Sunday 25 February 2024

सामाजिक संकल्प का महाभियान अश्वमेध महायज्ञ: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

सामाजिक संकल्प का महाभियान अश्वमेध महायज्ञ: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 

दुनिया के सामने भारत की नई तस्वीर बनाने के संकल्प के साथ गायत्री परिवार का पांच दिवसीय मुंबई अश्वमेध महायज्ञ पूर्णाहुति संग सम्पन्न 

करोडो लोगों ने दी अपनी अपनी आहुतियां दी

नारी सशक्तिकरण और नशा मुक्त भारत का संकल्प लिया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अखिल विश्व गायत्री परिवार के मुंबई अश्वमेध महायज्ञ को दिये अपने संदेश में कहा कि यह यह सामाजिक संकल्प का महाभियान हैं। उन्होंने कहा कि यज्ञ के माध्यम से युवाओं को नशा और दुर्व्यसन से मुक्ति दिलाने का जो आह्वान लिया और दिया गया है, यह युवाओं को इससे अलग करते हुए राष्ट्र निर्माण में उत्सर्जित करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अश्वमेध महायज्ञ में सशरीर शामिल नहीं होने पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि जब उन्हें यज्ञ में सम्मिलित होने का आमंत्रण मिला, तो उसके सामने चुनावी वर्ष में यज्ञ शामिल होने अथवा न होने की दुविधा हो गयी थी, क्योंकि अश्वमेध यज्ञ को लेकर आम सोच सत्ता विस्तार को जोड़कर देखती है। पर, बाद में जब उन्होंने अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का ध्यान किया तो दुविधा समाप्त हो गयी और उन्होंने समयाभाव में अश्वमेध महायज्ञ से आनलाइन जुडने का निश्चय किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अखिल विश्व गायत्री परिवार और उसके सभी साधकों को अश्वमेध यज्ञ की सफल समापन की बधाई देते हुए कहा कि अखिल विश्व गायत्री परिवार का हर आयोजन पवित्रता के साथ सम्पन्न होती है, यह गौरव की बात होती है। अश्वमेध महायज्ञ के माध्यम से युवाओं के चरित्र का जो संकल्प लिया है, वह राष्ट्र के निर्माण है। अमृतकाल में युवाओं पर राष्ट्र निर्माण की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मैं चालीस वर्ष गायत्री परिवार से जुडा हूं और गायत्री परिवार के कार्यों से परिचित हूं। उन्होंने पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी और माता भगवती देवी शर्मा जी के संकल्पों को पूर्ण करने आवाहन किया। अश्वमेध महायज्ञ की सफल समापन पर प्रधानमंत्री ने डॉ चिन्मय पण्ड्या एवं उनकी टीम को बधाई दी।  

इसके साथ विश्व के सामने नए भारत की नई तस्वीर प्रस्तुत करने के संकल्प के साथ दी गई पूर्णाहुति के साथ अखिल विश्व गायत्री परिवार आयोजित मुंबई अश्वमेध महायज्ञ का का सफल समापन हो गया। ‌अश्वमेध महायज्ञ का आरंभ बुधवार 21 फरवरी को पांच किलोमीटर कलश यात्रा के साथ हुआ था। महायज्ञ में कला, राजनीति और फिल्मी दुनिया की बड़ी हस्तियों ने भी आम श्रद्धालुओं की तरह पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भाग लिया और अलग-अलग दिन अपनी आहुतियां डाली। रविवार सुबह महायज्ञ के अंतिम दिवस पर पूर्णाहुति के अवसर पर अश्वमेध नगर में साधकों की भारी भीड़ जुटी। यज्ञ में अपनी आहुति डालने को बच्चे बुजुर्ग और महिला पुरुष सभी पहुंचे और सभी ने पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ अपनी अपनी आहुतियां दी। विशेष बात यह रही थी, यज्ञ में आरती देने वाले सभी साधकों ने साथ पर्यावरण संवर्धन और संरक्षण के भाव संग एक-एक पौधा लेकर वापसी की। व्यसन मुक्त राष्ट्र निर्माण के संकल्प को लेकर पांच दिवसीय अश्वमेध महायज्ञ में प्रतिदिन साढे पांच लाख से अधिक आहुतियां दी गयी। पांच दिन में इसकी संख्या 27 लाख से अधिक रही। आहुति के साथ साथ लाखों की सख्या में यज्ञशाला देवमंच की परिक्रमा की। अंतिम दिन जसलोक अस्पताल, रोटरी क्लब मुंबई रायल्स और राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवको के रक्तदान शिविर का आयोजन किया।

