Monday 29 August 2016

बेस्ट का प्रति यात्री खर्च 21.41 रुपए जबकि आय सिर्फ 12.88 रुपए


मुंबई की बेस्ट की सेवा यात्रियों की संख्या लगातार घटने से उसका परिणाम आय में हुआ हैं।  वर्ष 2015-2016 इस वर्ष में  रु 905.3/- करोड़ का घाटा  सहन करनेवाले बेस्ट का प्रति यात्री खर्च रु 21.41/- हैं

बेस्ट प्रशासन ने वर्ष 2014-15 इस दौरान विभिन्न टैक्स के तहत रु 139.68/- करोड़ सरकार को अदा किए हैं वहीं वर्ष 2015-16 इस दौरान  रु 136.75/- करोड़ अदा किए हैं। बेस्ट प्रशासन ने वर्ष 2010 से 2016 इन 7 वर्षो के बीच 11 बार नगर विकास, परिवहन, महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल को रोड टैक्स, यात्री टैक्स ,पोषण अधिभार, मोटर वाहन टैक्स एवं रजिस्टर लाइसेंस शुल्क और मुल्यवर्धित टैक्स रद्द करने की मांग की हैं। इन मांगों पर सरकार ने आज तक कोई घास नहीं डाली हैं।वर्ष 2014-15 में किराया वृद्धि से बचने के लिए मुंबई मनपा ने रु 150 /- करोड़ का अनुदान दिया था लेकिन बाद में मनपा ने अपनी जिम्मेदारी झटक दी।  मनपा का अनुदान के साथ विभिन्न टैक्स की माफी मिलेगी तो बेस्ट को घाटे के सौदे से बाहर निकलने में मदद ही मिलेगी, यह बताते हुए अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अलावा मनपा आयुक्त को लिखित पत्र भेजकर मांग की हैं कि आम लोगों की ऐसी  'बेस्ट' सेवा को संकट के समय पर सरकार और मनपा संयुक्त तौर पर मदद करे। मुंबई की सार्वजनिक यातायात व्यवस्था को मजबूती देने के लिए सरकार को स्वतंत्र फंड की व्यवस्था कर बेस्ट सेवा को अपनी ममता की छांव देने की अपील अनिल गलगली ने की हैं।
जबकि आय सिर्फ रु 12.88/- होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को बेस्ट प्रशासन ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बेस्ट प्रशासन से बेस्ट यात्री संख्या,आय और बस सेवा पर होनेवाले खर्च की जानकारी मांगी थी।  बेस्ट प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि  2015-2016 इस वर्ष में बेस्ट की बससेवा का लाभ लेनेवाले यात्रियों की कुल संख्या 106 करोड़ 10 लाख 84 हजार इतनी हैं। बस सेवा से रु 1367.11/- करोड़ की आय प्राप्त हुई हैं। जबकि बस संचालन का कुल खर्च रु 2272.41/- इतना हुआ हैं। कुल  घाटा रु 905.3/-  करोड़ हुआ हैं।  प्रति यात्री खर्च रु 21.41/- और उस तुलना में आय सिर्फ रु 12.88/- इतनी हैं। रोजाना औसतन 29 लाख 07 हजार 080 यात्री बेस्ट से यात्रा करते हैं।

बेस्टचा प्रति प्रवासी खर्च 21.41 रुपये आणि उत्पन्न फक्त 12.88 रुपये


मुंबईतील बेस्टची सेवा प्रवासी संख्या सातत्याने घटल्याचा परिणाम उत्पन्नात झाला आहे. वर्ष 2015-2016 या वर्षात 905.3 कोटीचा घाटा सहन करणा-या बेस्टचा प्रति प्रवासी खर्च 21.41रुपये 
उत्पन्न फक्त 12.88 रुपये असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस बेस्ट प्रशासनाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी बेस्ट प्रशासनाकडे बेस्ट प्रवासी संख्या, उत्पन्न आणि बस प्रवर्तनकरिता होणा-या खर्चाची माहिती मागितली होती. बेस्ट प्रशासनाने अनिल गलगली यांस कळविले की वर्ष 2015-2016 या वर्षामध्ये बेस्ट उपक्रमाच्या बससेवेचा लाभ घेतलेल्या प्रवाशांची एकूण संख्या 106 कोटी 10 लाख 84 हजार एवढी आहे. बसवाहतुकीमधून रु 1367.11 कोटी उत्पन्न प्राप्त झालेले असून बस प्रवर्तनकरिता एकूण खर्च रु 2272.41 कोटी एवढा झालेला आहे. एकूण घाटा 905.3 कोटी झाला आहे.  प्रति प्रवासी खर्च 21.41 रुपये आणि त्या तुलनेत उत्पन्न फक्त 12.88 रुपये आहे. दररोज 29 लाख 07 हजार 080 प्रवासी बेस्टचा प्रवास करतात.बेस्ट प्रशासनाने वर्ष 2014-15 या दरम्यान विविध करापोटी रु 139.68/- कोटी शासनास भरणा केला तर वर्ष 2015-16 या दरम्यान रु 136.75/- कोटी अदा केले. बेस्ट प्रशासनाने वर्ष 2010 ते 2016 या 7 वर्षाच्या दरम्यान 11 वेळा नगर विकास, परिवहन, महाराष्ट्र राज्य रस्ते विकास महामंडळ यांस पथकर, प्रवासी कर, पोषण अधिभार, मोटर वाहन कर व नोंदणी परवाना शुल्क आणि मुल्यवर्धित कर रद्द करण्याची मागणी केली ज्यास शासनाने वाटाण्याच्या अक्षता लावल्या आहेत.वर्ष 2014-15 मध्ये भाडे वाढ टाळण्यासाठी श्रीमंत असलेल्या मुंबई महानगरपालिकेने रु 150 /- कोटीचे अनुदान दिले होते पण त्यानंतर पालिकेने हात झटकले आहे. पालिकेचे अनुदानसोबत विविध करांची माफ़ी मिळाली तर बेस्टला घाटयाच्या सौदातून बाहेर पडण्यास मदतच मिळेल, असे सांगत अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांच्या सहित पालिका आयुक्तांस लेखी पत्र पाठवित मागणी केली आहे की सर्वसामान्याची अशी 'बेस्ट' सेवेस अश्या संकट प्रसंगी शासन आणि पालिकेने संयुक्तरित्या मदत करावी. मुंबईतील सार्वजनिक वाहतूक व्यवस्थेस बळकटी देण्यासाठी शासनाने स्वतंत्र निधी उभारत बेस्ट सेवेस आपली मायेची ऊब दयावी, असे भावनिक आवाहन गलगली यांनी केले आहे.

BEST's per passenger costs is Rs 21.41 and Income per passenger is Rs 12.88


The rapid loss of passengers for the bus services run by the BEST administration in Mumbai has hit the bottom line of the BEST's finance's. In 2015-16 the BEST has incurred a loss of Rs 905.3 crores, bringing the per passenger cost to Rs 21.41/- . In comparison the income generated comes to Rs 12.88. This data has been revealed in a reply to a query filed by RTI Activist Anil Galgali.
RTI Activist Anil Galgali had sought information about the total number of passengers usage, Income and operational expenses. In a response, the BEST administration informed Galgali that, in 2015-16, 106 crores 10 lakhs 84000 passengers availed the services of the BEST bus service, the Revenue generated from this was Rs 1367.11/- crores. The operational expenses was Rs 2272.41/- crores, with the losses being Rs 905.3/- crores. The per passenger cost works out to Rs 21.41/- , where as the income stands at Rs 12.88/-  per passenger. Almost 29 lakh 7 thousand 80 passengers travel on BEST busses daily. The BEST administration has paid Rs 139.68/- crores in 2014-15 and Rs 136.75/- crores in 2015-16 as taxes to various authorities. In a period of 7 years from 2010 to 2016 the BEST administration wrote 11 times to the Urban Development Ministry, Transport Ministry to cause the various Taxes like the Toll tax of the MSRDC, Motor vehicle tax, passenger tax, Surcharge, Registration licence charges and VAT , which the government has ignored.  
To ensure that the bus fares are not increased the MCGM gave a grant of Rs 150/- crores in 2014-15, since then the MCGM has also turned a blind eye towards the BEST administration. Along with the grant from MCGM, if the BEST receives a waiver of tax payments the situation for the BEST will considerably improve for the BEST to come out of the losses claimed Galgali in a letter addressed to CM Devendra Fadnavis and MCGM Commissioner, demanding further that the State government and the MCGM should bail out the BEST administration in its critical times as the BEST services are utilised by the common man and ensures affordable and seamless travel for them across Mumbai and beyond. He further appealed to the state government that, to strengthen the Public Transport system in Mumbai, the government should constitute a separate fund, which can be benevolent for BEST stated Galgali in an emotional appeal.

