आम नागरिकों को मनपा प्रशासन में पत्राचार करने के बाद मनपा द्वारा उसका निकारण कर कारवाई करने का कुछ अच्छा अनुभव आता नही है ये असलियत ध्यान में रखकर जनप्रतिनिधी के पास जाने की मजबूरी जनता पर आन पड़ती है। लेकिन जनप्रतिनिधी की स्थिति भी कुछ ख़ास न होने की चौकानेवाली जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मिली जानकारी से सामने आयी हैं। महानगरपालिका और उसकी समिती की सभा नगरसेवकों ने पटल पर रखे हुए पुरे 243 प्रस्ताव मनपा आयुक्त ने दिखाए हुए अंगूठे से आज तक प्रलंबित है।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा आयुक्त कार्यालय की प्रशासकीय अधिकारी से नगरसेवकों ने उपस्थित किए हुए विभिन्न प्रस्ताव की जानकारी मांगने पर गलगली का आवेदन मनपा सचिव विभाग के पास हस्तांतरित किया। मनपा सचिव विभाग की मनपा उप सचिव और जन सूचना अधिकारी शोभना येरंडेकर ने अनिल गलगली को मनपा की जनवरी ( 2015 ) महिने की कार्यक्रमपत्रिका की सह पत्र की प्रत दी। मनपा सचिव द्वारा दिनांक 30 सितंबर 2014 तक 243 प्रस्ताव की लिस्ट दी गई है। मनपा आयुक्त द्वारा 31 दिसंबर 2014 तक की रिपोर्ट पेश न करने आरोप मनपा सचिव द्वारा लगाया गया है। इन प्रस्तावों में मुंबई के हितों के प्रस्ताव होते गए मनपा आयुक्त द्वारा उसे तवज्जों न देने पर नाराजगी जताते हुए अनिल गलगली ने इसकी शिकायत मुख्य मंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास की है। अनिल गलगली ने मुंबई सहित राज्य के सभी मनपा आयुक्तों को ऐसे प्रस्तावों का निपटान 30 दिनों में करने का आदेश देने की मांग की है।
7 अप्रैल 2003 से 14 अगस्त 2014 तक 243 विभिन्न प्रस्ताव आयुक्त स्तर पर प्रलंबित है जिसमें सचिन तेंडूलकर का मनपा द्वारा भव्य नागरी सत्कार, मुंबई शहर के मुख्य स्थान पर कै. नाना शंकर शेठ का भव्य स्मारक बनाना, मनपा की अतिरिक्त महाविद्यालय शुरु करना, आतंकवादी हमला और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपत्ति में विकलांगता आए हुए पीड़ितों को गाला वितरित करना और मनपा की सेवा में समाहित करना, मराठी रंगभूमि भवन का निर्माण करना, खुले भूभाग पर वन उद्यान विकसित करना, मुंबई के विकास में विशेष योगदान देने वाले लोगों को मुंबई रत्न व मुंबई भूषण पुरस्कार देना, बारिश के पूर्व पानी की किल्लत से बचने के लिए नए निर्माण की अनुमति देने पर , रिंग वेल बनाना, शहीदों का स्मारक स्तुतिरुप जानकारी सहित बनाना , झोपडियों न्यूनतम 18 फूट इतनी ऊंचाई बढ़ाने की अनुमति देना, फ्लावरबेड की मरम्मत करना, ऑक्ट्राय एजंट को दिए हुए लाइसेंस रद्द कर चुंगी वसुली का काम मनपा अधिकारी-कर्मचारी को देना, फूटपाथ से अतिक्रमण हटाकर विदेश में निर्मित हुए फुटपाथ की तर्ज पर फुटपाथ बनाना, नगरसेवक निधी से निर्मित वास्तु के लिए नाममात्र किराया निश्चित करना, मनपा के संकेतस्थल पर जानकारी तप्तरता से अपडेट करने के लिए स्वतंत्र कक्ष का गठन करना आदि का समावेश हैं
