Wednesday 30 December 2020

Central Railway fails to recover hoardings fines

Central Railway allows for installation of hoardings in the railway premises but in case of additional space in violation of permission, it imposes fine and recover it from the contractors. But the central railway has failed to recover 100 per cent penalty from M/s laqshya Media Limited, a violator of the terms and conditions and this has been disclosed by an RTI query filed by activist Anil Galgali. RTI says that out of Rs 1.91 crore, only Rs 78.24 lakh has been recovered so far and Rs 1.13 crore is still outstanding. 

RTI activist had sought information from Central Railway about the hoardings companies using more space than the allotted space, action taken and penalty levied in the last 5 years. Senior divisional commercial manager of Central Railway (Mumbai Division) Gaurav Jha informed Anil Galgali that M/s laqshya Media Limited was found to be using more space during the year 2019-20.  

The said firm was allotted 27600 sq ft of space under the agreement but it was found using 2000 sq ft more space in addition to the distributed space. A fine of Rs 1.91 crore was imposed in the case. M/s laqshya Media Limited has paid only Rs 78.24 lakh and yet to pay Rs 1.13 crore. The railways argue that M/s laqshya Media Limited company has a security deposit of Rs 5.75 crore on the same contract and a security deposit of Rs 65.73 lakh is deposited with Byculla ROB.

On the question of blacklisting m/s laqshya Media Limited Company, Central Railway claims that there is no provision for blacklisting on use of more space as per tender, only fines can be imposed in such cases. 

Anil Galgali pointed out that this is not only a matter in this case, but it is very rampant and the number of such cases of violation and outstanding fine can be voluminous. He also advised that it is necessary to blacklist such fraudulent firms by registering an FIR against them, but on the contrary railways try to save their skin. Otherwise, it should levy 100 per cent penalty and recover it. 

Writing to Railway Minister Piyush Goyal, Railway Board Chairman Vinod Yadav, General Manager of Central Railway Sanjeev Mittal, Anil Galgali has demanded action against the railway officials who have not taken strict action into the matter and blacklist such fraudulent firms by registering an FIR against them.

होर्डिंग्स का जुर्माना वसूलने में मध्य रेलवे फेल

रेलवे परिसर में होर्डिंग्स लगाने के लिए मध्य रेलवे अनुमति देता है लेकिन अनुमति का उल्लंघन कर अतिरिक्त जगह व्याप्त करने के मामले में मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड से शत प्रतिशत जुर्माना वसूलने में मध्य रेलवे फेल होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को भेजे हुए जबाब से स्पष्ट हो रहा है। कुल जुर्माना 1.91 करोड़ रुपए  में से 78.24 लाख रुपए वसूले गए है और 1.13 करोड़ रुपए अब भी बकाया है। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मध्य रेलवे से जानकारी मांगी थी कि गत 5 वर्ष में वितरित जगह से अधिक जगह का इस्तेमाल करने वाली होर्डिंग्स कंपनियों पर कार्रवाई की और कितना जुर्माना वसूला गया। मध्य रेलवे के वरिष्ठ विभागीय वाणिज्य प्रबंधक गौरव झा ने अनिल गलगली को जानकारी दी कि वर्ष 2019-20 के दौरान मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड को अधिक जगह इस्तेमाल करता पाया गया।  27600 वर्ग फुट की जगह वितरित की गई थी और कंपनी वितरित जगह के अलावा 2000 वर्ग फुट अधिक जगह का इस्तेमाल कर रहा था। इस मामले में 1.91 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया था। मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड ने सिर्फ 78.24 लाख रुपए अदा किए है और 1.13 करोड़ रुपए अदा नहीं किया है। रेलवे का तर्क है कि बकाया राशि को लेकर मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड कंपनी का 5.75 करोड़ का सिक्युरिटी डिपॉजिट इसी ठेके को लेकर उनके पास है और भायखला आरओबी का 65.73 लाख रुपए का सिक्युरिटी डिपॉजिट जमा है।

मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के सवाल पर मध्य रेलवे का दावा हैं कि टेंडर के मुताबिक अधिक जगह का इस्तेमाल करने पर ब्लैक लिस्ट करने का प्रावधान नही है सिर्फ जुर्माना लगाया जा सकता है।

अनिल गलगली के अनुसार यह तो सिर्फ एक मामला है। न जाने ऐसे कितने मामलों में रेलवे को राजस्व का चूना लगाया गया होगा? रेलवे से चीटिंग करनेवालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ब्लैक लिस्ट करना आवश्यक है लेकिन रेलवे इन्हें बचाने को कोशिश करती है। अन्यथा शत प्रतिशत जुर्माना वसूला जाता था। रेलवे मंत्री पीयूष गोयल, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद यादव और मध्य रेलवे के महा प्रबंधक संजीव मित्तल को पत्र लिखकर अनिल गलगली ने इस कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने और मामले में लापरवाही बरतने वाले रेलवे के अधिकारियों पर भी कारवाई करने की मांग की है।

