Thursday 9 September 2021

कोरोना काल में एमएमआरडीए ने पीआर एजेंसियों को प्रति माह 21.70 लाख रुपये आवंटित किए

मुंबई सहित महाराष्ट्र राज्य में कोरोना काल में सरकारी और अन्य प्राधिकरणों में काम की गति धीमी थी, लेकिन एमएमआरडीए प्राधिकरण ने एक निजी पीआर एजेंसी को उदारतापूर्वक प्रति माह औसतन 21.70 लाख रुपये आवंटित किए हैं। एमएमआरडीए प्राधिकरण ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सूचित किया है कि पिछले दो वर्षों में पीआर एजेंसी को 5.21 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्राधिकरण से पीआर एजेंसी के बारे में विभिन्न जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए अथॉरिटी ने अनिल गलगली को बताया कि मेट्रोपॉलिटन कमिश्नर आरए राजीव की मंजूरी से मेसर्स. मर्केटाइल एडवरटाइजिंग पीआर एजेंसी को 15 जुलाई 2019 से नियुक्त किया गया है। पिछले दो वर्षों में एमएमआरडीए प्राधिकरण ने एजेंसी को प्रचार के लिए 5.21 करोड़ रुपये दिए हैं। पिछले 2 वर्षों में भुगतान की गई राशि को देखते हुए, हर महीने औसतन 21.70 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। खासतौर पर जब मुंबई समेत महाराष्ट्र में पूरी तरह से लॉकडाउन था तो पीआर एजेंसी को लाखों रुपये की आंख बंद करने को मजबूर होना पड़ा। एमएमआरडीए प्राधिकरण का एक स्वतंत्र जनसंपर्क खाता है और एमएमआरडीए प्राधिकरण 2 अधिकारियों पर 1.50 लाख रुपये प्रति माह और अनुबंध कर्मचारियों पर 25,000 रुपये खर्च करता है। इसके विपरीत जनसंपर्क विभाग को गति देकर एमएमआरडीए आसानी से करोड़ों रुपये बचा सकती थी। इतना ही नहीं एमएमआरडीए भवन में पीआर एजेंसी ने बैठने की विशेष व्यवस्था की है जिसके लिए एमएमआरडीए प्राधिकरण द्वारा कोई मासिक किराया नहीं लिया गया है। पीआर एजेंसी को इस किराया मुक्त कार्यालय पर किसी अधिकारी ने आपत्ति नहीं की। इस एजेंसी का मीडिया को संभालने का कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं था और इस एजेंसी द्वारा काम पर रखे गए कुछ कर्मियों की पीआर और पत्रकारिता गतिविधियों को संभालने की कोई पृष्ठभूमि नहीं थी।

अनिल गलगली ने करोड़ों रुपये के खर्च पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ एमएमआरडीए के पास फंड की कमी है और दूसरी तरफ निजी पीआर एजेंसियों पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

आज, एमएमआरडीए प्राधिकरण के पास महाराष्ट्र सरकार के सूचना व जनसपंर्क महानिदेशक की सहायता से एक स्वतंत्र जनसंपर्क विभाग है। अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, एमएमआरडीए अथॉरिटी के चेयरमैन एकनाथ शिंदे और मेट्रोपॉलिटन कमिश्नर एसवीआर श्रीनिवास को लिखे पत्र में पिछले दो साल से खर्च का ऑडिट करते हुए निजी पीआर एजेंसियों पर स्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग की है। 


कोरोना काळात ही एमएमआरडीए तर्फे प्रत्येक महिन्याला 21.70 लाख पीआर एजन्सीला वाटप

मुंबई सहित महाराष्ट्र राज्यात कोरोना काळात शासकीय आणि अन्य प्राधिकरणात कामाचा वेग कमी होता पण एमएमआरडीए प्राधिकरणाने उदारता दाखवित खाजगी पीआर एजन्सीला सरासरी प्रत्येक महिन्याला 21.70 लाखांचे वाटप केले आहे.  मागील 2 वर्षात पीआर एजन्सीला 5.21 कोटी रुपये देण्यात आल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्राधिकरणाने दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्राधिकरणाकडे पीआर एजन्सीची विविध माहिती मागितली होती. एमएमआरडीए प्राधिकरणाने अनिल गलगली यांस कळविले की महानगर आयुक्त आर ए राजीव यांच्या मान्यतेने मे. मर्कटाईल अँडव्हटार्यझिंग या पीआर एजन्सीची नेमणूक 15 जुलै 2019 पासून केलेली आहे. मागील 2 वर्षात एमएमआरडीए प्राधिकरणाने  या एजन्सीला तब्बल 5.21 कोटी रुपये प्रचारासाठी दिले आहे. मागील 2 वर्षात दिलेली रक्कम लक्षात घेता प्रत्येक महिन्याला सरासरी 21.70 लाख दिले आहे., विशेष म्हणजे जेव्हा मुंबई सहित महाराष्ट्रात संपूर्णपणे लॉकडाउन होता तेव्हा पीआर एजन्सीला त्या दरम्यान लाखों रुपये डोळे बंद करून देण्याचे काम करण्यात आले. एमएमआरडीए प्राधिकरणात स्वतंत्र जनसंपर्क खाते असून 2 अधिकारी वर्गावर प्रत्येक महिन्याला एमएमआरडीए प्राधिकरण 1.50 लाख खर्च करते आणि करार पद्धतीवर असलेल्या कर्मचाऱ्यांवर 25 हजार रुपये खर्च करते. उलट जनसंपर्क खात्याला गतिमान करत एमएमआरडीए प्राधिकरण सहजपणे कोट्यवधी रुपयांची बचत करू शकली असती. इतकेच नाही या पीआर एजन्सीला एमएमआरडीएच्या इमारतीत बसण्यासाठी विशेष व्यवस्था असून त्यासाठी एमएमआरडीए प्राधिकरण तर्फे कोणतेही मासिक भाडे आकारण्यात आले नाही. पीआर एजन्सीला या भाडेमुक्त कार्यालया,वर कोणत्याही अधिकाऱ्याने आक्षेप घेतला नाही. या एजन्सीकडे मीडिया हाताळण्याचे पूर्वीचे रेकॉर्ड नव्हते आणि या एजन्सीने नियुक्त केलेल्या काही कर्मचाऱ्यांना पीआर आणि पत्रकारिता उपक्रम हाताळण्याची कोणतीही पार्श्वभूमी नव्हती. 