Saturday 24 February 2024

अश्वमेध महायज्ञ में वसुधैव कुटुंबकम हेतु की गयी प्रार्थना

अश्वमेध महायज्ञ में वसुधैव कुटुंबकम हेतु की गयी प्रार्थना

सामूहिक वेदपाठ व ध्यान साधना में डूबे हजारों साधक

देश के नामचीन लोगों ने भी आहुतियां डाली, व्यसन मुक्त परिसर

नवी मुंबई, 24 फरवरी।
मुंबई महानगर के खारघर कार्पोेेरेट पार्क ग्राउण्ड में गत तीन दिनों से शुरु हुए अश्वमेध महायज्ञ के चौथे दिन वसुधैव कुटुंबकम हेतु प्रार्थना की गयी। शांतिकंुज के विद्वान आचार्यों दृवारा संचालित इस महायज्ञ में सामूहिक वेदपाठ और ध्यान साधना में हजारों साधक भक्ति के कंुभ में डूबे। देश के नामचीन लोगों ने भी आहुतियां डालकर इस ऐतिहासिक महायज्ञ में सहभागिता ली। गायत्री परिवार के प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी के मार्गदर्शन में हुए इस अश्वमेध महायज्ञ का पूरा परिसर व्यसन मुक्त तो था ही, साथ ही भक्ति और शक्ति के महासंगम का मनोहारी दृश्य देखने को मिला।
इस अवसर पर युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या ने गायत्री व यज्ञ के विविध आयामों पर विस्तृत जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है, जो अंदर बैठे भगवान को साधना के माध्यम से पहचान पाता है और तद्नुरूम कार्य करते हुए सफलता की सीढी चढता है। सनातन संस्कृति और अध्यात्म जागरण से भारत विकास की प्रगति पथ पर आरुढ होगा और विश्व के नेतृत्व की क्षमता को विकसित करेगा।
एक तरफ यज्ञशाला से उठती पर्यावरण को परिष्कृत करती परम पवित्र यज्ञाग्नि है तो वहीँ दूसरी ओर संस्कारों की प्राण ऊर्जा कराती संस्कारशाला है। जहाँ विभिन्न संस्कारों के माध्मय से परिवार की नीव मज़बूत करने का कार्य किया जा रहा है। नामकरण, अन्नप्राशन, विद्यारम्भ, पुंसवन और उपनयन जैसे कई संस्कार अश्वमेध महायज्ञ के दौरान कराये गए। यह सभी संस्कार निःशुल्क कराये गये। यह संस्कार जब ऐसे दिव्य स्थान पर जाए तो उनका महत्व और बढ़ जाता है।  
वहीं सायंकाल विद्वान ब्रह्मवादिनी बहिनों के संचालन भव्य व दिव्य विराट् दीपमहायज्ञ सम्पन्न हुआ। जिसमें हजारों लोगों ने राष्ट्र को संगठित एवं विकसित के लिए सामूहिक प्रार्थना की गयी। इस अवसर पर उद्योगपति, सामाजिक कार्यकर्ता, सिने कलाकार, पुलिस प्रशासन सहित अन्य मान्यवरों ने उत्साहपूर्वक प्रतिभाग किया।

-दीपमहायज्ञ के लिए कैदियों ने भेजे दीप

महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के विभिन्न जेलों के कैदियों ने दीपमहायज्ञ के लिए पचास हजार दीपों का उपहार भेजा। यह आटे का दीपक अपने मेहनत की कमाई से बनाये थे, दीपक के साथ घी और बाती भी भेजे।

-प्रख्यात गायक शंकर महादेवन, समीर अंजान व हिमेश रेशमिया द्वारा प्रज्ञागीत का लोकार्पण

अश्वमेध महायज्ञ के लिए प्रख्यात गायक शंकर महादेवन ने धर्मप्रेमियों प्रज्ञागीत इस गीत के लिए स्वर दिया, तो वहीं इस गीत के रचनाकार हैं समीर अंजान और संगीत हिमेश रेशमिया ने दिया। इस गीत ने पूरे अश्वमेध महायज्ञ परिसर के हरेक जुबान में है।

- स्वास्थ्य शिविर का आयोजन

रोटरी क्लब ऑफ मुंबई रायल्स एवं रोटरी क्लब आफ एडिक्शन प्रीवेंशन के सहयोग महायज्ञ स्थल व्यसन मुक्त शिविर का आयोजन किया। साथ ही रोटरी क्लब आफ नवी मुंबई सनराइज ने अंगदान तथा रोटरी क्लब नवी मंुबई में रक्तदान शिविर में उल्लेखनीय सहयोग किया।

Friday 23 February 2024

श्रद्धेया शैलदीदी ने हजारों को गायत्री महामंत्र से दीक्षित किया

श्रद्धेया शैलदीदी ने हजारों को गायत्री महामंत्र से दीक्षित किया

राजनाथ सिंह, एकनाथ शिंदे, शिवराजसिंह चौहान, मंगलप्रभात लोढ़ा एवं श्रीरंग बारने ने की शिरकत

