Thursday 29 October 2015

डांस ग्रुप ने लौटाए 8 लाख

बैंकाक स्थित डांस प्रोग्राम में जाने के लिए 8 लाख डांस ग्रुपला दिया था उस डांस ग्रुप ने पैसे लौटाने से एकतरह से सीएम रिलीफ फंड से हुआ दुरुप्रयोग साबित हुआ हैं। सूचना का अधिकार इस्तेमाल कर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इस मामले को उजागर किया था उन्होंने सीएम देवेंद्र फडणवीस से अपील की हैं कि अब तो सीएम अपनी गलती को माने और भविष्य में सीएम रिलीफ फंड का इस्तेमाल करने के दौरान सतर्कता बरते। महाराष्ट्र राज्य का सूखाग्रस्त और आत्महत्याग्रस्त को मदद के लिए सरकार की मदद कम नही पड़े इसलिए आम लोगों से लेकर छात्र भी खुले हाथ से सीएम रिलीफ फंड में अपना योगदान देते है लेकिन इस फंड का आर्थिक मदद के लिए सही ढंग से वितरण नहीं हो रहा हैं। सीएम रिलीफ फंड से बैंकॉक स्थित डांस के लिए 8 लाख रुपए की नियमबाहय खैरात 15 सरकारी कर्मचारियों को बांटने की सनसनीखेज जानकारी 5 दिन के पहले आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सरकार ने उपलब्ध कराए हुए दस्तावेज से सामने आई हैं। स्पेशल केस के तौर पर सचिवालय जिमखाना को 8 लाख मंजूर किए है इस सचिवालय जिमखाना के पदसिद्ध अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सीएम रिलीफ फंड विभाग से सचिवालय जिमखाना,मुंबई इस संस्था को सीएम रिलीफ फंड से किए हुए अर्थसहाय की जानकारी मांगी थी। सीएम रिलीफ फंड विभाग के जन सूचना अधिकारी ने अनिल गलगली को सचिवालय जिमखाना,मुंबई को दिए हुए 8 लाख की अर्थसहायता की जानकारी उपलब्ध कराई। दिनांक 25 अगस्त 2015 को सचिवालय जिमखाना,मुंबई ने सरकारी कर्मचारियों को बैंकॉक-थायलंड में दिनांक 26 से 30 दिसंबर 2015 इस दौरान आयोजित की हुई प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए स्पेशल केस के तौर 8 लाख की आर्थिक मदद करने का अनुरोध किया था जिसे सीएम देवेंद्र फडनवीस ने स्पेशल केस बनाकर प्रस्ताव पेश करने का आदेश सीएम सचिवालय/ फंड विभाग को आदेश जारी किया। दिनांक 27 अगस्त 2015 को पेश किए गए प्रस्ताव को सीएम देवेंद्र फडनवीस ने स्पेशल केस के तहत रु 8 लाख देने का आदेश जारी किया। दिनांक 11 सितंबर 2015 को रु 8 लाख सीएम रिलीफ फंड से सचिवालय जिमखाना,मुंबई के अकाउंट में जमा भी किए गए। # फंड वितरण को कार्यशैली महाराष्ट्र राज्य के सहित देश में आपदा में फंसे लोगों को तत्काल सहायता देना, ये सीएम रिलीफ फंड का मुख्य उद्देश्य होता हैं। बाढ़, सूखा और आग लगने से होनेवाली दुर्घटना जैसी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को सीएम रिलीफ फंड के द्वारा अर्थसहाय उपलब्ध किया जाता हैं। समाज में आर्थिक तौर पर दुर्बल घटकों को दुर्धर बीमारियों का इलाज करने के लिए भी इस फंड से अर्थसहाय उपलब्ध किया जाता हैं। सीएम रिलीफ फंड की अर्थसहाय वितरण कार्यशैली के खिलाफ एक जनहित याचिका मुंबई उच्च न्यायालय में प्रलंबित होने से व्यक्तिगत या संस्थात्मक प्रयोजन के लिए सीएम रिलीफ फंड से आर्थिक मदद न देने की पॉलीसी को नजरअंदाज किया गया और सीएम देवेंद्र फडनवीस ने स्वयं पदसिद्ध अध्यक्षतावाली सचिवालय जिमखाना,मुंबई को स्पेशल केस के तौर पर रु 8 लाख ऐसे समय दिए है जब राज्य में किसान सूखे से त्रस्त होकर आत्महत्या करने के लिए विवश होने का आरोप अनिल गलगली ने लगाया हैं। अखिल भारतीय सांस्कृतिक संघ और ग्लोबल कौंसिल ऑफ आर्ट एंड कल्चर इन निजी संस्था द्वारा अक्षरा थिएटर, बैंकॉक (थायलंड) में आयोजित डांस के लिए कुल15 कर्मचारी जानेवाले है। हर एक कर्मचारी को न्यूनतम रु 50,000/- के हिसाब से 15 लोगों के रु 7,50,000/- के अलावा अन्य मामूली खर्च रु 50,000 ऐसे कुल खर्च 8,00,000/- होनेवाला हैं। अनिल गलगली का मानना हैं कि ये सीधे तौर पर सीएम रिलीफ फंड का दुरुप्रयोग होते हुए सीएम साहब को इसका तनिक भी अहसास नही होने पर खेद व्यक्त किया। सूचना का अधिकार इस्तेमाल कर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इस मामले को उजागर किया था उन्होंने सीएम देवेंद्र फडणवीस से अपील की हैं कि अब तो सीएम अपनी गलती को माने और भविष्य में सीएम रिलीफ फंड का इस्तेमाल करने के दौरान सतर्कता बरते।

8 लाख डांस ग्रुपने परत केले

बैंकाक येथील डांस कार्यक्रमाला जाण्यासाठी 8 लाख ज्या डांस ग्रुपला दिले होते त्या डांस ग्रुपने पैसे परत केले असून एकप्रकारे मुख्यमंत्री सहायता निधीचा झालेला दुरुप्रयोग सिद्ध झाला आहे. माहितीच्या अधिकाराचा वापर करून आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी हे प्रकरण समोर आणले त्यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस आवाहन केले आहे की आता तरी मुख्यमंत्र्यांनी चूक कबूल करावी आणि भविष्यात मुख्यमंत्री सहायता निधीचा वापर करताना योग्य दक्षता घ्यावी. महाराष्ट्र राज्यातील दुष्काळग्रस्त आणि आत्महत्याग्रस्तासाठी शासनाचे हात तोगडे पडू नयेत यासाठी सामान्यापासून विद्यार्थ्यांनी सुद्धा सढळ हाताने मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीस सहाय्यता करत आहेत पण या निधीचा आर्थिक मदतीसाठी योग्य वाटप होत नसून मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीतून बैंकॉक येथील नृत्यासाठी 8 लाखांची नियमबाहय खैरात 15 शासकीय कर्मचा-यास केल्याची धक्कादायक माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस शासनाने उपलब्ध करुन दिलेल्या कागदपत्राच्या आधारे समोर आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी 5 दिवसापूर्वी समोर आणली होती. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कक्षाकडे सचिवालय जिमखाना,मुंबई या संस्थेस मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीतून दिलेल्या अर्थसहाय्यताबाबत माहिती विचारली होती. मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कक्षाचे जन माहिती अधिकारी यांनी अनिल गलगली यांस सचिवालय जिमखाना,मुंबई यांस दिलेल्या 8 लाखांच्या अर्थसहाय्यताबाबत माहिती उपलब्ध करुन दिली. दिनांक 25 ऑगस्ट 2015 रोजी सचिवालय जिमखाना,मुंबई यांनी शासकीय नुत्य कलाकारांना बैंकॉक-थायलंड येथे दिनांक 26 ते 30 डिसेंबर 2015 या कालावधीत आयोजित केलेल्या स्पर्धेत सहभागासाठी ख़ास बाब म्हणून 8 लाखांची आर्थिक मदत करण्याची विनंती केली ज्यास मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी विशेष बाब म्हणून प्रस्ताव सादर करण्याचे आदेश मुख्यमंत्री सचिवालय/ निधी कक्षास आदेश जारी केले. दिनांक 27 ऑगस्ट 2015 रोजी सादर केलेल्या प्रस्तावास मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी विशेष बाब म्हणून रु 8 लक्ष देण्याचे आदेश जारी केले. दिनांक 11 सप्टेंबर 2015 रोजी रु 8 लाख मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीतून सचिवालय जिमखाना,मुंबई यांच्या खात्यात वर्ग करण्यात आली. # निधीवाटपाची कार्यपद्धती महाराष्ट्र राज्यातील तसेच देशातील आपत्तीग्रस्तांना तातडीने सहाय्यता देणे, हे मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीचे उद्दिष्ट आहे. पूर, दुष्काळ, आगीमुळे होणारे अपघात अशा मोठ्या नैसर्गिक आपत्तींमुळे बाधीत नागरिकांना “मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी” मार्फत अर्थसहाय्य पुरविले जाते. समाजातील आर्थिकदृष्ट्या दुर्बल घटकांना दुर्धर आजारांवर उपचार करण्यासाठीही या निधीतून अर्थसहाय्य पुरविले जाते. मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीतून अर्थसहाय्य वाटपाच्या कार्यपद्धती विरोधात एक जनहित याचिका मुंबई उच्च न्यायालयात प्रलंबित असल्याने वैयक्तिक किंवा संस्थात्मक प्रयोजनाकरिता मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीतून आर्थिक मदत न देण्याच्या धोरणास बगल दिली आणि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी स्व:ताच पदसिद्ध अध्यक्ष असलेल्या सचिवालय जिमखाना,मुंबईला विशेष बाब म्हणून रु 8 लाख अश्यावेळी दिले आहे जेव्हा दुष्काळग्रस्त शेतकरी शासकीय मदत अभावी आत्महत्या करत आहे, असा आरोप अनिल गलगली यांनी केला आहे. अखिल भारतीय सांस्कृतिक संघ आणि ग्लोबल कौंसिल ऑफ आर्ट एंड कल्चर या खाजगी संस्थेच्या विद्यमाने अक्षरा थिएटर, बैंकॉक (थायलंड) येथे आयोजित नृत्यासाठी एकूण 15 कर्मचारी जात आहेत. प्रत्येक कर्मचा -यांस किमान रु 50,000/- प्रमाणे पंधरा जणांचा रु 7,50,000/- अधिक इतर किरकोळ खर्च रु 50,000 असा एकूण खर्च 8,00,000/- होणार आहे. अनिल गलगली यांच्या मते हा मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीचा दुरुप्रयोग असून मुख्यमंत्री महोदयास याची जाणीव नसल्याची खंत व्यक्त केली. अनिल गलगली यांनी हे प्रकरण समोर आणले त्यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस आवाहन केले आहे की आता तरी मुख्यमंत्र्यांनी चूक कबूल करावी आणि भविष्यात मुख्यमंत्री सहायता निधीचा वापर करताना योग्य दक्षता घ्यावी.

