Thursday 28 January 2016

हेमा मालिनी के नाटय विहार केंद्र को सिर्फ 70 हजार में बहाल होगा करोड़ों का भूखंड

सरकार मेहरबान तो क्या हो सकता है या नही? इसका अहसास ओशिवारा स्थित 2000 वर्ग मीटर का भूखंड वितरण प्रक्रिया से हुआ हैं। भाजपा सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी के नाटय विहार केंद्र को सिर्फ 70 हजार में (35 रु वर्ग मीटर रेट से) करोड़ों का भूखंड बहाल होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को प्राप्त दस्तावेजों से सामने आ रही हैं। इसके पहले कांग्रेस के सांसद और मौजूदा आईपीएल आयुक्त राजीव शुक्ला को समान रेट से भूखंड देने से माहौल गर्म हुआ था और शुक्ला परिवार की बीए फिल्म कंपनी ने तो वह भूखंड सरकार को वापस कर भी दिया। विशेष यानी वित्तीय खर्च की पूर्ति अबतक हेमा मालिनी की संस्था ने की नही हैं ना इसके पहले वितरित भूखंड सरकार को वापस लौटाया नही हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय से हेमा मालिनी की नाटय संस्था को दिए गए भूखंड की जानकारी मांगी थी। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने हेमा मालिनी को दिए जानेवाले भूखंड के तहत दी गई जानकारी चौकानेवाली हैं। हाल ही में जो भूखंड अंधेरी तालुका स्थित आंबिवली में दी गई जमीन गार्डन के लिए आरक्षित है उस जमीन को हेमा मालिनी की संस्था को सिर्फ रु 35 प्रति वर्ग मीटर के रेट से देकर भूखंड की खैरात की हैं। वर्ष 2016 में सरकार ने दिनांक 1/2/1976 के मुल्यांकन का आधार लिया है जो उसवक्त प्रति वर्ग मीटर का रेट रु 140/- इतना था। हेमा मालिनी को उसी रेट के 25 प्रतिशत यानी सिर्फ रु 35/- इतनी ही रकम अदा करनी होगी। इसके पहले हेमा मालिनी की संस्था को अंधेरी तालुका के वर्सोवा का भूखंड दिनांक 4/4/1997 को दिया गया था उसवक्त संस्था ने रु 10 लाख अदा किए थे लेकिन इसमें से कुछ हिस्सा ये सीआरझेड से प्रभावित होने से हेमा मालिनी ने किसी भी तरह का निर्माण काम किया नही। साथ ही में आज तक कुल प्रोजेक्ट खर्च की 25 प्रतिशत रकम भी इकट्ठा नही करने के बाद भी भाजपा सरकार ने इस ओर ध्यान दिया नही और हेमा मालिनी की संस्था को वैकल्पिक भूखंड का वितरण कर ही किया। वर्सोवा स्थित भूखंड की वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग हेमा मालिनी की नाटय विहार केंद्र ने दिनांक 6/7/2007 को सरकार से कर आरक्षित क्षेत्र में से 2000 वर्ग मीटर जगह नाटय विहार केंद्र कोबप्रदान कर शेष जगह पर प्रस्तावित गार्डन का विकास उनके ट्रस्ट द्वारा करने की मांग की थी। इस प्रस्ताव को सरकार ने दिनांक 30/7/2010 को मंजूर भी किया। सरकार ने संस्था से कुछ मामलों की जानकारी मांगने पर संस्था ने उसकी पूर्ती आज तक नही की हैं। अंधेरी के आंबिवली स्थित सर्वे क्रमांक 109 A/1, नगर भुमापन क्रमांक 3 के क्षेत्र 29360.50 वर्ग मीटर जमीन गार्डन के लिए आरक्षित रखे क्षेत्र में से 2000 वर्ग मीटर देने का आदेश सरकार के उपसचिव माधव काले ने दिनांक 23 दिसंबर 2015 को जारी किया। राजस्व विभाग के प्रधान सचिव ने दिनांक 19 दिसंबर 2015 को उनकी अध्यक्षता में बैठक आयोजित की थी। उस बैठक के बाद सरकारी चक्र घुमने लगे और सिर्फ 70 हजार में करोड़ों का भूखंड हेमा मालिनी की संस्था नाटय विहार केंद्र को बहाल करने को मंजूरी दी। मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने दिनांक 15/1/2016 को पत्र भेजकर पुनश्च कुछ दस्तावेज और मामलों की पूर्ती करने की सूचना सांसद सदस्य हेमा मालिनी को भेजे हुए पत्र में की हैं। दिनांक 14/8/2015 को हेमा मालिनी स्वयं भूखंड के स्थान पर उपस्थित थी और उसके बाद ही उनके संस्था को भूखंड सरकार को मंजूरी दी। हेमा मालिनी के नाटय विहार केंद्र ने अब तक सांस्कृतिक संकुल प्रोजेक्ट के प्रस्तावित खर्च की 25 प्रतिशत रकम उपलब्ध होने की गारंटी नही देने से कुल खर्च की 25 प्रतिशत रकम उपलब्ध होने का वित्तीय प्रमाणपत्र 2 महीने के भीतर तथा 75 प्रतिशत रकम की पूर्ति कैसे करेंगे ? इसका मजबूत सबूत सादर करने का आदेश जिलाधिकारी ने जारी किया हैं। हेमा मालिनी के नाटय विहार केंद्र ने सांस्कृतिक संकुल प्रोजेक्ट का प्रस्तावित खर्च 18 करोड़ 48 लाख 94 हजार 500 रुपए इतना होने की जानकारी देते हुए इतका संस्था के पास 3.50 करोड़ का फंड उपलब्ध होने और शेष फंड बैंक से इकठ्ठा करने की बात बयान में की हैं। जिसके चलते यह फंड प्रोजेक्ट की किंमत की तुलना में 25 प्रतिशत से भी कम हैं और अन्य फंड कैसे इकठ्ठा करेंगे यह साफ़ नहीं किया हैं। एक ओर भाजपा सरकार मुंबई के विभिन्न प्रयोजन के लिए आरक्षित जमीन पर स्थित भूखंड वापस लेने के विचार में है और वही सरकार भाजपा सांसद हेमा मालिनी के गार्डन के लिए आरक्षित भूखंड पर नया निर्माण करने के लिए मंजूरी देने के लिए इतनी ललायित क्यों हैं? ऐसा सवाल अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में करते हुए रेडी रेकनर के बजाय वर्ष 1976 का मुल्यांकन रेट हेमा मालिनी के मामले में फिक्स करने का लिया हुआ फैसला आश्चर्यजनक बताया हैं। निजी संस्था के बजाय सरकार को स्वयं पहल कर इसतरह के आरक्षित भूखंड पर सांस्कृतिक संकुल का निर्माण करना चाहिए ताकि भविष्य में मुंबई के संस्थाओं पर आज की जानेवाली कारवाई की जरुरत नही पड़ेगी, ऐसी गलगली ने मांग की हैं।

अबब! हेमा मालिनीच्या नाटय विहार केंद्रास फक्त 70 हजारात बहाल होणार कोटयावधीचा भूखंड

