सरकारी निवासस्थान में अनुज्ञेय समय के बाद अधिक निवास करनेपर दंडात्मक दर में एकओर वृध्दि करनेवाली राज्य सरकारनिवासस्थान रिक्त न करनेवाले 15 अफ़सरों पर मेहरबान होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र सरकार ने दी हैं। इसमें प्रतिनियुक्ती और मुंबई के बाहर तबादला होने के बाद भी निवासस्थान में अधिक निवास करने की जानकारी सामने आई हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से सरकारी निवासस्थान में अनुज्ञेय समय के बाद अधिक निवास करनेवाले अफ़सरों की जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग ने अनिल गलगली को 15 अफ़सरों की जानकारी मांगी थी। 12 आईएएस और 3 आईपीएस अफसर हैं। आईएएस रश्मी शुक्ला का मुंबई के बाहर तबादला होने के बाद सरकारी निवासस्थान में रहने की मियाद बढ़ाते हुए वर्तमान में निवासस्थान नियमित किया गया हैं। सुरेंद्र बागडे मुंबई महानगरपालिका में कार्यरत हैं और उन्हें सरकारी निवासस्थान कब्जे में रखने की अनुमति दी हैं। विनित अगरवाल यह केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ती पर कार्यरत हैं और केंद्र सरकार का निवासस्थान प्राप्त होने तक राज्य सरकार का निवासस्थान कब्जे में रखने की अनुमति दी हैं। बलदेव सिंह भी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ती पर कार्यरत हैं और उन्हें निवासस्थान दिनांक 31 मार्च 2019 तक कब्जे में रखने की अनुमति दी हैं। संजय चहांदे केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ती पर कार्यरत हैं और सरकारी निवासस्थान कब्जे में रखने की अनुमति सरकार ने दी हैं।
रिटायर्ड होने के बाद भी सरकारी निवासस्थान रिक्त न करनेवाले जे पी डांगे और वी गिरीराज यह 2 अफसर हैं। गिरीराज को दिनांक 30 अप्रैल 2018 तक सरकारी निवासस्थान में रहने की अनुमति दी गई थी। रिटायर्ड के बाद के पी बक्षी और दिलीप जाधव को क्रमशः महाराष्ट्र जलसंपत्ती नियमन प्राधिकरण पर अध्यक्ष और आपत्कालीन वैद्यकीय सेवा प्रकल्प पर पुर्ननियुक्ति करने से उन्हें सरकारी निवासस्थान कब्जे में रखने की अनुमति दी हैं।
मुंबई के बाहर तबादला होने के बाद भी 6 अफ़सरों ने सरकारी निवासस्थान रिक्त नहीं किया हैं इसमें विजय सूर्यवंशी, अविनाश सुभेदार, कैलास शिंदे, किशोर राजे निंबालकर, राजेश देशमुख और मिलींद शंभरकर का शुमार हैं। मिलींद शंभरकर को दिनांक 30 अप्रैल 2018 तक मियाद बढ़ाकर दी गई थी वहीं राजेश देशमुख को दिनांक 31 मई 2019 तक निवासस्थान में रहने की अनुमति दी गई हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने गत 4 वर्ष में रिटायर्ड, प्रतिनियुक्ती और तबादले के बाद भी सरकारी निवासस्थान न छोड़नेवालों के लिए कड़ा नियम बनाकर दंडात्मक दर में वृद्धि की लेकिन दुर्भाग्य से हर बार सरकार ही ऐसे अफ़सरों को मदद कर उनपर मेहरबान होने का आरोप अनिल गलगली ने किया हैं। जिन अफ़सरों ने सरकारी जमीनपर बनाई गई बिल्डिंग या अन्य मार्ग से मकान हासिल किए हैं ऐसे ही अफसरों ने सरकारी निवासस्थानों पर कब्जा करने पर गलगली ने अफ़सोस जताया। दंडात्मक दर में वृद्धि कर सरकारी निर्णय एकओर निकालनेवाली सरकार दूसरीओर ऐसे अफ़सरों को बल देकर मेहरबानी क्यों कर रही हैं? ऐसा सवाल मुख्यमंत्री को भेजे हुए पत्र में अनिल गलगली ने पूंछा हैं।
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