Friday 26 August 2016

मनपा सड़क काम का घपला: पुलिस की रडार पर हैं और मनपा अधिकारी



मुंबई मनपा सडक के काम का घपला और भ्रष्टाचार को लेकर पुलिस की जांच पर लोकआयुक्त और पूर्व जस्टिस मदनलाल तहिलयानी ने संतृष्टि जताई।  मुंबई पुलिस ने 26 लोगों को गिरफ्तार किआरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने जिन ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज हैं उन्हें ही मुंबई के 4 कामों का ठेका देने के खिलाफ लोकआयुक्त और पूर्व जस्टिस न्यायमूर्ति मदनलाल तहिलयानी से शिकायत की थी।  इसके पहले लोकआयुक्त के आदेश के बाद मनपा के दोषी अधिकारियों को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था।  शुक्रवार को हुई सुनवाई में पुलिस की जांच सही दिशा में होने की बात कहते हुए तहिलयानी ने सड़क के काम की साम्रगी का सैंपल पर पुलिस से जबाबतलब किया। जांच अधिकारी विजय वाघमारे ने बताया कि आईआईटी से सैंपल के लिए संपर्क किया गया हैं। जिन्हें आगे गिरफ्तार करना हैं उनकी लिस्ट लोकआयुक्त को बताई गई। लोकआयुक्त तहिलयानी ने जांच सही दिशा में होने पर संतृष्टि जताई। इस सुनवाई में मनपा की ओर से निदेशक  लक्ष्मण वटकर, मुख्य अभियंता एस ओ कोरी, संजय दराडे, शिकायतकर्ता अनिल गलगली उपस्थित थे। या हैं और मामले से जुड़े अन्य लोगों को गिरफ्तार करने के लिए जांच शुरु होने की जानकारी दी।

पालिका रस्ते कामातील घोळ: पोलीसांच्या रडारवर आहेत पालिका अधिकारी



मुंबई पालिका रस्ते कामातील घोळ आणि भ्रष्टाचार प्रकरणी दाखल गुन्ह्याबाबत पोलीसांच्या तपासावर लोकआयुक्त आणि माजी न्यायमूर्ति मदनलाल तहिलयानी समाधान व्यक्त केले. मुंबई पोलिसांनी या प्रकरणात 26 लोकांस अटक केली असून प्रकरणाशी संबंधित अन्य लोकांची अटक लवकरच करण्यासाठी तपास सुरु असल्याची माहिती दिली.
आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी ज्या कंत्राटदारावर गुन्हे दाखल झाले आहेत त्यांस पुन्हा मुंबईतील 4 कामाचे कंत्राट दिल्याबद्दल लोकआयुक्त माजी न्यायमूर्ति मदनलाल तहिलयानी यांस तक्रार केली होती. यापूर्वी लोकआयुक्त यांच्या आदेशानंतर पालिकेच्या दोषी अधिका-यांस मुंबई पोलीसांनी अटक केली. शुक्रवारी झालेल्या सुनावणीत पोलीस तपास योग्य दिशेने होत असल्याचे सांगत तहिलयानी यांनी रस्त्यांच्या कामातील साम्रगीचे नमूने बाबत पोलीसांस विचारणा केली. तपास अधिकारी विजय वाघमारे यांनी सांगितले की आयआयटी कडे नमुन्यासाठी संपर्क साधला आहे. पोलीसांनी अजुन ज्यांस अटक करावयाची आहे त्यांची यादी लोकआयुक्तांस दाखविली. लोकआयुक्त तहिलयानी यांनी तपास योग्य दिशेने होत असल्याचे सांगत अनिल गलगली यांची तक्रार बंद केली. यावेळी पालिकेतर्फे संचालक लक्ष्मण वटकर, मुख्य अभियंता एस ओ कोरी, संजय दराडे, तक्रारदार अनिल गलगली उपस्थित होते.



BMC Road Scam: More BMC Officials on Radar of Mumbai Police


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In whole road scam of BMC and it's corruption Lokyukta and former Justice Madanlal Tahilyani is satisfied ‎with investigations done by mumbai police. Mumbai Police so far has arrested 26 people and will be arresting more as per investigations that are on! 
RTI activist ‎Anil Galgali has complained to Lokyukta and former Justice Madanlal Tahilyani telling All those contractors who's names are in FIR why were again they given contracts?  Before this after orders from Lokyukta Mumbai police arrested many BMC officers who are accused in case. In friday's ‎hearing former justice expressed that investigation is going in right direction. He also asked officers about the samples of materials used for construction of road. Investigation officer Vijay Waghmare told they have contacted IIT for samples. Also list of officials to be arrested further is given to Lokyukta. In this hearing BMC Engineering Department Director Lakshman Watkar, Chief Engineer S. O. Kori, Sanjay Darade and Complainant Anil Galgali were present.