सरकार मेहरबान तर काय होऊ शकते आणि नाही? याचा प्रत्यय ओशिवारा येथील 2000 वर्ग मीटरचा भूखंड वितरण प्रक्रियेमुळे आला आहे. भाजपा खासदार आणि अभिनेत्री हेमा मालिनीच्या नाटय विहार केंद्रास फक्त 70 हजारात (35 रु वर्ग मीटर दराने) कोटयावधीचा भूखंड बहाल होणार असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस प्राप्त कागदपत्रावरुन होत आहे. यापूर्वी कांग्रेसचे खासदार आणि सद्याचे आयपीएल आयुक्त राजीव शुक्ला यांस समान दरावर भूखंड देण्यावरुन वातावरण तापले होते आणि शुक्ला कुटुंबियांच्या बीए फिल्मस कंपनीने तो भूखंड शासनास परत सुद्धा केला होता.विशेष म्हणजे वित्तीय खर्चाची पूर्तता अद्यापही हेमा मालिनीच्या संस्थेने केली नसून यापूर्वी दिलेला भूखंड शासनास परत केला नाही. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाकडे हेमा मालिनी यांच्या नाटय संस्थेस दिल्या जाणा-या भूखंडाची माहिती मागितली होती. मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाने हेमा मालिनी यांस दिल्या जाणा-या भूखंड अंतर्गत दिलेली माहिती धक्कादायक आहे. सद्या जो भूखंड अंधेरी तालुक्यातील मौजे आंबिवली येथील दिला गेला आहे ती जमीन उद्यानासाठी राखीव असून हेमा मालिनीच्या संस्थेस फक्त रु 35 प्रति वर्ग मीटर दराने भूखंडाची खैरात केली आहे. वर्ष 2016 मध्ये शासनाने दिनांक 1/2/1976 च्या मुल्यांकनाचा आधार घेतला असून त्यावेळी प्रति वर्ग मीटर दर रु 140/- इतका होता. हेमा मालिनीस त्या दराच्या 25 टक्के म्हणजे फक्त रु 35/- इतका दर आकारला जाणार आहे.यापूर्वी हेमा मालिनीस अंधेरी तालुक्यातील मौजे वर्सोवा येथील भूखंड दिनांक 4/4/1997 रोजी दिला गेला होता त्यावेळी रु 10 लाखाचा भरणा केला होता पण त्यातील काही भाग हा सीआरझेड मुळे बाधित होत असल्यामुळे हेमा मालिनीने कोणतेही बांधकाम केले नाही.तसेच आज पर्यंत एकूण प्रकल्प खर्चाच्या 25 टक्के रक्कम सुद्धा उभी केली नसतानाही भाजपा सरकारने याबाबीकडे दुर्लक्ष केले आणि हेमा मालिनीच्या संस्थेस पर्यायी भूखंड वितरित केला. वर्सोवा येथील भूखंडाची पर्यायी व्यवस्था करण्याची मागणी हेमा मालिनीच्या नाटय विहार केंद्राने दिनांक 6/7/2007 रोजी शासनाकडे करत आरक्षित क्षेत्रापैकी 2000 वर्ग मीटर जागा नाटय विहार केंद्रास प्रदान करत उर्वरित जागेवर नियोजित गार्डनचा विकास त्यांच्या ट्रस्टमार्फत करण्याची मागणी केली सदर प्रस्ताव शासनाने दिनांक 30/7/2010 रोजी मान्य केला. शासनाने संस्थेसंबंधी मागितलेल्या काही मुद्द्याची माहिती संस्थेने समाधानकारक दिलीच नाही. मौजे आंबिवली, तालुका अंधेरी येथील सर्वे क्रमांक 109 A/1, नगर भुमापन क्रमांक 3 पैकी क्षेत्र 29360.50 चौरस मीटर या बगीचासाठी आरक्षित ठेवलेल्या क्षेत्रापैकी 2000 चौरस मीटर देण्याचे आदेश शासनाचे उपसचिव माधव काळे यांनी दिनांक 23 डिसेंबर 2015 रोजी जारी केले. महसूल विभागाचे प्रधान सचिव यांनी दिनांक 19 डिसेंबर 2015 रोजी त्यांच्या अध्यक्षतेखाली बैठक आयोजित केली होती. या बैठकीनंतर शासकीय चक्रे फिरली आणि फक्त 70 हजारात कोटयावधीचा भूखंड हेमा मालिनीच्या नाटय विहार केंद्रास बहाल करण्यास मंजूरी मिळाली आणि मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी कार्यालयाने दिनांक 15/1/2016 रोजी पत्र पाठवून पुन्हा काही कागदपत्रे आणि मुद्द्याची पूर्तता करण्याची सूचना लोकसभा सदस्य हेमा मालिनी यांस पाठविलेल्या पत्रात केली आहे. दिनांक 14/8/2015 रोजी हेमा मालिनी जातीने भूखंड स्थळावर उपस्थित होती आणि त्यानंतरच त्यांच्या संस्थेस भूखंड देण्यास शासनाने मंजूरी दिली. हेमा मालिनीच्या नाटय विहार केंद्राने आतापर्यंत सांस्कृतिक संकुल प्रकल्पाच्या नियोजित खर्चाच्या 25 टक्के रक्कम उपलब्ध असल्याची हमी दिली नसल्यामुळे एकूण खर्चाच्या 25 टक्के एवढी रक्कम उपलब्ध असल्याचे वित्तीय प्रमाणपत्र 2 महिन्याच्या आत तसेच 75 टक्के रक्कमेची पूर्तता कशी करणार? याचा ठोस पुरावा सादर करण्याचे आदेश मुंबई जिल्हाधिकारी ने दिले आहेत. हेमा मालिनीच्या नाटय विहार केंद्राने सांस्कृतिक संकुल प्रकल्पाचा नियोजित खर्च 18 कोटी 48 लाख 94 हजार 500 रुपये इतका असल्याबाबत कळवित संस्थेकडे 3.50 कोटी इतका निधी उपलब्ध असल्याचे आणि उर्वरित निधी बैंकेकडून उभा करण्याचे जबाबात नमूद केले आहे. त्यामुळे सदर निधी प्रकल्प किंमतीच्या 25 टक्के पेक्षा कमी आहे आणि अन्य निधी कसा उभारणार यात कोणतीही स्पष्टता नाही. एकीकडे भाजपा सरकार मुंबईतील विविध प्रयोजनासाठी आरक्षित जमीनीवरील भूखंड परत घेण्याच्या विचारात असताना तेच सरकार भाजपा खासदार हेमा मालिनी यांस गार्डनसाठी आरक्षित असलेल्या भूखंडावर नवीन बांधकाम करुन देण्याची मंजूरी देण्यासाठी इतके का उत्सुक आहे? असा सवाल अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पाठविलेल्या पत्रात केली असून रेडी रेकनर ऐवजी वर्ष 1976 चे मुल्यांकन दर आकारण्याबाबत आश्चर्य व्यक्त केले. खाजगी संस्थेऐवजी शासनाने स्वत: पुढाकार घेत अश्या आरक्षित भूखंडावर सांस्कृतिक संकुल उभारावेत ज्यामुळे भविष्यात मुंबईतील संस्थेवर आज होत असलेल्या कारवाईची वेळ येणार नाही, असे गलगली यांनी नमूद केले आहे.

Land worth crores allotted to Hema Malini, for just 70 thousand

A beneficial government can work wonders can be seen from an 2000 Sq Mtrs land allotment in oshiwara for facilitating a Dance Academy of BJP MP Hema Malini. It has now come to light through the replies received by RTI activist Anil Galgali that, the land admeasuring 2000 Sq Mtrs has been allotted to the BJP MP and yester year actress Hema Malini for a pittance Rs 70,000/= (@ Rs 35/= per Sq Mtrs) for a land currently valued in crores. Priorly Congress MP and current IPL Chairman, Rajeev Shukla too had been a similar beneficiary and the issue had generated enough heat forcing the Shukla family controlled BAG company to return the allotted plot. Another interesting twist to the Hema issue is that, she has yet to fulfill the financial compliances and also return a previously allotted land. RTI activist Anil Galgali had sought information from the the Mumbai Suburban Collector regarding the allotment of plot for a Dance Academy to BJP MP Hema Malini. The information provided by the Collector, MSD is shocking. The land allotted is situated in Ambivili at Andheri taluka and is reserved for Gardens, also the land has been allotted at a pittance of just Rs 35 per Sq Mtrs. The allotment executed in 2016 has been done on the rate of valuation based on 1/2/1976, which was Rs 140 per Sq Mtrs. The land allotment has been done at the 25% rate of Rs 140/=, which works out to Rs 35/= per Sq Mtrs. Previously Hema Malini was allotted a land at Versowa village of the same Andheri taluka on 4/4/1997 for which a payment of Rs 10 lakhs was made. But since a portion of that land was effected with CRZ regulations, Hema Malini had not undertaken any construction on the land. Also as per the terms of that agreement, Hema Malini was supposed to raise 25% of that project cost, which was never done till date. Inspite of the track record, the state government acted benevolently and allotted an alternative land for her. The Hema Malini Dance Academy vide their letter dt 6/7/2007 addressed to the govt sought alternative land against the CRZ effected Versowa land. It asked the govt to allot 2000 Sq Mtrs of the reserved land for Dance Academy and proposed to develop a garden on the remaining land by its own trust, which was accepted by the govt on 30/7/2010. Some further information sought by the govt was never satisfactorily complied with. The govt allotted 2000 Sq Mtrs from a total land admeasuring 29360.50 Sq Mtrs reserved for Gardens purpose and situated in Survey no 109 A/1, CTS no 3, village Ambivili, Taluka Andheri on 23rd December 2015 in an order issued by Dy Secretary Madhav Kale. Also it has come to light that the whole issue of land allotment got motion after a meeting chaired by the Principal Secretary (Revenue) was held on 19th December 2015 leading to the allotment of land for a pittance amount of just Rs 70 thousand for a plot worth crores restored for the Hema Malini Dance Academy. Furthermore the Mumbai Suburban collectors office in its letter addressed to BJP Loksabha MP Hema Malini dt 15/1/2016 requested some documents and some more compliances. It seems that Hema Malini had personally visited the plot on 14/8/2015 and after that only the process got initiated, culminating to allotment. The Hema Malini Dance Academy's project of cultural complex is proposed to cost Rs 18 crores 48 lakhs 94 thousand 500 and as per instructions it has to submit a certificate stating that 25% of funds are available with it and also how is it going to raise the balance 75% of the funds required? The Academy in its response has intimated that it has Rs 3.50 crores available with it and the balance is proposed to be raised through bank loans. The reply certifies that the Academy lacks the required 25% finance with it and also is not clear about its funds for the balance 75%. In a letter addressed to CM Devendra Fadnavis, Anil Galgali had questioned that, at one end the BJP govt is talking of taking back the reserved lands allotted to various organizations and on the other hand is allotting a prime land, reserved for Gardens purpose to its MP Hema Malini and allowing construction on it for a Dance Academy. Galgali stated that the over eagerness is suspicious? He further expressed surprise on the intentions of the Govt to allot land on the basis of rates in 1976 rather than the current ready reckoner rates. He finally stated that the government should itself develop such cultural complex, instead of handing over prime plots to private organizations due to which the government's will be saved from wasting it's efforts to recover such allotted lands at a later date.

