अश्वमेध महायज्ञ खारघर में कुण्ड का प्राकट्यीकरण
शांतिकुंज हरिद्वार के प्रकाण्ड विद्वानों ने सनातन पद्धति से कराया वैदिक कर्मकाण्ड
अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा नवी मुंबई के खारघर में 21 से 25 फरवरी को अश्वमेध महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। पांच दंपतियों के पूजन के साथ महायज्ञ हेतु वैदिक पद्धति द्वारा प्रारंभिक कुण्ड का प्राकट्यीकरण के साथ अश्वमेध महायज्ञ का यज्ञशाला का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया। महायज्ञ में 1008 कुण्ड होगा, और प्रत्येक कुण्ड में 10 व्यक्ति एक साथ हवन करेंगे, इस तरह दस हजार से अधिक व्यक्ति एक पाली में एक साथ यज्ञ में आहुति डालेंगे। हवन कुण्ड की देखरेख एवं समुचित व्यवस्था हेतु 1100 उपाचार्याे को उच्च स्तर पर प्रशिक्षित किये जा रहे हैं।
अश्वमेध महायज्ञ स्थल कुल 240 एकड़ में है। विश्व मानवता के पोषण करने वाली सनातन संस्कृति के उत्थान एवं राष्ट्र के नवोन्मेष हेतु होने वाले इस महायज्ञ के लिए मुंबई के साथ ही देश विदेश के गायत्री परिजन विगत तीन साल में साधना एवं तैयारी में जुटे हैं। देवसंस्कृति दिग्विजय अभियान के अंतर्गत अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा संचालित 47वां अश्वमेध महायज्ञ है। महायज्ञ के दौरान देवपूजन में चार हजार से अधिक दंपति एक साथ पूजन में भाग लेंगे। 22 फरवरी को देवपूजन प्रातः 7 बजे प्रारंभ होगा और दोपहर दो बजे तक चलेगा। ऋषि विश्वामित्र की तपःस्थली हिमालय की छाया एवं पतित पावनी गंगा की गोद में लंबे समय से साधनारत प्रकाण्ड विद्वानों द्वारा यज्ञ का संचालन किया जायेगा।
विगत छः दशक से साधनारत और अखिल विश्व गायत्री परिवार की प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या जी एवं श्रद्धेया शैलदीदी के निर्देशन में यज्ञ संचालन के लिए ब्रह्मवादिनी बहिनों की एक अलग आचार्यों की टीम होगी। आचार्या एवं आचार्यों की टीम लंबी साधना के बाद ब्रह्मणांच्छी, अध्यर्वु, होता, उद्गाता के साथ यज्ञ संसद की भूमिका निभायेंगे। इस महायज्ञ में सभी जाति, सम्प्रदायों के लिए प्रवेश पूरी तरह से निःशुल्क होगा। इस हवन में हर व्यक्ति अपनी श्रद्धानुसार भाग ले सकते हैं। इस महानुष्ठान में भाग लेने वाले व्यक्ति धन्य होंगे, और वे पुण्य के भागीदार बनेंगे। महायज्ञ में माता भगवती देवी भोजनालय के नाम से चार भोजनालय संचालित होंगे। जो अलग अलग प्रांतों से आये अनुभवी परिजन संभालेंगे। प्रत्येक भोजनालय में प्रतिदिन अस्सी हजार से अधिक परिजन भोजन प्रसाद ग्रहण कर पायेंगे। संभाजी नगर, श्रीरामपुरम, कबीर नगर, मीराबाई नगर, एकनाथ नगर, संत ज्ञानेश्वर नगर, आदि के नाम से कुल आठ नगर बसाये जा रहे हैं। जहां अलग अलग प्रांतों से आने वाले परिजनों को ठहराये जायेंगे।
मुंबई में देवात्मा हिमालय के विभिन्न देवतीर्थों, दिव्य तीर्थों की झलक प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाये जायेंगे। इसके साथ ही सनातन संस्कृति के पुरोधाओं के भव्य व नयनाभिराम मूर्तियों का दर्शन करेंगे। जिसके निर्माण का कार्य देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ चिन्मय पण्ड्या जी के निर्देशन में जारी है। इसके अलावा सांस्कृतिक कला मंच होगा, जहां विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुति होगी। साथ ही विचार मंच से समाज सेवा में लगे विभिन्न विभूतियों एवं प्रतिभाओं के विचार से हम अवगत होंगे। पूजन के अवसर पर मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के समन्वयक श्री मनुभाई, श्री शरद पारधी, परमान्द द्विवेदी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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