Friday 27 January 2017

अवैध नगरसेवकों पर बकाया हैं १२ लाख

गत 2 महानगरपालिका चुनाव में आरक्षित वॉर्ड से चुनकर आए और जाति प्रमाणपत्र के चलते अवैध साबित हुए  ५ नगरसेवकों ने विभिन्न भत्ता से प्राप्त रु ११ लाख ९८ हजार १६६ आज तक अदा नहीं करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महानगरपालिका सचिव विभाग ने दी हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महानगरपालिका सचिव विभाग से नगरसेवक पद से खारिज किए गए पूर्व नगरसेवकों से वसूल की गई बकाया रक्कम की जानकारी मांगी थी। महानगरपालिका उप सचिव शोभना येरंडेकर ने अनिल गलगली को जानकारी उपलब्ध कराई गई ।  २००७ से २०१७ तक विभिन्न राजनीतिक दलों के १६ नगरसेवकों का  नगरसेवक पद रद्द हुआ हैं। नगरसेवक पद के तौर पर मिला मानधन और भत्ता वापिस करने का पत्र मनपा के सचिव विभाग ने पत्र भी भेजा था। इन १६ में से लालजी यादव, अंजुमा फातिमा,अनुषा कोडम,जोबनपुत्रा भावना और इसाक शेख शेख युसूफ मोहम्मद इन ५ पूर्व नगरसेवकों ने १२ लाख रकम का बकाया अदा नहीं किया। लालजी यादव ने रु 7,439 , अंजुम फातिमा ने रु 45,388, अनुषा कोडम ने रु 3,20,681, जोबनपुत्रा भावना ने 3,65,428 तर इसाक शेख ने रु 4,59,230 आज तक अदा नहीं किया।

अनिल गलगली ने मनपा की प्रॉपर्टी डुबानेवाले बकायेदार पूर्व नगरसेवकों कारवाई करने की मांग मनपा प्रशासन से की हैं।मनपा सचिव ने स्वयं ध्यान देकर वसूली करने के बजाय सिर्फ  जिलाधिकारी को पत्राचार कर अपनी जिम्मेदारी से भागने का आरोप अनिल गलगली किया और बकायेदार पूर्व नगरसेवकों का नाम फोटो सहित मनपा की वेबसाइट और संबंधित प्रभाग कार्यालय में लगाने की मांग मनपा आयुक्त को भेजे हुए पत्र में की हैं। यह जनता का पैसा हैं और अवैध घोषित हुए नगरसेवकों ने उसे वापस करने की जरुरत होने की बात अनिल गलगली ने कही हैं।

अपात्र नगरसेवकांनी मुंबई पालिकेचे थकविले १२ लाख

गेल्या दोन महापालिका निवडणुकांमध्ये राखीव वॉर्डातून निवडून आलेल्या व जात प्रमाणपत्रामुळे अपात्र ठरलेल्या तसेच अन्य अशा एकूण ५ नगरसेवकांनी विविध भत्त्यांपोटी मिळालेले ११ लाख ९८ हजार 166 रु. थकवल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महानगरपालिका चिटणीस खात्याने दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महानगरपालिका चिटणीस खात्याकडे नगरसेवक रद्द झालेल्या माजी नगरसेवकांकडून वसूल केलेल्या थकबाकीची माहिती विचारली होती. महानगरपालिका उप चिटणीस शोभना येरंडेकर यांनी अनिल गलगली यांस माहिती उपलब्ध करुन दिली. २००७ ते २०१७ पर्यंत विविध राजकीय पक्षांच्या १६ नगरसेवकांचे नगरसेवकपद रद्द झाले. त्यांना नगरसेवक म्हणून मिळालेले मानधन व भत्ते परत करण्याचे पत्र पालिकेच्या चिटणीस खात्याने पाठवले होते. या १६ जणांपैकी लालजी यादव, अंजुमा फातिमा, अनुषा कोडम, जोबनपुत्रा भावना 

आणि इसाक शेख शेख युसूफ मोहम्मद या ५  जणांनी बारा लाख रकमेची थकबाकी भरलेली नाही. लालजी यादव यांनी रु 7,439 , अंजुम फातिमा यांनी रु 45,388, अनुषा कोडम यांनी रु 3,20,681, जोबनपुत्रा भावना यांनी 3,65,428 तर इसाक शेख यांनी रु 4,59,230 आजपर्यंत अदा केली नाही.