Saturday 23 January 2016

एमएमआरडीएची कार्यालयीन 'आयकॉनिक' इमारतीचे काम 97 महिन्यानंतर पूर्ण

महाराष्ट्र राज्यातील दुष्काळग्रस्त परिस्थिती आणि वाढत्या शेतकरी आत्महत्या लक्षात घेता मदत करण्यासाठी चालढकल करणारे राज्यकर्ते आणि सरकारी बाबू स्व:ताच्या सुख सुविधासाठी कोटयावधी रुपयांचा अक्षरश: कशा चुराडा करतो ते पाहण्यासाठी जनतेने बीकेसी येथील एमएमआरडीएच्या 'आयकॉनिक' इमारतीचे दर्शन जरुर घ्यावे. गेल्या 97 महिने रखडत रखडट बनलेल्या नवीन इमारतीवर रु 106 कोटीचा उत्तुंग खर्च झाला असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांना एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली आहे. कासवगतीने पूर्ण झालेल्या कामाचा फटका एमएमआरडीएच्या तिजोरीवर बसला असून योजना खर्चात 19 कोटीची वाढ झाली अश्या नव्या इमारतीचे उद्धाटन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी केले आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडे बीकेसी येथील एमएमआरडीए मुख्यालयाच्या पाठील बाजुला सुरु असलेल्या नवीन'आयकॉनिक'इमारतीच्या कामाची माहिती मागितली होती. एमएमआरडीएचे कार्यकारी अभियंता आणि जन माहिती अधिकारी श्री मो.य.पाटील यांनी अनिल गलगली यांना कळविले की इमारतीचे काम दिनांक 24.12.2007 रोजी मंजुर झाले होते. कामाची मुळ रक्कम रु 87 कोटी असुन दिनांक 31.12.2012 रोजी पूर्ण होणे आवश्यक होते. तीन वेळा मुदतवाढ दिली गेली असुन प्रथम वाढीव दिनांक 15.09.2013, दूसरी 31.12.2014 आणि आताची दिनांक 31.05.2015 आहे. वाढीव रक्कम रु 106 कोटी असुन एकुण 19 कोटीची वाढ झाली आहे. काम प्रलंबित होण्याची कारणे बाबत एमएमआरडीए प्रशासनाने मूळ नकाशात आणि कामात बदल करणे तसेच वेगवेगळ्या यंत्रणेची एनओसी मिळण्यात होणारा विलंब कारणीभूत असल्याचे अनिल गलगली यांस कळविले आहे. इमारतीचे बांधकाम मेसर्स रेलकॉन इन्फ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड, अंतर्गत सजावटीची कामे मेसर्स गोदरेज कंपनी लिमिटेड तसेच विद्युत व वातानुकुलित यंत्रणा संबंधित कामे मेसर्स प्रविण इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड या कंपन्या करत असुन 9 मजले व 2 सर्विस मजले अशी 11 माळयाची इमारत आहे. 97 महिन्यानंतरही काम पूर्ण झाले असून सद्याचे एमएमआरडीए प्रशासनाचे मुख्यालय प्रशस्त असताना रु 106 कोटीचा हा चुराडा असल्याची टीका अनिल गलगली यांनी केली आहे. विशेष म्हणजे प्रस्तावित उत्तुंग इमारतीच्या बाजुला लागून तंत्री नावाची अत्याधुनिक इमारत एमएमआरडीए प्रशासनाची आहे. एकीकडे महाराष्ट्रातील मोठा भाग दुष्काळग्रस्त आणि दुसरीकडे शेतकरी आत्महत्या संख्येत होणारी वाढ होत असताना दस्तुरखुद्द मुख्यमंत्री अध्यक्ष असलेली एमएमआरडीए प्रशासनाचा कोटयावधीचा खर्च दुष्काळग्रस्ताच्या जखमेवर मीठ चोळणारा आहे, अशी तिखट प्रतिक्रिया अनिल गलगली यांनी व्यक्त केली आहे. आता नवीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एमएमआरडीए प्रशासनाच्या या उधळपट्टीवर कशा लगाम लावतील? ही बाब बघण्यासारखी असेल.

97 महीने की देरी के बाद बनी एमएमआरडीए के कार्यालयीन 'आईकॉनिक' बिल्डिंग का उद्धाटन किया सीएम ने

महाराष्ट्र राज्य की सूखाग्रस्त स्थिती और किसानों की आत्महत्या के मद्देनजर प्रभावितों को मदद के लिए आगे पीछे करनेवाले सत्ताधारी और सरकारी बाबू स्वयं की सुख सुविधा पर करोडो रुपए की फिजूलखर्ची कैसे करते है यह देखने के लिए जनता बीकेसी स्थित एमएमआरडीए के 'आईकॉनिक'बिल्डिंग का एक बार दर्शन जरुर ले. 97 महीने की देरी बाद बनी नई बिल्डिंग पर रु 106 करोड का खर्चा होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी है. सीएम देवेंद्र फडणवीस ने 97 महीने की देरी के बाद बनी एमएमआरडीए की कार्यालयीन 'आईकॉनिक' बिल्डिंग का उद्धाटन किया। एमएमआरडीए की तिजोरी से 19 करोड़ का अतिरिक्त धन इस योजना पर अधिक खर्च हुआ है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से बीकेसी स्थित एमएमआरडीए मुख्यालय के पीछे निर्माणधीन नई 'आईकॉनिक'बिल्डिंग के काम की जानकारी मांगी थी.एमएमआरडीए के कार्यकारी अभियंता और जन सूचना अधिकारी श्री मो.य.पाटील ने अनिल गलगली को बताया कि बिल्डिंग का काम दिनांक 24.12.2007 को मंजुर किया गया था. काम की मूल रकम रु 87 करोड थी और दिनांक 31.12.2012 को काम पूर्ण होना जरुरी था. 3 बार काम की समय अवधि बढाई गयी है. प्रथम अवधि दिनांक 15.09.2013, दूसरी अवधि 31.12.2014 और अब दिनांक 31.05.2015 यह नई सीमा अवधि है. रु 106 करोड नई रकम होने से कुल 19 करोड की वृद्धि हुई है. अनिल गलगली ने काम प्रलंबित होने के कारण की जानकारी मांगने पर एमएमआरडीए प्रशासन ने मूल प्लान और अन्य कामों में किया गया बदलाव के साथ मनपा, पर्यावरण विभाग और अन्य विभाग की एनओसी मिलने में होनेवाली देरी का कारण आगे किया। बिल्डिंग का निर्माण मेसर्स रेलकॉन इन्फ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड,भीतरी डेकोरेशन का काम मेसर्स गोदरेज कंपनी लिमिटेड और इलेक्ट्रिक एवं एयर कंडीशन से जुडा काम मेसर्स प्रविण इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड इन कंपनियों द्वारा किया जा रहा है. 9 मंजिल एवं 2 सर्विस मंजिल ऐसी कुल 11 मंजिल वाली यह नई बिल्डिंग है. 97 महीने के बाद बनी इस नए कार्यालयीन 'आईकॉनिक' बिल्डिंग का उद्धाटन किया गया। एमएमआरडीए प्रशासन का मुख्यालय प्रशस्त होते हुए भी रु 106 करोड की फिजूलखर्ची होने की बात अनिल गलगली ने कही. विशेष यानि प्रस्तावित आलिशान बिल्डिंग से सटकर तंत्री नाम की अत्याधुनिक बिल्डिंग एमएमआरडीए प्रशासन की है. एक ओर महाराष्ट्र का बडा हिस्सा सूखाग्रस्त और दुसरी ओर किसानों की आत्महत्या में वृद्धि होते हुए भी स्वंय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एमएमआरडीए द्वारा किया जानेवाला करोडो रुपए का खर्चा सूखाग्रस्तों और किसान परिवारों के जख्म पर नमक छिड़कने समान है, ऐसी तीखी प्रतिक्रिया अनिल गलगली ने व्यक्त की है. अब नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एमएमआरडीए प्रशासन की इस फिजूलखर्ची पर कैसे लगाम कसेगें? यह देखने लायक होगा.

MMRDA lavish & Iconic headquarter building inaugurated by Chief Minister Devendra Fadnvis after 97 months delay

When one part of Maharashtra is facing extreme drought and the other part is experiencing suicides of the farmers. Forget Drought and other misries, MMRDA's Babus need 106 lavish & iconic headquarter to work from there.To experience one more example of how state exchequer is misused, one should travel to the BKC and have a look at the “Iconic” Building of the MMRDA, which will be the new workplace for MMRDA, right behind its current office.RTI activist Anil Galgali has sought information through RTI and revealed even after spending Rs. 106 crore the proposed new office of MMRDA inaugurated by Chief Minister Devendra Fadnvis after 97 months. Delay work cause extra Rs 19 crore losses to MMRDA. RTI Activist Anil Galgali had sought information from the MMRDA Authority in regards to the construction of a new building going on behind their current office at BKC is on the banks of Mithi river.Executive Engineer as well as the Public information officer of MMRDA, Mr M.Y. Patil, informed Galgali that the said proposal for construction of new office building to the MMRDA was given on 24.12.2007. The basic cost approved was that of Rs. 87 crore and it was to be completed by 31.12.2012. But in spite of giving three extensions, first till 15.09.2013, Second till 31.12.2014 and the latest one being, 31.05.2015, the work still remains incomplete. Work has increase cost Rs 19 crore because it's not completed stipulated time frame. The MMRDA Authority has blame other authorities like MCGM, Environment Department's NOC. Change in Original Plan was also the reasons of the delay. The said project is been done by M/s Relcon Infraprojects Limited, the interior decoration contract has been awarded to M/s Godrej Company Limited and finally the electrification and air-conditioning contract has been given to M/s Pravin electrical limited. The said modern office 11th floor building of MMRDA have 9 floors along with 2 service floors. “In spite of having its own building to work in the heart of Mumbai city, MMRDA had no need to spend Rs. 106 crores on construction of a new office for itself. It is a complete waste of both money and resources, blame by Anil Galgali. This is like having fun at a cost of people living in drought prone areas and where farmers are committing suicide. Also next to this proposed office, there is another building, Tantri, that also belongs to the MMRDA and is equipped with the latest technology and know-how. So the need of a new office is not understood” said Galgali. It has to be seen how the Chief Minister of Maharashtra Devendra Fadnavis, also the chairman of MMRDA, takes a stand. The expenses are definitely rubbing salt on the wounds of the drought affected people & farmers,concluded Galgali.

