Monday, 7 September 2015
आदर्शवादी 12 अफसरों को बचाने का भाजपा सरकार का प्रयास
देश में बहुचर्चित ऐसे आदर्श बिल्डिंग की रिपोर्ट न्यायमूर्ति जे ए पाटील की द्विसदस्यीय आयोग ने सरकार को पेश कर 12 अफसरों पर सेवानियमों का उल्लंघन करने के मामले में कारवाई की सिफारस की थी। सरकार ने इस मामले में 21 महीने के पहले कारवाई करने की बात कही थी लेकिन ऐसे अफसरों पर किए कारवाई की जानकारी मांगने पर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को देने से भाजपा सरकार ने इनकार करने से कारवाई हुई है या नहीँ ? इसकी जनकारी गुलदस्ते में हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से आदर्श आयोग ने सिफारस किए हुए आईएएस अधिकारीवर्गों पर ( अफसरों पर )
की हुई कारवाई की जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन के अवर सचिव सु.ह. उमराणीकर ने उक्त जानकारी कर्मचारी सह कर्मचारी की होने से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1)(त्र) तथा सुप्रीम कोर्ट ने दिनांक 03.10.2012 को गिरीश देशपांडे बनाम केंद्रीय सूचना आयोग के संदर्भ में दिए हुए निर्णय का हवाला देकर उक्त जानकारी व्यक्तीगत बताई और जानकारी देने से इनकार किया।
अनिल गलगली ने इस आदेश के खिलाफ दायर की हुई प्रथम अपील सुनवाई में उप सचिव पां.जो. जाधव ने भी जन सूचना अधिकारी का आदेश योग्य होने का फैसला सुनाया। अनिल गलगली ने अपील सुनवाई में तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट में मामले के स्तर पर निर्णय होने से सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्णय पूरे देश में लागू करने का आदेश नही दिया हैं।सूचना आयोग में आनेवाले हर एक मामला गिरीश देशपांडे जैसा नही हो सकता हैं। साथ ही सरकारी अफसर और कर्मचारी का सरकारी कर्तव्य और कामकाज ये व्यक्तीगत न होते हुए सरकारी कामकाज का हिस्सा होने का दावा अनिल गलगली ने किया हैं।
# सरकार की वादाखिलाफी
आदर्श सहकारी गृहनिर्माण संस्था में हुई गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए ( 8 जनवरी 2011 को ) गठित द्विसदस्यीय आयोग ने 13 अप्रैल 2012 को उसकी रिपोर्ट राज्य सरकार के पास सौंपी। पहले 17 अप्रैल 2013 और उसके बाद ये रिपोर्ट 20 दिसंबर 2013 को विधीमंडल के पटल पर रखी गई। विषय क्रमांक 10 के अंतर्गत आयोग ने बारह अफसरों पर सेवा वर्तणूक नियमों का उल्लंघन करने का आरोप रखा था। सरकार ने इस बारह अफसरों के खिलाफ अखिल भारतीय सेवा( वर्तणूक) नियम तथा महाराष्ट्र नागरी सेवा ( वर्तणूक) नियम के अलावा अन्य लागू होनेवाले सेवानियम के प्रावधान के अनुसार संबंधित सक्षम प्राधिकारी कारवाई करेगा, ऐसा कार्यवाही का ब्यौरा विधीमंडल को दिया था।
आज 21 महीने के बाद भी सरकार ने किए हुए कारवाई की जानकारी स्वयंस्फूर्त होकर जनता को देने की जरुरत है लेकिन सरकार उससे पलायन करने का आरोप अनिल गलगली ने किया हैं। जिस आदर्श मामले का राजनीतिक लाभ लेकर भाजपा ने सत्ता हासिल की उसी आदर्श आयोग की रिपोर्ट पर कारवाई करने के बजाय सेवानियमों का उल्लंघन करने वाले बारह दोषी अफसरों को एकतरह से बचा ही रही हैं। अनिल गलगली ने पारदर्शक सरकार के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय को भेजे हुए पत्र में मांग की है कि राज्य के सर्वोच्च ऐसे विधीमंडल के पटल पर रखी हुई रिपोर्ट का सम्मान रखकर ताबडतोब कारवाई कर उक्त जानकारी सार्वजनिक करे।
# मुख्यमंत्री सचिवालय भी अनभिज्ञ
मुख्यमंत्री सचिवालय ने भी जानकारी से अनभिज्ञता जताते हुए गलगली का आवेदन सामान्य प्रशासन विभाग के पास हस्तांतरित किया।
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