रमुखांनी तत्काळ सादर करावी.

दिनांक 16 मे 2020 रोजी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली तक्रार करत प्रतिपादन केले होते की सर्व विभागाची माहिती सार्वजनिक झाली आहे पण मुंबई महानगरपालिका प्रशासनाची आकडेवारी लपविली जात आहे. गलगली यांची मागणी आहे की सर्वप्रथम जाहीर करावे की महापालिका अधिकारी व कर्मचारी रुग्णालयासहित करोना पॉजिटिव्ह रुग्ण किती आहेत, किती लोकांची चाचणी केली, किती विलगीकरण आणि अलगीकरण कक्षात आहे. आज माहिती आणि आकडे नसल्यामुळे सर्व अधिकारी संभ्रमात आहे.

अनिल गलगली यांनी सर्व खातेप्रमुखांना आवाहन केले आहे की दररोज माहिती अपडेट केल्यास एकत्र आकडा सार्वजनिक करण्यास बृहन्मुंबई महानगरपालिकेला शक्य होईल.

बीएमसी के कोरोना प्रभावित अधिकारी तथा कर्मचारियों की जानकारी देना विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी

मुंबई महानगरपालिका प्रशासन में कोरोना प्रभावित अधिकारी तथा कर्मचारियों के आंकड़े मुंबई महानगरपालिका सार्वजनिक करे, ऐसी मांग आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने की थी। अनिल गलगली के मांग पर बृहन्मुंबई महानगरपालिका द्वारा परिपत्रक जारी कर दिया हैं। अब बीएमसी के कोरोना प्रभावित अधिकारियों और कर्मचारियों को जानकारी प्रदान करना विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी है।

20 मई, 2020 को जारी एक परिपत्रक में, मिलिन सावंत, संयुक्त आयुक्त, सामान्य प्रशासन विभाग और मुख्य श्रम अधिकारी सहदेव मोहिते ने स्पष्ट किया कि बीएमसी मुंबई और इसके उपनगरों में आवश्यक सेवाओं का वहन करती है। वर्तमान में, ग्रेटर मुंबई क्षेत्र में कोरोना के साथ अधिक से अधिक रोगियों का निदान किया जा रहा है और उनके इलाज के लिए काम चल रहा है। इसलिए विभाग और अस्पताल स्तर पर, यह देखा जा रहा है कि कोरोना के कारण बीएमसी कर्मचारी संक्रमित / मर रहे हैं। ऐसे अधिकारियों, कर्मचारियों और श्रमिकों की जानकारी संबंधित विभाग प्रमुख द्वारा तुरंत प्रस्तुत की जानी चाहिए।

दिनांक 16 मई को अनिल गलगली ने मांग की थी कि सभी अन्य विभागों की जानकारी सार्वजनिक हो रही हैं लेकिन मुंबई महानगरपालिका प्रशासन की आकडेवारी छुपाई जा रही हैं। गलगली की मांग हैं कि यह सबसे पहले सार्वजनिक किया जाए कि महानगरपालिका अधिकारी तथा कर्मचारी  अस्पताल सहित कोरोना पॉजिटिव मरीज हैं, कितने लोगों की जांच हो गई हैं, कितने लोगों को विलगीकरण और अलगीकरण कक्ष में रखा जाए। आज सूचना और आंकड़े न होने से सभी अधिकारियों में डर का माहौल हैं।

अनिल गलगली ने सभी विभाग प्रमुखों से अपील की है कि यदि जानकारी को दैनिक रूप से अपडेट किया जाता है, तो बीएमसी के लिए संयुक्त आंकड़ों को सार्वजनिक करना संभव होगा।

Thursday 21 May 2020

Making biometric attendance compulsory is shocking in wake of ever increasing cases of Covid-19 spread

The Maharashtra government has made biometric attendance mandatory in all government and BMC hospitals. With the number of Coronavirus cases already hitting high day by day, this move of the Government has put several people and activists in shock. Asking the justification of this, RTI Activist Anil Galgali has demanded immediate revocation of this new rule of biometric attendance.

RTI Activist Anil Galgali has written to Chief Minister Uddhav Balasaheb Thackeray, Public Health Minister Rajesh Tope, Chief Secretary Ajoy Mehta and BMC Commissioner Iqbal Singh Chahal demanding immediate cancellation of this move. The circular signed by BMC Commissioner Iqbal Singh Chahal and Dr. Tatyarao Lahane on 16th May, 2020 includes 9 conditions. It has a biometric requirement and is mandatory for medical, non-medical and para-medical officers and staffers in all services in government and BMC hospitals. 

Notably, the Central Government has cancelled biometric attendance system and there is no biometric presence in reputed hospitals like AIIMS. Referring this, Anil Galgali has requested Maharashtra government not to play with the lives of medical officers and staffers.