Dance troupe returns Rs8 lakhs sanctioned to it from CM Relief Fund

By returning the grant of Rs 8 lakhs for dance competition at Bangkok by the dance troupe, it has now been confirmed that it was a grave mistake committed by the CM. RTI activist Anil Galgali, who exposed this misuse of the CM Relief Fund has now appealed to CM Devendra Fadnavis to accept the lapse committed by him and hence forward be vigilant in sanctioning from the fund, which has to be done to a needy. At a time when the state is facing the severest brunt of ongoing drought, which has fuelled a spate of suicides amongst the farmers in the state. The common man from all walks of life including students are chipping in their best contribution to the CM Relief Fund so as to enable the CM and the govt to provide maximum relief to the population hit by the calamities, it has come to light that the funds contributed to the CM fund is being misused. In a RTI reply accessed by the RTI activist Anil Galgali it has come to light that Rs 8 lakhs has been sanctioned by the CM to fund a 15 strong government employees dance troupe to enable them to attend a competition held at Bangkok, Thailand. Rs 8 Lakhs was sanctioned by the CM from the CM Relief Fund to Sachivalaya Gymkhana for the dance competition. It is also interesting to note here that the CM himself functions as the Chairman of the Sachivalaya Gymkhana. RTI activist Anil Galgali had sought information from the CM Relief Fund desk about the assistance provided by it to Sachivalaya Gymkhana. The Public Information officer of the CM Relief Fund desk provided Galgali the information that Rs 8 Lakhs financial assistance was given to the Sachivalaya Gymkhana. The Gymkhana had sought the assistance from the CM Relief fund vide their letter dt 25/08/2015. The Gymkhana needed the assistance to send it's 15 member strong team comprising government employees dance artistes to enable them to participate in a dance competition being held at Bangkok, Thailand from 26th to 30 th December 2015 as a special case. The application was sent by the CM to the CM Relief Fund desk with instructions to put up the application as a special case. On 27/08/2015 the application was put up before the CM as a special case and the assistance of Rs 8 lakhs was immediately sanctioned by the CM. The funds of Rs 8 Lakhs was transferred to the Sachivalaya Gymkhana's account on 11th September, 2015. # Guidelines for disbursement from the CM Relief Fund. The purpose of the CM Relief Fund is to provide immediate help to those effected by disaster within the Maharashtra state or any where in the country. The victims or survivors of Disasters such as floods, drought, accidents due to Fire or any other major natural calamities are provided with immediate assistance from the CM Relief Fund. The assistance are also provided to the economically backward sections amongst the communities in cases of medical treatments for various critical ailments. It is also important to note here that a PIL is pending before the Hon'ble High Court, Mumbai against the adhoc functioning of the CM Relief Fund, due to which the govt had taken a policy decision to hold the applications of personal nature and also of Institutions seeking assistance. The CM has overlooked and sidestepped it's own decisions and has disbursed funds to an organization called as Sachivalya Gymkhana, which is headed by CM himself, funds to a tune of Rs 8 lakhs as a special case for a dance competition and at the time when a poor farmer is forced to commit suicides due to reasons afflicted by the drought is shocking, alleged Galgali. The dance troupe is slated to participate in the competition being held at Akshara theatre, Bangkok, Thailand and is being organized by the private bodies like Akhil Bhartiya Sanskrutik Sangh and the Global Council of Art and Culture is comprising of 15 artists for which Rs 50,000 each has been sanctioned totalling Rs 7,50,000/=. Rs 50,000 has been additionally sanctioned to cover other miscellaneous expenses during the trip taking the overall total to Rs 8 Lakhs. Anil Galgali has expressed his opinion that, this type of sanctions amounts to misuse of the Relief Fund and it is sad that the CM is unaware of the rules guiding the Fund. Anil Galgali who via RTI had exposed this undue expenditure of the Government has appel the Chief Minister Devendra Fadanvis to come in public and apologise for his gesture. Anil Galgali has also cautioned the CM to further be vigilant in using the funds in future.

Wednesday 28 October 2015

महाराष्ट्र राज्य के 5 आईएएस अफसर निलंबित और 1 हुआ बर्खास्त

सरकार बदली लेकिन व्यवस्था बदली नही हैं, ऐसा शोर हमेशा सुनने आता हैं। राज्य सरकार को चलाने में आईएएस अफसरों की भूमिका महत्वपूर्ण होती हैं। महाराष्ट्र राज्य के 5 आईएएस अफसर गत 3 वर्ष में निलंबित हुए है और 8 वर्ष में सिर्फ एक ही आईएएस अफसर बर्खास्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र सरकार ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से गत 10 वर्ष में आईएएस अफसरों पर हुई कारवाई की प्रक्रिया के अलावा आईएएस अफसरों का निलंबन, बर्खास्ती और उनके विरोध में प्राप्त शिकायतें और उनपर की गई कारवाई की जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन के अवर सचिव ज.बा. कुलकर्णी ने अनिल गलगली को बताया कि दिनांक 21 जून 2012 को मंत्रालय में लगी आग दुर्घटना में उनके कार्यासन का सभी तरह का रेकॉर्ड नष्ट हुआ हैं। उसके बाद 5 आईएएस अफसरों पर निलंबन की और 1 आईएएस अफसर को बर्खास्ती की कारवाई की गई। वर्ष 2007 में विजय कुमार अग्रवाल, आईएएस को बर्खास्त किया गया। दिनांक 21 जून 2012 को मंत्रालय में लगी आग दुर्घटना में उनके कार्यासन का सभी प्रकार का रेकॉर्ड नष्ट होने से उसकी और जानकारी देना मुश्किल होने का दावा कुलकर्णी ने गलगली से किया हैं। निलंबित आईएएस अफसर का नाम और बर्खास्त आईएएस अफसरों की जांच की कारवाई अब भी खत्म नही होने से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1)(ज) के अनुसार इसकी जानकारी फ़िलहाल नही दी जा सकती हैं। अनिल गलगली के अनुसार हर एक सरकार इन्हीं आईएएस अफसरों पर विश्वास रखती हैं लेकिन जनहित काम में जिस तरह से गती देना आवश्यक होता है उसे देने में यहीं आईएएस अफसर असफल साबित होते हैं। खुद के काम में अधिक रुचि लेने से आईएएस अफसरों की निलंबन में वृद्धि होने की बात अनिल गलगली ने कही हैं।

महाराष्ट्र राज्यातील 5 भाप्रसे अधिकारी निलंबित आणि 1 बडतर्फ

सरकार बदलले पण व्यवस्था बदलली नाही, असा सूर आपण नेहमीच ऐकतो. राज्य सरकार चालविण्यात भाप्रसे अधिकारी वर्गाची भूमिका महत्वाची असते. महाराष्ट्र राज्यातील 5 भाप्रसे अधिकारी गेल्या 3 वर्षात निलंबित झाले असून 8 वर्षात फक्त एकच भाप्रसे अधिकारी 1 बडतर्फ झाल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस शासनाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र सरकारकडे गेल्या 10 वर्षात भाप्रसे अधिका-यांवरील कार्यवाहीच्या प्रक्रियेची तसेच भाप्रसे अधिका-यांचे निलंबन, बडतर्फी व त्यांच्याविरोधात प्राप्त तक्रारी आणि त्यांच्यावरील कार्यवाहीची माहिती मागितली होती. सामान्य प्रशासनाचे अवर सचिव ज.बा. कुलकर्णी यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की दिनांक 21 जून 2012 रोजीच्या मंत्रालय आग दुर्घटनेत त्यांच्या कार्यासनातील सर्व अभिलेख नष्ट झाले आहेत. त्यानंतर 5 भाप्रसे अधिका-यांवर निलंबनाची आणि 1 भाप्रसे अधिका-यांवर बडतर्फीची कार्यवाही करण्यात आली आहे. वर्ष 2007 मध्ये विजय कुमार अग्रवाल, भाप्रसे यांना बडतर्फ करण्यात आले आहे. दिनांक 21 जून 2012 रोजीच्या मंत्रालय आग दुर्घटनेत त्यांच्या कार्यासनातील सर्व अभिलेख नष्ट झाल्यामुळे त्याबाबतीची अधिक माहिती देण्यास असमर्थ असल्याचे कुलकर्णी यांनी गलगली यांस सांगितले.निलंबित भाप्रसे अधिका-यांची नावे तसेच बडतर्फ भाप्रसे अधिका-यांविरुद्ध चौकशीची कार्यवाही अद्याप सुरु असल्यामुळे माहिती अधिकार अधिनियम 2005 च्या कलम 8(1)(ज) नुसार अशी माहिती सद्यस्थितीत देता येत नाही. अनिल गलगली यांच्या मते प्रत्येक सरकार या भाप्रसे अधिका-यांवर विश्वास ठेवते पण जनहित कामात ज्या पद्धतीने गती आवश्यक असते ती देण्यात हे भाप्रसे अधिकारी अपयशी ठरतात. स्व:ताच्या वैयक्तिक कामात अधिक रुचि घेत असल्यामुळे भाप्रसे अधिका-यांच्या निलंबनात वाढ होत असल्याचे गलगली यांनी नमूद केले.

5 IAS officers in Maharashtra suspended, while 1 removed from service

Mumbai- We keep hearing that, nothing changes with the change of government. The role of the IAS officers are very important for smooth running of any govt. In Maharashtra almost 5 IAS officers have been suspended in past 3 years and only 1 officer was relieved from service in past 8 years. This information was provided to RTI activist Anil Galgali by the Govt of Maharashtra. RTI activist Anil Galgali had sought information from the government about various actions on IAS officers in the past 10 years including suspensions, removals, also complaints against them and subsequent actions. The Under Secretary of the GAD Shri J B Kulkarni informed Anil Galgali that, Majorly documents related to the query has been destroyed in the fire incident dated 21st June 2012. After that 5 IAS officers have been suspended, whereas 1 IAS officer has been relieved from service. Shri Vijay Kumar Agarwal has been relieved from the service in 2007,since related documents have been destroyed by fire, on 21/06/2012, further details can not be provided, informed Kulkarni. Also the information related to the 5 suspended IAS officers cannot be given under Section 8(1)(J) of the RTI Act 2005 as the enquiry is in progress. Anil Galgali expressed his view that, though the govt gives due power and trust on the IAS officers, the officer randomly fail to deliver and perform. The Officers are mostly busy in serving their own interests, hence the cases of suspensions of Officers are rising stated Galgali.