Thursday 21 January 2016

महाराष्ट्र सरकार ने दाल और तेल जमाखोरों की जब्ती का 70 प्रतिशत माल लौटाया

महाराष्ट्र में अरहर दाल के दाम आसमान छूते ही राज्य सरकार ने छापामारी की और थोड़ी बहुत नही बल्कि 539.50 करोड़ किंमत की दाल और तेल जब्त की थी। लेकिन 5592 छापामारी में जब्त की हुए माल में से 70 प्रतिशत माल वापस लौटाने का उदारपणा भाजपा सरकार ने दिखाने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने राज्य सरकार ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सरकार से दाल और तेल जमाखोरों से जब्त स्टॉक, किंमत, लौटाया हुआ स्टॉक, शेष स्टॉक और दर्ज एफआईआर की जानकारी मांगी थी। पहले तो जानकारी नही देने पर अनिल गलगली ने प्रथम अपील दायर करने के बाद खाद्य आपूर्ति और ग्राहक संरक्षण विभाग के उप सचिव स. श्री. सुपे ने सभी जानकारी देने का आदेश अपील सुनवाई में दिया। राज्य के 7 प्रादेशिक विभाग में 5592 स्थानों पर छापा मारकर गोडाऊन निरिक्षण किया गया उसमें दाल, तेल और तेल बीज ऐसी जीवनावश्यक वस्तु जब्त की गयी। दाल, तेल और तेल बीज ऐसा1,23,028.389 मेट्रिक टन स्टॉक जब्त किया गया। उसमें से 85,547.781 मेट्रिक टन स्टॉक लौटाया गया और अब 37,480.608 मेट्रिक टन स्टॉक शेष हैं महाराष्ट्र राज्य की छापामारी में सबसे ज्यादा स्टॉक मुंबई और ठाणे में जब्त किया गया। कुल 59,731.884 मेट्रिक टन स्टॉक जब्त किया गया उसमें से 56,574.846 मेट्रिक टन स्टॉक लौटाया गया और अब सिर्फ 3,157.038 मेट्रिक टन स्टॉक शेष हैं। नागपुर विभाग में 7,255.520 मेट्रिक टन में से 4,939.250 मेट्रिक टन स्टॉक शेष हैं। 2,316.270 मेट्रिक टन स्टॉक लौटाया हैं। कोकण विभाग में 52,747.260 मेट्रिक टन स्टॉक जब्त किया गया उसमें से 29,384.329 मेट्रिक टन स्टॉक को छोड़कर 23,362.940 मेट्रिक टन स्टॉक वापस लौटाया हैं। औरंगाबाद,अमरावती,पुणे और नासिक में बड़े पैमाने पर स्टॉक जब्त करने के बावजूद सरकार ने शत प्रतिशत स्टॉक लौटाया हैं। अमरावती में 1,860.000 मेट्रिक टन स्टॉक जब्त किया वही औरंगाबाद में 1,110.470 मेट्रिक टन, पुणे में 144.989 मेट्रिक टन और नासिक में 181.666 मेट्रिक टन स्टॉक जब्त किया गया था। लेकिन पूरा का पूरा स्टॉक वापस लौटाया गया हैं। अनिल गलगली ने संपूर्ण व्यवस्था और कार्यवाही पर आशंका जताते हुए सवाल खड़ा किया हैं कि 70 प्रतिशत स्टॉक वापस क्यों लौटाया हैं? उसकी जांच कर वस्तुनिष्ठ और सही रिपोर्ट सरकार सार्वजनिक करे। जिस तरीके से कारवाई पर सरकार ने बवाल मचाया था उतने ही तेजी से जमाखोरों अभय देकर स्टॉक वापस लौटाने की सरकारी उदारता कई सवालों को जन्म दे रही हैं।

महाराष्ट्र शासनाने डाळ आणि तेल साठेबाजांना जप्त केलेला 70 टक्के माल परत केला

महाराष्ट्रात तूरडाळीचे भाव गगनाला भिडल्यानंतर राज्य सरकारने धाडसत्र सुरू केलं आणि साठेबाजाकडून थोडीथोडकी नाहीतर 539.50 कोटी किंमतीची डाळ आणि तेल जप्त करण्यात आली असून 5592 धाडीत जप्त केलेल्या मालापैकी 70 टक्के माल परत करण्याचा उदारपणा भाजपा सरकारने दाखविल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस राज्य शासनाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी शासनाकडे डाळ आणि तेल साठेबाजाकडून जप्त साठा, किंमत, परत केलेला माल, शिल्लक माल आणि गुन्ह्याची माहिती मागितली होती. सदर माहिती देण्यास टाळाटाळ होताच अनिल गलगली प्रथम अपील दाखल केले असता अन्न, नागरी पुरवठा आणि ग्राहक संरक्षण विभागाचे उप सचिव स. श्री. सुपे यांनी सदर माहिती अपील सुनावणीत दिली. राज्यातील 7 प्रादेशिक विभागात 5592 ठिकाणी धाडी घालून गोडाऊन निरिक्षण करण्यात आले. यात डाळ, तेल आणि तेल बियाणे अश्या जीवनावश्यक वस्तु जप्त करण्यात आल्यात. डाळ, तेल आणि तेल बियाणे अश्या 1,23,028.389 मेट्रिक टन माल जप्त केला होता. त्यापैकी 85,547.781 मेट्रिक टन माल परत केला आणि 37,480.608 मेट्रिक टन शिल्लक आहे. महाराष्ट्र राज्यातील धाडीत सर्वाधिक साठा मुंबई आणि ठाण्यात जप्त करण्यात आला असून 59,731.884 मेट्रिक टन जप्त झाला असून 56,574.846 मेट्रिक टन परत केला आहे. आता फक्त 3,157.038 मेट्रिक टन शिल्लक आहे. नागपुर विभागात 7,255.520 मेट्रिक टन पैकी 4,939.250 मेट्रिक टन माल शिल्लक आहे. 2,316.270 मेट्रिक टन माल परत केला आहे. कोकण विभागात 52,747.260 मेट्रिक टन साठा जप्त केला आहे.त्यापैकी 29,384.320 मेट्रिक टन माल शिल्लक असून 23,362.940 मेट्रिक टन माल परत केला आहे. औरंगाबाद,अमरावती,पुणे आणि नाशिक येथे माल जप्त झाला असतानाही शत प्रतिशत माल परत केला गेला आहे. अमरावती येथे 1,860.000 मेट्रिक टन माल जप्त केला तर औरंगाबाद येथे 1,110.470 मेट्रिक टन, पुणे येथे 144.989 मेट्रिक टन आणि नाशिक येथे 181.666 मेट्रिक टन माल जप्त केला आहे. पण सर्वचा सर्व माल परत केला गेला आहे. अनिल गलगली यांनी संपूर्ण व्यवस्था आणि कार्यवाहीवरच आशंका व्यक्त करत सवाल केला की 70 टक्के माल परत का गेला? याची चौकशी करत वस्तुनिष्ठ आणि सत्य अहवाल शासनाने सार्वजनिक करा। ज्या पद्दतीने कारवाईचा गाजावाजा केला गेला तितक्याच वेगाने साठेबाजाना अभय देत माल परत करण्याचा शासनाचा उदारपणा अनेक प्रश्नांना जन्म देत आहे.

70% of the quantity of Daal and oil seized from hoarders returned to them by Maharashtra Goverment

It is common knowledge now that during the skyrocketing of the tur daal prices the state government in Maharashtra launched massive raids against the hoarders and in the campaign seized almost stocks of Daal and oil worth Rs 539.50 crores. A total of 5592 raids were conducted at the time. But it has now been revealed vide an RTI query filed by RTI activist Anil Galgali that the government acted Magnanimous by returning 70% of the stocks seized to the very same hoarders. RTI activist Anil Galgali had sought information from the state government regarding the stocks of Daal and oil seized from the hoarders. He sought the quantity, value, quantity of stock returned, balance quantity in possession, and cases filed. Anil Galgali had to file a first appeal to the Food, civil supplies and consumer protection dept after it came to be understood that the government was trying to evade reply. In the hearing conducted on the appeal, Shri Supe, Dy Secretary of the dept provided the following information. Total of 5592 raids were conducted in all the 7 divisions, in which the daal, oil and oil seeds were seized in huge quantity totalling 1,23,028.389 metric tons, out of which 85,547.781 metric tons was returned to the hoarders and 37,480.608 metric tons was left with the govt. During the raids conducted in the overall maharashtra state the maximum stock seized was from the Mumbai - Thane division. Stock seized was 59,731.884 metric tons, whereas 56,574.846 metric tons was returned to the hoarders. At present only 3,157.038 metric tons is in Stock. In Nagpur division out of the 7,255.520 metric tons seized 4,939.250 is in Stock, and 2,316.270 metric tons was returned. In Konkan division out of the 52,747.260 metric tons seized, 23,362.940 we returned, leaving 29,384.320 metric tons as stock. Inspite of huge seizures in the Aurangabad, amravati, Pune and nasik divisions, efforts wasted as total 100% stocks returned back to the dealers. A total of 1,860.000 metric tons was seized from amravati, 1,110.470 metric tons seized from aurangabad, 144.989 metric tons was seized from Pune and 181.666 metric tons was seized from nasik, but the complete 100% metarials seized was returned back to the hoarders. Anil Galgali has expressed his suspicion on the Complete activities of the Govt in returning the 70% of the seized stock to the hoarders. He demanded that the government investigate and publish the actual facts and true report of the situation.The manner in which the raids were largely publicised, similarly the govt acted very swiftly in returning back the seized quantities raises suspicion and too many unanswered questions, which should be explained, add Galgali

Monday 18 January 2016

मध्य मुंबई रेलवे में भीड़ में डोंबिवली अव्वल

सीएसटी से कसारा,खोपोली,पनवेल,अंधेरी और ठाणे-वाशी-नवी मुंबई पाच सेवाअंतर्गत 85 रेलवे स्टेशन के बीच दौड़नेवाली मध्य मुंबई रेलवे का डोंबिवली स्टेशन में भीड़ में अव्वल हैं। रोजाना 2,33,635 मुसाफिर यात्रा करते है वही कमाई के मामले में डोंबिवली रु 14,94,538/-की आय के चलते अव्वल होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मध्य रेलवे प्रशासन ने दी हैं। रोजाना 38,55,419 मुसाफिरों को सेवा देनेवाली मध्य मुंबई रेलवे की आय रु 2,19,12,837/- इतनी हैं। भीड़ के टॉप 5 में डोंबिवली, ठाणे, कल्याण, घाटकोपर और कुर्ला का नंबर लगता हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मध्य रेलवे प्रशासन से रोजाना सफर करनेवाले यात्री, कुल आय और स्टेशन वाइज यात्रियों की संख्या की जानकारी मांगी थी। मध्य रेलवे के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक डॉ आलोक बडकुल ने अनिल गलगली को बताया कि सीएसटी से कसारा,खोपोली,पनवेल,अंधेरी और ठाणे-वाशी-नवी मुंबई पाच सेवाअंतर्गत 85 रेलवे स्टेशन में दौड़नेवाली मध्य मुंबई रेलवे की कुल आय रु 2,19,12,837 /- इतनी हैं और रोजाना सफर करनेवाले यात्रियों की संख्या 38,55,419 इतनी हैं। भीड़ में अव्वल स्टेशन डोंबिवली हैं जहां से 2,33,635 यात्री अपनी यात्रा की शुरुआत करत हैं। उसके बाद ठाणे (2,25,490), कल्याण(1,80,676), घाटकोपर (1,74,926) और कुर्ला (1,50,708) का नंबर आता हैं। मध्य मुंबई मंडल की रोजाना आय रु 2,19,12,837/- इतनी है। यहां पर भी डोंबिवली स्टेशन ने प्रथम क्रमांक हासिल किया। डोंबिवली ( 14,94,538 ), ठाणे (13,84,020), कल्याण(12,55,045), घाटकोपर (9,32,485) और सीएसटी (8,97,373) ऐसी आय मध्य मुंबई मंडल की हैं। रोजाना कितनी ट्रेन ट्रिप यात्रा की सेवा में हैं, इसकी जानकारी अनिल गलगली को बताया कि ट्रेन की जानकारी पब्लिक टाइम टेबल में प्रकाशित की जाती हैं । वर्तमान में मध्य मुंबई रेलवे की सेवा में 121 रेकस हैं और 1618 ट्रेन ट्रिप जनता की सेवा में हैं। रोजाना एक ट्रेन से 2383 यात्री यात्रा करते हैं। अनिल गलगली के अनुसार जो आकडे दिए गए हैं वह औसतन होने से भीड़ के समय में यात्रियों की संख्या दोगुना होती हैं। ट्रेन ट्रिप की संख्या यात्रियों की तुलना में कम होने से उसे बढ़ाने की जरुरत हैं। जिससे दुर्घटना की संख्या में कमी होगी और मध्य रेलवे दुर्घटनामुक्त होगी।

