Monday 29 May 2017

बंगला रिक्त करने को लेकर स्वाधीन क्षत्रिय और सुमित मलिक में हुआ विवाद

सेवानिवृत्त होते ही 15 दिन में मुख्य सचिव के लिए आरक्षित अ-10 शासकीय बंगला रिक्त करने के सरकारी निर्णय को नजरअंदाज कर स्वाधीन क्षत्रिय ने की हुई मनमानी पर शिकंजा कसने का स्वयं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को करना पड़ा था। जबकि इस पूरे मामले में क्षत्रिय को शर्मिंदा होने पड़ा था क्योंकि सुमित मलिक ने स्पष्ट किया था कि मुख्य सेवा गारंटी आयुक्त यह पद मुख्य सूचना आयुक्त के समान हैं और सुप्रीम कोर्ट के जज के समान दर्जा होने का क्षत्रिय का दावा साफ गलत होने के पत्र पर फटकार लगाई और मुख्यमंत्री के आदेश से और 1 महिना बंगले में रहने का सपना चूर हुआ। बंगला रिक्त करने को लेकर स्वाधीन क्षत्रिय और सुमित मलिक में हुआ विवाद की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी गई जानकारी से सामने आई हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सर्वप्रथम स्वाधीन क्षत्रिय का लालच सामने लाते हुए सरकारी जमिन पर बनी सहूलियत वाली बिल्डिंग में 2 फ्लैट का 20 लाख रुपए का किराया क्षत्रिय कमाने की जानकारी को उजागर किया।  सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव शिवदास धुळे ने गलगली को दिए दस्तावेज में  क्षत्रिय का लालच सामने आया हैं। सेवानिवृत्ती के बाद मुख्य सेवा गारंटी आयुक्त पद पर नियुक्त हुए क्षत्रिय को सुरुची में फ्लैट वितरित किया गया लेकिन उन्हें सारंग में 2 फ्लैट की आस थी।  सारंग इस बिल्डिंग में सभी जज रहने से इसके पूर्व जिन 2 मंत्रियों को फ्लैट दिए गए थे उनकी कालावधि खत्म होने के बाद इसे भी जज को देने का निर्णय लिया गया। 

मुख्य सेवा गारंटी आयुक्त इस पद के लायक निवासस्थान वितरित करने तक अ-10 बंगले में रहने की अनुमति मांगी थी। सारंग में फ्लैट उपलब्ध न होने पर अन्य स्थान पर 2 फ्लैट देने की मांग भी की थी। क्षत्रिय के इस बचपने की क्लास लेते हुए सुमित मलिक ने  2 पन्ने वाले पत्र में स्पष्ट किया हैं कि सुप्रीम कोर्ट के जज की हैसियत होने का स्वाधीन क्षत्रिय का दावा साफ़ गलत हैं और 2 फ्लैट की मांग अयोग्य और अस्वीकार्य हैं, इसलिए अंबर में एक फ्लैट वितरित कर मुख्य सचिव के लिए आरक्षित बंगला छोड़े क्योंकि इसके पहले ही  15 दिन की डेडलाइन समाप्त हो चुकी हैं। मलिक की फटकार के बाद क्षत्रिय ने उनसे बरते बर्ताव पर नाराजगी जताते हुए अंबर में विधानपरिषद सभापती द्वारा रिक्त किया 2 फ्लैट ( फ्लैट क्रमांक 20 आणि 21 ) मांगने की हिम्मत जुटाई। 

31 मार्च 2017 को अंबर-22 निवासस्थान कक वितरण करने के बाद 15 अप्रैल 2017 तक बंगला रिक्त करने का आदेश जारी तो हुआ लेकिन क्षत्रिय ने चालाकी दिखाते हुए मरम्मत के नाम पर 2 महीने का एक्सेंटशन  मांगा था। मुख्यमंत्री ने वर्तमान मुख्य सचिव को भी निवास की जरुरत होने की बात स्पष्ट करते हुए 15 जून 2017 के बजाय 15 मई 2017 तक एक्सेंटशन दिया।  मुख्य सचिव की फटकार और मुख्यमंत्री के हस्तपेक्ष से स्वाधीन क्षत्रिय को बंगला छोड़ना पड़ा। स्वाधीन क्षत्रिय ने सरकारी निर्णय को नजरअंदाज कर 15 दिन में बंगला रिक्त करने के बजाय अतिरिक्त 61 दिन बंगला अपने कब्जे में रखा। सरकारी निर्णय और नियम को उल्लंघन करनेवाले ऐसे मुख्य सेवा गारंटी आयुक्त राज्य की जनता को सेवा की गारंटी कैसे देगी? इसपर अनिल गलगली ने संदेह व्यक्त किया। बंगला कब्जे को लेकर वर्तमान औऱ भूतपूर्व मुख्य सचिव में हुए विवाद से स्वाधीन क्षत्रिय को लालचीपणा उजागर हुआ हैं।  