Friday 23 October 2015

सीएम रिलीफ फंड से बैंकॉक के डांस के लिए 8 लाख रुपए की खैरात

महाराष्ट्र राज्य का सूखाग्रस्त और आत्महत्याग्रस्त को मदद के लिए सरकार की मदद कम नही पड़े इसलिए आम लोगों से लेकर छात्र भी खुले हाथ से सीएम रिलीफ फंड में अपना योगदान देते है लेकिन इस फंड का आर्थिक मदद के लिए सही ढंग से वितरण नहीं हो रहा हैं। सीएम रिलीफ फंड से बैंकॉक स्थित डांस के लिए 8 लाख रुपए की नियमबाहय खैरात 15 सरकारी कर्मचारियों को बांटने की सनसनीखेज जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सरकार ने उपलब्ध कराए हुए दस्तावेज से सामने आई हैं। स्पेशल केस के तौर पर सचिवालय जिमखाना को 8 लाख मंजूर किए है इस सचिवालय जिमखाना के पदसिद्ध अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सीएम रिलीफ फंड विभाग से सचिवालय जिमखाना,मुंबई इस संस्था को सीएम रिलीफ फंड से किए हुए अर्थसहाय की जानकारी मांगी थी। सीएम रिलीफ फंड विभाग के जन सूचना अधिकारी ने अनिल गलगली को सचिवालय जिमखाना,मुंबई को दिए हुए 8 लाख की अर्थसहायता की जानकारी उपलब्ध कराई। दिनांक 25 अगस्त 2015 को सचिवालय जिमखाना,मुंबई ने सरकारी कर्मचारियों को बैंकॉक-थायलंड में दिनांक 26 से 30 दिसंबर 2015 इस दौरान आयोजित की हुई प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए स्पेशल केस के तौर 8 लाख की आर्थिक मदद करने का अनुरोध किया था जिसे सीएम देवेंद्र फडनवीस ने स्पेशल केस बनाकर प्रस्ताव पेश करने का आदेश सीएम सचिवालय/ फंड विभाग को आदेश जारी किया। दिनांक 27 अगस्त 2015 को पेश किए गए प्रस्ताव को सीएम देवेंद्र फडनवीस ने स्पेशल केस के तहत रु 8 लाख देने का आदेश जारी किया। दिनांक 11 सितंबर 2015 को रु 8 लाख सीएम रिलीफ फंड से सचिवालय जिमखाना,मुंबई के अकाउंट में जमा भी किए गए। # फंड वितरण को कार्यशैली महाराष्ट्र राज्य के सहित देश में आपदा में फंसे लोगों को तत्काल सहायता देना, ये सीएम रिलीफ फंड का मुख्य उद्देश्य होता हैं। बाढ़, सूखा और आग लगने से होनेवाली दुर्घटना जैसी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को सीएम रिलीफ फंड के द्वारा अर्थसहाय उपलब्ध किया जाता हैं। समाज में आर्थिक तौर पर दुर्बल घटकों को दुर्धर बीमारियों का इलाज करने के लिए भी इस फंड से अर्थसहाय उपलब्ध किया जाता हैं। सीएम रिलीफ फंड की अर्थसहाय वितरण कार्यशैली के खिलाफ एक जनहित याचिका मुंबई उच्च न्यायालय में प्रलंबित होने से व्यक्तिगत या संस्थात्मक प्रयोजन के लिए सीएम रिलीफ फंड से आर्थिक मदद न देने की पॉलीसी को नजरअंदाज किया गया और सीएम देवेंद्र फडनवीस ने स्वयं पदसिद्ध अध्यक्षतावाली सचिवालय जिमखाना,मुंबई को स्पेशल केस के तौर पर रु 8 लाख ऐसे समय दिए है जब राज्य में किसान सूखे से त्रस्त होकर आत्महत्या करने के लिए विवश होने का आरोप अनिल गलगली ने लगाया हैं। अखिल भारतीय सांस्कृतिक संघ और ग्लोबल कौंसिल ऑफ आर्ट एंड कल्चर इन निजी संस्था द्वारा अक्षरा थिएटर, बैंकॉक (थायलंड) में आयोजित डांस के लिए कुल15 कर्मचारी जानेवाले है। हर एक कर्मचारी को न्यूनतम रु 50,000/- के हिसाब से 15 लोगों के रु 7,50,000/- के अलावा अन्य मामूली खर्च रु 50,000 ऐसे कुल खर्च 8,00,000/- होनेवाला हैं। अनिल गलगली का मानना हैं कि ये सीधे तौर पर सीएम रिलीफ फंड का दुरुप्रयोग होते हुए सीएम साहब को इसका तनिक भी अहसास नही होने पर खेद व्यक्त किया। सचिवालय जिमखाना ये एक ऐसी संस्था है जिसके पदसिद्ध अध्यक्ष स्वयं सीएम होने से डांस के लिए फंड देना नैतिकता के तौर पर सही नही हैं। ये कहते हुए अनिल गलगली ने रु 8 लाख का फंड वापस लेने की अपील सीएम देवेंद्र फडनवीस से करते हुए कहा है कि जिसे सचमुच में आवश्यकता है उन्हें सीएम रिलीफ फंड से मदद देने की जरुरत बताई हैं ।

मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीतून बैंकॉक येथील नृत्यासाठी 8 लाखांची नियमबाहय खैरात

महाराष्ट्र राज्यातील दुष्काळग्रस्त आणि आत्महत्याग्रस्तासाठी शासनाचे हात तोगडे पडू नयेत यासाठी सामान्यापासून विद्यार्थ्यांनी सुद्धा सढळ हाताने मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीस सहाय्यता करत आहेत पण या निधीचा आर्थिक मदतीसाठी योग्य वाटप होत नसून मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीतून बैंकॉक येथील नृत्यासाठी 8 लाखांची नियमबाहय खैरात 15 शासकीय कर्मचा-यास केल्याची धक्कादायक माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस शासनाने उपलब्ध करुन दिलेल्या कागदपत्राच्या आधारे समोर आलेली आहे. विशेष बाब म्हणून सचिवालय जिमखाना यास 8 लाख मंजूर केले गेले आहे त्या सचिवालय जिमखानाचे दस्तूरखुद्द मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पदसिद्ध अध्यक्ष आहेत. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कक्षाकडे सचिवालय जिमखाना,मुंबई या संस्थेस मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीतून दिलेल्या अर्थसहाय्यताबाबत माहिती विचारली होती. मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी कक्षाचे जन माहिती अधिकारी यांनी अनिल गलगली यांस सचिवालय जिमखाना,मुंबई यांस दिलेल्या 8 लाखांच्या अर्थसहाय्यताबाबत माहिती उपलब्ध करुन दिली. दिनांक 25 ऑगस्ट 2015 रोजी सचिवालय जिमखाना,मुंबई यांनी शासकीय नुत्य कलाकारांना बैंकॉक-थायलंड येथे दिनांक 26 ते 30 डिसेंबर 2015 या कालावधीत आयोजित केलेल्या स्पर्धेत सहभागासाठी ख़ास बाब म्हणून 8 लाखांची आर्थिक मदत करण्याची विनंती केली ज्यास मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी विशेष बाब म्हणून प्रस्ताव सादर करण्याचे आदेश मुख्यमंत्री सचिवालय/ निधी कक्षास आदेश जारी केले. दिनांक 27 ऑगस्ट 2015 रोजी सादर केलेल्या प्रस्तावास मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी विशेष बाब म्हणून रु 8 लक्ष देण्याचे आदेश जारी केले. दिनांक 11 सप्टेंबर 2015 रोजी रु 8 लाख मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीतून सचिवालय जिमखाना,मुंबई यांच्या खात्यात वर्ग करण्यात आली. # निधीवाटपाची कार्यपद्धती महाराष्ट्र राज्यातील तसेच देशातील आपत्तीग्रस्तांना तातडीने सहाय्यता देणे, हे मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीचे उद्दिष्ट आहे. पूर, दुष्काळ, आगीमुळे होणारे अपघात अशा मोठ्या नैसर्गिक आपत्तींमुळे बाधीत नागरिकांना “मुख्यमंत्री सहाय्यता निधी” मार्फत अर्थसहाय्य पुरविले जाते. समाजातील आर्थिकदृष्ट्या दुर्बल घटकांना दुर्धर आजारांवर उपचार करण्यासाठीही या निधीतून अर्थसहाय्य पुरविले जाते. मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीतून अर्थसहाय्य वाटपाच्या कार्यपद्धती विरोधात एक जनहित याचिका मुंबई उच्च न्यायालयात प्रलंबित असल्याने वैयक्तिक किंवा संस्थात्मक प्रयोजनाकरिता मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीतून आर्थिक मदत न देण्याच्या धोरणास बगल दिली आणि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी स्व:ताच पदसिद्ध अध्यक्ष असलेल्या सचिवालय जिमखाना,मुंबई ला विशेष बाब म्हणून रु 8 लाख अश्यावेळी दिले आहे जेव्हा दुष्काळग्रस्त शेतकरी शासकीय मदत अभावी आत्महत्या करत आहे, असा आरोप अनिल गलगली यांनी केला आहे. अखिल भारतीय सांस्कृतिक संघ आणि ग्लोबल कौंसिल ऑफ आर्ट एंड कल्चर या खाजगी संस्थेच्या विद्यमाने अक्षरा थिएटर, बैंकॉक (थायलंड) येथे आयोजित नृत्यासाठी एकूण 15 कर्मचारी जात आहेत. प्रत्येक कर्मचा -यांस किमान रु 50,000/- प्रमाणे पंधरा जणांचा रु 7,50,000/- अधिक इतर किरकोळ खर्च रु 50,000 असा एकूण खर्च 8,00,000/- होणार आहे. अनिल गलगली यांच्या मते हा मुख्यमंत्री सहाय्यता निधीचा दुरुप्रयोग असून मुख्यमंत्री महोदयास याची जाणीव नसल्याची खंत व्यक्त केली. सचिवालय जिमखाना ही एक संस्था असून ज्या संस्थेचे पदसिद्ध अध्यक्ष स्व:ताच मुख्यमंत्री असताना अश्या प्रकारे नियमबाहय निधी नृत्यासाठी देणे नैतिकतेला धरुन नाही. असे सांगत दिलेला रु 8 लाखांचा निधी परत घेण्याचे आवाहन करत ज्यास खरी गरज आहे त्यास देण्याची मागणी अनिल गलगली यांनी केली आहे.