मध्य मुंबई रेल्वेत सर्वाधिक गर्दीचे स्थानकात डोंबिवली अव्वल

सीएसटी पासून कसारा,खोपोली,पनवेल,अंधेरी आणि ठाणे-वाशी-नवी मुंबई पाच सेवाअंतर्गत 85 रेल्वे स्थानकात धावणा-या मध्य मुंबई रेल्वेत सर्वाधिक गर्दीचे रेल्वे स्थानकात डोंबिवली स्थानक अव्वल असून दररोज 2,33,635 प्रवाशी प्रवास करतात तर कमाईत सुद्धा डोंबिवली स्थानक असून रु 14,94,538/- उत्पन्न असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मध्य रेल्वे प्रशासनाने दिली आहे. दररोज 38,55,419 प्रवाश्यांचा भार सोसणा-या मध्य आणि हार्बर रेल्वेचे उत्पन्न रु 2,19,12,837/- इतके आहे. गर्दीच्या टॉप 5 मध्ये डोंबिवली, ठाणे, कल्याण, घाटकोपर आणि कुर्ला यांचा समावेश आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मध्य रेल्वे प्रशासनाकडे दररोज प्रवास करणारे प्रवाशी, एकुण उत्पन्न आणि स्थानक स्तरावर प्रवाशी संख्या याची माहिती विचारली होती. मध्य रेल्वेचे वरिष्ठ मंडळ वाणिज्य प्रबंधक डॉ आलोक बडकुल यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की सीएसटी पासून पर्यंत 85 रेल्वे स्थानकात धावणा-या मध्य मुंबई रेल्वेचे एकूण उत्पन्न रु 2,19,12,837 /- इतके असून दररोज प्रवाशांची संख्या 38,55,419 इतकी आहे. सर्वाधिक गर्दीचे स्थानक डोंबिवली असून येथून दररोज 2,33,635 प्रवाशी आपल्या प्रवासाची सुरुवात करतात. त्यानंतर ठाणे (2,25,490), कल्याण(1,80,676), घाटकोपर (1,74,926) आणि कुर्ला (1,50,708) अशी क्रमवारी आहे. मध्य आणि हार्बर रेल्वेचे उत्पन्न दररोज 2,19,12,837/- इतके असून येथेही डोंबिवलीने प्रथम क्रमांक पटकविला आहे. डोंबिवली ( 14,94,538 ), ठाणे (13,84,020), कल्याण(12,55,045), घाटकोपर (9,32485) आणि सीएसटी (8,97,373) अशी उत्पन्नाची क्रमवारी आहे. दररोज किती ट्रेन ट्रिप प्रवाश्यांच्या सेवेत असतात याबाबत अनिल गलगली यांस कळविले आले की दररोजच्या ट्रेनची माहिती पब्लिक टाइम टेबलमध्ये प्रकाशित केली जाते. सद्या पश्चिम रेल्वेच्या सेवेत 121 रेकस असून 1618 ट्रेन ट्रिप या जनतेच्या सेवेत असतात. विशेष ट्रेनची माहिती सामग्री पातळीवर उपलब्ध नाही. म्हणजे दररोज एका ट्रेनमधून 2383 इतके प्रवाशी प्रवास करतात. अनिल गलगली यांच्या मते जी आकडेवारी दिली गेली आहे ती सरासरी असून गर्दीच्या वेळी संख्या दुप्पट होते. ट्रेन ट्रिपची संख्या प्रवाश्यांच्या तुलनेत कमी असून ती वाढविण्याची आवश्यकता आहे यामुळे प्रवाशी दुर्घटनेच्या संख्येत दिवसेंदिवस होणारी वाढ कमी होईल आणि शत प्रतिशत मध्य रेल्वे दुर्घटनामुक्त होईल.

Dombivali is the most crowded station in the Central Line of Mumbai Local.

In all of the 85 stations on the Century route of Local railway of the Mumbai city, Dombivali remains at the top in terms of the number of passenger's travelling to and from the station and thus generating highest revenue everyday for the Central route. A total 2,33,635 passenger board everyday generating Rs 2,33,635 /- everyday. This information was given by the Central Railway department to RTI activist Anil Galgali. 38,56,419 passenger's board everyday Central line of Mumbai Local & everyday generating Rs. 2,19,12,833/- everyday. Dombivali, Thane, Kalyan, Ghatkopar and Kurla are the top 5 most crowded stations on the Central Line of Mumbai Local. RTI activist Anil Galgali had sought information from the Central Railway administration about the total number of passenger travelling everyday by the local train, thus income generated and total number of passenger boarding station-wise. Senior Commercial officer of the Central Railway Dr Alok Budkul in reply Galgali to this RTI query said that in all the 85 stations under 5 services Right from CST to Kasara, Khopoli, Panvel, Andheri & Thane-Vashi-Navi Mumbai. The total income generated is Rs. 2,19,12,837/- and a total of 38,56,419 passenger use Railway facility to travel. Dombivali has the highest number of passenger using local facility i.e. 2,33,635 which is followed by Thane (2,25,490), Kalyan (1,80,676), Ghatkopar(1,74,926) and Kurla(1,50,708). A total of Rs. 2,19,12,837 is generated in terms of income on the Central Railway Line. Dombivali tops the chart here as well. Domibvali (14,94,538), Thane (13,84,020), Kalyan (12,55,045), Ghatkopar (9,32,485) & CST (8,97,373) Anil Galgali was keen on knowing information as to how many train trips were organised per day to meet needs of so many commuters, to which in its reply Central railway said that the said information i.e published in railway Time Table. But as on today, there are total 121 racks that are put in use and a total of 1618 train trips are made. Approx one train comprises of 2383 passengers. Anil Galgali feels that all Statistics supply by Central Railway was average and during peak hours its became double.The train trips are very less in comparison to the passengers travelling everyday on the Central line. Train trips are increased, the chances of accidents of passengers will reduce drastically, add Galgali.

Monday 11 January 2016

महाराष्ट्र में दाल और तेल जमाखोरों पर छापे की संख्या 5592 दर्ज एफआईआर की संख्या सिर्फ 50

डाल में कुछ काला है’ ऐसा डायलॉग हिंदी सिनेमा से हम हमेशा सुनते हैं या किसी भी संदेह आया तो आमतौर पर कहते भी हैं। लेकिन महाराष्ट्र में अरह दाल के दाम आसमान को छूते ही राज्य सरकार ने छापामारी शुरु की और जमाखोरों से थोड़ी बहुत नहीं बल्कि रु 539.50 करोड़ किंमत की दाल और तेल बरामद किया गया हैं। कुल 5592 छापा मारने के बावजूद एफआईआर की संख्या सिर्फ 50 होने की सनसनीखेज जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सरकार ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सरकार से दाल और तेल जमाखोरों से बरामद स्टॉक, उसकी किंमत और दर्ज एफआईआर की जानकारी मांगी थी। पहले यह जानकारी नही मिलने पर अनिल गलगली ने प्रथम अपील दायर करने के बाद खाद्य आपूर्ति और ग्राहक संरक्षण विभाग के उप सचिव स. श्री. सुपे ने यह जानकारी अपील सुनवाई में दी। राज्य के 7 प्रादेशिक विभाग में 5592 दुकानों पर छापामारी डालकर गोडाऊन का निरिक्षण किया गया। इसमें दाल, तेल और तेल बीज ऐसी जीवनावश्यक चीजे बरामद की गई। बरामद 1,36,921.833 मेट्रिक टन जीवनावश्यक चीजों की किंमत 539 करोड़ 50 लाख 15 हजार 745 इतनी है और सिर्फ 50 एफआईआर दर्ज की गई हैं। महाराष्ट्र राज्य में हुई छापामारी में सर्वाधिक स्टॉक मुंबई और ठाणे में बरामद किया गया उसकी किंमत रु 458,54,97,389/- इतनी हैं। कुल 35 छापामारी में 67,065.810 मेट्रिक टन बरामद किया गया। कोकण विभाग में रु 55.73/- करोड़ किंमत का 36,146.57 मेट्रिक टन स्टॉक बरामद किया गया। नागपुर में रु 10,14,77,000/-/, औरंगाबाद में रु 4,29,66,800/-, पुणे में रु 5,65,73,556/-, अमरावती में रु 5,12,01,000/ किंमत का स्टॉक बरामद किया गया। नागपूर प्रादेशिक विभाग में नागपूर शहर, नागपूर ग्रामीण, वर्धा, भंडारा, चंद्रपूर, गोंदिया और गडचिरोली में 477 छापामारी के बाद एक भी व्यक्ती पर एफआयआर दर्ज नही किया गया हैं, यह ताज्जुब की बात हैं। नागपूर और अमरावती में शून्य वही कोकण और औरंगाबाद में सिर्फ एक ही एफआयआर दर्ज किया गया हैं। पुणे में 22 एफआयआर दर्ज किया गया हैं। वही मुंबई और ठाणे में 19 लोगों पर एफआयआर दर्ज किया गया हैं। नासिक में 7 एफआयआर दर्ज किए गए हैं। अनिल गलगली के अनुसार कमसे कम जिनपर एफआयआर दर्ज हुए हैं उनके नाम राज्य सरकार सार्वजनिक करने चाहिए और एफआयआर दर्ज होने का प्रतिशत को देखते हुए ' छापामारी में कुछ काला हैं' ऐसा कहने की नौबत आन पड़ी हैं। कालाबाजारी और जमाखोरों पर अंकुश रखने के लिए सभी तरह का व्यवहार कंप्यूटराईज करने की मांग अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में की हैं।