बायोमेट्रिक उपस्थिति की नई शर्त से मेडिकल अधिकारियों और कर्मियों की जान सांसत में

महाराष्ट्र सरकार ने सभी सरकारी और मनपा अस्पतालों में बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य कर दी है। पहले ही मरीजों की संख्या में वृद्धि और उसमें सरकार की क्या भूमिका है? यह सवाल पूछते हुए,आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बायोमेट्रिक उपस्थिति की अनिवार्यता को रद्द करने की मांग की है। बायोमेट्रिक उपस्थिति की नई शर्त से मेडिकल अधिकारियों और कर्मियों की जान सांसत में हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे, सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे, मुख्य सचिव अजोय मेहता और मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल को पत्र लिखकर इस अनिवार्यता को तत्काल रद्द करने की मांग की है। 16 मई, 2020 को मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल और डॉ तात्याराव लहाने द्वारा हस्ताक्षरित परिपत्र में 9 शर्तें शामिल हैं। इसकी बायोमेट्रिक आवश्यकता है और यह सरकारी और मनपा अस्पतालों में सभी सेवाओं में चिकित्सा, गैर-चिकित्सा और अर्ध-चिकित्सा अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है।

केंद्र सरकार ने बायोमेट्रिक उपस्थिति को रद्द कर दिया है और एम्स जैसे प्रतिष्ठित अस्पतालों में बायोमेट्रिक उपस्थिति नहीं है। यह कहते हुए, अनिल गलगली ने चिकित्सा अधिकारियों और कर्मचारियों के जीवन के साथ नहीं खेलने का अनुरोध किया है।

बायोमेट्रिक हजेरीच्या नवीन अटीमुळे वैद्यकीय अधिकारी व कर्मचाऱ्यांचा जीव टांगणीवर

महाराष्ट्र सरकारने सर्व सरकारी आणि पालिका रुग्णालयात बायोमेट्रिक हजेरी बंधनकारक केली आहे. आधीच रुग्णांच्या संख्येत वाढ त्यात सरकारची बायोमेट्रिक हजेरीच्या अटीमुळे नेमकी सरकारची भूमिका काय आहे? असा प्रश्न विचारत आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी बायोमेट्रिक हजेरीची अट रद्द करण्याची मागणी केली आहे. बायोमेट्रिक हजेरीच्या नवीन अटीमुळे वैद्यकीय अधिकारी व कर्मचाऱ्यांचा जीव टांगणीवर


आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे, सार्वजनिक आरोग्य मंत्री राजेश टोपे, मुख्य सचिव अजोय मेहता आणि पालिका आयुक्त इकबाल सिंह चहल यांस पत्र पाठवून सदर अट तत्काळ रद्द करण्याची मागणी केली आहे. पालिका आयुक्त इकबाल सिंह चहल आणि डॉ तात्याराव लहाने यांच्या सहीच दिनांक 16 मे 2020 रोजी जारी केलेल्या परिपत्रकात 9 अटी आहेत. यात बायोमेट्रिकची अट असून यात सरकारी आणि पालिका रुग्णालयात सर्वप्रकारच्या सेवेतील वैद्यकीय, वैद्यकीय नसलेले आणि पॅरा वैद्यकीय अधिकारी व कर्मचाऱ्यांना बंधनकारक केलेले आहे. 

केंद्र सरकारने बायोमेट्रिक हजेरी रद्द केली असून एम्स सारख्या प्रख्यात रुग्णालयात बायोमेट्रिक हजेरी नाही. हे सांगत अनिल गलगली यांनी वैद्यकीय सेवेतील अधिकारी आणि कर्मचाऱ्यांच्या जीवाशी न खेळण्याची विनंती केली आहे.

Monday 18 May 2020

कोर्ट ने खारिज किया, मोदी ने हाउस टू हाउस सर्विलंस स्वीकार किया

आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली ने मुंबई हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की जिसमें कोरोना पॉजिटिव मामलों की पहचान के उद्देश्य से नागरिकों की होम स्क्रीनिंग करने और इस तरह के मामलों को अलग-थलग करने और उपचार करने के उद्देश्य से लगातार और प्रभावी तरीके से फैलने को रोकने के लिए एक जनहित याचिका दायर की गई। उच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया, जिसमें आबादी के आकार और बस्तियों के घनत्व को देखते हुए व्यावहारिक बाधाओं का उल्लेख किया गया था। लेकिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अनिल गलगली की बात को स्वीकार किया और इसे लॉकडाउन 4.0 के लिए दिशानिर्देशों में शामिल कर दिया हैं।

आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली ने पीएम श्री नरेन्द्र मोदी के सामने अभ्यावेदन दिया था कि कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के मद्देनजर मुंबई में डोर टू डोर स्क्रीनिंग को लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने मुंबई में कोरोना मामलों की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए मांग की थी। तेजी और आक्रामक रूप से कोरोना रोगियों की पहचान करनी चाहिए, ताकि मरीजों को अलग कर उपचार तुरंत हो सके। इससे कोरोना पॉजिटिव रोगियों के मामलों को भी कम किया जा सकेगा जब उनकी पहचान की जाएगी और उन्हें जल्दी अलग किया जाएगा।