बंगला खाली करण्यावरुन स्वाधीन क्षत्रिय आणि सुमित मलिक यांच्यात कलगीतुरा 

सेवानिवृत्त होताच 15 दिवसांत मुख्य सचिवांसाठी राखीव असलेला अ-10 शासकीय बंगला रिक्त करण्याच्या शासकीय निर्णयास हरताळ फासत स्वाधीन क्षत्रिय यांनी दाखविलेल्या मुजोरीस वेसण घालण्याचे काम दस्तुरखुद्द मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनाच करावे लागले. या सर्व प्रकरणात क्षत्रिय यांची नाचक्की झाली असून सुमित मलिक यांनी स्पष्ट केले की मुख्य सेवा हमी आयुक्त हे पद मुख्य माहिती आयुक्त समान असून सर्वोच्च न्यायालयाच्या न्यायाधीशाचा समान दर्जा असल्याचा क्षत्रियांचा दावा साफ चुकीचा असल्याचे चांगलेच ठणकाविले आणि मुख्यमंत्र्याच्या आदेशामुळे आणखी 1 महिना बंगल्यात राहण्याचे स्वप्न भंगले. बंगला खाली करण्यावरुन स्वाधीन क्षत्रिय आणि सुमित मलिक यांच्यात झालेला कलगीतुरा आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिलेल्या कागदपत्रावरुन समोर आला आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी सर्वप्रथम स्वाधीन क्षत्रियांचा लोभीपणा समोर आणला असून शासकीय जमिनीवर बांधलेल्या सवलतीच्या इमारतीतील 2 सदनिका असणाऱ्या क्षत्रिय 20 लाख रुपये भाडे कमवित आहे. सामान्य प्रशासन विभागातील अवर सचिव शिवदास धुळे यांनी गलगली यांस दिलेल्या कागदपत्रात क्षत्रियांचा लोभीपणा उघड झाला आहे. सेवानिवृत्तीनंतर मुख्य सेवा हमी आयुक्त पदी नियुक्त झालेल्या क्षत्रियांस सुरुची येथे सदनिका वितरित करण्यात आली पण त्यांस सारंग येथे 2 सदनिकेची हाव होती. सारंग या इमारतीत सर्व न्यायाधीश राहत असून ज्या 2 मंत्र्यांस आधीच वाटप झाले आहे त्यांची मुदत संपल्यानंतर त्या सदनिका सुद्धा न्यायाधीशास देण्याचे शासनाने यापूर्वीच निश्चित केले आहे. 

मुख्य सेवा हमी आयुक्त या पदास सुयोग्य निवासस्थानाचे वाटप करेपर्यंत अ-10 बंगल्यात राहण्याची परवानगी मागितली. सारंग येथे सदनिका उपलब्ध नसल्यास, अन्य ठिकाणी किमान दोन सदनिकेची मागणीही होती. क्षत्रियांच्या या बालिशपणाचा समाचार घेत सुमित मलिक यांनी लिहिलेल्या 2 पानाच्या पत्रात स्पष्ट केले की सर्वोच्च न्यायालयाच्या न्यायाधीशाचा समान दर्जा असल्याचा स्वाधीन क्षत्रियांचा दावा साफ चुकीचा आहे आणि 2 सदनिकेची मागणी अयोग्य आणि अस्वीकार्य आहे, म्हणून अंबर येथे एक सदनिका वितरित करत मुख्य सचिवांसाठी राखीव घर सोडावे कारण त्यांनी यापूर्वीच 15 दिवसांचा डेडलाइन ओलांडली आहे. मलिक यांच्या कानउघाडणी नंतर क्षत्रिय यांनी त्यांस दिल्या जाणाऱ्या वागणूकीवर नाराजगी व्यक्त करत अंबर येथे विधानपरिषद सभापतीनी रिक्त केलेल्या 2 सदनिकेची ( सदनिका क्रमांक 20 आणि 21 )  मागण्याची हिंमत दाखविली.

31 मार्च 2017 ला अंबर-22 निवासस्थानाचे वाटप केल्यानंतर 15 एप्रिल 2017 पर्यंत बंगला रिक्त करण्याचे आदेश जारी झाले पण क्षत्रिय यांनी चालाखी करत दुरुस्तीच्या नावावर 2 महिन्याची मागितलेल्या मुदतवाढीवर मुख्यमंत्र्यांनी विद्यमान मुख्य सचिवास सुद्धा निवासाची गरज असल्याचे स्पष्ट करत 15 जून 2017 ऐवजी 15 मे 2017 पर्यंत मुदतवाढ दिली. मुख्य सचिव यांनी केलेली कानउघाडणी आणि मुख्यमंत्र्यांच्या हस्तपेक्षाने स्वाधीन क्षत्रिय यांस बंगला सोडावा लागला. स्वाधीन क्षत्रिय यांनी शासकीय निर्णयास न जुमानता 15 दिवसात बंगला रिक्त न करता अतिरिक्त 61 दिवस बंगला आपल्याकडे ठेवला. शासकीय निर्णय आणि नियमांची पायमल्ली करणारे असे मुख्य सेवा हमी आयुक्त राज्यातील जनतेस सेवेची कसली हमी देतील? याबाबत साशंकता असल्याची बाब अनिल गलगली यांनी खेदाने नमूद केली. बंगल्याच्या प्रकरणामुळे आजी आणि माजी मुख्य सचिवांमध्ये झालेला कलगीतुरा यामुळे स्वाधीन क्षत्रियांचा लोभीपणा उघड झाला आहे.

Monday 22 May 2017

Any one get Mumbai University Convocation Hall for a Haldi-Kunku & Satyanarayan pooja

The Vice Chancellor of University of Mumbai Dr Sanjay Deshmukh cannot keep himself out of controversies. He's at it again, Deshmukh has been lending the historical monument of Convocation Hall for Company Annual Meets, Haldi-Kunku Ceremony and even Satyanarayan pooja. Quite a few of these have been given out completely free, As per his whims & fancies, RTI Anil Galgali found out.

