केंद्र की मोदी सरकार के तर्ज पर महाराष्ट्र की पिछली सरकार के मंत्रियों के साथ काम किए अधिकारी वर्ग को पुनः मौका न देने का सरकारी आदेश जारी तो हुआ था लेकिन वर्तमान में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री कार्यालय के 78 प्रतिशत स्टाफ के भरोसे कार्यरत होने की जानकारी माहिती आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र सरकार ने दी है.
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री सचिवालय को मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत और पिछली सरकार में मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी. मुख्यमंत्री सचिवालय ने उनके ही विभाग की जानकारी देने के बजाय उसे सामान्य प्रशासन विभाग के पास हस्तांतरित किया। सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव दि.वि.नाईक ने अनिल गलगली को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के कार्यालय में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों की लिस्ट दी. इस लिस्ट में पुराने और वर्तमान सरकार के मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी करीब करीब समान है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सहारा देने के लिए पिछली सरकार का मुख्यमंत्री कार्यालय और अन्य मंत्री आस्थापना का 82 प्रतिशत स्टाफ कार्यरत था. वाहनचालक से लेकर उप सचिव तक ऐसे कुल 102 में से 83 अधिकारी और कर्मचारी ये मुख्यमंत्री,मंत्री और राज्यमंत्री आस्थापना पर पहले भी काम कर चुके है. इनमें 78 मुख्यमंत्री और 5 मंत्री और राज्यमंत्री आस्थापना पर कार्यरत थे. इनमें से 4 अधिकारियों को हाल ही में पुनः उनके मूल विभाग में भेजा गया है।जिसके चलते अब ये संख्या 79 है।
मुख्यमंत्री आस्थापना पर 4 उप सचिव में से 2 उपसचिव ये चन्द्रकांत हंडोरे और रणजीत कांबले के पास थे. 5 अवर सचिव में से 3 उपसचिव ये पहले मुख्यमंत्री और फौजिया खान के पास थे. फौजिया खान के पास कार्य कर चुके डॉ किरण पाटील को मूल विभाग यानी वित्त विभाग में भेजा गया है।कक्ष अधिकारी की संख्या 9 है जिसमन से सिर्फ एक ही कक्ष अधिकारी नया है. 6 पूर्व मुख्यमंत्री और 2 कक्ष अधिकारी राजेश टोपे और जयदत्त क्षीरसागर के पास काम करते थे. भगवान सावंत और अजय वाघ के अलावा सहायक के तौर पर कार्यरत रा.सु.सोनावणे को उनके मूल विभाग में हाल ही में भेजा गया है।13 में 8 लघुलेखक, 28 में 24 लिपिक टंकलेखक, 23 में 21 प्यून पिछली सरकार में मुख्यमंत्री कार्यालय में ही कार्यरत थे. 1 विशेष कार्य अधिकारी, 3 लघु टंकलेखक, 1 सहकारी अधिकारी, 1 वरिष्ठ स्वीय सहायक, 1 वरिष्ठ लिपिक, 5 सहायक, 1 लेखा अधिकारी, 1 सहायक लेखा अधिकारी, 1 देयक लेखापाल, 1 नाईक ये भी मुख्यमंत्री कार्यालय में होने की बात का खुलासा हुआ है.
दिनांक 1 दिसंबर 2014 को फडणवीस सरकार ने जारी किए हुए शासन निर्णय में गत 10 वर्ष में जिन मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री,मंत्री,राज्यमंत्री के कार्यालय में निजी सचिव, विशेष कार्य अधिकारी और स्वीय सहायक के तौर पर कार्य किया होगा तो उन्हें आगामी 5 वर्ष मंत्री आस्थापना पर काम करने का मौका न देने का दावा किया गया था लेकिन इसमें चालाकी दिखाते हुए फडणवीस सरकार ने अन्य अधिकारी औए कर्मचारियों को अभयदान देकर उन्हें लिस्ट से हटाया था, ये कहते हुए अनिल गलगली ने फडणवीस सरकार ने इस मामले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनोखे अभियान को छेद करनेइ कोई कसर नही छोड़ी है. अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर उनके ही सरकारी निर्णय को न्याय देने की मांग की है.
# फडणवीस के 11 रत्न
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ऐसे 11 बाहरी लोगों को असीमित अधिकार दिए है जिसके चलते ये फडणवीस के 11 रत्न होने की चर्चा मंत्र्यालय के सभी विभाग में हो रही है. 5 विशेष कार्य अधिकारी, 3 सहायक लिपिक और 1-1 ऐसे 3 पद पर स्वीय सहायक, सोशल मीडिया एडवाईजर और वाहनचालक है. इसमें से 1 भाजपा की कार्यकर्ती है। पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने अपने ही पार्टी की राजनीतिक चेली को तवज्जों देने की पहली ही घटना है.