गृह मंत्रालय द्वारा जारी लॉकडाउन 4.0 के लिए दिशानिर्देशों में, केंद्र सरकार ने कोरोना मामलों का पता लगाने पर जोर दिया हैं और घर में निगरानी के साथ-साथ रोकथाम क्षेत्रों में प्रसार को रोकने के लिए सभी उपाय किए जाने की सिफारिश की हैं।

अनिल गलगली ने कोरोना मामलों को कम करने में सक्रिय कार्रवाई के लिए कंटेनर ज़ोन में घर की निगरानी के लिए और सिफारिशों पर संतोष व्यक्त किया है। उन्होंने पीएम नरेन्द्र मोदी को उनकी मांग पर संज्ञान देने के लिए धन्यवाद दिया, जिसे लागू करने की सबसे ज्यादा जरूरत थी। अनिल गलगली ने उम्मीद जताई कि स्थानीय प्रशासन अब इसे कार्यक्षमता से अमल में लाएगा।

कोर्टाने नकार दिला, मोदींनी हाऊस टू हाऊस पाळत ठेवणे स्वीकारले

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी कोरोना पॉझिटिव्ह प्रकरणे ओळखण्याच्या उद्देशाने आणि अशा प्रकारचे प्रकरण स्वतंत्रपणे आणि प्रभावीपणे प्रभावीपणे नियंत्रित करण्यासाठी अशा प्रकरणांना अलगद वागणूक देण्याच्या उद्देशाने नागरिकांची होम-होम स्क्रीनिंग करण्याची मागणी करणारी याचिका मुंबई उच्च न्यायालयात दाखल केली होती. लोकसंख्या आणि झोपडपट्टीची घनता लक्षात घेता व्यावहारिक अडचणी असल्याचे नमूद करीत मुंबई उच्च न्यायालयाने जनहित याचिका फेटाळून लावली. परंतु पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी अनिल गलगली यांचे म्हणणे स्वीकारले आणि त्यास लॉकडाऊन 4.0 च्या मार्गदर्शक तत्वांमध्ये समाविष्ट केले.

माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी दररोज होणा-या कोरोना पॉझिटिव्हच्या वाढत्या घटनांकडे लक्ष देऊन मुंबईत घरो-घरी स्क्रीनिंगची अंमलबजावणी करावी अशी मागणी पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांसकडे केली होती. मुंबईतील कोरोना घटनांचा वाढता कल पाहता त्यांनी ही मागणी केली होती. सकारात्मक आणि आक्रमकपणे कोरोना रूग्णांचा शोध घेण्यावर भर देण्यात आला, जेणेकरून अलगाव आणि उपचार त्वरित येऊ शकतात. यामुळे कोरोना पॉझिटिव्ह रूग्णांची ओळख आणि विलगीकरण झाल्यास कोरोना प्रकरणे लवकर कमी होण्यासाठी मदत होईल.

गृह मंत्रालयाने जाहीर केलेल्या लॉकडाऊन 4.0  च्या मार्गदर्शक तत्वांमध्ये, केंद्र सरकारने कोरोना पॉझिटिव्ह प्रकरणे शोधून काढण्यावर भर दिला होता आणि घरों-घरी पाळत ठेवण्याची तसेच कंटमेंट झोनमध्ये पसरण्यासाठी सर्व उपाययोजना करण्याची शिफारस केली आहे. अनिल गलगली यांनी कोरोना प्रकरणे कमी करण्याच्या कृतीशील कारवाईसाठी कंटेनमेंट झोनमध्ये घरों-घरी पाळत ठेवण्याबाबत विचार केल्याबद्दल व शिफारसींबाबत समाधान व्यक्त केले आहे. पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी ज्या मागणीची अंमलबजावणी करण्याची अत्यंत निकडची गरज होती त्याकडे लक्ष देण्याबद्दल त्यांनी आभार मानले आहेत. अनिल गलगली यांनी पुढे अशी आशा व्यक्त केली की स्थानिक प्रशासन त्याची कार्यक्षमतेने अंमलबजावणी करेल.

Court rejects, Modi accepts House to House Surveillance

RTI Activist Anil Galgali filed a PIL in the Bombay High Court seeking home to home screening of citizens for the purpose of identification of Corona positive cases and with the purpose of isolating and treating such cases to control the spread of the pandemic proactively and effectively. The PIL was dismissed by the Hon'ble Bombay High Court citing practical constraints looking at the size of population and density of slums. But Prime Minister Narendra Modi accepts Galgali representation and include it in the Guidelines for lockdown 4.0

RTI Activist Anil Galgali had in representations to PM Shri Narendra Modi had demanded that door to door screening be implemented in Mumbai looking at the rapidly increasing cases of Corona positive cases erupting on daily basis. He had made the demand looking at the increasing trend of positive cases in Mumbai. The emphasis was to proactively and aggressively trace positive patients, so that isolation and treatment can immediately happen. This will also reduce the cases of Corona positive patients when they are identified and isolated early.

In the guidelines for lockdown 4.0 released by the MHA, the Central Government had made emphasis on tracing of Corona positive cases and recommended house to house surveillance as well as all measures to be taken to contain the spread in containment zones.