Anil Galgali's  RTI inquiry revealed, During last 16 months the Convocation Hall has been given out on 61 occasions. 23 times out these completely free, Without charging a single penny.On each of these events, The Vice Chancellor used his special powers to completely waive off the rental charges.

Even in the 38 occasions, When rent was charged no fee structure or uniformity was seen. With different charges, varying from event to event. The convocation hall was given free to a few departments of the University, While others had to pay for use of their own resource. Among the people who were doled out the Roman Gothic architectural marvel hall for free included- Observer Research Foundation, Zee 24 Tass, Sydhenham Institute, Snehalay, Water Conservation Minister Girish Mahajan, Satish Naik, Jamanalal Bajaj Institute, All India Council for Technical Education & Social Welfare Department.

During 21 August 2015 to 20 December 2016 , Mumbai University permit 38 Program out of 61. During these 16 months, Total rent of Rs 10,82,150/- was collected as rent from Convocation Hall. Barely managing to cover Rs 70,000/- expenses per month required for upkeep of the Hall. Rs 37,850 loss face by Mumbai University during last 16 Months.  

Anil Galgali has written to the Governor of Maharashtra, Who is also the Chancellor of the University, requesting him to formulate proper rules for giving out the convocation hall to outside parties. Rather than relying on whims & fancies of an individual, this rent should be decided after comparison with other halls in the vicinity. Even when this hall is given out for social & administrative purposes, Electricity & cleanliness fee must be charged, Galgali suggested. 

मुंबई विद्यापीठ के दीक्षांत हॉल में हलदी कुंकू कार्यक्रम और श्री सत्यनारायण की पूजा

मुंबई विद्यापीठ में स्थित दीक्षांत हॉल का आकर्षण और प्रतिष्ठा अलग होने से कार्यक्रम की शोभा वृद्धिगंत करने के लिए यहीं पर ही कार्यक्रम आयोजित करने का हर एक प्रयास रहता हैं। मुंबई विद्यापीठ के वर्तमान वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख की झक्कीयत से दीक्षांत सभागृह को घाटा हो रहा हैं। किराए पर देने की प्रक्रिया में गड़बड़ी होने से गत 16 महीने में 61 आयोजन में से 23 बार दीक्षांत सभागृह निःशुल्क वितरित करने से आर्थिक घाटा मुंबई विद्यापीठ को होने की सनसनीखेज जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई विद्यापीठ ने उपलब्ध कराए दस्तावेजों से हो रही हैं। हलदी कुंकू कार्यक्रम, वार्षिक बैठक और श्री सत्यनारायण की पूजा भी दीक्षांत सभागृह में किराया लिए बिना ही करने की अनुमति डॉ संजय देशमुख ने दी हैं। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई विद्यापीठ द्वारा दीक्षांत सभागृह कार्यक्रम के लिए हेतु किया वितरण और सभागृह के रखरखाव पर होनेवाले खर्च की जानकारी मांगी थी। डॉ संजय देशमुख ने वाईस चांसलर बनने के बाद पद 16 महीने में 61 कार्यक्रम दीक्षांत सभागृह में संपन्न हुए उनमें से 23 कार्यक्रम को देशमुख ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए दीक्षांत सभागृह सीधे निःशुल्क वितरित किया। दीक्षांत सभागृह किसे दे और कितना किराया लिया जाए, इसका कोई भी नियम और दर निश्चिती नहीं होने से आयोजक की साख देखकर 38 में अधिकांश कार्यक्रम से जो किराया लिया गया हैं, वह किराया दीक्षांत सभागृह की उज्वल परंपरा और ऐतिहासिक महत्व के मद्देनजर न के बराबर हैं। 21 अगस्त 2015 से 20 डिसेंबर 2016 इन 16 महीने के दौरान मुंबई विद्यापीठ ने 61 में से सिर्फ 38 कार्यक्रम से किराया लिया हैं और हर कार्यक्रम को मनचाहा किराया निश्चित किया हैं।  इन 38 कार्यक्रम के लिए आयोजक ने 10 लाख 82 हजार 150 रुपए का शुल्क अदा किया हैं वहीं 23 कार्यक्रम निःशुल्क संपन्न हुए हैं। मुंबई विद्यापीठ के कुछ ही विभाग को छोड़ा जाए तो अन्य विभाग इस निःशुल्क सेवा का ही हिस्सा हैं। 

जिन 23 संस्था को दीक्षांत सभागृह निःशुल्क देने का काम किया गया हैं उनमें ऑब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन, झी 24 तास, सिडेनहैम इंस्टिट्यूट, स्नेहालय, जलसंधारण मंत्री डॉ गिरीष महाजन, सतीश नाईक, जमनलाल बजाज इंस्टिट्यूट, ऑल इंडिया कौंसिल फॉर टेक्निकल इंस्टिट्यूट, समाज कल्याण विभाग के साथ मुंबई विद्यापीठ के कुछ ही विभाग के नाम का शुमार हैं।। जिन 38 संस्था को दीक्षांत सभागृह किराए पर दिया गया हैं उनके शुल्क में समानता नहीं हैं। इससे हर एक महीने को 70 हजार रुपए का खर्च का वहन करनेवाला दीक्षांत सभागृह को 16 महीने में 10 लाख 82 हजार 150 हजार का किराया प्राप्त हुआ और हुए 11 लाख 20 हजार के खर्च की तुलना करने पर 37,850 रुपए का न्यूनतम आर्थिक नुकसान हुआ हैं।