महाराष्ट्रात डाळ आणि तेल साठेबाजांवर धाडीची संख्या 5592 दाखल गुन्ह्याची संख्या फक्त 50

डाल में कुछ काला है’ असा डायलॉग हिंदी सिनेमातून आपण नेहमी ऐकतो किंवा कुणावर संशय आला तर साहजिकच आपण असं म्हणतो. पण, महाराष्ट्रात तूरडाळीचे भाव गगनाला भिडल्यानंतर राज्य सरकारने धाडसत्र सुरू केलं आणि साठेबाजाकडून थोडीथोडकी नाहीतर 539.50 कोटी किंमतीची डाळ आणि तेल जप्त करण्यात आली असून 5592 धाडी घातल्या असतानाही दाखल गुन्ह्याची संख्या फक्त 50 असल्याची धक्कादायक माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस शासनाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी शासनाकडे डाळ आणि तेल साठेबाजाकडून जप्त साठा, किंमत आणि गुन्ह्याची माहिती मागितली होती. सदर माहिती देण्यास टाळाटाळ होताच अनिल गलगली प्रथम अपील दाखल केले असता अन्न, नागरी पुरवठा आणि ग्राहक संरक्षण विभागाचे उप सचिव स. श्री. सुपे यांनी सदर माहिती अपील सुनावणीत दिली. राज्यातील 7 प्रादेशिक विभागात 5592 ठिकाणी धाडी घालून गोडाऊन निरिक्षण करण्यात आले. यात डाळ, तेल आणि तेल बियाणे अश्या जीवनावश्यक वस्तु जप्त करण्यात आल्यात. जप्त 1,36,921.833 मेट्रिक टन जीवनावश्यक वस्तूची किंमत 539 कोटी 50 लाख 15 हजार 745 इतकी असून फक्त 50 गुन्ह्याची नोंद करण्यात आली आहे. महाराष्ट्र राज्यातील धाडीत सर्वाधिक साठा मुंबई आणि ठाण्यात जप्त करण्यात आला असून त्याची किंमत रु 458,54,97,389/- इतकी आहे. एकुण 35 धाडीत 67,065.810 मेट्रिक टन जप्त झाला असून त्यानंतर कोकण विभागात रु 55.73/- कोटी किंमतीची 36,146.57 मेट्रिक टन साठा जप्त केला आहे. नागपुर येथे रु 10,14,77,000/-/, औरंगाबाद येथे रु 4,29,66,800/-, पुणे येथे रु 5,65,73,556/-, अमरावती येथे रु 5,12,01,000/ किंमतीचा साठा जप्त केला. नागपूर प्रादेशिक विभागातील नागपूर शहर, नागपूर ग्रामीण, वर्धा, भंडारा, चंद्रपूर, गोंदिया आणि गडचिरोली येथील 477 धाडीनंतरही एकाही व्यक्तीवर गुन्हा नोंद करण्यात आला नाही, ही विशेष बाब आहे. नागपूर आणि अमरावती येथे शून्य तर कोकण आणि औरंगाबाद येथे फक्त एकच गुन्ह्याची नोंद आहे. पुणे येथे 22 गुन्हे दाखल झाले आहेत.तर मुंबई आणि ठाण्यात 19 लोकांवर गुन्हे दाखल करण्यात आले आहे. नाशिक येथे 7 गुन्हे दाखल झाले आहेत. अनिल गलगली यांच्या मते कमीत कमी ज्यांच्यावर गुन्हे दाखल झाले आहेत अश्याची नावे राज्य शासनाने सार्वजनिक करावी तसेच गुन्हे दाखल करण्याची टक्केवारी पाहता आता 'धाड में कुछ काला हैं' असे म्हणण्याची वेळ आली आहे. काळाबाजारी आणि साठेबाजीवर अंकुश ठेवण्यासाठी सर्व व्यवहार कंप्यूटराईज करण्याची मागणी अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पाठविलेल्या पत्रात केली आहे.

Raids conducted against hoarders of Dal and oil is 5592 But cases registered is just 50 in Maharashtra

'Daal mein kuch kaala hai' is a dialog which the common man is accustomed to hear in films and use in conversations, but now it has come to light vide an response to an RTI query filed by RTI Activist Anil Galgali that post the skyrocketing of the prices of Toor Daal and the much publicized raids conducted by the state govt on the hoarders Dal and Oil yielded commodities worth Rs 539.50 crores through the 5592 raids conducted. But the most shocking part is that when it came to registering cases against the hoarders the govt seems to have dithered and a paltry 50 cases have been registered. RTI Activist Anil Galgali had sought from the state govt information related to Stock confiscated, cost and cases registered against the hoarders of Dal & Oil by the state govt. The govt tried to evade responding to the query forcing Galgali to file the 1st Appeal with the Food, Civil Supplies & Consumer Protection Dept. The Dy Secretary of the Dept Shri Supe on the hearing conducted by him provided information stating that in a total of 5592 raids conducted by the dept after inspection of the godowns, essential commodites like Dal, Oil & Oilseeds totaling quantity 1,36,921.833 Metric tons worth Rs 539 crores 50 lakhs 15 Thousand 745 was siezed and 50 cases have been registered. # Maximum Stock siezures in Mumbai & Thane. The maximum seizures of the essential commodities were done in Mumbai & Thane. Commodities worth Rs 458 crores 54 lakhs 97 thousand 389 with the quantity being 67,065.810 Metric tonnes in total of 35 raids that were conducted in the region, followed by Konkan, with commodities worth Rs 55.73 crores being seized comprising of 36,146.57 Metric tons of stock seized. Nagpur with Rs 10 crores 14 lakhs 77 thousands. Aurangabad with Rs 4 crores 29 lakhs 66 thousand 800, Pune yielded Rs 5,65,73,556/=, Amravati Rs 5,12, 01, 000/= worth of stacks siezed. # Pune tops in most number of cases filed. It is worth noting that in the Nagpur division comprising of Nagpur city, Nagpur rural, Wardha, Bhandara, Chandrapur, Gondia, & Gadchiroli, a total of 477 raids were conducted, but not a single case has been registered against the offenders. Similarily no cases has been registered in Amravati division. One case each has been filed in Konkan & Aurangabad divisions. 22 cases has been registered in Pune division, while 19 cases have been registered in Mumbai / Thane division. 7 cases were filed in Nashik division. Anil Galgali in a letter addressed to CM Devendra Fadnavis has demanded that, the names against whom the cases have been registered should atleast be made public. He expressed surprise on the ratio of cases registered vis a vis the Raids conducted stating that "Dhhaad mein kuch kaala hai". He also stated that to curb black marketing and hoarding all the transactions be computerized to bring transparency.

Thursday 7 January 2016

मनपा की लापरवाही से हुई डीपी में धांदली

मुंबई शहर का डीपी प्लान बनाने के दौरान हुई सैकड़ो गलतियां और मची अफरातफरी यह मनपा प्रशासन की गलती और लापरवाही से उत्पन्न हुई हैं। प्रस्ताव मंजूर होने के बाद भी 9 पदों पर नियुक्ती न होने से डीपी प्लान में अफरातफरी होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मिली जानकारी से सामने आई हैं। ताज्जुब की बात यह हैं कि 31 महिने के बाद भी मनपा प्रशासन गहरी नींद में होने से डीपी प्लान को लेकर मचमच शुरु ही हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा प्रशासनसे मुंबईचा विकास प्लान के अंतर्गत उप आयुक्त, नगररचनाकार, उप प्रमुख नगररचनाकार इन पदों की जानकारी मांगी थी। मनपा के उप प्रमुख रचनाकार (प्रभारी) विकास नियोजन कार्यालय ने अनिल गलगली को बताया कि उपआयुक्त नगररचना कार्यालय के लिए उपआयुक्त( नगररचना), प्रमुख नगररचनाकर(नियोजन), प्रमुख नगररचनाकर(स्टैटेजिक प्लानिंग), उप प्रमुख नगररचनाकर(विकास नियोजन), उप प्रमुख नगररचनाकर(परिवहन योजना), प्रमुख नगररचनाकर(स्थानिक क्षेत्र योजना), प्रमुख नगररचनाकर(पर्यावरण), प्रमुख नगररचनाकर(स्थानिक आर्थिक विकास), प्रमुख नगररचनाकर(गृह और स्थावर मालमत्ता) यह पद निर्माण किए गए थे और बृहन्मुंबई महानगरपालिका प्रस्ताव क्रं 95 दिनांक 06/05/2013 एवं महानगरपालिका प्रस्ताव क्रं 34 दिनांक 09/04/2013 के तहत उक्त पदों को मंजूरी दी गई थी। लेकिन इन पदों पर किसी भी अधिकारी की नियुक्ती नहीं को गई। मुंबई महानगरपालिका में प्रारुप विकास प्लान 2014-34 के लिए टाउन प्लानर ( नगर रचनाकार) इस पद पर दिनेश नाईक की नियुक्ती की गई हैं। इसके पहले वर्ष 2009 में बालचंद्रन रामकृष्णन का नाम टाउन प्लानर के लिए मनपा आयुक्त ने प्रस्तावित किया था और बालचंद्रन ने प्रभारी प्रमुख अभियंता सहित टाउन प्लानर की दोहरी भूमिका निभाई थी। मुंबई महानगरपालिका में प्रारुप विकास प्लान 2014-34 के लिए जिस लिहाज से कार्यालयीन कामकाज और पदों की नियुक्ती कर नियोजन करना बेहद जरूरी थी वह आज तक कागज पर ही रहा। यह बात स्पष्ट होने से मनपा ने मंजूर की हुई पद निर्मिती करने के बजाय बाहरी रिटायर्ड अफसर को लाने की जरुरत आखिर क्यों आन पड़ी? ऐसा सवाल करते हुए अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मनपा आयुक्त अजोय मेहता को पत्र भेजकर बृहन्मुंबई के लिए स्वतंत्र संचालनालय (नगर रचना नियोजन) बनाने की मांग की हैं। इसके अलावा पुराना प्रस्ताव ताबडतोब मंजूर कर इन महत्व पूर्ण पदों पर नियुक्ती करने की कार्यवाही कर मुंबई शहर का सर्वागीण विकासवाला सुव्यवस्थित और सर्वसंम्मती वाला ऐसा डीपी प्लान बनाने की मांग अनिल गलगली ने आखिर में की हैं। मनपा प्रशासन ने उप प्रमुख नगररचनाकार कार्यालय में कार्यरत 67 अधिकारी और कर्मचारियों की लिस्ट दी हैं। इनमें से 22 लोगों का तबादला हुआ है या उन्हें अपने मूल विभाग में वापस भेजा गया हैं। यानी 33 प्रतिशत की स्टाफ की कमी हैं। इसके वजह से भी डीपी प्लान काम प्रभावित होने का आरोप लगाते हुए अनिल गलगली ने बृहन्मुंबई के लिए स्वतंत्र संचालनालय (नगर रचना नियोजन) बनाने पर जोर दिया हैं ताकि भविष्य में इसतरह की गलतियों की पुनरावृत्ति न हो पाएं।