Anil Galgali has expressed satisfaction for considering and recommendations for house to house surveillance in Containment Zones for proactive action in reducing the positive cases. He has thanked PM Shri Narendra Modi for giving cognizance to the demand which was most urgently needed to be implemented. Galgali further expressed hope that local administration will implement the same proactively.

When will the Public Health Department of MCGM get a full-time deputy commissioner?

Numbers of Covid -19 patients are shooting up new heights in Mumbai day-to-day and unfortunately Department of Public Health of MCGM does not have a competent system to admit, treat such patients timely and provide timely information to patients and their relatives. This has raised a question mark on the image and efficiency of the country's richest municipal corporation known as BMC. In such a critical situation, the Department of Public Health of BMC still has only one part-time Deputy Municipal Commissioner and no one knows when  this department will get a full-time deputy municipal commissioner? RTI activist Anil Galgali, who has exposed several irregularities in the BMC through his RTI queries, has raised this question.

In a letter written by RTI Galgali to Chief Minister Uddhav Balasaheb Thackeray, Chief Secretary Ajoy Mehta and BMC Commissioner Iqbal Singh Chahal, has pointed out that the state government has sent not one but a pool of seven IAS officers to the health department. A total of 11 IAS officers are presently working in the Brihanmumbai Municipal Corporation, in which 1 Commissioner, 2 Additional Commissioners and 1 Joint Commissioner are posted. But, unfortunately, there is not even a single full-time deputy commissioner in the Public Health department, which ideally should have. 

Anil Galgali further said that at present, the Deputy Municipal Commissioner of Public Health, who has been given the charge of the Department of Public Health, is the full-time Deputy Municipal Commissioner of the Department of Improvement. This means that the state government, the Brihanmumbai Municipal Corporation itself is ignoring the public health department, otherwise a full-time deputy Municipal commissioner would have been appointed to handle the Public Health Department.

Anil Galgali has appealed to the chief minister and chief secretary and newly appointed BMC commissioner to give utmost importance to the Public Health Department by posting a full-time deputy municipal commissioner.

Saturday 9 May 2020

When will the Public Health Department of MCGM get a full-time deputy commissioner?

Numbers of Covid -19 patients are shooting up new heights in Mumbai day-to-day and unfortunately Department of Public Health of MCGM does not have a competent system to admit, treat such patients timely and provide timely information to patients and their relatives. This has raised a question mark on the image and efficiency of the country's richest municipal corporation known as BMC. In such a critical situation, the Department of Public Health of BMC still has only one part-time Deputy Municipal Commissioner and no one knows when  this department will get a full-time deputy municipal commissioner? RTI activist Anil Galgali, who has exposed several irregularities in the BMC through his RTI queries, has raised this question.

In a letter written by RTI Galgali to Chief Minister Uddhav Balasaheb Thackeray, Chief Secretary Ajoy Mehta and BMC Commissioner Iqbal Singh Chahal, has pointed out that the state government has sent not one but a pool of seven IAS officers to the health department. A total of 11 IAS officers are presently working in the Brihanmumbai Municipal Corporation, in which 1 Commissioner, 2 Additional Commissioners and 1 Joint Commissioner are posted. But, unfortunately, there is not even a single full-time deputy commissioner in the Public Health department, which ideally should have. 

Anil Galgali further said that at present, the Deputy Municipal Commissioner of Public Health, who has been given the charge of the Department of Public Health, is the full-time Deputy Municipal Commissioner of the Department of Improvement. This means that the state government, the Brihanmumbai Municipal Corporation itself is ignoring the public health department, otherwise a full-time deputy Municipal commissioner would have been appointed to handle the Public Health Department.

Anil Galgali has appealed to the chief minister and chief secretary and newly appointed BMC commissioner to give utmost importance to the Public Health Department by posting a full-time deputy municipal commissioner.

पालिकेच्या सार्वजनिक आरोग्य विभागास केव्हा मिळणार पूर्णकालिक पालिका उप आयुक्त?

मुंबईत करोना रुग्ण वाढत आहे आणि सार्वजनिक आरोग्य विभागाकडे सक्षम यंत्रणा नसल्यामुळे रुग्णांना वेळेवर प्रवेश देणे, उपचार करणे आणि सर्वंकष माहिती दिली जात नाही. यामुळे मुंबई महानगरपालिकेची प्रतिमेवर प्रश्नचिन्ह निर्माण झाले आहे. अश्या परिस्थितीत सार्वजनिक आरोग्य विभागास आजही अर्धकालिक उपायुक्त असून पूर्णकालिक पालिका उप आयुक्त केव्हा मिळणार? असा सवाल आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी विचारला आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे सहित मुख्य सचिव अजोय मेहता, पालिका आयुक्त इकबाल सिंह चहल यांना पाठविलेल्या पत्रात नमूद केले आहे की आज राज्य सरकारने आरोग्य विभागासाठी एक नव्हे तर सात सनदी अधिकारी पाठविले आहेत. 1 आयुक्त, 2 अतिरिक्त आयुक्त आणि 1 सह आयुक्त असे सनदी अधिकारी जोडले तर एकूण 11 सनदी अधिकारी सद्या मुंबई महानगरपालिकेत कार्यरत आहे. पण दुर्दैवाने सार्वजनिक आरोग्य विभागात एकही पूर्णकालिक उपायुक्त नाही.