होर्डिंग्ज दंड वसूल करण्यात मध्य रेल्वे अपयशी ठरली

मध्य रेल्वे परिसरात होर्डिंग्ज बसविण्यास परवानगी देते परंतु परवानगीचे उल्लंघन करत अतिरिक्त जागा लाटणाच्या प्रकरणात मध्य रेल्वे मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेडकडून 100 टक्के दंड वसूल करण्यास अपयशी ठरले, आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना पाठवलेल्या जबाबातून हे स्पष्ट झाले आहे. एकूण 1.91 कोटी रुपयांच्या दंडापैकी 78.24 लाख रुपये वसूल झाले आहेत आणि 1.13 कोटी रुपये अद्याप थकबाकी आहे.

माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मध्य रेल्वेकडून माहिती मागितली होती की मागील 5  वर्षात होर्डिंग्ज कंपन्यांनी वितरित जागेपेक्षा अधिक जागा वापरली आणि किती दंड आकारला गेला. गौरव झा, वरिष्ठ रेल्वेचे विभागीय वाणिज्यिक व्यवस्थापक, मध्य रेल्वेने अनिल गलगली यांना माहिती दिली की 2019-20 या वर्षात मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड अधिक जागा वापरत असल्याचे आढळले. 27600 चौरस फूट जागेचे वितरण केले गेले आणि कंपनीने वितरित जागेव्यतिरिक्त 2000 चौरस फूट अधिक जागा वापरली. या प्रकरणात 1.91 कोटी रुपयांचा दंड ठोठावण्यात आला. मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेडने केवळ 78.24 लाख रुपये अदा करण्यात आले आहेत आणि 1.13 कोटी रुपये अद्यापही अदा केले नाहीत. मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड कंपनीकडून थकीत रक्कमेची चिंता नसून 5.75 कोटी रुपयांची सुरक्षा ठेव त्याच करारावर असल्याचे रेल्वेने म्हटले आहे आणि भायखळा आरओबी अंतर्गत 65.73 लाख रुपयांची सुरक्षा ठेव आहे.

मेसर्स लक्ष्य मीडिया लिमिटेड कंपनीला काळ्या यादीत टाकण्याच्या प्रश्नावर मध्य रेल्वेने असा दावा केला आहे की निविदेनुसार जादा जागा वापरल्यास काळ्या सूचीत येण्याची तरतूद नाही त्यावर केवळ दंड आकारला जाऊ शकतो. 

अनिल गलगली यांच्या मते ही एक बाब आहे. महसूल बुडितामध्ये रेल्वेची किती प्रकरणात फसवणूक झाली हे माहित नाही? रेल्वेकडून फसवणूक करणार्‍यांविरूद्ध एफआयआर नोंदवून काळ्या यादीत टाकणे आवश्यक आहे, परंतु रेल्वे प्रशासनाकडून संरक्षण करण्याचा प्रयत्न केला जात आहे. अन्यथा 100 टक्के दंड आकारला गेला असता.  रेल्वेमंत्री पीयूष गोयल, रेल्वे बोर्डाचे अध्यक्ष विनोद यादव आणि मध्य रेल्वेचे महाव्यवस्थापक संजीव मित्तल यांना पाठवलेल्या पत्रात अनिल गलगली यांनी या कंपनीला काळ्या यादीत टाकण्याची मागणी केली असून या प्रकरणात दुर्लक्ष करणा-या रेल्वे अधिका-यांवर कारवाई करण्याची मागणी केली आहे.

Wednesday 16 December 2020

Mithi River doesn't get a penny from the centre

On July 26, 2005, the Mithi River was flooded in Mumbai, created havoc after which the Central Government had announced assistance for development and security of the sewerage carrying River. While replying to an RTI query, the MMRDA administration has informed RTI activist Anil Galgali that the Mithi River has not received a single penny from the central government in the last 15 years till date. A total amount of Rs 1657.11 crore was demanded from the Centre. 

RTI activist Anil Galgali had sought information from mmrda administration about the progress made by MMRDA and BMC under the Mithi River development work and the amount sought from the centre and the amount received so far. The MMRDA administration told Anil Galgali that the amount sought from the Centre for development work done by MMRDA under Mithi River Development work was Rs. 417.51 while BMC demanded Rs. 1239.60 crore for development work coming under its jurisdiction. But Mmrda has not received any amount so far. 