Monday 22 August 2016

मुख्यमंत्री के सचिवालय में सबसे अधिक शिकायतें गृह विभाग की

टॉप 5 में गृह, राजस्व, नगर विकास, सामान्य प्रशासन और ग्रामीण विकास महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सचिवालय में सबसे अधिक शिकायतें गृह विभाग से प्राप्त होती हैं। गत 20 महीने में 71,475 शिकायत आने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुख्यमंत्री सचिवालय ने दी हैं। कुल 2,44,112 शिकायतों में टॉप 5 में गृह, राजस्व , नगर विकास, सामान्य प्रशासन और ग्रामीण विकास का नंबर लगता हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री सचिवालय में जानकारी मांगी थी कि विभिन्न विभाग को कितनी शिकायते प्राप्त होती हैं और कितनी शिकायते प्रलंबित हैं। मुख्यमंत्री सचिवालय की जन सूचना अधिकारी और कक्ष अधिकारी वैशाली चवाथे ने अनिल गलगली को 1 नवंबर 2014 से 30 जून 2016 इन 20 महीनों में प्राप्त 31 विभागों की जानकारी पेन ड्राइव में दी। इन 31 विभागों में गत 20 महीने में कुल 2,44,112 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इनमें सबसे अधिक शिकायतें मुख्यमंत्री के अधिनस्थ गृह, नगर विकास और सामान्य प्रशासन विभाग से हैं।सबसे अधिक 71,475 शिकायतें गृह विभाग की हैं। राजस्व और वन विभाग की शिकायतों की संख्या 24,293 हैं। 15,388 नगर विकास, 9,461 सामान्य प्रशासन, 9,368 ग्रामीण विकास ऐसी क्रमवारी हैं। इन 5 विभागों के शिकायतों की संख्या 53.24 प्रतिशत हैं। मुख्यमंत्री सचिवाली को महीने को लगभग 12,205 शिकायतें प्राप्त होती हैं। कुल 31 विभागों में टॉप 5 के बाद जिन विभागों की शिकायतें प्राप्त हुई हैं उनमें 6382 पशु संवर्धन और डेरी, 724 मुख्य सचिव, 1189 सूचना एवं जनसंपर्क महासंचालनालय, 7776 वस्त्रोद्योग और पणन, 602 रोजगार और स्वंयरोजगार, 667 पर्यावरण, 2288 वित्त, 2875 खाद्य आपूर्ति, 3693 उच्च व तंत्र शिक्षा, 8608 गृह निर्माण, 8765 उद्योग, उर्जा और कामगार, 4640 विधी व न्याय, 181 मराठी, 2458 वैद्यकीय शिक्षा, 924 अल्पसंख्याक, 107 संसदीय कार्य, 1186 नियोजन, 4193 सार्वजनिक स्वास्थ्य , 5166 सार्वजनिक निर्माण , 7101 शालेय शिक्षा, 3877 सामाजिक न्याय, 845 पर्यटन व सांस्कृतिक, 807 आदिवासी, 1830 जल संसाधन, 597 जलापूर्ति और 370 महिला व बाल विभाग का शुमार हैं। रोजगार और स्वयंरोजगार विभाग का रेकॉर्ड नहीं रोजगार और स्वयंरोजगार विभाग का 12 महीने का रेकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने का दावा मुख्यमंत्री सचिवालय ने किया हैं। 1 नवंबर 2014 से 31 दिसंबर 2014 तक 55 और 1 जनवरी 2015 से 30 जून 2015 तक 547 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। उसके बाद का रेकॉर्ड न होने का दावा किया हैं। वहीं वस्त्रोद्योग और पणन की 60 और उच्च तंत्र शिक्षा विभाग की 2 शिकायतें प्रलंबित हैं। अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में उनका ध्यानाकर्षण किया हैं कि तकरीबन सभी विभागों में आम नागरिकों की शिकायतों का निदान नहीं होता हैं। फलस्वरुप मुख्यमंत्री सचिवालय में शिकायतों की संख्या बढती जा रही हैं। शिकायत निवारण यंत्रणा को मजबूती देकर उस उस विभाग के मुखिया को योग्य आदेश दिया जाएगा तो शिकायतों की संख्या कम होगी और मुख्यमंत्री सचिवालय को सकारात्मक काम करने के लिए और समय मिलेगा। शिकायत बढ़ने से विभाग की जिम्मेदारी जिनपर सौंपी हैं वे लापरवाह होने की बात सामने आ रही हैं जिनपर तत्काल करने की जरुरत होने की मांग अनिल गलगली ने की हैं।

मुख्यमंत्र्यांच्या सचिवालयात सर्वाधिक तक्रारी गृह खात्याच्याच

टॉप 5 मध्ये गृह, महसूल, नगर विकास, सामान्य प्रशासन आणि ग्रामीण विकास महाराष्ट्राचे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांच्या सचिवालयात सर्वाधिक तक्रारी गृह खात्याच्याच प्राप्त होत असून गेल्या 20 महिन्यात 71,475 तक्रारी असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुख्यमंत्री सचिवालयाने दिली आहे. एकूण 2,44,112 तक्रारीत टॉप 5 मध्ये गृह, महसूल, नगर विकास, सामान्य प्रशासन आणि ग्रामीण विकास यांचा क्रमांक येतो. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुख्यमंत्री सचिवालयात माहिती मागितली होती की विविध खात्याच्या किती तक्रारी प्राप्त होतात आणि किती तक्रारी प्रलंबित आहे. मुख्यमंत्री सचिवालयातील जन माहिती अधिकारी आणि कक्ष अधिकारी वैशाली चवाथे यांनी अनिल गलगली यांस 1 नोव्हेंबर 2014 ते 30 जून 2016 या 20 महिन्याच्या दरम्यान प्राप्त 31 खात्याची माहिती पेन ड्राइवमध्ये दिली. 31 खात्यात गेल्या 20 महिन्यात एकूण 2,44,112 तक्रारी प्राप्त झाल्या असून सर्वाधिक तक्रारी दस्तुरखुद्द मुख्यमंत्री यांच्या अखत्यारीतील गृह, नगर विकास आणि सामान्य प्रशासन खात्याच्या आहेत. 71,475 तक्रारी गृह खात्याच्या असून त्यानंतर महसूल आणि वन खात्याच्या तक्रारीची संख्या 24,293 आहे. 15,388 नगर विकास, 9,461 सामान्य प्रशासन, 9,368 ग्रामीण विकास असा क्रम आहे. या 5 खात्याच्या तक्रारीची संख्या 53.24 टक्के असून महिन्याला सरासरी 12,205 तक्रारी प्राप्त होत आहेत. एकूण 31 खात्यात टॉप 5 नंतर ज्या विविध खात्याच्या तक्रारी आहेत त्यात 6382 पशु संवर्धन आणि डेरी, 724 मुख्य सचिव, 1189 माहिती व जनसंपर्क महासंचालनालय, 7776 वस्त्रोद्योग आणि पणन, 602 रोजगार आणि स्वंयरोजगार, 667 पर्यावरण, 2288 वित्त, 2875 अन्न ,नागरी व आपूर्ति पुरवठा, 3693 उच्च व तंत्र शिक्षण, 8608 गृह निर्माण, 8765 उद्योग, उर्जा आणि कामगार, 4640 विधी व न्याय, 181 मराठी, 2458 वैद्यकीय शिक्षण, 924 अल्पसंख्याक, 107 संसदीय कार्य, 1186 नियोजन, 4193 सार्वजनिक आरोग्य , 5166 सार्वजनिक बांधकाम , 7101 शालेय शिक्षण, 3877 सामाजिक न्याय, 845 पर्यटन व सांस्कृतिक, 807 आदिवासी, 1830 जल संसाधन, 597 पाणी पुरवठा आणि 370 महिला व बाल विभाग यांचा समावेश आहे. रोजगार आणि स्वयंरोजगार खात्याचा अभिलेख नाही रोजगार आणि स्वयंरोजगार खात्याचा 12 महिन्याचा अभिलेख उपलब्ध नसल्याचा दावा मुख्यमंत्री सचिवालयाने केला आहे. 1 नोव्हेंबर 2014 ते 31 डिसेंबर 2014 पर्यंत 55 तर 1 जानेवारी 2015 ते 30 जून 2015 पर्यंत 547 तक्रारी प्राप्त झाल्या आहेत. त्यानंतरचा अभिलेख नसल्याचा दावा केला आहे. तसेच वस्त्रोद्योग आणि पणन यांच्या 60 आणि उच्च तंत्र शिक्षण खात्याच्या 2 तक्रारी प्रलंबित आहेत. अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पाठविलेल्या पत्रात लक्ष वेधले आहे की जवळपास सर्व खात्यात सामान्य नागरिकांच्या तक्रारीचे समाधान होत नाही आणि परिणामस्वरुप मुख्यमंत्री सचिवालयात तक्रारीचा ओघ वाढत आहे. तक्रार निवारण यंत्रणेस अधिक बळकटी देत त्या त्या खात्याच्या प्रमुखांस योग्य ते निर्देश दिल्यास तक्रारीचा ओघ कमी होईल आणि मुख्यमंत्री सचिवालयास सकारात्मक काम करण्यास अधिक वेळ मिळेल. तक्रारी वाढल्यामुळे खाते प्रमुख निष्किय असल्याची बाब समोर येत आहे आणि तत्काळ कार्यवाहीची अपेक्षा असल्याची बाब गलगली यांनी नमूद केली.