CM doles out Rs 8 Lakhs from the CM Relief Fund for dance at Bangkok

At a time when the state is facing the severest brunt of ongoing drought, which has fuelled a spate of suicides amongst the farmers in the state. The common man from all walks of life including students are chipping in their best contribution to the CM Relief Fund so as to enable the CM and the govt to provide maximum relief to the population hit by the calamities, it has come to light that the funds contributed to the CM fund is being misused. In a RTI reply accessed by the RTI activist Anil Galgali it has come to light that Rs 8 lakhs has been sanctioned by the CM to fund a 15 strong government employees dance troupe to enable them to attend a competition held at Bangkok, Thailand. Rs 8 Lakhs was sanctioned by the CM from the CM Relief Fund to Sachivalaya Gymkhana for the dance competition. It is also interesting to note here that the CM himself functions as the Chairman of the Sachivalaya Gymkhana. RTI activist Anil Galgali had sought information from the CM Relief Fund desk about the assistance provided by it to Sachivalaya Gymkhana. The Public Information officer of the CM Relief Fund desk provided Galgali the information that Rs 8 Lakhs financial assistance was given to the Sachivalaya Gymkhana. The Gymkhana had sought the assistance from the CM Relief fund vide their letter dt 25/08/2015. The Gymkhana needed the assistance to send it's 15 member strong team comprising government employees dance artistes to enable them to participate in a dance competition being held at Bangkok, Thailand from 26th to 30 th December 2015 as a special case. The application was sent by the CM to the CM Relief Fund desk with instructions to put up the application as a special case. On 27/08/2015 the application was put up before the CM as a special case and the assistance of Rs 8 lakhs was immediately sanctioned by the CM. The funds of Rs 8 Lakhs was transferred to the Sachivalaya Gymkhana's account on 11th September, 2015. # Guidelines for disbursement from the CM Relief Fund. The purpose of the CM Relief Fund is to provide immediate help to those effected by disaster within the Maharashtra state or any where in the country. The victims or survivors of Disasters such as floods, drought, accidents due to Fire or any other major natural calamities are provided with immediate assistance from the CM Relief Fund. The assistance are also provided to the economically backward sections amongst the communities in cases of medical treatments for various critical ailments. It is also important to note here that a PIL is pending before the Hon'ble High Court, Mumbai against the adhoc functioning of the CM Relief Fund, due to which the govt had taken a policy decision to hold the applications of personal nature and also of Institutions seeking assistance. The CM has overlooked and sidestepped it's own decisions and has disbursed funds to an organization called as Sachivalya Gymkhana, which is headed by CM himself, funds to a tune of Rs 8 lakhs as a special case for a dance competition and at the time when a poor farmer is forced to commit suicides due to reasons afflicted by the drought is shocking, alleged Galgali. The dance troupe is slated to participate in the competition being held at Akshara theatre, Bangkok, Thailand and is being organized by the private bodies like Akhil Bhartiya Sanskrutik Sangh and the Global Council of Art and Culture is comprising of 15 artists for which Rs 50,000 each has been sanctioned totalling Rs 7,50,000/=. Rs 50,000 has been additionally sanctioned to cover other miscellaneous expenses during the trip taking the overall total to Rs 8 Lakhs. Anil Galgali has expressed his opinion that, this type of sanctions amounts to misuse of the Relief Fund and it is sad that the CM is unaware of the rules guiding the Fund. The Sachivalya Gymkhana is an separate organization which is headed by the CM does not make it entitled to receive funds from the CM Relief Fund and is a issue of faltering morality and hence the CM should get the funds back from the Gymkhana and distribute it to only those who are in acute need for the assistance, demanded Galgali.

Saturday 17 October 2015

३०६ नई अतिरिक्त डिवीज़न का प्रस्ताव सरकार ने खारिज किया

वर्ष २०१५-२०१६ के लिए १२ विद्यापीठ स्तर पर प्राप्त ३०६ नई अतिरिक्त डिवीज़न का प्रस्ताव सरकार ने खारिज करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने दी है जिसमें सर्वाधिक १५४ नई अतिरिक्त डिवीज़न का प्रस्ताव शिवाजी विद्यापीठ, कोल्हापूर का था। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग से नई अतिरिक्त डिवीज़न का प्रस्ताव और मौजूदा स्थिती की जानकारी मांगी थी। अनिल गलगली को पहले जानकारी नही दी गई। प्रथम अपीलीय अधिकारी और उप सचिव ने सुनवाई लेकर आदेश जारी करने के बाद कार्यासन अधिकारी और जन सूचना अधिकारी रणजीत अहिरे ने अनिल गलगली को बताया कि शैक्षणिक वर्ष २०१५-२०१६ के लिए कुल ३०६ नई अतिरिक्त डिवीज़न का प्रस्ताव सरकार को प्राप्त हुआ था। लेकिन सरकार ने दिनांक २९ अप्रैल २०१५ के सरकारी परिपत्रक के अंतर्गत शैक्षणिक वर्ष २०१५-२०१६ के लिए नए महाविद्यालय/ विद्या शाखा/विषय/ अभ्यास क्रम/ डिवीज़न को मान्यता न देने का फैसला लिया गया। इसी के चलते सभी प्रस्ताव विद्यापीठ को पुन: भेजे गए। वर्ष २०१५-२०१६ के लिए १२ विद्यापीठ str पर प्राप्त ३०६ नई अतिरिक्त डिवीज़न के प्रस्तावों में सर्वाधिक १५४ प्रस्ताव शिवाजी विद्यापीठ, कोल्हापूर ने भेजे थे। उसके बाद ६२ मुंबई विद्यापीठ, ३० सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ, १६ संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ, १६ जलगाव के उत्तर महाराष्ट्र विद्यापीठ, १२ सोलापूर विद्यापीठ, ८ नागपूर स्थित राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विद्यापीठ, ५ नांदेड स्थित स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाडा विद्यापीठ, २ गडचिरोली स्थित गोंडवाना विद्यापीठ और १ मुंबई के एसएनडीटी विद्यापीठ के प्रस्ताव थे। अनिल गलगली का मानना है कि देश में पहली बार इसतरह से नए महाविद्यालय/ विद्या शाखा/विषय/ अभ्यास क्रम/ डिवीज़न को मान्यता न देने का लिया हुआ फैसला सरकार की बौद्धिक दिवालियापन की ओर संकेत करता हैं। अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर इसतरह से जारी किया हुआ परिपत्रक रद्द करने की मांग की हैं।

३०६ नवीन अतिरिक्त तुकडयांचे प्रस्ताव शासनाने नाकारले

वर्ष २०१५-२०१६ करिता १२ विद्यापीठनिहाय प्राप्त ३०६ नवीन अतिरिक्त तुकडयांचे प्रस्ताव शासनाने नाकारले असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस उच्च व तंत्र शिक्षण विभागाने दिली असून सर्वाधिक १५४ नवीन अतिरिक्त तुकडयांचे प्रस्ताव शिवाजी विद्यापीठ, कोल्हापूर यांचे आहेत. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी उच्च व तंत्र शिक्षण विभागाकडे नवीन अतिरिक्त तुकडयांचे प्रस्ताव आणि सद्यस्थितीची माहिती मागितली होती. अनिल गलगली यांस प्रथम माहिती दिली गेली नाही. प्रथम अपीलीय अधिकारी आणि उप सचिव यांनी आदेश दिल्यानंतर कार्यासन अधिकारी आणि जन माहिती अधिकारी रणजीत अहिरे यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की शैक्षणिक वर्ष २०१५-२०१६ साठी एकूण ३०६ नवीन अतिरिक्त तुकडयांचे प्रस्ताव शासनास प्राप्त झाले होते. तथापि शासनाने दिनांक २९ एप्रिल २०१५ च्या शासन परिपत्रकान्वये शैक्षणिक वर्ष २०१५-२०१६ साठी नवीन महाविद्यालय/ विद्या शाखा/विषय/ अभ्यासक्रम/ तुकडया यांना मान्यता न देण्याचा निर्णय घेण्यात आलेला आहे. यावास्तव सर्व प्रस्ताव विद्यापीठांना परत पाठविण्यात आले आहेत. वर्ष २०१५-२०१६ करिता १२ विद्यापीठनिहाय प्राप्त ३०६ नवीन अतिरिक्त तुकडयांचे प्रस्ताव असून यामध्ये सर्वाधिक १५४ प्रस्ताव शिवाजी विद्यापीठ, कोल्हापूर यांचे आहेत. त्यानंतर ६२ मुंबई विद्यापीठ, ३० सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ, १६ संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ, १६ जळगावातील उत्तर महाराष्ट्र विद्यापीठ, १२ सोलापूर विद्यापीठ, ८ नागपूरातील राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विद्यापीठ, ५ नांदेड येथील स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाडा विद्यापीठ, २ गडचिरोली येथील गोंडवाना विद्यापीठ आणि १ मुंबईतील एसएनडीटी विद्यापीठ असे प्रस्ताव होते. अनिल गलगली यांच्या मते देशात प्रथमच अश्याप्रकारे नवीन महाविद्यालय/ विद्या शाखा/विषय/ अभ्यासक्रम/ तुकडया यांना मान्यता न देण्याचा घेण्यात आलेला निर्णय शासनाच्या बौद्धिक दिवाळखोरीचे लक्षण आहे. अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पत्र पाठवून अश्याप्रकारचे जारी केलेले परिपत्रक रद्द करण्याची मागणी केली आहे.

Proposal of having 306 additional divisions rejected by the Govt

Proposal received via 12 universities of having additional 306 divisions for the Year 2015 -16 has been flatly rejected by the BJP Government. Its revealed a query filed by RTI Activists Anil Galgali. The proposal of having highest divisions i.e. Of having additional 154 divisions came from the Shivaji University, kolhapur. RTI activist Anil Galgali had ask the current situation and status of demand of additional division to Higher and Technical Education Department. As usual, information was not conveyed for which Anil Galgali went into the appeal. The first Appellate Authority and Deputy Secretary then ordered PIO Ranjeet Ahire to provide required information to Galgali. Now in the information acquired, it was known that the demand for additional divisions of 306 had been rejected by the government. In addition to that as per government letter dated 29th April 2015, government had already decided of not having new universities, separate science wing, subjects, study pattern and having additional divisions for Year 2015-16. For Year 2015-16 demand of having additional divisions came highest 154 from the Shivaji University, Kolhapur, followed by Mumbai University demanding 62, Pune's Savitribai Phule University demanding 30 additional divisions, 16 from Sant Gadgebaba University at Amravati, having 16 additional divisions from North Maharashtra university of Jalgaon, 12 from Solapur University, 8 came from Nagpur's Sant Tukadoji Maharaj University, 5 from Swami Ramanand Tirth Marathwada University at Nanded, 2 from Gondwana University of Gadchiroli and 2 from Mumbai,s SNDT University. "To reject such important decisions on having Universities, additional divisions, science wings, change in study patterns is a major goof up Government has done", said Anil Galgali. Anil Galgali has written to the Chief Minister of Maharashtra demanding to reject the government decision taken in this effect.