पालिकेच्या निष्कियतेमुळे डीपी प्लान घोळ उद्भवला

मुंबई शहराचा डीपी बनविताना झालेल्या असंख्य चुका आणि घोळ हा पालिका प्रशासनाच्या निष्कियतेमुळे उद्भभवलेला असून ठराव मंजूर होऊनही 9 पदावर नियुक्ती न झाल्यामुळे डीपी प्लान घोळ उद्भवल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मिळालेल्या माहितीतुन समोर आलेली आहे. विशेष म्हणजे 31 महिने उलटूनही पालिका प्रशासन झोपेतच असल्यामुळे डीपीवर रणकंदान सुरु आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पालिका प्रशासनाकडे मुंबईचा विकास आराखडा अंतर्गत उप आयुक्त, नगररचनाकार, उप प्रमुख नगररचनाकार या पदाबाबत माहिती मागितली होती. पालिकेच्या उप प्रमुख रचनाकार (प्रभारी) विकास नियोजन कार्यालयाने अनिल गलगली यांस कळविले की उपआयुक्त नगररचना कार्यालयाकरिता उपआयुक्त( नगररचना), प्रमुख नगररचनाकर(नियोजन), प्रमुख नगररचनाकर(स्टैटेजिक प्लानिंग), उप प्रमुख नगररचनाकर(विकास नियोजन), उप प्रमुख नगररचनाकर(परिवहन योजना), प्रमुख नगररचनाकर(स्थानिक क्षेत्र योजना), प्रमुख नगररचनाकर(पर्यावरण), प्रमुख नगररचनाकर(स्थानिक आर्थिक विकास), प्रमुख नगररचनाकर(गृह आणि स्थावर मालमत्ता) ही पदे निर्माण करण्यात आली असून बृहन्मुंबई महानगरपालिका ठराव क्रं 95 दिनांक 06/05/2013 व महानगरपालिका ठराव क्रं 34 दिनांक 09/04/2013 अन्वये सदर पदांना मंजूरी देण्यात आली आहे. परंतु सदर पदावर नियुक्ती करण्यात आलेली नाही. मुंबई महानगरपालिकेत प्रारुप विकास आराखडा 2014-34 करिता टाउन प्लानर या पदावर दिनेश नाईक यांची नियुक्ती करण्यात आली आहे. यापूर्वी वर्ष 2009 मध्ये बालचंद्रन रामकृष्णन यांचे नाव टाउन प्लानर साठी पालिका आयुक्तांनी प्रस्तावित केले होते आणि बालचंद्रन यांनी प्रभारी प्रमुख अभियंता सहित टाउन प्लानरची दोहरी भूमिका बजावली होती. मुंबई महानगरपालिकेत प्रारुप विकास आराखडा 2014-34 करिता ज्या पद्धतीने कार्यालयीन कामकाज आणि पदाची नियुक्ती करुन नियोजन करणे आवश्यक होते ते झालेच नाही, ही बाब स्पष्ट झाली असून पालिकेने मंजूर केलेली पदे निर्मिती करण्याऐवजी बाहेरील सेवानिवृत्त अधिकारी आणण्याची गरजच काय आहे? असा सवाल करत अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि पालिका आयुक्त अजोय मेहता यांस पत्र पाठवून बृहन्मुंबई करिता स्वतंत्र संचालनालय (नगर रचना नियोजन) बनविण्याची मागणी केली आहे. तसेच पूर्वीचे ठराव तत्काळ मंजूर करत या महत्त्वाच्या पदांवर नियुक्ती करण्याची कार्यवाही करत मुंबई शहराचा सर्वागीण विकासाच्या दृष्टीकोणातुन सुव्यवस्थित आणि सर्वानुमते असा डीपी प्लान तयार करण्याची मागणी अनिल गलगली यांनी सरतेशेवटी केली आहे. पालिकेने उप प्रमुख नगररचनाकार कार्यालयात कार्यरत असलेल्या 67 अधिकारी आणि कर्मचारी वृदांची माहिती दिली आहे. यापैकी 22 जणांची बदली झाली आहे किंवा त्यांस मूळ विभागात परत पाठविले आहे. म्हणजे 33 टक्के स्टाफची कमतरता आहे. यामुळेही डीपी प्लान कामावर परिणाम झाल्याचे नमूद करत अनिल गलगली यांनी बृहन्मुंबई करिता स्वतंत्र संचालनालय (नगर रचना नियोजन) बनविण्यावर पुन्हा एकदा जोर दिला आहे.ज्यामुळे भविष्यात अश्या प्रकारचा घोळ होणार नाही.

Mumbai DP mess is a creation of BMC's own inaction.

The mess and mistakes that were eventually found out during the making of the Mumbai DP was creation of BMC's own inaction. Though resolutions passed, neither the post created nor appointed inspite of lapse of almost 31 months and BMC short of staff by 33%. Its revealed in a RTI query filed RTI Activist Anil Galgali. Anil Galgali had sought information via RTI in regard to the information on posts of Deputy Commissioner, Planning Officer and Deputy City Planner under the Mumbai city Development Plan (DP). In their reply, MCGM Deputy City Planners office said Deputy Commissioner (City Planning) Chief Town Planner (Planning) Chief Town Planner (Strategic Planning) , Deputy Chief Planner (Development planning) Deputy Chief Town Planner (Transport) , Deputy Chief Town Planner (locality planning), Deputy Chief Town Planner (Environment), Deputy Chief Town Planner (Local Economic Development), Deputy Chief Town Planner ( Home & Real Property ) posts were created BMC resolution no 95 dated 06/05/ 2013 and BMC resolution number 34 dated 09/04/2013 had empowered for creation of above said posts. But none of the above posts were filled. BMC had appointed Dinesh Naik as town planner keeping in mind Mumbai DP for 2014-34. But before this, in 2009 Balachandran Ramakrishnan's name was proposed and Ramakrishnan had played a dual role of Town Planner along with Chief engineer at that time. MCGM fail to utilize Balachandran as Town Planner and instead of DP work, gave him additional charge of Chief Engineer. Anil Galgali says that if it was decided to fill proposed 9 posts for the preparation of ambitious Mumbai DP 2014-34 just because of the carelessness of the administration none of the posts were created nor any one appointed. Then after having the resolution passed for Mumbai DP, why was it necessary for the administration to appoint retired civil Officers? Anil Galgali has written about this to the CM Devendra Fadnavis and BMC Chief Ajoy Mehta demanding them for creation of Independent Directorate (City Planning). Also, Galgali has asked for immediate implementation of the resolution so that Mumbai DP can be created without any more hassles and confusion. MCGM provide a list of 67 Staff to Anil Galgali. 22 out of 67 staff are transfer or send to there original department by MCGM. So there was short of 33% staff and its effects on Mumbai DP work. So its clear that DP mess is a creation of BMC's own inaction, said Galgali

