Wednesday, 6 May 2015

बराक ओबामा के भारत दौरे पर हुए खर्च की जानकारी गोपनीय

अमेरिका के राष्ट्रपति भारत के दौरे पर बड़ी फौज और लोग लेकर आए थे। उनके तीन दिवसीय दौरे पर भारत सरकार ने किए खर्च की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को देने से इंकार करते हुए इससे भारत के विदेश संबंध प्रभावित होने का डर विदेश मंत्रालय ने जताया है। बराक ओबामा के भारत दौरे पर हुए खर्च की जानकारी गोपनीय होने से वह आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को देने से इंकार करते हुए उनकी अर्जी खारिज की गई है। मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के तीन दिवसीय भारत दौरे पर हुए सभी प्रकार के खर्च की जानकारी मांगी थी। विदेश मंत्रालय के उप मुख्य प्रोटोकॉल अधिकारी रोहित रथिश ने अनिल गलगली को सूचित किया है कि प्रत्येक वर्ष, भारत सरकार अनेक विदेशी गणमान्य व्यक्तियों की भारत आने पर मेजबानी करती है। ये दौरे शिष्टमण्डल के स्वरुप, प्रयोजन, वर्गीकरण, संघटन, कैसी मेजबानी की गई और कितना स्वीकार किया गया और कौन कौन से शहरों का दौरा किया, की दॄष्टी से अलग-अलग होते है और ये कहना गलत नहीँ होगा कि प्रत्येक दौरा अनोखा होता है। ऐसी परिस्थितिओं में ऐसे दौरे पर भारत सरकार द्वारा खर्च की गई राशि में दौरा-दर-दौरा अंतर होता है और सरकार के लिए यह मुद्दा संवेदनशील है। ऐसी संवेदनशील सूचना के प्रकटीकरण से निश्चित तौर पर भारत के विदेश संबंधों पर प्रतिकुल प्रभाव पड सकते है। रथिश ने आगे ये कहा है कि मांगी गई सूचना संवेदनशील स्वरुप के होने के साथ- साथ भारत के विदेश संबंधों से संबंध रखती हैं। इस आलोक में तथा संवेदनशील सूचना की गोपनीयता को बनाए रखने से संबंधित आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(क) अंतर्गत स्थापित सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए इस मामले पर आगे कोई जानकारी का प्रकटीकरण उस श्रेणीत में आता है जिसकी वजह से विदेशों के साथ हमारे संबंध प्रभावित हो सकते है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने विदेश मंत्रालय के इस दावे को अद् भुत बताते हुए इस प्रकार का खर्च सार्वजनिक करने पर भारत के संबंध कैसे प्रभावित होंगे? ये तर्क संशोधन का विषय हैं। पारदर्शक कामकाज की दुहाई देनेवाली मोदी सरकार द्वारा इसतरह का तार्किक वाद कर अपरोक्ष तौर पर करोड़ों रुपए के खर्च पर पर्दा ड़ालने का प्रयास करने की कोशिश होने का टिप्पणी अनिल गलगली ने व्यक्त की हैं। बराक ओबामा के दौरे पर हुआ एक-एक पैसे की जानकारी प्रत्येक भारतीयों को स्वयंफुर्ति से बताने की जरुरत है और ये रकम भारतीयों के पसीने से जमा हुए टैक्स की है, इसका अहसास सरकार को होना चाहिए, ऐसा अनिल गलगली ने आखिर में कहा है।

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