Home department issues tops complaints received by the Chief Ministers office

Top 5 includes Home, Revenue, Urban Development, General Administration Department and Rural development Maharashtra CM Devendra Fadnavis's secretariat receives the highest number of complaints pertaining to the Home department. In the past 20 months in office it has received 71,475 complaints as per the details provided to RTI Activist Anil Galgali by the CMO. The total complaints amount to 2,44,112 and the top 5 being the Home, Revenue, Urban Development, GAD and Rural development. RTI Activist Anil Galgali had sought information about the quantum of complaints received by the CMO pertaining to other departments of the government and how many are pending with it. The Public Information Officer and Desk Officer of the CMO Vaishali Chavathe provided the information to Galgali from 1st November 2014 onwards till 30st June 2016 ranging 20 months for the 31 departments of the government on a pen drive. In the past 20 months a total of 2,44,112 complaints pertaining to the 31 departments were received in the CMO. The maximum complaints pertaining to the Home, Urban Development and GAD are under the CM himself. 71,475 complaints pertained to the Home department, followed by the Revenue and Forests department with 24,293. Urban Development 15,388, GAD 9,461, Rural Development 9368. These 5 departments itself grosses 53.24% of complaints clocking 12,205 complaints per month. Across 31 departments apart from the top 5 , the other departments rank as follows. Animal Husbandry and Dairy development 6382, Chief Secretary office 724, DGIPR 1189, Textiles and Marketing 7776, Employment and Self Employment 602, Environment 667, Finance 2288, Food and Civil Supplies 2875, Higher and Technical education 3693, Housing 8608, Industries, Energy and Labour 8765, Law and Judiciary 4640, Marathi 181, Medical Education 2458, Minorities 924, Parliamentary affairs 107, Planning 1186, Public Health 4193, PWD 5166, School Education 7101, Social Justice 3877, Tourism and Cultural 845, Tribal 807, Water Resources 1830, Water Supply 597, and Women and Child development 370. No details of Employment and Self Employment department The CMO has no details of the complaints pertaining to the Employment and Self Employment department for almost 12 months. The department received 55 complaints between 1st November 2014 to 31st December 2014 and 547 complaints were received for the period 1st January 2015 to 30st June 2015. Further details from 1st July 2015 onwards are not available. Also 60 completely pertaining to the Textiles and Marketing department are still pending apart from 2 pertaining to the Higher and Technical education department. Anil Galgali, in a letter addressed to CM Devendra Fadnavis, has sought his attention to the fact that the problem of common man is not addressed by the respective departments making them write to the CM for redressal. CM should tighten the grievance redressal system in the respective departments, by passing instructions to the department heads, which will lead to lessening of the load on the CMO, which will enable the CMO to divert attention towards other pressing problems in the State. The increased complaints also highlights the inactiveness of the respective department head's. Relevant steps should be taken on such department head's, stated Galgali.

Tuesday 16 August 2016

मनपा में सालाना यौन उत्पीड़न की 29 शिकायतें

मुंबई मनपा में कार्यस्थान पर यौन उत्पीड़न की घटनाओं में वृद्धि होने से सालाना यौन उत्पीड़न की 29 शिकायतें प्राप्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महिलाओं पर यौन उत्पीड़न प्रतिबंध प्रमुख अंतर्गत शिकायत कमिटी और सावित्रीबाई फुले स्त्री संसाधन केंद्र ने दी हैं। शिकायत निवारण कमिटी ने आदेश जारी करने के बाद उसका अनुपालन न हुए मामलों की जानकारी गोपनीयता के नाम पर देने से इंकार किया। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महिलांओं पर यौन उत्पीड़न प्रतिबंध प्रमुख अंतर्गत शिकायत कमिटी और सावित्रीबाई फुले स्त्री संसाधन केंद्र से महिलाओं की आनेवाली विभिन्न शिकायतों की जानकारी मांगी थी। महिलांओं पर यौन उत्पीड़न प्रतिबंध प्रमुख अंतर्गत शिकायत कमिटी और सावित्रीबाई फुले स्त्री संसाधन केंद्र की जन सूचना अधिकारी और प्रशासकीय अधिकारी रेखा काले ने अनिल गलगली को बताया कि वर्ष 2013 से वर्ष 2016 इन 4 वर्षों में कुल 118 शिकायतों की संख्या हैं। वर्तमान वर्ष 2016 में 21 से सिर्फ 4 मामले प्रलंबित हैं। गत 4 वर्ष में जिन मामलों पर फैसला लिया गया उसकी संख्या 96 प्रतिशत हैं लेकिन जिन शिकायतों में तथ्य था उनपर हुए कारवाई की जानकारी नहीं दी। इनका तर्क यह हैं कि सावित्रीबाई फुले स्त्री संसाधन केंद्र द्वारा जांच के बाद हुए निर्णय का अनुपालन वह दोषी कर्मचारी जिस आस्थापन पर कार्यरत हैं उस विभाग से होती हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महिलांओं पर यौन उत्पीडन प्रतिबंध प्रमुख अंतर्गत शिकायत कमिटी और सावित्रीबाई फुले स्त्री संसाधन केंद्र पर नियुक्त सदस्यों की जानकारी मांगी थी। अस्पताल की डॉक्टर मंडली का कमिटी पर कब्जा होने से कुल कमिटी के 16 में 8 लोग अस्पताल से जुड़े हुए हैं। इसमें अध्यक्ष, सचिव और 5 सदस्य अस्पताल के डॉक्टर वहीं एक प्रशासकीय अधिकारी हैं। इस कमिटी का गठन वर्ष 2009 में हुआ हैं। अध्यक्ष की नियुक्ती मनपा उपायुक्त ( सामान्य प्रशासन ) द्वारा भले होती हैं लेकिन अतिरिक्त आयुक्त ( पूर्व उपनगरे ) और मनपा आयुक्त की अनुमति ली जाती हैं। अध्यक्ष, सचिव और सदस्य के कार्यकाल का पीरियड उनके रिटायरमेंट तक की हैं। अनिल गलगली ने मनपा आयुक्त को पत्र भेजकर मांग की हैं कि जिन अधिकारी और कर्मचारियों को कमिटी ने यौन उत्पीडन मामले में दोषी पाया हैं उन दोषियों की जानकारी सार्वजनिक करते हुए मनपा की वेबसाइट पर ऑनलाइन करे ताकि लोकलज्जा के डर से ऐसे कृत्यों से लोग दूरियां बनाएंगे और यौन उत्पीडन की संख्या कम होगी। महिलांओं पर यौन उत्पीडन प्रतिबंध प्रमुख अंतर्गत शिकायत कमिटी और सावित्रीबाई फुले स्त्री संसाधन केंद्र पर नियुक्त सदस्यों के साथ अध्यक्ष एवमं सचिव का कार्यकाल निश्चित करे ताकि वहां पर किसी की लॉबी न बन पाए और मनपा के ज्येष्ठ अधिकारियों के अनुभव का लाभ होगा, ऐसी मांग अनिल गलगली ने की हैं।