Thursday 15 October 2015

मुंबई पोलीस मुख्यालय की बिल्डिंग का काम 32 महीने से अटका

मुंबई के विकास कामों में जैसी देरी होती है उसीतरह की देरी की चपेत में मुंबई पोलीस मुख्यालय की बिल्डिंग आ गई हैं। बिल्डिंग का काम 32 महीने से लटकने से मेसर्स चौधरी एंड चौधरी ठेकेदार से रु 16.68 लाख का जुर्माना वसूलने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र राज्य पुलिस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडल ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई पुलिस मुख्यालय में स्थित प्रस्तावित बिल्डिंग की जानकारी मांगी थी। महाराष्ट्र राज्य पुलिस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडल के जन सूचना अधिकारी एवमं लेखा अधिकारी एस.एम.देवकर ने अनिल गलगली को बताया कि प्रस्तावित बिल्डिंग का कार्यारंभ आदेश ठेकेदार मेसर्स चौधरी एंड चौधरी को दिनांक 25 अगस्त 2011 को दिया गया था। 32 करोड़ ये स्वीकृत ठेके की रकम थी और योजना को पूर्ण करने की समय अवधि 18 महीने की थी। 24 फरवरी 2013 तक योजना पूर्ण न होने से 31 मई 2014 ये योजना को दिया हुआ डेट लाइन थी। योजना की कुल बढी हुई कुल रकम 22.55 करोड़ हैं जिसमें 13.88 करोड़ स्थापत्य व अन्य काम, 5.75 करोड़ अंतर्गत फर्नीचर काम, 23 लाख किचन व भोजनालयगृह, 2.69 करोड़ एयर कंडीशनिंग ऐसे काम हैं। # वास्तुविशारद को दिए रु 36,48,329 बिल्डिंग का डिजाईन का काम मेसर्स हाफिज कांट्रेक्टर इस वास्तुविशारद द्वारा किया गया है जिसे फीस के तौर पर रु 36 लाख 48 हजार 329 इतनी रकम दी गई हैं। ये जानकारी देते हुए अनिल गलगली को आगे बताया गया कि ये बिल्डिंग निचली मंजिल सहित 6 मंजिली हैं। इस बिल्डिंग में 32 अधिकारी और 950 कर्मचारियों की व्यवस्था होगी। # ठेकेदार को रु 16.68 लाख का जुर्माना दिनांक 1 जून 2014 से ठेकेदार मेसर्स चौधरी एंड चौधरी पर जुर्माना की कारवाई करते हुए दिनांक 31 अगस्त 2015 तक रु 16 लाख 68 हजार इतना जुर्माना वसूल किया गया हैं।

मुंबई पोलीस मुख्यालयाच्या इमारतीचे काम 32 महिने रखडले

मुंबईतील विकासकामात जशी दिरंगाई होते तश्याच दिरंगाईचा फटका मुंबई पोलीस मुख्यालयाच्या इमारतीला बसला असून काम 32 महिने रखडल्यामुळे कंत्राटदार मेसर्स चौधरी एंड चौधरी या कंत्राटदारावर रु 16.68 लाखाचा दंड आकारला असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महाराष्ट्र राज्य पोलीस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडळाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई पोलीस मुख्यालयात प्रस्तावित इमारती बाबत माहिती विचारली होती. महाराष्ट्र राज्य पोलीस गृहनिर्माण व कल्याण महामंडळाचे जन माहिती अधिकारी आणि लेखा अधिकारी एस.एम.देवकर यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की प्रस्तावित इमारतीचा कार्यारंभ आदेश कंत्राटदार मेसर्स चौधरी एंड चौधरी यास दिनांक 25 ऑगस्ट 2011 रोजी देण्यात आले होते. 32 कोटी ही स्वीकृत निविदेची रक्कम असून प्रकल्प पूर्ण करण्याचा कालावधी 18 महिने होता. 24 फेब्रुवारी 2013 पर्यंत प्रकल्प पूर्ण न झाल्यामुळे 31 मे 2014 ही प्रकल्पास दिलेली मुदतवाढ होती. प्रकल्पाची एकुण वाढीव रक्कम 22.55 कोटी असून त्यात 13.88 कोटी स्थापत्य व इतर कामे, 5.75 कोटी अंतर्गत सजावट कामे( फर्नीचर काम), 23 लाख स्वयंपाकगृह व भोजनालयगृह, 2.69 कोटी वातानुकूलित यंत्रे( एयर कंडीशनिंग) अशी कामे आहेत. # वास्तुविशारदास दिले रु 36,48,329 इमारतीचे डिझाईन काम मेसर्स हाफिज कांट्रेक्टर या वास्तुविशारद तर्फे करण्यात आली असून त्यास शुल्कापोटी रु 36 लाख 48 हजार 329 इतकी रक्कम देण्यात आले आहे. अशी माहिती अनिल गलगली यांस देत पुढे कळविले आहे की सदर इमारत तळमजला अधिक 6 मजल्याची असून या इमारतीमध्ये 32 अधिकारी आणि 950 कर्मचारी यांची व्यवस्था होईल. # कंत्राटदारास रु 16.68 लाखाचा दंड दिनांक 1 जून 2014 पासून कंत्राटदार मेसर्स चौधरी एंड चौधरी यांच्यावर दंडात्मक कारवाई करण्यात आली असून दिनांक 31 ऑगस्ट 2015 पर्यंत रु 16 लाख 68 हजार इतका दंड वसूल करण्यात आला आहे.

Mumbai Police's new head quarter project delayed by over 32 months

The precedent in delay of projects being executed in Mumbai seems to have engulfed the project to construct a new Mumbai Police head quarters too. The project has been delayed by 32 months and the contractor M/s Choudhary and Choudhary has been fined Rs 16.68 Lakhs for the delay, this information was provided to RTI activist Anil Galgali by the Maharashtra police housing and welfare corporation. RTI activist Anil Galgali had filed a query with the Maharashtra state Police Housing and Welfare Corporation seeking information about the new building in it head quarters. The Public Information officer and Audit officer Shri S M Devkar in response to the query, informed Galgali that, the work order for the proposed project was issued to the contractor M/s Choudhary and Choudhary on 25/08/2011 for total cost of Rs 32 crores and the period for completion of the project was envisaged for 18 months. The project supposed to be completed by 24/02/2013 was given an extension upto 31/05/2014. The cost escalation in the project was Rs 22.55 crores of which 13.88 crores was for building works and other activities, 5.75 crores was for Interiors and furnishings, 23 Lakhs for Kitchen and Canteen, 2.69 crores for Air Conditioning of the building. #Architect fees was Rs 36,48,329 M/s Hafeez Contractor was appointed as the Architect for the project for a fees of Rs 36 lakhs 48 thousands 329. Galgali was further informed that building would be for Ground +6 floors and the new building would accommodate 32 officers and 950 staff. # Contractor fined Rs 16.68 Lakhs The contractor M/s Choudhary and Choudhary was levied fine for the delay from 01/06/2014 onwards and till 31/08/2015 Rs 16 lakhs 68 thousand has been recovered.

Monday 12 October 2015

विवादित गजेंद्र चौहान एक बार भी एफटीआईआई कार्यालय नहीं गए

भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान ये भारत सरकार के अधीन कार्यरत स्वायत संस्थान का अध्यक्ष पद जिन गजेंद्र चौहान से विवादित हुआ वे गत 7 महीनों से एक बार भी एफटीआईआई कार्यालय में नही जाने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी हैं। पिछले कार्यकाल के दौरान बतौर अध्यक्ष भाजपा सांसद विनोद खन्ना और पवन चोप्रा ने सिर्फ एक ही बार एफटीआईआई कार्यालय में उपस्थिती दर्ज कराई थी। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान से गत 15 वर्ष से नियुक्त किए गए अध्यक्ष की उपस्थिती और कार्यकाल की जानकारी मांगी थी।अध्यक्ष के तौर पर श्याम बेनगल, आर के लक्ष्मण, मृणाल सेन जैसे दिग्गजों ने जिम्मेदारी संभाली थी। भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान के प्रशासकीय अधिकारी एस.के.डेकते ने अनिल गलगली को वर्ष 1999 से लेकर अब तक नियुक्त किए गए 9 अध्यक्षों की जानकारी दी हैं। सर्वाधिक 3 बार अध्यक्ष पद पर आसीन यू आर अनंतमूर्ति ने अपने 8 वर्ष के कार्यकाल में 26 बार पुणे स्थित एफटीआईआई कार्यालय में उपस्थिती दर्ज कराई। उसके बाद सईद मिर्जा 3 वर्ष अध्यक्ष थे। वे 20 बार संस्थान में उपस्थित थे। गिरीश कर्नाड ये सिर्फ एक वर्ष अध्यक्ष थे। वे एक वर्ष में 6 बार उपस्थित थे। प्रसिद्ध अभिनेता और भाजपा के सांसद विनोद खन्ना लगातार 2 बार अध्यक्ष पद पर आसीन थे लेकिन 2 वर्ष में सिर्फ एक ही बार वे उपस्थित थे। पवन चोप्रा 3 महीना अध्यक्ष थे और कार्यकाल जिस दिन खत्म हुआ उसी दिन यानी 16 दिसंबर 2002 को वे एफटीआईआई कार्यालय में उपस्थित रहे। भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान के अध्यक्ष पद पर गजेंद्र चौहान की 9 जून 2015 को नियुक्ती की गई लेकिन आज 7 महीने के बाद भी आज तक पुणे स्थित एफटीआईआई कार्यालय में जाने की जहमत गजेंद्र चौहान ने नही उठाई हैं। जबकि उनकी नियुक्ती 4 मार्च 2014 से रेकॉर्ड पर बताई गई हैं। गत 7 महीनों से अध्यक्ष होते हुए भी न होने जैसी स्थिती पर चिंता जताते हुए इस पद को न्याय देने की मांग अनिल गलगली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे हुए पत्र में की हैं। # शैक्षणिक पात्रता बाबत संस्थान गप्प? भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान के अध्यक्ष पद के लिए अनिवार्य शिक्षा और अन्य अनिवार्यता की जानकारी मांगने पर अनिल गलगली का आवेदन सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 6(3) के तहत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पास हस्तांतरित किया गया। सही मायने ने इसकी जानकारी भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान द्वारा देना जरुरी होते हुए अध्यक्ष की शिक्षा की अनिवार्यता और अन्य अनिवार्यता पर संस्थान क्यों चूप हैं? ऐसा अनिल गलगली ने का हैं।