अनिल गलगली पुढे म्हणाले की सद्याचे उपायुक्त ज्यांना सार्वजनिक आरोग्य विभागाचा प्रभार दिला आहे ते सुधार विभागाचे पूर्णकालिक उपायुक्त आहेत. याचा अर्थ असा होतो की राज्य सरकार, मुंबई महानगरपालिका स्वतःच सार्वजनिक आरोग्य विभागाकडे दुर्लक्ष करत आहे अन्यथा सार्वजनिक आरोग्य विभागात पूर्णकालिक उपायुक्त नक्कीच नेमला असता. अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव आणि नवनियुक्त आयुक्तांना आवाहन केले आहे की कमीतकमी पूर्णकालिक उपायुक्त नेमत अति महत्वाच्या सार्वजनिक आरोग्य विभागास महत्व देण्यात यावे.

आपल्याच प्रिन्स अली खान रुग्णालयला कोविड सेवेपासून वाचवित आहे कोविड प्रमुख

कोविड19 टास्क फोर्सचे प्रमुख असलेले डॉ संजय ओक हे स्वतः माझगाव येथील प्रिन्स अली खान रुग्णालयाचे मुख्य कार्यकारी अधिकारी असून मुंबईतील कुठले रुग्णालय हे कोविड रुग्णालय असावे, याबाबत निर्णय घेत असताना त्यांच्या नजरेतून त्यांचेच प्रिन्स अली खान रुग्णालय कसे सुटले? हा चौकशीचा विषय असल्याचा आरोप करत आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी ह्या रुग्णालयास कोविड रुग्णालय घोषित करण्याची मागणी मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे यांसकडे केली आहे. 165 खाटांचे रुग्णालयाने चक्क कोविडलाच चकवा दिल्याची चर्चा वैद्यकीय क्षेत्रात आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे, मुख्य सचिव अजोय मेहता, सार्वजनिक आरोग्य विभागाचे प्रधान सचिव डॉ प्रदीप व्यास आणि पालिका आयुक्त प्रविनसिंह परदेशी यांस पाठविलेल्या पत्रात लक्ष वेधले आहे की मुंबईतील नामांकित असलेले माझगाव येथील प्रिन्स अली खान रुग्णालय कोविड रुग्णालय घोषित करण्याची आवश्यकता आहे. आज वरळी आणि आसपासच्या परिसरातील कोविड रुग्णांना मरोळ येथील सेव्हन हिल रुग्णालयात पाठविले जाते. यामुळे वेळ वाया जातो. गलगली पुढे म्हणाले की विशेष म्हणजे सद्या या रुग्णालयात 165 खाटा असून फक्त 18 खाटा व्याप्त आहेत. यामुळे दक्षिण मुंबईतील रुग्णांना पूर्व किंवा पश्चिम उपनगरात पाठविण्याची कसरत थांबेल आणि कोविड रुग्णांना जवळच माझगाव येथील प्रिन्स अली खान रुग्णालय उपलब्ध होईल. 

डॉ संजय ओक हे स्वतः प्रिन्स अली खान रुग्णालयाचे सीईओ आहेत आणि कोविड 19 टास्क फोर्सचे प्रमुख असून त्यांचे त्यांच्याच 165 खाटांच्या रुग्णालयाकडे लक्ष कसे गेले नाही? यावर अनिल गलगली यांनी आश्चर्य व्यक्त केले.

मुंबई मनपा के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग को पूर्णकालिक उपायुक्त कब मिलेगा?

मुंबई में कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं और मरीजों को समय पर प्रवेश, उपचार और व्यापक जानकारी प्रदान करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के पास एक सक्षम प्रणाली नहीं है। इससे मुंबई महानगर पालिका की छवि पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। ऐसी स्थिति में, सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के पास अभी भी एक अंशकालिक उपायुक्त है और सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग को पूर्णकालि मनपा उपायुक्त कब मिलेगा? यह सवाल आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने पूछा है।


मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे, मुख्य सचिव अजोय मेहता और मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल को आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा लिखे पत्र में कहा कि राज्य सरकार ने आज स्वास्थ्य विभाग के लिए एक नहीं बल्कि सात आईएएस अधिकारियों को भेजा है। 1 आयुक्त, 2 अतिरिक्त आयुक्त और 1 संयुक्त आयुक्त को जोड़कर, कुल 11 आईएएस अधिकारी वर्तमान में मुंबई महानगरपालिका में कार्यरत हैं। लेकिन दुर्भाग्य से सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग में कोई पूर्णकालिक मनपा उपायुक्त नहीं है।


अनिल गलगली ने आगे कहा कि वर्तमान में मनपा उपायुक्त जिन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग का प्रभार दिया गया है, वे सुधार विभाग के पूर्णकालिक मनपा उपायुक्त  हैं। इसका मतलब यह है कि राज्य सरकार, मुंबई महानगरपालिका खुद सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी कर रही है, अन्यथा एक पूर्णकालिक मनपा उपायुक्त को सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त किया जाता। अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और नवनियुक्त आयुक्त से अपील की हैं कि कमसे कम उपायुक्त की नियुक्ति कर सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग को महत्व दिया जाए।