पालिकेत वर्षाला लैंगिक अत्याचाराच्या 29 तक्रारी

मुंबई महापालिकेत कार्यस्थळी स्थानी लैंगिक अत्याचाराच्या घटनेत वाढ होत असून वर्षाला लैंगिक अत्याचाराच्या 29 तक्रारी प्राप्त होत असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महिलांवरील लैंगिक अत्याचार प्रतिबंध प्रमुख अंतर्गत तक्रार समिती आणि सावित्रीबाई फुले स्त्री संसाधन केंद्राने दिली आहे. तक्रार निवारण समितीने आदेश पारित करुनही अनुपालन न झालेल्या प्रकरणाची माहिती गोपनीय असल्याचा दावा करत ती माहिती देण्यास नकार दिला. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस महिलांवरील लैंगिक अत्याचार प्रतिबंध प्रमुख अंतर्गत तक्रार समिती आणि सावित्रीबाई फुले स्त्री संसाधन केंद्राकडे महिलांवर होणा-या तक्रारीची विविध माहिती विचारली होती.महिलांवरील लैंगिक अत्याचार प्रतिबंध प्रमुख अंतर्गत तक्रार समिती आणि सावित्रीबाई फुले स्त्री संसाधन केंद्राच्या जन माहिती अधिकारी आणि प्रशासकीय अधिकारी रेखा काळे यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की वर्ष 2013 ते वर्ष 2016 या 4 वर्षात एकूण 118 तक्रारीची संख्या असून सद्या वर्ष 2016 मध्ये 21 पैकी फक्त 4 प्रकरणे प्रलंबित आहे. मागील 4 वर्षात निकालात काढली गेलेल्या प्रकरणाची संख्या 96 प्रतिशत आहे पण ज्या तक्रारीत तथ्य आढळल्यात त्यावर झालेल्या कारवाईची माहिती दिलीच नाही.उलट असा अजब दावा केला आहे की सावित्रीबाई फुले स्त्री संसाधन केंद्राद्वारे चौकशीअंती झालेल्या निर्णयाचे पालन तो दोषी कर्मचारी ज्या आस्थापनेवर कार्यरत आहे त्या विभागाकडून करण्यात येते. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महिलांवरील लैंगिक अत्याचार प्रतिबंध प्रमुख अंतर्गत तक्रार समिती आणि सावित्रीबाई फुले स्त्री संसाधन केंद्रावर नेमलेल्या सदस्यांची माहिती विचारली होती. रुग्णालयातील डॉक्टर मंडळीचा समितीवर कब्जा असून 16 पैकी 8 जण रुग्णालयाशी निगडित आहे. यामध्ये अध्यक्ष, सचिव आणि 5 सदस्य रुग्णालयातील डॉक्टर तर एक प्रशासकीय अधिकारी आहे. सदर समितीचे गठन वर्ष 2009 मध्ये झाले असून अध्यक्ष यांची नेमणूक पालिका उपायुक्त ( सामान्य प्रशासन ) कडून जरी होत असली तरी अतिरिक्त आयुक्त ( पूर्व उपनगरे )आणि पालिका आयुक्ताची परवानगी घेतली जाते. अध्यक्ष, सचिव आणि सदस्य कार्यकालाची वेळ त्यांच्या निवृत्त पर्यंतची आहे. अनिल गलगली यांनी पालिका आयुक्तांस पत्र पाठवून मागणी केली की ज्या अधिकारी आणि कर्मचा-यास समितीने लैंगिक अत्याचार प्रकरणी दोषी ठरविले आहे त्यांच्यावर केलेल्या कारवाईची माहिती सार्वजनिक करत पालिकेच्या संकेतस्थलावार प्रदर्शित करावी जेणेकरुन लोकलज्जास्तव अश्या कृत्यापासून लोक दूर राहतील आणि लैंगिक अत्याचाराच्या प्रमाणात घट होईल. महिलांवरील लैंगिक अत्याचार प्रतिबंध प्रमुख अंतर्गत तक्रार समिती आणि सावित्रीबाई फुले स्त्री संसाधन केंद्रावर नेमलेल्या सदस्यांची आणि अध्यक्ष तसेच सचिवाचा कार्यकाळ निश्चित करावा जेणेकरुन येथे कोण्याचीही लॉबी तयार होणार नाही आणि पालिकेतील अन्य वरिष्ठ अधिका-यांच्या अनुभवाचा लाभ होईल, अशी मागणी अनिल गलगली यांनी केली आहे.

29 cases of Sexual harassment are registered in MCGM offices every year.

The Statistical data supplied by Complaints committee working under Women Sexual harassment Prevention chief and 'Savitribai Phule Women resource centre', pointed out to alarming growth in such cases. Unfortunately refused to share data regarding the implementation of orders passed by these vigilance bodies, burdened with the responsibility to stop sexual harassmentl in work places. They refused to share information on those cases, where 'action taken report' has not been filed on the orders issued by these statutory vigilante group. This information is restricted, was the argument given. 29 cases of Sexual harassment are registered in MCGM offices every year, reveled by RTI Activist Anil Galgali RTI Activist Anil Galgali ask various information regarding Women Sexual harassment Prevention chief and 'Savitribai Phule Women resource centre during last 4 years. A total of 118 complaints of sexual harassment in MCGM were received between 2013 to 2016, Public information officer & Administrative Officer Rekha Kale informed Galgali. Out this 21 were filed in ongoing year 2016 itself. Out of the pending cases, 96% have been cleared. Just 4 cases registered this year have shown 'pending' in the records. Were those who were held guilty after inquiry ever punished? Question that still remains unanswered by the committee, citing the fact that concerned department takes the call on punishment. Out of the total 16 members of the committee, 8 members, including the President & Secretary, are related to medical field. 7 are doctors, while 8th is an Administrative officer. The said committee was appointed in 2009. MCGM deputy Commissioner ( General Administration ) appoints committee after consultation with Additional Commission (Suburbs) & permission of MCGM Commisioner. The term of President, Secretary & members of the committee continue up the day of their retirement. Anil Galgali in a letter addressed to Municipal Commissioner has demanded that, all the names of the officers and staff who have been found guilty of sexual harassment by the committee, should be displayed on the MCGM'S website as, this will act as a strong deterrent for the others as the fear of Public shaming will reduce the future instances.Galgali further demanded that postings on the committee appointed to look into the complaints of the women's sexual harassment in the work place by the MCGM as well as the Savitribai Phule women's development centre be for a fixed term including the Chairman, Secretary and the members, so as to ensure that no lobbies get to control the activities there. This will also ensure that varied experience of the other senior officers can be utilised there.

Friday 12 August 2016

3 मिनट में 'मिडास टच' से पाटा जाता हैं गड्डा

मुंबई महानगरपालिका सड़कों पर गड्डा और गड्डों में सड़क से हमेशा विवादित रही हैं। इन गड्डों के झंझट से बाहर निकलने के लिए एक नए प्रणाली का डेमो सांताक्रूज-चेंबूर लिंक रोड पर सफल हुआ हैं और सिर्फ 3 मिनट में ऑस्ट्रिया का मिडास टच से गड्डा पाटा गया वह भी बारिश और पानी से भरे गड्डों में। सांताक्रूज-चेंबूर लिंक रोड पर गुरुवार की शाम को मनपा के ब्रिज विभाग के मुख्य अभियंता एस ओ कोरी के अलावा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इस प्रात्यक्षिक में हिस्सा लिया। इको ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के अधिकारियों ने 3 स्थानों के गड्डे सिर्फ 9 मिनट में पाटे और वह भी ट्रैफिक को बिना रोके।गड्डे पाटते ही उसपर से तेजी से वाहन दौड़ सकते हैं और इन गड्डों की गारंटी 2 से 3 वर्ष तक हैं। रिएक्टिव अस्फाल्ट वाला मिडास टच उत्पाद 80 रुपए किलो हैं और 1 वर्गमीटर के10 एमएम गड्डों के लिए 25 किलो मिडास टच आवश्यक होता हैं।अनिल गलगली का मानना हैं कि ऐसी तकनीक का इस्तेमाल आवश्यक हैं और मनपा प्रशासन को इसे जोर देना चाहिए ताकि मुंबई गड्डोंमुक्त हो पाएं।

3 मिनिटात 'मिडास टच' भरतो खड्डा

मुंबई महानगरपालिका रस्त्यांवरील खड्डे आणि खड्डयातील रस्त्यांमुळे नेहमीच वादात राहिली आहे.या खड्डयांच्या कटकटीतून बाहेर पडण्यासाठी एका नवीन तंत्रज्ञानाचा प्रायोगिक तत्वावर केलेला प्रयोग सांताक्रूझ-चेंबूर लिंक रोडवर सफल झाला असून फक्त 3 मिनिटात ऑस्ट्रियाचा मिडास टच खड्डा भरतो ते सुद्धा भर पावसात आणि खड्डयांच्या डबक्यात ही. सांताक्रूझ-चेंबूर लिंक रोडवर गुरुवारी संध्याकाळी पालिकेच्या पूल विभागाचे मुख्य अभियंता एस ओ कोरी यांच्या सोबत आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी या प्रात्यक्षिकात भाग घेतला. इको ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनीच्या अधिका-यांनी 3 ठिकाणी असलेले खड्डे अवघ्या 9 मिनिटात बुझविले आणि ते सुद्धा वाहतूक न थांबविता. खड्डे बुझविताच भरधाव गाडी धावू शकते आणि याची गारंटी 2 ते 3 वर्ष आहे. रिएक्टिव अस्फाल्ट असलेले मिडास टच उत्पादन 80 रुपये किलो असून एका चौरस मीटरच्या 10 एमएम खड्डयांसाठी 25 किलो मिडास टच आवश्यक आहे.अनिल गलगली यांच्या मते अश्या तंत्रज्ञानाचे उपयोग आवश्यक असून पालिका प्रशासनाने यावर भर दयावा.जेणेकरुन मुंबई खड्डेमुक्त होईल.