गायत्री परिवार की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने शुक्रवार को मुंबई महानगर के खारघर का कार्पोरेट पार्क ग्राउण्ड में हजारों को गायत्री महामंत्र से दीक्षित किया। वासंती उल्लास के साथ अश्वमेध महायज्ञ के तीसरे दिन की आरंभ एक लाख से अधिक लोगों  को गायत्री महामंत्र पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सद्गुरु की कृपा से मनुष्य का दूसरा जन्म होता है, तो वहीं संस्कार मंच में शांतिकुंज से प्रकाण्ड विद्वानोें ने विभिन्न संस्कार वैदिक रीति से निःशुल्क सम्पन्न कराये। देश के रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, कौशल्य विकास मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा, सांसद श्रीरंग बारने ने की शिरकत की।

बुधवार, 21 फरवरी से प्रारंभ हुए अश्वमेध महायज्ञ के तीसरे दिन की शुरुआत वेद के विशिष्ट मंत्र के गान से हुआ। शांतिकुंज, हरिद्वार के आचार्यों एवं ब्रह्मवादिनी बहिनों की टोली ने 1008 कुण्डीय यज्ञशाला का संचालन हुआ। कई चरणों में देश के नामचीन हस्तियों के अलावा लाखों लोगों ने राष्ट्र के कुण्डलिनी जागरण, मानव मात्र के उत्थान, पर्यावरण संरक्षण, व्यसन मुक्त भारत हो, इस भावना से आहुतियां डाली, तो वही सीमा की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों की आत्मा की शांति एवं सद्गति हेतु विशिष्ट वैदिक मंत्र से प्रार्थना की गयी। अश्वमेध यज्ञ से उत्पन्न ऊर्जा को सकारात्मक नियोजन में लगाने के लिए मौन तांत्रिक आहुतियां भी दी गई। रिलायंस ग्रुप के वरिष्ठ पदाधिकारी, गायक समीर सहित अनेक गणमान्य नागरिकों ने आहुतियां डाली।

इस अवसर पर युवा आइकॉन आदरणीय डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि महाराष्ट्र की धरती से राष्ट्र की कुण्डलिनी जागरण तथा राष्ट्र को संगठित करने में इस अश्वमेध महायज्ञ की विशेष महत्व है। जो अश्वमेध यज्ञ करते है, उनकी सभी कामनाएं पूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि यज्ञ करने से संपूर्ण प्राणी की उत्पत्ति अन्न से होती है, और अन्न की उत्पत्ति वृष्टि होती है और वृष्टि यज्ञ से होती है। वहीं देवात्मा हिमालय के मॉडल में हजारों लोगों ने गायत्री महामंत्र की साधना कर राष्ट्र के विकास की कामना की। प्रदर्शनी में भावी पीढी को संवारने के विविध आयाम की प्रस्तुति ने सभी को आकर्षित किया। अश्वमेध महायज्ञ से ऑनलाइन करीब पचास देशों के करोड़ों गायत्री परिवार के साथ जुड़े और इस ऐतिहासिक महानुष्ठान में भाग लिया।  

उधर विचार मंच में कई हस्तियों का उद्बोधन हुआ। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह अश्वमेध यज्ञ किसी राज्य की भूमि को या फिर उसकी सीमा को अपने राज्य में मिलाने का नहीं है, बल्कि यह अश्वमेध यज्ञ लोगों के दिलों तक पहुंचने का है। यह अश्वमेध यज्ञ, भारत की संस्कृति को दुनिया तक पहुंचाने का है। यह अश्वमेध यज्ञ भारत की राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दिग्विजय सुनिश्चित करने का यज्ञ है। राजनाथ सिंह ने कहा कि राजनीतिक व्यक्तियों को ऐसे कार्यक्रमों में अवश्य जाना चाहिए। ऐसे कार्यक्रमों से उन्हें दशा और दिशा मिलती हैं। राजनीति दो शब्दों को राज और नीति को लेकर बना है, जिसका अर्थ है, राज्य और समाज को सन्मार्ग की ओर ले जाना। ऐसे आयोजन इस व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने का काम करते हैं।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अश्वमेध महायज्ञ के आयोजन को लेकर अखिल विश्व गायत्री परिवार को साधुवाद दिया। कहा कि हम उनका आभार प्रकट करते हैं कि देवभूमि महाराष्ट्र को इसके लिए चुना। कहा कि इंसान कितना भी बड़ा हो जाए पर, उसका दिल बड़ा होना चाहिए। क्योंकि दिल बड़ा होगा, तब सब संकट अपने आप दूर हो जाते हैं। इस सोच से जो काम करता है, उससे समाज का, राष्ट्र का विकास होता है। अखिल विश्व गायत्री परिवार का हर सदस्य इसी सोच के साथ कार्य कर रहा है और दुनिया को विश्व बंधुत्व का संदेश दे रहा है। अश्वमेघ महायज्ञ के प्रभाव का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से सदगुण बढ़ते हैं और दुर्गुणों कम होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक नीतियों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को आर्थिक महाशक्ति शक्ति बनाने की दिशा में आगे बढ़ा दिया है।

