लोकतंत्र को और मजबूती देनेवाला सूचना का अधिकार 2005 यानी आरटीआई को लेकर जनजागरण करनेवाला संवादात्मक कार्यक्रम बदलापूर में 'सुहृद: एक कलांगण' ने आयोजित किया था। सूचना का अधिकार अभियान के कार्यकर्ता अनिल गलगली और प्रा. सुभाष आठवले ने आरटीआई की व्यापकता, सूचना प्राप्त करने की प्रक्रिया पर मार्गदर्शन किया। प्रा. नितीन आरेकर ने इन दोनों से संवाद साधकर आरटीआई की विस्तृतता उपस्थितीजनों के समक्ष सरल भाषा में रखी।
आम नागरिकों को इस कानून के तौर पर एक प्रभावी शस्त्र प्राप्त हुआ हैं, उसका इस्तेमाल सकारात्मक करने की जिम्मेदारी हर एक नागरिक की होने की बात कहते हुए अनिल गलगली ने कहा कि कार्यकर्ताओं का लगातार प्रयास से व्यवस्था में बदलाव हो रहा हैं। अपने आसपास की घटनाओं की ओर एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर समस्याओं को नजरअंदाज किये बिना जिगर से नागरिकों की समस्याओं को सुलझाया जा सकता हैं।
आरटीआई से ही जुड़ा दफ्तर दिरंगाई प्रतिबंध कानून और अभिलेख व्यवस्थापन कानून पर जोर देते हुए प्रो. सुभाष आठवले ने कहा कि हम सिर्फ सुशिक्षित यानी साक्षर होना उपयोगी नहीं हैं। बल्कि सरकारी साक्षरता यानी सरकारी काम को लेकर सजग रहना , नागरिक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी और अधिकार को समझना उतना ही महत्वपूर्ण हैं। नागरिक जिम्मेदारी को अच्छी तरीके से इस्तेमाल करेंगे तो सुशासन आएगा।
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