“Reactive Asphalt - Midas Touch” filled pothole in Flat “3 Minutes”

The Municipal Corporation of Mumbai has ever been in news for Potholes. To get rid of Potholes in Mumbai, there is a Remedy by a Technology called as Reactive Asphalt (Midas Touch) by Ecogreen Infrastructure & development Pvt Ltd. Midas Touch from Austria, which had successfully repaired potholes on Santacruz Chembur Link Road filled with rain water in Flat 3 Minutes and the traffic was allowed immediately. In the presence of Chief Engineer (Bridges) S. O. Kori, RTI Activist Anil Galgali and Officers of Bridge Department of MCGM the live Demonstration was done on Santacruz Chembur Link Road. The Company Officers of M/s. Ecogreen Infrastructure and Development Private Limited, filled 3 rain water filled Potholes in flat 9 Minutes without stopping the traffic. The warranty of the potholes is approx 2-3 years. The Reactive Asphalt product (Midas Touch) is costing Rs.130/- per KG and if manufactured in India would cost around Rs.80/- per kg. One sqm of 10mm would require 25kgs of material only. The activist, Mr Anil Galgali is of the opinion that, this technology is very much necessary to make Mumbai Pothole FREE and the Municipal Corporation of Mumbai should be necessarily use this internationally proven Technology “Reactive Asphalt” to get rid of the menace of potholes in Mumbai. Further, Mr. Anil Galgali added that even if we could save few lives of the bikers and Motorist it will be worth to use this technology, as “life is Priceless”.

Thursday 11 August 2016

जनशिकायत कक्ष केंद्र में सिर्फ एक बार प्रकट हुए हैं रेल मंत्री सुरेश प्रभू

मुंबईवासी रेल मंत्री सुरेश प्रभू ने मुंबईवासियों की सुविधा के लिए दादर पूर्व में जनशिकायत कक्ष केंद्र शुरु तो किया लेकिन गत 20 महीने में बतौर रेल मंत्री सुरेश प्रभू सिर्फ एक ही बार इस केंद्र में आने की जानकारी मध्य रेलवे प्रशासन ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मध्य रेल्वे प्रशासन से दादर पूर्व स्थित जनशिकायत कक्ष केंद्र की विभिन्न जानकारी मांगी थी। मध्य रेलवे के जन सूचना अधिकारी और उप महाप्रबंधक साकेत कुमार मिश्रा ने अनिल गलगली को बताया कि 9 जनवरी 2015 को दोपहर 4 बजे रेलवे मंत्री सुरेश प्रभू इस जनशिकायत कक्ष केंद्र में आए थे। उप मुख्य अभियंता( निर्माण ) के एक हिस्से में जनशिकायत कक्ष केंद्र शुरु किया गया हैं और पुराना कार्यालय पिछले हिस्से में स्थानांतरित किया गया हैं। इस कार्यालय में अब तक करीब 1600 शिकायत प्राप्त हुई हैं और रोजाना करीब 12 से 25 लोग इस कार्यालय में आते हैं। जनशिकायत कक्ष केंद्र में गाडियों का आवागमन, रखरखाव, विशिष्ट स्थान पर गाडियों को रोकना, यात्रियों की सुविधा और अन्य शिकायते प्राप्त होती हैं। खर्च की जानकारी को लेकर विरोधाभास हैं। उप मुख्य अभियंता (निर्माण ) राजीव मिश्रा ने किसी भी तरह का खर्च न होने दावा किया हैं तो वहीं जनशिकायत कक्ष केंद्र के उपसचिव प्र.म.कुलकर्णी ने छुटुर-फुटुर काम होने का दावा किया हैं। अनिल गलगली के अनुसार जनशिकायत कक्ष केंद्र रेलवे मंत्री सुरेश प्रभू ने वरीयता देकर भले ही शुरु किया हैं लेकिन वे यहां पर हमेशा बैठते हो ऐसा नहीं हैं। जिससे मुंबईकर जिन आशाओं के इस जनशिकायत कक्ष केंद्र में जाते हैं उस तुलना में शिकायतों का निवारण होता नहीं हैं। सुरेश प्रभू को कमसे कम जब वे मुंबई में होते हैं तब यहां पर बैठकर मुंबईकरों की समस्याओं को सुलझाने की आवश्यकता होने की अपील अनिल गलगली ने की हैं।

जनशिकायत कक्ष केंद्रात एकदाच फिरकले रेल्वे मंत्री सुरेश प्रभू

मुंबईवासी असलेले रेल्वे मंत्री सुरेश प्रभू यांनी मुंबईकरांच्या सोयीसाठी दादर पूर्व येथे जनशिकायत कक्ष केंद्र सुरु केले पण गेल्या 20 महिन्यात सुरेश प्रभू फक्त एकदाच या केंद्रात आल्याची माहिती मध्य रेल्वे प्रशासनाने आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मध्य रेल्वे प्रशासनाकडे दादर पूर्व येथील जनशिकायत कक्ष केंद्राची विविध माहिती मागितली होती. मध्य रेल्वेचे जन माहिती अधिकारी आणि उप महाव्यवस्थापक साकेत कुमार मिश्रा ने अनिल गलगली यांस कळविले की 9 जानेवारी 2015 रोजी दुपारी 4 वाजता रेल्वे मंत्री सुरेश प्रभू या जनशिकायत कक्ष केंद्रात आले होते. उप मुख्य अभियंता( बांधकाम) यांच्या एका भागात जनशिकायत कक्ष केंद्र सुरु केले असून पूर्वीचे कार्यालय पाठील भागात ते सुरु आहे. या कार्यालयात आतापर्यंत 1600 तक्रारी प्राप्त झाल्या असून दररोज अंदाजे 12 ते 25 नागरिक या कार्यालयात येतात. जनशिकायत कक्ष केंद्रात गाडयाची ये-जा, निरीक्षण, विशिष्ट ठिकाणी थांबणे,प्रवाश्यांची सुविधा आणि अन्य तक्रारी प्राप्त होतात. खर्चाची माहिती बाबत 2 परस्पर विधाने असून उप मुख्य अभियंता (बांधकाम) राजीव मिश्रा यांनी कोणताही खर्च न झाल्याचा दावा केला आहे तर जनशिकायत कक्ष केंद्राचे उपसचिव प्र.म.कुळकर्णी यांनी क्षुल्लक काम झाल्याचा दावा केला आहे. अनिल गलगली यांच्या मते जनशिकायत कक्ष केंद्र रेल्वे मंत्री सुरेश प्रभू यांनी प्राधान्य देत सुरु केले असले तरी ते नियमितपणे तेथे बसत नाही.त्यामुळे मुंबईकर ज्या आशेने जनशिकायत कक्ष केंद्रात जातात त्या तुलनेत तक्रारीचे निदान होत नाहीत. सुरेश प्रभू यांनी कमीत कमी मुंबईत असताना येथे बसून मुंबईकरांचे प्रश्न सोडविणे गरजेचे असल्याचे आवाहन अनिल गलगली यांनी केले आहे.