संजय देशमुख की झक्कीयत को दोष देते हुई मुंबई विद्यापीठ के चांसलर और राज्यपाल को लिखित पत्र भेजकर मांग की हैं कि सर्वप्रथम दीक्षांत सभागृह किसी कार्यक्रम को देने के लिए नियम बनाने के साथ आसपास के फोर्ट क्षेत्र में सभागृह के लिए लिया जानेवाला किराया का अध्ययन कर किराया निश्चित हो और सामाजिक कार्यक्रम तथा समाज प्रबोधन के लिए सीधे सिरे से सभागृह निःशुल्क देने के बजाय कमसे कम बिजली और अन्य सुविधा का शुल्क लिया जाए ताकि  मुंबई विद्यापीठ को आर्थिक घाटे का सामना नहीं करना पड़े, ऐसी मांग आखिर में गलगली ने की हैं।

मुंबई विद्यापीठातील दीक्षांत सभागृहात चक्क हळदी कुंकू कार्यक्रम आणि श्री सत्यनारायणाची पूजा

मुंबई विद्यापीठात असलेले दीक्षांत सभागृहाचा नावलौकिक आणि प्रतिष्ठा आगळीवेगळी असल्यामुळे कार्यक्रमाची शोभा वृद्धिगंत करण्यासाठी येथेच कार्यक्रम करण्याचा प्रत्येकांचा प्रयत्न असतो. मुंबई विद्यापीठाचे विद्यमान कुलगुरु डॉ संजय देशमुख यांच्या लहरी स्वभावाचा फटका दीक्षांत सभागृह बसला असून भाडयाने देण्याच्या प्रक्रियेत मोठा घोळ तर आहेच तर गेल्या 16 महिन्यात 61 आयोजनापैकी 23 वेळा दीक्षांत सभागृह निःशुल्क वितरित केल्यामुळे आर्थिक फटका मुंबई विद्यापीठास सोसावा लागल्याची धक्कादायक माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई विद्यापीठाने उपलब्ध करुन दिलेल्या कागदपत्रांवरुन होत आहे. हळदी कुंकू कार्यक्रम, वार्षिक बैठक आणि श्री सत्यनारायणाची पूजा सुद्धा दीक्षांत सभागृहात भाडेरहित करण्यास डॉ संजय देशमुख यांनी परवानगी दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई विद्यापीठाने दीक्षांत सभागृह कार्यक्रमासाठी वितरण आणि सभागृहाच्या परिरक्षणावर होणा-या खर्चाची माहिती मागितली होती. डॉ संजय देशमुख यांनी कुलगुरु पद स्वीकारताच  17 महिन्यात 61 कार्यक्रम दीक्षांत सभागृहात संपन्न झाले. यापैकी 23 कार्यक्रमास कुलगुरु या अधिकाराचा वापर करत डॉ संजय देशमुख यांनी दीक्षांत सभागृह चक्क निःशुल्क दिले. दीक्षांत सभागृह कोणास दयावे आणि किती भाडे आकारावे, याचा कोणताही नियम आणि दर निश्चिती नसल्यामुळे आयोजकाचे व्यक्तित्व पाहत 38 पैकी निम्म्याहून अधिक कार्यक्रमास जे भाडे आकारले ते भाडे दीक्षांत सभागृहाची उज्वल परंपरा आणि ऐतिहासिक महत्व लक्षात घेता नगण्य ठरत आहे. 21 ऑगस्ट 2015 पासून 20 डिसेंबर 2016 या 16 महिन्याच्या कालावधीत मुंबई विद्यापीठाने 61 पैकी फक्त 38 कार्यक्रमास भाडे आकारले असले तरी सर्व कार्यक्रमास वेगवेगळा दर आकारला आहे. या कार्यक्रमासाठी आयोजकांनी 10 लाख 82 हजार 150 रुपये शुल्क अदा केले आहे तर 23 कार्यक्रम निःशुल्क संपन्न झाले आहेत. मुंबई विद्यापीठाच्या ठराविक विभागाचा अपवाद वगळता अन्य विभागास भाडे आकारले आहे.

ज्या 23 संस्थेस दीक्षांत सभागृह निःशुल्क देण्याचे काम करण्यात आले आहे त्यात ऑब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन, झी 24 तास, सिडेनहैम इंस्टिट्यूट, स्नेहालय, जलसंधारण मंत्री डॉ गिरीष महाजन, सतीश नाईक, जमनलाल बजाज इंस्टिट्यूट, ऑल इंडिया कौंसिल फॉर टेक्निकल इंस्टिट्यूट, समाज कल्याण विभाग के साथ मुंबई विद्यापीठाच्या काही विभागास निःशुल्क दिले.  ज्या 38 संस्थेस दीक्षांत सभागृह भाड्याने दिले त्या शुल्कात कोणताही तारतम्य नाही. यामुळे प्रति महिन्यास 70 हजार रुपयांचा खर्च असलेल्या दीक्षांत सभागृहास 16 महिन्यात 10 लाख 82 हजार 150 हजारांचे भाडे प्राप्त झाले आणि झालेल्या 11 लाख 20 हजाराच्या खर्चाची तुलना केली असता 37,850 रुपयांचे नुकसान झाले आहे. 