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गायत्री परिवार के नशा उन्मूलन पर किये जा रहे कार्यों को राष्ट्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि मैं गायत्री परिवार का ही एक सदस्य हूं।

Thursday 22 February 2024

अश्वमेध यज्ञ जैसे आयोजन राष्ट्र के विकास को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करते हैं: जेपी नड्डा

राष्ट्र के समग्र विकास को समर्पित है अश्वमेध महायज्ञ: डा. चिन्मय पंड्या

अश्वमेध यज्ञ जैसे आयोजन राष्ट्र के विकास को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करते हैं: जेपी नड्डा

यज्ञ से प्राप्त होने वाली ऊर्जा का वैज्ञानिक विश्लेषण समर्थन करता है: देवेंद्र फडणवीस


राष्ट्र के आध्यात्मिक और सर्वांगीण विकास में पावन आध्यात्मिक संस्था गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार का योगदान अविस्मरणीय है। हिमाचल में हुए 108 कुंडीय महायज्ञ में भाग लिया था, मैं सौभाग्यशाली हूं कि और अब मुझे 1008 कुंडीय महायज्ञ में अपनी अर्धांगिनी के साथ भाग ले रहा हूं। पं0 श्रीराम शर्मा आचार्य और माता भगवती देवी यह सत्कर्मों का यह प्रतिफल है कि श्रद्धेय डॉक्टर प्रणव पंड्या और श्रद्धेय शैलदीदी के पावन मार्गदर्शन में युवा डॉ. चिन्मय पंड्या की अगुआई में  राष्ट्र के विकास, संवर्धन सुख समृद्धि के लिए महाराष्ट्र की धरती पर यह पावन-पवित्र आयोजन हो रहा है। मैं इसके लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार, गायत्री तीर्थ शांतिकुंज की टीम को साधुवाद और बधाई देता हूं।  उक्त विचार भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरुवार को नवी मुंबई में शांतिकुंज हरिद्वार की ओर से आयोजित 47वें अश्वमेध में महायज्ञ के मंच से व्यक्त किए। 

युवा आईकॉन के डॉ चिन्मय पंड्या ने यज्ञ और अश्वमेध यज्ञ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अश्वमेध यज्ञ राष्ट्रीय उत्तरोत्तर सर्वांगीण विकास के निमित्त आयोजित किया जाता है। वर्ष 1991 में गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और वंदनीया माता भगवती के कार्यक्रमों से राष्ट्र विकास और राष्ट्र निर्माण तथा राष्ट्र की सुख समृद्धि के उद्देश्य से इसका दिव्य आयोजन का अभियान आरंभ किया था। आज उनके द्वारा पोषित किया पौधा, वट वृक्ष का रूप धारण कर चुका है। यह 47वां आयोजन है जो देवभूमि महाराष्ट्र की पावन भूमि पर संपन्न हो रहा है। हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि भारत आध्यात्मिक क्षेत्र में विश्व का मार्गदर्शन करेगा और विकसित राष्ट्र बनते हुए विश्व गुरु की पदवी प्राप्त करेगा। महाराष्ट्र की देवभूमि से हम सब मिलकर एक नया इतिहास लिखेंगे और 22 फरवरी 2024 का दिन स्वर्ण अक्षरों में अंकित होगा।
उपमुख्यमंत्री महाराष्ट्र देवेंद्र फड़ंणवीस ने कहा कि मैं गायत्री तीर्थ शांतिकुंज अखिल विश्व गायत्री परिवार का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने अश्वमेध महायज्ञ के लिए महाराष्ट्र की देवभूमि को चुना। यह भूमि छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि है, यह वीरों की भूमि है, यह संतों की भूमि है। उन्होंने कहा कि एक बहुत बड़ी संत परंपरा का निर्वाह करने वाली यह महाराष्ट्र की पुण्य भूमि है, जहां पर ज्योतिर्लिंगों का भी वास है और शक्तिपीठों का भी। महाराष्ट्र और महाराष्ट्र के लोगों के लिए यह गर्व की बात है कि ऐसी पावन-पवित्र भूमि पर आज यहां गायत्री तीर्थ शांतिकुंज अखिल विश्व गायत्री परिवार के मार्गदर्शन में अश्वमेध महायज्ञ संपन्न हो रहा है। यह हमारे लिए गौरव की बात है कि आदरणीय परम पूजनीय पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और गायत्री परिवार ने यज्ञ की परंपरा को फिर एक बार वैश्विक स्वरूप दिया, उसी के चलते आज हमारी सनातन संस्कृति और हमारी यज्ञ की संस्कृति पुष्पित और पल्लवित हो रही है।