Suresh Prabhu pays a single visit to his Public Greiviences office at Dadar

The Mumbaikar Railway Minister Suresh Prabhu had opened a new Public Greiviences office at Dadar east to meet railway commuters and solve their problems brought before him , but it seems he had just visited only once in that office in the past 20 months since it became operational, as per the information provided by the Central Railway administration to RTI Activist Anil Galgali. RTI Activist Anil Galgali had sought information from the Central Railway regarding the various functionings of the Public Greiviences office opened at Dadar east.The Public Information Officer and Dy General Manager Saket Kumar Mishra informed Galgali that, Suresh Prabhu had visited the Public Greiviences office on 9th January 2015 at 4 pm . This office was established in the portion of the Dy Chief Engineer (construction) office and the previous office is occupying the area in the back of this office. The office has received about 1600 complaints and at an average it receives at least 12-25 people approaching with Greiviences. The office has received complaints related to trains movements, inspection, stoppage at specific stations, facilities for passengers, and any other issues. In the issue of expenses incurred two different information have come forward, the Dy GM construction Rajeev Mishra has claimed that no expenses have been incurred and the Dy Secretary of Public Greiviences office P M Kulkarni has claimed minimal work has been done. Anil Galgali has expressed that since the office was started at the initiative of Suresh Prabhu then it would have been proper for him to give more time for it and it would have increased the importance of having that office, He should have paid regular visits to the office. Also since not much importance has been given, the complaints redressal is also poor. Since Suresh Prabhu is a resident of Mumbai, it is imperative that he should himself sit and hear the Public Greiviences personally to solve them.

Monday 8 August 2016

420 करोड़ के SCLR के सड़क को स्क्रैच से दुर्घटना को निमंत्रण की संभावना

108 करोड़ का प्रोजेक्ट बढ़ते बढ़ते 420 करोड़ हुआ और 2 वर्ष में सांताक्रुझ-चेंबूर लिंक रोड इस सड़क को स्क्रैच गिर गई हैं जिससे सबसे अधिक खतरा मध्य रेलवे को होने से दुर्घटना को निमंत्रण होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता हैं, ऐसी शिकायत मुख्यमंत्री सहित एमएमआरडीए,मनपा, एमएसआरडीसी और ट्रैफिक पुलिस को करते हुए तत्काल कारवाई करने की मांग आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने की हैं। अनिल गलगली के अनुसार सांताक्रुज-चेंबूर लिंक रोड (SCLR) के सड़क पर गिरी स्क्रैच और गड्डों की व्यापकता देखते हुए संबंधित ठेकेदार पर कार्यवाही करत सड़क मरम्मत की जरुरत हैं। सड़क को बनाकर 2 वर्ष पुरे हुए नहीं हैं और ऐसी स्थिती दुर्भाग्यपूर्ण हैं। 2 मंजिली फ्लाईओवर की पहली मंजिल पर कुर्ला पूर्व की ओर जानेवाली सड़क धंसने का मामला खतरनाक हैं। क्योंकि SCLR के निचले हिस्से में रेलवे की बड़े पैमाने पर ट्रैफिक रहती हैं और लाखों यात्री यात्रा करते हैं। ताज्जुब की बात यह हैं कि जिस आईएएस अधिकारी ने मुंबई मनपा के सड़क काम में घोटाला किया उसी अधिकारी की अगुवाई में इसी सड़क का काम किया गया हैं। 108 करोड़ का काम 420 करोड़ तक बढने के बाद भी सड़क की अवस्था जर्जर हैं, यह बताते हुए अनिल गलगली ने कहा कि छेडा नगर स्थित मार्ग भी जर्जर हैं। इसके अलावा कुर्ला पश्चिम में कुर्ला स्टेशन की ओर जानेवाला राईट टर्न बंद करने से पहली मंजिल पर ट्रैफिक और बढ़ गई हैं। गेमन इंडिया इस कंपनी ने काम किया हैं। भले ही सड़क मनपा को हस्तांतरित किया हैं लेकिन MMRDA और MSRDC की भी उतनी ही जिम्मेदारी हैं। अन्यथा किसी भी दुर्घटना को सभी सरकारी यंत्रणा जिम्मेदार हैं। ऐसा गलगली ने आखिर में कहा हैं।

420 कोटीच्या SCLR येथील रस्त्यांवर पडलेल्या स्क्रैच , दुर्घटनेस आमंत्रणाची शक्यता

108 कोटीचा प्रकल्प वाढत वाढत 420 कोटीचा झाला आणि 2 वर्षात सांताक्रुझ-चेंबूर लिंक रोड या रस्त्यांवर पडल्या आहेत आणि मध्य रेल्वेस सर्वाधिक धोका असून दुर्घटनेस आमंत्रणाची शक्यता नाकारता येत नाही, अशी तक्रार मुख्यमंत्री सहित एमएमआरडीए,पालिका, एमएसआरडीसी आणि वाहतूक पोलीसांस करत ताबड़तोब उपाययोजना करण्याची मागणी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी केली आहे अनिल गलगली यांच्या मते सांताक्रुझ-चेंबूर लिंक रोड (SCLR) येथील रस्त्यांवर पडलेल्या स्क्रैच आणि खड्डयांची व्यापकता पहाता संबंधित कंत्राटदारावर कार्यवाही करत रस्ता दुरुस्त करणे आवश्यक आहे. सदर रस्ता बांधून 2 वर्ष झाले नसतानाही असा प्रकार होणे दुर्दैवी आहे. 2 मजली फ्लायओवरच्या पहिल्या मजल्यावर कुर्ला पूर्व दिशेने जाणारा रस्ता खचण्याचा प्रकार धोकादायक आहे कारण या SCLR च्या खालच्या बाजुला रेल्वेची प्रचंड वाहतूक सतत असते आणि लाखों प्रवाशी प्रवास करतात. विशेष म्हणजे ज्या सनदी अधिका-यांनी मुंबई पालिकेत रस्ता कामात घोटाळा केला त्याच अधिका-यांच्या अधिपत्याखाली याही रस्त्याचे काम करण्यात आले आहे.108 कोटीचे काम 420 कोटीपर्यंत वाढले असतानाही आज या रस्त्यांची अवस्था दयनीय आहे, असे सांगत अनिल गलगली म्हणाले की छेडा नगर येथील मार्ग सुद्धा असाच दयनीय आहे. दुसरी बाब ही आहे की कुर्ला पश्चिमेकडील उजवे वळण बंद केल्याचा फटका ही बसला असून उजवे वळण पूर्णरित्या बंद झाल्यामुळे पहिल्या मजल्यावर वाहतूक अधिक वाढली आहे. गेमन इंडिया या कंपनीने काम केले असून सद्या हा रस्ता जरी पालिकेकडे हस्तांतरित केला असला तरी MMRDA आणि MSRDC ची तेवढीच जबाबदारी आहे. अन्यथा कोणत्याही दुर्घटनेस सर्वच शासकीय यंत्रणा जबाबदार राहतील, असे सरतेशेवटी गलगली यांनी नमूद केले आहे.

420 crore SCLR develops Scratch , Is it disaster in waiting

In his letter, Anil Galgali has expressed that, the manner in which potholes have developed along with the Scratchs, immediate action should be initiated against the contractor. The condition of the SCLR within 2 years of being opened for traffic is very serious and unfortunate. The sinking of the road leading to Kurla East on the first floor is also dangerous as lakhs of passengers travel in the trains of central railway which runs on the route passing below the SCLR. It is important to highlight here that IAS officer under whom the current road repairs scam has occurred, was in charge of this project too. Inspite of spending Rs 420 crores instead of Rs 108 crores as planned the situation of the SCLR is pathetic. Galgali also stated that the condition at the Chedda Nagar end was also similarly pathetic. He further noted that, closure of the right turn towards Kurla station West for vehicles coming from kalina end was also responsible for the increased traffic at the SCLR first floor junction as vehicles including BEST double and single decker busses , trucks etc are forced to take a U turn from that junction leading to further detoriation of the SCLR. The road was constructed by Gammon India and though the SCLR has been handed over to MCGM for maintenance, the construction agency being MMRDA and MSRDC are equally responsible for any eventualities in future, including all the government machineries alleged Galgali.