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री सचिवालय को मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत और पिछली सरकार में मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी. मुख्यमंत्री सचिवालय ने उनके ही विभाग की जानकारी देने के बजाय उसे सामान्य प्रशासन विभाग के पास हस्तांतरित किया। सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव दि.वि.नाईक ने अनिल गलगली को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के कार्यालय में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों की लिस्ट दी. इस लिस्ट में पुराने और वर्तमान सरकार के मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी करीब करीब समान है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सहारा देने के लिए पिछली सरकार का मुख्यमंत्री कार्यालय और अन्य मंत्री आस्थापना का 82 प्रतिशत स्टाफ कार्यरत था. वाहनचालक से लेकर उप सचिव तक ऐसे कुल 102 में से 83 अधिकारी और कर्मचारी ये मुख्यमंत्री,मंत्री और राज्यमंत्री आस्थापना पर पहले भी काम कर चुके है. इनमें 78 मुख्यमंत्री और 5 मंत्री और राज्यमंत्री आस्थापना पर कार्यरत थे. इनमें से 4 अधिकारियों को हाल ही में पुनः उनके मूल विभाग में भेजा गया है।जिसके चलते अब ये संख्या 79 है।
मुख्यमंत्री आस्थापना पर 4 उप सचिव में से 2 उपसचिव ये चन्द्रकांत हंडोरे और रणजीत कांबले के पास थे. 5 अवर सचिव में से 3 उपसचिव ये पहले मुख्यमंत्री और फौजिया खान के पास थे. फौजिया खान के पास कार्य कर चुके डॉ किरण पाटील को मूल विभाग यानी वित्त विभाग में भेजा गया है।कक्ष अधिकारी की संख्या 9 है जिसमन से सिर्फ एक ही कक्ष अधिकारी नया है. 6 पूर्व मुख्यमंत्री और 2 कक्ष अधिकारी राजेश टोपे और जयदत्त क्षीरसागर के पास काम करते थे. भगवान सावंत और अजय वाघ के अलावा सहायक के तौर पर कार्यरत रा.सु.सोनावणे को उनके मूल विभाग में हाल ही में भेजा गया है।13 में 8 लघुलेखक, 28 में 24 लिपिक टंकलेखक, 23 में 21 प्यून पिछली सरकार में मुख्यमंत्री कार्यालय में ही कार्यरत थे. 1 विशेष कार्य अधिकारी, 3 लघु टंकलेखक, 1 सहकारी अधिकारी, 1 वरिष्ठ स्वीय सहायक, 1 वरिष्ठ लिपिक, 5 सहायक, 1 लेखा अधिकारी, 1 सहायक लेखा अधिकारी, 1 देयक लेखापाल, 1 नाईक ये भी मुख्यमंत्री कार्यालय में होने की बात का खुलासा हुआ है.
दिनांक 1 दिसंबर 2014 को फडणवीस सरकार ने जारी किए हुए शासन निर्णय में गत 10 वर्ष में जिन मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री,मंत्री,राज्यमंत्री के कार्यालय में निजी सचिव, विशेष कार्य अधिकारी और स्वीय सहायक के तौर पर कार्य किया होगा तो उन्हें आगामी 5 वर्ष मंत्री आस्थापना पर काम करने का मौका न देने का दावा किया गया था लेकिन इसमें चालाकी दिखाते हुए फडणवीस सरकार ने अन्य अधिकारी औए कर्मचारियों को अभयदान देकर उन्हें लिस्ट से हटाया था, ये कहते हुए अनिल गलगली ने फडणवीस सरकार ने इस मामले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनोखे अभियान को छेद करनेइ कोई कसर नही छोड़ी है. अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर उनके ही सरकारी निर्णय को न्याय देने की मांग की है.
# फडणवीस के 11 रत्न
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ऐसे 11 बाहरी लोगों को असीमित अधिकार दिए है जिसके चलते ये फडणवीस के 11 रत्न होने की चर्चा मंत्र्यालय के सभी विभाग में हो रही है. 5 विशेष कार्य अधिकारी, 3 सहायक लिपिक और 1-1 ऐसे 3 पद पर स्वीय सहायक, सोशल मीडिया एडवाईजर और वाहनचालक है. इसमें से 1 भाजपा की कार्यकर्ती है। पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने अपने ही पार्टी की राजनीतिक चेली को तवज्जों देने की पहली ही घटना है.
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