Wednesday 21 February 2024

विराट कलश यात्रा के साथ महायज्ञ का शंखनाद

न भूतो न भविष्यति जैसा है मुंबई अश्वमेध महायज्ञ नगर

विराट कलश यात्रा के साथ महायज्ञ का शंखनाद

एक माह पहले विरान सा दिखने वाला खारघर का कार्पोरेट पार्क ग्राउण्ड में अश्वमेध महायज्ञ जैसा ऐतिहासिक महानुष्ठान हो रहा है। यह महानुष्ठान न भूतो न भविष्यति की तरह विराट व दिव्यता के साथ सम्पन्न होने जा रहा है। यह महायज्ञ अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी के मार्गदर्शन एवं युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या के नेतृत्व में हो रहा है। बुधवार को विराट कलश यात्रा के साथ अश्वमेध महायज्ञ का शुभारंभ हुआ। 

राष्ट्र को समर्थ, सशक्त एवं संगठित बनाने के उद्देश्य से हो रहे इस इस आध्यात्मिक अनुष्ठान का शुभारंभ बुधवार 21 फरवरी को बेलपाडा मेट्रो स्टेशन-धराट क्रिकेट ग्राउंड से 3 बजे से कलश यात्रा से हुआ। इसमें मुंबई के प्रतिष्ठित घरानों से लेकर देश विदेश से आई बहिनें भी शामिल थी। कलश यात्रा अश्वमेध महायज्ञ स्थल पहुंचने पर महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, महाराष्ट्र के वन, सांस्कृतिक और पर्यटन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार महायज्ञ के समि स्वागत किया एवं ध्वजारोहण में भाग लिया।  

यज्ञ से उत्सर्जित उर्जा को नापेंगे बार्क के वैज्ञानिक 
भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुंबई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ डी के जायसवाल के नेतृत्व में 36 वैज्ञानिकों की टीम ने खारघर में वातावरण में होने बदलाव का रिचर्स करेंगे। इसके साथ में आईआईटी मुंबई की वरिष्ठ इंजीनियरों एवं इक्यूनॉक्स के सीनियर अधिकारी भी सहयोगी होंगे।
 
◆ पर्यावरण संरक्षण के तहत बांटे जा रहे हैं पौधे

अश्वमेध महायज्ञ में आने वाले श्रद्धालुओं को पर्यावरण संरक्षण का विशेष संदेश दिया जायेगा। इसके अंतर्गत आने वाले श्रद्धालुओं को एक एक पौधा तरु प्रसाद के रूप में विभिन्न देववृक्ष आदि के पौधे बांटे जायेंगे।

◆ अश्वमेध महायज्ञ में चढायेंगे अपनी दुष्प्रवृत्ति अपनायेंगे सत्प्रवृत्ति

गायत्री परिवार संचालित हो रहे अश्वमेध महायज्ञ में याजक अपनी एक-एक बुराई छोडने तथा एक अच्छाई ग्रहण करने का संकल्प लेंगे और अश्वमेध महायज्ञ परिसर को पूरी तरह से व्यसन मुक्त बनाये रखा जायेगा।

विराट कलश यात्रेसह अश्वमेध महायज्ञात शंखध्वनी

न भूतो न भविष्यती मुंबई अश्वमेध महायज्ञ नगरी

विराट कलश यात्रेसह अश्वमेध महायज्ञात शंखध्वनी

महिनाभरापूर्वी निर्जन दिसणाऱ्या नवी मुंबईच्या खारघरच्या कॉर्पोरेट पार्क मैदानात अश्वमेध महायज्ञासारखा ऐतिहासिक महाविधी पार पडत आहे. हा महान विधी न भूतो न भविष्यती असून भव्यतेने आणि दिव्यतेने पूर्ण होणार आहे. हा महायज्ञ अखिल जागतिक गायत्री परिवाराचे प्रमुख आदरणीय डॉ. प्रणव पंड्या आणि प.पू. शैलदीदी यांच्या मार्गदर्शनाखाली आणि युथ आयकॉन डॉ. चिन्मय पंड्या यांच्या नेतृत्वाखाली आयोजित करण्यात आला आहे. अश्वमेध महायज्ञ बुधवारी विराट कलश यात्रेने सुरू झाला.