Monday 1 August 2016

मोदी सरकार के 2 वर्ष के पुरे होने पर सिर्फ प्रिंट मीडिया के विज्ञापन पर रु 35.58/- करोड़ खर्च

नरेंद्र मोदी सरकार के 2 वर्ष पुरे होने पर खुशी मनाने के लिए मोदी सरकार ने देश के लगभग सभी प्रिंट मीडिया में बड़े पैमाने पर विज्ञापनबाजी सभी प्रिंट मीडिया में बड़े बड़े विज्ञापन दिए। देश के 11236 न्यूज़पेपर के विज्ञापनों 35 करोड़ 58 लाख 70 हजार 388 रुपए खर्च होने की जानकारी सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दिनांक 26 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकार को 2 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विभिन्न विज्ञापनों पर हुए खर्च की जानकारी मांगी थी। डायरेक्टरेट ऑफ एडवरटाइजिंग एंड विसुअल पब्लिसिटी की जन सूचना अधिकारी रुपा वेदी ने अनिल गलगली को नि:शुल्क सीडी भेजी जिसमें 26 मई 2016 को पुरे देश के 11236 न्यूज़ पेपर में प्रकाशित विज्ञापन और जारी की हुई रकम की जानकारी 179 पन्ने में समाहित हैं। इन विज्ञापनों पर 35 करोड़ 58 लाख 70 हजार 388 रुपए खर्च हुए हैं। अनिल गलगली ने डॉ मनमोहन सिंग सरकार ने 2 वर्ष पूर्ण होने पर किए खर्च की जानकारी मांगने पर डायरेक्टरेट ऑफ एडवरटाइजिंग एंड विसुअल पब्लिसिटी की जन सूचना अधिकारी रुपा वेदी ने अनिल गलगली को बताया कि डॉ मनमोहन सिंह सरकार ने 2 वर्ष पूर्ण होते ही इसतरह की कोई भी विज्ञापन की मुहिम डीएवीपी ने नहीं चलाई थी। प्रिंट मीडिया के विज्ञापनों का खर्च बताई गई लेकिन अन्य माध्यम से खर्च कितना किया गया हैं? इसकी जानकारी आज तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकृत तौर पर सार्वजनिक नहीं की हैं। इससे अन्य करोड़ों रुपए का खर्च आज भी गुलदस्ते में हैं। अनिल गलगली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत् भेजकर मांग की हैं कि जिस तरह विदेशी दौरे की जानकारी स्वयंप्रेरणा से वेबसाईट पर सार्वजनिक की हैं उसी तरह सभी खर्च की जानकारी सार्वजनिक करे। देश की आर्थिक स्थिती को देखते हुए बचत करने के बजाय महंगी वर्षपूर्ति हानिकारक हैं। इसलिए कमसे कम ऐसे खर्चिले कार्यक्रम को टाला जाए, ऐसी अपील अनिल गलगली ने की हैं।

मोदी सरकारच्या 2 वर्ष पूर्ण झाल्याच्या फक्त वर्तमानपत्रातील जाहिरातीवर 35.58 कोटीचा खर्च

नरेंद्र मोदी सरकारचे 2 वर्ष पूर्ण झाल्याचे आनंद साजरा करण्याकरिता मोदी सरकारने देशातील सर्वच वर्तमानपत्रांमध्ये मोठ मोठ्या जाहिराती दिल्या. देशातील 11236 वर्तमानपत्रातील जाहिरातीवर 35 कोटी 58 लाख 70 हजार 388 रुपये खर्च झाल्याची माहिती माहिती आणि प्रसारण मंत्रालयाने आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी दिनांक 26 मे 2016 रोजी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यांच्या सरकारला 2 वर्ष पूर्ण झाल्याच्या निमित्ताने विविध जाहिरातीवर झालेल्या खर्चाची माहिती विचारली होती. डायरेक्टरेट ऑफ एडवरटाइजिंग एंड विसुअल पब्लिसिटीच्या जन माहिती अधिकारी रुपा वेदी यांनी अनिल गलगली यांस मोफत सीडी पाठविली ज्यात 26 मे 2016 रोजी संपूर्ण देशातील 11236 वर्तमानपत्रात प्रकाशित जाहिराती आणि दिलेली रक्कम याची माहिती 179 पानात दिली आहे. या जाहिरातीवर 35 कोटी 58 लाख 70 हजार 388 रुपये खर्च झाला आहे. अनिल गलगली यांनी डॉ मनमोहन सिंग सरकारने 2 वर्ष पूर्ण होताच केलेल्या खर्चाची माहिती विचारली असता डायरेक्टरेट ऑफ एडवरटाइजिंग एंड विसुअल पब्लिसिटीच्या जन माहिती अधिकारी रुपा वेदी यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की डॉ मनमोहन सिंग सरकारने 2 वर्ष पूर्ण होताच याप्रकाराची कोणतीही जाहिरातीची मोहीम डीएवीपी यांनी राबविली नाही. वर्तमानपत्रातील जाहिरातीचा खर्च कळवित अन्य माध्यमाचा खर्च किती केला गेला आहे याची कोणतीही माहिती आजपर्यंत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यांनी अधिकृतपणे जाहीर केली नाही तसेच अन्य कोटयावधीचा खर्च आजही गुलदस्त्यात आहे. अनिल गलगली यांनी देशाचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यांस पत्र पाठवून मागणी केली आहे की ज्या प्रमाणे परदेशी दौ-यांची माहिती स्वयंप्रेरणेने संकेतस्थळावर सार्वजनिक केली त्याप्रमाणे सर्व खर्चाची माहिती सार्वजनिक करावी. देशाची आर्थिक स्थिती पहाता काटकसर धोरणास बगल देत वर्षपूर्ति परवडण्याजोगी नाही.तरी अश्या खर्चिक कार्यक्रमास बगल दयावी असे आवाहन अनिल गलगली यांनी केले आहे.

Modi sarkar's 2nd Anniversary celebration in print media costs Rs 35.58 crores

Narendra Modi government completed its two years in power and in the process of expressing it's happiness it indulged in spending Rs 35 crores 58 lakhs 70 thousand 388 by publishing huge advertisement in 11236 news papers all over the country as per the information provided by the Information and Broadcasting Ministry to RTI Activist Anil Galgali. RTI Activist Anil Galgali had sought information on the expenses incurred by the government for publishing advertisements in leading newspapers across the country on its 2nd Anniversary on 26th May 2016. The Public Information Officer of the Directorate of Advertising and Visual Publicity ( DAVP) Rupa Vedi provided an CD free of cost containing information about Advertisements issued in 11236 leading newspapers across the country. It contained the advertisements and the costs of each advertisements in 179 pages. The total expenses incurred was to a tune of Rs 35 crores 58 Lakh's 70 Thousand 388. Anil Galgali also sought the details of expenses incurred by the government during the 2nd anniversary of the Manmohan Singh govt. The Public Information Officer of the DAVP Rupa Vedi Informed Galgali that there was no publicity campaign Conducted by the DAVP on the completion of the Manmohan Singh govt. Providing information about the expenses incurred on the publicity campaign of the Modi government in the print media, it has not provided the expenses related to campaign carried out through the other forms of media like electronic, social media etc and hence have concealed the true expenses incurred on celebration of its completion of its 2nd year in office. Anil Galgali in a letter addressed to PM Narendra Modi has requested that the government make its expenses public by putting the information on its website like it has done in the case of expenses incurred on various foreign trips. Galgali further appealed to the PM that looking at the fragile condition of the economy it was not appropriate to overlook the policy of austerity and hence should not indulge in wasteful expenditures.