वादग्रस्त गजेंद्र चौहान एकदाही एफटीआईआई कार्यालयात भटकले नाही

भारतीय फिल्म आणि टेलीविजन संस्थान या भारत सरकारच्या अधिनस्थ असलेल्या स्वायत संस्थानाचे अध्यक्ष पद ज्या गजेंद्र चौहानामुळे वादग्रस्त झाले ते गेल्या 7 महिन्यापासून एकदाही एफटीआईआई कार्यालयात भटकले नसल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिली गेली असून मागील काळात अध्यक्ष असलेले भाजपा खासदार विनोद खन्ना आणि पवन चोप्रा यांनी फक्त एकदाच मुख्यालयात हजेरी लावली होती. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी भारतीय फिल्म आणि टेलीविजन संस्थानाकडे मागील 15 वर्षा पासून असलेल्या अध्यक्षाची उपस्थिती आणि कार्यकाळ याची माहिती मागितली होती. अध्यक्ष या नात्याने श्याम बेनगल, आर के लक्ष्मण, मृणाल सेन सारख्या दिग्गजांनी जबाबदारी पार पाडली आहे. भारतीय फिल्म आणि टेलीविजन संस्थानाचे प्रशासकीय अधिकारी एस.के.डेकते यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की वर्ष 1999 पासून आतापर्यंत नियुक्त केले गेलेले 9 अध्यक्षाची माहिती दिली. सर्वाधिक 3 वेळा अध्यक्ष पद भूषविणारे यू आर अनंतमूर्ति यांनी 8 वर्षाच्या आपल्या कार्यकाळात 26 वेळा पुणे येथील एफटीआईआई कार्यालयात हजेरी लावली. त्यानंतर सईद मिर्जा 3 वर्ष अध्यक्ष होते. ते 20 वेळा संस्थानात उपस्थित होते. गिरीश कर्नाड हे एक वर्ष अध्यक्ष होते. ते एका वर्षात 6 वेळा उपस्थित होते.प्रसिद्ध अभिनेता आणि भाजपा खासदार असलेले विनोद खन्ना यांनी सलग 2 वेळा अध्यक्ष पद भूषविले पण 2 वर्षात फक्त एकदाच ते उपस्थित राहिले होते तर पवन चोप्रा 3 महिने अध्यक्ष होते आणि कार्यकाळ संपुष्टात आले त्यादिवशी म्हणजे 16 डिसेंबर 2002 रोजी उपस्थित होते. भारतीय फिल्म आणि टेलीविजन संस्थानाच्या अध्यक्ष पदावर गजेंद्र चौहान यांची 9 जून 2015 रोजी नियुक्ती केली गेली असून आज पर्यंत ते पुणे येथील एफटीआईआई कार्यालयात भटकलेच नाही. परंतु त्यांची नियुक्ती 4 मार्च 2014 पासून अभिलेखावर दाखविली गेली आहे. गेल्या 7 महिन्यापासून अध्यक्ष पद असुनही नसल्यासारखे असल्याची टीका करत अनिल गलगली या पदास न्याय देण्याची मागणी पंत प्रधान नरेंद्र मोदी यांस पाठविलेल्या पत्रात केली आहे. # शैक्षणिक पात्रता बाबत संस्थान गप्प? भारतीय फिल्म आणि टेलीविजन संस्थानाच्या अध्यक्ष पदासाठी शैक्षणिक पात्रता आणि अन्य पात्रता बाबत माहिती विचारली असता अनिल गलगली यांचा अर्ज माहितीचा अधिकार अधिनियम, 2005 चे कलम 6(3)अन्वये माहिती आणि प्रसारण मंत्रालयाकडे हस्तांतरित करण्यात आला आहे. खरे पाहिले तर याबाबत माहिती भारतीय फिल्म आणि टेलीविजन संस्थानातर्फे देणे अपेक्षित असताना अध्यक्षाच्या शैक्षणिक पात्रता आणि अन्य पात्रता बाबत संस्थान का गप्प आहे? असा सवाल अनिल गलगली यांचा आहे.

Disputed FTII Chairman, Gajendra Chauhan yet to visit the FTII office

Gajendra Chauhan whose appointment as Chairman of the Films and Television Institute of India has come under cloud due to the opposition from the students has to yet pay a visit to the Pune base FTII office since his appointment in the past 7 months. Worst the past Chairman's namely Bjp MPVinod Khanna and Pawan Chopra attended office only once in their whole term. This information was provided to RTI activist Anil Galgali. RTI activist Anil Galgali had sought information from the FTII about the various Chairman's in the past 15 years, their attendance and also the length of their terms. Doyens like Shyam Benegal, R K Laxman, Mrinal Sen have held the post in the past. The Administration Officer Shri S K Dekate of the FTII in the reply to Anil Galgali informed that, since 1999 till now 9 Chairman's have held the position out of which Shri U R Ananthmurthy held the position for three terms spanning 8 years attended office 26 times, After that Saeed Mirza was Chairman for 3 years and his attendance was 20 times. Girish Karnad was Chairman for 1 year and he attended office for 6 times, Noted actor and Bjp MP Vinod Khanna was Chairman twice for 2 years but he attended office only once in his both terms, also Pawan Chopra who had a shortest term of 3 Months attended office for a single day and that too on his last day of his term dt 16/12/2002. Gajendra Chauhan was appointed as Chairman on 09/06/2015, but his appointment in the list provided shows his appointment date as 04/03/2014, but whichever his date of appointment may be, he has yet to pay a visit to his office. Though an appointment has been made, but the situation arisen is as good as the institution being headless and hence Anil Galgali has demanded in a letter addressed to PM Modi that justice be done to the post. # Institute silent on the issue of educational qualifications for the position. Anil Galgali had also sought information about the requirements of educational qualifications as well as other eligibility for the position of the Chairman of the FTII. This query has been transferred by the Institute under section 6(3) of the RTI Act, 2005 to the Information and Broadcasting Ministry. Actually this information related to the qualifications and other eligibility for the position of Chairman should have been provided by the FTII, but why it is remaining silent is a matter of concern expressed Galgali.

Friday 9 October 2015

एलिवेटेड मेट्रो की तुलना में भूमिगत मेट्रो का खर्च ट्रिपल

मुंबई - एमएमआरडीए प्रशासन एमएमआरडीए कार्यक्षेत्र में मेट्रो का जाल बिछा रही है जिसमें कहीं एलिवेटेड तो कहीं भूमिगत मेट्रो को विरोध भी हो रहा हैं। एलिवेटेड मेट्रो की तुलना में भूमिगत मेट्रो का खर्च ट्रिपल होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हैं। एलिवेटेड मेट्रो का खर्च प्रति किमी 250 से 300 करोड़ है वही भूमिगत मेट्रो का खर्च प्रति किमी ट्रिपल हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से मेट्रो के काम को लेकर जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि एलिवेटेड मेट्रो मार्ग के लिए करीब प्रति किमी रु 250 से 300 करोड़ का खर्च आता है वही भूमिगत मेट्रो मार्ग का प्रति किमी खर्च ये एलिवेटेड मेट्रो मार्ग के प्रति किमी खर्च के करीब ट्रिपल हैं। दहिसर-चारकोप-बांद्रा-मानखुर्द इस मार्ग स्थित प्रथम चरण दहिसर से डी एन नगर इस योजना की कीमत रु 6390 करोड़ हैं। अंधेरी पूर्व से दहिसर पूर्व इस योजना की कीमत रु 6056 करोड़ और कुलाबा-बांद्रा-सीप्झ(अंधेरी) इस योजना की कीमत रु 23,136 करोड़ इतनी हैं। यानी एलिवेटड मार्ग होता तो रु 11,860 इतनी ही रकम की जरुरत लगती थी जो अब भूमिगत मार्ग के लिए रु 35,582 इतनी हैं यानी रु 23,721 करोड़ रकम ज्यादा खर्च हो रही हैं, ऐसा अनिल गलगली का कहना हैं। # सशक्त कमिटी ने दी हैं मान्यता एलिवेटेड मेट्रो ज्यादा खर्चिला न होते हुए भी भूमिगत मेट्रो का काम करने को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के निदेश की जानकारी मांगने पर अनिल गलगली को 43 वे सशक्त कमिटी ( Empower Committee) की बैठक की रिपोर्ट की कॉपी दी हैं। वर्सोवा- अंधेरी- घाटकोपर इस मेट्रो वन के कार्यान्वय के दौरान मिले सबक के बाद आगे एलिवेटेड और भूमिगत मार्ग का तुलनात्मक अध्ययन करने के बाद एमएमआरडीए ने जमीनी हकीकत को मुंबई ट्रांसफॉर्मेशन सपोर्ट यूनिट के पास पेश किया। इसे निदेशक बी सी खटुआ ने दिनांक 26 अप्रैल 2013 को मान्यता दी हैं। एमएमआरडीए के महानगर आयुक्त यूपीएस मदान ने तर्क दिया था कि मुंबई के सड़कों की स्थिती संकरी और भीड़ भाड़ वाली हैं । साथ ही मेट्रो वन के निर्माण में देरी का सामना करने की नौबत आने से भविष्य के मेट्रो मार्ग पूर्व उपनगर के कुछ कम भीड़ वाले स्थान का अपवाद छोड़ कर भूमिगत बनाए जाए। भले ही भूमिगत मार्ग खर्चिला है लेकिन जमीन भूसंपादन, अतिक्रमण, ट्रैफिक की परेशानी, लगातार होनेवाली देरी और कीमत में होनेवाली वृद्धी जैसी समस्या पैदा नही होने का मत मदान ने व्यक्त किया। # महानगर प्रदेश में 25 मेट्रो मार्ग सर्वकष परिवहन अभ्यास 2008 के अनुसार मुंबई महानगर प्रदेश में कुल 25 मेट्रो मार्ग प्रस्तावित हैं जिसमें दहिसर-चारकोप-बांद्रा-मानखुर्द, अंधेरी पूर्व से दहिसर पूर्व, कुलाबा-बांद्रा-सीप्झ, वडाला-घाटकोपर-तीन हाथ नाका ठाणे-कासारवडवली, वडाला-मुख्य डाक कार्यालय GPO, सीप्झ-कांजूरमार्ग, शिवडी-प्रभादेवीे ये मुंबई के मेट्रो मार्ग हैं वही शेष बचे हुए मुंबई के बाहरी इलाके के मेट्रो मार्ग में जोगेश्वरी-विक्रोली लिंक रोड, भिवंडी-कल्याण, शिवडी-प्रभादेवी, दहिसर-मीरा रोड-माणिकपूर-विरार, ठाणे रिंग मेट्रो, ठाणे-घोडबंदर-दहिसर, बाळकुम(ठाणे)-भिवंडी-कल्याण-नार्थेन गाव, पोखरण-खारेगाव, कुशवली-अंबरनाथ, कांजूर मार्ग-महापे-कल्याण फाटा-पाईप लाईन, मानखुर्द-वाशी- नार्थेन गाव, वाशी-बेलापूर-न्यू एयरपोर्ट-पनवेल, तारघर-खारकोपर-नाव्हा शेवा-डोंगरी, खारकोपर-धुतम-पिरकोने-शिरकी-वडखल, डोंगरी-पिरकोने-जिते, शिरकी-वाशी-जिते, फोर्ट(होरिमन सर्कल)-उरण-डोंगरी, शेवरी- खारकोपर इन18 मेट्रो मार्ग का शुमार हैं। विस्तृत योजना रिपोर्ट आने पर प्रस्तावित मेट्रो मार्ग का खर्च बताया जाएगा, ऐसा अनिल गलगली को बताया गया हैं।