The heavy rains on 26th July 2005 caused deluge owing to choking of Mithi River prompting the then Prime Minister Dr. Manmohan Singh to announce the financial assistance for the widening and designing of this River. Only then did the state Government constitute the Mithi River Development and Conservation Authority. 

According to Anil Galgali, there has been a further plight of the river in the absence of funds and the amount claimed to be spent needs to be audited. The central government has said that there is a need to supplement the expenditure by persisting with the progress of the work.

केंद्र से मीठी नदी को फूटी कौड़ी नहीं मिली

26 जुलाई, 2005 को मुंबई में मीठी नदी को बाढ़ आई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने विकास और सुरक्षा के लिए सहायता की घोषणा की। गत 15 वर्षों में मीठी नदी को आजतक केंद्र सरकार से फूटी कौड़ी नहीं मिलने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी है। केंद्र से कुल रु 1657.11 करोड़ रकम की मांग की गई थी। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से मीठी नदी विकास काम अंतर्गत एमएमआरडीए और मनपा द्वारा किया हुआ विकास विकास काम और केंद्र से मांगी हुई रकम और अबतक प्राप्त रकम की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि मीठी नदी विकास काम अंतर्गत एमएमआरडीए द्वारा किया गया विकास काम के लिए केंद्र से मांगी हुई रकम रु 417.51 इतनी थी और मनपा द्वारा किए विकास काम के लिए रु 1239.60 करोड़ इतने रकम की मांग की थी। एमएमआरडीए को अबतक किसी भी तरह से रकम प्राप्त नही हुई है। 

26 जुलाई 2005 को हुई भारी बारिश से मीठी नदी को बाढ़ आई थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने मीठी नदी के लिए आर्थिक मदद की घोषणा भी की थी। उसके बाद ही राज्य सरकार ने मीठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण का गठन किया था। अनिल गलगली के अनुसार फंड के अभाव में नदी की और दुर्दशा हुई है और जो रकम खर्च करने का दावा किया गया है उसका ऑडिट करने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार ने अपने बात पर कायम रहकर खर्च की प्रतिपूर्ती करने की जरुरत होने की बात गलगली ने कही है।


केंद्र से मीठी नदी को फूटी कौड़ी नहीं मिली

26 जुलाई, 2005 को मुंबई में मीठी नदी को बाढ़ आई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने विकास और सुरक्षा के लिए सहायता की घोषणा की। गत 15 वर्षों में मीठी नदी को आजतक केंद्र सरकार से फूटी कौड़ी नहीं मिलने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी है। केंद्र से कुल रु 1657.11 करोड़ रकम की मांग की गई थी। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से मीठी नदी विकास काम अंतर्गत एमएमआरडीए और मनपा द्वारा किया हुआ विकास विकास काम और केंद्र से मांगी हुई रकम और अबतक प्राप्त रकम की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि मीठी नदी विकास काम अंतर्गत एमएमआरडीए द्वारा किया गया विकास काम के लिए केंद्र से मांगी हुई रकम रु 417.51 इतनी थी और मनपा द्वारा किए विकास काम के लिए रु 1239.60 करोड़ इतने रकम की मांग की थी। एमएमआरडीए को अबतक किसी भी तरह से रकम प्राप्त नही हुई है। 

26 जुलाई 2005 को हुई भारी बारिश से मीठी नदी को बाढ़ आई थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने मीठी नदी के लिए आर्थिक मदद की घोषणा भी की थी। उसके बाद ही राज्य सरकार ने मीठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण का गठन किया था। अनिल गलगली के अनुसार फंड के अभाव में नदी की और दुर्दशा हुई है और जो रकम खर्च करने का दावा किया गया है उसका ऑडिट करने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार ने अपने बात पर कायम रहकर खर्च की प्रतिपूर्ती करने की जरुरत होने की बात गलगली ने कही है।


केंद्र से मीठी नदी को फूटी कौड़ी नहीं मिली

26 जुलाई, 2005 को मुंबई में मीठी नदी को बाढ़ आई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने विकास और सुरक्षा के लिए सहायता की घोषणा की। गत 15 वर्षों में मीठी नदी को आजतक केंद्र सरकार से फूटी कौड़ी नहीं मिलने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी है। केंद्र से कुल रु 1657.11 करोड़ रकम की मांग की गई थी। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से मीठी नदी विकास काम अंतर्गत एमएमआरडीए और मनपा द्वारा किया हुआ विकास विकास काम और केंद्र से मांगी हुई रकम और अबतक प्राप्त रकम की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि मीठी नदी विकास काम अंतर्गत एमएमआरडीए द्वारा किया गया विकास काम के लिए केंद्र से मांगी हुई रकम रु 417.51 इतनी थी और मनपा द्वारा किए विकास काम के लिए रु 1239.60 करोड़ इतने रकम की मांग की थी। एमएमआरडीए को अबतक किसी भी तरह से रकम प्राप्त नही हुई है। 