ऐसे विभिन्न और लोकप्रयोगी प्रस्तावों का आयुक्त ने जिम्मेदारी से अनुपालन किया तो मुंबई का नूर बदलना आसान होता था, ऐसी सरल मांग कर अनिल गलगली ने आयुक्त की इसतरह की नकारात्मकता मुंबईकरों के हित के मद्देनजर योग्य न होने की टिप्पणी की है।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा आयुक्त कार्यालय की प्रशासकीय अधिकारी से नगरसेवकों ने उपस्थित किए हुए विभिन्न प्रस्ताव की जानकारी मांगने पर गलगली का आवेदन मनपा सचिव विभाग के पास हस्तांतरित किया। मनपा सचिव विभाग की मनपा उप सचिव और जन सूचना अधिकारी शोभना येरंडेकर ने अनिल गलगली को मनपा की जनवरी ( 2015 ) महिने की कार्यक्रमपत्रिका की सह पत्र की प्रत दी। मनपा सचिव द्वारा दिनांक 30 सितंबर 2014 तक 243 प्रस्ताव की लिस्ट दी गई है। मनपा आयुक्त द्वारा 31 दिसंबर 2014 तक की रिपोर्ट पेश न करने आरोप मनपा सचिव द्वारा लगाया गया है। इन प्रस्तावों में मुंबई के हितों के प्रस्ताव होते गए मनपा आयुक्त द्वारा उसे तवज्जों न देने पर नाराजगी जताते हुए अनिल गलगली ने इसकी शिकायत मुख्य मंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास की है। अनिल गलगली ने मुंबई सहित राज्य के सभी मनपा आयुक्तों को ऐसे प्रस्तावों का निपटान 30 दिनों में करने का आदेश देने की मांग की है।
7 अप्रैल 2003 से 14 अगस्त 2014 तक 243 विभिन्न प्रस्ताव आयुक्त स्तर पर प्रलंबित है जिसमें सचिन तेंडूलकर का मनपा द्वारा भव्य नागरी सत्कार, मुंबई शहर के मुख्य स्थान पर कै. नाना शंकर शेठ का भव्य स्मारक बनाना, मनपा की अतिरिक्त महाविद्यालय शुरु करना, आतंकवादी हमला और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपत्ति में विकलांगता आए हुए पीड़ितों को गाला वितरित करना और मनपा की सेवा में समाहित करना, मराठी रंगभूमि भवन का निर्माण करना, खुले भूभाग पर वन उद्यान विकसित करना, मुंबई के विकास में विशेष योगदान देने वाले लोगों को मुंबई रत्न व मुंबई भूषण पुरस्कार देना, बारिश के पूर्व पानी की किल्लत से बचने के लिए नए निर्माण की अनुमति देने पर , रिंग वेल बनाना, शहीदों का स्मारक स्तुतिरुप जानकारी सहित बनाना , झोपडियों न्यूनतम 18 फूट इतनी ऊंचाई बढ़ाने की अनुमति देना, फ्लावरबेड की मरम्मत करना, ऑक्ट्राय एजंट को दिए हुए लाइसेंस रद्द कर चुंगी वसुली का काम मनपा अधिकारी-कर्मचारी को देना, फूटपाथ से अतिक्रमण हटाकर विदेश में निर्मित हुए फुटपाथ की तर्ज पर फुटपाथ बनाना, नगरसेवक निधी से निर्मित वास्तु के लिए नाममात्र किराया निश्चित करना, मनपा के संकेतस्थल पर जानकारी तप्तरता से अपडेट करने के लिए स्वतंत्र कक्ष का गठन करना आदि का समावेश हैं
ऐसे विभिन्न और लोकप्रयोगी प्रस्तावों का आयुक्त ने जिम्मेदारी से अनुपालन किया तो मुंबई का नूर बदलना आसान होता था, ऐसी सरल मांग कर अनिल गलगली ने आयुक्त की इसतरह की नकारात्मकता मुंबईकरों के हित के मद्देनजर योग्य न होने की टिप्पणी की है।
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