सूचना का अधिकार कानून यानी आरटीआई से महाराष्ट्र सरकार को करोड़ों का मुनाफा हुआ हैं।.अनिल गलगली की एक आरटीआई के बाद अनिल अंबानी की रिलायंस एनर्जी इस बिजली कंपनी ने सरकार से किया हुआ फर्जीवाड़ा उजागर करने से मज़बूरी में 2640 करोड़ की बकाया धनराशि का भुगतान करना ही पड़ा.
महाराष्ट्र में आरटीआई के जरिए सरकार और जनता के साथ फर्जीवाड़ा करनेवाले रसूखदारों और राजनेताओं के साथ सरकारी बाबुओं को दुरुस्त करने का काम अनिल गलगली करते हैैं.बिजली के बिल में सरकार के लिए विद्युत शुल्क और बिजली टैक्स रिलायंस कंपनी द्वारा वसूल कर वह रकम हर महीने सरकार के बिजली निरीक्षक के पास जमा करना जरुरी होता हैं. लेकिन बिजली निरीक्षक की मिलीभगत से जून 2017 से बकाया धनराशि बढ़ती गई और मामला ठंडे बस्ते में चला गया. अनिल गलगली ने इसकी जानकारी मांगते ही बिजली शुल्क, टॉस और ग्रीन सेस की करीब 1500 करोड़ की धनराशि बकाया होने की जानकारी सामने आई. अनिल गलगली ने ताबडतोब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा और एसएमएस कर सभी प्रकार की जानकारी दी. इसके बाद भी बिजली निरीक्षक यह बकायेदार अनिल अंबानी की मोह माया से बाहर निकलने के लिए राजी नहीं थे. अनिल अंबानी ने रिलायंस बिजली कंपनी गौतम अदानी को बेचते ही अनिल गलगली ने महाराष्ट्र बिजली नियामक आयोग को पत्रव्यवहार कर बकाया धनराशि की जानकारी दी लेकिन दुर्भाग्य से पहले बकाया धनराशि की रकम वसूलने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र सरकार की होने का लिखित जबाब बड़ी ही बेशर्मी से दिया गया. जनता से सरकार के नाम पर पैसे वसूल कर उसे सरकारी तिजोरी में जमा न करनेवाले अनिल अंबानी पर एफआईआर दर्ज हो और बकाया धनराशि जबतक जमा नहीं होती हैं तबतक लायसेंस ट्रांसफर न करने की मांग अनिल गलगली ने की थी. सरकार के जिस उर्जा विभाग ने अनिल अंबानी की रिलायंस कंपनी ने 2640 करोड़ जमा करने की जानकारी प्रसार माध्यम के जरिए सार्वजनिक की हैं वही ऊर्जा विभाग गत 15 महीने से इसे नजरअंदाज कर अपरोक्ष तरीके से मददगार साबित हुआ. लायसेंस ट्रांसफर करने के लिए बकाया धनराशि जमा करने की मजबूरी आन पड़ने से कमसे कम 2640 करोड़ जमा हुआ अन्यथा यह रकम डूबने जैसा माहौल बनाया गया था.
अनिल गलगली जो लगातार इस मामले को जद्दोजहद कर रहे थे उनका कहना बिजली निरीक्षक से लेकर ऊर्जा सचिव के रोल की जांच करे और प्रशासकीय कारवाई मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा की जाए क्योंकि इनकी लापरवाही कहे या मिलीभगत से सरकारी रकम सरकारी तिजोरी के बजाय निजी व्यक्ति के तिजोरी में थी और उससे घाटा हुआ हैं. अब तो सरकार सूचना का अधिकार और कार्यकर्ताओं को दोष देना बंद करे क्योंकि आरटीआई से यह मामला उजागर हुआ हैं, यह अपील अनिल गलगली ने की हैं.
Respected Sir,
ReplyDeleteI need your guidance to file an application in Hon. Court against MCGM. I made online and written complaints to factory and building Department of MGM in January 2018. I met Asst. Commissioner, he promised the illegal construction would be demolished. But nothing has happened. Could you please guide me?
My email address is mumbai1may@rediffmail.com
Thanking you.
Yours sincerely