Wednesday 6 May 2020

आपल्याच प्रिन्स अली खान रुग्णालयला कोविड सेवेपासून वाचवित आहे कोविड प्रमुख

कोविड19 टास्क फोर्सचे प्रमुख असलेले डॉ संजय ओक हे स्वतः माझगाव येथील प्रिन्स अली खान रुग्णालयाचे मुख्य कार्यकारी अधिकारी असून मुंबईतील कुठले रुग्णालय हे कोविड रुग्णालय असावे, याबाबत निर्णय घेत असताना त्यांच्या नजरेतून त्यांचेच प्रिन्स अली खान रुग्णालय कसे सुटले? हा चौकशीचा विषय असल्याचा आरोप करत आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी ह्या रुग्णालयास कोविड रुग्णालय घोषित करण्याची मागणी मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे यांसकडे केली आहे. 165 खाटांचे रुग्णालयाने चक्क कोविडलाच चकवा दिल्याची चर्चा वैद्यकीय क्षेत्रात आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे, मुख्य सचिव अजोय मेहता, सार्वजनिक आरोग्य विभागाचे प्रधान सचिव डॉ प्रदीप व्यास आणि पालिका आयुक्त प्रविनसिंह परदेशी यांस पाठविलेल्या पत्रात लक्ष वेधले आहे की मुंबईतील नामांकित असलेले माझगाव येथील प्रिन्स अली खान रुग्णालय कोविड रुग्णालय घोषित करण्याची आवश्यकता आहे. आज वरळी आणि आसपासच्या परिसरातील कोविड रुग्णांना मरोळ येथील सेव्हन हिल रुग्णालयात पाठविले जाते. यामुळे वेळ वाया जातो. गलगली पुढे म्हणाले की विशेष म्हणजे सद्या या रुग्णालयात 165 खाटा असून फक्त 18 खाटा व्याप्त आहेत. यामुळे दक्षिण मुंबईतील रुग्णांना पूर्व किंवा पश्चिम उपनगरात पाठविण्याची कसरत थांबेल आणि कोविड रुग्णांना जवळच माझगाव येथील प्रिन्स अली खान रुग्णालय उपलब्ध होईल. 

डॉ संजय ओक हे स्वतः प्रिन्स अली खान रुग्णालयाचे सीईओ आहेत आणि कोविड 19 टास्क फोर्सचे प्रमुख असून त्यांचे त्यांच्याच 165 खाटांच्या रुग्णालयाकडे लक्ष कसे गेले नाही? यावर अनिल गलगली यांनी आश्चर्य व्यक्त केले.

Mumbai Covid-19 Task Force Chief Dr Sanjay Oak shielding its own hospital from Service to Covid-19

Maharashtra government has set up a Covid-19 task force to treat deadly virus patients across the state and to contain its further outbreak, but the Mumbai chief of this task force Dr Sanjay Oak has involved in controversy by shielding a hospital Prince Ali Khan which he heads as CEO. 
 
Notably, Maharashtra government has constituted a task force of specialist doctors to suggest measures to minimise death rate and clinical management of Covid-19 patients that are critically ill. RTI activist Anil Galgali has raised questions about his Dr Oak's conflict of interest, as Mumbai task force chief has decided all Mumbai's hospital to convert in Covid-19 Hospital but shield his own Prince Ali Khan which he heads as CEO. This is fit case of in inquiry and also a case of conflict of interest," reacted Galgali.  Located in Byculla in South Mumbai, Prince Ali Khan hospital has 165 beds and can be very handy to treat deadly virus infected disease. 
      

RTI activist Anil Galgali has written a letter to Chief Minister Uddhav Balasaheb Thackeray, Mayor Kishori Pednekar, Chief Secretary Ajoy Mehta, Principal Secretary (Department of Public Health), Dr. Pradeep Vyas and BMC Commissioner Pravin Singh Pardeshi and demanded that Prince Ali Khan Hospital is needs to be declared as Covid-19 facility. Galgali  has contended that the Covid-19 patients from the adjecent areas like Worli, are being admitted in remotely located Seven Hills hospital in Marol, which causes huge inconvenience and this can be avoided if Prince Ali Khan hospital is designated as Covid-19 treating facility. 
     
"Why Dr Oak didn't think his hospital for treating Covid-19 patients, is a question which he needs to clarify", pointed out Galgali. 
       