अनिल गलगली यांनी थकबाकी ठेवलेल्या या माजी नगरसेवकांवर पालिकेची मालमत्ता बुडविल्याबद्दल कडक कारवाई करण्याची मागणी प्रशासनाकडे केली आहे. पालिका चिटणीस यांनी जातीने लक्ष घालत वसूली करणे आवश्यक असताना फक्त जिल्हाधिकारी यांस पत्रव्यवहार करत आपली जबाबदारी झटकत आहेत, असा आरोप करत अनिल गलगली यांनी थकबाकीदार माजी नगरसेवकांची नावे फोटो सहित पालिका संकेतस्थळावर तसेच संबंधित प्रभाग कार्यालयात दर्शनीभागी झळकविण्याची मागणी आयुक्तांना पाठविलेल्या पत्रात केली आहे.हा जनतेचा पैसा असून चुकीच्या मार्गाने अपात्र नगरसेवकांनी मिळविला असल्यामुळे त्यांनी तो परत करणे आवश्यक असल्याचे मत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले आहे.

Civic body yet to recover Rs 12 lakh from 5 disqualified corporators

Out of the 16 Corporators disqualified from BMC, Five have refused to return Emoluments and allowances paid to them.Civic body yet to recover Rs 12 lakh from disqualified corporators. This was revealed by a Right to Information (RTI) claim filed by RTI Activist Anil Galgali. Once disqualified, a corporator needs to return the salaries and allowances received in his tenure.

RTI Activist Anil Galgali ask the details and action taken on the Ex Corporators who are disqualified but till not paid there dues. Deputy Municipal Secretary Shobhana Yerandekar supply notice copy which was serve to the all Ex Corporators. t BMC has served notice of recovery to Lalji Yadav, Fatima Anjum, Anusha Kondam, Bhavna Jobanputra & Ishaq Shaikh. All these have lost their membership on the grounds of using fake caste certificate, while fighting Elections from reserved wards. The total sum of recovery from all five is Rs 11,98,166/-.  Ex Member lalji Yadav owes Rs 7,439/-, Fatima Anjum Rs 45,388/-, Anusha Kondam Rs 3,20,681/-,  Bhavana Jobanputra Rs 3,65,428/-  & Ishak Shaikh Rs. 4,59,230/- 

Anil Galgali said recovery of these dues from former Corporators is the primary responsibility of the BMC Secretary. Instead of waiting for action of the collector,  Municipal Secretary office should put up information of these erring ex-members on BMC Website and also display them across all their offices in Mumbai. This is public money and if the disqualified corporators received it through wrong means, they should refund it, said Galgali.

Monday 23 January 2017

जाली नोट के पक्के आंकड़े आरबीआई के पास नहीं

नोटबंदी के बाद जाली नोट का शोध लगाना आसान होने का सरकारी दावा आरबीआई के एक आरटीआई जबाब से फुस्स होने की बात स्पष्ट हो रही हैं। रद्द किए गए नोटों से प्राप्त जाली नोट के पक्के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं होने की जानकारी आरबीआई ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने आरबीआई से जानना चाहा था कि 8 नवंबर 2016 से लेकर 10 दिसंबर 2016 तक जिन बैंकों से रद्द किए गए नोटों में जाली नोट प्राप्त हुए हैं। उस बैंक का नाम, कुल जाली नोट, नोट का मूल्य और दिनांक की जानकारी दे। आरबीआई के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी पी. विजय कुमार ने अनिल गलगली को मुद्रा प्रबंधन विभाग के जाली नोट सतर्कता विभाग से प्राप्त जानकारी दी। मुद्रा प्रबंधन विभाग के जाली नोट सतर्कता विभाग ने दावा किया कि वांछित सूचना के पक्के आंकड़े भारतीय रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध नहीं हैं।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी का फैसला लेते हुए कहा था कि इसकी मदद से हमें जाली नोटों को रोकने और आतंकवादियों को होने वाली फंडिंग को खत्‍म करने में मदद मिलेगी। लेकिन जो जबाब आरटीआई में आरबीआई ने दिया हैं उससे साफ़ हैं कि जाली नोटों पर शिकंजा कसने में या सरकार फेल हुई हैं या जाली नोट का हौव्वा खड़ा किया गया हैं। यह कहते हुए अनिल गलगली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की हैं कि जनहितार्थ जाली नोटों की जानकारी और आंकड़े सार्वजनिक करे।