Monday 4 January 2016

पश्चिम रेलवे में सबसे ज्यादा भीड़ का स्टेशन बोरीवली

चर्चगेट से डहाणु रोड तक 36 रेलवे स्टेशन के बीच दौड़नेवाली पश्चिम रेलवे में सबसे ज्यादा भीड़ के रेलवे स्टेशन में बोरिवली आता है जिससे रोजाना 2,87,196 यात्री यात्रा करते हैं। कमाई में भी बोरिवली स्टेशन नंबर आता है जिसकी रु 16,86,591/- की आय होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को पश्चिम रेलवे प्रशासन ने दी हैं। रोजाना 35,08,469 यात्रियों का बोझा ढोनेवाली पश्चिम रेलवे की आय रु 1,99,46,652/- इतनी हैं। भीड़ के टॉप 10 में बोरीवली,अंधेरी, नालासोपारा, विरार, भायंदर, मालाड, कांदिवली, गोरेगाव, दादर और सांताक्रूझ का शुमार हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने पश्चिम रेलवे प्रशासन से रोजाना यात्रा करनेवाले यात्री, कुल आय और स्टेशन स्तर पर यात्री संख्या की जानकारी मांगी थी। पश्चिम रेलवे के मंडल वाणिज्य व्यवस्थापक प्रकाश चंद्रपाल ने अनिल गलगली को बताया गया कि चर्चगेट से डहाणु रोड तक 36 रेलवे स्टेशन के बीच दौड़नेवाली पश्चिम रेेलवे की कुल आय रु 1,99,46,652/- इतनी है और रोजाना यात्रियों की संख्या 35,08,469 इतनी हैं। सबसे अधिक भीड़वाला स्टेशन बोरीवली है जहां से रोजाना 2,87,196 अपने यात्रा का प्रारंभ करते हैं। उसके बाद अंधेरी (2,56,771), नालासोपारा (2,02,903), विरार (1,83,456), भायंदर (1,76,844), मालाड (1,72,656), कांदिवली (1,70,747), गोरेगाव (1,56,394), दादर (1,48,583), सांताक्रूज (146,988),बांद्रा (1,43,675), वसई रोड (1,31,838), चर्चगेट (1,24,521), मीरा रोड (1,17,747), जोगेश्वरी (1,04,217)आती हैं। वही सबसे कम भीड़ वाले रेलवे स्टेशन में उमरोली है जहां से सिर्फ 355 यात्री यात्रा करते हैं। उसके बाद वैतरणा (2565), वनगाव (5982), केलवे रोड(5591) ऐसा नंबर लगता हैं। पश्चिम रेलवे की रोजाना आय रु 1,99,46,652/- इतनी है यहां पर भी बोरीवली ने पहला क्रमांक हासिल किया हैं। बोरीवली ( 16,86,591),अंधेरी (14,88,845), नालासोपारा (13,52,587), विरार (13,33,733), भायंदर (9,95,121), वसई रोड (9,34,007), मालाड (9,30,898), कांदिवली (9,29,175), दादर (8,90,606), गोरेगाव (8,39,617), बांद्रा (7,55,846), चर्चगेट (7,43,275) ऐसी आय आती हैं। वही सबसे कम आय के रेलवे स्टेशन में उमरोली है जिसकी आय महज रु 4930/- हैं। उसके बाद वैतरणा (10,749), केलवे रोड(31,501) वनगाव (40,343) का नंबर आता हैं। रोजाना कितनी ट्रेन ट्रिप यात्रियों की सेवा में है इसकी जानकारी मांगने पर अनिल गलगली को बताया गया कि रोजाना चलनेवाली ट्रेन की जानकारी पब्लिक टाइम टेबल में प्रकाशित की जाती है जो रेलवे बुक स्टाल से प्राप्त करे। वर्तमान में पश्चिम रेलवे की सेवा में 84 रेकस है और 1305 ट्रेन ट्रिप यह जनता की सेवा में हैं। विशेष ट्रेन की जानकारी इकठ्ठा उपलब्ध नही हैं। यानी रोजाना एक ट्रेन से 2689 इतने यात्री यात्रा करते हैं। अनिल गलगली के अनुसार ट्रेन ट्रिप की संख्या यात्रियों की तुलना में काफी कम है जिसके बढाने की जरुरत है जिससे यात्री दुर्घटना की संख्या में कमी आएगी और दुर्घटनामुक्त पश्चिम रेलवे होगी।

पश्चिम रेल्वेत सर्वाधिक गर्दीचे स्थानक बोरीवली

चर्चगेट पासून डहाणु रोड पर्यंत 36 रेल्वे स्थानकात धावणा-या पश्चिम रेल्वेत सर्वाधिक गर्दीचे रेल्वे स्थानकात बोरिवली असून दररोज 2,87,196 प्रवाशी प्रवास करतात तर कमाईत सुद्धा बोरिवली स्थानक असून रु 16,86,591/- उत्पन्न असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस पश्चिम रेल्वे प्रशासनाने दिली आहे. दररोज 35,08,469 प्रवाश्यांचा भार सोसणा-या पश्चिम रेल्वेचे उत्पन्न रु 1,99,46,652/- इतके आहे. गर्दीच्या टॉप 10 मध्ये बोरीवली,अंधेरी, नालासोपारा, विरार, भायंदर, मालाड, कांदिवली, गोरेगाव, दादर आणि सांताक्रूझ यांचा समावेश आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पश्चिम रेल्वे प्रशासनाकडे दररोज प्रवास करणारे प्रवाशी, एकुण उत्पन्न आणि स्थानक स्तरावर प्रवाशी संख्या याची माहिती विचारली होती. पश्चिम रेल्वेचे मंडळ वाणिज्य प्रबंधक प्रकाश चंद्रपाल यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की चर्चगेट पासून डहाणु रोड पर्यंत 36 रेल्वे स्थानकात धावणा-या पश्चिम रेल्वेचे एकूण उत्पन्न रु 1,99,46,652/- इतके असून दररोज प्रवाशांची संख्या 35,08,469 इतकी आहे. सर्वाधिक गर्दीचे स्थानक बोरीवली असून येथून दररोज 2,87,196 प्रवाशी आपल्या प्रवासाची सुरुवात करतात. त्यानंतर अंधेरी (2,56,771), नालासोपारा (2,02,903), विरार (1,83,456), भायंदर (1,76,844), मालाड (1,72,656), कांदिवली (1,70,747), गोरेगाव (1,56,394), दादर (1,48,583), सांताक्रूझ (146,988),बांद्रा (1,43,675), वसई रोड (1,31,838), चर्चगेट (1,24,521), मीरा रोड (1,17,747), जोगेश्वरी (1,04,217) अशी क्रमवारी आहे. तर सर्वाधिक कमी गर्दीच्या रेल्वे स्थानकात उमरोली असून फक्त 355 प्रवाशी प्रवास करतात. त्यानंतर वैतरणा (2565), वनगाव (5982), केलवे रोड(5591) असा नंबर लागतो. पश्चिम रेल्वेचे उत्पन्न दररोज 1,99,46,652/- इतके असून येथेही बोरीवलीने प्रथम क्रमांक पटकविला आहे. बोरीवली ( 16,86,591),अंधेरी (14,88,845), नालासोपारा (13,52,587), विरार (13,33,733), भायंदर (9,95,121), वसई रोड (9,34,007), मालाड (9,30,898), कांदिवली (9,29,175), दादर (8,90,606), गोरेगाव (8,39,617), बांद्रा (7,55,846), चर्चगेट (7,43,275) अशी उत्पन्नाची क्रमवारी आहे. तर सर्वाधिक कमी उत्पन्नाच्या रेल्वे स्थानकात उमरोली असून उत्पन्न रु 4930/- आहे त्यानंतर वैतरणा (10,749), केलवे रोड(31,501) वनगाव (40,343) असा नंबर लागतो. दररोज किती ट्रेन ट्रिप प्रवाश्यांच्या सेवेत असतात याबाबत अनिल गलगली यांस कळविले आले की दररोजच्या ट्रेनची माहिती पब्लिक टाइम टेबलमध्ये प्रकाशित केली जात असून रेल्वे बुक स्टाल येथून ती घ्यावी. सद्या पश्चिम रेल्वेच्या सेवेत 84 रेकस असून 1305 ट्रेन ट्रिप या जनतेच्या सेवेत असतात. विशेष ट्रेनची माहिती सामग्री पातळीवर उपलब्ध नाही. म्हणजे दररोज एका ट्रेनमधून 2689 इतके प्रवाशी प्रवास करतात. अनिल गलगली यांच्या मते ट्रेन ट्रिपची संख्या प्रवाश्यांच्या तुलनेत कमी असून ती वाढविण्याची आवश्यकता आहे यामुळे प्रवाशी दुर्घटनेच्या संख्येत घट होईल आणि दुर्घटनेमुक्त पश्चिम रेल्वे होईल.

Borivali is the most crowded station in the Western Line of Mumbai Train

In all of the 36 stations on the Western route of Local railway of the Mumbai city, Borivali remains at the top in terms of the number of passenger's travelling to and from the station and thus generating highest revenue everyday for the Western route. A total 2,87,196 people board everyday generating Rs 16,86,591/- everyday. This information was given by the Western Railway department to RTI activist Anil Galgali. 35,08,469 passenger's board everyday Western line of Mumbai Local & everyday generating Rs. 1,99,46,652/- everyday. Borivali, Andheri, Nalasopara, Virar, Bhayander, kandivali , Goregaon, Dadar and Santacruz are the top 10 most crowded stations on the Western Line of Mumbai Local. RTI activist Anil Galgali had sought information from the Western Railway administration about the total number of people travelling everyday by the local train, thus income generated and total number of people boarding station-wise. Commercial officer of the Western Railway Shri Prakash Chandrapal in reply Galgali to this RTI query said that in all the 36 stations right from Churchgate to Dahanu the total income generated is Rs. 1,99,46,652 and a total of 35,08,469 people use our facility to travel. Borivali has the highest number of people using local facility i.e. 2,87,196 which is followed by Andheri (2,56,771), Nalasopara (2,02,903), Virar (1,89,456), Bhayander (1,76,844), Malad (1,72,656) Kandivali (1,70,747), Virar (1,56,394) Santacruz (146,988), Bandra (1,43,675), Vasai Road (1,31,838), Churchgate (1,24,521), Mira Road (1,17,747), Jogeshwari (1,04,217). The least number of people are travelling from a sation called Umroli; only 355 passengers everyday travel from Umroli followed by Vaitarna (2565), Vangaon (5982) and Kelve Road (5591) A total of Rs. 1,99,46,652 is generated in terms of income on the Western Railway Line. Borivali tops the chart here as well. Borivali (16,86,591), Andheri (14,88,845), Nalasopara (13,52,587), Virar (13,33,733), Bhayandar (9,95,121), Vasai Road (9,34,007), Malad (9,30,898), Kandivli (9,29,175), Dadra (8,90,606), Goregaon (8,39,617), Bandra (7,55,846), Churchgate (7,43,275) is the sort of income. In most of the low-income stations, umroli railway station earnings is Rs 4930 / - followed by Vaitarana (10,749), kelave Road (31,501) Vangaon (40,343) Anil Galgali was keen on knowing information as to how many train trips were organised per day to meet needs of so many commuters, to which in its reply Western railway said that the said information i.e the railway Time Table is published everyday it is available at the Railway Book Stall. But as on today, there are total 84 racks that are put in use and a total of 1305 train trips are made. Special trains cannot be made available. Approx one train comprises of 2689 passengers. Anil Galgali feels that the the train trips are very less in comparison to the passengers travelling everyday on the western line. He feels if the train trips are increased, the chances of accidents of passengers will reduce drastically.