उन्नत मेट्रोच्या तुलनेत भुयारी मेट्रोचा खर्च तिप्पट

मुंबई - एमएमआरडीए प्रशासन एमएमआरडीए कार्यक्षेत्रात मेट्रोचे जाळे पसरवित असून कोठे उन्नत तर कोठे भुयारी मेट्रोस विरोधही होत आहे. उन्नत मेट्रोच्या तुलनेत भुयारी मेट्रोचा खर्च तिप्पट असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली असून उन्नत मेट्रोचा खर्च प्रति किमी 250 ते 300 कोटी आहे तर भुयारी मेट्रोचा खर्च प्रति किमी तिप्पट असल्याचे सांगितले आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडे मेट्रोचे कामाबाबत माहिती विचारली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांस कळविले की उन्नत मेट्रो मार्गाकरिता अंदाजे प्रति किमी रु 250 ते 300 कोटी खर्च येतो तसेच भुयारी मेट्रो मार्गाचा प्रति किमी खर्च हा उन्नत मेट्रो मार्गाच्या प्रति किमी खर्चाच्या जवळपास तीनपट असतो. दहिसर-चारकोप-वांद्रे-मानखुर्द या मार्गावरील पहिला टप्पा 1 दहिसर ते डी एन नगर या प्रकल्पाची किंमत रु 6390 कोटी आहे.अंधेरी पूर्व ते दहिसर पूर्व या प्रकल्पाची किंमत रु 6056 कोटी तर कुलाबा-वांद्रे-सीप्झ(अंधेरी) या प्रकल्पाची किंमत रु 23,136 कोटी इतकी आहे. म्हणजे उन्नत मार्ग असता तर रु 11,860 इतकी रक्कम लागली असती जी आता भुयारी मार्गासाठी रु 35,582 इतकी आहे म्हणजे रु 23,721 कोटी रक्कम अधिक खर्च होत आहे, असे अनिल गलगली यांनी सांगितले. # सक्षम समितीने दिली मान्यता उन्नत मेट्रो जास्त खर्चिक नसतानाही भुयारी मेट्रोचे काम करण्याबाबत केंद्र व राज्य सरकारचे निदेश असल्यास त्याची माहिती मागितली असता अनिल गलगली यांस 43 व्या सक्षम समिती ( Empower Committee) बैठकीच्या इति वृत्तांताची प्रत दिली. वर्सोवा- अंधेरी- घाटकोपर या मेट्रो वनच्या कार्यान्वयाच्या दरम्यान शिकलेल्या धडयानंतर पुढे उन्नत आणि भुयारी मार्गाचा तुलनात्मक अभ्यास केल्यानंतर एमएमआरडीएने जमीनीवरचे वास्तव मुंबई ट्रांसफॉर्मेशन सपोर्ट यूनिट कडे सादर केले. यास संचालक बी सी खटुआ यानी दिनांक 26 एप्रिल 2013 रोजी मान्यता दिली. एमएमआरडीएचे महानगर आयुक्त यूपीएस मदान यांच्या मतानुसार मुंबईत अरुंद आणि गजबजलेली अवस्था रस्त्याची आहे तसेच मेट्रो वनच्या बांधकामात विलंबाचा सामना करावा लागल्यामुळे भविष्यातील मेट्रो मार्ग पूर्व उपनगरातील काही कमी वर्दळीचे स्थान वगळून भुयारी केले जावे. जरी भुयारी मार्ग खर्चिक असले तरी जमीन भूसंपादन, अतिक्रमण, वाहतूकीचा त्रास, सतत विलंब आणि किंमतीत वाढ सारख्या समस्या उद्भभवणार नसल्याचे मत मदान यांनी व्यक्त केले. # महानगर प्रदेशात 25 मेट्रो मार्ग सर्वकष परिवहन अभ्यास 2008 नुसार मुंबई महानगर प्रदेशात एकूण 25 मेट्रो मार्ग प्रस्तावित असून दहिसर-चारकोप-वांद्रे-मानखुर्द, अंधेरी पूर्व ते दहिसर पूर्व, कुलाबा-वांद्रे-सीप्झ, वडाळा-घाटकोपर-तीन हाथ नाका ठाणे-कासारवडवली, वडाळा-मुख्य डाक कार्यालय GPO, सीप्झ-कांजूरमार्ग, शिवडी-प्रभादेवी हे मुंबईतील मेट्रो मार्ग आहेत. तर उर्वरित प्रदेशातील मेट्रो मार्गात जोगेश्वरी-विक्रोळी लिंक रोड, भिवंडी-कल्याण, शिवडी-प्रभादेवी, दहिसर-मीरा रोड-माणिकपूर-विरार, ठाणे रिंग मेट्रो, ठाणे-घोडबंदर-दहिसर, बाळकुम(ठाणे)-भिवंडी-कल्याण-नार्थेन गाव, पोखरण-खारेगाव, कुशवली-अंबरनाथ, कांजूर मार्ग-महापे-कल्याण फाटा-पाईप लाईन, मानखुर्द-वाशी- नार्थेन गाव, वाशी-बेलापूर-न्यू एयरपोर्ट-पनवेल, तारघर-खारकोपर-नाव्हा शेवा-डोंगरी, खारकोपर-धुतम-पिरकोने-शिरकी-वडखल, डोंगरी-पिरकोने-जिते, शिरकी-वाशी-जिते, फोर्ट(होरिमन सर्कल)-उरण-डोंगरी, शेवरी- खारकोपर या 18 मेट्रो मार्गाचा समावेश आहे. सविस्तर प्रकल्प अहवाल तयार झाल्यानंतर प्रस्तावित मेट्रो मार्गाचा खर्च देण्यात येईल, असे अनिल गलगली यांस सांगण्यात आले.

Underground Metro to cost three times of elevated metro

MMRDA, which is engaged in setting up a network of metro lines across Mumbai is stuck up with the option of laying the metro lines either in elevated form or underground system due to objections in various localities about the route and form, May have to brace up for another fact that, construction of underground Metro network is going to cost thrice that of the elevated metro network. This was informed to RTI activist Anil Galgali. The cost of an elevated metro line could sum up to Rs 250-300 crores per km and the underground service could be three times of this cost. RTI activist Anil Galgali had sought information from the MMRDA about the progress of its metro projects. MMRDA has informed Galgali that the cost of construction for metro on elevated pattern would approximately cost Rs 250-300 crores per km, similarly the cost of construction of the underground Metro would be almost three times the cost of elevated metro. First phase of the metro route of Dahisar - charkop - Bandra - Mankhurd which being started from Dahisar to D N Nagar will cost Rs 6390 crores, similarly the other route of Andheri East to Dahisar east is slated to cost Rs 6056 crores. The Colaba - Bandra - SEEPZ (Andheri) is to cost Rs 23,136 crores, which means that if the same is developed in Elevated manner then the cost would come to Rs 11,860 crores, which is now costing Rs 35,582 crores for all the three routes, which also means that a whopping Rs 23,721 crores is being spent extra just for the route being underground specified Galgali. # Approval granted by Empowered committee Anil Galgali, who had also sought the copy of the decision to undertake the work of underground Metro instead of the elevated metro though being cheaper, was provided with the copy of the Minutes of meeting of the 43rd Empowered Committee which stated that taking into account the lessons learnt in execution of the Versova Andheri Ghatkopar Metro One project and the comparison between the elevated and underground Metro submitted the ground status report to the Mumbai Transformation Support Unit, which was approved by the Director Shri B C Khatua on 26 th April 2013. The MMRDA Commissioner Shri U P S Madan, expressed his views that, the streets of Mumbai are very narrow and congested, due to which the Metro one project got delayed and hence in future decided to go in for underground Metro rail in Mumbai, except for some areas in Eastern Mumbai which is lesser congested. His further views were that though the underground pattern is very costly, it would save the requirements for arranging land, tackling encroachments, Traffic woes, leading to constant delay in project execution, thereby raising the cost of projects further due to delays stated Madan. Total of 25 Metro routes proposed in Mumbai metropolitan region The Transport study 2008 has proposed a total of 25 routes for metro rail in the whole of MMR region of which the Dahisar - charkop - Bandra - Mankhurd, Andheri East to Dahisar east, Colaba - Bandra - SEEPZ, Wadala Ghatkopar Teen Hath Naka Kasarwadavali, Wadala - GPO, SEEPZ - Kanjurmarg, Shivdi - Prabhadevi, Jogeshwari - Vikhroli link Rd, are within Mumbai. The routes proposed for other parts of MMR are as follows Bhiwandi - Kalyan, Dahisar - Mira Rd - Manikpur - Virar, Thane Ring route metro, Thane - Ghodbundar - Dahisar, Balkum( Thane) - Bhiwandi - Kalyan - Narthen gaon, Pokhran - Kharegaon, Kushavali - Ambernath, Kanjurmarg - Mahape - Kalyan phata - Pipeline, Mankhurd - Vashi - Narthen gaon, Vashi - Belapur- New Airport - Panvel, Targhar - Kharkopar - Nhava Sheva - Dongri, Kharkopar - Dhutam - Pirkone - Shirki - Vadkhal, Dongri - Pirkone - Jite, Fort (Horniman circle) - Uran - Dongri, Shevari - Kharkopar making other 18 routes. The cost for the above other projects would be provided once the detailed project report is finalised informed MMRDA to Galgali in its reply.

