Monday, 22 November 2021

सीएम सहायता कोष कोविड के खाते में जमा 799 करोड़ में से 606 करोड़ रुपये शेष

कोविड में मदद की अपील के बाद लोगों ने मुख्यमंत्री सहायता कोष के कोविड खाते में तहत भारी आर्थिक सहायता प्रदान की। मुख्यमंत्री सचिवालय ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सूचित किया है कि अब तक 799 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं जिसमें से अब 606 करोड़ रुपये जमा हैं। 192 करोड़ रुपये के आवंटन को ध्यान में रखते हुए कुल राशि का 25 प्रतिशत जमा कोष से खर्च किया गया है।


आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री सचिवालय से जमा की गई कुल राशि, खर्च की गई राशि और शेष राशि की जानकारी मांगी थी। मुख्यमंत्री सचिवालय के मुख्यमंत्री सहायता कोष प्रकोष्ठ ने अनिल गलगली को बताया कि कुल 798 करोड़ रुपये की राशि जमा हो चुकी है और फिलहाल 606 करोड़ रुपये शेष हैं। 192 करोड़ का आवंटन किया गया है। 


अनिल गलगली के मुताबिक, चूंकि फंड सिर्फ कोविड मकसद के लिए है, इसलिए अब तक 100 फीसदी खर्च करना जरूरी था लेकिन सरकार ने 25 फीसदी फंड आवंटित कर दिया है। आखिर 606 करोड़ रुपये जमा रखने का मकसद क्या है? इसे सार्वजनिक करने की जरूरत है। 


जमा की गई राशि में से खर्च की गई राशि 192 करोड़ 75 लाख 90 हजार 12 रुपये है। इसमें से 20 करोड़ रुपये चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा सेंट जॉर्ज अस्पताल में कोविड के लिए एक विशेष आईयूआई सेटअप के लिए खर्च किए गए हैं। कोविड की 25 हजार जांच के लिए एबीबीओटी एम2000आरटी पीसीआर मशीन की उपभोग्य सामग्रियों को खरीदने के लिए 3 करोड़ 82 लाख 50 हजार खर्च किए गए। औरंगाबाद जिले में रेल दुर्घटना में मारे गए श्रमिकों के वारिसों को 80 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई। प्रवासी मजदूरों के रेल शुल्क के लिए 82 करोड़ 46 लाख 94 हजार 231 खर्च किए गए। रत्नागिरी और जालना जिलों में कोविड-19 की जांच पर 1 करोड़ 7 लाख 6 हजार 920 रुपये हिसाब से 2 करोड़ 14 लाख13 हजार 840 रुपए खर्च किए गए। 18 सरकारी मेडिकल कॉलेजों, 4 मनपा मेडिकल कॉलेजों और 1 टीएमसी मेडिकल कॉलेज को प्लाज्मा थेरेपी टेस्ट कराने के लिए 16.85 करोड़ रुपये दिए गए। मेरा परिवार और मेरी जिम्मेदारी इस अभियान को राज्य स्वास्थ्य संस्थान के आयुक्त को 15 करोड़ रुपए दिया गया हैं। कोविड के दौरान महिला वेश्याओं को 49 करोड़ 76 लाख 15 हजार 941 रुपये दिए गए। कोविड के तहत म्यूटेंट वेरिएंट के शोध के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग पर 1 करोड़ 91 लाख 16 हजार रुपये खर्च किए गए।

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