बनावट नोटांची पक्की आकडेवारी आरबीआयकडे नाही

​नोटबंदी नंतर बनावट नोटांचा शोध लावणे सरळ होण्याचा सरकारी दावा आरबीआयने एका आरटीआयस दिलेल्या उत्तरानंतर फुस्स झाल्याची बाब झाली आहे. रद्द झालेल्या ज्या नोटां प्राप्त झाल्या आहेत त्यात बनावट नोटांची पक्की आकडेवारी उपलब्ध नसल्याची माहिती आरबीआयने आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी आरबीआयकडे माहिती विचारली होती की 8 नोव्हेंबर 2016 पासून 10 डिसेंबर 2016 पर्यंत ज्या बैंकेतून रद्द केलेल्या नोटांमधून किती बनावट नोटा से प्राप्त झाल्या आहेत. त्या बैंकेचे नाव, एकूण बनावट नोट, नोटांचे मूल्य आणि दिनांक याची माहिती दयावी. आरबीआयचे केंद्रीय जण सूचना अधिकारी पी. विजय कुमार यांनी अनिल गलगली यांस चलन व्यवस्थापन विभागाच्या बनावट नोट दक्षता विभागाकडून प्राप्त माहिती पुरविली. चलन व्यवस्थापन विभागाच्या बनावट नोट दक्षता विभागाने दावा केला आहे की मागितलेल्या माहितीची पक्की आकडेवारी भारतीय रिजर्व बैंकेकडे उपलब्ध नाही आहे.

भारताचे पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी जेव्हा 8 नोव्हेंबर , 2016 रोजी नोटबंदीचा निर्णय घेतला होता तेव्हा अभिमानाने सांगितले होते की यामुळे बनावट नोटा रोखण्यासाठी आणि दहशतवाद्यांस होणा-या अर्थ पुरवठ्यास संपविण्यास मदद होईल. परंतु आरटीआय अंतर्गत आरबीआयने दिलेले उत्तरामुळे स्पष्ट होत आहे की बनावट नोटांवर नियंत्रण राखण्यास सरकार अपयशी ठरले आहे किंवा नोटबंदीची घोषणा फुस्स झाली आहे, असे सांगत अनिल गलगली यांनी पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांस आवाहन केले की लोकहितार्थ बनावट नोटांची माहिती आणि आकडेवारी सार्वजनिक करावी.

Where are the fake notes? Even RBI doesn't know'

The Reserve Bank of India has admitted it has no confirmed data of the number or value of fake currencies detected since the demonetisation of Rs 500 and Rs 1,000 notes, a RTI query has revealed filed by RTI Activist Anil Galgali.

"We presently don't have the confirmed data on this query," said a reply from the RBI's Department of Currency Management (Forged Note Vigilance Division), to prominent RTI  Activist Anil Galgali. In a pointed query, Anil Galgali had asked RBI to provide details of the number or value of the fake currencies detected post-demonetisation, the name of the banks, dates, etc, between November 8-December 10, 2016.

"However, the RBI has made it clear that nearly 11 weeks later, it has simply no data available on this crucial aspect. So the government's claims to demonetise as a weapon to kill fake currency is proving hollow," said Galgali.

Galgali pointed out that Prime Minister Narendra Modi had said that demonetisation would help wean out counterfeit currency notes and choke terror fundings.

"The RBI's replies make it obvious that the government has failed in this endeavour or raised the bogey of fake currencies merely to implement demonetisation. It’s now up to the PM to declare the figure/value of counterfeit notes recovered, in national interest," Galgali said.

