मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय के काम में अनियमितता, गड़बड़ी और अनियमित नियुक्तियों को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की शिकायत को 32 महीने बाद चैरिटी कमिश्नर ने संज्ञान लिया है. शिकायत के बाद, चैरिटी कमिश्नर के कार्यालय ने मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय द्वारा बेची गई संपत्तियों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है।
आरटीआई कार्यकर्ता और आजीवन सदस्य अनिल गलगली ने मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय में चुनाव, वित्तीय घोटालों और संपत्ति के मुद्दों के संबंध में दिनांक 14/02/2019 को मुख्यमंत्री के पास शिकायत दर्ज कराई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा दिनांक 28/03/2019 को मामले की जांच के आदेश के बाद, चैरिटी कमिश्नर के कार्यालय ने समय पर कार्रवाई नहीं की। यह रिपोर्ट 32 महीने बाद दिनांक 08/10/2021 को तैयार की गई थी। मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय की संपत्तियों के अंतर्गत बेची गई संपत्तियों के मामले में, इस 6 पेज की रिपोर्ट में संग्रहालय के पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण मंगवाने की सिफारिश की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, चैरिटी कमिश्नर के कार्यालय ने संगठन के संविधान संशोधन, कार्यकारी बोर्ड के चुनाव, ट्रस्टियों और नियुक्तियों को मंजूरी नहीं दी है। सभी परिवर्तन रिपोर्ट 2013 से प्रलंबित हैं। हालांकि संगठन के पदाधिकारियों ने चुनाव समेत मनमाना कारोबार व वित्तीय लेन-देन किया है। सभी पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर विवाद है। चैरिटी कमिश्नर के कार्यालय ने तत्काल कार्रवाई करते हुए संगठन के इन पदाधिकारियों के सभी लेन-देन पर रोक लगाना आवश्यक होने की बात अनिल गलगली ने कही हैं।
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