अनिल गलगली यांनी डॉ संजय देशमुख यांच्या लहरीपणास दोष देत मुंबई विद्यापीठाचे कुलपती असलेले राज्यपाल यांस लेखी पत्र पाठवून मागणी केली आहे की सर्वप्रथम दीक्षांत सभागृह देण्याचे नियम बनविताना आजूबाजूच्या फोर्ट परिसरात सभागृहासाठी आकारले जाणा-या शुल्काचा अभ्यास करत भाडे निश्चिती करावी आणि काही सामाजिक कार्यक्रम किंवा समाज प्रबोधनासाठी सरसकट सभागृह निःशुल्क न देता कमीत कमी वीज आणि अन्य सुविधांचे शुल्क आकारावे जेणेकरुन मुंबई विद्यापीठास आर्थिक तोटा सोसावा लागणार नाही, अशी मागणी सरतेशेवटी गलगली यांनी केली आहे.

Thursday 18 May 2017

Even after the Bmc Paid 540 crores, the Mumbai's Collector sit on 166 proposals of land Acquisition

Brihan Mumbai Corporation has not been able to commence work on more than 166 Reservation land , Due undue delay in Acquisition of land by the Collector office in Mumbai. This shocking state of affairs has come to light through an RTI inquiry by RTI Activist Anil Galgali. A total number of 166 proposals of land acquisition sent by BMC are pending with the Collector after paid a whooping amount of Rs 539,75,16,990/- for Acquisition of 7,59,027.43 square feet of land.  Important projects of developing School, Playgrounds, Gardens, Roads, Markets and Parking lots in Mumbai City & Suburbs have been hit by lacdasical attitude of Collector office functioning under Government of Maharashtra.

Anil Galgali ask the information related pending Acquisition Proposal which was send by BMC to Collector.  In fact, BMC had paid a whooping amount of Rs 539,75,16,990/- for Acquisition of 7,59,027.43 square feet of land. This being half the cost of Acquisition, As stipulated under law to begin the process of acquisition. Information collected from replies received from various Public Information Officers revealed.

Anil Galgali had initially sought information on two major Road Acquisition in jurisdiction of Kurla L ward. First pertaining to Lathia Rubber Road in Sakinaka, That crosses the Mithi River connecting it to Mumbai Airport. The second one was extention of Liyaquat Ali Road, That is likely to cut down travel time between Kurla station and Bandra-Kurla complex by half. Galgali realised that the main role of Collector who is sitting on acquisition proceedings of major projects all over Mumbai. A record number of 21 acquisition proposals of Andheri K-West ward are pending with the Collector. The details of wardwise projects lying with the collector are as follows-  A-Ward 8, B-Ward 1, C-Ward 3, D-Ward 11, E-Ward 13, F-South Ward 2, F-North 1, G-South 2, G-North 2, H-West 2, H-East 4, K-East 10, P-South 9, P-North 12, R-South 4, R-Central 9, R-North 20, L Ward 5, M-East 8, N Ward 4, S Ward 7 & T-Ward 8.

Anil Galgali has written to Chief Minister Devendra Fadnavis seeking his intervention for immediate completion of projects. Collector office should be instructed to complete acquisition proceedings on war footing, Galgali demanded.

पालिकेने 540 कोटीं अदा केल्यानंतरही भूसंपादनाचे 166 प्रस्ताव जिल्हाधिका-यांनी लटकवले

मुंबई शहरातील विविध आरक्षणाचा विकास करण्यासाठी जमीन भूसंपादन जिल्हाधिकारी तर्फे केले जाते. कित्येक वर्षापासून भूसंपादनाचे तब्बल 166 प्रस्ताव जिल्हाधिका-यांनी अक्षरशः लटकवले असून मुंबई महानगरपालिकेने 540 कोटी अदा केल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई महानगरपालिकेने दिली आहे. या प्रस्तावात शाळा, मनोरंजन मैदान, खेळाचे मैदान, डीपी रोड, मार्केट, पार्किंग लॉट सारखे महत्त्वाचे विकास कामे रखडलेली आहेत.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मुंबई महानगरपालिकेच्या विकास नियोजन खात्यास भूसंपादनाबाबत जिल्हाधिका-यांकडे प्रलंबित प्रस्तावाची माहिती मागितली होती. विकास नियोजनाच्या विविध जन माहिती अधिकारी यांनी दिलेल्या माहितीनुसार 166 भूसंपादनाचे प्रस्ताव मुंबई आणि मुंबई उपनगर जिल्हाधिकारी यांसकडे प्रलंबित असल्याची धक्कादायक माहिती समोर आली आहे. 7,59,027.43 वर्ग मीटर इतकी जमीन भूसंपादित करण्याची आवश्यकता आहे. जिल्हाधिकारी कार्यालयाने जमिनीची निश्चित केलेल्या किंमतीच्या 50 टक्के रक्कम पालिकेने अदा केली असून ती तब्बल 539 कोटी 75 लाख 16 हजार 990 इतकी आहे. 