10 वर्ष में 16 नगरसेवकों का पद हुआ ख़ारिज

फर्जी जाति प्रमाणपत्र और दो से अधिक बच्चों के चलते गत 10 वर्ष में 16 नगरसेवकों का पद मुंबई महानगरपालिका ने ख़ारिज करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महानगरपालिका सचिव कार्यालय ने दी हैं। सबसे ज़्यादा 12 नगरसेवक वर्ष 2007 से 2012 इस दौरान गलत पाएं गए थे।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महानगरपालिका सचिव कार्यालय से गत 10 वर्ष में ख़ारिज नगरसेवकों की जानकारी मांगी थी। महानगरपालिका सचिव विभाग के सहायक महानगरपालिका सचिव प्रमोद गिरी ने अनिल गलगली को 30 पन्ने वाली जानकारी उपलब्ध कराई जिसमें 14 नगरसेवक फर्जी जाति प्रमाणपत्र और 2 नगरसेवकों  दो से  अधिक बच्चों के चलते अपना पद खोना पड़ा था। वर्ष 2007 के महानगरपालिका चुनाव में चुनकर आए शिरीष चोगले, सुनिल चव्हाण, लालजी यादव, रश्मी पहडुकर, नारायण पवार, प्रवीण देव्हारे, विश्वनाथ महाडेश्वर, सुभाष सावंत, अंजुम असलम, सिमिंतीनी नारकर, भारती धोंगडे फर्जी जाति प्रमाणपत्र वहीं गुलशन चौहान को 2 से अधिक बच्चों होने के चलते इनका नगरसेवक पद ख़ारिज किया गया। वर्ष 2012 के महानगरपालिका चुनाव में जीते नगरसेवकों में से भावना जोबनपुत्र, महंमद इसाक ,कोडम अनुपा आर ये फर्जी जाति प्रमाणपत्र और शेख सिराज दो से अधिक बच्चों होने की बात साबित होने से मनपा ने उन्हें नगरसेवक पद से वंचित किया।

अनिल गलगली के अनुसार महानगरपालिका सचिव विभाग ने इतनी महत्वपूर्ण जानकारी वेबसाइट पर आज तक अपलोड नहीं की हैं।मनपा चुनाव में जाति प्रमाणपत्र वैध नहीं होने पर राजनीतिक दलों को ऐसे लोगों को उम्मीदवारी देने से बचना चाहिए क्योंकि वैध और अवैध के चक्रव्यूह में होनेवाली देरी से  नगरसेवक जिस वार्ड का प्रतिनिधीत्व करता हैं वहां की तेथील नागरी सुविधा कामों में व्यवधान उत्पन्न होता हैं। जो नगरसेवक विभिन्न कारणों से नगरसेवक पद से ख़ारिज हुए हैं उन्हें भविष्य में उम्मीदवारी न देने की सर्तकता राजनीतिक दल ले, ऐसी मांग अनिल गलगली ने की हैं।

10 वर्षात 16 नगरसेवकांचे पद रद्द झाले

बोगस जात प्रमाणपत्र आणि दोनपेक्षा अधिक अपत्य असल्यामुळे गेल्या 10 वर्षात 16 नगरसेवकांचे पद मुंबई महानगरपालिकेने रद्द केल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महानगरपालिका चिटणीस कार्यालयाने दिली आहे. सर्वाधिक 12 नगरसेवक वर्ष 2007 ते 2012 या कालावधीत बाद झाले आहेत.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महानगरपालिका चिटणीस कार्यालयाकडे गेल्या 10 वर्षात बाद नगरसेवकांची माहिती मागितली होती. महानगरपालिका चिटणीस विभागाचे सहायक महानगरपालिका चिटणीस प्रमोद गिरी यांनी अनिल गलगली यांस 30 पाने उपलब्ध करुन दिली ज्यात 14 नगरसेवक बोगस जाती प्रमाणपत्र आणि 2 नगरसेवक दोनपेक्षा अधिक अपत्य असल्यामुळे बाद करण्यात आल्याची बाब समोर आली. वर्ष 2007 च्या महानगरपालिका निवडणूकीत निवडून आलेले शिरीष चोगले, सुनिल चव्हाण, लालजी यादव, रश्मी पहडुकर, नारायण पवार, प्रवीण देव्हारे, विश्वनाथ महाडेश्वर, सुभाष सावंत, अंजुम असलम, सिमिंतीनी नारकर, भारती धोंगडे हे बोगस जाती प्रमाणपत्र तर गुलशन चौहान हे 2 पेक्षा अधिक अपत्य असल्यामुळे यांचे नगरसेवक पद रद्द करण्यात आले. वर्ष 2012 च्या महानगरपालिका निवडणूकीत निवडून आलेल्या नगरसेवकांपैकी भावना जोबनपुत्र, महंमद इसाक,कोडम अनुपा आर हे बोगस जाती प्रमाणपत्र तर शेख सिराज दोनपेक्षा अधिक अपत्य असल्यामुळे यांचे नगरसेवक पद रद्द केले गेले आहे.

