महाराष्ट्र राज्य का धर्मादाय आयुक्त यह पद गत 187 दिनों से रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को धर्मादाय आयुक्त कार्यालय ने दी हैं। राज्य के पब्लिक ट्रस्ट तथा अन्य संस्था का कामकाज पर ध्यान रखकर कल्याणकारी योजना को अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी धर्मादाय आयुक्त इनपर होती हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने धर्मादाय आयुक्त कार्यालय से जानकारी मांगी थी कि धर्मादाय आयुक्त यह पद कब से रिक्त हैं और इस पद पर नियुक्ति करने की जिम्मेदारी किसकी हैं? धर्मादाय आयुक्त कार्यालय ने अनिल गलगली को बताया कि धर्मादाय आयुक्त यह पद दिनांक 5 दिसंबर 2018 से रिक्त हैं। साथ ही में धर्मादाय आयुक्त इस पद पर नियुक्ति करने का अधिकार राज्य सरकार को हैं। पूर्व धर्मादाय आयुक्त शिवकुमार डिगे की नियुक्ती सरकार ने दिनांक 18 अगस्त 2017 को थी। शिवकुमार डिगे ने ऑडिट न करने वाले संस्थाओं पर शिकंजा कसते हुए धर्मादाय अस्पताल प्रशासन को धर्मादाय ऐसा लिखने पर बाध्य किया था। साथ ही में मानवाधिकार और भ्रष्टाचार इस शब्द का बढ़ता हुआ दुरुपयोग देखते हुए इस शब्द डिलेट करने का आदेश जारी कर गैर सरकारी संस्थाओं पर ख़ौफ़ बनाता था। 1 लाख से अधिक संस्थाओं पर कार्रवाई कर कुछ संस्थाओं का पंजीकरण भी रद्द किया था। इससे धर्मादाय आयुक्त पद पहली बार आम लोगों में चर्चा का विषय बना था।
अनिल गलगली के अनुसार जब धर्मादाय आयुक्त पद से शिवकुमार डिगे को हटाया गया उसके पहले ही इस पद पर नियुक्ति करने की आवश्यकता थी। लेकिन विधी व न्याय विभाग की ढुलमुल रवैया से आज 187 दिन होने के बाद भी राज्य को धर्मादाय आयुक्त न मिलना गौरव की बात नहीं हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे हुए पत्र में धर्मादाय आयुक्त पद पर तत्काल नियुक्ति करने की मांग गलगली ने की हैं।
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