महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद से आज तक महाराष्ट्र विधान सभा का उपाध्यक्ष पद रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र विधानमंडल सचिवालय ने दी थी। अनिल गलगली की एक आरटीआई के बाद सरकार नींद से जाग उठी और महाराष्ट्र विधानसभा का उपाध्यक्ष का रिक्त पद को न्याय मिल रहा हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र विधानमंडल सचिवालय से महाराष्ट्र विधानसभा का उपाध्यक्ष पद को लेकर जानकारी मांगी थी। महाराष्ट्र विधानमंडल सचिवालय के जन सूचना अधिकारी और अवर सचिव सुभाष नलावडे ने अनिल गलगली को बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा के अक्टूबर 2014 के चुनाव के बाद बारहवीं विधानसभा 8 अक्टूबर 2014 को विसर्जित की गई और तेरहवीं विधानसभा 21 अक्टूबर 2014 से अस्तित्व में आई तबसे तेरहवीं विधानसभा का उपाध्यक्ष पद रिक्त हैं। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 178 के तहत हर एक राज्य की विधानसभा जितना होगा उतना जल्द, विधानसभा के 2 सदस्यों को क्रमशः अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तौर पर चुनेगी या अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद रिक्त होगा तब तब , विधानसभा अन्य सदस्य को अध्यक्ष या यथास्थिति, उपाध्यक्ष चुनेगी। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 180 के तहत अध्यक्ष का पद रिक्त होने की स्थिती में पद की जिम्मेदारी और अधिकार को निभाने का दायित्व उपाध्यक्ष की होती हैं।
वर्ष 1937 से वर्ष 2014 तक 22 सदस्य उपाध्यक्ष चुने गए थे। मुंबई विधानसभा के उपाध्यक्ष पर नारायणराव गुरु जोशी, शनमुगप्पा अंगदी, शिवलिंगाप्पा कंठी उपाध्यक्ष थे। 1956 से 1960 के दौरान द्विभाषिक मुंबई राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष पद पर शेषराव वानखेडे और दिनदयाल गुप्ता थे। 1960 से लेकर 2014 तक उपाध्यक्ष पद पर दिनदयाल गुप्ता, कृष्णराव गिरमे, रामकृष्ण बेत, सय्यद फारुक पाशा, शिवराज पाटील, गजानन राव गरुड, सूर्यकांत डोंगरे, शंकरराव जगताप, कमलकिशोर कदम, डॉ पद्मसिंह पाटील, बबनराव ढाकने, अण्णा जोशी,मोरेश्वर टेमुर्डे, शरद तसरे, प्रमोद शेंडे, मधुकरराव चव्हाण, प्रा. वसंत पुरके चुने गए थे।
अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार और विधानमंडल का आभार मानते हुए आरटीआई कानून की जीत बताई।
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