अपने ही प्रिन्स अली खान अस्पताल को सेवा से बचाता कोविड चीफ

कोविड19 टास्क फोर्स के चीफ डॉ संजय ओक यह मुंबई में कौनसा अस्पताल कोविड हो? इसका निर्णय लेते हैं। लेकिन इन्होंने स्वयं जिस प्रिंस अली खान अस्पताल के सीईओ हैं उस अस्पताल को कोविड की सेवा से बचाने का काम किया हैं। डॉ ओक ने आख़िर ऐसा क्यों किया हैं? यह जांच का विषय होने का आरोप लगाते हुए आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इस 165 बेड्स वाले अस्पताल को कोविड अस्पताल घोषित करने की मांग मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे से की हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे, महापौर किशोरी पेडनेकर, मुख्य सचिव अजोय मेहता, सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ प्रदीप व्यास और मनपा आयुक्त प्रविनसिंह परदेशी को भेजे पत्र में ध्यान आकृष्ट किया हैं कि मुंबई का नामचीन माजगाव स्थित प्रिन्स अली खान अस्पताल को कोविड अस्पताल घोषित करने की जरुरत हैं। आज वरली और आसपास के क्षेत्र में कोविड मरीजों को मरोल स्थित सेव्हन हिल अस्पताल में भेजा जाता हैं। इससे समय की बर्बादी होती हैं। गलगली ने आगे कहा कि इस अस्पताल में वर्तमान में 165 बेड्स में से सिर्फ 18 बेड्स व्याप्त हैं। इससे दक्षिण मुंबई के मरीजों को पूर्व या पश्चिम उपनगर में भेजने की कसरत से बचा जा सकता हैं। कोविड मरीजों को नजदीक के माजगाव स्थित प्रिन्स अली खान अस्पताल उपलब्ध होगा।

डॉ संजय ओक यह जिस प्रिन्स अली खान अस्पताल के सीईओ हैं और कोविड चीफ भी हैं। उनका उनके ही 165 बेड्स की क्षमता वाले अस्पताल पर ध्यान क्यों नही गया? इसपर अनिल गलगली ने आश्चर्य व्यक्त किया हैं।

Monday 4 May 2020

Free Medical Certificate to Migrant Labourers

Students, labourers and others in the Migrant Indians of Mumbai have started receiving medical certificates for free by the One Rupee clinic at Kurla East. The service will continue till Wednesday 6th May. 

The government has indirectly allowed the loot by making the Migrant Indians mandatory for medical certificates. It was found that doctors recovered Rs. 100 to 5000 to issue medical certificates to such Migrant Indians. After coming across with this malpractices, noted RTI activist Anil Galgali called for a public meeting against the looting of the poor and discussed this issue with Dr Rahul Ghule, the Director of the One Rupee Clinic and advised him to issue certificate free of cost.  The clinic, which has already done thermal testing for free to lakhs of people in Mumbai, readily accepted it and started screening the targeted person. This service will continue till 6th May. 

According to Anil Galgali, there was no point approaching government, BMC and police as they did not act on the complaints rather remained a mute spectator in the case. "Therefore, it was a good call to issue medical certificates in free of cost, to end this menace," Galgali said.

प्रवासी मजदूरों को मुफ्त में मेडिकल सर्टिफिकेट

मुंबई के प्रवासी मजदूरों में छात्र, मजदूर और अन्य लोगों को कुर्ला पूर्व स्थित वन रुपी क्लिनिक ने मुफ्त में मेडिकल सर्टिफिकेट देना शुरु किया हैं। बुधवार 6 मई तक सेवा जारी रहेंगी।

प्रवासी मजदूरों को मेडिकल सर्टिफिकेट की अनिवार्यता कर सरकार ने अपरोक्ष तौर पर लूट को इजाजत दी। डॉक्टरों द्वारा 100 रुपए से लेकर 5000 की वसूली शुरु हुई। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने गरीबों की लूट के खिलाफ वन रुपी क्लीनिक के डॉ राहुल घुले से चर्चा की और इसे मुफ्त में देने की पहल की। वन रुपी क्लीनिक जो पहले भी मुफ्त में थर्मल टेस्टिंग कर चुका है उसने इसे सहजता से स्वीकार किया। रविवार से कुर्ला पूर्व में इसे शुरु किया जा चूका हैं। बुधवार 6 मई तक सेवा जारी रहेंगी। अनिल गलगली के अनुसार सरकार, मनपा और पुलिस इस मामले में मूकदर्शक बनने से शिकायत का औचित्य नहीं था। इसलिए डॉक्टरों की रिश्वतखोरी के खिलाफ मुफ्त में मेडिकल सर्टिफिकेट देना ही अच्छा जबाब था।

प्रवासी कामगारांना निःशुल्क वैद्यकीय प्रमाणपत्र

मुंबईतील प्रवासी कामगारांमध्ये असलेलं विद्यार्थी, कामगार आणि अन्य नागरिकांना कुर्ला पूर्व येथील वन रुपी क्लिनिक येथे निःशुल्क वैद्यकीय प्रमाणपत्र दिले जात आहे. बुधवारी, 7 मे 2020 पर्यंत सेवा सुरु राहील.

