राष्ट्र के समग्र विकास को समर्पित है अश्वमेध महायज्ञ: डा. चिन्मय पंड्या
अश्वमेध यज्ञ जैसे आयोजन राष्ट्र के विकास को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करते हैं: जेपी नड्डा
यज्ञ से प्राप्त होने वाली ऊर्जा का वैज्ञानिक विश्लेषण समर्थन करता है: देवेंद्र फडणवीस
राष्ट्र के आध्यात्मिक और सर्वांगीण विकास में पावन आध्यात्मिक संस्था गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार का योगदान अविस्मरणीय है। हिमाचल में हुए 108 कुंडीय महायज्ञ में भाग लिया था, मैं सौभाग्यशाली हूं कि और अब मुझे 1008 कुंडीय महायज्ञ में अपनी अर्धांगिनी के साथ भाग ले रहा हूं। पं0 श्रीराम शर्मा आचार्य और माता भगवती देवी यह सत्कर्मों का यह प्रतिफल है कि श्रद्धेय डॉक्टर प्रणव पंड्या और श्रद्धेय शैलदीदी के पावन मार्गदर्शन में युवा डॉ. चिन्मय पंड्या की अगुआई में राष्ट्र के विकास, संवर्धन सुख समृद्धि के लिए महाराष्ट्र की धरती पर यह पावन-पवित्र आयोजन हो रहा है। मैं इसके लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार, गायत्री तीर्थ शांतिकुंज की टीम को साधुवाद और बधाई देता हूं। उक्त विचार भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरुवार को नवी मुंबई में शांतिकुंज हरिद्वार की ओर से आयोजित 47वें अश्वमेध में महायज्ञ के मंच से व्यक्त किए।
युवा आईकॉन के डॉ चिन्मय पंड्या ने यज्ञ और अश्वमेध यज्ञ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अश्वमेध यज्ञ राष्ट्रीय उत्तरोत्तर सर्वांगीण विकास के निमित्त आयोजित किया जाता है। वर्ष 1991 में गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और वंदनीया माता भगवती के कार्यक्रमों से राष्ट्र विकास और राष्ट्र निर्माण तथा राष्ट्र की सुख समृद्धि के उद्देश्य से इसका दिव्य आयोजन का अभियान आरंभ किया था। आज उनके द्वारा पोषित किया पौधा, वट वृक्ष का रूप धारण कर चुका है। यह 47वां आयोजन है जो देवभूमि महाराष्ट्र की पावन भूमि पर संपन्न हो रहा है। हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि भारत आध्यात्मिक क्षेत्र में विश्व का मार्गदर्शन करेगा और विकसित राष्ट्र बनते हुए विश्व गुरु की पदवी प्राप्त करेगा। महाराष्ट्र की देवभूमि से हम सब मिलकर एक नया इतिहास लिखेंगे और 22 फरवरी 2024 का दिन स्वर्ण अक्षरों में अंकित होगा।
उपमुख्यमंत्री महाराष्ट्र देवेंद्र फड़ंणवीस ने कहा कि मैं गायत्री तीर्थ शांतिकुंज अखिल विश्व गायत्री परिवार का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने अश्वमेध महायज्ञ के लिए महाराष्ट्र की देवभूमि को चुना। यह भूमि छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि है, यह वीरों की भूमि है, यह संतों की भूमि है। उन्होंने कहा कि एक बहुत बड़ी संत परंपरा का निर्वाह करने वाली यह महाराष्ट्र की पुण्य भूमि है, जहां पर ज्योतिर्लिंगों का भी वास है और शक्तिपीठों का भी। महाराष्ट्र और महाराष्ट्र के लोगों के लिए यह गर्व की बात है कि ऐसी पावन-पवित्र भूमि पर आज यहां गायत्री तीर्थ शांतिकुंज अखिल विश्व गायत्री परिवार के मार्गदर्शन में अश्वमेध महायज्ञ संपन्न हो रहा है। यह हमारे लिए गौरव की बात है कि आदरणीय परम पूजनीय पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और गायत्री परिवार ने यज्ञ की परंपरा को फिर एक बार वैश्विक स्वरूप दिया, उसी के चलते आज हमारी सनातन संस्कृति और हमारी यज्ञ की संस्कृति पुष्पित और पल्लवित हो रही है।
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