अनिल गलगली यांच्या मते महानगरपालिका चिटणीस विभागाने इतकी महत्वाची माहिती संकेतस्थळावर आजपर्यंत प्रसिद्ध केली नाही. पालिका निवडणूकीत जात प्रमाणपत्र वैध नसल्यास राजकीय पक्षाने अश्या लोकांस उमेदवारी देण्यापासून टाळले पाहिजे जेणेकरुन वैध आणि अवैध बाबींच्या चक्रव्यूहात होणा-या दिरंगाईत नगरसेवक ज्या प्रभागाचे प्रतिनिधीत्व करतो तेथील नागरी सुविधा कामात व्यत्यय येणार नाही. जे नगरसेवक विविध कारणामुळे बाद झाले आहे अश्या लोकांस भविष्यात उमेदवारी न देण्याची दक्षता राजकीय पक्षाने घ्यावी, अशी अपेक्षा अनिल गलगली यांची आहे.

16 Mumbai Corporators disqualified during last 10 Years

A total of 16 corporators of BrihanMumbai Municipal Corporation (BMC) have been disqualified and lost their membership during last 10 years.This was revealed in a reply to RTI activist Anil Galgali by Municipal Secretary office of the BMC. Apart from 2 exceptions, All others lost their membership on the charge of submitting false caste certificates, while filing their nominations. While remaining 2 were disqualified on the ground of having more than 2 children.

Assistant BMC Secretary Pramod Giri provide record to Anil Galgali after he raised the query. According to available records, during the earlier tenure of BMC between Year 2007- 2012, 12 Corporators were disqualified from membership. Shirish Chogle, Sunil Chavan, Lalji Yadav, Rashmi Pahadukar, Narayan Pawar, Pravin Devhare, Vishvanath Mahadeshwar, Subhash Sawant, Anjum Aslam, Simantini Narkar & Bharti Dhondge were disqualified for submitting false caste certificate. While Gulshan Chauhan lost her membership for having more than 2 children. During the present tenure of BMC from Year 2012- 2017, situation improved considerably as only 4 corporators have been disqualified during last 5 years. Bhavna Jobanputra, Mohammed Ishaq & Kondum Anupa were disqualified for producing false Caste certificates. Shaikh Siraj was the only exception in this term who lost membership for having more than 2 children.

Anil Galgali said, Political parties should ensure that candidates with proper caste certificates are nominated to fight elections, Making sure such situation of disqualification does not come up again. He has expressed dismay at the fact that important event like disqualification are not posted on the BMC's official website.

Friday 20 January 2017

500 का 1 नोट के लिए सरकार अदा करती हैं 3.09 रुपए

नई 500 की नोट की छपाई के खर्च को लेकर आखिर कितना खर्च होता हैं? इस बात को जानने की जिज्ञासा हर एक भारतीय को हैं।500 का 1 नोट के लिए सरकार 3.09 रुपए अदा करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण (प्रा.) लिमिटेड ने दी हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने भारतीय रिज़र्व बैंक से नई करंसी वाली 500 और 1000 के नोट की मुद्रण की छपाई का कुल खर्च और कुल नोटों की संख्या के साथ ठेके की कुल रकम का ब्यौरा मांगा था। भारतीय रिज़र्व बैंक ने अनिल गलगली का आवदेन सूचना का अधिकार,2005 की धारा 6(3) के तहत उसे भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण (प्रा.) लिमिटेड को हस्तांतरित किया था। भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण (प्रा.) लिमिटेड के उप महाप्रबंधक पी विल्सन ने अनिल गलगली को जानकारी दी कि वर्ष 2016-2017 के आर्थिक वर्ष में उनकी कंपनी नई डिजाईन वाली 500 के एक हजार नोट को बेचने का दाम 3090 रुपए हैं। यानी 500 की एक नोट का छपने का मूल्य 3.09 रुपए हैं। 1000 की नोट की जानकारी उनके पास नहीं हैं।

500 और 1000की नोट का ठेका, कुल किंमत, जारी की गई रकम और प्रलंबित रकम की जानकारी मांगने पर अनिल गलगली को सूचना का अधिकार 2005 की धारा 8(1)(क) के तहत ख़ारिज की गई। धारा कहती हैं कि वह सूचना जिसे सार्वजनिक किए जाने से देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरा पहुंचता हो। राज्य की सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली हो। विदेशों से संबंध में बुरा असर पड़ता हो या किसी आपराधिक प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलता हो।