राष्ट्राचे सक्षमीकरण आणि संघटिक करण्याच्या उद्देशाने केल्या जाणाऱ्या या आध्यात्मिक अनुष्ठानाची सुरुवात बुधवार 21 फेब्रुवारी रोजी बेलपाडा मेट्रो स्टेशन-घरत क्रिकेट मैदान येथून दुपारी 3 वाजता कलश यात्रेने झाली. त्यात मुंबईतील प्रतिष्ठित कुटुंबातील आणि देश-विदेशातील भगिनींचा समावेश होता. कलश यात्रा अश्वमेध महायज्ञस्थळी पोहोचल्यावर महाराष्ट्राचे राज्यपाल रमेश बैस तसेच महाराष्ट्राचे वन, संस्कृती व पर्यटन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार यांनी महायज्ञाचे स्वागत करून ध्वजारोहणात सहभाग घेतला.

BARC शास्त्रज्ञ यज्ञातून उत्सर्जित होणाऱ्या ऊर्जेचे मोजमाप करतील. भाभा अणुसंशोधन केंद्र, मुंबईचे वरिष्ठ शास्त्रज्ञ डॉ. डी.के. जयस्वाल यांच्या नेतृत्वाखाली 36 शास्त्रज्ञांचे पथक खारघरमधील वातावरणातील बदलांचे मोजमाप करणार आहे. यासोबतच आयआयटी मुंबईचे वरिष्ठ अभियंते आणि इक्वीनॉक्सचे वरिष्ठ अधिकारीही सहकार्य करतील.

◆ पर्यावरण रक्षणाअंतर्गत रोपांचे वाटप करण्यात येत आहे

अश्वमेध महायज्ञासाठी येणाऱ्या भाविकांना पर्यावरण रक्षणाचा विशेष संदेश दिला जाणार आहे. या अंतर्गत येणाऱ्या भाविकांना विविध देववृक्षांच्या रोपांचे प्रसाद म्हणून वाटप करण्यात येणार आहे.

◆ अश्वमेध महायज्ञात आपल्या वाईट प्रवृत्तींना अर्पण करील आणि चांगल्या प्रवृत्तींचा अवलंब करील.

गायत्री परिवारातर्फे राबविण्यात येत असलेल्या अश्वमेध महायज्ञात पुजारी एक वाईटाचा त्याग करून एक चांगली गोष्ट अंगीकारण्याची शपथ घेणार असून अश्वमेध महायज्ञ संकुल पूर्णपणे व्यसनमुक्त ठेवण्यात येणार आहे.

Friday 9 February 2024

व्यसन मुक्त रहेगा मुंबई अश्वमेध महायज्ञ स्थल

यज्ञों के राजा है अश्वमेध महायज्ञ: डॉ चिन्मय पण्ड्या

व्यसन मुक्त रहेगा मुंबई अश्वमेध महायज्ञ स्थल


अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा मुंबई के कॉर्पाेरेट पार्क में खारघर में 21 से 25 फरवरी को अश्वमेध महायज्ञ हो रहा है। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या द्वारा पत्रकारों को दी गयी जानकारी में बताया कि विश्व मानवता के पोषण करने वाली सनातन संस्कृति के उत्थान एवं राष्ट्र के नवोन्मेष के लिए होने वाले इस महायज्ञ में भारत सहित 80 देशों के लाखों लोग आ रहे हैं। साथ ही लोगों को व्यसन मुक्ति के लिए संकल्पित कराया जायेगा। इस हेतु विगत तीन साल से लाखों साधक साधना में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि गायत्री परिवार की संस्थापिका परम वन्दनीया माताजी ने सन् 1991 में देवसंस्कृति दिग्विजय अभियान को प्रारंभ किया था, उद्देश्य यह था कि राष्ट्र समर्थ, संगठित, संस्कारित व सशक्त बनें और उसके लिए यज्ञों के राजा अश्वमेध महायज्ञ का चयन किया गया।

अखिल विश्व गायत्री परिवार के वरिष्ठ प्रतिनिधि डॉ चिन्मय पण्ड्या ने बताया कि जिस तरह प्रभु श्रीराम के वनवास से अयोध्या वापस आने पर अश्वमेध कराया गया था, उसी तरह ईश्वरीय कृपा से भगवान श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अश्वमेध महायज्ञ का योग बना है। जो बहुत ही प्रशंसा व सौभाग्य का विषय है। वहीं शांतिकुंज की निर्माण, भोजनालय, यज्ञशाला, प्रदर्शनी, मीडिया आदि की टीम खारघर, पेठपाडा मेट्रो स्टेशन के पास विगत कई माह से तैयारी में जुटी है। इस समय देश विदेश से दस हजार से अधिक स्वयंसेवी भाई बहन सेवा दे रहे हैं। उद्योगपति, प्रशासनिक अधिकारी, इंजीनियर्स से लेकर सभी वर्ग और आयु के लोग खूब पसीना बहा रहे हैं।