अनिल गलगली यांची कोट्यवधी रुपयांच्या खर्चावर प्रश्नचिन्ह उभे करत सांगितले की एकीकडे एमएमआरडीए प्राधिकरणाकडे निधीची चणचण आहे आणि दुसरीकडे कोट्यवधी रुपये खाजगी पीआर एजन्सीवर खर्च करण्यात येत आहे. आज एमएमआरडीए प्राधिकरणाकडे स्वतंत्र जनसंपर्क खाते असून महाराष्ट्र शासनाच्या महासंचालनायची मदत घेतली जाऊ शकते. मागील 2 वर्षाच्या खर्चाचे ऑडिट करताना आता तरी खाजगी पीआर एजन्सीला कायमस्वरूपी प्रतिबंध करण्याची मागणी अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, एमएमआरडीए प्राधिकरणाचे अध्यक्ष एकनाथ शिंदे आणि महानगर आयुक्त एसव्हीआर श्रीनिवास यांस पाठविलेला पत्रात केली आहे.


Even in complete lockdown, MMRDA splurged huge money on personal PR agencies

At a time when complete lockdown was imposed throughput country and all hotels, restaurants and transportation were closed to stay indoors, PR agencies kept footing dubious bills running in lakhs every month to squeeze money from MMRDA, which authority hire for upgrading its public image, despite the fact that it had already a full fledged PR department. Without cross-verifying the bills, MMRDA kept remitting the huge amount of money to the agency, as agreed in agreement. 

An RTI filed by activist Anil Galgali showing that when the pace of work in government and other authorities were too slow during the complete lockdown period from March to May 2020, private PR agency footed bills running over 21 lakhs and MMRDA generously cleared the bills. In its RTI response, MMRDA has informed Anil Galgali that Rs 5.21 crore were paid to the PR agency in the last two years. 

After getting some clue about rampant corruption going within MMRDA, Galgali filed an RTI seeking various information about the PR agencies hired by MMRDA. The MMRDA informed Anil Galgali that after the approval of the then Metropolitan Commissioner R. A. Rajiv, named M/s Mercantile Advertising and PR Agency was hired from 15th July 2019, months after he took over as administrative head. This agency had no previous record of handling media and a few personnel hired by this agency had no background of handling PR and journalistic activities.


Commenting on this, Galgali pointed out that when there was a complete lockdown in Maharashtra, including Mumbai, the PR agency was procuring bills as expensed incurred in over 21 lakh every month and this is matter of probe. Even MMRDA's administration department without verifying the bills, remitted the money. This money were splurged lavishly on private agency despite that fact that MMRDA have an independent and full-fledged public relations department and it spends Rs 1.50 lakh per month on 2 officers and Rs 25,000 on contract employees. Not only this, the PR agency was given a big cabin in free of cost at the 6th floor of MMRDA building for which no monthly rent were charged. No officer objected this rent-free accommodation to PR agency.

"In my views, the MMRDA could have spent this public money on the projects used by public or upgrading its in-house PR department. But, MMRDA  chose to benefit a private PR agency, which is nothing but a clear cut case of corruption, which I demand to investigate," Galgali reacted. 


Moreover, Galgali has questioned the unwarranted expenditure of crores of rupees on private agency expressed surprise that on the one hand, the MMRDA facing shortage of funds, and on the other hand crores of rupees are still being spent on private PR agencies. Anil Galgali, in a letter to Chief Minister Uddhav Thackeray, MMRDA Chairman Eknath Shinde and Metropolitan Commissioner SVR Srinivas, has demanded a fair probe into this alleged corruption, besides putting permanent ban on private PR agencies.