अनिल गलगली हे कुर्ला एल वॉर्डातील रस्त्यांच्या विकास कामासाठी पालिकेकडे सातत्याने पाठपुरावा करत असताना त्यांच्या लक्षात आले की जिल्हाधिका-यांकडून होणाऱ्या चालढकल वृत्तीमुळे आरक्षण असलेल्या जमिनीचा विकास होत नाही. गलगली हे साकीनाका येथील लाठीया रबर मार्ग जो मीठी नदी ओलांडत एअरपोर्टला जोडतो आणि कुर्ला स्टेशन आणि बीकेसीला जोडणा-यां लियाकत अली मार्ग विकसित करण्यासाठी प्रयत्न करत आहे. नेमके घोडे कोठे अडले आहे, याची माहिती घेण्यासाठी जेव्हा गलगली यांनी प्रयत्न केला तेव्हा जिल्हाधिका-यांचा रोल लक्षात आला. आजच्या घडीला ज्या वॉर्डात असे प्रस्ताव वर्षानुवर्षे प्रलंबित आहेत त्यात सर्वाधिक प्रस्ताव हे अंधेरी पश्चिम येथील के वेस्ट वॉर्डात असून त्याची संख्या 21 आहे. त्यानंतर 8 ए वॉर्ड, 1 बी वॉर्ड,  3 सी वॉर्ड,  11 डी वॉर्ड,  13 ई वॉर्ड, 2 एफ साऊथ वॉर्ड, 1 एफ नॉर्थ वॉर्ड, 2 जी साऊथ वॉर्ड,  2 जी नॉर्थ वॉर्ड, 2 एच वेस्ट वॉर्ड,  4 एच ईस्ट वॉर्ड,  10 के ईस्ट वॉर्ड,  9 पी साऊथ वॉर्ड, 12 पी नॉर्थ वॉर्ड,  4 आर साऊथ वॉर्ड,  9 आर सेंट्रल वॉर्ड,  20 आर नॉर्थ वॉर्ड,  5 एल वॉर्ड, 8 एम ईस्ट वॉर्ड,  4 एन वॉर्ड, 7 एस वॉर्ड आणि 8 टी वॉर्ड अशी क्रमवारी आहे.

अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पत्र पाठवून मागणी केली आहे की मुंबईचा विकास खऱ्या अर्थाने करण्यासाठी जे विविध आरक्षण प्रस्तावित आहे त्याचा विकास युद्धपातळीवर करणे गरजेचे असून जिल्हाधिका-यांस भूसंपादन प्रक्रिया तत्काळ करण्याचे आदेश द्यावेत.

मनपा ने 540 करोड़ अदा करने के बाद भी भूसंपादन के 166 प्रस्ताव जिलाधिकारी ने लटकाए

मुंबई शहर के विभिन्न आरक्षण का विकास करने के लिए जमीन का भूसंपादन जिल्हाधिकारी द्वारा किया जाता हैं।  कई वर्षों से भूसंपादन के करीब 166 प्रस्ताव जिलाधिकारी ने लटकाए हैं जबकि मुंबई महानगरपालिका ने 540 करोड़ अदा करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई महानगरपालिका ने दी हैं। इन प्रस्ताव में स्कूल,  मनोरंजन मैदान, खेल कूद का मैदान, डीपी रोड, मार्केट, पार्किंग लॉट जैसे महत्वपूर्ण विकास काम रखड़े हुए हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई महानगरपालिका के विकास नियोजन विभाग से भूसंपादन को लेकर जिलाधिकारी के पास प्रलंबित प्रस्ताव की जानकारी मांगी थी। विकास नियोजन विभाग के विभिन्न जन सूचना अधिकारी ने दी हुई जानकारी के अनुसार 166 भूसंपादन के प्रस्ताव मुंबई और मुंबई उपनगर जिलाधिकारी के पास प्रलंबित होने की चौंकानेवाली जानकारी सामने आई हैं। 7,59,027.43 वर्ग मीटर इतनी जमीन भूसंपादित करने की आवश्यकता हैं। जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा जमिन की तय की हुई किंमत के 50 प्रतिशत रकम मनपा ने अदा की हैं जो तकरीबन  539 करोड़ 75 लाख 16 हजार 990 इतनी हैं।

अनिल गलगली को कुर्ला एल वार्ड स्थित सड़कों के विकास काम के लिए मनपा से जद्दोजहद करने के दौरान पता चला कि जिल्हाधिकारी से होनेवाली लेटलतीफी से आरक्षित जमीन का विकास होता नहीं हैं। गलगली खुद साकीनाका स्थित लाठीया रबर मार्ग जो मीठी नदी को क्रॉस कर एअरपोर्टला से जुड़ता हैं तथा कुर्ला स्टेशन और बीकेसी को जोड़नेवाले लियाकत अली मार्ग को विकसित करने के प्रयास में हैं। किन कारणों से काम रुक रहा हैं, इसकी जानकारी लेने के लिए गलगली ने प्रयास किया तब जिलाधिकारी का रोल ध्यान में आया। वर्तमान में जिन वार्डों में सालों साल से ऐसेे प्रस्ताव प्रलंबित हैं उसमें सबसे अधिक प्रस्ताव अंधेरी पश्चिम स्थित के वेस्ट वार्ड में हैं जिसकी संख्या 21 हैं। उसके बाद 8 ए वॉर्ड, 1 बी वॉर्ड,  3 सी वॉर्ड,  11 डी वॉर्ड,  13 ई वॉर्ड, 2 एफ साऊथ वॉर्ड, 1 एफ नॉर्थ वॉर्ड, 2 जी साऊथ वॉर्ड,  2 जी नॉर्थ वॉर्ड, 2 एच वेस्ट वॉर्ड,  4 एच ईस्ट वॉर्ड,  10 के ईस्ट वॉर्ड,  9 पी साऊथ वॉर्ड, 12 पी नॉर्थ वॉर्ड,  4 आर साऊथ वॉर्ड,  9 आर सेंट्रल वॉर्ड,  20 आर नॉर्थ वॉर्ड,  5 एल वॉर्ड, 8 एम ईस्ट वॉर्ड,  4 एन वॉर्ड, 7 एस वॉर्ड और 8 टी वॉर्ड ऐसी संख्या हैं।

अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर मांग की हैं कि मुंबई का विकास सही मायने में करने के लिए जी विभिन्न आरक्षण प्रस्तावित हैं उसका  विकास युद्ध स्तर पर करने की जरुरत हैं इसके लिए जिलाधिकारियों को भूसंपादन प्रक्रिया तत्काल करने का आदेश दे।

Wednesday 17 May 2017

​ORF organises a roundtable conference on the Draft RTI Rules 2017

Observer Research Foundation Mumbai organized a roundtable on the Draft #RTI Rules 2017 for the Central Information Commission on Wednesday, May 17, 2017 at their office.

