Monday, 31 December 2018

एक्सीडेंटल प्रधानमंत्री ने ही देश को दिया सूचना अधिकार का कानून

सूचना का अधिकार के कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सूचना अधिकार प्रशिक्षण शिबिर में कहा कि जिस प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को एक्सीडेंटल प्रधानमंत्री के तौर पर  पेश किया जा रहा हैं उसी एक्सीडेंटल प्रधानमंत्री ने देश को सूचना का अधिकार देने का काम किया हैं। इसलिए आम लोगों को सड़क पर काम करनेवाले कर्मचारियों से लेकर प्रधानमंत्री को सवाल पूछने का अधिकार प्राप्त हुआ हैं।

घाटकोपर प्रगती मंच इस ग्रुप द्वारा सूचना अधिकार प्रशिक्षण शिबीर का आयोजन घाटकोपर पश्चिम भटवाडी स्थित क्रांती क्रीडा मंडल के सभागार में किया गया था।  सूचना अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मार्गदर्शन करते हुए चिंता जताई कि 125 करोड़ के देश में सिर्फ 10 लाख भारतीय यह सालाना सूचना का अधिकार कानून का इस्तेमाल कर रहा हैं। केंद्र सरकार, राज्य सरकार और मुंबई महानगरपालिका में सूचना का अधिकार का इस्तेमाल कहां और किसलिए करे इसपर विस्तृत मार्गदर्शन गलगली ने किया। 

प्रसिद्ध अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी को कौड़ियों के दाम पर भूखंड वितरित करने की जानकारी कैसे सार्वजनिक की गई, इसकी जानकारी अनिल गलगली ने दी और उसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 1983 का सरकारी निर्णय रद्द करने का निर्णय लिया जो सूचना का अधिकार कानून की जीत होने की बात कही। रिलायन्स बिजली  कंपनी ने जनता की जेब से लुटे हुए पैसों की जानकारी आरटीआई से सामने आई और 2640 करोड़ रुपए सरकारी सरकारी तिजोरी में जमा हुए। ऐसे कई उदाहरण गलगली ने दी।

मुंबई में अधर में लटकी झोपु योजना को लेकर बड़े पैमाने पर सवाल नागरिकों की ओर से आए। जनप्रतिनिधियों के काम का जायजा, शौचालय की समस्या को लेकर आरटीआई का इस्तेमाल कैसे करे, इसका मार्गदर्शन गलगली ने किया। आरटीआई के साथ दफ्तर विलंब कानून पर आवेदन करने की प्रक्रिया पर भी मार्गदर्शन किया।

कार्यक्रम की जानकारी प्रशांत बढ़े ने दी। इस कार्यक्रम में मनपा  प्रभाग समिती सदस्य किरण लांडगे, अजित तांबे, विक्रम कसबे, संगीता वरपे उपस्थित थी।

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