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प्रवासी कामगारांना वैद्यकीय प्रमाणपत्राचा नियम लावत सरकारने अप्रत्यक्ष लुटण्यासाठी परवानगी दिली। डॉक्टरांकडून 100 रुपयांपासून ते 5000 रुपयांची वसुली सुरु होती. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी गरिबांच्या लुटीबाबत वन रुपी क्लीनिकच्या डॉ राहुल घुले सोबत चर्चा केली आणि या प्रमाणपत्रासाठी शुल्क न आकारण्याची विनंती केली. वन रुपी क्लीनिक तर्फे यापूर्वी मोफत थर्मल टेस्टिंग करण्यात आली आहे. त्या संस्थेनी सहजपणे प्रस्ताव स्वीकारला. 4 मे पासून कुर्ला पूर्व येथे शुभारंभ सुद्धा केला असून बुधवार 6 मे पर्यंत सेवा सुरु असेल. अनिल गलगली यांच्या मते सरकार, पालिका आणि पोलिसांनी मूग गिळून गप्प बसल्यामुळे तक्रारीला अर्थच राहत नाही. यासाठी डॉक्टरांसाठी भ्रष्टाचाराला निःशुल्क वैद्यकीय प्रमाणपत्र देणं हे चांगले उत्तर आहे.

Sunday 3 May 2020

Available information on the availability of beds of Covid Hospital on one click

Due to lack of bed management under the Mumbai Municipal Corporation, people have to wait for hours in ambulances or other places to be admitted to the hospital. For this, RTI activist Anil Galgali has demanded to Chief Minister Uddhav Balasaheb Thackeray in a letter to provide information on the availability of beds in Covid Hospital.


A letter address to the Chief Minister Uddhav Balasaheb Thackeray and Bmc Commissioner Praveen Pardeshi, RTI Activist Anil Galgali said that today a large number of covid patients are being found in Mumbai. In such a situation, patients need help. At present, there is not a single authority which can give details of the current status of the hospital with the availability of beds on one click. Despite the increase in patients in Mumbai, the government sent administrative officers to the headquarters of Mumbai Municipal Corporation, but the patients are not getting reduced. Overall, the common man is facing difficulties and suffer due to not getting information about Covid or other private hospitals, said Galgali. 

कोविड अस्पताल के बेड की उपलब्धता की जानकारी एक क्लीक पर दे

मुंबई महानगरपालिका अंतर्गत बेड मैनजमेंट नहीं होने से लोगों को घंटो एम्बुलेंस या अन्य स्थानों पर अस्पताल में दाखिल होने के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती हैं। इसके लिए कोविड अस्पताल में बेड की उपलब्धता की जानकारी एक क्लीक पर देने की मांग आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे को भेजे हुए पत्र में की हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली में मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे और मनपा आयुक्त प्रवीण परदेशी को भेजे हुए पत्र में बताया हैं कि आज मुंबई में बड़े पैमाने पर कोविड मरीज पाए जा रहे हैं। ऐसी स्थिती में मरीजों को मदद की जरूरत होती हैं। वर्तमान में एक भी प्राधिकरण अस्तित्व में नहीं हैं जो बेडस की उपलब्धता वाले अस्पताल की वर्तमान स्थिती का ब्यौरा एक क्लीक पर दे सकता हैं।  मुंबई में मरीज बढ़ने से सरकार ने बड़े पैमाने पर प्रशासनिक अधिकारियों को मुंबई महानगरपालिका मुख्यालय में भेजा इसके बावजूद मरीज कम नहीं हो रहे हैं। कुल मिलाकर मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने इसे लेकर किसी भी तरह की कारवाई नहीं करने से कोविड हो या अन्य निजी अस्पताल की जानकारी आम लोगों को मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं। 

कोविद रुग्णालयात बेड उपलब्धतेची माहिती एका क्लीकवर द्या

मुंबई महानगरपालिका अंतर्गत बेड व्यवस्थापन नसल्याने लोकांना तासनतास अंबुलन्स किंवा अन्य ठिकाणी रुग्णालयात दाखल होण्यासाठी प्रतीक्षा करावी लागते. यासाठी कोविद रुग्णालयात बेड उपलब्धतेची माहिती एका क्लीकवर देण्याची मागणी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे यांस पाठविलेल्या पत्रात केली आहे.


आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे यांस पाठविलेल्या पत्रात नमूद केले आहे की आज मुंबईत मोठ्या प्रमाणात कोविद रुग्ण आढळून येत आहे. अश्यावेळी रुग्णांना मदतीची आवश्यकता असते. सद्या तरी एकही असे प्राधिकरण अस्तित्वात नाही जी बेडस उपलब्ध असलेल्या रुग्णालयाची सद्यस्थितीची माहिती एका क्लीकवर देऊ शकेल. मुंबईतील रुग्ण वाढल्याने सरकारने मोठ्या प्रमाणात सनदी अधिकारी मुंबई महानगरपालिका मुख्यालयात पाठविले तरीही रुग्ण कमी झालेले दिसत नाही. एकंदरीत मुंबई महानगरपालिका प्रशासनाने याबाबतीत कोठल्याही प्रकाराची कार्यवाही न केल्याने सद्यस्थितीला कोविद रुग्णालय आणि अन्य खाजगी रुग्णालयाची माहिती मिळण्यासाठी सामान्य नागरिकांना जिकरीचे होत चालले आहे, असे सरतेशेवटी अनिल गलगली यांनी नमूद केले.