Monday 12 October 2015

विवादित गजेंद्र चौहान एक बार भी एफटीआईआई कार्यालय नहीं गए

भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान ये भारत सरकार के अधीन कार्यरत स्वायत संस्थान का अध्यक्ष पद जिन गजेंद्र चौहान से विवादित हुआ वे गत 7 महीनों से एक बार भी एफटीआईआई कार्यालय में नही जाने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी हैं। पिछले कार्यकाल के दौरान बतौर अध्यक्ष भाजपा सांसद विनोद खन्ना और पवन चोप्रा ने सिर्फ एक ही बार एफटीआईआई कार्यालय में उपस्थिती दर्ज कराई थी। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान से गत 15 वर्ष से नियुक्त किए गए अध्यक्ष की उपस्थिती और कार्यकाल की जानकारी मांगी थी।अध्यक्ष के तौर पर श्याम बेनगल, आर के लक्ष्मण, मृणाल सेन जैसे दिग्गजों ने जिम्मेदारी संभाली थी। भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान के प्रशासकीय अधिकारी एस.के.डेकते ने अनिल गलगली को वर्ष 1999 से लेकर अब तक नियुक्त किए गए 9 अध्यक्षों की जानकारी दी हैं। सर्वाधिक 3 बार अध्यक्ष पद पर आसीन यू आर अनंतमूर्ति ने अपने 8 वर्ष के कार्यकाल में 26 बार पुणे स्थित एफटीआईआई कार्यालय में उपस्थिती दर्ज कराई। उसके बाद सईद मिर्जा 3 वर्ष अध्यक्ष थे। वे 20 बार संस्थान में उपस्थित थे। गिरीश कर्नाड ये सिर्फ एक वर्ष अध्यक्ष थे। वे एक वर्ष में 6 बार उपस्थित थे। प्रसिद्ध अभिनेता और भाजपा के सांसद विनोद खन्ना लगातार 2 बार अध्यक्ष पद पर आसीन थे लेकिन 2 वर्ष में सिर्फ एक ही बार वे उपस्थित थे। पवन चोप्रा 3 महीना अध्यक्ष थे और कार्यकाल जिस दिन खत्म हुआ उसी दिन यानी 16 दिसंबर 2002 को वे एफटीआईआई कार्यालय में उपस्थित रहे। भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान के अध्यक्ष पद पर गजेंद्र चौहान की 9 जून 2015 को नियुक्ती की गई लेकिन आज 7 महीने के बाद भी आज तक पुणे स्थित एफटीआईआई कार्यालय में जाने की जहमत गजेंद्र चौहान ने नही उठाई हैं। जबकि उनकी नियुक्ती 4 मार्च 2014 से रेकॉर्ड पर बताई गई हैं। गत 7 महीनों से अध्यक्ष होते हुए भी न होने जैसी स्थिती पर चिंता जताते हुए इस पद को न्याय देने की मांग अनिल गलगली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे हुए पत्र में की हैं। # शैक्षणिक पात्रता बाबत संस्थान गप्प? भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान के अध्यक्ष पद के लिए अनिवार्य शिक्षा और अन्य अनिवार्यता की जानकारी मांगने पर अनिल गलगली का आवेदन सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 6(3) के तहत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पास हस्तांतरित किया गया। सही मायने ने इसकी जानकारी भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान द्वारा देना जरुरी होते हुए अध्यक्ष की शिक्षा की अनिवार्यता और अन्य अनिवार्यता पर संस्थान क्यों चूप हैं? ऐसा अनिल गलगली ने का हैं।

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