अनिल गलगली के अनुसार उन्होंने ठेकेदार का नाम पूंछा नहीं सिर्फ कुल आर्डर, उसकी रकम, ठेके की रकम और जारी की रकम की जानकारी मांगी थी जो जनहितार्थ सार्वजनिक कर भारतीय रिज़र्व बैंक जनता में खोयी हुई अपनी प्रतिष्ठा को पुर्नस्थापित कर सकती हैं। इसतरह हर बार बेवजह सूचना को ख़ारिज कर अपरोक्ष तौर पर आरबीआई पर पारदर्शकता और जबाबदेही से बचने का आरोप अनिल गलगली ने लगाया हैं। केंद्र सरकार ने स्वयंस्फूर्त होकर इसे सार्वजनिक करने की जरुरत हैं।

500 रुपयांच्या एका नोटासाठी शासन अदा करते 3.09 रुपये

नवीन 500 रुपयांची नोट कितीला मुद्रित होते ? याबाबीची कुतुहलता प्रत्येक भारतीयांस आहे. 3.09 रुपये 500 रुपयांच्या 1 नोटासाठी शासन अदा करण्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांस भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण (प्रा.) लिमिटेडने दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी भारतीय रिज़र्व बैंककडे नवीन करंसीच्या 500 आणि 1000 च्या नोटांच्या मुद्रणांचा एकूण खर्च,नोटांच्या संख्या आणि कंत्राटाची रक्कमेची माहिती मागितली होती. भारतीय रिज़र्व बैंकेने अनिल गलगली यांचा अर्ज माहितीचा अधिकार, 2005 चे कलम 6(3) अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण (प्रा.) लिमिटेडेला हस्तांतरित केला होता. भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण (प्रा.) लिमिटेडचे उप महाव्यवस्थापक पी विल्सन यांनी अनिल गलगली यांस माहिती दिली की वर्ष 2016-2017 च्या आर्थिक वर्षात कंपनीने नवीन डिझाईनवाली 500 च्या एक हजार नोटा 3090 रुपयांस विकल्या गेल्या आहेत. 500 च्या एक नोट मुद्रित करण्याचे मूल्य 3.09 रुपये आहे. 1000 ची नोटांची माहिती त्यांसकडे नाही.

500 आणि 1000 ची नोटांचा कंत्राट, एकूण किंमत, दिली गेलेली रक्कम आणि प्रलंबित रक्कमेची माहिती अनिल गलगली यांनी मागितली असता माहितीचा अधिकार 2005 चे कलम 8(1)(क) अंतर्गत नाकारली गेली. या कलमात असे नमूद केले आहे की जी माहिती प्रकट केल्याने भारताच्या सार्वभौमत्वाला किंवा एकात्मतेला, राज्याच्या सुरक्षेला, युद्धतंत्रविषयक, वैज्ञानिक किंवा आर्थिक हितसंबंधांना, परकीय राज्याबरोबरच्या संबंधांला बाधा पोहोचेल किंवा अपराधाला चिथावणी मिळेल अशी माहिती.

अनिल गलगली यांच्या मते त्यांनी कंत्राटदारांचे नाव विचारले नव्हते त्यांनी कुल कंत्राट,कंत्राटाची रक्कम,जारी केलेली रक्कमेची माहिती मागितली होती. सदर माहिती लोकहितार्थ सार्वजनिक करत भारतीय रिज़र्व बैंकेस जनतेत लुप्त झालेलीजनता प्रतिष्ठा पुर्नस्थापित करण्याची नामी संधी आहे. प्रत्येक वेळी विनाकारण माहिती नाकारत अप्रत्यक्षरित्या आरबीआय पारदर्शकता आणि स्वच्छ कामकाजापासून पळ काढत असल्याचा आरोप अनिल गलगली यांनी केला आहे. केंद्र शासनाने स्वतःहुन सदर माहिती सार्वजनिक करण्याची गरज आहे.

Govt pays Rs 3.09 per 500 new note

In RTI response to RTI Activist Anil Galgali on the printing cost of currency notes has revealed that Government of India pays Rs 3.09 per 500 new note. 