Thursday 1 October 2015

देशद्रोही याकूब मेमनवर केलेल्या खर्चाची माहिती भाजपा सरकारने केली ब्लाक

सर्व जगाचे लक्ष असलेला देशद्रोही याकूब मेमनवर केलेल्या सर्व प्रकारच्या खर्चाची माहिती भाजपा सरकारने ब्लाक करत त्या खर्चाच्या एकुण रक्कमेची माहिती देण्यास आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस नकार दिला। महाराष्ट्राच्या गृह विभागाने सदर माहिती प्रकट केल्याने भारताच्या सार्वभौमत्वाला किंवा एकात्मकेस आणि सुरक्षेला बाधा पोहोचेल, असा अजीब दावा केला आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र शासनाकडे देशद्रोही याकूब मेमन यास अटक झाल्यापासून फाशावर लटकविण्यात येईपर्यंत केलेल्या सर्वप्रकारच्या खर्चाची माहिती विचारली होती. गृह विभागाचे जन माहिती अधिकारी आणि कक्ष अधिकारी दीपक जडीये यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की मृत्यूदंड शिक्षा बंदी याकूब मेमन याच्या संबंधीची माहिती महाराष्ट्र शासनाने माहितीचा अधिकार अधिनियम-2005 मधील 8(1)(क) अन्वये नाकारली. या नियमातंर्गत माहिती प्रकट केल्याने भारताच्या सार्वभौमत्वाला किंवा एकात्मकेस आणि सुरक्षेला बाधा पोहोचेल, अशी व्याख्या केलेली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी या आदेशाविरोधात उप सचिव ज.ल. पावरा यांस कडे अपील दाखल केले आहे.  खर्चाची माहिती सार्वजनिक केल्यास देशाच्या सार्वभौमत्वाला किंवा एकात्मकेस आणि सुरक्षेला बाधा पोहोचेल, हा दावा अजीब असल्याचे सांगत अनिल गलगली यांचे म्हणणे आहे की कांग्रेसच्या राजवटीत कसाबची माहिती गृह विभागाने वर्ष 2012 मध्ये सार्वजनिक केली होती आणि आता भाजपा सरकार याकूब मेमनची माहिती का लपवित आहे, याचे आश्चर्य वाटते.  मनमोहन 2 मोदी या 3 वर्षाच्या दरम्यान माहिती अधिकाराची व्याख्या राजकीय सोयीनुसार ठरविली जात असून जनतेच्या कराचा पैसा देशद्रोहयावर खर्च होत असताना त्याची माहिती सार्वजनिक न करणे, ही बाब सरकारच्या पारदर्शकतेची पोल खोलत आहे, असे अनिल गलगली यांनी नमूद करत सदर माहिती सार्वजनिक करण्याचे आवाहन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस केले आहे. कसाबची माहिती कांग्रेसने उघड केली होती. मुंबईवरील 26/11 हल्ल्यातील पाकिस्तानचा एकमेव जिवंत दहशतवादी मोहम्मद अजमल कसाब याला 21 नोव्हेंबर 2012 च्या सकाळी फाशावर लटकवल्यानंतर त्याच्या दफनविधीसाठी प्रशासनाला एकूण 9 हजार 573 रुपयांचा खर्च आला. तर मुंबई पोलिसांच्या पथकाने 26 नोव्हेंबर 2008 च्या मध्यरात्री गिरगाव चौपाटीजवळ अटक केल्यापासून फाशी देईपर्यंत (21 नोव्हेंबर 2012) चार वर्षांच्या कालावधीत कसाबवर राज्य सरकारचे तब्बल 28 कोटी 50 लाख रुपये खर्च झाल्याची माहिती अनिल गलगली यांस त्यावेळी देण्यात आलेली होती. कसाबचे जेवण, त्याची सुरक्षा, वैद्यकीय खर्च आणि कपडे या बाबींसाठी तसेच त्याच्या सुरक्षेसाठी झालेल्या बांधकामाकरिता आलेला खर्च आणि दफनविधीचा खर्च याची माहिती देण्यात आली आहे. त्यात राज्याच्या पोलिस दलातर्फे पुरवण्यात आलेल्या सुरक्षेवर तब्बल दीड कोटींचा खर्च आला; तर केंद्रातर्फे पुरवण्यात आलेल्या इंडो-तिबेट सीमा पोलिस दलाच्या (आयटीबीपी) सुरक्षेवर तब्बल 21 कोटी 68 लाख रुपयांचा खर्च आल्याचे स्पष्ट झाले.  कसाबला अटक झालेल्या दिवशी त्याच्या जेवणावर 125 रुपये खर्च आला, तर फाशावर लटकवण्याआधी त्याने केलेल्या जेवणावर 33 रुपये खर्च आल्याचेही माहितीवरून स्पष्ट होत आहे.

देशद्रोही याकूब मेमन पर किए गए खर्च की जानकारी भाजपा सरकार ने की ब्लॉक

पुरे विश्व का ध्यान जिस देशद्रोही याकूब मेमन की फांसी पर था उसपर किए गए कुल खर्च की जानकारी भाजपा सरकार ने ब्लाक करते हुए उस खर्च की कुल रकम की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को देने से इनकार किया हैं। महाराष्ट्र के गृह विभाग ने ये जानकारी प्रकट होने से देश की सार्वभौमत्व एवमं एकता और सुरक्षा बाधित होगी, ऐसा अजीबों गरीब दावा किया हैं। कांग्रेस सरकार ने आतंकवादी मोहम्मद कसाब की जानकारी सार्वजनिक की थी और अब भाजपा सरकार याकूब पर हुआ खर्च छिपाने से मनमोहन 2 मोदी सरकार में सूचना का अधिकार की होनेवाली ऐसी तैसी साफ़ दिख रही हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से देशद्रोही याकूब मेमन को गिरफ्तार करने से लेकर फांसी देने तक किए गए कुल खर्च की जानकारी मांगी थी। गृह विभाग के जन सूचना अधिकारी और कक्ष अधिकारी दीपक जडीये ने अनिल गलगली को बताया कि मृत्यूदंड शिक्षा बंदी याकूब मेमन से जुड़ी हुई जानकारी महाराष्ट्र सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 8(1)(क) के तहत देने से मना किया। इस नियम के तहत जानकारी प्रकट करने से भारत की सार्वभौमत्व एवमं एकता और सुरक्षा बाधित होगी, ऐसी व्याख्या की हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इस आदेश के खिलाफ उप सचिव ज.ल. पावरा के पाद अपील की हैं। खर्च की जानकारी सार्वजनिक करने से देश की सार्वभौमत्व एवमं एकता और सुरक्षा बाधित होगी, ये दावा अजीबों गरीब होने की बात कहते हुए अनिल गलगली का कहना है कि कांग्रेस के राज में कसाब की जानकारी गृह विभाग ने वर्ष 2012 में  सार्वजनिक की थी और अब भाजपा सरकार याकूब मेमन की जानकारी क्यों छिपा रही हैं, इस पर आश्चर्य हो रहा हैं।  मनमोहन 2 मोदी  इस 3 वर्ष के दौरान सूचना का अधिकार की व्याख्या राजनीतिक सुविधा के मुताबिक तय हो रही है और जनता के टैक्स का पैसा देशद्रोहियों पर खर्च होते हुए उसकी जानकारी सार्वजनिक नही करना, ये बात सरकार की पारदर्शकता की पोल खोल रही हैं, ये कहते हुए अनिल गलगली यह जानकारी सार्वजनिक करने की अपील मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से की हैं। कसाब की जानकारी कांग्रेस ने सार्वजनिक की थी मुंबई के 26/11 हमले का पाकिस्तान का पकड़ा गया जिंदा आतंकवादी मोहम्मद अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 की सुबह फांसी पर लटकाने के बाद उसके दफनविधी पर कुल 9 हजार 573 रुपए का खर्च आया।  वही मुंबई पुलिस ने 26 नवंबर 2008 की देर रात को गिरगाव चौपाटी के समीप गिरफ्तार करने से लेकर फासी देने तक (21 नवंबर 2012) चार वर्ष के दौरान कसाब पर राज्य सरकार का करीब 28 करोड़ 50 लाख रुपए खर्च होने की जानकारी अनिल गलगली को उसवक्त दी गई थी। कसाब का खाना,उसकी सुरक्षा, वैद्यकीय खर्च और कपडा के अलावा उसकी सुरक्षा के लिए किए गए कंस्ट्रक्शन पर हुआ खर्च और दफनविधी का खर्च की जानकारी दी गई थी।  उसमें राज्य पुलिस द्वारा मुवैय्या किए गए सुरक्षा पर डेढ़ करोड़ का खर्च हुआ वही केंद्र सरकार द्वारा मुवैय्या किए गए इंडो-तिबेट सीमा पुलिस दल की (आयटीबीपी) सुरक्षा पर  21 करोड़ 68 लाख रुपए का खर्च होने की बात स्पष्ट हुई हैं। कसाब को गिरफ्तार किया गया उस दिन उसके खाने पर 125 रुपए खर्च आया और फांसी पर लटकाने के पहले कसाब ने खाये हुए खाने पर सिर्फ 33 रुपए खर्च होने की बात स्पष्ट हुई हैं।

BJP govt in state blocks information on expenses incurred on traitor Yakub Memon

The BJP government in the state has blocked all information pertaining to the high profile case of terror accused Yakub Memon. In the reply given to RTI activist Anil Galgali the state Home Department has said that providing information on the query will effect the sovereignty, unity and security of the country. Interesting that similar information related to Moh Kasab provided by Congress-Ncp Government and now Bjp Government blocks the information. RTI activist Anil Galgali had sought information from the state government on the all types of expenses incurred on Anti National Yakub Memon, right from his arrest upto his hanging. The Public Information officer and Desk officer of the Home Department, Shri Deepak Zadiye informed Anil Galgali that, all information related to death sentenced Yakub Memon has been refused under clause 8(1)(c) of the RTI Act 2005  by the Maharashtra government. Under the clause any such information will disturb the sovereignty, unity and security of the country. RTI activist Anil Galgali has filed an appeal on the order with Dy Secretary Mr J L Pawra. Anil Galgali has termed the order as Strange how an information related to expenses incurred on a prisoner can effect the sovereignty, unity and security of the country, he further stated that during the Congress -  NCP rule, in 2012 the govt had provided information on a similar query related to Kasab and now the BJP govt is trying to hide this information is very surprising. The inference of law can change as per convenience can be seen from this case, that how things have changed with the transfer of rule from Manmohan to Modi, Galgali further claimed that the public money collected from taxes being paid by a common man is being spent on a traitor and the amount of this public money spent is concealed from the public, exposes the myth of transperancy of this government. Anil Galgali has appealed to the CM Devendra Fadnavis to make public the expenses incurred on Memon. Information of expenses incurred on Kasab was disclosed by the erst while Congress - NCP govt Mohammed Ajmal Kasab the convicted terrorist and lone terrorist who was apprehended alive during the 26/11  Mumbai terror attack was hanged to death on 21st November 2012. After his hanging the govt spent a total of Rs 9 thousand 573 for the burial. Also since his arrest on 26th November 2008 midnight from Girgaon chowpatty till his hanging on 21st November 2012 in the ensuing 4 years the govt incurred a total of Rs 28 crores 50 lakhs as expenses and this information was provided to RTI activist Anil Galgali by the Home Department on his query at that time. The information provided included expenses on Kasab's food, security, medical expenses, clothing as well as expenses on construction of special security walls and also the expenses on his burial. The segregation of expenses showed that the state had to spend around 1.5 crores on security provided by itself and had to incur an expenses of Rs 21 crore 68 lakhs on security provided by the central government force Indo Tibetan Border Force (ITBP) . It was also revealed from the information provided at that time that an expense of Rs 125 was incurred on Kasab's food on the day of his arrest and Rs 33 was incurred for food on the day of his execution.