26 जुलाई 2005 को हुई भारी बारिश से मीठी नदी को बाढ़ आई थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने मीठी नदी के लिए आर्थिक मदद की घोषणा भी की थी। उसके बाद ही राज्य सरकार ने मीठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण का गठन किया था। अनिल गलगली के अनुसार फंड के अभाव में नदी की और दुर्दशा हुई है और जो रकम खर्च करने का दावा किया गया है उसका ऑडिट करने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार ने अपने बात पर कायम रहकर खर्च की प्रतिपूर्ती करने की जरुरत होने की बात गलगली ने कही है।


मिठी नदीला अद्यापही केंद्राकडून दमडीही नाही

26 जुलै 2005 रोजी मुंबईतील मिठी नदीला पूर आला आणि त्यानंतर केंद्र सरकारने विकास व संरक्षणासाठी मदतीची घोषणा केली होती. मागील 15 वर्षात मिठी नदीला अद्यापही केंद्राकडून दमडीही प्राप्त न झाल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली आहे. केंद्राकडे एकूण रु 1657.11 कोटी रक्कमेची मागणी करण्यात आली होती.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडे मिठी नदी विकास कामे अंतर्गत एमएमआरडीए आणि पालिकेतर्फे केलेल्या विकास कामाची माहिती आणि केंद्राकडे मागणी केलेली रक्कम व आजमितीला प्राप्त रक्कमेची माहिती विचारली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांस कळविले की मिठी नदी विकास कामे अंतर्गत एमएमआरडीएतर्फे करण्यात आलेल्या विकास कामकरिता केंद्रांकडे मागणी केलेली रक्कम रु 417.51 इतकी होती तर पालिकेतर्फे केलेल्या विकास कामाकरिता रु 1239.60 कोटी इतक्या रक्कमेची मागणी केली होती. एमएमआरडीएला आजमितीला कोणतीही रक्कम प्राप्त झाली नाही.

26 जुलै 2005 रोजी झालेल्या अतिवृष्टीमुळे मिठी नदीला पूर आला होता आणि तत्कालीन पंतप्रधान डॉ मनमोहन सिंह यांनी मिठी नदीसाठी आर्थिक मदतीची घोषणाही केली होती. त्यानंतर राज्य सरकारने मिठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरणाची स्थापना ही केली. अनिल गलगली यांच्या मते निधीअभावी नदीची अजून दुर्दशा झाली असून जी रक्कम खर्च करण्यात आल्याचे भासविले जाते त्याचे ऑडिट करण्याची आवश्यकता आहे. केंद्र सरकारने आपला शब्द पाळला नसून झालेल्या खर्चाची प्रतिपूर्ती करण्याची गरज असल्याचे मत गलगली यांनी व्यक्त केले आहे.

Revenue from hoardings of Central and Western Railway soars high

The Mumbai division of Central and Western Railway have got continuous increase in it's revenue coming from its hoardings given for advertisements to various parties and entities. This information has been given by both the railways in a reply asked by RTI activist Anil Galgali. It shows that, Western Railway has earned much revenue than central railway. 

RTI activist Anil Galgali had sought this information from Central and Western Railway. Mumbai's Senior divisional commercial manager of Central Railway Gaurav Jha has given the details of revenue generated from 7 locations from the year 2015-16 to 2019-20. According to the reply, Rs 5.92 crore in 2015-16, Rs 5.98 crore in 2016-17, Rs 6.60 crore in 2017-18, Rs 9.23 crore in 2018-19 and Rs 11.35 crore came in the year 2019-20. 

The divisional commercial manager of Mumbai division Abhay Sanap of WR also gave the details of these 5 years from 2015-16 to 2019-20, besides inviting him to come Mumbai Central office and inspect the documents in the office as all information pertaining to revenues and parties were voluminous in nature. After visiting, he found out that Mumbai Division of WR earned Rs 33.15 crore in 2015-16, Rs 35.77 crore in 2016-17, Rs 40.01 crore in 2017-18, Rs40.18 crore in 2018-19 and Rs 54.48 crore in 2019-20. 

According to Anil Galgali, there have been many instances of advertisers using more space than alloted to, but both the railways have failed to act on such complaints, which is adversely affecting its revenue. Galgali demanded CR and WR to set up a flying squad to check the compliance of the terms and conditions stipulated by the railways while renting hoardings for advertisement.