Sunday 4 February 2024

अश्वमेध महायज्ञ खारघर में कुण्ड का प्राकट्यीकरण

अश्वमेध महायज्ञ खारघर में कुण्ड का प्राकट्यीकरण

शांतिकुंज हरिद्वार के प्रकाण्ड विद्वानों ने सनातन पद्धति से कराया वैदिक कर्मकाण्ड 

अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा नवी मुंबई के खारघर में 21 से 25 फरवरी को अश्वमेध महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। पांच दंपतियों के पूजन के साथ महायज्ञ हेतु वैदिक पद्धति द्वारा प्रारंभिक कुण्ड का प्राकट्यीकरण के साथ अश्वमेध महायज्ञ का यज्ञशाला का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया। महायज्ञ में 1008 कुण्ड होगा, और प्रत्येक कुण्ड में 10 व्यक्ति एक साथ हवन करेंगे, इस तरह दस हजार से अधिक व्यक्ति एक पाली में एक साथ यज्ञ में आहुति डालेंगे। हवन कुण्ड की देखरेख एवं समुचित व्यवस्था हेतु 1100 उपाचार्याे को उच्च स्तर पर प्रशिक्षित किये जा रहे हैं।

अश्वमेध महायज्ञ स्थल कुल 240 एकड़ में है। विश्व मानवता के पोषण करने वाली सनातन संस्कृति के उत्थान एवं राष्ट्र के नवोन्मेष हेतु होने वाले इस महायज्ञ के लिए मुंबई के साथ ही देश विदेश के गायत्री परिजन विगत तीन साल में साधना एवं तैयारी में जुटे हैं। देवसंस्कृति दिग्विजय अभियान के अंतर्गत अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा संचालित 47वां अश्वमेध महायज्ञ है। महायज्ञ के दौरान देवपूजन में चार हजार से अधिक दंपति एक साथ पूजन में भाग लेंगे। 22 फरवरी को देवपूजन प्रातः 7 बजे प्रारंभ होगा और दोपहर दो बजे तक चलेगा। ऋषि विश्वामित्र की तपःस्थली हिमालय की छाया एवं पतित पावनी गंगा की गोद में लंबे समय से साधनारत प्रकाण्ड विद्वानों द्वारा यज्ञ का संचालन किया जायेगा। 

विगत छः दशक से साधनारत और अखिल विश्व गायत्री परिवार की प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या जी एवं श्रद्धेया शैलदीदी के निर्देशन में यज्ञ संचालन के लिए ब्रह्मवादिनी बहिनों की एक अलग आचार्यों की टीम होगी। आचार्या एवं आचार्यों की टीम लंबी साधना के बाद ब्रह्मणांच्छी, अध्यर्वु, होता, उद्गाता के साथ यज्ञ संसद की भूमिका निभायेंगे। इस महायज्ञ में सभी जाति, सम्प्रदायों के लिए प्रवेश पूरी तरह से निःशुल्क होगा। इस हवन में हर व्यक्ति अपनी श्रद्धानुसार भाग ले सकते हैं। इस महानुष्ठान में भाग लेने वाले व्यक्ति धन्य होंगे, और वे पुण्य के भागीदार बनेंगे। महायज्ञ में माता भगवती देवी भोजनालय के नाम से चार भोजनालय संचालित होंगे। जो अलग अलग प्रांतों से आये अनुभवी परिजन संभालेंगे। प्रत्येक भोजनालय में प्रतिदिन अस्सी हजार से अधिक परिजन भोजन प्रसाद ग्रहण कर पायेंगे। संभाजी नगर, श्रीरामपुरम, कबीर नगर, मीराबाई नगर, एकनाथ नगर, संत ज्ञानेश्वर नगर, आदि के नाम से कुल आठ नगर बसाये जा रहे हैं। जहां अलग अलग प्रांतों से आने वाले  परिजनों को ठहराये जायेंगे। 

मुंबई में देवात्मा हिमालय के विभिन्न देवतीर्थों, दिव्य तीर्थों की झलक प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाये जायेंगे। इसके साथ ही सनातन संस्कृति के पुरोधाओं के भव्य व नयनाभिराम मूर्तियों का दर्शन करेंगे। जिसके निर्माण का कार्य देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ चिन्मय पण्ड्या जी के निर्देशन में जारी है। इसके अलावा सांस्कृतिक कला मंच होगा, जहां विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुति होगी। साथ ही विचार मंच से समाज सेवा में लगे विभिन्न विभूतियों एवं प्रतिभाओं के विचार से हम अवगत होंगे। पूजन के अवसर पर मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के समन्वयक श्री मनुभाई, श्री शरद पारधी, परमान्द द्विवेदी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

अश्वमेध महायज्ञ - खारघरमधील कुंडाचे प्रकटीकरण

अश्वमेध महायज्ञ - खारघरमधील कुंडाचे प्रकटीकरण

शांतिकुंज हरिद्वारच्या महान विद्वानांनी सनातन पद्धतीनुसार वैदिक विधी केले.

