सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील के दस्तावेजों को लेकर मोदी सरकार ने किए गए अलग अलग दावे को लेकर मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा पूछे गए सवालों पर रक्षा मंत्रालय ने दो टूक में जवाब दिया हैं कि वर्गीकृत जानकारी का पब्लिक डोमेन पर प्रकटीकरण और सुरक्षा निर्देश नियमावली का उल्लंघन को लेकर रक्षा मंत्रालय ( सुरक्षा कार्यालय ) द्वारा आंतरिक जांच शुरु की गई हैं।
मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने रक्षा मंत्रालय से जानने की कोशिश की थी कि रक्षा मंत्रालय को कब पता चला था कि राफेल डील की फ़ाइल चोरी हुई हैं? दूसरा सवाल यह था कि रक्षा मंत्रालय के अफसरों ने कौनसी कार्रवाई की? तीसरे सवाल में सीधे पूछा गया कि इसकी जानकारी प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को दी गई थी, फिर प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने कौनसी कार्रवाई की? चौथा अहम सवाल था कि इस मामले को लेकर पुलिस में शिकायत की गई थी या नहीं? एफआईआर और शिकायत पत्र की कॉपी गलगली ने मांगी थी।
अनिल गलगली की 8 मार्च की आरटीआई पर रक्षा मंत्रालय के वायु अधिग्रहण के उप सचिव सुशील कुमार ने 2 टूक में जवाब दिया कि वर्गीकृत जानकारी का पब्लिक डोमेन पर प्रकटीकरण और सुरक्षा निर्देश नियमावली का उल्लंघन को लेकर रक्षा मंत्रालय ( सुरक्षा कार्यालय ) द्वारा आंतरिक जांच शुरु की गई हैं। अनिल गलगली का मानना हैं कि यह हाई प्रोफाइल मामला होने से सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग दावे तो किए हैं तो फिर जानकारी देने में संकोच नहीं करना चाहिए। सरकार इससे जुड़ी हुई जानकारी जो सुप्रीम कोर्ट में आसानी से दे सकती हैं तो इसे सार्वजनिक करना चाहिए ताकि इस राफेल डील और उसके दस्तावेजों पर जनता खुद निर्णय ले सके।
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