Monday 6 April 2015

मुंबई एयरपोर्ट की जमीन घपले की कहानी

मुंबई एयरपोर्ट के इर्द गिर्द बसी बस्तियों को हटाकर करीब 84 हजार परिवारों को उजाड़ने का सरकारी अफसर, निजी कंपनी, दलाल और बिल्डर लॉबी का प्लान फिर एक बार उफान पर है और भाजपा सरकार द्वारा इसे जाने अनजाने में अमल में लाने के प्रयास में है । मेट्रो 3 की तरह एयरपोर्ट विकास के नाम पर 4 से 5 लाख लोगों को उजाडने पर स्थानीय जनता का विरोध है। एयरपोर्ट के विकास के नाम पर बिल्डर, जीवीके कंपनी और राजनेताओं को कमाई के नजरिये से प्रफुल्लित करनेवाली योजना में 20 हजार करोड़ का घपला भी है।

मुंबई एयरपोर्ट के इर्द गिर्द बसी बस्तियों को हटाकर एयरपोर्ट को विकास करने की मूल योजना वर्ष 1998 में सर्वप्रथम सामने आई। उसवक्त के नागरी उड्डयन मंत्री शरद यादव ने लोकसभा में इस बात का खुलासा किया था कि 84 हजार परिवारों को घर देकर सरकार उनका उचित पुर्नवास करेगी। इस योजना के तहत जरीमरी के रफीक नगर बस्ती का प्रायोगिक तत्व पर चयन किया गया । रफीक नगर के 2160 झोपड़ों को हटाने के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ने महाराष्ट्र सरकार की निजी कंपनी शिवशाही पुर्नवसन लिमिटेड कंपनी से 25 करोड़ का समझोता किया। इस समझोते के तहत वर्ष 2002 में दिंडोशी के संतोष नगर में बिल्डिंग बनाकर रफीक नगर के 2160 परिवारों को बसाने की पहल शुरु हुई। ये योजना सचमुच में अच्छी थी और गरीबों का जीवनमान उंचा करने के लिए सहायक साबित होती लेकिन सरकारी योजना का गलत लाभ लेकर सरकार को चूना लगाने की राजनेताओं की गंदी मानसिकता से रफीक नगर की प्रायोगिक तत्व वाली योजना आगे बढ़ नही पायी। इतना ही नही, कई लोगों ने अपने फ्लैट बेच दिए और फिर जरीमरी में आकर बस गए। आज भी वहां की स्थिति बद से बदतर है और सरकार की योजना पुरी तरह विफल साबित हुई। इस योजना में करीब 800 फ्लैट उन लोगों को मिले जिनका जरीमरी से दूर का भी संबंध नही था और फर्जी कागजात के दम पर फ्लैट पाने में सफल हुए थे।

अब 13 वर्ष के बाद दोबारा पुर्नवास का भुत जनता के सिर पर मंडरा रहा है। अब झोपड़े की संख्या करीब 1.25 लाख तक पहुंच गई है। मुंबई एयरपोर्ट को विकसित करने के लिए निजी कंपनी जीवीके आगे आई। एयरपोर्ट के नाम पर आसपास की स्लम बस्तियों पर इनकी नजरे गढ़ी है जो आज के वक्त में भी सोने का भाव देने के लिए सक्षम है। जीवीके ने विवादित बिल्डर एचडीआईएल से सौदा कर उसे विद्याविहार में 17000 फ्लैट बनाने का छुपा एग्रीमेंट किया और एसआरए ने करोड़ों रुपए का एफएसआई दिया। वही एचडीआईएल को  276 में से करीब 65 एकड़ जमीन मिलने वाली थी और जीवीके को बची हुई  जमीन। जबकि जीवीके ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया की अनुमति लिए बिना इतना बड़ा सौदा कर बिल्डर और उनकी कंपनी को प्रफुल्लित किया। इसके पहले केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र सरकार की निजी कंपनी से फ्लैट खरीदकर काम किया था जिसमें एयरपोर्ट अथॉरिटी का लाभ भी हुआ और रफीक नगर हटने से रनवे विस्तारित हुई थी। एनडीए सरकार के कार्यकाल में निजी कंपनी को दूर रखने का लिया हुआ फैसले के खिलाफ यूपीए सरकार गई। कांग्रेस और एनसीपी से नजदीकी संबंधो के चलते एचडीआईएल को एयरपोर्ट में डायरेक्ट एंट्री मिली। एचडीआईएल ने समय अवधि में फ्लैट 100 प्रतिशत न बनाने से जीवीके ने आनन फानन में एग्रीमेंट तोड़ दिया। जिसे एचडीआईएल ने कोर्ट में चुनौती भी दी थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर जीवीके के पक्ष में फैसला सुनाया। सबसे ताज्जुब की बात ये है कि किसी को फ्लैट दिए बिना ही एसआरए और सरकार एचडीआईएल एवमं जीवीके पर इतनी मेहरबान हुई कि करोड़ों रुपए का एफएसआई जारी किया गया।

हाल ही में एयरपोर्ट पुर्नवास में होने वाली देरी और फर्जीवाड़ा के चलते मामला ठंडे बस्ते में गिरा। एसआरए ने यहां के फ्लैट मनपा और एमएमआरडीए को देने के लिए कदम उठाते ही 13 वर्ष से बोतल में बंद भूत अचानक बाहर आ गया। एयरपोर्ट से जुडी हुई बस्ती और लोगों के दर्द की हवा में कांग्रेस और एनसीपी की जीत उड़ गई। इस लड़ाई में विनायक राऊत, पराग अलवनी और निकोलस अल्मेडा जैसे लोगों की प्रमुख भूमिका थी जो 5-6 दशक से रहनेवालों को बेघर होने के विरोध में खड़े हुए और उनका पुर्नवास वहीँ पर करने के लिए लड़े थे।  आज भी कोई भी परिवार बाहर नही जाना चाहता है। संजय तिवारी से लेकर अखिलेश तिवारी, सिराज अहमद खान से लेकर अर्शद अमीर का तर्क लाजमी है कि एसआरए है तो बाहर क्यों? यही पर गरीबों को बसाना चाहिए। सरकार वोटिंग लिस्ट के मुताबिक़ पुर्नवास करती है तो फर्जीवाड़ा करनेवाले फ्लैट तो दूर की बात जेल की हवा खा सकते है जैसे वर्ष 2006 में मीठी नदी फर्जीवाड़ा मामले में 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। स्थानीय सांसद पूनम महाजन भी उचित हल की मांग कर रह है क्योंकि यहां पर 60 प्रतिशत लोग फर्जीवाड़ा कर घुसपैठ कर चुके है। चांदीवली से विधायक मोहम्मद आरिफ नसीम खान ने हाल ही में मुख्य मंत्री से बैठक ली थी। खान ने एक नही दो बार फर्जीवाड़ा करनेवालों पर सख्त कारवाई के लिए पहल कर चुके है।

मेट्रो 3 के तर्ज पर एयरपोर्ट के बासिंदे विरोध में है। जब मुंबई के बाहर नई मुंबई में नया एयरपोर्ट बन रहा है तो यहां के लोगों को विस्थापित करने का तुक क्या है? सरकार और नेता आखिर किसका भला करना चाहती है? एनडीए सरकार की मूल योजना को बगल में रखकर बिल्डर,कॉरपोरेट और दलालों को भेंट कराने के लिए अफसरशाही क्यों बेताब है? इन सवालों का जबाब सीबीआई जांच से ही सामने आ सकता है।


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