नवी मुंबई येथील खारघर मैदानात 21 ते 25 फेब्रुवारी दरम्यान अखिल विश्व गायत्री परिवारातर्फे अश्वमेध महायज्ञ आयोजित करण्यात आला आहे. पाच जोडप्यांचे पूजन करून व वैदिक पद्धतीने महायज्ञासाठी प्रारंभिक कुंड उघडून अश्वमेध महायज्ञासाठी यज्ञशाळेच्या उभारणीचे काम सुरू झाले. या महायज्ञात 1008 कुंड असणार असून प्रत्येक कुंडात 10 जण मिळून हवन करणार आहेत, अशा प्रकारे एका वेळी दहा हजारांहून अधिक लोक यज्ञात हवन करणार आहेत. 1100 उपाचार्यांना हवन कुंडाची देखभाल आणि योग्य व्यवस्था करण्यासाठी उच्च स्तरावर प्रशिक्षण दिले जात आहे.

अश्वमेध महायज्ञ स्थळ एकूण 240 एकरात पसरलेले आहे. गेल्या तीन वर्षांपासून मुंबईतील तसेच परदेशातील गायत्री परिवारातील सदस्य या महायज्ञासाठी जागतिक मानवतेचे पालनपोषण करणाऱ्या सनातन संस्कृतीच्या उत्थानासाठी आणि राष्ट्राच्या नवनिर्मितीसाठी ध्यानधारणा आणि तयारी करत आहेत. देवसंस्कृत दिग्विजय अभियानांतर्गत अखिल विश्व गायत्री परिवाराने आयोजित केलेला हा 47वा अश्वमेध महायज्ञ आहे. महायज्ञादरम्यान चार हजारांहून अधिक जोडपी एकत्र पूजेत सहभागी होणार आहेत. 22 फेब्रुवारी रोजी सकाळी 7 वाजता देवपूजन सुरू होईल आणि दुपारी 2 वाजेपर्यंत चालेल. हिमालयाच्या छायेत आणि ऋषी विश्वामित्रांचे तपस्थान असलेल्या शुद्ध गंगेच्या कुशीत प्रदीर्घ काळापासून अभ्यास करणारे महान विद्वान यज्ञ करतील. पूज्य डॉ. प्रणव पंड्या जी आणि गेली सहा दशके साधनारत आणि अखिल विश्व गायत्री परिवाराचे नेतृत्व करणाऱ्या पूज्य शैलदीदी यांच्या मार्गदर्शनाखाली ब्रह्मवादिनी भगिनींच्या आचार्यांचा एक वेगळा संघ असेल.  या महायज्ञात सर्व जाती-पंथांसाठी प्रवेश पूर्णपणे विनामूल्य असेल. प्रत्येक व्यक्ती आपल्या भक्तीनुसार या हवनात सहभागी होऊ शकते.

महायज्ञात माता भगवतीदेवी भोजनालय या नावाने चार भोजनालय चालवली जाणार आहेत. जे विविध प्रांतातून येणारे अनुभवी कुटुंबीय हाताळतील. प्रत्येक भोजनालयात दररोज ऐंशी हजारांहून अधिक कुटुंबातील सदस्यांना भोजनाचा प्रसाद मिळेल. संभाजी नगर, श्रीरामपुरम, कबीर नगर, मीराबाई नगर, एकनाथ नगर, संत ज्ञानेश्वर नगर, इत्यादी नावाने एकूण आठ शहरे स्थापन होत आहेत. जिथे विविध प्रांतातून आलेल्या कुटुंबीयांची राहण्याची सोय केली जाईल.

मुंबईत विविध दिव्य तीर्थक्षेत्रे आणि हिमालयातील दिव्य तीर्थक्षेत्रांची झलक प्रदर्शनाच्या माध्यमातून दाखवण्यात येणार आहे. यासोबतच सनातन संस्कृतीच्या प्रवर्तकांचे भव्य आणि विहंगम पुतळे पाहायला मिळणार आहेत. देवसंस्कृत विद्यापीठाचे प्र-कुलगुरू आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या यांच्या मार्गदर्शनाखाली त्याचे बांधकाम सुरू आहे. याशिवाय सांस्कृतिक कला मंच असेल, जिथे विविध सांस्कृतिक सादरीकरणे होणार आहेत. याशिवाय विचार मंचच्या माध्यमातून समाजसेवेत रमलेल्या विविध व्यक्तिमत्त्वांचे आणि कलागुणांचे विचार जाणून घेणार आहोत. पूजेच्या वेळी मुंबई अश्वमेध महायज्ञाचे समन्वयक श्री मनुभाई, श्री शरद पारधी, परमंद द्विवेदी आदींची प्रमुख उपस्थिती होती.