The Ministry of Personnel, Public grievances & Pensions released the Draft RTI rules 2017 for suggestions and inputs from various stakeholders. The roundtable was the first city-wide attempt in Mumbai to bring together prominent RTI activist, lawyers, bureaucrats and the media to compile a set of recommendations.

The roundtable was chaired by Mr. Shailesh Gandhi, Former Central Information Commissioner and RTI activist. The panel consisted of prolific bureaucrats like the State Information Commissioner Mr. A.K. Jain and former Chairman, Railway Board #VivekSahai. The panel also included RTI activists such as Bhaskar Prabhu, Anil Galgali and Sandeep Jalan and journalist #PriyankaKakodkar

The Important themes covered in the discussion were
• Better quality and faster disposal of Second Appeals
• Need for comprehensive rules
Problematic and rigid provisions in the Draft Rules
Digitalisation to reduce procedures and burden on applicants
Rule 12 of the Draft Rules, which deals with withdrawal/abatement of appeals 

Speaking on Rule 12, #AKJain, State Information Commissioner, #Maharashtra, said “While withdrawal could be under duress, even if an appeal is withdrawn or the appellant dies, the Information Commission must put up a copy of the order and the information sought on the website of the commission”
He further added that there is no reason why Maharashtra cannot digitise the entire process including appeals, complaints and filing of applications.

Speaking on the need for comprehensive rules,  #ShaileshGandhi, Former Central Information Commissioner, said “Time bound decisions are important and there should be a time limit of 30 days for return of complaints and appeals by the commission”. He also spoke of the need to provide compensation to the aggrieved applicants for non-compliance of the orders of the commission

Speaking on the need for better quality and fast disposal of second appeal Mr #BhaskarPrabhu, RTI activist, said “While there are many restrictions on the applicant in these rules there is no restriction on the commission to finish the appeal in a time bound manner”. Further the burden of servicing a copy of the appeal to the public authority should lie with the commission. This can be done through digitisation of the process.

Speaking on problematic and rigid provisions within these rules Adv. #SandeepJalan said “The word intervener, which does not feature anywhere in the act, has been added to the rules for the first time. This could potentially sabotage proceedings and frustrate appeals.”

Speaking on the impact of the rules on common people #AnilGalgali, RTI activist, said “Rule 15 which allows for a complaint to be converted into a second appeal is a positive step. He also spoke of the need to introduce video conferencing to facilitate easy presence of the appellants during proceedings.

About ORF Mumbai

Observer Research Foundation Mumbai is a multi-disciplinary public policy think-tank engaged in research and policy advocacy on issues concerning governance, international relations, education, health, urban renewal, inclusive and sustainable development, youth development and promotion of India’s cultural and artistic heritage.

Monday 15 May 2017

मध्य और पश्चिम रेलवे की एस्क्लेटर की किंमतों में बड़ा अंतर

रेलवे प्रशासन ने रेल यात्रियों की सुविधाओं के लिए रेलवे स्टेशन पर एस्क्लेटर बिठाने का काम युद्घस्तर पर शुरु किया हैं। लेकिन इन एस्क्लेटर की किंमतों को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी गई  जानकारी चौकानेवाली इसलिए हैं कि मध्य और पश्चिम रेलवे में बिठाए गए एस्क्लेटर की किंमत समान नहीं हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मध्य और पश्चिम रेलवे से जानना चाहा था कि कितने एस्क्लेटर बिठाए गए हैं और उनकी किंमत क्या हैं? मध्य रेलवे के बिजली विभाग के उप प्रमुख बिजली अभियंता नीरज कुमार वर्मा ने जानकारी दी कि मध्य रेलवे के अंर्तगत 14 स्टेशन पर 20 एस्क्लेटर बिठाए गए हैं जिनकी कुल किंमत रुपए 11,90,60,388 हैं। दादर, ठाणे, डोंबिवली, कल्याण स्टेशन पर बिठाए 8 एस्क्लेटर पर 4.35 करोड़ खर्च हुए हैं यानी एक एस्क्लेटर पर रुपए 54,37,500 की लागत हैं। उल्हास नगर, भांडुप, विद्याविहार और भांडुप के 4 एस्क्लेटर पर रुपए 3,09,93,750 खर्च किए हैं यानी एक एस्क्लेटर पर रुपए 77,48,437.5 खर्च हुआ हैं। कांजुर मार्ग स्टेशन के एस्क्लेटर पर रुपए 76,96,000 खर्च हुए हैं। विक्रोली स्टेशन के एस्क्लेटर पर रुपए 72,62,625 खर्च हुए हैं। मुलुंड स्टेशन के एस्क्लेटर पर रुपए 77,45,309 खर्च हुए हैं। नागपूर स्टेशन  के 2 एस्क्लेटर पर रुपए 1,09,32,900 खर्च किए हैं यानी एक एस्क्लेटर पर रुपए रुपए 54,66,450 खर्च हुआ हैं। गुलबर्गा स्टेशन के 2 एस्क्लेटर पर क्रमशः रुपए  54,77,268 और रुपए 54,52,536 खर्च हुआ हैं।