The application was filed  by RTI Activist Anil Galgali. Deputy General Manager P Wilson inform Galgali that the selling price is Rs 3090 per thousands pieces of Rs 500 denomination of new design bank notes printed by there company BRBNMPL For the financial year 2016-17. The Reserve Bank of India (RBI) owned Bhartiya Reserve Bank Note Mudran Private Limited (BRBNMPL) sells the notes of Rs 500 at a cost of  Rs 3.09  to the authorities. 

The RTI also sought information regarding details of the newly printed Rs 500 and Rs 1000 notes order placed for how much quantity to print, it's number, value, the total amount contract, amount released and amount pending.  The BRBNMPL, on the hand, denied information stating “the information cannot be provided since it is considered as exempted information that falls under the ambit of section 8(1)(a) of the Right to Information Act, 2005.

Wednesday 18 January 2017

मुंबई विद्यापीठ में परीक्षा नियंत्रक पद 17 महीने से रिक्त

मुंबई विद्यापीठ में समय पर परीक्षा का परिणाम घोषित करना और परीक्षा समय पर लेने की जिम्मेदारी जिस परीक्षा नियंत्रक की होती हैं वह पद गत 17 महीने से रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई विद्यापीठ ने दी है। विशेष यानि मुंबई विद्यापीठ ने 2 बार विज्ञापन पर अबतक रु 139,816/- खर्च करने के बाद परीक्षा नियंत्रक पद के लिए उपयुक्त व्यक्ती नहीं मिलने पर अचरज जताया जा रहा हैं। परीक्षा नियंत्रक पद रिक्त होने के दिनांक से छह महीने तक पद नहीं भरा गया तो सरकार ने परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी का निर्वाह करने के लिए उपयुक्त व्यक्ति को प्रतिनियुक्ती पर नियुक्ती करने की नीतियों को नजरअंदाज किया गया हैं। ताज्जुब की बात यह हैं कि दोनों बार डॉ संजय देशमुख ने वैध उम्मीदवारों को दरकिनार करते हुए यह पद रिक्त रखने में योगदान दिया।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई विद्यापीठ से परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ती पर जानकारी मांगी थी। मुंबई विद्यापीठ के सहायक कुलसचिव विकास डवरे ने अनिल गलगली को बताया कि 7 अक्टूबर 2015 और 16 अगस्त 2016 को परीक्षा नियंत्रक के लिए 2 बार विज्ञापन जारी किया। इनपर क्रमशः रु 91,768/- और रु 48,048/- इतना खर्च हुआ।  वाईस चांसलर ने नियुक्त किए गए स्क्रूनिटी कमिटी के डॉ अभय पेठे, डॉ सिद्धेश्वर गडदे और डॉ अशोक महाजन ने 24 में से 4 नामों को वैध पाया लेकिन वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख चयन कमिटी ने 9 मई 2016 को एक भी उम्मीदवार उपयुक्त न होने का फैसला सुनाया।  उसके बाद जारी दूसरे विज्ञापन पर वाईस चांसलर में नियुक्त की गई स्क्रुनिटी कमिटी के डॉ अभय पेठे, डॉ विजय जोशी, डॉ मुरलीधर कुऱ्हाडे और डॉ उदय साळुंके ने 14 में से 10 लोगों के नामों को वैध पाया लेकिन 5 अक्टूबर 2016 को संपन्न हुई बैठक में वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख चयन कमिटी ने दोबारा एक भी उम्मीदवार उपयुक्त न होने का दावा कर नया विज्ञापन देने का आदेश दिया।

अनिल गलगली के मुताबिक विज्ञापन पर रु 139,816/- खर्च करने के बाद परीक्षा नियंत्रक पद के लिए उपयुक्त व्यक्ती का चयन करने की प्रक्रिया में वाईस चांसलर ने अधिक समय गंवाया और इस पद को लेकर सरकार ने भी नजरअंदाजी की हैं क्योंकि यह पद 17 अगस्त 2015 से रिक्त होने की तारीख से 6 महीने तक पद नहीं भरा गया तो सरकार ने परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी को निभाने के लिए उपयुक्त व्यक्ती की प्रतिनियुक्तीपर नियुक्ती करने की नीतियां होते हुए महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र विद्यापीठ अधिनियम, 1994 के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप अनिल गलगली ने किया हैं और जिम्मेदार अधिकारियों पर कारवाई करने प्रतिनियुक्ती पर अधिकारी की नियुक्ती करने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिक्षा मंत्री विनोद तावडे को भेजे हुए पत्र में की हैं।

मुंबई विद्यापीठात परीक्षा नियंत्रक पद 17 महिन्यापासून रिक्त

मुंबई विद्यापीठात वेळेवर निकाल लावणे आणि परीक्षा वेळेवर घेण्याची जबाबदारी ज्या परीक्षा नियंत्रकावर असते ते पद गेल्या 17 महिन्यापासून रिक्त असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई विद्यापीठाने दिली आहे. विशेष म्हणजे मुंबई विद्यापीठाने 2 वेळा जाहिरातीवर आतापर्यंत रु 139,816 खर्च करुनही परीक्षा नियंत्रक पदासाठी योग्य व्यक्ती मिळत नसल्याबाबत आश्चर्य व्यक्त होत आहे. परीक्षा नियंत्रक पद रिक्त झाल्याच्या दिनांकापासून सहा महिन्यापर्यंत ते पद भरले गेले नाही तर शासनाने परीक्षा नियंत्रकाची कर्तव्ये पार पाडण्यासाठी योग्य व्यक्तीची प्रतिनियुक्तीवर नियुक्ती करण्याच्या धोरणाकडे जाणूनबुजून दुर्लक्ष केले आहे.विशेष म्हणजे दोन्ही वेळा डॉ संजय देशमुख यांनी पात्र उमेदवारांस डावलत सदर पद रिक्त ठेवण्यात हातभार लावला.




आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई विद्यापीठाकडे परीक्षा नियंत्रकाच्या नियुक्तीबाबत माहिती विचारली होती. मुंबई विद्यापीठाचे सहायक कुलसचिव विकास डवरे यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की 7 ऑक्टोबर 2015 आणि 16 ऑगस्ट 2016 रोजी परीक्षा नियंत्रकासाठी  दोनदा जाहिराती दिली. यावर अनुक्रमे रु 91,768/- आणि रु 48,048/- इतका खर्च झाला. कुलगुरु यांनी नेमलेल्या छाननी समितीचे डॉ अभय पेठे, डॉ सिद्धेश्वर गडदे आणि डॉ अशोक महाजन यांनी 24 पैकी 4 इच्छुकांची नावे पात्र केली होती पण  कुलगुरु डॉ संजय देशमुख निवड समितीने 9 मे 2016 रोजी एकही उमेदवार योग्य नसल्याचा निर्वाळा दिला. त्यानंतर दिलेल्या दुस-या जाहिरातीनंतर कुलगुरु यांनी नेमलेल्या छाननी समितीचे डॉ अभय पेठे, डॉ विजय जोशी, डॉ मुरलीधर कुऱ्हाडे आणि डॉ उदय साळुंके यांनी 14 पैकी 10 इच्छुकांची नावे पात्र केली होती पण 5 ऑक्टोबर 2016 रोजी संपन्न झालेल्या बैठकीत कुलगुरु डॉ संजय देशमुख निवड समितीने पुनश्च एकही उमेदवार योग्य नसल्याचा निर्वाळा देत पुन्हा जाहिराती देण्याचे आदेश दिले.

अनिल गलगली यांच्या मते दोन्ही जाहिरातीवर 139,816 खर्च करुनही परीक्षा नियंत्रक पदासाठी योग्य व्यक्ती निवडण्याबाबत जाणूनबुजून कुलगुरुनी चालढकल केली गेली आहे आणि या पदाबाबत शासनाने सुद्धा वेळखाऊ धोरणाचा अवलंब केला. हे पद 17 ऑगस्ट 2015 पासून रिक्त झाल्याच्या दिनांकापासून सहा महिन्यापर्यंत ते पद भरले गेले नाही तर शासनाने परीक्षा नियंत्रकाची कर्तव्ये पार पाडण्यासाठी योग्य व्यक्तीची प्रतिनियुक्तीवर नियुक्ती करण्याचे धोरण असतानाही महाराष्ट्र शासनाने महाराष्ट्र विद्यापीठ अधिनियम, 1994 च्या नियमांची पायमल्ली केल्याचा आरोप अनिल गलगली यांनी केला आणि संबंधित अधिकारीवर्गावर कार्यवाही करत ताबडतोब प्रतिनियुक्तीवर अधिका-यांची नियुक्ती करण्याची मागणी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि शिक्षण मंत्री विनोद तावडे यांस पाठविलेल्या पत्रात केली आहे.