वहीं पश्चिम रेलवे ने 13 स्टेशन पर 34 एस्क्लेटर बिठाए हैं। एक एस्क्लेटर की कीमत लगभग रुपए 72.28 लाख हैं और एक एस्क्लेटर कुल लागत लगभग रुपए 1 करोड़ 8 लाख हैं। अंधेरी में 7, भायंदर में 1, बोरीवली में 5, दादर में 2, विलेपार्ले में 1, गोरेगाव में 6, कांदिवली में 1, वसई रोड में 2, नालासोपारा में 1, सूरत में 2, वडोदरा में 2, रतलाम में 2 और अहमदाबाद में 2 ऐसे कुल 34 एस्क्लेटर बिठाए हैं।

अनिल गलगली ने हर एक स्टेशन पर बिठाए गए एस्क्लेटर की कीमत में बड़ा अंतर में अचरज व्यक्त करते हुए कहा कि मध्य और पश्चिम रेलवे के अंतर्गत एस्क्लेटर का ठेका एक ही कंपनी को दिया जाता तो निश्चित तौर पर पैसे की बचत होती थी। हर स्टेशन पर एस्क्लेटर की बढ़ती कीमत की जांच करने की मांग गलगली ने की हैं।

मध्य आणि पश्चिम रेल्वेत एस्क्लेटर किंमतीत मोठा फरक

रेल्वे प्रशासनाने रेल्वे प्रवासी यांस सुविधा देण्यासाठी रेल्वे स्टेशनवर एस्क्लेटर बसविले आहेत. परंतु या एस्क्लेटरची किंमती बाबत आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस दिलेली माहिती चक्रावून सोडणारी यासाठी आहे कारण मध्य आणि पश्चिम रेल्वेत बसविलेल्या  एस्क्लेटरची किंमत एकसमान नसून त्यात मोठा फरक आहे.

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मध्य आणि पश्चिम रेल्वेकडे माहिती विचारली होती की किती एस्क्लेटर बसविले आहेत आणि त्याची एकूण किंमत किती आहे.  मध्य रेल्वेच्या वीज विभागाचे उप प्रमुख वीज अभियंता नीरज कुमार वर्मा यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की मध्य रेल्वेच्या 14 स्टेशनवर 20 एस्क्लेटर बसविले असून त्याची एकूण किंमत रुपये 11,90,60,388 इतकी आहे. दादर, ठाणे, डोंबिवली, कल्याण स्टेशनवर बसविलेले 8 एस्क्लेटरवर रुपये 4.35 कोटी खर्च झाले असून प्रत्येकी एक एस्क्लेटरसाठी रुपये 54,37,500 खर्च झाला आहे. उल्हास नगर, भांडुप, विद्याविहार आणि भांडुप येथील 4 एस्क्लेटरवर रुपये 3,09,93,750 खर्च झाले असून एक एस्क्लेटरवर रुपये 77,48,437.5 खर्च झाला आहे. कांजुर मार्ग स्टेशनवर बसविलेला एस्क्लेटरसाठी रुपये 76,96,000 खर्च झाला आहे. विक्रोळी स्टेशन येथील एस्क्लेटरसाठी रुपये 72,62,625 खर्च झाला आहे. मुलुंड स्टेशनवरील एस्क्लेटरसाठी रुपये 77,45,309 खर्च झाले आहे. नागपूर स्टेशनवर 2 एस्क्लेटर बसविले असून एकूण रुपये 1,09,32,900 खर्च झाले आहे, प्रत्येकी एका एस्क्लेटरवर रुपये 54,66,450 खर्च झाला आहे. गुलबर्गा स्टेशनवर 2 एस्क्लेटरवर अनुक्रमे रुपये 54,77,268 आणि रुपये 54,52,536 खर्च झाला आहे.

पश्चिम रेल्वेच्या 13 स्टेशनवर  34 एस्क्लेटर बसविले आहे. एक एस्क्लेटरची किंमत रुपये 72.28 लाख आहे आणि एकाचा एकूण खर्च रुपये 1 कोटी 8 लाख झाला आहे. अंधेरीत 7, भायंदर स्टेशनात 1, बोरीवलीत 5, दादर मध्ये 2, विलेपार्लेत 1, गोरेगाव येथे 6, कांदिवलीत 1, वसई  रोड येथे 2, नालासोपारात 1, सूरत मध्ये 2, वडोदरात 2, रतलाम मध्ये 2 आणि अहमदाबाद येथे 2 असे एकूण 34 एस्क्लेटर बसविले आहेत.

अनिल गलगली यांनी प्रत्येक स्टेशनवर बसविलेल्या एस्क्लेटरची किंमतीत असलेला मोठा फरक बाबत आश्चर्य व्यक्त केले मध्य आणि पश्चिम रेल्वेच्या सर्व स्टेशनवर एकाच कंपनीला कंत्राट दिले गेले असते तर मोठ्या प्रमाणात पैश्यांची बचत झाली असती, असे सांगत अनिल गलगली यांनी प्रत्येक स्टेशनवर बसविलेल्या एस्क्लेटरच्या किंमतीची चौकशी करण्याची मागणी केली आहे.